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intezaar rahega next update ka Raj_sharma bhai....iska agla update kal dopahar tak![]()
Bas kuch hi der meintezaar rahega next update ka Raj_sharma bhai....
Badhiya update bhai
To Toffik hi tha jisne sab kiya tha lekin loren ko kyun mar diya usne wo to usse pyar karta tha na or bechari loren bhi uske pyar me andhi hoker uski baten man rahi thi or jis jenith se badla lena chahta tha use abhi tak jinda rakha ha usne usse pyar ka natak karta ja raha ha Jenith ki sab sachhai pata pad gayi ha dekhte han kab tak Toffik babu apni sachhai chhupa pate han waise bure karm ki saja milti hi ha or jis jagah ye sab han usse lagta ha jaise Aslam miya ko saja mili usi prakar Toffik ka bhi number lag sakta ha
उचित समय आने पर, अवश्य ही
चौदह वर्ष पूर्व कलिका - जो दिल्ली के एक मैग्जीन की संपादक थी - ने यक्षलोक के प्रहरी युवान के कठिन सवालों का जो जवाब दिया वह बिल्कुल महाभारत के एक प्रसंग ( युधिष्ठिर और यक्ष संवाद ) की तरह था ।
क्या ही कठिन सवाल थे और क्या ही अद्भुत जवाब थे ! यह सब कैसे कर लेते है आप शर्मा जी ! पहले तो दिमाग मे कठिन सवाल लाना और फिर उस सवाल का जवाब ढूंढना , यह कैसे कर लेते है आप !
यह वाकई मे अद्भुत था । इस अपडेट के लिए आप की जितनी तारीफ की जाए कम है ।
शायद सम्राट शिप से चौदह साल पहले जो शिप बरमूडा ट्राइंगल मे डुब गया था , उस शिप मे ही कलिका की बेटी सफर कर रही होगी । वह लड़की आकृति हो सकती है । वह आकृति जो शलाका का क्लोन धारण कर रखी है ।
दूसरी तरफ सामरा प्रदेश मे व्योम साहब पर कुदरत बहुत ही अधिक मेहरबान हो रखा है । वगैर मांगे छप्पर फाड़ कर कृपा बरसा रहा है । पहले अमृत की प्राप्ति हुई और अब राजकुमारी त्रिकाली का दिल उनपर धड़क गया है ।
मंदिर मे जिस तरह दोनो ने एक दूसरे को रक्षा सूत्र पहनाया , उससे लगता है यह रक्षा सूत्र नही विवाह सूत्र की प्रक्रिया थी ।
इन दो घटनाक्रम के बाद तीसरी तरफ कैस्पर का दिल भी मैग्ना पर मचल उठा है और खास यह है कि यह धड़कन हजारों वर्ष बाद हुआ है । लेकिन सवाल यह है कि मैग्ना है कहां !
कहीं शैफाली ही मैग्ना तो नही ! शैफाली कहीं मैग्ना का पुनर्जन्म तो नही !
कुकुरमुत्ता को छाते की तरह इस्तेमाल करते हुए सुयश साहब और उनकी टीम का तेजाबी बारिश से खुद को रक्षा करना एक और खुबसूरत अपडेट था । पांच लोग बचे हुए हैं और एलेक्स को मिला दिया जाए तो छ लोग । तौफिक साहब की जान जाते जाते बची , लेकिन लगता नही है यह साहब अधिक दिन तक जीवित रह पायेंगे ।
कुछ मिलाकर पांच प्राणी ही सम्राट शिप के जीवित बचेंगे , बशर्ते राइटर साहब ने कुछ खुराफाती न सोच रखा हो ।
ये मिश्रित पांडव जीवित रहने चाहिए पंडित जी !
सभी अपडेट बेहद खुबसूरत थे ।
रोमांच से भरपूर ।
एक अलग तरह की कहानी , एक अद्भुत कहानी ।
और आउटस्टैंडिंग राइटिंग ।
Shandaar update and nice story
शानदार अपडेट राज भाई
अद्भुत अंक भाई
फिर से एक अप्रतिम रोमांचक और अद्भुत अविस्मरणीय मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अब स्टॅचू ऑफ लिबर्टी की मुर्ती पर तिलिस्मा का नया खेल शुरु हो गया
खैर देखते हैं आगे
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Maza aa gya bhai
बहुत ही अद्भुत अपडेट है मजा आ गया ऋतुओं के खेल में !
Okk
Abhii start hi ki hu padna
Hr update ka review thena possible nhi
Sab ka ek sath dungi review
Btwn jitni bhi padi hai kafi intresting hai
Nice update.....
Shaandar update
Nice update ...lambe gap ke karan thoda confusion hai kuch ...lekhak mahodaya ho sake to iska answer dijiyega ...
Gurutva shakti
Nice update....
Ab s
समझ आया आकृति के चेहरा नहीं बदल पाने के कारण.... इसलिए आर्यन भी जल्दी नहीं पहचान पाया उसको....
बहुत ही सुंदर अपडेट
Bhut hi badhiya update Bhai
Hame melait or survaya ke past ke bare me bhi pata chal gaya
Dhekte hai ab aage kya hota hai
Har ek update ki alag kahani hai, har chepter apne aap me khas, aur har ek patra ki alag hi story, bhai waah, kya kahne is kahani ke, jitna bolo kam hi hai.to aakhir kasturi mrig mil gaya, aur wo koi aur nahi balki apna Roger hi nikla, waise wo singhraaj aur subharjna shaktiyo ki jhalak kab dikha rahe ho guru dev??
Awesome update again and again![]()
Awesome update and nice story
Awesome update![]()
Gazab ki update he Raj_sharma Bhai,
Greek mythology ke sath sath Hindu purano ki bhi bharpur jankari mil rahi he hum sabko
Roger ke rup me Melaite ko apna koi aur mil hi gaya......
Suvarya ki kahani to badi dukh bhari he.....Aakriti ne iske sath bahut hi bura kiya...........
Keep rocking Bro
वाह बहुत ही अद्भुत अपडेट दिया है आपने ! तिलस्म भी बहुत ही उम्दा बनाया है ऐसा लग रहा है जैसे ख़ुद तिलिस्म में खड़े होकर देख रहे हैं !
बहुत ही शानदार लिख रहे हैं आप भाई !
![]()
nice update
#165
राज भाई ने स्वयं ही लिख दिया - मकोटा ने लुफासा का लम्बा चौड़ा काट दिया है। उसकी बातों से लगता है कि वो एक नम्बरी धूर्त है। अब तो शक़ होता है कि कलाट का लुफासा के मम्मी पापा की मृत्यु में कोई योगदान है। इसी मकोटे ने ही मारा होगा उनको। गोंजाला को व्योम ने कूट दिया था। सुयश और टीम को नहीं पता है, लेकिन व्योम तो इस समय महाबली है। उसका रोल क्या होगा, फिलहाल समझ में नहीं आ रहा है।
यार अब तो जैगन का भी बाप निकल आया - कुवान! और वब तो जैगन ख़ुद भी होश में आ गया है। इससे मकोटा के गिरोह को बहुत बल मिलेगा। वैसे लुफासा का मानवों के बारे में चिंता जताना कुछ जमा नहीं। वो खुद ही मानवों की ऐसी तैसी करने में लगा हुआ है। ये क्लिटोरिस के मोती के कारण बड़ा उत्पात मचने वाला है!
(वैसे भी दुनिया के अधिकतर झगड़े क्लिटोरिस के मोती के चक्कर में ही होते हैं! हा हा हा हा!)
#166
ये वाला तो कुछ कुछ Jack the Giant Slayer फ़िल्म जैसा हो गया!
“कैप्टेन अंकल समुद्र की लहरों के लिये चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण ही जिम्मेदार माना जाता है” -- क्या बात है भाई! सच में - कोई अगर ये कहानी पढ़ ले, तो उसको इतना कुछ पता चल जाएगा कि क्या कहें!
“हां तुम्हारी आँखें बिल्कुल जलपरी के जैसी हैं, जी चाहता है कि इसमें डूब जाऊं।” -- “और तुम्हारा चेहरा इस चंद्रमा से भी ज्यादा खूबसूरत है।” -- इसको कहते हैं मौके पर छक्का मारना! वेल डन ऐलेक्स!! हा हा हा हा!
ये वाला द्वार कम से कम जानलेवा नहीं था!
