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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रोमांचकारी मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
माया ने मैग्ना को जीव शक्ती और वृक्ष शक्ती प्रदान की और मैग्ना ने कल्पना से भी परें एक महावृक्ष का निर्माण किया जो मानवता के काम आये और अपने लिये एक वाहन ड्रैंगो नामक ड्रेगन का निर्माण कर खुश हो गई
जबरदस्त अपडेट हैं
Bilkul bhai, aur wo ped, ek ped na hokar ek dunia hai, jaisa ki aapne update me bhi padha hoga, aur aage iske baare me padhne ko bhi milega. Thank you very much for your valuable review and superb support bhai :thanks:
 

Raj_sharma

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एक बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
तो ये हैं हनुका की कहानी
जिसके सर पर महानदेव और हनु का हाथ हो और जो माया जैसी का पुत्र कहलाये वो कितना शक्तीशाली होगा वो ना कहें तो ही अच्छा है
एक अप्रतिम अपडेट
Thank you very much for your wonderful review and superb support bhai, sath bane rahiye :hug:
 
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Raj_sharma

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बहुत ही अप्रतिम अद्भुत रमणिय रोमांचक और अविस्मरणीय अपडेट है भाई मजा आ गया
तिलिस्मा के सभी व्दारों के बारें में की जानकारी बडी ही विलोभनीय हैं साथ में कैश्वर की जानकारी के साथ साथ चेतावणी भी
अब सुयश और टीम निलकमल जो कैश्वर के कहें अनुसार तोडकर कैसे विजयी होकर प्रथम व्दार पार करतें हैं वैसे ये इतना सहज भी नहीं होगा
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
आपके इस शानदार रिव्यू के लिए आपका बोहोत बोहोत आभार भाई 🙏🏼🙏🏼 कैश्वर अब कैस्पर के भी नियंत्रण से बाहर निकल गया है। सुयश सहित सभी उस द्वार को पार कर चुके है। साथ बने रहिए। धन्यवाद :hug:
 

Raj_sharma

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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
सुयश और टीम ने अपनी सुजबुझ दृढ इच्छाशक्ती और एक दुसरे के प्रति विश्वास साथ ही साथ अदम्य साहस से निलकमल को तोडकर तिलिस्मा के प्रथम व्दार पर विजय प्राप्त कर ली
बडा ही शानदार और जानदार अपडेट
Agla dwar is se bhi kathin hone wala hai, ya fir ye kah sakte hain ki har dwaar pahle se kathin hone wala hai, sath bane rahiye :hug:
 
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Raj_sharma

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KEKIUS MAXIMUS

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#148.

तिलिस्मा की जानकारी:

दोस्तों, अब यहां से तिलिस्मा की कहानी की शुरुआत होने जा रही है। इसलिये आगे बढ़ने से पहले तिलिस्मा के बारे में जान लेना अत्यंत आवश्यक है। तिलिस्मा कुल 7 भागों में बंटा है। इसके पहले भाग में 1 द्वार है, दूसरे में 2, तीसरे में 3, चौथे में 4, पांचवें में 5, छठे में 6 और सातवें भाग में 7 द्वार हैं। इस प्रकार कुल मिलाकर, तिलिस्मा 28 द्वार वाला एक मायाजाल है।

इसके प्रथम भाग में 1 द्वार है, जिसे हम 1.1 कहते हैं। इस प्रथम द्वार में सभी को एक नीलकमल का सामना करना पड़ेगा।

इसके दूसरे भाग में 2 द्वार हैं, जिन्हें हम क्रमशः 2.1 और 2.2 कहते हैं। 2.1 में सभी का सामना ‘द्विशक्ति’ से होगा, जो कि एक ऑक्टोपस और नेवला हैं। 2.2 में सभी को ‘जलदर्पण’ का सामना करना पड़ेगा।

तिलिस्मा के तीसरे भाग में कुल 3 द्वार हैं, जिन्हें हम क्रमशः 3.1, 3.2 और 3.3 कहते हैं। 3.1 में सभी का सामना ‘चींटीयों के अद्भुत संसार’ से होगा। 3.2 में ‘स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी’ से इनका सामना होगा। 3.3 में सभी ‘सपनों के संसार’ में प्रविष्ठ हो जायेंगे। जहां पर 5 देवताओं के द्वारा इनकी परीक्षा ली जाएगी।

तिलिस्मा के चौथे भाग में कुल 4 द्वार हैं, जिन्हें हम क्रमशः 4.1, 4.2, 4.3 व 4.4 कहते हैं। इस भाग के प्रत्येक द्वार में 4 अलग-अलग ऋतुएं हैं। 4.1 में सभी का सामना शरद ऋतु से होगा। 4.2 में ग्रीष्म ऋतु सभी की परीक्षा लेगी। 4.3 में शीत ऋतु एक मायाजाल का निर्माण करेगी, जिसमें इनका सामना ‘सेन्टौर’ से होगा, जो कि एक अश्वमानव योद्धा है। 4.4 में सभी वसंत ऋतु से मुकाबला करेंगे।

तिलिस्मा के पांचवे भाग में कुल 5 द्वार हैं, जिन्हें हम 5.1, 5.2, 5.3, 5.4 व 5.5 कहते हैं।

इस भाग में यह सभी सूक्ष्म रुप धरकर, एक मानव शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जहां हर द्वार में इनका सामना एक इन्द्रिय से होता है।

इस प्रकार आँख, नाक, कान, जीभ और त्वचा एक मायाजाल रचकर सभी को मारने की कोशिश करती हैं।

तिलिस्मा के छठे भाग में कुल 6 द्वार हैं, जिन्हें हम 6.1, 6.2, 6.3, 6.4, 6.5 व 6.6 कहते हैं। इस भाग में 12 राशियां छिपी हैं।

