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Abhimanyu Roy

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Hey Man! Pehle to badhai ki aapne is kahani ko continue kiya. Pages jaise badhte ja rahe hain is kahani ke usise pata lagta hai ki is kahani ki kitni diwangi hai readers ke beech. Koshish ek lekhak ne aur bhi ki thi ise continue karne ki lekin obviously kisi aur ki kahani ko continue karna aasan nahi. Aap ye kar rahe hain to badhai. Aasha hai ye kahani poori karen aap.

Bas ek sujhaav ya opinion maan lijiye, aapki is rachna me Abhay se waisi heroic vibes nahi milti dikh rahi hain jaisi ki original kahani me milti thi. Mera matlab koyi ladayi jhagde ya maar Peet se nahi balki is baat se ki Abhay ke haweli chhodne ke baad ki kahani ko kaise dikhaya gaya tha. Abhay khud se lauta tha apne gaon apne pita ka raaz pata karne. Thakur Manan Singh ki raaz ki baat jiska zikra Abhay ne apne dost se kiya tha original kahani mein.

Lekin yahaan jaise aapne Chandni ko introduce kiya, Sandhya ke munh bole bhai ki zubani. Us se laga ki Abhay ko khud bhi kuchh nahi pata balki Chandni hi sach janti hai. Aur usi ke kahe anusar Abhay yahaan gaon me lauta aur aage bhi sach uski madad se dhundega. Behtar hota ki agar Abhay khud hi apne pita ke dushmanon ko pehchanta aur dhundta. Kyunki uske pita ka sach jaan ne ke kaaran uska gaaon lautna hi original kahani ki reedh ki haddi tha.
 

Iron Man

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DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Hey Man! Pehle to badhai ki aapne is kahani ko continue kiya. Pages jaise badhte ja rahe hain is kahani ke usise pata lagta hai ki is kahani ki kitni diwangi hai readers ke beech. Koshish ek lekhak ne aur bhi ki thi ise continue karne ki lekin obviously kisi aur ki kahani ko continue karna aasan nahi. Aap ye kar rahe hain to badhai. Aasha hai ye kahani poori karen aap.

Bas ek sujhaav ya opinion maan lijiye, aapki is rachna me Abhay se waisi heroic vibes nahi milti dikh rahi hain jaisi ki original kahani me milti thi. Mera matlab koyi ladayi jhagde ya maar Peet se nahi balki is baat se ki Abhay ke haweli chhodne ke baad ki kahani ko kaise dikhaya gaya tha. Abhay khud se lauta tha apne gaon apne pita ka raaz pata karne. Thakur Manan Singh ki raaz ki baat jiska zikra Abhay ne apne dost se kiya tha original kahani mein.

Lekin yahaan jaise aapne Chandni ko introduce kiya, Sandhya ke munh bole bhai ki zubani. Us se laga ki Abhay ko khud bhi kuchh nahi pata balki Chandni hi sach janti hai. Aur usi ke kahe anusar Abhay yahaan gaon me lauta aur aage bhi sach uski madad se dhundega. Behtar hota ki agar Abhay khud hi apne pita ke dushmanon ko pehchanta aur dhundta. Kyunki uske pita ka sach jaan ne ke kaaran uska gaaon lautna hi original kahani ki reedh ki haddi tha.
Bhai abhi tk Hero ho ya Chandni dono ka such kisi ko nahi pata hai Abhay yaha khud aaya hai ya laya Gaya hai ye bat abhi tak clear nahi hue hai story me
.
Aapne jo bola wo sirf ek sambhavna hai
.
Chandni ki to Entry bhi nahi hue hai sirf name aaya hai abhi tk samne
.
Inke bare me detail inki entry ke bad samne aayga
.
Orignal story ki bat ki aapne usme Jo hua ya dikhaya gaya jaise aapne Abhay ke pita ke such ke bare me bola
.
Maine apani story me use directly means turant samne lana abhi jroori nahi smja hai suspense rakhi hai kai chejo ko
.
Aad bhai plz aapko agar or jada jankari Leni hai story se related to abhi ke leye UPDATE ke aane ka wait ker
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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UPDATE 14

संध्या का एसा रूप देख ललिता , मालती और रमन तीनों हिल के रह गए थे किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करे ललिता और मालती डिनर टेबल साफ करने में लग गए थे और रमन हवेली से बाहर निकल के किसी को फोन मिलाया....

रमन – मुनीम मैने तुझे इस लड़के का पता लगाने को बोला था अभी तक क्यों नही पता लग पाया तुझे

मुनीम – मालिक उस लड़के का पता नही चल पा रहा है कही से भी इसीलिए मैंने शहर से एक लड़के को बुलाया है जो उस लड़के की जानकारी निकाल सकता है

रमन – कॉन है वो कब करेगा काम

मुनीम – मालिक आप बगीचे वाले कमरे में आजाओ मैं उसे वही लेके आता हू

दोपहर का वक्त था अभय हॉस्टल के कमरे में आते ही उसे रमिया मिली...

रमिया – बाबू जी खाना तयार है आप हाथ मू धो लिजिए मैं खाना लगाती हू

अभय – कल की बात से नाराज हो अभी भी क्या

रमिया – नही बाबू जी ऐसी कोई बात नही है

अभय – अच्छा फिर क्या बात है

रमिया – बात तो पता नही बाबू जी लेकिन कल से देख रही हू हवेली में मालकिन ने कल रात को कुछ नही खाया और आज सुबह भी जाने किस बात पे रमन बाबू पे गुस्सा हो रही थी मालकिन

अभय – (हस्ते हुए) अच्छा ऐसा क्या हो गया जो तुम इतनी परेशान हो रही हो

रमिया –पता नही बाबू जी मैं 2 साल पहले आई हू यहा तभी से देख रही हू मालकिन को रोज रात को जब सब आराम से सो रहे होते है तब मालकिन अपने कमरे में कम अपने बेटे के कमरे में होती थी , कभी कभी तो उन्ही के कमरे में सो जाती थी

अभय – (रमिया की बात पे ध्यान ना देते हुए) तुझे यहां भेजा गाया है मेरे लिए , तब तक के लिए हवेली को भूल जा चल खाना खाते है भूख लगी है बहुत

इधर हवेली में जब हर कोई अपने कमरे में दिन में आराम कर रहा होता है तब संध्या हवेली के बाहर अपनी कार से निकल जाती है कही कार ड्राइव करते हुए किसी के घर के बाहर कार रोक के बाहर निकल के घर का दरवाजा खट खटाती है तभी एक औरत दरवाजा खोलती है उसे देख संध्या रोते हुए उसके गले लग जाती है.....

औरत – (रोना सुन के) क्या बात है संध्या तू ऐसे रो क्यों रही है

संध्या – मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है दीदी मैने आपकी बात ना मान के...

औरत – चुप पहले अंदर चल तू

अपने घर के अंदर लेजा के संध्या को बैठाती है की तभी किसी की आवाज आती है..

सत्या बाबू – कॉन आया है गीता

गीता देवी – खुद ही देख लो आके कॉन आया है

सत्या बाबू – (अपने सामने संध्या को देख के) ठकुराइन आज इतने सालो के बाद गरीब के घर में....

