भाग:–86
कुछ भी कहो बॉब एक जीनियस से कम नही। उसी ने सबसे पहले लुथिरिया वोलुपिनी के साइड इफेक्ट को एक उपचार के रूप में प्रयोग किया था और वो सफल भी रहा। लूथरिया वुलुपिनी न सिर्फ वेयरवोल्फ के लिये एक जहर है बल्कि दावा का काम भी करता है। यदि एंटीडॉट है तो लुथीरिया वुलुपिनि से किसी भी वुल्फ को कंट्रोल किया जा सकता है, खासकर न्यू वेयरवोल्फ को। एंटीडोट है तो लुथीरिया वुलुपिनी का इस्तमाल फेंग और क्ला से घायल इंसान को ठीक करने तथा वेयरवोल्फ में न तब्दील होने के लिये भी कर सकते है। बॉब ने वुल्फ के जितने भी मारने के तरीके थे, उन सब से बचने के उपाय मुझे बताया था।
खैर बॉब टेस्ट के लिये तैयार था और मैं क्ला घुसाकर उसकी यादें लेना शुरू किया। उसके ताज़ा यादों में ही मुझे ओशुन दिख गयी। ओशुन का चेहरा सामने आते ही मैं ख्यालों की गहराई में चला गया। एक–एक करके उसके साथ बिताये हर पल की तस्वीर दिखने लगी। फिर मुझे बॉब का ध्यान आया और मैंने उसकी याद वापस देखन शुरू किया। उसके बाद मैं न तो रुका और न ही भटका। 10 मिनट में उसकी पूरी याद खंगालने के बाद अपना क्ला बाहर निकाला।
बॉब ने आंख खोलते ही सबसे पहले समय देखा और मुझसे, अपने बचपन के बारे में कुछ पूछा। उसे मैंने बता दिया। फिर बॉब ने थिया के बारे में कुछ पूछा। वो भी मैने बता दिया। फिर बॉब ने एनिमल बिहेवियर से संबंधित एक जटिल प्रश्न किया, जिसका जवाब मैं नही दे सका। इतनी पूछताछ के बाद बॉब ने मुझसे कहा... "जैसे टीवी पर कोई मूवी देखने के बाद कुछ अच्छे चीजें दिमाग में छप जाति है और बहुत से चलचित्र पर हम जैसे ध्यान नहीं देते ठीक वैसा ही याद देखने का अनुभव होता है। मेरे जिंदगी की कुछ खास घटना तुम्हे याद है लेकिन पूरी याद देखने के बाद तुम्हे मेरे जिंदगी की सारी घटना याद नहीं। अब तुम ओशुन के बारे में मुझसे कुछ कुछ पूछो?"
मैं, भद्दा सा चेहरा बनाते... "उसकी बात नही करनी।"
बॉब:– अच्छा इसलिए ओशुन की सारी विजुअल इमेज मेरे दिमाग में डाल दिये। तुम्हारे दिमाग में ओशुन से जुड़ी जितनी भी याद है उसे मेरे दिमाग में ऐसे छाप दिये की वो मेरी जिंदगी का हिस्सा लग रहा है।
मैं:– क्या मतलब मैने ओशुन के विजुअल इमेज तुम्हारे दिमाग में डाले...
