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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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nain11ster

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वाह भाई क्या शानदार फाइट और धमाल अपडेट रहा मज़ा आ गया आज के इंतजार का फल बहुत रोमांचक और सुकून देने वाला रहा। इस अपडेट में भी 2 सस्पेन्स छोड़ दिये पहला जब बंधी बनाये प्रहरियों की यादों को आर्य मिटाता है तब 2 बंदों के दिमाग मे झाँक कर चोंक क्यो जाता है यह नही बताया। दूसरा सस्पेन्स थर्ड लाइन सुपीरियर शिकारी क्या बला है इनमें इतनी अतभूत ताकत कहा से आयी। यदि इस टाइप के शिकारी प्रहरी ग्रुप में है तो जया और भूमि का आगे क्या होगा। सीक्रेट बाड़ी ऐसे शिकारी बना सकती है तो वो कितनी पॉवरफुल होगी इससे तो सरदार खान की बात सही साबित होती है कि उन्हें सरदार को मारने के लिए किसी प्लानिंग की ज़रूरत नही वो लोग स्पेशल सुपर नेचुरल पावर रखते है वो सरदार को कभी भी मार सकते है। रही आज शो हुई आर्य की पावर । उसकी नेचर से हिल होने की पावर, नेचर से पावर लेना जिससे वो स्ट्रांग हो सके अपने सांसो से या अंदर से बाहर आती हवा से अटेक किये गए हथियार और हवा के बवंडर से बने हथियारों का रुख चेंज करना आई मीन दिशा बदल देना वाकई गजब का रहा। आर्य की स्पीड हवा से भी तेज़ रही पवार का तो कहना ही क्या वो खुद एक चलता फिरता पावर हाउस है। अति उत्तम प्रस्तुति। वैसे आपके पिछले कुछ कमेंट के रिप्लाय में 2 बाते मेने नोट करि। पहली की आप पलक और आर्य के रिलेशन में टिप्पणी नही कर रहे यानी 100% आप इनका भविष्य में सीन बनाने वाले हो वैसे हो सकता है कि में गलत हो जाऊं बट मुझे यही लगा। और दूसरी सबसे बड़ी बात की इस स्टोरी को आप कही न कही किसी सीन में निश्चल जीविशा एंड पार्टी से भी कनेक्ट करोगे यह बहुत खुशी देने वाली बात रहे। वैसे आज स्वामी और नित्या की कमी रही उन्हें कुछ सजा नही दे पाया आर्य। वैसे इस मस्त अपडेट के लिए बधाई एवं धन्यवाद।
Suspense to chhota mota hai... Dhire–dhire jab aap kahani ke mahasagar me gote laga kar khote jayenge tab sab suspense swatah hi usi masahar me ghulte milte kahani ko paar laga denge... Prem se boliye Jai mata di
 

Lib am

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भाग:–58






दोनो दोस्त मुस्कुराकर एक दूसरे से विदा लिये। संन्यासी शिवम ने पोर्टल खोल दिया और दोनो वहां से गायब। उन दोनो के जाते ही आर्यमणि, अपने पैक के पास पहुंचा। वो लोग दूसरी वैन लाकर सरदार खान को उसमे शिफ्ट कर चुके थे। आर्यमणि के आते ही सबको पहले चलने के लिये कहा, और बाकी के सवाल जवाब रास्ते में होते रहते। पांचों एक बड़ी वैन मे सवार होकर नागपुर– जबलपुर के रास्ते पर थे।


रात साढ़े ११ (11.30pm) बजे तक जहां 2 बंदरों की लड़ाई चल रही थी, उसी बीच एक बिल्ली भी अपनी बाजी मारने की कोशिश में था, जिसका अंदाजा दोनो में से किसी पक्ष को सपने में भी नही आया होगा। शाम के 7.30 बजे धीरेन स्वामी सुकेश भारद्वाज के घर में घुसकर उसके सिक्योरिटी ब्रिज को तोड़ चुका था। स्वामी भी प्रहरी के उन शिकारियों में से था, जो सुकेश के निजी संग्रालय को घूम चुका था। कुछ वर्ष पूर्व भूमि के साथ वह भी 25 तरह के हथियार से लड़ा था किंतु अनंत कीर्ति की किताब नही खोल पाया था।


