भाग:–47
आर्यमणि अपने माता-पिता और अपनी मौसेरी बहन के अभिनय को देखकर अंदर ही अंदर नमन किया और वो भी सामान्य रूप से, बिना किसी बदलाव के सबसे बातें करता रहा। कुछ ही देर बाद पार्टी शुरू हो गई थी। उस पार्टी में आर्यमणि शिरकत करते एक ही बात नोटिस की, यहां बहुत से ऐसे लोग थे जिनकी भावना वो मेहसूस नहीं कर सकता था।
उनमें ना केवल पलक थी बल्कि कुछ लोगों को छोड़कर सभी एक जैसे थे। आर्यमणि आश्चर्य से उन सभी के चेहरे देख रहा था तभी पीछे से पलक ने उसके कंधे पर हाथ रखी। काले और लाल धारियों वाली ड्रेस जो उसके बदन से बिल्कुल चिपकी हुई थी, ओपन शोल्डर और चेहरे का लगा मेकअप, आर्यमणि देखते ही अपना छाती पकड़ लिया… "क्या हुआ आर्य"..
आर्यमणि:- श्वांस लेने में थोड़ी तकलीफ हो रही है, यहां से चलो।
पलक, कंधे का सहारा देती, हड़बड़ी में उसके साथ निकली। दोनो चल रहे थे तभी आर्य को एक पैसेज दिखा और उसने पलक का हाथ खींचकर पैसेज की दीवार से चिपका दिया, और अपने होंठ आगे ही बढ़ाया ही था… "क्या कर रहे हो आर्य, यहां कोई आ जाएगा।"..
आर्यमणि उसके बदन की खुशबू लेते…. "आह्हहह ! तुम मुझे दीवाना बना रही हो पलक।"..
पलक:- हीहीहीहीही… कंट्रोल किंग, आप तो अपनी रानी को देखकर उतावले हो गये।
आर्यमणि आगे कोई बात ना करके अपने होंठ आगे बढ़ा दिया, पलक भी अपने बदन को ढीला छोड़ती, उसके होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगी। दोनो एक दूसरे के होंठ का स्पर्श पाकर एक अलग ही दुनिया में थे। तभी गले की खराश से दोनो का ध्यान टूटा…. "इतना प्रोग्रेस, लगता है तुम दोनो की एंगेजमेंट भी जल्द करवानी होगी।"..
आर्यमणि का ध्यान टूटा। दोनो ने जब सामने नम्रता को देखा तब झटके के साथ अलग हो गए। आर्यमणि, नम्रता के इमोशंस को साफ पढ़ सकता था, उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ और वो गौर से उसे देखने लगा… नम्रता हंसती हुई उसके बाल बिखेरते…. "पलकी संभाल इसे, ये तो मुझे ही घूरने लगा।"
पलक:- दीदी आप लग ही इतनी खूबसूरत रही हो। किसी की नजर थम जाए।
नम्रता:- और तुम दोनो जो ये सब कर रहे थे हां.. ये सब क्या है?
पलक:- इंसानी इमोशन है दीदी अपने पार्टनर को देखकर नहीं निकलेगा तो किसे देखकर निकलेगा।
आर्यमणि:- हमे चलना चाहिए।
दोनो वहां से वापस हॉल में चले आये। पलक आर्यमणि के कंधे पर अपने दोनो हाथ टिकाकर, चुपके से उसके गाल पर किस्स करती… "तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया आर्य। लेकिन ऐसा लगता है जैसे मैंने तुम्हारी वाह-वाही अपने नाम करवा ली है।"
आर्यमणि:- तुम भी तो मै ही हूं ना। तुम खुश तो मै खुश।
पलक, आर्यमणि के गाल खींचती… "लेकिन तुम तो यहां खुश नजर नहीं आ रहे आर्य। बात क्या है, किसी ने कुछ कह दिया क्या?"
आर्यमणि, पलक के ओर देखकर मुस्कुराते हुए… "चलो बैठकर कुछ बातें करते है।"
पलक:- हां अब बताओ।
आर्यमणि:- तुम्हे नहीं लगता कि मेरे मौसा जी थोड़े अजीब है। और साथ ने तुम्हारे पापा भी.. सॉरी दिल पर मत लेना..
यह सुनते पलक के चेहरे का रंग थोड़ा उड़ा… "आर्य, खुलकर कहो ना क्या कहना चाहते हो।"..