#167
भारतीय परंपरा में कौवों को बहुत बुद्धिमान प्राणी माना जाता है। इसलिए उस बुद्धिमान कौवे की बात विश्वसनीय है।
वो तो कहो ईल ने वेगा को बिजली का झटका नहीं मारा - यही तो दुर्गति हो जाती।
यह ज़रूर ही वीनस और वेगा के लिए सुपरहीरो की तरह पहला युद्ध था, लेकिन यह युद्ध पृथ्वी के जीवों के संग था। और उन जीवों के संग, जिनमें बुद्धि-कौशल बेहद कम होता है -- ऑक्टोपस को छोड़ कर। ऐसे में भविष्य के युद्ध के लिए इन दोनों को शायद और भी शक्तियों की आवश्यकता होगी।
#168
अरे वाह! इसमें तो आपने वो फिल्मों में टाइमबम को डिफ्यूज करने जैसा टेंशन दे दिया! बाल बाल बचे!
अब तक सुप्रीम के इतने सारे लोगों की मृत्यु हो चुकी है कि सच में अब मन नहीं होता कि इनमें से कोई भी मरे! तौफ़ीक़ भी नहीं। अवश्य ही उसने न जाने क्या क्या कर डाला - लेकिन कम से कम अभी वो सही राह पर है।
वैसे ऐसा लगता है कि हर द्वार पर इस दल के हर व्यक्ति को योगदान करना होगा। अगर कोई असफ़ल हुआ, तो पूरा दल असफ़ल हो जाएगा!
“चलो माना तुम्हारा अधिकार स्वयं पर...पर देखता हूं कि जब कोई मुझे तुम से अलग करने आयेगा, तो उसका सामना कैसे करोगी?” -- लगता है नक्षत्रा को Rene और Orena की आमद का पता चल गया है।
इंडिया जा रहे हैं सभी! ये बताओ, इस घने smog में किसी को कुछ दिखेगा भी?
#169
रोजर और मेलाइट की जोड़ी बन गई है भाई!
“...मुझे समुद्र की लहरों पर एक धुंधली सी विशाल आकृति दिख रही है...क्या...क्या यह कोई राक्षस है या फिर कोई बड़ा सा अंतरिक्ष यान?” सुर्वया को भी intergalactic लड़ाकों की भनक लग गई है लगता है।
#170
जैसा कि मैंने ऊपर लिखा था - तौफ़ीक़ न केवल उपयोगी है बल्कि सुधार के मार्ग पर भी है! अर्जुन को भी पिछाड़ दिया उसने - केवल बाहुबल से उसने सौ फुट दूर एक छोटी सी मछली की आँख को बींध दिया! वाह! और अब जेनिथ ने नाच नाच कर इस मुसीबत पर पल बना दिया।
मस्तिष्क के बारे में एक बेहद मूर्खतापूर्ण भ्रम यह है कि हम उसका सिर्फ 10% ही इस्तेमाल करते हैं! यह बात वैज्ञानिक रूप से पूरी तरह गलत है। दरअसल, हम अपने दिमाग का पूरा 100% इस्तेमाल करते हैं - हाँ, लेकिन एक साथ नहीं, और न ही एक काम के लिए! हाँ - Cerebral Cortex का लगभग 30% हिस्सा दृष्टि के लिए इस्तेमाल होता है। करीब 8% स्पर्श और 3% श्रवण के लिए! वैसे कुछ नए रिसर्च के मुताबिक दिमाग का लगभग 40-50% दृष्टि के लिए इस्तेमाल होता है।
बात सही है - “दिखाता” तो दिमाग ही है। इसीलिए अक्सर लोगों को बादलों या चकत्तों में आदमी का चेहरा दिख जाता है।
बड़े दिनों बाद वापस आया - लेकिन नई जगह में सेटल होने में समय लगता है। इसलिए समय कम मिलता है।
वैसे एक बात है - अब यह फ़ोरम बेहद उबाऊ हो गया है। न कोई ढंग का कंटेंट है और न ही पुराने मित्र! इसलिए अब इधर आने का मन कम ही होता है।
लेकिन आपका मनोबल बढ़ाते रहेंगे हम! जब तक ये कहानी चल रही है, तब तक अपना इधर आना रुकेगा नहीं।
Wonderful update brother, tilism ka har dwar khud mein ek paheli hai jise sochne ke liye kaphi mehnat lagta hai, wahi mehnat aapki story mein dikh raha hai. Kaise aapne apni story mein Science, history and mythology topic ko add kiya hai wo atulniye hai.![]()
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, let's see abhi aage inhe aur kya milta hai pseudo India mein.
ekdam romanch se bhara update likha hai ..shefali aur taufik ki guno se ek padaw paar kar liya sabne ..
christy ne bhi teesra padaw paar kar liya apne dancing mooves se jisme nakshatra ne bhi saath diya ..
Gazab ki update he Raj_sharma Bhai,
Ke-Ishwar ko in sabki pratibha ke baare me pata he..........
Tabhi vo in sabki kabiliyat ke anusar in sabhi dwaro ka nirman kar rha he......
Lekin ek dwar aisa bhi jarur aayega jaha par in sabki fategi jarur
Keep rocking Bro
Shaandar update
Bhut hi badhiya update Bhai
Keshwar ne sabhi ki Pratibha ko dyan me rakhte huye sabhi dvar ka nirmaan kiya hai
Jise sabhi ne milkar pass kar liya
रिव्यू की शुरुआत की जाए
उम्मीद के मुताबिक यह ऋतुओं वाला तिलिस्म कुछ अलग सा लगा। ख़ासकर भारत में ग्रीष्म ऋतु वाला हिस्सा, साँप-सीढ़ी के खेल से मिलता-जुलता नज़र आया। साथ ही शुरुआत में जिस गर्मी को दिखाया गया, वो सिर्फ़ एक छोटा सा भाग है; असली चुनौती तो 100वें नंबर पर मिलने वाली है।
साथ ही 1–10 में 10 नंबर पर क्यूपर बेल्ट, 11–20 पर प्लूटो, 20–30 पर नेप्च्यून—इन चीज़ों को देखकर इस तिलिस्म को मैंने डिकोड कर लिया है।
100वें नंबर पर हमारा सामना सूर्य से होगा। वहाँ हमें सूर्य की भयानक गर्मी का चैलेंज मिलेगा। अगर ये ग्रहों वाले हिंट नहीं दिए जाते, तो मेरे लिए इसे पकड़ पाना मुश्किल रहता।
लेकिन जैसा मैंने तिलिस्म को पढ़ा, उसमें आख़िर में ग्रहों के चैलेंज आने हैं। तो क्या ये उसी से मिलता-जुलता नहीं होगा?
मुख्य बात यह है कि केशवर द्वारा बार-बार इन लोगों की अपनी-अपनी कला की परीक्षा ली जा रही है, ताकि उन्हें और बेहतर बनाया जा सके।
जैसे तौकीफ़ का उदाहरण लेते हैं—बिना देखे भाला फेंकने से उसे बिना देखे कहीं भी निशाना लगाने की तकनीक में वृद्धि होगी। ठीक वैसे ही जैसे एलेक्स उछल-कूद कर अपनी ट्रेनिंग करता है। आगे ज़ेनिथ की नृत्य-कला उसे लचीला बनाने में सहायक होगी। आगे क्या होगा, ये हमें नहीं पता, लेकिन अगर आगे युद्ध में इन्हें लड़ना पड़ा, तो ये सारी ट्रेनिंग काम आएगी।
अब शफ़्फ़ाली और सुयश का भाग बचा है कि इनके लिए केशवर ने आगे क्या तैयार किया है।
वैसे केशवर अगर इनके बारे में इतना सब कुछ जानता है, तो वह इनकी क्षमता के अनुसार तिलिस्म क्यों बना रहा है? उसे तो इनके विपरीत परिस्थितियों वाला तिलिस्म बनाना चाहिए था, ताकि इन्हें मुश्किल हो।
क्या केशवर चाहता है कि ये लोग तिलिस्म को पार करें? क्या रोबोट कुछ ऐसा सोच रहा है, जिसकी कल्पना कोई नहीं कर पा रहा
ओवरऑल पूरा अपडेट शानदार था।
Raj_sharma
intezaar rahega next update ka Raj_sharma bhai....

Mind Blowing❤❤#170.
