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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
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nain11ster

Prime
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Apsyu hai hi nich aur galich...ye baat Naina madam se lekar har chhote bade reader jante hi hai Bhai...koi kuchh bhi kah le, kuchh bhi excuse de de ...lekin reload me Jo hua wo galat tha...
Asanskari post... :sigh: ...

Nischal aur Apasyu dono meri hi rachna hai.... Aur main nahi chahta ki aapki vajah se Apasyu ko jo log like karte hain wo aahat ho.... Jaise Nischal ke liye aap aahat ho jate hain...

Aapke shabdon ke chunav aur bhasha dono hi kafi rough hai aur Apayu ko like karne wale jawab nahi dete iska ye arth nahi ki unki bhavna aahat na ho....

Isliye control uday control
 

Anubhavp14

न कंचित् शाश्वतम्
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update 47
उनमें ना केवल पलक थी बल्कि कुछ लोगों को छोड़कर सभी एक जैसे थे। आर्यमणि आश्चर्य से उन सभी के चेहरे देख रहा था तभी पीछे से पलक ने उसके कंधे पर हाथ रखी। काले और लाल धारियों वाली ड्रेस जो उसके बदन से बिल्कुल चिपकी हुई थी, ओपन शोल्डर और चेहरे का लगा मेकअप, आर्यमणि देखते ही अपना छाती पकड़ लिया… "क्या हुआ आर्य"..


आर्यमणि:- श्वांस लेने में थोड़ी तकलीफ हो रही है, यहां से चलो।
Ye sab sochte ho ya experience hai apka Nainu bhaiya......... lagta hai nainu bhaiya flirting me expert hai ..... :what2:

दोनो वहां से वापस हॉल में चले आये। पलक आर्यमणि के कंधे पर अपने दोनो हाथ टिकाकर, चुपके से उसके गाल पर किस्स करती… "तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया आर्य। लेकिन ऐसा लगता है जैसे मैंने तुम्हारी वाह-वाही अपने नाम करवा ली है।"


आर्यमणि:- तुम भी तो मै ही हूं ना। तुम खुश तो मै खुश।


पलक, आर्यमणि के गाल खींचती… "लेकिन तुम तो यहां खुश नजर नहीं आ रहे आर्य। बात क्या है, किसी ने कुछ कह दिया क्या?"


आर्यमणि, पलक के ओर देखकर मुस्कुराते हुए… "चलो बैठकर कुछ बातें करते है।"


पलक:- हां अब बताओ।


आर्यमणि:- तुम्हे नहीं लगता कि मेरे मौसा जी थोड़े अजीब है। और साथ ने तुम्हारे पापा भी.. सॉरी दिल पर मत लेना..


यह सुनते पलक के चेहरे का रंग थोड़ा उड़ा… "आर्य, खुलकर कहो ना क्या कहना चाहते हो।"..


आर्यमणि:- मैंने भारतीय इतिहास की खाक छान मारी। आज से 400 वर्ष पूर्व युद्ध के लिये केवल 12 तरह के हथियार इस्तमाल होते थे। अनंत कीर्ति के पुस्तक को खोलने के लिए जो शर्तें बताई गई है वो एक भ्रम है। और मै जान गया हूं उसे कैसे खोलना है। या यूं समझो की मै वो पुस्तक सभी लोगो के लिये खोल सकता हूं।


पलक, उत्सुकता से… "कैसे?"


आर्यमणि:- तुम मांसहारी हो ना। ना तो तुम्हे विधि बताई जा सकती है ना अनुष्ठान का कोई काम करवाया जा सकता है। बस यूं समझ लो कि वो एक शुद्ध पुस्तक है, जिसे शुद्ध मंत्र के द्वारा बंद किया गया है। 7 से 11 दिन के बीच छोटे से अनुष्ठान से वो पुस्तक बड़े आराम से खुल जायेगी। पुस्तक पूर्णिमा की रात को ही खुलेगी और तब जाकर लोग उस कमरे में जाएंगे, पुस्तक को नमन करके अपनी पढ़ाई शुरू कर देंगे।


पलक:- और यदि नहीं खुली तो..


आर्यमणि:- दुनिया ये सवाल करे तो समझ में आता है, तुम्हारा ऐसा सवाल करना दर्द दे जाता है। खैर, मुझे कोई दिलचस्पी नहीं उस पुस्तक में। मै बस सही जरिया के बारे में जब सोचा और मौसा जी का चेहरा सामने आया तो हंसी आ गयि। हंसी आयि मुझे इस बात पर की जिस युग में युद्ध के बड़ी मुश्किल से 12 हथियार मिलते हो, वहां 25 अलग-अलग तरह के हथियार बंद लोग। फनी है ना।


पलक, आर्यमणि के गाल को चूमती…. "तुम तो यहां मेरे प्राउड हो। सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन जब हम अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे तब इन लोगो को एक बार और हम पर प्राउड फील होगा।"


आर्यमणि, हैरानी से उसका चेहरा देखते हुए… "पर ऐसा होगा ही क्यों? मौसा जी से कल मै इस विषय में बात करूंगा और किसी सुध् साकहारी के हाथो पूरे अनुष्ठान की विधि को बता दूंगा। वो जाने और उनका काम।"… कहते हुए आर्यमणि ने पलक को बाहों में भर लिया..


