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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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कुछ मेडिकल इमर्जेंसी की वजह से इन दिनों व्यस्त हूं दोस्तो और परेशान भी 🥲
समय मिलने पर अपडेट दिया जायेगा और सभी को सूचित किया जाएगा ।
तब तक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं
🙏

 
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Raj Kumar Kannada

Good News
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कहानी की अगली कड़ी पोस्ट कर दी है
पढ़ कर रेवो जरूर करें
Thanks For Update Bhai ❤️❤️❤️ please don't take to mach time please
 

Raj Kumar Kannada

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💥 अध्याय:02💥
UPDATE 012


चमनपुरा

" अच्छा ये वाली पहन ले बेटा , काली वाली "
" हा ठीक है इसी को प्रेस कर दो मै नहाने जा रहा हूं"

अनुज ने अपनी मां के पास खड़ा होकर : क्या हुआ ?
रागिनी : अरे वो तेरे पापा के दोस्त है न ठाकुर साहब
अनुज : हा ?
रागिनी : तो राज को उनके यहां एक पार्टी में जाना है इसीलिए इतना हड़बड़ाया हुआ है
अनुज : क्या सच में ? पार्टी?
रागिनी अनुज को खिलता देख कर : हा लेकिन तुझे नही जाना, मै घर में अकेली नहीं रहने वाली सारी रात बोल देती हूं
एकदम से अनुज की आंखे चमकी और वो खुश होकर अपनी मां को बगल से हग करने लगा : मै नहीं जाने वाला आपको छोड़ कर अकेले , भैया जाए तो जाए

रागिनी ने आंखे महीन कर उसे घूरा : अच्छा बेटा , तेरे दिल में पार्टी के नाम पर जो फुगे फूटते है न बचपन से जानती हूं, चल छोड़ मुझे।
रागिनी अपने कमरे में आई और राज के कपड़े प्रेस करने लगी

अनुज भी उसके पीछे आकर बिस्तर पर बैठ गया
रागिनी : बैठा क्या है ? पढ़ाई नहीं करनी ?
अनुज : मम्मी यार , कल संडे है कल कर लूंगा न
रागिनी : जब तक तेरे पापा नहीं है , खूब मस्ती कर ले , आयेंगे तब तेरी खबर लेंगे और एग्जाम में कम नंबर आए तो बताएंगे

तबतक राज कमरे में दाखिल हुआ : ये तो पक्का फेल है मम्मी इस साल
अनुज ने घूर कर अपने भैया को देखा जो नहा कर तौलिया लपेटे कमरे में आया था बनियान पहने हुए ।

राज ने हस कर उसको देखा और अपने मा को दो चूड़ी और कसते हुए : मम्मी पता है , वो मेरा दोस्त है न बंटू

रागिनी : हा वो विजई का बेटा , क्या हुआ
राज : कुछ नहीं , वो बता रहा था अनुज कालेज जाते समय रोज पुलिया पर रुकता है
राज ने अनुज को आंख मारी और अनुज की हालत सन्न
रागिनी ने एकदम से अनुज को घूरा : तू पढ़ने जाता है कि पुलिया पर घूमने
अनुज की हालात खराब थी
राज हस कर उसके मजे लेता हुआ : और पता है मम्मी , वहां कैसे कैसे स्टूडेंट रुकते है
अनुज एकदम से तैस में आकर : हा बताओ , मै भी जानू
रागिनी उसको देख कर चौकी : अरे अब क्या लड़ाई करेगा ,भैया से ?
अनुज एकदम से शांत ही गया और उदास भी थोड़ा

राज उसका उतरा हुआ मुंह देख कर हंसता हुआ : मम्मी वहां न गोरी गोरी लड़कियां रुकी होती है , और इससे फोटो खिंचवाती है हाहाहाहाहा

अनुज की हालत पतली हो गई
रागिनी ने अचरज से अनुज को देखा उसको देख कर ऐसा लग रहा था कि अगर उसने जरा भी डांट लगाई तो रो ही पड़ेगा
रागिनी : क्या ? फोटो खींचता है ? बड़ा होकर कैमरा चलाएगा क्या ?
अनुज : नहीं मम्मी , भैया झूठ बोल रहे है
राज : लगाऊं फोन बंटू को
अनुज एकदम से चुप हो गया

रागिनी अनुज को इस हसी ठिठौली में अकेला देख कर उसकी तरफ से बोली : अरे सिर्फ फोटो ही खींच रहा था कि एक फोटो साथ में भी लिया उनके
अनुज और राज दोनों चौके ?
राज फिर मुस्कुराने लगा
रागिनी राज को कपड़े देते हुए बोली: बोल न
अनुज आंखे उठा कर अपने मां को देखा और फिर राज को घूरते हुए : हा सेल्फी ली थी
रागिनी : तो दिखा फोटो ?
अनुज : मेरे पास कहा मोबाइल है , उनलोगों के पास होगा । मै इंस्टाग्राम पर मंगवा लूंगा तो दिखा दूंगा
रागिनी: अच्छा ठीक है दादा , अब तू क्या दांत फाड़ रहा है जा तैयार हो ले । खबरदार मेरे बच्चे को तंग किया तो ? दिखता नहीं अभी पटाने के लिए पीछे पड़ा है
रागिनी एकदम से खिलखिलाई और राज को ताली दे मारी और राज भी ठहाका मारकर हस पड़ा ।
अनुज उखड़ कर : मम्मी यार , आप भी मजे लेलो
रागिनी हस कर उसके पास गई और उसे बाल सहलाती हुई : मजे नहीं ले रही , मै तो कह रही हूं पढ़ाई छोड़ और शादी कर ले हीहीही , घर में बहु आ जाएगी तो मुझे भी बड़ा आराम ही जाएगा ।
अनुज एकदम से आंखे महीन कर अपनी मां को घूरा तो रागिनी समझ गई कि अब मजाक ज्यादा हो रहा है और वो धीरे से सरक ली ये बोलते हुए राज तैयार हो जाए ।

रागिनी के जाते ही अनुज राज पर बिफर पड़ा: ये क्या बोल रहे थे मम्मी को आप
राज हंसता हुआ अपने शर्ट के बटन बंद करता हुआ : क्यों क्या हो गया भाई , जब तुझे समझाया था कि परीक्षा आ रही है तू पढ़ाई पर फोकस कर लेकिन तू है कि समझ नहीं रहा है । लड़कियों के पीछे लगा है।
अनुज: भैया मै नहीं , वो लाली .. वो ही लगी रहती है तो क्या करूं?
राज अचरज से : अच्छा वो लाली थी ?
अनुज भौहें टाइट कर राज के पीछे खड़े होकर शीशे में उसको आवाज बाल बनाते देखता हुआ : तो फिर आपको नहीं पता था
राज हस कर : नहीं ये तो नहीं पता था कि वो लाली थी , नहीं तो कसम से भाई मम्मी के आगे नाम भी लेता
अनुज : हूह ,अब मम्मी को फोटो दिखाने पड़ेगी न
राज : दिखा दे , होने वाली बहु है आखिर उनकी हाहाहाहाहा
अनुज पैर पटकने जैसा होकर : भैया , यार आप भी मजे मत लो । आप तो मेरा टेस्ट जानते हो न

राज : अबे इतना भी क्या भाव खा रहा है , कितनी प्यारी है और अभी उम्र कम है वो भी बड़ी होगी किसी रोज और उसके भी हाहाहाहाहा
अनुज को राज की आखिर की बाते पसंद नहीं आई , जैसे लाली के लिए एकदम से पोजेसिव होने लगा था ।

राज उसका उतरा मुंह देख कर : बेटा , प्यार तो तू भी करता है बस मानता नहीं है
अनुज एकदम से चौक गया : नहीं ऐसा कुछ नहीं
राज : चल चल ठीक है , आ गेट बंद कर ले

राज और अनुज घर के बाहर गेट तक आए
अनुज धीरे से : भैया बहुत मन कर रहा है , कितने दिन हो गए मौसी को गए
राज : हा तो मेरे पास कोई फैक्टी क्या चूत की , भाई मै भी तरस ही रहा हूं
अनुज : चाची पर ट्राई .....
राज की आंखे चमक उठी : देख रहा हु बहुत तेजी से बदल रहा है उम्मम, वैसे तेरी चॉइस की तो लगती नहीं चाची क्यों ?
अनुज थोड़ा शर्मा कर हंसता हुआ : अरे ऐसा नहीं है , कितनी सेक्सी लगती है और उनके दूध कितने मोटे और गोल है ।
राज : लेकिन तुझे तो बड़ी ( धीरे से उसके कान में ) गाड़ वाली पसंद है न
अनुज : हा लेकिन चाची में कोई बुराई थोड़ी है , अब सबकी बुआ और मौसी जैसी तो नहीं रहेगी न
राज मुस्कुरा कर अपने लंड में उठते जज्बात को पेंट के ऊपर से दबाता है : बस कर भाई , मुझ जाने नहीं देगा क्या । मौसी और बुआ की बात मत छेड़
अनुज हसने लगा : ओके आप जाओ और रात में वापस आओगे क्या ?
राज : नहीं
अनुज कुछ सोच कर : ठीक है जाओ
राज वहा से निकल गया अपना लंड सेट करता हुआ एक ईरिक्शा पकड़ कर वही अनुज खुश होकर गेट अच्छे से बंद कर दिया और घर में आने लगा ।
अनुज की खुशी का ठिकाना नहीं था , आज पहली बार वो और उसकी मां घर में अकेले थे और उसपे से रागिनी ने सोनल के कपड़े ट्राई करने को कहा था ।
अनुज : मम्मी , मम्मी ??
रागिनी अपने कमरे से आती हुई : हा क्या हुआ बेटा
अनुज एकदम से अपनी मां को ब्लाउज पेटीकोट में देखा , जो शायद नहाने की तैयारी करने वाली थी ।


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अनुज : क्या करने जा रहे हो
रागिनी : बेटा सीने और पीठ में बहुत खुजली हो रही है , पानी गर्म है नहाने जा रही हूं

अनुज नजरे इधर उधर करता हुआ कमरे में देखा तो रागिनी ने एक नाइटी निकाल रखी थी : ये पहनोगे क्या नहा कर ?
रागिनी : हा क्यों ?
अनुज मुंह बना कर : फिर दीदी वाले कपड़े ?
रागिनी अपना माथा पकड़ ली और हस्ते हुए : अरे वो कल पहन लूंगी , जल्दी क्या है ?
अनुज : अरे घर में भैया भी नहीं है इसलिए बोला
रागिनी भौहें चढ़ा कर : उससे क्या मै डरती हूं
अनुज : नहीं वो, कही वो पापा से कह न दे इसलिए
रागिनी : तो क्या मै तेरे पापा से डरती हूं
अनुज : अरे यार , भक्क
रागिनी हस्ती हुई : अच्छा ठीक है बाबा चल देखती हूं उसके कपड़े चल

फिर दोनों ऊपर जाने लगे और अनुज एकदम से खुश हो गया ।

वही अमन के घर ममता की आंख अपनी बिस्तर पर खुली और जैसे ही उसे होश आया एकदम से वो घर में मदन के होने और दरवाजा भीडके होने के त्वरित ख्याल से चौक कर उठ गई । असल हालत उसकी तब खराब हुई जब उसने पाया कि उसके देह पर चादर पड़ी थी ।
ममता शर्म ने अपना माथा पकड़ ली , उसकी दिल की धड़कने तेज हो गई और उसे समझते देर नहीं लगी कि मदन उसके कमरे में आया था और उसी से उसे चादर उढ़ाई है ।
ममता को थोड़ी हंसी भी आ रही थी और बहुत सारी शर्मिंदगी , ओर उससे भी ज्यादा झिझक कि वो कैसे खाना बनाने जायेगी और मदन का सामना करेगी ।

उसने आस पास देखा और अपनी नाइटी पहनी , हल्की सिहरन सी हो रही थी तो उसने एक साल लेकर कमरे से बाहर निकल कर बाथरूम में चली फिर हाल में आने लगी कि उसे कुकर की सीटिया सुनाई देने लगी ।
मसाले की महक से ममता को समझते देर नहीं लगी कि मदन आज नॉनवेज बना रहा था।
ममता धीरे धीरे हाल में आई और किचन में उसे काम करते हुए देखा , मोबाइल पर मदन किशोर कुमार की रोमांटिक गाने चल रहे थे जिन्हें वो गुनगुना रहा था और सहसा उसकी नजर ममता पर गई ।

मदन ने जरा भी जाहिर नहीं होने दिया कि कुछ देर पहले वो ममता को किस हाल में देखते हुए आया : अरे भाभी उठ गई क्या ? पैर ठीक है अब

ममता शर्म से हुंकारी भर कर फीकी मुस्कुराहट से जवाब दी
मदन चहकता हुआ : खाना लगभग तैयार है , भाभी आप बैठ जाओ
ममता : और आप ?
मदन एकदम से रुक गया और मुस्कुराने लगा : वो भाभी , अगर बुरा न मानो तो । मेरा आज मूड था पैग बनाने का
ममता तो तभी समझ गई कि आज मदन अपनी बोतल खोलेगा जब उसके नथुनों में नॉनवेज की खुशबू आई थी ।
ममता मुस्कुरा कर उसको तंग करने के इरादे से : भई मै तो जरूर बुरा मानूंगी
मदन चौक कर मोबाइल का गाना म्यूट करता हुआ : क्यों ?
ममता : भई आप अकेले अपना मौसम बनाएंगे और मुझे पूछेंगे भी नहीं तो बुरा लगेगा ही न
मदन चौक कर : क्या भाभी ? आप ..
ममता हंसते हुए गालों से : हा क्यों ?
मदन एकदम से हड़बड़ाने लगा : नहीं नहीं भइया को पता चला तो , नहीं
ममता मुस्कुरा कर : वैसे आप बहुत कुछ ऐसा कर चुके है जिसके बारे में आपके भैया को भनक नहीं होनी चाहिए क्यों ?
मदन एकदम से सकपका गया और वो समझ गया कि ममता का इशारा किधर है और वो अटकते हुए लहजे में : लेकिन भाभी , मै आपके सामने नहीं नहीं , मुझसे नहीं होगा
ममता : ओफ्फो देवर जी , अब मूड न बिगाड़िए
मदन आंखे फाड़ कर ममता को देखने लगा
ममता मुस्कुरा कर : वैसे ही सर्द रात है , तो थोड़ी गर्माहट रहेगी
मदन मुस्कुराने लगा : वैसे अपने कभी पहले ट्राई किया है ?
ममता मुस्कुरा कर हा में सर हिलाया : लेकिन किसी से कहिएगा मत
मदन की आंखे चमक उठी : कब ?
ममता : वो शादी के पहले की बात थी , मेरी सहेली के भैया फौज में तो बस एक ढक्कन , हा सिगरेट बहुत बार
मदन आंखे फाड़ कर : क्या सिगरेट भी
ममता : लेकिन प्लीज इसके बारे में आपके भैया को पता न लगे
मदन ने आंखों ही मुस्कुराकर हुंकारी भरी
ममता : तो छत पर चले ?
मदन मुस्कुरा कर : जैसा आप कहें
ममता मुस्कुरा कर : वही चलते है हिहीही
मदन : बस भाभी 10 मिनट और लगेगा
ममता: ठीक है तब तक मै भी आपके भैया से बात करके उन्हें निपटा दूं , ताकि वो हमें डिस्टर्ब न करे
ममता की बात पर मदन को ताज्जुब हुआ लेकिन ममता के साथ हसने के सिवा उसके पास कोई और रिएक्शन नहीं शेष था ।

इधर मुरारी की घंटी बजी और मंजू की आंखे खुली और वो झट से मुरारी के कंधे से अलग हो गई । जो अभी तक चलती गाड़ी में ना जाने कब गहरी नींद में आ गई थी ।
मुरारी ने फोन उठा और कुछ बात चित हाल चाल लेकर फोन रख दिया

मुरारी : भाई ड्राइवर साहब, अगर आगे कोई बढ़िया होटल दिखे तो गाड़ी लगाइए , खाना खा लिया जाए , क्यों ?

मंजू ने हा में सर हिलाया और धीरे से बोली: मुझे फ्रेश होना है
मुरारी ने उसकी बात सुनी फिर : भैया थोड़ा देखते रहना

मुरारी : अगर ज्यादा तेज हो तो गाड़ी साइड लगवा दूं
मंजू : क्या भक्क आप भी , ड्राइवर भी तो है ?
मुरारी : अरे गाड़ी से थोड़ा दूर हो जायेंगे न
मंजू : ठीक है करवाइए , अब
मुरारी : अरे ड्राइवर साहब थोड़ा गाड़ी एक किनारे लगाइए
ड्राइवर ने गाड़ी हाइवे के एक साइड में लगाई ।
रात के 8 बजने को हो रहे थे । सड़कों से गाड़िया तेजी से निकल रही थी और मंजू की साड़ी का आंचल संभालने में दिक्कत हो रही है ।

मंजू ने मूड कर मुरारी की ओर देखा : किधर चले
मुरारी : अरे आगे चलो अभी
करीब 50 मीटर दूर आने के बाद मुरारी ने मोबाइल की टॉर्च जलाई और वही हाइवे के पास लगे एक सुनसान जगह पर एक जगह प्लॉटिंग की गई थी , मुरारी को वही जगह साफ और सुरक्षित लगी
मुरारी : तुम जाओ मै खड़ा हु
मंजू ने हुंकारी भरी और हाइवे ने नीचे उतर कर 10 कदम गई होगी फिर वापस आने लगी
मुरारी की तरफ जाता हुआ : क्या हुआ
मंजू : मुझे डर लग रहा है , कोई सांप बिच्छू हुआ तो ?
मुरारी: तो अब
मंजू हिम्मत कर : आप भी चलो मेरे साथ
मुरारी थोड़ा रुक कर उसे देखा तो मंजू मुस्कुरा कर शर्माने लगी : भक्क चलो न
मुरारी हंसता हुआ उसके साथ चला गए और वही प्लॉटिंग वाली जगह के चारदीवारी के लास खड़ा होकर : हम्मम जाओ अब
मंजू ने अच्छे से मोबाइल की टॉर्च जलाई और देखने लगी और फिर मुरारी को देखकर : घूमों न उधर ?
मुरारी ने हसने लगा और अपनी टॉर्च बुझा कर खुद भी एक ओर खड़े होकर पेशाब करने लगा
हाइवे पर गुजर रही गाड़ियो की लाइट मुरारी के आधे देह पर आ रही थी मगर कमर के नीचे तक नहीं
मुरारी ने अपना लंड झाड़ कर वापस रख रहा था कि एकदम से मंजू चिहुकी: अम्मी
मंजू एकदम से उठ कर भागती हुई उसके पास आई
मुरारी उसको चीखता देख : क्या हुआ
मंजू : पता नहीं पैर पर कुछ रेंग रहा था
मुरारी ने झट से वहा टॉर्च मारी जहां मंजू ने पेशाब किया था और उस जगह की मिट्टी पूरी गीली हो थी , जहां तक पेशाब फैला हुआ था ।
मंजू को शर्म आ रही थी जिस तरह मुरारी उसके पेशाब किए हुए जगह पर टॉर्च जला कर देख रहा था ।
मंजू : छोड़िए न चूहा रहा होगा , चलिए चलते है
मुरारी की नजर और टॉर्च अभी भी उस गीली मिट्टी को देख रहे थे : हा चलो
वापस दोनों गाड़ी में आ गए और गाड़ी निकल पड़ी , और कुछ ही देर में मंजू को अपने बुर के पास हल्की खुजलाहट होने लगी , क्योंकि उसने पेशाब करके पानी से उसे धुला नहीं था ।
उसकी जांघें कचोट रही थी और उसके चेहरे पर बेचैनी हो रही , रह रह कर वो अपने बुर के पास हाथ ले जाकर उसे खुजाती
मुरारी की नजर का रुकने वाली थी और उसने धीरे से उसके कान में बोला : क्या हुआ ?
मंजू एकदम से सकपकाई और थोड़ा चुप रही। लेकिन मुरारी वैसे ही झुका हुआ उसके जवाब की प्रतिक्षा में था तो मजबूरन उसे बोलना ही पड़ा : तो करने के बाद धूली नहीं तो खुजली ...
मुरारी : कहो तो फिर से गाड़ी रुकवा दु
मंजू फुसफुसा कर : नहीं , वो क्या सोचेगा ?
मंजू का इशारा ड्राइवर की ओर था
मुरारी कुछ देर चुप रहा है और फिर धीरे से उसके कान में बोला : मेरे पास एक आईडिया है ?
मंजू अचरज से उसकी ओर देख कर : क्या ?
मुरारी : एक बार ऐसे ही अमन की मां के साथ हुआ था , लेकिन तब हम बस में सफर कर रहे थे और रात का समय था । तो मैने उसे अपनी रुमाल पानी में भिगो पर दी और फिर उसने अपने आप को चादर से ढक लिया था और फिर नीचे उस गिले रुमाल से साफ किया था । रात का समय था तो किसी को कुछ पता नहीं चला
मुरारी का आईडिया सुनते ही मंजू भिनकी: धत्त क्या आप भी ,
मुरारी : सच कह रहा हूं , कहो तो ममता को फोन लगाऊं
मंजू : नहीं उसकी जरूरत नहीं है
मंजू को फिर से चुनचुनाहट हुई बुर में

मंजू ने इशारे से : लाइए
मुरारी : एक मिनट रुको
फिर वो अपने बैग से एक ओढ़ने वाली चादर निकाला और फिर उसे मंजू और अपने ऊपर ओढ लिया
फिर धीरे से अपने जेब से रुमाल निकाल कर अपने पैर के पास ही बोटल वाली पानी से उसको अच्छे से भिगोया और फिर चादर के नीचे ही उसने मंजू को थमा दिया ।
मंजू ने चादर के नीचे अपनी साड़ी उठाने लगी , मुरारी कभी ड्राइवर को देखता तो कभी मंजू के चेहरे को तो कभी चादर के ऊपर से उसमें चल रही हरकत को आंकता और तभी उसने मंजू के चेहरे पर एक गहरी शांति देखी , उसकी आंखे बंद हुई मानो उसके चूत को कितनी ठंडक मिली हो ।वही मुरारी इस खुमारी में अपना लंड खंड चादर में भींच रहा था कि जल्द ही मंजू की चूत के रस से सना हुआ रुमाल उसके हाथ में होगा ।
लेकिन उसके सपनो का आशियाना तब टूट गया जब मंजू ने धीरे से रुमाल कार से बाहर फेक दिया