फिर बॉब ने मुझे हर वो बात बताई जिसे मैं क्ला घुसने के बाद सोचा था। मैं अचंभित और बॉब तो मुझसे भी कई गुणा ज्यादा अचंभित। यादों के साथ ऐसी छेड़–छाड़ न तो कहीं वर्णित था और न ही किसी मौखिक दंत कथाओं में उल्लेख मिलता था। हम दोनो ही इस विषय में और ज्यादा जानने के लिये उत्साहित थे। इस शक्ति के बारे में पता चलते ही फिर बॉब रुका ही नहीं।
आगे यादों से छेड़–छाड़ पर प्रयोग शुरू करने से पहले बॉब बेतुकी सी जिद पर बैठ गया। दुनिया के बेस्ट न्यूरो सर्जन की यादों को ध्यान से देखना। मुझे तो कभी–कभी ऐसा भी लगता था कि बॉब के दिमाग में कहीं चोट लगी थी और कभी–कभी दिमागी संतुलन उसका हिल जाता है। न्यूरो सर्जन की याद देखना? खैर उसकी बात न कैसे मानता। मैं भी राजी हो ही गया।
हमलोग वहां से सीधा पहुंचे स्पेन। स्पेन दुनिया में सबसे बेहतरीन न्यूरोसर्जन देने के लिये काफी प्रसिद्ध देश है। हम लोग दुनिया के सबसे चर्चित और टॉप क्लास नंबर 1 न्यूरोसर्जन का पता लगाया। काफी व्यस्त मानस था और पहले कभी भी किसी मरीज को नहीं देखता। पहले उसके चेले इलाज के लिये आते और जब केस नही संभालता तब शीर्ष वाला डॉक्टर। ऊपर से उनकी फी। आम लोग खुद को बेचकर भी उनकी फी पूरी न दे पाये।
जैसा की बॉब के विषय में मैं पहले भी बता चुका हूं, था तो वो बहुत बड़ा कमिना। उसने पेड़ और पौधों से लिये टॉक्सिक को ब्रेन की नसों में दौड़ाने के लिये कहने लगा। कह तो ऐसे रहा था जैसे सामने हलवा परोस कर खाने कह रहा हो। मुझसे हुआ ही नहीं। एक हफ्ते लग गये टॉक्सिक फ्लो को इच्छा अनुसार बहाव देने में। अभी तो इच्छा अनुसार बहाव दिया था। इसके बाद तो जैसे बॉब का मैं कोई साइंस प्रोजेक्ट हूं। पहले उसने सिखाया टॉक्सिक को ब्लड के साथ बहने दो। मैने ध्यान लगाया और टॉक्सिक को ब्लड का हिस्सा समझा। कमाल हो गया, रगों में टॉक्सिक बहने लगा। हां वो अलग बात थी की मेरा हर वेन शरीर से कुछ सेंटीमीटर उभरा हुआ नजर आता।
इसके बाद बॉब ने जैसे न्यूरोसर्जन को पागल करने की ठान रखी हो। उसने फिर टॉक्सिक को किसी न्यूरो ट्रैमिशन की तरह पूरे शरीर में फैलाने के लिये कहने लगा। अब न्यूरो ट्रासमिशन होता क्या है उसे समझने में पूरा एक दिन गुजर गया। उसके बाद ये काम भी मैने बॉब की मदद से किया। जब मैं न्यूरो ट्रांसमिशन से टॉक्सिक को अपने शरीर में फैला रहा था तब मानो मेरे पूरे शरीर पर नर्व के जाल खुली आंखों से दिख रहा था। मेरा शरीर कोई देख ले तो ऐसा लगता जैसे किसी ने मेरे ऊपर की चमरी को छीलकर हटा दिया और अंदर के पूरे नर्व को दिखा रहा, जो टॉक्सिक के बहाव के कारण दिखने में बिलकुल काला था।
