Episode 6 : Part III
पर संध्या को इन बातों पर सोचने के लिए अधिक समय ही कहां मिलता है? उसे ये भी पता है उसके लिए बॉयफ्रेंड बनाना संभव नहीं। न तो उसके पास फोन है, न ही वो घर से बाहर अकेले निकल सकती है। या तो वो स्कूल जाती है या ट्यूशन और दोनों जगह उसके साथ पुलकित होता है।
दोनों की जवानी परवान तब चढ़ा जब 10th क्लास में आकर गर्मी छुट्टी हुई। दोनों शारीरिक और मानसिक रूप से चुदाई के लिए तैयार थे। पर समस्या ये थी कि न तो पुलकित ने कभी संध्या की चुदाई के बारे में सोचा था और न ही संध्या को चुदाई संभव लगता था। गर्मी की छुट्टी ने इन दोनों समीकरण को बदल दिया। स्कूल, ट्यूशन और घर का काम करने के बाद संध्या को कभी समय ही नहीं मिलता था। वो अपने जीवन में मशरूफ थी। इधर पुलकित का ध्यान कभी किताबों से निकल कर अपने समक्ष खड़ी कामना की साक्षात मूरत की तरफ नहीं जाता।
गर्मी की छुट्टियों में दोनों के पास हसने, खेलने और शरारत करने का प्रचूर समय था। गर्मी के कारण संध्या के कपड़े और छोटे हो चले थे और उम्र के कारण उसके स्तन और बड़े। कपड़ा धो कर जब संध्या बाथरूम से बाहर आई तो उसका शर्ट गीला होकर उसकी चूचियों से जा चिपका था। संध्या ने कभी इन सारी बातों का पुलकित के सामने ख्याल नहीं रखा। पर संध्या के निप्पल को देख कर पुलकित का लंड खड़ा हो गया। उसकी धड़कने बढ़ गईं, सांसे तेज़ हो गईं। कुछ करने की तो न उसने सोची और न ही उसे हिम्मत थी। वो बस अपने मस्तराम की कहानियों में फिर से लग गया। पर संध्या का गीला शर्ट, टूटे बटन और गीले शर्ट से चिपका निप्पल - ये दृश्य पुलकित के आंखों के सामने से जा ही नहीं रहा था। उसे पहली बार इस बात को एहसास हुआ था कि उसके बगल में एक लड़की है जिसके पास दो चूचियां, एक चूत और एक गांड है। ऐसी चूचियां जिसे वो चूम सकता है, चूस सकता है, जिसके साथ वो खेल सकता है। ऐसी चूत जिसमे वो उंगली डाल सकता है, जीभ डाल सकता है, लंड डाल सकता है। उसे पहली बात एहसास हुआ था कि उसकी बहन एक मस्त माल है।