पलक अपनी केवाहनी आर्यमणि के पेट में मारती… "लोग है आर्य, क्या कर रहे हो।"


आर्यमणि:- अपनी रानी के साथ रोमांस कर रहा हूं।


पलक:- कुछ बातें 2 लोगों के बीच ही हो तो ही अच्छी लगती है। वैसे भी इस वक़्त तुम्हारी रानी को इंतजार है तुम्हारे एक नए कीर्तिमान की। यूं समझो मेरे जीवन की ख्वाहिश। बचपन से उस पुस्तक के बारे में सुनती आयी हूं, एक अरमान तो दिल में है ही वो पुस्तक मैं खोलूं, इसलिए तो 25 तरह के हथियारबंद लोगो से लड़ने की कोशिश करती हूं।


आर्यमणि:- ये शर्त पूरी करना आसान है। बुलेट प्रूफ जैकेट लो और उसके ऊपर स्टील मेश फेंसिंग करवाओ सर पर भी वैसा ही नाईट वाला हेलमेट डालो। बड़ी सी भाला लेकर जय प्रहरी बोलते हुए घुस जाओ…


पलक:- कुछ तुम्हारे ही दिमाग वाले थे, उन्होंने तो एक स्टेप आगे का सोच लिया था और रोबो सूट पहन कर आये थे। काका हंसते हुए उसे ले गये पुस्तक के पास और सब के सब नाकाम रहे। क्या चाहते हो, इतनी मेहनत के बाद मै भी नाकामयाब रहूं।


आर्यमणि:- विश्वास होना चाहिए, कामयाबी खुद व खुद मिलेगी।


पलक:- विश्वास तो है मेरे किंग। पर किंग अपनी क्वीन की नहीं सुन रहे।


आर्यमणि:- हम्मम ! एक राजा जब अपने रानी के विश्वास भरी फरियाद नहीं सुन सकता तो वो प्रजा की क्या सुनेगा.. बताओ।


पलक:- सब लोग यहां है, चलो उस पुस्तक को चुरा लेंगे, और फिर 7 दिन बाद सबको सरप्राइज देंगे।


आर्यमणि:- इस से अच्छा मैं मांग ना लूं।


पलक:- काका नहीं देंगे।


आर्यमणि:- हां तो मैं नहीं लूंगा।


पलक:- तुम्हारी रानी नाराज हो जायेगी।


आर्यमणि:- रानी को अपने काबू में रखना और उसकी नजायज मांग पर उसे एक थप्पड़ लगाना एक बुद्धिमान राजा का काम होता है।


आर्यमणि अपनी बात कहते हुए धीमे से पलक को एक थप्पड़ मार दिया। कम तो आर्यमणि भी नहीं था। जब सुकेश भारद्वाज की नजर उनके ओर थी तभी वो थप्पड़ मारा। सुकेश भारद्वाज दोनो को काफी देर से देख भी रहा था, थप्पड़ परते ही वो आर्यमणि के पास पहुंचा…. "ये क्या है, तुम दोनो यहां बैठकर झगड़ा कर रहे।"..


पलक, अपने आंख से 2 बूंद आशु टपकाती…. "काका जिस काम से 10 लोगों का भला हो वो काम के लिए प्रेरित करना क्या नाजायज काम है।"..


सुकेश:- बिल्कुल नहीं, क्यों आर्य पलक के कौन से काम के लिए तुम ना कह रहे हो।


"मौसा वो"… तभी पलक उसके मुंह पर हाथ रखती… "काका इस से कहो कि मेरा काम कर दे। मेरी तो नहीं सुना, कहीं आपकी सुन ले।"..


सुकेश:- शायद मै अपनी एक ख्वाहिश के लिए आर्य से जिद नहीं कर सका, इसलिए तुम्हारे काम के लिए भी नहीं कह पाऊंगा। लेकिन, भूमि को तो यहां भेज ही सकता हूं।


आर्यमणि, अपने मुंह पर से पलक का हाथ हटाकर, अपने दोनो हाथ जोड़ते झुक गया… "किसी को भी मत बुलाओ मौसा जी, मै कर दूंगा चिंता ना करो। और हां आपने अपनी ख्वाहिश ना बता कर मुझे हर्ट किया है। मै कोई गैर नहीं था, आप मुझसे कह सकते थे, वो भी हक से और ऑर्डर देकर। चलो पलक"..


पलक के साथ वो बाहर आ गया। पलक उसके कंधे और हाथ रखती…. "इतना नहीं सोचते जिंदगी में थोड़ा स्पेस देना सीखो, ताकि लोगों को समझ सको। अभी तुम्हारा मूड ठीक नहीं है, किताब के बारे में फिर कभी देखते है।"


आर्यमणि:- लोग अगर धैर्य के साथ काम लेते, तब वो पुस्तक कब का खुल चुकी होती। मेरी रानी, 7 दिन के अनुष्ठान के लिए तैयारी भी करनी होती है। 2 महीने बाद गुरु पूर्णिमा है। क्या समझी..


पलक:- लेकिन आर्य, उस दिन तो राजदीप दादा और नम्रता दीदी की शादी है...