बॉब को पता था कि फ्री में उस डॉक्टर तक कैसे पहुंचना है। हम गये स्पेन के सरकारी हॉस्पिटल। वहां मैने दिमाग से संबंधित दिक्कत बताया। उन लोगों ने ब्लड सैंपल लेकर मुझे एमआरआई (MRI) के लिये भेज दिया। एमआरआई हुआ और डॉक्टर पागल। एमआरआई कर रहे डॉक्टर ने तुरंत एक मेडिकल टीम बुलवा लिया। वो लोग भी मेरा दिमाग देखकर चक्कर खा गये। दिमाग की नशों में खून की जगह जैसे ट्यूमर बह रहा हो। और ये बहाव केवल दिमाग की नशों में ही था बल्कि न्यूरो ट्रांसमिशन देखकर तो जैसे पसीने ही आ गये।
सरकारी हॉस्पिटल का ये केस सीधा पहुंच गया दुनिया के नंबर 1 न्यूरो सर्जन की टीम के पास। उनकी पूरी टीम और शीर्ष पर बैठा डॉक्टर चैलेंज लेने पहुंच गया। उनकी दिमाग की नशों को और भी ज्यादा हिलाने के लिये बॉब ने खास प्रबंध कर रखा था। हर मिनट पर मेरी बीमारी पूरी तरह से ठीक और फिर पूरी तरह से वापस आ जाती। मैं उनके बीच चर्चा का विषय बन गया और मुझ पर एक्सपेरिमेंट करने के लिये उन्होंने मुझे 50 हजार यूरो में साइन कर लिया। हां वो अलग बात है कि पहले मुझे भयभीत किया गया। मरने का डर दिखाया गया। और बाद में उनके मदद के बदले मेरे परिवार के लिये उन्होंने 50 हजार यूरो मुझे दिये।
मुझे क्या करना था मैं भी उनके रिसर्च का हिस्सा बन गया। जिस दिन मैं उनके हॉस्पिटल पहुंचा। उसी दिन से सब काम पर लग गये। टेस्ट के नाम पर मेरे शरीर से न जाने क्या–क्या निकाल लिये, लेकिन कहीं कोई बीमारी निकल ही नहीं रही थी। एक ही टेस्ट को स्पेन के 10 लैब से इन लोगों ने करवाया। सबका नतीजा एक जैसा। जबकि एमआरआई की रिपोर्ट उन्हे चकराने पर मजबूर कर देते। अंत में शीर्ष पर खड़ा टॉप न्यूरोसर्जन अपनी टीम के साथ मेरी सर्जरी का प्लान बनाया।
यहां तक तो सब कुछ मेरे और बॉब के सोच अनुसार ही हुआ। लेकिन आगे जो होने वाला था, उसके बारे में मैं कुछ नही जानता था। पर बॉब से भी चूक हो गयी। हमने सोचा था ऑपरेशन थिएटर में जाने के बाद सभी डॉक्टर को बेहोश करके मैं न्यूरोसर्जन के दिमाग में क्ला घुसा दूंगा। लेकिन वो प्लान ही क्या जो आखरी समय में फेल न हो जाये। सालो ने ऐसा ऑपरेशन थिएटर चुना जिसे देखकर मैने माथा पीट लिया। उस ऑपरेशन थिएटर के ऊपर का छत.…
ये सबसे ज्यादा कमाल का था क्योंकि उसके ऊपर कोई छत ही नही था। आंख उठाकर ऊपर देखो तो सीधा सेकंड फ्लोर का छत नजर आता था और फर्स्ट फ्लोर के छत की जगह बालकोनी टाइप थोड़ा सा छज्जा चारो ओर से निकाले थे। छज्जे के किनारे से 4 फिट की स्टील रॉड की प्यारी सी फेंसिंग थी, जिसे पकड़कर नीचे ऑपरेशन का पूरा नजारा एचडी में खुली आंखों से ले सकते थे। और जिन्हे 12–13 फिट नीचे देख कर कुछ समझ में न आये, उनके लिये 60 इंच का स्क्रीन लगाया गया था। जहां दिमाग का छोटा सा पुर्जा भी 10 इंच से कम का न दिखता। लाइव क्रिकेट मैच जैसे पूरी वयवस्था थी।