यानि की हर एक द्वार में, 2 राशियां छिपी हैं। इस प्रकार हर राशि एक मायाजाल बुनकर सभी को फंसाने की कोशिश करती हैं।

तिलिस्मा के सातवें व आखिरी भाग में कुल 7 द्वार हैं, जिन्हें हम क्रमशः 7.1, 7.2, 7.3, 7.4, 7.5, 7.6 व 7.7 कहते हैं।

तिलिस्मा के इस भाग में, सभी का सामना, आकाशगंगा में विचरते ग्रहों से होगा।

7.1 में सभी का सामना चन्द्रमा से होगा, जहां भौतिक विज्ञान की 7 शक्तियां बल, ऊर्जा, ध्वनि, द्रव्यमान, कार्य, गति और समय मौजूद हैं।

7.2 में मंगल ग्रह पर उपस्थित 7 सिर वाला योद्धा, 7 अलग भावनाओं के द्वारा, सभी की परीक्षा लेगा।

7.3 में सभी बुध ग्रह पर पहुंच जायेंगे, जहां रसायन विज्ञान के 7 तत्वों से सभी का सामना होगा।

7.4 में बृहस्पति ग्रह पर, ओलंपस पर्वत के 7 ग्रीक देवी-देवताओं से इनका सामना होगा।

7.5 में शुक्र ग्रह पर सप्ततत्वों से सभी का सामना होगा।

7.6 में शनि ग्रह पर विश्व के 7 आश्चर्य एक मायाजाल बनाकर सभी को रोकने की कोशिश करेंगे।

7.7 में सूर्य की 7 रंग की किरणें एक विचित्र मायाजाल बुनेंगी।

नीचे आपकी सुविधा के लिये तिलिस्मा का एक मानचित्र दिया गया है, जिससे आपको तिलिस्मा को समझने में थोड़ी और आसानी होगी।


Screenshot-20250923-140530-Whats-App

तो दोस्तों क्या आप तैयार हैं, विश्व के सबसे अनोखे और अविश्वसनीय मायाजाल से टकराने के लिये।

तो आइये चलते हैं प्रथम द्वार की ओर..........

चैपटर-2

नीलकमल:
(तिलिस्मा1.1)

सुयश, शैफाली, तौफीक, जेनिथ, ऐलेक्स और क्रिस्टी ने जैसे ही पोसाईडन के पैर में बने दरवाजे में प्रवेश किया, दरवाजा अपने आप ही ‘धड़ाक’ की आवाज करता हुआ बंद हो गया।

दरवाजे की जगह अब दीवार नजर आ रही थी, यानि की निकलने का रास्ता पूरी तरह से बंद हो चुका था।

सुयश के गले में अब भी झोपड़ी वाली, खोपड़ी की माला टंगी थी, जिसे पहनकर वह झोपड़ी से बाहर निकला था।

सभी की निगाहें अब सामने की ओर थीं।

सभी के सामने अब किसी थियेटर की तरह का एक विशाल गोलाकार कमरा दिखाई दे रहा था, जिसमें से निकलने का कोई रास्ता नहीं था।

उस कमरे की जमीन काँच की बनी थी, जिसके नीचे कोई पानी के समान, परंतु गाढ़ा द्रव्य भरा हुआ था।

उस गाढ़े द्रव्य में 6 डॉल्फिन की तरह दिखने वालीं, 1 फुट के आकार की नीले रंग की मछलियां घूम रहीं थीं।

कमरे के बीचो बीच एक छोटा सा नीले रंग का कमल रखा था, जिसमें असंख्य पंखुड़ियां थीं।

नीलकमल के नीचे की डंडी एक सुराख के द्वारा, काँच की जमीन के नीचे स्थित, जल के अंदर जा रही थी।

गोलाकार कमरे की दीवारों से तेज प्रकाश फूट रहा था।

“कैप्टेन, यह तो वही नीलकमल और नीली मछलियां हैं, जो अभी बाहर झोपड़ी में थे।” जेनिथ ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “यहां तक कि जमीन के नीचे भी, वही गाढ़ा द्रव्य भरा है।”

“तुम सही कह रही हो जेनिथ, यह सारी चीजें वही हैं, जो बाहर झोपड़ी में थे, बस इनका आकार अब पहले से ज्यादा बड़ा हो गया है।” सुयश ने कहा- “फिर तो हो सकता है कि यह खोपड़ी भी यहां काम आ जाये?”

लेकिन इससे पहले कि कोई और कुछ बोल पाता, वातावरण में एक तेज आवाज गूंजी- “तिलिस्मा के प्रथम द्वार 1.1 में कैश्वर आप सभी का स्वागत करता है।”

“कैश्वर?” शैफाली ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा- “पर तुम्हारा नाम तो कैस्पर था ना?”

“नहीं... कैस्पर मेरे निर्माता का नाम है....मैं उनकी एक रचना हूं...मैंने अपना नाम कैश्वर, स्वयं रखा है।” कैश्वर ने कहा- “कैश्वर का मतलब होता है, कई ईश्वर...यानि अब मैं कई ईश्वर के बराबर हो गया हूं,
इसलिये मैंने अपना नाम कैश्वर रख लिया।”

“तुम्हारे निर्माता कहां गये?” शैफाली ने गुस्से से कैश्वर से पूछा।

“मुझ पर मेरे निर्माता का अब कोई नियंत्रण नहीं है....इसलिये तुम्हारा यह सब पूछना बेकार है मैग्ना....मेरा मतलब है कि शैफाली।”

कैश्वर ने कहा- “और मुझसे तुम किसी प्रकार की, मदद की आशा भी मत करना। अब मैं जो कह रहा हूं, उसे ध्यान से सुनो, तुम्हारे लिये यही उचित रहेगा।”

यह सुन शैफाली को गुस्सा तो बहुत आया, परंतु सुयश के धीरे से हाथ दबाने की वजह से, शैफाली शांत हो कर कैश्वर की बात सुनने लगी।