आर्यमणि:- हां लेकिन वह शुभ दिन है। पुस्तक खोलने के लिए देर रात का एक शानदार मुहरत मे पुस्तक खोलने की कोशिश करूंगा।


पलक:- 7 दिन बाद भी तो पूर्णिमा है..


आर्यमणि:- रानी को फिर भी 2 महीने इंतजार करना होगा। चलो अन्दर चलते है और हां एक बात और..


पलक:- क्या आर्य...


आर्यमणि:- लव यू माय क्वीन...


पलक:- लव यू टू माय किंग...


आर्यमणि, पलक के होंठ का एक छोटा सा स्पर्श लेते… "चलो चला जाए।
aarya aur palak ki conversation bhot artificial lagi idk kyu like palak apne aim ke liye aarya ke saath uske kareeb hai aur uska aarya ko king king karna bhot hi ajeeb lag raha hai.... khair anant kirti ki book ke karan filhal aarya ko 2 month mil gaye hai apni team ko aur strong karne aur apne aap ko time dene jesa ki sanyashi ji keh rahe the sayad is bich usko uske kuch sawalo ke jawab mil gaye ho ya fir usne raasta dhund liya ho kaise paana hai
lekin ek baat smjh nhi aayi aarya jab sukesh se anant kirti ki pushtak lene ki baat kr raha hai to palak ko kkya dikkt jaa rahi hai aur baar baar uska hum hum karna....kahi Ujjwal Sukesh ko dhoka to nhi dena cha rha wese iske asaar to kum lag rahe hai lekin ek baat aur Sukesh ki najar palak aur aarya pr thi to kya Sardar khan ke khoon se inke pass bhi sunne ki power aa gyi hai ya feeling padhne ki ?

मुंबई प्रहरी समूह का नया चेहरा स्वामी भी गुप्त रूप से जांच करने नागपुर पहुंच चुका था। दरअसल वो यहां कुछ पता करने नहीं आया था, बल्कि अपने और भूमि के बीच के रिश्ते को नया रूप देने आया था, ताकि आगे की राह आसान हो जाए।


इसी संदर्व मे जब वो भूमि से मिला और आर्यमणि के महत्वकांछी प्रोजेक्ट, "आर्म्स डेवलपमेंट यूनिट" के बारे में सुना, उसने तुरंत प्रहरी की मीटिंग में उसे "प्रहरी समुदाय महत्वकांछी प्रोजेक्ट" का नाम दिया, जिसे एक गैर प्रहरी, आर्यमणि अपनी देख रेख मे चलाता और उसके साथ प्रहरी की उसमे भागीदारी रहती। पैसों कि तो इस समुदाय के पास कोई कमी थी नहीं। आर्यमणि ने जो छोटा प्रारूप के मॉडल को इन सबके सामने पेश किया। उस छोटे प्रारूप को कई गुना ज्यादा बढ़ाकर एक पूरे क्षमता वाले प्रोजेक्ट के रूप में गवर्नमेंट के पास एप्रोवल के लिए भेज दिया गया था।


शायद एप्रोवाल मे वक्त लगता, लेकिन गवर्नमेंट को सेक्योरिटीज अमाउंट दिखाने के लिए आर्यमणि के पास कई बिलियन व्हाइट मनी उसके कंपनी अकाउंट में जमा हो चुके थे। देवगिरी भाऊ अलग से अपनी कुल संपत्ति का 40% हिस्सा आर्यमणि को देने का एनाउंस कर चुके थे।


हालांकि इस घोसना के बाद मुंबई की लॉबी में एक बार और फुट पड़ने लगी थी। लेकिन अमृत पाठक सबको धैर्य बनाए रखने और धीरेन पर विश्वास करने की सलाह दिया। उसने सबको केवल इतना ही समझाते हुए अपना पक्ष रखा.… "स्वामी, प्रहरी के मुख्यालय, नागपुर में है। इतना घन कुछ भी नहीं यदि वो प्रहरी भारद्वाज को पूरे समुदाय से साफ कर दे। एक बार वो लोग चले गये फिर हम सोच भी नहीं सकते उस से कहीं ज्यादा पैसा हमारे पास होगा"…
baat abhi bhi idhr thodi sochne wali hai ki bhoomi jab itne prahari ke aur apne baap sukesh bhardwajh ke itne gehre raaj jaan gyi to dhiren swami ke mansube kese nhi samjh paayi ya fir aarya ki trha Aeda ban ke peda kha rhi hai khair ye to aage pata chalega lekin dhiren ko lekr to meko bhi laga tha abhi wo nagpur sirf bhoomi se fir najdiki badhane aayega aarya ke karan khair dekhna hai ki aarya aur dhiren ki mulaqat kese hogi aur kya hota hai unki mulaqat ke bad

लेकिन इन सब को दरकिनार कर भूमि और आर्यमणि दोनो जितना वक्त मिलता उतने मे एक दूसरे के करीब रहते। आर्यमणि भूमि के पेट की चूमकर, मुस्कुराते हुए अक्सर कहता... "हीरो तेरे जन्म के वक्त मै नहीं रहूंगा लेकिन तू जब आये तो मेरी भूमि दीदी को फिर मेरी याद ना आये"…