ऊपर से तकरीबन 50–60 आमंत्रित डॉक्टर देख रहे थे और नीचे पूरी टीम मेरा ऑपरेशन करने के लिये मरी जा रही थी। मैं करूं तो क्या करूं। बॉब भी साथ में नही था, उसे तो प्रतीक्षालय में इंतजार करने कहा गया था। मैं बड़ी दुविधा में। ऊपर से इन डॉक्टर्स ने एक छोटा बटन दबाया नही की पूरा स्टाफ ओटी में पहुंच जाता। मुझे कुछ सूझ नही रहा था और ये लोग इंजेक्शन लगाकर मुझे बेहोश करने वाले थे।
जब समझदारी काम न आये तब बेवकूफ बनने में ही ज्यादा समझदारी है। ऊपर से मुझे तो वैसे भी दिमागी बीमारी लगी थी। सो मैंने आव देखा न ताव सीधा बेड से कूद गया। मेरे बदन पर न जाने कितने वायर लगे थे और नब्ज में नीडल। सबको नोच खरोच कर गिराते मैं ऑपरेशन थिएटर से बाहर भागा। मेरे पीछे कुछ जूनियर डॉक्टर और नर्स की टीम भागी। मैं तो ओटी के बाहर चला आया और कुछ ही देर में पूरा हॉस्पिटल प्रबंधन मेरे पीछे दौड़ रहा था।
5 मिनट तक इधर–उधर भागने के बाद मैं थोड़ा तेजी दिखाते हुये वापस ऑपरेशन थिएटर में भागा। ऑपरेशन थिएटर में कम से कम 15 लोग रहे होंगे। हां। लेकिन शुक्र था कि कोई ऊपर खड़ा नही था। मुझे कुछ नही सूझा इसलिए मैंने एक बेडशीट में आग लगाकर उसके ऊपर गीला बेडशीट डाल दिया। चारो ओर तेज धुवां उठा और उस धुवां की आड़ में नंबर 1 न्यूरो सर्जन को लूथरिया वुलुपिनी का इंजेक्शन देकर उसके गर्दन में क्ला घुसा दिया।
जब मैंने उस डॉक्टर की यादों में झांका फिर मुझे पता चला की बॉब इस डॉक्टर की यादें देखने के लिये क्यों इतना जोर दे रहा था। किसी की यादें खुद के दिमाग में लेना। दूसरों के दिमाग में यादें डालने तथा भ्रम और सच्चाई बीच की लकीर के बीच कैसे उलझन पैदा करनी है। कौन सी यादें कहां मिलेगी। भूली यादें कहां होती है। यादों को एक दिमाग में कितने तरह से डाला जा सकता है। यादों को किस प्रकार से मिटाया जा सकता है। या फिर अपनी काल्पनिक याद को किसी के दिमाग के अंदर कैसे वास्तविक बना सकते है, मुझे सब पता चल चुका था। मुझे पता चल चुका था कि कहां ध्यान लगाने से क्या सब हो सकता है। मैं दिमाग और नर्वस सिस्टम से जुड़े इतने बातों को समझ चुका था की मैं किसी के दिमाग से यादों का कोई खास हिस्सा बिना किसी परेशानी के उठा सकता था।
फिर तो धुएं की आड़ में मैने बचे 14 लोगों की यादें भी देख ली। सबकी यादें काम की नही थी, इसलिए उन्हे स्टोर नही किया सिवाय 3 और लोगों के। जिसमे से एक प्लास्टिक सर्जन था तो दूसरा कॉस्मेटिक सर्जन। ये दोनो उस न्यूरो सर्जन के दोस्त थे और कई मामलों में न्यूरो सर्जन को सलाह भी दिया करते थे। आखरी में था एनेस्थीसिया। मैने न्यूरो सर्जन के साथ उन तीनो को भी लपेट लिया। सभी डॉक्टर के कुछ देर पहले की यादें मिटा दी और मैं जाकर आराम से लेट गया।