“हां तो मैं कह रहा था कि अब तुम लोग इस तिलिस्मा के अंदर आ गये हो, तो कुछ बातों को ध्यान से सुन लो। मैं तुम लोगों पर मायावन से पूरी नजर रखे था, इसलिये मैंने तिलिस्मा के हर द्वार का निर्माण, तुम सभी की विशेषताओं को ध्यान में रखकर किया है।

"इस तिलिस्मा में कोई देवताओं की शक्ति काम नहीं करेगी, यहां सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी शारीरिक और बौद्धिक क्षमताएं ही काम करेंगी। इसलिये किसी भी प्रकार के मायावन जैसे चमत्कार के उम्मीद मत करना। इस तिलिस्मा में कुल 7 भाग और 28 द्वार हैं। इन सभी को पार करके ही, तुम काले मोती तक पहुंच सकते हो। अगर तुम में से कोई भी, किसी भी द्वार में फंस गया तो तिलिस्मा को तोड़ा नहीं जा सकेगा।

"इस तिलिस्मा पर समय का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, यानि जब तक तुम लोग यहां पर हो, तुम्हें ना तो भूख और प्यास लगेगी और ना ही तुम्हें किसी भी प्रकार से फ्रेश होने की जरुरत महसूस होगी। यहां तक कि, यहां तुम्हारे बाल व नाखून भी नहीं बढ़ेंगे। परंतु यहां का समय बाहर के समय से बहुत ज्यादा धीमा होगा, यानि की यहां का 1 दिन बाहर के 7 दिनों के बराबर होगा। यहां जो भी तुम्हें दिन या रात महसूस होंगे, वह वास्तविक नहीं होंगे, परंतु वास्तविक जैसा ही महसूस करायेंगे।

"यहां पर अब मैं तुम्हें, इस पहले द्वार नीलकमल के बारे में बता दूं। इस द्वार में तुम्हें सामने मौजूद नीलकमल की पंखुड़ियों को बारी-बारी तोड़ते जाना है, जैसे ही तुम उस नीलकमल की सारी पंखुड़ियां तोड़ दोगे, यह द्वार पार हो जायेगा। मगर शर्त यह है कि तुम्हें उसकी पहली पंखुड़ी सबसे अंत में तोड़नी है और वह भी इस प्रकार से कि उस पंखुड़ी से, किसी प्रकार का द्रव बाहर ना निकले। अगर तुमने उसकी पहली पंखुड़ी पहले तोड़ दी, तो तुम सभी इस द्वार से कभी भी बाहर नहीं निकल पाओगे।” इतना कहकर कैश्वर की आवाज आनी बंद हो गयी।

“लगता है इस कैश्वर ने किसी प्रकार से, इस तिलिस्मा का सारा नियंत्रण, कैस्पर से अपने हाथों में ले लिया है।” शैफाली ने दाँत पीसते हुए कहा- “और यह अब स्वयं से रचनाएं कर, अपने आप को ईश्वर समझने लगा है।”

“कोई बात नहीं शैफाली, परेशान मत हो।” सुयश ने शैफाली को समझाते हुए कहा- “अगर परेशान होगी, तो सही से किसी भी द्वार के बारे में समझ नहीं पाओगी। अभी तुम अपना सारा ध्यान फिलहाल इस द्वार पर लगाओ। हम जब इस तिलिस्मा को पार कर लेंगे, तो इस कैश्वर से भी निपट लेंगे।”

शैफाली, सुयश की बात सुन थोड़ा नार्मल दिखने लगी।

शैफाली को शांत होते देख सुयश फिर बोल उठा- “कैश्वर ने हमें कहा कि तिलिस्मा में बाहर की कोई शक्ति काम नहीं करेगी, तो सभी लोग पहले एक बार अपनी शक्तियों को चेक कर लें, जिससे हमें पता रहे कि आखिर हमारे पास क्या है और क्या नहीं?”

सुयश की बात सुन जेनिथ ने मन ही मन नक्षत्रा को पुकारा- “नक्षत्रा क्या तुम ठीक हो और मेरी आवाज सुन रहे हो?”

“हां, जेनिथ मैं ठीक हूं और तुम्हारी आवाज भी सुन पा रहा हूं।” नक्षत्रा ने जवाब दिया।

“नक्षत्रा, क्या तुम्हारी शक्तियां यहां पर ठीक तरह से काम कर रहीं हैं या नहीं?” जेनिथ ने पूछा।

“मैं वैसे तो इस आकाशगंगा का नहीं हूं, इसलिये मुझ पर कैश्वर की शक्तियों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, परंतु मेरी मुख्य शक्ति समय को रोकना है और यहां पर असली समय है ही नहीं...यह कैश्वर का बनाया कृत्रिम समय है, इसलिये मैं यहां के समय पर कोई प्रभाव नहीं डाल सकता।

"हां परंतु मेरी हीलींग पावर अभी भी यहां काम कर रही है। इसलिये यदि तुम्हें किसी भी प्रकार की चोट लगी, तो मैं उसे ठीक कर दूंगा और मैं तुम्हें अपने मस्तिष्क के हिसाब से सुझाव दे सकता हूं। इससे ज्यादा मैं यहां कुछ भी नहीं कर सकता।”

यह सुनकर जेनिथ के चेहरे पर चिंता की लकीरें गहरा गईं, क्यों कि इतने खतरनाक तिलिस्मा में नक्षत्रा की शक्ति का काम ना करना वाकई चिंता का विषय था।

कुछ देर बाद सुयश ने एक-एक कर सबसे पूछना शुरु कर दिया।

“कैप्टेन मेरे साथ मौजूद नक्षत्रा की शक्तियां यहां काम नहीं कर रहीं हैं, वह सिर्फ मेरी चोट को सही कर सकता है बस, इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकता।” जेनिथ ने कहा।