भूमि लेटी हुई बस आर्यमणि की प्यारी बातों को सुन रही होती और उसके सर पर हाथ फेर रही होती। कई बार आर्यमणि कई तरह की कथाएं कहता, जिसे भूमि भी बड़े इत्मीनान से सुना करती थी। कब दोनो को सुकून भरी नींद आ जाती, पता ही नहीं चलता था।
sahi me kuch jagah nainu bhaiya dil hi jeet lete hai bhot hi cute aur emotional moment dikhaya...... wese isse pehle ek emotional moment kuch nhi tere bin me tha jab aakash amy ke baare me batata hai drish ko ......
आर्यमणि कॉलेज जाना छोड़ चुका था और सुबह से लेकर कॉलेज के वक्त तक अपने पैक के साथ होता। उन्हे प्रशिक्षित करता। अलग ही लगाव था, जिसे आर्यमणि उनसे कभी जता तो नहीं पता लेकिन दिल जलता, जब उसे यह ख्याल आता की शिकारी कितनी बेरहमी से एक वूल्फ पैक को आधा खत्म करते और आधा को सरदार खान के किले में भटकने छोड़ देते।


उसे ऐसा मेहसूस होता मानो किसी परिवार को मारकर उसके कुछ लोग को रोज मरने के लिए किसी कसाई की गली छोड़ आये हो। रूही और अलबेली मे आर्यमणि के गुजरे वक्त की कड़वी यादें दिखने लगती। हां लेकिन उन कड़वी यादों पर मरहम लगाने के लिए चित्रा, निशांत और माधव थे। उनके बीच पलक भी होती थी और कुछ तो लगाव आर्यमणि का पलक के साथ भी था।
Aarya ki apni tabiyaari chal rahi hai aur aage lagta hai jab bhi fight hogi is baar intense hogi aur wo apna gussa puri tarha se nikalega .....
dosto ka saath ho insaan apne bure se bure waqt me bhi hasna seekh lete hai
Aarya aur palak ko jodi to confirm hai bus dekhna hai story mod kaha se leti hai aur kese
 

nain11ster

Prime
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:approve: shukar hai Aashram waale kaand ke baad kuchh ulta – seedha na hua,warna Nichal ke gam mein humen bhi rona padta...
Nischal ka gam kaise ho jate... Hakikat ye bhi thi ki Jivisha ko apne puchhe ka poora itihaas aur gyan ke source ka pata hi nahi tha... Jise connect karna kafi jaroori bhi tha... Khair... "The Glaxian" apne udan bharne ko taiyar hai... Isse ishq–risk aur Bhanvar ka combined third season kah sahte hain... Jahan 2 parellel kahani ek sath hogi... Without any connection except communication...

Ab soch to Raha hun isi policy par plotting karun dekhiye kya result aata hai...
 

Vk248517

I love Fantasy and Sci-fiction story.
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भाग:–49






पलक पीछला दरवाजा खोली और आर्यमणि कमरे के अंदर। आते ही वो बिस्तर पर बैठ गया। … "अब ऐसे तो नहीं करो। पार्टी में बहुत थकी गयि थी, आंख लग गयि। आये हो तो कम से कम बात तो करो।"..


आर्यमणि:- कल किसी अच्छे पंडित के पास पहुंचना है, ये तो याद रहेगा ना।


पलक:- भैया और दीदी को बुरा नहीं लगेगा, हम उनसे पहले शादी करेंगे तो।


आर्यमणि:- वेरी फनी….


पलक अपने कदम आगे बढ़ाकर आर्यमणि के ऊपर आयी और नाक से नाक फीराते हुए… "आर्य रूठता भी है, मै आज पहली बार देख रही हूं।"..


आर्यमणि, पलक को बिस्तर पर पलट कर उसके ऊपर आते… "पलक किसी को मानती भी है, पहली बार देख रहा हूं"


पलक, आर्यमणि के गर्दन में हाथ डालकर उसके होंठ अपने होंठ तक लाती…. "बहुत कुछ पलक पहली बार करेगी, क्योंकि उसे आर्य के लिए करना अच्छा लगता है।"..


दोनो की नजरें एक दूसरे से मिल रही थी। दोनो एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए और होंठ से होंठ लगाकर एक दूसरे के होंठ चूमने लगे। आर्यमणि होंठ को चुमते हुये अपने धड़कन काउंट को पूरा काबू में करना सीख चुका था। कामुकता तो हावी होती थी लेकिन अब शेप शिफ्ट नहीं होता था।


दोनो एक दूसरे को बेतहाशा चूमते जा रहे थे और बदन पर दोनो के हाथ जैसे रेंग रहे हो। …. "आर्य, यहीं रुक जाते है। आगे मुझसे कंट्रोल नहीं होगा।".. पलक अपने कामुकता पर किसी तरह काबू पाती हुई कहने लगी। आर्यमणि अपने हाथ उसके अर्द्ध विकसित कड़क सुडौल स्तन पर ले जाकर धीमे से दबाते हुये… "तो कंट्रोल करने कौन कह रहा है।"… "आहह्ह्ह्ह" की हल्की पीड़ा और मादक में लिप्त सिसकी पलक के मुंह से निकल गयि। पलक, आर्यमणि है के बाल को अपने हाथो से भींचती आखें बंद कर ली।