धीरेन स्वामी, सुकेश के सभी सुरक्षा इंतजाम को तोड़ने का पहले से इंतजाम कर चुका था, इसलिए उसे संग्रहालय में घुसने में कोई भी परेशानी नही हुई। हां लेकिन उच्च रक्त चाप (हाई ब्लड प्रेशर) तब हो गया, जब उस संग्रहालय में कहीं भी अनंत कीर्ति की पुस्तक नही थी। स्वामी पागलों की तरह नही–नही करते कुछ देर तक वहीं बैठ गया। किस्मत ही कहा जा सकता है, क्योंकि आर्यमणि ने एक जैमर नाशिक रिजॉर्ट के आस–पास के इलाके में लगाया था, तो दूसरा जैमर सरदार खान के बस्ती के आस पास। और धीरेन स्वामी ने अपने लोगों को नाशिक एयरपोर्ट पर लगाया था, ताकि यदि कोई नाशिक से लौटे तो तुरंत उस तक सूचना पहुंच जाय। सवा 8 बजे धीरेन स्वामी को नाशिक एयरपोर्ट से खबर मिली कि आर्यमणि प्राइवेट जेट से नागपुर निकला है।


धीरेन स्वामी ने कुछ सोचते हुये, अपने कुछ लोगों को नागपुर एयरपोर्ट भेजा और इधर बड़ी सी वोल्वो बस मंगवाया। संग्रहालय के पूरे समान को समेटने और तेजी से भागने के लिये धीरेन स्वामी ने एक बड़ा सा वोल्वो बस को ही पूरी तरह से खाली करके उसमे समान लोड करने की पूरी व्यवस्था कर चुका था। वह अपने विचार में पूरा सुनिश्चित था, कि यदि आर्यमणि लौटकर अपने मौसा के घर आता है तो उसे मार दिया जायेगा। लेकिन उसे आश्चर्य तब हो गया जब पता चला की आर्यमणि एयरपोर्ट से सीधा सरदार खान के बस्ती के ओर निकला है।


धीरेन स्वामी ने अपने ३ लोगों को उसके पीछे लगा दिया और पहले इत्मीनान से सुकेश का संग्रहालय साफ करने लगा। उस बड़ी सी वोल्वो बस में उसने सुकेश भारद्वाज के पूरे संग्रहालय को ही समेट लिया। तकरीबन 400 किताब, जगदूगर की दंश, कई सारे आर्टिफैक्ट, 8–10 बंद बक्से और जितने भी हथियार थे, सबको अच्छे से पैक करके वोल्वो में लोड कर लिया। उसका काम लगभग 10.30 बजे तक समाप्त हो चुका था। काम खत्म करने के बाद धीरेन स्वामी अपने लोगों के साथ सीधा सरदार खान के बस्ती के ओर निकला।


नागपुर एयरपोर्ट से वैन लेकर आर्यमणि सरदार खान के बस्ती के ओर निकला यहां तक तो स्वामी को सूचना मिली थी, लेकिन उसके बाद उसके किसी आदमी की कोई खबर नहीं आयि। आयेगी भी कैसे, सरदार खान की बस्ती में जैमर जो लगा हुआ था। धीरेन स्वामी जैसे–जैसे सरदार खान के बस्ती के करीब जा रहा था, वैसे–वैसे डीजे की आवाज तेज सुनाई दे रही थी। धीरेन स्वामी अपने काफिले के साथ कुछ दूर आगे बढ़ा ही था कि रास्ते में उसके एक आदमी ने हाथ दिखाकर रोका.…


स्वामी अपने आदमी राजू से... "राजू क्या खबर है।"


राजू:– यहां अलग ही ड्रामा चल रहा है सर। आर्यमणि, पूर्णिमा की रात सरदार खान से लड़ा। और अभी–अभी अपनी टीम के साथ सरदार खान को लेकर अपने एक्जिट पॉइंट पर निकला है।


राजू और अपने २ साथियों के साथ आर्यमणि के पीछे आया था। यहां जब पहुंचा तभी उन तीनो को सिग्नल जैमर का भी पता चला। राजू जिस जगह खड़ा था, वहीं शुरू से खड़ा रहा। बाकी उसके २ आदमी पूरी जगह की पूरी जांच करने के बाद उसके पास आकर सूचना पहुंचाया। उन्ही में से एक आदमी ने सरदार खान और आर्यमणि की टीम के बीच खूनी जंग की बात बताई, तो दूसरा जंगल के दूसरे हिस्से में जांच करते हुये, हाईवे से कुछ दूर अंदर एक खड़ी वैन का पता लगाया था, जो आर्यमणि का एक्जिट पॉइंट था।


