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कुछ मेडिकल इमर्जेंसी की वजह से इन दिनों व्यस्त हूं दोस्तो और परेशान भी
समय मिलने पर अपडेट दिया जायेगा और सभी को सूचित किया जाएगा ।
तब तक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं
मुहल्ले में घुसते ही वहां की रौनक ने राज को चकाचौंध कर दिया , डीजे पर चलते एक से बढ़कर एक गानों ने माहौल पूरा हाइ रहा था। वहां पर कसबे से एक से बढ़ कर एक धन्ना सेठ और आए थे । कुछ अंजान चेहरे भी थे जिनसे राज कभी रूबरू नहीं हुआ था और उनमें से कुछ उसे पहचान थे उसके पापा के नाम से तो हाल चाल भी हुआ ।
तभी उसकी नजर संजीव ठाकुर पर गई और उसने पाव छू कर उन्हें नमस्ते किया
संजीव : अरे राज , आजा बेटा , भाई तुम्हारे पापा तो ससुराल में मजे ले रहे है हाहाहाहाहा
उनकी बातों से राज को थोड़ी झेप भरी शर्मिंदगी सी लगी मगर वो समझ रहा था कि संजीव ठाकुर नशे की जकड़ के आ रहा है धीरे धीरे और दूसरे हाथ अभी भी विस्की का ग्लास था ।पार्टी ऑलमोस्ट चालू ही थी , लोग खा पी रहे थे ।
राज : अंकल , आंटी जी कहा है ?
संजीव : अरे अभी वो रेडी हो रही होगी , जाओ अंदर देखो और बोलो सब राह देख रहे है
राज : जी अंकल
फिर वो वहां से निकल गया और पहली बार घर के बरामदे से अंदर दाखिल हुआ
अंदर तो और बड़ा सा हाल था जहां पहले से ही सेलिब्रेट करना का पुख्ता इंतजाम था, कुछ कैटरिंग स्टाफ थे और सोफे पर कुछ औरते भी बैठी थी शायद मेहमान रही होगी ।
राज नीचे का माहौल देख कर समझ गया कि इनका कमरा ऊपर नहीं हो सकता था और उसे कुछ धुंधला सा याद भी था कि एक बार सरोजा ने उससे जिक्र किया था वीडियो काल पर जब वो नशे में थी और उसने अपना पूरा घर दिखाया था ।
उसी धुंधली याद के सहारे राज ऊपर चला गया ,
शायद ऊपर आने की सभी को सख्त मनाही थी , तभी तो वहां एकदम से एक चुप सन्नाटा था । बस डीजे पर चल रही गाने की आवाज थी । पूरा घर झालर और लाइट्स से रोशन मानो किसी की शादी हो ।
राज इधर उधर देखता हुआ बड़ा ही संकुचित था मगर भीतर से उत्साहित भी जिस तरह से आज उसने ठकुराइन से बात की थी । इतनी बिंदास औरत से उसका लगाव होना जायज भी था और नए चूत की तलब से उसकी बेचैनी और बढ़ रही थी ।
मगर हिचक भी थी कि कही किसी गलत कमरे में न दाखिल हो जाए ,
तभी उसके कानों कुछ आवाजें आई
" अह्ह्ह्ह नहीं बाउजी देर हो जाएगी , अह्ह्ह्ह मान जाइए न "
" ओह्ह्ह बहु तुम्हारी ये चिकनी जांघें देख कर अब और रहा नहीं जायेगा अह्ह्ह्ह "
इन शब्दों को सुनते ही राज के कान खड़े हो गए और उसका लंड फड़कने लगा , उसके जहन वो याद ताज़ा हुई जब रुबीना ने इस बारे में जिक्र किया था कि ठकुराइन और उसके ससुर का चक्कर है ।
राज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था वो आस पास देखने के बाद धीरे से दरवाजे के पास पर्दो के बीच से झांका तो देखा कमरे में ठकुराइन पूरी तरह से सज धज कर तैयार है और बड़े ठाकुर ने उसे औंधे बिस्तर पर झुका रखा था और उसकी साड़ी उठा रहा था पीछे : ओह्ह्ह्ह बहु ये बाल हटाने के बाद तेरे चूतड़ कितने रसीले हो गए है उम्ममम
ठकुराइन बड़े ठाकुर के चुम्बन से सिहर उठी : अह्ह्ह्ह बाउजी जल्दी करिए, सब नीचे आ गए है । मालती के पापा फोन भी कर रहे है ।
तबतक बड़े ठाकुर ने अपना नाडा खोलकर अपने लंड को ठकुराइन की चूत पर लगाया और ठाकुराइन पगलाने लगी , उसकी आंखे उलटने लगी और देखते ही देखते एक जोर का झटका : ओह्ह्ह्ह बाउजी उम्मम कितना टाइट है अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह
बड़े ठाकुर : ओह्ह्ह बहु तेरी चूत की गर्मी मुझे पागल कर देती है , आज पार्टी के बाद तुझे लंबी सैर करूंगा अह्ह्ह्ह
राज आंखे फाड़ कर अंदर झाक रहा था और उसे लगा यही मौका है ठकुराइन को अपने जाल में फंसाने का और वो अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर रिकॉर्ड करना चाह रहा था कि किसी ने उसे पीछे से थपथपाया
राज एकदम से सन्न हो गया और पलट कर देखा तो उसके पीछे सरोजा खड़ी थी, खूबसूरत झिलमिलाती साड़ी में उसका अंग और निखर रहा था और उसने अपने मुंह पर उंगली रख कर चुप रहने का इशारा करते हुए उसे एक कमरे में ले गई ।
वहां जाते ही वहां की दिवाल पर सजावटी चीजों को देखकर राज समझ गया कि वो सरोजा का कमरा है और अगले ही पल सरोजा ने उसे अपनी ओर खींचा : आज कल तुम बहुत खोए से हो , भूल ही गए हो मुझे
राज ने एकदम से उसके चौड़े चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से मसलने लगा और उसके लिप्स चूसते हुए : तुम भूलने वाली चीज नहीं हो मेरी जान, मै तो तुम्हे ही खोज रहा था लेकिन यहां देखा तो अलग ही खेल चल रहा है अह्ह्ह्ह
सरोजा : उम्मम उन्हें खेलने दो अपना खेल , तुम अपना शुरू करो और वो अपने कंधे से साड़ी की पिन निकालने लगी
तो राज ने झट से उसके हाथ रोके और साड़ी के नीचे से उसकी चिकनी गुदाज कमर में हाथ डाल कर : सीईई रहने दो न अभी रात बाकी है खोलने के लिए, फिलहाल क्विकी से काम चला लेते है क्यों
सरोजा मुस्कुरा कर उसक लिप्स चूसने लगी : सीईईई कुछ भी करो बस भर दो मुझे कितना तड़प रही हूं अह्ह्ह्ह
राज उसके गर्दन पर चूमता हुआ : उम्मम तो बुलाया क्यों नहीं
सरोजा : जैसे तुम बड़े फ्री थे , अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म
राज उसकी साड़ी और पेटीकोट उठा कर उसके नंगे मोटे चूतड़ों को पंजों से नोचने लगा : सॉरी न मेरी जान उम्मम तुम्हारे गाड़ कितने मुलायम है सीईईई ओह्ह्ह
सरोजा सिहर कर आंखे बंद कर राज के दोनों पंजे अपने चूतड़ों पर महसूस कर रही थी और आगे से उसके पेंट में बना तंबू उसकी पेडू के पास ठोकरें मार रहा था ।
एकदम से राज ने उसे घुमाया और एक टेबल पर झुकाया और उसके साड़ी उठाते हुए उनके नंगे मोटे चूतड़ों को सहलाते हुए उसपे अपने पंजे जड़ने लगा : अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म यश उम्मम फक्क्क् मीइ राज ओह गॉड उम्मन
राज उसके जांघों के बीच अपने पंजे से उसकी गीली बुर को टटोलने लगा और दूसरे हाथ से अपना लंड पेंट से निकालने लगा
राज उसके चूचे ब्लाउज के ऊपर से मसलते हुए: योर डिश इज रेडी माय सेक्सू बेबी उम्मम गो
सरोजा समझ गई और घूम कर नीचे बैठ गई और देखते ही देखते राज का मोटा लंबा लंड आधा उसके मुंह में: ओह्ह्ह्ह येस उम्मम अह्ह्ह्ह्ह और चूसो उम्ममम तुम्हारी यही अदा ने मुझे पागल कर रखा अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई
सरोजा बड़ी शिद्दत से राज के टोपे को चुबला रही थी उसकी आंखे ही राज से बात कर रही थी और एकदम से वो उठी और अपनी साड़ी उठा कर कमर तक करते हुए बिस्तर पर घोड़ी बन गई
राज ने अपना पेंट पूरा नीचे किया और लंड को सीधा उसके बुर के फांके में लगाते हुए हचाक से उतार दिया : ओह्ह्ह्ह गॉड कितना गर्म है अह्ह्ह्ह सीईईईईई
सरोजा अपनी बुर में राज के मोटे टोपे को घुसता महसूस कर पागल होने लगी : ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई फक्क अह्ह्ह्ह्ह इतने इतने दिन तक नहीं आओगे तो आग लगेगी न आहे और तेज उम्मम ऐसे ही अह्ह्ह्ह्ह और उम्ममम फक्क्क् मीईईईई
राज : तुम्हे नहीं लगता कि तुम्हे एक और साथी की जरूरत है , जो रोज तुम्हारा ख्याल रखे
सरोजा राज का लंड महसूस करती हुई : तुम तो जानते हो न , बाहर के लोग भरोसे लायक नहीं हैं और शादी मुझे करनी नहीं है
राज का लंड कुछ सोच कर और फूलने लगा जिसका अहसास सरोजा को हुआ : अह्ह्ह्ह्ह क्या सोच रहे हो उम्मम
राज मुस्कुरा कर उसके चूतड़ों को थामे और करारे झटके लगाने लगा : अह्ह्ह्ह्ह कुछ नहीं मेरी जान
सरोजा अपने चूत के छल्ले को राज के लंड पर कसती हुई : मुझसे झूठ नहीं बोल पाओगे राज , तुम्हारा अह्ह्ह्ह्ह येहह जोश उम्मम बता रहाअअ है कि तुमने मेरे बारे में कुछ बहुत गंदा सा सोचा क्यों
राज अपने टोपे की गांठ पर सरोजा के चूत के छल्ले की रगड़ से पागल होंने लगा उसकी सांसे बेकाबू होने लगी , उसके तपते फुले सुपाड़े पर एक तीखा घर्षण होने लगा था : अह्ह्ह्ह हा मेरी जान
सरोजा : क्या बताओ न उम्मम
राज : वो मै सोच रहा था कि अगर बाहर वालो से डर है तो अह्ह्ह्ह गॉड कितनी टाइट कैसे अह्ह्ह्ह सीईईईईई
सरोजा : बताओ न उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह प्लीज
राज : वही मै कह रहा था कि बाहर वालो से अगर दिक्कत है तो घर में ही किसी को देख लो न, कुछ लोग है जिन्हें जिस्म की जरूरत कुछ ज्यादा है अह्ह्ह्ह क्या कहती हो
सरोजा एकदम से अकड़ गई : तुम्हारा मतलब पापा से ,
राज मुस्कुरा और एकदम से अपना लंड तेजी से उसकी चूत में उतारने लगा : सोचो हर रात तुम्हारी बुर भरी रहेगी और बड़े ठाकुर है भी तो ठरकी पूरे उम्मम
सरोजा : अह्ह्ह्ह वो जो भी हो , लेकिन बाउजी से नहीइईई
राज अपना लंड एकदम जड़ तक ले जाता हुआ : तो संजीव अंकल से
एकदम से सरोजा के हाव भाव रुक गए और राज को कुछ कुछ अंदेशा होने लगा
राज अपनी स्पीड हल्की करता हुआ : क्या हुआ , कुछ बात है उम्मम
सरोजा : हा वो भइया की नजर है थोड़ी मुझपर लेकिन मै पक्का कुछ कह नहीं सकती इस बारे
राज का मोटा लंड एक बार फिर एक नई ऊर्जा से फड़का और उसने अपने लंड में वापस से गति देते हुए : उम्मम फिर आज पक्का कर ही लेते है क्यों
सरोजा : कैसे ?
राज मुस्कुरा कर अपना लंड तेजी से उसकी बुर में डालता हुआ : वो तुम मुझपर छोड़ दो
उफ्फ मजा आएगा हाहा .....
राज के घर
सोनल के कमरे में उसके बैग खोले जा रहे थे
रागिनी थोड़ी सी चिढ़ी हुई थी : अगर सोनल मुझसे पूछा कि उसका बक्सा किसने खोला तो मै तो तुझे ही बोलूंगी
अनुज थोड़ा डरा क्योंकि दो बैग और एक बक्सा खोलने के बाद भी अभी तक उन्हें सोनल के कैजुअल कपड़े नहीं मिले थे । एक बक्से में तो उसकी पढ़ाई और कालेज की चीजें थी अब यही एक आखिरी बक्सा था कमरे में
तभी अनुज चहका : मिल गई
रागिनी : क्या?
अनुज : दीदी की स्कर्ट , ये देखो
अनुज ने हाथ में एक लाल रंग की स्कर्ट पकड़ कर दिखाई , जो बड़ी ही चमकीली थी ।
रागिनी : हा इसपर वो कोई काले रंग की टॉप पहनती थी , वो भी होगी खोज
अनुज की झट से एक काली टॉप पर गई और उसने खींच ली : ये रही हीही
रागिनी आंखे महीन कर उसकी खुशी को पढ़ना चाह रही थी मगर सिवाय मासूमियत के उसे कुछ भी नजर नहीं आया और वो हंसती हुई : पागल कही का , ठीक है अब ये रख कर अच्छे से बंद करके नीचे आ
अनुज चौक कर : अकेले ?
रागिनी : हा अकेले हिहीही, मै तो चली नहाने
अनुज को थोड़ा सा खीझ तो हुआ कि फिर से मेहनत करनी पड़ेगी , लेकिन वो अपनी मां की चुलबुली मस्तियों से खुश था और इस बात के एक्साइटेड भी कि कैसे लगेगी उसकी मां टॉप स्कर्ट में
वो फटाफट में काम निपटाने लगा और इसी दौरान उसके कानो में कुछ आवाज आ रही थी और फिर एकदम से उसके कान खड़े हुए कि ये गाने की आवाज नीचे आ रहे थे , सोनल की शादी में घर के लिए भी एक टीवी लिया गया था मगर अनुज को कभी इसमें इंटरेस्ट नहीं रहा अपने लैपटॉप के आगे । लेकिन आज की बात कुछ और थी , टीवी पर 90s के एवरग्रीन गाने चल रहे थे और अनुज खुश होकर नीचे आने लगा । आमतौर पर अनुज अपनी मम्मी को कभी कभार गुनगुनाते सुना तो था , मगर उसका ये किरदार घर में सबसे छिपा था कि वो गाना सुनना भी पसंद है वो भी रोमांटिक
अनुज नीचे आया तो देखा कि कमरे का दरवाजा बंद है और उसने आवाज दी
कुछ ही देर में रागिनी की आवाज आई और उसने टीवी का वॉल्यूम कम करते हुए दरवाजा खोला और अनुज एकदम से ठिठक गया
सामने उसकी मां ब्लाउज और स्कर्ट में खड़ी थी
अनुज आंखे फाड़ कर उसके नंगे पेट और गुदाज नाभि को देख रहा था : वाव मम्मी , कितनी मस्त लग रही हो
रागिनी ने स्कर्ट की लास्टिक खींच कर अपने नाभि को कवर करती हुई : ये छोटी नहीं है
अनुज की नजर एकदम से नीचे गई और देखा कि ये स्कर्ट तो उसकी मां के घुटनों के कुछ इंच ही नीचे थे और उसकी नंगी गोरी दूधिया पिंडलियां साफ नजर आ रही थी : नहीं तो , स्कर्ट ऐसे ही होता है और आपने टॉप नहीं पहना
रागिनी थोड़ी असहज होकर : कल पहन लूंगी उसको , तुझे नहीं लगता मै नचनिया जैसी लग रही हूं
अनुज ने एक ही पल में अपनी मां को उस रूप में कल्पित किया और एकदम से खुद को झटका : भक्क नहीं तो
रागिनी हस कर : क्या नहीं , देख ऐसे ही लहराती है न सब अपना घाघरा हीहीही
अनुज कभी भी अपनी मां की उस रूप में कल्पना भी नहीं करना चाहता था : नहीइई बक्क
मगर रागिनी आज मस्ती के मूड में थी और उसने झट से रिमोट उठा कर चैनल बदला और एकदम से एक भोजपुरी चैनल का गाना लगा दिया : हीही रुक दिखाती हु
और गाना भी कम अश्लील नहीं था
" लहरिया लुटा ये राजा "
एकदम से रागिनी ने उसके आगे ठुमके लगाते हुए अपने स्कर्ट को हवा में लहराने लगी और इस दौरान बिना ब्रा के उसकी चूचियां हवा में खूब उछल रही थी , नीचे स्कर्ट उठने से उसकी चिकनी जांघें देख कर अनुज का लंड कसने लग
और एकदम से रागिनी ने खिलखिलाते हुए उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचा : नाच न
अनुज शर्मा रहा था और रागिनी उसके दोनों हाथ पकड़ कर अपने कूल्हे उसकी ओर झटक रही थी , अनुज ने आखिर दो बार अपने कूल्हे सेम रागिनी की तरह झटके तो रागिनी खिलखिला कर हसने लगी : तुझे नाचने नहीं आता हाहाहाहाहा
अनुज मुस्कुरा कर थोड़ा शर्माता हुआ : बक्क नहीं , भोजपुरी गाने पर कौन नाचता
रागिनी ने उसे घूरा : मै और कौन ? , तुझे अच्छा नहीं लगा क्या मेरा डांस
अनुज ने उसका डांस देखा ही कहा था उसकी नजरें अपनी मां के बड़े बड़े रसीले मम्में और चिकनी जांघों से हटे तब न
" नहीं वो बस गाना अच्छा नहीं था , आप हिंदी गाने पर करो न " , अनुज ने अपने दिल की बात कही
रागिनी खिलखिलाई : हिंदी गाने पर किसी को डांस करते देखा है ,पागल और होली पर तू भी भोजपुरी पर खूब नाच रहा था
अनुज : हा ... वो , लेकिन आप नचनिया न कहो खुद को
रागिनी को समझ गया कि अनुज को उसके डांस या भोजपुरी चॉइस से नहीं बल्कि उसके किरदार बदलने से दिक्कत है और वो हस कर उसको अपने सीने से लगा लेती : आ मेरा बेटा , इतना प्यार करता है मुझे
अनुज अपनी मां के सीने से लग कर एकदम से सिहर उठा और कुछ भावनाएं भी भर : हम्ममम , आप मेरी मम्मी हो न प्यारी थी ।
रागिनी : अच्छा ठीक है बाबा , नहीं कहूंगी कभी ऐसा कुछ , खुश
अनुज : हम्ममम आई लव यू
रागिनी हसने लगी : पागल , चल छोड़ मुझे मै ये कपड़ा ही निकाल देती हूं
अनुज एकदम से चौक कर : क्यों ?
रागिनी : तुझे ही पसंद नहीं न तो ?
अनुज : नहीं अच्छी तो लग रही है , बस वो मत बुलाना खुद को
रागिनी हस कर तो क्या बुलाऊं : गांव को गोरी
अनुज को ये नाम बड़ा नया और लुभावना लगा तो खुश होकर : हा चलेगा
रागिनी हस्ती हुई : चलेगा ! , पागल हिहीही, चल अब खाना बना लू और तू भी पढ़ाई करने बैठ अब
अनुज : जी मम्मी
फिर रागिनी कमरे से निकल गई और अनुज ने टीवी बंद कर ऊपर अपने कमरे में चला गया किताबें लेने ।
अमन के घर
खुले आसमान के नीचे हल्की सर्द हवाएं चल रही थी , मदन और ममता दोनों साल ओढ़े छत की चारदीवाली के पास खड़े होकर दूर अंधियारे में निहार रहे थे , पास ही एक इलेक्ट्रिक अंगीठी जल रही थी और एक चटाई पर खाना और कांच के ग्लास के साथ शराब की सीसी रखी थी ।
मदन आंखे फाड़ कर छत पर दूर जीने के पास लगी 5 वाट की बल्ब की रोशनी में ममता को सिगरेट के कस लगाते देख रहा था और धुआं उड़ाते हुए : उफ्फफ अह , मजा आया गया , लीजिए आप भी न
ममता ने अपना झूठा सिगरेट मदन को ऑफर किया और मदन हिचकता हुआ उसको हाथ में पकड़ता हुआ: कितने साल बाद ?
ममता मुस्कुरा : जब अमन पेट में आ गया तो छोड़ दी थी उसके बाद सीधा आज
मदन सिगरेट की कस लेकर ममता को देता हुआ : आपको देख कर कोई कहेगा नहीं कि इतने साल का गैप है
ममता मुस्कुरा कर : ऐसे पलों के लिए दोस्त होना भी जरूरी है न , वरना अमन के पापा को तो आप जानते ही है
मदन हस कर : हा , वो इन मामलों में थोड़े कम फ्रेंडली है , दो चार बार तो मुझे भी फटकार मिली है । मगर तलब है क्या किया जाए
ममता हस कर : तो तलब मिटाया जाए हाहाहाहाहा
मदन समझ गया कि ममता का इशारा किधर है और वो पैग बनाने लग
मदन : वैसे सच कहूं भाभी , मैने सपने में भी नहीं सोचा था कि आप भी ड्रिंक कर सकती है , लीजिए
ममता मदन के हाथ से शराब का ग्लास पकड़ती हुई मुस्कुरा : क्यों भई इसपर सिर्फ मर्दों की मनॉपली है क्या , हाहाहाहाहा
मदन हस कर : नहीं बस ऐसे ही ख्याल आ रहा था कि मैने इतने सालों से आपको देखा लेकिन कभी आपके ऐसे रूप की की कल्पना नहीं की थी
ममता सीप लेती हुई : किस वाले , ये वाले ( ममता ने ग्लास उठा कर ) या फिर कल रात वाले हाहाहाहाहा
मदन शर्म से झेप गया : क्या भाभी आप भी
ममता मुस्कुरा कर : क्यों ? साफ साफ बोलिए न
मदन अटक कर मुस्कुराता हुआ ममता की बातों से सहमति दिखाता हुआ : हा मतलब दोनों ?
ममता हस कर : अभी मुझमें बहुत सी ऐसी बाते छुपी हुई जिनसे आप रूबरू नहीं है देवर जी
मदन जिज्ञासु होकर: जैसे की
ममता मुस्कुरा कर: ऊहू इतने उतावले मत हो , सबर रखो पूरी रात पड़ी है उन बातों के लिए
मदन के बदन में शराब की गर्मी उतर रही थी और एक अजीब अहसास से वो सिहर भी उठा था । वही ममता ने ग्लास किनारे रख खाना परोसने लगी और दोनों खाना शुरू भी कर दिये
ममता को हिचकी आ रही थी तो मदन ने पानी का ग्लास दिया और उसको पी कर : वैसे खाना बड़ा जायकेदार है देवर जी
मदन हस कर : आपकी बराबरी नहीं कर पाऊंगा भाभी ,
कुछ ही देर बाद खाना खा कर दोनों उठ गए : उह मजा आ गया देवर जी , सच में इस दावत के दिल से शुक्रिया आपका
मदन हाथ धुलता हुआ : क्या भाभी आप भी हाहाहाहाहा , इसमें दावत जैसा क्या था ,
ममता अपने कंधे से साल उतारती हुई : उफ्फ गर्मी होने लगी है अब
मदन अपने हाथ में ड्रिंक का ग्लास पकड़े हुए : हा ये थोड़ी तगड़ी है , धीरे धीरे असर करती है
ममता मुस्कुराने लगी तो मदन : क्या हुआ मुस्कुरा क्यों रही है
ममता मुस्कुरा कर : कुछ नहीं सोच रही हूं अगर मैं यही बेहोश हो गई तो मुझे नीचे कौन ले जाएगा ।
मदन ताव दिखा कर : क्यों आपको मुझपर कोई शक है क्या , फौज में रहा हूं भाभी यू टांग लूंगा
ममता खिलखिलाई : हाहाहा हा जैसे मै बड़ी हल्की हूं , आपके भैया के ऊपर हो जाती हूं तो सास फूलने लगती है हाहाहाहाहा
मदन ममता का जवाब समझ गया कि वो कब मुरारी के ऊपर होती है और थोड़ा असहज होने लगा
ममता उसको मुंह फेरता और चुप देख कर हसने लगी : ओ हेलो , बहुत आगे मत सोच लेना , वापस आओ वापस आओ मै बिस्तर पर सोने की बात कर रही हूं, वो वाला नहीं
मदन की हसी अब फुट पड़ी : हाहाहाहा आप जिस तरह से बोली उससे तो यही लगा कि... हीही
ममता की आंखों में नशा उतर रहा था साथ ही मदन के भी और धीरे धीरे मदहोशी हावी हो रही थी
ममता फैली हुई मुस्कुरा से : कि मै sex की बात कर रही हूं न हाहाहा
मदन एकदम से चौका और समझ गया कि ममता पर थोड़ी थोड़ी चढ़ रही है
मदन खुद को सम्भाल कर एक गहरी सास लिया : भाभी , चलिए नीचे चलते है
ममता : क्यों ? क्या हुआ , आप डरते क्यों हो देवर जी । अरे मर्द बनो मर्द
मदन हस कर : भाभी जी मै तो मर्द ही हू
ममता मुस्कुरा कर : ओह हा , हीहीहिही
मदन : भाभी , भाभी सुनिए चलते है कोहरा बढ़ रहा है ठंडी लग जाएगी
ममता : कहा ठंडी है , पता है कल रात को तो मै यहां नंगी..... (अपने मुंह पर उंगली रखते हुए ) अपने भैया को मत कहना.. मै यहाँ नंगी घूम रही थी हीहिही
ममता ने फुसफुसा कर मदन से बोली और ग्लास पूरा खाली कर दिया ।
मदन समझ गया कि अब अगर उसने देरी की मामला बिगड़ जायेगा , गनीमत यही है कि हलके कोहरे और सर्द मौसम से इतनी रात में कोई छत आस पास पर नहीं आया था ,मगर फिर उसे ममता की बेकाबू चीखों का डर था ।
मदन उसका हाथ पकड़ कर : आओ भाभी चलते है , आपको नहीं लेकिन मुझे लग रही है सर्दी
ममता ने उसको एकदम पास से घूरा : लगेगी न सर्दी , बीवी नहीं है आपके पास , इसीलिए शायाने कह गए हैं कि सही समय पर शादी कर लो
मदन हंसता हुआ उसको पकड़ कर बातों में उलझाए हुए जीने की ओर ले जाने की कोशिश करता हुआ : अब इतनी रात में किसकी बीवी लाऊ
ममता हस्ती हुई : किसकी बीवी ? हाहाहाहा , क्यों भाई दूसरों की बीवियां पसंद है क्या , कही मै तो पसंद नहीं आ गई
मदन हस कर : क्या भाभी आप भी , कैसी बात कर रही है
ममता : अरे दो बार , दो बार आपने मुझे नंगी देखा फिर भी कहते पसंद नहीं , क्या मै खूबसूरत नहीं देवर जी
मदन की आंखे बड़ी हो गई और सांसे चढ़ने लगी वो ममता की आंखों में देख रहा था और उसका हलक सूखने लगा , उसकी आंखों के सामने ममता का नंगा गदराया बदन नाचने लगा , वो बड़ी मोटी छातियां, फैले हुए भड़कीले चूतड़ बजबजाती बुर और भींचा हुआ सिसकता हुआ चेहरा , एकदम से उसका लंड पजामे में तंबू बनाने लगा
मदन की जबान लड़खड़ाने लगी : मैने कब कहा कि आप पसंद नहीं , आपकी जैसी बीवी होना किस्मत की बात है भाभी , और मै किस्मत वाला हूं कि मुझे इतनी प्यारी भाभी मिली है जो सबका ख्याल रखती है और सबको खुश रखती है ।
ममता मुस्कुरा कर : बात को गोल मटोल घुमाओ मत देवर जी , सच सच बताओ कमरे में जब मुझे चादर उढ़ाया तो जरा भी आपका ईमान नहीं डोला उम्मम
मदन हड़क उठा : कैसी बात कर रही है आप मेरी भाभी है , मै भला क्यों ऐसा सोचूंगा
ममता मुस्कुरा कर : अच्छा खाओ मेरी कसम कि आपको मुझे देख कर कुछ हुआ नहीं था और आपने मुझे छुआ नहीं
मदन की हालत खराब होने लगी और ममता हसने लगी : देखा पकड़े गए
मदन सीरियस होकर : आपकी कसम भाभी , मैने आपको देखा जरूर लेकिन छुआ नहीं
ममता मुस्कुरा: उफ्फ बड़े सख्त मर्द हो फिर तो हाहाहाहाहा
मदन मुस्कुराने लगा: बिलकुल सही समझा आपने
ममता मुस्कुरा कर थोड़ी पीछे हुई : फिर मुझे अब डरने की जरूरत नहीं आपसे
मदन अभी स्थिति समझने की कोशिश कर रहा था कि तबतक ममता ने एक झटके में खड़े खड़े अपनी नाइटी उतार फेंकी और एकदम से नंगी होकर मदन के आगे खड़ी हो गई ।
ममता खिलखिलाई : अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ कितना मस्त मौसम हुआ है
मदन आंखे फाड़ कर उसे देख रहा था , कभी उसकी लटकी हुई बड़ी बड़ी पपीते जैसी चुचियों को तो कभी जांघों के बीच की झुरमुट को और कभी उसके चौड़े फैले चूतड़ों को
ममता हाथ फैला कर हवा में घूमते हुए पीछे वाली चारदीवारी की ओर जाने लगी और उसकी बड़े भड़कीले चूतड़ों को नंगा थिरकता देख मदन का लंड अकड़ गया, तेजी से भागता हुआ वो ममता के पास पहुंचा
लेकर उसे उढ़ाने लगा : भाभी , क्या कर रही है कोई देख लेगा
ममता हस्ती हुई : यहां कौन देखेगा अंधेरे में आपके सिवा, और आपसे कोई डर नहीं मुझे हाहाहाहाहा
मदन का लंड फड़क रहा था वो कैसे कहता कि उसके बड़े नंगे चूतड़ों की कसी दरारों को देख कर उसके मुंह ने पानी आ रहा है
मदन ने एक बार और कोशिश की कि ममता को चादर उढ़ाये लेकिन उसने चादर इस बार छत से बाहर फेक दिया
मदन समझ रहा था कि ममता अब बेकाबू हो चुकी है , उसे अब तक ही तरीका समझ आ रहा था और उसने बड़ी हिम्मत कर बोला: भाभी मुझे आपको कुछ बताना है ।
शिला के घर
शिला के कमरे में रज्जो आगे झुकी हुई थी और पीछे से मानसिंह उसके नरम चर्बीदार चूतड़ों को सहलाते हुए कस कस कर झटके दे रहा था उसकी चूत में और रज्जो के मोटे चूतड़ मानसिंह को खूब उछाल रहे थे जिसमें मानसिंह दुगनी ताकत से लंड भेदता
कमरे में तेज चीख भरी चीख गूंज रही थी : अह्ह्ह्ह्ह नंदोई जी उम्मम और ओह्ह्ह्ह सीईईई क्या मस्त हथियार है आपका अह्ह्ह्ह पेलो उम्मम
मानसिंह : तुम बड़ी चुदक्कड़ हो भाभी अह्ह्ह्ह तुम जैसी गर्म औरत आज तक नहीं देखी ओह्ह्ह्ह लंड को अपने छल्ले में कसने की कला तुम्हे अच्छे से आती है ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह भाभी
रज्जो ने अपनी बुर को मानसिंह के लंड पर कस लिया और मानसिंह की तड़प बढ़ गई और रज्जो खुद अपने चूतड़ उसके लंड पर फेकने लगी
जल्द ही मानसिंह के पाव कांपने लगे और उसका लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाड़े की नस फूल गई : अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह भाभी ढीला करो आने वाला है
रज्जो ने पूरे जोश में अपनी गाड़ को पूरा पीछे ले गई और चूत से उसका लंड पूरी ताकत से जकड़ किया , मानसिंह का सुपाड़ा रज्जो की बुर के जड़ में था और मानो रज्जो की बुर उसका लंड सुरक रही हो और एकदम से लावा रज्जो की बुर के गहराई में फूट पड़ा : अह्ह्ह्ह्ह भाभी ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू बिच ओह्ह्ह्ह कितनी बड़ी रंडी हो तुम अब समझ आया अह्ह्ह्ह
रज्जो ने अपनी बुर ढीली की और सरक पर बिस्तर पर गिर गई और हांफते हुए हसने लगी : अह्ह्ह्ह मजा आ गया नंदोई जी क्या गर्म माल था उम्मम
मानसिंह : कुछ दिक्कत तो नहीं होगी , गोली है मेरे पास
रज्जो बिंदास होकर उसे रिलैक्स होने का इशारा किया और मानसिंह उसके बगल में आ गया और एकदम से मदन जैसे ही उसके आगे से हटा रज्जो की नजर भीड़के हुए दरवाजे पर गई और एकदम से एक परछाई वहा से सरकी ।
मगर रज्जो की तेज निगाहों ने दरवाजे के गैप से उन नीले टीशर्ट को पहचान गई जिन्हें उसने कुछ देर पहले छत पर देखा था ।
रज्जो उठी और पेटीकोट से अपनी बुर साफ करती हुई खड़ी हुई
मानसिंह बिस्तर पर लेटा हुआ : कहा चली
रज्जो हस कर : जा रही हूं आपके भाई साहब की खबर लेने , देखूं ठीक ठाक तो है
मानसिंह रज्जो की दिलदारी और खुलेपन से एकदम से एक्साइटेड हो गया था और वो कुछ बोलने के लिए उठा मगर रुक गया ।
रज्जो : क्या हुआ
मानसिंह : नहीं , कुछ नहीं
रज्जो : अब बोलो भी
मानसिंह हिम्मत नहीं कर पा रहा था तो रज्जो मुस्कुरा कर : ऐसा कुछ भी नहीं है आप चारो के बीच जो मै नहीं जानती और ये भी जानती हूं कि मुझे यहां क्यों लाया गया है
मानसिंह एकदम से खड़ा हो गया और उसने रज्जो के हाथ पकड़ लिए: आपको सच में कोई ऐतराज नहीं भाभी जी
रज्जो : भला मुझे क्यों ऐतराज होगा , बस कम्मो थोड़ी सी झिझकती है मुझसे
मानसिंह उसके कंधे पकड़ कर अपने सामने करता हुआ : उसकी झिझक कैसे दूर करनी है मुझे पता है , बस तुम बताओ क्या तुम तैयार हो ।
रज्जो ने आंखे उठा कर मानसिंह को देखा और हा में सर हिलाया : लेकिन परसो मुझे घर जाना है याद रहे ।
मानसिंह : वैसे भी कल संडे है तो कल ही ये काम होगा , मगर उससे पहले जरूरी है कि तुम छोटे से बात कर लो
रज्जो : ठीक है जैसा आप कहें ,देखती हूं।
रज्जो कुछ सोचती हुई मन में बड़बड़ाई : बात तो मुझे करनी है लेकिन छोटे नंदाई से नहीं किसी और से । रज्जो की जासूसी , बच्चू बताती हूं
रज्जो वहां से निकल गई और हाल में आई तो देखा किचन खाली था समझ गई कि तीनों ऊपर गए है और उसकी नजर अरुण के कमरे पर गई ।
कुछ सोचते हुए रज्जो अरुण के कमरे के पास गई और भिड़के हुए दरवाजे को खटखटा कर उसे आवाज दी : अरुण बेटा आ जाऊं
अरुण एकदम से सकपकाया और कमरे में कुछ हलचल हुई और उसकी आवाज आई टूटे हुए आवाज में : हा बड़ी मामी आ जाओ
रज्जो कमरे में दाखिल हुई और कमरे का दरवाजा वैसे ही लगाया , चीजें इधर उधर बिखरी हुई , बिस्तर पर किताबें और समान पड़े थे ।
रज्जो : ओहो पढ़ाई चल रही है बेटा
अरुण नजरे चुराता हुआ : हा बड़ी मामी , वो मेरे हाफ ईयरली एग्जाम आ रहे है न तो....