गीता देवी – (बीच में टोकते हुए) ठकुराइन नही मेरी छोटी बहन आई है घर में

सत्या बाबू – ठीक है तुम बात करो आराम से मैं खेत में जा रहा हू राज का खाना लेके शाम को त्यार रहना

गीता देवी – जी ठीक है (सत्या बाबू के जाने के बाद संध्या से बोली) अब बता क्या बात है क्यों रो रही है तू

संध्या – मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई दीदी उसी की सजा मिल रही है मुझे जिस जिस पर विश्वास किया उसी ने धोखा दिया

गीता देवी – संध्या तू सही से बता बात क्या है कैसे सजा , कॉन सी गलती और किसने धोखा दिया तुझे

संध्या – इनके (अपने पति) जाने के बाद हवेली और खेती के हिसाब , बहिखाते की सारी जिम्मेदारी मुझ पे आ गई थी और अभय उदास सा रहने लगा था , हवेली , खेती और बहिखाते अकेले ये सब संभालना साथ अभय को , मेरे लिए आसान नहीं था इसीलिए ऐसे में मैने रमन की मदद ली ताकि सब संभालना आसान हो जाय धीरे धीरे वक्त बिता मैं ज्यादा तर हवेली और खेती के हिसाब में व्यस्त रहने लगी लेकिन इसी बीच कई बार अभय की शिकयत आती थी मेरे पास शुरू शुरू में मैने इतना ध्यान नहीं दिया लेकिन फिर अभय की शिकायते बड़ने लगी समझाया करती थी मैं लेकिन फिर से वही सब शिकयत और मुझसे बर्दाश नही होता था की मेरे बेटे की शिकायत लोग करते रहते थे अक्सर लेकिन वही अमन की कोई शिकायत नही करता था हर कोई अमन की तारीफ करता बस इसी गुस्से में मैने हाथ उठाया अभय पर और ना जाने कितनी बार हाथ उठाया मैने अभय पे

लेकिन दीदी मेरे अभय ने कभी अपनी सफाई नही दी मुझे और फिर आई वो मनहूस रात जिसके बाद मेरी जिन्दगी पूरी तरह से बदल गई

(बोल के जोर से रोने लगी इस तरह से संध्या का रोना देख के गीता देवी को भी घभराहट होने लगी)

गीता देवी – (घबरा के) संध्या क्या हुआ था ऐसे क्यों रो रही है बता क्या हुआ उस रात को

संध्या –(रोते हुए) पता नही दीदी कैसे हुआ उस रात मैं बहक गई थी रमन के साथ...

गीता देवी – (गुस्से में) ये क्या बकवास कर रही है तू , तू ऐसा कैसे बहक गई , सही से बता संध्या हुआ क्या था ऐसा उस रात को

संध्या –(रोते हुए) मुझे सच में नही पता दीदी ये सब कैसे हुआ , कभी कभी अकेली रातों में अपने पति की याद आती थी तो अपनी शादी को तस्वीरों को देख लिया करती थी उस रात को भी वही तस्वीर देख रही थी क्योंकि कल का दिन मेरे अभय के लिए खुशी का दिन था कल अभय का जन्म दिन था मैंने दिन में सोच लिया और सभी को बता दिया था आज मैं अभय के साथ सोऊगी , कई बार अभय कहता रहता था मुझे की उसके साथ सोऊं , कमरे से जाने को थी तभी मुझे अजीब से उलझन होने लगी थी शशिर में अपने , मैने सोचा आराम करूगी ठीक हो जाओगी , अपनी शादी की तस्वीर को अलमारी में रख के जाने को हुई तभी मेरे शरीर की उलझन बड़ने लगी थी इसी बीच कमरे में रमन आया हुआ था उसे देख के मैं इनकी (अपने पति) कल्पना करने लगी थी क्योंकि दोनो भाईयो की सूरत एक जैसे जो थी और इसके बाद कब मैं रमन के साथ...

बोलते बोलते रोने लगी संध्या

गीता देवी –(संध्या के सिर पे हाथ रख के) फिर क्या हुआ था

संध्या – होश आने पर अपने आप को रमन के साथ पाया मैने कुछ बोलती उससे पहले रमन ने बोला मुझे वो काफी वक्त से मुझे चाहता है काफी वक्त से मेरे साथ ये सब करना चाहता था मन तो हो रहा था मेरा रमन को अभी सबक सिखा दू लेकिन गलती इसमें पूरी उसकी अकेले की नही थी मेरी भी थी काफी देर तक हम बेड में रहे बाद में मैंने रमन को अपने कमरे में जाने को बोला ताकी हवेली में किसी को पता ना चले , अपने अभय की नजर में गिरना नही चाहती थी मैं इसीलिए चाह के भी रमन को कुछ नही कहा मैने , लेकिन उस मनहूस रात ने मेरी जिंदिगी को नर्क बना दिया अगले दिन अभय हवेली में नही है ये पता चला और उसके बाद जंगल में लाश मिली बच्चे की जिसने अभय जैसे कपड़े पहने थे और तब से मेरी जीने को इच्छा मर गई थी , लेकिन अमन को देख के जी रही थी मैं

और अब 11 साल बाद वो वापस आगया दीदी मेरा अभय वापस आगया पहली मुलाकात से मुझे चौका दिया और अगले मुलाकात में उसने बता दिया वो अभय है मेरा और साथ में ये भी बताया को कितनी नफरत करता है क्योंकि उसने मुझे देखा था रमन के साथ कमरे में और क्या कहा उसने मुझसे जानती हो दीदी यह की उसको मेरे आसू मेरा प्यार सब नौंटकी लगता है उसके आने से गांव वालो को जमीन मिली जिसका मुझे पता तक नहीं था और उसके आने से ही आज मैं जान पाई हू दीदी की जिनपे मैने आंख बंद कर के भरोसा किया उन सबने मेरी ही पीठ में छूरा घोपा है सबने धोखा दिया मुझे सबने झूठ पे झूठ बोल के मुझसे पाप करवाया , अभय की नजरो में मुझे हमेशा हमेशा के लिए गिरा दिया उन सबने , दीदी बात तो मैने आपकी भी नही मानी अगर मानी होती तो शायद आज ये दिन नही देखना पड़ता मुझे

बस दीदी मेरी एक इच्छा पूरी कर देना मेरे मरने के बाद कम से कम मुझे अग्नि जरूर दिला देना अभय के हाथो से (रोते हुए)

गीता देवी – (रोते हुए संध्या को गले से लगा के) चुप बिल्कुल चुप तू क्यों मरने लगी अभी तो तुझे उन सबको रोते हुए देखना है जिसने तुझे रुलाया है जिन्होंने ये नीच हरकत की है अभी उनका भी हिसाब होना बाकी है उन्होंने मां और बेटे के बीच दरार डाली है अरे उपर वाला भी मां और बेटे के रिश्ते की डोर को छूने से डरता है क्योंकि उपर वाला भी एक मां को दुवा ले सकता है लेकिन एक मां के दिल से निकली बदूवा से वो खुद डरता है लेकिन यहां इंसानों ने ये काम किया.....