राजू पूरी सूचना स्वामी के साथ साझा कर दिया। स्वामी अपने सभी आदमी को गाड़ी में बिठाया और पूरा काफिला सरदार खान की बस्ती को छोड़ नागपुर–जबलपुर हाईवे पर चल दिया। काफिला जब आर्यमणि के एक्जिट पॉइंट के पास से गुजर रहा था तभी राजू ने स्वामी को बताया की.… "यहीं के सड़क से आधा किलोमीटर अंदर एक वैन खड़ी है। जिसका दूसरा संकरा रास्ता तकरीबन 400 मीटर आगे हाईवे के मोड़ से मिलता है। अपना एक आदमी वहीं खड़ा है।" स्वामी अपने काफिले को बिना रोके 400 मीटर आगे ले गया और रास्ते के दोनो ओर गाड़ी लगाकर पहले तो अपने आदमी से आर्यमणि के बारे में जानकारी लिया। पाता चला की आर्यमणि अब तक इस रास्ते को क्रॉस नही किया है। स्वामी राहत की श्वांस लिया और आर्यमणि को ब्लॉक करने का आदेश दे डाला।


आर्यमणि को ब्लॉक करने के आदेश देने के बाद अपने 8 आदमियों के साथ वह जंगल के अंदर मुआयना करने निकला। स्वामी जंगल के अंदर चलते हुये आर्यमणि के मीटिंग पॉइंट के ओर चल दिया। कुछ दूर आगे गया ही था कि ऊंचाई से टॉर्च की रौशनी का इशारा हुआ। यह इशारा स्वामी के तीसरे आदमी का था। स्वामी उसके पास पहुंचकर... "क्या खबर है।"…


उसका आदमी नाइट विजन वाला दूरबीन देते... "अभी–अभी आर्यमणि अपने वैन के पास पहुंचा था। लेकिन उसके बाद पता नही कहां से इतनी आंधी चलने लगी"…


स्वामी बड़े ध्यान से उस ओर देखने लगा। आर्यमणि की फाइट जैसे–जैसे बढ़ रही थी, स्वामी की आंखें वैसे–वैसे बड़ी हो रही थी। फिर तो सबका कलेजा तब दहल गया जब सबने आर्यमणि की दहाड़ सुनी, और उस दहाड़ को सुनने के बाद केवल स्वामी ही था, जो वहां से भाग नही लेकिन कलेजा तो उसका भी कांप ही गया था। बाकी उसके साथ आये 8 लोग ऐसे पागलों की तरह भागे की जंगल में पेड़ और पत्थरों से टकराकर घायल होकर वहीं बेहोश हो गये।


स्वामी फिर भी डटा रहा। अब तक जो भी उसने प्रहरी समुदाय में देखा और जितनी भी शक्तियां उसे चाहिए थी, यहां की लड़ाई देखने के बाद उसे एहसास हो गया की वह प्रहरी के मात्र दिखावे की दुनिया की शक्तियों के लिये पागल था, जबकि आंतरिक शक्तियां तो सोच से भी पड़े है। एक ही वक्त में उसके जहन में कई सारे सवाल खड़े हो गये। जैसे की वोल्फबेन से टेस्ट के बाद भी आर्यमणि मरा नही, जबकि वह एक वुल्फ है? उस से भी हैरानी तो तब हुई जब स्वामी ने क्ला और जड़ वाला कारनामा देखा। आर्यमणि से दूसरा पक्ष कौन लड़ रहा जो हवा को आंधी कैसे बना रहा था? ये किस तरह का शिकारी है जिसके पास अलौकिक शक्ति है? यह तब की बात थी जब आर्यमणि के ऊपर भाला चला था और वह लगभग मरा हुआ सा गिरा था। उसके बाद तो जैसे स्वामी ने अपना माथा ही पकड़ लिया, जब निशांत और संन्यासी शिवम वहां पोर्टल के जरिये पहुंचे। स्वामी पूरी घटना बड़े ध्यान से देख रहा था और शक्तियों के इतने बड़े भंडार को समझने की कोशिश कर रहा था।


इधर आर्यमणि सारा काम खत्म करने के बाद, नागपुर–जबलपुर हाईवे के रास्ते पर तो गया, लेकिन संकरा रास्ता जो आगे मोड़ पर हाईवे से मिलता था और जिस जगह पर स्वामी ने अपने लोग खड़े किये थे, उस रास्ते से न जाकर बल्कि पीछे का रास्ता लिया। आर्यमणि वैन को हाईवे के किनारे खड़ा करता.… "तुम लोगों को किसी और के होने की गंध नही मिली क्या"…


पूरा पैक एक साथ... "नही..."


