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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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रीछ स्त्री को खोजने के लिए चलाया गया ये अभियान असल में मात्र एक छलावा है, छलावा, जो किसी के मकसद को पूर्ण करने हेतु रचा गया है। वो मकसद, आर्यमणि की हत्या है या फिर आर्यमणि की शक्तियों का रहस्योद्घाटन, ये एक प्रश्न है। सरदार खान की उस स्थान पर मौजूदगी और आर्यमणि को देखते ही उसपर हमला, प्रतीत होता है की सरदार खान को विशेष आदेश देकर भेजा गया था, ताकि वो आर्यमणि को स्वर्गलोक की यात्रा पर भेज सके। वो अपने मकसद में भले ही नाकामयाब हो गया हो, परंतु अपने दुश्मन की शक्तियों की एक झलक तो देख ही गया है, अर्थात् अगली बार हमला करने से पहले वो कई बार सोचेगा।

कहानी में कितना रहस्य और झोल अभी तक रहा है उसके बाद किसीपर भी विश्वास करना कठिन है। संभव है की मेरा ये अनुमान गलत भी हो, परंतु मेरे ख्याल से पलक भी शामिल है इस षड्यंत्र में जो प्रहरियों के बीच बैठे कुछ लोगों के द्वारा रचा जा रहा है। कुछ प्रश्न हैं पलक से जुड़े... रिचा ने पहाड़ी पर कहा था की वो राजदीप और नम्रता का विवाह अपनी तरफ के प्रहरियों से करवाना चाहती है, यानी माणिक और मुक्ता.. यहां पर पलक को लेकर कुछ ना सोचने की वजह? क्या इसका कारण पलक का वो व्यवहार था जो आर्यमणि के आने से पहले हुआ करता था, अर्थात ज़्यादा किसी से बात ना करना। संभव है की रिचा को पलक की ओर से किसी भी क्षति की अपेक्षा न हो, परंतु फिर भी उसे लेकर कोई योजना ना बनाना प्रश्नों को जन्म देता है।

दूसरा,रीछ स्त्री को पकड़ने के पीछे की सारी योजना पलक द्वारा ही बनाई गई थी। साफ दिखाई दे रहा है की वहां मौजूद किसी भी प्रहरी को कोई दिलचस्पी नहीं है इस खोज में, बेशक पलक ने अनुशासन बनाए रखने की कोशिश की, परंतु वो सब अपनी मर्ज़ी से वहां से गायब हो गए। सवाल हैं पलक से जुड़े, हालांकि यही कहूंगा की आसार कम ही हैं को पलक एक नकारात्मक किरदार हो, परंतु हो भी सकता है। चूंकि आर्यमणि सभी षड्यंत्रकारियों के बारे में जानता है तो मुझे नहीं लगता की पलक की सच्चाई भी उससे छुपी होगी। देखते हैं, आगे इस बारे में और क्या पता चलता है।

आर्यमणि ने सरदार खान को जिस तरह पीटा है, मुझे नहीं लगता की अब सरदार खान और उसके सरगना की हिम्मत होगी आर्यमणि पर सामने से प्रहार करने की। सरदार खान कितना शक्तिशाली था ये उसके विवरण से ही स्पष्ट हो जाता है परंतु फिर भी आर्यमणि ने उसे एक शक्तिहीन के समान इधर से उधर पटक दिया। आर्यमणि की शक्तियां कितनी प्रबल हैं इसका अनुमान लगाया जा सकता है इस घटना से। परंतु, जानना रोचक रहने वाला है कि सरदार खान का क्या औचित्य था इस घटनाक्रम के पीछे। क्या वो आर्यमणि की हत्या करने ही आया था, या उसकी शक्तियों को तौलने? ग्रहण की रात में आर्यमणि ने बुलाया था उसे, तो क्या वापिस लौटेगा वो, या अब कुछ समय के लिए दुबक कर ही बैठा रहेगा...

इधर प्रहरियों की नस्ल किस तरह दूषित हो चुकी है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हम देख हो सकते हैं। यदि उन सभी को छोड़ भी दिया जाए जो मुख्य षड्यंत्र में शामिल हैं तो, जिस प्रकार वहां सतपुरा में मौजूद प्रहरी, रूही और अलबेली को दूषित नज़रों से देख रहे थे, बताने के लिए काफी है की जड़ों तक गंदगी फैल चुकी है प्रहरी समाज के। ऐसी गंदगी जिसे निकालना बेहद कठिन है, और जब भूमि जैसी एक सशक्त नायिका भी प्रहरी सभा से दूर होने वाली है, ऐसे में ये गंदगी अपना दायरा और भी बढ़ा सकती है। देखते हैं की पलक इस बारे में कुछ कर पाएगी अथवा नहीं...