आर्यमणि:- मैंने भारतीय इतिहास की खाक छान मारी। आज से 400 वर्ष पूर्व युद्ध के लिये केवल 12 तरह के हथियार इस्तमाल होते थे। अनंत कीर्ति के पुस्तक को खोलने के लिए जो शर्तें बताई गई है वो एक भ्रम है। और मै जान गया हूं उसे कैसे खोलना है। या यूं समझो की मै वो पुस्तक सभी लोगो के लिये खोल सकता हूं।
पलक, उत्सुकता से… "कैसे?"
आर्यमणि:- तुम मांसहारी हो ना। ना तो तुम्हे विधि बताई जा सकती है ना अनुष्ठान का कोई काम करवाया जा सकता है। बस यूं समझ लो कि वो एक शुद्ध पुस्तक है, जिसे शुद्ध मंत्र के द्वारा बंद किया गया है। 7 से 11 दिन के बीच छोटे से अनुष्ठान से वो पुस्तक बड़े आराम से खुल जायेगी। पुस्तक पूर्णिमा की रात को ही खुलेगी और तब जाकर लोग उस कमरे में जाएंगे, पुस्तक को नमन करके अपनी पढ़ाई शुरू कर देंगे।
पलक:- और यदि नहीं खुली तो..
आर्यमणि:- दुनिया ये सवाल करे तो समझ में आता है, तुम्हारा ऐसा सवाल करना दर्द दे जाता है। खैर, मुझे कोई दिलचस्पी नहीं उस पुस्तक में। मै बस सही जरिया के बारे में जब सोचा और मौसा जी का चेहरा सामने आया तो हंसी आ गयि। हंसी आयि मुझे इस बात पर की जिस युग में युद्ध के बड़ी मुश्किल से 12 हथियार मिलते हो, वहां 25 अलग-अलग तरह के हथियार बंद लोग। फनी है ना।
पलक, आर्यमणि के गाल को चूमती…. "तुम तो यहां मेरे प्राउड हो। सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन जब हम अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे तब इन लोगो को एक बार और हम पर प्राउड फील होगा।"
आर्यमणि, हैरानी से उसका चेहरा देखते हुए… "पर ऐसा होगा ही क्यों? मौसा जी से कल मै इस विषय में बात करूंगा और किसी सुध् साकहारी के हाथो पूरे अनुष्ठान की विधि को बता दूंगा। वो जाने और उनका काम।"… कहते हुए आर्यमणि ने पलक को बाहों में भर लिया..
पलक अपनी केवाहनी आर्यमणि के पेट में मारती… "लोग है आर्य, क्या कर रहे हो।"
आर्यमणि:- अपनी रानी के साथ रोमांस कर रहा हूं।
पलक:- कुछ बातें 2 लोगों के बीच ही हो तो ही अच्छी लगती है। वैसे भी इस वक़्त तुम्हारी रानी को इंतजार है तुम्हारे एक नए कीर्तिमान की। यूं समझो मेरे जीवन की ख्वाहिश। बचपन से उस पुस्तक के बारे में सुनती आयी हूं, एक अरमान तो दिल में है ही वो पुस्तक मैं खोलूं, इसलिए तो 25 तरह के हथियारबंद लोगो से लड़ने की कोशिश करती हूं।
आर्यमणि:- ये शर्त पूरी करना आसान है। बुलेट प्रूफ जैकेट लो और उसके ऊपर स्टील मेश फेंसिंग करवाओ सर पर भी वैसा ही नाईट वाला हेलमेट डालो। बड़ी सी भाला लेकर जय प्रहरी बोलते हुए घुस जाओ…
पलक:- कुछ तुम्हारे ही दिमाग वाले थे, उन्होंने तो एक स्टेप आगे का सोच लिया था और रोबो सूट पहन कर आये थे। काका हंसते हुए उसे ले गये पुस्तक के पास और सब के सब नाकाम रहे। क्या चाहते हो, इतनी मेहनत के बाद मै भी नाकामयाब रहूं।
आर्यमणि:- विश्वास होना चाहिए, कामयाबी खुद व खुद मिलेगी।
पलक:- विश्वास तो है मेरे किंग। पर किंग अपनी क्वीन की नहीं सुन रहे।
आर्यमणि:- हम्मम ! एक राजा जब अपने रानी के विश्वास भरी फरियाद नहीं सुन सकता तो वो प्रजा की क्या सुनेगा.. बताओ।
पलक:- सब लोग यहां है, चलो उस पुस्तक को चुरा लेंगे, और फिर 7 दिन बाद सबको सरप्राइज देंगे।
आर्यमणि:- इस से अच्छा मैं मांग ना लूं।
पलक:- काका नहीं देंगे।
आर्यमणि:- हां तो मैं नहीं लूंगा।
पलक:- तुम्हारी रानी नाराज हो जायेगी।
आर्यमणि:- रानी को अपने काबू में रखना और उसकी नजायज मांग पर उसे एक थप्पड़ लगाना एक बुद्धिमान राजा का काम होता है।
आर्यमणि अपनी बात कहते हुए धीमे से पलक को एक थप्पड़ मार दिया। कम तो आर्यमणि भी नहीं था। जब सुकेश भारद्वाज की नजर उनके ओर थी तभी वो थप्पड़ मारा। सुकेश भारद्वाज दोनो को काफी देर से देख भी रहा था, थप्पड़ परते ही वो आर्यमणि के पास पहुंचा…. "ये क्या है, तुम दोनो यहां बैठकर झगड़ा कर रहे।"..