गीता देवी – तूने पता किया अगर अभय यहां है तो फिर वो लाश किसकी थी जो गांव वालो को मिली थी जंगल में कहा से आए उस लाश में अभय के स्कूल के कपड़े

संध्या – नही दीदी मैने इस बारे में कोई बात नही की ये सब मुनीम या रमन ही देखते है ज्यादा तर बाहर के काम , बस अब आपके सिवा कोई नही मेरा दीदी जिसपे भरोसा कर सकू और हवेली में मुझे किसी पे भरोसा नहीं रहा

गीता देवी – (संध्या की बातो को ध्यान से सुन के किसी को कॉल किया)

सामने से – हेलो कॉन

गीता देवी – द....द...देव भईया

देव –(आवाज सुन मुस्कुरा के) गीता दीदी , बरसों के बाद आज आपको याद आई अपने भाई की

गीता देवी – (रोते हुए) तेरी एक बहन और भी है भूल गया तू और आज उसे अपने भाई की सबसे ज्यादा जरूरत है बस कुछ मत बोलना , भूल जा पुरानी बात को , यहां तेरी बहन की जिंदिगी बर्बाद कर दी है दुश्मनों ने

देव – (गुस्से में) किसकी इतनि मजाल है जो देवेंद्र ठाकुर की बहन की जिंदीगी बर्बाद करने की हिम्मत करें , देवी भद्र काली की कसम है मुझे , उसके वंश का नाश कर देगा ये देवेंद्र ठाकुर , मैं अभी आ रहा हू दीदी

इस तरफ रमन आगया था बगीचे में बने कमरे में वहा पे मुनीम और 2 लड़के पहले से इंतजार कर रहे थे रमन का...

रमन – मुनीम बाहर कार किसकी खड़ी है और कॉन बताएगा उस लड़के के बारे में

मुनीम – मालिक कार इन दोनो की है ये दोनो लड़को को शहर से बुलाया है ये कंप्यूटर के बड़े हैकर है (लड़के से) बता दे मालिक को कैसे पता चलेगा लड़के के बारे में

पहला लड़का – उस लड़के की कोई फोटो है आपके पास या डिटेल

रमन – हा फोटो निकलवाई है कॉलेज से उसकी

रमन अपने मोबाइल में फोटो दिखाता है , लड़का मोबाइल लेके सिस्टम में कनेक्ट करता है सर्च करता है फोटो से अभय की डिटेल को....

दूसरा लड़का – ये इनलीगल काम है जानते हो ना आप इस तरह से किसी की जानकारी निकालना मतलब समझ रहे हो ना आप

रमन – (500 की 2 गद्दी देते हुए) अब तो सब लीगल हो गया है ना

पहला लड़का – हा बस 5 मिनट में इसकी कुण्डली निकल जाएगी



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तभी लड़के के कंप्यूटर में अलर्ट मैसेज आता जिसे देख लड़का घबरा जाता है और तभी सिस्टम में उसी लड़के की फोटो दिखने लगती है साथ में उस कमरे में जो भी है उनकी भी फोटो थी डरते डरते अपने सिस्टम में कुछ करता उससे पहले ही उस लड़के के मोबाइल में कॉल आने लगता है मोबाइल में कॉलर का नेम देख के आखें बड़ी हो जाती है उसकी....

पहला लड़का – (कॉल रिसीव करके) हैलो

सामने से – लगता है अपनी औकात भूल गया है तू जानता है ना किसके बिल में हाथ डाल रहा है

पहला लड़का – (डरते हुए) मुझे माफ करिएगा मैडम मैं नही जानता था की ये....

सामने से – (बीच में बात काटते हुए) अपना बोरिया बिस्तर बांध के निकल तेरा काम हो गया वहा का

पहला लड़का – वो मैडम

सामने से – (गुस्से में) अभी निकल

पहला लड़का डरते हुए कॉल कट करके अपना सामान लेके दूसरे लड़को को चलने किए बोल के कमरे से बाहर भाग जाता है उसके पीछे दूसरा लड़का आने लगा तभी रमन उसका कॉलर पकड़ के....

रमन – बिना काम किया भाग रहा है तू , एक लाख दिए है मैने काम के...

दूसरा लड़का – (रमन को उसके पैसे वापस करते हुए) ये रहे पैसे आपके और आज के बाद याद रखना हम कभी नही मिले थे एक दूसरे से

मुनीम – लेकिन तुम दोनो भाग क्यों रहे हो किसका कॉल आगया था

दूसरा लड़का – मुझे नही पता किसका कॉल था लेकिन मेरा बॉस सिर्फ 2 लोगो से डरता है एक या तो वो मेरे बॉस का बॉस हो या फिर उन सब भी कोई बड़ा हो और ये लड़का उनमें से कॉन है मुझे नही पता

बोल के बाहर अपनी कार से भाग जाते है दोनो लड़के..

रमन – मुनीम ये दोनो लौंडे साले भाग गए , एक काम कर इंतजाम कर दे उस लड़के का और याद रहे कल सुबह गांव के समुंदर के बीच (किनारे) पे एक कटी फटी लाश मिलनी चाहिए समझ गया ना

मुनीम – (मुस्कुरा के) जी मालिक एसा ही होगा

इस तरफ गीता देवी के घर के बाहर 4 कारे आ कर रुकती है तीन कार से सूट बूट में बॉडीगार्ड निकलते है और बीच की कार से एक 40 साल का आदमी निकल के गीता देवी के घर में जाता है अंदर जाते ही...

आदमी – (अपने सामने बैठी गीता देवी साथ में संध्या को देख के) दीदी

गीता देवी – देव भईया

देव – (आगे आके गीता देवी के पैर छू के) कैसे हो आप दीदी

गीता देवी – अच्छी हू भईया

देव – संध्या क्या अभी तक नाराज हो अपने भाई से

संध्या रोते हुए गले लग गई देव के...

देव – (प्यार से सिर पे हाथ फेरते हुए) अरे पगली रोती क्यों है तेरा भाई जिंदा है अभी

गीता देवी – छल हुआ है संध्या के साथ अपनो के हाथो सिवाय धोखे के कुछ ना मिला इसे ऐसा खेल खेला गया अनजाने में दोनो मां और बेटे के बीच प्यार की जगह नफरत ने लेली , ऐसी नफरत आज एक बेटे को उसके मां के आसू भी नौटंकी लगते है उसे और इन सब का कारण है हवेली में रहने वाले लोग

देव – (सारी बात सुन के गीता देवी से) मुझे पूरी बात बताओ दीदी हुआ क्या है मेरी बहन के साथ

उसके बाद गीता देवी ने सारी बात बता दी देव को जिसे सुन के....

देव – (संध्या से बोला) तेरे साथ ये सब हो रहा था और तूने मुझे एक बार भी बताना जरूरी नही समझा , मानता हू तेरा सगा भाई ना सही लेकिन तुझे तो मैने सगी बहन माना है हमेशा से

संध्या – (रोते हुए) ऐसी बात नही है भईया इनके जाने के बाद से ही हवेली और काम की जिम्मेदारी मुझ पे आगयी थी उसको निभाने में जाने कब मैं खुद के बेटे की दुश्मन बन गई..

