Episode 5
Doston Mera naam Raj hai aur meri umer 27 saal hai..... main aapko apni chudai ke kisse bata raha hun.... meri story kuch alag si hai, maine kayi episode aage piche likhe hain aur ab maine apko ek holi ka kissa bata hun....
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जब मैं कॉलेज के 3rd year में था, इस साल गांव नहीं जा पाया होली के त्यौहार पे मात्र परीक्षा के दूसरे पेपर अभी बाकी थे....
मेरे घर के पड़ोस में एक जोड़ा रहता था, मैं उन्हें भैया भाभी कहकर बुलाता था. कोमल भाभी के पति ऑफिस में ये रजत काम करते थे। कोमल भाभी ने मुझे इससे मिला था....
रजत भैया की उम्र 29 साल है और ज्योति भाभी की उम्र 26 साल है. दोनों की शादी 3 साल हो गई थी और कोई बच्चा नहीं था...
भैया किसी आफिस में काम करते थे. वो सुबह जाते, तो शाम को ही वापस आते थे.
भाभी हाई सोसाइटी की लड़कियों की तरह थीं. वो सब तरह के कपड़े पहनती थीं. मतलब वो कभी जीन्स टॉप या सलवार सूट पहन लेतीं, तो कभी साड़ी ब्लाउज भी पहन लेती थीं. लेकिन जब वे घर पर फ्री रहती थीं, तो अधिकतर लोअर टी-शर्ट पहनती थीं.
भाभी एकदम सेक्सी माल थीं, मैं उन्हें चोदना चाहता था. भाभी के बड़े बड़े चुचे, गदरायी हुई कमर और बाहर निकलती हुई गांड मेरे लंड को अकड़ने पर मजबूर कर देती थी. उनकी कातिल जवानी की क्या कहूँ, हाय ऐसी मदमत जवानी थी कि पहली नजर में ही किसी भी बुड्डे का लंड खड़ा कर दे....
ज्योति भाभी थोड़ी जिद्दी और नखरे वाली थी लेकिन मुझे अच्छे से मिलती थी उसका नरम रवैया मेरे प्रति हमेशा रहा शायद वो मेरी पर्सनैलिटी से ज्यादा इम्प्रेस थी।
कोमल भाभी मुझे हमेशा हिंट देती ज्योति तुझसे इम्प्रेस है मोका लगा के चोका मार देना वो मना नहीं करेगी... लेकिन मुझे थोड़ा डर लगता था कहीं लेने के देने ना पड़ जाए.... रजत भैया से मैं खुला था लेकिन ज्योति भाभी से थोड़ा दूर रहता था... भैया के लिए सिगरेट और शराब भी ले आता था जब वो मांगते थे.... मैं शराबी और सिगरेट नहीं पीती क्योंकि भाभियां मुझे पसंद करती हैं. हां गांव में एक बार होली पर भांग जरूर पी है ठंडी में मिला के...
उन्हीं दिनों होली का त्यौहार आया. सुबह 10 बजे में उनके घर गया, तो भैया सोफे पर बैठे दारू पी रहे थे. लगभाग 3/4 व्हिस्की की बोतल पी चुके बेचारे नशे में धुत थे.
मैं उनके पास गया और उन्हें हैप्पी होली बोल कर मैंने उनके गालों पर रंग लगा दिया. भैया ने भी मुझे गुलाल लगाया और होली की बधाई दी. आज शुभा मैं हॉस्टल गया था और दो गिलास भांग मिलाई ठंडाई मैंने दोस्तों के साथ पी ली थी।
फिर मैंने भैया से भाभी का पूछा, तो उन्होंने नशे में लड़खड़ाती आवाज में आंख मारते हुए बोला- तेरी भाभी किचन में हैं, जा जरा ढंग से पोत देना


मैंने भी हंस कर बोला- ठीक है … मैं अभी भाभी को रंग लगा कर आता हूं.
मैं हाथ में रंग लेकर किचन की तरफ चल दिया. भाभी किचन में बर्तन जमा रही थीं.
होली के दिन भाभी ने बड़े गले का ब्लाउज़ और जालीदार साड़ी पहनी थी. उसमें वो बहुत सेक्सी माल लग रही थीं.
मैं दबे पांव उनके पीछे गया और जाकर उनके पीछे चिपक गया. मेरा लंड उनकी गांड से टकराने से बिल्कुल कड़क हो गया था, जो भाभी ने भी महसूस कर लिया था.
मैं ‘हैप्पी होली’ बोलकर उन्हें रंग लगाने लगा. इतने में उन्होंने मुझे धक्का दिया और बाहर को भाग गईं. मैं भी भाभी के पीछे पीछे बाहर आ गया.