“कैप्टेन अंकल, मेरे ड्रेस में मौजूद शक्तियां भी यहां काम नहीं कर रहीं हैं।” शैफाली ने कहा- “अब यह सिर्फ एक साधारण ड्रेस है।”

“कैप्टेन यहां मेरी भी वशीन्द्रिय शक्ति की सभी सुपर पावर्स बेकार हो गईं हैं, परंतु मेरी सभी इंद्रियां एक साधारण मनुष्य से बेहतर महसूस हो रहीं हैं।” ऐलेक्स ने कहा।

“मेरी टैटू की शक्तियां तो मुसीबत पर ही काम आती हैं।” सुयश ने कहा- “पर मुझे लगता है कि वह भी यहां काम नहीं करेंगी। अब रही बात क्रिस्टी और तौफीक की, तो इन्हें मायावन में किसी प्रकार की शक्ति मिली ही नहीं।”

सुयश की बात सुन, क्रिस्टी ने अपनी जेब से निकालकर, सुनहरी पेंसिल को एक बार देखा और फिर एक गहरी साँस लेकर, उसे वापस अपनी जेब में रख लिया।

“तो चलो दोस्तों, एक बार फिर साधारण मनुष्य बनकर तिलिस्मा से टकराते हैं।” सुयश ने अपने शब्दों में थोड़ा जोश भरकर, तेज आवाज में कहा- “और कैश्वर को साधारण मनुष्य की शक्तियां दिखाते हैं।”
यह कहकर सुयश उस कमरे के बीचो बीच मौजूद नीलकमल की ओर बढ़ गया।

सभी सुयश के पीछे-पीछे चल पड़े। सुयश ने उस 1 फुट ऊंचे नीलकमल को ध्यान से देखा। उस नीलकमल में असंख्य पंखुड़ियां मौजूद थीं।

“क्या कोई कमल के फूल के बारे में कोई जानकारी रखता है?” सुयश ने सभी की ओर देखते हुए पूछा।

“यस कैप्टेन।” जेनिथ ने कहा- “मैंने विश्व की बहुत सी नृत्यकलाएं सीखीं हैं। आपके ही देश भारतवर्ष में कमल को सृष्टि का सृजनकर्ता माना गया है, इसलिये उसके एक नाट्य के प्रकार, भरतनाट्यम शैली की एक मुद्रा का नाम ‘अलापद्मा’ है। इस मुद्रा में कमल के फूल के खिलने के अलग-अलग प्रकार को दर्शाया गया है। जब मैं यह मुद्रा सीख रही थी, तो मैंने कमल के फूल के बारे में काफी कुछ पढ़ा था, जो कि मुझे अब भी याद है। इसलिये मैं इस नीलकमल के बारे में आपको बता सकती हूं।”

जेनिथ एक पल को रुकी और फिर बोलना शुरु कर दिया- “कमल की पंखुड़ियों के समूह को ‘दलपुंज’ और पंखुड़ियों को सपोर्ट देने वाली, हरी पत्तियों के समूह को ‘वाहृदलपुंज’ कहते हैं। इसके बीच के पीले भाग को पुंकेसर कहते हैं।……वृक्ष से एक द्रव्य निकलकर तने के माध्यम से, इसकी पंखुड़ियों में पहुंचता है। यही द्रव्य इसके रंग और खुशबू के लिये कारक होता है। जब फूल पूर्ण विकसित हो जाता है, तो तना इस द्रव्य की आपूर्ति फूल को बंद कर देता है।” इतना कहकर जेनिथ चुप हो गई।

“जेनिथ, तुमने यह नहीं बताया कि इसकी पहली पंखुड़ी कैसे बनती है? इसको जाने बिना इस द्वार को पार नहीं किया जा सकता।” क्रिस्टी ने कहा।

“इसकी पहली पंखुड़ी कैसे बनती है? यह तो मुझे भी नहीं पता।” जेनिथ ने अफसोस प्रकट करते हुए कहा।

“कैप्टेन अंकल!” शैफाली ने कहा- “फूल की सभी पंखुड़ियां बराबर नहीं होती हैं, पर सभी बढ़ती समान तरीके से ही हैं, तो मुझे लगता है कि शायद हर पंखुड़ी के निकलने के बीच में कुछ समय अंतराल होता होगा। और अगर ऐसा होता होगा तो जो पंखुड़ी सबसे बड़ी होगी, वही पहली पंखुड़ी होगी? अब अगर ध्यान से देखें तो सबसे बड़ी पंखुड़ी नीलकमल की बाहरी कक्षा में ही होगी। यानि की हम अंदर की कक्षा की पंखुड़ियां बिना किसी परेशानी के तोड़ सकते हैं, बस बाहर की कक्षा की पंखुड़ियां तोड़ते समय, हमें यह ध्यान रखना होगा कि उसमें से सबसे बड़ी पंखुड़ी कौन सी है?” शैफाली का तर्क सभी को सही लगा।

“तो फिर ठीक है, हम बाहर की कक्षा की सबसे बड़ी पंखुड़ी को सबसे अंत में तोड़ेंगे।” सुयश ने सभी को देखते हुए कहा- “परंतु कैश्वर के कहे अनुसार पहली पंखुड़ी को तोड़ते समय द्रव नहीं निकलना चाहिये, तो हम पहले बाकी की पंखुड़ी को तोडते समय देखेंगे, कि पंखुड़ी से द्रव किस प्रकार से निकल रहा है? फिर उसी के हिसाब से आखिरी पंखुड़ी के बारे में सोचेंगे।”


“कैप्टेन, पंखुड़ी से निकलने वाले द्रव को सही से देखने के लिये, हमें फूल के बीच उपस्थित पुंकेसर को पहले ही तोड़ देना चाहिये, जिससे कि ज्यादा से ज्यादा गहराई तक पंखुड़ी को देखा जासके।” तौफीक ने अपने विचार व्यक्त किये।