रज्जो उसके जवाब पर मुस्कुराई और उसकी नजर चार्जिंग में लगे अरुण के मोबाइल पर गई : पढ़ाई तो करता ही है तू लेकिन शैतानी भी कम नहीं है तेरी क्यों ?
अरुण को समझते देर नहीं लगी कि रज्जो ऊपर छत की बात कर रही थी : सॉरी बड़ी मामी, प्लीज आप मम्मी से कुछ मत कहना
रज्जो समझ गई कि लड़के की कमजोर कड़ी क्या है और वो मुस्कुरा कर : अरे मै क्यों कहूंगी , भला उससे मेरा क्या फायदा , मै तो तेरे फायदे के लिए आई थी ।
अरुण चौक कर : मेरा फायदा , कैसे ?
रज्जो : जितनी तांक झांक तू करता है मुझे नहीं लगता इस घर में जो कुछ भी हो रहा है उससे तू अंजान है क्यों ?
अरुण की हालत पतली होने लगी : मै , मै समझा नहीं बड़ी मामी आप क्या कह रही है ।
रज्जो उसके पास बैठती हुई उसके मोबाइल को चार्जिंग से निकालती हुई : खोल इसे
अरुण की हालत खराब होने लगी : क क्यों?
रज्जो : अरे डर क्यों रहा है , खोल न
अरुण ने हिम्मत करके मोबाइल का लॉक खोलकर मोबाइल रज्जो को दिया ।
रज्जो ने झट से गैलरी खोली लेकिन वहां सब कुछ क्लीन था ,कोई फोटो न वीडियो
अरुण : क्या खोज रही है आप
रज्जो आँखें महीन कर : वही जो अभी थोड़ी देर पहले तू रिकार्ड कर रहा था अपने बड़े पापा के कमरे में उम्मम
अरुण की आंखे फेल गई और उसका चेहरा सन्न रह गया : न न नहीं तो
रज्जो : ओहो तू फिर हकला रहा है , भाई मुझे वो बस फोटो और वीडियो चाहिए
अरुण : लेकिन किस लिए
रज्जो : मतलब तूने रिकॉर्ड किया न
अरुण : सॉरी बड़ी मामी
रज्जो : अब दिखाएगा
अरुण ने झट से मोबाइल में कुछ टैप टैप किया और ढेर सारी हिडेन फाइल निकल आई और रज्जो ने झट से उसके हाथ से मोबाइल ले लिया
रज्जो ने स्क्रॉल करना शुरू किया था तो सैकड़ो की संख्या में वीडियो फोटो थे
अरुण : बड़ी मामी रुकिए , मै दे रहा हु न
तभी उसकी नजर एक ऐसे फोटो पर गई जिसे देख कर वो चौक गई और उसने अरूण को देखा : ये कैसे मिला तुझे
अरुण का मुंह शर्म से झुक गया , वो फोटो वही थे रज्जो के बाथरूम में नहाते हुए जिन्हें आज सुबह शिला ने अपने क्लाइंट को भेजे थे : इसका मतलब तू भी इनकी स्ट्रीम देखता है , कबसे ?
अरुण मुंह नीचे किए हुए : बहुत दिन हो गए
रज्जो शॉक्ड होकर : और तूने मेरे फोटो और वीडियो के लिए 2000 दिए थे
अरुण : हा , लेकिन प्लीज आप किसी से कहना मत । मै ये सब डीलिट कर दूंगा प्लीज
रज्जो : वो सब तुझे जो करना है कर , मगर मुझे कुछ और जानना है ।
अरुण : क्या
रज्जो ने एक नजर दरवाजे पर देखा और थोड़ी उसके और करीब आकर : क्या तेरी बड़ी मां का कही बाहर भी कुछ चक्कर है ? गांव में किसी से
अरुण अपने दिमाग पर जोर देकर रज्जो के सवाल को समझता हुआ : नहीं तो ? क्यों ?
रज्जो ने झट से अपना मोबाइल निकाला है और एक मोबाइल नंबर अरुण को दिखाती हुई : ये किसका नंबर है ।
वो नम्बर देखते ही अरुण की आंखे बड़ी हो गई और उसका हलक सूखने लगा : मै , मै नहीं जनाता बड़ी मामी । पता नहीं किसका नंबर है ।
रज्जो : देख तू मुझसे झूठ तो बोल मत और अगर तू मुझे इस नंबर के बारे में बताता है तो सोच ले इसमें तेरा ही फायदा होगा
अरुण आंखे उठा कर : मेरा क्या फायदा ?
रज्जो मुस्कुरा कर धीरे से अपना हाथ उसके लंड पर लोवर के ऊपर से रख दिया और वो सिहर उठा : क्यों तुझे कुछ नहीं चाहिए मुझसे उम्मम
अरुण की हालत खराब होने लगी : ठीक है बताता हूं, लेकिन वादा करो ये बात आप कभी किसी से नहीं कहोगी
रज्जो अपने गले पर चुटकी से पकड़ कर : पक्का वाला वादा , कसम से
और फिर वो मुस्कुराने लगी ।
प्रतापपुर
रंगीलाल खाना खा कर थोड़ा टहल रहा था और घड़ी की सुइयां गिन रहा था और इधर राजेश बबीता को लेकर गोदाम के लिए निकल रहा था ।
जैसे ही रंगीलाल ने किचन खाली देखा वो लपक कर सुनीता के पास जा पहुंचा और वो फ्रिज से दूध निकाल रही थी गर्म करने के लिए, वही रंगी ने उसकी पीछे से दबोच लिया : अह्ह्ह्ह धत्त बदमाश छोड़ो न मुझे
रंगी उसके पीछे खड़े होकर उसके कंधे को चूमता हुआ : क्या कर रही हो मेरी जानेमन
सुनीता सिसक कर : उम्मम बस आपके और बाउजी के लिए दूध गर्म करने जा रही थी
रंगीलाल उसके चर्बीदार पेट पर हाथ रख कर ऊपर सीने की ओर जाने लगा : उम्हू मुझे ये वाला चाहिए
सुनीता एकदम से सतर्क होती हुई रंगीलाल के हाथ रोकती हुई घूम गई : धत्त क्या कर रहे है
रंगीलाल उसके कंधे से साड़ी सरका कर उसके गर्दन गाल और सीने को चूमने लगा : प्यार कर रहा हूं तुम्हे मेरी रसभरी
सुनीता उसके होठों के स्पर्श से पागल होने लगी लेकिन उसने रंगी को झटक कर अलग किया : धत्त बदमाश, अभी भी रंगी तड़प कर उसके नंगे पेट को सहलाता हुआ : फिर कब
सुनीता : सबर करो मेरे राजा , बाउजी और मीठी को सो जाने दो न
बाउजी का नाम आते ही रंगी को अपनी योजना याद आई ससुर के साथ वाली
रंगी समझ गया उसे क्या करना है इधर सुनीता ने चूल्हे पर दूध चढ़ा दिया
रंगी लाल : ये किसका है
सुनीता : मेरा क्यों ?
रंगीलाल उस ग्लास से भरे दूध को सूंघ कर : सच में तुम्हारा है
सुनीता शर्मा कर हस्ती हुई : धत्त पागल हो क्या ? वो मेरा है मतलब मै ठंडा दूध ही पीती हूं
रंगीलाल : मुझे भी पिलाओ न अपना ठंडा दूध
सुनीता उसकी आंखों में देख कर : पी लो न फिर
रंगीलाल उसके करीब आकर : ऊहू ऐसे नहीं
सुनीता उसकी आंखों में देखते हुए : फिर
रंगीलाल ने वो ग्लास सुनीता के मुंह में लगाया और उसे पिलाने लगा और दूध का कुछ हिस्सा उसके रस भरे होठों से भर आने लगा तो एकदम से रंगी ने अपने होठ उसके होठ से जोड़ दिए
और सुनीता के होठ चूसने लगा और उसकी थुड़ी फिर गले तक रिस दूध को चाटने और पीने लगा , सुनीता एकदम से मदहोश हो गई : उम्ममम अह्ह्ह्ह उफ्फफ आप पागल कर रहे हो मुझे
रंगी उसकी आंखों में देख कर : और तुम मुझे
अगले ही पल आधा गिलास दूध रंगी ने सीधा सुनीता के सीने पर उड़ेल दिया जो बह कर उसके ब्लाउज की दरारों में जाने और रंगी ने झट से अपना जीभ निकाल कर उसको चाटने लगा , सुनीता मचल उठी : ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह क्या कर रहे है अह्ह्ह्ह उम्मम
रंगीलाल खड़े खड़े उसके डिप नेक वाले ब्लाउज़ के दरारों में जीभ डालने लगा और सुनीता ने उसके सर को पकड़ लिया : अह्ह्ह्ह रुक जाओ प्लीज , रुक जाओ अह्ह्ह्ह
रंगीलाल उससे अलग होकर अपना लंड पजामे के ऊपर से सहलाता हुआ : अब और रुका नहीं जाता प्लीज
सुनीता हांफती हुई : बस 2 मिनट में मै अभी आई ये दे कर
और सुनीता एक ट्रे में दूध के दो ग्लास लेकर निकल गई और रंगी अपना लंड मसलने लगा , वही उसके मोबाइल पर एक कॉल रिंग हो रहा था ।
वो नम्बर देख कर रंगी की दुविधा बढ़ने लगी थी, कि अब वो किस ओर जाए । एक ओर सुनीता जैसी गदराई मोटी माल दूसरी ओर कमला जैसी रांड को ससुर के साथ भोगने का मजा
आखिर क्या करेगा रंगी .... किसे चुनेगा और किसे छोड़ेगा ।
मुहल्ले में घुसते ही वहां की रौनक ने राज को चकाचौंध कर दिया , डीजे पर चलते एक से बढ़कर एक गानों ने माहौल पूरा हाइ रहा था। वहां पर कसबे से एक से बढ़ कर एक धन्ना सेठ और आए थे । कुछ अंजान चेहरे भी थे जिनसे राज कभी रूबरू नहीं हुआ था और उनमें से कुछ उसे पहचान थे उसके पापा के नाम से तो हाल चाल भी हुआ ।
तभी उसकी नजर संजीव ठाकुर पर गई और उसने पाव छू कर उन्हें नमस्ते किया
संजीव : अरे राज , आजा बेटा , भाई तुम्हारे पापा तो ससुराल में मजे ले रहे है हाहाहाहाहा
उनकी बातों से राज को थोड़ी झेप भरी शर्मिंदगी सी लगी मगर वो समझ रहा था कि संजीव ठाकुर नशे की जकड़ के आ रहा है धीरे धीरे और दूसरे हाथ अभी भी विस्की का ग्लास था ।पार्टी ऑलमोस्ट चालू ही थी , लोग खा पी रहे थे ।
राज : अंकल , आंटी जी कहा है ?
संजीव : अरे अभी वो रेडी हो रही होगी , जाओ अंदर देखो और बोलो सब राह देख रहे है
राज : जी अंकल
फिर वो वहां से निकल गया और पहली बार घर के बरामदे से अंदर दाखिल हुआ
अंदर तो और बड़ा सा हाल था जहां पहले से ही सेलिब्रेट करना का पुख्ता इंतजाम था, कुछ कैटरिंग स्टाफ थे और सोफे पर कुछ औरते भी बैठी थी शायद मेहमान रही होगी ।
राज नीचे का माहौल देख कर समझ गया कि इनका कमरा ऊपर नहीं हो सकता था और उसे कुछ धुंधला सा याद भी था कि एक बार सरोजा ने उससे जिक्र किया था वीडियो काल पर जब वो नशे में थी और उसने अपना पूरा घर दिखाया था ।
उसी धुंधली याद के सहारे राज ऊपर चला गया ,
शायद ऊपर आने की सभी को सख्त मनाही थी , तभी तो वहां एकदम से एक चुप सन्नाटा था । बस डीजे पर चल रही गाने की आवाज थी । पूरा घर झालर और लाइट्स से रोशन मानो किसी की शादी हो ।
राज इधर उधर देखता हुआ बड़ा ही संकुचित था मगर भीतर से उत्साहित भी जिस तरह से आज उसने ठकुराइन से बात की थी । इतनी बिंदास औरत से उसका लगाव होना जायज भी था और नए चूत की तलब से उसकी बेचैनी और बढ़ रही थी ।
मगर हिचक भी थी कि कही किसी गलत कमरे में न दाखिल हो जाए ,
तभी उसके कानों कुछ आवाजें आई
" अह्ह्ह्ह नहीं बाउजी देर हो जाएगी , अह्ह्ह्ह मान जाइए न "
" ओह्ह्ह बहु तुम्हारी ये चिकनी जांघें देख कर अब और रहा नहीं जायेगा अह्ह्ह्ह "
इन शब्दों को सुनते ही राज के कान खड़े हो गए और उसका लंड फड़कने लगा , उसके जहन वो याद ताज़ा हुई जब रुबीना ने इस बारे में जिक्र किया था कि ठकुराइन और उसके ससुर का चक्कर है ।
राज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था वो आस पास देखने के बाद धीरे से दरवाजे के पास पर्दो के बीच से झांका तो देखा कमरे में ठकुराइन पूरी तरह से सज धज कर तैयार है और बड़े ठाकुर ने उसे औंधे बिस्तर पर झुका रखा था और उसकी साड़ी उठा रहा था पीछे : ओह्ह्ह्ह बहु ये बाल हटाने के बाद तेरे चूतड़ कितने रसीले हो गए है उम्ममम
ठकुराइन बड़े ठाकुर के चुम्बन से सिहर उठी : अह्ह्ह्ह बाउजी जल्दी करिए, सब नीचे आ गए है । मालती के पापा फोन भी कर रहे है ।
तबतक बड़े ठाकुर ने अपना नाडा खोलकर अपने लंड को ठकुराइन की चूत पर लगाया और ठाकुराइन पगलाने लगी , उसकी आंखे उलटने लगी और देखते ही देखते एक जोर का झटका : ओह्ह्ह्ह बाउजी उम्मम कितना टाइट है अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह
बड़े ठाकुर : ओह्ह्ह बहु तेरी चूत की गर्मी मुझे पागल कर देती है , आज पार्टी के बाद तुझे लंबी सैर करूंगा अह्ह्ह्ह
राज आंखे फाड़ कर अंदर झाक रहा था और उसे लगा यही मौका है ठकुराइन को अपने जाल में फंसाने का और वो अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर रिकॉर्ड करना चाह रहा था कि किसी ने उसे पीछे से थपथपाया
राज एकदम से सन्न हो गया और पलट कर देखा तो उसके पीछे सरोजा खड़ी थी, खूबसूरत झिलमिलाती साड़ी में उसका अंग और निखर रहा था और उसने अपने मुंह पर उंगली रख कर चुप रहने का इशारा करते हुए उसे एक कमरे में ले गई ।
वहां जाते ही वहां की दिवाल पर सजावटी चीजों को देखकर राज समझ गया कि वो सरोजा का कमरा है और अगले ही पल सरोजा ने उसे अपनी ओर खींचा : आज कल तुम बहुत खोए से हो , भूल ही गए हो मुझे
राज ने एकदम से उसके चौड़े चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से मसलने लगा और उसके लिप्स चूसते हुए : तुम भूलने वाली चीज नहीं हो मेरी जान, मै तो तुम्हे ही खोज रहा था लेकिन यहां देखा तो अलग ही खेल चल रहा है अह्ह्ह्ह
सरोजा : उम्मम उन्हें खेलने दो अपना खेल , तुम अपना शुरू करो और वो अपने कंधे से साड़ी की पिन निकालने लगी
तो राज ने झट से उसके हाथ रोके और साड़ी के नीचे से उसकी चिकनी गुदाज कमर में हाथ डाल कर : सीईई रहने दो न अभी रात बाकी है खोलने के लिए, फिलहाल क्विकी से काम चला लेते है क्यों
सरोजा मुस्कुरा कर उसक लिप्स चूसने लगी : सीईईई कुछ भी करो बस भर दो मुझे कितना तड़प रही हूं अह्ह्ह्ह
राज उसके गर्दन पर चूमता हुआ : उम्मम तो बुलाया क्यों नहीं
सरोजा : जैसे तुम बड़े फ्री थे , अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म
राज उसकी साड़ी और पेटीकोट उठा कर उसके नंगे मोटे चूतड़ों को पंजों से नोचने लगा : सॉरी न मेरी जान उम्मम तुम्हारे गाड़ कितने मुलायम है सीईईई ओह्ह्ह
सरोजा सिहर कर आंखे बंद कर राज के दोनों पंजे अपने चूतड़ों पर महसूस कर रही थी और आगे से उसके पेंट में बना तंबू उसकी पेडू के पास ठोकरें मार रहा था ।
एकदम से राज ने उसे घुमाया और एक टेबल पर झुकाया और उसके साड़ी उठाते हुए उनके नंगे मोटे चूतड़ों को सहलाते हुए उसपे अपने पंजे जड़ने लगा : अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म यश उम्मम फक्क्क् मीइ राज ओह गॉड उम्मन
राज उसके जांघों के बीच अपने पंजे से उसकी गीली बुर को टटोलने लगा और दूसरे हाथ से अपना लंड पेंट से निकालने लगा
राज उसके चूचे ब्लाउज के ऊपर से मसलते हुए: योर डिश इज रेडी माय सेक्सू बेबी उम्मम गो
सरोजा समझ गई और घूम कर नीचे बैठ गई और देखते ही देखते राज का मोटा लंबा लंड आधा उसके मुंह में: ओह्ह्ह्ह येस उम्मम अह्ह्ह्ह्ह और चूसो उम्ममम तुम्हारी यही अदा ने मुझे पागल कर रखा अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई
सरोजा बड़ी शिद्दत से राज के टोपे को चुबला रही थी उसकी आंखे ही राज से बात कर रही थी और एकदम से वो उठी और अपनी साड़ी उठा कर कमर तक करते हुए बिस्तर पर घोड़ी बन गई
राज ने अपना पेंट पूरा नीचे किया और लंड को सीधा उसके बुर के फांके में लगाते हुए हचाक से उतार दिया : ओह्ह्ह्ह गॉड कितना गर्म है अह्ह्ह्ह सीईईईईई
सरोजा अपनी बुर में राज के मोटे टोपे को घुसता महसूस कर पागल होने लगी : ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई फक्क अह्ह्ह्ह्ह इतने इतने दिन तक नहीं आओगे तो आग लगेगी न आहे और तेज उम्मम ऐसे ही अह्ह्ह्ह्ह और उम्ममम फक्क्क् मीईईईई
राज : तुम्हे नहीं लगता कि तुम्हे एक और साथी की जरूरत है , जो रोज तुम्हारा ख्याल रखे
सरोजा राज का लंड महसूस करती हुई : तुम तो जानते हो न , बाहर के लोग भरोसे लायक नहीं हैं और शादी मुझे करनी नहीं है
राज का लंड कुछ सोच कर और फूलने लगा जिसका अहसास सरोजा को हुआ : अह्ह्ह्ह्ह क्या सोच रहे हो उम्मम
राज मुस्कुरा कर उसके चूतड़ों को थामे और करारे झटके लगाने लगा : अह्ह्ह्ह्ह कुछ नहीं मेरी जान
सरोजा अपने चूत के छल्ले को राज के लंड पर कसती हुई : मुझसे झूठ नहीं बोल पाओगे राज , तुम्हारा अह्ह्ह्ह्ह येहह जोश उम्मम बता रहाअअ है कि तुमने मेरे बारे में कुछ बहुत गंदा सा सोचा क्यों
राज अपने टोपे की गांठ पर सरोजा के चूत के छल्ले की रगड़ से पागल होंने लगा उसकी सांसे बेकाबू होने लगी , उसके तपते फुले सुपाड़े पर एक तीखा घर्षण होने लगा था : अह्ह्ह्ह हा मेरी जान
सरोजा : क्या बताओ न उम्मम
राज : वो मै सोच रहा था कि अगर बाहर वालो से डर है तो अह्ह्ह्ह गॉड कितनी टाइट कैसे अह्ह्ह्ह सीईईईईई
सरोजा : बताओ न उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह प्लीज
राज : वही मै कह रहा था कि बाहर वालो से अगर दिक्कत है तो घर में ही किसी को देख लो न, कुछ लोग है जिन्हें जिस्म की जरूरत कुछ ज्यादा है अह्ह्ह्ह क्या कहती हो
सरोजा एकदम से अकड़ गई : तुम्हारा मतलब पापा से ,
राज मुस्कुरा और एकदम से अपना लंड तेजी से उसकी चूत में उतारने लगा : सोचो हर रात तुम्हारी बुर भरी रहेगी और बड़े ठाकुर है भी तो ठरकी पूरे उम्मम
सरोजा : अह्ह्ह्ह वो जो भी हो , लेकिन बाउजी से नहीइईई
राज अपना लंड एकदम जड़ तक ले जाता हुआ : तो संजीव अंकल से
एकदम से सरोजा के हाव भाव रुक गए और राज को कुछ कुछ अंदेशा होने लगा
राज अपनी स्पीड हल्की करता हुआ : क्या हुआ , कुछ बात है उम्मम
सरोजा : हा वो भइया की नजर है थोड़ी मुझपर लेकिन मै पक्का कुछ कह नहीं सकती इस बारे
राज का मोटा लंड एक बार फिर एक नई ऊर्जा से फड़का और उसने अपने लंड में वापस से गति देते हुए : उम्मम फिर आज पक्का कर ही लेते है क्यों
सरोजा : कैसे ?
राज मुस्कुरा कर अपना लंड तेजी से उसकी बुर में डालता हुआ : वो तुम मुझपर छोड़ दो
उफ्फ मजा आएगा हाहा .....
राज के घर
सोनल के कमरे में उसके बैग खोले जा रहे थे
रागिनी थोड़ी सी चिढ़ी हुई थी : अगर सोनल मुझसे पूछा कि उसका बक्सा किसने खोला तो मै तो तुझे ही बोलूंगी
अनुज थोड़ा डरा क्योंकि दो बैग और एक बक्सा खोलने के बाद भी अभी तक उन्हें सोनल के कैजुअल कपड़े नहीं मिले थे । एक बक्से में तो उसकी पढ़ाई और कालेज की चीजें थी अब यही एक आखिरी बक्सा था कमरे में
तभी अनुज चहका : मिल गई
रागिनी : क्या?
अनुज : दीदी की स्कर्ट , ये देखो
अनुज ने हाथ में एक लाल रंग की स्कर्ट पकड़ कर दिखाई , जो बड़ी ही चमकीली थी ।
रागिनी : हा इसपर वो कोई काले रंग की टॉप पहनती थी , वो भी होगी खोज
अनुज की झट से एक काली टॉप पर गई और उसने खींच ली : ये रही हीही
रागिनी आंखे महीन कर उसकी खुशी को पढ़ना चाह रही थी मगर सिवाय मासूमियत के उसे कुछ भी नजर नहीं आया और वो हंसती हुई : पागल कही का , ठीक है अब ये रख कर अच्छे से बंद करके नीचे आ
अनुज चौक कर : अकेले ?
रागिनी : हा अकेले हिहीही, मै तो चली नहाने
अनुज को थोड़ा सा खीझ तो हुआ कि फिर से मेहनत करनी पड़ेगी , लेकिन वो अपनी मां की चुलबुली मस्तियों से खुश था और इस बात के एक्साइटेड भी कि कैसे लगेगी उसकी मां टॉप स्कर्ट में
वो फटाफट में काम निपटाने लगा और इसी दौरान उसके कानो में कुछ आवाज आ रही थी और फिर एकदम से उसके कान खड़े हुए कि ये गाने की आवाज नीचे आ रहे थे , सोनल की शादी में घर के लिए भी एक टीवी लिया गया था मगर अनुज को कभी इसमें इंटरेस्ट नहीं रहा अपने लैपटॉप के आगे । लेकिन आज की बात कुछ और थी , टीवी पर 90s के एवरग्रीन गाने चल रहे थे और अनुज खुश होकर नीचे आने लगा । आमतौर पर अनुज अपनी मम्मी को कभी कभार गुनगुनाते सुना तो था , मगर उसका ये किरदार घर में सबसे छिपा था कि वो गाना सुनना भी पसंद है वो भी रोमांटिक
अनुज नीचे आया तो देखा कि कमरे का दरवाजा बंद है और उसने आवाज दी
कुछ ही देर में रागिनी की आवाज आई और उसने टीवी का वॉल्यूम कम करते हुए दरवाजा खोला और अनुज एकदम से ठिठक गया
सामने उसकी मां ब्लाउज और स्कर्ट में खड़ी थी
अनुज आंखे फाड़ कर उसके नंगे पेट और गुदाज नाभि को देख रहा था : वाव मम्मी , कितनी मस्त लग रही हो
रागिनी ने स्कर्ट की लास्टिक खींच कर अपने नाभि को कवर करती हुई : ये छोटी नहीं है
अनुज की नजर एकदम से नीचे गई और देखा कि ये स्कर्ट तो उसकी मां के घुटनों के कुछ इंच ही नीचे थे और उसकी नंगी गोरी दूधिया पिंडलियां साफ नजर आ रही थी : नहीं तो , स्कर्ट ऐसे ही होता है और आपने टॉप नहीं पहना
रागिनी थोड़ी असहज होकर : कल पहन लूंगी उसको , तुझे नहीं लगता मै नचनिया जैसी लग रही हूं
अनुज ने एक ही पल में अपनी मां को उस रूप में कल्पित किया और एकदम से खुद को झटका : भक्क नहीं तो
रागिनी हस कर : क्या नहीं , देख ऐसे ही लहराती है न सब अपना घाघरा हीहीही
अनुज कभी भी अपनी मां की उस रूप में कल्पना भी नहीं करना चाहता था : नहीइई बक्क
मगर रागिनी आज मस्ती के मूड में थी और उसने झट से रिमोट उठा कर चैनल बदला और एकदम से एक भोजपुरी चैनल का गाना लगा दिया : हीही रुक दिखाती हु
और गाना भी कम अश्लील नहीं था
" लहरिया लुटा ये राजा "
एकदम से रागिनी ने उसके आगे ठुमके लगाते हुए अपने स्कर्ट को हवा में लहराने लगी और इस दौरान बिना ब्रा के उसकी चूचियां हवा में खूब उछल रही थी , नीचे स्कर्ट उठने से उसकी चिकनी जांघें देख कर अनुज का लंड कसने लग
और एकदम से रागिनी ने खिलखिलाते हुए उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचा : नाच न
अनुज शर्मा रहा था और रागिनी उसके दोनों हाथ पकड़ कर अपने कूल्हे उसकी ओर झटक रही थी , अनुज ने आखिर दो बार अपने कूल्हे सेम रागिनी की तरह झटके तो रागिनी खिलखिला कर हसने लगी : तुझे नाचने नहीं आता हाहाहाहाहा
अनुज मुस्कुरा कर थोड़ा शर्माता हुआ : बक्क नहीं , भोजपुरी गाने पर कौन नाचता
रागिनी ने उसे घूरा : मै और कौन ? , तुझे अच्छा नहीं लगा क्या मेरा डांस
अनुज ने उसका डांस देखा ही कहा था उसकी नजरें अपनी मां के बड़े बड़े रसीले मम्में और चिकनी जांघों से हटे तब न
" नहीं वो बस गाना अच्छा नहीं था , आप हिंदी गाने पर करो न " , अनुज ने अपने दिल की बात कही
रागिनी खिलखिलाई : हिंदी गाने पर किसी को डांस करते देखा है ,पागल और होली पर तू भी भोजपुरी पर खूब नाच रहा था
अनुज : हा ... वो , लेकिन आप नचनिया न कहो खुद को
रागिनी को समझ गया कि अनुज को उसके डांस या भोजपुरी चॉइस से नहीं बल्कि उसके किरदार बदलने से दिक्कत है और वो हस कर उसको अपने सीने से लगा लेती : आ मेरा बेटा , इतना प्यार करता है मुझे
अनुज अपनी मां के सीने से लग कर एकदम से सिहर उठा और कुछ भावनाएं भी भर : हम्ममम , आप मेरी मम्मी हो न प्यारी थी ।
रागिनी : अच्छा ठीक है बाबा , नहीं कहूंगी कभी ऐसा कुछ , खुश
अनुज : हम्ममम आई लव यू
रागिनी हसने लगी : पागल , चल छोड़ मुझे मै ये कपड़ा ही निकाल देती हूं
अनुज एकदम से चौक कर : क्यों ?
रागिनी : तुझे ही पसंद नहीं न तो ?
अनुज : नहीं अच्छी तो लग रही है , बस वो मत बुलाना खुद को
रागिनी हस कर तो क्या बुलाऊं : गांव को गोरी
अनुज को ये नाम बड़ा नया और लुभावना लगा तो खुश होकर : हा चलेगा
रागिनी हस्ती हुई : चलेगा ! , पागल हिहीही, चल अब खाना बना लू और तू भी पढ़ाई करने बैठ अब
अनुज : जी मम्मी
फिर रागिनी कमरे से निकल गई और अनुज ने टीवी बंद कर ऊपर अपने कमरे में चला गया किताबें लेने ।
अमन के घर
खुले आसमान के नीचे हल्की सर्द हवाएं चल रही थी , मदन और ममता दोनों साल ओढ़े छत की चारदीवाली के पास खड़े होकर दूर अंधियारे में निहार रहे थे , पास ही एक इलेक्ट्रिक अंगीठी जल रही थी और एक चटाई पर खाना और कांच के ग्लास के साथ शराब की सीसी रखी थी ।
मदन आंखे फाड़ कर छत पर दूर जीने के पास लगी 5 वाट की बल्ब की रोशनी में ममता को सिगरेट के कस लगाते देख रहा था और धुआं उड़ाते हुए : उफ्फफ अह , मजा आया गया , लीजिए आप भी न
ममता ने अपना झूठा सिगरेट मदन को ऑफर किया और मदन हिचकता हुआ उसको हाथ में पकड़ता हुआ: कितने साल बाद ?
ममता मुस्कुरा : जब अमन पेट में आ गया तो छोड़ दी थी उसके बाद सीधा आज
मदन सिगरेट की कस लेकर ममता को देता हुआ : आपको देख कर कोई कहेगा नहीं कि इतने साल का गैप है
ममता मुस्कुरा कर : ऐसे पलों के लिए दोस्त होना भी जरूरी है न , वरना अमन के पापा को तो आप जानते ही है
मदन हस कर : हा , वो इन मामलों में थोड़े कम फ्रेंडली है , दो चार बार तो मुझे भी फटकार मिली है । मगर तलब है क्या किया जाए
ममता हस कर : तो तलब मिटाया जाए हाहाहाहाहा
मदन समझ गया कि ममता का इशारा किधर है और वो पैग बनाने लग
मदन : वैसे सच कहूं भाभी , मैने सपने में भी नहीं सोचा था कि आप भी ड्रिंक कर सकती है , लीजिए
ममता मदन के हाथ से शराब का ग्लास पकड़ती हुई मुस्कुरा : क्यों भई इसपर सिर्फ मर्दों की मनॉपली है क्या , हाहाहाहाहा
मदन हस कर : नहीं बस ऐसे ही ख्याल आ रहा था कि मैने इतने सालों से आपको देखा लेकिन कभी आपके ऐसे रूप की की कल्पना नहीं की थी
ममता सीप लेती हुई : किस वाले , ये वाले ( ममता ने ग्लास उठा कर ) या फिर कल रात वाले हाहाहाहाहा
मदन शर्म से झेप गया : क्या भाभी आप भी
ममता मुस्कुरा कर : क्यों ? साफ साफ बोलिए न
मदन अटक कर मुस्कुराता हुआ ममता की बातों से सहमति दिखाता हुआ : हा मतलब दोनों ?