आर्यमणि:– हम्मम... नागपुर एयरपोर्ट से ही मेरा पीछा हो रहा था और लड़ाई के दौरान मैंने धीरेन स्वामी को देखा था।


रूही:– फिर तो उसने सब देखा होगा...


आर्यमणि:– मुझे जंगल में धीरेन स्वामी के अलावा 8 और लोगों की गंध मिली थी। वो लोग अब भी जंगल में है, केवल धीरेन स्वामी को छोड़कर। वह संकरे रास्ते के दूसरे छोड़ से लगे हाईवे पर खड़ा है। तुम लोग अपने सेंस इस्तमाल करो और उन्हे सुनने की कोशिश करो।


रूही:– कानो में सांप, कीड़े, बुच्छू, पूरे बस में बैठे पैसेंजर, कुछ और लोग, तरह–तरह की आवाज एक साथ आ रही है... बॉस दिमाग फट जायेगा। बहुत सी आवाज एक साथ आ रही है...


आर्यमणि:– कोई और ध्यान लगा रहा है...


अलबेली:– एक बॉस उसके साथ कुछ चमचे हमारा बेसब्री से हाईवे के किनारे इंतजार कर रहे है। भारी हथियार, वोल्फबेन, हाई साउंड वेव रॉड... वेयरवॉल्फ को मारने के तरह–तरह के इंतजाम किये है।


रूही:– ये झूठ बोल रही है...


आर्यमणि:– तुम अब भी क्यों नही मान लेती की अलबेली सुनने में काफी फोकस है। सतपुरा के जंगल में जबकि उसने प्रूफ भी दे दिया, फिर भी तुम नही मानती..


रूही:– बॉस आप जूनियर के सामने मुझे नीचा दिखा रहे।


आर्यमणि:– रूही शांत जाओ और अभी यहां का एक्शन प्लान क्या होना चाहिए उसपर फोकस करो।


रूही:– आप जंगल जाकर वहां घात लगाये लोगों से निपटिये और उनकी याद मिटाकर हाईवे के दूसरे हिस्से पहुंचिये। जब तक हम चारो सीधा जाते हैं और हाईवे पर घात लगाये लोगों को बेहोश करके रखते हैं।


आर्यमणि अपना माथा पीटते... "कोई इस से बेहतर कुछ बतायेगा?"


रूही:– इसमें क्या बुराई है बॉस...


आर्यमणि, घूरती नजरों से देखा और रूही शांत।… "भैया जो जंगल में है, उनकी कुछ डिटेल"… नया पैक मेंबर इवान ने पूछा..


आर्यमणि:– कोई हथियार नही... बस अपने पोजिशन पर है।


इवान:– मैं और ओजल वैन को वापस संकरे रास्ते पर ले जाते है। रूही और अलबेली जंगल में फैल जायेगी। उनके जितने भी लोग जंगल में होंगे उनका ध्यान वैन पर होगा और इधर रूही और अलबेली को काफी आसानी होगी। आप आराम से सीधे जाओ, और वहां का मामला खत्म करके हमे सिग्नल देना। हम उन 8 लोगों को वैन में लोड करके ले आयेंगे।


आर्यमणि:– बेहतर योजना... हम इसी पर काम करेंगे। और जिस–जिस के चेहरे की भावना पर सवाल आये हैं वो चुपचाप अपना मुंह बंद कर ले, क्योंकि 12 बजने वाले है और हमने अब तक नागपुर नही छोड़ा है।


सब काम पर लग गये। रूही और अलबेली का काम बिलकुल ही आसान था, क्योंकि जिन्हे घात लगाये समझ रहे थे वो सब तो बेहोश थे। जबतक वैन में बेहोश लोगों को लोड किया गया, तबतक आर्यमणि भी अपना काम कर चुका था। हाईवे से नीचे उतरकर वह दौड़ लगाया और घात लगाये शिकारियों के ठीक पीछे पहुंच गया। हर किसी की नजर रास्ते पर ही थी, क्योंकि वैन के आने का सब इंतजार कर रहे थे और आर्यमणि बड़ी ही सफाई से सबको बेहोश करता चला गया।

