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Adultery Diwali ka Jua - 3 (Incest + Adultery)

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Update 11
मोनू रश्मि की गदराई गांड के मोटे-मोटे पाटो को सहलाता हुआ अपनी दीदी की गहरी गुदा मे अपने हाथ की उंगलिया फेर-फेर कर

सहलाने लगता है और रश्मि अपने भाई के लंड के टोपे को खोल कर उसके टोपे को सहलाने लगती है,

तभी मोनू टेबल के उपर रखी ऑमंड ड्रॉप्स की शीशी को उठा कर उससे तेल निकाल कर अपनी दीदी की मोटी गान्ड की दरार मे तेल लगा कर उसकी गदराई मोटी गांड के छेद मे अपनी उंगली घुसा-घुसा कर तेल लगाने लगता है
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तभी रश्मि अपनी हथेली को आगे करके मोनू को अपने हाथ मे तेल डालने का इशारा करती है और मोनू उसके हाथो मे तेल डाल देता है और रश्मि अपने हाथो मे तेल लेकर मोनू के मोटे लंड मे तेल लगा-लगा कर उसे सहलाने लगती है, मोनू अपनी दीदी के मोटे गदराए चुतडो को पूरा तेल से भिगो देता है और खूब कस-कस कर अपनी दीदी के मस्ताने चुतडो की मालिश करने लगता है, वह जितनी ज़ोर से अपनी उंगलियो को अपनी दीदी की गांड की दरार मे भरता है रश्मि भी उतनी ही तेज तरीके से अपने हाथो को अपने भाई के लंड पर कस-कस कर तेल मलने लगती है,

करीब 10 मिनिट तक दोनो एक दूसरे की गांड और लंड मे तेल लगा-लगा कर पूरी तरह चिकना कर देते है उसके बाद मोनू अपनी दीदी को बेड से सटा कर पेट के बल बेड के नीचे टाँगे झुला कर लिटा देता है और फिर अपनी दीदी की मोटी गांड के छेद को अपने हाथो से फैलता है तो रश्मि उसके हाथ को हटाते हुए अपनेहाथो से अपनी गदराई मोटी गांड को खूब कस कर फैलाती है और अपने भाई को अपनी गांड का कसा हुआ छेद दिखा कर ले मोनू अब डाल अपने लंड को अपनी दीदी की गदराई गांड मे, मोनू रश्मि की बात सुन कर अपने लंड को अपनी दीदी की गांड के छेद मे लगा कर एक तगड़ा धक्का मारता है और
लंड अपनी दीदी की गान्ड के छेद को फैलता हुआ लगभग आधा से ज्यादा अंदर धस जाता है और रश्मि की गान्ड फट जाती है
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और वह ज़ोर से सीसियाते हुए आह मोनू बहुत दर्द कर रहा है तेरा लंड आ मोनू प्लीज़ मे मर जाउन्गि, मोनू रुक जा मोनू आ, मोनू अपने आधे से ज्यादा लंड को फसाए हुए अपनी दीदी की गान्ड के मोटे-मोटे पाटो को दबोच-दबोच कर सहलाते हुए अपने लंड को धीरे-धीरे

अपनी दीदी की मोटी गान्ड मे गाढ़ने लगता है,
 
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रश्मि आह-आह करती हुई अपनी गांड के छेद को कभी सिकोडती है कभी फैलाती है, मोनू लगातार अपनी दीदी की गांड के मोटे- मोटे पाटो को मसल-मसल कर सहलाता रहता है जब रश्मि कुछ शांत दिखाई देती है तो मोनू अपने लंड को एक दम से कस कर अपनी दीदी की मोटी गांड मे पेल देता है और उसका लंड उसकी दीदी की मोटी गांड को फाड़ता हुआ पूरा अंदर फिट हो जाता है और रश्मि की गांड फट जाती है और वह ज़ोर-ज़ोर से सीसियाते हुए अपनी गांड के छेद को सिकोड़ने लगती है, मोनू अपनी
दीदी की गांड को बड़े प्यार से सहलाता हुआ धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करने लगता है