देव – (बीच में बात को काटते हुए) सब समझता हू मेरी बहन दादा ठाकुर के गुजरने के बाद पहल जिम्मेदारी मनन के हाथो में आई उसके बाद तेरे कंधो पे , मैने मनन को पहल कई बार समझने की कोशिश की थी अपने भाई पे भरोसा ना करे लेकिन वो नहीं माना कहता था जैसा भी है मेरा भाई है और एक भाई दूसरे भाई का कभी गलत नही करेगा उसकी यहीं गलती ने आज तुझे इस मुकाम में लाके खड़ा कर दिया , (संध्या के आसू पोछ के) हमारा भांजा कहा है कैसा दिखता है , मनन जैसा दिखता होगा है ना

गीता देवी – (अपने मोबाइल में फोटो दिखा के) ये देखिए भईया ऐसा दिखता है आपका भांजा

देव – (मोबाइल में अभय की फोटो देख के हैरान हो जाता है) ये...ये है वो लेकिन ये कैसे हो सकता है अगर ये तेरा बेटा है तो फिर वो...

गीता देवी – क्या हुआ भईया आप फोटो देख के हैरान क्यों हो गए

देव – (संध्या से) तुम कैसे कह सकती हो की ये तेरा बेटा है

संध्या – आप ऐसा क्यों बोल रहे हो भईया ये अभय ही है मेरा बेटा वही नैन नक्श वो सारी बाते जो सिर्फ इसके इलावा कोई नही जानता है

देव – (सारी बाते सुन के किसी सोच में डूब जाता है और तुरंत किसी को कॉल करता है) हेलो शालिनी जी

शालिनी सिन्हा – प्रणाम ठाकुर साहब आज कैसे याद किया

देव – शालिनी जी आपकी बेटी कहा पे है मेरी बात हो सकती है उससे

शालिनी सिन्हा – ठाकुर साहेब वो तो निकल चुकी है लेकिन बात क्या है

देव – शालिनी जी मैने आपसे पूछा था उस लड़के के बारे में , अब आप सच सच बताएगा क्या वो लड़का सच में आपका बेटा है की नही

शालिनी सिन्हा – ठाकुर साहब वैसे तो मेरा कोई बेटा नही सिर्फ एक बेटी है और रही बात उस लड़के की हा उसे अपना बेटा ही मानती हूं मैं , उसके आने से मेरे परिवार में बेटे की कमी भी पूरी हो गई

देव – क्या नाम है उसका

शालिनी सिन्हा – अभय , ठाकुर अभय सिंह , मेरी बेटी उसी के पास आ रही है , लेकिन आप ऐसा क्यों पुछ रहे है

देव – अच्छा तो ये बात है (हस्ते हुए) शालिनी जी अभय यहीं पर है अपने गांव में वापस आगया है

शालिनी सिन्हा – (हस्ते हुए) हा ठाकुर साहब मेरी बेटी किसी केस के सिलसिले में गांव के लिए निकली है क्या आप जानते है किसी संध्या ठाकुर को

देव – जी वो मेरी मु बोली बहन है , बात क्या है

शालिनी सिन्हा – बात कुछ ऐसी है ठाकुर साहब (फिर शालिनी सिन्हा कुछ बात बताती चली गई देव को कुछ देर बात करने के बाद) इसीलिए उपर से ऑर्डर आया है तभी इस मामले की तह तक जाने के लिए भेजा गया है कुछ लोगो को..

देव – ठीक है शालिनी जी मैं ध्यान रखूंगा (कॉल कट करके किसी सोच में था देव)

गीता देवी – भईया क्या बात है आप किस सोच में डूबे है

देव – (मुस्कुरा के) ये लड़का अभय सच में कमाल का है मैने इस जैसा लड़का कही नही देखा अपने पिता मनन की तरह नेक जरूर है लेकिन उतना भी नेक नही जितना हमारे मनन ठाकुर थे

संध्या – क्या मतलब है इसका भईया

देव – बस इतना समझ ले तेरा बेटा खुद यहां नही आया उसे लाया गया है यहां पे और ये बात उसे खुद नही पता है और जिसे पता है वो खुद आ रही है जल्द ही मुलाकात होगी उससे तेरी भी

गीता देवी – क्या मतलब तेरी भी से आपका

देव – मतलब मैं मिल चुका हू अभय से और उस लड़की से भी जिसके साथ अभय रहता था

संध्या – कॉन है वो लड़की और अभय से उसका क्या...

देव – वो लड़की कोई मामूली लड़की नही सी बी आई ऑफिसर चांदनी सिन्हा है , डी आई जी शालिनी सिन्हा की एक लौती बेटी और बाकी की बात सिर्फ चांदनी बता सकती है लेकिन एक बात का ख्याल रहे ये बात बाहर नही जाने चाहिए यहां से और संध्या तेरे कॉलेज में चांदनी को टीचर बना के भेजा जा रहा है और उसके लोग तेरे साथ तेरी हवेली में रहेंगे नौकर के भेष में

संध्या – भईया मेरा अभय...

देव – (सिर पे हाथ फेर के) थोड़ा वक्त दे उसे मेरी बहन नफरत का बीज जो बोया गया है उसे इतनी आसानी से नही हटाया जा सकता है इतना सबर किया है तूने थोड़ा और कर ले।

देव –(गीता देवी से) अच्छा दीदी चलता हू मै लेकिन जब भी आपको अपने भाई की जरूरत पड़े बेजीझक बुला लेना (संध्या से) बहन अब भूलना मत तेरा भाई हर समय तेरे साथ है ।
.
.
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जारी रहेगा✍️✍️
Bohot badhiya mod diya hai story ko👍 Dev ki entry , Sinha madam ki entry , matlab ab na to Sandhya aur na hi abhay akele hai, aur hum to ye bhi samajh gaye ki use bheja gaya hai, aur kyu bheja gaya hai👍 ab to lagta hai ki jaldi hi muneem aur uske aadmiyo ki gand toothed wali hai :haha:
Mind blowing writing Sunny brother, and superb update 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻❣️❣️❣️❣️❣️❣️💗💗💗💗💗💗💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💯💯🔥🔥🔥
 

Raj_sharma

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Bhai abhi tk Hero ho ya Chandni dono ka such kisi ko nahi pata hai Abhay yaha khud aaya hai ya laya Gaya hai ye bat abhi tak clear nahi hue hai story me
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Aapne jo bola wo sirf ek sambhavna hai
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Chandni ki to Entry bhi nahi hue hai sirf name aaya hai abhi tk samne
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Inke bare me detail inki entry ke bad samne aayga
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Orignal story ki bat ki aapne usme Jo hua ya dikhaya gaya jaise aapne Abhay ke pita ke such ke bare me bola
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Maine apani story me use directly means turant samne lana abhi jroori nahi smja hai suspense rakhi hai kai chejo ko
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Aad bhai plz aapko agar or jada jankari Leni hai story se related to abhi ke leye UPDATE ke aane ka wait ker
100% sahamat 👍
 

Raj_sharma

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Awesome update bhai 🔥🔥


Sandhya ab bol rahi hai use sabne dhokhe me rakha tha .. kya itni naadan thi sandhya ...? Aur to na to Sandhya ne kabhi sach janne ki koshish ki .... Ki Abhay ki galti thi bhi ya nhi ... Jo jaise batata gya hai use wo waisa hi vaivhaar abhay ke sath kerti gayi ..... ? Sandhya ko khud apne bete per bharosha nhi tha ..isse to yahi lag rha hai .... Chalo agar abhay sandhya ko emotional ho ker maaf bhi ker diya to kya uska bachpan lauta degi sandhya ...? Kya Abhay ko uski maa ka wo bachpan wala. Pyaar mil jayega ..? Jaise wo Aman ko kerti thi ....? Ki Aman tu mera Raja beta hai ........ Chalo maan liya dhokhe me rakha gya sandhya sabne uske sath dhokha kiya , but kabhi abhay ko wo pyaar bhi nhi diya sandhya ne jo usne Aman ko diya jab dekho subah, Saam , uthte , baithte. Hamesha Marti hi rahti thi .......