कुल २२ लोग थे वहां। 16 को तो उसने आसानी से बेहोश कर दिया क्योंकि वह फैले हुये थे। बचे 6 लोग साथ में बैठे थे, जिसमे से एक स्वामी भी था। आर्यमणि की वैन के आने का इंतजार स्वामी भी कर रहा था, लेकिन वैन को न आते देख स्वामी को कुछ–कुछ शंका होने लगी। किंतु स्वामी अब शंका करके भी क्या ही कर लेता। आर्यमणि उनके वोल्वो में ही पहुंच चुका था। फिर तो केवल वोल्वो की दीवार से लोगों के टकराने की आवाज ही आ रही थी।


आर्यमणि अपना काम खत्म करके, अपने पैक को सिग्नल देने के बाद स्वामी के सभी लोगों को एक जगह इकट्ठा किया और सबकी यादों से आखरी के कुछ वक्त की उन तस्वीरों को मिटाने लगा, जिनमे आर्यमणि की कोई चर्चा अथवा उसके या उसके पैक की कोई याद हो।स्वामी को छोड़कर सबके मेमोरी से छेड़ –छाड़ हो चुका था। जबतक रूही भी अपनी पूरी टीम को लेकर पहुंच चुकी थी। उन 8 लोगों की यादों से भी छेड़–छाड़ करने के बाद आर्यमणि स्वामी के पास पहुंचा।


स्वामी का गुजरा वक्त जैसे आर्यमणि को धोका सा लगा हो। भले ही उसने भूमि के साथ धोका किया था, लेकिन उसे आर्यमणि भी मेहसूस कर रहा था। स्वामी के लिये तो आर्यमणि ने कुछ और ही सोच रखा था। स्वामी की यादों से पूरी तरह से खेलने के बाद आर्यमणि सुकेश को एक और चोट देने की ठान चुका था। उसने वोल्वो से सभी तरह के हथियार को अपने वैन में लोड कर दिया और अपने वैन से सरदार खान को निकालकर वोल्वो में..... "चलो यहां का काम खत्म हुआ"…


स्वामी का गुजरा वक्त जैसे आर्यमणि को धोका सा लगा हो। भले ही उसने भूमि के साथ धोका किया था, लेकिन उसे आर्यमणि भी मेहसूस कर रहा था। स्वामी के लिये तो आर्यमणि ने कुछ और ही सोच रखा था। स्वामी की यादों से पूरी तरह से खेलने के बाद आर्यमणि सुकेश को एक और चोट देने की ठान चुका था। उसने वोल्वो से सभी तरह के हथियार को अपने वैन में लोड कर दिया और अपने वैन से सरदार खान को निकालकर वोल्वो में..... "चलो यहां का काम खत्म हुआ"…


रूही:– सब ठीक तो है न बॉस... तुम स्वामी की यादों में पिछले 10 मिनट में थे।


आर्यमणि:– कुछ नही बस आराम से स्वामी की याद देख रहा था। भूमि दीदी को इसने बहुत धोका दिया। चलो चलते हैं, हम शेड्यूल से काफी देर से चल रहे हैं।


रूही:– वोल्वो में स्वामी का एक आदमी बेहोश है, उसका क्या?


आर्यमणि:– उसे रहने दो, बड़े काम का वो आदमी है।


स्वामी नामक छोटे से बाधा को साफ करने के बाद पूरा अल्फा पैक हाईवे पर धूल उड़ाते जबलपुर के ओर बढ़ गया। वोल्वो अपने पूरी रफ्तार में थी। सभी कुछ किलोमीटर आगे चले होंगे, की सबसे पहले तो पूरा पैक ने उन्हे जड़ों की रेशों में जकड़ने की लिये लड़ने लगा। आर्यमणि सबको शांत करवाकर कुछ देर के लिये खामोश हुआ ही था कि सबके सवालों के बौछार फिर शुरू हो गये। "निशांत के साथ संन्यासी कौन था? ये क्ला को जमीन में घुसा कर कौन सा जादू किये? ये किस तरह का दरवाजा हवा में खुला जिसके जरिये निशांत और उसके साथ वाला आदमी गायब हो गया?"

