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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

Mr. X
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*Index *
 
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ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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👉एक सौ चौंसठवाँ अपडेट
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कमरे में अंधेरा ज्यों का त्यों था l किसीने भी अब तक लाइट ऑन नहीं की थी l वह काला साया बल्लभ के सामने वैसे ही बैठा हुआ था l चाय का ट्रे लेकर तीसरा शख्स बल्लभ के सामने वाली टी पोय पर रख देता है l कमरे में चेहरा साफ दिखे उतना उजाला भले ना हो पर इतना अंधेरा भी नहीं था के तीनों का अक्स ना दिखे और चाय की केतली कप सब दिख रहे थे l तीसरा शख्स एक कप में चाय डाल कर बल्लभ को देता है l बल्लभ उसे अंधेरे में भी पहचानने की कोशिश करता है l

साया - अगर मुश्किल हो रहा है... तो लाइट ऑन कर दें...
बल्लभ - (चौंक कर) क्या...
साया - मुझे साफ महसूस हो रहा है... तुम परेशान लग रहे हो... और पहचानने की कोशिश भी कर रहे हो...
बल्लभ - (थोड़ा संभल कर) हाँ... मैं जानना तो चाहता हूँ... अगर तुम विश्व नहीं हो... तो मेरे सारे राज जानने वाले.. कौन हो...
साया - हाँ मैं विश्व नहीं हूँ... पर हम तीनों विश्व से ताल्लुक रखते हैं...
बल्लभ - क्या... मैं... मैं समझा नहीं....
साया - ठीक है... (चुटकी बजाता है) लाइट जला दो... अंधेरे का काम ख़तम... अब वकील साहब को मिलकर चलो उजाले की ओर ले चलते हैं...

जो शख्स रीवॉल्वर बल्लभ पर ताने खड़ा था l लाइट का स्विच ऑन करता है l अब कमरे में उजाला था बल्लभ सामने बैठे शख्स को देख कर चौंकता है l सामने सोफ़े पर डी सी पी सुभाष सतपती बैठा था l पीछे मुड़ कर देखता है उदय गन पकड़ कर स्विच बोर्ड के पास खड़ा था l और बगल वाली सोफ़े पर कांस्टेबल जगन बैठा था l

बल्लभ - ओ... तुम लोग हो...
उदय - लगता है... अंधेरे में बहुत भारी महसूस कर रहे थे... उजाले में हमें देखते ही हल्का महसूस करने लगे...
बल्लभ - शॅट अप... तुमने जो अनिकेत के साथ किया... मैं भुला नहीं हूँ...
उदय - बात तो ऐसे कर रहे हो... जैसे... उस सुअर की मौत से... किसी को कोई फर्क़ पड़ता था...
बल्लभ - (सोफ़े की आर्म रेस्ट को भिंच लेता है) यु...
उदय - येस.. इट्स मी... वह इंस्पेक्टर के भेष में... जिसके दम पर... सबका दोहन करता था... उन्हीं के हाथों उसका दहन हो गया... फ़िर तुम क्यूँ उसका दुख मना रहे हो... ना मारने वाला मैं था... ना ही जलाने वाला... वह जो कुछ भी हुआ... वह राजगड़ के भगवान राजा साहब के इच्छानुसार हुआ... हम तुम तो बस तुच्छ प्राणी थे...
बल्लभ - और अब... तुम मुझे फ़ंसाने आए हो...
सुभाष - फंसे हुए को क्या फ़ंसाना... राजा को डबल क्रॉस किया तुमने... हमने तो बस पता किया... और दोष हम पर मढ़ रहे हो...
बल्लभ - ठीक है... आई एपोलाइज... पर यह सब तुमने पता कैसे किया...
जगन - बे तु वकील है तो क्या हुआ... यह हमारे साहब हैं... और यह मत भूल... रुप फाउंडेशन के नए एसआईटी के चीफ हैं... अभी तु उनके सामने अपराधी है...
बल्लभ - (सुभाष से) अच्छी तैयारी के साथ आए हो... तुमने मुहँ खोला भी नहीं... और तुम्हारे आदमी टुट पड़ रहे हैं... (सुभाष मुस्करा देता है) मुझे मालूम था... मेरा यह राज.. एक दिन फास होगा... और इसे विश्व क्रैक करेगा... पर वह लगता है... चूक गया...
सुभाष - वह चुका नहीं है... पता असल में उसीने ही लगाया है... हम तो बस जरिया हैं...
बल्लभ - कैसे...
सुभाष - उसने जब रिट पिटीशन फाइल किया... तभी उसे तुम पर ही शक हो गया था... तुम भैरव सिंह के सभी ईलीगल को लीगल करते हो... इसलिए... उसीने हमें आईडिया दिया था.. तुम्हारे बैंक अकाउंट पर नजर रखने के लिए... तुम्हारे एक नहीं तीन तीन अलग अलग बैंक में अकाउंट है... पर एक ही बैंक के सेविंग अकाउंट में एटीएम कार्ड के जरिए.. कटक में विथड्रॉ हो रहा था... और उसी समय फोन बैंकिंग के जरिए... तुम राजगड़ और उसके आसपास पैसा विथड्रॉ कर रहे थे... आगे हमने कैसे ढूंढ निकाला कहने की जरूरत नहीं...
बल्लभ - (चुप रहता है)
सुभाष - वकालत करते हुए जब यशपुर में तुम भैरव सिंह से जुड़े... तुम्हारा काम देखने के बाद... भैरव सिंह ने तुम्हें अपना लीगल एडवाइजर रख लिया... और सालों से... तुमने उसका बखूबी साथ भी दिया... पर पेच तब आया... जब रुप फाउंडेशन करप्शन में तुम अनिल कुमार सुबुद्धी के बहन के संपर्क में आए... तुम शादी सुदा थे... फिर तुमने अपनी चाल चली... अपने बीवी बच्चों को एब्रॉड भेज दिया... यहाँ सुबुद्धी की
बहन प्रज्ञा को यकीन दिला दिया... के तुमने अपनी बीवी से तलाक ले लिया... और उसके साथ नाजायज संबंध स्थापित किया... रुप फाउंडेशन केस में...जब विश्वा.. खुल कर भैरव सिंह के खिलाफ आया... तब इस केस में.. जो भी कमजोर कड़ी थे... सबको रोणा के साथ मिल कर या तो गायब कर दिया... या फिर मरवा दिया... पर तुमने राजा साहब को... कंवींश कर सुबुद्धी भाई बहन को बचाए रखा... पर जैसे ही जयंत सर ने... जिरह के लिए... पाँच गवाहों की लिस्ट अदालत में पेश की... तुमने चालाकी से... सुबुद्धी भाई बहन को गायब कर दिया... गवाह दिलीप कुमार कर को बना दिया... उन्हें लाकर तुमने कटक में... श्रीधर परीड़ा की मदत से... नई पहचान के साथ... रखवा दिया... रोजाना गुजारा के लिए... अपना एटीएम कार्ड दे दिया... और कमाल की बात यह है कि... इस बात को तुमने... अनिकेत रोणा से छुपाए रखा... क्यूँकी वह औरतों के मामले में... नियत का फिसड्डी था... है ना...
बल्लभ - (अपना सिर हाँ में हिलाता है)

सुभाष - अब बारी श्रीधर परीड़ा की थी... वह जानता था... राजा खुद को पाक साफ रखने के लिए... किसी भी हद तक जा सकता था... इसलिए उसने तुम्हें खबर किया... और खुद को अंडरग्राउंड कर लिया... इसमें तुमने उसकी मदत भी की... क्यूँ सही कहा ना...
बल्लभ - (इस बार भी अपना सिर हाँ में हिलाता है) अगर यह आईडिया विश्व का है... तो वह सामने क्यूँ नहीं आया...
उदय - वह इसलिए... विश्व की हर हरकत पर... राजा अपनी आदमियों के जरिए नजर रख रहा है...
बल्लभ - नजर तो... नए एसआईटी ऑफिसर पर भी रखा हुआ है...
सुभाष - चिंता ना करो... मैं जिस तरह आया हूँ... राजा साहब का जासूस.. कंफ्यूज हो गया होगा...
बल्लभ - चलो... मैंने जैसा सोचा था... के विश्व ही मेरे राज खोज पाएगा... सो वही हुआ... पर विश्व ने इस बार थोड़ी देर कर दी है...
सुभाष - देर कर दी... कैसे... रुप फाउंडेशन केस को दोबारा खोलने के लिए अभी तो वक़्त मिला है...
बल्लभ - ऐसा तुमको लगता है... पर सच यह है कि... तुम लोगों के पास वक़्त कम है...
सुभाष - तुम कहना क्या चाहते हो...
बल्लभ - तुम तीनों... पुलिस वाले... मेरा अतीत व काला इतिहास लेकर आए हो... वज़ह मैं जानता हूँ... पर तुम लोग... विश्व को बुलाओ... दोनों ही केस में जो डील होगा... वह मैं विश्व से करूँगा...
सुभाष - ह्म्म्म्म... बात अगर किसी कंफेशन की है... तो विश्व इस वक़्त हमारी सारी बातेँ सुन रहा है...

इतना कह कर सुभाष अपनी पॉकेट से मोबाइल निकाल कर स्पीकर ऑन कर देता है और सामने की टी पोए पर रख देता है l

सुभाष - विश्वा...
विश्व - हाँ...
सुभाष - एडवोकेट प्रधान... तुमसे कुछ बात करना चाहता है...
विश्व - हाँ प्रधान बाबु... कहिये... क्या कहना चाहते हैं...
बल्लभ - विश्वा... मैं सरकारी गवाह बनने के लिए तैयार हूँ... बदले में तुमसे... मेरी और प्रज्ञा की जान की हिफाजत का वादा चाहता हूँ...
विश्व - मुझसे... यह वादा तो तुम... डीसीपी सतपती जी से भी मांग सकते थे...
बल्लभ - नहीं... जब तक भैरव सिंह... जैल नहीं चला जाता... या ख़तम नहीं हो जाता... मैं कानूनी मदत नहीं लेना चाहता...
विश्व - पर मैं इसमें... तुम्हारी क्या मदत कर सकता हूँ...
बल्लभ - वही मदत... जो इस वक़्त... तुम राजकुमारी जी की दोस्तों को दे रहे हो... मैं जानता हूँ... उनको राजगड़ से भेज कर और उन्हें भुवनेश्वर और कटक में अपनी प्रोटेक्शन में तुमने ही रखा है...
विश्व - प्रधान बाबु... आप भूल रहे हैं... मैंने राजा के डर से... अपनी माँ बाप को छुपा रखा है..
बल्लभ - जानता हूँ... पर एक बात यह भी है... राजा जिसे टार्गेट करता है... उसे हर हाल में... ख़तम कर देता है... राजा के आदमी और जासूस अभी भी... पुलिस और प्रशासन में हैं... मुझे इन सबके बाहर वाले आदमी पर भरोसा है...
विश्व - (चुप हो जाता है)
बल्लभ - देखो विश्व... यह वक़्त की नजाकत है... हम दोनों को एक दूसरे का साथ चाहिए...
विश्व - साथ... मैं तुम्हारा साथ क्यूँ दूँ... और क्यूँ लूँ...
बल्लभ - वह इसलिए... कुछ बातेँ मैं जानता हूँ... पर राजा साहब से बताया नहीं... बता देता... तो राजकुमारी जी की जान पर बन आती...
विश्व - अच्छा... ऐसी कौन सी बात तुम जानते हो... जो भैरव सिंह नहीं जानता...
बल्लभ - राजा साहब ने मुझे एक मोबाइल दिया है... और उसके मालिक को ढूंढने का काम दिया है... और मैं यह अच्छी तरह से जानता हूँ... इस मोबाइल का कोई मालिक नहीं.. मालकिन है... मैंने बताया नहीं... उनसे वक़्त लिया है...
विश्व - ह्म्म्म्म... मुझे एक बात कंफर्म करो... क्या राजकुमारी सही सलामत हैं...
बल्लभ - हाँ... हैं...
विश्व - चलो फिर... किया... वादा किया...
बल्लभ - ठीक है फिर... देखो दो दिन बाद... बड़े राजा जी की... चौथ की... पहली छोटी शुद्धि है... पर उससे पहले... भैरव सिंह के खिलाफ हमारी गवाही दिलवा दो... क्यूँकी... चौथ के दिन... और उसके बाद... भैरव सिंह को... हाथ लगाना... ना तुम्हारे बस की बात होगी... ना ही सिस्टम की... हाथ लगाना तो दूर... उन तक पहुँचना... मुश्किल हो जाएगा...

विश्व फोन पर और कमरे में मौजूद लोग एक साथ उछल पड़ते हैं - क्या....

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ब्रेकिंग न्यूज
आज सुबह तड़के श्री बीरजा किंकर सामंतराय अपने पैतृक घर पारादीप से पुरी जाते वक़्त रास्ते में उनके कार का एक ट्रक के साथ एक्सीडेंट हो गया l इस एक्सीडेंट में बीरजा किंकर सामंतराय गम्भीर रूप से चोटिल हुए हैं l सुना है कुछ दिनों से वह तनाव में थे l कुछ पहले अपनी बेटी व दामाद से मिलने राजगड़ गए हुए थे l उनके पत्नी के कहे अनुसार उनकी बेटी शुभ्रा सामंतराय गर्भवती हैं और हाल ही में उनके ससुराल के साथ उनका संबंध कुछ ठीक नहीं चल रहा है l इसी वज़ह से भगवान जगन्नाथ जी के पास माथा टेकने और अपनी बेटी दामाद और गर्भ में पल रहे शिशु की सलामती के लिए प्रार्थना करने जा रहे थे l सुबह चार बजे का समय था इसी वक़्त एक्सीडेंट हो गया है l उन्हें तुरंत कैपिटल हास्पिटल को ले जाया गया है l डॉक्टर उनकी हालत को स्थिर बता रहे हैं और हर एक घंटे के बाद उनकी स्वास्थ की बुलेटिन हस्पताल के द्वारा जारी किया जाएगा l

टीवी पर यह ख़बर सुनते ही वैदेही गौरी को दुकान पर बिठा कर शुभ्रा से मिलने चली जाती है l वहाँ पहुँच कर देखती है विश्व और उसके दोस्त वहाँ पर मौजूद हैं l शुभ्रा रो रही है और उसे सुषमा दिलासा दे रही है l विक्रम और पिनाक हाथ बांधे बैठे हुए थे l जब वहाँ वैदेही पहुँचती है तो शुभ्रा उसे देखते ही गले जा लगती है l वैदेही भी उसे गले लगा कर सहारा देती है l

वैदेही - रो मत... रो मत... सब ठीक हो जाएगा...
शुभ्रा - पापा हम सबसे मिलने आए थे... पर...
वैदेही - श् श् श्... कहा ना सब ठीक हो जाएगा... (विक्रम की ओर देख कर) क्या फैसला किया है...
विक्रम - जाने का फैसला किया है... मैंने प्रताप से बात की... थोड़ी देर के बाद... गाड़ी आ जाएगी...
वैदेही - अच्छा किया...
विक्रम - पर मैं एक असमंजस में हूँ...
वैदेही - कैसी असमंजस...
विक्रम - पता नहीं... लोग क्या कहेंगे... मैं अपने दादा जी के अंत्येष्टि के लिए नहीं गया... पर... अपने ससुर जी के...
वैदेही - तुम लोगों की नहीं... अपनी दिल की सुनो... तुम्हारे आँखों से जब आँसू बहेंगे... उसे पोंछने तुम्हारा या तुम्हारे अपनों का ही हाथ उठेगा... इसलिए ज़माने की मत सोचो...
विश्व - मैं भी यही बात... कब से समझा रहा था...
पिनाक - आप ठीक कह रही हैं वैदेही जी...

एक गाड़ी आती है l विश्व और वैदेही सबको बिठा देते हैं l विक्रम और विश्व गाड़ी से कुछ दूर जाते हैं कुछ बातेँ करते हैं फिर हाथ मिलाते हैं l यह सब वैदेही देख रही थी l विक्रम आकर गाड़ी में बैठ जाता है l गाड़ी फिर वहाँ से भुवनेश्वर के लिए रवाना हो जाती है l गाड़ी आँखों से ओझल होने के बाद वैदेही कुछ सोचते हुए बरामदे पर बैठ जाती है l विश्व अपने दोस्तों को देखता है और आँखों से कुछ इशारा करता है l वे लोग भी अपना सिर हिला कर वैदेही को टाटा बाय बाय कर वहाँ से निकल जाते हैं l विश्व और टीलु दोनों आते हैं और वैदेही के पास बैठ जाते हैं l

वैदेही - विशु...
विश्व - हाँ दीदी...
वैदेही - यह विक्रम उतना दुखी नहीं लग रहा था... जितना होना चाहिए...
विश्व - नहीं ऐसा कुछ नहीं है दीदी... मर्द थोड़े ना अपना दर्द... यूँही सबके सामने लाते हैं..
वैदेही - अब तु मुझसे झूठ बोलेगा...
विश्व - (चुप हो जाता है)
वैदेही - तु किसी को भी... बना ले... पर मुझे बना नहीं सकता... तेरी रग रग से वाकिफ हूँ... अब तु मुझे सब सच सच बता...
विश्व - ठीक है दीदी... (विश्व सब कुछ कहने लगता है जो उसे बल्लभ से पता चला था) दीदी... उससे ही मालुम हुआ... भैरव सिंह को फोन तो मिल गया था... और उसे राजकुमारी जी पर शक भी है... पर उसका और राजकुमारी जी का रिश्ता उस मोड़ पर पहुँच चुका है कि... बिना सबूत के जलील होना नहीं चाहता... इसलिए बल्लभ प्रधान को दो दिन की मोहलत दी है उसने...
वैदेही - तो अब प्रधान कहाँ है...
टीलु - हमारे ही हिफाजत में दीदी... हमने उसे रातों रात साथ ले लिया और हमारी खास जगह पर छुपा दिया...
वैदेही - ह्म्म्म्म... पर चौथ के दिन ऐसा क्या होने वाला है...
विश्व - यह मैं नहीं जानता... पर प्रधान का कहना है कि... राजा का अपने यहाँ के गुर्गों.. और सेक्यूरिटी वालों पर भरोसा उठ गया है... वह एक प्राइवेट आर्मी हायर किया है... वह आर्मी दो दिन में आने वाली है... उससे पहले... हमें गवाहों से उन जजों के सामने गवाही दिलवाना है... उसके बाद... करप्शन.. मैनीपुलेशन... मर्डर... और टेरर जितने भी चार्जेस है लगा कर... हर हाल में गिरफतार करवाना है...
वैदेही - गवाही तो कटक में भी ली जा सकती है...
विश्व - हाँ दी जा सकती है... पर जिन केसेस के लिए... स्पेशल कोर्ट बना है... स्पेशल टास्क फोर्स बना है... वहाँ पर उनकी गवाही मायने रखती है... सीधे कटक में गवाही कराना... उसके लिए कुछ कानूनी पचड़े हैं... और दीदी... अभी भी सिस्टम में कुछ लोग हैं... जो भैरव सिंह के लिए काम कर रहे हैं... डीसीपी सतपती... होम मिनिस्ट्री के थ्रु... परमिशन ग्रांट करवायेंगे... उसके बाद... हम उन तीन गवाहों को... सोनपुर ले जाएंगे... जजों के सामने गवाही दिलवायेंगे...
वैदेही - तुझे यह सब... आसान लगता है...
विश्व - बिल्कुल नहीं... बिल्कुल भी नहीं... अगर आसान होता... तो मैं खुद उन गवाहों को लाने गया होता... मैं नहीं गया... इसलिए गवाहों को लाने विक्रम को भेजा है...
वैदेही - (चौंकती है) क्या... विक्रम... तो क्या... वह एक्सीडेंट...
विश्व - (एक पॉज लेकर) नहीं हुआ है...
वैदेही - (जैसे झटका खाती है) क्या...
विश्व - दीदी... कल रात... जब... सुभाष बाबु... सारी जानकारी फोन पर मुझे दी... तब रात को ही.. मैं विक्रम से मिलने आ गया था... उसे सारी बातें बता कर... अपने प्लान में शामिल कर लिया... वह तैयार भी हो गया... कल रात मेरी ही फोन से... विक्रम अपने ससुर से बात की... और सतपती जी... सुप्रिया से...
वैदेही - और आज... सुप्रिया के वज़ह से... सुबह सुबह पुरे स्टेट को न्यूज से मालूम हुआ... कि बीरजा किंकर सामंतराय का एक्सीडेंट हो गया...
विश्व - हाँ... भैरव सिंह के आदमी... मेरे और सतपती जी के पीछे लगे हुए हैं... और हम पर बराबर नजरें जमाए हुए हैं... इसलिए गवाहों को लाने का काम... सिर्फ विक्रम ही कर सकता था... बाकी कागजाती कामों के लिए... सुभाष बाबु अलग से भुवनेश्वर गए हैं...
वैदेही - ठीक है... मतलब तुम्हारे हिसाब से... एसटीएफ गवाहों का डिक्लेरेशन कराएगा... जिसे होम मिनिस्ट्री अप्रूव् करेगी... उसके बाद... उनकी गवाही मान्यता होगी... पर क्या तब तक... भैरव सिंह को पता नहीं चल जाएगा...
विश्व - हाँ... चल जाएगा... जैसे ही गवाहों का डिक्लेरेशन होगा... उसे खबर लगेगी... पर उसे यह लगेगा कि गवाहों को.... अगले सुनवाई के दिन बाद पेश किया जाएगा... और इस बीच... वह गवाहों को ना सिर्फ गवाही से रोकने की कोशिश करेगा... बल्कि... ख़तम भी करने की कोशिश करेगा...
वैदेही - और तु कह भी रहा है... वह कोई प्राइवेट आर्मी ला रहा है.. पर क्यूँ... किसलिए... क्या कोई जंग छेड़ने वाला है...
विश्व - हाँ शायद... अभी उसके लोगों ने हमसे सिर्फ हार देखी है... शायद इसीलिए बाहर से प्राइवेट आर्मी ला रहा है...
वैदेही - सिर्फ हमसे लड़ने के लिए...
विश्व - शायद हाँ... क्या पता... शायद सिस्टम से भी... (वैदेही के हाथ पर अपना हाथ रखकर) दीदी... हम उसे छकायेंगे... हमने पूरी प्लान कर रखा है... तुम घबराओ मत... इस बार उसकी कोई भी चाल कामयाब नहीं होगी...