आर्यमणि, पलक के गाउन को धीरे से कंधों के नीचे खिसकाने लगा। पलक झिझक में अपने हाथ कांधे पर रखती… "आर्य, अजीब लग रहा है, प्लीज लाइट आफ करने दो।".. आर्यमणि, पलक के ऊपर से हट गया। वह लाइट बंद करके वापस बिस्तर पर आकर लेट गयि। आगे का सोचकर उसकी दिल की धड़कने काफी तेज बढ़ी हुयि थी। बढ़ी धड़कनों के साथ ऊपर नीचे होती छाती को आर्यमणि अपनी आखों से साफ देख सकता था। काफी मादक लग रहा था।


आर्यमणि ने पलक की उल्टा लिटा दिया और पीछे से चैन को खोलकर नीचे सरकते हुए, उसके पीठ पर किस्स करने लगा। पलक दबी सी आवाज में हर छोड़ती और खींचती श्वांस में पूर्ण मादकता से "ईशशशशशशशशश… आह्हहहहहहहहहहहहहह… कर रही थी। उसका पूरा बदन जैसे कांप रहा हो और मादक सिहरन नश-नश में दौड़ रही थी। पहली बार अपने बदन पर मर्दाना स्पर्श उसके मादकता को धधकती आग की तरह भड़का रही थी। पलक झिझक और मस्ती के बीच ऐसी फसी थी कि कब उसके शरीर से गाउन नीचे गया उसे पता नहीं चला। ब्रा के स्ट्रिप खुल चुके थे और पीठ पर गीला–गिला एहसास ने मादक भ्रम से थोड़ा जागृत किया, तब पता चला कि गाउन शरीर से उतर चुका है और ब्रा के स्ट्रिप दोनो ओर से खुले हुये है।


आर्यमणि उसके कमर के दोनों ओर पाऊं किये, अपने जीभ पलक के पीठ पर चलाते हुये, अपने हाथ नीचे ले गया और पलक को थोड़ा सा ऊपर उठा कर, उसके ब्रा को निकालने की कोशिश करने लगा। पलक भी लगभग अपना संयम खो चुकी थी। वो छाती से ब्रा को निकलते हुये देख रही थी और अपनी योनि में चींटियों के रेंगने जैसा मेहसूस कर रही थी। जिसकी गवाह पीछे से हिल रहे उसके कमर और धीमे से थिरकते उसके चूतड़ दे रहे थे। उत्तेजना पलक पर पूरी तरह से हावी होने लगी थी। वो अपने पाऊं लगातार बिस्तर से घिस रही थी। मुठ्ठी में चादर को भींचती और मुठ्ठी खोल देती...


आर्यमणि ब्रा को निकालकर अपने दोनो हाथ नीचे ले गया और उसके स्तन को अपने पूरे हथेली के बीच रखकर, निप्पल को अपने अंगूठे में फसाकर मसलने लगा। छोटे-छोटे ठोस स्तन को हाथ में लेने का अनुभव भी काफी रोमांचित था। आर्यमणि की धड़कने फिर से बेकाबू हो गयि। पलक के बदन का मादक स्पर्श अब उससे बर्दास्त नहीं हो रहा था। वो अपने जीभ को उसके कान के पास फिरते गीला करते चला गया।


पलक हाथ का दबाव अपने स्तन पर मेहसूस करती अपना पूरा मुंह खोलकर फेफड़े में श्वांस को भरने लगी। आर्यमणि अपने दोनो हाथ से स्तनों पर थोड़ा और दवाब बनाया.. "आहहहहहह… ईईईईई, आउच.. थोड़ा धीमे.. आर्य, दूखता है... उफ्फफफफ, आर्य प्लीज.. मर गई... ओहहहहहहहह… आह्हहहहहह"


एसी 16⁰ डिग्री पर थी और दोनो का बदन पसीने में चमक रहा था। पलक अपना मुंह तकिये के नीचे दबाकर अपनी दर्द भरी उत्तेजक आवाज को दबा रही थी, लेकिन आर्यमणि, पलक के स्तन को मसलना धीमे नहीं किया। आर्यमणि पूर्ण उत्तेजना मे था। वो स्तनों को लगातार मसलते हुये, अपना जीभ पलक के चेहरे से लेकर, पीठ पर लगातार चला रहा था।


पूर्ण काम उत्तेजना ऐसी थी कि आर्यमणि थोड़ा ऊपर होकर तेजी से अपना लोअर और टी-शर्ट उतार कर पुरा नंगा हो चुका था। पूर्ण खड़ा लिंग उसके उत्तेजना की गवाही दे रहा था। इस बीच आर्य की कोई हरकत ना पाकर, पलक अपनी उखड़ी श्वांस और उत्तेजना को काबू करने लगी। परंतु कुछ पल का ही विराम मिला उसके बाद तो दिल की धड़कने पहले से ज्यादा बेकाबू हो गया। बदन सिहर गया और रौंगटे खड़े हो गये। झिझक के कारण स्वतः ही हाथ कमर के दोनों किनारे पर चले गये और पैंटी को कमर के नीचे जाने से रोकने की नाकाम कोशिश होने लगी। तेज श्वांस की रफ्तार और अचानक उत्पन्न हुई आने वाले पल को सोचकर बदन की उत्तेजना ने पलक को वो ताकत ही नहीं दी की पलक पेंटी को नीचे जाने से थोड़ा भी रोक पाती। बस किसी तरह से होंठ से इतना ही निकला, "मेरा पहली बार है।"…