ममता हस कर : अभी मुझमें बहुत सी ऐसी बाते छुपी हुई जिनसे आप रूबरू नहीं है देवर जी
मदन जिज्ञासु होकर: जैसे की
ममता मुस्कुरा कर: ऊहू इतने उतावले मत हो , सबर रखो पूरी रात पड़ी है उन बातों के लिए
मदन के बदन में शराब की गर्मी उतर रही थी और एक अजीब अहसास से वो सिहर भी उठा था । वही ममता ने ग्लास किनारे रख खाना परोसने लगी और दोनों खाना शुरू भी कर दिये
ममता को हिचकी आ रही थी तो मदन ने पानी का ग्लास दिया और उसको पी कर : वैसे खाना बड़ा जायकेदार है देवर जी
मदन हस कर : आपकी बराबरी नहीं कर पाऊंगा भाभी ,
कुछ ही देर बाद खाना खा कर दोनों उठ गए : उह मजा आ गया देवर जी , सच में इस दावत के दिल से शुक्रिया आपका
मदन हाथ धुलता हुआ : क्या भाभी आप भी हाहाहाहाहा , इसमें दावत जैसा क्या था ,
ममता अपने कंधे से साल उतारती हुई : उफ्फ गर्मी होने लगी है अब
मदन अपने हाथ में ड्रिंक का ग्लास पकड़े हुए : हा ये थोड़ी तगड़ी है , धीरे धीरे असर करती है
ममता मुस्कुराने लगी तो मदन : क्या हुआ मुस्कुरा क्यों रही है
ममता मुस्कुरा कर : कुछ नहीं सोच रही हूं अगर मैं यही बेहोश हो गई तो मुझे नीचे कौन ले जाएगा ।
मदन ताव दिखा कर : क्यों आपको मुझपर कोई शक है क्या , फौज में रहा हूं भाभी यू टांग लूंगा
ममता खिलखिलाई : हाहाहा हा जैसे मै बड़ी हल्की हूं , आपके भैया के ऊपर हो जाती हूं तो सास फूलने लगती है हाहाहाहाहा
मदन ममता का जवाब समझ गया कि वो कब मुरारी के ऊपर होती है और थोड़ा असहज होने लगा
ममता उसको मुंह फेरता और चुप देख कर हसने लगी : ओ हेलो , बहुत आगे मत सोच लेना , वापस आओ वापस आओ मै बिस्तर पर सोने की बात कर रही हूं, वो वाला नहीं
मदन की हसी अब फुट पड़ी : हाहाहाहा आप जिस तरह से बोली उससे तो यही लगा कि... हीही
ममता की आंखों में नशा उतर रहा था साथ ही मदन के भी और धीरे धीरे मदहोशी हावी हो रही थी
ममता फैली हुई मुस्कुरा से : कि मै sex की बात कर रही हूं न हाहाहा
मदन एकदम से चौका और समझ गया कि ममता पर थोड़ी थोड़ी चढ़ रही है
मदन खुद को सम्भाल कर एक गहरी सास लिया : भाभी , चलिए नीचे चलते है
ममता : क्यों ? क्या हुआ , आप डरते क्यों हो देवर जी । अरे मर्द बनो मर्द
मदन हस कर : भाभी जी मै तो मर्द ही हू
ममता मुस्कुरा कर : ओह हा , हीहीहिही
मदन : भाभी , भाभी सुनिए चलते है कोहरा बढ़ रहा है ठंडी लग जाएगी
ममता : कहा ठंडी है , पता है कल रात को तो मै यहां नंगी..... (अपने मुंह पर उंगली रखते हुए ) अपने भैया को मत कहना.. मै यहाँ नंगी घूम रही थी हीहिही
ममता ने फुसफुसा कर मदन से बोली और ग्लास पूरा खाली कर दिया ।
मदन समझ गया कि अब अगर उसने देरी की मामला बिगड़ जायेगा , गनीमत यही है कि हलके कोहरे और सर्द मौसम से इतनी रात में कोई छत आस पास पर नहीं आया था ,मगर फिर उसे ममता की बेकाबू चीखों का डर था ।
मदन उसका हाथ पकड़ कर : आओ भाभी चलते है , आपको नहीं लेकिन मुझे लग रही है सर्दी
ममता ने उसको एकदम पास से घूरा : लगेगी न सर्दी , बीवी नहीं है आपके पास , इसीलिए शायाने कह गए हैं कि सही समय पर शादी कर लो
मदन हंसता हुआ उसको पकड़ कर बातों में उलझाए हुए जीने की ओर ले जाने की कोशिश करता हुआ : अब इतनी रात में किसकी बीवी लाऊ
ममता हस्ती हुई : किसकी बीवी ? हाहाहाहा , क्यों भाई दूसरों की बीवियां पसंद है क्या , कही मै तो पसंद नहीं आ गई
मदन हस कर : क्या भाभी आप भी , कैसी बात कर रही है
ममता : अरे दो बार , दो बार आपने मुझे नंगी देखा फिर भी कहते पसंद नहीं , क्या मै खूबसूरत नहीं देवर जी
मदन की आंखे बड़ी हो गई और सांसे चढ़ने लगी वो ममता की आंखों में देख रहा था और उसका हलक सूखने लगा , उसकी आंखों के सामने ममता का नंगा गदराया बदन नाचने लगा , वो बड़ी मोटी छातियां, फैले हुए भड़कीले चूतड़ बजबजाती बुर और भींचा हुआ सिसकता हुआ चेहरा , एकदम से उसका लंड पजामे में तंबू बनाने लगा
मदन की जबान लड़खड़ाने लगी : मैने कब कहा कि आप पसंद नहीं , आपकी जैसी बीवी होना किस्मत की बात है भाभी , और मै किस्मत वाला हूं कि मुझे इतनी प्यारी भाभी मिली है जो सबका ख्याल रखती है और सबको खुश रखती है ।
ममता मुस्कुरा कर : बात को गोल मटोल घुमाओ मत देवर जी , सच सच बताओ कमरे में जब मुझे चादर उढ़ाया तो जरा भी आपका ईमान नहीं डोला उम्मम
मदन हड़क उठा : कैसी बात कर रही है आप मेरी भाभी है , मै भला क्यों ऐसा सोचूंगा
ममता मुस्कुरा कर : अच्छा खाओ मेरी कसम कि आपको मुझे देख कर कुछ हुआ नहीं था और आपने मुझे छुआ नहीं
मदन की हालत खराब होने लगी और ममता हसने लगी : देखा पकड़े गए
मदन सीरियस होकर : आपकी कसम भाभी , मैने आपको देखा जरूर लेकिन छुआ नहीं
ममता मुस्कुरा: उफ्फ बड़े सख्त मर्द हो फिर तो हाहाहाहाहा
मदन मुस्कुराने लगा: बिलकुल सही समझा आपने
ममता मुस्कुरा कर थोड़ी पीछे हुई : फिर मुझे अब डरने की जरूरत नहीं आपसे
मदन अभी स्थिति समझने की कोशिश कर रहा था कि तबतक ममता ने एक झटके में खड़े खड़े अपनी नाइटी उतार फेंकी और एकदम से नंगी होकर मदन के आगे खड़ी हो गई ।
ममता खिलखिलाई : अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ कितना मस्त मौसम हुआ है
मदन आंखे फाड़ कर उसे देख रहा था , कभी उसकी लटकी हुई बड़ी बड़ी पपीते जैसी चुचियों को तो कभी जांघों के बीच की झुरमुट को और कभी उसके चौड़े फैले चूतड़ों को
ममता हाथ फैला कर हवा में घूमते हुए पीछे वाली चारदीवारी की ओर जाने लगी और उसकी बड़े भड़कीले चूतड़ों को नंगा थिरकता देख मदन का लंड अकड़ गया, तेजी से भागता हुआ वो ममता के पास पहुंचा
लेकर उसे उढ़ाने लगा : भाभी , क्या कर रही है कोई देख लेगा
ममता हस्ती हुई : यहां कौन देखेगा अंधेरे में आपके सिवा, और आपसे कोई डर नहीं मुझे हाहाहाहाहा
मदन का लंड फड़क रहा था वो कैसे कहता कि उसके बड़े नंगे चूतड़ों की कसी दरारों को देख कर उसके मुंह ने पानी आ रहा है
मदन ने एक बार और कोशिश की कि ममता को चादर उढ़ाये लेकिन उसने चादर इस बार छत से बाहर फेक दिया
मदन समझ रहा था कि ममता अब बेकाबू हो चुकी है , उसे अब तक ही तरीका समझ आ रहा था और उसने बड़ी हिम्मत कर बोला: भाभी मुझे आपको कुछ बताना है ।
शिला के घर
शिला के कमरे में रज्जो आगे झुकी हुई थी और पीछे से मानसिंह उसके नरम चर्बीदार चूतड़ों को सहलाते हुए कस कस कर झटके दे रहा था उसकी चूत में और रज्जो के मोटे चूतड़ मानसिंह को खूब उछाल रहे थे जिसमें मानसिंह दुगनी ताकत से लंड भेदता
कमरे में तेज चीख भरी चीख गूंज रही थी : अह्ह्ह्ह्ह नंदोई जी उम्मम और ओह्ह्ह्ह सीईईई क्या मस्त हथियार है आपका अह्ह्ह्ह पेलो उम्मम
मानसिंह : तुम बड़ी चुदक्कड़ हो भाभी अह्ह्ह्ह तुम जैसी गर्म औरत आज तक नहीं देखी ओह्ह्ह्ह लंड को अपने छल्ले में कसने की कला तुम्हे अच्छे से आती है ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह भाभी
रज्जो ने अपनी बुर को मानसिंह के लंड पर कस लिया और मानसिंह की तड़प बढ़ गई और रज्जो खुद अपने चूतड़ उसके लंड पर फेकने लगी
जल्द ही मानसिंह के पाव कांपने लगे और उसका लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाड़े की नस फूल गई : अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह भाभी ढीला करो आने वाला है
रज्जो ने पूरे जोश में अपनी गाड़ को पूरा पीछे ले गई और चूत से उसका लंड पूरी ताकत से जकड़ किया , मानसिंह का सुपाड़ा रज्जो की बुर के जड़ में था और मानो रज्जो की बुर उसका लंड सुरक रही हो और एकदम से लावा रज्जो की बुर के गहराई में फूट पड़ा : अह्ह्ह्ह्ह भाभी ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू बिच ओह्ह्ह्ह कितनी बड़ी रंडी हो तुम अब समझ आया अह्ह्ह्ह
रज्जो ने अपनी बुर ढीली की और सरक पर बिस्तर पर गिर गई और हांफते हुए हसने लगी : अह्ह्ह्ह मजा आ गया नंदोई जी क्या गर्म माल था उम्मम
मानसिंह : कुछ दिक्कत तो नहीं होगी , गोली है मेरे पास
रज्जो बिंदास होकर उसे रिलैक्स होने का इशारा किया और मानसिंह उसके बगल में आ गया और एकदम से मदन जैसे ही उसके आगे से हटा रज्जो की नजर भीड़के हुए दरवाजे पर गई और एकदम से एक परछाई वहा से सरकी ।
मगर रज्जो की तेज निगाहों ने दरवाजे के गैप से उन नीले टीशर्ट को पहचान गई जिन्हें उसने कुछ देर पहले छत पर देखा था ।
रज्जो उठी और पेटीकोट से अपनी बुर साफ करती हुई खड़ी हुई
मानसिंह बिस्तर पर लेटा हुआ : कहा चली
रज्जो हस कर : जा रही हूं आपके भाई साहब की खबर लेने , देखूं ठीक ठाक तो है
मानसिंह रज्जो की दिलदारी और खुलेपन से एकदम से एक्साइटेड हो गया था और वो कुछ बोलने के लिए उठा मगर रुक गया ।
रज्जो : क्या हुआ
मानसिंह : नहीं , कुछ नहीं
रज्जो : अब बोलो भी
मानसिंह हिम्मत नहीं कर पा रहा था तो रज्जो मुस्कुरा कर : ऐसा कुछ भी नहीं है आप चारो के बीच जो मै नहीं जानती और ये भी जानती हूं कि मुझे यहां क्यों लाया गया है
मानसिंह एकदम से खड़ा हो गया और उसने रज्जो के हाथ पकड़ लिए: आपको सच में कोई ऐतराज नहीं भाभी जी
रज्जो : भला मुझे क्यों ऐतराज होगा , बस कम्मो थोड़ी सी झिझकती है मुझसे
मानसिंह उसके कंधे पकड़ कर अपने सामने करता हुआ : उसकी झिझक कैसे दूर करनी है मुझे पता है , बस तुम बताओ क्या तुम तैयार हो ।
रज्जो ने आंखे उठा कर मानसिंह को देखा और हा में सर हिलाया : लेकिन परसो मुझे घर जाना है याद रहे ।
मानसिंह : वैसे भी कल संडे है तो कल ही ये काम होगा , मगर उससे पहले जरूरी है कि तुम छोटे से बात कर लो
रज्जो : ठीक है जैसा आप कहें ,देखती हूं।
रज्जो कुछ सोचती हुई मन में बड़बड़ाई : बात तो मुझे करनी है लेकिन छोटे नंदाई से नहीं किसी और से । रज्जो की जासूसी , बच्चू बताती हूं
रज्जो वहां से निकल गई और हाल में आई तो देखा किचन खाली था समझ गई कि तीनों ऊपर गए है और उसकी नजर अरुण के कमरे पर गई ।
कुछ सोचते हुए रज्जो अरुण के कमरे के पास गई और भिड़के हुए दरवाजे को खटखटा कर उसे आवाज दी : अरुण बेटा आ जाऊं
अरुण एकदम से सकपकाया और कमरे में कुछ हलचल हुई और उसकी आवाज आई टूटे हुए आवाज में : हा बड़ी मामी आ जाओ
रज्जो कमरे में दाखिल हुई और कमरे का दरवाजा वैसे ही लगाया , चीजें इधर उधर बिखरी हुई , बिस्तर पर किताबें और समान पड़े थे ।
रज्जो : ओहो पढ़ाई चल रही है बेटा
अरुण नजरे चुराता हुआ : हा बड़ी मामी , वो मेरे हाफ ईयरली एग्जाम आ रहे है न तो....
रज्जो उसके जवाब पर मुस्कुराई और उसकी नजर चार्जिंग में लगे अरुण के मोबाइल पर गई : पढ़ाई तो करता ही है तू लेकिन शैतानी भी कम नहीं है तेरी क्यों ?
अरुण को समझते देर नहीं लगी कि रज्जो ऊपर छत की बात कर रही थी : सॉरी बड़ी मामी, प्लीज आप मम्मी से कुछ मत कहना
रज्जो समझ गई कि लड़के की कमजोर कड़ी क्या है और वो मुस्कुरा कर : अरे मै क्यों कहूंगी , भला उससे मेरा क्या फायदा , मै तो तेरे फायदे के लिए आई थी ।
अरुण चौक कर : मेरा फायदा , कैसे ?
रज्जो : जितनी तांक झांक तू करता है मुझे नहीं लगता इस घर में जो कुछ भी हो रहा है उससे तू अंजान है क्यों ?
अरुण की हालत पतली होने लगी : मै , मै समझा नहीं बड़ी मामी आप क्या कह रही है ।
रज्जो उसके पास बैठती हुई उसके मोबाइल को चार्जिंग से निकालती हुई : खोल इसे
अरुण की हालत खराब होने लगी : क क्यों?
रज्जो : अरे डर क्यों रहा है , खोल न
अरुण ने हिम्मत करके मोबाइल का लॉक खोलकर मोबाइल रज्जो को दिया ।
रज्जो ने झट से गैलरी खोली लेकिन वहां सब कुछ क्लीन था ,कोई फोटो न वीडियो
अरुण : क्या खोज रही है आप
रज्जो आँखें महीन कर : वही जो अभी थोड़ी देर पहले तू रिकार्ड कर रहा था अपने बड़े पापा के कमरे में उम्मम
अरुण की आंखे फेल गई और उसका चेहरा सन्न रह गया : न न नहीं तो
रज्जो : ओहो तू फिर हकला रहा है , भाई मुझे वो बस फोटो और वीडियो चाहिए
अरुण : लेकिन किस लिए
रज्जो : मतलब तूने रिकॉर्ड किया न
अरुण : सॉरी बड़ी मामी
रज्जो : अब दिखाएगा
अरुण ने झट से मोबाइल में कुछ टैप टैप किया और ढेर सारी हिडेन फाइल निकल आई और रज्जो ने झट से उसके हाथ से मोबाइल ले लिया
रज्जो ने स्क्रॉल करना शुरू किया था तो सैकड़ो की संख्या में वीडियो फोटो थे
अरुण : बड़ी मामी रुकिए , मै दे रहा हु न
तभी उसकी नजर एक ऐसे फोटो पर गई जिसे देख कर वो चौक गई और उसने अरूण को देखा : ये कैसे मिला तुझे
अरुण का मुंह शर्म से झुक गया , वो फोटो वही थे रज्जो के बाथरूम में नहाते हुए जिन्हें आज सुबह शिला ने अपने क्लाइंट को भेजे थे : इसका मतलब तू भी इनकी स्ट्रीम देखता है , कबसे ?
अरुण मुंह नीचे किए हुए : बहुत दिन हो गए
रज्जो शॉक्ड होकर : और तूने मेरे फोटो और वीडियो के लिए 2000 दिए थे
अरुण : हा , लेकिन प्लीज आप किसी से कहना मत । मै ये सब डीलिट कर दूंगा प्लीज
रज्जो : वो सब तुझे जो करना है कर , मगर मुझे कुछ और जानना है ।
अरुण : क्या
रज्जो ने एक नजर दरवाजे पर देखा और थोड़ी उसके और करीब आकर : क्या तेरी बड़ी मां का कही बाहर भी कुछ चक्कर है ? गांव में किसी से
अरुण अपने दिमाग पर जोर देकर रज्जो के सवाल को समझता हुआ : नहीं तो ? क्यों ?
रज्जो ने झट से अपना मोबाइल निकाला है और एक मोबाइल नंबर अरुण को दिखाती हुई : ये किसका नंबर है ।
वो नम्बर देखते ही अरुण की आंखे बड़ी हो गई और उसका हलक सूखने लगा : मै , मै नहीं जनाता बड़ी मामी । पता नहीं किसका नंबर है ।
रज्जो : देख तू मुझसे झूठ तो बोल मत और अगर तू मुझे इस नंबर के बारे में बताता है तो सोच ले इसमें तेरा ही फायदा होगा
अरुण आंखे उठा कर : मेरा क्या फायदा ?
रज्जो मुस्कुरा कर धीरे से अपना हाथ उसके लंड पर लोवर के ऊपर से रख दिया और वो सिहर उठा : क्यों तुझे कुछ नहीं चाहिए मुझसे उम्मम
अरुण की हालत खराब होने लगी : ठीक है बताता हूं, लेकिन वादा करो ये बात आप कभी किसी से नहीं कहोगी
रज्जो अपने गले पर चुटकी से पकड़ कर : पक्का वाला वादा , कसम से
और फिर वो मुस्कुराने लगी ।
प्रतापपुर
रंगीलाल खाना खा कर थोड़ा टहल रहा था और घड़ी की सुइयां गिन रहा था और इधर राजेश बबीता को लेकर गोदाम के लिए निकल रहा था ।
जैसे ही रंगीलाल ने किचन खाली देखा वो लपक कर सुनीता के पास जा पहुंचा और वो फ्रिज से दूध निकाल रही थी गर्म करने के लिए, वही रंगी ने उसकी पीछे से दबोच लिया : अह्ह्ह्ह धत्त बदमाश छोड़ो न मुझे
रंगी उसके पीछे खड़े होकर उसके कंधे को चूमता हुआ : क्या कर रही हो मेरी जानेमन
सुनीता सिसक कर : उम्मम बस आपके और बाउजी के लिए दूध गर्म करने जा रही थी
रंगीलाल उसके चर्बीदार पेट पर हाथ रख कर ऊपर सीने की ओर जाने लगा : उम्हू मुझे ये वाला चाहिए
सुनीता एकदम से सतर्क होती हुई रंगीलाल के हाथ रोकती हुई घूम गई : धत्त क्या कर रहे है
रंगीलाल उसके कंधे से साड़ी सरका कर उसके गर्दन गाल और सीने को चूमने लगा : प्यार कर रहा हूं तुम्हे मेरी रसभरी
सुनीता उसके होठों के स्पर्श से पागल होने लगी लेकिन उसने रंगी को झटक कर अलग किया : धत्त बदमाश, अभी भी रंगी तड़प कर उसके नंगे पेट को सहलाता हुआ : फिर कब
सुनीता : सबर करो मेरे राजा , बाउजी और मीठी को सो जाने दो न
बाउजी का नाम आते ही रंगी को अपनी योजना याद आई ससुर के साथ वाली
रंगी समझ गया उसे क्या करना है इधर सुनीता ने चूल्हे पर दूध चढ़ा दिया
रंगी लाल : ये किसका है
सुनीता : मेरा क्यों ?
रंगीलाल उस ग्लास से भरे दूध को सूंघ कर : सच में तुम्हारा है
सुनीता शर्मा कर हस्ती हुई : धत्त पागल हो क्या ? वो मेरा है मतलब मै ठंडा दूध ही पीती हूं
रंगीलाल : मुझे भी पिलाओ न अपना ठंडा दूध
सुनीता उसकी आंखों में देख कर : पी लो न फिर
रंगीलाल उसके करीब आकर : ऊहू ऐसे नहीं
सुनीता उसकी आंखों में देखते हुए : फिर
रंगीलाल ने वो ग्लास सुनीता के मुंह में लगाया और उसे पिलाने लगा और दूध का कुछ हिस्सा उसके रस भरे होठों से भर आने लगा तो एकदम से रंगी ने अपने होठ उसके होठ से जोड़ दिए
और सुनीता के होठ चूसने लगा और उसकी थुड़ी फिर गले तक रिस दूध को चाटने और पीने लगा , सुनीता एकदम से मदहोश हो गई : उम्ममम अह्ह्ह्ह उफ्फफ आप पागल कर रहे हो मुझे
रंगी उसकी आंखों में देख कर : और तुम मुझे
अगले ही पल आधा गिलास दूध रंगी ने सीधा सुनीता के सीने पर उड़ेल दिया जो बह कर उसके ब्लाउज की दरारों में जाने और रंगी ने झट से अपना जीभ निकाल कर उसको चाटने लगा , सुनीता मचल उठी : ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह क्या कर रहे है अह्ह्ह्ह उम्मम
रंगीलाल खड़े खड़े उसके डिप नेक वाले ब्लाउज़ के दरारों में जीभ डालने लगा और सुनीता ने उसके सर को पकड़ लिया : अह्ह्ह्ह रुक जाओ प्लीज , रुक जाओ अह्ह्ह्ह
रंगीलाल उससे अलग होकर अपना लंड पजामे के ऊपर से सहलाता हुआ : अब और रुका नहीं जाता प्लीज
सुनीता हांफती हुई : बस 2 मिनट में मै अभी आई ये दे कर
और सुनीता एक ट्रे में दूध के दो ग्लास लेकर निकल गई और रंगी अपना लंड मसलने लगा , वही उसके मोबाइल पर एक कॉल रिंग हो रहा था ।
वो नम्बर देख कर रंगी की दुविधा बढ़ने लगी थी, कि अब वो किस ओर जाए । एक ओर सुनीता जैसी गदराई मोटी माल दूसरी ओर कमला जैसी रांड को ससुर के साथ भोगने का मजा
आखिर क्या करेगा रंगी .... किसे चुनेगा और किसे छोड़ेगा ।
Bahut ji jabardast padke hi kuch kuch hone laga hai... Amazing writing skills bro... Jab likh aisa rahe ho to dimag me kya kya chal raha hoga... Waiting for raj anuj and ragini... Àapne itne seen bana diye hai bhai special requesthai ek episode only sonam or aman ka honeymoon part with geeta and Babita seen please
मुहल्ले में घुसते ही वहां की रौनक ने राज को चकाचौंध कर दिया , डीजे पर चलते एक से बढ़कर एक गानों ने माहौल पूरा हाइ रहा था। वहां पर कसबे से एक से बढ़ कर एक धन्ना सेठ और आए थे । कुछ अंजान चेहरे भी थे जिनसे राज कभी रूबरू नहीं हुआ था और उनमें से कुछ उसे पहचान थे उसके पापा के नाम से तो हाल चाल भी हुआ ।
तभी उसकी नजर संजीव ठाकुर पर गई और उसने पाव छू कर उन्हें नमस्ते किया
संजीव : अरे राज , आजा बेटा , भाई तुम्हारे पापा तो ससुराल में मजे ले रहे है हाहाहाहाहा
उनकी बातों से राज को थोड़ी झेप भरी शर्मिंदगी सी लगी मगर वो समझ रहा था कि संजीव ठाकुर नशे की जकड़ के आ रहा है धीरे धीरे और दूसरे हाथ अभी भी विस्की का ग्लास था ।पार्टी ऑलमोस्ट चालू ही थी , लोग खा पी रहे थे ।
राज : अंकल , आंटी जी कहा है ?
संजीव : अरे अभी वो रेडी हो रही होगी , जाओ अंदर देखो और बोलो सब राह देख रहे है
राज : जी अंकल
फिर वो वहां से निकल गया और पहली बार घर के बरामदे से अंदर दाखिल हुआ
अंदर तो और बड़ा सा हाल था जहां पहले से ही सेलिब्रेट करना का पुख्ता इंतजाम था, कुछ कैटरिंग स्टाफ थे और सोफे पर कुछ औरते भी बैठी थी शायद मेहमान रही होगी ।
राज नीचे का माहौल देख कर समझ गया कि इनका कमरा ऊपर नहीं हो सकता था और उसे कुछ धुंधला सा याद भी था कि एक बार सरोजा ने उससे जिक्र किया था वीडियो काल पर जब वो नशे में थी और उसने अपना पूरा घर दिखाया था ।
उसी धुंधली याद के सहारे राज ऊपर चला गया ,
शायद ऊपर आने की सभी को सख्त मनाही थी , तभी तो वहां एकदम से एक चुप सन्नाटा था । बस डीजे पर चल रही गाने की आवाज थी । पूरा घर झालर और लाइट्स से रोशन मानो किसी की शादी हो ।
राज इधर उधर देखता हुआ बड़ा ही संकुचित था मगर भीतर से उत्साहित भी जिस तरह से आज उसने ठकुराइन से बात की थी । इतनी बिंदास औरत से उसका लगाव होना जायज भी था और नए चूत की तलब से उसकी बेचैनी और बढ़ रही थी ।
मगर हिचक भी थी कि कही किसी गलत कमरे में न दाखिल हो जाए ,
तभी उसके कानों कुछ आवाजें आई
" अह्ह्ह्ह नहीं बाउजी देर हो जाएगी , अह्ह्ह्ह मान जाइए न "
" ओह्ह्ह बहु तुम्हारी ये चिकनी जांघें देख कर अब और रहा नहीं जायेगा अह्ह्ह्ह "
इन शब्दों को सुनते ही राज के कान खड़े हो गए और उसका लंड फड़कने लगा , उसके जहन वो याद ताज़ा हुई जब रुबीना ने इस बारे में जिक्र किया था कि ठकुराइन और उसके ससुर का चक्कर है ।
राज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था वो आस पास देखने के बाद धीरे से दरवाजे के पास पर्दो के बीच से झांका तो देखा कमरे में ठकुराइन पूरी तरह से सज धज कर तैयार है और बड़े ठाकुर ने उसे औंधे बिस्तर पर झुका रखा था और उसकी साड़ी उठा रहा था पीछे : ओह्ह्ह्ह बहु ये बाल हटाने के बाद तेरे चूतड़ कितने रसीले हो गए है उम्ममम
ठकुराइन बड़े ठाकुर के चुम्बन से सिहर उठी : अह्ह्ह्ह बाउजी जल्दी करिए, सब नीचे आ गए है । मालती के पापा फोन भी कर रहे है ।
तबतक बड़े ठाकुर ने अपना नाडा खोलकर अपने लंड को ठकुराइन की चूत पर लगाया और ठाकुराइन पगलाने लगी , उसकी आंखे उलटने लगी और देखते ही देखते एक जोर का झटका : ओह्ह्ह्ह बाउजी उम्मम कितना टाइट है अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह
बड़े ठाकुर : ओह्ह्ह बहु तेरी चूत की गर्मी मुझे पागल कर देती है , आज पार्टी के बाद तुझे लंबी सैर करूंगा अह्ह्ह्ह
राज आंखे फाड़ कर अंदर झाक रहा था और उसे लगा यही मौका है ठकुराइन को अपने जाल में फंसाने का और वो अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर रिकॉर्ड करना चाह रहा था कि किसी ने उसे पीछे से थपथपाया
राज एकदम से सन्न हो गया और पलट कर देखा तो उसके पीछे सरोजा खड़ी थी, खूबसूरत झिलमिलाती साड़ी में उसका अंग और निखर रहा था और उसने अपने मुंह पर उंगली रख कर चुप रहने का इशारा करते हुए उसे एक कमरे में ले गई ।
वहां जाते ही वहां की दिवाल पर सजावटी चीजों को देखकर राज समझ गया कि वो सरोजा का कमरा है और अगले ही पल सरोजा ने उसे अपनी ओर खींचा : आज कल तुम बहुत खोए से हो , भूल ही गए हो मुझे
राज ने एकदम से उसके चौड़े चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से मसलने लगा और उसके लिप्स चूसते हुए : तुम भूलने वाली चीज नहीं हो मेरी जान, मै तो तुम्हे ही खोज रहा था लेकिन यहां देखा तो अलग ही खेल चल रहा है अह्ह्ह्ह
सरोजा : उम्मम उन्हें खेलने दो अपना खेल , तुम अपना शुरू करो और वो अपने कंधे से साड़ी की पिन निकालने लगी
तो राज ने झट से उसके हाथ रोके और साड़ी के नीचे से उसकी चिकनी गुदाज कमर में हाथ डाल कर : सीईई रहने दो न अभी रात बाकी है खोलने के लिए, फिलहाल क्विकी से काम चला लेते है क्यों
सरोजा मुस्कुरा कर उसक लिप्स चूसने लगी : सीईईई कुछ भी करो बस भर दो मुझे कितना तड़प रही हूं अह्ह्ह्ह
राज उसके गर्दन पर चूमता हुआ : उम्मम तो बुलाया क्यों नहीं
सरोजा : जैसे तुम बड़े फ्री थे , अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म
राज उसकी साड़ी और पेटीकोट उठा कर उसके नंगे मोटे चूतड़ों को पंजों से नोचने लगा : सॉरी न मेरी जान उम्मम तुम्हारे गाड़ कितने मुलायम है सीईईई ओह्ह्ह
सरोजा सिहर कर आंखे बंद कर राज के दोनों पंजे अपने चूतड़ों पर महसूस कर रही थी और आगे से उसके पेंट में बना तंबू उसकी पेडू के पास ठोकरें मार रहा था ।
एकदम से राज ने उसे घुमाया और एक टेबल पर झुकाया और उसके साड़ी उठाते हुए उनके नंगे मोटे चूतड़ों को सहलाते हुए उसपे अपने पंजे जड़ने लगा : अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म यश उम्मम फक्क्क् मीइ राज ओह गॉड उम्मन
राज उसके जांघों के बीच अपने पंजे से उसकी गीली बुर को टटोलने लगा और दूसरे हाथ से अपना लंड पेंट से निकालने लगा
राज उसके चूचे ब्लाउज के ऊपर से मसलते हुए: योर डिश इज रेडी माय सेक्सू बेबी उम्मम गो
सरोजा समझ गई और घूम कर नीचे बैठ गई और देखते ही देखते राज का मोटा लंबा लंड आधा उसके मुंह में: ओह्ह्ह्ह येस उम्मम अह्ह्ह्ह्ह और चूसो उम्ममम तुम्हारी यही अदा ने मुझे पागल कर रखा अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई
सरोजा बड़ी शिद्दत से राज के टोपे को चुबला रही थी उसकी आंखे ही राज से बात कर रही थी और एकदम से वो उठी और अपनी साड़ी उठा कर कमर तक करते हुए बिस्तर पर घोड़ी बन गई
राज ने अपना पेंट पूरा नीचे किया और लंड को सीधा उसके बुर के फांके में लगाते हुए हचाक से उतार दिया : ओह्ह्ह्ह गॉड कितना गर्म है अह्ह्ह्ह सीईईईईई
सरोजा अपनी बुर में राज के मोटे टोपे को घुसता महसूस कर पागल होने लगी : ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई फक्क अह्ह्ह्ह्ह इतने इतने दिन तक नहीं आओगे तो आग लगेगी न आहे और तेज उम्मम ऐसे ही अह्ह्ह्ह्ह और उम्ममम फक्क्क् मीईईईई
राज : तुम्हे नहीं लगता कि तुम्हे एक और साथी की जरूरत है , जो रोज तुम्हारा ख्याल रखे
सरोजा राज का लंड महसूस करती हुई : तुम तो जानते हो न , बाहर के लोग भरोसे लायक नहीं हैं और शादी मुझे करनी नहीं है
राज का लंड कुछ सोच कर और फूलने लगा जिसका अहसास सरोजा को हुआ : अह्ह्ह्ह्ह क्या सोच रहे हो उम्मम
राज मुस्कुरा कर उसके चूतड़ों को थामे और करारे झटके लगाने लगा : अह्ह्ह्ह्ह कुछ नहीं मेरी जान
सरोजा अपने चूत के छल्ले को राज के लंड पर कसती हुई : मुझसे झूठ नहीं बोल पाओगे राज , तुम्हारा अह्ह्ह्ह्ह येहह जोश उम्मम बता रहाअअ है कि तुमने मेरे बारे में कुछ बहुत गंदा सा सोचा क्यों
राज अपने टोपे की गांठ पर सरोजा के चूत के छल्ले की रगड़ से पागल होंने लगा उसकी सांसे बेकाबू होने लगी , उसके तपते फुले सुपाड़े पर एक तीखा घर्षण होने लगा था : अह्ह्ह्ह हा मेरी जान
सरोजा : क्या बताओ न उम्मम
राज : वो मै सोच रहा था कि अगर बाहर वालो से डर है तो अह्ह्ह्ह गॉड कितनी टाइट कैसे अह्ह्ह्ह सीईईईईई
सरोजा : बताओ न उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह प्लीज
राज : वही मै कह रहा था कि बाहर वालो से अगर दिक्कत है तो घर में ही किसी को देख लो न, कुछ लोग है जिन्हें जिस्म की जरूरत कुछ ज्यादा है अह्ह्ह्ह क्या कहती हो
सरोजा एकदम से अकड़ गई : तुम्हारा मतलब पापा से ,
राज मुस्कुरा और एकदम से अपना लंड तेजी से उसकी चूत में उतारने लगा : सोचो हर रात तुम्हारी बुर भरी रहेगी और बड़े ठाकुर है भी तो ठरकी पूरे उम्मम
सरोजा : अह्ह्ह्ह वो जो भी हो , लेकिन बाउजी से नहीइईई
राज अपना लंड एकदम जड़ तक ले जाता हुआ : तो संजीव अंकल से
एकदम से सरोजा के हाव भाव रुक गए और राज को कुछ कुछ अंदेशा होने लगा
राज अपनी स्पीड हल्की करता हुआ : क्या हुआ , कुछ बात है उम्मम
सरोजा : हा वो भइया की नजर है थोड़ी मुझपर लेकिन मै पक्का कुछ कह नहीं सकती इस बारे
राज का मोटा लंड एक बार फिर एक नई ऊर्जा से फड़का और उसने अपने लंड में वापस से गति देते हुए : उम्मम फिर आज पक्का कर ही लेते है क्यों
सरोजा : कैसे ?
