arundhalchand
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Taufiq ko jeevit dekh kar bhale hi sab jeevit bach gaye ho par shayad Jenith ko ye achha nahi laga hoga khair Taufiq ko Jenith khud saja dena chahti hai toh uska zinda rahna hi sahi hai.#120.
मैग्नार्क द्वार: (13 जनवरी 2002, रविवार, 10:20, मायावन, अराका द्वीप)
सभी जंगल में आगे की ओर बढ़ रहे थे।
रेत मानव से सभी को बचाने के बाद क्रिस्टी में एक अंजाना सा विश्वास आ गया था। अब वह थोड़ा खुश सी लग रही थी। शायद अब उसे भी इस रहस्यमय जंगल से निकलने की उम्मीद हो गई थी।
“क्या बात है?” शैफाली ने मुस्कुराते हुए कहा- “आज तो क्रिस्टी दीदी बहुत खुश दिख रही हैं। कुछ खास है क्या?”
शैफाली की बात सुन जेनिथ के चेहरे पर भी एक भीनी सी मुस्कान बिखर गई।
“खुशी की तो बात ही है, इतने खतरनाक रेत मानव और तिलिस्मी मुसीबतों से सबको बचाना कोई आसान बात थोड़ी ही थी।” जेनिथ ने कहा।
“आप सही कह रहीं हैं जेनिथ दीदी।” शैफाली ने जेनिथ से कहा- “कम से कम क्रिस्टी दीदी को अपनी ताकत के बारे में पता तो है। एक हम हैं, पता ही नहीं चलता कि आखिर हमारे पास शक्तियां कौन सी हैं? कभी याद आती हैं, तो एक पल में ही सब चली जाती हैं। मैं तो स्वयं को ही नहीं समझ पा रही हूं।”
सभी बात करते हुए क्रिस्टी के द्वारा उत्पन्न हुई नदी के किनारे-किनारे चल रहे थे।
जैसे-जैसे यह लोग आगे बढ़ रहे थे, पत्थरों का रंग सफेद से नारंगी होता जा रहा था।
तभी सभी को 2 छोटे पहाड़ों के बीच एक बड़ा सा अर्द्धचंद्राकार आर्क दिखाई दिया।
वह नदी इसी आर्क के बीच से होकर आती दिख रही थी। आर्क से निकलकर सूर्य की सुनहरी किरणें नदी के पानी को प्रकाशित कर रहीं थीं।
“वाह! कितना सुंदर दृश्य है।” जेनिथ ने उस दृश्य को अपनी आँखों में भरते हुए कहा- “वह आर्क बिल्कुल किसी प्रकृति के द्वार की तरह प्रतीत हो रहा है।”
सभी मंत्रमुग्ध से कुछ देर तक उस दृश्य को देखते रहे, फिर आगे बढ़कर उस आर्क के पास पहुंच गये।
दूसरी ओर जाने का रास्ता आर्क के बीच से ही होकर जा रहा था।
उस पथरीले आर्क के दोनों ओर 2 जलपरियों की मूर्तियां भी बनीं थीं, जिन्होंने अपने हाथों में ग्लोब पकड़ रखी थी।
उस आर्क के पास जमीन पर एक छोटा सा बोर्ड लगा था, जिसके बीचो बीच में अलग-अलग अंग्रेजी के 7 अक्षर भी चिपके हुए थे।
वह अक्षर थे- “CRANGAM” उन अक्षरों को देखकर सभी के मुंह से एक साथ निकला- “क्रैंगम!”
“लगता है यह भी किसी प्रकार के तिलिस्म का हिस्सा है।” क्रिस्टी ने कहा- “क्यों कि यहां कि सारी चीजें किसी के द्वारा बनाई गयी दिख रहीं हैं।”
“सही कहा क्रिस्टी ने।” सुयश ने भी उस पूरे आर्क को देखते हुए कहा- “मुझे भी यह कोई नयी समस्या दिख रही है, पर इस क्रैंगम का मतलब क्या हुआ?”