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और रश्मि आह-आह मोनू सी आह-आह ओह मोनू बहुत दर्द हो रहा है मोनू प्लीज़ रुक जा आह-आह, मोनू अपनी दीदी के मोटे चुतडो को कस-कस कर अपने हाथो से भिचता हुआ उसकी गांड मारने लगता है और रश्मि अपने हाथो के पंजो से चादर को पकड़े हुए अपने भाई का लंड अपनी गदराई गांड मे लेने लगती है,
मोनू करीब 10 मिनिट तक अपनी दीदी को धीरे-धीरे लेकिन गहरे धक्के मारता हुआ उसकी मोटी गांड चोदता रहता है, उसके बाद मोनू अपनी दीदी की गांड को उमच-हुमच कर चोदना शुरू कर देता है और रश्मि आह-आह ओह मोनू बहुत खुजली हो रही है आह मोनू बहुत अच्छा लग रहा है थोड़ा तेज चोद आह-आह ओह मोनू तू कितना अच्छा है थोड़ा कस कर मार मोनू आह-आह, चोद ना मोनू थोड़ा तेज चोद मोनू प्लीज़ आह-आह ओह मे मर जाउन्गि मोनू और तेज मार और तेज, मोनू अपनी दीदी की गांड को सटासट

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चोदने लगता है और उसके चुतडो पर हल्के-हल्के थप्पड़ मारते हुए उसकी गांड मे सटासट लंड पेलने लगता है, करीब 20 मिनिट तक अपनी दीदी की गांड को मारते हुए मोनू का लंड उसकी कसी हुई गांड मे पानी छोड़ देता है
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और हान्फता हुआ उसकी कमर के उपर झुक जाता है और रश्मि बेड पर पेट के बल पसर जाती है, मोनू सीधा अपनी दीदी की गांड मे लंड फसाए उसके

उपर लेट जाता है और करीब 2 मिनिट बाद उसका लंड उसकी दीदी की गांड से बाहर निकल आता है, रश्मि अधमरी सी गहरी-गहरी साँसे लेती हुई पड़ी रहती है और मोनू उसकी गोरी-गोरी पीठ को सहलाता रहता है
 
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सुबह रश्मी की नींद जल्दी खुल गयी..और उसने अपने कपड़े पहने, और अपनी माँ के पास जाकर लेट गयी.. दीवाली का दिन था, इसलिए सोई नही वो उसके बाद...पूरे घर की अच्छी तरह से सफाई की...मोनू के कमरे में गयी और उसे नहाने के लिए भेजा...बिस्तर की हालत देखकर उसे खुद ही बड़ी शर्म आई...काफ़ी नोट फट चुके थे..कई नोटों पर खून की बूंदे और कई पर उनके प्यार की मिली जुली निशानी चमक रही थी...उसने उन ख़ास नोटों को अलग रख लिया निशानी के तोर पर और बाकी नोटों को समेट कर अलमारी में रख दिया...
अब दोनो को शाम का इंतजार था.. दीवाली का दिन था इसलिए पूरे दिन घर में कोई ना कोई मेहमान या गली में रहने वाले लोग आते-जाते रहे...दीवाली की शुभकामनाए और मिठाई के साथ... रश्मी ने भी काफ़ी गिफ्ट और मिठाइयाँ ली और अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों के घर जाकर दे आई...ये सब करते-2 कब शाम हो गयी उसको भी पता नही चला..मोनू घर पर ही था..सुबह से माँ की तबीयत ठीक नही लग रही थी इसलिए वो उनके साथ ही रुका हुआ था. शाम को जब तक रश्मी घर पहुँची, डॉक्टर उनके घर से निकल रहा था..जिसे देखकर रश्मी घबरा गयी..वो भागती हुई उपर के कमरे में गयी, मोनू अपनी माँ के पास बैठा था. पूछने पर पता चला की उन्हे साँस लेने मे तकलीफ़ हो रही है...शायद नजला जम गया है और उसकी वजह से उनके हार्ट पर भी ज़ोर पड़ रहा है..इसलिए डॉक्टर ने सलाह दी की इन्हे एक दिन के लिए हॉस्पिटल में एडमिट कर दो और नेबोलाइस करवा लो...साथ ही साथ हार्ट पर जो दबाव पड़ रहा है उसकी भी जाँच हो जाएगी...
प्रोसिज़र तो सिंपल था और सिर्फ़ एक ही दिन का था..पर मुसीबत ये थी की त्योहार का दिन था..पर माँ की तबीयत पहले है, इसलिए दोनो भाई बहन उसी वक़्त माँ को हॉस्पिटल ले आए...वैसे भी उनके पास अब पैसों की कमी तो थी ही नही ..माँ को एडमिट करवाया , मोनू ने कहा की वो उनके साथ ही रुकेगा..और रश्मी को वापिस घर भेज दिया...और साथ ही साथ उसने रुची को भी फोन करके बोल दिया की वो आज रात के लिए उसके घर पर ही रुक जाए, क्योंकि रश्मी को वो अकेला नही छोड़ना चाहता था.
 