मुरारी को एकदम से झटका लगा: अरे फेक क्यों दिया ?
मंजू भौहें टाइट कर : तो क्या करोगे उसका अब, गंदा हो गया था
मुरारी : अरे घर पर धुला जाता न
मंजू शर्माती हुई : भक्क, तो क्या आप वो रुमाल यूज करते
मुरारी : अरे धुलने के बाद क्या दिक्कत थी उसमें भला
मंजू: धत्त बहुत गंदे हो आप
मुरारी : तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे कभी तुम्हारे अंदर के कपड़ो में पेशाब नहीं लगा हो
मंजू शर्म से झेप गई और हसने लगी : अरे लेकिन उसने और इसमें फर्क है न , वो तो नीचे ही रहता और इससे आप मुंह पोछते
मुरारी हस कर : एक ज्ञान की बात कह रहा हु सुन लो
मंजू ताजुब से उसकी ओर गई : हा बोलो
मुरारी उसके पास जाकर : मर्द कपड़ों में भेद नहीं करते , मैने अमन की मां की साड़ी, पेटीकोट , दुपट्टे सबसे हाथ मुंह पोछा है
मंजू को उसकी बात पर हसी आ रही थी और वो हस्ते हुए : हा लेकिन , अंदर गारमेंट से तो नहीं न
मुरारी : पोंछ तो लू, लेकिन वो पहने तो न हिहीही
मंजू एकदम से लजा गई : धत्त
मुरारी : सच में , मैने खुद उसे कितनी बार तौलिया न मिलने मेरे बनियान और अंडरवियर से मुंह हाथ पोंछते देखा है
मंजू हैरत से : सच में ?
मुरारी : इसमें बुरा ही क्या है ? धुलने के बाद साफ ही रहता है न
मंजू सीधी होकर मुस्कुरा लगी
मुरारी उसको ओर झुक कर : और इसमें मेरा ही फायदा होता है
मंजू : फायदा कैसा ?
मुरारी : मेरे कच्छे की खुशबू से उसका मूड हो जाता है और फिर ...
मंजू : धत्त कितने गंदे हो आप भैया
मुरारी हसने लगा तो मंजू भी खुद को हसने से रोक नहीं

शिला के घर

किचन में शिला और रज्जो खाना बना रही थी और इतने में रामसिंह दोनों को देख कर दाखिल हुआ ।
रामसिंह : उम्मम बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है भाभी , अह क्या बना रही हो
शिला : लो आ गए लार टपकाने
रामसिंह ने एक नजर इतराती हुई रज्जो को देखा और आंख मार कर शिला के बगल में खड़े होकर उसके गर्दन के पास अपने नथुनों में सास भरता हुआ बोला: उम्मम भाभी खुशबू इतनी मस्त आ रही है तो मुंह में पानी आयेगा ही
रज्जो आँखें नचा कर : दीदी मै तो कह रही हूं पहले इन्हें ही परोस दो , इनके भैया बाद में भी खा लेंगे
रामसिंह : और क्या ? भइया ने तो शाम को कुछ नाश्ता किया ही होगा , मै तो सुबह से भूखा हूं
शिला मुस्कुरा कर : अरे भाई , कम्मो को बुला लो ऊपर से सब साथ में खाते है न
रज्जो रामसिंह की आंखों में देख कर शरारती मुस्कुराहट से : कम्मो को मै बुला लाती हूं तब तक इनको कुछ देदो
रज्जो मटकते हुए ऊपर निकल गई और जैसे ही जीने से ऊपर पहुंचने को हुई एकदम से ठिठक गई , सामने खिड़की से अरुण कम्मो के कमरे में झांक कर रहा था ।

रज्जो की समझते देर नहीं लगी जिस तरह से अरुण के हाव भाव थे और उसका हाथ पेंट के ऊपर था ।
रज्जो दबे पाव गई और उसके पीठ पर थपथपाया तो वो एकदम से सन्न रह गया और घूम कर रज्जो को देखा तो सिट्टी पिट्टी गुम ।
रज्जो ने एक नजर खिड़की के भीतर झांका तो उसकी आंखे फेल गई , अंदर कम्मो कपड़े बदल रही थी , लेकिन रात के इस प्रहर में उसे कपड़े बदलने का समय अजीब लगा । रज्जो अभी उलझी हुई थी कि इतने में अरुण तेजी से जीने की ओर भागा बिना कुछ बोले सरपट ,रज्जो ने उसको रोकना चाहता मगर अरुण तेज निकला ।
रज्जो ने अंदर झांका तो कम्मो अपनी ब्लाउज उतार कर सिर्फ पेटीकोट में थी और आलमारी से कपड़े निकाल रही थी ।
रज्जो धीरे से दरवाजा खोला और मुस्कुरा कर : ऐसे खुला रखेगी तो किसी रोज डाका पड़ जाएगा
रज्जो की आवाज सुनकर कम्मो एकदम से चौकी और अपनी नंगी छतिया हाथों से ढकने लगी : हाय दैय्या, भाभी आप ?
उसकी सांसे तेज थी, उसके गोरे जिस्म और नंगे पेट , पतली कमर बड़े बड़े रसीले मम्में हाथों से छुपाने में नाकाम
रज्जो मस्ती भरे लहजे में : अरे तुम तो ऐसे डर गई , मानो तुम्हारे जेठ आ गए हो
कम्मो लजाई: क्या भाभी जी आप भी
रज्जो : तो मुझसे क्या छुपा रही हो उम्मम
कम्मो शर्म से लाल होती : नहीं वो , बस ऐसे ही
रज्जो : अरे मेरे जितने बड़े भी तो नहीं है , या फिर है ? देखूं तो
रज्जो आगे बढ़ी
कम्मो खिलखिलाई और घूम गई अपने नंगे चूचों को पकड़े हुए : धत्त भाभी , नहीं
रज्जो ने पीछे से उसकी नंगी पीठ और कूल्हे पर उठे चौड़े उभार देख कर धीरे से एक उंगली उसकी नंगी पीठ ऊपर से नीचे पेटीकोट की डोरी तक रीढ़ पर सांप की तरह रेंगती हुई : उफ्फ तुम तो बड़ी कातिल चीज हो कम्मो

रज्जो के स्पर्श से कम्मो सिहर उठी : सीईईई भाभी , धत्त
और वो झट से उसने एक नाइटी उठाई और अपने ऊपर डालने लगी, इस दौरान रज्जो को पल भर के लिए कम्मो के खरबूजे जैसे गोल चूचों की झलक मिली जिसके भूरे निप्पल पूरी तरह टाइट हो गए थे ।
कम्मो का हाथ और सर नाइटी में था और वो कुछ देर के लिए उलझी थी और मौका पाते ही रज्जो ने धीरे से उसके चूचे पर हथेली घुमाई : उफ्फ कितनी कसी है यार
कम्मो एकदम से गिनगिनाई और उससे दूर होकर जल्दी से अपनी नाइटी नीचे करली : उम्मम धत्त भाभी , दीदी सही कहती है आप बहुत वो हो
रज्जो : तुम्हारी दीदी भी कम थोड़ी है उम्मम
कम्मो मुस्कुरा कर : उन्होंने क्या किया
रज्जो : खुले आम , देवर को खाना परोस रही है किचन में
कम्मो उसके मजाक कर हसने लगी : धत्त आप भी न
रज्जो : और क्या , मै खुद देखा है
कम्मो मुस्कुरा कर अपने बाल सही करती हुई : अरे भाभी है उनकी , हक है उनका कि अपने देवर को परोसे , कही आपका इरादा तो नहीं था अरुण के पापा को परोसने का
रज्जो हस्ती हुई : मै तो परोस दूं , लेकिन मुआ मेरा आंचल बड़ा ने बेईमान है
कम्मो एकदम से रज्जो के मजाक पर झेप गई: अरे , भक्क आप भी न
रज्जो : और क्या खाना छोड़ कर मुझपर टूट पड़े तो , रमन के पापा तो कई बार ऐसा कर चुके है , मर्दों की भूख बदलते देर नहीं लगती
कम्मो हस्ती हुई कमरे से बाहर निकलने लगी और रज्जो भी उसके साथ : हिहीही भाभी , अब बस करो , हम नीचे आ गए है शीईईई

रज्जो : लो देख लो ,मै न कहती थी कि मर्दों की भूख बदलते देर नहीं लगती
कम्मो एकदम से चौक कर किचन में देखा तो रामसिंह शिला को पीछे से पकड़ कर उसके चूतड़ों में अपना लंड निकाल कर दबा रहा था और उसके दोनों पंजे शिला के ब्लाउज के ऊपर से उसकी मोटी चूचियां मिज रहे थे ।


GIF-20250629-065122-879


रज्जो : भाभी में आधा होता है , लेकिन लग रहा है नंदोई जी बड़ी साली वाला हक भी जोड़ रहे है हीही
कम्मो तुनक कर : भक्क भाभी , आपको मजाक लग रहा है । मुझे चिढ़ हो रही है कि दीदी हर बार मेरा हक मार लेती है
रज्जो : अरे तो रोका किसने है , जाओ छिन लो अपने दीदी के मुंह से इससे पहले कि सारी मलाई वो गपुच कर जाए
रज्जो के कहने की देरी थी कि कम्मो तेजी से चलती हुई किचन में गई
कम्मो कमर पर हाथ रखे हुए : ये क्या है दीदी ?
शिला : तू ऐसे क्यों भड़क रही है
कम्मो भूनकती हुई : सारा दिन जीजू को निचोड़ ली और अब इन्हें भी , मेरा क्या होगा
शिला खिल कर : तो तू भी आजा
रामसिंह मुस्कुरा कर उसको पकड़ कर अपने पास खींच कर उसके लिप्स चूसता हुआ : उम्मम मेरी जान नाराज मत हो
कम्मो एकदम से कातिल मुस्कुराहट देते हुए उसका लंड पकड़ कर उसके लिप्स चूसने लगी और ठीक अपने दीदी के बगल में बैठ कर शिला से पहले ही लंड को मुंह में ले लिया और रामसिंह मानो हवा में उड़ने लगा
इधर रज्जो इनकी बेशर्मी देख कर पागल होने लगी , उसकी जांघों में सरसराहट होने लगी और चूत के पास कुलबुलाहट सी उठने लगी ।

वही दोनों बहने बारी बारी से रामसिंह के लंड को चूसने लगी
रामसिंह : उफ्फ कम्मो तेरी टाइमिंग कमाल की है , अह्ह्ह्ह रज्जो भाभी की तो नजर ही नहीं हट रही अह्ह्ह्ह्ह
शिला : सच में , लेकिन उसकी वजह से तुम्हारे लंड में गजब का कड़कपन आया है उम्ममम
रामसिंह : तो चूसो न भाभी अह्ह्ह्ह उम्ममम सक इट ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह

इधर दोनों बहने भूखी शेरनी की तरह टूटी हुई थी और वही रज्जो की हालत खराब हो रही थी ऐसे में कब मानसिंह धीरे से उसको पीछे से पकड़ लिया और वो एकदम से चौकी

: अह्ह्ह्ह्ह आप है क्या ? उम्मम देखो तो कैसे भूखी शेरनी की तरह टूटी है दोनों अह्ह्ह्ह्ह
मानसिंह : क्यों कही तुम्हारी इच्छा तो नहीं ज्वाइन करने की
रज्जो ने हाथ पीछे करके मानसिंह के का लंड पजामे के ऊपर से जड़क लिया और उसको भींचती हुई : अह्ह्ह्ह्ह तो आपका क्या होगा उम्मम ,
मानसिंह हाथ बढ़ा कर उसके बड़े रसीले मम्में दबोचता हुआ : अह्ह्ह्ह्ह रज्जो मेरी जान , मै आज तक तुम्हारे जैसी गर्म औरत नहीं देखी अह्ह्ह्ह

तभी रज्जो की नजर अरुण के कमरे के दरवाजे पर गई और उसने अपने जगह से हटना जरूरी समझा : कमरे में चलो , आज आपको असल रूप दिखाती हूं
और रज्जो अरुण के कमरे पर नजर रखे हुए वापस मानसिंह के साथ उसके कमरे में चली गई ।

प्रतापपुर

" अब शर्माना छोड़िए भी जमाई बाबू, मै भी मर्द हु खूब समझता हूं अपने जात की दुखती रग को " , बनवारी ने रंगी को छेड़ते हुए ठहाका लगाया ।
रंगी थोड़ा मुस्कुरा कर : अब क्या करें , बाउजी वो चीज ही ऐसी है कि चाह कर भी निगाहे चल जाती है और फिर

रंगीलाल ने देखा उसका ससुर उसके आगे बोलने की राह देख रहा है
रंगी मुस्कुरा कर : आज दो रोज हो गए , सोनल की मां से दूर हुए तो वो तड़प महसूस भी हो रही है । उसपे से आपका तंबाकू हाहाहाहाहा

बनवारी हंसता हुआ : जमाई बाबू , मै कह रहा हूं न, थोड़ा सा... अरे मै इजाजत दे रहा हूं, अब तो मान जाइए
रंगी का लंड अकड़ रहा था और वो उसको पकड़ कर अपनी मुठ्ठी में भींचते हुए : बाउजी , मुझे लालच मत दीजिए कल को बहक गया या आदत बिगड़ गई तो ? मुझे डर लगता है और फिर कही रागिनी को भनक लगी तो?

बनवारी उसके जांघ पर हाथ रख कर : तुम बड़े भोले हो जमाई बाबू , तुम्हारी जगह अगर अभी कमल बाबू होते तो ....

रंगी हस कर : हा , कमल भाई है भी थोड़े रंगीन मिजाज के ?
बनवारी : थोड़े ? हाहाहाहाहा अरे जमाई बाबू उन्होंने तो बस 2 घंटे में ही बात शुरू की और काम भी फाइनल कर दिया
रंगी अचरज से : कैसे और किसके साथ ?
बनवारी हस कर : वैसे ये राज की बात है , आपके और हमारे बीच ही रहे रज्जो या छोटकी तक न जाए
रंगी ने उसकी ओर झुक कर बिना आवाज ने हुंकारी भरी
बनवारी उसके पास आकर : ये सब मैने सोनल बिटिया की बारात में देखा था , वो तुम्हारे संबंधी है न मुरारीलाल ,
रंगी : हा !
बनवारी : अरे उनकी बड़ी बहन , क्या खूब चुस्त ब्लाउज़ पहनी थी और बड़े बड़े दूध , एक बार को मेरी भी नजर उसकी शरारती निगाहों से जुड़ी थी और मै उस छिनाल को भांप गया । तभी देखा कि कमल बाबू और उसके बीच कुछ तो खिचड़ी पक रही है , तो मैने इनका पीछा किया इधर वरमाला के बाद सब खाना पीना कर रहे थे तो ये दोनों वो बगल वाले घर में घुसे थे और पूरी तरह से नंगे होकर मजे कर रहे थे ।
रंगी का हलक सूखने लगा और उसका लंड पजामे में तंबू बना चुका था : उफ्फ बाउजी , वैसे मुरारी भाई की बहन है बड़ी कटीली चीज ,सीने से पल्लू कब सरक जाए पता नहीं चलता

बनवारी : वही तो ?
कमलनाथ : लेकिन बाउजी आपको नहीं लगता कि कमल भाई ने रज्जो जीजी को पर्दे में रख कर गलत किया ।
बनवारी : अरे भाई , जब चूत की तलब होती है तो उसमें सही क्या गलत क्या ? जैसे आप तड़प रहे है उन दिनों रज्जो बिटिया भी शादी के कामों के कितनी बिजी थी , कमल बाबू भी तड़प रहे होगे , तो हो गया होगा इसमें क्या है ?
रंगीलाल बनवारी की बेफिक्री से खुश होकर : बात तो सही कह रहे बाउजी , शादी के दिनों में मेरी भी हालत कम खस्ता नहीं थी , सोनल की विदाई के बाद भी रागिनी ने हाथ नहीं लगाने दिया क्योंकि उस रात आप थे उसके कमरे में

रंगी की बात सुनकर बनवारी को वो रात याद आई जब रागिनी ने रंगी को मना कर वापस उसके लंड पर बैठने आई थी और वो थोड़ा असहज होकर : अरे जमाई बाबू , सच में अगर मुझे जरा भी भनक होती तो मै खुद निकल आता कमरे से

रंगी हस कर : क्या बाउजी आप भी , तब तो हम इतने अच्छे दोस्त भी नहीं थे हाहाहाहा
बनवारी : हाहाहाहाहा सही कह रहे हो जमाई बाबू , लेकिन अब तक दोस्ती का मान रख लो
रंगी : लेकिन बाउजी मेरी एक शर्त है ?
बनवारी : शर्त ?
रंगीलाल हस कर : जो भी करेंगे एक साथ करेंगे
बनवारी अचरज से रंगीलाल को देखा और मुस्कुराने लगा ।
तभी कमरे में सुनीता दाखिल हुई और दोनों सामान्य हो गए
सुनीता को देखते ही रंगी का मुंह बन गया था क्योंकि शाम के वादे को अभी तक सुनीता ने पूरा नहीं किया था ।
सुनीता : बाउजी खाना लाऊ ?
बनवारी : अह हा भाई लाओ क्योंकि ( दिवाल घड़ी को देखता हुआ ) दवा का भी समय हो रहा है

रंगी : हा बाउजी आप खा लीजिए , मुझे अभी भूख नहीं है ( उसने घूर कर सुनीता को देखा )
बनवारी : अरे भाई अकेले मुझे भी नहीं जमेगा , जब आप खायेंगे मै भी खा लूंगा , अभी रहने दो बहु
रंगी उसे समझता हुआ : अरे नहीं बाउजी , आप समय से खा लीजिए और आपको दवा भी लेनी है । मुझे भूख लगी तो कहूंगा , क्योंकि मुझे लेट से खाने की आदत भी है थोड़ी ।

बनवारी : अच्छा ठीक है , बहु मेरी थाली लेकर आ फिर
सुनीता मुस्कुरा कर रंगी को देखा तो रंगी ने मुंह बना कर उससे नजरे फेर ली , सुनीता समझ रही थी कि रंगी उसकी वादाखिलाफी से नाराज है ।

फिर वो कूल्हे हिलाती निकल गई
बनवारी : अरे जमाई बाबू , आप भी खा लेते तो खाली हो जाते
रंगी : आप फिकर न करे बाउजी , वैसे भी वो 10 बजे बाद ही आएंगी कही क्यों ?
बनवारी : हा बात तो आपकी ठीक है , चलो जैसी आपकी मर्जी
रंगी हस कर : और पहले आ गई तो उसको निपटा लेंगे खाना बाद में हो जाएगा हाहाहाहाहा
बनवारी हंसता हुआ : आप भी जमाई बाबू , हो तो पक्के खिलाड़ी लेकिन छिपाते बहुत हो ।
रंगी मुस्कुराने लगा और तभी सुनीता एक बार फिर कमरे में दाखिल हुई, खाना लेकर ।
उसने झुक कर बनवारी के आगे थाली रखी और पानी दिया

सुनीता वही खड़ी हो गई और बस एक टक रंगी को देखने लगी कि कब वो उसकी ओर देखे : और कुछ लाऊ बाउजी
जैसे ही सुनीता ने बोला , रंगी ने उसकी ओर देखा और सुनीता ने अपने मोटी मोटी छातियों से चुस्त पल्लू को आधे ब्लाउज तक ले आई


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जिससे उसकी एक चुची का पूरा मोटा फूला हुआ भाग उभर कर सामने आया और वो बड़े ही शरारती मुस्कुराहट से रंगी को देखी , एकदम से रंगी की आंखे चमक उठी ।

रंगी हड़बड़ा कर : बाउजी आप खाइए , मै थोड़ा कपड़े बदल लेता हूं
निवाला चबाते हुए बनवारी ने उसको हुंकारी भरी और रंगी बनवारी के कमरे से निकल कर अटैच दरवाजे से अपने कमरे में चला गया

इधर जैसे ही सुनीता कमरे से निकल कर किचन की ओर बढ़ी तो उसने बाहर वाले दरवाजे से लपक कर अपने कमरे में खींच लिया
और हच्च से सुनीता की गुदाज मुलायम छातियां रंगी लाल के सीने से जा लगी : अह्ह्ह्ह्ह सीईईई हाय दैय्या क्या करते है छोड़िए कोई देख लेगा
रंगीलाल ने दरवाजा भिड़का कर उसको अपने पास करते हुए : तुम कुछ ज्यादा होशियारी नहीं कर रही उम्मम
सुनीता मुस्कुरा कर उससे नजरे चुराने लगी तो रंगी उसका लोला पकड़ अपनी ओर मुंह करता हुआ दूसरे हाथ से उसके नरम चर्बीदार कूल्हे को मसलता हुआ : बहुत मस्ती सूझ रही है उम्मम
सुनीता : आपको भी तो आखिर वही चाहिए न


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रंगीलाल ने अगले पल उसके गर्दन के नीचे खुले सीने पर उंगलियां फिराते हुए : मै बताऊं मुझे क्या चाहिए उम्मम
सुनीता की सांसे चढ़ने लगी उसकी धड़कन तेज हो गई , जिस तरह से रंगी उसके पल्लू को सीने से हटाना चाह रहा था मगर कंधे पर लगी पिन उसे रोक रही थी और देखते ही देखते रंगी आगे झुक कर उसके ब्लाउज के गले के पास खुली जगह पर जहा से सुनीता की मोटी चूचियो की पहाड़िया शुरू हो रही थी अपने होठ रख दिए और सुनीता मचल उठी : अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम रुक जाइए न प्लीज
इस दौरान रंगी के हाथ उसकी नंगी कमर और कूल्हे पर रेंग रहे थी और फिर सरकाता हुआ नीचे आया और पेट के ऊपर से पल्लू हटा कर अपना मुंह सीधा उसकी गुदाज चर्बीदार नाभि पर दे दिया और सुनीता एकदम से अकड़ गई : ओह्ह्ह्ह उम्ममम रुकिए न , बाउजी बगल में है अह्ह्ह्ह्ह


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रंगी ने एक न सुनी और जीभ निकाल कर उसकी गुदाज नर्म नाभि पर गिराते हुए नाभि के नीचे का मास चबाने लगा जिससे सुनीता एड़ियों के बल उठने लगी और उसके ऐसा करते ही रंगी ने अपने दोनों पंजे उसके गोल मटोल चूतड़ों पर जमा दिया और उन्हें दबोचने लगा
सुनीता की हालत खराब हो रही थी कि इतने में बबीता की आवाज दोनों के कानों में पड़ी , सुनीता को याद आया कि उसे अभी राजेश को भी खाना परोसना है । और वो झट से रंगी से अलग होती हुई कमरे से भाग गई और रंगी अपने मुंह पोछता हुआ हसने लगा उसका लंड अभी तक तना हुआ था ।