भाभी बोल रही थीं कि प्लीज मुझे रंग मत लगाओ … मुझे होली खेलना पसंद नहीं है.
पर मैंने बोला- भाभी मैं तो आज आपके साथ होली मना कर ही रहूंगा.... अच्छे से रंग लगवा लो...
ये सुनकर भाभी हँसते हुए फिर से भागने लगीं और मैं भी भाभी के पीछे भागने लगा.
इधर भैया दारू पीकर लगभग टुन्न ही हो गए थे और वहीं सोफे पर पसर कर सो गए थे. शायद उनको जादा पी ली थी.
भाभी हॉल में भाग रही थीं, फिर जैसे तैसे मैंने उन्हें पकड़ ही लिया. लेकिन भाभी हंसते हुए मुझसे छूटने के लिए छटपटा रही थीं. इसी आपाधापी और हड़बड़ी में मेरा हाथ भाभी के एक मम्मे पर चला गया.
मौके का फायदा उठाते हुए मैंने भी भाभी के दूध को जोर से मसल दिया, जिससे भाभी की आह निकल गयी. वो मेरी तरफ मस्त निगाहों से देखने लगीं... "मार खाएगा मेरे हाथ से..."
मैंने भी पूछा- मजा आया?
भाभी मुस्कुरा दीं. वे मुझसे छूट कर फिर से भागने को हुईं, तो मैंने उनकी साड़ी का पल्लू पकड़ लिया. फिर इसी छटपटाहट में भाभी की साड़ी खुल गयी और वो नीचे गिर गईं. अब भाभी सिर्फ ब्लाउज़ ओर पेटीकोट में ही रह गयी थीं.
मैंने भाभी को पकड़ा, तो उन्होंने खुद को मुझसे छुड़ा लिया और वो सिर्फ ब्लाउज पेटीकोट में ही अपने बेडरूम की तरफ भागने लगीं.
मैं भी उनके पीछे पीछे बेडरूम में चला गया. वे दरवाजा लगा ही रही थीं, लेकिन मैंने धक्के से दरवाजा खोल दिया.
फिर कमरे में भी भाभी मुझसे बचने के लिए दौड़भाग कर रही थीं. लेकिन मैंने उन्हें पकड़ कर बेड पर पटक ही दिया.
मैं दो गिलास भांग मिलाई ठंडाई पे राखी थी.... अब मैं हवस से भर चुका था और मेरे सामने भाभी ब्लाउज़ और पेटीकोट में बेड पर चित पड़ी हुई थीं. इस वक्त उनकी जवानी मुझे वासना के सागर में गोते लगाने को मजबूर कर रही थी.
मैं ज्योति भाभी के पास गया और जब तक वो उठतीं, मैं उनके ऊपर चढ़ गया.
भाभी हंसते हुए बार बार बोले जा रही थीं- राज नहीं करो … प्लीज़ रहने दो. रंग मत लगाओ.... शायद वो मुझे तंग कर रही थी या उसका स्वागत कर रही थी मालूम नहीं ??
लेकिन मैं कहां मानने वाला था. मैंने पहले तो अच्छे से भाभी के गालों पर रंग लगाया और उसके बाद उनके हाथों पर अपने हाथ रगड़ते हुए हाथों में रंग मलने के साथ साथ उनके मक्खन बदन को सहलाने का सुख लेने लगा. मेरा लंड एकदम तन चुका था और भाभी के नीचे गड़ा जा रहा था.
अब तक भाभी ने भी अपने आपको ढीला छोड़ दिया था. लेकिन वो आने वाले हमले से अनजान भी नहीं थीं.
मैंने भी मस्ती मस्ती में भाभी के ब्लाउज़ के ऊपर अपने हाथ रख दिए और अन्दर हाथ डाल कर रंग लगाने के बहाने भाभी के बोबे दबाने लगा.
इससे भाभी को बहुत ग़ुस्सा आ गया, भाभी ने मुझे तुरंत हटने के लिए कहा. लेकिन मैंने उनकी एक न सुनी और उनके होंठों पर अपने हाथ रख दिए.
भाभी मुझे धक्का देते हुए कह रही थीं- यार समझा करो, तुम्हारे भैया हैं....
अब मैंने उनकी मन की इच्छा को समझ लिया और इस बार अपनी पकड़ मजबूत बना ली थी … जिससे भाभी खुद को छुड़ा नहीं पाईं.
मैंने कहा - भैया, दारू के नशे में औंधे हो गए हैं … कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है.