पलक, अपने आंख से 2 बूंद आशु टपकाती…. "काका जिस काम से 10 लोगों का भला हो वो काम के लिए प्रेरित करना क्या नाजायज काम है।"..
सुकेश:- बिल्कुल नहीं, क्यों आर्य पलक के कौन से काम के लिए तुम ना कह रहे हो।
"मौसा वो"… तभी पलक उसके मुंह पर हाथ रखती… "काका इस से कहो कि मेरा काम कर दे। मेरी तो नहीं सुना, कहीं आपकी सुन ले।"..
सुकेश:- शायद मै अपनी एक ख्वाहिश के लिए आर्य से जिद नहीं कर सका, इसलिए तुम्हारे काम के लिए भी नहीं कह पाऊंगा। लेकिन, भूमि को तो यहां भेज ही सकता हूं।
आर्यमणि, अपने मुंह पर से पलक का हाथ हटाकर, अपने दोनो हाथ जोड़ते झुक गया… "किसी को भी मत बुलाओ मौसा जी, मै कर दूंगा चिंता ना करो। और हां आपने अपनी ख्वाहिश ना बता कर मुझे हर्ट किया है। मै कोई गैर नहीं था, आप मुझसे कह सकते थे, वो भी हक से और ऑर्डर देकर। चलो पलक"..
पलक के साथ वो बाहर आ गया। पलक उसके कंधे और हाथ रखती…. "इतना नहीं सोचते जिंदगी में थोड़ा स्पेस देना सीखो, ताकि लोगों को समझ सको। अभी तुम्हारा मूड ठीक नहीं है, किताब के बारे में फिर कभी देखते है।"
आर्यमणि:- लोग अगर धैर्य के साथ काम लेते, तब वो पुस्तक कब का खुल चुकी होती। मेरी रानी, 7 दिन के अनुष्ठान के लिए तैयारी भी करनी होती है। 2 महीने बाद गुरु पूर्णिमा है। क्या समझी..
पलक:- लेकिन आर्य, उस दिन तो राजदीप दादा और नम्रता दीदी की शादी है...
आर्यमणि:- हां लेकिन वह शुभ दिन है। पुस्तक खोलने के लिए देर रात का एक शानदार मुहरत मे पुस्तक खोलने की कोशिश करूंगा।
पलक:- 7 दिन बाद भी तो पूर्णिमा है..
आर्यमणि:- रानी को फिर भी 2 महीने इंतजार करना होगा। चलो अन्दर चलते है और हां एक बात और..
पलक:- क्या आर्य...
आर्यमणि:- लव यू माय क्वीन...
पलक:- लव यू टू माय किंग...