राज मुस्कुरा कर अपना लंड तेजी से उसकी बुर में डालता हुआ : वो तुम मुझपर छोड़ दो
उफ्फ मजा आएगा हाहा .....
राज के घर
सोनल के कमरे में उसके बैग खोले जा रहे थे
रागिनी थोड़ी सी चिढ़ी हुई थी : अगर सोनल मुझसे पूछा कि उसका बक्सा किसने खोला तो मै तो तुझे ही बोलूंगी
अनुज थोड़ा डरा क्योंकि दो बैग और एक बक्सा खोलने के बाद भी अभी तक उन्हें सोनल के कैजुअल कपड़े नहीं मिले थे । एक बक्से में तो उसकी पढ़ाई और कालेज की चीजें थी अब यही एक आखिरी बक्सा था कमरे में
तभी अनुज चहका : मिल गई
रागिनी : क्या?
अनुज : दीदी की स्कर्ट , ये देखो
अनुज ने हाथ में एक लाल रंग की स्कर्ट पकड़ कर दिखाई , जो बड़ी ही चमकीली थी ।
रागिनी : हा इसपर वो कोई काले रंग की टॉप पहनती थी , वो भी होगी खोज
अनुज की झट से एक काली टॉप पर गई और उसने खींच ली : ये रही हीही
रागिनी आंखे महीन कर उसकी खुशी को पढ़ना चाह रही थी मगर सिवाय मासूमियत के उसे कुछ भी नजर नहीं आया और वो हंसती हुई : पागल कही का , ठीक है अब ये रख कर अच्छे से बंद करके नीचे आ
अनुज चौक कर : अकेले ?
रागिनी : हा अकेले हिहीही, मै तो चली नहाने
अनुज को थोड़ा सा खीझ तो हुआ कि फिर से मेहनत करनी पड़ेगी , लेकिन वो अपनी मां की चुलबुली मस्तियों से खुश था और इस बात के एक्साइटेड भी कि कैसे लगेगी उसकी मां टॉप स्कर्ट में
वो फटाफट में काम निपटाने लगा और इसी दौरान उसके कानो में कुछ आवाज आ रही थी और फिर एकदम से उसके कान खड़े हुए कि ये गाने की आवाज नीचे आ रहे थे , सोनल की शादी में घर के लिए भी एक टीवी लिया गया था मगर अनुज को कभी इसमें इंटरेस्ट नहीं रहा अपने लैपटॉप के आगे । लेकिन आज की बात कुछ और थी , टीवी पर 90s के एवरग्रीन गाने चल रहे थे और अनुज खुश होकर नीचे आने लगा । आमतौर पर अनुज अपनी मम्मी को कभी कभार गुनगुनाते सुना तो था , मगर उसका ये किरदार घर में सबसे छिपा था कि वो गाना सुनना भी पसंद है वो भी रोमांटिक
अनुज नीचे आया तो देखा कि कमरे का दरवाजा बंद है और उसने आवाज दी
कुछ ही देर में रागिनी की आवाज आई और उसने टीवी का वॉल्यूम कम करते हुए दरवाजा खोला और अनुज एकदम से ठिठक गया
सामने उसकी मां ब्लाउज और स्कर्ट में खड़ी थी
अनुज आंखे फाड़ कर उसके नंगे पेट और गुदाज नाभि को देख रहा था : वाव मम्मी , कितनी मस्त लग रही हो
रागिनी ने स्कर्ट की लास्टिक खींच कर अपने नाभि को कवर करती हुई : ये छोटी नहीं है
अनुज की नजर एकदम से नीचे गई और देखा कि ये स्कर्ट तो उसकी मां के घुटनों के कुछ इंच ही नीचे थे और उसकी नंगी गोरी दूधिया पिंडलियां साफ नजर आ रही थी : नहीं तो , स्कर्ट ऐसे ही होता है और आपने टॉप नहीं पहना
रागिनी थोड़ी असहज होकर : कल पहन लूंगी उसको , तुझे नहीं लगता मै नचनिया जैसी लग रही हूं
अनुज ने एक ही पल में अपनी मां को उस रूप में कल्पित किया और एकदम से खुद को झटका : भक्क नहीं तो
रागिनी हस कर : क्या नहीं , देख ऐसे ही लहराती है न सब अपना घाघरा हीहीही
अनुज कभी भी अपनी मां की उस रूप में कल्पना भी नहीं करना चाहता था : नहीइई बक्क
मगर रागिनी आज मस्ती के मूड में थी और उसने झट से रिमोट उठा कर चैनल बदला और एकदम से एक भोजपुरी चैनल का गाना लगा दिया : हीही रुक दिखाती हु
और गाना भी कम अश्लील नहीं था
" लहरिया लुटा ये राजा "
एकदम से रागिनी ने उसके आगे ठुमके लगाते हुए अपने स्कर्ट को हवा में लहराने लगी और इस दौरान बिना ब्रा के उसकी चूचियां हवा में खूब उछल रही थी , नीचे स्कर्ट उठने से उसकी चिकनी जांघें देख कर अनुज का लंड कसने लग
और एकदम से रागिनी ने खिलखिलाते हुए उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचा : नाच न
अनुज शर्मा रहा था और रागिनी उसके दोनों हाथ पकड़ कर अपने कूल्हे उसकी ओर झटक रही थी , अनुज ने आखिर दो बार अपने कूल्हे सेम रागिनी की तरह झटके तो रागिनी खिलखिला कर हसने लगी : तुझे नाचने नहीं आता हाहाहाहाहा
अनुज मुस्कुरा कर थोड़ा शर्माता हुआ : बक्क नहीं , भोजपुरी गाने पर कौन नाचता
रागिनी ने उसे घूरा : मै और कौन ? , तुझे अच्छा नहीं लगा क्या मेरा डांस
अनुज ने उसका डांस देखा ही कहा था उसकी नजरें अपनी मां के बड़े बड़े रसीले मम्में और चिकनी जांघों से हटे तब न
" नहीं वो बस गाना अच्छा नहीं था , आप हिंदी गाने पर करो न " , अनुज ने अपने दिल की बात कही
रागिनी खिलखिलाई : हिंदी गाने पर किसी को डांस करते देखा है ,पागल और होली पर तू भी भोजपुरी पर खूब नाच रहा था
अनुज : हा ... वो , लेकिन आप नचनिया न कहो खुद को
रागिनी को समझ गया कि अनुज को उसके डांस या भोजपुरी चॉइस से नहीं बल्कि उसके किरदार बदलने से दिक्कत है और वो हस कर उसको अपने सीने से लगा लेती : आ मेरा बेटा , इतना प्यार करता है मुझे
अनुज अपनी मां के सीने से लग कर एकदम से सिहर उठा और कुछ भावनाएं भी भर : हम्ममम , आप मेरी मम्मी हो न प्यारी थी ।
रागिनी : अच्छा ठीक है बाबा , नहीं कहूंगी कभी ऐसा कुछ , खुश
अनुज : हम्ममम आई लव यू
रागिनी हसने लगी : पागल , चल छोड़ मुझे मै ये कपड़ा ही निकाल देती हूं
अनुज एकदम से चौक कर : क्यों ?
रागिनी : तुझे ही पसंद नहीं न तो ?
अनुज : नहीं अच्छी तो लग रही है , बस वो मत बुलाना खुद को
रागिनी हस कर तो क्या बुलाऊं : गांव को गोरी
अनुज को ये नाम बड़ा नया और लुभावना लगा तो खुश होकर : हा चलेगा
रागिनी हस्ती हुई : चलेगा ! , पागल हिहीही, चल अब खाना बना लू और तू भी पढ़ाई करने बैठ अब
अनुज : जी मम्मी
फिर रागिनी कमरे से निकल गई और अनुज ने टीवी बंद कर ऊपर अपने कमरे में चला गया किताबें लेने ।
अमन के घर
खुले आसमान के नीचे हल्की सर्द हवाएं चल रही थी , मदन और ममता दोनों साल ओढ़े छत की चारदीवाली के पास खड़े होकर दूर अंधियारे में निहार रहे थे , पास ही एक इलेक्ट्रिक अंगीठी जल रही थी और एक चटाई पर खाना और कांच के ग्लास के साथ शराब की सीसी रखी थी ।
मदन आंखे फाड़ कर छत पर दूर जीने के पास लगी 5 वाट की बल्ब की रोशनी में ममता को सिगरेट के कस लगाते देख रहा था और धुआं उड़ाते हुए : उफ्फफ अह , मजा आया गया , लीजिए आप भी न
ममता ने अपना झूठा सिगरेट मदन को ऑफर किया और मदन हिचकता हुआ उसको हाथ में पकड़ता हुआ: कितने साल बाद ?
ममता मुस्कुरा : जब अमन पेट में आ गया तो छोड़ दी थी उसके बाद सीधा आज
मदन सिगरेट की कस लेकर ममता को देता हुआ : आपको देख कर कोई कहेगा नहीं कि इतने साल का गैप है
ममता मुस्कुरा कर : ऐसे पलों के लिए दोस्त होना भी जरूरी है न , वरना अमन के पापा को तो आप जानते ही है
मदन हस कर : हा , वो इन मामलों में थोड़े कम फ्रेंडली है , दो चार बार तो मुझे भी फटकार मिली है । मगर तलब है क्या किया जाए
ममता हस कर : तो तलब मिटाया जाए हाहाहाहाहा
मदन समझ गया कि ममता का इशारा किधर है और वो पैग बनाने लग
मदन : वैसे सच कहूं भाभी , मैने सपने में भी नहीं सोचा था कि आप भी ड्रिंक कर सकती है , लीजिए
ममता मदन के हाथ से शराब का ग्लास पकड़ती हुई मुस्कुरा : क्यों भई इसपर सिर्फ मर्दों की मनॉपली है क्या , हाहाहाहाहा
मदन हस कर : नहीं बस ऐसे ही ख्याल आ रहा था कि मैने इतने सालों से आपको देखा लेकिन कभी आपके ऐसे रूप की की कल्पना नहीं की थी
ममता सीप लेती हुई : किस वाले , ये वाले ( ममता ने ग्लास उठा कर ) या फिर कल रात वाले हाहाहाहाहा
मदन शर्म से झेप गया : क्या भाभी आप भी
ममता मुस्कुरा कर : क्यों ? साफ साफ बोलिए न
मदन अटक कर मुस्कुराता हुआ ममता की बातों से सहमति दिखाता हुआ : हा मतलब दोनों ?
ममता हस कर : अभी मुझमें बहुत सी ऐसी बाते छुपी हुई जिनसे आप रूबरू नहीं है देवर जी
मदन जिज्ञासु होकर: जैसे की
ममता मुस्कुरा कर: ऊहू इतने उतावले मत हो , सबर रखो पूरी रात पड़ी है उन बातों के लिए
मदन के बदन में शराब की गर्मी उतर रही थी और एक अजीब अहसास से वो सिहर भी उठा था । वही ममता ने ग्लास किनारे रख खाना परोसने लगी और दोनों खाना शुरू भी कर दिये
ममता को हिचकी आ रही थी तो मदन ने पानी का ग्लास दिया और उसको पी कर : वैसे खाना बड़ा जायकेदार है देवर जी
मदन हस कर : आपकी बराबरी नहीं कर पाऊंगा भाभी ,
कुछ ही देर बाद खाना खा कर दोनों उठ गए : उह मजा आ गया देवर जी , सच में इस दावत के दिल से शुक्रिया आपका
मदन हाथ धुलता हुआ : क्या भाभी आप भी हाहाहाहाहा , इसमें दावत जैसा क्या था ,
ममता अपने कंधे से साल उतारती हुई : उफ्फ गर्मी होने लगी है अब
मदन अपने हाथ में ड्रिंक का ग्लास पकड़े हुए : हा ये थोड़ी तगड़ी है , धीरे धीरे असर करती है
ममता मुस्कुराने लगी तो मदन : क्या हुआ मुस्कुरा क्यों रही है
ममता मुस्कुरा कर : कुछ नहीं सोच रही हूं अगर मैं यही बेहोश हो गई तो मुझे नीचे कौन ले जाएगा ।
मदन ताव दिखा कर : क्यों आपको मुझपर कोई शक है क्या , फौज में रहा हूं भाभी यू टांग लूंगा
ममता खिलखिलाई : हाहाहा हा जैसे मै बड़ी हल्की हूं , आपके भैया के ऊपर हो जाती हूं तो सास फूलने लगती है हाहाहाहाहा
मदन ममता का जवाब समझ गया कि वो कब मुरारी के ऊपर होती है और थोड़ा असहज होने लगा
ममता उसको मुंह फेरता और चुप देख कर हसने लगी : ओ हेलो , बहुत आगे मत सोच लेना , वापस आओ वापस आओ मै बिस्तर पर सोने की बात कर रही हूं, वो वाला नहीं
मदन की हसी अब फुट पड़ी : हाहाहाहा आप जिस तरह से बोली उससे तो यही लगा कि... हीही
ममता की आंखों में नशा उतर रहा था साथ ही मदन के भी और धीरे धीरे मदहोशी हावी हो रही थी
ममता फैली हुई मुस्कुरा से : कि मै sex की बात कर रही हूं न हाहाहा
मदन एकदम से चौका और समझ गया कि ममता पर थोड़ी थोड़ी चढ़ रही है
मदन खुद को सम्भाल कर एक गहरी सास लिया : भाभी , चलिए नीचे चलते है
ममता : क्यों ? क्या हुआ , आप डरते क्यों हो देवर जी । अरे मर्द बनो मर्द
मदन हस कर : भाभी जी मै तो मर्द ही हू
ममता मुस्कुरा कर : ओह हा , हीहीहिही
मदन : भाभी , भाभी सुनिए चलते है कोहरा बढ़ रहा है ठंडी लग जाएगी
ममता : कहा ठंडी है , पता है कल रात को तो मै यहां नंगी..... (अपने मुंह पर उंगली रखते हुए ) अपने भैया को मत कहना.. मै यहाँ नंगी घूम रही थी हीहिही
ममता ने फुसफुसा कर मदन से बोली और ग्लास पूरा खाली कर दिया ।
मदन समझ गया कि अब अगर उसने देरी की मामला बिगड़ जायेगा , गनीमत यही है कि हलके कोहरे और सर्द मौसम से इतनी रात में कोई छत आस पास पर नहीं आया था ,मगर फिर उसे ममता की बेकाबू चीखों का डर था ।
मदन उसका हाथ पकड़ कर : आओ भाभी चलते है , आपको नहीं लेकिन मुझे लग रही है सर्दी
ममता ने उसको एकदम पास से घूरा : लगेगी न सर्दी , बीवी नहीं है आपके पास , इसीलिए शायाने कह गए हैं कि सही समय पर शादी कर लो
मदन हंसता हुआ उसको पकड़ कर बातों में उलझाए हुए जीने की ओर ले जाने की कोशिश करता हुआ : अब इतनी रात में किसकी बीवी लाऊ
ममता हस्ती हुई : किसकी बीवी ? हाहाहाहा , क्यों भाई दूसरों की बीवियां पसंद है क्या , कही मै तो पसंद नहीं आ गई
मदन हस कर : क्या भाभी आप भी , कैसी बात कर रही है
ममता : अरे दो बार , दो बार आपने मुझे नंगी देखा फिर भी कहते पसंद नहीं , क्या मै खूबसूरत नहीं देवर जी
मदन की आंखे बड़ी हो गई और सांसे चढ़ने लगी वो ममता की आंखों में देख रहा था और उसका हलक सूखने लगा , उसकी आंखों के सामने ममता का नंगा गदराया बदन नाचने लगा , वो बड़ी मोटी छातियां, फैले हुए भड़कीले चूतड़ बजबजाती बुर और भींचा हुआ सिसकता हुआ चेहरा , एकदम से उसका लंड पजामे में तंबू बनाने लगा
मदन की जबान लड़खड़ाने लगी : मैने कब कहा कि आप पसंद नहीं , आपकी जैसी बीवी होना किस्मत की बात है भाभी , और मै किस्मत वाला हूं कि मुझे इतनी प्यारी भाभी मिली है जो सबका ख्याल रखती है और सबको खुश रखती है ।
ममता मुस्कुरा कर : बात को गोल मटोल घुमाओ मत देवर जी , सच सच बताओ कमरे में जब मुझे चादर उढ़ाया तो जरा भी आपका ईमान नहीं डोला उम्मम
मदन हड़क उठा : कैसी बात कर रही है आप मेरी भाभी है , मै भला क्यों ऐसा सोचूंगा
ममता मुस्कुरा कर : अच्छा खाओ मेरी कसम कि आपको मुझे देख कर कुछ हुआ नहीं था और आपने मुझे छुआ नहीं
मदन की हालत खराब होने लगी और ममता हसने लगी : देखा पकड़े गए
मदन सीरियस होकर : आपकी कसम भाभी , मैने आपको देखा जरूर लेकिन छुआ नहीं
ममता मुस्कुरा: उफ्फ बड़े सख्त मर्द हो फिर तो हाहाहाहाहा
मदन मुस्कुराने लगा: बिलकुल सही समझा आपने
ममता मुस्कुरा कर थोड़ी पीछे हुई : फिर मुझे अब डरने की जरूरत नहीं आपसे
मदन अभी स्थिति समझने की कोशिश कर रहा था कि तबतक ममता ने एक झटके में खड़े खड़े अपनी नाइटी उतार फेंकी और एकदम से नंगी होकर मदन के आगे खड़ी हो गई ।
ममता खिलखिलाई : अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ कितना मस्त मौसम हुआ है
मदन आंखे फाड़ कर उसे देख रहा था , कभी उसकी लटकी हुई बड़ी बड़ी पपीते जैसी चुचियों को तो कभी जांघों के बीच की झुरमुट को और कभी उसके चौड़े फैले चूतड़ों को
ममता हाथ फैला कर हवा में घूमते हुए पीछे वाली चारदीवारी की ओर जाने लगी और उसकी बड़े भड़कीले चूतड़ों को नंगा थिरकता देख मदन का लंड अकड़ गया, तेजी से भागता हुआ वो ममता के पास पहुंचा
लेकर उसे उढ़ाने लगा : भाभी , क्या कर रही है कोई देख लेगा
ममता हस्ती हुई : यहां कौन देखेगा अंधेरे में आपके सिवा, और आपसे कोई डर नहीं मुझे हाहाहाहाहा
मदन का लंड फड़क रहा था वो कैसे कहता कि उसके बड़े नंगे चूतड़ों की कसी दरारों को देख कर उसके मुंह ने पानी आ रहा है
मदन ने एक बार और कोशिश की कि ममता को चादर उढ़ाये लेकिन उसने चादर इस बार छत से बाहर फेक दिया
मदन समझ रहा था कि ममता अब बेकाबू हो चुकी है , उसे अब तक ही तरीका समझ आ रहा था और उसने बड़ी हिम्मत कर बोला: भाभी मुझे आपको कुछ बताना है ।
शिला के घर
शिला के कमरे में रज्जो आगे झुकी हुई थी और पीछे से मानसिंह उसके नरम चर्बीदार चूतड़ों को सहलाते हुए कस कस कर झटके दे रहा था उसकी चूत में और रज्जो के मोटे चूतड़ मानसिंह को खूब उछाल रहे थे जिसमें मानसिंह दुगनी ताकत से लंड भेदता
कमरे में तेज चीख भरी चीख गूंज रही थी : अह्ह्ह्ह्ह नंदोई जी उम्मम और ओह्ह्ह्ह सीईईई क्या मस्त हथियार है आपका अह्ह्ह्ह पेलो उम्मम
मानसिंह : तुम बड़ी चुदक्कड़ हो भाभी अह्ह्ह्ह तुम जैसी गर्म औरत आज तक नहीं देखी ओह्ह्ह्ह लंड को अपने छल्ले में कसने की कला तुम्हे अच्छे से आती है ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह भाभी
रज्जो ने अपनी बुर को मानसिंह के लंड पर कस लिया और मानसिंह की तड़प बढ़ गई और रज्जो खुद अपने चूतड़ उसके लंड पर फेकने लगी
जल्द ही मानसिंह के पाव कांपने लगे और उसका लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाड़े की नस फूल गई : अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह भाभी ढीला करो आने वाला है
रज्जो ने पूरे जोश में अपनी गाड़ को पूरा पीछे ले गई और चूत से उसका लंड पूरी ताकत से जकड़ किया , मानसिंह का सुपाड़ा रज्जो की बुर के जड़ में था और मानो रज्जो की बुर उसका लंड सुरक रही हो और एकदम से लावा रज्जो की बुर के गहराई में फूट पड़ा : अह्ह्ह्ह्ह भाभी ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू बिच ओह्ह्ह्ह कितनी बड़ी रंडी हो तुम अब समझ आया अह्ह्ह्ह
रज्जो ने अपनी बुर ढीली की और सरक पर बिस्तर पर गिर गई और हांफते हुए हसने लगी : अह्ह्ह्ह मजा आ गया नंदोई जी क्या गर्म माल था उम्मम
मानसिंह : कुछ दिक्कत तो नहीं होगी , गोली है मेरे पास
रज्जो बिंदास होकर उसे रिलैक्स होने का इशारा किया और मानसिंह उसके बगल में आ गया और एकदम से मदन जैसे ही उसके आगे से हटा रज्जो की नजर भीड़के हुए दरवाजे पर गई और एकदम से एक परछाई वहा से सरकी ।
मगर रज्जो की तेज निगाहों ने दरवाजे के गैप से उन नीले टीशर्ट को पहचान गई जिन्हें उसने कुछ देर पहले छत पर देखा था ।
रज्जो उठी और पेटीकोट से अपनी बुर साफ करती हुई खड़ी हुई
मानसिंह बिस्तर पर लेटा हुआ : कहा चली
रज्जो हस कर : जा रही हूं आपके भाई साहब की खबर लेने , देखूं ठीक ठाक तो है
मानसिंह रज्जो की दिलदारी और खुलेपन से एकदम से एक्साइटेड हो गया था और वो कुछ बोलने के लिए उठा मगर रुक गया ।
रज्जो : क्या हुआ
मानसिंह : नहीं , कुछ नहीं
रज्जो : अब बोलो भी
मानसिंह हिम्मत नहीं कर पा रहा था तो रज्जो मुस्कुरा कर : ऐसा कुछ भी नहीं है आप चारो के बीच जो मै नहीं जानती और ये भी जानती हूं कि मुझे यहां क्यों लाया गया है
मानसिंह एकदम से खड़ा हो गया और उसने रज्जो के हाथ पकड़ लिए: आपको सच में कोई ऐतराज नहीं भाभी जी
रज्जो : भला मुझे क्यों ऐतराज होगा , बस कम्मो थोड़ी सी झिझकती है मुझसे
मानसिंह उसके कंधे पकड़ कर अपने सामने करता हुआ : उसकी झिझक कैसे दूर करनी है मुझे पता है , बस तुम बताओ क्या तुम तैयार हो ।
रज्जो ने आंखे उठा कर मानसिंह को देखा और हा में सर हिलाया : लेकिन परसो मुझे घर जाना है याद रहे ।
मानसिंह : वैसे भी कल संडे है तो कल ही ये काम होगा , मगर उससे पहले जरूरी है कि तुम छोटे से बात कर लो
रज्जो : ठीक है जैसा आप कहें ,देखती हूं।
रज्जो कुछ सोचती हुई मन में बड़बड़ाई : बात तो मुझे करनी है लेकिन छोटे नंदाई से नहीं किसी और से । रज्जो की जासूसी , बच्चू बताती हूं
रज्जो वहां से निकल गई और हाल में आई तो देखा किचन खाली था समझ गई कि तीनों ऊपर गए है और उसकी नजर अरुण के कमरे पर गई ।
कुछ सोचते हुए रज्जो अरुण के कमरे के पास गई और भिड़के हुए दरवाजे को खटखटा कर उसे आवाज दी : अरुण बेटा आ जाऊं
अरुण एकदम से सकपकाया और कमरे में कुछ हलचल हुई और उसकी आवाज आई टूटे हुए आवाज में : हा बड़ी मामी आ जाओ
रज्जो कमरे में दाखिल हुई और कमरे का दरवाजा वैसे ही लगाया , चीजें इधर उधर बिखरी हुई , बिस्तर पर किताबें और समान पड़े थे ।
रज्जो : ओहो पढ़ाई चल रही है बेटा
अरुण नजरे चुराता हुआ : हा बड़ी मामी , वो मेरे हाफ ईयरली एग्जाम आ रहे है न तो....
रज्जो उसके जवाब पर मुस्कुराई और उसकी नजर चार्जिंग में लगे अरुण के मोबाइल पर गई : पढ़ाई तो करता ही है तू लेकिन शैतानी भी कम नहीं है तेरी क्यों ?
अरुण को समझते देर नहीं लगी कि रज्जो ऊपर छत की बात कर रही थी : सॉरी बड़ी मामी, प्लीज आप मम्मी से कुछ मत कहना
रज्जो समझ गई कि लड़के की कमजोर कड़ी क्या है और वो मुस्कुरा कर : अरे मै क्यों कहूंगी , भला उससे मेरा क्या फायदा , मै तो तेरे फायदे के लिए आई थी ।
अरुण चौक कर : मेरा फायदा , कैसे ?
रज्जो : जितनी तांक झांक तू करता है मुझे नहीं लगता इस घर में जो कुछ भी हो रहा है उससे तू अंजान है क्यों ?
अरुण की हालत पतली होने लगी : मै , मै समझा नहीं बड़ी मामी आप क्या कह रही है ।
रज्जो उसके पास बैठती हुई उसके मोबाइल को चार्जिंग से निकालती हुई : खोल इसे
अरुण की हालत खराब होने लगी : क क्यों?
रज्जो : अरे डर क्यों रहा है , खोल न
अरुण ने हिम्मत करके मोबाइल का लॉक खोलकर मोबाइल रज्जो को दिया ।
रज्जो ने झट से गैलरी खोली लेकिन वहां सब कुछ क्लीन था ,कोई फोटो न वीडियो
अरुण : क्या खोज रही है आप
रज्जो आँखें महीन कर : वही जो अभी थोड़ी देर पहले तू रिकार्ड कर रहा था अपने बड़े पापा के कमरे में उम्मम
अरुण की आंखे फेल गई और उसका चेहरा सन्न रह गया : न न नहीं तो
रज्जो : ओहो तू फिर हकला रहा है , भाई मुझे वो बस फोटो और वीडियो चाहिए
अरुण : लेकिन किस लिए
रज्जो : मतलब तूने रिकॉर्ड किया न
अरुण : सॉरी बड़ी मामी
रज्जो : अब दिखाएगा
अरुण ने झट से मोबाइल में कुछ टैप टैप किया और ढेर सारी हिडेन फाइल निकल आई और रज्जो ने झट से उसके हाथ से मोबाइल ले लिया
रज्जो ने स्क्रॉल करना शुरू किया था तो सैकड़ो की संख्या में वीडियो फोटो थे
अरुण : बड़ी मामी रुकिए , मै दे रहा हु न
तभी उसकी नजर एक ऐसे फोटो पर गई जिसे देख कर वो चौक गई और उसने अरूण को देखा : ये कैसे मिला तुझे
अरुण का मुंह शर्म से झुक गया , वो फोटो वही थे रज्जो के बाथरूम में नहाते हुए जिन्हें आज सुबह शिला ने अपने क्लाइंट को भेजे थे : इसका मतलब तू भी इनकी स्ट्रीम देखता है , कबसे ?
अरुण मुंह नीचे किए हुए : बहुत दिन हो गए
रज्जो शॉक्ड होकर : और तूने मेरे फोटो और वीडियो के लिए 2000 दिए थे
अरुण : हा , लेकिन प्लीज आप किसी से कहना मत । मै ये सब डीलिट कर दूंगा प्लीज
रज्जो : वो सब तुझे जो करना है कर , मगर मुझे कुछ और जानना है ।
अरुण : क्या
रज्जो ने एक नजर दरवाजे पर देखा और थोड़ी उसके और करीब आकर : क्या तेरी बड़ी मां का कही बाहर भी कुछ चक्कर है ? गांव में किसी से
अरुण अपने दिमाग पर जोर देकर रज्जो के सवाल को समझता हुआ : नहीं तो ? क्यों ?
रज्जो ने झट से अपना मोबाइल निकाला है और एक मोबाइल नंबर अरुण को दिखाती हुई : ये किसका नंबर है ।
वो नम्बर देखते ही अरुण की आंखे बड़ी हो गई और उसका हलक सूखने लगा : मै , मै नहीं जनाता बड़ी मामी । पता नहीं किसका नंबर है ।
रज्जो : देख तू मुझसे झूठ तो बोल मत और अगर तू मुझे इस नंबर के बारे में बताता है तो सोच ले इसमें तेरा ही फायदा होगा
अरुण आंखे उठा कर : मेरा क्या फायदा ?
रज्जो मुस्कुरा कर धीरे से अपना हाथ उसके लंड पर लोवर के ऊपर से रख दिया और वो सिहर उठा : क्यों तुझे कुछ नहीं चाहिए मुझसे उम्मम
अरुण की हालत खराब होने लगी : ठीक है बताता हूं, लेकिन वादा करो ये बात आप कभी किसी से नहीं कहोगी
रज्जो अपने गले पर चुटकी से पकड़ कर : पक्का वाला वादा , कसम से
और फिर वो मुस्कुराने लगी ।
प्रतापपुर
रंगीलाल खाना खा कर थोड़ा टहल रहा था और घड़ी की सुइयां गिन रहा था और इधर राजेश बबीता को लेकर गोदाम के लिए निकल रहा था ।
जैसे ही रंगीलाल ने किचन खाली देखा वो लपक कर सुनीता के पास जा पहुंचा और वो फ्रिज से दूध निकाल रही थी गर्म करने के लिए, वही रंगी ने उसकी पीछे से दबोच लिया : अह्ह्ह्ह धत्त बदमाश छोड़ो न मुझे
रंगी उसके पीछे खड़े होकर उसके कंधे को चूमता हुआ : क्या कर रही हो मेरी जानेमन
सुनीता सिसक कर : उम्मम बस आपके और बाउजी के लिए दूध गर्म करने जा रही थी
रंगीलाल उसके चर्बीदार पेट पर हाथ रख कर ऊपर सीने की ओर जाने लगा : उम्हू मुझे ये वाला चाहिए
सुनीता एकदम से सतर्क होती हुई रंगीलाल के हाथ रोकती हुई घूम गई : धत्त क्या कर रहे है
रंगीलाल उसके कंधे से साड़ी सरका कर उसके गर्दन गाल और सीने को चूमने लगा : प्यार कर रहा हूं तुम्हे मेरी रसभरी
सुनीता उसके होठों के स्पर्श से पागल होने लगी लेकिन उसने रंगी को झटक कर अलग किया : धत्त बदमाश, अभी भी रंगी तड़प कर उसके नंगे पेट को सहलाता हुआ : फिर कब
सुनीता : सबर करो मेरे राजा , बाउजी और मीठी को सो जाने दो न
बाउजी का नाम आते ही रंगी को अपनी योजना याद आई ससुर के साथ वाली
रंगी समझ गया उसे क्या करना है इधर सुनीता ने चूल्हे पर दूध चढ़ा दिया
रंगी लाल : ये किसका है
सुनीता : मेरा क्यों ?