जारी रहेगी
Superb Update :jerker: :jerker::jerker::jerker::jerker::jerker::jerker: keep it up ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ wait for next Update
 

Arthur Morgan

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💥 अध्याय:02💥
UPDATE 012


चमनपुरा

" अच्छा ये वाली पहन ले बेटा , काली वाली "
" हा ठीक है इसी को प्रेस कर दो मै नहाने जा रहा हूं"

अनुज ने अपनी मां के पास खड़ा होकर : क्या हुआ ?
रागिनी : अरे वो तेरे पापा के दोस्त है न ठाकुर साहब
अनुज : हा ?
रागिनी : तो राज को उनके यहां एक पार्टी में जाना है इसीलिए इतना हड़बड़ाया हुआ है
अनुज : क्या सच में ? पार्टी?
रागिनी अनुज को खिलता देख कर : हा लेकिन तुझे नही जाना, मै घर में अकेली नहीं रहने वाली सारी रात बोल देती हूं
एकदम से अनुज की आंखे चमकी और वो खुश होकर अपनी मां को बगल से हग करने लगा : मै नहीं जाने वाला आपको छोड़ कर अकेले , भैया जाए तो जाए

रागिनी ने आंखे महीन कर उसे घूरा : अच्छा बेटा , तेरे दिल में पार्टी के नाम पर जो फुगे फूटते है न बचपन से जानती हूं, चल छोड़ मुझे।
रागिनी अपने कमरे में आई और राज के कपड़े प्रेस करने लगी

अनुज भी उसके पीछे आकर बिस्तर पर बैठ गया
रागिनी : बैठा क्या है ? पढ़ाई नहीं करनी ?
अनुज : मम्मी यार , कल संडे है कल कर लूंगा न
रागिनी : जब तक तेरे पापा नहीं है , खूब मस्ती कर ले , आयेंगे तब तेरी खबर लेंगे और एग्जाम में कम नंबर आए तो बताएंगे

तबतक राज कमरे में दाखिल हुआ : ये तो पक्का फेल है मम्मी इस साल
अनुज ने घूर कर अपने भैया को देखा जो नहा कर तौलिया लपेटे कमरे में आया था बनियान पहने हुए ।

राज ने हस कर उसको देखा और अपने मा को दो चूड़ी और कसते हुए : मम्मी पता है , वो मेरा दोस्त है न बंटू

रागिनी : हा वो विजई का बेटा , क्या हुआ
राज : कुछ नहीं , वो बता रहा था अनुज कालेज जाते समय रोज पुलिया पर रुकता है
राज ने अनुज को आंख मारी और अनुज की हालत सन्न
रागिनी ने एकदम से अनुज को घूरा : तू पढ़ने जाता है कि पुलिया पर घूमने
अनुज की हालात खराब थी
राज हस कर उसके मजे लेता हुआ : और पता है मम्मी , वहां कैसे कैसे स्टूडेंट रुकते है
अनुज एकदम से तैस में आकर : हा बताओ , मै भी जानू
रागिनी उसको देख कर चौकी : अरे अब क्या लड़ाई करेगा ,भैया से ?
अनुज एकदम से शांत ही गया और उदास भी थोड़ा

राज उसका उतरा हुआ मुंह देख कर हंसता हुआ : मम्मी वहां न गोरी गोरी लड़कियां रुकी होती है , और इससे फोटो खिंचवाती है हाहाहाहाहा

अनुज की हालत पतली हो गई
रागिनी ने अचरज से अनुज को देखा उसको देख कर ऐसा लग रहा था कि अगर उसने जरा भी डांट लगाई तो रो ही पड़ेगा
रागिनी : क्या ? फोटो खींचता है ? बड़ा होकर कैमरा चलाएगा क्या ?
अनुज : नहीं मम्मी , भैया झूठ बोल रहे है
राज : लगाऊं फोन बंटू को
अनुज एकदम से चुप हो गया

रागिनी अनुज को इस हसी ठिठौली में अकेला देख कर उसकी तरफ से बोली : अरे सिर्फ फोटो ही खींच रहा था कि एक फोटो साथ में भी लिया उनके
अनुज और राज दोनों चौके ?
राज फिर मुस्कुराने लगा
रागिनी राज को कपड़े देते हुए बोली: बोल न
अनुज आंखे उठा कर अपने मां को देखा और फिर राज को घूरते हुए : हा सेल्फी ली थी
रागिनी : तो दिखा फोटो ?
अनुज : मेरे पास कहा मोबाइल है , उनलोगों के पास होगा । मै इंस्टाग्राम पर मंगवा लूंगा तो दिखा दूंगा
रागिनी: अच्छा ठीक है दादा , अब तू क्या दांत फाड़ रहा है जा तैयार हो ले । खबरदार मेरे बच्चे को तंग किया तो ? दिखता नहीं अभी पटाने के लिए पीछे पड़ा है
रागिनी एकदम से खिलखिलाई और राज को ताली दे मारी और राज भी ठहाका मारकर हस पड़ा ।
अनुज उखड़ कर : मम्मी यार , आप भी मजे लेलो
रागिनी हस कर उसके पास गई और उसे बाल सहलाती हुई : मजे नहीं ले रही , मै तो कह रही हूं पढ़ाई छोड़ और शादी कर ले हीहीही , घर में बहु आ जाएगी तो मुझे भी बड़ा आराम ही जाएगा ।
अनुज एकदम से आंखे महीन कर अपनी मां को घूरा तो रागिनी समझ गई कि अब मजाक ज्यादा हो रहा है और वो धीरे से सरक ली ये बोलते हुए राज तैयार हो जाए ।

रागिनी के जाते ही अनुज राज पर बिफर पड़ा: ये क्या बोल रहे थे मम्मी को आप
राज हंसता हुआ अपने शर्ट के बटन बंद करता हुआ : क्यों क्या हो गया भाई , जब तुझे समझाया था कि परीक्षा आ रही है तू पढ़ाई पर फोकस कर लेकिन तू है कि समझ नहीं रहा है । लड़कियों के पीछे लगा है।
अनुज: भैया मै नहीं , वो लाली .. वो ही लगी रहती है तो क्या करूं?
राज अचरज से : अच्छा वो लाली थी ?
अनुज भौहें टाइट कर राज के पीछे खड़े होकर शीशे में उसको आवाज बाल बनाते देखता हुआ : तो फिर आपको नहीं पता था
राज हस कर : नहीं ये तो नहीं पता था कि वो लाली थी , नहीं तो कसम से भाई मम्मी के आगे नाम भी लेता
अनुज : हूह ,अब मम्मी को फोटो दिखाने पड़ेगी न
राज : दिखा दे , होने वाली बहु है आखिर उनकी हाहाहाहाहा
अनुज पैर पटकने जैसा होकर : भैया , यार आप भी मजे मत लो । आप तो मेरा टेस्ट जानते हो न

राज : अबे इतना भी क्या भाव खा रहा है , कितनी प्यारी है और अभी उम्र कम है वो भी बड़ी होगी किसी रोज और उसके भी हाहाहाहाहा
अनुज को राज की आखिर की बाते पसंद नहीं आई , जैसे लाली के लिए एकदम से पोजेसिव होने लगा था ।

राज उसका उतरा मुंह देख कर : बेटा , प्यार तो तू भी करता है बस मानता नहीं है
अनुज एकदम से चौक गया : नहीं ऐसा कुछ नहीं
राज : चल चल ठीक है , आ गेट बंद कर ले

राज और अनुज घर के बाहर गेट तक आए
अनुज धीरे से : भैया बहुत मन कर रहा है , कितने दिन हो गए मौसी को गए
राज : हा तो मेरे पास कोई फैक्टी क्या चूत की , भाई मै भी तरस ही रहा हूं
अनुज : चाची पर ट्राई .....
राज की आंखे चमक उठी : देख रहा हु बहुत तेजी से बदल रहा है उम्मम, वैसे तेरी चॉइस की तो लगती नहीं चाची क्यों ?
अनुज थोड़ा शर्मा कर हंसता हुआ : अरे ऐसा नहीं है , कितनी सेक्सी लगती है और उनके दूध कितने मोटे और गोल है ।
राज : लेकिन तुझे तो बड़ी ( धीरे से उसके कान में ) गाड़ वाली पसंद है न
अनुज : हा लेकिन चाची में कोई बुराई थोड़ी है , अब सबकी बुआ और मौसी जैसी तो नहीं रहेगी न
राज मुस्कुरा कर अपने लंड में उठते जज्बात को पेंट के ऊपर से दबाता है : बस कर भाई , मुझ जाने नहीं देगा क्या । मौसी और बुआ की बात मत छेड़
अनुज हसने लगा : ओके आप जाओ और रात में वापस आओगे क्या ?
राज : नहीं
अनुज कुछ सोच कर : ठीक है जाओ
राज वहा से निकल गया अपना लंड सेट करता हुआ एक ईरिक्शा पकड़ कर वही अनुज खुश होकर गेट अच्छे से बंद कर दिया और घर में आने लगा ।
अनुज की खुशी का ठिकाना नहीं था , आज पहली बार वो और उसकी मां घर में अकेले थे और उसपे से रागिनी ने सोनल के कपड़े ट्राई करने को कहा था ।
अनुज : मम्मी , मम्मी ??
रागिनी अपने कमरे से आती हुई : हा क्या हुआ बेटा
अनुज एकदम से अपनी मां को ब्लाउज पेटीकोट में देखा , जो शायद नहाने की तैयारी करने वाली थी ।


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अनुज : क्या करने जा रहे हो
रागिनी : बेटा सीने और पीठ में बहुत खुजली हो रही है , पानी गर्म है नहाने जा रही हूं

अनुज नजरे इधर उधर करता हुआ कमरे में देखा तो रागिनी ने एक नाइटी निकाल रखी थी : ये पहनोगे क्या नहा कर ?
रागिनी : हा क्यों ?
अनुज मुंह बना कर : फिर दीदी वाले कपड़े ?
रागिनी अपना माथा पकड़ ली और हस्ते हुए : अरे वो कल पहन लूंगी , जल्दी क्या है ?
अनुज : अरे घर में भैया भी नहीं है इसलिए बोला
रागिनी भौहें चढ़ा कर : उससे क्या मै डरती हूं
अनुज : नहीं वो, कही वो पापा से कह न दे इसलिए
रागिनी : तो क्या मै तेरे पापा से डरती हूं
अनुज : अरे यार , भक्क
रागिनी हस्ती हुई : अच्छा ठीक है बाबा चल देखती हूं उसके कपड़े चल

फिर दोनों ऊपर जाने लगे और अनुज एकदम से खुश हो गया ।

वही अमन के घर ममता की आंख अपनी बिस्तर पर खुली और जैसे ही उसे होश आया एकदम से वो घर में मदन के होने और दरवाजा भीडके होने के त्वरित ख्याल से चौक कर उठ गई । असल हालत उसकी तब खराब हुई जब उसने पाया कि उसके देह पर चादर पड़ी थी ।
ममता शर्म ने अपना माथा पकड़ ली , उसकी दिल की धड़कने तेज हो गई और उसे समझते देर नहीं लगी कि मदन उसके कमरे में आया था और उसी से उसे चादर उढ़ाई है ।
ममता को थोड़ी हंसी भी आ रही थी और बहुत सारी शर्मिंदगी , ओर उससे भी ज्यादा झिझक कि वो कैसे खाना बनाने जायेगी और मदन का सामना करेगी ।

उसने आस पास देखा और अपनी नाइटी पहनी , हल्की सिहरन सी हो रही थी तो उसने एक साल लेकर कमरे से बाहर निकल कर बाथरूम में चली फिर हाल में आने लगी कि उसे कुकर की सीटिया सुनाई देने लगी ।
मसाले की महक से ममता को समझते देर नहीं लगी कि मदन आज नॉनवेज बना रहा था।
ममता धीरे धीरे हाल में आई और किचन में उसे काम करते हुए देखा , मोबाइल पर मदन किशोर कुमार की रोमांटिक गाने चल रहे थे जिन्हें वो गुनगुना रहा था और सहसा उसकी नजर ममता पर गई ।

मदन ने जरा भी जाहिर नहीं होने दिया कि कुछ देर पहले वो ममता को किस हाल में देखते हुए आया : अरे भाभी उठ गई क्या ? पैर ठीक है अब

ममता शर्म से हुंकारी भर कर फीकी मुस्कुराहट से जवाब दी
मदन चहकता हुआ : खाना लगभग तैयार है , भाभी आप बैठ जाओ
ममता : और आप ?
मदन एकदम से रुक गया और मुस्कुराने लगा : वो भाभी , अगर बुरा न मानो तो । मेरा आज मूड था पैग बनाने का
ममता तो तभी समझ गई कि आज मदन अपनी बोतल खोलेगा जब उसके नथुनों में नॉनवेज की खुशबू आई थी ।
ममता मुस्कुरा कर उसको तंग करने के इरादे से : भई मै तो जरूर बुरा मानूंगी
मदन चौक कर मोबाइल का गाना म्यूट करता हुआ : क्यों ?
ममता : भई आप अकेले अपना मौसम बनाएंगे और मुझे पूछेंगे भी नहीं तो बुरा लगेगा ही न
मदन चौक कर : क्या भाभी ? आप ..
ममता हंसते हुए गालों से : हा क्यों ?
मदन एकदम से हड़बड़ाने लगा : नहीं नहीं भइया को पता चला तो , नहीं
ममता मुस्कुरा कर : वैसे आप बहुत कुछ ऐसा कर चुके है जिसके बारे में आपके भैया को भनक नहीं होनी चाहिए क्यों ?
मदन एकदम से सकपका गया और वो समझ गया कि ममता का इशारा किधर है और वो अटकते हुए लहजे में : लेकिन भाभी , मै आपके सामने नहीं नहीं , मुझसे नहीं होगा
ममता : ओफ्फो देवर जी , अब मूड न बिगाड़िए
मदन आंखे फाड़ कर ममता को देखने लगा
ममता मुस्कुरा कर : वैसे ही सर्द रात है , तो थोड़ी गर्माहट रहेगी
मदन मुस्कुराने लगा : वैसे अपने कभी पहले ट्राई किया है ?
ममता मुस्कुरा कर हा में सर हिलाया : लेकिन किसी से कहिएगा मत
मदन की आंखे चमक उठी : कब ?
ममता : वो शादी के पहले की बात थी , मेरी सहेली के भैया फौज में तो बस एक ढक्कन , हा सिगरेट बहुत बार
मदन आंखे फाड़ कर : क्या सिगरेट भी
ममता : लेकिन प्लीज इसके बारे में आपके भैया को पता न लगे
मदन ने आंखों ही मुस्कुराकर हुंकारी भरी
ममता : तो छत पर चले ?
मदन मुस्कुरा कर : जैसा आप कहें
ममता मुस्कुरा कर : वही चलते है हिहीही
मदन : बस भाभी 10 मिनट और लगेगा
ममता: ठीक है तब तक मै भी आपके भैया से बात करके उन्हें निपटा दूं , ताकि वो हमें डिस्टर्ब न करे
ममता की बात पर मदन को ताज्जुब हुआ लेकिन ममता के साथ हसने के सिवा उसके पास कोई और रिएक्शन नहीं शेष था ।

इधर मुरारी की घंटी बजी और मंजू की आंखे खुली और वो झट से मुरारी के कंधे से अलग हो गई । जो अभी तक चलती गाड़ी में ना जाने कब गहरी नींद में आ गई थी ।
मुरारी ने फोन उठा और कुछ बात चित हाल चाल लेकर फोन रख दिया

मुरारी : भाई ड्राइवर साहब, अगर आगे कोई बढ़िया होटल दिखे तो गाड़ी लगाइए , खाना खा लिया जाए , क्यों ?

मंजू ने हा में सर हिलाया और धीरे से बोली: मुझे फ्रेश होना है
मुरारी ने उसकी बात सुनी फिर : भैया थोड़ा देखते रहना

मुरारी : अगर ज्यादा तेज हो तो गाड़ी साइड लगवा दूं
मंजू : क्या भक्क आप भी , ड्राइवर भी तो है ?
मुरारी : अरे गाड़ी से थोड़ा दूर हो जायेंगे न
मंजू : ठीक है करवाइए , अब
मुरारी : अरे ड्राइवर साहब थोड़ा गाड़ी एक किनारे लगाइए
ड्राइवर ने गाड़ी हाइवे के एक साइड में लगाई ।
रात के 8 बजने को हो रहे थे । सड़कों से गाड़िया तेजी से निकल रही थी और मंजू की साड़ी का आंचल संभालने में दिक्कत हो रही है ।

मंजू ने मूड कर मुरारी की ओर देखा : किधर चले
मुरारी : अरे आगे चलो अभी
करीब 50 मीटर दूर आने के बाद मुरारी ने मोबाइल की टॉर्च जलाई और वही हाइवे के पास लगे एक सुनसान जगह पर एक जगह प्लॉटिंग की गई थी , मुरारी को वही जगह साफ और सुरक्षित लगी
मुरारी : तुम जाओ मै खड़ा हु
मंजू ने हुंकारी भरी और हाइवे ने नीचे उतर कर 10 कदम गई होगी फिर वापस आने लगी
मुरारी की तरफ जाता हुआ : क्या हुआ
मंजू : मुझे डर लग रहा है , कोई सांप बिच्छू हुआ तो ?
मुरारी: तो अब
मंजू हिम्मत कर : आप भी चलो मेरे साथ
मुरारी थोड़ा रुक कर उसे देखा तो मंजू मुस्कुरा कर शर्माने लगी : भक्क चलो न
मुरारी हंसता हुआ उसके साथ चला गए और वही प्लॉटिंग वाली जगह के चारदीवारी के लास खड़ा होकर : हम्मम जाओ अब
मंजू ने अच्छे से मोबाइल की टॉर्च जलाई और देखने लगी और फिर मुरारी को देखकर : घूमों न उधर ?
मुरारी ने हसने लगा और अपनी टॉर्च बुझा कर खुद भी एक ओर खड़े होकर पेशाब करने लगा
हाइवे पर गुजर रही गाड़ियो की लाइट मुरारी के आधे देह पर आ रही थी मगर कमर के नीचे तक नहीं
मुरारी ने अपना लंड झाड़ कर वापस रख रहा था कि एकदम से मंजू चिहुकी: अम्मी
मंजू एकदम से उठ कर भागती हुई उसके पास आई
मुरारी उसको चीखता देख : क्या हुआ
मंजू : पता नहीं पैर पर कुछ रेंग रहा था
मुरारी ने झट से वहा टॉर्च मारी जहां मंजू ने पेशाब किया था और उस जगह की मिट्टी पूरी गीली हो थी , जहां तक पेशाब फैला हुआ था ।
मंजू को शर्म आ रही थी जिस तरह मुरारी उसके पेशाब किए हुए जगह पर टॉर्च जला कर देख रहा था ।
मंजू : छोड़िए न चूहा रहा होगा , चलिए चलते है
मुरारी की नजर और टॉर्च अभी भी उस गीली मिट्टी को देख रहे थे : हा चलो
वापस दोनों गाड़ी में आ गए और गाड़ी निकल पड़ी , और कुछ ही देर में मंजू को अपने बुर के पास हल्की खुजलाहट होने लगी , क्योंकि उसने पेशाब करके पानी से उसे धुला नहीं था ।
उसकी जांघें कचोट रही थी और उसके चेहरे पर बेचैनी हो रही , रह रह कर वो अपने बुर के पास हाथ ले जाकर उसे खुजाती
मुरारी की नजर का रुकने वाली थी और उसने धीरे से उसके कान में बोला : क्या हुआ ?
मंजू एकदम से सकपकाई और थोड़ा चुप रही। लेकिन मुरारी वैसे ही झुका हुआ उसके जवाब की प्रतिक्षा में था तो मजबूरन उसे बोलना ही पड़ा : तो करने के बाद धूली नहीं तो खुजली ...
मुरारी : कहो तो फिर से गाड़ी रुकवा दु
मंजू फुसफुसा कर : नहीं , वो क्या सोचेगा ?
मंजू का इशारा ड्राइवर की ओर था
मुरारी कुछ देर चुप रहा है और फिर धीरे से उसके कान में बोला : मेरे पास एक आईडिया है ?
मंजू अचरज से उसकी ओर देख कर : क्या ?
मुरारी : एक बार ऐसे ही अमन की मां के साथ हुआ था , लेकिन तब हम बस में सफर कर रहे थे और रात का समय था । तो मैने उसे अपनी रुमाल पानी में भिगो पर दी और फिर उसने अपने आप को चादर से ढक लिया था और फिर नीचे उस गिले रुमाल से साफ किया था । रात का समय था तो किसी को कुछ पता नहीं चला
मुरारी का आईडिया सुनते ही मंजू भिनकी: धत्त क्या आप भी ,
मुरारी : सच कह रहा हूं , कहो तो ममता को फोन लगाऊं
मंजू : नहीं उसकी जरूरत नहीं है
मंजू को फिर से चुनचुनाहट हुई बुर में

मंजू ने इशारे से : लाइए
मुरारी : एक मिनट रुको
फिर वो अपने बैग से एक ओढ़ने वाली चादर निकाला और फिर उसे मंजू और अपने ऊपर ओढ लिया
फिर धीरे से अपने जेब से रुमाल निकाल कर अपने पैर के पास ही बोटल वाली पानी से उसको अच्छे से भिगोया और फिर चादर के नीचे ही उसने मंजू को थमा दिया ।
मंजू ने चादर के नीचे अपनी साड़ी उठाने लगी , मुरारी कभी ड्राइवर को देखता तो कभी मंजू के चेहरे को तो कभी चादर के ऊपर से उसमें चल रही हरकत को आंकता और तभी उसने मंजू के चेहरे पर एक गहरी शांति देखी , उसकी आंखे बंद हुई मानो उसके चूत को कितनी ठंडक मिली हो ।वही मुरारी इस खुमारी में अपना लंड खंड चादर में भींच रहा था कि जल्द ही मंजू की चूत के रस से सना हुआ रुमाल उसके हाथ में होगा ।
लेकिन उसके सपनो का आशियाना तब टूट गया जब मंजू ने धीरे से रुमाल कार से बाहर फेक दिया