पर सुयश के इस सवाल का जवाब उनमें से किसी के भी पास नहीं था।
“सभी लोग ध्यान रखें।”तौफीक ने कहा- “कोई भी किसी भी चीज को, समझे बिना नहीं छुएगा। क्यों कि हमें नहीं पता कि किस चीज में क्या परेशानी छिपी हुई है?”
सभी ने तौफीक की बात पर सहमति जताते हुए अपने सिर हिलाये।
“कैप्टेन अंकल!” शैफाली ने सुयश से कहा- “क्यों ना हम बिना किसी चीज को छुए हुए नदी के बगल में मौजूद छोटे से जमीनी रास्ते से उस पार चलें? क्यों कि हम कितना भी सोचकर किसी भी चीज को हाथ
लगाएं? हम उसमें छिपी परेशानी को पहचान नहीं पायेंगे।”
“शैफाली सही कह रही है।” सुयश ने सभी को देखते हुए कहा- “हमें बहुत धीरे-धीरे बिना किसी चीज को छुए ही इस आर्क को पार करना पड़ेगा।”
सुयश की बात सुन तौफीक ने स्वयं आगे बढ़कर उस आर्क के उस पार जाने की सोची, तभी तौफीक का हाथ किसी अदृश्य दीवार से टकराया।
उस अदृश्य दीवार ने तौफीक को उस पार नहीं जाने दिया।
“कैप्टेन, यहां पर कोई अदृश्य दीवार है, जो मुझे उस पार नहीं जाने दे रही।” तौफीक ने अदृश्य दीवार को हाथ से टटोलते हुए कहा।
तौफीक की बात सुन सभी ने हाथ के स्पर्श से उस दीवार को छूकर देखा।
“अब क्या करें कैप्टेन?” क्रिस्टी ने कहा- “हमारा उस पार जाना भी जरुरी है और यह आर्क की अदृश्य दीवार हमें उस पार जाने भी नहीं दे रही।”
मगर सुयश से पहले ही शैफाली बोल उठी- “नदी.... हो ना हो इस आर्क के उस पार जाने का रास्ता इस नदी से होकर जाता होगा।”
“मैं भी शैफाली की बात से सहमत हूं।” जेनिथ ने कहा- “हममें से किसी को पानी के अंदर उतरकर उस पार जाने की कोशिश करनी होगी।”
“यह कोशिश मैं करती हूं।” क्रिस्टी ने अपना हाथ ऊपर उठाते हुए कहा।
किसी ने भी क्रिस्टी की बात पर ऐतराज नहीं जताया। यह देख क्रिस्टी ने अपनी जींस को थोड़ा फोल्ड करके ऊपर चढ़ाया और अपने जूते उतारकर नदी में कूद गयी।
क्रिस्टी ने अपना सिर पानी की सतह के नीचे करते हुए उस आर्क को पार करने की कोशिश की, पर क्रिस्टी को पानी के अंदर भी वह अदृश्य दीवार महसूस हुई।
यह सोच क्रिस्टी डाइव मारकर नदी की तली की ओर चल पड़ी।
नदी कोई ज्यादा गहरी नहीं थी। थोड़ी ही देर में क्रिस्टी नदी की तली में खड़ी थी।
नदी के तली में बहुत से नीले पौधे लगे हुए थे। तभी क्रिस्टी के निगाह पानी में बने बाकी के आधे आर्क पर पड़ी।
वह आधा आर्क उल्टा बना हुआ था, यानि अगर वह नदी ना होती तो वह आर्क नहीं एक पूरा रिंग दिखाई देता।
पानी के अंदर के आर्क की ओर 2 परियां बनीं थीं, जिन्होंने अपने हाथों में जादुई छड़ी पकड़ रखी थी।
वह दोनों परियां आर्क से जुड़ी उल्टी खड़ीं थीं।
जब क्रिस्टी को पानी के अंदर से आर्क में जाने का कोई रास्ता नहीं दिखाई दिया, तो वह नदी से निकलकर बाहर आ गयी।
क्रिस्टी ने नदी के अंदर का पूरा दृश्य सभी को बता दिया।
“इसका क्या मतलब हुआ?” जेनिथ ने कहा- “अगर हम पानी से भी उस पार नहीं जा सकते और जमीन से भी नहीं तो फिर हम उस पार कैसे जायेंगे?”