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रश्मी करीब 9 बजे घर वापिस पहुँची..और थोड़ी ही देर मे रुची भी आ गयी..उसकी माँ छोड़ने आई थी उसको..दोनो ने मिल कर खाना खाया.. रश्मी ने टाइम देखा, लाला और दूसरे जुआरियों के आने का टाइम होने वाला था...वो दुविधा में थी की क्या करे..उसने मोनू को फोन किया, उसने रश्मी को निश्चिंत होकर खेलने की सलाह दी...माँ तो ठीक ही थी..और रश्मी के साथ रुची भी थी, इसलिए मोनू ने बिना डरे उसे आज भी खेलने के लिए कहा..क्योंकि वो अच्छी तरह से जानता था की आज दीवाली का दिन है, और अगर आज रश्मी की किस्मत ने साथ दिया तो काफ़ी पैसे जीत सकती है वो..रश्मी के मन में भी लालच था..पर पैसों का नही , किसी और चीज़ का..
खैर, दस बजे के करीब सभी आना शुरू हो गये..और आधे घंटे के अंदर-2 सभी वहाँ पर थे..और सभी अंदर ही अंदर ये सोचकर काफ़ी खुश थे की आज की रात रश्मी अकेली है घर पर और वो उनके साथ खेलेगी..वो मन ही मन उसके साथ कैसे मज़े लेंगे, ये सोचने के उपाय निकालने लगे.. आज सभी के पास काफ़ी पैसे थे..क्योंकि दीवाली का दिन था, इसलिए जुआ भी मोटा होने वाला था.
रुची को भी ये सब देखकर काफ़ी रोमांच का एहसास हो रहा था..पिछली बार भी उसे बड़ी उत्सुकतता थी की कैसे रश्मी इस खेल को खेलती है...आज वो उसके साथ पूरी रात यही रहने वाली थी, इसलिए पूरी गेम को देखकर वो भी कुछ नया सीखना चाहती थी...पर उसे क्या पता था की रश्मी किस तरह के खेल खेलती है.. रश्मी के कहने पर रुची ने किचन संभाल ली और सबके लिए कुछ स्नेक्स का इंतज़ाम करने लगी..और बाकी सभी लोग टेबल के चारों तरफ बैठ गये और खेल शुरू कर दिया.
लाला तो कल रश्मी के हुस्न का दीदार कर ही चुका था..उसे पूरा नंगा देखकर...उसे चूस्कर...बस चुदाई की कमी रह गयी थी. रिशू और राजू भी अपनी ललचाई हुई नज़रों से रश्मी के जिस्म को देख रहे थे..आज त्योहार का दिन था इसलिए उसने काफ़ी सेक्सी रेड कलर का टॉप पहना हुआ था..जिसमे से उसकी क्लीवेज साफ़ दिख रही थी