मुरारी को एकदम से झटका लगा: अरे फेक क्यों दिया ?
मंजू भौहें टाइट कर : तो क्या करोगे उसका अब, गंदा हो गया था
मुरारी : अरे घर पर धुला जाता न
मंजू शर्माती हुई : भक्क, तो क्या आप वो रुमाल यूज करते
मुरारी : अरे धुलने के बाद क्या दिक्कत थी उसमें भला
मंजू: धत्त बहुत गंदे हो आप
मुरारी : तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे कभी तुम्हारे अंदर के कपड़ो में पेशाब नहीं लगा हो
मंजू शर्म से झेप गई और हसने लगी : अरे लेकिन उसने और इसमें फर्क है न , वो तो नीचे ही रहता और इससे आप मुंह पोछते
मुरारी हस कर : एक ज्ञान की बात कह रहा हु सुन लो
मंजू ताजुब से उसकी ओर गई : हा बोलो
मुरारी उसके पास जाकर : मर्द कपड़ों में भेद नहीं करते , मैने अमन की मां की साड़ी, पेटीकोट , दुपट्टे सबसे हाथ मुंह पोछा है
मंजू को उसकी बात पर हसी आ रही थी और वो हस्ते हुए : हा लेकिन , अंदर गारमेंट से तो नहीं न
मुरारी : पोंछ तो लू, लेकिन वो पहने तो न हिहीही
मंजू एकदम से लजा गई : धत्त
मुरारी : सच में , मैने खुद उसे कितनी बार तौलिया न मिलने मेरे बनियान और अंडरवियर से मुंह हाथ पोंछते देखा है
मंजू हैरत से : सच में ?
मुरारी : इसमें बुरा ही क्या है ? धुलने के बाद साफ ही रहता है न
मंजू सीधी होकर मुस्कुरा लगी
मुरारी उसको ओर झुक कर : और इसमें मेरा ही फायदा होता है
मंजू : फायदा कैसा ?
मुरारी : मेरे कच्छे की खुशबू से उसका मूड हो जाता है और फिर ...
मंजू : धत्त कितने गंदे हो आप भैया
मुरारी हसने लगा तो मंजू भी खुद को हसने से रोक नहीं

शिला के घर

किचन में शिला और रज्जो खाना बना रही थी और इतने में रामसिंह दोनों को देख कर दाखिल हुआ ।
रामसिंह : उम्मम बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है भाभी , अह क्या बना रही हो
शिला : लो आ गए लार टपकाने
रामसिंह ने एक नजर इतराती हुई रज्जो को देखा और आंख मार कर शिला के बगल में खड़े होकर उसके गर्दन के पास अपने नथुनों में सास भरता हुआ बोला: उम्मम भाभी खुशबू इतनी मस्त आ रही है तो मुंह में पानी आयेगा ही
रज्जो आँखें नचा कर : दीदी मै तो कह रही हूं पहले इन्हें ही परोस दो , इनके भैया बाद में भी खा लेंगे
रामसिंह : और क्या ? भइया ने तो शाम को कुछ नाश्ता किया ही होगा , मै तो सुबह से भूखा हूं
शिला मुस्कुरा कर : अरे भाई , कम्मो को बुला लो ऊपर से सब साथ में खाते है न
रज्जो रामसिंह की आंखों में देख कर शरारती मुस्कुराहट से : कम्मो को मै बुला लाती हूं तब तक इनको कुछ देदो
रज्जो मटकते हुए ऊपर निकल गई और जैसे ही जीने से ऊपर पहुंचने को हुई एकदम से ठिठक गई , सामने खिड़की से अरुण कम्मो के कमरे में झांक कर रहा था ।

रज्जो की समझते देर नहीं लगी जिस तरह से अरुण के हाव भाव थे और उसका हाथ पेंट के ऊपर था ।
रज्जो दबे पाव गई और उसके पीठ पर थपथपाया तो वो एकदम से सन्न रह गया और घूम कर रज्जो को देखा तो सिट्टी पिट्टी गुम ।
रज्जो ने एक नजर खिड़की के भीतर झांका तो उसकी आंखे फेल गई , अंदर कम्मो कपड़े बदल रही थी , लेकिन रात के इस प्रहर में उसे कपड़े बदलने का समय अजीब लगा । रज्जो अभी उलझी हुई थी कि इतने में अरुण तेजी से जीने की ओर भागा बिना कुछ बोले सरपट ,रज्जो ने उसको रोकना चाहता मगर अरुण तेज निकला ।
रज्जो ने अंदर झांका तो कम्मो अपनी ब्लाउज उतार कर सिर्फ पेटीकोट में थी और आलमारी से कपड़े निकाल रही थी ।
रज्जो धीरे से दरवाजा खोला और मुस्कुरा कर : ऐसे खुला रखेगी तो किसी रोज डाका पड़ जाएगा
रज्जो की आवाज सुनकर कम्मो एकदम से चौकी और अपनी नंगी छतिया हाथों से ढकने लगी : हाय दैय्या, भाभी आप ?
उसकी सांसे तेज थी, उसके गोरे जिस्म और नंगे पेट , पतली कमर बड़े बड़े रसीले मम्में हाथों से छुपाने में नाकाम
रज्जो मस्ती भरे लहजे में : अरे तुम तो ऐसे डर गई , मानो तुम्हारे जेठ आ गए हो
कम्मो लजाई: क्या भाभी जी आप भी
रज्जो : तो मुझसे क्या छुपा रही हो उम्मम
कम्मो शर्म से लाल होती : नहीं वो , बस ऐसे ही
रज्जो : अरे मेरे जितने बड़े भी तो नहीं है , या फिर है ? देखूं तो
रज्जो आगे बढ़ी
कम्मो खिलखिलाई और घूम गई अपने नंगे चूचों को पकड़े हुए : धत्त भाभी , नहीं
रज्जो ने पीछे से उसकी नंगी पीठ और कूल्हे पर उठे चौड़े उभार देख कर धीरे से एक उंगली उसकी नंगी पीठ ऊपर से नीचे पेटीकोट की डोरी तक रीढ़ पर सांप की तरह रेंगती हुई : उफ्फ तुम तो बड़ी कातिल चीज हो कम्मो

रज्जो के स्पर्श से कम्मो सिहर उठी : सीईईई भाभी , धत्त
और वो झट से उसने एक नाइटी उठाई और अपने ऊपर डालने लगी, इस दौरान रज्जो को पल भर के लिए कम्मो के खरबूजे जैसे गोल चूचों की झलक मिली जिसके भूरे निप्पल पूरी तरह टाइट हो गए थे ।
कम्मो का हाथ और सर नाइटी में था और वो कुछ देर के लिए उलझी थी और मौका पाते ही रज्जो ने धीरे से उसके चूचे पर हथेली घुमाई : उफ्फ कितनी कसी है यार
कम्मो एकदम से गिनगिनाई और उससे दूर होकर जल्दी से अपनी नाइटी नीचे करली : उम्मम धत्त भाभी , दीदी सही कहती है आप बहुत वो हो
रज्जो : तुम्हारी दीदी भी कम थोड़ी है उम्मम
कम्मो मुस्कुरा कर : उन्होंने क्या किया
रज्जो : खुले आम , देवर को खाना परोस रही है किचन में
कम्मो उसके मजाक कर हसने लगी : धत्त आप भी न
रज्जो : और क्या , मै खुद देखा है
कम्मो मुस्कुरा कर अपने बाल सही करती हुई : अरे भाभी है उनकी , हक है उनका कि अपने देवर को परोसे , कही आपका इरादा तो नहीं था अरुण के पापा को परोसने का
रज्जो हस्ती हुई : मै तो परोस दूं , लेकिन मुआ मेरा आंचल बड़ा ने बेईमान है
कम्मो एकदम से रज्जो के मजाक पर झेप गई: अरे , भक्क आप भी न
रज्जो : और क्या खाना छोड़ कर मुझपर टूट पड़े तो , रमन के पापा तो कई बार ऐसा कर चुके है , मर्दों की भूख बदलते देर नहीं लगती
कम्मो हस्ती हुई कमरे से बाहर निकलने लगी और रज्जो भी उसके साथ : हिहीही भाभी , अब बस करो , हम नीचे आ गए है शीईईई

रज्जो : लो देख लो ,मै न कहती थी कि मर्दों की भूख बदलते देर नहीं लगती
कम्मो एकदम से चौक कर किचन में देखा तो रामसिंह शिला को पीछे से पकड़ कर उसके चूतड़ों में अपना लंड निकाल कर दबा रहा था और उसके दोनों पंजे शिला के ब्लाउज के ऊपर से उसकी मोटी चूचियां मिज रहे थे ।


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रज्जो : भाभी में आधा होता है , लेकिन लग रहा है नंदोई जी बड़ी साली वाला हक भी जोड़ रहे है हीही
कम्मो तुनक कर : भक्क भाभी , आपको मजाक लग रहा है । मुझे चिढ़ हो रही है कि दीदी हर बार मेरा हक मार लेती है
रज्जो : अरे तो रोका किसने है , जाओ छिन लो अपने दीदी के मुंह से इससे पहले कि सारी मलाई वो गपुच कर जाए
रज्जो के कहने की देरी थी कि कम्मो तेजी से चलती हुई किचन में गई
कम्मो कमर पर हाथ रखे हुए : ये क्या है दीदी ?
शिला : तू ऐसे क्यों भड़क रही है
कम्मो भूनकती हुई : सारा दिन जीजू को निचोड़ ली और अब इन्हें भी , मेरा क्या होगा
शिला खिल कर : तो तू भी आजा
रामसिंह मुस्कुरा कर उसको पकड़ कर अपने पास खींच कर उसके लिप्स चूसता हुआ : उम्मम मेरी जान नाराज मत हो
कम्मो एकदम से कातिल मुस्कुराहट देते हुए उसका लंड पकड़ कर उसके लिप्स चूसने लगी और ठीक अपने दीदी के बगल में बैठ कर शिला से पहले ही लंड को मुंह में ले लिया और रामसिंह मानो हवा में उड़ने लगा
इधर रज्जो इनकी बेशर्मी देख कर पागल होने लगी , उसकी जांघों में सरसराहट होने लगी और चूत के पास कुलबुलाहट सी उठने लगी ।

वही दोनों बहने बारी बारी से रामसिंह के लंड को चूसने लगी
रामसिंह : उफ्फ कम्मो तेरी टाइमिंग कमाल की है , अह्ह्ह्ह रज्जो भाभी की तो नजर ही नहीं हट रही अह्ह्ह्ह्ह
शिला : सच में , लेकिन उसकी वजह से तुम्हारे लंड में गजब का कड़कपन आया है उम्ममम
रामसिंह : तो चूसो न भाभी अह्ह्ह्ह उम्ममम सक इट ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह

इधर दोनों बहने भूखी शेरनी की तरह टूटी हुई थी और वही रज्जो की हालत खराब हो रही थी ऐसे में कब मानसिंह धीरे से उसको पीछे से पकड़ लिया और वो एकदम से चौकी

: अह्ह्ह्ह्ह आप है क्या ? उम्मम देखो तो कैसे भूखी शेरनी की तरह टूटी है दोनों अह्ह्ह्ह्ह
मानसिंह : क्यों कही तुम्हारी इच्छा तो नहीं ज्वाइन करने की
रज्जो ने हाथ पीछे करके मानसिंह के का लंड पजामे के ऊपर से जड़क लिया और उसको भींचती हुई : अह्ह्ह्ह्ह तो आपका क्या होगा उम्मम ,
मानसिंह हाथ बढ़ा कर उसके बड़े रसीले मम्में दबोचता हुआ : अह्ह्ह्ह्ह रज्जो मेरी जान , मै आज तक तुम्हारे जैसी गर्म औरत नहीं देखी अह्ह्ह्ह

तभी रज्जो की नजर अरुण के कमरे के दरवाजे पर गई और उसने अपने जगह से हटना जरूरी समझा : कमरे में चलो , आज आपको असल रूप दिखाती हूं
और रज्जो अरुण के कमरे पर नजर रखे हुए वापस मानसिंह के साथ उसके कमरे में चली गई ।

प्रतापपुर

" अब शर्माना छोड़िए भी जमाई बाबू, मै भी मर्द हु खूब समझता हूं अपने जात की दुखती रग को " , बनवारी ने रंगी को छेड़ते हुए ठहाका लगाया ।
रंगी थोड़ा मुस्कुरा कर : अब क्या करें , बाउजी वो चीज ही ऐसी है कि चाह कर भी निगाहे चल जाती है और फिर

रंगीलाल ने देखा उसका ससुर उसके आगे बोलने की राह देख रहा है
रंगी मुस्कुरा कर : आज दो रोज हो गए , सोनल की मां से दूर हुए तो वो तड़प महसूस भी हो रही है । उसपे से आपका तंबाकू हाहाहाहाहा

बनवारी हंसता हुआ : जमाई बाबू , मै कह रहा हूं न, थोड़ा सा... अरे मै इजाजत दे रहा हूं, अब तो मान जाइए
रंगी का लंड अकड़ रहा था और वो उसको पकड़ कर अपनी मुठ्ठी में भींचते हुए : बाउजी , मुझे लालच मत दीजिए कल को बहक गया या आदत बिगड़ गई तो ? मुझे डर लगता है और फिर कही रागिनी को भनक लगी तो?

बनवारी उसके जांघ पर हाथ रख कर : तुम बड़े भोले हो जमाई बाबू , तुम्हारी जगह अगर अभी कमल बाबू होते तो ....

रंगी हस कर : हा , कमल भाई है भी थोड़े रंगीन मिजाज के ?
बनवारी : थोड़े ? हाहाहाहाहा अरे जमाई बाबू उन्होंने तो बस 2 घंटे में ही बात शुरू की और काम भी फाइनल कर दिया
रंगी अचरज से : कैसे और किसके साथ ?
बनवारी हस कर : वैसे ये राज की बात है , आपके और हमारे बीच ही रहे रज्जो या छोटकी तक न जाए
रंगी ने उसकी ओर झुक कर बिना आवाज ने हुंकारी भरी
बनवारी उसके पास आकर : ये सब मैने सोनल बिटिया की बारात में देखा था , वो तुम्हारे संबंधी है न मुरारीलाल ,
रंगी : हा !
बनवारी : अरे उनकी बड़ी बहन , क्या खूब चुस्त ब्लाउज़ पहनी थी और बड़े बड़े दूध , एक बार को मेरी भी नजर उसकी शरारती निगाहों से जुड़ी थी और मै उस छिनाल को भांप गया । तभी देखा कि कमल बाबू और उसके बीच कुछ तो खिचड़ी पक रही है , तो मैने इनका पीछा किया इधर वरमाला के बाद सब खाना पीना कर रहे थे तो ये दोनों वो बगल वाले घर में घुसे थे और पूरी तरह से नंगे होकर मजे कर रहे थे ।
रंगी का हलक सूखने लगा और उसका लंड पजामे में तंबू बना चुका था : उफ्फ बाउजी , वैसे मुरारी भाई की बहन है बड़ी कटीली चीज ,सीने से पल्लू कब सरक जाए पता नहीं चलता

बनवारी : वही तो ?
कमलनाथ : लेकिन बाउजी आपको नहीं लगता कि कमल भाई ने रज्जो जीजी को पर्दे में रख कर गलत किया ।
बनवारी : अरे भाई , जब चूत की तलब होती है तो उसमें सही क्या गलत क्या ? जैसे आप तड़प रहे है उन दिनों रज्जो बिटिया भी शादी के कामों के कितनी बिजी थी , कमल बाबू भी तड़प रहे होगे , तो हो गया होगा इसमें क्या है ?
रंगीलाल बनवारी की बेफिक्री से खुश होकर : बात तो सही कह रहे बाउजी , शादी के दिनों में मेरी भी हालत कम खस्ता नहीं थी , सोनल की विदाई के बाद भी रागिनी ने हाथ नहीं लगाने दिया क्योंकि उस रात आप थे उसके कमरे में

रंगी की बात सुनकर बनवारी को वो रात याद आई जब रागिनी ने रंगी को मना कर वापस उसके लंड पर बैठने आई थी और वो थोड़ा असहज होकर : अरे जमाई बाबू , सच में अगर मुझे जरा भी भनक होती तो मै खुद निकल आता कमरे से

रंगी हस कर : क्या बाउजी आप भी , तब तो हम इतने अच्छे दोस्त भी नहीं थे हाहाहाहा
बनवारी : हाहाहाहाहा सही कह रहे हो जमाई बाबू , लेकिन अब तक दोस्ती का मान रख लो
रंगी : लेकिन बाउजी मेरी एक शर्त है ?
बनवारी : शर्त ?
रंगीलाल हस कर : जो भी करेंगे एक साथ करेंगे
बनवारी अचरज से रंगीलाल को देखा और मुस्कुराने लगा ।
तभी कमरे में सुनीता दाखिल हुई और दोनों सामान्य हो गए
सुनीता को देखते ही रंगी का मुंह बन गया था क्योंकि शाम के वादे को अभी तक सुनीता ने पूरा नहीं किया था ।
सुनीता : बाउजी खाना लाऊ ?
बनवारी : अह हा भाई लाओ क्योंकि ( दिवाल घड़ी को देखता हुआ ) दवा का भी समय हो रहा है

रंगी : हा बाउजी आप खा लीजिए , मुझे अभी भूख नहीं है ( उसने घूर कर सुनीता को देखा )
बनवारी : अरे भाई अकेले मुझे भी नहीं जमेगा , जब आप खायेंगे मै भी खा लूंगा , अभी रहने दो बहु
रंगी उसे समझता हुआ : अरे नहीं बाउजी , आप समय से खा लीजिए और आपको दवा भी लेनी है । मुझे भूख लगी तो कहूंगा , क्योंकि मुझे लेट से खाने की आदत भी है थोड़ी ।

बनवारी : अच्छा ठीक है , बहु मेरी थाली लेकर आ फिर
सुनीता मुस्कुरा कर रंगी को देखा तो रंगी ने मुंह बना कर उससे नजरे फेर ली , सुनीता समझ रही थी कि रंगी उसकी वादाखिलाफी से नाराज है ।

फिर वो कूल्हे हिलाती निकल गई
बनवारी : अरे जमाई बाबू , आप भी खा लेते तो खाली हो जाते
रंगी : आप फिकर न करे बाउजी , वैसे भी वो 10 बजे बाद ही आएंगी कही क्यों ?
बनवारी : हा बात तो आपकी ठीक है , चलो जैसी आपकी मर्जी
रंगी हस कर : और पहले आ गई तो उसको निपटा लेंगे खाना बाद में हो जाएगा हाहाहाहाहा
बनवारी हंसता हुआ : आप भी जमाई बाबू , हो तो पक्के खिलाड़ी लेकिन छिपाते बहुत हो ।
रंगी मुस्कुराने लगा और तभी सुनीता एक बार फिर कमरे में दाखिल हुई, खाना लेकर ।
उसने झुक कर बनवारी के आगे थाली रखी और पानी दिया

सुनीता वही खड़ी हो गई और बस एक टक रंगी को देखने लगी कि कब वो उसकी ओर देखे : और कुछ लाऊ बाउजी
जैसे ही सुनीता ने बोला , रंगी ने उसकी ओर देखा और सुनीता ने अपने मोटी मोटी छातियों से चुस्त पल्लू को आधे ब्लाउज तक ले आई


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जिससे उसकी एक चुची का पूरा मोटा फूला हुआ भाग उभर कर सामने आया और वो बड़े ही शरारती मुस्कुराहट से रंगी को देखी , एकदम से रंगी की आंखे चमक उठी ।

रंगी हड़बड़ा कर : बाउजी आप खाइए , मै थोड़ा कपड़े बदल लेता हूं
निवाला चबाते हुए बनवारी ने उसको हुंकारी भरी और रंगी बनवारी के कमरे से निकल कर अटैच दरवाजे से अपने कमरे में चला गया

इधर जैसे ही सुनीता कमरे से निकल कर किचन की ओर बढ़ी तो उसने बाहर वाले दरवाजे से लपक कर अपने कमरे में खींच लिया
और हच्च से सुनीता की गुदाज मुलायम छातियां रंगी लाल के सीने से जा लगी : अह्ह्ह्ह्ह सीईईई हाय दैय्या क्या करते है छोड़िए कोई देख लेगा
रंगीलाल ने दरवाजा भिड़का कर उसको अपने पास करते हुए : तुम कुछ ज्यादा होशियारी नहीं कर रही उम्मम
सुनीता मुस्कुरा कर उससे नजरे चुराने लगी तो रंगी उसका लोला पकड़ अपनी ओर मुंह करता हुआ दूसरे हाथ से उसके नरम चर्बीदार कूल्हे को मसलता हुआ : बहुत मस्ती सूझ रही है उम्मम
सुनीता : आपको भी तो आखिर वही चाहिए न


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रंगीलाल ने अगले पल उसके गर्दन के नीचे खुले सीने पर उंगलियां फिराते हुए : मै बताऊं मुझे क्या चाहिए उम्मम
सुनीता की सांसे चढ़ने लगी उसकी धड़कन तेज हो गई , जिस तरह से रंगी उसके पल्लू को सीने से हटाना चाह रहा था मगर कंधे पर लगी पिन उसे रोक रही थी और देखते ही देखते रंगी आगे झुक कर उसके ब्लाउज के गले के पास खुली जगह पर जहा से सुनीता की मोटी चूचियो की पहाड़िया शुरू हो रही थी अपने होठ रख दिए और सुनीता मचल उठी : अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम रुक जाइए न प्लीज
इस दौरान रंगी के हाथ उसकी नंगी कमर और कूल्हे पर रेंग रहे थी और फिर सरकाता हुआ नीचे आया और पेट के ऊपर से पल्लू हटा कर अपना मुंह सीधा उसकी गुदाज चर्बीदार नाभि पर दे दिया और सुनीता एकदम से अकड़ गई : ओह्ह्ह्ह उम्ममम रुकिए न , बाउजी बगल में है अह्ह्ह्ह्ह


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रंगी ने एक न सुनी और जीभ निकाल कर उसकी गुदाज नर्म नाभि पर गिराते हुए नाभि के नीचे का मास चबाने लगा जिससे सुनीता एड़ियों के बल उठने लगी और उसके ऐसा करते ही रंगी ने अपने दोनों पंजे उसके गोल मटोल चूतड़ों पर जमा दिया और उन्हें दबोचने लगा
सुनीता की हालत खराब हो रही थी कि इतने में बबीता की आवाज दोनों के कानों में पड़ी , सुनीता को याद आया कि उसे अभी राजेश को भी खाना परोसना है । और वो झट से रंगी से अलग होती हुई कमरे से भाग गई और रंगी अपने मुंह पोछता हुआ हसने लगा उसका लंड अभी तक तना हुआ था ।