तभी विश्व का फोन बजने लगता है l जेब से फोन निकाल कर देखता है इंस्पेक्टर दास डिस्प्ले हो रहा था l विश्व फोन उठा कर बात करने लगता है, पर वैदेही के कानों में कुछ घुस नहीं रहा था क्यूँकी विश्व के सारे खुलासे के बाद वैदेही थोड़ी चिंतित हो गई थी l

विश्व - (फोन बंद कर, वैदेही की ओर देखता है) दीदी... तुम अपने भाई पर भरोसा रखो.. किस्मत भैरव सिंह का जितना साथ देना था दे दिया... अब और नहीं... हाँ थोड़ा खतरा तो है... पर अगर हम उसके आर्मी के आने से पहले कामयाब हो गए... तो यह गाँव और इंसाफ़... दोनों बच जाएंगे... अच्छा मैं थोड़ा इंस्पेक्टर दास से मिलने हास्पिटल जा रहा हूँ... उन कांस्टेबलों को देख भी लूँगा... और कल परसों के लिए प्लान भी बना लूँगा... (विश्व जाने लगता है तो पीछे से वैदेही आवाज देती है)
वैदेही - विशु... (विश्व मुड़ कर देखता है) क्या गाँव वालों के ऊपर भी खतरा हो सकता है...
विश्व - दीदी... भैरव सिंह इस वक़्त... एक घायल दरिंदा है... बेशक हमारे पीछे उसके लोग आयेंगे... पर गाँव वालों की सुरक्षा भी तो.... मुझे... निश्चित करना पड़ेगा... आ रहा हूँ...

यह बात कह कर विश्व वहाँ से चला जाता है l वैदेही को अब खतरे का अंदेशा हो रहा था l वह थोड़ी बैचैन होने लगती है l पास बैठा टीलु वैदेही की हालत पर गौर कर रहा था l

टीलु - दीदी... तुमसे एक बात पूछूं...
वैदेही - हाँ पूछ...
टीलु - तुम... अभी... मल्लिका के बारे में सोच रही हो ना...
वैदेही - (कोई जवाब नहीं देती पर सवालिया नजर से टीलु को देखती है)
टीलु - तुम इस बारे में... विश्वा भाई से बात क्यूँ नहीं करती...
वैदेही - विशु... का लक्ष... सिर्फ एक ही है... उसे यह काम इसी दो दिन में साधना है... वैसे भी... राजा का कहर... चौथ के दिन टुटेगा... तब तक अगर विशु कामयाब हो गया... तो राजा सलाखों के पीछे होगा...
टीलु - बुरा ना मानना दीदी... अगर कुछ गड़बड़ हो गया तो...
वैदेही - विशु ने अभी कहा ना... वह गाँव वालों की सुरक्षा का प्रबंध करने... इंस्पेक्टर दास से मिलने गया है... पुलिस भी हमारे साथ होगी उस दिन... (इस बार टीलु वैदेही को सवालिया नजर से देखता है) देख... कुछ भी हो जाए... विशु से इस बात का जिक्र भी मत करना... मैं नहीं चाहती... उसके लक्ष में... कुछ भी... कोई बाधा आए... उसे अर्जुन की तरह अपनी लक्ष को भेदना है... यहाँ अगर कुछ गड़बड़ हुई... तो मैं और पुलिस वाले संभाल लेंगे... (वैदेही बरामदे से उतरती है और जाने लगती है फिर अचानक मुड़ती है) टीलु... जो मेरे साथ हुआ... वह किसी के साथ नहीं होगा... मैं रक्षा करुँगी... मल्लि और उसके जैसे लड़कियों की... भैरव सिंह ना विश्वा से जीत पाएगा... ना वैदेही से... उसकी हार तय है... विधाता ने लिख दिया है... यही उसकी नियति है...

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अगले दिन
गौरी तैयार होकर कमरे से निकल कर बाहर आती है, देखती है वैदेही आज दुकान नहीं खोला था l एक कोने में वैदेही अपनी कुर्सी पर अपने में खोई हुई बैठी थी l गौरी देखती है वैदेही अंदर से बहुत बैचैन दिख रही थी l गौरी वैदेही से सवाल करती है

गौरी - वैदेही...
वैदेही - (ध्यान टूटती है) हूँम्म्म...
गौरी - आज क्या हो गया है तुझे... कहाँ खोई हुई है...
वैदेही - कहीं नहीं काकी... बस ऐसे ही...
गौरी - क्यों झूठ बोल रही है... देख ग्राहक दुकान देख कर लौट रहे हैं... तूने अबतक दुकान नहीं खोला... क्यूँ... क्या चिंता तुझे खाए जा रही है...
वैदेही - कुछ नहीं काकी... बस मन थोड़ा बैचैन है...
गौरी - (उसके पास बैठ जाती है) अब बोल... तुझे आज से पहले इतना बैचैन.. इतना परेशान कभी नहीं देखा...
वैदेही - बात ही कुछ ऐसी है काकी... (वैदेही अपनी जगह से उठती है और दुकान की दरवाजे पर खड़े हो कर गाँव की तरफ देखते हुए) एक आस पर... उम्मीद डगमगा रहा है.. क्या पीढियों से गुलाम... इस गाँव का भाग्य बदलने वाला है...
गौरी - पता नहीं बेटी... पर बदलेगा जरूर... (वैदेही मुड़ कर गौरी को देखती है) हाँ बेटी... बदलेगा जरूर... अब मुझे यकीन हो चला है... यकीन तब भी नहीं हुआ था... जब गाँव वाले महल से उल्टे पाँव लौटने के बजाय... राजा की ओर पीठ कर लौटे थे... पर अब यकीन हो रहा है... महल में बड़े राजा की मौत के बाद भी... कंधा देने तो दूर... किसी ने भी... महल जाकर दुख भी नहीं जताया... उल्टा... शुकुरा और भूरा के पीछे बड़े राजा के नाम पर धूल उड़ाए हैं... यह आक्रोश... पीढ़ियों से दबी हुई थी... अब बाहर निकल रहा है...
वैदेही - पर राजा अभी कमजोर नहीं हुआ है... पता नहीं इस बात का... राजा पर क्या असर हुआ होगा... कहीं उसने पलटवार किया... तब... तब क्या होगा...
गौरी - भीमा.. उसके गुर्गे... एक नहीं कई बार... विश्व के हाथों धूल चाट चुके हैं... यह देख देख कर.. जो भी डर था लोगों के मन में... सब गायब हो गया है... और अब... अब तो गाँव की पुलिस भी राजा के साथ नहीं है...
वैदेही - हाँ पुलिस राजा के साथ नहीं है... पर क्या... हमारे साथ है... या होगा...
गौरी - क्या मतलब है तेरा...

वैदेही गौरी को बताती है कि कैसे विक्रम को गायब हुए गवाहों को लाने के लिए विश्व ने सपरिवार भेज दिया है, और राजा की एक प्राइवेट आर्मी कभी कभी भी पहुँचने वाली है l

गौरी - क्या... (भय के साथ) राजा ने... बाहर से एक फौज बुलाई है...
वैदेही - हाँ काकी...
गौरी - क्या तुमने विशु से बात की...
वैदेही - विशु... आधी रात को ही... टीलु को लेकर यशपुर चला गया है...
गौरी - आधी रात को...
वैदेही - हाँ.. जाने से पहले... मुझसे इजाजत लेने आया था.. राजा की फौज आने से पहले... वह सरकारी सुरक्षा राजगड़ को मुहैया कराने की कोशिश करेगा... इसीलिए जल्दबाजी में रात को निकल गया...
गौरी - भगवान करे... वह कामयाब रहे... गनीमत है... राजा ने रस्म के नाम पर... किसी को उठाया नहीं...
वैदेही - मुझे इसी बात की चिंता है... अभी महल की पहरेदारी पुख्ता है... पुलिस को राजा औकात दिखा चुका है... इसी दौरान.. अगर कुछ... (वैदेही आगे कुछ कह नहीं पाती)
गौरी - तो तुने... विशु को जाने क्यूँ दिया...
वैदेही - विशु को मैंने इस बारे में कुछ बताया नहीं... हाँ टीलु रुकना चाहता था... मैंने ही उसे चुप करा कर विशु के साथ भेज दिया...
गौरी - (कांपती आवाज में) तेरी बातेँ सुन कर लगता है... अगर राजा किसी को उठवा कर महल ले गया... कोई भी उसे बचाने महल जा नहीं पाएगा... पुलिस भी नहीं...
वैदेही - हाँ... अगर महल ले जा सके तो...
गौरी - क्या मतलब है तेरा...
वैदेही - काकी... विशु आने तक... मैं जिन लड़कियों के बारे में जानती हूँ... उन्हें राजा की आदमियों के नजर से छुपा रखूंगी... कम से कम.. महल तक तो... ले जाने नहीं दूंगी...
गौरी - विशु कब तक आ जाएगा...
वैदेही - कल रात तक... या फिर परसों सुबह तक...
गौरी - इस बीच कुछ हुआ तो...
वैदेही - जो भी होगा कल ही होगा...
गौरी - तुझे कैसे पता...
वैदेही - क्यों कि राजा ने... इंस्पेक्टर दास से वादा किया है... बड़े राजा की मौत की चौथ का मातम... पुरा राजगड़ मनाएगा...

इतना कह कर वैदेही चुप हो जाती है l गौरी आने वाले पल की अंदेशा करते हुए बैचैन होने लगती है l तभी दोनों के ध्यान तोड़ते हुए वैदेही के सामने वाली चौराहे पर आठ दस गाड़ियों का काफिला गुजरती है l सभी गाडियाँ सफेद रंग के थे l जिस अनुशासन से गाडियाँ गुजरी वैदेही को समझ आ जाती है कि कोई सरकारी मंत्री राजगड़ आया हुआ है l वैदेही अपनी दुकान से निकल कर बाहर आती है और गाड़ियों की काफिलों को महल की ओर जाते हुए देखती है l यह गाडियों की काफिला राज्य की होम मिनिस्टर का था l सारी गाडियाँ लाइन से राजगड़ महल के मुख्य फाटक के सामने रुक जाती है l होम मिनिस्टर के गाड़ी से एक अधिकारी उतर कर फाटक पर तैनात एक पहरेदार से कुछ बातेँ करता है l उसके बाद पहरेदार फाटक खोल देता है, सभी गाडियाँ महल की परिसर में आजाती है l गाड़ी से होम मिनिस्टर उतरता है l तब तक भैरव सिंह को खबर हो चुकी थी वह भी बाहर आजाता है और कॅरीडर पर खड़े होकर होम मिनिस्टर का इंतजार करता है l

होमी - नमस्ते राजा साहब... (कहते हुए सीढ़ियां चढ़ते हुए भैरव सिंह के पास पहुँचता है)
भैरव सिंह - आइए मंत्री जी... आइए... आपके आने की अपेक्षा तो थी... पर... आज नहीं...
होमी - हाँ या तो... चौथ को... यानी कलआना चाहिए था... या फिर तेरहवीं पर... पर आया हूँ तो अकारण नहीं...
भैरव सिंह - भीमा...
भीमा - हुकुम...
भैरव सिंह - मंत्री जी के साथ आए लोगों को... दिवान ए आम हॉल में आवभगत करो..
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - आइए मंत्री जी... आज आप हमारे खास अतिथि हैं...

होम मिनिस्टर और भैरव सिंह महल के अंदर जाने लगते हैं l अंदर घुसते ही भैरव सिंह सवाल करता है

भैरव सिंह - आप अकारण नहीं आए हैं... तो कारण बताइए..
होमी - राजा साहब... आपको तो अपने समधी जी की खबर मिल चुकी होगी...
भैरव सिंह - हाँ... फोन पर नहीं... न्यूज पर मिल चुकी है... हम जा नहीं सके... कारण तुम समझ सकते हो...
होमी - राजा साहब... आपके समधी जी ने ऐसा कुछ किया है कि... मुझे चौथ से पहले आना पड़ा...

दोनों ड्रॉइंग रुम में पहुँचते हैं l होम मिनिस्टर ठिठक जाता है l भैरव सिंह उसे एक कुर्सी पर बैठने के लिए इशारा करता है और खुद एक कुर्सी पर बैठ जाता है l

भैरव सिंह - मंत्री जी... बेहतर होगा... आप ज्यादा भूमिका बनाने के बजाय... सीधे मुद्दे पर आए... और मेरे समधी जी ने ऐसा क्या कर दिया है... जिसके कारण आपको यहाँ आना पड़ा...
होमी - बताता हूँ राजा साहब... आप तो जानते हैं... सामंतराय बाबु... कभी हमारी पार्टी की सर्वेसर्वा हुआ करते थे... इसलिए जब उनके एक्सीडेंट के बाद कैपिटल हास्पीटल में जॉइन होने की खबर मिली... हम मुख्यमंत्री जी के साथ उनसे मिलने... हस्पताल गए... और सामंतराय को जैसे हमारा ही इंतजार था... हमें... फंसा दिया...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... हम सुन रहे हैं... बोलते जाइए...
होमी - उन्हें पहले से अंदाजा था... मैं और मुख्यमंत्री जी उनसे मिलने जाएंगे... हम लोग हाथ में गुलदस्ता लिए... उनसे उनके कमरे में मिले... गलती यह हो गई के हम साथ में मीडिया लेकर गए थे... कमरे में मीडिया के सामने उनसे हाल चाल पूछ रहे थे... तभी डीसीपी सतपती एक फाइल लेकर पहुँचा... तब सामंतराय जी ने कहा कि उन्होंने ही डीसीपी सतपती को बुलाया है... और होम मिनिस्टर होने के नाते... डीसीपी के लाए फाइल पर दस्तखत करने के लिए कहा...
भैरव सिंह - (भौंहे तन जाती हैं) कैसी फाइल...
होमी - यह सवाल मैंने भी पूछा...
तब डीसीपी ने कहा कि... रुप फाउंडेशन के दो प्रमुख गुमशुदा गवाह मिल गए हैं... और सबसे अहम... राजगड़ मल्टिपरपोज को-ऑपरेटिव सोसाइटी में हुए आर्थिक घोटाले का सबसे बड़ा सबूत और गवाह डिक्लेरेशन...
भैरव सिंह - गवाह... कौन हैं वह गवाह...
होमी - (एक फाइल निकाल कर टेबल पर रख देता है) वह आपके आस्तीन में पलते थे... आप ही देख लीजिए...

भैरव सिंह फाइल को लेकर एक के बाद एक कई पन्ने पलट कर देखता है l हर एक पन्ना देखने के बाद फाइल टेबल पर रख देता है और होम मिनिस्टर से पूछता है

भैरव सिंह - जो हुआ... जो भी हुआ... उसकी कानूनी पहलु के बारे बताइए...
होमी - आप नाम देख कर चौंके नहीं...
भैरव सिंह - हम इतना चौंक चुके हैं कि अब इस तरह की झटके... हमें और चौका नहीं रहे हैं... हमें बस इसकी कानूनी वैधता और क्या कर सकते हैं कहिये...
होमी - इसमें... तीन नाम हैं... अनिल कुमार सुबुद्धी... श्रीधर परीड़ा... और बल्लभ प्रधान... अब चूँकि... अदालत स्थगित है... और यह दोनों केस... होम मिनिस्ट्री के अंतर्गत आते हैं... इसलिए जो भी नए गवाह जुड़ें... उनकी डिक्लेरेशन होम मिनिस्ट्री में किया जाता है और उन्हें वीटनेस प्रोटेक्शन में लेकर... सुरक्षा में रखा जाता है...
भैरव सिंह - तो.. क्या यह तीनों भुवनेश्वर में हैं...
होमी - नहीं... यहीँ पर गेम हो गया है राजा साहब... इस केस में वीटनेस प्रोटेक्शन का भी इनचार्ज डीसीपी सतपती है... उसका भी अपना स्टैंडर्ड ऑफ प्रोसिजर है... प्रधान शायद यहीँ कहीं है... डीसीपी ने... सुबुद्धी और परीड़ा को भुवनेश्वर से गायब कर दिया है और वह रातों रात यशपुर लौट आया है... पर अकेला...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
होमी - जैसे ही यह सब हुआ... मुख्य मंत्री जी ने... मुझे आपको आगाह करने के लिए भेज दिया... बड़े राजा जी के मृत्यु पर सम्वेदना व्यक्त करने...
भैरव सिंह - अभी तो अदालत स्थगित है... है ना...
होमी - स्थगित तो है... पर अगर इमर्जेंसी की हालात हो... तो अदालत आधी रात को... छुट्टी के दिन भी खुल सकती है...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... अब हम... बात को पूरी तरह से समझ गए...
होमी - हाँ राजा साहब... हमें आपके समधी जी ने बुरी तरह से फंसा दिया... मीडिया सामने थी... और इलेक्शन भी आने वाली है... इसलिये... मजबूरी में... हमने मीडिया के सामने फाइल पर दस्तखत कर दिया...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
होमी - हाँ राजा साहब... मुख्य मंत्री जी ने इसी कारण मुझे यहाँ भेज दिया... अब आप अपनी ताकत लगा कर कुछ किजिए... (भैरव सिंह के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है) राजा साहब... सरकारी तौर पर हमसे कोई मदत नहीं हो पाएगा... पर आप जो भी करेंगे... हम आपके साथ हैं...
भैरव सिंह - कल चौथ है... आप अपने कारवाँ के साथ... रंग महल में रुक जाइए... जो भी करना है... हम करेंगे... (आवाज देता है) भीमा...
भीमा - (भागते हुए आता है) आज मंत्री जी ने... हम पर बहुत बड़ा उपकार किया है... इन्हें रंग महल ले जाओ...
होमी - (अपनी कुर्सी पर उठते हुए) आपकी आतिथेयता के लिए बहुत बहुत शुक्रिया राजा साहब... पर मुझे इजाजत दिजिए... मैं भले ही मुख्यमंत्री जी की वार्ता लेकर आया हूँ... पर आया तो सरकारी गश्त में...
भैरव सिंह - सरकारी गश्त में... अगर आप सरकारी गश्त में हैं... तो लोकल पुलिस कहाँ है...
होमी - जी खबर कर दी गयी थी... अचानक गश्त थी... और वह आईआईसी अपने दो साथियों के साथ...मेडिकल में है... आपको इंफॉर्मेशन देना भी जरूरी था... इसलिए बिना लोकल पुलिस के हम यहाँ आ गए...
भैरव सिंह - (होम मिनिस्टर के साथ बाहर की ओर जाते हुए) अच्छा किया... आपने हमें आगाह कर दिया... इसका इनाम तो बनता है... इसलिए हम दरख्वास्त करते हैं... आप और आपके कारिंदे... आज की रात रंग महल में विश्राम करें.. कल की छोटी शुद्धि के बाद.. आप चले जाइएगा...
होमी - नहीं राजा साहब... आपसे यह सौजन्य मुलाकात थी... कल आकर औपचारिक मुलाकात करूँगा... तब तक... मैं यशपुर में... आईवी में रुकूंगा...