तौफीक का विचार सही था, इसलिये सुयश ने आगे बढ़कर नीलकमल के बीच उपस्थित सभी पुंकेसर को तोड़ दिया।

पर जैसे ही सुयश ने पुंकेसर को तोड़ा, वह नीलकमल किसी लट्टू की भांति अपनी धुरी पर तेजी से नाचने लगा।

यह देख सभी डरकर थोड़ा पीछे हट गये। अब नीलकमल के नाचने की स्पीड इतनी तेज हो गई थी कि उसके स्थान पर एक बवंडर सा नजर आ रहा था।

धीरे-धीरे नीलकमल का आकार भी बढ़ने लगा। कुछ ही देर में नीलकमल का नाचना रुक गया, परंतु अब वह नीलकमल लगभग 12 फुट ऊंचा हो चुका था।

“लो हो गया काम।” ऐलेक्स ने मुस्कुराते हुए कहा- “मैं सोच ही रहा था कि तिलिस्मा का पहला द्वार इतना आसान क्यों है?”

“कैप्टेन, यह तो लगभग 12 फुट ऊंचा हो गया।” जेनिथ ने परेशान होते हुए कहा- “अब हम इस पर चढ़े बिना इसकी आंतरिक कक्षाओं की पंखुड़ियां कैसे तोड़ेंगे?....और इस पर चढ़ने के लिये यहां ऐसा कुछ है भी नहीं।”

“और सबसे बड़ी बात यह है कि यदि हम उछलकर इस पर चढ़ने की कोशिश करेंगे, तो इसके लिये हमें इस नीलकमल की बाहरी पंखुड़ियों का सहारा लेना ही पड़ेगा और ऐसे में यदि, कहीं पहली पंखुड़ी पहले ही टूट गयी तो क्या होगा?”

समस्या विकट थी। सभी की निगाह चारो ओर दौड़ी, पर वहां पर उस फूल पर चढ़ने के लिये कुछ भी नहीं था।

तभी क्रिस्टी ने सभी को आश्चर्यचकित करते हुए कहा- “मैं इस पर चढ़ सकती हूं। पर मुझे इसके लिये कैप्टेन और तौफीक की मदद चाहिये होगी।”

“बताओ क्रिस्टी, हमें क्या करना होगा?” सुयश ने क्रिस्टी से पूछा।

“वैसे तो मैं ‘पोल वॉल्ट’ करना जानती हूं। अगर यहां कोई पोल होता, तो मैं यह कार्य बड़ी ही आसानी से कर लेती, पर अब मुझे पोल की जगह पर 2 लोगों की जरुरत होगी। हम सभी नीलकमल से 15 मीटर दूर जायेंगे, जहां पर कैप्टेन और तौफीक मेरे आगे-आगे दौड़ना शुरु करेंगे, मैं उनके पीछे रहूंगी, जब इस नीलकमल की दूरी 1 मीटर बचेगी, तो मैं आप दोनों को रुकने के लिये बोल दूंगी। मेरे रुकने का कहते ही, आप दोंनो अपने शरीर को कड़ा करके रुक जाना, तब मैं आपके शरीर को पोल की जगह प्रयोग करके इस नीलकमल पर पहुंच जाऊंगी।”


जारी रहेगा________✍️
lovely update ..tilisma ke baare me bahut si jaankari di aapne ..
 

Raj_sharma

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#149.

क्रिस्टी का प्लान सभी को अच्छा लगा, पर सभी के दिल तेजी से धड़क रहे थे।

क्रिस्टी के बताए अनुसार सुयश और तौफीक, नीलकमल से 15 मीटर दूर आ गये।

क्रिस्टी के इशारा करते ही, सुयश और तौफीक ने दौड़ना शुरु कर दिया।

दौड़ने से पहले सुयश ने खोपड़ी की माला को उतारकर ऐलेक्स को पकड़ा दिया, नहीं तो वह दौड़ने में बाधक बनती।

उन दोनों से 3 सेकेण्ड का अंतराल लेकर, क्रिस्टी ने भी उनके पीछे दौड़ना शुरु कर दिया।

जैसे ही नीलकमल की दूरी लगभग 1 मीटर बची, क्रिस्टी ने दोनों को रुकने के लिये कहा।

सुयश और तौफीक, अपने शरीर को कड़ा करते हुए, नीलकमल से 1 मीटर की दूरी पर रुक गये।

पीछे से भागकर आती क्रिस्टी ने उछलकर, अपना एक पैर तौफीक के कंधे पर व दूसरा पैर सुयश के कंधे पर रखा और अपने शरीर का बैलेंस बनाते हुए ऊपर की ओर उछल गई।

किसी सफल कलाबाज की तरह क्रिस्टी का शरीर हवा में गोल-गोल नाचा और वह जाकर नीलकमल पर सीधी खड़ी हो गई।

यह देख ऐलेक्स खुशी के मारे सीटी बजाकर नाचने लगा।

क्रिस्टी ने ऐलेक्स को देखा और धीरे से मुस्कुरा दी। सभी के चेहरे पर अब खुशी के भाव थे।

क्रिस्टी के नीलकमल पर खड़े होते ही क्रिस्टी के भार से, नीलकमल लगभग 2 फुट नीचे आ गया।

अब उसकी ऊंचाई मात्र 10 फुट की बची थी।

नीलकमल के बीच लगभग 1 मीटर व्यास का क्षेत्र खाली था, इसलिये क्रिस्टी को वहां खड़े होने में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं हो रही थी।

क्रिस्टी ने अब सुयश की ओर देखा और सुयश का इशारा मिलते ही आंतरिक कक्षा की सबसे छोटी पंखुड़ी को तोड़ दिया।