उन डॉक्टर में से जिसकी आंख पहले खुली हो। उसने जाकर दरवाजा खोला। कई लोग अंदर पहुंचे। ऑपरेशन थिएटर को खाली करवाया गया और फिर मुझे लेकर एक प्राइवेट रूम में सुला दिया गया। उस दिन ऑपरेशन होने से रहा और अगली बार ऑपरेशन हो, ऐसा मौका मैने दिया ही नहीं। मेरे जितने भी टेस्ट हुये सबके परिणाम पोस्टिव आये। चूंकि मैं एक एक्सपेरिमेंट सब्जेक्ट था और मेडिकल काउंसिल के लोग मेरी रिपोर्ट्स देख रहे थे, इसलिए मुझे डिस्चार्ज करने के अलावा उनके पास और कोई ऑप्शन ही नही था।
हम फिर यूरोप भ्रमण के लिये निकले। हां लेकिन हमारे पास पैसों की काफी तंगी हो चुकी थी, इसलिए वुल्फ हाउस को लूटने के इरादे से हम दोनो सबसे पहले जर्मनी ही पहुंचे। बॉब, मैक्स और बाकी रेंजर को वुल्फ हाउस की दास्तान सुनाने निकल गया और मैं वुल्फ हाउस चला आया। दरवाजे पर ईडन के मांस का लोथड़ा तो नही था लेकिन खून के दाग वैसे ही लगे हुये थे। अंदर घुसते ही बड़ा सा हॉल अब भी लड़ाई की दास्तान सुना रहा था। लाशें एक भी नही थी, लेकिन खून के धब्बे और गंदी सी बदबू चारो ओर थी।
वुल्फ हाउस में मैने अपना काम शुरू कर दिया। पैसों का पता लगाते मैं ईडन के तहखाने पहुंच गया, जहां पर पैसों और बाउंड का भंडार छिपा था। कुल संपत्ति लगभग 50 मिलियन यूरो थी। मैने ईडन का पूरा लॉकर ही साफ कर दिया। पूरे पैसे, बैंक लॉकर की चाबियां, कुछ बॉन्ड्स और शेयर अपने बैग में समेटकर डाल लिया। मैं जब तक वापस हॉल में पहुंचा, बॉब कुछ लोगों को लेकर वुल्फ हाउस पहुंच चुका था। ब्लैक फॉरेस्ट का रेंजर मैक्स और उसकी बीवी थिया को देखकर मैं खुश हो गया। हां लेकिन थिया मुझे देखकर जरा भी खुश न थी। उसने भरी सभा में जोर से चिंखते हुये मुझे वेयरवोल्फ पुकार रही थी।
मामला ठन गया। थिया की बातों पर किसी को यकीन नही हुआ, लेकिन सभी शिकारियों की संतुष्टि के लिये मेरा टेस्ट लिया गया। पहला करेंट और दूसरा वोल्फबेन। मैं दोनो ही टेस्ट 100% मार्क के साथ पास कर गया। थिया को लेकिन जरा भी यकीन नहीं था और वो मुझे पूरी तरह से फसाने का ठान चुकी थी। उसे सेक्स टेस्ट चाहिए था। सबके सामने उसने कह दिया, यदि मैं वुल्फ नही तो किसी स्त्री के साथ सबके सामने संबंध बनाये।
मैं फंसा। थिया के चेहरे पर कुटिल मुस्कान और मैं चिंता में। सभी शिकारी हंसते हुये थिया को ही कपड़े उतारने कह दिये। मैक्स भी उनमें से एक था जो इस अजीब सी शर्त की मेजबानी थिया को करने ही कह दिया। कामिनी औरत मुझे पूरी तरह से फसा चुकी थी। वह उसी वक्त अपने ऊपर के कपड़े को फर्श पर गिराकर अंतः वस्त्र में खड़ी हो गयी और मेरे पास कोई रास्ता ही नही छोड़ी। बॉब ने मुख्य दरवाजा बंद किया और मैंने आतंक मचाने शुरू किया। बॉब के पास जानवरों को लिटाने वाले कई तरह के साधन थे। उन्ही साधनों को संसाधन में बदलकर सबको बेहोश किया और उनके जहन से मेरे वेयरवोल्फ होने की पूरी कहानी ही गायब करनी पड़ी।