Aur ab Abhay wo purana wala Abhay bhi nhi Raha raha ab wo sabka baap banker waapas aaya hai ..... Aur jiski koi identity😈 nahi hai ......
Ghost hai wo 😈😈😈


Khair dekhte hai kya kerti hai Sandhya ,Abhay ko dubara paane ke liye ....?


but ek baat samjh nhi aayi jab Abhay ghar per tha bachpan me tab to Sandhya, Geeta devi ka beta Raju ke sath Abhay ko khelne bhi nhi deti thi aur gaav ke baccho ke sath bhi Abhay ko khelne nhi deti thi to ab kaha se Geeta devi ke pass agyi wo bhi Bahen ban ker Geeta devi ki .... But ab tak ke padhe gaye update me Geeta devi ka sandhya ke sath koi rishte ka jikar hi nhi hua tha ......

Khair dekhte hai chadani kya kya raaz khoj ker nikalti hai Sandhya thakur ki haveli se .......?
Khair mujhe ab ye dekhna hai Sandhya ,Aman ke sath kaisa vaivhaar kerti hai ......?
Bhai devil maximum ki story me aisa to nahi likha kahi ki raj ke sath Abhay ya Sandhya ke sath Geeta devi ki bol chaal nahi thi??
 

Nishant1

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Sandhya ne geeta devi se kaha ki wo us time ramn ko sabk sikhana chahti thi lekin abhay ke samne khud na gir jaye isliye ramn ko apne kamare me jane ke liye boli

Abhay ke ghar se bhag jane ke baad Jab abhay ke janmdin wale din ramn dubara fir Sandhya ke paas gya to kyu ramn ko sabk nhi sikhai

Sandhya ko fir bahlane ki koshish kar raha tha to kyu sabk nhi sikhai

Abhay ke bare me kaha ki uski bahut jyada shikayat aane lgi thi to kya Sandhya ne kabhi janne ki koshish ki ki kyu log abhay ki shikayat kar rahe hai
Ramn se apne sambandh ke bare me jo boli wo bhi adhura lag raha hai

Yesa lagta hai ki Sandhya geeta devi ke jariye abhay ko manna chahti hai ki geeta devi jakar abhay ko bole ki Sandhya to dhokhe ki shikar thi tere bare me Sandhya se jhoot bolte the isliye tere se marpit karti thi aur us raat ko bhi jo hua anjan me ho gya Sandhya tere pita ki yaad me itna kho gai thi ki usko hosh hi nhi raha ko wo tere pita nhi balki ramn hai kyuki tere pita aur ramn ka chehra ek jaise hi hai

Yha writer Sandhya ko yese pesh kar raha hai ki wo masoom aur boli hai aur Sandhya ko saaf bacha rha hai jaise Sandhya ki koi galti hi nahi hai wo sirf dhokhe ki shikar hai

Bura na manna bhai agar koi aalochana karne wala na ho to writer apni story ko behtar banane ki koshish nahi karta
 
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stupid bunny

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Sandhya ne geeta devi se kaha ki wo us time ramn ko sabk sikhana chahti thi lekin abhay ke samne khud na gir jaye isliye ramn ko apne kamare me jane ke liye boli

Abhay ke ghar se bhag jane ke baad Jab abhay ke janmdin wale din ramn dubara fir Sandhya ke paas gya to kyu ramn ko sabk nhi sikhai

Sandhya ko fir bahlane ki koshish kar raha tha to kyu sabk nhi sikhai

Abhay ke bare me kaha ki uski bahut jyada shikayat aane lgi thi to kya Sandhya ne kabhi janne ki koshish ki ki kyu log abhay ki shikayat kar rahe hai
Ramn se apne sambandh ke bare me jo boli wo bhi adhura lag raha hai

Yesa lagta hai ki Sandhya geeta devi ke jariye abhay ko manna chahti hai ki geeta devi jakar abhay ko bole ki Sandhya to dhokhe ki shikar thi tere bare me Sandhya se jhoot bolte the isliye tere se marpit karti thi aur us raat ko bhi jo hua anjan me ho gya Sandhya tere pita ki yaad me itna kho gai thi ki usko hosh hi nhi raha ko wo tere pita nhi balki ramn hai kyuki tere pita aur ramn ka chehra ek jaise hi hai

Yha writer Sandhya ko yese pesh kar raha hai ki wo masoom aur boli hai aur Sandhya ko saaf bacha rha hai jaise Sandhya ki koi galti hi nahi hai wo sirf dhokhe ki shikar hai

Bura na manna bhai agar koi aalochana karne wala na ho to writer apni story ko behtar banane ki koshish nahi karta
Ek dum sahi kaha aapna. Bhai
 

Yasasvi3

😈Devil queen 👑
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UPDATE 14

संध्या का एसा रूप देख ललिता , मालती और रमन तीनों हिल के रह गए थे किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करे ललिता और मालती डिनर टेबल साफ करने में लग गए थे और रमन हवेली से बाहर निकल के किसी को फोन मिलाया....

रमन – मुनीम मैने तुझे इस लड़के का पता लगाने को बोला था अभी तक क्यों नही पता लग पाया तुझे

मुनीम – मालिक उस लड़के का पता नही चल पा रहा है कही से भी इसीलिए मैंने शहर से एक लड़के को बुलाया है जो उस लड़के की जानकारी निकाल सकता है

रमन – कॉन है वो कब करेगा काम

मुनीम – मालिक आप बगीचे वाले कमरे में आजाओ मैं उसे वही लेके आता हू

दोपहर का वक्त था अभय हॉस्टल के कमरे में आते ही उसे रमिया मिली...