रंगीलाल उस ग्लास से भरे दूध को सूंघ कर : सच में तुम्हारा है
सुनीता शर्मा कर हस्ती हुई : धत्त पागल हो क्या ? वो मेरा है मतलब मै ठंडा दूध ही पीती हूं
रंगीलाल : मुझे भी पिलाओ न अपना ठंडा दूध
सुनीता उसकी आंखों में देख कर : पी लो न फिर
रंगीलाल उसके करीब आकर : ऊहू ऐसे नहीं
सुनीता उसकी आंखों में देखते हुए : फिर
रंगीलाल ने वो ग्लास सुनीता के मुंह में लगाया और उसे पिलाने लगा और दूध का कुछ हिस्सा उसके रस भरे होठों से भर आने लगा तो एकदम से रंगी ने अपने होठ उसके होठ से जोड़ दिए
और सुनीता के होठ चूसने लगा और उसकी थुड़ी फिर गले तक रिस दूध को चाटने और पीने लगा , सुनीता एकदम से मदहोश हो गई : उम्ममम अह्ह्ह्ह उफ्फफ आप पागल कर रहे हो मुझे
रंगी उसकी आंखों में देख कर : और तुम मुझे
अगले ही पल आधा गिलास दूध रंगी ने सीधा सुनीता के सीने पर उड़ेल दिया जो बह कर उसके ब्लाउज की दरारों में जाने और रंगी ने झट से अपना जीभ निकाल कर उसको चाटने लगा , सुनीता मचल उठी : ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह क्या कर रहे है अह्ह्ह्ह उम्मम
रंगीलाल खड़े खड़े उसके डिप नेक वाले ब्लाउज़ के दरारों में जीभ डालने लगा और सुनीता ने उसके सर को पकड़ लिया : अह्ह्ह्ह रुक जाओ प्लीज , रुक जाओ अह्ह्ह्ह
रंगीलाल उससे अलग होकर अपना लंड पजामे के ऊपर से सहलाता हुआ : अब और रुका नहीं जाता प्लीज
सुनीता हांफती हुई : बस 2 मिनट में मै अभी आई ये दे कर
और सुनीता एक ट्रे में दूध के दो ग्लास लेकर निकल गई और रंगी अपना लंड मसलने लगा , वही उसके मोबाइल पर एक कॉल रिंग हो रहा था ।
वो नम्बर देख कर रंगी की दुविधा बढ़ने लगी थी, कि अब वो किस ओर जाए । एक ओर सुनीता जैसी गदराई मोटी माल दूसरी ओर कमला जैसी रांड को ससुर के साथ भोगने का मजा
आखिर क्या करेगा रंगी .... किसे चुनेगा और किसे छोड़ेगा ।
मुहल्ले में घुसते ही वहां की रौनक ने राज को चकाचौंध कर दिया , डीजे पर चलते एक से बढ़कर एक गानों ने माहौल पूरा हाइ रहा था। वहां पर कसबे से एक से बढ़ कर एक धन्ना सेठ और आए थे । कुछ अंजान चेहरे भी थे जिनसे राज कभी रूबरू नहीं हुआ था और उनमें से कुछ उसे पहचान थे उसके पापा के नाम से तो हाल चाल भी हुआ ।
तभी उसकी नजर संजीव ठाकुर पर गई और उसने पाव छू कर उन्हें नमस्ते किया
संजीव : अरे राज , आजा बेटा , भाई तुम्हारे पापा तो ससुराल में मजे ले रहे है हाहाहाहाहा
उनकी बातों से राज को थोड़ी झेप भरी शर्मिंदगी सी लगी मगर वो समझ रहा था कि संजीव ठाकुर नशे की जकड़ के आ रहा है धीरे धीरे और दूसरे हाथ अभी भी विस्की का ग्लास था ।पार्टी ऑलमोस्ट चालू ही थी , लोग खा पी रहे थे ।
राज : अंकल , आंटी जी कहा है ?
संजीव : अरे अभी वो रेडी हो रही होगी , जाओ अंदर देखो और बोलो सब राह देख रहे है
राज : जी अंकल
फिर वो वहां से निकल गया और पहली बार घर के बरामदे से अंदर दाखिल हुआ
अंदर तो और बड़ा सा हाल था जहां पहले से ही सेलिब्रेट करना का पुख्ता इंतजाम था, कुछ कैटरिंग स्टाफ थे और सोफे पर कुछ औरते भी बैठी थी शायद मेहमान रही होगी ।
राज नीचे का माहौल देख कर समझ गया कि इनका कमरा ऊपर नहीं हो सकता था और उसे कुछ धुंधला सा याद भी था कि एक बार सरोजा ने उससे जिक्र किया था वीडियो काल पर जब वो नशे में थी और उसने अपना पूरा घर दिखाया था ।
उसी धुंधली याद के सहारे राज ऊपर चला गया ,
शायद ऊपर आने की सभी को सख्त मनाही थी , तभी तो वहां एकदम से एक चुप सन्नाटा था । बस डीजे पर चल रही गाने की आवाज थी । पूरा घर झालर और लाइट्स से रोशन मानो किसी की शादी हो ।
राज इधर उधर देखता हुआ बड़ा ही संकुचित था मगर भीतर से उत्साहित भी जिस तरह से आज उसने ठकुराइन से बात की थी । इतनी बिंदास औरत से उसका लगाव होना जायज भी था और नए चूत की तलब से उसकी बेचैनी और बढ़ रही थी ।
मगर हिचक भी थी कि कही किसी गलत कमरे में न दाखिल हो जाए ,
तभी उसके कानों कुछ आवाजें आई
" अह्ह्ह्ह नहीं बाउजी देर हो जाएगी , अह्ह्ह्ह मान जाइए न "
" ओह्ह्ह बहु तुम्हारी ये चिकनी जांघें देख कर अब और रहा नहीं जायेगा अह्ह्ह्ह "
इन शब्दों को सुनते ही राज के कान खड़े हो गए और उसका लंड फड़कने लगा , उसके जहन वो याद ताज़ा हुई जब रुबीना ने इस बारे में जिक्र किया था कि ठकुराइन और उसके ससुर का चक्कर है ।
राज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था वो आस पास देखने के बाद धीरे से दरवाजे के पास पर्दो के बीच से झांका तो देखा कमरे में ठकुराइन पूरी तरह से सज धज कर तैयार है और बड़े ठाकुर ने उसे औंधे बिस्तर पर झुका रखा था और उसकी साड़ी उठा रहा था पीछे : ओह्ह्ह्ह बहु ये बाल हटाने के बाद तेरे चूतड़ कितने रसीले हो गए है उम्ममम
ठकुराइन बड़े ठाकुर के चुम्बन से सिहर उठी : अह्ह्ह्ह बाउजी जल्दी करिए, सब नीचे आ गए है । मालती के पापा फोन भी कर रहे है ।
तबतक बड़े ठाकुर ने अपना नाडा खोलकर अपने लंड को ठकुराइन की चूत पर लगाया और ठाकुराइन पगलाने लगी , उसकी आंखे उलटने लगी और देखते ही देखते एक जोर का झटका : ओह्ह्ह्ह बाउजी उम्मम कितना टाइट है अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह
बड़े ठाकुर : ओह्ह्ह बहु तेरी चूत की गर्मी मुझे पागल कर देती है , आज पार्टी के बाद तुझे लंबी सैर करूंगा अह्ह्ह्ह
राज आंखे फाड़ कर अंदर झाक रहा था और उसे लगा यही मौका है ठकुराइन को अपने जाल में फंसाने का और वो अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर रिकॉर्ड करना चाह रहा था कि किसी ने उसे पीछे से थपथपाया
राज एकदम से सन्न हो गया और पलट कर देखा तो उसके पीछे सरोजा खड़ी थी, खूबसूरत झिलमिलाती साड़ी में उसका अंग और निखर रहा था और उसने अपने मुंह पर उंगली रख कर चुप रहने का इशारा करते हुए उसे एक कमरे में ले गई ।
वहां जाते ही वहां की दिवाल पर सजावटी चीजों को देखकर राज समझ गया कि वो सरोजा का कमरा है और अगले ही पल सरोजा ने उसे अपनी ओर खींचा : आज कल तुम बहुत खोए से हो , भूल ही गए हो मुझे
राज ने एकदम से उसके चौड़े चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से मसलने लगा और उसके लिप्स चूसते हुए : तुम भूलने वाली चीज नहीं हो मेरी जान, मै तो तुम्हे ही खोज रहा था लेकिन यहां देखा तो अलग ही खेल चल रहा है अह्ह्ह्ह
सरोजा : उम्मम उन्हें खेलने दो अपना खेल , तुम अपना शुरू करो और वो अपने कंधे से साड़ी की पिन निकालने लगी
तो राज ने झट से उसके हाथ रोके और साड़ी के नीचे से उसकी चिकनी गुदाज कमर में हाथ डाल कर : सीईई रहने दो न अभी रात बाकी है खोलने के लिए, फिलहाल क्विकी से काम चला लेते है क्यों
सरोजा मुस्कुरा कर उसक लिप्स चूसने लगी : सीईईई कुछ भी करो बस भर दो मुझे कितना तड़प रही हूं अह्ह्ह्ह
राज उसके गर्दन पर चूमता हुआ : उम्मम तो बुलाया क्यों नहीं
सरोजा : जैसे तुम बड़े फ्री थे , अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म
राज उसकी साड़ी और पेटीकोट उठा कर उसके नंगे मोटे चूतड़ों को पंजों से नोचने लगा : सॉरी न मेरी जान उम्मम तुम्हारे गाड़ कितने मुलायम है सीईईई ओह्ह्ह
सरोजा सिहर कर आंखे बंद कर राज के दोनों पंजे अपने चूतड़ों पर महसूस कर रही थी और आगे से उसके पेंट में बना तंबू उसकी पेडू के पास ठोकरें मार रहा था ।
एकदम से राज ने उसे घुमाया और एक टेबल पर झुकाया और उसके साड़ी उठाते हुए उनके नंगे मोटे चूतड़ों को सहलाते हुए उसपे अपने पंजे जड़ने लगा : अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म यश उम्मम फक्क्क् मीइ राज ओह गॉड उम्मन
राज उसके जांघों के बीच अपने पंजे से उसकी गीली बुर को टटोलने लगा और दूसरे हाथ से अपना लंड पेंट से निकालने लगा
राज उसके चूचे ब्लाउज के ऊपर से मसलते हुए: योर डिश इज रेडी माय सेक्सू बेबी उम्मम गो
सरोजा समझ गई और घूम कर नीचे बैठ गई और देखते ही देखते राज का मोटा लंबा लंड आधा उसके मुंह में: ओह्ह्ह्ह येस उम्मम अह्ह्ह्ह्ह और चूसो उम्ममम तुम्हारी यही अदा ने मुझे पागल कर रखा अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई
सरोजा बड़ी शिद्दत से राज के टोपे को चुबला रही थी उसकी आंखे ही राज से बात कर रही थी और एकदम से वो उठी और अपनी साड़ी उठा कर कमर तक करते हुए बिस्तर पर घोड़ी बन गई
राज ने अपना पेंट पूरा नीचे किया और लंड को सीधा उसके बुर के फांके में लगाते हुए हचाक से उतार दिया : ओह्ह्ह्ह गॉड कितना गर्म है अह्ह्ह्ह सीईईईईई
सरोजा अपनी बुर में राज के मोटे टोपे को घुसता महसूस कर पागल होने लगी : ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई फक्क अह्ह्ह्ह्ह इतने इतने दिन तक नहीं आओगे तो आग लगेगी न आहे और तेज उम्मम ऐसे ही अह्ह्ह्ह्ह और उम्ममम फक्क्क् मीईईईई
राज : तुम्हे नहीं लगता कि तुम्हे एक और साथी की जरूरत है , जो रोज तुम्हारा ख्याल रखे
सरोजा राज का लंड महसूस करती हुई : तुम तो जानते हो न , बाहर के लोग भरोसे लायक नहीं हैं और शादी मुझे करनी नहीं है
राज का लंड कुछ सोच कर और फूलने लगा जिसका अहसास सरोजा को हुआ : अह्ह्ह्ह्ह क्या सोच रहे हो उम्मम
राज मुस्कुरा कर उसके चूतड़ों को थामे और करारे झटके लगाने लगा : अह्ह्ह्ह्ह कुछ नहीं मेरी जान
सरोजा अपने चूत के छल्ले को राज के लंड पर कसती हुई : मुझसे झूठ नहीं बोल पाओगे राज , तुम्हारा अह्ह्ह्ह्ह येहह जोश उम्मम बता रहाअअ है कि तुमने मेरे बारे में कुछ बहुत गंदा सा सोचा क्यों
राज अपने टोपे की गांठ पर सरोजा के चूत के छल्ले की रगड़ से पागल होंने लगा उसकी सांसे बेकाबू होने लगी , उसके तपते फुले सुपाड़े पर एक तीखा घर्षण होने लगा था : अह्ह्ह्ह हा मेरी जान
सरोजा : क्या बताओ न उम्मम
राज : वो मै सोच रहा था कि अगर बाहर वालो से डर है तो अह्ह्ह्ह गॉड कितनी टाइट कैसे अह्ह्ह्ह सीईईईईई
सरोजा : बताओ न उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह प्लीज
राज : वही मै कह रहा था कि बाहर वालो से अगर दिक्कत है तो घर में ही किसी को देख लो न, कुछ लोग है जिन्हें जिस्म की जरूरत कुछ ज्यादा है अह्ह्ह्ह क्या कहती हो
सरोजा एकदम से अकड़ गई : तुम्हारा मतलब पापा से ,
राज मुस्कुरा और एकदम से अपना लंड तेजी से उसकी चूत में उतारने लगा : सोचो हर रात तुम्हारी बुर भरी रहेगी और बड़े ठाकुर है भी तो ठरकी पूरे उम्मम
सरोजा : अह्ह्ह्ह वो जो भी हो , लेकिन बाउजी से नहीइईई
राज अपना लंड एकदम जड़ तक ले जाता हुआ : तो संजीव अंकल से
एकदम से सरोजा के हाव भाव रुक गए और राज को कुछ कुछ अंदेशा होने लगा
राज अपनी स्पीड हल्की करता हुआ : क्या हुआ , कुछ बात है उम्मम
सरोजा : हा वो भइया की नजर है थोड़ी मुझपर लेकिन मै पक्का कुछ कह नहीं सकती इस बारे
राज का मोटा लंड एक बार फिर एक नई ऊर्जा से फड़का और उसने अपने लंड में वापस से गति देते हुए : उम्मम फिर आज पक्का कर ही लेते है क्यों
सरोजा : कैसे ?
राज मुस्कुरा कर अपना लंड तेजी से उसकी बुर में डालता हुआ : वो तुम मुझपर छोड़ दो
उफ्फ मजा आएगा हाहा .....
राज के घर
सोनल के कमरे में उसके बैग खोले जा रहे थे
रागिनी थोड़ी सी चिढ़ी हुई थी : अगर सोनल मुझसे पूछा कि उसका बक्सा किसने खोला तो मै तो तुझे ही बोलूंगी
अनुज थोड़ा डरा क्योंकि दो बैग और एक बक्सा खोलने के बाद भी अभी तक उन्हें सोनल के कैजुअल कपड़े नहीं मिले थे । एक बक्से में तो उसकी पढ़ाई और कालेज की चीजें थी अब यही एक आखिरी बक्सा था कमरे में
तभी अनुज चहका : मिल गई
रागिनी : क्या?
अनुज : दीदी की स्कर्ट , ये देखो
अनुज ने हाथ में एक लाल रंग की स्कर्ट पकड़ कर दिखाई , जो बड़ी ही चमकीली थी ।
रागिनी : हा इसपर वो कोई काले रंग की टॉप पहनती थी , वो भी होगी खोज
अनुज की झट से एक काली टॉप पर गई और उसने खींच ली : ये रही हीही
रागिनी आंखे महीन कर उसकी खुशी को पढ़ना चाह रही थी मगर सिवाय मासूमियत के उसे कुछ भी नजर नहीं आया और वो हंसती हुई : पागल कही का , ठीक है अब ये रख कर अच्छे से बंद करके नीचे आ
अनुज चौक कर : अकेले ?
रागिनी : हा अकेले हिहीही, मै तो चली नहाने
अनुज को थोड़ा सा खीझ तो हुआ कि फिर से मेहनत करनी पड़ेगी , लेकिन वो अपनी मां की चुलबुली मस्तियों से खुश था और इस बात के एक्साइटेड भी कि कैसे लगेगी उसकी मां टॉप स्कर्ट में
वो फटाफट में काम निपटाने लगा और इसी दौरान उसके कानो में कुछ आवाज आ रही थी और फिर एकदम से उसके कान खड़े हुए कि ये गाने की आवाज नीचे आ रहे थे , सोनल की शादी में घर के लिए भी एक टीवी लिया गया था मगर अनुज को कभी इसमें इंटरेस्ट नहीं रहा अपने लैपटॉप के आगे । लेकिन आज की बात कुछ और थी , टीवी पर 90s के एवरग्रीन गाने चल रहे थे और अनुज खुश होकर नीचे आने लगा । आमतौर पर अनुज अपनी मम्मी को कभी कभार गुनगुनाते सुना तो था , मगर उसका ये किरदार घर में सबसे छिपा था कि वो गाना सुनना भी पसंद है वो भी रोमांटिक
अनुज नीचे आया तो देखा कि कमरे का दरवाजा बंद है और उसने आवाज दी
कुछ ही देर में रागिनी की आवाज आई और उसने टीवी का वॉल्यूम कम करते हुए दरवाजा खोला और अनुज एकदम से ठिठक गया
सामने उसकी मां ब्लाउज और स्कर्ट में खड़ी थी
अनुज आंखे फाड़ कर उसके नंगे पेट और गुदाज नाभि को देख रहा था : वाव मम्मी , कितनी मस्त लग रही हो
रागिनी ने स्कर्ट की लास्टिक खींच कर अपने नाभि को कवर करती हुई : ये छोटी नहीं है
अनुज की नजर एकदम से नीचे गई और देखा कि ये स्कर्ट तो उसकी मां के घुटनों के कुछ इंच ही नीचे थे और उसकी नंगी गोरी दूधिया पिंडलियां साफ नजर आ रही थी : नहीं तो , स्कर्ट ऐसे ही होता है और आपने टॉप नहीं पहना
रागिनी थोड़ी असहज होकर : कल पहन लूंगी उसको , तुझे नहीं लगता मै नचनिया जैसी लग रही हूं
अनुज ने एक ही पल में अपनी मां को उस रूप में कल्पित किया और एकदम से खुद को झटका : भक्क नहीं तो
रागिनी हस कर : क्या नहीं , देख ऐसे ही लहराती है न सब अपना घाघरा हीहीही
अनुज कभी भी अपनी मां की उस रूप में कल्पना भी नहीं करना चाहता था : नहीइई बक्क
मगर रागिनी आज मस्ती के मूड में थी और उसने झट से रिमोट उठा कर चैनल बदला और एकदम से एक भोजपुरी चैनल का गाना लगा दिया : हीही रुक दिखाती हु
और गाना भी कम अश्लील नहीं था
" लहरिया लुटा ये राजा "
एकदम से रागिनी ने उसके आगे ठुमके लगाते हुए अपने स्कर्ट को हवा में लहराने लगी और इस दौरान बिना ब्रा के उसकी चूचियां हवा में खूब उछल रही थी , नीचे स्कर्ट उठने से उसकी चिकनी जांघें देख कर अनुज का लंड कसने लग
और एकदम से रागिनी ने खिलखिलाते हुए उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचा : नाच न
अनुज शर्मा रहा था और रागिनी उसके दोनों हाथ पकड़ कर अपने कूल्हे उसकी ओर झटक रही थी , अनुज ने आखिर दो बार अपने कूल्हे सेम रागिनी की तरह झटके तो रागिनी खिलखिला कर हसने लगी : तुझे नाचने नहीं आता हाहाहाहाहा
अनुज मुस्कुरा कर थोड़ा शर्माता हुआ : बक्क नहीं , भोजपुरी गाने पर कौन नाचता
रागिनी ने उसे घूरा : मै और कौन ? , तुझे अच्छा नहीं लगा क्या मेरा डांस
अनुज ने उसका डांस देखा ही कहा था उसकी नजरें अपनी मां के बड़े बड़े रसीले मम्में और चिकनी जांघों से हटे तब न
" नहीं वो बस गाना अच्छा नहीं था , आप हिंदी गाने पर करो न " , अनुज ने अपने दिल की बात कही
रागिनी खिलखिलाई : हिंदी गाने पर किसी को डांस करते देखा है ,पागल और होली पर तू भी भोजपुरी पर खूब नाच रहा था
अनुज : हा ... वो , लेकिन आप नचनिया न कहो खुद को
रागिनी को समझ गया कि अनुज को उसके डांस या भोजपुरी चॉइस से नहीं बल्कि उसके किरदार बदलने से दिक्कत है और वो हस कर उसको अपने सीने से लगा लेती : आ मेरा बेटा , इतना प्यार करता है मुझे
अनुज अपनी मां के सीने से लग कर एकदम से सिहर उठा और कुछ भावनाएं भी भर : हम्ममम , आप मेरी मम्मी हो न प्यारी थी ।
रागिनी : अच्छा ठीक है बाबा , नहीं कहूंगी कभी ऐसा कुछ , खुश
अनुज : हम्ममम आई लव यू
रागिनी हसने लगी : पागल , चल छोड़ मुझे मै ये कपड़ा ही निकाल देती हूं
अनुज एकदम से चौक कर : क्यों ?
रागिनी : तुझे ही पसंद नहीं न तो ?
अनुज : नहीं अच्छी तो लग रही है , बस वो मत बुलाना खुद को
रागिनी हस कर तो क्या बुलाऊं : गांव को गोरी
अनुज को ये नाम बड़ा नया और लुभावना लगा तो खुश होकर : हा चलेगा
रागिनी हस्ती हुई : चलेगा ! , पागल हिहीही, चल अब खाना बना लू और तू भी पढ़ाई करने बैठ अब
अनुज : जी मम्मी
फिर रागिनी कमरे से निकल गई और अनुज ने टीवी बंद कर ऊपर अपने कमरे में चला गया किताबें लेने ।
अमन के घर
खुले आसमान के नीचे हल्की सर्द हवाएं चल रही थी , मदन और ममता दोनों साल ओढ़े छत की चारदीवाली के पास खड़े होकर दूर अंधियारे में निहार रहे थे , पास ही एक इलेक्ट्रिक अंगीठी जल रही थी और एक चटाई पर खाना और कांच के ग्लास के साथ शराब की सीसी रखी थी ।
मदन आंखे फाड़ कर छत पर दूर जीने के पास लगी 5 वाट की बल्ब की रोशनी में ममता को सिगरेट के कस लगाते देख रहा था और धुआं उड़ाते हुए : उफ्फफ अह , मजा आया गया , लीजिए आप भी न
ममता ने अपना झूठा सिगरेट मदन को ऑफर किया और मदन हिचकता हुआ उसको हाथ में पकड़ता हुआ: कितने साल बाद ?
ममता मुस्कुरा : जब अमन पेट में आ गया तो छोड़ दी थी उसके बाद सीधा आज
मदन सिगरेट की कस लेकर ममता को देता हुआ : आपको देख कर कोई कहेगा नहीं कि इतने साल का गैप है
ममता मुस्कुरा कर : ऐसे पलों के लिए दोस्त होना भी जरूरी है न , वरना अमन के पापा को तो आप जानते ही है
मदन हस कर : हा , वो इन मामलों में थोड़े कम फ्रेंडली है , दो चार बार तो मुझे भी फटकार मिली है । मगर तलब है क्या किया जाए
ममता हस कर : तो तलब मिटाया जाए हाहाहाहाहा
मदन समझ गया कि ममता का इशारा किधर है और वो पैग बनाने लग
मदन : वैसे सच कहूं भाभी , मैने सपने में भी नहीं सोचा था कि आप भी ड्रिंक कर सकती है , लीजिए
ममता मदन के हाथ से शराब का ग्लास पकड़ती हुई मुस्कुरा : क्यों भई इसपर सिर्फ मर्दों की मनॉपली है क्या , हाहाहाहाहा
मदन हस कर : नहीं बस ऐसे ही ख्याल आ रहा था कि मैने इतने सालों से आपको देखा लेकिन कभी आपके ऐसे रूप की की कल्पना नहीं की थी
ममता सीप लेती हुई : किस वाले , ये वाले ( ममता ने ग्लास उठा कर ) या फिर कल रात वाले हाहाहाहाहा
मदन शर्म से झेप गया : क्या भाभी आप भी
ममता मुस्कुरा कर : क्यों ? साफ साफ बोलिए न
मदन अटक कर मुस्कुराता हुआ ममता की बातों से सहमति दिखाता हुआ : हा मतलब दोनों ?
ममता हस कर : अभी मुझमें बहुत सी ऐसी बाते छुपी हुई जिनसे आप रूबरू नहीं है देवर जी
मदन जिज्ञासु होकर: जैसे की
ममता मुस्कुरा कर: ऊहू इतने उतावले मत हो , सबर रखो पूरी रात पड़ी है उन बातों के लिए
मदन के बदन में शराब की गर्मी उतर रही थी और एक अजीब अहसास से वो सिहर भी उठा था । वही ममता ने ग्लास किनारे रख खाना परोसने लगी और दोनों खाना शुरू भी कर दिये
ममता को हिचकी आ रही थी तो मदन ने पानी का ग्लास दिया और उसको पी कर : वैसे खाना बड़ा जायकेदार है देवर जी
मदन हस कर : आपकी बराबरी नहीं कर पाऊंगा भाभी ,
कुछ ही देर बाद खाना खा कर दोनों उठ गए : उह मजा आ गया देवर जी , सच में इस दावत के दिल से शुक्रिया आपका
मदन हाथ धुलता हुआ : क्या भाभी आप भी हाहाहाहाहा , इसमें दावत जैसा क्या था ,
ममता अपने कंधे से साल उतारती हुई : उफ्फ गर्मी होने लगी है अब
मदन अपने हाथ में ड्रिंक का ग्लास पकड़े हुए : हा ये थोड़ी तगड़ी है , धीरे धीरे असर करती है
ममता मुस्कुराने लगी तो मदन : क्या हुआ मुस्कुरा क्यों रही है
ममता मुस्कुरा कर : कुछ नहीं सोच रही हूं अगर मैं यही बेहोश हो गई तो मुझे नीचे कौन ले जाएगा ।
मदन ताव दिखा कर : क्यों आपको मुझपर कोई शक है क्या , फौज में रहा हूं भाभी यू टांग लूंगा
ममता खिलखिलाई : हाहाहा हा जैसे मै बड़ी हल्की हूं , आपके भैया के ऊपर हो जाती हूं तो सास फूलने लगती है हाहाहाहाहा
मदन ममता का जवाब समझ गया कि वो कब मुरारी के ऊपर होती है और थोड़ा असहज होने लगा
ममता उसको मुंह फेरता और चुप देख कर हसने लगी : ओ हेलो , बहुत आगे मत सोच लेना , वापस आओ वापस आओ मै बिस्तर पर सोने की बात कर रही हूं, वो वाला नहीं
मदन की हसी अब फुट पड़ी : हाहाहाहा आप जिस तरह से बोली उससे तो यही लगा कि... हीही
ममता की आंखों में नशा उतर रहा था साथ ही मदन के भी और धीरे धीरे मदहोशी हावी हो रही थी
ममता फैली हुई मुस्कुरा से : कि मै sex की बात कर रही हूं न हाहाहा
मदन एकदम से चौका और समझ गया कि ममता पर थोड़ी थोड़ी चढ़ रही है
मदन खुद को सम्भाल कर एक गहरी सास लिया : भाभी , चलिए नीचे चलते है
ममता : क्यों ? क्या हुआ , आप डरते क्यों हो देवर जी । अरे मर्द बनो मर्द
मदन हस कर : भाभी जी मै तो मर्द ही हू
ममता मुस्कुरा कर : ओह हा , हीहीहिही
मदन : भाभी , भाभी सुनिए चलते है कोहरा बढ़ रहा है ठंडी लग जाएगी
ममता : कहा ठंडी है , पता है कल रात को तो मै यहां नंगी..... (अपने मुंह पर उंगली रखते हुए ) अपने भैया को मत कहना.. मै यहाँ नंगी घूम रही थी हीहिही
ममता ने फुसफुसा कर मदन से बोली और ग्लास पूरा खाली कर दिया ।
मदन समझ गया कि अब अगर उसने देरी की मामला बिगड़ जायेगा , गनीमत यही है कि हलके कोहरे और सर्द मौसम से इतनी रात में कोई छत आस पास पर नहीं आया था ,मगर फिर उसे ममता की बेकाबू चीखों का डर था ।
मदन उसका हाथ पकड़ कर : आओ भाभी चलते है , आपको नहीं लेकिन मुझे लग रही है सर्दी
ममता ने उसको एकदम पास से घूरा : लगेगी न सर्दी , बीवी नहीं है आपके पास , इसीलिए शायाने कह गए हैं कि सही समय पर शादी कर लो
मदन हंसता हुआ उसको पकड़ कर बातों में उलझाए हुए जीने की ओर ले जाने की कोशिश करता हुआ : अब इतनी रात में किसकी बीवी लाऊ
ममता हस्ती हुई : किसकी बीवी ? हाहाहाहा , क्यों भाई दूसरों की बीवियां पसंद है क्या , कही मै तो पसंद नहीं आ गई
मदन हस कर : क्या भाभी आप भी , कैसी बात कर रही है
ममता : अरे दो बार , दो बार आपने मुझे नंगी देखा फिर भी कहते पसंद नहीं , क्या मै खूबसूरत नहीं देवर जी
मदन की आंखे बड़ी हो गई और सांसे चढ़ने लगी वो ममता की आंखों में देख रहा था और उसका हलक सूखने लगा , उसकी आंखों के सामने ममता का नंगा गदराया बदन नाचने लगा , वो बड़ी मोटी छातियां, फैले हुए भड़कीले चूतड़ बजबजाती बुर और भींचा हुआ सिसकता हुआ चेहरा , एकदम से उसका लंड पजामे में तंबू बनाने लगा
मदन की जबान लड़खड़ाने लगी : मैने कब कहा कि आप पसंद नहीं , आपकी जैसी बीवी होना किस्मत की बात है भाभी , और मै किस्मत वाला हूं कि मुझे इतनी प्यारी भाभी मिली है जो सबका ख्याल रखती है और सबको खुश रखती है ।
ममता मुस्कुरा कर : बात को गोल मटोल घुमाओ मत देवर जी , सच सच बताओ कमरे में जब मुझे चादर उढ़ाया तो जरा भी आपका ईमान नहीं डोला उम्मम
मदन हड़क उठा : कैसी बात कर रही है आप मेरी भाभी है , मै भला क्यों ऐसा सोचूंगा
ममता मुस्कुरा कर : अच्छा खाओ मेरी कसम कि आपको मुझे देख कर कुछ हुआ नहीं था और आपने मुझे छुआ नहीं
मदन की हालत खराब होने लगी और ममता हसने लगी : देखा पकड़े गए
मदन सीरियस होकर : आपकी कसम भाभी , मैने आपको देखा जरूर लेकिन छुआ नहीं
ममता मुस्कुरा: उफ्फ बड़े सख्त मर्द हो फिर तो हाहाहाहाहा
मदन मुस्कुराने लगा: बिलकुल सही समझा आपने
ममता मुस्कुरा कर थोड़ी पीछे हुई : फिर मुझे अब डरने की जरूरत नहीं आपसे
मदन अभी स्थिति समझने की कोशिश कर रहा था कि तबतक ममता ने एक झटके में खड़े खड़े अपनी नाइटी उतार फेंकी और एकदम से नंगी होकर मदन के आगे खड़ी हो गई ।
ममता खिलखिलाई : अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ कितना मस्त मौसम हुआ है
मदन आंखे फाड़ कर उसे देख रहा था , कभी उसकी लटकी हुई बड़ी बड़ी पपीते जैसी चुचियों को तो कभी जांघों के बीच की झुरमुट को और कभी उसके चौड़े फैले चूतड़ों को
ममता हाथ फैला कर हवा में घूमते हुए पीछे वाली चारदीवारी की ओर जाने लगी और उसकी बड़े भड़कीले चूतड़ों को नंगा थिरकता देख मदन का लंड अकड़ गया, तेजी से भागता हुआ वो ममता के पास पहुंचा
लेकर उसे उढ़ाने लगा : भाभी , क्या कर रही है कोई देख लेगा
ममता हस्ती हुई : यहां कौन देखेगा अंधेरे में आपके सिवा, और आपसे कोई डर नहीं मुझे हाहाहाहाहा
मदन का लंड फड़क रहा था वो कैसे कहता कि उसके बड़े नंगे चूतड़ों की कसी दरारों को देख कर उसके मुंह ने पानी आ रहा है
मदन ने एक बार और कोशिश की कि ममता को चादर उढ़ाये लेकिन उसने चादर इस बार छत से बाहर फेक दिया
मदन समझ रहा था कि ममता अब बेकाबू हो चुकी है , उसे अब तक ही तरीका समझ आ रहा था और उसने बड़ी हिम्मत कर बोला: भाभी मुझे आपको कुछ बताना है ।
शिला के घर
शिला के कमरे में रज्जो आगे झुकी हुई थी और पीछे से मानसिंह उसके नरम चर्बीदार चूतड़ों को सहलाते हुए कस कस कर झटके दे रहा था उसकी चूत में और रज्जो के मोटे चूतड़ मानसिंह को खूब उछाल रहे थे जिसमें मानसिंह दुगनी ताकत से लंड भेदता
कमरे में तेज चीख भरी चीख गूंज रही थी : अह्ह्ह्ह्ह नंदोई जी उम्मम और ओह्ह्ह्ह सीईईई क्या मस्त हथियार है आपका अह्ह्ह्ह पेलो उम्मम
मानसिंह : तुम बड़ी चुदक्कड़ हो भाभी अह्ह्ह्ह तुम जैसी गर्म औरत आज तक नहीं देखी ओह्ह्ह्ह लंड को अपने छल्ले में कसने की कला तुम्हे अच्छे से आती है ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह भाभी
रज्जो ने अपनी बुर को मानसिंह के लंड पर कस लिया और मानसिंह की तड़प बढ़ गई और रज्जो खुद अपने चूतड़ उसके लंड पर फेकने लगी
जल्द ही मानसिंह के पाव कांपने लगे और उसका लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाड़े की नस फूल गई : अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह भाभी ढीला करो आने वाला है
रज्जो ने पूरे जोश में अपनी गाड़ को पूरा पीछे ले गई और चूत से उसका लंड पूरी ताकत से जकड़ किया , मानसिंह का सुपाड़ा रज्जो की बुर के जड़ में था और मानो रज्जो की बुर उसका लंड सुरक रही हो और एकदम से लावा रज्जो की बुर के गहराई में फूट पड़ा : अह्ह्ह्ह्ह भाभी ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू बिच ओह्ह्ह्ह कितनी बड़ी रंडी हो तुम अब समझ आया अह्ह्ह्ह
रज्जो ने अपनी बुर ढीली की और सरक पर बिस्तर पर गिर गई और हांफते हुए हसने लगी : अह्ह्ह्ह मजा आ गया नंदोई जी क्या गर्म माल था उम्मम
मानसिंह : कुछ दिक्कत तो नहीं होगी , गोली है मेरे पास
रज्जो बिंदास होकर उसे रिलैक्स होने का इशारा किया और मानसिंह उसके बगल में आ गया और एकदम से मदन जैसे ही उसके आगे से हटा रज्जो की नजर भीड़के हुए दरवाजे पर गई और एकदम से एक परछाई वहा से सरकी ।
मगर रज्जो की तेज निगाहों ने दरवाजे के गैप से उन नीले टीशर्ट को पहचान गई जिन्हें उसने कुछ देर पहले छत पर देखा था ।
रज्जो उठी और पेटीकोट से अपनी बुर साफ करती हुई खड़ी हुई
मानसिंह बिस्तर पर लेटा हुआ : कहा चली
रज्जो हस कर : जा रही हूं आपके भाई साहब की खबर लेने , देखूं ठीक ठाक तो है
मानसिंह रज्जो की दिलदारी और खुलेपन से एकदम से एक्साइटेड हो गया था और वो कुछ बोलने के लिए उठा मगर रुक गया ।
रज्जो : क्या हुआ
मानसिंह : नहीं , कुछ नहीं
रज्जो : अब बोलो भी
मानसिंह हिम्मत नहीं कर पा रहा था तो रज्जो मुस्कुरा कर : ऐसा कुछ भी नहीं है आप चारो के बीच जो मै नहीं जानती और ये भी जानती हूं कि मुझे यहां क्यों लाया गया है
मानसिंह एकदम से खड़ा हो गया और उसने रज्जो के हाथ पकड़ लिए: आपको सच में कोई ऐतराज नहीं भाभी जी
रज्जो : भला मुझे क्यों ऐतराज होगा , बस कम्मो थोड़ी सी झिझकती है मुझसे
मानसिंह उसके कंधे पकड़ कर अपने सामने करता हुआ : उसकी झिझक कैसे दूर करनी है मुझे पता है , बस तुम बताओ क्या तुम तैयार हो ।
रज्जो ने आंखे उठा कर मानसिंह को देखा और हा में सर हिलाया : लेकिन परसो मुझे घर जाना है याद रहे ।
मानसिंह : वैसे भी कल संडे है तो कल ही ये काम होगा , मगर उससे पहले जरूरी है कि तुम छोटे से बात कर लो
रज्जो : ठीक है जैसा आप कहें ,देखती हूं।
रज्जो कुछ सोचती हुई मन में बड़बड़ाई : बात तो मुझे करनी है लेकिन छोटे नंदाई से नहीं किसी और से । रज्जो की जासूसी , बच्चू बताती हूं
रज्जो वहां से निकल गई और हाल में आई तो देखा किचन खाली था समझ गई कि तीनों ऊपर गए है और उसकी नजर अरुण के कमरे पर गई ।
कुछ सोचते हुए रज्जो अरुण के कमरे के पास गई और भिड़के हुए दरवाजे को खटखटा कर उसे आवाज दी : अरुण बेटा आ जाऊं
अरुण एकदम से सकपकाया और कमरे में कुछ हलचल हुई और उसकी आवाज आई टूटे हुए आवाज में : हा बड़ी मामी आ जाओ
रज्जो कमरे में दाखिल हुई और कमरे का दरवाजा वैसे ही लगाया , चीजें इधर उधर बिखरी हुई , बिस्तर पर किताबें और समान पड़े थे ।
रज्जो : ओहो पढ़ाई चल रही है बेटा
अरुण नजरे चुराता हुआ : हा बड़ी मामी , वो मेरे हाफ ईयरली एग्जाम आ रहे है न तो....