कहते कहते जब होम मिनिस्टर बाहर कॉरीडोर में आता है तो देखता है उसके सभी सुरक्षा कर्मि घुटनों पर बैठे हैं और राजा साहब के लोग उन पर बंदूक ताने खड़े हुए हैं l होम मिनिस्टर यह सब देख कर चौंकता है, भीमा अपना खुखरी होम मिनिस्टर के पीठ पर लगा देता है l

होमी - यह... यह क्या है राजा साहब...
भैरव सिंह - पिछली बार भी तुमने हमारी बेकद्री की थी... तब अपने ही जुते से... अपने गाल पर सीकाई की थी...
होमी - पर इस बार तो मैंने कोई बेकद्री नहीं की है... आपको सबूतों के साथ... आगाह किया है..
भैरव सिंह - बे मादरचोद... यह आज हम जिस मुकाम पर पहुँचे हैं... इसके पीछे गलीच... तु ही है... तूने हमसे बदला लेने के लिए... हमारे खिलाफ... हमारे दुश्मनों को लामबंद किया और उनकी मदत की... जब तुझे लगा तेरा पलड़ा हमारी बराबर हो गई... तब तु हमारे बराबर बैठने आ गया...
होमी - र.. राजा साहब...
भैरव सिंह - चुप... तुने हमें बेबस लाचार करने की कोशिश की... कामयाब भी रहा... जश्न तो बनता है ना... इसलिए जश्न रंग महल में मनेगी... तुझे क्या लगता है.. तु यहाँ कैसे आया... कल जब चीफ मिनिस्टर के सामने साइन किया... उसके बाद चीफ मिनिस्टर ने हमें फोन पर सारी बातें इंफॉर्म कर दी थी... उसके और हमारे बीच एक डील हुआ था... हम रुप फाउंडेशन और राजगड़ मल्टिपरपोज को-ऑपरेटिव सोसाइटी के केस को... हमारी तरीके से क्लॉज करेंगे... और तुझे... तेरी मुकम्मल अंजाम तक पहुँचाएँगे...
होमी - नहीं... नहीं राजा साहब... ऐसा मत कीजिए... मैं होम मिनिस्टर हूँ... अगर मुझे कुछ हुआ... तो आप भी...

इससे पहले कि होम मिनिस्टर अपनी बात पूरी कर पाता भीमा होम मिनिस्टर के गाल पर एक झन्नाटेदार थप्पड़ जड़ देता है l

भैरव सिंह - मेरे आदमी का यह चांटा... इस बात का सबूत है... के तु कभी हमारे बराबर नहीं हो सकता... बड़े राजा जी की चौथ का मातम... हम तुम्हारे साथ ही मनाएंगे मंत्री... इसलिए जाओ... पहले रंग महल में आराम करो... जाओ...

भीमा होम मिनिस्टर को धक्का देते हुए नीचे ले जाता है l वहाँ पर होम मिनिस्टर के सभी सुरक्षाकर्मियों को भैरव सिंह के आदमी रंग महल की ओर ले जाते हैं l इतने में रंगा और रॉय आते हैं और वह लोग विशेष प्रकोष्ठ में आते हैं l

रॉय - राजा साहब... लगता है आपने हमें किसी खास काम के लिए बुलाया है...

भैरव सिंह कोई जवाब नहीं देता, एक किताबों वाली अलमारी के पास आता है और उसका दरवाजा खोलता है l अलमारी के दरवाजे पर लगी एक बोर्ड पर कुछ नंबर पंच करता है l एक दीवार सरक जाती है l दीवार के पीछे नोटों का पहाड़ था l जिसे देख कर रंगा और रॉय के आँखे हैरान और शॉक से फैल जाती हैं l

भैरव सिंह - एक काम है... आखिरी.... अगर पूरा करने में कामयाब हो गए... तो आने के बाद... इस कमरे में मौजूद सारे पैसे तुम्हारे...
रॉय - (आँखों में चमक आ जाती है) तो फिर हुकुम कीजिए राजा साहब...
भैरव सिंह - अभी के अभी यशपुर... जितने आदमी हो सके लेकर जाओ.... विश्व... और उसके साथ जो भी दिखे सबको खत्म कर आओ...
रंगा - विश्व... यशपुर में...
भैरव सिंह - हाँ... वह अभी राजगड़ में नहीं है... वह यशपुर में है... उसे ढूंढो... उसे और उसके पास... उसके साथ जो भी दिखे... सबको खत्म कर दो... उसका लाश... या उसका कटा हुआ सिर लेकर आओ... और यह सारी दौलत ले जाओ...
रॉय - मतलब हमें... उसे यशपुर में ढूंढना पड़ेगा...
भैरव सिंह - हाँ... इसलिए सबसे पहले जाओ... पुरे यशपुर को अपने कब्जे में ले लो... अपने तरीके से एक सौ चौवालीस लगा दो... मगर ध्यान रखो... यशपुर में आने तो पाए... मगर... यशपुर छोड़ कर कोई जाने ना पाए... जो भी जाने की कोशिश करेगा... उसे वहीँ वहीँ के खत्म कर देना... अब सब समझ में आ गया होगा...
रंगा - जी राजा साहब...
भैरव सिंह - तो जाओ...

रंगा और रॉय अंदर ही अंदर खुशी मनाते हुए बाहर चले जाते हैं l भैरव सिंह फिर से उस इलेक्ट्रॉनिक लॉक पर कुछ नंबर पंच करता है l वह दीवार जो सरक गया था फिर से बंद हो जाता है l तभी एक नौकर आकर खबर करता है

नौकर - हुकुम... आपसे मिलने कुछ लोग आए हैं...
भैरव सिंह - (मुस्कराते हुए) उनको.... xxxx पर ठहराओ...

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यशपुर में
एक विरान जगह पर वर्जित क्षेत्र में एक टूटा फूटा घर l बाहर से भले ही टूटा फूटा भूतीया दिख रहा था, पर अंदर से वह घर अच्छा दिख रहा था l एक कमरे में विश्व दरवाजे की तरफ मुहँ कर बाहर की ओर देखे जा रहा था, कमरे में उदय, कांस्टेबल जगन और एडवोकेट बल्लभ प्रधान भी थे l विश्व टकटकी लगाए दरवाजे पर नजर गड़ाए देखे जा रहा था l उसे इंतजार था विक्रम और सुभाष की l

उदय - विश्वा... अब तक तो आ जाना चाहिए था उन्हें..
विश्व - आ रहे होंगे... प्रधान बाबु... उतावला पन ठीक नहीं है...
उदय - वैसे तुम्हारे दोस्त भी नहीं दिखाई दे रहे हैं...
विश्व - वह भी आ जाएंगे... अभी वक़्त ही कितना हुआ है...
बल्लभ - वक़्त... वक़्त कितना हुआ है... बात यह नहीं है... (सबकी ध्यान बल्लभ की ओर जाता है) वक़्त कब तक अच्छा चल रहा है... तब तक... जब तक.... राजा के आदमी हम तक नहीं पहुँच जाते...
उदय - ऐ... बकवास बंद कर...
बल्लभ - मैं... बकवास नहीं कर रहा हूँ... आने वाला वक़्त.. या तो अच्छा होगा... या फिर बुरा होगा... और मुझे लगता है... अब तक राजा को... हमारे बारे में पता लग चुका होगा... और वह हरकत में आ चुका होगा...
विश्व - तो आने दो... हम तक पहुँचने के लिए... भैरव सिंह को बहुत तैयारी करना पड़ेगा... और अपने तरफ से मैंने पहले से ही... तैयारी कर रखा है...
बल्लभ - एक बात पूछूं...
विश्व - हाँ पूछो...
बल्लभ - परसों डीसीपी सतपती... यह उदय और यह कांस्टेबल जगन... मेरी काउंसिलिंग किए... जब कि मुझे लगा था... जब मेरी भेद खुलेगी... तब काउंसिलिंग तुम करोगे...
विश्व - प्रधान बाबु... आपके घर में जो भी हुआ... वह एक ऑफिशियल प्रोसीजर था... आप एसटीएफ के डीसीपी के द्वारा... ट्रेस किए गए और गिरफ्तार किए गए... उसके बाद आपको गवाह बनाया गया... जिसकी अप्रूवल और डिक्लेरेशन... होम मिनिस्ट्री से लिया गया है... वह भी ऑफिशियल... इसलिए मैं आपके सामने नहीं आया... इससे आगे... आपकी गवाही के लिए मेरा होना जरूरी है... इसलिए आपके सामने आया... क्यूँकी यह भी...
बल्लभ - हाँ... ऑफिशियल है...
उदय - एडवोकेट प्रधान बाबु... क्या आप डरने लगे हैं...
बल्लभ - डर.. हाँ... डरने लगा हूँ नहीं... डरा हुआ था.. और अब भी हूँ...
जगन - डरे हुए हो... तो अपने डर के खिलाफ क्यूँ जा रहे हो..
उदय - (मजाकिया लहजे में) क्यूँकी डर के आगे जीत है... क्यूँ
बल्लभ - जीत और हार दोराहा होता है... मैं वह दोराहा लाँघ चुका हूँ.... और डरते डरते थक गया हूँ...
जगन - डरे हुए थे.... शायद इसलिए जिंदा हो... डर से थक गए हो... मतलब... मतलब समझ रहे हो ना...
बल्लभ - हाँ... इस डर को ढोते ढोते थक गया हूँ... पर मैं जिंदा रहना चाहता हूँ... इसीलिए तो... हार का वह मोड़ छोड़ कर... अब तुम लोगों के साथ हूँ...

विश्व कुछ कहना चाहता था पर तभी उसकी मोबाइल बजने लगती है l मोबाइल उठा कर कान से लगाता है l उसी वक़्त घर के बाहर गाड़ी रुकने की आवाज़ सुनाई देती है l सबकी बातों में विराम लग जाता है l सब बाहर की ओर देखने लगते हैं l एक गाड़ी आकर रुकती है l उस गाड़ी से सुभाष सतपती और उसकी एसटीएफ वाली टीम के बंदे उतरते हैं l पीछे पीछे और एक आर्मोर्ड वैन आती है l उससे विक्रम, सु बुद्धी, श्रीधर परीड़ा के दास भी उतर कर विश्व के सामने आते हैं l सभी कमरे में आ जाते हैं l सुबुद्धी और श्रीधर की नजरें बल्लभ से मिलती है l उन्हें देख कर सुभाष कहता है l

सुभाष - हाँ भाई... भरत मिलाप कर लो... बहुत जल्द हम निकलने वाले हैं... (विश्व से) तुम्हारा प्लान क्या है विश्व..
विश्व - अभी गाँव से सत्तू ने फोन किया था... होम मिनिस्टर महल गया था...
बल्लभ - ह्वाट... वह कब भुवनेश्वर से निकला...
दास - कल ही... मुझे उसके कॉनवोय में शामिल होने के लिए कहा गया था... पर मैंने अपने दो कांस्टेबलों का मेडिकल में होने को बात कर... मेरे थाने की सबॉर्डिनेट को चार्ज हैंड ओवर किया था... पर उन्होंने कहा कि... होम मिनिस्टर ने... लोकल पुलिस की प्रोटोकॉल एक्सेप्ट नहीं किया...
विश्व - ह्म्म्म्म... होम मिनिस्टर कल के चौथ वाली मातम के लिए आया है शायद... और (बल्लभ, सुबुद्धी और श्रीधर की ओर देख कर) लगता है... इनके बारे में जानकारी भी दे दी...

इतना सुनते ही तीनों की हालत खराब होने लगती है l सुबुद्धी विश्व से कहने लगता है

सुबुद्धी - विश्वा बाबु... अब...
विश्व - में भी यही चाहता था... के राजा तुम लोगों के बारे में जान जाए...
श्रीधर - ऐ... तु हमारा बलि चढ़ाने लाया क्या... (सुभाष से) यह... यह क्या डीसीपी साहब... यह तो हमें मरवाने की बात कर रहा है...
जगन - वह कहावत है ना... जैसी करनी... वैसी भरनी...
दास - हाँ... विश्व को फ़ंसाने वाली टीम का... तु भी तो एक हिस्सा था...
श्रीधर - ओ.. अब समझा... तुम लोग कोई गवाही दिलाने नहीं लाए हो... इस विश्वा के नाम पर... राजा भैरव सिंह के हवाले करने लाए हो...

इससे पहले कि श्रीधर और कुछ कहता, चटाक की आवाज़ आती है l श्रीधर अपना गाल सहलाते हुए बल्लभ की ओर देखता है l बल्लभ उसे उंगली दिखा कर

बल्लभ - चुप... चुप... विश्वा हमें ना सिर्फ बचाएगा... बल्कि... हमसे गवाही दिलवा कर... हर गुनाह से माफी भी दिलवाएगा... चुप... जरा सोच... कटक भुवनेश्वर में... पागलों की तरह राजा के आदमी ढूंढ रहे हैं... वहाँ से यहाँ तक बच कर आए हो... तो आगे के लिए भी भरोसा करो....

अपनी गाल सहलाते सहलाते श्रीधर विश्व की तरफ़ आस भरी नजर से देखने लगता है l

सुभाष - चलो... कोई तो हम पर भरोसा कर रहा है... (विश्व से) वैसे विश्वा तुम्हारा प्लान और तैयारी क्या है...
उदय - हाँ... तुम्हारे दोस्त अभी तक नहीं आए हैं...
विश्व - आ जाएंगे... पहले हम प्लान पर बात करें... सतपती बाबु... पहले आप बताएं... मैंने जो कहा था... उसका क्या...
सुभाष - मैं यशपुर पहुँचते ही... सबसे पहले यही किया... दास को साथ लेकर... बारह बुलेट प्रूफ जैकेट ले आया हूँ... गाड़ी में ही है... और अभी कुछ देर बाद... मेरी टीम जाकर... राजगड़ थाने को... हमारे आने तक सम्भाले रखेगी...
विश्व - मैंने कुछ और भी कहा था...
सुभाष - हाँ यार... आर्म एंड एम्युनिशन भी लाया हूँ... वह भी गाड़ी में है... पर एक बात बताओ... तुमने खान सर से... यह आर्मोर्ड वैन क्यूँ मंगवाया...
विश्व - ह्म्म्म्म सब परफेक्ट है... तो सुनिए... यह वैन... आपकी प्रोमोशन हो कर जाने के बाद... जैल में आया था... जैल में क्या हुआ था... आप जानते ही हैं... इसलिए तब... डैड... आई मीन.. सेनापति जी यह आर्मोर्ड वीइकल खरीदे थे... पर मालूम नहीं था... इस वीइकल की अब हमें ज़रूरत पड़ने वाली है...
दास - मतलब... हम पर हमला होगा...
विश्व - हाँ... वे लोग राजगड़ से निकल भी चुके हैं... उनकी टीम को अमिताभ रॉय और रंगा लीड कर रहे हैं...
विक्रम - (गुस्से से) रंगा... रॉय...
विश्व - कुल विक्रम... तो प्लान यह है कि... हम टोटल बारह लोग हैं... पर टीम दो बनेगी... एक टीम में... यह तीन गवाह... मैं... सतपती जी और दास बाबु... इस आर्मोर्ड वीइकल से... रंगा और रॉय के आँखों के सामने से राजगड़ से निकलेंगे...
विक्रम - और हम... हम लोग...
विश्व - बताता हूँ... मेरे दोस्त... तीन बाइक जुगाड़ कर चुके हैं... हमारे यहाँ से निकलते ही.. वे लोग तीन बाइक लेकर यहाँ पहुँच जाएंगे... आप दोनों... विक्रम और उदय बाबु... उनके साथ निकल जाइए...
उदय - ओ... समझा... मतलब... इन तीनों को अपने काबु में लेने के लिए... इसलिए सारे लोग तुम्हारे पीछे जाएंगे...
विक्रम - तो फिर हमारा काम क्या है...
विश्व - तुम लोग बाइक से... पीछे से... राणी पत्थर हो कर... उतम गड़ हाईवे पर हम से पहले पहुँच जाओगे... आगे जाने के बाद... पाँच किलोमीटर दूर सोनपुर हाईवे जाने के लिए... बीन्का बाईपास में उतरोगे... वहाँ... एक झाड़ी में छुपाये एक और आर्मोर्ड वीइकल... बिल्कुल ऐसी ही होगी... तुम... उदय और मेरे चारों दोस्त... वह गाड़ी ले लेना... और वहीं बाइकें उसी झाड़ी में छोड़ देना... हम किसी भी हाल में... उनसे दस मिनट का लूप लेकर... वहाँ पहुँच जायेंगे... हम जैसे ही पहुँचेंगे... तुम लोग आर्मोर्ड वीइकल लेकर चले जाना...
उदय - ओ... उसके बाद वे लोग... हमारे पीछे जाएंगे...
विश्व - हाँ... उस गाड़ी में सब बंदोबस्त होगी... बाकी उदय बाबु... मेरा दोस्त सीलु अच्छा ड्राइवर हैं...
विक्रम - ठीक है...
बल्लभ - विश्व... हम कहाँ जा रहे हैं... क्यों जा रहे हैं... मैं समझ गया... पर एक बात पूछूं...
विश्व - हूँ...
बल्लभ - तुमको इस तरह की लॉजिस्टिक सपोर्ट कौन दे रहा है...
विश्व - (मुस्कराते हुए) मेरे गुरु...
सुभाष - विश्व - तुमने हथियार कहा.. हम ले आए हैं... और लगता भी है... शायद जरूरत पड़ेगी... पर हम इमर्जेंसी कैसे क्रिएट करेंगे... जिससे जज... इनकी गवाही लेने के लिए तैयार हो जाएंगे...
विश्व - यह जो वीइकल है... इसमें मैंने... जोडार साहब से कह कर एक... सिस्टम लगवाया है... (विक्रम और सुभाष से मोबाइल मंगाता है) आप दोनों प्लीज... अपना अपना मोबाइल देंगे...

विश्व उनसे मोबाइल लेकर अपने मोबाइल से एक ऐप भेजता है और उनके मोबाइल में इंस्टाल कर देता है l फिर उनके मोबाइल उन्हें लौटा देता है l

विश्व - गाड़ी में... डैश बोर्ड पर इमर्जेंसी स्विच मार्क किया गया हुआ है.. जैसे ही हम उसे दबायेंगे... एक ड्रोन... जो गाड़ी की छत पर फिक्स है... वह गाड़ी के तीस फुट की ऊँचाई से गाड़ी की नेवीगेशन को फॉलो करते हुए उड़ेगी... तकरीबन दो घंटे तक... उस ड्रोन को कैमरा से... हर और से हो रही हमला रिकार्ड होगा... (सुभाष से) और आप उस लाइव रिकार्ड को... सुप्रिया से साझा करते रहेंगे... पूरा स्टेट... हम पर हो रहे हमले को लाइव देखेगी... यह बात अपने आप में इमर्जेंसी बनाएगी... जजों को गवाही लेने के लिए मजबूर करेगी... (विक्रम को देखते हुए) गाड़ी बदलने के बाद... तुम्हें भी ड्रोन उड़ाना है... और वीडियो कॉल से... सतपती से साझा करना है...
विक्रम - ह्म्म्म्म... मैं सब समझ गया... तो निकलना कब है...
विश्व - जैसे ही मुझे मेरे दोस्त कॉन्टेक्ट करेंगे...