बातचीत का लंबा माहोल चला जहां आर्यमणि ने एक–एक सवाल का जवाब पूरे विस्तार से साझा किया। हवा को नियंत्रण करने वाले शिकारियों के हमला करने के तरीकों को विस्तार में सुनकर अल्फा पैक काफी अचंभित था। सभी सवालों के जवाब के बाद आर्यमणि शांति से आंख मूंद लिया और अल्फा पैक अभी हुये हमले पर बात करते जा रहे थे। कुछ देर तक सबकी इधर–उधर की बातें सुनने के बाद, आर्यमणि सबको चुप करवाते.… "हमारे साथ में एक मेहमान को भी है। मैं जरा उस से भी कुछ सवाल जवाब कर लेता हूं, तुमलोग जरा शांत रहो। आर्यमणि सरदार का मुंह खोलकर… "हां सरदार कुछ सवाल जवाब हो जाये।"
ये धीरेन स्वामी चाल तो बहुत सयाना बनके चल रहा था, अगर आर्य ने अनंत कीर्ति की किताब पहले ही गायब ना की होती तो वो संघराल्य की बाकी चीजों के साथ उसे भी गायब कर देता और नाम आर्य का लगता। मगर उसको ये नही पता था की वो जिस से लड़ रहा हैं वो कोई आम वेरवॉल्फ नही प्योर वेरवॉल्फ है जोकि आज के समय में एक किदवंती है, मगर फिर लालच के जाल में फंस कर अपना काम खराब करवा लिया।

रूबी में कहीं ना कहीं ये बात आ गई कि आर्य ने उसकी जगह जूनियर के प्लान को यूज किया। अब कहीं ये बात बाद में कुछ बड़ा कांड ना कर जाए हालाकि आर्य सबको अच्छे मैनेज करता है तो उम्मीद कम है मगर भविष्य का क्या ही कह सकते है।

आर्य ने अच्छे से स्वामी की यादें खंगाली है तो पक्का उसे कुछ तो काम का मिला है और उसने स्वामी के जरिए अपना प्लान भी शुरू कर दिया होगा। स्वामी के आदमी।को आर्य ने काम का आदमी बताया था तो क्या वो आदमी अब आर्य के लिए काम करेगा या आदमी।किसी और राज के खुलासा करने में मदद करने वाला है। एक और बात अच्छी हुई की स्वामी ने संघराल्य को खाली करके आर्य के लिया और आसान कर दिया अब सबकुछ आर्य के पास है।

बेचारी पलक इस सब के बीच में कोलेट्रल डैमेज बन कर रह गई, उस बेचारी को क्या पता था की उसका खुद का परिवार उसको उसे कर रहा हेनरी के खिलाफ, कहां वो बेचारी आर्य के साथ शादी की उम्मीद में थी और अब कहां दोनो दुश्मन बनने वाले है, मगर एक बात ये भी है की nain11ster भाई हर कहानी में जो भी जोड़ी शुरू में बनती है उसी को फाइनल करते है जैसा की बाकी स्टोरीज में भी हुआ था तो उम्मीद कर सकते है कि कहानी के किसी मोड़ पर पलक को सच्चाई पता चलेगी और दोनो साथ हो जाएंगे। शानदार अपडेट
 

Lib am

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nain11ster भाई, सन्डे के 3 और मंडे, ट्यूजडे, और वेडनेसडे के 1-1 अपडेट को मिला कर टोटल 6 अपडेट बनते है अभी तक 1 आया है बाकी का इंतजार है आज ही के लिए
 

nain11ster

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Outstanding mind-blowing update bhai maza aa gaya to 8 sikariyo ka kam tamam ho gaya ek baar ko to aryabhi phasta hua laga per sukar hai Nishant or sanyasi samay se aa gaye . Ab dekhna hai age kya hota hai.
Agge to post planning reactions hai... Kuch logon ko reactions padhne me maza aata hai... Kuch ko boaring lagta hai 😄😄😄😄... Baki dekhte hain aapko kaisa lagta hai scorpion bro...
 

nain11ster

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nain11ster भाई, सन्डे के 3 और मंडे, ट्यूजडे, और वेडनेसडे के 1-1 अपडेट को मिला कर टोटल 6 अपडेट बनते है अभी तक 1 आया है बाकी का इंतजार है आज ही के लिए
Us ek update ka revoo de diya kya :?:
 

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Koi kuchh bhi kah lo yaar Mai to nachunga... :vhappy1::party1::love3::dance2::bounce::claps::doodh::dancing2::ecs::dost::giveme::hug::five::party2::party::happyjump::woohoo::vhappy::yay:

Kya karte ho nain bhai, bagal vali aunty gate khatkhtane lagi thi ki kya ho ho gya to itna sitiya bja rha raat me, vo to Aapki bhabhi ne andar hi na aane diya unhe, boli subah baat karna...