रुची भी कम नही लग रही थी...उसने भी डोरी वाला येल्लो टॉप पहना था और स्लीवलेस होने की वजह से उसकी गोरी और सुडोल बाहें काफ़ी सेक्सी लग रही थी..नीचे की जीन्स मे उसकी फंसी हुई गांड , जिसे मोनू ने मार-मारकर इतना टेंप्टिंग कर दिया था की हर लोंडे की नज़र उसके मोटे उभारों से पहले नीचे की फेलावट पर जाती थी.. कुल मिलाकर आज की रात दोनो सहेलियाँ कयामत ढा रही थी..
खेल शुरू हुआ..आज की रात लाला अकेला ही आया था..गुड्डू किसी बड़े क्लब में अपनी किस्मत आज़माने गया हुआ था..आख़िर दीवाली पर जुआ खेलने का मौका रोज-2 तो आता नही है ना.. लाला ने पत्ते बाँटे...और पहली बाजी शुरू हुई..रुची भी तब तक सबके लिए कबाब तल कर ले आई और रश्मी की बगल मे बैठकर खेल को समझने की कोशिश करने लगी..
आज पहले ही तय हो चुका था की 500 की ब्लाइंड होगी, इसलिए सबने एक के बाद एक ब्लाइंड फेंकनी शुरू कर दी..4 ब्लाइंड चलने के बाद रिशू ने अपने पत्ते उठाए और उसने खुशी -2 दो हज़ार की चाल चल दी.. उसकी चाल आते ही राजू ने भी पत्ते उठा लिए और काफ़ी सोचने के बाद उसने भी चाल चल ही दी.. पर रश्मी ने अपने पत्ते नही उठाए और एक हज़ार की ब्लाइंड चल दी...और उसकी देखा देखी लाला ने भी हज़ार की ब्लाइंड चल दी..
अब दो लोग चाल पर थे और दो ब्लाइंड पर.. रिशू ने बड़े ही आराम से एक बार फिर से चाल को डबल किया और 4 हज़ार की चाल चल दी..राजू के पास पेयर था 4 का..इसलिए उसकी फटने लगी थी...उसे पता चल गया की हो ना हो रिशू के पास 3 पत्तों वाला कुछ आया है...कलर या सीक़वेंस..इसलिए उसने पेक कर दिया .. अब रश्मी ने अपने पत्ते उठा ही लिए...पर बड़े ही बेकार से थे वो...इसलिए उसने भी पेक कर दिया..
और वो इस पहली हार मे ही समझ चुकी थी की हर बार की तरह अभी उसका लक क्यो काम नही कर रहा ...क्योंकि उसने आज अंडरगार्मेंट्स पहने हुए थे...कल वो देख ही चुकी थी की अंदर के कपड़े उतारने के बाद ही उसका टोटका काम कर रहा था..इसलिए वो उठी और उपर के कमरे की तरफ चल दी..ये बोलकर की बस 1 मिनट में आई... रुची पीछे से बैठकर उन लोगो का खेल देखने लगी..
 