इतने में दास से इशारा पाकर जगन सबके लिए बुलेट प्रूफ जैकेट ले आता है l पहले विश्व और उसके टीम पहन लेते हैं l विक्रम और उदय भी पहन लेते हैं l उन्हें अब इंतजार था तो विश्व के किसी दोस्त के फोन की l कुछ देर बाद सीलु का फोन आता है l विश्व सब सुनने के बाद विक्रम उदय और जगन को छूपने के लिए कहता है और वह दास और सुभाष के साथ तीनों गवाहों को लेकर गाड़ी में घुस जाते हैं l दास ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है और गाड़ी उस जगह से निकाल कर सड़क पर ले आता है l थोड़ी ही दुर जाने के बाद एक मोड़ पर कुछ गाड़ियां इनकी गाड़ी को घेरने की कोशिश करते हैं पर चूँकि यह एक आर्मोर्ड वीइकल थी l सामने आने वाली सभी गाड़ियों को धक्का मारते हुए निकल जाती है l

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"ब्रेकिंग न्यूज
दर्शकों आज यशपुर में एक पुलिस की वैन जो सोनपुर जा रही थी, तभी उस वैन पर बहुत सी गाड़ियों से कुछ अज्ञात लोगों ने धाबा बोल दिया है l आप अपनी टीवी स्क्रीन पर एक्सक्लूसिव तस्वीरें देख सकते हैं l जिस तरह से पुलिस की वैन पर तकरीबन पंद्रह सोला गाडियों से हमला किया गया स्थानीय लोग इसे पुलिस पर गुंडों का आक्रमण कह रहे हैं l हमारे सम्वाददाता को जैसे ही खबर मिली वह ड्रोन कैमरा की सहायता से हो रही झड़प को रिकार्ड कर रहे हैं और हमसे संपर्क करते हुए विजुअल्स उपलब्ध करा रहे हैं l"

हर एक टीवी के स्क्रीन पर लाइव न्यूज में एरियल व्यू से दिख रहा था l एक वैन आगे आगे सड़क पर दौड़ रही थी और उसके पीछे कई गाड़ियों से पीछा किया जा रहा था l पूरे राज्य में लोग इसी न्यूज को देख रहे थे l राजगड़ की महल में भीमा भैरव सिंह को खबर करता है तो भैरव सिंह टीवी ऑन कर देता है l वह टीवी पर यह सब दृश्य देख कर और न्यूज चैनल में चल रहे स्कोलिंग देख कर समझ जाता है कि गाड़ी में विश्व और गवाह हैं और उनका पीछा रंगा और रॉय की टीम कर रहा था l भैरव सिंह भीमा कॉर्डलेस है लाने को इशारा करता है l भीमा जैसे ही फोन लाता है उसे रॉय का नंबर डायल करने के लिए कहता है l भीमा भी बिना देर किए रॉय का नंबर लगा कर कॉल करता है l उधर रॉय फोन उठाता है l

रॉय - हैलो..
भीमा - एक मिनट लाइन में रहिए... राजा साहब बात करेंगे... (कह कर भैरव सिंह के हाथ में कॉर्डलेस दे देता है)
भैरव सिंह - क्या चल रहा है...
रॉय - राजा साहब... वह जिस गाड़ी में भाग रहे हैं... विश्वा और उन तीन गवाहों के साथ... दो लोग और भी हैं... पता नहीं चल पा रहा है...
भैरव सिंह - जो तुम और तुम्हारी टीम कर रही है... उसे पूरा स्टेट देख रहा है...
रॉय - क्या... जी मैं कुछ समझा नहीं...
भैरव सिंह - तुम उसकी चिंता मत करो... जो भी हो रहा है... ठीक हो रहा है... हमें यह सब डंके की चोट पर करना था... वही हो रहा है...
रॉय - जी... जी राजा साहब...
भैरव सिंह - अब लौटना... तो विश्व और उन हराम खोरों के कटे हुए सिरों के साथ ही लौटना...


कह कर भैरव सिंह अपना कॉल काट देता है और अपनी नजरें टीवी स्क्रीन पर गाड़ देता है l इधर फोन अपनी जेब में रख कर वॉकि टॉकी पर सबको हुकुम देता

रॉय - सब ध्यान से सुनो... तुम में से जो भी कोई इन्हें पकड़ लेगा... मैं उसे उसकी वजन बराबर नोट से तोल दूँगा... जाओ... टक्कर मारो... गाड़ी पलटाओ कुछ भी करो... इन हराम खोरों को पकड़ो...

रॉय की यह बात उसके सारे बंदे सीरियसली ले लेते हैं l पंद्रह गाड़ियों में सवार लोगों में विश्व और बाकी लोगों को पकड़ने के लिए होड़ में लग जाते हैं l जिसके वज़ह से उनके बीच तालमेल बिगड़ जाता है l कोई कोई गाड़ी टक्कर भी मार रहे थे l इधर गाड़ी के भीतर टक्कर के वज़ह से सब थोड़ी देर के लिए अस्तव्यस्त हो जाते हैं l

सुभाष - हमें लगता है... हथियारों का इस्तेमाल करना पड़ेगा...
विश्व - नहीं... उन्होंने अब तक... हथियार इस्तेमाल नहीं किया है... यह ठीक नहीं रहेगा... (फिर गाड़ी पर टक्कर लगता है, जिससे सबको झटका लगता है)
सुभाष - यह लोग पागल हो गए हैं... दास... यार... यह पुलिस वैन है... तेज चलाओ...
दास - मैं अपनी कैपासिटी से भी तेज चला रहा हूँ...

तभी विश्व का फोन बजता है, विश्व फोन निकाल कर देखता है, स्क्रीन पर डैनी डिस्प्ले हो रहा था, विश्व फोन उठाता है l

डैनी - लगे रहो हीरो... पूरा स्टेट तुम लोगों को लाइव देख रहा है...
विश्व - हमें...
डैनी - आई मीन... तुम्हारी गाड़ी को...
विश्व - हाँ आखिर यह आइडिया... आपका जो था...
डैनी - तुम लोग उन्हें छका क्यूँ नहीं रहे हो... ऐसी स्पीड रही तो... तुम लोग सोनपुर नहीं पहुँच पाओगे...
विश्व - क्या करें... वह लोग हम पर गोली भी तो नहीं चला रहे हैं... अगर एक बार... हमारी तरफ़ से फायरिंग हो गई... तो दूसरी तरफ से... बम गोले बरस पड़ेंगे...
डैनी - गाड़ी में... दो फर्स्ट ऐड बॉक्स होंगे देखो...
विश्व - हाँ देखा...
डैनी - वह दूसरी बड़ी वालीं निकालो...

विश्व इशारा करता है तो सुभाष बड़ी वाली फर्स्ट ऐड बॉक्स निकालता है, उसे खोलने पर बॉक्स उपरी ढक्कन पर एलसीडी स्क्रीन थी एक रिमोट ट्रिगर था और कुछ घड़ी आकार के गैजेट्स l

विश्व - यह... यह सब क्या है...
डैनी - देखो... गाड़ी के बीचों-बीच एक शटर नुमा दरवाजा होगा... नीचे से उतरने के लिए... (विश्व देखता है)
विश्व - हाँ है...
डैनी - तो अब ध्यान से सुनो... तुमने मुझसे जब लॉजिस्टिक्स मांगा था... तब मुझे एहसास हो गया था... ऐसा ही कुछ होगा... यह गैजेट्स... ईएमपी ट्रेंकुलाईजर है... किसी भी गाड़ी की... इलेक्ट्रॉनिक या इलेक्ट्रिक सर्किट को पूरी तरह से जाम कर सकता है... अब उन सबको रोकने के लिए... इन ट्रेंकुलाईजर्स का इस्तेमाल करो...
विश्व - समझ गया...

विश्व फोन काट देता है l गाड़ी के फर्श पर वह शटर को किनारे करता है l फिर उस बॉक्स को ऑन करता है l उपरी कवर का एलसीडी ऑन हो जाती है l रिमोट को भी ऑन करता है और फिर एक ईएमपी ट्रेंकुलाईजर ऑन करता है और गाड़ी की फर्श से उसे नीचे सड़क पर गिरा देता है l तभी एलसीडी स्क्रीन पर एक लाल रंग का डॉट दिखने लगता है l विश्व ट्रिगर रिमोट की स्विच ऑन कर देता है l एलसीडी स्क्रीन पर एक स्पाइक जम्प लेता है l सभी पीछे देखते हैं एक गाड़ी में इमर्जेंसी ब्रेक लग जाते हैं l गाड़ी की तेजी के वज़ह से गाड़ी झटके के साथ बीस पच्चीस फुट ऊंचाई पर गुलाटी मारते हुए सड़क पर गिरती है l यह देख कर रॉय और उसकी टीम हैरान हो जाते हैं l

रॉय - गाड़ी तेजी से चलाओ... और सड़क पर नजर भी रखो... गाड़ियों को जीगजाग चलाओ... अंदर से कोई... ईएमपी ट्रेंकुलाईजर इस्तेमाल कर रहा है...
रंगा - अगर उन्होंने सारे गाडियों पर इस्तेमाल कर दिया... तब...
रॉय - अगर एक और गाड़ी की पलटी होती है... तो उन्हें रोकने के लिए गोली... गोला जो भी दाग दो...

अब सारी गाड़ियां पीछा तो कर रही थीं पर जीगजाग तरीके से l यह देख कर सुभाष कहता है "अब मुझे इस्तेमाल करने दो" इतना कह कर विश्व के हाथों से अपना वह रिमोट और ट्रेंकुलाईजर ले जाता है और वह नीचे सड़क पर फेंक देता है l रिमोट पर स्विच ऑन करता है पर कोई फायदा नहीं होता है l वह ईएमपी ट्रेंकुलाईजर बेकार जाता है l सुभाष और एक ट्रेंकुलाईजर डालता है थोड़ा गाड़ियों के मूवमेंट देखने के बाद रिमोट दबाता है इसबार सबसे पीछे वाली गाड़ी मुड़ कर पलट जाती है l यह देख कर रंगा रॉय की हाथ से वॉकि टॉकी लेकर सारे अपने आदमियों से कहता है l

रंगा - हम यहाँ चोर पुलिस नहीं खेल रहे हैं... उस गाड़ी में एक हारामी है.... उसे ही नहीं... उसके साथ जो भी गाड़ी में उन सबको मारना है... चलाओ गोली...

अब हर एक गाड़ी में से एक एक स्नाइपर अपनी अपनी गन लेकर अपनी अपनी गाड़ी में पोजीशन बनाते हैं और फायर करने लगते हैं l चूँकि आर्मोर्ड गाड़ी बुलेट प्रूफ था इस लिए गाड़ी को कुछ नहीं होता l पर गाड़ी पर गोलियों की बरसात होते ही सुबुद्धी चिल्लाने लगता है l उसे डांट कर सुभाष चुप कराता है l

सुभाष - दास... और कितना दूर है... बिन्का बाई पास...
दास - नेवीगेशन के हिसाब से... दस किलोमीटर और...
श्रीधर - हम क्यूँ नहीं... गोली चलाते उनपर...
विश्व - हम...
श्रीधर - ठीक है... तुम... तुम क्यूँ नहीं गोली चला रहे...
विश्व - हमारी मर्जी...

सुभाष जितनी भी ट्रेंकुलाईजर थे सभी को ऑन करता है l एलसीडी में सीरियल नंबर डालता है और सबको बारी बारी से नीचे सड़क पर डाल देता है l विश्व रिमोट लेकर लगातार ट्रिगर दबाता चला जाता है l इसके वज़ह से आगे पीछे हो कर पाँच छह गाड़ियां पलट जाते हैं l जिसके कारण कुछ गाड़ियां आपस में टकरा जाती हैं l जिसके वज़ह से सारी गाड़ियां रुक जाती हैं l रॉय और रंगा दोनों उतरते हैं

रंगा - जिस जिसकी गाड़ी की माँ बहन हो गई है... वह यहाँ रह कर अपनी माँ चुदाए... बाकी गाडियों को सम्भल कर... जैम से निकालो... वे लोग ज्यादा दूर नहीं गए होंगे... अब उनको नहीं पकड़ेंगे... उन सबको गोली मार देंगे...
रॉय - अब की बार गाड़ी नहीं... टायरों पर निशाना लगाओ... गाड़ी की दूरी कम हो... तो ग्रेनेड फेंक मारो... मगर मार डालो... हम यशपुर से बहुत दूर आ चुके हैं... वह लोग बीन्का बाईपास से सोनपुर जा रहे होंगे... जल्दी पहुँचो...

बाकी जितनी गाड़ियां थीं सब धीरे धीरे से उस जैम से निकल कर बिन्का बाईपास की ओर जाने लगते हैं l और उस तरफ बाईपास ओवर ब्रिज के नीचे पहले से ही विक्रम उदय और सीलु, मिलु टीलु और जिलु विश्व और गाड़ी की इंतजार कर रहे थे l कुछ ही देर बाद विश्व और उनकी गाड़ी इनके सामने थी l जैसे ही विश्व गाड़ी से उतरता है सीलु झाड़ियों में छुपी हुई दूसरी आर्मोर्ड वैन निकाल लेता है l उदय और विश्व के चारों दोस्त उस गाड़ी में बैठ जाते हैं l विश्व उस गाड़ी का मुआयना करता है l देखता है इस गाड़ी में भी दो दो फर्स्ट ऐड बॉक्स थीं l विश्व समझ जाता है इस गाड़ी में भी डैनी ने वही व्यवस्था करी हुई है, विश्व विक्रम को ट्रेंकुलाईजर्स के बारे में जानकारी दे देता है और सारे हथियार जो इनके गाड़ी में थे वह सब विक्रम वाली गाड़ी में रखवा देता है l विक्रम सब समझ जाता है और फिर वह जल्दी से जाकर गाड़ी में बैठ जाता है l पर कुछ सोच कर विश्व आवाज देता है

विश्व - विक्रम... (विक्रम गाड़ी से उतरता है)
विक्रम - हाँ...
विश्व - (आता है विक्रम के गले लग जाता है और कहता है) हमने अब तक कोई गोलियां नहीं चलाई है... पर तुम लोग गोली का जवाब गोली से देना.. और विक्रम... तुम और तुम्हारे साथ.. (कुछ कह नहीं पाता, एक पॉज लेने के बाद) जिंदा लौटना... प्लीज...

विश्व की इस भावुक बात सुन कर सभी दोस्त उतर कर विश्व के गले लग जाते हैं l

सुभाष - ओ भई... अगर मिशन सक्सेस हुआ... तो भरत मिलाप और भी होंगे... अभी हमने सिर्फ उन्हें छकाया है...
विश्व - जाओ...

सभी गाड़ी चढ़ जाते हैं l सीलु गाड़ी स्टार्ट कर गाड़ी को बिन्का हाईवे पर दौड़ा देता है l वहीँ सुभाष, दास विश्व और तीनों गवाहों को लेकर झाड़ियों में से हो कर सड़क के नीचे उतर जाते हैं l वहीँ पर तीन बाइक्स रखे हुए थे l पर जल्द बाजी में पुरानी वैन को छुपाना भूल जाते हैं l इधर ब्रिज के नीचे छह सात गाड़ी आकर रुकती हैं l रॉय और रंगा का चेहरा उतर जाता है, क्यूँकी जो वैन उन्हें दिखा वह खाली था l वह लोग इधर उधर झाँकने लगते हैं कि उन्हें बिलकुल इसी तरह एक और वैन को बिन्का हाईवे पर जाते हुए दिखता है l

रॉय - ओ... हमें बेवक़ूफ़ बनाने के लिए... यहाँ गाड़ी छोड़ दिए... वह देखो... और एक वैन... बिल्कुल सेम टू सेम... चलो...

सभी जो गाड़ियों से उतरे थे, जल्दी जल्दी गाड़ी चढ़ कर बिन्का हाईवे पर उस आर्मोर्ड वीइकल का पीछा करने लगते हैं l उनके जाते ही तीनों बाइकें सड़क पर आ जाती हैं l सारी गाड़ियां जब इनके आँखों से ओझल हो जाते हैं तो सुभाष सुप्रिया को फोन करता है l

सुभाष - तुम मेरी बात को ऑडियो लाइव कराना... और उसी ऐरियल रिकार्डिंग को बार बार रिपीट कराते रहना...
सुप्रिया - ठीक है...
विक्रम - और वहाँ पर क्या चल रहा है...
सुप्रिया - सब कुछ प्लान के हिसाब से चल रहा है... पत्री सर... सुधांशु मिश्रा भी आ गए हैं...
विक्रम - ओके...
सुप्रिया - ऑल द बेस्ट...
विश्व - एक गलती तो हुई... पर वह लोग पकड़ नहीं पाए...
विक्रम - हाँ... हम इस वैन को छुपा नहीं पाए... पर किस्मत हमारे साथ है...

इस बार उत्तम गड़ के रास्ते विश्व और उसके बाइकर्स जाने लगते हैं l उधर गुस्से से तमतमाये रंगा और रॉय और उनके साथी गाड़ी के पास आते आते गोलियाँ बरसाने लगे l गाड़ी में एक राइफ़ल उदय और एक स्नाइपर गन विक्रम लिए तैयार थे l जैसे ही गाड़ी पर गोलियां लगने लगी जवाब में विक्रम और उदय काउंटर फायर करने लगे l इनकी काउंटर फायर से दो तीन आदमी उनकी चलती गाड़ी से गिर गए l काउंटर फायर होते ही जिस तेजी के साथ यह लोग गाड़ी का पीछा कर रहे थे गाड़ी थोड़ी धीमा कर कुछ दूरी बरकरार रखते हुए पीछा करने लगे l

रंगा - इनके पास गन है...
रॉय - हम ही बेवक़ूफ़ निकले... यह पुलिस की आर्मोर्ड वीइकल है... हमें पहले से ही समझ जाना चाहिए था..
एक आदमी - अगर... इनके पास गन था... तो पहले हम पर काउंटर फायर क्यूँ नहीं किया...
रॉय - अब समझा... उन्होंने दूसरी गाड़ी क्यों ली... मतलब पहली वाली गाड़ी में... हथियार नहीं थे... इसलिए इन लोगों ने... दूसरी गाड़ी का इंतजाम करवाया....
रंगा - हाँ... वह भी हथियारों के साथ...
रॉय - एक मिनट एक मिनट... (गाड़ी रुक जाती है, उसके गाड़ी रुकते ही सारी गाड़ियां वहीं रुक जाती हैं ) कहीं ऐसा तो नहीं... हम बेवक़ूफ़ बन रहे हैं... सोनपुर जाने के लिए... यह जंक्शन... एक बिन्का... और दूसरा... उत्तम गड़... ए.. ऐ... हमारे साथ खेल हो गया... विश्व और वह गवाह... उत्तम गड़ के रास्ते गए हैं... चलो चलो... गाड़ी घुमाओ...

रॉय के इतना कहते ही सभी अपनी अपनी गाड़ी घुमाने लगते हैं l आगे आगे जा रहे विक्रम और उदय यह सब देख लेते हैं l

विक्रम - गाड़ी रोको सीलु... गाड़ी रोको...
उदय - लगता है उन्हें शक हो गया है... वह लौट रहे हैं...
सीलु - क्या...
मिलु - हाँ... उन्हें शक हो गया है... जल्दी हमें उनके पीछे जाना पड़ेगा...
टीलु - हाँ... विश्वा भाई लोगों के पास हथियार भी नहीं है... जल्दी...

सीलु भी बिना देरी किए गाड़ी घुमाता है और एक्सीलेटर पर पैर दबा देता है l गाड़ी अब बिन्का रोड छोड़ कर रंगा और रॉय के पीछे जाने लगता है l बहुत दूर से ही सही मगर रंगा को अपने पीछे आती हुई आर्मोर्ड वीइकल दिख जाती है l

रंगा - रॉय बाबु... अपने सही पकड़ा... उस आर्मोर्ड गाड़ी में... विश्वा है ही नहीं... अब जो भी कोई है... वह हमारे पीछे आ रहा है..
रॉय - सबको बोलो... रेंज में आते ही... गोलीयों से भुन डाले..
रंगा - ऐ सुनो रे... हमारे चाहने वाले... हमारे पीछे आ रहे हैं... अपनी रेंज में इन्हें लो... और सब हरामीयों का तन्दूरी फ्राई कर दो...