जारी रहेगी
बहुत ही उम्दा अपडेट मित्र, एक साथ इतनी जगह की कहानी को साथ लेकर आगे बढ़ना मुश्किल काम है पर आप बहुत आसानी से उसे निभा रहे हो, आशा जल्दी ही अगला अपडेट भी मिलेगा।
 

ajaydas241

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💥 अध्याय:02💥
UPDATE 012


चमनपुरा

" अच्छा ये वाली पहन ले बेटा , काली वाली "
" हा ठीक है इसी को प्रेस कर दो मै नहाने जा रहा हूं"

अनुज ने अपनी मां के पास खड़ा होकर : क्या हुआ ?
रागिनी : अरे वो तेरे पापा के दोस्त है न ठाकुर साहब
अनुज : हा ?
रागिनी : तो राज को उनके यहां एक पार्टी में जाना है इसीलिए इतना हड़बड़ाया हुआ है
अनुज : क्या सच में ? पार्टी?
रागिनी अनुज को खिलता देख कर : हा लेकिन तुझे नही जाना, मै घर में अकेली नहीं रहने वाली सारी रात बोल देती हूं
एकदम से अनुज की आंखे चमकी और वो खुश होकर अपनी मां को बगल से हग करने लगा : मै नहीं जाने वाला आपको छोड़ कर अकेले , भैया जाए तो जाए

रागिनी ने आंखे महीन कर उसे घूरा : अच्छा बेटा , तेरे दिल में पार्टी के नाम पर जो फुगे फूटते है न बचपन से जानती हूं, चल छोड़ मुझे।
रागिनी अपने कमरे में आई और राज के कपड़े प्रेस करने लगी

अनुज भी उसके पीछे आकर बिस्तर पर बैठ गया
रागिनी : बैठा क्या है ? पढ़ाई नहीं करनी ?
अनुज : मम्मी यार , कल संडे है कल कर लूंगा न
रागिनी : जब तक तेरे पापा नहीं है , खूब मस्ती कर ले , आयेंगे तब तेरी खबर लेंगे और एग्जाम में कम नंबर आए तो बताएंगे

तबतक राज कमरे में दाखिल हुआ : ये तो पक्का फेल है मम्मी इस साल
अनुज ने घूर कर अपने भैया को देखा जो नहा कर तौलिया लपेटे कमरे में आया था बनियान पहने हुए ।

राज ने हस कर उसको देखा और अपने मा को दो चूड़ी और कसते हुए : मम्मी पता है , वो मेरा दोस्त है न बंटू

रागिनी : हा वो विजई का बेटा , क्या हुआ
राज : कुछ नहीं , वो बता रहा था अनुज कालेज जाते समय रोज पुलिया पर रुकता है
राज ने अनुज को आंख मारी और अनुज की हालत सन्न
रागिनी ने एकदम से अनुज को घूरा : तू पढ़ने जाता है कि पुलिया पर घूमने
अनुज की हालात खराब थी
राज हस कर उसके मजे लेता हुआ : और पता है मम्मी , वहां कैसे कैसे स्टूडेंट रुकते है
अनुज एकदम से तैस में आकर : हा बताओ , मै भी जानू
रागिनी उसको देख कर चौकी : अरे अब क्या लड़ाई करेगा ,भैया से ?
अनुज एकदम से शांत ही गया और उदास भी थोड़ा

राज उसका उतरा हुआ मुंह देख कर हंसता हुआ : मम्मी वहां न गोरी गोरी लड़कियां रुकी होती है , और इससे फोटो खिंचवाती है हाहाहाहाहा

अनुज की हालत पतली हो गई
रागिनी ने अचरज से अनुज को देखा उसको देख कर ऐसा लग रहा था कि अगर उसने जरा भी डांट लगाई तो रो ही पड़ेगा
रागिनी : क्या ? फोटो खींचता है ? बड़ा होकर कैमरा चलाएगा क्या ?
अनुज : नहीं मम्मी , भैया झूठ बोल रहे है
राज : लगाऊं फोन बंटू को
अनुज एकदम से चुप हो गया

रागिनी अनुज को इस हसी ठिठौली में अकेला देख कर उसकी तरफ से बोली : अरे सिर्फ फोटो ही खींच रहा था कि एक फोटो साथ में भी लिया उनके
अनुज और राज दोनों चौके ?
राज फिर मुस्कुराने लगा
रागिनी राज को कपड़े देते हुए बोली: बोल न
अनुज आंखे उठा कर अपने मां को देखा और फिर राज को घूरते हुए : हा सेल्फी ली थी
रागिनी : तो दिखा फोटो ?
अनुज : मेरे पास कहा मोबाइल है , उनलोगों के पास होगा । मै इंस्टाग्राम पर मंगवा लूंगा तो दिखा दूंगा
रागिनी: अच्छा ठीक है दादा , अब तू क्या दांत फाड़ रहा है जा तैयार हो ले । खबरदार मेरे बच्चे को तंग किया तो ? दिखता नहीं अभी पटाने के लिए पीछे पड़ा है
रागिनी एकदम से खिलखिलाई और राज को ताली दे मारी और राज भी ठहाका मारकर हस पड़ा ।
अनुज उखड़ कर : मम्मी यार , आप भी मजे लेलो
रागिनी हस कर उसके पास गई और उसे बाल सहलाती हुई : मजे नहीं ले रही , मै तो कह रही हूं पढ़ाई छोड़ और शादी कर ले हीहीही , घर में बहु आ जाएगी तो मुझे भी बड़ा आराम ही जाएगा ।
अनुज एकदम से आंखे महीन कर अपनी मां को घूरा तो रागिनी समझ गई कि अब मजाक ज्यादा हो रहा है और वो धीरे से सरक ली ये बोलते हुए राज तैयार हो जाए ।

रागिनी के जाते ही अनुज राज पर बिफर पड़ा: ये क्या बोल रहे थे मम्मी को आप
राज हंसता हुआ अपने शर्ट के बटन बंद करता हुआ : क्यों क्या हो गया भाई , जब तुझे समझाया था कि परीक्षा आ रही है तू पढ़ाई पर फोकस कर लेकिन तू है कि समझ नहीं रहा है । लड़कियों के पीछे लगा है।
अनुज: भैया मै नहीं , वो लाली .. वो ही लगी रहती है तो क्या करूं?
राज अचरज से : अच्छा वो लाली थी ?
अनुज भौहें टाइट कर राज के पीछे खड़े होकर शीशे में उसको आवाज बाल बनाते देखता हुआ : तो फिर आपको नहीं पता था
राज हस कर : नहीं ये तो नहीं पता था कि वो लाली थी , नहीं तो कसम से भाई मम्मी के आगे नाम भी लेता
अनुज : हूह ,अब मम्मी को फोटो दिखाने पड़ेगी न
राज : दिखा दे , होने वाली बहु है आखिर उनकी हाहाहाहाहा
अनुज पैर पटकने जैसा होकर : भैया , यार आप भी मजे मत लो । आप तो मेरा टेस्ट जानते हो न

राज : अबे इतना भी क्या भाव खा रहा है , कितनी प्यारी है और अभी उम्र कम है वो भी बड़ी होगी किसी रोज और उसके भी हाहाहाहाहा
अनुज को राज की आखिर की बाते पसंद नहीं आई , जैसे लाली के लिए एकदम से पोजेसिव होने लगा था ।

राज उसका उतरा मुंह देख कर : बेटा , प्यार तो तू भी करता है बस मानता नहीं है
अनुज एकदम से चौक गया : नहीं ऐसा कुछ नहीं
राज : चल चल ठीक है , आ गेट बंद कर ले

राज और अनुज घर के बाहर गेट तक आए
अनुज धीरे से : भैया बहुत मन कर रहा है , कितने दिन हो गए मौसी को गए
राज : हा तो मेरे पास कोई फैक्टी क्या चूत की , भाई मै भी तरस ही रहा हूं
अनुज : चाची पर ट्राई .....
राज की आंखे चमक उठी : देख रहा हु बहुत तेजी से बदल रहा है उम्मम, वैसे तेरी चॉइस की तो लगती नहीं चाची क्यों ?
अनुज थोड़ा शर्मा कर हंसता हुआ : अरे ऐसा नहीं है , कितनी सेक्सी लगती है और उनके दूध कितने मोटे और गोल है ।
राज : लेकिन तुझे तो बड़ी ( धीरे से उसके कान में ) गाड़ वाली पसंद है न
अनुज : हा लेकिन चाची में कोई बुराई थोड़ी है , अब सबकी बुआ और मौसी जैसी तो नहीं रहेगी न
राज मुस्कुरा कर अपने लंड में उठते जज्बात को पेंट के ऊपर से दबाता है : बस कर भाई , मुझ जाने नहीं देगा क्या । मौसी और बुआ की बात मत छेड़
अनुज हसने लगा : ओके आप जाओ और रात में वापस आओगे क्या ?
राज : नहीं
अनुज कुछ सोच कर : ठीक है जाओ
राज वहा से निकल गया अपना लंड सेट करता हुआ एक ईरिक्शा पकड़ कर वही अनुज खुश होकर गेट अच्छे से बंद कर दिया और घर में आने लगा ।
अनुज की खुशी का ठिकाना नहीं था , आज पहली बार वो और उसकी मां घर में अकेले थे और उसपे से रागिनी ने सोनल के कपड़े ट्राई करने को कहा था ।
अनुज : मम्मी , मम्मी ??
रागिनी अपने कमरे से आती हुई : हा क्या हुआ बेटा
अनुज एकदम से अपनी मां को ब्लाउज पेटीकोट में देखा , जो शायद नहाने की तैयारी करने वाली थी ।


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अनुज : क्या करने जा रहे हो
रागिनी : बेटा सीने और पीठ में बहुत खुजली हो रही है , पानी गर्म है नहाने जा रही हूं

अनुज नजरे इधर उधर करता हुआ कमरे में देखा तो रागिनी ने एक नाइटी निकाल रखी थी : ये पहनोगे क्या नहा कर ?
रागिनी : हा क्यों ?
अनुज मुंह बना कर : फिर दीदी वाले कपड़े ?
रागिनी अपना माथा पकड़ ली और हस्ते हुए : अरे वो कल पहन लूंगी , जल्दी क्या है ?
अनुज : अरे घर में भैया भी नहीं है इसलिए बोला
रागिनी भौहें चढ़ा कर : उससे क्या मै डरती हूं
अनुज : नहीं वो, कही वो पापा से कह न दे इसलिए
रागिनी : तो क्या मै तेरे पापा से डरती हूं
अनुज : अरे यार , भक्क
रागिनी हस्ती हुई : अच्छा ठीक है बाबा चल देखती हूं उसके कपड़े चल

फिर दोनों ऊपर जाने लगे और अनुज एकदम से खुश हो गया ।

वही अमन के घर ममता की आंख अपनी बिस्तर पर खुली और जैसे ही उसे होश आया एकदम से वो घर में मदन के होने और दरवाजा भीडके होने के त्वरित ख्याल से चौक कर उठ गई । असल हालत उसकी तब खराब हुई जब उसने पाया कि उसके देह पर चादर पड़ी थी ।
ममता शर्म ने अपना माथा पकड़ ली , उसकी दिल की धड़कने तेज हो गई और उसे समझते देर नहीं लगी कि मदन उसके कमरे में आया था और उसी से उसे चादर उढ़ाई है ।
ममता को थोड़ी हंसी भी आ रही थी और बहुत सारी शर्मिंदगी , ओर उससे भी ज्यादा झिझक कि वो कैसे खाना बनाने जायेगी और मदन का सामना करेगी ।

उसने आस पास देखा और अपनी नाइटी पहनी , हल्की सिहरन सी हो रही थी तो उसने एक साल लेकर कमरे से बाहर निकल कर बाथरूम में चली फिर हाल में आने लगी कि उसे कुकर की सीटिया सुनाई देने लगी ।
मसाले की महक से ममता को समझते देर नहीं लगी कि मदन आज नॉनवेज बना रहा था।
ममता धीरे धीरे हाल में आई और किचन में उसे काम करते हुए देखा , मोबाइल पर मदन किशोर कुमार की रोमांटिक गाने चल रहे थे जिन्हें वो गुनगुना रहा था और सहसा उसकी नजर ममता पर गई ।

मदन ने जरा भी जाहिर नहीं होने दिया कि कुछ देर पहले वो ममता को किस हाल में देखते हुए आया : अरे भाभी उठ गई क्या ? पैर ठीक है अब

ममता शर्म से हुंकारी भर कर फीकी मुस्कुराहट से जवाब दी
मदन चहकता हुआ : खाना लगभग तैयार है , भाभी आप बैठ जाओ
ममता : और आप ?
मदन एकदम से रुक गया और मुस्कुराने लगा : वो भाभी , अगर बुरा न मानो तो । मेरा आज मूड था पैग बनाने का
ममता तो तभी समझ गई कि आज मदन अपनी बोतल खोलेगा जब उसके नथुनों में नॉनवेज की खुशबू आई थी ।
ममता मुस्कुरा कर उसको तंग करने के इरादे से : भई मै तो जरूर बुरा मानूंगी
मदन चौक कर मोबाइल का गाना म्यूट करता हुआ : क्यों ?
ममता : भई आप अकेले अपना मौसम बनाएंगे और मुझे पूछेंगे भी नहीं तो बुरा लगेगा ही न
मदन चौक कर : क्या भाभी ? आप ..
ममता हंसते हुए गालों से : हा क्यों ?
मदन एकदम से हड़बड़ाने लगा : नहीं नहीं भइया को पता चला तो , नहीं
ममता मुस्कुरा कर : वैसे आप बहुत कुछ ऐसा कर चुके है जिसके बारे में आपके भैया को भनक नहीं होनी चाहिए क्यों ?
मदन एकदम से सकपका गया और वो समझ गया कि ममता का इशारा किधर है और वो अटकते हुए लहजे में : लेकिन भाभी , मै आपके सामने नहीं नहीं , मुझसे नहीं होगा
ममता : ओफ्फो देवर जी , अब मूड न बिगाड़िए
मदन आंखे फाड़ कर ममता को देखने लगा
ममता मुस्कुरा कर : वैसे ही सर्द रात है , तो थोड़ी गर्माहट रहेगी
मदन मुस्कुराने लगा : वैसे अपने कभी पहले ट्राई किया है ?
ममता मुस्कुरा कर हा में सर हिलाया : लेकिन किसी से कहिएगा मत
मदन की आंखे चमक उठी : कब ?
ममता : वो शादी के पहले की बात थी , मेरी सहेली के भैया फौज में तो बस एक ढक्कन , हा सिगरेट बहुत बार
मदन आंखे फाड़ कर : क्या सिगरेट भी
ममता : लेकिन प्लीज इसके बारे में आपके भैया को पता न लगे
मदन ने आंखों ही मुस्कुराकर हुंकारी भरी
ममता : तो छत पर चले ?
मदन मुस्कुरा कर : जैसा आप कहें
ममता मुस्कुरा कर : वही चलते है हिहीही
मदन : बस भाभी 10 मिनट और लगेगा
ममता: ठीक है तब तक मै भी आपके भैया से बात करके उन्हें निपटा दूं , ताकि वो हमें डिस्टर्ब न करे
ममता की बात पर मदन को ताज्जुब हुआ लेकिन ममता के साथ हसने के सिवा उसके पास कोई और रिएक्शन नहीं शेष था ।

इधर मुरारी की घंटी बजी और मंजू की आंखे खुली और वो झट से मुरारी के कंधे से अलग हो गई । जो अभी तक चलती गाड़ी में ना जाने कब गहरी नींद में आ गई थी ।
मुरारी ने फोन उठा और कुछ बात चित हाल चाल लेकर फोन रख दिया

मुरारी : भाई ड्राइवर साहब, अगर आगे कोई बढ़िया होटल दिखे तो गाड़ी लगाइए , खाना खा लिया जाए , क्यों ?

मंजू ने हा में सर हिलाया और धीरे से बोली: मुझे फ्रेश होना है
मुरारी ने उसकी बात सुनी फिर : भैया थोड़ा देखते रहना

मुरारी : अगर ज्यादा तेज हो तो गाड़ी साइड लगवा दूं
मंजू : क्या भक्क आप भी , ड्राइवर भी तो है ?
मुरारी : अरे गाड़ी से थोड़ा दूर हो जायेंगे न
मंजू : ठीक है करवाइए , अब
मुरारी : अरे ड्राइवर साहब थोड़ा गाड़ी एक किनारे लगाइए
ड्राइवर ने गाड़ी हाइवे के एक साइड में लगाई ।
रात के 8 बजने को हो रहे थे । सड़कों से गाड़िया तेजी से निकल रही थी और मंजू की साड़ी का आंचल संभालने में दिक्कत हो रही है ।

मंजू ने मूड कर मुरारी की ओर देखा : किधर चले
मुरारी : अरे आगे चलो अभी
करीब 50 मीटर दूर आने के बाद मुरारी ने मोबाइल की टॉर्च जलाई और वही हाइवे के पास लगे एक सुनसान जगह पर एक जगह प्लॉटिंग की गई थी , मुरारी को वही जगह साफ और सुरक्षित लगी
मुरारी : तुम जाओ मै खड़ा हु
मंजू ने हुंकारी भरी और हाइवे ने नीचे उतर कर 10 कदम गई होगी फिर वापस आने लगी
मुरारी की तरफ जाता हुआ : क्या हुआ
मंजू : मुझे डर लग रहा है , कोई सांप बिच्छू हुआ तो ?
मुरारी: तो अब
मंजू हिम्मत कर : आप भी चलो मेरे साथ
मुरारी थोड़ा रुक कर उसे देखा तो मंजू मुस्कुरा कर शर्माने लगी : भक्क चलो न
मुरारी हंसता हुआ उसके साथ चला गए और वही प्लॉटिंग वाली जगह के चारदीवारी के लास खड़ा होकर : हम्मम जाओ अब
मंजू ने अच्छे से मोबाइल की टॉर्च जलाई और देखने लगी और फिर मुरारी को देखकर : घूमों न उधर ?
मुरारी ने हसने लगा और अपनी टॉर्च बुझा कर खुद भी एक ओर खड़े होकर पेशाब करने लगा
हाइवे पर गुजर रही गाड़ियो की लाइट मुरारी के आधे देह पर आ रही थी मगर कमर के नीचे तक नहीं
मुरारी ने अपना लंड झाड़ कर वापस रख रहा था कि एकदम से मंजू चिहुकी: अम्मी
मंजू एकदम से उठ कर भागती हुई उसके पास आई
मुरारी उसको चीखता देख : क्या हुआ
मंजू : पता नहीं पैर पर कुछ रेंग रहा था
मुरारी ने झट से वहा टॉर्च मारी जहां मंजू ने पेशाब किया था और उस जगह की मिट्टी पूरी गीली हो थी , जहां तक पेशाब फैला हुआ था ।
मंजू को शर्म आ रही थी जिस तरह मुरारी उसके पेशाब किए हुए जगह पर टॉर्च जला कर देख रहा था ।
मंजू : छोड़िए न चूहा रहा होगा , चलिए चलते है
मुरारी की नजर और टॉर्च अभी भी उस गीली मिट्टी को देख रहे थे : हा चलो
वापस दोनों गाड़ी में आ गए और गाड़ी निकल पड़ी , और कुछ ही देर में मंजू को अपने बुर के पास हल्की खुजलाहट होने लगी , क्योंकि उसने पेशाब करके पानी से उसे धुला नहीं था ।
उसकी जांघें कचोट रही थी और उसके चेहरे पर बेचैनी हो रही , रह रह कर वो अपने बुर के पास हाथ ले जाकर उसे खुजाती
मुरारी की नजर का रुकने वाली थी और उसने धीरे से उसके कान में बोला : क्या हुआ ?
मंजू एकदम से सकपकाई और थोड़ा चुप रही। लेकिन मुरारी वैसे ही झुका हुआ उसके जवाब की प्रतिक्षा में था तो मजबूरन उसे बोलना ही पड़ा : तो करने के बाद धूली नहीं तो खुजली ...
मुरारी : कहो तो फिर से गाड़ी रुकवा दु
मंजू फुसफुसा कर : नहीं , वो क्या सोचेगा ?
मंजू का इशारा ड्राइवर की ओर था
मुरारी कुछ देर चुप रहा है और फिर धीरे से उसके कान में बोला : मेरे पास एक आईडिया है ?
मंजू अचरज से उसकी ओर देख कर : क्या ?
मुरारी : एक बार ऐसे ही अमन की मां के साथ हुआ था , लेकिन तब हम बस में सफर कर रहे थे और रात का समय था । तो मैने उसे अपनी रुमाल पानी में भिगो पर दी और फिर उसने अपने आप को चादर से ढक लिया था और फिर नीचे उस गिले रुमाल से साफ किया था । रात का समय था तो किसी को कुछ पता नहीं चला
मुरारी का आईडिया सुनते ही मंजू भिनकी: धत्त क्या आप भी ,
मुरारी : सच कह रहा हूं , कहो तो ममता को फोन लगाऊं
मंजू : नहीं उसकी जरूरत नहीं है
मंजू को फिर से चुनचुनाहट हुई बुर में

मंजू ने इशारे से : लाइए
मुरारी : एक मिनट रुको
फिर वो अपने बैग से एक ओढ़ने वाली चादर निकाला और फिर उसे मंजू और अपने ऊपर ओढ लिया
फिर धीरे से अपने जेब से रुमाल निकाल कर अपने पैर के पास ही बोटल वाली पानी से उसको अच्छे से भिगोया और फिर चादर के नीचे ही उसने मंजू को थमा दिया ।
मंजू ने चादर के नीचे अपनी साड़ी उठाने लगी , मुरारी कभी ड्राइवर को देखता तो कभी मंजू के चेहरे को तो कभी चादर के ऊपर से उसमें चल रही हरकत को आंकता और तभी उसने मंजू के चेहरे पर एक गहरी शांति देखी , उसकी आंखे बंद हुई मानो उसके चूत को कितनी ठंडक मिली हो ।वही मुरारी इस खुमारी में अपना लंड खंड चादर में भींच रहा था कि जल्द ही मंजू की चूत के रस से सना हुआ रुमाल उसके हाथ में होगा ।
लेकिन उसके सपनो का आशियाना तब टूट गया जब मंजू ने धीरे से रुमाल कार से बाहर फेक दिया