उन्हे जब होश आया तब सभी अलग–अलग कमरों में लेटे थे। शाम के खाने की दावत पर सबको जगाया गया और पूरे रेंजर एक साथ जमा होकर बस ईडन के बारे में जानने के लिये उत्सुक थे। जब उन्हें पता चला की मैने अकेले ईडन का सफाया कर दिया और उसके साथ बाकी के अल्फा का भी, उनका चेहरा देखने लायक था। कुछ देर आश्चर्य से मौन रहे फिर जाम से जाम लहराते हूटिंग करने लगे। मैक्स ने मुझसे पूछा की आखिर मैं कैसे कामयाब रहा। तब मैने बॉब के बारे जिक्र करते कहा की बॉब ने माउंटेन ऐश और वुल्फ मारने का हथियार दिया। मैने उन सभी को ट्रैप करके मार डाला। और बचे हुये जो बीटा भागे उनका फिर पिछा नही किया।
तो ये कहानी थी आर्य के जर्मनी और रशिया के सफर की। आज आर्यं जो भी है उसमे बॉब का बहुत बड़ा हाथ है और साथ ही थिया का भी वर्ना आर्य और बॉब मिल ही ना पाते। बॉब के ज्ञान ने ना सिर्फ आर्य को खुद को स्वीकार करने में मदद की बल्कि सुपरनैचुरल के अस्तित्व के बारे में और बहुत कुछ जानने में सहायता की।
ओशुन का खत पढ़ कर आर्य का मुस्कुराने का कुछ तो खास मतलब था। शायद वो भी समझ गया था कि ओशुन की बातो का मतलब कुछ इन पंक्तियों की तरह ही था
मुझसे बिछड़ के ख़ुश रहते हो
मेरी तरह तुम भी झूठे हो
बॉब ने कुछ अपने ज्ञान और कुछ अपने एक्सपेरिमेंट्स से आर्य को प्योर अल्फा के बारे में काफी कुछ जानने में मदद की। आर्य के दादाजी पहले से ही जानते थे कि आर्य एक अनोखा वेरवॉल्फ है शायद इसीलिए शुरू से उसको धार्मिक और आध्यात्मिक पालन पोषण दिया गया साथ ही शुद्ध और शाकाहारी भोजन ताकि उसका अंतर्मन शुद्ध और सात्विक रहे क्योंकि वो प्रहरी के षडयंत्र का खुद शिकार थे और जानते थे की आर्य के बारे में जानने के बाद आर्य भी प्रहरी के निशाने पर होगा।
बॉब का न्यूरोसर्जन वाला प्लान बहुत ही शानदार था, इसेअरी ना सिर्फ दिमाग बल्कि और भी मेडिकल ज्ञान को प्राप्त कर पाया। यही प्लास्टिक सर्जरी और बाकी मेडिकल शाखाओं का ज्ञान उसने अपनी, अपश्यु और उसकी टीम को भी दिया।
वुल्फ हाउस में जा कर तो लॉटरी ही लग गयो आर्य और बॉब की इतना पैसा और सामान। मगर ये थिया के दिमाग में क्या चल रहा था जो पहले वो आर्य को बच रही थी मगर अब उसको सबके सामने बेपर्दा करना चाहती थी, मगर एक बार फिर बॉब की मदद से सबकुछ ठीक हो गया।
आर्य का अपने वेरवॉल्फ वाले हिस्से की जानकारी और और उसको स्वीकारने के सफर पर ये पंक्तियां याद आ गई
जाने कहाँ से आया हूँ क्या जाने मैं कौन हूँ
कोई ये समझाये मुझे कैसे मैं ये ग़म सहूँ
मुझको ये ज़िंदगी लगती है अजनबी
छाँव भी धूप भी हर नये पल है नयी
nain11ster नैनू भाई बहुत ही शानदार अपडेट्स,
के दिल गार्डन गार्डन हो गया
के भंवरा बगियन में खो गया