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"जैसा कि हमें हमारी रिपोर्टर जो कि फिल्ड से अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहे हैं कि जो पुलिस की गाड़ी थी उसमें एसटीएफ हेड डीसीपी सुभाष सतपती वीटनेस प्रोटेक्शन की कार्य को हाथ में लेकर अपने साथ कुछ गवाहों को बचा कर राजगड़ सीमा के बाहर जा चुके हैं l फिर भी उनके पीछे न्याय के दुश्मन बंदूक और बमों के साथ पीछे लगे हुए हैं l हम कोशिश कर रहे हैं एसटीएफ हेड श्री सुभाष सतपती जी से संपर्क करने की l

हाँ हाँ.. हाँ तो दर्शकों हमारे टेक्निशियन श्री सुभाष सतपती जी से संपर्क करने में सफल हो गए हैं l अभी कुछ ही देर में हम श्री सतपती जी को लाइव सुन पायेंगे, हाँ तो डीसीपी सुभाष जी क्या आप मुझे सुन पा रहे हैं..
सुभाष - जी... जी..
सुप्रिया - डीसीपी सुभाष जी... ड्रोन कैमरा से... हम जो भी अब तक देखे हैं... वह बहुत ही भयाभय है... इस वक़्त आप कैसे हैं...
सुभाष - हम सुरक्षित हैं... क्यूँकी हम एक आर्मोर्ड वीइकल में हैं... इसलिए इस पर गोलियों का फिलहाल कोई असर नहीं हुआ है..
सुप्रिया - हमारे सम्वाददाता कह रहे थे... यह एक वीटनेस प्रोग्राम है...
सुभाष - जी... जैसा कि आप जानती होंगी... गृह मंत्रालय ने... रुप फाउंडेशन केस में जो नया एसटीएफ बनाया था... उसमें मुझे प्रमुख बनाया गया था.. अपनी तहकीकात के दौरान... मैंने कुछ नए और छुपे हुए गवाहों को ढूंढ निकाला... मैंने उनकी डिक्लेरेशन बस किया था... और वीटनेस प्रोटेक्शन के तहत... सुरक्षा प्रदान करना चाहता था... पर रुप फाउंडेशन के शत्रुओं को खबर लग गई... इसलिए वे लोग हमारे ऊपर हमला कर मिटना चाह रहे हैं...
सुप्रिया - एक आखिरी प्रश्न... क्या आप गवाहों को... सुरक्षित कर... केस की समाधान करा पायेंगे...
सुभाष - आशा यही है... और प्रयत्न भी... बाकी जो भगवान की इच्छा...
सुप्रिया - लगता है... हमारा संपर्क कट गया है... फिर भी हमारे पास जो फुटेज उपलब्ध है... उसे देख कर... "

सारा राज्य टीवी पर प्रसारित हो रही न्यूज में पहली वाली रिकार्डिंग बार बार चल रहा था, उसे देख रहा था l उधर सीलु जितना करीब होता जा रहा था रंगा और रॉय के आदमी गोलियाँ बरसाने लगते हैं l ज़वाब में उदय और विक्रम काउंटर फायर करने लगते हैं l सामने से इतनी ज्यादा गोली बरस रही थी के आर्मोर्ड गाड़ी के विंड शील पर क्रैक्स आने लगते हैं l विंड शील बेशक बुलेट प्रूफ थी पर गोलियों के निशानों के क्रैक्स बढ़ते ही जा रहे थे l सामने से ग्रेनेड भी फेंका जा रहा था पर रेंज से बाहर होने के कारण कोई नुकसान नहीं हुआ था l

उदय - उनकी अटेकिंग पोजीशन बढ़िया है... हमारा काउंटर... फ्रंट साइड... असरदार नहीं हो रहा है...
विक्रांत - हाँ... मैं भी महसूस कर रहा हूँ...
मील - अगर यह लोग इसी तरह से गए... तो एक आध घंटे में... विश्व भाई तक तो पहुँच भी जाएंगे...
सीलु - और यहाँ... विंडशील पर इतने क्रैक्स आ गए हैं कि... विजिबिलिटी कम हो रहा है...
टीलु - हम अगर आगे होते... (ट्रेंकुलाईजर्स को दिखा कर) इन सबका सही इस्तेमाल भी कर सकते थे...
विक्रम - (कुछ सोच कर) उदय बाबु... अपनी गूगल मैप के जरिए... कोई शॉर्ट कट ढूंढो... हमें हर हाल में इनके आगे रहना है...
सीलु - वैसे मैं एक शॉर्ट कट जानता हूँ... पर आप लोगों को कंफर्ट ना लगे...
विक्रम - भाड़ में जाए कंफर्ट... हमें विश्व और रंगा एंड रॉय कम्पनी के बीच में आना है...
उदय - पर अगर हमने रास्ता बदला तो... उन्हें शक नहीं हो जाएगा...
विक्रम - एक काम करो सीलु... इस बार ग्रेनेड के रेंज में चलो...
सील - समझ गया...

सीलु गाड़ी की स्पीड बढ़ा देता है l एक गाड़ी के पास आ जाता है l इस बीच विक्रम और उदय सीलु की गाड़ी को कवर फायर देने लगते हैं l जिसके कारण सबसे आखिर में जा रही गाड़ी के पास पहुँच जाते हैं l उस गाड़ी में से एक आदमी ग्रेनेड फ़ेंक मारता है l सीलु सावधान था, गाड़ी की स्टीयरिंग को ऐन मौके पर मोड़ देता है l जिसके वज़ह से ग्रेनेड गाड़ी से टकराने के बजाय दूसरी दिशा में सड़क पर फूटता है l जिसके शॉक वेव से गाड़ी हिल जाती है और उसी समय सीलु गाड़ी में ब्रेक लगा देता है l रंगा और रॉय को लगता है गाड़ी में कुछ डैमेज हुआ है जिसके वज़ह से गाड़ी रुक गई है l सबसे आखिरी वाले गाड़ी में जितने बंदे थे वह सब जश्न मनाने लगते हैं l उनकी गाड़ी आगे बढ़ चुकी थी l पीछे आर्मोर्ड गाड़ी रुक गई थी l कुछ देर बाद सीलु गाड़ी घुमाता है और हाईवे के नीचे पगडंडी वाली रस्ते पर उतार देता है l गाड़ी जितनी तेजी से आगे बढ़ रही थी गाड़ी उतनी ही ज्यादा झटके खा रही थी l पर सीलु पर इस बात का कोई असर नहीं पड़ रहा था l सीलु गाड़ी भगाए जा रहा था l कुछ देर बाद हाईवे से दूर कच्ची पक्की सड़क पर पेड़ और जंगल के ओट में गाड़ी सरपट भाग रही थी l

विक्रम - तुम्हें इन सब रास्तों के बारे में कैसे पता...
सीलु - मैं दो साल यहाँ हर चप्पे-चप्पे को छान मारा हुआ है... हम उनसे पहले पहुँच जायेंगे...
विक्रम - तो हम कहाँ पहुँचेंगे...
सीलु - कुछ दूरी पर... महानदी ब्रिज आएगी... वह ब्रिज एक किलोमीटर लंबा है... उनसे पहले हम ब्रिज तक पहुँच जाएंगे...

विक्रम और कोई सवाल नहीं करता है l सीलु उन संकरी रास्तों पर गाड़ी को किसी गोली की तेजी से दौड़ा रहा था l कुछ ही मिंटो में ब्रिज तक पहुँच जाते हैं l जैसे ही गाड़ी ब्रिज पर दौड़ने लगती है विक्रम टीलु को ट्रेंकुलाईजर्स को इस्तमाल करने के लिए कहता है l टीलु गाड़ी की फर्श की शटर को सरका कर सारे ट्रेंकुलाईजर्स को ऐक्टिव कर सड़क पर डालने लगता है l इस दौरान गाड़ी ब्रिज के अंतिम छोर पर पहुँच जाती है l सीलु गाड़ी को घुमा कर आढा कर गाड़ी को ब्रिज पर खड़ा कर देता है l टीलु वह ट्रेंकुलाईजर्स का एलसीडी और रिमोट लेकर उतर जाता है l गाड़ी के दोनों सिरे पर विक्रम और उदय पोजीशन ले लेते हैं l कुछ ही देर बाद रंगा और रॉय की टीम को आते हुए देखते हैं l उधर रंगा और रॉय के टीम की सभी गाड़ियां ब्रिज के दूसरे सिरे पर रुक जाती हैं l रंगा अपनी आँखे मलता है l

रॉय - लगता है... कोई शॉर्ट कट लेकर आए हैं...
रंगा - हाँ... अब क्या करें...
रॉय - (अपने साथियों की तरफ़ मुड़ता है) देखो... हमें आज... इन सबकी लाशों को... या तो लेकर जाना है... या फिर इन सबकी लाशों पर गुजर कर जाना है... दोनों ही सूरत में... पैसा है पैसा मिलेगा... बे हिसाब.. पैसा मिलेगा... तुम लोगों के लिए यह नया नहीं है... ऐसी हालात से... तुम लोग बहुत बार गुजरे हो... यह लास्ट टाइम है... सोच लो...

सभी लोग अपनी अपनी गाड़ी लेकर आगे बढ़ने लगते हैं l टीलु तैयार था जैसे उसके एलसीडी में ट्रैक पर पॉइंट क्रॉस ओवर हुआ, टीलु रिमोट दबाता गया l चार पाँच गाड़ियां ब्रिज के ऊपर ही पलटने लगी l यह देख कर रंगा और रॉय हैरान होते हैं l जैसे ही पलटी हुई गाड़ी से लोग निकलने लगे उन्हें उदय और विक्रम उन्हें अपने निशाने पर लेकर ठोकने लगते हैं l यह देख कर रंगा चिल्लाता है

रंगा - सब अपनी अपनी गाड़ी के पास पोजीशन ले लो...

सभी गाडियों के ओट लेकर खुद को बचाने लगते हैं l रंगा काउंटर फायर करने लगता है l जिसके वज़ह से विक्रम और उदय की फायरिंग थोड़ी देर के लिए बंद हो जाती है l जिसके आड़ में रंगा और रॉय अपने लोगों को इकट्ठा कर सबसे पहले वाली गाड़ी तक पहुँच जाते हैं l अब उनके बीच तीस या चालीस मीटर की ही दूरी थी l एक दूसरे को एक दूसरे की पोजीशन के बारे में जानकारी भी थी l

विक्रम - (विश्व की दोस्तों से) एक काम करो... मैं और उदय... कवर फायर देते हैं... तुम लोग.. ब्रिज से उतर जाओ...
जिलु - नहीं विक्रम बाबु... हम आपको अकेले कैसे छोड़ दें..
विक्रम - समझा करो... यहाँ गन सिर्फ दो हैं... और हम छह... तुम लोगों को अगर कुछ हो गया... तो तुम लोगों के चक्कर में.. हम लोग भी फंस जाएंगे...
सीलु - तो एक काम कीजिए... यह गन आप मुझे दे दीजिए... और आप यहाँ से नीचे उतर जाइए...
विक्रम - शॉट अप... यहाँ तुम लोग मेरी जिम्मेदारी हो... ना कि मैं... अगर मेरी जिम्मेदारी हल्का करोगे... तो मैं... भी तुम लोगों के साथ... यहाँ से निकल सकता हूँ...
मीलु - नहीं...
उदय - देखो... यहाँ सेंटी होने से कुछ नहीं होगा... उस तरफ़ हर कोई... बंदूक से लैस है... और यहाँ हमारे पास सिर्फ दो...
विक्रम - देखो... तुम लोग जाओ... और हमें पाँच मिनट टाइम दो... फिर मिलकर... हम सब वापस जाएंगे...
सीलु - मगर...
विक्रम - देखो.. वह लोग भी कुछ प्लान बना रहे होंगे... और हम... हम सिर्फ वक़्त बर्बाद कर रहे हैं... इसलिए जाओ जल्दी से उतरो...

विक्रम फायर करता है, उसकी देखा देखी उदय भी फायर करता है l इसी एनगेजमेंट के दौरान ब्रिज से सीलु और उसके साथी उतर कर सड़क के किनारे आ जाते हैं l चारों एक दूसरे को देखते हैं और नीचे उतर कर ब्रिज के नीचे से दूसरे छोर की ओर भागने लगते हैं l नदी सुखी हुई थी l किन्हीं किन्ही जगहों पर पानी का बहाव था l जिसे अनदेखा कर चारों दोस्त ब्रिज के दूसरे छोर की जाने लगते हैं l ब्रिज के उपर फायरिंग चल रही थी l तभी किसीने एक ग्रेनेड फेंका था जो आर्मोर्ड वीइकल के पास फटता है l जिसके शॉक वेव के चलते दोनों उदय और विक्रम गाड़ी से झटका खाते हैं l यही मौका समझ कर दो तीन आदमी विक्रम का गाड़ी की ओर भागते हुए आते हैं तभी उन्हें उदय शूट कर देता है l विक्रम और सजग हो जाता है l उन्हें गिरता हुआ देख कर रंगा और दो लोगों को फायर करते हुए आगे बढ़ने के @लिए कहता है l वह दोनों वही करते हैं l इस बार विक्रम उदय को निशाना देने के लिए कहता है l उदय अपना निशाना देते हुए जब फायर करने लगता है तो उसकी मैग्ज़ीन खाली हो जाता है l तभी एक गोली आकर उसके जांघ पर लगती है पर तब तक विक्रम उन दोनों को टपका देता है l विक्रम उदय को खिंच कर गाड़ी के पीछे लाता है l विक्रम अपनी एक पोजीशन बना कर जिस गाड़ी के पीछे रंगा और रॉय छुपे हुए थे उसे ऑब्जर्व करता है l फिर छुप कर अपनी स्नाइपर गन से उस गाड़ी की फ्यूल टैंक को निशाना बना कर फायर करता है l निशाना एक दम सही लगा था l गाड़ी में धमाका होता है जिसके चपेट में बहुत से लोग आ जाते हैं और तितर-बितर हो कर सड़क पर बिछ जाते हैं l रंगा और रॉय की हालत भी ऐसी ही थी l धमाके के बाद विक्रम थोड़ा इंतजार करता है l कोई हल चल ना होता देख विक्रम बाहर निकलता है धीरे धीरे आगे बढ़ने लगता है कि तभी एक घायल आदमी विक्रम पर ग्रेनेड फेंकता है l विक्रम पीछे भागते हुए आर्मोर्ड गाड़ी के पीछे छलांग लगा देता है l धमाके से बाल बाल विक्रम बच जाता है पर थोड़ा घायल ज़रूर हो जाता है और उसका बंदूक भी छूट जाता है l जब तक सम्भल कर उठता है तो देखता है रंगा और रॉय तीन चार लोगों के साथ विक्रम के सिर पर खड़े थे l

रंगा - यह मैं क्या देख रहा हूँ... क्षेत्रपाल घर का चराग ही... घर को आग लगा रहा है...
रॉय - साला हम यहाँ विश्व के लिए आए थे... और यहाँ विकी बाबु हमें पोपट बना दिए...(विक्रम संभल कर पीठ टिकाए गाड़ी से टिक पर बैठ जाता है) अब इसका क्या करें...
रंगा - इसे... इसके बाप की जरूरत नहीं... इसकी बाप को... इसकी जरूरत नहीं... हमारी जरूरत के बीच आ गया... तो इसे मार ही देते हैं...
रॉय - हाँ... मार दे यार... मुक्ति दे दे... हमें थोड़ी देर के लिए सुकून मिल जाएगा... विश्वा को नहीं मार पाए... उसके बदले यही सही...

रंगा अपना पिस्टल निकालकर विक्रम पर जैसे ही निशाना लगाया ठीक उसी समय सीलु जिलु मीलु और टीलु पीछे से आकर इन पर छलांग लगा देते हैं l कुछ देर के लिए सही सभी का बैलेंस बिगड़ जाता है l अब उनके बीच हाथापाई शुरू हो जाती है l इतने में विक्रम खुद को सम्भल कर रॉय पर टूट पड़ता है l थोड़ा सा ही हाथ पैर चलाने के बाद रॉय को घुटनों पर लाकर उसकी गर्दन को अपनी बाहों में कस लेता है l यह सब देख कर रंगा धीरे धीरे पोंछे खिसकने लगा था कि एक गोली उसके टांग पर लगती है l रंगा दर्द से बिलबिलाते हुए नीचे गिरता है l विक्रम को छोड़ कर सबका ध्यान वहाँ टिक जाता है, जहाँ से गोली चली थी l किसी का भी ध्यान घायल उदय की तरफ नहीं था l जब सब हाथापाई में गुत्थम गुत्था कर रहे थे तब उदय ने नीचे गिरी पड़ी गन उठा लिया था l अब रंगा नीचे पड़ा था और सभी उदय के निशाने पर थे इसलिए सब शांत हो गए पर विक्रम रॉय का गर्दन दबोच रखा था l यह देख कर सीलु अपने दोस्तों के साथ विक्रम से रॉय को बचाने की कोशिश करते हैं l पर तब तक रॉय का जिस्म ठंडा पड़ चुका था l उदय लंगड़ाते हुए विक्रम के पास आता है और उसे झिंझोडता है l जब रॉय का जिस्म कोई हरकत नहीं करता तब उसके बदन को विक्रम छोड़ता है l

सीलु - विक्की बाबु... यह क्या किया आपने...
विक्रम - यह मेरे इकलौते दोस्त... महांती का बदला था... जो इसने मृत्युंजय के साथ मिलकर मार डाला था... (गुर्राते हुए) अब रंगा...

तब तक रंगा भी सम्भल चुका था उसके हाथ में एक ग्रेनेड था l जब सब उसके तरफ़ देखते हैं तब वह ग्रेनेड से पिन निकाल चुका था l उदय अपना गन तान देता है l

रंगा - खबर दार... कोई आगे मत बढ़ना... मुझे अब... यहाँ से जाने दो... नहीं तो... मेरे साथ तुम लोग भी मरोगे...

सब वहीँ चकित खड़े हो जाते हैं l रंगा अपने लोगों को इशारे से बुलाता है l उदय किसी को भी नहीं रोकता l वह सब रंगा के पीछे खड़े हो जाते हैं l

विक्रम - अब क्या करोगे... तुम कितना दूर जा पाओगे... पीछे जाओगे तो हम तेरे रेंज से बाहर हो जायेंगे... पर तु हमारे रेंज में होगा... हम तुम सबको गोली मार देंगे...
रंगा - हाँ बात तो तुने सही कही... पर कोई बात नहीं... रॉय को क्यूँ मारा... मुझे समझ में आ गया... पर मुझे तु क्यूँ मारना चाहता है...
विक्रम - तुझे एक नहीं कई मौतें मारना चाहता हूँ... तु भूल गया... मेरी शुब्बु को... किडनैप कर छूने की कोशिश की थी... विश्व ने बचाया था... शुब्बु को...
रंगा - पर देर हो गई विक्रम... देर हो गई... विश्वा आज ना सही.. कभी भी मारा जाएगा... पर आज... तुम सब मारे जाओगे...

कह कर ग्रेनेड विक्रम की ओर उछाल देता है l विक्रम उदय सीलु मीलु सब पीछे भागते हुए वैन के ओट में जाकर नीचे कूदी लगाते हैं l ग्रेनेड फट जाता है गाड़ी को झटका लगता है जिससे गाड़ी कुछ फिट सरक जाता है l गाड़ी के पीछे जो ओट बना कर कूदी लगाए थे वह लो गाड़ी के चपेट में आ जाते हैं l विक्रम थोड़ा सावधान था इसलिए उसका स्नाईपर गन उसके हाथ लग जाता है l उधर रंगा और उसके साथी अपने गाड़ियों के पास भाग रहे थे l विक्रम गन उठता है एक एक को निशाने पर लेटे हुए फायर करने लगता है l चार बंदे गिर चुके थे l रंगा और बाकी तीन बंदे एक गाड़ी के ओट में आ जाते हैं l उन्हें वहाँ पर हथियार भी मिल जाते हैं l रंगा उन्हें विक्रम को रोकने के लिए कह कर पीछे जाने लगता है l इसलिए वे हथियार हाथ में लेकर विक्रम पर फायर करने लगते हैं l पर विक्रम निशाना ले चुका था l दो बंदे ढेर हो जाते हैं, और एक घायल हो जाता है l विक्रम जब उस कार तक पहुँचता है तीसरा बंदा ज़ख्मी हालत में छटपटा रहा था l विक्रम अपनी नजरें घुमाता है पर उसे रंगा नहीं दिखता है वह इधर उधर देखता है के तभी एक खंजर पीछे से उसके कंधे पर घुस जाता है l विक्रम पीछे मुड़ कर देखता है रंगा एक भद्दी हँसी हँस रहा था l रंगा खंजर को विक्रम के कंधे से निकलता है फिर विक्रम के कमर पर घुसा देता है l विक्रम चिल्लाता है पर अपना हाथ पीछे लेकर रंगा को पकड़ लेता है और उसे सामने खिंच कर लाता है l

रंगा - साले.. हरामी... कुत्ते... छोड़... छोड़ मुझे...