उस पंखुड़ी को तोड़ते ही, पंखुड़ी के निचले सिरे से सफेद रंग का द्रव निकला और इसके साथ ही नीलकमल बहुत ही धीरे, गोल-गोल नाचने लगा।

यह देख क्रिस्टी ने एक और पंखुड़ी तोड़ दी, नीलकमल की स्पीड थोड़ी सी और बढ़ गई।

यह देख सुयश ने नीचे से चीखकर कहा - “क्रिस्टी, नीलकमल घूमने लगा है, तुम्हें तेजी से इसकी आंतरिक पंखुड़ियों को तोड़ना होगा।

“कैप्टेन, मैं जैसे-जैसे पंखुड़ियां तोड़ रहीं हूं, वैसे-वैसे इस नीलकमल की स्पीड बढ़ती जा रही है। मैं कोशिश कर रही हूं इसे तेज तोड़ने की।” क्रिस्टी ने कहा।

कुछ ही देर में क्रिस्टी ने आंतरिक कक्षा की सभी पंखुड़ियों को तोड़ दिया। अब मध्य और वाहृ कक्षा की पंखुड़ियां ही बचीं थीं।

परंतु अब नीलकमल की स्पीड थोड़ी बढ़ गयी थी और उस पर क्रिस्टी के लिये खड़े रहना थोड़ा मुश्किल हो रहा था।

क्रिस्टी को अब चक्कर आने लगे थे।

किसी प्रकार से क्रिस्टी ने मध्य कक्षा की भी आधी पंखुड़ियां तोड़ दीं और कूद कर नीचे आ गई।

जमीन पर आते ही क्रिस्टी ने उल्टी दिशा में घूमकर स्वयं को नियंत्रित किया और दुख भरे भाव से सुयश को देखने लगी।

“कोई बात नहीं क्रिस्टी, तुमने अपनी ओर से अच्छी कोशिश की।” सुयश ने क्रिस्टी का उत्साह बढ़ाते हुए कहा।

“मैं इसके आगे की पंखुड़ियां तोड़ सकती हूं।” जेनिथ ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “मैं एक डांसर हूं, आप लोगों ने ‘सुप्रीम’ पर देखा था कि मैं एक डांस ‘फुएट’ करती हूं, जिसमें तेजी से अपने पंजों पर
गोल-गोल नाचना रहता है। इसलिये मुझे गोल-गोल नाचने की प्रेक्टिस है और इससे मुझे चक्कर नहीं आते। पर मुश्किल यह है कि मैं क्रिस्टी की तरह कूदकर वहां जा नहीं सकती।”

“कैप्टेन, मेरे भार से वह नीलकमल 2 फुट नीचे आ गया है, अगर हम सम्मिलित कोशिश करें, तो जेनिथ को नीलकमल के ऊपर भेज सकते हैं।” क्रिस्टी ने कहा।

सभी ना समझने वाले भाव से क्रिस्टी की ओर देखने लगे।

“अब नीलकमल सिर्फ 10 फुट की ऊंचाई पर है। हममें से अधिकतर लोगों की ऊंचाई 6 फुट है। अगर हम सब गोला बनाकर, अपने हाथों को जोड़कर, अपनी सम्मिलित शक्ति से जेनिथ को नीलकमल पर फेंकने की कोशिश करें, तो उसे ऊपर पहुंचा सकते हैं।” क्रिस्टी ने कहा।

क्रिस्टी का प्लान ठीक था। सभी ने गोला बनाकर अपने हाथों को जोड़कर जेनिथ को उस पर खड़ा कर दिया और फिर 3 तक गिनती गिन कर, उसे ऊपर की ओर उछाल दिया।

जेनिथ सकुशल नीलकमल के ऊपर पहुंच गई और उसने मध्य कक्षा की पंखुड़ियों को तोड़ना शुरु कर दिया।

जेनिथ ने आसानी से मध्य कक्षा की पंखुड़ियों को तोड़ दिया, मगर अब सबसे मुश्किल कार्य था, क्यों कि पंखुड़ी के आकार को भी पहचानना था और आखिरी पंखुड़ी के द्रव को भी रोकना था।

“कैप्टेन मैं वाहृकक्षा की भी सभी पंखुड़ियां तोड़ दूंगी, परंतु उस द्रव को कैसे रोकना है? जो इस पंखुड़ी से निकल रहा है।” जेनिथ ने सुयश से पूछा।

“आप ध्यान से देखिये जेनिथ दीदी, पंखुड़ियां जहां से डंडी से जुड़ी होंगी, वहां का रंग थोड़ा गाढ़ा होगा, आपको उस गाढ़े रंग के पास से ही आखिरी पंखुड़ी को तोड़ना होगा। वह गाढ़ा स्थान तभी बनता है, जब वृक्ष, द्रव की आपूर्ति को फूल तक जाने से रोक देता है।” शैफाली ने कहा।

जेनिथ ने ध्यान से देखा तो उसे शैफाली की बात समझ में आ गई।

अब जेनिथ ने फुएट की तरह, एक ही स्थान पर गोल-गोल नाचना शुरु कर दिया, जिससे उसको पंखुड़ियों के आकार की पहचान में कोई
परेशानी नहीं आ रही थी।

अंत में जब 2 पंखुड़ियां बचीं तो जेनिथ थोड़ा परेशान नजर आने लगी।

“कैप्टेन, इन दोनों पंखुड़ियों का आकार मुझे एक जैसा ही लग रहा है, मैं समझ नहीं पा रही कि किसे पहले तोड़ूं।” जेनिथ ने उलझे-उलझे भावों से कहा।

लेकिन इससे पहले कि सुयश कुछ जवाब देता, ऐलेक्स बोल पड़ा- “जेनिथ तुम्हारे दाहिने हाथ वाली पंखुड़ी का आकार थोड़ा छोटा है, तुम उसे पहले तोड़ो।”