आर्यमणि, पलक के होंठ का एक छोटा सा स्पर्श लेते… "चलो चला जाए।
आर्यमणि रात के इस पार्टी के बाद सीधा ट्विंस के जंगल में पहुंचा, जहां चारों उनका इंतजार कर रहे थे। आर्यमणि चारो को सब से खुशखबरी देते हुए बताया.… "2 महीने तक कोई प्रहरी उन्हे परेशान नहीं करने वाला। वो इस वक्त नहीं चाहेंगे कि आर्यमणि अपने पैक के सोक मे रहे, इसलिए यहां तुम सब प्रहरी से मेहफूज हो।"
फिर बात आगे बढ़ाते हुए आर्यमणि उन्हे चेतावनी देने लगा... "प्रहरी कुछ नहीं करेंगे इसका ये मतलब नहीं कि हम सुस्त पड़ जाएं। मानता हूं, तुम सब ने बहुत कुछ झेला है। लेकिन मेरे लिए बस 2 महीने और कष्ट कर लो। अगले 2 महीने तक शरीर को बीमार कर देने वाली ट्रेनिंग, खून जला देने वाली ट्रेनिंग। बिना रुके और बेहोशी में भी केवल ट्रेनिंग। एक बात और, एक शिकारी भी आयेगी तुम सब को प्रशिक्षित करने, कोई काट मत लेना उसे। रूही, मै रहूं की ना रहूं, तुम्हे सब पर नजर बनाए रखनी है"…
रूही:- बॉस 3 टीन वूल्फ की जिम्मेदारी.…. इतने हॉट फिगर वाली लड़की को इतने बड़े बच्चों की मां बना दिये।
आर्यमणि उसे घूरते हुए वहां से निकल गया। आर्यमणि ने अब तो जैसे यहां से दूर जाने की ठान ली हो। मुंबई प्रहरी समूह का नया चेहरा स्वामी भी गुप्त रूप से जांच करने नागपुर पहुंच चुका था। दरअसल वो यहां कुछ पता करने नहीं आया था, बल्कि अपने और भूमि के बीच के रिश्ते को नया रूप देने आया था, ताकि आगे की राह आसान हो जाए।
इसी संदर्व मे जब वो भूमि से मिला और आर्यमणि के महत्वकांछी प्रोजेक्ट, "आर्म्स डेवलपमेंट यूनिट" के बारे में सुना, उसने तुरंत प्रहरी की मीटिंग में उसे "प्रहरी समुदाय महत्वकांछी प्रोजेक्ट" का नाम दिया, जिसे एक गैर प्रहरी, आर्यमणि अपनी देख रेख मे चलाता और उसके साथ प्रहरी की उसमे भागीदारी रहती। पैसों कि तो इस समुदाय के पास कोई कमी थी नहीं। आर्यमणि ने जो छोटा प्रारूप के मॉडल को इन सबके सामने पेश किया। उस छोटे प्रारूप को कई गुना ज्यादा बढ़ाकर एक पूरे क्षमता वाले प्रोजेक्ट के रूप में गवर्नमेंट के पास एप्रोवल के लिए भेज दिया गया था।
शायद एप्रोवाल मे वक्त लगता, लेकिन गवर्नमेंट को सेक्योरिटीज अमाउंट दिखाने के लिए आर्यमणि के पास कई बिलियन व्हाइट मनी उसके कंपनी अकाउंट में जमा हो चुके थे। देवगिरी भाऊ अलग से अपनी कुल संपत्ति का 40% हिस्सा आर्यमणि को देने का एनाउंस कर चुके थे।
हालांकि इस घोसना के बाद मुंबई की लॉबी में एक बार और फुट पड़ने लगी थी। लेकिन अमृत पाठक सबको धैर्य बनाए रखने और धीरेन पर विश्वास करने की सलाह दिया। उसने सबको केवल इतना ही समझाते हुए अपना पक्ष रखा.… "स्वामी, प्रहरी के मुख्यालय, नागपुर में है। इतना घन कुछ भी नहीं यदि वो प्रहरी भारद्वाज को पूरे समुदाय से साफ कर दे। एक बार वो लोग चले गये फिर हम सोच भी नहीं सकते उस से कहीं ज्यादा पैसा हमारे पास होगा"…
मूर्ख लोग छोटी साजिशों से बस भूमि की मुश्किलें बढ़ाने से ज्यादा कुछ नहीं कर रहे थे। लेकिन इन सब को दरकिनार कर भूमि और आर्यमणि दोनो जितना वक्त मिलता उतने मे एक दूसरे के करीब रहते। आर्यमणि भूमि के पेट की चूमकर, मुस्कुराते हुए अक्सर कहता... "हीरो तेरे जन्म के वक्त मै नहीं रहूंगा लेकिन तू जब आये तो मेरी भूमि दीदी को फिर मेरी याद ना आये"…