रमिया – बाबू जी खाना तयार है आप हाथ मू धो लिजिए मैं खाना लगाती हू

अभय – कल की बात से नाराज हो अभी भी क्या

रमिया – नही बाबू जी ऐसी कोई बात नही है

अभय – अच्छा फिर क्या बात है

रमिया – बात तो पता नही बाबू जी लेकिन कल से देख रही हू हवेली में मालकिन ने कल रात को कुछ नही खाया और आज सुबह भी जाने किस बात पे रमन बाबू पे गुस्सा हो रही थी मालकिन

अभय – (हस्ते हुए) अच्छा ऐसा क्या हो गया जो तुम इतनी परेशान हो रही हो

रमिया –पता नही बाबू जी मैं 2 साल पहले आई हू यहा तभी से देख रही हू मालकिन को रोज रात को जब सब आराम से सो रहे होते है तब मालकिन अपने कमरे में कम अपने बेटे के कमरे में होती थी , कभी कभी तो उन्ही के कमरे में सो जाती थी

अभय – (रमिया की बात पे ध्यान ना देते हुए) तुझे यहां भेजा गाया है मेरे लिए , तब तक के लिए हवेली को भूल जा चल खाना खाते है भूख लगी है बहुत

इधर हवेली में जब हर कोई अपने कमरे में दिन में आराम कर रहा होता है तब संध्या हवेली के बाहर अपनी कार से निकल जाती है कही कार ड्राइव करते हुए किसी के घर के बाहर कार रोक के बाहर निकल के घर का दरवाजा खट खटाती है तभी एक औरत दरवाजा खोलती है उसे देख संध्या रोते हुए उसके गले लग जाती है.....

औरत – (रोना सुन के) क्या बात है संध्या तू ऐसे रो क्यों रही है

संध्या – मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है दीदी मैने आपकी बात ना मान के...

औरत – चुप पहले अंदर चल तू

अपने घर के अंदर लेजा के संध्या को बैठाती है की तभी किसी की आवाज आती है..

सत्या बाबू – कॉन आया है गीता

गीता देवी – खुद ही देख लो आके कॉन आया है

सत्या बाबू – (अपने सामने संध्या को देख के) ठकुराइन आज इतने सालो के बाद गरीब के घर में....

गीता देवी – (बीच में टोकते हुए) ठकुराइन नही मेरी छोटी बहन आई है घर में

सत्या बाबू – ठीक है तुम बात करो आराम से मैं खेत में जा रहा हू राज का खाना लेके शाम को त्यार रहना

गीता देवी – जी ठीक है (सत्या बाबू के जाने के बाद संध्या से बोली) अब बता क्या बात है क्यों रो रही है तू

संध्या – मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई दीदी उसी की सजा मिल रही है मुझे जिस जिस पर विश्वास किया उसी ने धोखा दिया

गीता देवी – संध्या तू सही से बता बात क्या है कैसे सजा , कॉन सी गलती और किसने धोखा दिया तुझे

संध्या – इनके (अपने पति) जाने के बाद हवेली और खेती के हिसाब , बहिखाते की सारी जिम्मेदारी मुझ पे आ गई थी और अभय उदास सा रहने लगा था , हवेली , खेती और बहिखाते अकेले ये सब संभालना साथ अभय को , मेरे लिए आसान नहीं था इसीलिए ऐसे में मैने रमन की मदद ली ताकि सब संभालना आसान हो जाय धीरे धीरे वक्त बिता मैं ज्यादा तर हवेली और खेती के हिसाब में व्यस्त रहने लगी लेकिन इसी बीच कई बार अभय की शिकयत आती थी मेरे पास शुरू शुरू में मैने इतना ध्यान नहीं दिया लेकिन फिर अभय की शिकायते बड़ने लगी समझाया करती थी मैं लेकिन फिर से वही सब शिकयत और मुझसे बर्दाश नही होता था की मेरे बेटे की शिकायत लोग करते रहते थे अक्सर लेकिन वही अमन की कोई शिकायत नही करता था हर कोई अमन की तारीफ करता बस इसी गुस्से में मैने हाथ उठाया अभय पर और ना जाने कितनी बार हाथ उठाया मैने अभय पे

लेकिन दीदी मेरे अभय ने कभी अपनी सफाई नही दी मुझे और फिर आई वो मनहूस रात जिसके बाद मेरी जिन्दगी पूरी तरह से बदल गई

(बोल के जोर से रोने लगी इस तरह से संध्या का रोना देख के गीता देवी को भी घभराहट होने लगी)

गीता देवी – (घबरा के) संध्या क्या हुआ था ऐसे क्यों रो रही है बता क्या हुआ उस रात को

संध्या –(रोते हुए) पता नही दीदी कैसे हुआ उस रात मैं बहक गई थी रमन के साथ...

गीता देवी – (गुस्से में) ये क्या बकवास कर रही है तू , तू ऐसा कैसे बहक गई , सही से बता संध्या हुआ क्या था ऐसा उस रात को

संध्या –(रोते हुए) मुझे सच में नही पता दीदी ये सब कैसे हुआ , कभी कभी अकेली रातों में अपने पति की याद आती थी तो अपनी शादी को तस्वीरों को देख लिया करती थी उस रात को भी वही तस्वीर देख रही थी क्योंकि कल का दिन मेरे अभय के लिए खुशी का दिन था कल अभय का जन्म दिन था मैंने दिन में सोच लिया और सभी को बता दिया था आज मैं अभय के साथ सोऊगी , कई बार अभय कहता रहता था मुझे की उसके साथ सोऊं , कमरे से जाने को थी तभी मुझे अजीब से उलझन होने लगी थी शशिर में अपने , मैने सोचा आराम करूगी ठीक हो जाओगी , अपनी शादी की तस्वीर को अलमारी में रख के जाने को हुई तभी मेरे शरीर की उलझन बड़ने लगी थी इसी बीच कमरे में रमन आया हुआ था उसे देख के मैं इनकी (अपने पति) कल्पना करने लगी थी क्योंकि दोनो भाईयो की सूरत एक जैसे जो थी और इसके बाद कब मैं रमन के साथ...

बोलते बोलते रोने लगी संध्या

गीता देवी –(संध्या के सिर पे हाथ रख के) फिर क्या हुआ था

संध्या – होश आने पर अपने आप को रमन के साथ पाया मैने कुछ बोलती उससे पहले रमन ने बोला मुझे वो काफी वक्त से मुझे चाहता है काफी वक्त से मेरे साथ ये सब करना चाहता था मन तो हो रहा था मेरा रमन को अभी सबक सिखा दू लेकिन गलती इसमें पूरी उसकी अकेले की नही थी मेरी भी थी काफी देर तक हम बेड में रहे बाद में मैंने रमन को अपने कमरे में जाने को बोला ताकी हवेली में किसी को पता ना चले , अपने अभय की नजर में गिरना नही चाहती थी मैं इसीलिए चाह के भी रमन को कुछ नही कहा मैने , लेकिन उस मनहूस रात ने मेरी जिंदिगी को नर्क बना दिया अगले दिन अभय हवेली में नही है ये पता चला और उसके बाद जंगल में लाश मिली बच्चे की जिसने अभय जैसे कपड़े पहने थे और तब से मेरी जीने को इच्छा मर गई थी , लेकिन अमन को देख के जी रही थी मैं

और अब 11 साल बाद वो वापस आगया दीदी मेरा अभय वापस आगया पहली मुलाकात से मुझे चौका दिया और अगले मुलाकात में उसने बता दिया वो अभय है मेरा और साथ में ये भी बताया को कितनी नफरत करता है क्योंकि उसने मुझे देखा था रमन के साथ कमरे में और क्या कहा उसने मुझसे जानती हो दीदी यह की उसको मेरे आसू मेरा प्यार सब नौंटकी लगता है उसके आने से गांव वालो को जमीन मिली जिसका मुझे पता तक नहीं था और उसके आने से ही आज मैं जान पाई हू दीदी की जिनपे मैने आंख बंद कर के भरोसा किया उन सबने मेरी ही पीठ में छूरा घोपा है सबने धोखा दिया मुझे सबने झूठ पे झूठ बोल के मुझसे पाप करवाया , अभय की नजरो में मुझे हमेशा हमेशा के लिए गिरा दिया उन सबने , दीदी बात तो मैने आपकी भी नही मानी अगर मानी होती तो शायद आज ये दिन नही देखना पड़ता मुझे