पलक अपने दोनो पाऊं के बीच सबकुछ छिपा तो सकती थी लेकिन उल्टे लेटे के कारन सबकुछ जैसे आर्य के पाले में था और पलक बस बढ़ी धड़कनों के साथ मज़ा और झिझक के बीच सब कुछ होता मेहसूस कर रही थी। तेज मादक श्वांस की आवाज दोनो सुन सकते थे। लेकिन दिमाग की उत्तेजना कुछ सुनने और समझें दे तो ना। आर्यमणि अपने हाथ दरारो के बीच जैसे ही डाला उसका लिंग अपने आप हल्का–हल्का वाइब्रेशन मोड पर चला गया। आर्यमणि भी थोड़ा सा सिहर गया। वहीं पलक का ये पहला अनुभव जान ले रहा था। हाथ चूतड़ के बीच दरार से होते हुए जैसे ही योनि के शुरवात के कुछ नीचे गये, "ईशशशशशशशशश..… उफ्फफफफफ… आह्हहह..… आर्ययययययययय"… की तेज सिसकारी काफी रोकने के बाद भी पलक के मुंह से निकलने लगी। वह पूरी तरह से छटपटाने लगी। बदहवास श्वांसे और कामों–उत्तेजना की गर्मी अब तो योनि के अंदर कुछ जलजला की ही मांग कर रही थी जो योनि के तूफान को शांत कर दे।


तकिये के नीचे से दबी मादक सिसकारी लगातार निकल रही थी। चूतड़ बिल्कुल टाईट हो गये, पाऊं अकड़ गये और तीन–चार बार कमर हिलने के बाद पलक पहली बार पूर्ण चरमोत्कर्ष के बहाव को योनि से निकालकर बिल्कुल ढीली पड़ गयि। पलक गहरी श्वांस अपने अंदर खींच रही थी। कुछ बोल पाये, इतनी हिम्मत नहीं थी। बस उल्टी लेटी आर्यमणि का हाथ अपने योनि पर मेहसूस कर रही थी। उसकी उंगली योनि के लिप को कुरेदते हुये अंदर एक इंच तक घुसा था। आर्यमणि जब अपनी उंगली ऊपर नीचे करता, पलक सीने में गुदगुदा एहसास होता और पूरा बदन मचल रहा होता।


इसी बीच आर्य एक बार फिर उपर आया इस बार जैसे ही अपने होंठ पलक के होंठ से मिलाया पलक मस्ती में अपना पूरा जीभ, आर्य के मुंह के अंदर डालकर चूसने लगी। दोनो एक दूसरे के होंठ को चूमते जा रहे थे। आर्य वापस से स्तन को दबोचकर कभी पलक के मुंह से दर्द भरी आवाज निकालने पर मजबूर कर रहा था, तो कभी उसे चैन कि स्वांस देता। लेकिन हर आवाज़ किस्स के अंदर ही दम तोड़ रही थी।


आर्य चूमना बंद करके साइड से एक तकिया उठा लिया। पलक के पाऊं को खींचकर बिस्तर के किनारे तक लाया। कमर बिस्तर के किनारे पर था और पाऊं नीचे जमीन पर और कमर के ऊपर का हिस्सा बिस्तर पर पेट के बल लेटा। आर्य ने पलक के कमर के नीचे तकिया लगाया। उसके पाऊं के बीच में आकर अपने लिंग को योनि की दीवार पर धीरे-धीरे घिसने लगा। योनि से लिंग का स्पर्श होते ही फिर से दोनो के शरीर में उत्तेजना की तरंगे लहर उठी। पलक अपने कमर हल्का–हल्का इधर-उधर हिलाने लगी। आर्य पूर्ण जोश में था और लिंग को योनि में धीरे-धीरे डालने लगा। संकड़ी योनि धीरे-धीरे सुपाड़े के साइज में फैलने लगी। पलक की पूरी श्वांस अटक गई। दिमाग बिल्कुल सुन्न था और मादकता के बीच हल्का दर्द का अनुभव होने लगा।


धीरे-धीरे लिंग योनि के अंदर दस्तक देने लगा। पलक की मदाक आहहह हल्की दर्द की सिसकियां में बदलने लगी… पलक अपने कमर तक हाथ लाकर थपथपाने लगी और किसी तरह दर्द बर्दाश्त किये, आर्य को रुकने का इशारा करने लगी। पलक का हाथ कमर से ही टिका रहा। आर्य रुककर आगे झुका और उसके स्तन को अपने दोनो हाथ से थामकर उसके होंठ से अपने होंठ लगाकर चूमते हुये एक जोरदार धक्का मरा। योनि को किसी ने चिर दिया हो जैसे, पूरा लिंग वैसे ही योनि को चीरते हुये अंदर समा गया।


मुंह की दर्द भरी चींख चुम्बन के नीचे घुट गयि। दर्द से आंखों में आंसू छलक आये। पलक बिन जल मछली की तरह फरफरा गयि। दर्द ना काबिले बर्दास्त था और आवाज़ किस्स में ही अटकि रही। पलक गहरी श्वांस लेती अपने हाथ अपने कमर के इर्द गिर्द चलाती रही लेकिन कोई फायदा नहीं। आर्य अपना लिंग योनि में डाले पलक के होंठ लगातार चूम रहा था और उसके स्तन को अपने हाथो के बीच लिए निप्पल को धीरे-धीरे रगड़ रहा था।