भाभी ने हॉल में सोफे की तरफ नजर दौड़ाई तो देखा कि उधर भैया दारू के नशे में टुन होकर सोए पड़े थे सोफे की नीचे गिर के....
यह देख कर भाभी ने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया. मुझे भी भैया का इतना डर नहीं रह था.
भांग पी के मैं चूहे से शेर बन गया था.... मुझे सिर्फ ज्योति भाभी की जवानी लूटनी थी साली बहुत गांड मटका के अपने मस्त बड़े बड़े चूचे दिखा के ललचाती है. आज तो चोद के रहूंगा साली को चाहे जबरदस्त करनी पड़ी. मैं होश में नहीं था मुझे गलत भी सही लग रहा था.
फिर मैंने भाभी का ब्लाउज़ खींच कर फाड़ दिया और ब्रा के ऊपर से ही उनके मम्मे दबाने लगा. मैं उन्हें लगातार किस किए जा रहा था. इस बीच एक बात सामने आ गई थी कि भाभी अब एकदम शांत हो गई थीं, वो मुझे हटाने का प्रयास नहीं कर रही थीं.... मैंने उनका ब्लाउज फट दिया तब भी कुछ नहीं बोली...
ये महसूस करते ही मैंने उनके होंठों से अपने हाथ को हटा लिया. मैं समझ चुका था कि भाभी चिल्लाएंगी नहीं. मतलब भाभी भी गर्म हो चुकी थीं, तो उन्होंने भी विरोध करना छोड़ दिया था.
यह देख कर मैंने भी अपनी पकड़ ढीली की और भाभी की ब्रा को निकाल दिया.
भाभी के 36 साइज के नंगे देखकर मैं तो जैसे पागल हो गया और उनके दोनों दूध को मुँह में लेकर बारी बारी से बेतहाशा चूसने लगा.
भाभी भी मेरे सर को दबाए हुए अपने मम्मों को चुसवाने का मजा लेने लगीं....
आह्ह्ह्ह राज तू बहुत कमीना है.... कोमल भाभी मुझे तेरे सारे किस्से बता चुकी हैं...आह्ह्ह... धीरे से दर्द हो रहा है... आह्ह्ह सीईईई...
मैंने हंसने लगा और बोला - ये तो आपको आज होली के दिन पता चलेगा कि कोमल भाभी की मैंने कैसे चुदाई की है वो मेरी फैन हो गई है....
ज्योति हस्के मेरे गाल पे एक चपत लगाई.... अपने भैया को देख पहले कहीं डिस्टर्ब ना कर... मुझे भी इस दिन का इंतज़ार था... हा हा हा हा....
वो मुझे एक चुंबन दी होठों पे... ये उनकी शामति थे मेरे लिए... मैं भाभी के ऊपर से हटा और नीचे खड़ा हो गया.... जा कर कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया भैया के एक नज़र देख के वो बेशुद सो रहे थे.... फिर बिस्तर पर आकर मैंने एक पल की भी देर नहीं की … झट से अपने पूरे कपड़े निकाल दिए. उसके तुरंत बाद मैंने भाभी का पेटीकोट भी खींचते हुए निकाल दिया... वो बस शर्म का नाटक कर रही थी और मैं भी कर रही थी हाहाहा...
अब सिर्फ ज्योति भाभी काली पेंटी में रह गई थीं और मैं अंडरवियर में था. मैं भाभी के पास गया और नीचे आकर मैंने पहले तो पेंटी के ऊपर से ही भाभी की चूत पर अपना हाथ रखकर चूत सहलाई. भाभी की चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. फिर मैंने भाभी की पेंटी निकाल दी.
क्या मक्खन चूत थी भाभी की … एकदम गुलाब की पंखुड़ियों की तरह मुलायम. एकदम चिकनी और बिल्कुल साफ चूत देख कर मेरी बांछें खिल गईं.... भाभी ने भी मुझे इशारा करते हुए अपनी चुत पर हाथ फेरा. मैं समझ गया और भाभी की चुत पर टूट पड़ा....
सच में कोमल भाभी कितनी अच्छी हैं उसने ज्योति भाभी को सब इशारे से समझा दिया था.... ज्योति ने मुझे ये बात बाद में बताई.
मैंने भाभी की चूत को चाटना शुरू कर दिया. करीब 10 मिनट तक चूत चाटने से भाभी अपने चरम पर आ गयी थीं. वो मेरा सर दबाए हुए अपनी गांड उठा कर चुत चुसाई का मजा ले रही थीं.... आअहह राज.... अच्छे से चाट रे.... तेरे भैया कभी ऐसे नहीं चाटते... इइ माँ हयी.... ऐसे ही चाट मेरे राज... . उफ्फ्फ मैं आने वाली हूँ....अहह अह्ह्ह्हह्ह....