विक्रम अपनी कमर से खंजर निकाल कर रंगा के सीने में गाड़ देता है l रंगा छटपटाते हुए जमीन पर गिरता है l विक्रम भी धीरे धीरे गिरने लगता है l सीलु और उसके साथी भागते हुए विक्रम के पास पहुँचते हैं l
EKdm jabardast update 🔥 👍🏻
 
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ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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👉एक सौ पैंसठवाँ अपडेट (B) पूर्ण विराम
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भैरव सिंह आँखे फाड़े रुप को देख रहा था l रुप मातम की लिबास में, सफेद साड़ी में सामने उसके खड़ी थी l अपने नाम के अनुसार सौम्य और सुंदर पर तम तमाई हुई दिख रही थी l चेहरे पर दुख के साथ साथ असीम गुस्सा उसके चेहरे को लाल दिख रही थी l पर सबसे खास आज उसके मांग में सिंदूर दिख रहा था l भैरव सिंह उस सिंदूर की धार को देख कर बहुत हैरान था l भैरव सिंह का चेहरा सख्त हो जाता है उसका भी चेहरे के पेशीयाँ थर्राने लगते हैं l जबड़े भिंच जाती हैं l उसका यह रुप देख कर रुप के पीछे खड़ी सेबती डर के कांपने लगती है l

भैरव सिंह - यह क्या बेहूदगी है... बदजात... तेरी मांग पर किसका सिंदूर है...
रुप - (अकड़ और गुस्से के साथ) मेरे पति के नाम की सिंदूर है...
भैरव सिंह - विश्वा... ओ... कमबख्त लड़की... शादी के बाद सिंदूर मांग पर सजाया जाता है...
रुप - मेरी शादी... पूरे रस्म ओ रिवाज के साथ... विश्व प्रताप महापात्र से हो चुकी है...
भैरव सिंह - क्या...
रुप - हाँ राजा साहब... हाँ... और यह शादी उसी दिन हुई थी... जिस दिन आपने मुझे उस केके के साथ व्याहने की सोच रखा था... (भैरव सिंह की आँखे हैरत के मारे फैल जाती है) विक्रम भैया और चाची चाचा ने पुरे रस्म ओ रिवाज के साथ... विश्व प्रताप से मेरा विवाह करवा दिया... और आज पूरा गाँव जिनकी मौत का मातम मना रहा है... उन्हींको चाची ने मुझे सौंपा था... इस बात का गवाह वह पंडित, मेरे सारे दोस्त और पूरी पुलिस फोर्स थी...
भैरव सिंह - हराम जादी... अपनी बेहयाई को बताते हुए... शर्म भी नहीं आ रही है... बड़ी अकड़ के साथ बता रही है...

इतना कह कर भैरव सिंह रुप को मारने के लिए हाथ उठाता है तो रुप ऊँची आवाज़ में भैरव सिंह से कहती है

रुप - भैरव सिंह... (भैरव सिंह का हाथ हवा में रुक जाता है) बस... यह गलती मत करना... वह जो अपनी दीदी की मौत पर शांत है... उसके भीतर धधकते हुए लावा को बाहर आने का मौका मत दो... वह फिर सब्र नहीं कर पाएगा... यह तुम्हारी हस्ती... यह तुम्हारी बस्ती का नाम ओ निशान मिटा कर रख देगा...

भैरव सिंह रूप की गर्दन को पकड़ कर दीवार तक धकेलते हुए ले जाता है l उसके पंजे का जकड़ धीरे धीरे मजबूत होने लगता है l रुप की साँसे भारी होने लगती है l

भैरव सिंह - कमज़र्फ बदज़ात लड़की... तु मुझे... भैरव सिंह क्षेत्रपाल को धमका रही है... बोल कहाँ है वह हराम जादा... बोल...
सेबती - हुकुम... राजकुमारी जी की साँस उखड़ गई तो आपके सवालों के जवाब नहीं मिलेगा...

भैरव सिंह की पकड़ ढीली हो जाती है और वह अपना हाथ रूप की गर्दन से हटा लेता है, तो रुप खांसते हुए नीचे बैठ जाती है l थोड़ी देर बाद जब रूप खांसते खांसते थोड़ी दुरुस्त होती है और हँसते हँसते खड़ी हो जाती है l भैरव सिंह गुस्से से गुर्राते हुए पूछता है

भैरव सिंह - हँस क्यूँ रही है...
रुप - मैं जानती थी... तुम ऐसा ही कुछ करोगे... पर नाकामयाब रहोगे...
भैरव सिंह - नाकामयाब... (फिर से गर्दन पकड़ लेता है) हमारे पंजे की ज़रा सी हरकत पर... तुम्हारी साँसे की लम्हें टिकी हुई हैं...
रुप - फिर भी हमेशा की तरह हार ही तुम्हारी मुक़द्दर है...
भैरव सिंह - (गुर्राते हुए) हम कभी हारे नहीं हैं... (चिल्ला कर) समझी...
रुप - अभी गिनवाती देती हूँ... याद है वह चौराहा.. जहाँ पर तुमने वैदेही दीदी को सात थप्पड़ मारे थे... और बदले में... दीदी ने तुम्हें सात अभिशाप दिए थे... सात अभिशाप... याद है... (भैरव सिंह की पकड़ ढीली हो जाती है) अभी से पकड़ ढीली हो गई... याद करो वह पहला थप्पड़.. तुम्हारे आदमी जो तुम्हारी पहचान के दम पर... लोगों पर जुल्म ढाते रहे हैं... उन्हें गाँव की गलियों में विश्व दौड़ा दौड़ा कर मारेगा कहा था... विश्व ने वही किया था याद है... (भैरव सिंह को वैदेही को मारे पहला थप्पड़ और बदले में वैदेही की श्राप याद आता है) दूसरा थप्पड़.. क्षेत्रपाल खानदान को छोड इस गाँव में कभी किसी ने उत्सव नहीं मनाया था... पर विश्वा आकर मनाएगा... याद है... विश्वा ने सबके साथ मिलकर होली मनाई थी... (भैरव सिंह को दूसरा थप्पड़ और वैदेही की दूसरी श्राप याद आता है) तीसरा थप्पड़... लोग कभी क्षेत्रपाल के खिलाफ थाने पर नहीं गए थे... पर विश्वा के लौटने के बाद... क्षेत्रपाल के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट लिखवायेंगे... वही हुआ ना... (भैरव सिंह को वह तीसरा थप्पड़ और वैदेही की तीसरा श्राप याद आता है) चौथी... जो लोग कभी क्षेत्रपाल महल को पीठ कर नहीं जाते थे... उल्टे पाँव जाते थे... एक दिन ऐसे पीठ करके जाएंगे के फिर कभी महल की तरफ... इज़्ज़त या खौफ से नहीं देखेंगे... (फिर वही नज़ारा भैरव सिंह के आँखों के सामने गुजर जाता है और वह चौथा श्राप उसके कानों में गूंजती है) पाँचवाँ... जिस अहंकार के बल पर... दीदी और विश्वा के परिवार को तीतर बितर कर दिया... एक दिन क्षेत्रपाल परिवार भी वैसे ही तितर बितर हो जाएगा... (भैरव सिंह के कानों में वैदेही की पाँचवाँ अभिशाप गूंजने लगती है) छटा... महल के मातम के सिवा गाँव में किसी के भी घर में मातम नहीं मनाई जाती थी... पर एक वक़्त ऐसा आएगा जब लोग महल की मातम में शामिल नहीं होंगे... पर गाँव में जब भी मातम होगा... उससे महल को दूर रखेंगे... हूँ..हँ दादा जी की मौत पर कोई नहीं आया... पर आज सभी वैदेही दीदी की मातम में इकट्ठे हो गए हैं... (भैरव सिंह को छटा श्राप याद आता है, उसका जबड़ा सख्त हो जाता है) अब बचा सातवाँ... आखिरी... अंतिम अभिशाप... वह भी बहुत जल्द पुरा होगा... लोग इस महल की ईंट से ईंट बजा देंगे... महल का नामों निशान मीट जाएगा... याद है... (भैरव सिंह रुप के बालों को पकड़ कर उठा लेता है और पूछता है)

भैरव सिंह - बस... बदज़ात... तु कैसे मेरी औलाद हों गई... बहुत बोल लिया तूने... चुप... अब बोल... कहाँ है वह... आस्तीन का साँप... वह हराम का जना... विश्वा... कहाँ है बोल..
रुप - विश्वा... विश्वा नहीं अनाम... वह नाम जिससे तुमने उससे मेरी पहचान कारवाई थी....
भैरव सिंह - हाँ हाँ... वहि अनाम... कहाँ है... बोल
रुप - वह... (हँसते हुए) वह यहाँ नहीं आया...
भैरव सिंह - (बालों को कस कर पकड़ कर) तु झूठ बोल रही है... वह अगर महल आया है... तो वज़ह सिर्फ तु ही है... बोल कहाँ है... (रुप के चेहरे पर दर्द साफ नजर आने लगती है)
सेबती - हुकुम... राज कुमारी जी सच कह रही हैं... यहाँ अब तक कोई भी नहीं आया है...
भैरव सिंह - चुप... (चीख कर) चुप कर कुत्तीया... चुप कर... (रूप की ओर देख कर) बाहर उसके दीदी की लाश सड़ रही है... और वह यहाँ आकर... हमें.. हमें किस बात के लिए चैलेंज कर रहा है... अपनी अमानत की बात कह रहा है...
रुप - अगर उसने अमानत की बात की है... तो उसकी अमानत मैं ही हूँ... पर... जाहिर है... तुमसे कुछ ऐसा पुछा होगा... जिसे जान कर.. तुमसे जवाब लेकर ही... वहीं पर गया होगा...
भैरव सिंह - क्या... (अचानक उसकी आँखे हैरत से फैल जाते हैं)

भैरव सिंह रूप को बालों के सहित पकड़ कर खिंचते हुए कमरे से निकल कर जाने लगता है l पीछे पीछे सेबती भी जाने लगती है l तीनों जाकर रणनीतिक प्रकोष्ठ में पहुँचते हैं l कमरे में विश्व के हाथ में फर्ग्यूसन का तलवार था पर भैरव सिंह और भी हैरान हो जाता है जब देखता है कि विश्व के हाथ में वह तलवार मूठ के साथ था l यानी विश्व उसे उसके मूठ से जोड़ दिया था l भैरव सिंह का हाथ अपने आप रुप के बालों से हट जाता है l

विश्व - यही वह मिथक है.. जो तुम्हारे खानदान के साथ जुड़ा हुआ था... वह मिथक बहुत जल्द सच होगा... इस बात का मुहर आज मैं लगा रहा हूँ...
भैरव सिंह - बात और औकात... दायरे में रहे... तो इज़्ज़त और जान महफूज रहता है...
विश्व - मैंने बात कह भी दी... औकात दिखा भी दी... उखाड़ ले... जो तुझे उखाड़ना है...


इतना कह कर विश्व तलवार को सामने पड़ी टेबल पर घोंप देता है l तलवार टेबल पर आधा घुस जाता है l इतने में रुप भाग कर विश्व के गले लग जाती है l विश्व भी रुप को अपने बाहों मे भर लेता है l दोनों विश्व और रुप भैरव सिंह की ओर देखते हैं l रुप को विश्व के बाहों में और दोनों को अपनी ओर देखते हुए देख कर भैरव सिंह गुस्से से चिल्लाता है l

भैरव सिंह - जॉन... (कुछ सेकेंड में ही कमरे में जॉन और उसके साथ कुछ हथियार बंद बंदे अंदर आते हैं) कील दिस बास्टर्ड... (सब जैसे ही विश्व पर बंदूक तान देते हैं, विश्व तुरंत ही अपने से रुप को अलग करता है, सब के सब हैरत के मारे विश्व की ओर देखने लगते हैं, विश्व अपनी शर्ट खोल देता है, उसके सीने में कुछ पैकेट्स के साथ एलईडी लाइट्स जल रहे थे )
जॉन - ओह शीट... डाइनामाइट... (जॉन और उसके आदमीओं के बंदूक नीचे हो जाते हैं) (विश्व अपनी जेब में हाथ डाल कर एक ग्रिप लिवर निकालता है) डेटोनेटर... (इससे पहले कि सब कमरे से निकल पाते)
विश्व - डोंट बी स्मार्ट... मिस्टर जॉन... कोई भी हिला... तो अपने साथ तुम सब को ले उड़ुंगा...
भैरव सिंह - ओह... तो पूरी तैयारी के साथ आया है...
विश्व - हाँ...
भैरव सिंह - तु यह भूल कैसे गया... तुझे कुछ हुआ तो... तेरे साथ तेरी दीदी की लाश गाँव में सड़ती रहेगी...
विश्व - मेरे बाद उसके और चार भाई और भी हैं... जो उसे कंधा भी देंगे और चिता में आग भी... (कह कर आगे बढ़ता है) तु अपनी चिंता कर... मेरे साथ उड़ गया.. तो...

भैरव सिंह के पास पहुँच जाता है l विश्व भैरव सिंह की पैंट को को खिंच कर बड़ी तेजी से उसके अंदर एक मूठ बराबर रॉड जैसे कुछ डाल देता है l इतनी तेजी से यह सब होता है कि भैरव सिंह को समझने के लिए वक़्त तक नहीं मिलता l जब उसे एहसास होता है तब वह अपनी पैंट में हाथ डालने को होता है कि विश्व कहता है

विश्व - ना कोई हरकत ना करना... (अपने हाथ में डेटोनेटर दिखाते हुए) यह इसी बॉम्ब का डेटोनेटर है... ज्यादा पावरफुल नहीं है... पर जितना भी है... उससे तेरी मर्दानगी वाला हिस्सा को उड़ा देगा... इतना डैमेज करेगा कि... पहले तेरी इज़्ज़त लेगा... फिर तेरी जान.. (भैरव सिंह पहली बार थूक निगलता है) चल... अब मुझे और मेरी पत्नी को... बा इज़्ज़त बाहर छोड़ आ...

इतना कह कर भैरव सिंह को खिंच कर कमरे से बाहर निकलता है l पीछे पीछे रुप और सेबती भी बाहर आते हैं l विश्व अपना डाइनामाइट वाला वेस्ट उतार कर बाहर दरवाजे पर टांग देता है और रुप को इशारा करता है जिसे रुप समझ जाती है और वह जल्द ही कमरे की दरवाजा बाहर से बंद कर देती है l

विश्व - (भैरव सिंह से) अपनी बेटी के कंधे पर हाथ रख... (भैरव सिंह हैरत से विश्व की ओर देखता है) हाँ... अपना बायाँ हाथ राजकुमारी जी के कंधे पर रख... वर्ना... (डेटोनेटर दिखाता है) (भैरव सिंह अपना बायाँ हाथ रुप के कंधे पर रखता है) शाबास... (अब विश्व भैरव सिंह का दायाँ हाथ अपने हाथ में ले लेता है और डेटोनेटर को अपनी जेब में रख लेता है) अब... एक अच्छे बाप की तरह... अपनी बेटी और दामाद जी को... बाहर ले चल...
भैरव सिंह - हरगिज नहीं... चाहे कुछ भी हो जाए... हमें मौत मंजूर है... हार नहीं...
विश्व - भैरव सिंह... मौत एक सच्चाई है... यह मैं अच्छी तरह से जानता हूँ... तुझे हार कभी बर्दास्त नहीं होता... अपनी जीत के लिए... तु कुछ भी कर गुजर जाएगा... पर सोच... मेरे डेटोनेटर दबाते ही... तेरा कमर का हिस्सा... बुरी तरह डैमेज होगा... जल्दी तो नहीं पर... कुछ घंटे तड़पने के बाद ही मरेगा जरूर... वह मौत तेरी जीत नहीं... तेरी हार की होगी... हमारा अंजाम चाहे जो भी हो... वह हमारे प्यार की जीत होगी...
रुप - सच कहा अनाम... यह आदमी अपनी जीत के लिए कुछ भी कर सकता है... हमारा प्यार... इसकी बड़ी हार है... मुहब्बत पर हम कुर्बान हो गए तो...
भैरव सिंह - खामोश बदजात... हम राजा हैं... जिसे तुम जीत समझ रहे हो... वह पानी की बुलबुला है...
विश्व - तो बाहर हमें छोड़ दे... हम भी तो देखें यह पानी की बुलबुला है... या कोई पर्वत...

भैरव सिंह के पैर हिलने को तैयार नहीं थे पर विश्व उसे अपनी ताकत से खिंचते हुए बाहर की ओर लिए जाता है l

रुप - (चलते चलते) अनाम... मुझे... शादी के तुरंत बाद ही... आपके साथ चले जाना चाहिए था... इस आदमी ने... छि... क्या कहूँ... उस दिन जब आप मिलकर चले गए... मैं उसके बाद दादा जी के कमरे की ओर जा रही थी... जब तक दरवाजे तक पहुँची... तो देखा... यह आदमी... दादाजी को इतनी जोर से दबोच रखा था कि... दादाजी की जान चली गई... यह मेरे लिए बहुत बड़ा सदमा था... इसी सदमे के चलते... मुझसे... वह मोबाइल छूट गई... यह कितना नीच है.. अपनी अहंकार के लिए... मेरी माँ को मार डाला था... अब दादाजी को भी मार डाला... (तीनों के चेहरे पर सख्ती उभरने लगी थी) मैं बस एक आस लिए इस घर में थी... जिस आँगन में मेरा बचपन गुजरा उसे छोड़ते हुए... इस आदमी की ओर कम से कम एक बार दुख से देखूँ... जैसे हर एक लड़की... अपने पिता को देखती है... पर यह आदमी... किसी भी रिश्ते के लायक नहीं है... (कहते कहते चारों महल के परिसर के बाहर आकर पहुँचते हैँ)(रुप और विश्व अब भैरव सिंह से अलग होते हैं,और भैरव सिंह के सामने खड़े हो जाते हैं, सेबती उनके पीछे आकर खड़ी होती है) (रुप भैरव सिंह से कहती है) मैं तुम्हारा यह घर... यह दुनिया हमेशा के लिए छोड़ जा रही हूँ... तुमसे कोई दुआ नहीं चाहिए... और मेरी बदकिस्मती देखो... अपने बाबुल की सलामती की दुआ भी नहीं कर सकती... जी तो चाहता है कि तुम्हारे मुहँ पर थूक कर जाऊँ... पर एक आखरी बार के लिए... बेटी होने के नाते... यह अंतिम सम्मान दिए जा रही हूँ... क्यूँकी मैं जानती हूँ... यह महल अब कुछ ही पल के लिए खड़ा है...

रुप चुप हो जाती है, उसके चुप्पी के साथ पूरा वातावरण में खामोशी पसर जाती है l भैरव सिंह अभी भी गुस्से से तीनों को देखे जा रहा था l

भैरव सिंह - विश्वा तुने एक बात सच कहा है.. हमें हार मंजूर नहीं है.. अपनी जीत के लिए हम कुछ भी कर सकते हैं...
विश्व - कुछ भी कर... पर मुझे दोबारा महल आना पड़े ऐसा कुछ भी मत करना... क्यूँकी अगली बार मेरा महल में आना... तेरी और इस महल का आखरी दिन होगा... (अपनी जेब से डेटोनेटर निकाल कर भैरव सिंह को दे देता है) यह ले.. तेरी जान और इज़्ज़त... अंदर जाकर बॉम्ब निकाल ले...