आहिस्ते–आहिस्ते पलक की दर्द और बेचैनी भी शांत होने लगी। योनि के अंदर किसी गरम रॉड की तरह बिल्कुल टाईट फसे लिंग का एहसास उसे जलाने लगा। और धीरे-धीरे उसने खुद को ढीला छोड़ दी। पहले से कई गुना ज्यादा मादक एहसास मेहसूस करते अब दोनो ही पागल हुये जा रहे थे। पलक का कमर फिर से मचलने लगा और आर्य भी होंठ चूमना बंद करके अपने हाथ पलक की छाती से हटाया और दोनो हाथ चूतड़ पर डालकर सीधा खड़ा हुआ। दोनो चूतड़ को पंजे में दबोचकर मसलते हुए धक्के देने लगा।


कसे योनि के अंदर हर धक्का पलक को हल्के दर्द के साथ अजीब सी मादकता दे जाती। तकिए के नीचे से बस... ईशशशशशश, उफ्फफफ, आह्हहहहहहह, ओहहहहहहहहह, आह्हहहह, उफफफफफ, ईशशशशशश... लंबी लंबी सिसकारियों कि आवाज़ आ रही थी।


लगतार तेज धक्कों से चूतड़ थिरक रही थी और दोनो के बदन में मस्ती का करंट दौड़ रहा था। इसी बीच दोनो तेज-तेज आवाज करते "आह आह" करने लगे। मन के अंदर मस्ती चरम पर थी। मज़ा फुट कर निकलने को बेताब था। एक बार फिर पलक का बदन अकड़ गया। इसी बीच आर्य में अपना लिंग पुरा बाहर निकाल लिया और हिलाते हुए अपना वीर्य पलक के चूतड़ पर गिराकर वहीं निढल लेट गया। पलक कुछ देर चरमोत्कर्ष को अनुभव करती वैसी ही लेती रही फिर उठकर बाथरूम में घुस गयि।


जल्दी से वो स्नान करके खुद को फ्रेश की। नीचे हल्का हलका दर्द का अनुभव हो रहा था और जब भी ध्यान योनि के दर्द पर जाता, दिल में गुदगुदी सी होने लगती। पलक तौलिया लपेट कर बाथरूम से बाहर निकली। लाइट जलाकर एक बार सोये हुये आर्य को देखी। बिल्कुल सफेद बदन और करवट लेते कमर के नीचे का हिस्सा देखकर ही पलक को कुछ-कुछ होने लगा। वो तेजी से अपने सारे कपड़े समेटी और भागकर बाथरूम में आ गयि।


पलक कपड़े भी पहन रही थी और दिमाग में आर्य के बदन की तस्वीर भी बन रही थी। पलक अपने ऊपर कपड़े डालकर वापस बिस्तर में आयी। अपने हाथ से उसके बदन को टटोलती हुई हाथ उसके चेहरे तक ले गयि। अपने पूरे पंजे उसके चेहरे पर फिराति, होंठ से होंठ को स्पर्श करके सो गई।


सुबह जब पलक की आंख खुली तब आर्यमणि बिस्तर में नहीं था और पीछे का दरवाजा खुला हुआ था। पलक मुस्कुराती हुई लंबी और मीठी अंगड़ाई ली और बिस्तर को देखने लगी। उठकर वो फ्रेश होने से पहले सभी कपड़ों के साथ बेडशीट भी धुलने के लिए मोड़कर रख दी। इधर पलक के जागने से कुछ ही समय पहले ही आर्यमणि भी जाग चुका था। वो पड़ोस का कैंपस कूदकर घर के अंदर ना जाकर सीधा दरवाजे पर गया, तभी निशांत के पिता राकेश उसे पीछे से आवाज देते… "चलो आज तुम्हारे साथ ही जॉगिंग करता हूं।"..


आर्यमणि:- चलिए..

राकेश:- सुना है आज कल काफी जलवे है तुम्हारे..

आर्यमणि, राकेश के ठीक सामने आते… "आप सीधा कहिए ना क्या कहना चाहते हैं?"..

राकेश:- तुम मुझसे हर वक्त चिढ़े क्यों रहते हो?

राजदीप:- मॉर्निंग मौसा जी, मॉर्निंग आर्य..

आर्यमणि:- मॉर्निंग भईया, पलक नहीं आती क्या जॉगिंग के लिये।

राजदीप:- वो रोज सुबह ट्रेनिंग के लिये जाती है। फिर लौटकर तैयार होकर कॉलेज। यदि सुबह उससे मिलना हो तो तुम भी चले जाया करो ट्रेनिंग करने।

राकेश:- आर्य तो ट्रेनिंग मास्टर है राजदीप, इसे भला ट्रेनिंग की क्या जरूरत।


आर्यमणि:- आप जाया कीजिए अंकल, मैं आईजी होता तो कबका अनफिट घोषित कर दिया होता। आज तक समझ में नहीं आया बिना एक भी केस सॉल्व किये परमोशन कैसे मिल जाती है।