चैपटर-11
ग्रीष्म ऋतु-1: (तिलिस्मा 4.2)
तिलिस्मा ने इस बार सभी को अपने द्वारा बनाये भारत के किसी स्थान पर भेज दिया।
वहां एक बहुत विशालकाय क्षेत्र था। चारो ओर हरियाली फैली थी, पेड़-पौधों पर रंग-बिरंगे फूल लगे थे, जो कि अपनी खुशबू से पूरा क्षेत्र महका रहे थे।
आसमान में पंछी अपनी मधुर आवाज बिखेर रहे थे। कुल मिलाकर बहुत ही खुशनुमा वातावरण था।
“मुझे तो लगा था कि हमारा सामना यहां ग्रीष्म ऋतु से होगा और हमें यहां चिलचिलाती हुई गर्मी मिलेगी, पर यहां का मौसम तो बहुत ही खुशनुमा है।” जेनिथ ने कहा- “ऐसा लगता है कि जैसे यहां कोई परेशानी
है ही नहीं?”
“कैश्वर ने हमें यहां मौज-मस्ती के लिये नहीं भेजा होगा...अभी देखना, कुछ ही देर में कैश्वर का कार्य शुरु हो जायेगा।” ऐलेक्स ने नाक सिकोड़ते हुए कहा।
“चलो जब तक कोई परेशानी शुरु नहीं होती, तब तक इस क्षेत्र को अच्छी तरह से देख लेते हैं।” सुयश ने कहा- “पता नहीं बाद में समय मिले की नहीं?”
सुयश की बात सभी को सही लगी, इसलिये सभी आगे बढ़कर वह क्षेत्र देखने लगे।
परंतु कुछ आगे जाते ही सभी को जमीन पर एक विशालकाय खेल के जैसी कोई संरचना दिखाई दी।
“लो जी, कैश्वर से हमारी खुशी देखी नहीं गई, इसलिये भेज दिया किसी आफत को हमसे लड़ने के लिये।” ऐलेक्स ने फिर कैश्वर पर कटाक्ष करते हुए कहा- “और दूर से ही मुझे यह कोई बहुत बड़ी परेशानी दिख
रही है, क्यों कि यह लगभग 1 किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है।”
“मुझे तो यह कोई बड़ा सा बोर्ड गेम लग रहा है?” तौफीक ने कहा।
धीरे-धीरे चलते हुए सभी उसके पास पहुंच गये, पर वह पूरा सेटअप इतना बड़ा था कि पास से पूरा दिख ही नहीं रहा था।
“कैप्टेन हमें उस बड़ी सी चट्टान से यह खेल पूरा नजर आ जायेगा” क्रिस्टी ने पास की ही एक चट्टान की ओर इशारा करते हुए कहा।
क्रिस्टी की बात सही थी, इसलिये सभी उस ऊंची सी चट्टान की ओर बढ़ गये। चट्टान पर चढ़ने के बाद सभी ने उस पूरे खेल पर नजर डाली।
“कैप्टेन अंकल, यह तो साँप-सीढ़ी की तरह का कोई विशाल गेम है, जिस पर नम्बर्स लिखे हैं, मगर इस पर साँप-सीढ़ी की जगह कुछ संरचनाएं और चीजें बनी हैं।” शैफाली ने कहा।
“मगर यह पूरी आकृति गोलाकार है और इस के बहुत से नम्बरों पर हमारी आकाशगंगा के नक्षत्र घूम रहे हैं, यह संरचना बिल्कुल जलेबी की भांति है और इसके मध्य में आकाशगंगा के समान एक सूर्य चमक रहा है और यह पूरी संरचना उस सूर्य का चक्कर लगा रही है।” ऐलेक्स ने कहा- “यह तो बहुत विचित्र और खतरनाक द्वार लग रहा है।”
“कैप्टेन, एकाएक आपको इस चट्टान पर कुछ गर्मी बढ़ती हुई महसूस नहीं हो रही क्या?” क्रिस्टी ने अपने माथे पर बह आये पसीने को पोंछते हुए कहा।
“मुझे भी कुछ गर्मी बढ़ती हुई सी लग रही है।” तौफीक ने भी अपनी जैकेट उतारते हुए कहा।
“कैश्वर ने तो कहा था कि हमें तिलिस्मा में कुछ भी अहसास नहीं होगा। फिर यह गर्मी कैसे बढ़ रही है?” ऐलेक्स ने कहा।
“कैश्वर ने कहा था कि हमें भूख, प्यास नहीं लगेगी, गर्मी, सर्दी तो महसूस हो ही सकती है, पर यह देखो कि इतनी गर्मी के बाद भी हमें प्यास नहीं लग रही है।” तौफीक ने कहा।
कुछ ही देर में गर्मी और बढ़ गई, अब सबके लिये जैकेट को पहने रख पाना मुश्किल हो गया था, इसलिये बाकी सभी ने अपनी जैकेट उतार लीं।
“कैप्टेन कहीं इस गर्मी के बढ़ने के पीछे इस गेम का हाथ तो नहीं?” ऐलेक्स ने कहा- “क्यों कि इस गेम में भी आकाशगंगा और सूर्य ही बना है और वैसे भी हम इस समय मानचित्र के अनुसार विश्व के एक गर्म हिस्से में हैं।”
“ऐलेक्स तुम्हीं सबसे ज्यादा दूर तक साफ देख सकते हो। तुम ही एक बार चेक करके बताओ कि तुम्हें इस गेम में क्या अलग नजर आ रहा है?....मेरा मतलब कि इस गेम में हमें करना क्या है?” जेनिथ ने ऐलेक्स को देखते हुए कहा।
जेनिथ की बात सुन ऐलेक्स ध्यान से उस पूरे गेम को देखने लगा।
कुछ देर तक उस पूरे गेम का अध्ययन करने के बाद ऐलेक्स ने कहा- “कैप्टेन इस पूरे गेम में सभी ग्रह हमारी आकाशगंगा की ही भांति सूर्य का चक्कर लगा रहे हैं, परंतु इस समय इस गेम में, पृथ्वी अपनी अक्ष के परितः नहीं घूम रही है, जिसकी वजह से उसका एक भाग, लगातार सूर्य की परिक्रमा करते हुए सूर्य के सामने है। मुझे लग रहा है कि तभी हमारे आसपास गर्मी बढ़ती जा रही है। यानि अब पृथ्वी के एक भाग में हमेशा दिन रहेगा और दूसरे भाग में हमेशा रात होगी। दिन वाला भाग निरंतर गर्म होता जायेगा और रात वाला भाग निरंतर ठंडा। और हम इस समय पृथ्वी के गर्म वाले भाग में हैं।”
“यानि कि हमें जल्दी से जल्दी इस समस्या का समाधान करना होगा, नहीं तो गर्मी इतनी बढ़ जायेगी कि हम लोग उसे बर्दास्त नहीं कर पायेंगे।” क्रिस्टी ने कहा- “इसका साफ मतलब निकलता है कि इस
बार हमारा कार्य पृथ्वी को उसके अक्ष के परितः गति देना है।”
“बिल्कुल सही।” ऐलेक्स ने कहा - “तभी यह गोलाकार जलेबी जैसी संरचना सिर्फ पृथ्वी तक ही बनी है।”
“कैप्टेन तो फिर तुरंत चलते हैं इस गेम की ओर...अब हमें ज्यादा देर करना सही नहीं होगा।” जेनिथ ने चट्टान से उतरते हुए कहा।
जेनिथ की बात सुन सभी तेजी से चट्टान से उतरने लगे। कुछ ही देर में सभी उस विचित्र गेम के शुरुआती स्थान पर पहुंच गये।
पूरा गेम 10 बाई 10 फुट के वर्गाकार पत्थरों से बना था। नम्बर 1 की जगह स्टार्ट लिखा हुआ था और 10 नंबर पर आकाशगंगा की ‘कुईपर बेल्ट’ बनी थी।
(कुईपर बेल्ट हमारे आकाशगंगा का वह आखिरी छोर है, जहां तक हमारे सूर्य का गुरुत्वाकर्षण काम करता है। इस क्षेत्र में क्षुद्र ग्रह और स्टेरायड आते हैं)
“पर इस गेम में पासे तो हैं ही नहीं, फिर हमें चलना कैसे है?” क्रिस्टी ने कहा- “क्या मैं एक कदम आगे बढ़कर देखूं कैप्टेन?”
“नहीं थोड़ी देर रुक जाओ क्रिस्टी, मुझे लगता है कि कुछ ही देर में हमें पता चल जायेगा कि आगे कैसे बढ़ना है?” सुयश ने क्रिस्टी को रोकते हुए कहा।
तभी इनके सामने हवा में एक नीले रंग का धुंआ दिखाई दिया, उस धुंए ने हवा में अब कुछ लिखना शुरु कर दिया था।
कुछ ही देर में इन सभी के सामने हवा में, धुंए से एक पहेली लिखी नजर आने लगी।
इस पहेली पर लिखा था-
“एक लक्ष्य है, तीन हैं भाले,
अपनी किस्मत आजमाले।”
“यह क्या लिखा है हवा में?” सुयश ने ध्यान से उसे पढ़ते हुए कहा- “ना तो यहां पर भाले हैं और ना ही कोई लक्ष्य। फिर इन पंक्तियों का क्या मतलब है?”