रज्जो उसके जवाब पर मुस्कुराई और उसकी नजर चार्जिंग में लगे अरुण के मोबाइल पर गई : पढ़ाई तो करता ही है तू लेकिन शैतानी भी कम नहीं है तेरी क्यों ?
अरुण को समझते देर नहीं लगी कि रज्जो ऊपर छत की बात कर रही थी : सॉरी बड़ी मामी, प्लीज आप मम्मी से कुछ मत कहना
रज्जो समझ गई कि लड़के की कमजोर कड़ी क्या है और वो मुस्कुरा कर : अरे मै क्यों कहूंगी , भला उससे मेरा क्या फायदा , मै तो तेरे फायदे के लिए आई थी ।
अरुण चौक कर : मेरा फायदा , कैसे ?
रज्जो : जितनी तांक झांक तू करता है मुझे नहीं लगता इस घर में जो कुछ भी हो रहा है उससे तू अंजान है क्यों ?
अरुण की हालत पतली होने लगी : मै , मै समझा नहीं बड़ी मामी आप क्या कह रही है ।
रज्जो उसके पास बैठती हुई उसके मोबाइल को चार्जिंग से निकालती हुई : खोल इसे
अरुण की हालत खराब होने लगी : क क्यों?
रज्जो : अरे डर क्यों रहा है , खोल न
अरुण ने हिम्मत करके मोबाइल का लॉक खोलकर मोबाइल रज्जो को दिया ।
रज्जो ने झट से गैलरी खोली लेकिन वहां सब कुछ क्लीन था ,कोई फोटो न वीडियो
अरुण : क्या खोज रही है आप
रज्जो आँखें महीन कर : वही जो अभी थोड़ी देर पहले तू रिकार्ड कर रहा था अपने बड़े पापा के कमरे में उम्मम
अरुण की आंखे फेल गई और उसका चेहरा सन्न रह गया : न न नहीं तो
रज्जो : ओहो तू फिर हकला रहा है , भाई मुझे वो बस फोटो और वीडियो चाहिए
अरुण : लेकिन किस लिए
रज्जो : मतलब तूने रिकॉर्ड किया न
अरुण : सॉरी बड़ी मामी
रज्जो : अब दिखाएगा
अरुण ने झट से मोबाइल में कुछ टैप टैप किया और ढेर सारी हिडेन फाइल निकल आई और रज्जो ने झट से उसके हाथ से मोबाइल ले लिया
रज्जो ने स्क्रॉल करना शुरू किया था तो सैकड़ो की संख्या में वीडियो फोटो थे
अरुण : बड़ी मामी रुकिए , मै दे रहा हु न
तभी उसकी नजर एक ऐसे फोटो पर गई जिसे देख कर वो चौक गई और उसने अरूण को देखा : ये कैसे मिला तुझे
अरुण का मुंह शर्म से झुक गया , वो फोटो वही थे रज्जो के बाथरूम में नहाते हुए जिन्हें आज सुबह शिला ने अपने क्लाइंट को भेजे थे : इसका मतलब तू भी इनकी स्ट्रीम देखता है , कबसे ?
अरुण मुंह नीचे किए हुए : बहुत दिन हो गए
रज्जो शॉक्ड होकर : और तूने मेरे फोटो और वीडियो के लिए 2000 दिए थे
अरुण : हा , लेकिन प्लीज आप किसी से कहना मत । मै ये सब डीलिट कर दूंगा प्लीज
रज्जो : वो सब तुझे जो करना है कर , मगर मुझे कुछ और जानना है ।
अरुण : क्या
रज्जो ने एक नजर दरवाजे पर देखा और थोड़ी उसके और करीब आकर : क्या तेरी बड़ी मां का कही बाहर भी कुछ चक्कर है ? गांव में किसी से
अरुण अपने दिमाग पर जोर देकर रज्जो के सवाल को समझता हुआ : नहीं तो ? क्यों ?
रज्जो ने झट से अपना मोबाइल निकाला है और एक मोबाइल नंबर अरुण को दिखाती हुई : ये किसका नंबर है ।
वो नम्बर देखते ही अरुण की आंखे बड़ी हो गई और उसका हलक सूखने लगा : मै , मै नहीं जनाता बड़ी मामी । पता नहीं किसका नंबर है ।
रज्जो : देख तू मुझसे झूठ तो बोल मत और अगर तू मुझे इस नंबर के बारे में बताता है तो सोच ले इसमें तेरा ही फायदा होगा
अरुण आंखे उठा कर : मेरा क्या फायदा ?
रज्जो मुस्कुरा कर धीरे से अपना हाथ उसके लंड पर लोवर के ऊपर से रख दिया और वो सिहर उठा : क्यों तुझे कुछ नहीं चाहिए मुझसे उम्मम
अरुण की हालत खराब होने लगी : ठीक है बताता हूं, लेकिन वादा करो ये बात आप कभी किसी से नहीं कहोगी
रज्जो अपने गले पर चुटकी से पकड़ कर : पक्का वाला वादा , कसम से
और फिर वो मुस्कुराने लगी ।
प्रतापपुर
रंगीलाल खाना खा कर थोड़ा टहल रहा था और घड़ी की सुइयां गिन रहा था और इधर राजेश बबीता को लेकर गोदाम के लिए निकल रहा था ।
जैसे ही रंगीलाल ने किचन खाली देखा वो लपक कर सुनीता के पास जा पहुंचा और वो फ्रिज से दूध निकाल रही थी गर्म करने के लिए, वही रंगी ने उसकी पीछे से दबोच लिया : अह्ह्ह्ह धत्त बदमाश छोड़ो न मुझे
रंगी उसके पीछे खड़े होकर उसके कंधे को चूमता हुआ : क्या कर रही हो मेरी जानेमन
सुनीता सिसक कर : उम्मम बस आपके और बाउजी के लिए दूध गर्म करने जा रही थी
रंगीलाल उसके चर्बीदार पेट पर हाथ रख कर ऊपर सीने की ओर जाने लगा : उम्हू मुझे ये वाला चाहिए
सुनीता एकदम से सतर्क होती हुई रंगीलाल के हाथ रोकती हुई घूम गई : धत्त क्या कर रहे है
रंगीलाल उसके कंधे से साड़ी सरका कर उसके गर्दन गाल और सीने को चूमने लगा : प्यार कर रहा हूं तुम्हे मेरी रसभरी
सुनीता उसके होठों के स्पर्श से पागल होने लगी लेकिन उसने रंगी को झटक कर अलग किया : धत्त बदमाश, अभी भी रंगी तड़प कर उसके नंगे पेट को सहलाता हुआ : फिर कब
सुनीता : सबर करो मेरे राजा , बाउजी और मीठी को सो जाने दो न
बाउजी का नाम आते ही रंगी को अपनी योजना याद आई ससुर के साथ वाली
रंगी समझ गया उसे क्या करना है इधर सुनीता ने चूल्हे पर दूध चढ़ा दिया
रंगी लाल : ये किसका है
सुनीता : मेरा क्यों ?
रंगीलाल उस ग्लास से भरे दूध को सूंघ कर : सच में तुम्हारा है
सुनीता शर्मा कर हस्ती हुई : धत्त पागल हो क्या ? वो मेरा है मतलब मै ठंडा दूध ही पीती हूं
रंगीलाल : मुझे भी पिलाओ न अपना ठंडा दूध
सुनीता उसकी आंखों में देख कर : पी लो न फिर
रंगीलाल उसके करीब आकर : ऊहू ऐसे नहीं
सुनीता उसकी आंखों में देखते हुए : फिर
रंगीलाल ने वो ग्लास सुनीता के मुंह में लगाया और उसे पिलाने लगा और दूध का कुछ हिस्सा उसके रस भरे होठों से भर आने लगा तो एकदम से रंगी ने अपने होठ उसके होठ से जोड़ दिए
और सुनीता के होठ चूसने लगा और उसकी थुड़ी फिर गले तक रिस दूध को चाटने और पीने लगा , सुनीता एकदम से मदहोश हो गई : उम्ममम अह्ह्ह्ह उफ्फफ आप पागल कर रहे हो मुझे
रंगी उसकी आंखों में देख कर : और तुम मुझे
अगले ही पल आधा गिलास दूध रंगी ने सीधा सुनीता के सीने पर उड़ेल दिया जो बह कर उसके ब्लाउज की दरारों में जाने और रंगी ने झट से अपना जीभ निकाल कर उसको चाटने लगा , सुनीता मचल उठी : ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह क्या कर रहे है अह्ह्ह्ह उम्मम
रंगीलाल खड़े खड़े उसके डिप नेक वाले ब्लाउज़ के दरारों में जीभ डालने लगा और सुनीता ने उसके सर को पकड़ लिया : अह्ह्ह्ह रुक जाओ प्लीज , रुक जाओ अह्ह्ह्ह
रंगीलाल उससे अलग होकर अपना लंड पजामे के ऊपर से सहलाता हुआ : अब और रुका नहीं जाता प्लीज
सुनीता हांफती हुई : बस 2 मिनट में मै अभी आई ये दे कर
और सुनीता एक ट्रे में दूध के दो ग्लास लेकर निकल गई और रंगी अपना लंड मसलने लगा , वही उसके मोबाइल पर एक कॉल रिंग हो रहा था ।
वो नम्बर देख कर रंगी की दुविधा बढ़ने लगी थी, कि अब वो किस ओर जाए । एक ओर सुनीता जैसी गदराई मोटी माल दूसरी ओर कमला जैसी रांड को ससुर के साथ भोगने का मजा
आखिर क्या करेगा रंगी .... किसे चुनेगा और किसे छोड़ेगा ।
" अच्छा ये वाली पहन ले बेटा , काली वाली "
" हा ठीक है इसी को प्रेस कर दो मै नहाने जा रहा हूं"
अनुज ने अपनी मां के पास खड़ा होकर : क्या हुआ ?
रागिनी : अरे वो तेरे पापा के दोस्त है न ठाकुर साहब
अनुज : हा ?
रागिनी : तो राज को उनके यहां एक पार्टी में जाना है इसीलिए इतना हड़बड़ाया हुआ है
अनुज : क्या सच में ? पार्टी?
रागिनी अनुज को खिलता देख कर : हा लेकिन तुझे नही जाना, मै घर में अकेली नहीं रहने वाली सारी रात बोल देती हूं
एकदम से अनुज की आंखे चमकी और वो खुश होकर अपनी मां को बगल से हग करने लगा : मै नहीं जाने वाला आपको छोड़ कर अकेले , भैया जाए तो जाए
रागिनी ने आंखे महीन कर उसे घूरा : अच्छा बेटा , तेरे दिल में पार्टी के नाम पर जो फुगे फूटते है न बचपन से जानती हूं, चल छोड़ मुझे।
रागिनी अपने कमरे में आई और राज के कपड़े प्रेस करने लगी
अनुज भी उसके पीछे आकर बिस्तर पर बैठ गया
रागिनी : बैठा क्या है ? पढ़ाई नहीं करनी ?
अनुज : मम्मी यार , कल संडे है कल कर लूंगा न
रागिनी : जब तक तेरे पापा नहीं है , खूब मस्ती कर ले , आयेंगे तब तेरी खबर लेंगे और एग्जाम में कम नंबर आए तो बताएंगे
तबतक राज कमरे में दाखिल हुआ : ये तो पक्का फेल है मम्मी इस साल
अनुज ने घूर कर अपने भैया को देखा जो नहा कर तौलिया लपेटे कमरे में आया था बनियान पहने हुए ।
राज ने हस कर उसको देखा और अपने मा को दो चूड़ी और कसते हुए : मम्मी पता है , वो मेरा दोस्त है न बंटू
रागिनी : हा वो विजई का बेटा , क्या हुआ
राज : कुछ नहीं , वो बता रहा था अनुज कालेज जाते समय रोज पुलिया पर रुकता है
राज ने अनुज को आंख मारी और अनुज की हालत सन्न
रागिनी ने एकदम से अनुज को घूरा : तू पढ़ने जाता है कि पुलिया पर घूमने
अनुज की हालात खराब थी
राज हस कर उसके मजे लेता हुआ : और पता है मम्मी , वहां कैसे कैसे स्टूडेंट रुकते है
अनुज एकदम से तैस में आकर : हा बताओ , मै भी जानू
रागिनी उसको देख कर चौकी : अरे अब क्या लड़ाई करेगा ,भैया से ?
अनुज एकदम से शांत ही गया और उदास भी थोड़ा
राज उसका उतरा हुआ मुंह देख कर हंसता हुआ : मम्मी वहां न गोरी गोरी लड़कियां रुकी होती है , और इससे फोटो खिंचवाती है हाहाहाहाहा
अनुज की हालत पतली हो गई
रागिनी ने अचरज से अनुज को देखा उसको देख कर ऐसा लग रहा था कि अगर उसने जरा भी डांट लगाई तो रो ही पड़ेगा
रागिनी : क्या ? फोटो खींचता है ? बड़ा होकर कैमरा चलाएगा क्या ?
अनुज : नहीं मम्मी , भैया झूठ बोल रहे है
राज : लगाऊं फोन बंटू को
अनुज एकदम से चुप हो गया
रागिनी अनुज को इस हसी ठिठौली में अकेला देख कर उसकी तरफ से बोली : अरे सिर्फ फोटो ही खींच रहा था कि एक फोटो साथ में भी लिया उनके
अनुज और राज दोनों चौके ?
राज फिर मुस्कुराने लगा
रागिनी राज को कपड़े देते हुए बोली: बोल न
अनुज आंखे उठा कर अपने मां को देखा और फिर राज को घूरते हुए : हा सेल्फी ली थी
रागिनी : तो दिखा फोटो ?
अनुज : मेरे पास कहा मोबाइल है , उनलोगों के पास होगा । मै इंस्टाग्राम पर मंगवा लूंगा तो दिखा दूंगा
रागिनी: अच्छा ठीक है दादा , अब तू क्या दांत फाड़ रहा है जा तैयार हो ले । खबरदार मेरे बच्चे को तंग किया तो ? दिखता नहीं अभी पटाने के लिए पीछे पड़ा है
रागिनी एकदम से खिलखिलाई और राज को ताली दे मारी और राज भी ठहाका मारकर हस पड़ा ।
अनुज उखड़ कर : मम्मी यार , आप भी मजे लेलो
रागिनी हस कर उसके पास गई और उसे बाल सहलाती हुई : मजे नहीं ले रही , मै तो कह रही हूं पढ़ाई छोड़ और शादी कर ले हीहीही , घर में बहु आ जाएगी तो मुझे भी बड़ा आराम ही जाएगा ।
अनुज एकदम से आंखे महीन कर अपनी मां को घूरा तो रागिनी समझ गई कि अब मजाक ज्यादा हो रहा है और वो धीरे से सरक ली ये बोलते हुए राज तैयार हो जाए ।
रागिनी के जाते ही अनुज राज पर बिफर पड़ा: ये क्या बोल रहे थे मम्मी को आप
राज हंसता हुआ अपने शर्ट के बटन बंद करता हुआ : क्यों क्या हो गया भाई , जब तुझे समझाया था कि परीक्षा आ रही है तू पढ़ाई पर फोकस कर लेकिन तू है कि समझ नहीं रहा है । लड़कियों के पीछे लगा है।
अनुज: भैया मै नहीं , वो लाली .. वो ही लगी रहती है तो क्या करूं?
राज अचरज से : अच्छा वो लाली थी ?
अनुज भौहें टाइट कर राज के पीछे खड़े होकर शीशे में उसको आवाज बाल बनाते देखता हुआ : तो फिर आपको नहीं पता था
राज हस कर : नहीं ये तो नहीं पता था कि वो लाली थी , नहीं तो कसम से भाई मम्मी के आगे नाम भी लेता
अनुज : हूह ,अब मम्मी को फोटो दिखाने पड़ेगी न
राज : दिखा दे , होने वाली बहु है आखिर उनकी हाहाहाहाहा
अनुज पैर पटकने जैसा होकर : भैया , यार आप भी मजे मत लो । आप तो मेरा टेस्ट जानते हो न
राज : अबे इतना भी क्या भाव खा रहा है , कितनी प्यारी है और अभी उम्र कम है वो भी बड़ी होगी किसी रोज और उसके भी हाहाहाहाहा
अनुज को राज की आखिर की बाते पसंद नहीं आई , जैसे लाली के लिए एकदम से पोजेसिव होने लगा था ।
राज उसका उतरा मुंह देख कर : बेटा , प्यार तो तू भी करता है बस मानता नहीं है
अनुज एकदम से चौक गया : नहीं ऐसा कुछ नहीं
राज : चल चल ठीक है , आ गेट बंद कर ले
राज और अनुज घर के बाहर गेट तक आए
अनुज धीरे से : भैया बहुत मन कर रहा है , कितने दिन हो गए मौसी को गए
राज : हा तो मेरे पास कोई फैक्टी क्या चूत की , भाई मै भी तरस ही रहा हूं
अनुज : चाची पर ट्राई .....
राज की आंखे चमक उठी : देख रहा हु बहुत तेजी से बदल रहा है उम्मम, वैसे तेरी चॉइस की तो लगती नहीं चाची क्यों ?
अनुज थोड़ा शर्मा कर हंसता हुआ : अरे ऐसा नहीं है , कितनी सेक्सी लगती है और उनके दूध कितने मोटे और गोल है ।
राज : लेकिन तुझे तो बड़ी ( धीरे से उसके कान में ) गाड़ वाली पसंद है न
अनुज : हा लेकिन चाची में कोई बुराई थोड़ी है , अब सबकी बुआ और मौसी जैसी तो नहीं रहेगी न
राज मुस्कुरा कर अपने लंड में उठते जज्बात को पेंट के ऊपर से दबाता है : बस कर भाई , मुझ जाने नहीं देगा क्या । मौसी और बुआ की बात मत छेड़
अनुज हसने लगा : ओके आप जाओ और रात में वापस आओगे क्या ?
राज : नहीं
अनुज कुछ सोच कर : ठीक है जाओ
राज वहा से निकल गया अपना लंड सेट करता हुआ एक ईरिक्शा पकड़ कर वही अनुज खुश होकर गेट अच्छे से बंद कर दिया और घर में आने लगा ।
अनुज की खुशी का ठिकाना नहीं था , आज पहली बार वो और उसकी मां घर में अकेले थे और उसपे से रागिनी ने सोनल के कपड़े ट्राई करने को कहा था ।
अनुज : मम्मी , मम्मी ??
रागिनी अपने कमरे से आती हुई : हा क्या हुआ बेटा
अनुज एकदम से अपनी मां को ब्लाउज पेटीकोट में देखा , जो शायद नहाने की तैयारी करने वाली थी ।
अनुज : क्या करने जा रहे हो
रागिनी : बेटा सीने और पीठ में बहुत खुजली हो रही है , पानी गर्म है नहाने जा रही हूं
अनुज नजरे इधर उधर करता हुआ कमरे में देखा तो रागिनी ने एक नाइटी निकाल रखी थी : ये पहनोगे क्या नहा कर ?
रागिनी : हा क्यों ?
अनुज मुंह बना कर : फिर दीदी वाले कपड़े ?
रागिनी अपना माथा पकड़ ली और हस्ते हुए : अरे वो कल पहन लूंगी , जल्दी क्या है ?
अनुज : अरे घर में भैया भी नहीं है इसलिए बोला
रागिनी भौहें चढ़ा कर : उससे क्या मै डरती हूं
अनुज : नहीं वो, कही वो पापा से कह न दे इसलिए
रागिनी : तो क्या मै तेरे पापा से डरती हूं
अनुज : अरे यार , भक्क
रागिनी हस्ती हुई : अच्छा ठीक है बाबा चल देखती हूं उसके कपड़े चल
फिर दोनों ऊपर जाने लगे और अनुज एकदम से खुश हो गया ।
वही अमन के घर ममता की आंख अपनी बिस्तर पर खुली और जैसे ही उसे होश आया एकदम से वो घर में मदन के होने और दरवाजा भीडके होने के त्वरित ख्याल से चौक कर उठ गई । असल हालत उसकी तब खराब हुई जब उसने पाया कि उसके देह पर चादर पड़ी थी ।
ममता शर्म ने अपना माथा पकड़ ली , उसकी दिल की धड़कने तेज हो गई और उसे समझते देर नहीं लगी कि मदन उसके कमरे में आया था और उसी से उसे चादर उढ़ाई है ।
ममता को थोड़ी हंसी भी आ रही थी और बहुत सारी शर्मिंदगी , ओर उससे भी ज्यादा झिझक कि वो कैसे खाना बनाने जायेगी और मदन का सामना करेगी ।
उसने आस पास देखा और अपनी नाइटी पहनी , हल्की सिहरन सी हो रही थी तो उसने एक साल लेकर कमरे से बाहर निकल कर बाथरूम में चली फिर हाल में आने लगी कि उसे कुकर की सीटिया सुनाई देने लगी ।
मसाले की महक से ममता को समझते देर नहीं लगी कि मदन आज नॉनवेज बना रहा था।
ममता धीरे धीरे हाल में आई और किचन में उसे काम करते हुए देखा , मोबाइल पर मदन किशोर कुमार की रोमांटिक गाने चल रहे थे जिन्हें वो गुनगुना रहा था और सहसा उसकी नजर ममता पर गई ।
मदन ने जरा भी जाहिर नहीं होने दिया कि कुछ देर पहले वो ममता को किस हाल में देखते हुए आया : अरे भाभी उठ गई क्या ? पैर ठीक है अब
ममता शर्म से हुंकारी भर कर फीकी मुस्कुराहट से जवाब दी
मदन चहकता हुआ : खाना लगभग तैयार है , भाभी आप बैठ जाओ
ममता : और आप ?
मदन एकदम से रुक गया और मुस्कुराने लगा : वो भाभी , अगर बुरा न मानो तो । मेरा आज मूड था पैग बनाने का
ममता तो तभी समझ गई कि आज मदन अपनी बोतल खोलेगा जब उसके नथुनों में नॉनवेज की खुशबू आई थी ।
ममता मुस्कुरा कर उसको तंग करने के इरादे से : भई मै तो जरूर बुरा मानूंगी
मदन चौक कर मोबाइल का गाना म्यूट करता हुआ : क्यों ?
ममता : भई आप अकेले अपना मौसम बनाएंगे और मुझे पूछेंगे भी नहीं तो बुरा लगेगा ही न
मदन चौक कर : क्या भाभी ? आप ..
ममता हंसते हुए गालों से : हा क्यों ?
मदन एकदम से हड़बड़ाने लगा : नहीं नहीं भइया को पता चला तो , नहीं
ममता मुस्कुरा कर : वैसे आप बहुत कुछ ऐसा कर चुके है जिसके बारे में आपके भैया को भनक नहीं होनी चाहिए क्यों ?
मदन एकदम से सकपका गया और वो समझ गया कि ममता का इशारा किधर है और वो अटकते हुए लहजे में : लेकिन भाभी , मै आपके सामने नहीं नहीं , मुझसे नहीं होगा
ममता : ओफ्फो देवर जी , अब मूड न बिगाड़िए
मदन आंखे फाड़ कर ममता को देखने लगा
ममता मुस्कुरा कर : वैसे ही सर्द रात है , तो थोड़ी गर्माहट रहेगी
मदन मुस्कुराने लगा : वैसे अपने कभी पहले ट्राई किया है ?
ममता मुस्कुरा कर हा में सर हिलाया : लेकिन किसी से कहिएगा मत
मदन की आंखे चमक उठी : कब ?
ममता : वो शादी के पहले की बात थी , मेरी सहेली के भैया फौज में तो बस एक ढक्कन , हा सिगरेट बहुत बार
मदन आंखे फाड़ कर : क्या सिगरेट भी
ममता : लेकिन प्लीज इसके बारे में आपके भैया को पता न लगे
मदन ने आंखों ही मुस्कुराकर हुंकारी भरी
ममता : तो छत पर चले ?
मदन मुस्कुरा कर : जैसा आप कहें
ममता मुस्कुरा कर : वही चलते है हिहीही
मदन : बस भाभी 10 मिनट और लगेगा
ममता: ठीक है तब तक मै भी आपके भैया से बात करके उन्हें निपटा दूं , ताकि वो हमें डिस्टर्ब न करे
ममता की बात पर मदन को ताज्जुब हुआ लेकिन ममता के साथ हसने के सिवा उसके पास कोई और रिएक्शन नहीं शेष था ।
इधर मुरारी की घंटी बजी और मंजू की आंखे खुली और वो झट से मुरारी के कंधे से अलग हो गई । जो अभी तक चलती गाड़ी में ना जाने कब गहरी नींद में आ गई थी ।
मुरारी ने फोन उठा और कुछ बात चित हाल चाल लेकर फोन रख दिया
मुरारी : भाई ड्राइवर साहब, अगर आगे कोई बढ़िया होटल दिखे तो गाड़ी लगाइए , खाना खा लिया जाए , क्यों ?
मंजू ने हा में सर हिलाया और धीरे से बोली: मुझे फ्रेश होना है
मुरारी ने उसकी बात सुनी फिर : भैया थोड़ा देखते रहना
मुरारी : अगर ज्यादा तेज हो तो गाड़ी साइड लगवा दूं
मंजू : क्या भक्क आप भी , ड्राइवर भी तो है ?
मुरारी : अरे गाड़ी से थोड़ा दूर हो जायेंगे न
मंजू : ठीक है करवाइए , अब
मुरारी : अरे ड्राइवर साहब थोड़ा गाड़ी एक किनारे लगाइए
ड्राइवर ने गाड़ी हाइवे के एक साइड में लगाई ।
रात के 8 बजने को हो रहे थे । सड़कों से गाड़िया तेजी से निकल रही थी और मंजू की साड़ी का आंचल संभालने में दिक्कत हो रही है ।
मंजू ने मूड कर मुरारी की ओर देखा : किधर चले
मुरारी : अरे आगे चलो अभी
करीब 50 मीटर दूर आने के बाद मुरारी ने मोबाइल की टॉर्च जलाई और वही हाइवे के पास लगे एक सुनसान जगह पर एक जगह प्लॉटिंग की गई थी , मुरारी को वही जगह साफ और सुरक्षित लगी
मुरारी : तुम जाओ मै खड़ा हु
मंजू ने हुंकारी भरी और हाइवे ने नीचे उतर कर 10 कदम गई होगी फिर वापस आने लगी
मुरारी की तरफ जाता हुआ : क्या हुआ
मंजू : मुझे डर लग रहा है , कोई सांप बिच्छू हुआ तो ?
मुरारी: तो अब
मंजू हिम्मत कर : आप भी चलो मेरे साथ
मुरारी थोड़ा रुक कर उसे देखा तो मंजू मुस्कुरा कर शर्माने लगी : भक्क चलो न
मुरारी हंसता हुआ उसके साथ चला गए और वही प्लॉटिंग वाली जगह के चारदीवारी के लास खड़ा होकर : हम्मम जाओ अब
मंजू ने अच्छे से मोबाइल की टॉर्च जलाई और देखने लगी और फिर मुरारी को देखकर : घूमों न उधर ?
मुरारी ने हसने लगा और अपनी टॉर्च बुझा कर खुद भी एक ओर खड़े होकर पेशाब करने लगा
हाइवे पर गुजर रही गाड़ियो की लाइट मुरारी के आधे देह पर आ रही थी मगर कमर के नीचे तक नहीं
मुरारी ने अपना लंड झाड़ कर वापस रख रहा था कि एकदम से मंजू चिहुकी: अम्मी
मंजू एकदम से उठ कर भागती हुई उसके पास आई
मुरारी उसको चीखता देख : क्या हुआ
मंजू : पता नहीं पैर पर कुछ रेंग रहा था
मुरारी ने झट से वहा टॉर्च मारी जहां मंजू ने पेशाब किया था और उस जगह की मिट्टी पूरी गीली हो थी , जहां तक पेशाब फैला हुआ था ।
मंजू को शर्म आ रही थी जिस तरह मुरारी उसके पेशाब किए हुए जगह पर टॉर्च जला कर देख रहा था ।
मंजू : छोड़िए न चूहा रहा होगा , चलिए चलते है
मुरारी की नजर और टॉर्च अभी भी उस गीली मिट्टी को देख रहे थे : हा चलो
वापस दोनों गाड़ी में आ गए और गाड़ी निकल पड़ी , और कुछ ही देर में मंजू को अपने बुर के पास हल्की खुजलाहट होने लगी , क्योंकि उसने पेशाब करके पानी से उसे धुला नहीं था ।
उसकी जांघें कचोट रही थी और उसके चेहरे पर बेचैनी हो रही , रह रह कर वो अपने बुर के पास हाथ ले जाकर उसे खुजाती
मुरारी की नजर का रुकने वाली थी और उसने धीरे से उसके कान में बोला : क्या हुआ ?
मंजू एकदम से सकपकाई और थोड़ा चुप रही। लेकिन मुरारी वैसे ही झुका हुआ उसके जवाब की प्रतिक्षा में था तो मजबूरन उसे बोलना ही पड़ा : तो करने के बाद धूली नहीं तो खुजली ...
मुरारी : कहो तो फिर से गाड़ी रुकवा दु
मंजू फुसफुसा कर : नहीं , वो क्या सोचेगा ?
मंजू का इशारा ड्राइवर की ओर था
मुरारी कुछ देर चुप रहा है और फिर धीरे से उसके कान में बोला : मेरे पास एक आईडिया है ?
मंजू अचरज से उसकी ओर देख कर : क्या ?
मुरारी : एक बार ऐसे ही अमन की मां के साथ हुआ था , लेकिन तब हम बस में सफर कर रहे थे और रात का समय था । तो मैने उसे अपनी रुमाल पानी में भिगो पर दी और फिर उसने अपने आप को चादर से ढक लिया था और फिर नीचे उस गिले रुमाल से साफ किया था । रात का समय था तो किसी को कुछ पता नहीं चला
मुरारी का आईडिया सुनते ही मंजू भिनकी: धत्त क्या आप भी ,
मुरारी : सच कह रहा हूं , कहो तो ममता को फोन लगाऊं
मंजू : नहीं उसकी जरूरत नहीं है
मंजू को फिर से चुनचुनाहट हुई बुर में
मंजू ने इशारे से : लाइए
मुरारी : एक मिनट रुको
फिर वो अपने बैग से एक ओढ़ने वाली चादर निकाला और फिर उसे मंजू और अपने ऊपर ओढ लिया
फिर धीरे से अपने जेब से रुमाल निकाल कर अपने पैर के पास ही बोटल वाली पानी से उसको अच्छे से भिगोया और फिर चादर के नीचे ही उसने मंजू को थमा दिया ।
मंजू ने चादर के नीचे अपनी साड़ी उठाने लगी , मुरारी कभी ड्राइवर को देखता तो कभी मंजू के चेहरे को तो कभी चादर के ऊपर से उसमें चल रही हरकत को आंकता और तभी उसने मंजू के चेहरे पर एक गहरी शांति देखी , उसकी आंखे बंद हुई मानो उसके चूत को कितनी ठंडक मिली हो ।वही मुरारी इस खुमारी में अपना लंड खंड चादर में भींच रहा था कि जल्द ही मंजू की चूत के रस से सना हुआ रुमाल उसके हाथ में होगा ।
लेकिन उसके सपनो का आशियाना तब टूट गया जब मंजू ने धीरे से रुमाल कार से बाहर फेक दिया
मुरारी को एकदम से झटका लगा: अरे फेक क्यों दिया ?