कुछ ही पलों में भाभी ने एकदम से अकड़ते हुए आवाज की और वो गांड उठा कर मेरे मुँह में ही झड़ गईं. मैंने भी सारा रस चाट लिया. भाभी की चूत के रस का अजीब सा स्वाद था. मुझे मजा आ गया.
फिर मैं खड़ा हुआ और मैंने अपना अंडरवियर निकाल दिया. भाभी के सामने 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड सामने झटके मार रहा था.
ज्योति भाभी मेरा लंड देख कर डर गईं और बोलीं- हे भगवान !!! ….कितना बड़ा लंड है तेरा, तेरे भैया से दोगुना लम्बा और बड़ा मोटा है यार..... ये तो मेरी चूत फाड़ ही डालेगा.
मैंने लंड हिलाते हुए कहा- आज तो तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा मेरी जानेमन.... डर मत इसको प्यार कर ताकि तेरी चूत को अच्छे से चोद सके...
मैंने भाभी को लंड चूसने का इशारा किया तो उन्होंने मेरे लंड को पकड़ा और धीरे धीरे सहलाने लगीं. पहले तो उन्होंने मेरे लंड के टोपे को अपने मुँह में लिया और उस पर अपनी जीभ फिराने लगीं. मुझे भाबी के मुँह से अपना लंड चुसाने में बड़ा मजा आ रहा था.
मैं- आह्ह्ह भाभी अच्छे से चूसो अपने देवर का लंड... पूरा लेना की कोशिश करो.... आह्ह.... शाभास मेरी जान ज्योति...अच्छे से चाट ....
कुछ ही देर में भाभी मेरा पूरा लंड अन्दर लेने की कोशिश करने लगी थीं. लेकिन पूरा लंड अन्दर जा ही नहीं पा रहा था और मैंने उसके बालों को सहला रहा था....
करीब 10 मिनट तक लगातार लंड चुसाने के बाद मैं भी झड़ने वाला था, तो मैंने भाभी के मुँह को पकड़ कर मेरा लंड अन्दर घुसेड़ना चालू कर दिया. मेरा लंड भाभी के हलक तक चला गया था.... उसकी आँखों से आंसू निकल रहे थे.... फिर कुछ ही पलों में कोई 8-10 झटकों में मैंने भाभी का मुँह अपने वीर्य से भर दिया.
ज्योति भाभी हिम्मत की दाद देने होगी वो साली मेरा सारा रस पी गईं और बेड पर लेट गईं उसकी सांसें फूल रही थी और जोर जोर से हाफ रही थी.
फिर मैं भी भाभी के पास जाकर लेट गया और उनके बदन से खेलने लगा.
मैं कभी उनके कभी चुचे दबाता, कभी चूसता. कभी निप्पल को हल्के से काट लेता, तो उनकी सिसकारी निकल जाती. वो भी मेरे मुरझाये लंड को सहला रही थीं.
फ्लैट के ड्राइंग रूम में रजत भैया शराब पी के सोए गए थे और मैं ज्योति भाभी के साथ उसके ही डबल बेड पर चुदाई का प्लान कर रहे थे.
ज्योति भाभी ने फिर से मेरा लंड को चूसना चालू कर दिया ये बात बता रही थी कि उसको चोदने की मुझे जल्दी थी.... कुछ ही पलों में मेरा लंड वापस खड़ा कर दिया.
अब मैंने भाभी को नीचे लेटाया और खुद उनके ऊपर आकर अपना लंड भाभी की चूत पर सैट कर दिया. भाभी से रहा नहीं जा रहा था, तो भाभी गांड उठा उठा कर लंड को अन्दर लेने की कोशिश कर रही थीं.
ज्योति भाभी - आअहह साले क्यों तड़पा रहा है.... चोद ले अपनी भाभी को और गाड़ दे अपना खुंटा.... फाड़ दे मेरी चूत अपने इस बड़े मोटे मुसल लुंड से.... पेल दे.... राज, कृपया मुझे चोदो...
तभी मैंने एक जबरदस्त धक्का लगा दिया, तो मेरे लंड का टोपा अन्दर घुस गया. अभी सुपारा ही घुसा था कि भाभी की कराह निकल गयी- उई माँ … मेरी फट गई … उम्म्ह… अहह… हय… याह… मुझे दर्द हो रहा है... राज … आह धीरे करो प्लीज.