सुयश का इतना कहना था कि तभी हवा में 3 भाले प्रकट हो गये।
“वाह! अगर निशाना लगाना है तो यह प्रतियोगिता तौफीक के लिये बहुत आसान हो जायेगी।” क्रिस्टी ने कहा।
“अरे पर पहले लक्ष्य को तो दिखने दो, फिर निशाने के बारे में सोचेंगे।” सुयश ने कहा।
“लक्ष्य हमारे सामने है कैप्टेन अंकल।” शैफाली ने कहा।
“कहां है लक्ष्य, मुझे तो नहीं दिखाई दे रहा।” तौफीक ने शैफाली की ओर देखते हुए पूछा।
“हम इस समय 1 नम्बर पर खड़े हैं तौफीक अंकल और वह लक्ष्य 10 नम्बर पर एक 2 इंच की मछली के रुप में है, जो एक लकड़ी के मध्य फंसी है और अपने अक्ष के परितः हवा मे गोल-गोल नाच रही है। पर मुझे लगता है कि वह अदृश्य है और सिर्फ मुझे ही दिख रही है।” शैफाली ने सामने की ओर देखते हुए कहा।
“वह मुझे भी दिख रही है, पर मैं इस जैसे 100 भाले से भी उसका निशाना नहीं लगा सकता।” ऐलेक्स ने मछली की ओर देखते हुए कहा।
“अब क्या करें कैप्टेन?” जेनिथ ने डरते हुए सुयश से पूछा- “जिसे वह मछली दिख रही है, वह निशाना लगा नहीं सकता और जो निशाना लगा सकता है, उसे वह मछली दिखाई नहीं दे रही है।”
“इसीलिये कहा था कि निशाने का नाम सुनते ही खुश होने की जरुरत नहीं है, वह कैश्वर है, हमें हमेशा अगली चुनौती, पिछली चुनौती से ज्यादा खतरनाक देगा।” सुयश ने कहा- “चलो कोई बात नहीं, मुझे अभी भी तौफीक की क्षमता पर पूरा भरोसा है, वह 3 बार में सही निशाना जरुर लगा लेगा, बस शैफाली या ऐलेक्स को तौफीक को गाइड करना होगा।”
“मेरे हिसाब से तौफीक अंकल को गाइड करने का काम मुझे करने दीजिये कैप्टेन अंकल, मुझे दिशा, हवा और बीच की दूरी का ज्यादा अच्छा ज्ञान है।” शैफाली ने स्वयं को मोटीवेट करते हुए सबके सामने प्रस्तुत किया, पर अगर वह ऐसा ना भी करती, तब भी सुयश ने यह काम शैफाली से ही करवाना था।
तौफीक ने अब पहला भाला हवा से उठा लिया। तौफीक ने पहले भाले के वजन का जायजा लिया और फिर उसे 2-3 बार अपने हाथों में ही चला कर देख लिया, अब वह शैफाली की ओर देखने लगा।
शैफाली ने तौफीक को अपनी ओर देख बोलना शुरु कर दिया- “तौफीक अंकल, मैं आपको सिर्फ 4 चीजों के बारे में बताती हूं। नंबर 1, आपसे मछली की दूरी शत-प्रतिशत 100 फुट है, नंबर 2, मछली इस
वर्गाकार पत्थर के बीच में है। नंबर 3, मछली की ऊंचाई जमीन से 5 फुट और 6 इंच है। नंबर 4, हवा का बहाव हमारे दाहिने से बांयी ओर लगभग 8 किलोमीटर प्रति घंटा है। अब आप अपनी तैयारी करिये और जैसे ही मैं 3 तक गिनती गिनूं, आप भाला चला दीजियेगा।”
तौफीक ने अपना सिर हिलाकर अपनी स्वीकृति दे दी। अब तौफीक ने भाला अपनी कंधे की ऊंचाई पर लाकर अपनी तैयारी पूरी कर ली।
तौफीक की नजरें अब बस शैफाली के बताये हुए आंकड़ों के हिसाब से हवा में केन्द्रित हो गई। अब तौफीक को बस शैफाली की गिनती का इंतजार था।
उधर शैफाली ध्यान से मछली के गोल घूमने की गति का अंदाजा लगा रही थी।
लगभग 5 मिनट तक शैफाली ने ध्यान से उस मछली को देखा और फिर अपनी गिनती शुरु कर दी- “3.....2......1” शैफाली के एक बोलते ही तौफीक ने अपने हाथ में पकड़ा भाला चला दिया।
भाला सनसनाता हुआ सीधा मछली के सिर में जा घुसा। 2 और निशाने की जरुरत ही नहीं पड़ी।
निशाना सही जगह लगते देख शैफाली और ऐलेक्स खुशी से चीख उठे।
उनके चीखने के अंदाज से ही सभी जान गये कि निशाना सही लगा है।
तभी वह पत्थर, जिस पर सब खड़े थे, अपने आप फिसलता हुआ उन्हें 11 नंबर पर लेकर पहुंच गया और पीछे के सभी नंबर अब गायब दिखने लगे।
अभी सब ठीक से खुशी भी नहीं मना पाये थे कि अब उनके सामने एक और समस्या खड़ी थी।
अब 20 नंबर पर प्लूटो ग्रह नाचता दिखाई दे रहा था और उसके बगल एक गोल सी चकरी लगी थी।
11 से 20 नंबर के बीच के क्षेत्र में जमी हुई झील के जैसा पानी दिखाई दे रहा था। 11 नंबर के अंत में 9 धातु के टुकड़ों पर एक पहेली फिर लिखी हुई नजर आ रही थी।
“डालो पानी में पानी,
बन जाओ जल की रानी।”
“अब इस पहेली का क्या मतलब हुआ?” क्रिस्टी ने कहा- “भला पानी में पानी कैसे डालना है? और मुझे तो साफ दिख रहा है कि उस पार लगी चकरी को घुमाने पर आगे का द्वार खुल जायेगा।.....कैप्टेन अगर
आप कहें तो मैं इस पानी में उतर कर इसे पार करने की कोशिश करूं क्या? हो सकता है कि इसे ऐसे ही पार करना हो?”
“रुक जाओ क्रिस्टी।” सुयश ने क्रिस्टी को रोकते हुए कहा- “यह पानी बर्फ सा ठंडा दिख रहा है, पहले इसमें मैं उतरकर देखता हूं।”
यह कहकर सुयश ने पानी में उतरने के लिये अपने पाँव लटकाये, पर उसे पानी में बहुत तेज करंट का झटका लगा।
“यह पानी तो करंट मार रहा है, पानी में उतर कर इसे पार नहीं किया जा सकता। कुछ और ही सोचना होगा?” सुयश ने अपने पैर ऊपर करते हुए कहा।
सुयश की बात सुन क्रिस्टी ने ऊपर से ही पानी को छुआ, पर उसे करंट का अहसास नहीं हुआ।
“कैप्टेन, यह पानी मुझे करंट नहीं मार रहा।” क्रिस्टी ने आश्चर्य से सुयश की ओर देखते हुए कहा।
“अब मुझे समझ में आया, इस पहेली की दूसरी पंक्ति यही कहती है कि इसमें कोई लड़की ही उतर सकती है।” शैफाली ने सभी को समझाते हुए कहा।
“तो कैप्टेन, क्या अब मैं पानी में उतरने की कोशिश कर सकती हूं?” क्रिस्टी ने रिक्वेस्ट वाले लहजे में सुयश से कहा।
सुयश ने अब सिर हिलाकर क्रिस्टी को अनुमति दे दी।
“सुयश की आज्ञा मिलते ही क्रिस्टी पानी में उतर गई, पर जैसे ही वह तैरने चली, पानी उसे नीचे की ओर खींचने लगा। यह देख क्रिस्टी घबरा कर ऊपर आ गई।
“कैप्टेन, यह पानी मुझे नीचे की ओर खींच रहा है, ऐसे में तैरकर इसे पार नहीं किया जा सकता।” क्रिस्टी ने कहा और बैठकर वहां लिखे शब्दों को ध्यान से देखने लगी।
अब सभी अपना दिमाग तेजी से चला रहे थे।
“कैप्टेन इस कविता में 9 ही शब्द हैं और यह सारे शब्द अलग-अलग धातु के टुकड़ों पर लिखे हैं, ऐसा क्यों है? यह सारे शब्द किसी एक ही टुकड़े पर भी तो लिखे जा सकते थे, फिर कैश्वर ने ऐसा क्यों किया?”