मुरारी को एकदम से झटका लगा: अरे फेक क्यों दिया ?
मंजू भौहें टाइट कर : तो क्या करोगे उसका अब, गंदा हो गया था
मुरारी : अरे घर पर धुला जाता न
मंजू शर्माती हुई : भक्क, तो क्या आप वो रुमाल यूज करते
मुरारी : अरे धुलने के बाद क्या दिक्कत थी उसमें भला
मंजू: धत्त बहुत गंदे हो आप
मुरारी : तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे कभी तुम्हारे अंदर के कपड़ो में पेशाब नहीं लगा हो
मंजू शर्म से झेप गई और हसने लगी : अरे लेकिन उसने और इसमें फर्क है न , वो तो नीचे ही रहता और इससे आप मुंह पोछते
मुरारी हस कर : एक ज्ञान की बात कह रहा हु सुन लो
मंजू ताजुब से उसकी ओर गई : हा बोलो
मुरारी उसके पास जाकर : मर्द कपड़ों में भेद नहीं करते , मैने अमन की मां की साड़ी, पेटीकोट , दुपट्टे सबसे हाथ मुंह पोछा है
मंजू को उसकी बात पर हसी आ रही थी और वो हस्ते हुए : हा लेकिन , अंदर गारमेंट से तो नहीं न
मुरारी : पोंछ तो लू, लेकिन वो पहने तो न हिहीही
मंजू एकदम से लजा गई : धत्त
मुरारी : सच में , मैने खुद उसे कितनी बार तौलिया न मिलने मेरे बनियान और अंडरवियर से मुंह हाथ पोंछते देखा है
मंजू हैरत से : सच में ?
मुरारी : इसमें बुरा ही क्या है ? धुलने के बाद साफ ही रहता है न
मंजू सीधी होकर मुस्कुरा लगी
मुरारी उसको ओर झुक कर : और इसमें मेरा ही फायदा होता है
मंजू : फायदा कैसा ?
मुरारी : मेरे कच्छे की खुशबू से उसका मूड हो जाता है और फिर ...
मंजू : धत्त कितने गंदे हो आप भैया
मुरारी हसने लगा तो मंजू भी खुद को हसने से रोक नहीं

शिला के घर

किचन में शिला और रज्जो खाना बना रही थी और इतने में रामसिंह दोनों को देख कर दाखिल हुआ ।
रामसिंह : उम्मम बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है भाभी , अह क्या बना रही हो
शिला : लो आ गए लार टपकाने
रामसिंह ने एक नजर इतराती हुई रज्जो को देखा और आंख मार कर शिला के बगल में खड़े होकर उसके गर्दन के पास अपने नथुनों में सास भरता हुआ बोला: उम्मम भाभी खुशबू इतनी मस्त आ रही है तो मुंह में पानी आयेगा ही
रज्जो आँखें नचा कर : दीदी मै तो कह रही हूं पहले इन्हें ही परोस दो , इनके भैया बाद में भी खा लेंगे
रामसिंह : और क्या ? भइया ने तो शाम को कुछ नाश्ता किया ही होगा , मै तो सुबह से भूखा हूं
शिला मुस्कुरा कर : अरे भाई , कम्मो को बुला लो ऊपर से सब साथ में खाते है न
रज्जो रामसिंह की आंखों में देख कर शरारती मुस्कुराहट से : कम्मो को मै बुला लाती हूं तब तक इनको कुछ देदो
रज्जो मटकते हुए ऊपर निकल गई और जैसे ही जीने से ऊपर पहुंचने को हुई एकदम से ठिठक गई , सामने खिड़की से अरुण कम्मो के कमरे में झांक कर रहा था ।

रज्जो की समझते देर नहीं लगी जिस तरह से अरुण के हाव भाव थे और उसका हाथ पेंट के ऊपर था ।
रज्जो दबे पाव गई और उसके पीठ पर थपथपाया तो वो एकदम से सन्न रह गया और घूम कर रज्जो को देखा तो सिट्टी पिट्टी गुम ।
रज्जो ने एक नजर खिड़की के भीतर झांका तो उसकी आंखे फेल गई , अंदर कम्मो कपड़े बदल रही थी , लेकिन रात के इस प्रहर में उसे कपड़े बदलने का समय अजीब लगा । रज्जो अभी उलझी हुई थी कि इतने में अरुण तेजी से जीने की ओर भागा बिना कुछ बोले सरपट ,रज्जो ने उसको रोकना चाहता मगर अरुण तेज निकला ।
रज्जो ने अंदर झांका तो कम्मो अपनी ब्लाउज उतार कर सिर्फ पेटीकोट में थी और आलमारी से कपड़े निकाल रही थी ।
रज्जो धीरे से दरवाजा खोला और मुस्कुरा कर : ऐसे खुला रखेगी तो किसी रोज डाका पड़ जाएगा
रज्जो की आवाज सुनकर कम्मो एकदम से चौकी और अपनी नंगी छतिया हाथों से ढकने लगी : हाय दैय्या, भाभी आप ?
उसकी सांसे तेज थी, उसके गोरे जिस्म और नंगे पेट , पतली कमर बड़े बड़े रसीले मम्में हाथों से छुपाने में नाकाम
रज्जो मस्ती भरे लहजे में : अरे तुम तो ऐसे डर गई , मानो तुम्हारे जेठ आ गए हो
कम्मो लजाई: क्या भाभी जी आप भी
रज्जो : तो मुझसे क्या छुपा रही हो उम्मम
कम्मो शर्म से लाल होती : नहीं वो , बस ऐसे ही
रज्जो : अरे मेरे जितने बड़े भी तो नहीं है , या फिर है ? देखूं तो
रज्जो आगे बढ़ी
कम्मो खिलखिलाई और घूम गई अपने नंगे चूचों को पकड़े हुए : धत्त भाभी , नहीं
रज्जो ने पीछे से उसकी नंगी पीठ और कूल्हे पर उठे चौड़े उभार देख कर धीरे से एक उंगली उसकी नंगी पीठ ऊपर से नीचे पेटीकोट की डोरी तक रीढ़ पर सांप की तरह रेंगती हुई : उफ्फ तुम तो बड़ी कातिल चीज हो कम्मो

रज्जो के स्पर्श से कम्मो सिहर उठी : सीईईई भाभी , धत्त
और वो झट से उसने एक नाइटी उठाई और अपने ऊपर डालने लगी, इस दौरान रज्जो को पल भर के लिए कम्मो के खरबूजे जैसे गोल चूचों की झलक मिली जिसके भूरे निप्पल पूरी तरह टाइट हो गए थे ।
कम्मो का हाथ और सर नाइटी में था और वो कुछ देर के लिए उलझी थी और मौका पाते ही रज्जो ने धीरे से उसके चूचे पर हथेली घुमाई : उफ्फ कितनी कसी है यार
कम्मो एकदम से गिनगिनाई और उससे दूर होकर जल्दी से अपनी नाइटी नीचे करली : उम्मम धत्त भाभी , दीदी सही कहती है आप बहुत वो हो
रज्जो : तुम्हारी दीदी भी कम थोड़ी है उम्मम
कम्मो मुस्कुरा कर : उन्होंने क्या किया
रज्जो : खुले आम , देवर को खाना परोस रही है किचन में
कम्मो उसके मजाक कर हसने लगी : धत्त आप भी न
रज्जो : और क्या , मै खुद देखा है
कम्मो मुस्कुरा कर अपने बाल सही करती हुई : अरे भाभी है उनकी , हक है उनका कि अपने देवर को परोसे , कही आपका इरादा तो नहीं था अरुण के पापा को परोसने का
रज्जो हस्ती हुई : मै तो परोस दूं , लेकिन मुआ मेरा आंचल बड़ा ने बेईमान है
कम्मो एकदम से रज्जो के मजाक पर झेप गई: अरे , भक्क आप भी न
रज्जो : और क्या खाना छोड़ कर मुझपर टूट पड़े तो , रमन के पापा तो कई बार ऐसा कर चुके है , मर्दों की भूख बदलते देर नहीं लगती
कम्मो हस्ती हुई कमरे से बाहर निकलने लगी और रज्जो भी उसके साथ : हिहीही भाभी , अब बस करो , हम नीचे आ गए है शीईईई

रज्जो : लो देख लो ,मै न कहती थी कि मर्दों की भूख बदलते देर नहीं लगती
कम्मो एकदम से चौक कर किचन में देखा तो रामसिंह शिला को पीछे से पकड़ कर उसके चूतड़ों में अपना लंड निकाल कर दबा रहा था और उसके दोनों पंजे शिला के ब्लाउज के ऊपर से उसकी मोटी चूचियां मिज रहे थे ।


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रज्जो : भाभी में आधा होता है , लेकिन लग रहा है नंदोई जी बड़ी साली वाला हक भी जोड़ रहे है हीही
कम्मो तुनक कर : भक्क भाभी , आपको मजाक लग रहा है । मुझे चिढ़ हो रही है कि दीदी हर बार मेरा हक मार लेती है
रज्जो : अरे तो रोका किसने है , जाओ छिन लो अपने दीदी के मुंह से इससे पहले कि सारी मलाई वो गपुच कर जाए
रज्जो के कहने की देरी थी कि कम्मो तेजी से चलती हुई किचन में गई
कम्मो कमर पर हाथ रखे हुए : ये क्या है दीदी ?
शिला : तू ऐसे क्यों भड़क रही है
कम्मो भूनकती हुई : सारा दिन जीजू को निचोड़ ली और अब इन्हें भी , मेरा क्या होगा
शिला खिल कर : तो तू भी आजा
रामसिंह मुस्कुरा कर उसको पकड़ कर अपने पास खींच कर उसके लिप्स चूसता हुआ : उम्मम मेरी जान नाराज मत हो
कम्मो एकदम से कातिल मुस्कुराहट देते हुए उसका लंड पकड़ कर उसके लिप्स चूसने लगी और ठीक अपने दीदी के बगल में बैठ कर शिला से पहले ही लंड को मुंह में ले लिया और रामसिंह मानो हवा में उड़ने लगा
इधर रज्जो इनकी बेशर्मी देख कर पागल होने लगी , उसकी जांघों में सरसराहट होने लगी और चूत के पास कुलबुलाहट सी उठने लगी ।

वही दोनों बहने बारी बारी से रामसिंह के लंड को चूसने लगी
रामसिंह : उफ्फ कम्मो तेरी टाइमिंग कमाल की है , अह्ह्ह्ह रज्जो भाभी की तो नजर ही नहीं हट रही अह्ह्ह्ह्ह
शिला : सच में , लेकिन उसकी वजह से तुम्हारे लंड में गजब का कड़कपन आया है उम्ममम
रामसिंह : तो चूसो न भाभी अह्ह्ह्ह उम्ममम सक इट ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह

इधर दोनों बहने भूखी शेरनी की तरह टूटी हुई थी और वही रज्जो की हालत खराब हो रही थी ऐसे में कब मानसिंह धीरे से उसको पीछे से पकड़ लिया और वो एकदम से चौकी

: अह्ह्ह्ह्ह आप है क्या ? उम्मम देखो तो कैसे भूखी शेरनी की तरह टूटी है दोनों अह्ह्ह्ह्ह
मानसिंह : क्यों कही तुम्हारी इच्छा तो नहीं ज्वाइन करने की
रज्जो ने हाथ पीछे करके मानसिंह के का लंड पजामे के ऊपर से जड़क लिया और उसको भींचती हुई : अह्ह्ह्ह्ह तो आपका क्या होगा उम्मम ,
मानसिंह हाथ बढ़ा कर उसके बड़े रसीले मम्में दबोचता हुआ : अह्ह्ह्ह्ह रज्जो मेरी जान , मै आज तक तुम्हारे जैसी गर्म औरत नहीं देखी अह्ह्ह्ह

तभी रज्जो की नजर अरुण के कमरे के दरवाजे पर गई और उसने अपने जगह से हटना जरूरी समझा : कमरे में चलो , आज आपको असल रूप दिखाती हूं
और रज्जो अरुण के कमरे पर नजर रखे हुए वापस मानसिंह के साथ उसके कमरे में चली गई ।

प्रतापपुर

" अब शर्माना छोड़िए भी जमाई बाबू, मै भी मर्द हु खूब समझता हूं अपने जात की दुखती रग को " , बनवारी ने रंगी को छेड़ते हुए ठहाका लगाया ।
रंगी थोड़ा मुस्कुरा कर : अब क्या करें , बाउजी वो चीज ही ऐसी है कि चाह कर भी निगाहे चल जाती है और फिर

रंगीलाल ने देखा उसका ससुर उसके आगे बोलने की राह देख रहा है
रंगी मुस्कुरा कर : आज दो रोज हो गए , सोनल की मां से दूर हुए तो वो तड़प महसूस भी हो रही है । उसपे से आपका तंबाकू हाहाहाहाहा

बनवारी हंसता हुआ : जमाई बाबू , मै कह रहा हूं न, थोड़ा सा... अरे मै इजाजत दे रहा हूं, अब तो मान जाइए
रंगी का लंड अकड़ रहा था और वो उसको पकड़ कर अपनी मुठ्ठी में भींचते हुए : बाउजी , मुझे लालच मत दीजिए कल को बहक गया या आदत बिगड़ गई तो ? मुझे डर लगता है और फिर कही रागिनी को भनक लगी तो?

बनवारी उसके जांघ पर हाथ रख कर : तुम बड़े भोले हो जमाई बाबू , तुम्हारी जगह अगर अभी कमल बाबू होते तो ....

रंगी हस कर : हा , कमल भाई है भी थोड़े रंगीन मिजाज के ?
बनवारी : थोड़े ? हाहाहाहाहा अरे जमाई बाबू उन्होंने तो बस 2 घंटे में ही बात शुरू की और काम भी फाइनल कर दिया
रंगी अचरज से : कैसे और किसके साथ ?
बनवारी हस कर : वैसे ये राज की बात है , आपके और हमारे बीच ही रहे रज्जो या छोटकी तक न जाए
रंगी ने उसकी ओर झुक कर बिना आवाज ने हुंकारी भरी
बनवारी उसके पास आकर : ये सब मैने सोनल बिटिया की बारात में देखा था , वो तुम्हारे संबंधी है न मुरारीलाल ,
रंगी : हा !
बनवारी : अरे उनकी बड़ी बहन , क्या खूब चुस्त ब्लाउज़ पहनी थी और बड़े बड़े दूध , एक बार को मेरी भी नजर उसकी शरारती निगाहों से जुड़ी थी और मै उस छिनाल को भांप गया । तभी देखा कि कमल बाबू और उसके बीच कुछ तो खिचड़ी पक रही है , तो मैने इनका पीछा किया इधर वरमाला के बाद सब खाना पीना कर रहे थे तो ये दोनों वो बगल वाले घर में घुसे थे और पूरी तरह से नंगे होकर मजे कर रहे थे ।
रंगी का हलक सूखने लगा और उसका लंड पजामे में तंबू बना चुका था : उफ्फ बाउजी , वैसे मुरारी भाई की बहन है बड़ी कटीली चीज ,सीने से पल्लू कब सरक जाए पता नहीं चलता

बनवारी : वही तो ?
कमलनाथ : लेकिन बाउजी आपको नहीं लगता कि कमल भाई ने रज्जो जीजी को पर्दे में रख कर गलत किया ।
बनवारी : अरे भाई , जब चूत की तलब होती है तो उसमें सही क्या गलत क्या ? जैसे आप तड़प रहे है उन दिनों रज्जो बिटिया भी शादी के कामों के कितनी बिजी थी , कमल बाबू भी तड़प रहे होगे , तो हो गया होगा इसमें क्या है ?
रंगीलाल बनवारी की बेफिक्री से खुश होकर : बात तो सही कह रहे बाउजी , शादी के दिनों में मेरी भी हालत कम खस्ता नहीं थी , सोनल की विदाई के बाद भी रागिनी ने हाथ नहीं लगाने दिया क्योंकि उस रात आप थे उसके कमरे में

रंगी की बात सुनकर बनवारी को वो रात याद आई जब रागिनी ने रंगी को मना कर वापस उसके लंड पर बैठने आई थी और वो थोड़ा असहज होकर : अरे जमाई बाबू , सच में अगर मुझे जरा भी भनक होती तो मै खुद निकल आता कमरे से

रंगी हस कर : क्या बाउजी आप भी , तब तो हम इतने अच्छे दोस्त भी नहीं थे हाहाहाहा
बनवारी : हाहाहाहाहा सही कह रहे हो जमाई बाबू , लेकिन अब तक दोस्ती का मान रख लो
रंगी : लेकिन बाउजी मेरी एक शर्त है ?
बनवारी : शर्त ?
रंगीलाल हस कर : जो भी करेंगे एक साथ करेंगे
बनवारी अचरज से रंगीलाल को देखा और मुस्कुराने लगा ।
तभी कमरे में सुनीता दाखिल हुई और दोनों सामान्य हो गए
सुनीता को देखते ही रंगी का मुंह बन गया था क्योंकि शाम के वादे को अभी तक सुनीता ने पूरा नहीं किया था ।
सुनीता : बाउजी खाना लाऊ ?
बनवारी : अह हा भाई लाओ क्योंकि ( दिवाल घड़ी को देखता हुआ ) दवा का भी समय हो रहा है

रंगी : हा बाउजी आप खा लीजिए , मुझे अभी भूख नहीं है ( उसने घूर कर सुनीता को देखा )
बनवारी : अरे भाई अकेले मुझे भी नहीं जमेगा , जब आप खायेंगे मै भी खा लूंगा , अभी रहने दो बहु
रंगी उसे समझता हुआ : अरे नहीं बाउजी , आप समय से खा लीजिए और आपको दवा भी लेनी है । मुझे भूख लगी तो कहूंगा , क्योंकि मुझे लेट से खाने की आदत भी है थोड़ी ।

बनवारी : अच्छा ठीक है , बहु मेरी थाली लेकर आ फिर
सुनीता मुस्कुरा कर रंगी को देखा तो रंगी ने मुंह बना कर उससे नजरे फेर ली , सुनीता समझ रही थी कि रंगी उसकी वादाखिलाफी से नाराज है ।

फिर वो कूल्हे हिलाती निकल गई
बनवारी : अरे जमाई बाबू , आप भी खा लेते तो खाली हो जाते
रंगी : आप फिकर न करे बाउजी , वैसे भी वो 10 बजे बाद ही आएंगी कही क्यों ?
बनवारी : हा बात तो आपकी ठीक है , चलो जैसी आपकी मर्जी
रंगी हस कर : और पहले आ गई तो उसको निपटा लेंगे खाना बाद में हो जाएगा हाहाहाहाहा
बनवारी हंसता हुआ : आप भी जमाई बाबू , हो तो पक्के खिलाड़ी लेकिन छिपाते बहुत हो ।
रंगी मुस्कुराने लगा और तभी सुनीता एक बार फिर कमरे में दाखिल हुई, खाना लेकर ।
उसने झुक कर बनवारी के आगे थाली रखी और पानी दिया

सुनीता वही खड़ी हो गई और बस एक टक रंगी को देखने लगी कि कब वो उसकी ओर देखे : और कुछ लाऊ बाउजी
जैसे ही सुनीता ने बोला , रंगी ने उसकी ओर देखा और सुनीता ने अपने मोटी मोटी छातियों से चुस्त पल्लू को आधे ब्लाउज तक ले आई


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जिससे उसकी एक चुची का पूरा मोटा फूला हुआ भाग उभर कर सामने आया और वो बड़े ही शरारती मुस्कुराहट से रंगी को देखी , एकदम से रंगी की आंखे चमक उठी ।

रंगी हड़बड़ा कर : बाउजी आप खाइए , मै थोड़ा कपड़े बदल लेता हूं
निवाला चबाते हुए बनवारी ने उसको हुंकारी भरी और रंगी बनवारी के कमरे से निकल कर अटैच दरवाजे से अपने कमरे में चला गया

इधर जैसे ही सुनीता कमरे से निकल कर किचन की ओर बढ़ी तो उसने बाहर वाले दरवाजे से लपक कर अपने कमरे में खींच लिया
और हच्च से सुनीता की गुदाज मुलायम छातियां रंगी लाल के सीने से जा लगी : अह्ह्ह्ह्ह सीईईई हाय दैय्या क्या करते है छोड़िए कोई देख लेगा
रंगीलाल ने दरवाजा भिड़का कर उसको अपने पास करते हुए : तुम कुछ ज्यादा होशियारी नहीं कर रही उम्मम
सुनीता मुस्कुरा कर उससे नजरे चुराने लगी तो रंगी उसका लोला पकड़ अपनी ओर मुंह करता हुआ दूसरे हाथ से उसके नरम चर्बीदार कूल्हे को मसलता हुआ : बहुत मस्ती सूझ रही है उम्मम
सुनीता : आपको भी तो आखिर वही चाहिए न


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रंगीलाल ने अगले पल उसके गर्दन के नीचे खुले सीने पर उंगलियां फिराते हुए : मै बताऊं मुझे क्या चाहिए उम्मम
सुनीता की सांसे चढ़ने लगी उसकी धड़कन तेज हो गई , जिस तरह से रंगी उसके पल्लू को सीने से हटाना चाह रहा था मगर कंधे पर लगी पिन उसे रोक रही थी और देखते ही देखते रंगी आगे झुक कर उसके ब्लाउज के गले के पास खुली जगह पर जहा से सुनीता की मोटी चूचियो की पहाड़िया शुरू हो रही थी अपने होठ रख दिए और सुनीता मचल उठी : अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम रुक जाइए न प्लीज
इस दौरान रंगी के हाथ उसकी नंगी कमर और कूल्हे पर रेंग रहे थी और फिर सरकाता हुआ नीचे आया और पेट के ऊपर से पल्लू हटा कर अपना मुंह सीधा उसकी गुदाज चर्बीदार नाभि पर दे दिया और सुनीता एकदम से अकड़ गई : ओह्ह्ह्ह उम्ममम रुकिए न , बाउजी बगल में है अह्ह्ह्ह्ह


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रंगी ने एक न सुनी और जीभ निकाल कर उसकी गुदाज नर्म नाभि पर गिराते हुए नाभि के नीचे का मास चबाने लगा जिससे सुनीता एड़ियों के बल उठने लगी और उसके ऐसा करते ही रंगी ने अपने दोनों पंजे उसके गोल मटोल चूतड़ों पर जमा दिया और उन्हें दबोचने लगा
सुनीता की हालत खराब हो रही थी कि इतने में बबीता की आवाज दोनों के कानों में पड़ी , सुनीता को याद आया कि उसे अभी राजेश को भी खाना परोसना है । और वो झट से रंगी से अलग होती हुई कमरे से भाग गई और रंगी अपने मुंह पोछता हुआ हसने लगा उसका लंड अभी तक तना हुआ था ।

जारी रहेगी
Jabardast Update :party1::party1:
 

Raj Kumar Kannada

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मदन उसके कमरे में आया था और उसी ने ममता को चादर उढ़ाई है ।


ये कौन से अपडेट में है ?

मिल नहीं रहा मुझे
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मदन उसके कमरे में आया था और उसी ने ममता को चादर उढ़ाई है ।


ये कौन से अपडेट में है ?