मैं भी समझ गया कि भैया का लंड छोटा होने के कारण भाभी की चूत खुली हुई नहीं है. फिर मैंने भाभी के चुचों को चुसकना चालू कर दिया.
भाभी कुछ सामन्य सी हुईं, तभी मैंने एक तेज धक्का चूत में लगा दिया इस बार मेरे लंड का पांच इंच हिस्सा भाभी की चूत में घुस गया था. भाभी की जोरदार चीख निकली और उनकी आंखों से आंसू निकल गए.
दर्द से भाभी छटपटा रही थीं और गाली देने लगी थीं.
वे बोलीं- हाय कमीने फाड़ दी मेरी चूत … हरामजादे हट जा.
वो मुझे धक्का दे रही थीं, लेकिन मैंने एक उन पर अपनी पकड़ मजबूत करके एक झटका और दे मारा. इस बार मेरा पूरा लंड अन्दर घुस गया था.
भाभी बेहोश जैसी होने लगी थीं. एक पल बाद उनकी सांसें लौटीं, तो भाभी जोर जोर से दर्द के मारे कराहने लगी थीं.
मैंने अपने लंड को वही पर रोक कर भाभी को किस करना शुरू कर दिया... च्म्म्म्म.... मुह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ....उम्ह्ह्ह्ह्ह.... मैं कभी उनके मम्मे सहलाता … कभी चूसता. कभी होंठों पर किस करता, तो कभी गले पर किस करता.
करीब 10 मिनट बाद भाभी को आराम हुआ, तो उन्होंने अपनी गांड उठाकर चुदाई चालू करने का इशारा कर दिया. बस मैंने धीरे धीरे धक्के देने शुरू कर दिए. मेरे हर धक्के के साथ भाभी की आह निकल जाती.
ज्योति भाभी - किड्डे पड़े कोमल भाभी की चूत में.... अह्ह्ह्ह धीरे.... जो मैं उनकी बातों में आ गई.... आहहहहहहहहह.... मेरी चूत फट चुकी है राज.... धीरे-धीरे करो प्लीज...
मैने भी धक्के स्पीड कम कर दी और उसको किस करते हुए चोदने लगा....
फिर कुछ देर बाद मस्ती में वे भी मुझे जोर जोर से बोले जा रही थीं- आहहहहह राज … यस फक मी हार्ड.... फाड़ दो मेरी चूत … आह आह बहुत मजा आ रहा है आदि.
वो चुदाई में मजा लेते हुए बड़बड़ाए जा रही थीं.
मैं भी जोश जोश में उन्हें गाली दे रहा था- ले मेरी रांड भाभी ले … भैन की लौड़ी ले पूरा अन्दर तक ले … साली जाने कब से तुझे चोदना चाहता था. आज मिली है तेरी मक्खन सी चुत … आह ले … आज तो तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा … और जब मन होगा, तब तुझे चोदूंगा.
भाभी भी मुझे जोश दिलाते हुए चुद रही थीं. पूरे कमरे में हमारी चुदाई की आवाज गूंज रही थी. फच फच की आवाज आ रही थी....
एक बार झड़ने के बाद मैंने पोज चेंज किया किआ और भाभी को अपने लौड़े पे बिठा के चोदने लगा.... इश पोज़ मी ज्योति को और मजा आने लगे और वो कुद कुद के मुझे चोदने लगी.... आह्ह राज.... तू कितना अच्छा है, पहले ही मेरी चूत तुझे देख के रोटी रहती है....आज मौका मिला है....और चोद मुझे...अहह्ह्ह्ह....
कोई 25 मिनट तक अलग अलग पोज में चुदाई चली. इस दौरान भाभी 2 बार झड़ गयी थीं. फिर 8-10 झटकों के बाद मैं भी भाभी की चूत में ही झड़ गया.
इसके बाद भाभी ने मुझे चूमा और हम दोनों अलग हो गए.
भाभी मेरे लंड से बड़ी खुश हो गई थीं. उन्होंने कहा- अब तो तेरे लंड पर मेरी ही मनमानी चलेगी.
मैंने हंस कर भाभी के दूध दबा दिए.
बस फिर तो मेरी निकल पड़ी. मेरी सूची में तीसरी भाभी जुड़ चुकी थी, कोमल और रश्मी भाभी तो हमेशा यहां जयपुर रहेंगी. ज्योति भाभी अगले साल दिल्ली चली जाएंगी.... मुझे उस साल होली के दिन ज्योति भाभी की स्पेशल चुदाई हमेशा याद रहेगी....
ज्योति भाभी की चुदाई की सेक्स स्टोरी पसन्द की नही ??
कृपया टिप्पणी करें कर्ण। ध्यानवाद.