“एक मिनट क्रिस्टी दीदी मुझे जरा एक बार फिर से बताना कि नीचे 2 जलपरियां उल्टी खड़ी हैं, आपने सही बताया ना?” शैफाली ने क्रिस्टी से दोबारा से पुष्टि करते हुए कहा।
“हां...बिल्कुल सही।” क्रिस्टी ने अपना सिर हां में हिलाते हुए कहा।
अब शैफाली उस आर्क को देखती हुई कुछ तेजी से सोचने लगी।
तभी जेनिथ की नजर क्रिस्टी के पैरों की ओर गयी और वह बोल उठी- “अरे क्रिस्टी ये तुम्हारे पैरों में यह नीले रंग का जेली जैसा पदार्थ कहां से लग गया?”
जेनिथ की बात सुन क्रिस्टी ने भी अपने पैरों की ओर देखा। उसके पैर में नीले रंग की जेली लगी थी।
“मुझे लगता है, यह जेली मुझे नदी के तली में खड़े होने पर लग गया होगा। क्यों कि वहां पर कुछ नीले पौधे थे।”
यह कहकर क्रिस्टी अपने पैरों से नीली जेली को हटाने लगी।
वह जेली किसी स्किन की तरह पैर से निकल रही थी। जेली के पैर से निकलने के बाद दोनों पैर की जेली किसी रबर के मोजे जैसी लग रही थी।
क्रिस्टी ने उस जेली को वहीं जमीन पर फेंक दिया।
तभी कुछ सोचती हुई शैफाली जोर से बोल उठी- “इस आर्क में ऊपर की ओर 2 जलपरियां बनी हैं और नीचे नदी की ओर 2 परियां। जबकि परियों को हवा में और जलपरियों को पानी में होना चाहिये था। इसका साफ मतलब है कि हमें इस आर्क को घुमाना होगा।”
शैफाली की सोच से सभी प्रभावित हो गये क्यों कि शैफाली का लॉजिक तो बिल्कुल सही था।
यह सुन तौफीक ने आगे बढ़कर उस पत्थर के आर्क को घुमाने की कोशिश की, पर पूरी ताकत लगाने के बाद भी वह आर्क अपनी जगह से हिला तक नहीं।
“लगता है कि इस आर्क में कुछ प्रॉब्लम और भी है।” जेनिथ ने कहा- “कहीं इस बोर्ड पर लिखे क्रैंगम शब्द में तो कोई रहस्य नहीं छिपा?” जेनिथ के शब्द सुन सभी उस क्रैंगम शब्द को ध्यान से देखने लगे।
“कैप्टेन!” तौफीक ने सुयश का ध्यान क्रैंगम शब्द की ओर करते हुए कहा- “ध्यान से देखिये। क्रैंगम शब्द में कुल 7 अक्षर हैं। इसमें ‘N’ अक्षर को छोड़कर बाकी सभी अक्षर लाल रंग से चमक रहे हैं, जबकि ‘N’ हरे
रंग से चमक रहा है। इसका मतलब ‘N’ को छोड़कर सभी अक्षर गलत स्थान पर लगे हैं, यानि कि ये सारे अक्षर ‘रम्बल-जम्बल’ हैं।”
सभी को तौफीक का तर्क बहुत सही लगा। अब सभी उन अक्षरों से किसी उचित शब्द को बनाने में लग गये।
कुछ देर सोचने के बाद इस प्रतियोगिता का समापन शैफाली ने अपने शब्दों से किया-
“यहां पर ‘MAGNARC’ शब्द लिखा है। इसका मतलब हुआ कि मैग्ना के द्वारा बनायी गयी आर्क। यानि कि ये सारे अक्षर उल्टे लिखे थे। शायद इन अक्षरों को सीधा करके सही करने के बाद यह आर्क भी घूमना शुरु हो जाये।”
यह सुनकर तौफीक ने आगे बढकर ‘C’ अक्षर को अपनी जगह से खिसकाने के लिये जैसे ही छुआ, वह तुरंत पत्थर का बन गया। यह देख सभी बहुत ज्यादा डर गये।
जेनिथ को छोड़ सभी की आँखों में दुख के भाव लहराने लगे।