भूमि लेटी हुई बस आर्यमणि की प्यारी बातों को सुन रही होती और उसके सर पर हाथ फेर रही होती। कई बार आर्यमणि कई तरह की कथाएं कहता, जिसे भूमि भी बड़े इत्मीनान से सुना करती थी। कब दोनो को सुकून भरी नींद आ जाती, पता ही नहीं चलता था।
आर्यमणि कॉलेज जाना छोड़ चुका था और सुबह से लेकर कॉलेज के वक्त तक अपने पैक के साथ होता। उन्हे प्रशिक्षित करता। अलग ही लगाव था, जिसे आर्यमणि उनसे कभी जता तो नहीं पता लेकिन दिल जलता, जब उसे यह ख्याल आता की शिकारी कितनी बेरहमी से एक वूल्फ पैक को आधा खत्म करते और आधा को सरदार खान के किले में भटकने छोड़ देते।
उसे ऐसा मेहसूस होता मानो किसी परिवार को मारकर उसके कुछ लोग को रोज मरने के लिए किसी कसाई की गली छोड़ आये हो। रूही और अलबेली मे आर्यमणि के गुजरे वक्त की कड़वी यादें दिखने लगती। हां लेकिन उन कड़वी यादों पर मरहम लगाने के लिए चित्रा, निशांत और माधव थे। उनके बीच पलक भी होती थी और कुछ तो लगाव आर्यमणि का पलक के साथ भी था।
Palak or aaraya ka rishta alag hi mukaam pe hai jise samajna abi mushkil hai.par bhumi ke sath aaryaa ka payar ek bhai behan ke payaar ko bohot ache se darsha rahe ho mitr
Kaya kahu kehne ke liya shabd hi nai
NISHABD








अपडेट का अंतिम पैराग्राफ एक बार फिर से हमें भ्रम में डाल रहा है । " आर्य मणी को पलक के साथ भी कुछ लगाव हो गया था । " इसका मतलब क्या था ! क्या आर्य , पलक के राज फाश के बावजूद भी उससे सहानुभूति रखता है ? और अगर रखता है तो क्यों ?
सतपुड़ा के जंगलों में हुए नरसंहार की वजह थी वो । सैकड़ों निर्दोष लोगों के मृत्यु की कारण थी वह । फिर कैसे आर्य को उसमें लगाव जैसी चीजें दिखाई दी ?
आर्य ने अब तक एक बार भी रिचा के लिए दो सहानुभूति भरा शब्द नहीं कहा .... यहां तक कि भूमि ने उसके मौत पर कोई खास संवेदना नहीं दिखाई । भूमि दुखी थी लेकिन इसलिए कि उसके दो प्रमुख सिपाहसलार निर्दोष होने के बावजूद कत्ल कर दिए गए । अपनी ही ननद की मृत्यु पर वैसा शोक व्यक्त नहीं किया जैसा कि अक्सर होता है ।
रिचा निर्दोष होकर एवं वीरगति को प्राप्त कर वो सहानुभूति नहीं बटोर पाई जो पलक गुनाहगार होने के बावजूद भी बटोर ली ।
इससे तो यही लगता है कि कहानी में अभी भी बहुत बड़ा झोल है । हो सकता है रिचा सच में ही दोषी हो और पलक निर्दोष ।
पार्टी के दरम्यान आर्य का प्रहरियों का इमोशन्स कैच करना और ना कर पाना प्रहरियों के गुणदोष की विवेचना करता है... शायद । नम्रता के इमोशन्स कैच कर लिया था आर्य ने । इसका तात्पर्य शायद वो एक आम इंसान ही है ।
किताब अब तक इस पुरे कहानी का सबसे महत्वपूर्ण पार्ट बन गया है । आखिर है क्या इस किताब में जिसे सैकड़ों सालों से प्रहरी खोल ही नहीं पा रहे हैं ? इस किताब के अन्दर ऐसा कौन सा कारू का खजाना छुपा हुआ है जिसके लिए सभी व्याकुल हो रखे हैं ? आखिर यह किताब एक खास दिन और खास मौके पर ही क्यों खुल सकती है ?
अपडेट निःसंदेह बहुत बेहतरीन था लेकिन हर बार की तरह एक बार फिर से कुछ सवाल छोड़ गया ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट नैन भाई ।
और जगमग जगमग भी ।
Sanju Bhai aap se acha vishleshak koi nai lazwaab








Hahahaha... Bus ye aakhri chalkar tha iske baad koi jhatka nahi tiger bro...
Pagal na bano nainu bhai,aap kahani mai hum jitne bi readers hai vo becharye kaya hoga kya nahi kyaas hi lagate rahenge or aap hame hi surprise dete jayoge janta hu apko