मिल नहीं रहा मुझे
ये सीन अभी तक लिखा नहीं गया है
हो सकता है आगे चीजें रिवील हो या नहीं भी हो
 

Raj Kumar Kannada

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ये सीन अभी तक लिखा नहीं गया है
हो सकता है आगे चीजें रिवील हो या नहीं भी हो
Bhai Story going very slow any special reason
 

insotter

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💥 अध्याय:02💥
UPDATE 012


चमनपुरा

" अच्छा ये वाली पहन ले बेटा , काली वाली "
" हा ठीक है इसी को प्रेस कर दो मै नहाने जा रहा हूं"

अनुज ने अपनी मां के पास खड़ा होकर : क्या हुआ ?
रागिनी : अरे वो तेरे पापा के दोस्त है न ठाकुर साहब
अनुज : हा ?
रागिनी : तो राज को उनके यहां एक पार्टी में जाना है इसीलिए इतना हड़बड़ाया हुआ है
अनुज : क्या सच में ? पार्टी?
रागिनी अनुज को खिलता देख कर : हा लेकिन तुझे नही जाना, मै घर में अकेली नहीं रहने वाली सारी रात बोल देती हूं
एकदम से अनुज की आंखे चमकी और वो खुश होकर अपनी मां को बगल से हग करने लगा : मै नहीं जाने वाला आपको छोड़ कर अकेले , भैया जाए तो जाए

रागिनी ने आंखे महीन कर उसे घूरा : अच्छा बेटा , तेरे दिल में पार्टी के नाम पर जो फुगे फूटते है न बचपन से जानती हूं, चल छोड़ मुझे।
रागिनी अपने कमरे में आई और राज के कपड़े प्रेस करने लगी

अनुज भी उसके पीछे आकर बिस्तर पर बैठ गया
रागिनी : बैठा क्या है ? पढ़ाई नहीं करनी ?
अनुज : मम्मी यार , कल संडे है कल कर लूंगा न
रागिनी : जब तक तेरे पापा नहीं है , खूब मस्ती कर ले , आयेंगे तब तेरी खबर लेंगे और एग्जाम में कम नंबर आए तो बताएंगे

तबतक राज कमरे में दाखिल हुआ : ये तो पक्का फेल है मम्मी इस साल
अनुज ने घूर कर अपने भैया को देखा जो नहा कर तौलिया लपेटे कमरे में आया था बनियान पहने हुए ।

राज ने हस कर उसको देखा और अपने मा को दो चूड़ी और कसते हुए : मम्मी पता है , वो मेरा दोस्त है न बंटू

रागिनी : हा वो विजई का बेटा , क्या हुआ
राज : कुछ नहीं , वो बता रहा था अनुज कालेज जाते समय रोज पुलिया पर रुकता है
राज ने अनुज को आंख मारी और अनुज की हालत सन्न
रागिनी ने एकदम से अनुज को घूरा : तू पढ़ने जाता है कि पुलिया पर घूमने
अनुज की हालात खराब थी
राज हस कर उसके मजे लेता हुआ : और पता है मम्मी , वहां कैसे कैसे स्टूडेंट रुकते है
अनुज एकदम से तैस में आकर : हा बताओ , मै भी जानू
रागिनी उसको देख कर चौकी : अरे अब क्या लड़ाई करेगा ,भैया से ?
अनुज एकदम से शांत ही गया और उदास भी थोड़ा

राज उसका उतरा हुआ मुंह देख कर हंसता हुआ : मम्मी वहां न गोरी गोरी लड़कियां रुकी होती है , और इससे फोटो खिंचवाती है हाहाहाहाहा

अनुज की हालत पतली हो गई
रागिनी ने अचरज से अनुज को देखा उसको देख कर ऐसा लग रहा था कि अगर उसने जरा भी डांट लगाई तो रो ही पड़ेगा
रागिनी : क्या ? फोटो खींचता है ? बड़ा होकर कैमरा चलाएगा क्या ?
अनुज : नहीं मम्मी , भैया झूठ बोल रहे है
राज : लगाऊं फोन बंटू को
अनुज एकदम से चुप हो गया

रागिनी अनुज को इस हसी ठिठौली में अकेला देख कर उसकी तरफ से बोली : अरे सिर्फ फोटो ही खींच रहा था कि एक फोटो साथ में भी लिया उनके
अनुज और राज दोनों चौके ?
राज फिर मुस्कुराने लगा
रागिनी राज को कपड़े देते हुए बोली: बोल न
अनुज आंखे उठा कर अपने मां को देखा और फिर राज को घूरते हुए : हा सेल्फी ली थी
रागिनी : तो दिखा फोटो ?
अनुज : मेरे पास कहा मोबाइल है , उनलोगों के पास होगा । मै इंस्टाग्राम पर मंगवा लूंगा तो दिखा दूंगा
रागिनी: अच्छा ठीक है दादा , अब तू क्या दांत फाड़ रहा है जा तैयार हो ले । खबरदार मेरे बच्चे को तंग किया तो ? दिखता नहीं अभी पटाने के लिए पीछे पड़ा है
रागिनी एकदम से खिलखिलाई और राज को ताली दे मारी और राज भी ठहाका मारकर हस पड़ा ।
अनुज उखड़ कर : मम्मी यार , आप भी मजे लेलो
रागिनी हस कर उसके पास गई और उसे बाल सहलाती हुई : मजे नहीं ले रही , मै तो कह रही हूं पढ़ाई छोड़ और शादी कर ले हीहीही , घर में बहु आ जाएगी तो मुझे भी बड़ा आराम ही जाएगा ।
अनुज एकदम से आंखे महीन कर अपनी मां को घूरा तो रागिनी समझ गई कि अब मजाक ज्यादा हो रहा है और वो धीरे से सरक ली ये बोलते हुए राज तैयार हो जाए ।

रागिनी के जाते ही अनुज राज पर बिफर पड़ा: ये क्या बोल रहे थे मम्मी को आप
राज हंसता हुआ अपने शर्ट के बटन बंद करता हुआ : क्यों क्या हो गया भाई , जब तुझे समझाया था कि परीक्षा आ रही है तू पढ़ाई पर फोकस कर लेकिन तू है कि समझ नहीं रहा है । लड़कियों के पीछे लगा है।
अनुज: भैया मै नहीं , वो लाली .. वो ही लगी रहती है तो क्या करूं?
राज अचरज से : अच्छा वो लाली थी ?
अनुज भौहें टाइट कर राज के पीछे खड़े होकर शीशे में उसको आवाज बाल बनाते देखता हुआ : तो फिर आपको नहीं पता था
राज हस कर : नहीं ये तो नहीं पता था कि वो लाली थी , नहीं तो कसम से भाई मम्मी के आगे नाम भी लेता
अनुज : हूह ,अब मम्मी को फोटो दिखाने पड़ेगी न
राज : दिखा दे , होने वाली बहु है आखिर उनकी हाहाहाहाहा
अनुज पैर पटकने जैसा होकर : भैया , यार आप भी मजे मत लो । आप तो मेरा टेस्ट जानते हो न

राज : अबे इतना भी क्या भाव खा रहा है , कितनी प्यारी है और अभी उम्र कम है वो भी बड़ी होगी किसी रोज और उसके भी हाहाहाहाहा
अनुज को राज की आखिर की बाते पसंद नहीं आई , जैसे लाली के लिए एकदम से पोजेसिव होने लगा था ।

राज उसका उतरा मुंह देख कर : बेटा , प्यार तो तू भी करता है बस मानता नहीं है
अनुज एकदम से चौक गया : नहीं ऐसा कुछ नहीं
राज : चल चल ठीक है , आ गेट बंद कर ले

राज और अनुज घर के बाहर गेट तक आए
अनुज धीरे से : भैया बहुत मन कर रहा है , कितने दिन हो गए मौसी को गए
राज : हा तो मेरे पास कोई फैक्टी क्या चूत की , भाई मै भी तरस ही रहा हूं
अनुज : चाची पर ट्राई .....
राज की आंखे चमक उठी : देख रहा हु बहुत तेजी से बदल रहा है उम्मम, वैसे तेरी चॉइस की तो लगती नहीं चाची क्यों ?
अनुज थोड़ा शर्मा कर हंसता हुआ : अरे ऐसा नहीं है , कितनी सेक्सी लगती है और उनके दूध कितने मोटे और गोल है ।
राज : लेकिन तुझे तो बड़ी ( धीरे से उसके कान में ) गाड़ वाली पसंद है न
अनुज : हा लेकिन चाची में कोई बुराई थोड़ी है , अब सबकी बुआ और मौसी जैसी तो नहीं रहेगी न
राज मुस्कुरा कर अपने लंड में उठते जज्बात को पेंट के ऊपर से दबाता है : बस कर भाई , मुझ जाने नहीं देगा क्या । मौसी और बुआ की बात मत छेड़
अनुज हसने लगा : ओके आप जाओ और रात में वापस आओगे क्या ?
राज : नहीं
अनुज कुछ सोच कर : ठीक है जाओ
राज वहा से निकल गया अपना लंड सेट करता हुआ एक ईरिक्शा पकड़ कर वही अनुज खुश होकर गेट अच्छे से बंद कर दिया और घर में आने लगा ।
अनुज की खुशी का ठिकाना नहीं था , आज पहली बार वो और उसकी मां घर में अकेले थे और उसपे से रागिनी ने सोनल के कपड़े ट्राई करने को कहा था ।
अनुज : मम्मी , मम्मी ??
रागिनी अपने कमरे से आती हुई : हा क्या हुआ बेटा
अनुज एकदम से अपनी मां को ब्लाउज पेटीकोट में देखा , जो शायद नहाने की तैयारी करने वाली थी ।


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अनुज : क्या करने जा रहे हो
रागिनी : बेटा सीने और पीठ में बहुत खुजली हो रही है , पानी गर्म है नहाने जा रही हूं

अनुज नजरे इधर उधर करता हुआ कमरे में देखा तो रागिनी ने एक नाइटी निकाल रखी थी : ये पहनोगे क्या नहा कर ?
रागिनी : हा क्यों ?
अनुज मुंह बना कर : फिर दीदी वाले कपड़े ?
रागिनी अपना माथा पकड़ ली और हस्ते हुए : अरे वो कल पहन लूंगी , जल्दी क्या है ?
अनुज : अरे घर में भैया भी नहीं है इसलिए बोला
रागिनी भौहें चढ़ा कर : उससे क्या मै डरती हूं
अनुज : नहीं वो, कही वो पापा से कह न दे इसलिए
रागिनी : तो क्या मै तेरे पापा से डरती हूं
अनुज : अरे यार , भक्क
रागिनी हस्ती हुई : अच्छा ठीक है बाबा चल देखती हूं उसके कपड़े चल

फिर दोनों ऊपर जाने लगे और अनुज एकदम से खुश हो गया ।

वही अमन के घर ममता की आंख अपनी बिस्तर पर खुली और जैसे ही उसे होश आया एकदम से वो घर में मदन के होने और दरवाजा भीडके होने के त्वरित ख्याल से चौक कर उठ गई । असल हालत उसकी तब खराब हुई जब उसने पाया कि उसके देह पर चादर पड़ी थी ।
ममता शर्म ने अपना माथा पकड़ ली , उसकी दिल की धड़कने तेज हो गई और उसे समझते देर नहीं लगी कि मदन उसके कमरे में आया था और उसी से उसे चादर उढ़ाई है ।
ममता को थोड़ी हंसी भी आ रही थी और बहुत सारी शर्मिंदगी , ओर उससे भी ज्यादा झिझक कि वो कैसे खाना बनाने जायेगी और मदन का सामना करेगी ।

उसने आस पास देखा और अपनी नाइटी पहनी , हल्की सिहरन सी हो रही थी तो उसने एक साल लेकर कमरे से बाहर निकल कर बाथरूम में चली फिर हाल में आने लगी कि उसे कुकर की सीटिया सुनाई देने लगी ।
मसाले की महक से ममता को समझते देर नहीं लगी कि मदन आज नॉनवेज बना रहा था।
ममता धीरे धीरे हाल में आई और किचन में उसे काम करते हुए देखा , मोबाइल पर मदन किशोर कुमार की रोमांटिक गाने चल रहे थे जिन्हें वो गुनगुना रहा था और सहसा उसकी नजर ममता पर गई ।

मदन ने जरा भी जाहिर नहीं होने दिया कि कुछ देर पहले वो ममता को किस हाल में देखते हुए आया : अरे भाभी उठ गई क्या ? पैर ठीक है अब

ममता शर्म से हुंकारी भर कर फीकी मुस्कुराहट से जवाब दी
मदन चहकता हुआ : खाना लगभग तैयार है , भाभी आप बैठ जाओ
ममता : और आप ?
मदन एकदम से रुक गया और मुस्कुराने लगा : वो भाभी , अगर बुरा न मानो तो । मेरा आज मूड था पैग बनाने का
ममता तो तभी समझ गई कि आज मदन अपनी बोतल खोलेगा जब उसके नथुनों में नॉनवेज की खुशबू आई थी ।
ममता मुस्कुरा कर उसको तंग करने के इरादे से : भई मै तो जरूर बुरा मानूंगी
मदन चौक कर मोबाइल का गाना म्यूट करता हुआ : क्यों ?
ममता : भई आप अकेले अपना मौसम बनाएंगे और मुझे पूछेंगे भी नहीं तो बुरा लगेगा ही न
मदन चौक कर : क्या भाभी ? आप ..
ममता हंसते हुए गालों से : हा क्यों ?
मदन एकदम से हड़बड़ाने लगा : नहीं नहीं भइया को पता चला तो , नहीं
ममता मुस्कुरा कर : वैसे आप बहुत कुछ ऐसा कर चुके है जिसके बारे में आपके भैया को भनक नहीं होनी चाहिए क्यों ?
मदन एकदम से सकपका गया और वो समझ गया कि ममता का इशारा किधर है और वो अटकते हुए लहजे में : लेकिन भाभी , मै आपके सामने नहीं नहीं , मुझसे नहीं होगा
ममता : ओफ्फो देवर जी , अब मूड न बिगाड़िए
मदन आंखे फाड़ कर ममता को देखने लगा
ममता मुस्कुरा कर : वैसे ही सर्द रात है , तो थोड़ी गर्माहट रहेगी
मदन मुस्कुराने लगा : वैसे अपने कभी पहले ट्राई किया है ?
ममता मुस्कुरा कर हा में सर हिलाया : लेकिन किसी से कहिएगा मत
मदन की आंखे चमक उठी : कब ?
ममता : वो शादी के पहले की बात थी , मेरी सहेली के भैया फौज में तो बस एक ढक्कन , हा सिगरेट बहुत बार
मदन आंखे फाड़ कर : क्या सिगरेट भी
ममता : लेकिन प्लीज इसके बारे में आपके भैया को पता न लगे
मदन ने आंखों ही मुस्कुराकर हुंकारी भरी
ममता : तो छत पर चले ?
मदन मुस्कुरा कर : जैसा आप कहें
ममता मुस्कुरा कर : वही चलते है हिहीही
मदन : बस भाभी 10 मिनट और लगेगा
ममता: ठीक है तब तक मै भी आपके भैया से बात करके उन्हें निपटा दूं , ताकि वो हमें डिस्टर्ब न करे
ममता की बात पर मदन को ताज्जुब हुआ लेकिन ममता के साथ हसने के सिवा उसके पास कोई और रिएक्शन नहीं शेष था ।

इधर मुरारी की घंटी बजी और मंजू की आंखे खुली और वो झट से मुरारी के कंधे से अलग हो गई । जो अभी तक चलती गाड़ी में ना जाने कब गहरी नींद में आ गई थी ।
मुरारी ने फोन उठा और कुछ बात चित हाल चाल लेकर फोन रख दिया

मुरारी : भाई ड्राइवर साहब, अगर आगे कोई बढ़िया होटल दिखे तो गाड़ी लगाइए , खाना खा लिया जाए , क्यों ?

मंजू ने हा में सर हिलाया और धीरे से बोली: मुझे फ्रेश होना है
मुरारी ने उसकी बात सुनी फिर : भैया थोड़ा देखते रहना

मुरारी : अगर ज्यादा तेज हो तो गाड़ी साइड लगवा दूं
मंजू : क्या भक्क आप भी , ड्राइवर भी तो है ?
मुरारी : अरे गाड़ी से थोड़ा दूर हो जायेंगे न
मंजू : ठीक है करवाइए , अब
मुरारी : अरे ड्राइवर साहब थोड़ा गाड़ी एक किनारे लगाइए
ड्राइवर ने गाड़ी हाइवे के एक साइड में लगाई ।
रात के 8 बजने को हो रहे थे । सड़कों से गाड़िया तेजी से निकल रही थी और मंजू की साड़ी का आंचल संभालने में दिक्कत हो रही है ।

मंजू ने मूड कर मुरारी की ओर देखा : किधर चले
मुरारी : अरे आगे चलो अभी
करीब 50 मीटर दूर आने के बाद मुरारी ने मोबाइल की टॉर्च जलाई और वही हाइवे के पास लगे एक सुनसान जगह पर एक जगह प्लॉटिंग की गई थी , मुरारी को वही जगह साफ और सुरक्षित लगी
मुरारी : तुम जाओ मै खड़ा हु
मंजू ने हुंकारी भरी और हाइवे ने नीचे उतर कर 10 कदम गई होगी फिर वापस आने लगी
मुरारी की तरफ जाता हुआ : क्या हुआ
मंजू : मुझे डर लग रहा है , कोई सांप बिच्छू हुआ तो ?
मुरारी: तो अब
मंजू हिम्मत कर : आप भी चलो मेरे साथ
मुरारी थोड़ा रुक कर उसे देखा तो मंजू मुस्कुरा कर शर्माने लगी : भक्क चलो न
मुरारी हंसता हुआ उसके साथ चला गए और वही प्लॉटिंग वाली जगह के चारदीवारी के लास खड़ा होकर : हम्मम जाओ अब
मंजू ने अच्छे से मोबाइल की टॉर्च जलाई और देखने लगी और फिर मुरारी को देखकर : घूमों न उधर ?
मुरारी ने हसने लगा और अपनी टॉर्च बुझा कर खुद भी एक ओर खड़े होकर पेशाब करने लगा
हाइवे पर गुजर रही गाड़ियो की लाइट मुरारी के आधे देह पर आ रही थी मगर कमर के नीचे तक नहीं
मुरारी ने अपना लंड झाड़ कर वापस रख रहा था कि एकदम से मंजू चिहुकी: अम्मी
मंजू एकदम से उठ कर भागती हुई उसके पास आई
मुरारी उसको चीखता देख : क्या हुआ
मंजू : पता नहीं पैर पर कुछ रेंग रहा था
मुरारी ने झट से वहा टॉर्च मारी जहां मंजू ने पेशाब किया था और उस जगह की मिट्टी पूरी गीली हो थी , जहां तक पेशाब फैला हुआ था ।
मंजू को शर्म आ रही थी जिस तरह मुरारी उसके पेशाब किए हुए जगह पर टॉर्च जला कर देख रहा था ।
मंजू : छोड़िए न चूहा रहा होगा , चलिए चलते है
मुरारी की नजर और टॉर्च अभी भी उस गीली मिट्टी को देख रहे थे : हा चलो
वापस दोनों गाड़ी में आ गए और गाड़ी निकल पड़ी , और कुछ ही देर में मंजू को अपने बुर के पास हल्की खुजलाहट होने लगी , क्योंकि उसने पेशाब करके पानी से उसे धुला नहीं था ।
उसकी जांघें कचोट रही थी और उसके चेहरे पर बेचैनी हो रही , रह रह कर वो अपने बुर के पास हाथ ले जाकर उसे खुजाती
मुरारी की नजर का रुकने वाली थी और उसने धीरे से उसके कान में बोला : क्या हुआ ?
मंजू एकदम से सकपकाई और थोड़ा चुप रही। लेकिन मुरारी वैसे ही झुका हुआ उसके जवाब की प्रतिक्षा में था तो मजबूरन उसे बोलना ही पड़ा : तो करने के बाद धूली नहीं तो खुजली ...
मुरारी : कहो तो फिर से गाड़ी रुकवा दु
मंजू फुसफुसा कर : नहीं , वो क्या सोचेगा ?
मंजू का इशारा ड्राइवर की ओर था
मुरारी कुछ देर चुप रहा है और फिर धीरे से उसके कान में बोला : मेरे पास एक आईडिया है ?
मंजू अचरज से उसकी ओर देख कर : क्या ?
मुरारी : एक बार ऐसे ही अमन की मां के साथ हुआ था , लेकिन तब हम बस में सफर कर रहे थे और रात का समय था । तो मैने उसे अपनी रुमाल पानी में भिगो पर दी और फिर उसने अपने आप को चादर से ढक लिया था और फिर नीचे उस गिले रुमाल से साफ किया था । रात का समय था तो किसी को कुछ पता नहीं चला
मुरारी का आईडिया सुनते ही मंजू भिनकी: धत्त क्या आप भी ,
मुरारी : सच कह रहा हूं , कहो तो ममता को फोन लगाऊं
मंजू : नहीं उसकी जरूरत नहीं है
मंजू को फिर से चुनचुनाहट हुई बुर में

मंजू ने इशारे से : लाइए
मुरारी : एक मिनट रुको
फिर वो अपने बैग से एक ओढ़ने वाली चादर निकाला और फिर उसे मंजू और अपने ऊपर ओढ लिया
फिर धीरे से अपने जेब से रुमाल निकाल कर अपने पैर के पास ही बोटल वाली पानी से उसको अच्छे से भिगोया और फिर चादर के नीचे ही उसने मंजू को थमा दिया ।
मंजू ने चादर के नीचे अपनी साड़ी उठाने लगी , मुरारी कभी ड्राइवर को देखता तो कभी मंजू के चेहरे को तो कभी चादर के ऊपर से उसमें चल रही हरकत को आंकता और तभी उसने मंजू के चेहरे पर एक गहरी शांति देखी , उसकी आंखे बंद हुई मानो उसके चूत को कितनी ठंडक मिली हो ।वही मुरारी इस खुमारी में अपना लंड खंड चादर में भींच रहा था कि जल्द ही मंजू की चूत के रस से सना हुआ रुमाल उसके हाथ में होगा ।
लेकिन उसके सपनो का आशियाना तब टूट गया जब मंजू ने धीरे से रुमाल कार से बाहर फेक दिया