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लाला ने जब देखा की रश्मी ने पेक कर दिया है तो उसकी रूचि भी खेल मे ख़त्म हो गयी और उसने अपने पत्ते उठा लिए...उसके पास 9 का पेयर आया था...पर फिर भी रिशू का कॉन्फिडेंस देखकर उसने शो माँग लिया.. रिशू ने अपने पत्ते दिखाए , उसके पास सीक़वेंस था..और वो भी 1,2,3 का..
उसने मुस्कुराते हुए सारे पैसे समेट लिए..करीब 15 हज़ार आए उसके पास.. तभी रश्मी भी वापिस आ गयी..और किसी ने तो नही पर लाला ने उसके हिलते हुए मुम्मे देखकर ये अंदाज़ा लगा ही लिया की वो ब्रा उतारकर आई है...वो भी लाला की आँखो मे देखकर मुस्कुराती हुई अपनी सीट पर बैठ गयी..
रुची वापिस सोफे के हत्थे पर चड़कर बैठ गयी...और अचानक उसने नोट किया की वो रश्मी के गले में काफ़ी अंदर तक देख पा रही है...जबकि पहले ऐसा नही था..उसकी ब्रा गायब थी... उसने रश्मी के कान मे फुसफुसाते हुए कहा : "तेरी ब्रा कहाँ गयी...सब सॉफ-2 दिख रहा है..''
रश्मी (धीरे से) : "वो मैने उतार दी...चुभ रही थी निगोडी..''
रुची : "पर ये सब देख रहे हैं...लाला को देख ज़रा..तेरे बूब्स को कैसे घूर रहा है..''
रश्मी : "तभी तो उतारी है...ताकि ये घूर सके मुझे...''
रश्मी के मुँह से ऐसी बेशर्मी भरी बात सुनकर रुची चोंक गयी...वो बेचारी नही जानती थी की ये गेम आगे चलकर किस लेवल तक जाने वाली है...
अगली गेम शुरू हुई,और 3 ब्लाइंड के बाद इस बार रश्मी ने अपने पत्ते उठा लिए..और फिर उसने वो किया जिसकी उम्मीद लाला को तो थी पर और किसी को नही..उसने अपने पत्ते दाँये हाथ मे पकड़े हुए थे...और अचानक उसी हाथ को अपनी टॉप के गले से अंदर डालकर अपने मुम्मों पर रगड़ डाला और जब सभी उसकी इस हरकत को देखकर आँखे फाड़ने लगे तो वो बोली : "उफफफफ्फ़.... ये मच्छर भी ना....''
रुची का तो मुँह खुला का खुला रह गया...रश्मी ने जिस बेशर्मी से अपनी गहरे गले की टॉप में हाथ डालकर अपने मुम्मो को रगड़ा था, सामने बैठे हर इंसान ने वो हरकत देखी थी...पहले तो वो ब्रा उतार आई और उसके बाद इतनी बेशर्मी से वो हाथ अंदर डालकर अपने बूब्स रगड़ रही थी जैसे उन्हे नोच डालेगी..
अब उसे क्या पता था की वो तो अपना टोटका बैठाने की कोशिश कर रही थी...अपने मुम्मों पर अपने पत्ते रगड़कर वो उनकी किस्मत बदल देना चाहती थी..और अपनी भी..
और उसके मुम्मों से रगड़ खाकर जैसे उन पत्तों की किस्मत सच मे बदल चुकी थी...उसके पास पान के पत्तों का कलर आया था..उसने मुस्कुराते हुए 2 हज़ार डाल दिए बीच में और चाल चल दी..और वो भी हल्के से अपनी चूत से रगड़कर ...जिसे लाला के अलावा किसी और ने नोट ही नही किया...रिशू और राजू तो अभी तक उसके बिना ब्रा के मुम्मों के उपर लगे निप्पल के इंप्रेशन को देखकर सकते में थे...
लाला ने भी अपने पत्ते उठाए...और टोटके पर टोटका चलाते हुए उसने भी उतनी ही बेशर्मी से अपने लंड के उपर उन्हे रगड़ा और पत्ते देखे.. उसके पास भी कलर आया था...और वो भी पान का...पर जाहिर सी बात थी , दोनो के नंबर्स अलग थे...और ये बात तो तब साबित होती जब दोनो का शो होता..
राजू ने पत्ते उठाए और देखते ही पेक कर दिया..रिशू का भी यही हाल था...उसके पास भी सिर्फ़ इक्का आया था और दो छोटे पत्ते...सामने से दो चाल आ चुकी थी, इसलिए उसने भी पेक कर दिया.. अब बचे थे सिर्फ़ लाला और रश्मी...