मंजू भौहें टाइट कर : तो क्या करोगे उसका अब, गंदा हो गया था
मुरारी : अरे घर पर धुला जाता न
मंजू शर्माती हुई : भक्क, तो क्या आप वो रुमाल यूज करते
मुरारी : अरे धुलने के बाद क्या दिक्कत थी उसमें भला
मंजू: धत्त बहुत गंदे हो आप
मुरारी : तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे कभी तुम्हारे अंदर के कपड़ो में पेशाब नहीं लगा हो
मंजू शर्म से झेप गई और हसने लगी : अरे लेकिन उसने और इसमें फर्क है न , वो तो नीचे ही रहता और इससे आप मुंह पोछते
मुरारी हस कर : एक ज्ञान की बात कह रहा हु सुन लो
मंजू ताजुब से उसकी ओर गई : हा बोलो
मुरारी उसके पास जाकर : मर्द कपड़ों में भेद नहीं करते , मैने अमन की मां की साड़ी, पेटीकोट , दुपट्टे सबसे हाथ मुंह पोछा है
मंजू को उसकी बात पर हसी आ रही थी और वो हस्ते हुए : हा लेकिन , अंदर गारमेंट से तो नहीं न
मुरारी : पोंछ तो लू, लेकिन वो पहने तो न हिहीही
मंजू एकदम से लजा गई : धत्त
मुरारी : सच में , मैने खुद उसे कितनी बार तौलिया न मिलने मेरे बनियान और अंडरवियर से मुंह हाथ पोंछते देखा है
मंजू हैरत से : सच में ?
मुरारी : इसमें बुरा ही क्या है ? धुलने के बाद साफ ही रहता है न
मंजू सीधी होकर मुस्कुरा लगी
मुरारी उसको ओर झुक कर : और इसमें मेरा ही फायदा होता है
मंजू : फायदा कैसा ?
मुरारी : मेरे कच्छे की खुशबू से उसका मूड हो जाता है और फिर ...
मंजू : धत्त कितने गंदे हो आप भैया
मुरारी हसने लगा तो मंजू भी खुद को हसने से रोक नहीं
शिला के घर
किचन में शिला और रज्जो खाना बना रही थी और इतने में रामसिंह दोनों को देख कर दाखिल हुआ ।
रामसिंह : उम्मम बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है भाभी , अह क्या बना रही हो
शिला : लो आ गए लार टपकाने
रामसिंह ने एक नजर इतराती हुई रज्जो को देखा और आंख मार कर शिला के बगल में खड़े होकर उसके गर्दन के पास अपने नथुनों में सास भरता हुआ बोला: उम्मम भाभी खुशबू इतनी मस्त आ रही है तो मुंह में पानी आयेगा ही
रज्जो आँखें नचा कर : दीदी मै तो कह रही हूं पहले इन्हें ही परोस दो , इनके भैया बाद में भी खा लेंगे
रामसिंह : और क्या ? भइया ने तो शाम को कुछ नाश्ता किया ही होगा , मै तो सुबह से भूखा हूं
शिला मुस्कुरा कर : अरे भाई , कम्मो को बुला लो ऊपर से सब साथ में खाते है न
रज्जो रामसिंह की आंखों में देख कर शरारती मुस्कुराहट से : कम्मो को मै बुला लाती हूं तब तक इनको कुछ देदो
रज्जो मटकते हुए ऊपर निकल गई और जैसे ही जीने से ऊपर पहुंचने को हुई एकदम से ठिठक गई , सामने खिड़की से अरुण कम्मो के कमरे में झांक कर रहा था । रज्जो की समझते देर नहीं लगी जिस तरह से अरुण के हाव भाव थे और उसका हाथ पेंट के ऊपर था ।
रज्जो दबे पाव गई और उसके पीठ पर थपथपाया तो वो एकदम से सन्न रह गया और घूम कर रज्जो को देखा तो सिट्टी पिट्टी गुम ।
रज्जो ने एक नजर खिड़की के भीतर झांका तो उसकी आंखे फेल गई , अंदर कम्मो कपड़े बदल रही थी , लेकिन रात के इस प्रहर में उसे कपड़े बदलने का समय अजीब लगा । रज्जो अभी उलझी हुई थी कि इतने में अरुण तेजी से जीने की ओर भागा बिना कुछ बोले सरपट ,रज्जो ने उसको रोकना चाहता मगर अरुण तेज निकला ।
रज्जो ने अंदर झांका तो कम्मो अपनी ब्लाउज उतार कर सिर्फ पेटीकोट में थी और आलमारी से कपड़े निकाल रही थी ।
रज्जो धीरे से दरवाजा खोला और मुस्कुरा कर : ऐसे खुला रखेगी तो किसी रोज डाका पड़ जाएगा
रज्जो की आवाज सुनकर कम्मो एकदम से चौकी और अपनी नंगी छतिया हाथों से ढकने लगी : हाय दैय्या, भाभी आप ?
उसकी सांसे तेज थी, उसके गोरे जिस्म और नंगे पेट , पतली कमर बड़े बड़े रसीले मम्में हाथों से छुपाने में नाकाम
रज्जो मस्ती भरे लहजे में : अरे तुम तो ऐसे डर गई , मानो तुम्हारे जेठ आ गए हो
कम्मो लजाई: क्या भाभी जी आप भी
रज्जो : तो मुझसे क्या छुपा रही हो उम्मम
कम्मो शर्म से लाल होती : नहीं वो , बस ऐसे ही
रज्जो : अरे मेरे जितने बड़े भी तो नहीं है , या फिर है ? देखूं तो
रज्जो आगे बढ़ी
कम्मो खिलखिलाई और घूम गई अपने नंगे चूचों को पकड़े हुए : धत्त भाभी , नहीं
रज्जो ने पीछे से उसकी नंगी पीठ और कूल्हे पर उठे चौड़े उभार देख कर धीरे से एक उंगली उसकी नंगी पीठ ऊपर से नीचे पेटीकोट की डोरी तक रीढ़ पर सांप की तरह रेंगती हुई : उफ्फ तुम तो बड़ी कातिल चीज हो कम्मो
रज्जो के स्पर्श से कम्मो सिहर उठी : सीईईई भाभी , धत्त
और वो झट से उसने एक नाइटी उठाई और अपने ऊपर डालने लगी, इस दौरान रज्जो को पल भर के लिए कम्मो के खरबूजे जैसे गोल चूचों की झलक मिली जिसके भूरे निप्पल पूरी तरह टाइट हो गए थे ।
कम्मो का हाथ और सर नाइटी में था और वो कुछ देर के लिए उलझी थी और मौका पाते ही रज्जो ने धीरे से उसके चूचे पर हथेली घुमाई : उफ्फ कितनी कसी है यार
कम्मो एकदम से गिनगिनाई और उससे दूर होकर जल्दी से अपनी नाइटी नीचे करली : उम्मम धत्त भाभी , दीदी सही कहती है आप बहुत वो हो
रज्जो : तुम्हारी दीदी भी कम थोड़ी है उम्मम
कम्मो मुस्कुरा कर : उन्होंने क्या किया
रज्जो : खुले आम , देवर को खाना परोस रही है किचन में
कम्मो उसके मजाक कर हसने लगी : धत्त आप भी न
रज्जो : और क्या , मै खुद देखा है
कम्मो मुस्कुरा कर अपने बाल सही करती हुई : अरे भाभी है उनकी , हक है उनका कि अपने देवर को परोसे , कही आपका इरादा तो नहीं था अरुण के पापा को परोसने का
रज्जो हस्ती हुई : मै तो परोस दूं , लेकिन मुआ मेरा आंचल बड़ा ने बेईमान है
कम्मो एकदम से रज्जो के मजाक पर झेप गई: अरे , भक्क आप भी न
रज्जो : और क्या खाना छोड़ कर मुझपर टूट पड़े तो , रमन के पापा तो कई बार ऐसा कर चुके है , मर्दों की भूख बदलते देर नहीं लगती
कम्मो हस्ती हुई कमरे से बाहर निकलने लगी और रज्जो भी उसके साथ : हिहीही भाभी , अब बस करो , हम नीचे आ गए है शीईईई
रज्जो : लो देख लो ,मै न कहती थी कि मर्दों की भूख बदलते देर नहीं लगती
कम्मो एकदम से चौक कर किचन में देखा तो रामसिंह शिला को पीछे से पकड़ कर उसके चूतड़ों में अपना लंड निकाल कर दबा रहा था और उसके दोनों पंजे शिला के ब्लाउज के ऊपर से उसकी मोटी चूचियां मिज रहे थे ।
रज्जो : भाभी में आधा होता है , लेकिन लग रहा है नंदोई जी बड़ी साली वाला हक भी जोड़ रहे है हीही
कम्मो तुनक कर : भक्क भाभी , आपको मजाक लग रहा है । मुझे चिढ़ हो रही है कि दीदी हर बार मेरा हक मार लेती है
रज्जो : अरे तो रोका किसने है , जाओ छिन लो अपने दीदी के मुंह से इससे पहले कि सारी मलाई वो गपुच कर जाए
रज्जो के कहने की देरी थी कि कम्मो तेजी से चलती हुई किचन में गई
कम्मो कमर पर हाथ रखे हुए : ये क्या है दीदी ?
शिला : तू ऐसे क्यों भड़क रही है
कम्मो भूनकती हुई : सारा दिन जीजू को निचोड़ ली और अब इन्हें भी , मेरा क्या होगा
शिला खिल कर : तो तू भी आजा
रामसिंह मुस्कुरा कर उसको पकड़ कर अपने पास खींच कर उसके लिप्स चूसता हुआ : उम्मम मेरी जान नाराज मत हो
कम्मो एकदम से कातिल मुस्कुराहट देते हुए उसका लंड पकड़ कर उसके लिप्स चूसने लगी और ठीक अपने दीदी के बगल में बैठ कर शिला से पहले ही लंड को मुंह में ले लिया और रामसिंह मानो हवा में उड़ने लगा
इधर रज्जो इनकी बेशर्मी देख कर पागल होने लगी , उसकी जांघों में सरसराहट होने लगी और चूत के पास कुलबुलाहट सी उठने लगी ।
वही दोनों बहने बारी बारी से रामसिंह के लंड को चूसने लगी
रामसिंह : उफ्फ कम्मो तेरी टाइमिंग कमाल की है , अह्ह्ह्ह रज्जो भाभी की तो नजर ही नहीं हट रही अह्ह्ह्ह्ह
शिला : सच में , लेकिन उसकी वजह से तुम्हारे लंड में गजब का कड़कपन आया है उम्ममम
रामसिंह : तो चूसो न भाभी अह्ह्ह्ह उम्ममम सक इट ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह
इधर दोनों बहने भूखी शेरनी की तरह टूटी हुई थी और वही रज्जो की हालत खराब हो रही थी ऐसे में कब मानसिंह धीरे से उसको पीछे से पकड़ लिया और वो एकदम से चौकी : अह्ह्ह्ह्ह आप है क्या ? उम्मम देखो तो कैसे भूखी शेरनी की तरह टूटी है दोनों अह्ह्ह्ह्ह
मानसिंह : क्यों कही तुम्हारी इच्छा तो नहीं ज्वाइन करने की
रज्जो ने हाथ पीछे करके मानसिंह के का लंड पजामे के ऊपर से जड़क लिया और उसको भींचती हुई : अह्ह्ह्ह्ह तो आपका क्या होगा उम्मम ,
मानसिंह हाथ बढ़ा कर उसके बड़े रसीले मम्में दबोचता हुआ : अह्ह्ह्ह्ह रज्जो मेरी जान , मै आज तक तुम्हारे जैसी गर्म औरत नहीं देखी अह्ह्ह्ह
तभी रज्जो की नजर अरुण के कमरे के दरवाजे पर गई और उसने अपने जगह से हटना जरूरी समझा : कमरे में चलो , आज आपको असल रूप दिखाती हूं
और रज्जो अरुण के कमरे पर नजर रखे हुए वापस मानसिंह के साथ उसके कमरे में चली गई ।
प्रतापपुर
" अब शर्माना छोड़िए भी जमाई बाबू, मै भी मर्द हु खूब समझता हूं अपने जात की दुखती रग को " , बनवारी ने रंगी को छेड़ते हुए ठहाका लगाया ।
रंगी थोड़ा मुस्कुरा कर : अब क्या करें , बाउजी वो चीज ही ऐसी है कि चाह कर भी निगाहे चल जाती है और फिर
रंगीलाल ने देखा उसका ससुर उसके आगे बोलने की राह देख रहा है
रंगी मुस्कुरा कर : आज दो रोज हो गए , सोनल की मां से दूर हुए तो वो तड़प महसूस भी हो रही है । उसपे से आपका तंबाकू हाहाहाहाहा
बनवारी हंसता हुआ : जमाई बाबू , मै कह रहा हूं न, थोड़ा सा... अरे मै इजाजत दे रहा हूं, अब तो मान जाइए
रंगी का लंड अकड़ रहा था और वो उसको पकड़ कर अपनी मुठ्ठी में भींचते हुए : बाउजी , मुझे लालच मत दीजिए कल को बहक गया या आदत बिगड़ गई तो ? मुझे डर लगता है और फिर कही रागिनी को भनक लगी तो?
बनवारी उसके जांघ पर हाथ रख कर : तुम बड़े भोले हो जमाई बाबू , तुम्हारी जगह अगर अभी कमल बाबू होते तो ....
रंगी हस कर : हा , कमल भाई है भी थोड़े रंगीन मिजाज के ?
बनवारी : थोड़े ? हाहाहाहाहा अरे जमाई बाबू उन्होंने तो बस 2 घंटे में ही बात शुरू की और काम भी फाइनल कर दिया
रंगी अचरज से : कैसे और किसके साथ ?
बनवारी हस कर : वैसे ये राज की बात है , आपके और हमारे बीच ही रहे रज्जो या छोटकी तक न जाए
रंगी ने उसकी ओर झुक कर बिना आवाज ने हुंकारी भरी
बनवारी उसके पास आकर : ये सब मैने सोनल बिटिया की बारात में देखा था , वो तुम्हारे संबंधी है न मुरारीलाल ,
रंगी : हा !
बनवारी : अरे उनकी बड़ी बहन , क्या खूब चुस्त ब्लाउज़ पहनी थी और बड़े बड़े दूध , एक बार को मेरी भी नजर उसकी शरारती निगाहों से जुड़ी थी और मै उस छिनाल को भांप गया । तभी देखा कि कमल बाबू और उसके बीच कुछ तो खिचड़ी पक रही है , तो मैने इनका पीछा किया इधर वरमाला के बाद सब खाना पीना कर रहे थे तो ये दोनों वो बगल वाले घर में घुसे थे और पूरी तरह से नंगे होकर मजे कर रहे थे ।
रंगी का हलक सूखने लगा और उसका लंड पजामे में तंबू बना चुका था : उफ्फ बाउजी , वैसे मुरारी भाई की बहन है बड़ी कटीली चीज ,सीने से पल्लू कब सरक जाए पता नहीं चलता
बनवारी : वही तो ?
कमलनाथ : लेकिन बाउजी आपको नहीं लगता कि कमल भाई ने रज्जो जीजी को पर्दे में रख कर गलत किया ।
बनवारी : अरे भाई , जब चूत की तलब होती है तो उसमें सही क्या गलत क्या ? जैसे आप तड़प रहे है उन दिनों रज्जो बिटिया भी शादी के कामों के कितनी बिजी थी , कमल बाबू भी तड़प रहे होगे , तो हो गया होगा इसमें क्या है ?
रंगीलाल बनवारी की बेफिक्री से खुश होकर : बात तो सही कह रहे बाउजी , शादी के दिनों में मेरी भी हालत कम खस्ता नहीं थी , सोनल की विदाई के बाद भी रागिनी ने हाथ नहीं लगाने दिया क्योंकि उस रात आप थे उसके कमरे में
रंगी की बात सुनकर बनवारी को वो रात याद आई जब रागिनी ने रंगी को मना कर वापस उसके लंड पर बैठने आई थी और वो थोड़ा असहज होकर : अरे जमाई बाबू , सच में अगर मुझे जरा भी भनक होती तो मै खुद निकल आता कमरे से
रंगी हस कर : क्या बाउजी आप भी , तब तो हम इतने अच्छे दोस्त भी नहीं थे हाहाहाहा
बनवारी : हाहाहाहाहा सही कह रहे हो जमाई बाबू , लेकिन अब तक दोस्ती का मान रख लो
रंगी : लेकिन बाउजी मेरी एक शर्त है ?
बनवारी : शर्त ?
रंगीलाल हस कर : जो भी करेंगे एक साथ करेंगे
बनवारी अचरज से रंगीलाल को देखा और मुस्कुराने लगा ।
तभी कमरे में सुनीता दाखिल हुई और दोनों सामान्य हो गए
सुनीता को देखते ही रंगी का मुंह बन गया था क्योंकि शाम के वादे को अभी तक सुनीता ने पूरा नहीं किया था ।
सुनीता : बाउजी खाना लाऊ ?
बनवारी : अह हा भाई लाओ क्योंकि ( दिवाल घड़ी को देखता हुआ ) दवा का भी समय हो रहा है
रंगी : हा बाउजी आप खा लीजिए , मुझे अभी भूख नहीं है ( उसने घूर कर सुनीता को देखा )
बनवारी : अरे भाई अकेले मुझे भी नहीं जमेगा , जब आप खायेंगे मै भी खा लूंगा , अभी रहने दो बहु
रंगी उसे समझता हुआ : अरे नहीं बाउजी , आप समय से खा लीजिए और आपको दवा भी लेनी है । मुझे भूख लगी तो कहूंगा , क्योंकि मुझे लेट से खाने की आदत भी है थोड़ी ।
बनवारी : अच्छा ठीक है , बहु मेरी थाली लेकर आ फिर
सुनीता मुस्कुरा कर रंगी को देखा तो रंगी ने मुंह बना कर उससे नजरे फेर ली , सुनीता समझ रही थी कि रंगी उसकी वादाखिलाफी से नाराज है ।
फिर वो कूल्हे हिलाती निकल गई
बनवारी : अरे जमाई बाबू , आप भी खा लेते तो खाली हो जाते
रंगी : आप फिकर न करे बाउजी , वैसे भी वो 10 बजे बाद ही आएंगी कही क्यों ?
बनवारी : हा बात तो आपकी ठीक है , चलो जैसी आपकी मर्जी
रंगी हस कर : और पहले आ गई तो उसको निपटा लेंगे खाना बाद में हो जाएगा हाहाहाहाहा
बनवारी हंसता हुआ : आप भी जमाई बाबू , हो तो पक्के खिलाड़ी लेकिन छिपाते बहुत हो ।
रंगी मुस्कुराने लगा और तभी सुनीता एक बार फिर कमरे में दाखिल हुई, खाना लेकर ।
उसने झुक कर बनवारी के आगे थाली रखी और पानी दिया
सुनीता वही खड़ी हो गई और बस एक टक रंगी को देखने लगी कि कब वो उसकी ओर देखे : और कुछ लाऊ बाउजी
जैसे ही सुनीता ने बोला , रंगी ने उसकी ओर देखा और सुनीता ने अपने मोटी मोटी छातियों से चुस्त पल्लू को आधे ब्लाउज तक ले आई
जिससे उसकी एक चुची का पूरा मोटा फूला हुआ भाग उभर कर सामने आया और वो बड़े ही शरारती मुस्कुराहट से रंगी को देखी , एकदम से रंगी की आंखे चमक उठी ।
रंगी हड़बड़ा कर : बाउजी आप खाइए , मै थोड़ा कपड़े बदल लेता हूं
निवाला चबाते हुए बनवारी ने उसको हुंकारी भरी और रंगी बनवारी के कमरे से निकल कर अटैच दरवाजे से अपने कमरे में चला गया
इधर जैसे ही सुनीता कमरे से निकल कर किचन की ओर बढ़ी तो उसने बाहर वाले दरवाजे से लपक कर अपने कमरे में खींच लिया
और हच्च से सुनीता की गुदाज मुलायम छातियां रंगी लाल के सीने से जा लगी : अह्ह्ह्ह्ह सीईईई हाय दैय्या क्या करते है छोड़िए कोई देख लेगा
रंगीलाल ने दरवाजा भिड़का कर उसको अपने पास करते हुए : तुम कुछ ज्यादा होशियारी नहीं कर रही उम्मम
सुनीता मुस्कुरा कर उससे नजरे चुराने लगी तो रंगी उसका लोला पकड़ अपनी ओर मुंह करता हुआ दूसरे हाथ से उसके नरम चर्बीदार कूल्हे को मसलता हुआ : बहुत मस्ती सूझ रही है उम्मम
सुनीता : आपको भी तो आखिर वही चाहिए न
रंगीलाल ने अगले पल उसके गर्दन के नीचे खुले सीने पर उंगलियां फिराते हुए : मै बताऊं मुझे क्या चाहिए उम्मम
सुनीता की सांसे चढ़ने लगी उसकी धड़कन तेज हो गई , जिस तरह से रंगी उसके पल्लू को सीने से हटाना चाह रहा था मगर कंधे पर लगी पिन उसे रोक रही थी और देखते ही देखते रंगी आगे झुक कर उसके ब्लाउज के गले के पास खुली जगह पर जहा से सुनीता की मोटी चूचियो की पहाड़िया शुरू हो रही थी अपने होठ रख दिए और सुनीता मचल उठी : अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम रुक जाइए न प्लीज
इस दौरान रंगी के हाथ उसकी नंगी कमर और कूल्हे पर रेंग रहे थी और फिर सरकाता हुआ नीचे आया और पेट के ऊपर से पल्लू हटा कर अपना मुंह सीधा उसकी गुदाज चर्बीदार नाभि पर दे दिया और सुनीता एकदम से अकड़ गई : ओह्ह्ह्ह उम्ममम रुकिए न , बाउजी बगल में है अह्ह्ह्ह्ह
रंगी ने एक न सुनी और जीभ निकाल कर उसकी गुदाज नर्म नाभि पर गिराते हुए नाभि के नीचे का मास चबाने लगा जिससे सुनीता एड़ियों के बल उठने लगी और उसके ऐसा करते ही रंगी ने अपने दोनों पंजे उसके गोल मटोल चूतड़ों पर जमा दिया और उन्हें दबोचने लगा
सुनीता की हालत खराब हो रही थी कि इतने में बबीता की आवाज दोनों के कानों में पड़ी , सुनीता को याद आया कि उसे अभी राजेश को भी खाना परोसना है । और वो झट से रंगी से अलग होती हुई कमरे से भाग गई और रंगी अपने मुंह पोछता हुआ हसने लगा उसका लंड अभी तक तना हुआ था ।
मुहल्ले में घुसते ही वहां की रौनक ने राज को चकाचौंध कर दिया , डीजे पर चलते एक से बढ़कर एक गानों ने माहौल पूरा हाइ रहा था। वहां पर कसबे से एक से बढ़ कर एक धन्ना सेठ और आए थे । कुछ अंजान चेहरे भी थे जिनसे राज कभी रूबरू नहीं हुआ था और उनमें से कुछ उसे पहचान थे उसके पापा के नाम से तो हाल चाल भी हुआ ।
तभी उसकी नजर संजीव ठाकुर पर गई और उसने पाव छू कर उन्हें नमस्ते किया
संजीव : अरे राज , आजा बेटा , भाई तुम्हारे पापा तो ससुराल में मजे ले रहे है हाहाहाहाहा
उनकी बातों से राज को थोड़ी झेप भरी शर्मिंदगी सी लगी मगर वो समझ रहा था कि संजीव ठाकुर नशे की जकड़ के आ रहा है धीरे धीरे और दूसरे हाथ अभी भी विस्की का ग्लास था ।पार्टी ऑलमोस्ट चालू ही थी , लोग खा पी रहे थे ।
राज : अंकल , आंटी जी कहा है ?
संजीव : अरे अभी वो रेडी हो रही होगी , जाओ अंदर देखो और बोलो सब राह देख रहे है
राज : जी अंकल
फिर वो वहां से निकल गया और पहली बार घर के बरामदे से अंदर दाखिल हुआ
अंदर तो और बड़ा सा हाल था जहां पहले से ही सेलिब्रेट करना का पुख्ता इंतजाम था, कुछ कैटरिंग स्टाफ थे और सोफे पर कुछ औरते भी बैठी थी शायद मेहमान रही होगी ।
राज नीचे का माहौल देख कर समझ गया कि इनका कमरा ऊपर नहीं हो सकता था और उसे कुछ धुंधला सा याद भी था कि एक बार सरोजा ने उससे जिक्र किया था वीडियो काल पर जब वो नशे में थी और उसने अपना पूरा घर दिखाया था ।
उसी धुंधली याद के सहारे राज ऊपर चला गया ,
शायद ऊपर आने की सभी को सख्त मनाही थी , तभी तो वहां एकदम से एक चुप सन्नाटा था । बस डीजे पर चल रही गाने की आवाज थी । पूरा घर झालर और लाइट्स से रोशन मानो किसी की शादी हो ।
राज इधर उधर देखता हुआ बड़ा ही संकुचित था मगर भीतर से उत्साहित भी जिस तरह से आज उसने ठकुराइन से बात की थी । इतनी बिंदास औरत से उसका लगाव होना जायज भी था और नए चूत की तलब से उसकी बेचैनी और बढ़ रही थी ।
मगर हिचक भी थी कि कही किसी गलत कमरे में न दाखिल हो जाए ,
तभी उसके कानों कुछ आवाजें आई
" अह्ह्ह्ह नहीं बाउजी देर हो जाएगी , अह्ह्ह्ह मान जाइए न "
" ओह्ह्ह बहु तुम्हारी ये चिकनी जांघें देख कर अब और रहा नहीं जायेगा अह्ह्ह्ह "
इन शब्दों को सुनते ही राज के कान खड़े हो गए और उसका लंड फड़कने लगा , उसके जहन वो याद ताज़ा हुई जब रुबीना ने इस बारे में जिक्र किया था कि ठकुराइन और उसके ससुर का चक्कर है ।
राज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था वो आस पास देखने के बाद धीरे से दरवाजे के पास पर्दो के बीच से झांका तो देखा कमरे में ठकुराइन पूरी तरह से सज धज कर तैयार है और बड़े ठाकुर ने उसे औंधे बिस्तर पर झुका रखा था और उसकी साड़ी उठा रहा था पीछे : ओह्ह्ह्ह बहु ये बाल हटाने के बाद तेरे चूतड़ कितने रसीले हो गए है उम्ममम
ठकुराइन बड़े ठाकुर के चुम्बन से सिहर उठी : अह्ह्ह्ह बाउजी जल्दी करिए, सब नीचे आ गए है । मालती के पापा फोन भी कर रहे है ।
तबतक बड़े ठाकुर ने अपना नाडा खोलकर अपने लंड को ठकुराइन की चूत पर लगाया और ठाकुराइन पगलाने लगी , उसकी आंखे उलटने लगी और देखते ही देखते एक जोर का झटका : ओह्ह्ह्ह बाउजी उम्मम कितना टाइट है अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह
बड़े ठाकुर : ओह्ह्ह बहु तेरी चूत की गर्मी मुझे पागल कर देती है , आज पार्टी के बाद तुझे लंबी सैर करूंगा अह्ह्ह्ह
राज आंखे फाड़ कर अंदर झाक रहा था और उसे लगा यही मौका है ठकुराइन को अपने जाल में फंसाने का और वो अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर रिकॉर्ड करना चाह रहा था कि किसी ने उसे पीछे से थपथपाया
राज एकदम से सन्न हो गया और पलट कर देखा तो उसके पीछे सरोजा खड़ी थी, खूबसूरत झिलमिलाती साड़ी में उसका अंग और निखर रहा था और उसने अपने मुंह पर उंगली रख कर चुप रहने का इशारा करते हुए उसे एक कमरे में ले गई ।
वहां जाते ही वहां की दिवाल पर सजावटी चीजों को देखकर राज समझ गया कि वो सरोजा का कमरा है और अगले ही पल सरोजा ने उसे अपनी ओर खींचा : आज कल तुम बहुत खोए से हो , भूल ही गए हो मुझे
राज ने एकदम से उसके चौड़े चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से मसलने लगा और उसके लिप्स चूसते हुए : तुम भूलने वाली चीज नहीं हो मेरी जान, मै तो तुम्हे ही खोज रहा था लेकिन यहां देखा तो अलग ही खेल चल रहा है अह्ह्ह्ह
सरोजा : उम्मम उन्हें खेलने दो अपना खेल , तुम अपना शुरू करो और वो अपने कंधे से साड़ी की पिन निकालने लगी
तो राज ने झट से उसके हाथ रोके और साड़ी के नीचे से उसकी चिकनी गुदाज कमर में हाथ डाल कर : सीईई रहने दो न अभी रात बाकी है खोलने के लिए, फिलहाल क्विकी से काम चला लेते है क्यों
सरोजा मुस्कुरा कर उसक लिप्स चूसने लगी : सीईईई कुछ भी करो बस भर दो मुझे कितना तड़प रही हूं अह्ह्ह्ह
राज उसके गर्दन पर चूमता हुआ : उम्मम तो बुलाया क्यों नहीं
सरोजा : जैसे तुम बड़े फ्री थे , अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म
राज उसकी साड़ी और पेटीकोट उठा कर उसके नंगे मोटे चूतड़ों को पंजों से नोचने लगा : सॉरी न मेरी जान उम्मम तुम्हारे गाड़ कितने मुलायम है सीईईई ओह्ह्ह
सरोजा सिहर कर आंखे बंद कर राज के दोनों पंजे अपने चूतड़ों पर महसूस कर रही थी और आगे से उसके पेंट में बना तंबू उसकी पेडू के पास ठोकरें मार रहा था ।
एकदम से राज ने उसे घुमाया और एक टेबल पर झुकाया और उसके साड़ी उठाते हुए उनके नंगे मोटे चूतड़ों को सहलाते हुए उसपे अपने पंजे जड़ने लगा : अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म यश उम्मम फक्क्क् मीइ राज ओह गॉड उम्मन
राज उसके जांघों के बीच अपने पंजे से उसकी गीली बुर को टटोलने लगा और दूसरे हाथ से अपना लंड पेंट से निकालने लगा
राज उसके चूचे ब्लाउज के ऊपर से मसलते हुए: योर डिश इज रेडी माय सेक्सू बेबी उम्मम गो
सरोजा समझ गई और घूम कर नीचे बैठ गई और देखते ही देखते राज का मोटा लंबा लंड आधा उसके मुंह में: ओह्ह्ह्ह येस उम्मम अह्ह्ह्ह्ह और चूसो उम्ममम तुम्हारी यही अदा ने मुझे पागल कर रखा अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई
सरोजा बड़ी शिद्दत से राज के टोपे को चुबला रही थी उसकी आंखे ही राज से बात कर रही थी और एकदम से वो उठी और अपनी साड़ी उठा कर कमर तक करते हुए बिस्तर पर घोड़ी बन गई
राज ने अपना पेंट पूरा नीचे किया और लंड को सीधा उसके बुर के फांके में लगाते हुए हचाक से उतार दिया : ओह्ह्ह्ह गॉड कितना गर्म है अह्ह्ह्ह सीईईईईई
सरोजा अपनी बुर में राज के मोटे टोपे को घुसता महसूस कर पागल होने लगी : ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई फक्क अह्ह्ह्ह्ह इतने इतने दिन तक नहीं आओगे तो आग लगेगी न आहे और तेज उम्मम ऐसे ही अह्ह्ह्ह्ह और उम्ममम फक्क्क् मीईईईई
राज : तुम्हे नहीं लगता कि तुम्हे एक और साथी की जरूरत है , जो रोज तुम्हारा ख्याल रखे
सरोजा राज का लंड महसूस करती हुई : तुम तो जानते हो न , बाहर के लोग भरोसे लायक नहीं हैं और शादी मुझे करनी नहीं है
राज का लंड कुछ सोच कर और फूलने लगा जिसका अहसास सरोजा को हुआ : अह्ह्ह्ह्ह क्या सोच रहे हो उम्मम
राज मुस्कुरा कर उसके चूतड़ों को थामे और करारे झटके लगाने लगा : अह्ह्ह्ह्ह कुछ नहीं मेरी जान
सरोजा अपने चूत के छल्ले को राज के लंड पर कसती हुई : मुझसे झूठ नहीं बोल पाओगे राज , तुम्हारा अह्ह्ह्ह्ह येहह जोश उम्मम बता रहाअअ है कि तुमने मेरे बारे में कुछ बहुत गंदा सा सोचा क्यों
राज अपने टोपे की गांठ पर सरोजा के चूत के छल्ले की रगड़ से पागल होंने लगा उसकी सांसे बेकाबू होने लगी , उसके तपते फुले सुपाड़े पर एक तीखा घर्षण होने लगा था : अह्ह्ह्ह हा मेरी जान
सरोजा : क्या बताओ न उम्मम
राज : वो मै सोच रहा था कि अगर बाहर वालो से डर है तो अह्ह्ह्ह गॉड कितनी टाइट कैसे अह्ह्ह्ह सीईईईईई
सरोजा : बताओ न उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह प्लीज
राज : वही मै कह रहा था कि बाहर वालो से अगर दिक्कत है तो घर में ही किसी को देख लो न, कुछ लोग है जिन्हें जिस्म की जरूरत कुछ ज्यादा है अह्ह्ह्ह क्या कहती हो
सरोजा एकदम से अकड़ गई : तुम्हारा मतलब पापा से ,
राज मुस्कुरा और एकदम से अपना लंड तेजी से उसकी चूत में उतारने लगा : सोचो हर रात तुम्हारी बुर भरी रहेगी और बड़े ठाकुर है भी तो ठरकी पूरे उम्मम
सरोजा : अह्ह्ह्ह वो जो भी हो , लेकिन बाउजी से नहीइईई
राज अपना लंड एकदम जड़ तक ले जाता हुआ : तो संजीव अंकल से
एकदम से सरोजा के हाव भाव रुक गए और राज को कुछ कुछ अंदेशा होने लगा
राज अपनी स्पीड हल्की करता हुआ : क्या हुआ , कुछ बात है उम्मम
सरोजा : हा वो भइया की नजर है थोड़ी मुझपर लेकिन मै पक्का कुछ कह नहीं सकती इस बारे
राज का मोटा लंड एक बार फिर एक नई ऊर्जा से फड़का और उसने अपने लंड में वापस से गति देते हुए : उम्मम फिर आज पक्का कर ही लेते है क्यों
सरोजा : कैसे ?