यह सुनते ही शैफाली के होंठों पर मुस्कान आ गई- “मिल गया मुझे कविता की पहली पंक्ति का अर्थ।”
यह कहकर शैफाली ने सभी शब्दों में से ‘पानी ’ शब्द वाले दोनों धातु के टुकड़े उठा लिये और उसे उठा कर बर्फीले पानी में फेंक दिया।
शैफाली के ऐसा करते ही उन धातु के टुकड़ों में नीचे की ओर 2 हैण्डिल निकल आये और वह तेजी से 11 से 20 नंबर के बीच पानी में तैरने लगे।
“अच्छा तो पानी वाले शब्द को पानी में डालना था।” जेनिथ ने मुस्कुराते हुए कहा।
यह देख एक बार फिर क्रिस्टी पानी में उतर गई और साँस रोककर उन धातु के टुकड़ों के नीचे लगे हैण्डिल को दोनों हाथों से पकड़ लिया।
अब क्रिस्टी का पूरा शरीर पानी के अंदर था, पर धातु के टुकड़े 10 सेकेण्ड में ही क्रिस्टी को लेकर 20 नंबर के पास पहुंच गये।
क्रिस्टी धातु के टुकड़ों को छोड़ अब 20 नंबर पर पहुंच गई। 20 नंबर पर पहुंचते ही क्रिस्टी ने वहां लगी चकरी को क्लाक वाइज घुमा दिया।
चकरी के घुमाते ही 11 से 20 नंबर के बीच एक पुल बन गया और सभी उस पुल से हो कर 21 नंबर पर पहुंच गये।
अब उन्हें 30 नंबर पर ‘नेपच्यून’ ग्रह नाचता हुआ दिख रहा था, जिसके पास एक बंदर की मूर्ति लगी दिखाई दी। उस बंदर के हाथ में एक केला था और उसकी पूंछ किसी असली बंदर के समान हवा में लहरा रही थी।
21 से 30 नंबर तक के बीच में जमीन धधक रही थी और उस जमीन से आग की तेज लपटें उठ रहीं थीं।
उन आग की लपटों के ऊपर हवा में 3 रस्सियां कुछ-कुछ दूरी पर लटक रहीं थीं। यह रस्सियां ऊपर कहां से बंधी थीं, यह दिखाई नहीं दे रहा था।
तभी आग की लपटों से कुछ चिंगारियां निकलकर हवा में कुछ लिखने लगीं।
थोड़ी ही देर में सभी को हवा में लिखी एक और कविता नजर आने लगी, जिस पर लिखा था-
“झूलकर बन जाओ बंदर,
पार करो फिर अग्नि समुंदर।”
“ये लो फिर से एक और कविता।” ऐलेक्स ने कविता को पढ़ते हुए कहा।
“हां, पर ये इस कविता का सार बहुत ही आसान है।” क्रिस्टी ने कहा- “साफ पता चल रहा है कि हमें इन रस्सियों पर झूलते हुए इस आग के समुंदर को पार करना है।”
“कविता को समझना तो आसान है, पर हर किसी के लिये इस आग के समुंदर को पार करना इतना आसान नहीं है।” सुयश ने आग के ऊपर बंधी रस्सी की ओर देखते हुए कहा।
“मैं इसके द्वारा उस पार आसानी से जा सकता हूं।” ऐलेक्स ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “पर मुझे नहीं लगता कि किसी एक इंसान के पार करने से यह समस्या खत्म होगी।”
“क्यों अभी मैंने भी तो बर्फ की नदी पार की थी, उसके बाद तो सबके लिये पुल बन ही गया था।” क्रिस्टी ने ऐलेक्स से कहा- “जरुर यहां पर भी ऐसा ही होगा। वैसे भी कैश्वर को पता है कि सभी लोग झूलकर इसे
पार नहीं कर सकते, इसलिये वह ऐसा तिलिस्म बनाएगा ही नहीं।”
“तो फिर ठीक है, मैं पहले उस पार जाता हूं, फिर उधर जाकर देखता हूं कि बाकी लोगों के उधर जाने की क्या व्यवस्था है।” ऐलेक्स ने कहा।
“जाओ मेरे बंदर, ये कार्य सिर्फ तुम्हारे लिये ही बना है। जाकर अपना कार्य पूर्ण करो।” यह कहकर क्रिस्टी ने किसी देवी की भांति अपना एक हाथ उठाकर ऐलेक्स को आशीर्वाद देते हुए कहा।
ऐलेक्स ने यह सुन क्रिस्टी को घूरकर देखा और फिर मुस्कुरा कर 21 नंबर के पत्थर के किनारे पर आ गया।
ऐलेक्स ने एक बार रस्सी की ओर ध्यान से देखकर उसकी दूरी का जायजा लिया और फिर पहली रस्सी की ओर छलांग लगा दी।
पहली रस्सी आसानी से ऐलेक्स के हाथ में आ गई। अब ऐलेक्स ने अपने शरीर को हवा मे थोड़ा झुलाया और एक हाथ से दूसरी रस्सी पकड़ ली।
पर दूसरी रस्सी को पकड़ते ही वह रस्सी पूरी के पूरी आग में गिर गई। भला हो कि अभी ऐलेक्स ने पहली रस्सी को छोड़ा नहीं था। इसलिये ऐलेक्स का शरीर लड़खड़ाया, पर उसने स्वयं को संभाल लिया।
ऐलेक्स को फिसलता देख क्रिस्टी के मुंह से चीख निकल गई, पर ऐलेक्स को सुरक्षित देख उसने राहत की साँस ली।
“ऐलेक्स क्या तुम अब तीसरी रस्सी तक पहुंच पाओगे?” सुयश ने चिल्ला कर ऐलेक्स से पूछा।
“तीसरी रस्सी की दूरी थोड़ी ज्यादा है, पर मुझे लगता है कि मैं उस तक पहुंच जाऊंगा।” ऐलेक्स ने विश्वास से कहा।
लेकिन इससे पहले कि ऐलेक्स तीसरी रस्सी पर कूद पाता, कि तभी नीचे से आयी एक आग की लपट ने तीसरी रस्सी का जला दिया।
यह देख अब सभी के चेहरे पर चिंता की लकीरें आ गईं, क्यों कि अब यह टास्क ऐलेक्स के लिये भी मुश्किल बन गया था।
पर फिर भी ऐलेक्स ने हार नहीं मानी, उसने एक बार फिर अपने शरीर को हवा में जोर जोर से हिलाना शुरु कर दिया। कुछ ही देर में ऐलेक्स के हवा में झूलने की गति काफी तेज हो गई।
अब ऐलेक्स धीरे-धीरे सरक कर रस्सी के बिल्कुल आखिरी किनारे पर आ गया, उसे पता था कि वह जितना नीचे से रस्सी को पकड़ेगा, उतना ही दूर तक जायेगा। अब ऐलेक्स की नजरें सिर्फ और सिर्फ 30 नंबर के पत्थर पर थी।
आखिरकार ऐलेक्स ने रस्सी छोड़ दी। अब उसका शरीर हवा में उड़ता हुआ तेजी से 30 नंबर के पत्थर की ओर चल दिया।
ऐलेक्स को छलांग लगाते देख सभी की साँसें रुक सी गयीं। आखिरकार ऐलेक्स का पैर 30 नंबर पत्थर के आखिरी छोर पर पहुंच ही गया। यह देख सभी खुश हो गये।
पर ऐलेक्स के शरीर का पूरा बैलेंस अभी बना नहीं था। इसी के साथ ऐलेक्स का शरीर हवा में लहराकर आग की ओर झुकने लगा।
यह देख क्रिस्टी के मुंह से चीख निकल गई।
ऐलेक्स समझ गया कि अब उसका बैलेंस बन नहीं पायेगा, तभी ऐलेक्स के हाथ में उस बंदर की मूर्ति की पूंछ आ गई, जो कि हवा में लहरा रही थी।
ऐलेक्स ने घबरा कर उस बंदर की पूंछ पकड़ ली। बंदर की मूर्ति की पूंछ काफी मजबूत थी, जिसने आखिरकार ऐलेक्स को बचा ही लिया।
“देखा, मैंने कहा था ना कि तुम बंदरों के परिवार से हो, और अब इस बंदर ने तुम्हें बचा कर यह साबित भी कर दिया।” क्रिस्टी ने तेज से चिल्लाकर ऐलेक्स से कहा।