भैरव सिंह वह डेटोनेटर को हाथ में लिए विश्व और रुप को वहाँ से जाते हुए देख रहा था l उसके चेहरा किसी अंगार के भट्टी की तरह दहक रहा था l वह मुड़ता है और अंदर की ओर जाता है l

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रुप को लेकर जब विश्व पहुँचता है तो पाता है वैदेही की शव को अर्थी पर लिटा चुके थे l रूप वैदेही की शव को देख कर भागते हुए लिपट जाती है और बिलख बिलख कर रोने लगती है l उसे गाँव की औरतें घेर तो लेती हैं पर किसीकी हिम्मत नहीं होती कि उसे थामे और शांत करें l गौरी आकर रुप को पकड़ती है और उसे दिलासा देने लगती है l इतने में विश्व को अपने कंधे पर किसी का हाथ महसुस होता है l मुड़ कर देखता है डैनी खड़ा था l उसके पीछे विश्व के सारे दोस्त l

डैनी - शव को श्मशान ले जाना है... अंत्येष्टि के लिए... जाओ तैयार हो जाओ... (डैनी इशारा करता है तो उसके सारे दोस्त विश्व को ले जाते हैं और उसे धोती पहना कर लाते हैं)

विश्व के दोस्त और गाँव वाले मिलकर वैदेही की अर्थी को उठाते हैं l पीछे पीछे सारे गाँव वाले उमड़ पड़ते हैं l राजगड़ यह पहली बार हो रहा था l क्षेत्रपाल महल के निवासियों के अतिरिक्त किसी भी गाँव वाले के भाग्य यह था ही नहीं के गाँव में किसी की शव को कंधा और परिक्रमा मिला हो l नागेंद्र सिंह क्षेत्रपाल के मौत के साथ यह मिथक और इतिहास दोनों बदल गए l वैदेही, जिसका अपना परिवार नहीं था, आज पूरा गाँव उसका परिवार बन कर उसकी अर्थी को एक के बाद एक कंधा मिल रहा था और गाँव के हर गली से हर घर के आँगन के सामने से गुजर रहा था l सारे गाँव वाले मिलकर नदी के किनारे वाले श्मशान पर ले आते हैं l श्मशान के बाहर सभी औरतों को रोक दिया जाता है l फिर सारे मर्द श्मशान के अंदर जाते हैं जहाँ विश्व के चारों दोस्त बड़ी फुर्ती से चिता सजा देते हैं l पंडित के मंत्रोच्चारण के साथ क्रिया कर्म की विधि पूर्ण करते हुए विश्व वैदेही को मुखाग्नि दे कर चिता को आग के हवाले कर देता है l

चिता धू धू हो कर जलने लगता है l विश्व जो अबतक अपने भीतर की बाँध को रोके रखा था उसका सब्र जबाब दे देता है l उससे रहा नहीं जाता वह रो देता है l धीरे धीरे उसकी रोना बढ़ता जाता है l उसके चारों दोस्त उसे दिलासा देने की कोशिश करते हैं पर विश्व एक अबोध बच्चे की तरह बिलख बिलख कर रोता रहता है l विश्व को रोते देख कर वहाँ पर मौजूद सभी के आँखों में पानी आ जाती है l श्मशान के बाहर यह सब देख रही रुप से बर्दास्त नहीं होती l वह भागते हुए अंदर आती है तो उसे डैनी बीच में रोक देता है l

रुप - मुझे जाने दीजिए... मेरा अनाम रो रहा है... उसे अब मेरी जरूरत है...
डैनी - नहीं... उसे अभी किसीकी जरूरत नहीं है... उसे अभी के लिए अकेला छोड़ दो...
रुप - नहीं... आप समझ नहीं रहे... वह रोते रोते टूट जाएगा... कमजोर पड़ जाएगा...
डैनी - कुछ नहीं होगा... बर्षों से रोया नहीं है... आज अपनी दीदी के ग़म में... रो लेने दो...
रुप - आप उसके बारे में जानते ही क्या हैं...
डैनी - तुम उससे प्यार करती हो... इसलिए तुम्हें लगता है कि तुम उसके बारे में बहुत जानती हो... पर वह आज जैसा है... उसे वैसा मैंने बनाया है... मेरा चेला है वह... उसके अंदर की भावनाओं को मैं जानता हूँ... इसलिए आज उसे अकेला छोड़ दो...

रुप यह सब सुन कर हैरत से डैनी की ओर देखने लगती है l इतने में कुछ और लोग डैनी के पास आते हैं और विश्व को श्मशान से बाहर ले जाने की बात करते हैं l

एक - मुखाग्नि देने वाले को... तुरंत श्मशान से चले जाना चाहिए...
दूसरा - हाँ... यह विधि है... परंपरा है... मुखाग्नि के बाद.. विश्व का यहाँ रहना... अपशकुन होगा...
डैनी - कैसा शकुन.. कैसा अपशकुन... आज विश्वा.. अनाथ हो गया है... विश्वा कभी किसीके लिए रो नहीं पाया था... जन्म लेते ही माँ चल बसी... पिता का शव तक नहीं देख पाया... अपने गुरु की हत्या हुई है जानने के बाद भी रो नहीं पाया... श्रीनु के मौत पर गुस्सा तो कर पाया... पर रो नहीं पाया... आज वह सबके हिस्से का रोना रो रहा है... आज उसने अपनी दीदी को नहीं... बल्कि... अपनी माँ... अपने पिता... अपना गुरु... सबको खो दिया है... उसका यह ग़म... आज उससे कोई नहीं बांट सकता... (रूप को देख कर) तुम भी नहीं... आज उसे जी भर के रो लेने दो... उसे आज यहीं छोड दो... कल तक.. वह कुछ सुनने लायक होगा... चलो.. सब...
रुप - फिर कल... कल तक वह किस हालत में होगा...
डैनी - घबराओ नहीं... चिता की आग जितनी ठंडी होती जाएगी... उसके भीतर की आग.. ज्वाला बनेगी... फिर लावा बनकर बाहर निकलेगी... इसलिए चलो...

डैनी के यह कहने से वहाँ पर सब लोग कुछ क्षण के लिए शांत हो जाते हैं l सबकी निगाह विश्व पर थोड़ी देर के लिए ठहर जाता है l विश्व जो एक बच्चे की तरह रोये जा रहा था l उन्हें डैनी की बात सही लगी, इसलिए सभी विश्व को उसीकी हालत पर छोड़ कर चले जाते हैं l रूप जाने को तैयार नहीं थी पर डैनी उसे समझा कर ले जाता है l

सभी के जाने के बाद जलती हुई चिता के सामने सिर्फ विश्व ही था l जो अपनी आँखों से अपनी दीदी को लकडियों के साथ राख में तब्दील होते हुए देख रहा था l धीरे धीरे चिता की आँच कम होती चली गई विश्व की आँखों से आँसू भी सुख चुके थे l वह चिता के सामने बैठे बैठे लेट गया था l रात ऐसे ही बीती सुबह की ठंडी ठंडी हवा विश्व की नींद को हल्का कर रहा था l उसे महसूस हो रहा था जैसे वह वैदेही के गोद में सिर रख कर लेता हुआ है l वैदेही उसके सिर के बालों पर हाथ फ़ेर रही है l विश्व हल्का सा मुस्कुराने लगता है l

विश्व - दीदी... तुम...
वैदेही - हाँ थक जो गया है... इसलिए दुलार रही हूँ...
विश्व - मुझे माफ कर दो दीदी... तुम्हारे जीते जी... मैं भैरव सिंह को... सबक नहीं सीखा पाया...
वैदेही - अभी देर भी तो नहीं हुआ है... चल उठ... भैरव सिंह से... तुझे मेरा या बाबा... आचार्य सर या श्रीनु का बदला नहीं लेना है... तेरा जन्म राजगड़ के हर आँगन का कर्जदार है... तुझे हर एक आँगन का बदला लेना है... चल उठ...


अचानक उसकी नींद टूट जाती है l वह अपनी आँखे खोलता है फिर उठ बैठता है l सामने देख कर उसके मुहँ से निकलता है

विश्व - माँ..
प्रतिभा - उठ गया बेटा..
विश्व - माँ... क्या इतनी देर तक... मैं तुम्हारे गोद में लेटा हुआ था...
प्रतिभा - हाँ...
विश्व - और मैं बात किससे कर रहा था...
प्रतिभा - मुझसे... और जवाब भी मैं ही दे रही थी...
विश्व - आ प अकेली आई हैं...
प्रतिभा - ऐसा हो सकता है भला... तेरे डैड भी आए हैं... वह रहे...

विश्व अपनी गर्दन मोड़ कर देखता है श्मशान के बाहर तापस खड़ा हुआ था, साथ में उसके चारों दोस्त, रुप और डैनी भी खड़े थे, सब विश्व को जागता हुआ देख कर अंदर आते हैं l सबको अपनी तरफ आता देख कर विश्व अपनी जगह से उठ कर खड़ा हो जाता है l

प्रतिभा - तुम्हारे सो जाने से... पूरी दुनिया को भुला देने से... जानते हो... क्या हो गया है...
विश्व - क्या... क्या हो गया है...
प्रतिभा - चल घर चलते हैं... वहीँ पर बात करेंगे...

प्रतिभा विश्व की हाथ पकड़ कर सबके साथ श्मशान से निकल कर उमाकांत सर के घर की ओर जाने लगती है l विश्व देखता है सारे गाँव वालों के चेहरा उतरा हुआ है l सब को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे कुछ बड़ा हुआ है पर विश्व से बात को छुपा रहे हैं l सभी लोग घर पर पहुँचते हैं l

प्रतिभा - हम सब बाहर हैं... तुम जाओ... तैयार हो कर बाहर आओ...

विश्व कोई सवाल किए वगैर अंदर जाता है l मुहँ धोते धोते उसे एहसास होता है कि उसके गैर हाजिरी में गाँव कुछ बुरा हुआ है l जल्दी जल्दी अपने आप को ताजा कर कपड़े बदल कर बाहर आता है l बाहर उसका ही इंतजार हो रहा था l सब मिलकर विश्व को साथ लेकर चलते हैं l इस बार वैदेही के दुकान पर पहुँचते हैं l विश्व देखता है दुकान के बाहर नभवाणी न्यूज चैनल की ट्रांसमिशन वैन खड़ा है l वहाँ पर इंस्पेक्टर दास और सतपती खड़े थे l विश्व को देख कर दोनों वैन का दरवाजा खटखटाते हैं l वैन से सुप्रिया निकल कर आती है l तीनों विश्व के पास आते हैं l विश्व को प्रतिभा दुकान वाली घर के अंदर ले जाती है l अंदर सभी विश्व को बिठा कर उसे घेर कर बैठते हैं l विश्व इधर उधर अपनी नजर घुमाता है

विश्व - यह गौरी काकी... दिखाई नहीं दे रही है... (विश्व की इस सवाल पर सीलु रो देता है)
सीलु - भाई... बहुत बुरा हो गया है... (रोते रोते) हम सब जब दीदी की अंत्येष्टि को श्मशान गए थे... तब भैरव सिंह के आदमी... घर घर में जो बच्चे थे... श्मशान नहीं गए थे... उन्हें उठा ले गए... (विश्व की आँखे फैल जाती हैं) (वह उठने को होता है कि प्रतिभा उसके कंधे पर हाथ रख कर बिठा देती है)
सतपती - फिलहाल... सभी गाँव वाले.. ट्रौमा में हैं... सबने अपने बच्चों को घर पर बुजुर्गों के हवाले कर छोड़ गए थे... इसी मौके का फायदा उठा कर... भैरव सिंह के आदमी आए... सारे बच्चों को... और उनके साथ गौरी काकी को उठा ले गए... और... ( एक गहरी साँस लेते हुए सतपती रुक जाता है)
विश्व - और...
दास - जब श्मशान से गाँव वाले लौटे... तो उन्हें इस बात की खबर देने के लिए भैरव सिंह का एक आदमी इंतजार कर रहा था... जाहिर है... जब लोगों को मालूम हुआ... अफरा-तफरी हो गया... हम ने सबको बड़ी मुस्किल से शांत किया... बात बहुत आगे बढ़ चुकी थी... एक्शन के लिए... हमने ऊपर तक बात की...(एक पॉज लेकर) हमें भैरव सिंह से नेगोशिएशन करने के लिए कहा गया... इसलिए हमने महल की ओर जाकर कॉन्टैक्ट करने की कोशिश की... तो भैरव सिंह ने... सरकार तक अपनी बात पहुँचाने के लिए... या यूँ कहूँ अपनी शर्तें थोपने के लिए... सुप्रिया जी को... मीडिएटर बनने के लिए कहा...
सतपती - मैंने सुप्रिया जी को... अपने क्रू मेंबर्स के साथ आने के लिए कहा... और.. वह मान भी गईं...

अब सतपती चुप हो जाता है, दास भी कुछ नहीं कहता विश्व देखता है सबके चेहरे पर तनाव साफ दिख रहा था l सुप्रिया डरी सहमी सी लग रही थी l

विश्व - तो क्या सुप्रिया जी नहीं गईं...
सतपती - गई थी... पर अंदर जो हुआ... (सतपती एक इशारा करता है, एक कांस्टेबल लैपटॉप लेकर सतपती को दे देता है) अब हमसे.. जो ट्रांसमिट कारवाया गया... वह ट्रांसमिशन देखो...

कह कर लैपटॉप विश्व को दे देता है l विश्व लैपटॉप में चल रहा वीडियो को देखने लगता है l कैमरा ऑन होते ही

जॉन - क्या कैमरा ऑन हुआ...
सुप्रिया - हाँ हो गया... पर अभी से कैमरा क्यूँ ऑन किया...
जॉन - वह इसलिए कि हमारी तैयारी... सब देखें... ताकि कोई जुर्रत या हरकत से पहले सौ बार सोच लें...

सुप्रिया अपना सिर हिलाती है कैमरा मैन कैमरा को हर एंगल में शूट करते हुए वीडियो लेता है l महल के अंदर चार वॉचिंग टावर थे, सब के सब एडवांस वेपन से लेस थे l सब कुछ शूट करते हुए जब अंदर की कमरे में पहुँचते हैं, भैरव सिंह उन्हें खड़ा मिलता है l

भैरव सिंह - आइए... सुप्रिया जी... आइए... हम आपके बहुत बड़े फैन हैं... अपकी रिपोर्टिंग देखने के बाद... आपसे मिलने की तलब थी... सो आज पूरी हो गई...
सुप्रिया - कहिये राजा साहब... आपने नेगोशिएशन के लिए... मुझे मीडिएटर क्यूँ चुना...
भैरव सिंह - आपकी रिपोर्टिंग बहुत ग़ज़ब की है... आप वाकई... अपने भाई की बहन ही हैं... या यूँ कहूँ... आप उनसे बेहतर हैं... इसलिये हम चाहते थे कि... सरकार तो सरकार.. हमारे खास दुश्मन को भी... पैगाम आपसे मिले...
सुप्रिया - कहिये फिर... क्या कहना चाहते हैं...
भैरव सिंह - हम चाहते हैं कि... आपका कैमरा शुरू से लेकर अंत तक... ऑन ही रहे... बाहर जाकर कुछ भी कांट छाँट कर सरकार को दिखा दीजिए... हमें कोई फर्क़ नहीं पड़ता...

इतना कह कर भैरव सिंह एक इशारा करता है l पीटर भैरव सिंह का रोल्स रॉएस लेकर आता है l भैरव सिंह सुप्रिया और उसके कैमरा मेन को इशारे से बैठने को कहता है l थोड़े झिझक के साथ दोनों अंदर बैठ जाते हैं l

भैरव सिंह - मैं अपने परिवार वालों को छोडकर... किसी को भी इस गाड़ी में नहीं बिठाया था... शिवाय वैदेही के... उसके बाद तुम दोनों वह खुशकिस्मत हो जो मेरे साथ इस गाड़ी में बैठे हो... (सुप्रिया का हलक सूखने लगता है) घबराओ नहीं... जो हाल वैदेही का हुआ... जरूरी नहीं तुम लोगों के साथ वही हो... (कुछ ही देर के बाद गाड़ी रुक जाती है, पिटर दरवाजा खोलता है तो सबसे पहले भैरव सिंह उतरता है उसके बाद सुप्रिया और फिर कैमरा मेन उतरते हैं) इसे रंग महल कहते हैं... हमारे खानदान की रंगीनियों की गवाह... यहाँ तक आने के लिए... बाहर से रास्ता है... और अंदर से भी... देख लो... (कैमरा मैन अपना कैमरा घुमाने लगता है, यहां पर भी चाक चौबंद बंदोबस्त थी, बिल्कुल क्षेत्रपाल महल की तरह) अब आओ हमारे साथ...

कह कर भैरव सिंह आगे आगे चलने लगता है उसके पीछे पीछे सुप्रिया और कैमरा मैन जाने लगते हैं l अंदर पहुँचने के बाद एक गैलरी पर रुकते हैं l

भैरव सिंह - इस महल में... इस जगह को आखेट गृह कहते हैं... हमने कुछ जानवर पाले हुए हैं... वह जानवर... जिनके जबड़े बहुत मजबूत होते हैं... वह जानवर... मेरे दुश्मनों का शिकार करते हैं... (भैरव सिंह ताली बजाता है, भैरव सिंह के आदमी बच्चों, गौरी और होम मिनिस्टर को लाते हैं) यह रहे वह लोग... जिन्हें हमने आखेट गृह के लिए उठा कर लाए हैं.. (सुप्रिया से) सुप्रिया जी... आपको जान कर खुशी होगी... आपके भाई प्रवीण और भाभी जी को... हमने यहीं से स्वर्ग रवाना कर दिया था...
सुप्रिया - ह्वाट...
भैरव सिंह - हाँ आपने ठीक सुना.. कैसे हम आपको दिखाते हैं...

कह कर भैरव सिंह गौरी के पास आता है और उसे बालों सहित पकड़ कर खिंच कर गैलेरी के सिरहाने पर लाता है l

भैरव सिंह - इस बुढ़िया को... हमने रहम खा कर भीख माँगने के लिए छोड़ दिया था... पर यह उस डायन के साथ मिलकर... हमारे खिलाफ खिचड़ी पकाती रही... इसलिए इसे... (कह कर धक्का देता है, गौरी चिल्लाते हुए स्वीमिंग पूल में गिरती है l भैरव सिंह एक स्विच ऑन कर देता है l दोनों तरफ से दीवारें सरक जाती हैं l गौरी जब तक पानी से बाहर आती है तब तक एक तरफ से लकड़बग्घा आकर गौरी की कंधे पर अपना जबड़ा धंसा देता है l गौरी चीखते चिल्लाते छूटने की कोशिश करती है कि उसके पैरों पर एक जबड़ा कस जाता है l उसके बाद दोनों जानवरों के बीच खींचातानी शुरु हो जाती है l फिर किसी से भी कुछ देखा नहीं जा पाता l वह स्विमिंग पूल खून से लाल हो जाती है l गैलेरी में मौजूद सारे बच्चें, मिनिस्टर और सुप्रिया के साथ कैमरा मैन भी चीखने लगते हैं पर वहाँ पर भैरव सिंह पूरी तरह से शांत होकर खड़ा था l

भैरव सिंह - (चिल्ला कर) चुप.... (सब चुप हो जाते हैं) (भैरव सिंह मुस्कराते हुए) कोई डर के मारे चिल्लम चिली करता है... तो मुझे बहुत अच्छा लगता है... पर चूँकि मुझे सरकार को खबर पहुंचानी है... इसलिये सब खामोश हो जाओ... पिटर... इन्हें अंदर ले जाओ... (पिटर और कुछ लोग बच्चों और मिनिस्टर को अंदर ले जाते हैं, भैरव सिंह कैमरा को अपने सामने लाता है) हाँ तो गाँव वालों... तुमसे शुरु करते हैं... जो जमीनों के कागजात... वैदेही ने महल से ले गई थी और विश्व ने तुममें बांट दी.. वह सब विश्व के हाथ ही हमें लौटाओगे... सरकार तुम्हारे बच्चों को बचाने के लिए कोई चाल चलेगी... पर ध्यान रहे... कोई भी सरकारी सेना गाँव में घुस नहीं पाए... वर्ना... तुम लोगों के बच्चों को... एक एक करके... लकड़बग्घे और मगरमच्छ के हवाले कर दी जाएगी.... समझ गए... हाँ तो मुख्य मंत्री जी... आपके केबिनेट की गृह मंत्री मेरे कब्जे में है... आपने कोई हरकत करने की कोशिश की... तो वह बहुत ही जल्द दिवंगत गृह मंत्री बन जाएंगे... वे तब तक मेहमान हैं हमारे... जब तक आप हमारी शर्तों को मान ना लें...
सुप्रिया - आ आ आप... के... शर्तें.. क के क्या.. क्या हैं...
भैरव सिंह - वह सब हम बाद में बता देंगे... पहले सरकार हमसे... हमारी शर्तें पूछ तो ले... अब तुम लोग जाओ... और हमारा यह काम और पैगाम... राज्य के हर घर घर में पहुँचाओ...

विडिओ खत्म हो जाता है l विश्व लैपटॉप बंद कर देता है l विश्व कमरे में अपनी नजर दौड़ाता है सभी उसीको देख रहे थे l

विश्व - सरकार की ओर से कौन नेगोशिएटर बना है...
सतपती - कोई नहीं... सरकार की तरफ मुझे सुप्रिया जी से बात करने के लिए कहा गया है...
विश्व - तो... आपने क्या बात करी...
सतपती - हाँ बात करी... हमने जब सरकार के तरफ़ से शर्तें पूछी.. तो उसने यह काग़ज़ थमा दिया...