राज मुस्कुरा कर अपना लंड तेजी से उसकी बुर में डालता हुआ : वो तुम मुझपर छोड़ दो
उफ्फ मजा आएगा हाहा .....
राज के घर
सोनल के कमरे में उसके बैग खोले जा रहे थे
रागिनी थोड़ी सी चिढ़ी हुई थी : अगर सोनल मुझसे पूछा कि उसका बक्सा किसने खोला तो मै तो तुझे ही बोलूंगी
अनुज थोड़ा डरा क्योंकि दो बैग और एक बक्सा खोलने के बाद भी अभी तक उन्हें सोनल के कैजुअल कपड़े नहीं मिले थे । एक बक्से में तो उसकी पढ़ाई और कालेज की चीजें थी अब यही एक आखिरी बक्सा था कमरे में
तभी अनुज चहका : मिल गई
रागिनी : क्या?
अनुज : दीदी की स्कर्ट , ये देखो
अनुज ने हाथ में एक लाल रंग की स्कर्ट पकड़ कर दिखाई , जो बड़ी ही चमकीली थी ।
रागिनी : हा इसपर वो कोई काले रंग की टॉप पहनती थी , वो भी होगी खोज
अनुज की झट से एक काली टॉप पर गई और उसने खींच ली : ये रही हीही
रागिनी आंखे महीन कर उसकी खुशी को पढ़ना चाह रही थी मगर सिवाय मासूमियत के उसे कुछ भी नजर नहीं आया और वो हंसती हुई : पागल कही का , ठीक है अब ये रख कर अच्छे से बंद करके नीचे आ
अनुज चौक कर : अकेले ?
रागिनी : हा अकेले हिहीही, मै तो चली नहाने
अनुज को थोड़ा सा खीझ तो हुआ कि फिर से मेहनत करनी पड़ेगी , लेकिन वो अपनी मां की चुलबुली मस्तियों से खुश था और इस बात के एक्साइटेड भी कि कैसे लगेगी उसकी मां टॉप स्कर्ट में
वो फटाफट में काम निपटाने लगा और इसी दौरान उसके कानो में कुछ आवाज आ रही थी और फिर एकदम से उसके कान खड़े हुए कि ये गाने की आवाज नीचे आ रहे थे , सोनल की शादी में घर के लिए भी एक टीवी लिया गया था मगर अनुज को कभी इसमें इंटरेस्ट नहीं रहा अपने लैपटॉप के आगे । लेकिन आज की बात कुछ और थी , टीवी पर 90s के एवरग्रीन गाने चल रहे थे और अनुज खुश होकर नीचे आने लगा । आमतौर पर अनुज अपनी मम्मी को कभी कभार गुनगुनाते सुना तो था , मगर उसका ये किरदार घर में सबसे छिपा था कि वो गाना सुनना भी पसंद है वो भी रोमांटिक
अनुज नीचे आया तो देखा कि कमरे का दरवाजा बंद है और उसने आवाज दी
कुछ ही देर में रागिनी की आवाज आई और उसने टीवी का वॉल्यूम कम करते हुए दरवाजा खोला और अनुज एकदम से ठिठक गया
सामने उसकी मां ब्लाउज और स्कर्ट में खड़ी थी
अनुज आंखे फाड़ कर उसके नंगे पेट और गुदाज नाभि को देख रहा था : वाव मम्मी , कितनी मस्त लग रही हो
रागिनी ने स्कर्ट की लास्टिक खींच कर अपने नाभि को कवर करती हुई : ये छोटी नहीं है
अनुज की नजर एकदम से नीचे गई और देखा कि ये स्कर्ट तो उसकी मां के घुटनों के कुछ इंच ही नीचे थे और उसकी नंगी गोरी दूधिया पिंडलियां साफ नजर आ रही थी : नहीं तो , स्कर्ट ऐसे ही होता है और आपने टॉप नहीं पहना
रागिनी थोड़ी असहज होकर : कल पहन लूंगी उसको , तुझे नहीं लगता मै नचनिया जैसी लग रही हूं
अनुज ने एक ही पल में अपनी मां को उस रूप में कल्पित किया और एकदम से खुद को झटका : भक्क नहीं तो
रागिनी हस कर : क्या नहीं , देख ऐसे ही लहराती है न सब अपना घाघरा हीहीही
अनुज कभी भी अपनी मां की उस रूप में कल्पना भी नहीं करना चाहता था : नहीइई बक्क
मगर रागिनी आज मस्ती के मूड में थी और उसने झट से रिमोट उठा कर चैनल बदला और एकदम से एक भोजपुरी चैनल का गाना लगा दिया : हीही रुक दिखाती हु
और गाना भी कम अश्लील नहीं था
" लहरिया लुटा ये राजा "
एकदम से रागिनी ने उसके आगे ठुमके लगाते हुए अपने स्कर्ट को हवा में लहराने लगी और इस दौरान बिना ब्रा के उसकी चूचियां हवा में खूब उछल रही थी , नीचे स्कर्ट उठने से उसकी चिकनी जांघें देख कर अनुज का लंड कसने लग
और एकदम से रागिनी ने खिलखिलाते हुए उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचा : नाच न
अनुज शर्मा रहा था और रागिनी उसके दोनों हाथ पकड़ कर अपने कूल्हे उसकी ओर झटक रही थी , अनुज ने आखिर दो बार अपने कूल्हे सेम रागिनी की तरह झटके तो रागिनी खिलखिला कर हसने लगी : तुझे नाचने नहीं आता हाहाहाहाहा
अनुज मुस्कुरा कर थोड़ा शर्माता हुआ : बक्क नहीं , भोजपुरी गाने पर कौन नाचता
रागिनी ने उसे घूरा : मै और कौन ? , तुझे अच्छा नहीं लगा क्या मेरा डांस
अनुज ने उसका डांस देखा ही कहा था उसकी नजरें अपनी मां के बड़े बड़े रसीले मम्में और चिकनी जांघों से हटे तब न
" नहीं वो बस गाना अच्छा नहीं था , आप हिंदी गाने पर करो न " , अनुज ने अपने दिल की बात कही
रागिनी खिलखिलाई : हिंदी गाने पर किसी को डांस करते देखा है ,पागल और होली पर तू भी भोजपुरी पर खूब नाच रहा था
अनुज : हा ... वो , लेकिन आप नचनिया न कहो खुद को
रागिनी को समझ गया कि अनुज को उसके डांस या भोजपुरी चॉइस से नहीं बल्कि उसके किरदार बदलने से दिक्कत है और वो हस कर उसको अपने सीने से लगा लेती : आ मेरा बेटा , इतना प्यार करता है मुझे
अनुज अपनी मां के सीने से लग कर एकदम से सिहर उठा और कुछ भावनाएं भी भर : हम्ममम , आप मेरी मम्मी हो न प्यारी थी ।
रागिनी : अच्छा ठीक है बाबा , नहीं कहूंगी कभी ऐसा कुछ , खुश
अनुज : हम्ममम आई लव यू
रागिनी हसने लगी : पागल , चल छोड़ मुझे मै ये कपड़ा ही निकाल देती हूं
अनुज एकदम से चौक कर : क्यों ?
रागिनी : तुझे ही पसंद नहीं न तो ?
अनुज : नहीं अच्छी तो लग रही है , बस वो मत बुलाना खुद को
रागिनी हस कर तो क्या बुलाऊं : गांव को गोरी
अनुज को ये नाम बड़ा नया और लुभावना लगा तो खुश होकर : हा चलेगा
रागिनी हस्ती हुई : चलेगा ! , पागल हिहीही, चल अब खाना बना लू और तू भी पढ़ाई करने बैठ अब
अनुज : जी मम्मी
फिर रागिनी कमरे से निकल गई और अनुज ने टीवी बंद कर ऊपर अपने कमरे में चला गया किताबें लेने ।
अमन के घर
खुले आसमान के नीचे हल्की सर्द हवाएं चल रही थी , मदन और ममता दोनों साल ओढ़े छत की चारदीवाली के पास खड़े होकर दूर अंधियारे में निहार रहे थे , पास ही एक इलेक्ट्रिक अंगीठी जल रही थी और एक चटाई पर खाना और कांच के ग्लास के साथ शराब की सीसी रखी थी ।
मदन आंखे फाड़ कर छत पर दूर जीने के पास लगी 5 वाट की बल्ब की रोशनी में ममता को सिगरेट के कस लगाते देख रहा था और धुआं उड़ाते हुए : उफ्फफ अह , मजा आया गया , लीजिए आप भी न
ममता ने अपना झूठा सिगरेट मदन को ऑफर किया और मदन हिचकता हुआ उसको हाथ में पकड़ता हुआ: कितने साल बाद ?
ममता मुस्कुरा : जब अमन पेट में आ गया तो छोड़ दी थी उसके बाद सीधा आज
मदन सिगरेट की कस लेकर ममता को देता हुआ : आपको देख कर कोई कहेगा नहीं कि इतने साल का गैप है
ममता मुस्कुरा कर : ऐसे पलों के लिए दोस्त होना भी जरूरी है न , वरना अमन के पापा को तो आप जानते ही है
मदन हस कर : हा , वो इन मामलों में थोड़े कम फ्रेंडली है , दो चार बार तो मुझे भी फटकार मिली है । मगर तलब है क्या किया जाए
ममता हस कर : तो तलब मिटाया जाए हाहाहाहाहा
मदन समझ गया कि ममता का इशारा किधर है और वो पैग बनाने लग
मदन : वैसे सच कहूं भाभी , मैने सपने में भी नहीं सोचा था कि आप भी ड्रिंक कर सकती है , लीजिए
ममता मदन के हाथ से शराब का ग्लास पकड़ती हुई मुस्कुरा : क्यों भई इसपर सिर्फ मर्दों की मनॉपली है क्या , हाहाहाहाहा
मदन हस कर : नहीं बस ऐसे ही ख्याल आ रहा था कि मैने इतने सालों से आपको देखा लेकिन कभी आपके ऐसे रूप की की कल्पना नहीं की थी
ममता सीप लेती हुई : किस वाले , ये वाले ( ममता ने ग्लास उठा कर ) या फिर कल रात वाले हाहाहाहाहा
मदन शर्म से झेप गया : क्या भाभी आप भी
ममता मुस्कुरा कर : क्यों ? साफ साफ बोलिए न
मदन अटक कर मुस्कुराता हुआ ममता की बातों से सहमति दिखाता हुआ : हा मतलब दोनों ?
ममता हस कर : अभी मुझमें बहुत सी ऐसी बाते छुपी हुई जिनसे आप रूबरू नहीं है देवर जी
मदन जिज्ञासु होकर: जैसे की
ममता मुस्कुरा कर: ऊहू इतने उतावले मत हो , सबर रखो पूरी रात पड़ी है उन बातों के लिए
मदन के बदन में शराब की गर्मी उतर रही थी और एक अजीब अहसास से वो सिहर भी उठा था । वही ममता ने ग्लास किनारे रख खाना परोसने लगी और दोनों खाना शुरू भी कर दिये
ममता को हिचकी आ रही थी तो मदन ने पानी का ग्लास दिया और उसको पी कर : वैसे खाना बड़ा जायकेदार है देवर जी
मदन हस कर : आपकी बराबरी नहीं कर पाऊंगा भाभी ,
कुछ ही देर बाद खाना खा कर दोनों उठ गए : उह मजा आ गया देवर जी , सच में इस दावत के दिल से शुक्रिया आपका
मदन हाथ धुलता हुआ : क्या भाभी आप भी हाहाहाहाहा , इसमें दावत जैसा क्या था ,
ममता अपने कंधे से साल उतारती हुई : उफ्फ गर्मी होने लगी है अब
मदन अपने हाथ में ड्रिंक का ग्लास पकड़े हुए : हा ये थोड़ी तगड़ी है , धीरे धीरे असर करती है
ममता मुस्कुराने लगी तो मदन : क्या हुआ मुस्कुरा क्यों रही है
ममता मुस्कुरा कर : कुछ नहीं सोच रही हूं अगर मैं यही बेहोश हो गई तो मुझे नीचे कौन ले जाएगा ।
मदन ताव दिखा कर : क्यों आपको मुझपर कोई शक है क्या , फौज में रहा हूं भाभी यू टांग लूंगा
ममता खिलखिलाई : हाहाहा हा जैसे मै बड़ी हल्की हूं , आपके भैया के ऊपर हो जाती हूं तो सास फूलने लगती है हाहाहाहाहा
मदन ममता का जवाब समझ गया कि वो कब मुरारी के ऊपर होती है और थोड़ा असहज होने लगा
ममता उसको मुंह फेरता और चुप देख कर हसने लगी : ओ हेलो , बहुत आगे मत सोच लेना , वापस आओ वापस आओ मै बिस्तर पर सोने की बात कर रही हूं, वो वाला नहीं
मदन की हसी अब फुट पड़ी : हाहाहाहा आप जिस तरह से बोली उससे तो यही लगा कि... हीही
ममता की आंखों में नशा उतर रहा था साथ ही मदन के भी और धीरे धीरे मदहोशी हावी हो रही थी
ममता फैली हुई मुस्कुरा से : कि मै sex की बात कर रही हूं न हाहाहा
मदन एकदम से चौका और समझ गया कि ममता पर थोड़ी थोड़ी चढ़ रही है
मदन खुद को सम्भाल कर एक गहरी सास लिया : भाभी , चलिए नीचे चलते है
ममता : क्यों ? क्या हुआ , आप डरते क्यों हो देवर जी । अरे मर्द बनो मर्द
मदन हस कर : भाभी जी मै तो मर्द ही हू
ममता मुस्कुरा कर : ओह हा , हीहीहिही
मदन : भाभी , भाभी सुनिए चलते है कोहरा बढ़ रहा है ठंडी लग जाएगी
ममता : कहा ठंडी है , पता है कल रात को तो मै यहां नंगी..... (अपने मुंह पर उंगली रखते हुए ) अपने भैया को मत कहना.. मै यहाँ नंगी घूम रही थी हीहिही
ममता ने फुसफुसा कर मदन से बोली और ग्लास पूरा खाली कर दिया ।
मदन समझ गया कि अब अगर उसने देरी की मामला बिगड़ जायेगा , गनीमत यही है कि हलके कोहरे और सर्द मौसम से इतनी रात में कोई छत आस पास पर नहीं आया था ,मगर फिर उसे ममता की बेकाबू चीखों का डर था ।
मदन उसका हाथ पकड़ कर : आओ भाभी चलते है , आपको नहीं लेकिन मुझे लग रही है सर्दी
ममता ने उसको एकदम पास से घूरा : लगेगी न सर्दी , बीवी नहीं है आपके पास , इसीलिए शायाने कह गए हैं कि सही समय पर शादी कर लो
मदन हंसता हुआ उसको पकड़ कर बातों में उलझाए हुए जीने की ओर ले जाने की कोशिश करता हुआ : अब इतनी रात में किसकी बीवी लाऊ
ममता हस्ती हुई : किसकी बीवी ? हाहाहाहा , क्यों भाई दूसरों की बीवियां पसंद है क्या , कही मै तो पसंद नहीं आ गई
मदन हस कर : क्या भाभी आप भी , कैसी बात कर रही है
ममता : अरे दो बार , दो बार आपने मुझे नंगी देखा फिर भी कहते पसंद नहीं , क्या मै खूबसूरत नहीं देवर जी
मदन की आंखे बड़ी हो गई और सांसे चढ़ने लगी वो ममता की आंखों में देख रहा था और उसका हलक सूखने लगा , उसकी आंखों के सामने ममता का नंगा गदराया बदन नाचने लगा , वो बड़ी मोटी छातियां, फैले हुए भड़कीले चूतड़ बजबजाती बुर और भींचा हुआ सिसकता हुआ चेहरा , एकदम से उसका लंड पजामे में तंबू बनाने लगा
मदन की जबान लड़खड़ाने लगी : मैने कब कहा कि आप पसंद नहीं , आपकी जैसी बीवी होना किस्मत की बात है भाभी , और मै किस्मत वाला हूं कि मुझे इतनी प्यारी भाभी मिली है जो सबका ख्याल रखती है और सबको खुश रखती है ।
ममता मुस्कुरा कर : बात को गोल मटोल घुमाओ मत देवर जी , सच सच बताओ कमरे में जब मुझे चादर उढ़ाया तो जरा भी आपका ईमान नहीं डोला उम्मम
मदन हड़क उठा : कैसी बात कर रही है आप मेरी भाभी है , मै भला क्यों ऐसा सोचूंगा
ममता मुस्कुरा कर : अच्छा खाओ मेरी कसम कि आपको मुझे देख कर कुछ हुआ नहीं था और आपने मुझे छुआ नहीं
मदन की हालत खराब होने लगी और ममता हसने लगी : देखा पकड़े गए
मदन सीरियस होकर : आपकी कसम भाभी , मैने आपको देखा जरूर लेकिन छुआ नहीं
ममता मुस्कुरा: उफ्फ बड़े सख्त मर्द हो फिर तो हाहाहाहाहा
मदन मुस्कुराने लगा: बिलकुल सही समझा आपने
ममता मुस्कुरा कर थोड़ी पीछे हुई : फिर मुझे अब डरने की जरूरत नहीं आपसे
मदन अभी स्थिति समझने की कोशिश कर रहा था कि तबतक ममता ने एक झटके में खड़े खड़े अपनी नाइटी उतार फेंकी और एकदम से नंगी होकर मदन के आगे खड़ी हो गई ।
ममता खिलखिलाई : अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ कितना मस्त मौसम हुआ है
मदन आंखे फाड़ कर उसे देख रहा था , कभी उसकी लटकी हुई बड़ी बड़ी पपीते जैसी चुचियों को तो कभी जांघों के बीच की झुरमुट को और कभी उसके चौड़े फैले चूतड़ों को
ममता हाथ फैला कर हवा में घूमते हुए पीछे वाली चारदीवारी की ओर जाने लगी और उसकी बड़े भड़कीले चूतड़ों को नंगा थिरकता देख मदन का लंड अकड़ गया, तेजी से भागता हुआ वो ममता के पास पहुंचा
लेकर उसे उढ़ाने लगा : भाभी , क्या कर रही है कोई देख लेगा
ममता हस्ती हुई : यहां कौन देखेगा अंधेरे में आपके सिवा, और आपसे कोई डर नहीं मुझे हाहाहाहाहा
मदन का लंड फड़क रहा था वो कैसे कहता कि उसके बड़े नंगे चूतड़ों की कसी दरारों को देख कर उसके मुंह ने पानी आ रहा है
मदन ने एक बार और कोशिश की कि ममता को चादर उढ़ाये लेकिन उसने चादर इस बार छत से बाहर फेक दिया
मदन समझ रहा था कि ममता अब बेकाबू हो चुकी है , उसे अब तक ही तरीका समझ आ रहा था और उसने बड़ी हिम्मत कर बोला: भाभी मुझे आपको कुछ बताना है ।
शिला के घर
शिला के कमरे में रज्जो आगे झुकी हुई थी और पीछे से मानसिंह उसके नरम चर्बीदार चूतड़ों को सहलाते हुए कस कस कर झटके दे रहा था उसकी चूत में और रज्जो के मोटे चूतड़ मानसिंह को खूब उछाल रहे थे जिसमें मानसिंह दुगनी ताकत से लंड भेदता
कमरे में तेज चीख भरी चीख गूंज रही थी : अह्ह्ह्ह्ह नंदोई जी उम्मम और ओह्ह्ह्ह सीईईई क्या मस्त हथियार है आपका अह्ह्ह्ह पेलो उम्मम
मानसिंह : तुम बड़ी चुदक्कड़ हो भाभी अह्ह्ह्ह तुम जैसी गर्म औरत आज तक नहीं देखी ओह्ह्ह्ह लंड को अपने छल्ले में कसने की कला तुम्हे अच्छे से आती है ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह भाभी
रज्जो ने अपनी बुर को मानसिंह के लंड पर कस लिया और मानसिंह की तड़प बढ़ गई और रज्जो खुद अपने चूतड़ उसके लंड पर फेकने लगी
जल्द ही मानसिंह के पाव कांपने लगे और उसका लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाड़े की नस फूल गई : अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह भाभी ढीला करो आने वाला है
रज्जो ने पूरे जोश में अपनी गाड़ को पूरा पीछे ले गई और चूत से उसका लंड पूरी ताकत से जकड़ किया , मानसिंह का सुपाड़ा रज्जो की बुर के जड़ में था और मानो रज्जो की बुर उसका लंड सुरक रही हो और एकदम से लावा रज्जो की बुर के गहराई में फूट पड़ा : अह्ह्ह्ह्ह भाभी ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू बिच ओह्ह्ह्ह कितनी बड़ी रंडी हो तुम अब समझ आया अह्ह्ह्ह
रज्जो ने अपनी बुर ढीली की और सरक पर बिस्तर पर गिर गई और हांफते हुए हसने लगी : अह्ह्ह्ह मजा आ गया नंदोई जी क्या गर्म माल था उम्मम
मानसिंह : कुछ दिक्कत तो नहीं होगी , गोली है मेरे पास
रज्जो बिंदास होकर उसे रिलैक्स होने का इशारा किया और मानसिंह उसके बगल में आ गया और एकदम से मदन जैसे ही उसके आगे से हटा रज्जो की नजर भीड़के हुए दरवाजे पर गई और एकदम से एक परछाई वहा से सरकी ।
मगर रज्जो की तेज निगाहों ने दरवाजे के गैप से उन नीले टीशर्ट को पहचान गई जिन्हें उसने कुछ देर पहले छत पर देखा था ।
रज्जो उठी और पेटीकोट से अपनी बुर साफ करती हुई खड़ी हुई
मानसिंह बिस्तर पर लेटा हुआ : कहा चली
रज्जो हस कर : जा रही हूं आपके भाई साहब की खबर लेने , देखूं ठीक ठाक तो है
मानसिंह रज्जो की दिलदारी और खुलेपन से एकदम से एक्साइटेड हो गया था और वो कुछ बोलने के लिए उठा मगर रुक गया ।
रज्जो : क्या हुआ
मानसिंह : नहीं , कुछ नहीं
रज्जो : अब बोलो भी
मानसिंह हिम्मत नहीं कर पा रहा था तो रज्जो मुस्कुरा कर : ऐसा कुछ भी नहीं है आप चारो के बीच जो मै नहीं जानती और ये भी जानती हूं कि मुझे यहां क्यों लाया गया है
मानसिंह एकदम से खड़ा हो गया और उसने रज्जो के हाथ पकड़ लिए: आपको सच में कोई ऐतराज नहीं भाभी जी
रज्जो : भला मुझे क्यों ऐतराज होगा , बस कम्मो थोड़ी सी झिझकती है मुझसे
मानसिंह उसके कंधे पकड़ कर अपने सामने करता हुआ : उसकी झिझक कैसे दूर करनी है मुझे पता है , बस तुम बताओ क्या तुम तैयार हो ।
रज्जो ने आंखे उठा कर मानसिंह को देखा और हा में सर हिलाया : लेकिन परसो मुझे घर जाना है याद रहे ।
मानसिंह : वैसे भी कल संडे है तो कल ही ये काम होगा , मगर उससे पहले जरूरी है कि तुम छोटे से बात कर लो
रज्जो : ठीक है जैसा आप कहें ,देखती हूं।
रज्जो कुछ सोचती हुई मन में बड़बड़ाई : बात तो मुझे करनी है लेकिन छोटे नंदाई से नहीं किसी और से । रज्जो की जासूसी , बच्चू बताती हूं
रज्जो वहां से निकल गई और हाल में आई तो देखा किचन खाली था समझ गई कि तीनों ऊपर गए है और उसकी नजर अरुण के कमरे पर गई ।
कुछ सोचते हुए रज्जो अरुण के कमरे के पास गई और भिड़के हुए दरवाजे को खटखटा कर उसे आवाज दी : अरुण बेटा आ जाऊं
अरुण एकदम से सकपकाया और कमरे में कुछ हलचल हुई और उसकी आवाज आई टूटे हुए आवाज में : हा बड़ी मामी आ जाओ
रज्जो कमरे में दाखिल हुई और कमरे का दरवाजा वैसे ही लगाया , चीजें इधर उधर बिखरी हुई , बिस्तर पर किताबें और समान पड़े थे ।
रज्जो : ओहो पढ़ाई चल रही है बेटा
अरुण नजरे चुराता हुआ : हा बड़ी मामी , वो मेरे हाफ ईयरली एग्जाम आ रहे है न तो....
रज्जो उसके जवाब पर मुस्कुराई और उसकी नजर चार्जिंग में लगे अरुण के मोबाइल पर गई : पढ़ाई तो करता ही है तू लेकिन शैतानी भी कम नहीं है तेरी क्यों ?
अरुण को समझते देर नहीं लगी कि रज्जो ऊपर छत की बात कर रही थी : सॉरी बड़ी मामी, प्लीज आप मम्मी से कुछ मत कहना
रज्जो समझ गई कि लड़के की कमजोर कड़ी क्या है और वो मुस्कुरा कर : अरे मै क्यों कहूंगी , भला उससे मेरा क्या फायदा , मै तो तेरे फायदे के लिए आई थी ।
अरुण चौक कर : मेरा फायदा , कैसे ?
रज्जो : जितनी तांक झांक तू करता है मुझे नहीं लगता इस घर में जो कुछ भी हो रहा है उससे तू अंजान है क्यों ?
अरुण की हालत पतली होने लगी : मै , मै समझा नहीं बड़ी मामी आप क्या कह रही है ।
रज्जो उसके पास बैठती हुई उसके मोबाइल को चार्जिंग से निकालती हुई : खोल इसे
अरुण की हालत खराब होने लगी : क क्यों?
रज्जो : अरे डर क्यों रहा है , खोल न
अरुण ने हिम्मत करके मोबाइल का लॉक खोलकर मोबाइल रज्जो को दिया ।
रज्जो ने झट से गैलरी खोली लेकिन वहां सब कुछ क्लीन था ,कोई फोटो न वीडियो
अरुण : क्या खोज रही है आप
रज्जो आँखें महीन कर : वही जो अभी थोड़ी देर पहले तू रिकार्ड कर रहा था अपने बड़े पापा के कमरे में उम्मम
अरुण की आंखे फेल गई और उसका चेहरा सन्न रह गया : न न नहीं तो
रज्जो : ओहो तू फिर हकला रहा है , भाई मुझे वो बस फोटो और वीडियो चाहिए
अरुण : लेकिन किस लिए
रज्जो : मतलब तूने रिकॉर्ड किया न
अरुण : सॉरी बड़ी मामी
रज्जो : अब दिखाएगा
अरुण ने झट से मोबाइल में कुछ टैप टैप किया और ढेर सारी हिडेन फाइल निकल आई और रज्जो ने झट से उसके हाथ से मोबाइल ले लिया
रज्जो ने स्क्रॉल करना शुरू किया था तो सैकड़ो की संख्या में वीडियो फोटो थे
अरुण : बड़ी मामी रुकिए , मै दे रहा हु न
तभी उसकी नजर एक ऐसे फोटो पर गई जिसे देख कर वो चौक गई और उसने अरूण को देखा : ये कैसे मिला तुझे
अरुण का मुंह शर्म से झुक गया , वो फोटो वही थे रज्जो के बाथरूम में नहाते हुए जिन्हें आज सुबह शिला ने अपने क्लाइंट को भेजे थे : इसका मतलब तू भी इनकी स्ट्रीम देखता है , कबसे ?
अरुण मुंह नीचे किए हुए : बहुत दिन हो गए
रज्जो शॉक्ड होकर : और तूने मेरे फोटो और वीडियो के लिए 2000 दिए थे
अरुण : हा , लेकिन प्लीज आप किसी से कहना मत । मै ये सब डीलिट कर दूंगा प्लीज
रज्जो : वो सब तुझे जो करना है कर , मगर मुझे कुछ और जानना है ।
अरुण : क्या
रज्जो ने एक नजर दरवाजे पर देखा और थोड़ी उसके और करीब आकर : क्या तेरी बड़ी मां का कही बाहर भी कुछ चक्कर है ? गांव में किसी से
अरुण अपने दिमाग पर जोर देकर रज्जो के सवाल को समझता हुआ : नहीं तो ? क्यों ?
रज्जो ने झट से अपना मोबाइल निकाला है और एक मोबाइल नंबर अरुण को दिखाती हुई : ये किसका नंबर है ।
वो नम्बर देखते ही अरुण की आंखे बड़ी हो गई और उसका हलक सूखने लगा : मै , मै नहीं जनाता बड़ी मामी । पता नहीं किसका नंबर है ।
रज्जो : देख तू मुझसे झूठ तो बोल मत और अगर तू मुझे इस नंबर के बारे में बताता है तो सोच ले इसमें तेरा ही फायदा होगा
अरुण आंखे उठा कर : मेरा क्या फायदा ?
रज्जो मुस्कुरा कर धीरे से अपना हाथ उसके लंड पर लोवर के ऊपर से रख दिया और वो सिहर उठा : क्यों तुझे कुछ नहीं चाहिए मुझसे उम्मम
अरुण की हालत खराब होने लगी : ठीक है बताता हूं, लेकिन वादा करो ये बात आप कभी किसी से नहीं कहोगी
रज्जो अपने गले पर चुटकी से पकड़ कर : पक्का वाला वादा , कसम से
और फिर वो मुस्कुराने लगी ।
प्रतापपुर
रंगीलाल खाना खा कर थोड़ा टहल रहा था और घड़ी की सुइयां गिन रहा था और इधर राजेश बबीता को लेकर गोदाम के लिए निकल रहा था ।
जैसे ही रंगीलाल ने किचन खाली देखा वो लपक कर सुनीता के पास जा पहुंचा और वो फ्रिज से दूध निकाल रही थी गर्म करने के लिए, वही रंगी ने उसकी पीछे से दबोच लिया : अह्ह्ह्ह धत्त बदमाश छोड़ो न मुझे
रंगी उसके पीछे खड़े होकर उसके कंधे को चूमता हुआ : क्या कर रही हो मेरी जानेमन
सुनीता सिसक कर : उम्मम बस आपके और बाउजी के लिए दूध गर्म करने जा रही थी
रंगीलाल उसके चर्बीदार पेट पर हाथ रख कर ऊपर सीने की ओर जाने लगा : उम्हू मुझे ये वाला चाहिए
सुनीता एकदम से सतर्क होती हुई रंगीलाल के हाथ रोकती हुई घूम गई : धत्त क्या कर रहे है
रंगीलाल उसके कंधे से साड़ी सरका कर उसके गर्दन गाल और सीने को चूमने लगा : प्यार कर रहा हूं तुम्हे मेरी रसभरी
सुनीता उसके होठों के स्पर्श से पागल होने लगी लेकिन उसने रंगी को झटक कर अलग किया : धत्त बदमाश, अभी भी रंगी तड़प कर उसके नंगे पेट को सहलाता हुआ : फिर कब
सुनीता : सबर करो मेरे राजा , बाउजी और मीठी को सो जाने दो न
बाउजी का नाम आते ही रंगी को अपनी योजना याद आई ससुर के साथ वाली
रंगी समझ गया उसे क्या करना है इधर सुनीता ने चूल्हे पर दूध चढ़ा दिया
रंगी लाल : ये किसका है
सुनीता : मेरा क्यों ?
रंगीलाल उस ग्लास से भरे दूध को सूंघ कर : सच में तुम्हारा है
सुनीता शर्मा कर हस्ती हुई : धत्त पागल हो क्या ? वो मेरा है मतलब मै ठंडा दूध ही पीती हूं
रंगीलाल : मुझे भी पिलाओ न अपना ठंडा दूध
सुनीता उसकी आंखों में देख कर : पी लो न फिर
रंगीलाल उसके करीब आकर : ऊहू ऐसे नहीं
सुनीता उसकी आंखों में देखते हुए : फिर
रंगीलाल ने वो ग्लास सुनीता के मुंह में लगाया और उसे पिलाने लगा और दूध का कुछ हिस्सा उसके रस भरे होठों से भर आने लगा तो एकदम से रंगी ने अपने होठ उसके होठ से जोड़ दिए
और सुनीता के होठ चूसने लगा और उसकी थुड़ी फिर गले तक रिस दूध को चाटने और पीने लगा , सुनीता एकदम से मदहोश हो गई : उम्ममम अह्ह्ह्ह उफ्फफ आप पागल कर रहे हो मुझे
रंगी उसकी आंखों में देख कर : और तुम मुझे
अगले ही पल आधा गिलास दूध रंगी ने सीधा सुनीता के सीने पर उड़ेल दिया जो बह कर उसके ब्लाउज की दरारों में जाने और रंगी ने झट से अपना जीभ निकाल कर उसको चाटने लगा , सुनीता मचल उठी : ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह क्या कर रहे है अह्ह्ह्ह उम्मम
रंगीलाल खड़े खड़े उसके डिप नेक वाले ब्लाउज़ के दरारों में जीभ डालने लगा और सुनीता ने उसके सर को पकड़ लिया : अह्ह्ह्ह रुक जाओ प्लीज , रुक जाओ अह्ह्ह्ह
रंगीलाल उससे अलग होकर अपना लंड पजामे के ऊपर से सहलाता हुआ : अब और रुका नहीं जाता प्लीज
सुनीता हांफती हुई : बस 2 मिनट में मै अभी आई ये दे कर
और सुनीता एक ट्रे में दूध के दो ग्लास लेकर निकल गई और रंगी अपना लंड मसलने लगा , वही उसके मोबाइल पर एक कॉल रिंग हो रहा था ।
वो नम्बर देख कर रंगी की दुविधा बढ़ने लगी थी, कि अब वो किस ओर जाए । एक ओर सुनीता जैसी गदराई मोटी माल दूसरी ओर कमला जैसी रांड को ससुर के साथ भोगने का मजा
आखिर क्या करेगा रंगी .... किसे चुनेगा और किसे छोड़ेगा ।