रूही, अलबेली, निशांत और आर्यमणि, ही ऐसे हैं जो निकले हैं रीछ स्त्री की असल खोज में। शायद पलक भी इन्हें ढूंढती हुई पहुंच जाए, परंतु एक बात तो साफ है की उस रीछ स्त्री को हराना आर्यमणि के लिए भी मुश्किल ही होगा। रीछ प्रजाति की शक्ति और सामर्थ्य से हम परिचित ही हैं, और केवल कल्पना ही की जा सकती है की ये रीछ स्त्री क्या रहेगी होगी, जो इसे विष मोक्ष स्तोत्र से बांधना पड़ गया। खैर, आर्यमणि के बारे में जितना पढ़ा है अभी तक, मुझे विश्वास है की वो यहां आने से पहले ही सारी तरकीब सोचकर ही आया होगा, उसे जितना ज्ञान है, उसके मुताबिक उसे रीछ स्त्री को संभालने का तरीका भी मालूम ही होगा। वैसे, यदि आर्यमणि एडियाना के मकबरे तक पहुंच गया, तो मुझे नहीं लगता की रीछ स्त्री किसी भी प्रकार की चुनौती तक पेश कर पाए उसके सामने!

बहरहाल, निशांत और आर्यमणि की बातों से भी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां मिलीं। प्रथम, निशांत को इसी भाग में पता चला है की आर्यमणि एक वुल्फ है, उसने पहले मात्र एक अंदाज़ा ही लगाया था जिसपर अब आर्यमणि ने अपनी मोहर लगा दी है। प्योर अल्फा के बारे में लेख पढ़ने को दिया था शायद उसने निशांत को, जिसके कारण वो चौंक गया। परंतु, निशांत में उज्जवल और सुकेश को भी संदेहास्पद किरदारों की सूची में ला दिया है। वैसे मुझे नही लगता की उस “बिगबॉस” के अलावा किसी भी प्रहरी में इतना दम है की आर्यमणि का कुछ बिगाड़ सके। शायद उसमें भी ना हो, पर उसका मंतव्य छुपा हुआ है, इसलिए वो बाकियों से अधिक खतरनाक है।

अगला भाग काफी रोचक होने वाला है। आर्यमणि और उसके साथियों के रास्ते में एडियाना से जुड़ी एक आलौकिक ताकत अर्थात् विंडिंगो नामक प्राणी खड़ा है। शायद इसके जैसे और भी मौजूद हों वहां। क्या ये एडियाना के मकबरे की सुरक्षा कर रहें हैं? या कुछ और कार्यभार है इनका? देखते हैं इनका क्या अंजाम होगा।

बहुत ही खूबसूरत भाग था भाई। सरदार खान और विंडिंगो नामक जीव का जिस प्रकार वर्णन किया आपने, वो अध्याय में चार – चांद लगा गया। तस्वीरें भी बिलकुल उपयुक्त थी, अपने – अपने स्थान पर।

प्रतीक्षा अगले भाग की...
Sudhh roop se Aryamani ki hatya ki kosis hi thi ... Kyon wo aapko aage pata chal jayega... Kahani me ab prahari poora reveal hone wala hai... Hint to pichhle update... Aryamani aur Nishant ke chat ho gaya hoga... Bacha hua hint aaj ho jayega... Ki arya kin logon ke piche hai aur unke maksad ke piche wo bhi confuse kyon hai..

Baki aapke aur Sanju bhai ke sawal wahan se nikal aate hain jiska ek chhota sa jawab... Uss dor ko khinch dega jiske ander sare raaj chhipe hain... Main abhi maun rahna hi pasand karunga kyonki mujhe wah expression dekhne hai jab kitni baaten sach thi aur kitni baten sach ke karib thi jo kabhi kabhi mere confusing reply se dur ho gayi... Bus najdik hi hai... 4-5 update me to bahut si baten clear hogi... Aur ek baat to shayad aaj ke update se clear ho jaye...
 

nain11ster

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Manmohan Desai.. Emotional pictures mein inse bada jaadugar Hindi Cinema mein aaj tak aaya hi nahi.

मैंने पुरानी हिंदी फिल्मों को ही ज्यादा देखा है । मन साहब की लगभग सभी फिल्में देखा हुआ है ।
मेरे फेवरेट फिल्म निर्देशक - विमल राय , गुरू दत्त ‌, राज कपूर , गोल्डी ( विजय आनंद ) , ऋषिकेश मुखर्जी , यश चोपड़ा आदि थे । मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा जिन्होंने अमिताभ बच्चन को लेकर ही ज्यादा मूवी बनाई थी । इनकी भी बहुत फिल्में देखा है मैंने ।

Puraani filmen hi filmen hua karti thi.. :dazed:

Aaj ki movies se unka comparison karna hi naa–insaafi hai... Hindi Cinema ka star itna gir gaya hai ki kuchh kaha hi nahi jaa sakta. :noo:

सब कुछ में एक क्लास नजर आता था । उस वक्त के फिल्म निर्देशक , नायक , नायिका , गीत संगीत , सिंगर्स , गीतकार , संगीतकार , सहायक किरदार सब कुछ अव्वल दर्जे का था ।
वैसे भी साठ - सत्तर के दशक को गोल्डन एज आफ फिल्म इंडस्ट्री कहा जाता है ।
आज के दौर में नो डाउट , टेक्नोलॉजी की वजह से बहुत कुछ टेक्निकल सुधार हुआ है । लेकिन कलाकारों का परफॉर्मेंस गिर गया है ।

Aaj bhi antrakshri khelte hain to unhi daud ke geet juban par hote hain... 1990's ke baad ke geet bahut jyada sochne par hi nikalte hain
 
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