ऐलेक्स ने इस समय क्रिस्टी की बात पर ध्यान नहीं दिया, वह तो अब जल्दी-जल्दी वहां कोई ऐसा यंत्र ढूंढने लगा, जिससे उस आग के समुंदर पर पुल बनाया जा सके।
पर काफी ढूंढने के बाद भी ऐलेक्स को वहां ऐसा कुछ नजर नहीं आया। अब ऐलेक्स उस बंदर की मूर्ति को ध्यान से देखने लगा, जो कि अपने हाथ में एक केला लिए बैठा था।
“ये लो कर लो बात, इधर मैं परेशान हो रहा हूं और ये भाई साहब केला लिये, जीभ निकालकर मुझे चिढ़ा रहे हैं।” यह कहकर ऐलेक्स ने बंदर के मूर्ति के सिर पर एक धीरे से चपत लगा दी।
ऐलेक्स के ऐसा करते ही बंदर ने अपनी जीभ अंदर कर ली और केला खाने लगा, जैसे ही बंदर का केला खत्म हुआ, वह बंदर कहीं गायब हो गया, पर अब उस आग के समुंदर पर एक पुल बन चुका था। यह देख ऐलेक्स खुश हो गया।
सभी उस पुल से होते हुए 30 नंबर को पार कर 31 नंबर पर पहुंच गये। अब उन्हें आगे की स्टेज दिखाई देने लगी थी।
40 नंबर पर एक पुच्छल तारा हवा में गोल-गोल नाच रहा था। 31 से 40 नंबर तक के बीच जमीन में एक पीले रंग का द्रव भरा था, जिसमें जगह-जगह पर बुलबुले उठ रहे थे।
उस पूरे रास्ते के बीच 8 बड़े आकार के लट्टू हवा में नाच रहे थे। सभी लट्टू क्लाक वाइज नाच रहे थे।
तभी सुनहरी रोशनी से फिर कविता की कुछ पंक्तियां हवा में उभरी-
“नाच सको तो नाच लो,
अपनी प्रतिभा जांच लो।”
इन पंक्तियों को पढ़ जेनिथ के चेहरे पर मुस्कान आ गयी- “इस कैश्वर ने सभी की प्रतिभा के साथ पूरा न्याय किया है, जैसे कि अब देख कर ही पता चल रहा है कि यह द्वार मेरे लिये ही बनाया गया है।” जेनिथ के शब्दों में सच्चाई झलक रही थी।
“पर जेनिथ तुम्हें उस पार जाने से पहले 2 चीजों का बहुत ज्यादा ध्यान रखना है।” सुयश ने जेनिथ को समझाते हुए कहा- “पहला यह कि लट्टू के नीचे का वह द्रव तेजाब है, तो अगर तुम गिरी तो मुझे नहीं लगता कि नक्षत्रा इतनी जल्दी तुम्हें सही कर पायेगा। दूसरी बात हर लट्टू क्लाक वाइज नाच रहा है। ऐसी स्थिति में तुम्हें एक लट्टू से दूसरे पर कूदना बहुत मुश्किल होगा। हां अगर एक क्लाक वाइज और दूसरा एंटी क्लाक वाइज नाचता तो तुम्हें बैलेंस करने में परेशानी नहीं आती। पर यहां पर ऐसा नहीं है, इसलिये तुम्हें लट्टू बदलते समय अपने बैलेंस का बहुत ध्यान रखना होगा।”
जेनिथ ने ध्यान से सुयश की बातें सुनीं और धीरे से उछलकर पहले लट्टू पर आ गई।
अगर यह कार्य जमीन पर करना होता, तो जेनिथ के लिये बिल्कुल मुश्किल नहीं होती क्यों कि नीलकमल पर जेनिथ ने इससे ज्यादा गति का सामना किया था, पर अभी यहां स्थिति अलग थी, यहां पर तेजाब का डर भी शामिल था।
तेजाब को देखकर जेनिथ में थोड़ा सा डर आ गया था।
यह देखकर नक्षत्रा बोल उठा- “परेशान मत हो जेनिथ, अगर तुमने अपने भय को काबू में रखा, तो तुम आसानी से यह क्षेत्र पार कर सकोगी।”
“पर नक्षत्रा, वह तेजाब मुझे डरा रहा है, पता नहीं क्यों तेजाब को देखकर मुझे यह महसूस हो रहा है कि मैं इसमें गिर जाऊंगी।” जेनिथ ने डरते हुए कहा।
“अच्छा ये बताओ जेनिथ कि अगर तुम्हें यह तेजाब नहीं दिखाई दे रहा होता, तो क्या तुम इसे आसानी से पार कर सकती थी?” नक्षत्रा ने जेनिथ से पूछा।
“100 प्रतिशत मैं इसे आसानी से पार कर लेती।” जेनिथ ने पूर्ण विश्वास से कहा।
“तो फिर ठीक है, एक बार अपनी आँखें बंद करो और फिर खोलो।” नक्षत्रा के शब्द रहस्य से भरे थे।
जेनिथ को कुछ समझ में तो नहीं आया, पर उसने वैसा ही किया, जैसा कि नक्षत्रा ने कहा था।
आँखें खोलते ही जेनिथ आश्चर्य से भर गई, अब उसे लट्टू के नीचे तेजाब नहीं बल्कि हरी-हरी नर्म घास दिखाई दे रही थी।
“ज्यादा खुश हो कर घास पर अपना पैर मत रख देना जेनिथ, यह बस मैंने तुम्हारा डर कम करने के लिये किया है, यह घास सिर्फ तुम्हारे आँखों का भ्रम है, नीचे अभी भी तेजाब ही है, पर मैंने अपनी शक्ति से तुम्हारे दिमाग में भ्रम उत्पन्न कर दिया है।” नक्षत्रा ने कहा।
“पर तुम यह किस प्रकार कर सकते हो नक्षत्रा?” जेनिथ ने नक्षत्रा से पूछा।
“लोग समझते हैं कि वह अपनी आँखों के द्वारा देखते हैं, पर यह गलत है। हमारी आँखों से निकली किरणे, जब किसी चीज से टकराकर हमारी आँखों में वापस आती हैं, तो वह इन्हें तरंगों के रुप में मस्तिष्क तक भेजती हैं और मस्तिष्क इन तरंगों को डीकोड कर समझ जाता है कि उस इंसान ने क्या देखा। तो इसका मतलब कोई भी चीज हमें आँखें नहीं बल्कि दिमाग दिखाता है। बस मैंने इसी थ्योरी पर काम कर एक नयी शक्ति का विकास कर लिया। अब मैं जब चाहूं तुम्हें तुम्हारी मनचाही वस्तु दिखा सकता हूं, पर यह ध्यान रखना कि वह असल में होगी नही, बस वह तुम्हें दिखेगी।” नक्षत्रा ने कहा।
हर बार की तरह इस बार भी विज्ञान की बातें जेनिथ की खोपड़ी के ऊपर से चलीं गईं, पर उसने सिर हिला दिया।
“एक बात और बता दो नक्षत्रा कि तुम इस शक्ति का प्रयोग तिलिस्मा में कैसे कर पा रहे हो, यहां तो बाहर की शक्ति काम नहीं करती।” जेनिथ ने एक सवाल और पूछ लिया।
“यह शक्ति कहां है जेनिथ, यह तो मात्र भ्रम है।” नक्षत्रा ने कहा- “अब तुम ज्यादा सवाल मत करो और इस द्वार को पार करो, देखो सभी आश्चर्य से तुम्हें इतनी देर से लट्टू पर नाचते देख रहे हैं। अब जरा इन लोगों
को भी अपनी प्रतिभा दिखा दो।”
जेनिथ ने एक नजर किनारे पर खड़े लोगों पर मारी और फिर आराम से इस तरह सभी लट्टू को पार करती चली गई, जैसे वह अपने गार्डन में खड़ी हो।
“वाह! क्या बात है? जेनिथ को तो इस द्वार में कोई भी परेशानी नहीं हुई?” तौफीक ने जेनिथ की तारीफ करते हुए कहा।
उधर जेनिथ जैसे ही दूसरी ओर पहुंची, तेजाब के ऊपर हवा में एक पुल बन गया, जिससे होकर सभी दूसरी ओर आ गये।
अब सभी जाकर 41 नंबर पर खड़े हो गये।
जारी रहेगा_____![]()
बहुत ही उम्दा और खूबसूरत अपडेट है !#171.
