सुकेश, उज्ज्वल, जयदेव, तेजस, मीनाक्षी, अक्षरा, देवगिरी पाठक और राकेश नाईक... अभी तक इन सबके असली चेहरे तो सामने आ ही चुके हैं। देखा जाए तो, भारद्वाज और देसाई परिवार में अब ज़्यादा लोग बचे ही नहीं हैं, जो इस षड्यंत्र में शामिल ना हों। विश्वा देसाई अभी तक इन सबसे अलग ही नज़र आया है, पर पूरे आसार हैं की वो भी इनके साथ ही मिला हुआ हो। हैरानी हुई मुझे इस बात पर की जयदेव की बहन मार गई, और उसे रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ा, स्पष्ट है दिखाने के लिए की किस हद तक गिर चुके हैं ये सभी लोग। परंतु, जयदेव का इस मामले से जुड़ा होना, आर्यमणि को मारने का प्रयास करना, किस और ले जाएगा ये भूमि और जयदेव के रिश्ते को? वो भी तब जब भूमि मां बनने वाली है। किसे चुनेगी वो? आर्यमणि को या अपने षड्यंत्रकारी पति को..?
पलक की कहानी भी अब पूरी तरह साफ हो ही चुकी है। आर्यमणि, अर्थात् वर्धराज कुलकर्णी के पोते की असामान्य गतिविधियों के कारण प्रहरियों के इस विशेष षड्यंत्रकारी समूह ने, पलक को अपना मोहरा चुना। ताकि वो आर्यमणि को अपने प्रेम जाल में फांस ले और ये सब लोग अपना उल्लू सीधा कर सकें। परंतु, मुझे लगता है की इनकी साज़िश तब पटरी से उतर गई, जब पलक का नाटक सत्य में प्रेम में तब्दील हो गया। पलक और आर्यमणि के बीच बने जिस्मानी संबंधों के पश्चात मुझे नहीं लगता की अब कोई भी संशय है इस बात में की पलक शायद सचमें आर्यमणि से प्रेम करने लगी है।
परंतु, उन भावों से ऊपर है पलक का प्रहरी दिमाग। पलक, अभी के हालातों के हिसाब से आर्यमणि की “रानी” बनने योग्य नहीं ऐसा मेरा मानना है। इसका कारण ये तो है ही की वो असल में आर्यमणि को धोखा दे रही है, पर उससे भी बड़ा कारण ये है की वो किसी के भी प्रति पूर्णतः ईमानदार नहीं है। वो दो नावों में सवार होना चाहती है। ना तो वो प्रहरियों के इस विशेष समूह की ओर पूर्णतः ईमानदार है और आर्यमणि के साथ तो वो खेल ही रही है। पलक की बात की, “आर्यमणि जैसे को मारने से बेहतर है की उसका इस्तेमाल किया जाए”, साफ करता है की कितनी दूषित सोच है उसकी। भले ही उसने सभा में आर्यमणि से प्रेम का दावा ठोका हो, परंतु अभी तक पलक केवल एक स्वार्थी कन्या के रूप में ही नज़र आई है कहानी में।
पलक के ज़रिए बाकी सब अनंत कीर्ति पुस्तक को हासिल करना चाहते हैं। उन सबको मालूम है की पलक ने आर्यमणि को वो पुस्तक दे दी है, जाने और कौन – कौन सी बातें ऐसी हैं जो पलक केवल इस समूह के इशारे पर ही करती आई है? पलक के जाने के बाद उन सबके जो भाव थे, उससे स्पष्ट है की उनका मकसद यही है की अनंत कीर्ति पुस्तक के खुलने के बाद आर्यमणि की हत्या कर दी जाए। परंतु, उन्होंने कहा था की नित्या और आर्यमणि का सतपुरा के जंगलों में आमना – सामना हुआ था? ये कब हुआ? क्या आर्यमणि के स्थान पर संन्यासी शिवम् या उनके किसी साथी से तो नहीं भिडंत हो गई थी नित्या की? दूसरा बिंदु ये है की पलक बिलकुल अंजान है उन साजिशों से जो उसकी नाक के नीचे आर्यमणि को मारने के लिए को गई थीं या की जाने वाली हैं, उदाहरण के लिए, सरदार खान द्वारा आर्यमणि पर हमला करना!