Aise update 10 bje ke Pahle diya kro na bhau, khul kr haste bhi na banta...

Ye 8 sikariyo ne Nishant or uske guru bhrata ko futball bna kr khela pr usme bhi Nishant ne apne samvado se hame interten kiya Vahi hame arya ke 2 or nye shakti pradarsan dekhne mile, ek to vo Jisme Usne apni avaj ki powerful energy ko convert karke bavandaro se bcha vahi dusra vah Jiska gyan ruhi ki MA ko hua tha, jado ke resho ki madad se arya ne na sirf khud ko bchaya Balki apne pack ki bhi Raksha ki...

Mind blowing jabarjast superb amazing update bhai marvelous bhai
Hahahaha... Achha thik hai point well taken... Koshis rahegi update 10 se 10.30 baje raat ke bich aaye... Baki aapka utsah dekhte banta hai... Bagal wali aunty ko update ka pdf bhej diya kijiye... Shayad wo bhi aapki Khushi me samil ho jaye...
 

nain11ster

Prime
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Nishant lekr aaya arya ke liye anant Kirti pustak, Vaise in 3rd line vale in sikari prahariyo ka raaj Nishant ke guru ji khol hi denge ki vo aise kyo hai or kya hai...

Nitya sayad swami ke liye kaam karti ho ya kah sakte hai bhumi logo ke liye chhod di hai use sath me ye swami to ghat lgaye hi baitha rah gya, na arya mila na anant Kirti book. Arya ko un 2 prahariyo ke dimag me aisa kya mila ki vo unhe ghurne lga tha, kahi use or kya sajish Chal rhi hai yah to pta nhi chal gya...

Superb update bhai sandar jabarjast lajvab amazing mind blowing bhai with awesome writing skills
Swami ka chepter chhap diya hai... Sath me nitya kiske sath hai aur aage ki roop rekha kaisi hogi uska vistrit vivran aaj hi milega.... Aaj to thread aapke upastithi se jagmag karne chahiye... Waise aapka sandesh mila tha aur main apna kaam kar chuka hun...
 

nain11ster

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Aap manoge nhi lekin me jab bhavnr padh raha tha tab aur fir jab reload padh raha tha us time ye jo ek hi character ko lekr bolna to me yahi soch raha tha ki nainu bhaiya kitna calm hai kitna patience hai kitna ache se reply de dete hai fir comment kesa bhi ho koi react nhi kar rahe aur abhi bhi jab fan bhai ke comment dekhe tab bhi dimaag me yahi aya but is baar mene socha tha ki mauka milega to bolunga jarur kyu ki unnessesary me kisi se nhi bolta aur mene us time isiliye nhi bola tha ki meko laga naina ji sayad majak kar rahi ho aur fan bhai saath de rahe hai kyu ki naina ji ki adat thi unko jo character pasand aa jaye fir dekho aur jo character nhi bhaya bus fir .........lekin fir jyada hone laga tha....aur mene akhiri akhiri me wo story padhna chodh di thi to me bol bhi nhi paya ......mere CAT ke exam ke karan aur abhi jab yaha padhna start kara aur fir wohi comment dekhe to fir fan bhai se baat karna ka mauka mila to mene bhi ek koshish jo ki aapne bhi padha hoga mene bhi unhe yahi kaha tha ki aap ek hi ciz ko man me rakh kr aur fir har story ko padhna wohi ciz dimaag me rakh kr acha nhi hai ......

Wese finally kum se kum aap is topic par bole to .... ab sort out ho jayega ..... hope so
Koi nahi..... Moh me to wo bhi phase the... Kirdar ka moh..... Aur jab log emotionally attach hote hain fir unhe uss kahani par kuch kahna achha nahi lagta... Fir bhi kabhi kabhi main reply me kah hi deta tha... Wo kya hai na mere reader dhit hote hain... Wo mujhe kuch kahe ya main unhe kuch kahun lekin rahenge ek jagah hi aur jhagrenge ussi jagah par... Iska jayka hi apna hai 🤗🤗🤗🤗🤗
 
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