जीव शक्ति: (18 वर्ष पहले........जुलाई 1977, सीनोर राज्य का समुद्र तट, अराका द्वीप)
सुबह का समय था। आज मौसम भी काफी अच्छा था इसलिये लुफासा और वीनस आज मौज-मस्ती करने के लिये, समुद्र तट के पास आ गये थे।
इस समय लुफासा की आयु साxxx वर्ष और वीनस की आयु मात्र पाxxx वर्ष की थी।
“भाई, आज मौसम कितना अच्छा है, लहरें भी ऊंची-ऊंची उठ रही हैं, चलो ना लहरों के बीच चलें, वहां बहुत मजा आयेगा।” वीनस ने लुफासा को खींचते हुए लहरों की ओर ले जाना चाहा।
“नहीं, जब यहां किनारे से ही इतना अच्छा दृश्य दिख रहा है, तो वहां लहरों के पास जाने की क्या जरुरत है?” लुफासा ने वीनस से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा- “अगर लहरों की वजह से तुम्हारा सिर किसी चट्टान से टकरा गया तो?”
“क्या भाई, आप भी कितना डरते हो? हम यहां कोई पहली बार तो नहीं आ रहें हैं ना।” वीनस ने अपनी जीभ निकालकर लुफासा को चिढ़ाते हुए कहा।
“देखो, तुम डरने का नाम मत लो, मैं किसी से नहीं डरता।” लुफासा ने गुस्साते हुए कहा।
“अच्छा ठीक है भाई, अब मैं आपको डरपोक नहीं कहूंगी।” यह कहकर वीनस, लुफासा से थोड़ा दूर गई और फिर तेज से चिल्लाकर भागी- “डरपोक....डरपोक।”
“रुक जा अभी बताता हूं तुझे।” यह कहकर लुफासा भी वीनस के पीछे-पीछे उसे पकड़ने को भागा।
वीनस ने पास आ रही एक समुद्र की लहर को देखा और फिर वहां पड़े एक बड़े से पत्थर पर खड़ी होकर लुफासा के आने का इंतजार करने लगी।
“पकड़ लिया....।” लुफासा ने पत्थर पर चढ़कर वीनस को पकड़ते हुए कहा- “अब बता क्या कह रही थी?”
“भाई....वो...वो....मैं कह रही थी।” तभी समुद्र की तेज लहर ने वीनस और लुफासा दोनों को ही सराबोर कर दिया- “कि...........समुद्र की लहर इस पत्थर के ऊपर तक आने वाली हैं।”
लुफासा ने पहले अपने भीग चुके पूरे कपड़ों को देखा और फिर वीनस को डांटते हुए कहा- “बोलने में इतना देर लगाते हैं क्या? जब तक तुमने बोला, तब तक तो हम भीग चुके थे।”
“इसी लिये तो धीरे-धीरे बोल रही थी कि आपका ध्यान पूरी तरह से लहरों से भटककर मेरी ओर आ जाये और आप भीग जाओ।” वीनस ने शरारत भरे अंदाज में कहा- “भाई, अब तो चलो ना लहरों के बीच, देखो
अब तो आपके कपड़े भी पूरी तरह से भीग गये हैं।”
लेकिन इससे पहले कि लुफासा कोई जवाब दे पाता, उसके नीचे की जमीन हिलने लगी और वह स्वतः ही समुद्र की ओर जाने लगे।
“यह क्या भाई, हमें यह पत्थर समुद्र की ओर क्यों ले जा रहा है?” वीनस ने डरते हुए कहा।
लुफासा पत्थर को सरकते देख उस पर कूद गया और ध्यान से उस पत्थर को देखने लगा।
“अरे, यह पत्थर नहीं बल्कि कोई बड़ा सा कछुआ है, जो अब समुद्र की ओर जा रहा है।” लुफासा ने कहा- “जल्दी से उतर जाओ, नहीं तो यह तुम्हें भी लेकर समुद्र में चला जायेगा।”
“ले जाने दो।” वीनस ने उस कछुए पर आराम से बैठते हुए कहा- “भाई तो ले नहीं जा रहा समुद्र में, तो यह कछुआ ही सही। अब मैं आज से इसे ही भाई कहकर बुलाउंगी, कम से कम यह मेरी बात तो मानता है।
चलो-चलो कछुआ भाई...समुद्र की ओर चलो...और इस लुफासा की बात मत सुनना। यह अच्छा लड़का नहीं है।”
लुफासा अब वीनस को घूरकर देख रहा था, पर उसने भी ना तो वीनस को कछुए से नीचे उतारा और ना ही कछुए को रोका।
लुफासा को लग रहा था कि अभी कुछ आगे जाने के बाद वीनस डर कर कछुए से उतर जायेगी, पर वीनस भी एक नंबर की जिद्दी थी, वह भी लुफासा को परेशान करने के लिये कछुए से उतरी नहीं। बल्कि पानी के पास पहुंचने तक, अपने हाथ हिलाकर लुफासा को ‘बाय’ करती रही।
लुफासा को अब थोड़ी गड़बड़ लगने लगी थी क्यों कि वीनस अब बिल्कुल लहरों के पास पहुंच गई थी।
तभी समुद्र की एक ऊंची सी लहर आयी और जोर से वीनस और कछुए पर गिरी।
जब वह लहर हटी, तो लुफासा को ना तो वीनस कहीं नजर आयी और ना ही वह कछुआ।
यह देख लुफासा बहुत घबरा गया। माता-पिता के जाने के बाद अब वह वीनस को भी खोना नहीं चाहता था।
लुफासा अब चीखकर समुद्र की ओर भागा- “वीनसऽऽऽऽऽऽ।”
पर दूर-दूर तक लहरों के शोर के सिवा कुछ नहीं था। वैसे तो सभी अटलांटियन पानी में साँस लेना जानते थे, यानि की वीनस के डूबने का तो प्रश्न ही नहीं उठता था।
पर लुफासा की चिंता इसलिये भी ज्यादा दिख रही थी क्यों कि एक साधारण द्वीप के किनारे से इतनी आसानी से कोई कहीं नहीं जाता? पर अराका पानी पर तैर रहा एक कृत्रिम द्वीप था, जिसके थोड़ा ही आगे से गहरा समुद्र शुरु हो जाता था और गहरे समुद्र में खतरा पानी नहीं, बल्कि उसमें रहने वाले विशाल जीव थे।
लुफासा तुरंत वहां पहुंच गया, जहां कि अभी कुछ देर पहले वीनस और कछुआ थे। लुफासा उस स्थान पर पानी में अपना मुंह डालकर अंदर की ओर देखने लगा, पर वीनस आसपास कहीं दिखाई नहीं दी।
अब लुफासा धीरे-धीरे समुद्र में आगे की ओर बढ़ने लगा। कुछ ही देर में लुफासा अराका की धरती से कुछ दूर आ गया, पर पानी में दूर-दूर तक कुछ नहीं था।
तभी लुफासा को अराका की जमीन में पानी के नीचे एक कपड़ा फंसा हुआ दिखाई दिया।
वह कपड़ा देख लुफासा वापस अराका की ओर आ गया। पानी के अंदर, अराका की जमीन में एक झाड़ी के पास वह कपड़ा फंसा था।
लुफासा ने वह कपड़ा खींचा, पर उस कपड़े का दूसरा सिरा वीनस ने पकड़ रखा था, जो कि झाड़ियों के पीछे छिपी एक गुफा में बैठी मुस्कुरा रही थी।
यह देख लुफासा को बहुत गुस्सा आया। वह समझ गया कि वीनस ने जानबूझकर यह शरारत की थी।
तभी वीनस ने लुफासा को मुंह पर उंगली रखकर चुप रहने का इशारा किया और तैरकर उस गुफा के अंदर चली गई।
लुफासा को गुस्सा तो बहुत आया, पर फिर भी वो वीनस के पीछे-पीछे उस गुफा के अंदर चला गया।
अंदर काफी अंधेरा था, पर दूर कहीं एक लाल रंग की रोशनी दिखाई दे रही थी। लुफासा पानी के अंदर उस लाल रंग की रोशनी देख आश्चर्य से भर उठा।
अब उत्सुकता वश लुफासा तेजी से उस दिशा में तैरने लगा।
कुछ ही देर में वीनस और लुफासा एक ऐसे स्थान पर पहुंच गये, जिसका एकमात्र द्वार वह गुफा ही दिखाई दे रही थी।
यह स्थान लगभग 500 वर्ग फुट के आकार का था। उस स्थान पर काँच का 1 वर्ग फुट का एक वर्गाकार डिब्बा दिखाई दे रहा था, जिसके अंदर सुर्ख लाल रंग का एक रत्न रखा हुआ था।
उसी रत्न का प्रकाश उस पूरी गुफा में फैला दिखाई दे रहा था। वह गुफा उस लाल प्रकाश में पूरी जगमगा रही थी।
उस रत्न को देख, कुछ देर के लिये लुफासा यह भूल गया कि वह वीनस को डांट लगाने के लिये वहां आया था।
तभी लुफासा को वही समुद्री कछुआ दिखाई दिया, जो कि वीनस को लेकर भागा था। उसे देख लुफासा समझ गया कि इसी कछुए का पीछा करते हुए, वीनस को झाड़ियों के पीछे छिपी यह गुफा दिखाई दी होगी।
अब वह कछुआ भी लाल रंग के प्रकाश की ओर आकर्षित हो गया था। कछुए ने आगे बढ़कर उस काँच के डिब्बे को छू लिया।
उस डिब्बे को छूते ही कछुए के शरीर से लाल रंग का प्रकाश निकलने लगा। अब वह कछुआ खुशी से उस गुफा के चारो ओर चक्कर लगाने लगा।
यह देख वीनस और लुफासा भी तैरते हुए, उस काँच के डिब्बे के पास पहुंच गये।
डिब्बे के ऊपरी सिरे पर एक ढक्कन लगा था, जिसे लुफासा ने हल्के से प्रयास से ही खोल दिया।
अब लुफासा और वीनस की नजरें आपस में टकराईं और दोनों ने एक साथ झपटकर उस लाल रंग के रत्न को उठा लिया।
दोनों का हाथ रत्न पर एक साथ पड़ा, पर लुफासा ने वीनस से वह रत्न छीन लिया और उसे ध्यान से देखने लगा।
लुफासा और वीनस के छूते ही वह गाढ़े रंग का लाल प्रकाश उन दोनों के शरीर में समा गया और इसी के साथ वह रत्न पता नहीं कहां गायब हो गया?