लाला सोचने लगा की काश कल की ही तरह वो लोग आज भी अकेले में होते तो इतने नाटक ना करने पड़ रहे होते अभी तक..सीधा अपने वाले खेल में आ चुके होते दोनो..जिसमे जीतने के बाद रश्मी खुश होकर खुद ही अपने कपड़े उतार कर उसके साथ मज़े ले रही थी..
मज़े लेने के मूड में तो वो आज भी थी..और वो तो हमेशा से ही तैयार रहता था..पर रिशू और राजू के सामने वो कैसे करे, यही पंगा था..और उपर से रुची भी साथ मे थी ...ऐसे मे आज की रात कुछ भी कल जैसा होना मुश्किल सा लग रहा था उसे..
पर वो नही जानता था की रश्मी के दिमाग़ में क्या चल रहा है..पैसे जीतना आज रश्मी की मंशा नही थी..आज की रात तो वो कल की रात से भी ज़्यादा मज़े लेना चाहती थी..और वो भी सब के साथ..क्योंकि कल की ताज़ा चुदी चूत में एक बार फिर से खुजली होनी शुरू हो चुकी थी...और वो ये सोच रही थी की जब मोनू के अकेले लंड ने उसे इतने मज़े दिए हैं तो इन तीनो के लंड मिलकर उसे कितना मज़ा देंगे..
इसलिए उसने अपनी योजना को अंजाम तक ले जाने के लिए अपने जलवे बिखेरने शुरू कर दिए.. और उसने हज़ार के 2 नोट लेकर एक बार फिर से अपनी टॉप के अंदर डाला और अच्छी तरह से घुमा कर उन्हे नीचे फेंक दिया.. रुची एक बार फिर से बेहोश होती-2 बची... राजू और रिशू भी समझ चुके थे की वो रश्मी का कोई टोटका है..क्योंकि ऐसे खेल के खिलाड़ी सब जानते हैं..और ये जानकार की रश्मी का टोटका इतना सेक्सी है , उनकी तो साँसे उपर की उपर और नीचे की नीचे रह गयी..
रश्मी बड़े ही कामुक तरीके से लाला को देखते हुए वो सब कर रही थी...इसलिए रिशू और राजू को ये समझते भी देर नही लगी की कल उपर वाले कमरे में क्या-2 हुआ होगा...जब उनके सामने बैठकर ही रश्मी इतनी बेशर्मी दिखा रही है तो उपर उसने क्या नही किया होगा.. रुची एक बार फिर से फुसफुसाई : "रश्मी, तू पागल हो गयी है क्या...ये क्या बेशर्मी है...कर क्या रही है तू...''
उसकी बात पास बैठे रिशू ने सुन ली, और बोला : "ये शायद इसका टोटका है...और ऐसे टोटके करने से बाजी जीती जाती है...क्यो लाला भाई, सही कहा ना मैने...''
और ये सुनकर तीनो बड़े ही भद्दे तरीके से ठहाका लगाकर हँसने लगे...
लाला : "हाँ रिशू, तूने बिल्कुल सही पकड़ा...और मैने कल उपर देखा था, रश्मी के ऐसे टोटकों की वजह से ही मैं पूरा नंगा हो गया था कल..''
सबने उसकी तरफ घूर कर देखा
लाला : "मेरा मतलब , मेरे सारे पैसे लूट लिए थे इसने...सच मे बड़े कमाल के टोटके होते हैं इसके...''
वो एक बार फिर से उसके मोटे-2 मुम्मों को घूरता हुआ बोला .. रुची की तो कुछ समझ मे नही आ रहा था...वो सोच रही थी की जब इस बात का मोनू को पता चलेगा तो वो कैसे रिएक्ट करेगा...उसकी बहन उसके दोस्तों के सामने कितनी बेशर्मी से पेश आ रही है.. और रुची को ये बात पता नही थी की ऐसे टोटके अपनाने के लिए उसे मोनू ने ही उकसाया था.. लाला की बारी आई...और वो तो था ही एक नंबर का हरामी..उसने भी 2 हज़ार रुपय उठाए और उन्हे अपने लंड से रगड़ने लगा...इतना रगड़ा की पेंट के नीचे से उसका उभार खड़ा होकर सॉफ दिखाई देने लगा...उसकी लंबाई का अंदाज़ा सॉफ लगाया जा सकता था.. रिशू और राजू भी उसकी बेशर्मी पर एक दूसरे को आँख मारकर मज़े लेने लगे... और रश्मी अगली चाल के लिए फिर से अपने मुम्मों पर नोट रगड़ने लगी.. पर इन सबके बीच रुची की हालत खराब थी...उसे वैसे ही मोनू की बड़ी याद आ रही थी..और अपने सामने लाला को इतनी बेशर्मी से अपने लंड को रगड़ते देखकर और फिर उसके लंड की लंबाई को देखकर उसके अंदर धुंवा सा उठने लगा था..चूत की भट्टी में कोयले सुलगने लग गये थे..वहाँ से आँच निकलनी शुरू हो गयी...और उसकी जांघों के बीच चिपचिपाहट महसूस होने लगी उसे.. अपने मुम्मों से रगड़ने के बाद रश्मी ने एक और डेयरिंग दिखाई और उन्ही पैसों को अपनी चूत वाले हिस्से से भी रगड़कर एक ही झटके में नीचे फेंक दिया...
 