बस दीदी मेरी एक इच्छा पूरी कर देना मेरे मरने के बाद कम से कम मुझे अग्नि जरूर दिला देना अभय के हाथो से (रोते हुए)

गीता देवी – (रोते हुए संध्या को गले से लगा के) चुप बिल्कुल चुप तू क्यों मरने लगी अभी तो तुझे उन सबको रोते हुए देखना है जिसने तुझे रुलाया है जिन्होंने ये नीच हरकत की है अभी उनका भी हिसाब होना बाकी है उन्होंने मां और बेटे के बीच दरार डाली है अरे उपर वाला भी मां और बेटे के रिश्ते की डोर को छूने से डरता है क्योंकि उपर वाला भी एक मां को दुवा ले सकता है लेकिन एक मां के दिल से निकली बदूवा से वो खुद डरता है लेकिन यहां इंसानों ने ये काम किया.....

गीता देवी – तूने पता किया अगर अभय यहां है तो फिर वो लाश किसकी थी जो गांव वालो को मिली थी जंगल में कहा से आए उस लाश में अभय के स्कूल के कपड़े

संध्या – नही दीदी मैने इस बारे में कोई बात नही की ये सब मुनीम या रमन ही देखते है ज्यादा तर बाहर के काम , बस अब आपके सिवा कोई नही मेरा दीदी जिसपे भरोसा कर सकू और हवेली में मुझे किसी पे भरोसा नहीं रहा

गीता देवी – (संध्या की बातो को ध्यान से सुन के किसी को कॉल किया)

सामने से – हेलो कॉन

गीता देवी – द....द...देव भईया

देव –(आवाज सुन मुस्कुरा के) गीता दीदी , बरसों के बाद आज आपको याद आई अपने भाई की

गीता देवी – (रोते हुए) तेरी एक बहन और भी है भूल गया तू और आज उसे अपने भाई की सबसे ज्यादा जरूरत है बस कुछ मत बोलना , भूल जा पुरानी बात को , यहां तेरी बहन की जिंदिगी बर्बाद कर दी है दुश्मनों ने

देव – (गुस्से में) किसकी इतनि मजाल है जो देवेंद्र ठाकुर की बहन की जिंदीगी बर्बाद करने की हिम्मत करें , देवी भद्र काली की कसम है मुझे , उसके वंश का नाश कर देगा ये देवेंद्र ठाकुर , मैं अभी आ रहा हू दीदी

इस तरफ रमन आगया था बगीचे में बने कमरे में वहा पे मुनीम और 2 लड़के पहले से इंतजार कर रहे थे रमन का...

रमन – मुनीम बाहर कार किसकी खड़ी है और कॉन बताएगा उस लड़के के बारे में

मुनीम – मालिक कार इन दोनो की है ये दोनो लड़को को शहर से बुलाया है ये कंप्यूटर के बड़े हैकर है (लड़के से) बता दे मालिक को कैसे पता चलेगा लड़के के बारे में

पहला लड़का – उस लड़के की कोई फोटो है आपके पास या डिटेल

रमन – हा फोटो निकलवाई है कॉलेज से उसकी

रमन अपने मोबाइल में फोटो दिखाता है , लड़का मोबाइल लेके सिस्टम में कनेक्ट करता है सर्च करता है फोटो से अभय की डिटेल को....

दूसरा लड़का – ये इनलीगल काम है जानते हो ना आप इस तरह से किसी की जानकारी निकालना मतलब समझ रहे हो ना आप

रमन – (500 की 2 गद्दी देते हुए) अब तो सब लीगल हो गया है ना

पहला लड़का – हा बस 5 मिनट में इसकी कुण्डली निकल जाएगी



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तभी लड़के के कंप्यूटर में अलर्ट मैसेज आता जिसे देख लड़का घबरा जाता है और तभी सिस्टम में उसी लड़के की फोटो दिखने लगती है साथ में उस कमरे में जो भी है उनकी भी फोटो थी डरते डरते अपने सिस्टम में कुछ करता उससे पहले ही उस लड़के के मोबाइल में कॉल आने लगता है मोबाइल में कॉलर का नेम देख के आखें बड़ी हो जाती है उसकी....

पहला लड़का – (कॉल रिसीव करके) हैलो

सामने से – लगता है अपनी औकात भूल गया है तू जानता है ना किसके बिल में हाथ डाल रहा है

पहला लड़का – (डरते हुए) मुझे माफ करिएगा मैडम मैं नही जानता था की ये....

सामने से – (बीच में बात काटते हुए) अपना बोरिया बिस्तर बांध के निकल तेरा काम हो गया वहा का

पहला लड़का – वो मैडम

सामने से – (गुस्से में) अभी निकल

पहला लड़का डरते हुए कॉल कट करके अपना सामान लेके दूसरे लड़को को चलने किए बोल के कमरे से बाहर भाग जाता है उसके पीछे दूसरा लड़का आने लगा तभी रमन उसका कॉलर पकड़ के....

रमन – बिना काम किया भाग रहा है तू , एक लाख दिए है मैने काम के...

दूसरा लड़का – (रमन को उसके पैसे वापस करते हुए) ये रहे पैसे आपके और आज के बाद याद रखना हम कभी नही मिले थे एक दूसरे से

मुनीम – लेकिन तुम दोनो भाग क्यों रहे हो किसका कॉल आगया था

दूसरा लड़का – मुझे नही पता किसका कॉल था लेकिन मेरा बॉस सिर्फ 2 लोगो से डरता है एक या तो वो मेरे बॉस का बॉस हो या फिर उन सब भी कोई बड़ा हो और ये लड़का उनमें से कॉन है मुझे नही पता

बोल के बाहर अपनी कार से भाग जाते है दोनो लड़के..

रमन – मुनीम ये दोनो लौंडे साले भाग गए , एक काम कर इंतजाम कर दे उस लड़के का और याद रहे कल सुबह गांव के समुंदर के बीच (किनारे) पे एक कटी फटी लाश मिलनी चाहिए समझ गया ना

मुनीम – (मुस्कुरा के) जी मालिक एसा ही होगा

इस तरफ गीता देवी के घर के बाहर 4 कारे आ कर रुकती है तीन कार से सूट बूट में बॉडीगार्ड निकलते है और बीच की कार से एक 40 साल का आदमी निकल के गीता देवी के घर में जाता है अंदर जाते ही...

आदमी – (अपने सामने बैठी गीता देवी साथ में संध्या को देख के) दीदी

गीता देवी – देव भईया

देव – (आगे आके गीता देवी के पैर छू के) कैसे हो आप दीदी

गीता देवी – अच्छी हू भईया

देव – संध्या क्या अभी तक नाराज हो अपने भाई से

संध्या रोते हुए गले लग गई देव के...