खैर, इस पूरे षड्यंत्र का सार यही है की भारद्वाज – देसाई समूह की फटी पड़ी है वर्धराज कुलकर्णी के पोते से, असल में उन सबको डर सता रहा है की शारीरिक रूप से इतने बलवान लड़के को यदि थोड़ा भी ज्ञान दिया होगा वर्धराज ने, तो उन सबको खटिया खड़ी होना तय है। इसलिए उनका इकलौता लक्ष्य आर्यमणि की हत्या करना है, परंतु उससे पहले अनंत कीर्ति पुस्तक यदि आर्यमणि खोल दे, तो इनके लिए सोने पर सुहागा वाली बात हो जाएगी। बहरहाल, पलक से कहा था इन्होंने की यदि ये आर्यमणि को मारना चाहें तो क्या वो अभी तक ज़िंदा होता? सरदार खान की बक्खियां उधड़वाने के बाद भी अकल नहीं आई इन्हें? देखना चाहूंगा की क्या सजा निर्धारित करेगा आर्यमणि इन सबके लिए...
इधर आर्यमणि की नागपुर से विदाई का समय भी निकट आ रहा है। प्रथम पृष्ठ पर जो भविष्य को झलकियां दिखलाई हैं आपने, इसके छठे दृश्य को पढ़ने पर काफी कुछ साफ हो गया। अध्याय – 50 के अंत में आपने धीरेन स्वामी का ज़िक्र किया, की वो कोई षड्यंत्र रच रहा है जिससे नागपुर की प्रहरी इकाई की इज्ज़त की धज्जियां उड़ जाएंगी। तो इन दोनों दृश्यों को पढ़कर मेरा अनुमान कुछ इस प्रकार है :
आर्यमणि ने जैसा पलक से कहा था, पूर्णिमा के दिन वो अनंत कीर्ति पुस्तक को खोलेगा। ये सत्य हो सकता है, शायद उसी दिन अनंत कीर्ति पुस्तक का राज़ खुलेगा। परंतु उसी दिन नम्रता और राजदीप का विवाह भी है, इसीलिए प्रहरियों की अनुपस्थिति में धीरेन कुछ कांड करेगा, शायद वरवॉल्फ्स द्वारा किसी प्रकार का हमला, जिसका सूत्रधार “मिस्टर एक्स” नामक व्यक्ति हो सकता है। शायद, आर्यमणि अपने किसी मंतव्य की पूर्ति के लिए उसे मार देगा, और अनंत कीर्ति पुस्तक भी पलक अथवा उसके षड्यंत्रकारी साथियों के हाथ नहीं लगने देगा। परंतु, यदि पलक सचमें आर्यमणि से दुहाई लगा रही थी की आर्यमणि ने उसे धोखा दिया है, तो ये बेहद ही हास्यास्पद बात है। देखते हैं, जब पलक को पता चलेगा की आर्यमणि उसकी साजिशों के बारे में पहले से ही जानता था, तब उसकी क्या प्रतिक्रिया होगी? साथ ही जब उसे पता चलेगा कि उसके साथ भी खेल खेलते हुए भारद्वाज – देसाई समूह ने आर्यमणि को मारने के विफल प्रयास किए, तब वो क्या करेगी?
खैर, इनकी कहानी तो चलती ही रहेगी पर एक और प्रश्न है, उस दृश्य क्रमांक छह में आर्यमणि के साथ चार और लोग थे, रूही, अलबेली, और दो ट्विन वोल्फ्स? या फिर निशांत हो सकता है इनमें से एक? जो भी हो अभी के लिए ये भी एक बड़ा सवाल है की निशांत और चित्रा क्या करेंगे जब उन्हें पता चलेगा की उनका बाप किस तरह का आदमी है? किसका साथ देंगे वो? निशांत तो आर्यमणि के ही पक्ष में होगा, इसे लेकर मैं आश्वस्त हूं, देखना होगा चित्रा क्या करेगी? लगता है की अब जल्द ही निशांत की एक्स गर्लफ्रेंड भी उसकी जिंदगी में वापिस आ सकती है...
बहरहाल, ये श्रवण नाम का चूतिया कौन आ गया कहानी में?
बहुत ही खूबसूरत भाग थे भाई दोनों ही। पलक और आर्यमणि के सभी दृश्य बढ़िया थे, परंतु जैसा की मैने कहा, जब तक पलक षड्यंत्रकारी समूह में रहेगी तब तक इनके सुनहरे दृश्य भी धुंधले होते नज़र आयेंगे। कॉलेज में सभी की आपसी नोक – झोंक भी बेहतरीन थी...
प्रतीक्षा अगले भाग की...