जेनिथ ने कांपते हाथों से ऐलेक्स के द्वारा बताई पंखुड़ी को तोड़ दिया।

ऐलेक्स का अंदाजा सही था। अब नीलकमल पर सिर्फ आखिरी पंखुड़ी बची थी।

नीलकमल के नाचने की गति भी अब धीमी होती जा रही थी।

सुयश ने अब खोपड़ी की माला को वापस अपने गले में पहन लिया।

कुछ ही देर में नीलकमल का नाचना बंद हो गया, पर जैसे ही नीलकमल रुका, पूरे कमरे की काँच की जमीन अपनी जगह से गायब हो गई और सभी के सभी, जमीन के नीचे मौजूद उस जेल जैसे द्रव में गिर गये।

किसी को भी इस प्रकार कुछ घटित होने का अंदाजा नहीं था, इसलिये सभी ने पानी में एक गोता लगा लिया।

नीलकमल अब जेनिथ की पहुंच से दूर चला गया था।

वह द्रव पानी से थोड़ा ही गाढ़ा था, इसलिये किसी को उसमें तैरने में कोई ज्यादा परेशानी नहीं हो रही थी।

एक गोता खाने के बाद सभी ने अपना सिर पानी के बाहर निकाला।

“जिसे भी पानी के अंदर नीलकमल कहीं भी दिखाई दे, वह ध्यान से उसकी पहली पंखुड़ी को तोड़ देना।” सुयश ने सभी की ओर देखते हुए चीखकर कहा- “क्यों कि उसी के द्वारा अब हम इस मुसीबत को पार कर सकते हैं।”

सुयश की बात सुन सभी ने वापस पानी में गोता लगा दिया।

तभी पानी में मौजूद सभी 6 डॉल्फिन जैसी मछलियों का रंग बदलकर नीले से पारदर्शी हो गया और वह सभी एक-एक व्यक्ति के पीठ से आकर चिपक गईं।

पानी के अंदर ऐलेक्स को छोड़कर, किसी को भी अपनी पीठ से मछलियों के चिपकने का अहसास भी नहीं हुआ।

ऐलेक्स ने अपना हाथ पीछे करके, उस मछली को पकड़कर खींचा, परंतु मछली उसकी पीठ से नहीं छूटी।

उधर पानी के अंदर नीलकमल ढूंढ रही जेनिथ को, पानी के अंदर एक साया नजर आया, जो कि निरंतर उसकी ओर बढ़ रहा था।

जेनिथ ने एक बार अपनी आँखों को मिचमिचाकर, ध्यान से उस साये की ओर देखा।

साये को देखते ही जेनिथ बहुत ज्यादा घबरा गई, वह साया लॉरेन का था, जो कि पानी के अंदर खड़ी उसे ही घूर रही थी।

घबराहट की वजह से थोड़ा पानी जेनिथ की नाक में चला गया, जिसकी वजह से वह सतह पर आ गई।

“यह लॉरेन पानी के अंदर कैसे आ गई?” जेनिथ ने नक्षत्रा से पूछा।

“मुझे तो लॉरेन कहीं नहीं दिखाई दी।” नक्षत्रा ने आश्चर्य से कहा।

“पानी के अंदर लॉरेन बिल्कुल मेरे सामने ही थी।” जेनिथ के शब्दों में आश्चर्य झलक रहा था- “पर....पर वह तुम्हें क्यों नहीं दिखी नक्षत्रा?”

तभी तौफीक ने भी पानी की सतह पर घबराकर अपना सिर निकाला।

“क्या तुम्हें भी पानी में लॉरेन दिखाई दी तौफीक?” जेनिथ ने तौफीक से पूछा।

“नहीं....पर मुझे पानी में डूब रहा लोथार दिखाई दिया।” तौफीक ने हैरानी से कहा।

तभी क्रिस्टी ने भी पानी के ऊपर अपना सिर निकाला, वह भी काफी डरी हुई दिख रही थी।

“तुम्हें पानी के अंदर क्या दिखाई दिया क्रिस्टी?” जेनिथ ने क्रिस्टी से भी पूछ लिया।

“मुझे पानी में बहुत से हरे कीड़े तैरते हुए दिखाई दिये।” क्रिस्टी ने कहा।

अब सुयश, शैफाली और ऐलेक्स भी पानी से बाहर आ गये। जेनिथ ने सारी बातें सुयश को बता दीं।

“मुझे भी पानी में डूबता हुआ ‘सुप्रीम’ दिखाई दिया....पर....पर ये सब हो कैसे रहा है?” सुयश ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा।

“मैं बताता हूं कैप्टेन।” ऐलेक्स ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचते हुए कहा- “कैप्टेन जब हम लोग तिलिस्मा के इस द्वार के अंदर आये, तो जमीन के नीचे कुछ नीले रंग की मछलियां भी थीं। क्या कोई बता सकता है कि मछलियां इस समय कहां पर हैं?”