रत्न के इस प्रकार गायब हो जाने पर दोनों घबराकर, अपने आसपास रत्न को ढूंढने लगे।
तभी वीनस को एक आवाज सुनाई दी- “वह रत्न गायब हो गया, मैंने देखा था।”
वीनस ने हैरान होते हुए अपने आसपास देखा।
तभी वीनस से कुछ दूरी पर पानी में तैर रहा वही कछुआ बोल उठा - “इधर-उधर क्या देख रही हो? मैं ही बोल रहा हूं।”
वीनस कछुए को बोलते देख हैरान हो गई। तभी वीनस को एक महीन गाने की आवाज सुनाई दी।
वीनस ने उस दिशा की ओर देखा, तो उसे कुछ नन्हीं रंग-बिरंगी मछलियां पानी में इधर-उधर घूमती दिखाईं दीं। गाना वही मछलियां गा रहीं थीं।
यह देख वीनस की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा, वह भी पानी में तैरते हुए जोर-जोर से मछलियों
वाला गाना गाने लगी।
कुछ देर बाद जब वीनस रुकी, तो उसने देखा कि उसके आसपास सैकड़ों जलीय जंतु उसे हैरानी से गाते हुए देख रहे थे और लुफासा डरा-डरा गुफा के एक किनारे से चिपका हुआ था।
“आप हमारी भाषा जानती हो?” एक सितारा मछली ने आगे आते हुए पूछा।
“मुझे नहीं पता, पर अभी तुम जो बोली, मैं वह समझ गई। क्या तुम भी मेरी बात को समझ पा रही हो?” वीनस ने सितारा मछली से पूछा।
“हां...यह ही क्या, हम सभी तुम्हारी बात सुन और समझ पा रहे हैं।” तभी एक नन्हें ऑक्टोपस ने आगे बढ़कर कहा।
“अरे वाह, ये तो बहुत अच्छी बात है, फिर तुम सब खड़े क्यों हो? मेरे साथ नाचते क्यों नहीं?” वीनस ने यह कहा और फिर से जोर-जोर से गाकर पानी में नाचने लगी।
वीनस को देख वहां के सभी जलीय जंतु वीनस के साथ-साथ पानी में नाचने लगे।
लुफासा यह देखकर और ज्यादा डर गया, उसे लगा कि वीनस में कोई समुद्री भूत घुस गया है, इसलिये वह किसी को डिस्टर्ब नहीं कर रहा था।
काफी देर तक उस गुफा में यह नाच गाने का कार्य चलता रहा, पर अब वीनस थक गई थी। इसलिये उसने अब सभी को वहां कल आने को बोल, लुफासा के पास आ गई।
लुफासा अब भी डरी-डरी नजरों से वीनस को देख रहा था।
“क्या हुआ भाई, आप मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो ?” वीनस ने लुफासा की ओर देखते हुए पूछा।
“तुम में कोई समुद्री भूत घुस गया है, जिसकी वजह से तुम अभी समुद्री जीव-जंतुओं से बातें कर रही थी।” लुफासा ने डरते हुए कहा।
“क्या भाई आप भी ना? कितना डरते हो।” वीनस ने लुफासा पर गुस्साते हुए कहा- “अरे वह पत्थर जिसे हमने छुआ था, वह कोई चमत्कारी पत्थर था। उसी की वजह से अब मैं सभी जीवों की भाषा बोल और समझ सकती हूं।.....हम दोनों ने एक साथ पत्थर छुआ था, आप भी देखो ना भाई, अवश्य ही आप में भी कोई शक्ति आयी होगी। देखो आपके हाथों के अंदर अभी भी हल्की सी लाल रंग की रोशनी निकल रही है।”
वीनस की बात सुन लुफासा अपने हाथों की ओर देखने लगा।
“हां रोशनी तो निकल रही है, पर अगर मुझे भी तेरी तरह शक्ति मिली होती तो मैं भी उन मछलियों की भाषा समझ पाता, पर ऐसा नहीं हुआ, मुझे उनकी भाषा नहीं समझ में आयी।” लुफासा ने बेचैनी से कहा।
तभी एक पीले रंग की नन्हीं मछली लुफासा के चेहरे के पास आकर तैरने लगी। यह देख लुफासा ने गुस्से से उसे घूरा, पर उसको घूरते ही लुफासा स्वयं, उस मछली के समान बन गया।
यह देख वीनस खुशी से चीख उठी- “देखा भाई, मैंने कहा था ना कि कोई ना कोई शक्ति तो आपको भी मिली होगी?”
अपने आपको मछली बना देख लुफासा भी खुशी से नाचने लगा, तभी दूसरी दिशा से एक थोड़ी बड़ी मछली आयी और मछली बनी लुफासा को अपने मुंह में भरकर चली गई।
यह देख वीनस के मुंह से चीख निकल गई, वह तेजी से उस बड़ी मछली की ओर भागी, पर तभी एक आवाज ने उसे रोक लिया- “मैं यहां ठीक हूं वीनस, वापस लौट आओ।”
यह आवाज लुफासा की ही थी। वीनस ने पलटकर देखा, तो उसे लुफासा उसी स्थान पर बैठा दिखाई दिया, जहां पर वह मछली बनने के पहले बैठा था।
“यह क्या है भाई, आपको तो वह मछली निगल गई थी। फिर आप बच कैसे गये?” वीनस ने आश्चर्य से लुफासा की ओर देखते हुए कहा।
“मुझे भी नहीं पता, जब उस बड़ी मछली ने मुझे निगला, तो उसके बाद मैंने स्वयं को, अपने असली रुप में यहीं पर पाया।.....पर....पर अब मैं वह पीली सी मछली नहीं बन पा रहा हूं। शायद मेरी शक्ति चली गई।”
तभी लुफासा के सामने से एक दूसरी नीले रंग की मछली निकली। इस बार लुफासा ने उसे ध्यान से देखा और इसी के साथ लुफासा अब नीले रंग की मछली के समान बन गया।
“लगता है कि अगर किसी एक रुप में मेरी मौत हो गई, तो वह रुप मैं दोबारा नहीं धर सकता और मेरे उस रुप की मौत होने के बाद मैं वापस उसी स्थान और रुप में पहुंच जाता हूं, जो मैं उस रुप के पहले था।”
लुफासा ने कहा।
“अरे वाह, ये तो इच्छाधारी शक्ति है...आप कोई भी रुप धारण कर सकते हो।” वीनस ने कहा और अब वह लुफासा से बार-बार अलग-अलग रुप बदलने को कहने लगी।
उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था कि मानों उन बच्चों को एक नया खेल मिल गया हो।
पर जो भी हो, लुफासा और वीनस अपनी शक्तियों से खुश थे।
जारी रहेगा_____![]()