राकेश:- कुछ लोगों के पिता तमाम उम्र एक ही पोस्ट पर रह जाते है इसलिए उन्हें दूसरों की तरक्की फर्जी लगती है।


आर्यमणि:- कुछ लोग सिविल सर्विस में रहकर अपना तोंद निकाल लेते है और पैसे खिला-खिला कर या पैरवी से तरक्की ले लेते है। विशेष सेवा का मेडल भी लगता है उनके लिए सपना ही होगा। जानते है भईया, मेरे पापा को 2 बार टॉप आईएएस का अवॉर्ड मिला। 3 बार विदेशी एंबेसी भी मिल रही थी, लेकिन पापा नहीं गये।


राकेश:- दूसरो के काम को अपने नाम करके ऐसा कारनामा कोई भी कर सकता है।


आर्यमणि:- उसके लिए भी अक्ल लगती है। कुर्सी पर बैठकर सोने और पेट बाहर निकाल लेने से कुछ नहीं होता।


राजदीप:- तुम दोनो बक्श दो मुझे। मासी (निशांत की मां निलजना) मुझे अक्सर ऐसे तीखी बहस के बारे में बताया करती थी, आज ये सब दिखाने का शुक्रिया.. मै चला, दोनो अपना सफर जारी रखो।


आर्यमणि:- ये क्या पलक है जो चेहरा देखकर दौड़ता रहूं। बाय अंकल और थोड़ा कंजूसी कम करके निशांत को भी मेरी तरह एक स्पोर्ट बाइक दिलवा दो।


राकेश:- तू मेरे घर मत आया कर। सुकून से था कुछ साल जब तू नहीं आया करता था।


आर्यमणि:- आऊंगा अब तो रोज आऊंगा। कम से कम एक हफ्ते तक तो जरूर।
Awesome updates🎉👍 bhai

Jo bolo aap mujhe lekin mai bolunga aaj ka update thoda chota lga.
 

nain11ster

Prime
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update 47

Ye sab sochte ho ya experience hai apka Nainu bhaiya......... lagta hai nainu bhaiya flirting me expert hai ..... :what2:


aarya aur palak ki conversation bhot artificial lagi idk kyu like palak apne aim ke liye aarya ke saath uske kareeb hai aur uska aarya ko king king karna bhot hi ajeeb lag raha hai.... khair anant kirti ki book ke karan filhal aarya ko 2 month mil gaye hai apni team ko aur strong karne aur apne aap ko time dene jesa ki sanyashi ji keh rahe the sayad is bich usko uske kuch sawalo ke jawab mil gaye ho ya fir usne raasta dhund liya ho kaise paana hai
lekin ek baat smjh nhi aayi aarya jab sukesh se anant kirti ki pushtak lene ki baat kr raha hai to palak ko kkya dikkt jaa rahi hai aur baar baar uska hum hum karna....kahi Ujjwal Sukesh ko dhoka to nhi dena cha rha wese iske asaar to kum lag rahe hai lekin ek baat aur Sukesh ki najar palak aur aarya pr thi to kya Sardar khan ke khoon se inke pass bhi sunne ki power aa gyi hai ya feeling padhne ki ?


baat abhi bhi idhr thodi sochne wali hai ki bhoomi jab itne prahari ke aur apne baap sukesh bhardwajh ke itne gehre raaj jaan gyi to dhiren swami ke mansube kese nhi samjh paayi ya fir aarya ki trha Aeda ban ke peda kha rhi hai khair ye to aage pata chalega lekin dhiren ko lekr to meko bhi laga tha abhi wo nagpur sirf bhoomi se fir najdiki badhane aayega aarya ke karan khair dekhna hai ki aarya aur dhiren ki mulaqat kese hogi aur kya hota hai unki mulaqat ke bad


sahi me kuch jagah nainu bhaiya dil hi jeet lete hai bhot hi cute aur emotional moment dikhaya...... wese isse pehle ek emotional moment kuch nhi tere bin me tha jab aakash amy ke baare me batata hai drish ko ......


Aarya ki apni tabiyaari chal rahi hai aur aage lagta hai jab bhi fight hogi is baar intense hogi aur wo apna gussa puri tarha se nikalega .....
dosto ka saath ho insaan apne bure se bure waqt me bhi hasna seekh lete hai
Aarya aur palak ko jodi to confirm hai bus dekhna hai story mod kaha se leti hai aur kese
Haan wo chaplusi convo tha hi... Samne se samajh me aata hai aur bilkul likha bhi usi mood se gaya hai jahan dono ko pata hai haan ye karenge hi fir bhi chalo anjaan bane rahte hai....

Nahi khun se sunne samjhne ki power kahan se aayegi... Khun se bus sharir me healing power lete hai.. khud ko hasin aur jawan banaye rakhne ki ninja technique:D...

Thode emotions ke sath fantasy chale to padhne me thoda connecting aa jata hai... Taki uss kirdar ko jab maro to emotions poora nikal kar aate hai (joking man :D)

Baki flirting kabhi sikhi nahi wo to bus natural hai ji... God gifted ... By the way hai nahi tha.. ab to gharelu aadmi hun...

Arya ki ab bhi koi taiyari nahi hai siway 1 ke... Aur wo bhi chalte update me pata chalega... Abhi 3-4 update dur hai.
 
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