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उसका डबल अटैक था ये...मुम्मे और चूत की रगड़ाई एक साथ... अब ये काम लाला तो कर नही सकता था...लड़कियों की तरह लड़कों के पास 2-3 चीज़ें तो होती नही है, यानी मुम्मे ,चूत और गांड ...उनके पास तो ले देकर सिर्फ़ और सिर्फ़ लंड ही है...वो उसी पर फिर से पैसे रगड़कर अपनी चाल चलने की तैयारी करने लगा..और इस बार वो भी एक कदम और आगे बड़ गया...उसने पेंट की जीप खोली और पैसे अंदर डालकर उन्हे नंगे लंड से रगड़ दिया..
रिशू और राजू ने ऐसा मुँह बनाया जैसे उन्हे वो देखकर घिन्न आ रही है...पर रश्मी और रुची ही जानते थे की लाला की इस हरकत से उनकी चूत से कितनी चिंगारियाँ निकली हैं... रश्मी तो कल वो सब अच्छी तरह से महसूस कर ही चुकी थी, पर फिर भी आज एक नये सिरे से और वो भी सबके सामने महसूस करने का एहसास अलग ही था...वो कल से भी ज़्यादा उत्तेजित महसूस कर रही थी अपने आप को. और रुची का तो पूछो ही मत...वो तो सोफे के कुशन वाले हत्थे पर दोनो तरफ टांगे करके ऐसे बैठ गयी जैसे घोड़ी पर बैठी है...और धीरे-2 हिलते हुए उसपर अपनी चूत रगड़ने लगी...और रश्मी को तो क्या , उस रूम मे बैठे हर इंसान को उसकी चूत से निकल रही खुश्बू आ रही थी...इतना तेल निकल रहा था उसकी चूत की फैक्टरी से...
उसकी हिलने की स्पीड काफ़ी स्लो थी, इसलिए पास बैठी रश्मी ही महसूस कर पा रही थी,क्योंकि दोनो सट कर बैठी हुई थी.....और रश्मी खुश थी की रुची भी इस खेल के मज़े ले रही है...उसका मज़े लेना ज़रूरी था, क्योंकि वो अगर साथ नही देगी तो आज की रात वो सब नही कर पाएगी,जो उसने सोच रखा था... रश्मी के टॉप का गला काफ़ी नीचे आ चुका था...और उसके मुम्मे आधे से ज़्यादा दिखाई दे रहे थे... अगली चाल चलने के लिए उसने 4 हज़ार रुपय निकाले और उन्हे फिर से उनपर रगड़ने लगी...और अचानक उसे घूर-2 कर देख रहे रिशू को उसका निप्पल दिखाई दे गया..रश्मी ने आवेश मे आकर शायद कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से अपनी टॉप के गले को नीचे खींच दिया था..पर जब तक वो राजू को इशारे से बता पाता ,उसका पिंक निप्पल अंदर जा चुका था..पर वो खुश था अपनी किस्मत पर की उसने वो मोटा सा निप्पल देख लिया...वो ये सोचने लगा की जब वो अपने दाँतों के बीच रखकर उसे चबायेगा और रश्मी सिसकारियाँ मारकर उसे अपनी छाती से दबा लेगी, कितना मज़ा आएगा...
इतना सोचते हुए उसके मुँह से लार निकल कर उसकी शर्ट पर गिर गयी...शायद सोचते-2 वो अपना मुँह बंद करना भूल गया था.. लाला भी समझ चुका था की गेम फँस चुकी है...दोनो के पास बड़िया पत्ते ही आए हैं.. पर उसे पैसे हारने की नही बल्कि जल्द से जल्द कल वाले खेल को पूरा करने की चिंता थी...इसलिए एक बार फिर से रश्मी को उकसाने के लिए वो बोला : "तुम चाहे जीतने भी जतन कर लो..अपने हुस्न का इस्तेमाल करके,चाहे जो भी टोटके अपना लो, मुझसे आगे नही निकल पाओगी ...''