मुरारी को एकदम से झटका लगा: अरे फेक क्यों दिया ?
मंजू भौहें टाइट कर : तो क्या करोगे उसका अब, गंदा हो गया था
मुरारी : अरे घर पर धुला जाता न
मंजू शर्माती हुई : भक्क, तो क्या आप वो रुमाल यूज करते
मुरारी : अरे धुलने के बाद क्या दिक्कत थी उसमें भला
मंजू: धत्त बहुत गंदे हो आप
मुरारी : तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे कभी तुम्हारे अंदर के कपड़ो में पेशाब नहीं लगा हो
मंजू शर्म से झेप गई और हसने लगी : अरे लेकिन उसने और इसमें फर्क है न , वो तो नीचे ही रहता और इससे आप मुंह पोछते
मुरारी हस कर : एक ज्ञान की बात कह रहा हु सुन लो
मंजू ताजुब से उसकी ओर गई : हा बोलो
मुरारी उसके पास जाकर : मर्द कपड़ों में भेद नहीं करते , मैने अमन की मां की साड़ी, पेटीकोट , दुपट्टे सबसे हाथ मुंह पोछा है
मंजू को उसकी बात पर हसी आ रही थी और वो हस्ते हुए : हा लेकिन , अंदर गारमेंट से तो नहीं न
मुरारी : पोंछ तो लू, लेकिन वो पहने तो न हिहीही
मंजू एकदम से लजा गई : धत्त
मुरारी : सच में , मैने खुद उसे कितनी बार तौलिया न मिलने मेरे बनियान और अंडरवियर से मुंह हाथ पोंछते देखा है
मंजू हैरत से : सच में ?
मुरारी : इसमें बुरा ही क्या है ? धुलने के बाद साफ ही रहता है न
मंजू सीधी होकर मुस्कुरा लगी
मुरारी उसको ओर झुक कर : और इसमें मेरा ही फायदा होता है
मंजू : फायदा कैसा ?
मुरारी : मेरे कच्छे की खुशबू से उसका मूड हो जाता है और फिर ...
मंजू : धत्त कितने गंदे हो आप भैया
मुरारी हसने लगा तो मंजू भी खुद को हसने से रोक नहीं

शिला के घर

किचन में शिला और रज्जो खाना बना रही थी और इतने में रामसिंह दोनों को देख कर दाखिल हुआ ।
रामसिंह : उम्मम बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है भाभी , अह क्या बना रही हो
शिला : लो आ गए लार टपकाने
रामसिंह ने एक नजर इतराती हुई रज्जो को देखा और आंख मार कर शिला के बगल में खड़े होकर उसके गर्दन के पास अपने नथुनों में सास भरता हुआ बोला: उम्मम भाभी खुशबू इतनी मस्त आ रही है तो मुंह में पानी आयेगा ही
रज्जो आँखें नचा कर : दीदी मै तो कह रही हूं पहले इन्हें ही परोस दो , इनके भैया बाद में भी खा लेंगे
रामसिंह : और क्या ? भइया ने तो शाम को कुछ नाश्ता किया ही होगा , मै तो सुबह से भूखा हूं
शिला मुस्कुरा कर : अरे भाई , कम्मो को बुला लो ऊपर से सब साथ में खाते है न
रज्जो रामसिंह की आंखों में देख कर शरारती मुस्कुराहट से : कम्मो को मै बुला लाती हूं तब तक इनको कुछ देदो
रज्जो मटकते हुए ऊपर निकल गई और जैसे ही जीने से ऊपर पहुंचने को हुई एकदम से ठिठक गई , सामने खिड़की से अरुण कम्मो के कमरे में झांक कर रहा था ।

रज्जो की समझते देर नहीं लगी जिस तरह से अरुण के हाव भाव थे और उसका हाथ पेंट के ऊपर था ।
रज्जो दबे पाव गई और उसके पीठ पर थपथपाया तो वो एकदम से सन्न रह गया और घूम कर रज्जो को देखा तो सिट्टी पिट्टी गुम ।
रज्जो ने एक नजर खिड़की के भीतर झांका तो उसकी आंखे फेल गई , अंदर कम्मो कपड़े बदल रही थी , लेकिन रात के इस प्रहर में उसे कपड़े बदलने का समय अजीब लगा । रज्जो अभी उलझी हुई थी कि इतने में अरुण तेजी से जीने की ओर भागा बिना कुछ बोले सरपट ,रज्जो ने उसको रोकना चाहता मगर अरुण तेज निकला ।
रज्जो ने अंदर झांका तो कम्मो अपनी ब्लाउज उतार कर सिर्फ पेटीकोट में थी और आलमारी से कपड़े निकाल रही थी ।
रज्जो धीरे से दरवाजा खोला और मुस्कुरा कर : ऐसे खुला रखेगी तो किसी रोज डाका पड़ जाएगा
रज्जो की आवाज सुनकर कम्मो एकदम से चौकी और अपनी नंगी छतिया हाथों से ढकने लगी : हाय दैय्या, भाभी आप ?
उसकी सांसे तेज थी, उसके गोरे जिस्म और नंगे पेट , पतली कमर बड़े बड़े रसीले मम्में हाथों से छुपाने में नाकाम
रज्जो मस्ती भरे लहजे में : अरे तुम तो ऐसे डर गई , मानो तुम्हारे जेठ आ गए हो
कम्मो लजाई: क्या भाभी जी आप भी
रज्जो : तो मुझसे क्या छुपा रही हो उम्मम
कम्मो शर्म से लाल होती : नहीं वो , बस ऐसे ही
रज्जो : अरे मेरे जितने बड़े भी तो नहीं है , या फिर है ? देखूं तो
रज्जो आगे बढ़ी
कम्मो खिलखिलाई और घूम गई अपने नंगे चूचों को पकड़े हुए : धत्त भाभी , नहीं
रज्जो ने पीछे से उसकी नंगी पीठ और कूल्हे पर उठे चौड़े उभार देख कर धीरे से एक उंगली उसकी नंगी पीठ ऊपर से नीचे पेटीकोट की डोरी तक रीढ़ पर सांप की तरह रेंगती हुई : उफ्फ तुम तो बड़ी कातिल चीज हो कम्मो

रज्जो के स्पर्श से कम्मो सिहर उठी : सीईईई भाभी , धत्त
और वो झट से उसने एक नाइटी उठाई और अपने ऊपर डालने लगी, इस दौरान रज्जो को पल भर के लिए कम्मो के खरबूजे जैसे गोल चूचों की झलक मिली जिसके भूरे निप्पल पूरी तरह टाइट हो गए थे ।
कम्मो का हाथ और सर नाइटी में था और वो कुछ देर के लिए उलझी थी और मौका पाते ही रज्जो ने धीरे से उसके चूचे पर हथेली घुमाई : उफ्फ कितनी कसी है यार
कम्मो एकदम से गिनगिनाई और उससे दूर होकर जल्दी से अपनी नाइटी नीचे करली : उम्मम धत्त भाभी , दीदी सही कहती है आप बहुत वो हो
रज्जो : तुम्हारी दीदी भी कम थोड़ी है उम्मम
कम्मो मुस्कुरा कर : उन्होंने क्या किया
रज्जो : खुले आम , देवर को खाना परोस रही है किचन में
कम्मो उसके मजाक कर हसने लगी : धत्त आप भी न
रज्जो : और क्या , मै खुद देखा है
कम्मो मुस्कुरा कर अपने बाल सही करती हुई : अरे भाभी है उनकी , हक है उनका कि अपने देवर को परोसे , कही आपका इरादा तो नहीं था अरुण के पापा को परोसने का
रज्जो हस्ती हुई : मै तो परोस दूं , लेकिन मुआ मेरा आंचल बड़ा ने बेईमान है
कम्मो एकदम से रज्जो के मजाक पर झेप गई: अरे , भक्क आप भी न
रज्जो : और क्या खाना छोड़ कर मुझपर टूट पड़े तो , रमन के पापा तो कई बार ऐसा कर चुके है , मर्दों की भूख बदलते देर नहीं लगती
कम्मो हस्ती हुई कमरे से बाहर निकलने लगी और रज्जो भी उसके साथ : हिहीही भाभी , अब बस करो , हम नीचे आ गए है शीईईई

रज्जो : लो देख लो ,मै न कहती थी कि मर्दों की भूख बदलते देर नहीं लगती
कम्मो एकदम से चौक कर किचन में देखा तो रामसिंह शिला को पीछे से पकड़ कर उसके चूतड़ों में अपना लंड निकाल कर दबा रहा था और उसके दोनों पंजे शिला के ब्लाउज के ऊपर से उसकी मोटी चूचियां मिज रहे थे ।


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रज्जो : भाभी में आधा होता है , लेकिन लग रहा है नंदोई जी बड़ी साली वाला हक भी जोड़ रहे है हीही
कम्मो तुनक कर : भक्क भाभी , आपको मजाक लग रहा है । मुझे चिढ़ हो रही है कि दीदी हर बार मेरा हक मार लेती है
रज्जो : अरे तो रोका किसने है , जाओ छिन लो अपने दीदी के मुंह से इससे पहले कि सारी मलाई वो गपुच कर जाए
रज्जो के कहने की देरी थी कि कम्मो तेजी से चलती हुई किचन में गई
कम्मो कमर पर हाथ रखे हुए : ये क्या है दीदी ?
शिला : तू ऐसे क्यों भड़क रही है
कम्मो भूनकती हुई : सारा दिन जीजू को निचोड़ ली और अब इन्हें भी , मेरा क्या होगा
शिला खिल कर : तो तू भी आजा
रामसिंह मुस्कुरा कर उसको पकड़ कर अपने पास खींच कर उसके लिप्स चूसता हुआ : उम्मम मेरी जान नाराज मत हो
कम्मो एकदम से कातिल मुस्कुराहट देते हुए उसका लंड पकड़ कर उसके लिप्स चूसने लगी और ठीक अपने दीदी के बगल में बैठ कर शिला से पहले ही लंड को मुंह में ले लिया और रामसिंह मानो हवा में उड़ने लगा
इधर रज्जो इनकी बेशर्मी देख कर पागल होने लगी , उसकी जांघों में सरसराहट होने लगी और चूत के पास कुलबुलाहट सी उठने लगी ।

वही दोनों बहने बारी बारी से रामसिंह के लंड को चूसने लगी
रामसिंह : उफ्फ कम्मो तेरी टाइमिंग कमाल की है , अह्ह्ह्ह रज्जो भाभी की तो नजर ही नहीं हट रही अह्ह्ह्ह्ह
शिला : सच में , लेकिन उसकी वजह से तुम्हारे लंड में गजब का कड़कपन आया है उम्ममम
रामसिंह : तो चूसो न भाभी अह्ह्ह्ह उम्ममम सक इट ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह

इधर दोनों बहने भूखी शेरनी की तरह टूटी हुई थी और वही रज्जो की हालत खराब हो रही थी ऐसे में कब मानसिंह धीरे से उसको पीछे से पकड़ लिया और वो एकदम से चौकी

: अह्ह्ह्ह्ह आप है क्या ? उम्मम देखो तो कैसे भूखी शेरनी की तरह टूटी है दोनों अह्ह्ह्ह्ह
मानसिंह : क्यों कही तुम्हारी इच्छा तो नहीं ज्वाइन करने की
रज्जो ने हाथ पीछे करके मानसिंह के का लंड पजामे के ऊपर से जड़क लिया और उसको भींचती हुई : अह्ह्ह्ह्ह तो आपका क्या होगा उम्मम ,
मानसिंह हाथ बढ़ा कर उसके बड़े रसीले मम्में दबोचता हुआ : अह्ह्ह्ह्ह रज्जो मेरी जान , मै आज तक तुम्हारे जैसी गर्म औरत नहीं देखी अह्ह्ह्ह

तभी रज्जो की नजर अरुण के कमरे के दरवाजे पर गई और उसने अपने जगह से हटना जरूरी समझा : कमरे में चलो , आज आपको असल रूप दिखाती हूं
और रज्जो अरुण के कमरे पर नजर रखे हुए वापस मानसिंह के साथ उसके कमरे में चली गई ।

प्रतापपुर

" अब शर्माना छोड़िए भी जमाई बाबू, मै भी मर्द हु खूब समझता हूं अपने जात की दुखती रग को " , बनवारी ने रंगी को छेड़ते हुए ठहाका लगाया ।
रंगी थोड़ा मुस्कुरा कर : अब क्या करें , बाउजी वो चीज ही ऐसी है कि चाह कर भी निगाहे चल जाती है और फिर

रंगीलाल ने देखा उसका ससुर उसके आगे बोलने की राह देख रहा है
रंगी मुस्कुरा कर : आज दो रोज हो गए , सोनल की मां से दूर हुए तो वो तड़प महसूस भी हो रही है । उसपे से आपका तंबाकू हाहाहाहाहा

बनवारी हंसता हुआ : जमाई बाबू , मै कह रहा हूं न, थोड़ा सा... अरे मै इजाजत दे रहा हूं, अब तो मान जाइए
रंगी का लंड अकड़ रहा था और वो उसको पकड़ कर अपनी मुठ्ठी में भींचते हुए : बाउजी , मुझे लालच मत दीजिए कल को बहक गया या आदत बिगड़ गई तो ? मुझे डर लगता है और फिर कही रागिनी को भनक लगी तो?

बनवारी उसके जांघ पर हाथ रख कर : तुम बड़े भोले हो जमाई बाबू , तुम्हारी जगह अगर अभी कमल बाबू होते तो ....

रंगी हस कर : हा , कमल भाई है भी थोड़े रंगीन मिजाज के ?
बनवारी : थोड़े ? हाहाहाहाहा अरे जमाई बाबू उन्होंने तो बस 2 घंटे में ही बात शुरू की और काम भी फाइनल कर दिया
रंगी अचरज से : कैसे और किसके साथ ?
बनवारी हस कर : वैसे ये राज की बात है , आपके और हमारे बीच ही रहे रज्जो या छोटकी तक न जाए
रंगी ने उसकी ओर झुक कर बिना आवाज ने हुंकारी भरी
बनवारी उसके पास आकर : ये सब मैने सोनल बिटिया की बारात में देखा था , वो तुम्हारे संबंधी है न मुरारीलाल ,
रंगी : हा !
बनवारी : अरे उनकी बड़ी बहन , क्या खूब चुस्त ब्लाउज़ पहनी थी और बड़े बड़े दूध , एक बार को मेरी भी नजर उसकी शरारती निगाहों से जुड़ी थी और मै उस छिनाल को भांप गया । तभी देखा कि कमल बाबू और उसके बीच कुछ तो खिचड़ी पक रही है , तो मैने इनका पीछा किया इधर वरमाला के बाद सब खाना पीना कर रहे थे तो ये दोनों वो बगल वाले घर में घुसे थे और पूरी तरह से नंगे होकर मजे कर रहे थे ।
रंगी का हलक सूखने लगा और उसका लंड पजामे में तंबू बना चुका था : उफ्फ बाउजी , वैसे मुरारी भाई की बहन है बड़ी कटीली चीज ,सीने से पल्लू कब सरक जाए पता नहीं चलता

बनवारी : वही तो ?
कमलनाथ : लेकिन बाउजी आपको नहीं लगता कि कमल भाई ने रज्जो जीजी को पर्दे में रख कर गलत किया ।
बनवारी : अरे भाई , जब चूत की तलब होती है तो उसमें सही क्या गलत क्या ? जैसे आप तड़प रहे है उन दिनों रज्जो बिटिया भी शादी के कामों के कितनी बिजी थी , कमल बाबू भी तड़प रहे होगे , तो हो गया होगा इसमें क्या है ?
रंगीलाल बनवारी की बेफिक्री से खुश होकर : बात तो सही कह रहे बाउजी , शादी के दिनों में मेरी भी हालत कम खस्ता नहीं थी , सोनल की विदाई के बाद भी रागिनी ने हाथ नहीं लगाने दिया क्योंकि उस रात आप थे उसके कमरे में

रंगी की बात सुनकर बनवारी को वो रात याद आई जब रागिनी ने रंगी को मना कर वापस उसके लंड पर बैठने आई थी और वो थोड़ा असहज होकर : अरे जमाई बाबू , सच में अगर मुझे जरा भी भनक होती तो मै खुद निकल आता कमरे से

रंगी हस कर : क्या बाउजी आप भी , तब तो हम इतने अच्छे दोस्त भी नहीं थे हाहाहाहा
बनवारी : हाहाहाहाहा सही कह रहे हो जमाई बाबू , लेकिन अब तक दोस्ती का मान रख लो
रंगी : लेकिन बाउजी मेरी एक शर्त है ?
बनवारी : शर्त ?
रंगीलाल हस कर : जो भी करेंगे एक साथ करेंगे
बनवारी अचरज से रंगीलाल को देखा और मुस्कुराने लगा ।
तभी कमरे में सुनीता दाखिल हुई और दोनों सामान्य हो गए
सुनीता को देखते ही रंगी का मुंह बन गया था क्योंकि शाम के वादे को अभी तक सुनीता ने पूरा नहीं किया था ।
सुनीता : बाउजी खाना लाऊ ?
बनवारी : अह हा भाई लाओ क्योंकि ( दिवाल घड़ी को देखता हुआ ) दवा का भी समय हो रहा है

रंगी : हा बाउजी आप खा लीजिए , मुझे अभी भूख नहीं है ( उसने घूर कर सुनीता को देखा )
बनवारी : अरे भाई अकेले मुझे भी नहीं जमेगा , जब आप खायेंगे मै भी खा लूंगा , अभी रहने दो बहु
रंगी उसे समझता हुआ : अरे नहीं बाउजी , आप समय से खा लीजिए और आपको दवा भी लेनी है । मुझे भूख लगी तो कहूंगा , क्योंकि मुझे लेट से खाने की आदत भी है थोड़ी ।

बनवारी : अच्छा ठीक है , बहु मेरी थाली लेकर आ फिर
सुनीता मुस्कुरा कर रंगी को देखा तो रंगी ने मुंह बना कर उससे नजरे फेर ली , सुनीता समझ रही थी कि रंगी उसकी वादाखिलाफी से नाराज है ।

फिर वो कूल्हे हिलाती निकल गई
बनवारी : अरे जमाई बाबू , आप भी खा लेते तो खाली हो जाते
रंगी : आप फिकर न करे बाउजी , वैसे भी वो 10 बजे बाद ही आएंगी कही क्यों ?
बनवारी : हा बात तो आपकी ठीक है , चलो जैसी आपकी मर्जी
रंगी हस कर : और पहले आ गई तो उसको निपटा लेंगे खाना बाद में हो जाएगा हाहाहाहाहा
बनवारी हंसता हुआ : आप भी जमाई बाबू , हो तो पक्के खिलाड़ी लेकिन छिपाते बहुत हो ।
रंगी मुस्कुराने लगा और तभी सुनीता एक बार फिर कमरे में दाखिल हुई, खाना लेकर ।
उसने झुक कर बनवारी के आगे थाली रखी और पानी दिया

सुनीता वही खड़ी हो गई और बस एक टक रंगी को देखने लगी कि कब वो उसकी ओर देखे : और कुछ लाऊ बाउजी
जैसे ही सुनीता ने बोला , रंगी ने उसकी ओर देखा और सुनीता ने अपने मोटी मोटी छातियों से चुस्त पल्लू को आधे ब्लाउज तक ले आई


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जिससे उसकी एक चुची का पूरा मोटा फूला हुआ भाग उभर कर सामने आया और वो बड़े ही शरारती मुस्कुराहट से रंगी को देखी , एकदम से रंगी की आंखे चमक उठी ।

रंगी हड़बड़ा कर : बाउजी आप खाइए , मै थोड़ा कपड़े बदल लेता हूं
निवाला चबाते हुए बनवारी ने उसको हुंकारी भरी और रंगी बनवारी के कमरे से निकल कर अटैच दरवाजे से अपने कमरे में चला गया

इधर जैसे ही सुनीता कमरे से निकल कर किचन की ओर बढ़ी तो उसने बाहर वाले दरवाजे से लपक कर अपने कमरे में खींच लिया
और हच्च से सुनीता की गुदाज मुलायम छातियां रंगी लाल के सीने से जा लगी : अह्ह्ह्ह्ह सीईईई हाय दैय्या क्या करते है छोड़िए कोई देख लेगा
रंगीलाल ने दरवाजा भिड़का कर उसको अपने पास करते हुए : तुम कुछ ज्यादा होशियारी नहीं कर रही उम्मम
सुनीता मुस्कुरा कर उससे नजरे चुराने लगी तो रंगी उसका लोला पकड़ अपनी ओर मुंह करता हुआ दूसरे हाथ से उसके नरम चर्बीदार कूल्हे को मसलता हुआ : बहुत मस्ती सूझ रही है उम्मम
सुनीता : आपको भी तो आखिर वही चाहिए न


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रंगीलाल ने अगले पल उसके गर्दन के नीचे खुले सीने पर उंगलियां फिराते हुए : मै बताऊं मुझे क्या चाहिए उम्मम
सुनीता की सांसे चढ़ने लगी उसकी धड़कन तेज हो गई , जिस तरह से रंगी उसके पल्लू को सीने से हटाना चाह रहा था मगर कंधे पर लगी पिन उसे रोक रही थी और देखते ही देखते रंगी आगे झुक कर उसके ब्लाउज के गले के पास खुली जगह पर जहा से सुनीता की मोटी चूचियो की पहाड़िया शुरू हो रही थी अपने होठ रख दिए और सुनीता मचल उठी : अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम रुक जाइए न प्लीज
इस दौरान रंगी के हाथ उसकी नंगी कमर और कूल्हे पर रेंग रहे थी और फिर सरकाता हुआ नीचे आया और पेट के ऊपर से पल्लू हटा कर अपना मुंह सीधा उसकी गुदाज चर्बीदार नाभि पर दे दिया और सुनीता एकदम से अकड़ गई : ओह्ह्ह्ह उम्ममम रुकिए न , बाउजी बगल में है अह्ह्ह्ह्ह


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रंगी ने एक न सुनी और जीभ निकाल कर उसकी गुदाज नर्म नाभि पर गिराते हुए नाभि के नीचे का मास चबाने लगा जिससे सुनीता एड़ियों के बल उठने लगी और उसके ऐसा करते ही रंगी ने अपने दोनों पंजे उसके गोल मटोल चूतड़ों पर जमा दिया और उन्हें दबोचने लगा
सुनीता की हालत खराब हो रही थी कि इतने में बबीता की आवाज दोनों के कानों में पड़ी , सुनीता को याद आया कि उसे अभी राजेश को भी खाना परोसना है । और वो झट से रंगी से अलग होती हुई कमरे से भाग गई और रंगी अपने मुंह पोछता हुआ हसने लगा उसका लंड अभी तक तना हुआ था ।

जारी रहेगी
Bahut hi badhiya update mitra 👍☺️
 
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