ऐलेक्स की बात पर सभी का ध्यान मछलियों की ओर गया, पर किसी को भी मछलियां पानी के अंदर दिखाई नहीं दी थी। इसलिये सभी ने ऐलेक्स के सामने ‘ना’ में सिर हिला दिया।

“वह सभी नीली मछलियां पारदर्शी बनकर, हम सभी की पीठ से चिपकी हुईं हैं, पारदर्शी होने की वजह से वह हमें दिखाई नहीं दे रहीं हैं। वही मछलियां हमें ‘लुसिड ड्रीम्स’ की भांति, हमारे दिमाग में मौजूद डर
को हमारे सामने प्रकट कर रहीं हैं।” ऐलेक्स ने कहा।

“मतलब तुम्हारा यह कहना है ऐलेक्स, कि वह चीजें जो हमें दिखाई दीं, वह असली नही थीं, बल्कि एक प्रकार का भ्रम थीं।” क्रिस्टी ने ऐलेक्स से पूछा।

“हां, वह बस एक प्रकार का भ्रम हैं, जो उस मछली की वजह से हमारे सामने महसूस हो रहा है।” ऐलेक्स ने कहा।

यह सुनकर सुयश ने अपनी पीठ पर हाथ फेरा। पीठ पर हाथ फेरते ही सुयश को अपनी पीठ से किसी चीज के चिपके होने का अहसास हुआ।

सुयश ने भी उस मछली को अपनी पीठ से हटाने की कोशिश की,
पर वह भी सफल नहीं हुआ।

“ऐलेक्स सही कह रहा है।” सुयश ने कहा - “हमारी पीठ पर वह मछली चिपकी है, पर वह छूट नहीं रही है। .....ऐलेक्स क्या अब तुम यह बता सकते हो कि इस मुसीबत से कैसे छुटकारा मिलेगा?”

“मैं बताती हूं कैप्टेन अंकल।” शैफाली ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “वह मछली हमारे दिमाग से खेलकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न कर रही है और ऐसी स्थिति में, हमारे दिमाग का डर हमारे सामने दिख रहा है। तो अगर हम अपने दिमाग को यह विश्वास दिलायें कि हमारा सबसे बड़ा डर वह मछली ही है, तो वह मछली भी हमें हमारे सामने नजर आने लगेगी।

ऐसी स्थिति में हम अपने सामने मौजूद मछली को मारकर अपने डर पर काबू पा सकते हैं। अब हममें से जो भी सबसे पहले ये करने में सफल हो गया, वह नीलकमल को ढूंढ कर उसकी आखिरी पंखुड़ी को तोड़ देगा। आखिरी पंखुड़ी के टूटते ही यह मायाजाल ही समाप्त हो जायेगा।”

“यह कैसे हो सकता है?” जेनिथ ने कहा- “क्यों कि ऐलेक्स तो कह रहा था कि हमारे सामने जो चीजें दिख रहीं हैं, वह सब एक भ्रम है, तो फिर हमारे सामने जो मछली दिखाई देगी, वह भी तो एक भ्रम ही होगी, असली मछली नहीं। तो फिर हम उस भ्रम को मार कैसे सकते हैं?”

“हर भ्रम को सिर्फ विश्वास की शक्ति ही तोड़ सकती है।” शैफाली ने कहा- “अगर वह भ्रम सच ना होकर भी हमारी जान ले सकता है, तो हम भी सच ना होते हुए भी, उस भ्रम को अपने विश्वास से मार सकते हैं और वैसे भी वह मछली हमारे दिमाग से खेल रही है, ऐसे में अगर हम अपने दिमाग को स्वयं से नियंत्रित करने लगे, तो वह मछली स्वयं ही हार जायेगी।”

शैफाली के तर्क बहुत ही सटीक थे, इसलिये फिर से किसी ने कोई सवाल नहीं किया और सभी ने पानी के अंदर एक बार फिर डुबकी लगा दी।

सभी के पानी में डुबकी लगाते ही, एक बार फिर सभी को अपने-अपने डर नजर आने लगे।

पर इस बार कोई भी अपने सामने मौजूद डर से नहीं डरा, बल्कि डर के रुप में उस मछली के बारे में सोचने लगा।

सभी के डर अलग-अलग रुप धरकर उन्हें डराने की कोशिश कर रहे थे, पर सभी बिना डरे मछली के बारे में सोच रहे थे।

तभी ऐलेक्स को अपने सामने वही नीली मछली दिखाई दी।

मछली के दिखते ही ऐलेक्स ने झपटकर उस नीली मछली को अपने हाथों से पकड़ लिया और अपने हाथ की उंगलियों से उस मछली की आँखें फोड़ दीं।

आँखों के फूटते ही ऐलेक्स की पीठ पर मौजूद मछली ऐलेक्स के शरीर से छूट गई।

मछली के पीठ से हटते ही ऐलेक्स को सामने, कुछ दूरी पर वह नीलकमल दिखाई दिया।

नीलकमल नजर आते ही ऐलेक्स उसकी ओर झपटा। कुछ ही देर में नीलकमल ऐलेक्स के हाथ में था।

चूंकि ऐलेक्स की वशीन्द्रिय शक्ति अभी भी थोड़ा काम कर रही थी, इसलिये ऐलेक्स ने नीलकमल की पंखुड़ी के उस भाग को पानी के अंदर भी आसानी से देख लिया, जो हल्का गाढ़ा था। ऐलेक्स ने बिना देर कि ये पंखुड़ी को उस स्थान से तोड़ दिया।

पंखुड़ी के टूटते ही तिलिस्मा का वह द्वार भी टूट गया।

अब सभी के शरीर से मछलियां छूट गईं और उस जगह का सारा पानी वहीं जमीन में समा गया।

कुछ ही देर में सभी नार्मल से दिखने लगे, तो ऐलेक्स ने उन्हें बता दिया कि किस प्रकार उसने मछली को मारा था।

“अरे वाह....मेरा ब्वायफ्रेंड तो कमाल का निकला।” क्रिस्टी ने ऐलेक्स के गले से लगते हुए कहा।

“गलत कहा, मैं कमाल का नहीं, क्रिस्टी का हूं।” ऐलेक्स ने मासूमियत से जवाब दिया।

सभी ऐलेक्स का जवाब सुन हंस दिये।

सभी अब सामने मौजूद तिलिस्मा के दूसरे द्वार की ओर बढ़ गये।


जारी रहेगा_______✍️
romanchak update..
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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romanchak update..
Thank you Bhai kuch do sabd samay nikaal kar likh diya kariye, us se har lekhak ko thoda aur accha likhne ka saahas milta hai :thanx:
 
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