अपनी पेंट की जीप तो वो खोल ही चुका था, और उसके लंड का उभार सिर्फ़ अंडरवीयर में क़ैद होकर सॉफ दिखाई दे रहा था..इस बार उसने अपने अंडरवीयर को नीचे खींचा और लंड को नंगा कर दिया...उसका काला नाग फ़ुफ़कारता हुआ सा सबकी नज़रों के सामने आ गया.. रश्मी वो देख चुकी थी, पर फिर भी उसके मुँह से आह निकल ही गयी...रिशू और राजू के लिए ये कोई नया नही था, उन सबने मिलकर पहले भी कई रंडियों को चोदा था, इसलिए एक दूसरे का लंड देखना आम बात थी उनके लिए.. पर रुची का क्या, वो तो नयी थी इन सबके लिए...उसने तो आज तक अपनी लाइफ मे सिर्फ़ और सिर्फ़ मोनू का 6.5 इंची लंड ही देखा था..उसके लिए ऐसा 10 इंची लंड देखना किसी बड़े झटके से कम नही था...और उपर से लाला ने उसे वापिस अंडरवीयर में धकेलने की भी कोई जहमत नही उठाई...पेंट की जीप की लंबाई के पीछे उसका लंड किसी खीरे जैसा लग रहा था..बस फ़र्क ये था की उसपर मोटी-2 नसें चमक रही थी..जिसे देखकर घोड़ी पर बैठी रुची की स्पीड थोड़ी और तेज हो गयी और इस बार सबने उसकी हिलने की हरकत को नोट किया और समझ भी लिया की वो कर क्या रही है..
रश्मी ने उसे ऐसा ना करने के लिए कहा, क्योंकि सबकी नज़रें रुची पर ही थी इस वक़्त.. रश्मी ने इस बार 4 हज़ार रुपय फेंक कर शो माँग ही लिया..क्योंकि उसे अंदर से लगने लग गया था की वो ये गेम हारने वाली है.. उसके पास पान का कलर था, और नंबर थे 4,5 और गुलाम...
लाला ने अपने पत्ते फेंके, उसके पास भी पान का कलर था था, और नंबर थे 2,9, और बेगम... यानी लाला वो गेम जीत गया...उसने सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए..और उनमे से कुछ नोट उठा कर अपनी खड़े हुए लंड से छुआ दिए...और इस बार अपने लंड को पूरा बाहर खींचकर...और उसमे से निकल रहा प्रीकम उन नोटों पर लगाकर... उसकी हँसी मे रिशू और राजू भी उसका साथ दे रहे थे...शायद तीनों ने आँखों ही आँखों मे ये डिसाईड कर लिया था की आज की रात वो क्या करने वाले हैं.. और लाला को अपने लंड की कलम से लाल नोटों पर कुछ लिखता देखकर रुची तो बावली हो गयी...उसने पहली बार उसकी लंबाई को पूरी तरह से देखा...वो काफ़ी लंबा था...मोनू के मुक़ाबले काफ़ी लंबा..उसक तो दिल कर गया उसे अपने अंदर लेने का..
उसका तो मन किया की लाला के लंड को हाथ में लेकर उसकी मुठ मार दे , और उसकी खुली आँखों के सामने वो दृशय एकदम से आ गया जिसमे उसके कोमल हाथों में लाला का कड़क लंड था और वो उसे आगे पीछे कर रही थी और ऐसा सोचते ही उसका हाथ अपने आप अपनी चूत की तरफ चला गया...और तब उसे पता चला की उसने वहाँ कितना कीचड़ फेला रखा है...
एक तो पहले से ही रश्मी ने आतंक मचा रखा था, अपने मुम्मे दिखाकर..उपर से रुची को ऐसी हरकत पर उतरता देखकर सबकी आँखों की चमक और बढ़ गयी...ये सोचकर की शायद आज की रात इन दोनो को रंडियों की तरह चोदने का मौका मिलेगा.. पर वो कैसे होगा और कब होगा , इसके लिए पूरी योजना बनाने कि जरूरत थी... और इसके लिए रिशू के पास एक प्लान था
रिशू : "यार, तुम लोग जिस तरह से कर रहे हो, वैसा तो मैने एक क्लब में भी होते हुए देखा है... और उस गेम को कहते हैं स्ट्रीप पोकर ...''
 
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