देव – (प्यार से सिर पे हाथ फेरते हुए) अरे पगली रोती क्यों है तेरा भाई जिंदा है अभी

गीता देवी – छल हुआ है संध्या के साथ अपनो के हाथो सिवाय धोखे के कुछ ना मिला इसे ऐसा खेल खेला गया अनजाने में दोनो मां और बेटे के बीच प्यार की जगह नफरत ने लेली , ऐसी नफरत आज एक बेटे को उसके मां के आसू भी नौटंकी लगते है उसे और इन सब का कारण है हवेली में रहने वाले लोग

देव – (सारी बात सुन के गीता देवी से) मुझे पूरी बात बताओ दीदी हुआ क्या है मेरी बहन के साथ

उसके बाद गीता देवी ने सारी बात बता दी देव को जिसे सुन के....

देव – (संध्या से बोला) तेरे साथ ये सब हो रहा था और तूने मुझे एक बार भी बताना जरूरी नही समझा , मानता हू तेरा सगा भाई ना सही लेकिन तुझे तो मैने सगी बहन माना है हमेशा से

संध्या – (रोते हुए) ऐसी बात नही है भईया इनके जाने के बाद से ही हवेली और काम की जिम्मेदारी मुझ पे आगयी थी उसको निभाने में जाने कब मैं खुद के बेटे की दुश्मन बन गई..

देव – (बीच में बात को काटते हुए) सब समझता हू मेरी बहन दादा ठाकुर के गुजरने के बाद पहल जिम्मेदारी मनन के हाथो में आई उसके बाद तेरे कंधो पे , मैने मनन को पहल कई बार समझने की कोशिश की थी अपने भाई पे भरोसा ना करे लेकिन वो नहीं माना कहता था जैसा भी है मेरा भाई है और एक भाई दूसरे भाई का कभी गलत नही करेगा उसकी यहीं गलती ने आज तुझे इस मुकाम में लाके खड़ा कर दिया , (संध्या के आसू पोछ के) हमारा भांजा कहा है कैसा दिखता है , मनन जैसा दिखता होगा है ना

गीता देवी – (अपने मोबाइल में फोटो दिखा के) ये देखिए भईया ऐसा दिखता है आपका भांजा

देव – (मोबाइल में अभय की फोटो देख के हैरान हो जाता है) ये...ये है वो लेकिन ये कैसे हो सकता है अगर ये तेरा बेटा है तो फिर वो...

गीता देवी – क्या हुआ भईया आप फोटो देख के हैरान क्यों हो गए

देव – (संध्या से) तुम कैसे कह सकती हो की ये तेरा बेटा है

संध्या – आप ऐसा क्यों बोल रहे हो भईया ये अभय ही है मेरा बेटा वही नैन नक्श वो सारी बाते जो सिर्फ इसके इलावा कोई नही जानता है

देव – (सारी बाते सुन के किसी सोच में डूब जाता है और तुरंत किसी को कॉल करता है) हेलो शालिनी जी

शालिनी सिन्हा – प्रणाम ठाकुर साहब आज कैसे याद किया

देव – शालिनी जी आपकी बेटी कहा पे है मेरी बात हो सकती है उससे

शालिनी सिन्हा – ठाकुर साहेब वो तो निकल चुकी है लेकिन बात क्या है

देव – शालिनी जी मैने आपसे पूछा था उस लड़के के बारे में , अब आप सच सच बताएगा क्या वो लड़का सच में आपका बेटा है की नही

शालिनी सिन्हा – ठाकुर साहब वैसे तो मेरा कोई बेटा नही सिर्फ एक बेटी है और रही बात उस लड़के की हा उसे अपना बेटा ही मानती हूं मैं , उसके आने से मेरे परिवार में बेटे की कमी भी पूरी हो गई

देव – क्या नाम है उसका

शालिनी सिन्हा – अभय , ठाकुर अभय सिंह , मेरी बेटी उसी के पास आ रही है , लेकिन आप ऐसा क्यों पुछ रहे है

देव – अच्छा तो ये बात है (हस्ते हुए) शालिनी जी अभय यहीं पर है अपने गांव में वापस आगया है

शालिनी सिन्हा – (हस्ते हुए) हा ठाकुर साहब मेरी बेटी किसी केस के सिलसिले में गांव के लिए निकली है क्या आप जानते है किसी संध्या ठाकुर को

देव – जी वो मेरी मु बोली बहन है , बात क्या है

शालिनी सिन्हा – बात कुछ ऐसी है ठाकुर साहब (फिर शालिनी सिन्हा कुछ बात बताती चली गई देव को कुछ देर बात करने के बाद) इसीलिए उपर से ऑर्डर आया है तभी इस मामले की तह तक जाने के लिए भेजा गया है कुछ लोगो को..

देव – ठीक है शालिनी जी मैं ध्यान रखूंगा (कॉल कट करके किसी सोच में था देव)

गीता देवी – भईया क्या बात है आप किस सोच में डूबे है

देव – (मुस्कुरा के) ये लड़का अभय सच में कमाल का है मैने इस जैसा लड़का कही नही देखा अपने पिता मनन की तरह नेक जरूर है लेकिन उतना भी नेक नही जितना हमारे मनन ठाकुर थे

संध्या – क्या मतलब है इसका भईया

देव – बस इतना समझ ले तेरा बेटा खुद यहां नही आया उसे लाया गया है यहां पे और ये बात उसे खुद नही पता है और जिसे पता है वो खुद आ रही है जल्द ही मुलाकात होगी उससे तेरी भी

गीता देवी – क्या मतलब तेरी भी से आपका

देव – मतलब मैं मिल चुका हू अभय से और उस लड़की से भी जिसके साथ अभय रहता था

संध्या – कॉन है वो लड़की और अभय से उसका क्या...

देव – वो लड़की कोई मामूली लड़की नही सी बी आई ऑफिसर चांदनी सिन्हा है , डी आई जी शालिनी सिन्हा की एक लौती बेटी और बाकी की बात सिर्फ चांदनी बता सकती है लेकिन एक बात का ख्याल रहे ये बात बाहर नही जाने चाहिए यहां से और संध्या तेरे कॉलेज में चांदनी को टीचर बना के भेजा जा रहा है और उसके लोग तेरे साथ तेरी हवेली में रहेंगे नौकर के भेष में

संध्या – भईया मेरा अभय...

देव – (सिर पे हाथ फेर के) थोड़ा वक्त दे उसे मेरी बहन नफरत का बीज जो बोया गया है उसे इतनी आसानी से नही हटाया जा सकता है इतना सबर किया है तूने थोड़ा और कर ले।

देव –(गीता देवी से) अच्छा दीदी चलता हू मै लेकिन जब भी आपको अपने भाई की जरूरत पड़े बेजीझक बुला लेना (संध्या से) बहन अब भूलना मत तेरा भाई हर समय तेरे साथ है ।
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जारी रहेगा✍️✍️
Very very very beautiful and fantastic update.... matlab itna interest or itna tagda plot.....ek to khani already aachi thi per ise bestest aapne bana diya h......wooow..... what an update........sabd nahi h mere pass tariffo k.....kuki or bhi updates aane h....to intazaar rahaga ab to bhot tagda wala...🥺and again please mention daal diya kijiye
 
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