“अब क्या करें कैप्टेन?” क्रिस्टी ने डरते हुए कहा- “हमारा एक और साथी इस जंगल की भेंट चढ़ गया... और अब हमारे पास आगे बढ़ने का कोई रास्ता भी नहीं है।”
“ऐसा नहीं हो सकता, अगर यह तिलिस्म बनाया गया है तो इसका हल भी यहीं कहीं होना चाहिये।” सुयश ने दृढ़ विश्वास दिखाते हुए कहा।
तभी सुयश को वेदालय वाला दृश्य याद आने लगा, जब आर्यन ने अपने दिमाग से धेनुका नामक गाय से स्वर्णदुग्ध प्राप्त किया था।
अचानक से सुयश आर्यन की तरह सोचने लगा। अब उसकी निगाहें तेजी से अपने चारो ओर घूमने लगीं।
तभी उसकी नजर क्रिस्टी के द्वारा फेंके गये नीले रंग की जेली पर पड़ी।
“मिल गया उपाय।” यह कहकर सुयश बिना किसी को कुछ बोले जूते उतारकर नदी में कूद गया।
किसी की समझ नहीं आया कि सुयश क्या करना चाह रहा है।
थोड़ी ही देर में सुयश नदी के पानी से बाहर निकला। उसके दोनों हाथों में अब नीले रंग की जेली लगी थी, जो कि एक रबर के दस्ताने की तरह प्रतीत हो रही थी।
सुयश ने आगे बढ़कर क्रैंगम के अक्षरों को छुआ, पर हाथ में जेली लगे होने के कारण सुयश को कुछ नहीं हुआ।
सुयश ने जैसे ही सभी अक्षरों को सही स्थान पर लगाया, सभी अक्षर हरे रंग से चमकने लगे और आर्क में कहीं एक तेज ‘खटाक’ की आवाज उभरी।
अब सुयश ने आर्क को हिलाकी देखा, सुयश के हिलाते ही आर्क अपनी जगह से घूमने लगी।
कुछ ही देर में जलपरियां पानी के नीचे चलीं गयीं और परियां पानी के ऊपर आ गयीं।
सुयश ने इसके बाद उस आर्क के बीच से निकलने की कोशिश की और वह आर्क के बीच से होता हुआ दूसरी ओर पहुंच गया।
यह देख जेनिथ, क्रिस्टी और शैफाली भी आर्क के दूसरी ओर निकल गये।
क्रिस्टी के एक नजर पत्थर बने तौफीक पर डाली। वह अभी भी पत्थर बना था। तौफीक को देख क्रिस्टी की आँखों में दुख के भाव नजर आये।
तभी सुयश को जाने क्या हुआ, वह दोबारा आर्क के पहली ओर गया और पत्थर बने तौफीक को खींचकर आर्क के दूसरी ओर ले आया।
जैसे ही तौफीक का शरीर आर्क के दूसरी ओर पहुंचा, अचानक दोनों परियां सजीव हो गईं।
परियों ने एक नजर पत्थर बने तौफीक की ओर डाली।
अब उनके हाथ में पकड़ी जादुई छड़ी से सुनहरी किरणें निकलीं और पत्थर बने तौफीक पर पड़ीं।
सुनहरी किरणों के पड़ते ही तौफीक वापस से सजीव हो गया। सभी यह देखकर खुश हो गये।
तभी परियों सहित नदी और आर्क सबकुछ हवा में विलीन हो गया। अब वह एक पथरीले रास्ते पर खड़े थे।
शैफाली ने तौफीक को सारी घटना बता दी। यह सुन तौफीक ने सुयश को गले से लगा लिया।
सभी मुस्कुराते हुए फिर से आगे की ओर बढ़ गये।
जारी रहेगा______![]()
Wonderful update brother

rahi uske marne ki baat , to filhaal to wo possible nahi hai
Thank you very much for your valuable review and support bhai

Filhaal ke liye sath bane rahiye,