विश्व सतपती से वह काग़ज़ लेकर देखता है l उस काग़ज़ में शर्तें लिखी थीं l
पहला - भैरव सिंह के खिलाफ सारे केसेस खारिज किया जाए और सारी कारवाई रोक दी जाए l
दुसरा - सारी जमीनों की कागजातों के साथ उनकी मिल्कियत भैरव सिंह को सौंप दी जाए l
तीसरा - जमीनों की कागजात उसे महल में आकर विश्व प्रताप महापात्र हस्तांतरण करे l
चौथा - देश छोड़ कर विदेश जाने दिया जाए l

विश्व - हम्म्म... वह हमारे सारे किए कराए पर पानी फ़ेर... विदेश में बसने की तैयारी कर रहा है... यहाँ तक समझ में आ रहा है... पर वह जमीनें लेकर क्या करेगा... (सब खामोश रहते हैं) सरकार... बचाव के लिए... कुछ सोच भी नहीं रहा है...
तापस - प्रताप... तुम क्या समझ नहीं रहे हो... एक आदमी... गाँव के बच्चों को और स्टेट के होम मिनिस्टर को अपना ढाल बनाए हुए है... आधे से ज्यादा गाँव वाले... अभी राजा के सैनिक हैं... जो किसी भी प्लैटून या दस्ते को गाँव में आने नहीं दे रहे हैं... उनकी सेंटिमेंट और इमोशन के आड़ में... अपनी गुनाह माफ़ करवा कर तुम्हारे सारे प्रयासों को धत्ता कर... विदेश चला जाएगा... विदेश में रह कर भी... इन जमीनों पर मिल्कियत बरकरार रखेगा... गाँव वाले जो कुछ दिन के लिए अपने खेतों के मालिक बने थे... वह एक पानी का बुलबुला था... इनकी जिंदगी नर्क बना कर जा रहा है... (एक पॉज लेता है) भैरव सिंह के कटघरे तक जाना तुम्हारे प्लान का हिस्सा रहा... पर उसके बाद जो भी हो रहा है... उसके प्लान के मुताबिक हो रहा है... कौन जी रहा है... कौन मर रहा है... उसे कोई फर्क़ नहीं पड़ रहा... बस अपनी जीत की घमंड को बरकरार रखने के लिए... किसी भी हद तक जा रहा है... उसके पास अपने हर एक प्लान के... ऑलटर्नेट बैकओप प्लान है... हम बस लड़ रहे हैं... पर असलीयत यह है कि... यह उसकी और सरकार की प्लानिंग है...
विश्व - सरकार...
तापस - हाँ... तुम भूल रहे हो... भैरव सिंह के पास सरकार के लगभग हर एक शख्स का कोई ना कोई... काली करतूत का सबूत है... अगर सिर्फ बच्चे ही उसके कब्जे में होते... तो अब तक रेस्क्यू ऑपरेशन हो चुका होता... पर चूंकि उसके कब्जे में... होम मिनिस्टर भी है... तो रेस्क्यू ऑपरेशन नहीं होगा...
विश्व - भैरव सिंह जो भी कर रहा है... वह एक टेररिस्ट ऐक्ट है...
तापस - हाँ है... और सरकार ऐसे टेररिस्टों के साथ नेगोशिएशन करती है... अपने लोगों को बचाने के लिए... और उनकी शर्तें मानती भी है...

कुछ पल के लिए कमरे में खामोशी पसर जाती है l विश्व प्रतिभा की ओर देखता है l प्रतिभा समझ जाती है विश्व किस पसोपेश में है l प्रतिभा विश्व का हाथ थाम कर बाहर ले जाती है और चौराहे के बीचो बीच आकर खड़ी हो जाती है l

प्रतिभा - प्रताप...
विश्व - हाँ माँ...
प्रतिभा - मैं तुम्हें अपनी वचन से आजाद करती हूँ... (विश्व चौंक कर देखता है) हाँ... तुमने लड़ाई कानूनी लड़ी... वह इसलिए... ताकि सच की जीत हो... पर यहाँ... तंत्र प्रशासन सब मिलकर सच को कुचलने के लिए एक हो गए हैं... इसलिए मैं तुझे अपनी वचन से आजाद कर रही हूँ... पर कुछ ऐसा कर... के आने वाले कल को एक ऐसा उदाहरण बने... ताकि लोग कानुन से भी डरें और जन आक्रोश से... (विश्व स्तब्ध हो जाता है) अब यह लड़ाई तेरी है... तु लड़ और जीत कर आ... (कह कर मुड़ कर जाने लगती है)
विश्व - माँ...
प्रतिभा - (मुड़ती है) मैं जानती हूँ... इस लड़ाई में तेरी जीत होगी... इसलिये इस जंग को जल्दी खत्म कर और बहू को लेकर घर आ जाना...

कह कर प्रतिभा वहाँ से चली जाती है l विश्व चौराहे पर एक बिजली के खंबे पर झाँक रही सीसीटीवी कैमरे की ओर देखता है l

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भैरव सिंह सर्विलांस पर देख रहा था l विश्व एक बैग कंधे पर डाले आ रहा था l उसके होंटों पर एक कुटिल मुस्कान छा जाती है l विश्व को गेट पर ही रोक दिया जाता है l वहाँ पर मौजूद एक गार्ड वायर लेस पर भैरव सिंह को खबर करता है l

गार्ड - कोब्रा कलिंग टु जनरल...
भैरव सिंह - यस जनरल हियर...
गार्ड - जनरल... इसके पास कुछ नहीं है... सिवाय बैग में कुछ पेपर के... वह भी प्रॉपर्टी के पेपर लग रहे हैं...
भैरव सिंह - ओके... ब्रिंग हिम हियर...

चार गार्ड्स विश्व को गन पॉइंट पर रख कर सर्विलांस कमरे में लाते हैं l

भैरव सिंह - आओ विश्व प्रताप आओ... क्या कहा था तुमने... अगली बार आओगे... तो तब मेरी हस्ती और बस्ती मिटा दोगे... लो मैंने तुम्हें बुला लिया... अब बोलो क्या करोगे...
विश्व - कुछ नहीं... फ़िलहाल तो... कुछ भी नहीं... पर मेरे समझ में नहीं आ रहा... हम से तु मैं पर कैसे उतर गया..
भैरव सिंह - क्या करूँ... तूने मुझे... (चेहरा सख्त हो जाता है) हम के लायक छोड़ा ही नहीं...

भैरव सिंह आगे बढ़ता है और विश्व के पेट में पूरी ताकत के साथ एक घुसा जड़ देता है l विश्व दर्द के मारे घुटने पर आ जाता है l

भैरव सिंह - हाँ... यही तेरी असली औकात है... तू... अपने घुटने पर रेंगने वाला... कीड़ा... जरा सा बाहर क्या निकला... शेर से भीड़ गया... (भैरव सिंह एक चुटकी बजाता है तो एक गार्ड भैरव सिंह के लिए एक कुर्सी लाकर रख देता है l भैरव सिंह कुर्सी पर बैठ कर अपने पैर से विश्व की ठुड्डी को उठाता है) क्यूँ बे हरामी... अब कुछ नहीं बोलेगा... हाँ तुने सही कहा था... मेरी जीत... मेरा अहंकार... मुझे अपनी जान या मौत से भी बड़ी है... हाँ तुने कई मौकों पर मुझसे जीता जरूर है... पर हराया कभी नहीं था... तुझे क्या लगा... मैं ऐसे दो टके की कानूनी कार्रवाई से डर जाऊँगा... तुझसे हार जाऊँगा... तु मुझे जिस कानून की गलियारे में खिंच कर लाया... मैं तुझे दिखाना चाहता था... यह कानून और सियासत मेरे पैर की ठोकर है...
विश्व - (मुस्कराता है) मेरी औकात तो सही है भैरव सिंह... तु अपनी बता... मैं घुटने पर सही... पर तेरे मुहँ से हम छुड़वा ही दिया...
भैरव सिंह - हाँ कुत्ते के पिल्ले... पहली बार किसी ने... मेरे ही महल में... मुझे मजबूर कर दिया... लाचार कर दिया... तेरे वज़ह से... मैं अब आईना में भी... अपनी अक्स से नजरें मिला नहीं पा रहा हूँ... इसीलिये तो... तुझे यहाँ बुलाया है... तुझे जिल्लत करने के लिए... (गार्ड्स से) उठाओ इसे... और अच्छी तरह मेरे इन जुतों से... मेहमान नवाजी करो...

गार्ड्स भैरव सिंह के जुतों से विश्व को पकड़ कर बुरी तरह से मारने लगते हैं l विश्व के होंठ फट जाते हैं l खून निकलने लगता है l थोड़ी देर बाद

भैरव सिंह - बस बस... इतना भी मत मारो... के यह अभी मर जाये... मरना तो इसे है ही... पर राजगड़ छोड़ने से पहले नहीं... (सब रुक जाते हैं)(भैरव सिंह एक गार्ड को इशारा करता है, वह गार्ड एक चेयर लाकर भैरव सिंह के आगे डाल देता है और दूसरे गार्ड्स विश्व को उठा कर भैरव सिंह के सामने बिठा देते हैं) तु वह पहला और आखरी खुशनसीब कुत्ता है... जिसे मैं अपने सामने बैठने की लायक समझा... क्यूँकी जिन्हें अपने बराबर नहीं समझा... उसे ना तो दोस्ती की है... ना दुश्मनी... पर मेरी किस्मत का फ़ेर देख... मेरे बच्चों से तेरी गहरी दोस्ती थी... रिश्तेदारी में बदल गई... इसलिए कम से कम... मेरी दुश्मनी के लायक हो गया... (विश्व मुस्कराता है) ओ... तुझे जोक लग रहा है नहीं...
विश्व - तेरे मरने से पहले... कोई ना सही मैं सही... तेरे सामने... तेरे बराबर बैठा हूँ...
भैरव सिंह - हाँ... वह भी थोड़ी देर के लिए... क्यूँकी जब इस महल से निकलूँगा... तब तेरे गले में पट्टा डाल कर... मेरी गाड़ी के पीछे दौड़ाऊँगा... हर गली.. हर चौराहे से... हर घर के आँगन के सामने... जब तु थक जाएगा... तब तेरी थकी हुई जिस्म को घसीटते हुए... गाँव भर घुमाऊँगा... अखिर में तेरी लाश को छोडकर... राजगड़ से कुछ सालों के लिए चला जाऊँगा...
विश्व - बहुत कुछ सोच रखा है... पर उसके लिए... इस रात का गुजरना... और सुबह का होना भी तो जरूरी है...
भैरव सिंह - वह तो होकर ही रहेगा... तुझे क्या लगता है... कौन रोकेगा मुझे... हा हा हा हा हा हा... अरे बेवक़ूफ़... सरकार और सरकारी सिस्टम मेरे साथ है... या यूँ कहूँ...मैंने उन्हें इस कदर मजबूर कर रखा है... के मेरा बाल तक कोई बाँका नहीं कर सकता... कल सुबह होगी... मेरे शर्तों पर मोहर लगा कर सरकारी फरमान आयेगा...
विश्व - हाँ... जैसे कि... मैंने कहा... उसके लिए सुबह का होना भी जरूरी है...
भैरव सिंह - ओ... कहीं तु इस गलत फहमी में तो नहीं है... के कोई रेस्क्यू ऑपरेशन होने वाला है... बच्चे... मेरी तैयारी तु जानता नहीं है...
विश्व - तैयारी... हाँ तैयारी... तुने एक बात सच कहा... सर्कार और सरकारी सिस्टम... तेरी जेब में है... तु जैल से निकलने के बाद से अब तक जो भी किया है... बिना सरकारी मदत से कर ही नहीं सकता था... तुने... रॉय की मदत से... ESS के लिए नए रिक्रूटमेंट में... कुछ मर्सीनरीज को भर्ती कारवाया... और बहुतों को... आम लोगों के भेष में राजगड़ के अंदर ले आया... क्यूँकी... आर्म के लाइसेन्स ESS के पास थी... उसीके जरिए... तुने सरकारी मदत से... यह आर्म्स और एम्युनिशन हासिल कर लिए... पर सच्चाई अभी भी यही है... यह सब... एशल्ट राइफलें... स्नाइपर्स गन्स... रॉकेट लंचर कुछ भी काम नहीं आता... अगर एक परफेक्ट रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया जाता... पर तूने उसके लिए भी अपना बैकअप प्लान बनाए रखा... होम मिनिस्टर और बच्चों को अपना शील्ड बना कर... जाहिर है... इसमें तेरी बदनामी तो होगी... सरकार की नहीं होगी... तेरा गुरूर... तेरा अहंकार का जीत होगा...
भैरव सिंह - ओ हो हो हो हो... लगता है मेरी जीत से तेरा पिछवाड़ा सुलग रहा है...
विश्व - नहीं भैरव सिंह नहीं... तु और सरकार मिले हुए हैं... इस बात का आगाह मुझे पहले से ही कर दिया गया था... मैं कहीं पर भी नहीं चुका... बस मेरी दीदी की ओर से चूक गया... पर अब नहीं... अब मैं पूरी तैयारी के साथ आया हूँ...
भैरव सिंह - हा हा.. हा हा हा हा हा हा हा हा... मौत के जबड़े में सिर रख कर... कौनसी तैयारी की बात कर रहा है... हाँ तूने एक बात सही कही... मैंने होम मिनिस्टर और बच्चों को ह्यूमन शील्ड बना रखा है... पर एक नहीं... मैं डबल शील्ड सिक्युरिटी में हूँ... अगर कोई बटालियन आयेगा... तो मुझे सर्विलांस से पता चल जाएगा... पर उन्हें मैं... या मेरी आर्मी नहीं रोकेगी... बल्कि रंग महल में बंद उन बच्चों के माँ बाप रोकेंगे...
विश्व - बच्चे रंग महल में हो तब ना...
भैरव सिंह - (चेहरे से मुस्कान गायब हो जाती है) क्या... क्या मतलब है तेरा...
विश्व - भैरव सिंह... तु जितना बड़ा ढीठ है... उतना ही बड़ा कायर है... तुने मीडिया के जरिए... दुनिया को बताया... के रंग महल में बच्चे और होम मिनिस्टर कैद हैं... पर असल में वह सब इसी महल में कैद हैं...
भैरव सिंह - (चेहरे का रंग उड़ जाता है) क्या बकते हो...
विश्व - हाँ भैरव सिंह... भले ही तुझे सरकारी मदत मिल रही है... पर तुझे सरकार पर ज़रा सा भी भरोसा नहीं है... तुझे मालूम है... अगर रेस्क्यू ऑपरेशन हुआ तो वह... रंग महल में होगा... ना कि यहाँ... भले ही तूने अपनी तैयारी दिखा दी... पर सच यह है कि... तूने अपनी सारी ताकत... इसी महल में झोंक रखी है...
भैरव सिंह - बहुत चालाक है तु... अच्छा दिमाग लगाया है... पर तुझे क्या लगता है... कहाँ होंगे वह बच्चे और मिनिस्टर...
विश्व - अंतर्महल में... चूंकि अब कोई जनाना नहीं है इस महल में... इसलिए... तू उन्हें वहीँ पर रखा है...
भैरव सिंह - वाकई... मैंने तुझे बहुत कम आंका था... तु तो मेरे खयाल से भी कहीं आगे का निकला... हाँ तुने सच कहा... बच्चे और मिनिस्टर यहीँ हैं... अंतर्महल में... अगर कोई रेस्क्यू ऑपरेशन हुआ... तो वह जरूर फैल हो जाएगा... वह क्या है ना... दिखाओ कुछ... करो कुछ... सोचो कुछ समझो कुछ... बोलो कुछ... हो जाए कुछ...
विश्व - ना... जो तुझे जानते हैं... समझ चुके हैं... वह तेरे चाल के खिलाफ जाकर रेस्क्यू ऑपरेशन कर रहे हैं...

भैरव सिंह अपनी कुर्सी से उछल कर उठ खड़ा होता है l सबसे पहले सर्विलांस टीवी पर नजर डालता है फिर अपना वायर लेस निकाल कर जॉन से कॉन्टेक्ट करता है l

भैरव सिंह - जॉन... कोई खबर...
जॉन - एवरी थिंग इज फ़ाइन जनरल...
भैरव सिंह - ठीक है... फिर से री चेक करो... और कन्फर्म करो...
भैरव सिंह - ओके जनरल...

भैरव सिंह - (अपनी जबड़े भिंच कर विश्व की तरफ मुड़ता है) मेरी तैयारी मुझे हौसला देता है... पर तु मुझे इतनी बार मात दे चुका है कि... तेरी बातों पर भरोसा करने को मन कर रहा है...
विश्व - हाँ भैरव सिंह हाँ... क्यूँ की भरोसे का दूसरा नाम है विश्वा... तु जो सीसीटीवी पर देख रहा है... वह सब आधे घंटे के पहले वाला वीडियो देख रहा है... तुने सरकार को टाइम दिया... अपनी शर्तें मनवाने के लिए... पर उतना ही वक़्त मैंने अपनी तैयारी में लगा दिया... तुझे याद तो होगा... मैंने और वीर ने... कैसे सुंढी साही में घुस कर अनु को बचाया था... (भैरव सिंह के भौंहें सिकुड़ जाते हैं) जब मैं वहाँ पर टेक्नोलॉजी का सहारा ले सकता हूँ... तो क्या यहाँ ले नहीं सकता था... (भैरव सिंह के आँखे हैरत से फैल जाते हैं) हाँ भैरव सिंह हाँ... तुने सरकार को वक़्त दिया वहाँ तक ठीक है... पर मुझे वक़्त नहीं देना था... तेरे सारे सर्विलांस हैक कर लिए गए हैं... अब थोड़ी देर के बाद... ड्रोन सर्विलांस से सारे गार्ड्स के लोकेशन ट्रैक कर लिए गए हैं... वही ड्रोन अब तुम्हारे गार्ड्स के सिरों पर बॉम्ब की तरह गिरेंगे... (तभी बाहर से अफरा तफरी की आवाजें सुनाई देने लगती है)
भैरव सिंह - (उन गार्ड्स से) गो एंड सी... क्या हो रहा है...

चारों गार्ड्स बाहर चले जाते हैं l भैरव सिंह अपनी वायर लेस निकाल कर जॉन से कॉन्टैक्ट करता है l

भैरव सिंह - जॉन... क्या हो रहा है... (तभी अलर्ट सैरन बजने लगती है)
जॉन - जनरल... हम पर ड्रोन अटैक हो रहा है... आप सर्विलांस रूम में ही रहिए... हम कुछ ही मिनटों में निपटा देंगे.... (वायर लेस ऑफ हो जाता है, भैरव सिंह घूम कर पीछे मुड़ कर देखता है विश्व के चेहरे पर मुस्कान था)
विश्व - देखो कुछ... दिखाओ कुछ... बोलो कुछ... हो जाए कुछ... सोचो कुछ... समझाओ कुछ... यही तुम्हारा स्टाइल है ना... मैंने भी वही किया... (भैरव सिंह गुस्से में विश्व की ओर आता है) ना ना... यह कुछ ठीक नहीं लग रहा... मैं बैठा हूँ तुम खड़े हो... कॉम ऑन.. बैठ जाओ... बात करते हैं...
भैरव सिंह - हराम जादे...
विश्व - मैंने कहा था... समझाया था... मुझे इस महल में आने के लिए कोई वज़ह मत देना... क्यूँकी जब जाऊँगा... तब ना तो तु रहेगा... ना यह तेरी महल... (भैरव सिंह विश्व पर झपट्टा मारता है, पर विश्व उसके लिए पहले से ही तैयार था l वह अपनी चेयर के साथ वहाँ से हट जाता है भैरव सिंह नीचे गिर जाता है) चु चु चु... अभी कुछ देर पहले.. मुझे अपने कदमों में गिरा रखा था... वक़्त देख कितनी जल्दी करवट बदल दी... अब तु मेरे पैरों में है...

भैरव सिंह उठ खड़ा होता है कि तभी एक गार्ड दौड़ा दौड़ा हांफते हुए आता है

गार्ड - जनरल... जॉन सर ने ऑर्डर किया है... आप बस कमरे में रहिए...

इतना कह कर गार्ड दरवाज़ा बाहर से बंद कर चला जाता है l भैरव सिंह दरवाज़े के पास दौड़ कर जाता है और गाली देते हुए खोलने के लिए कहता है पर तब तक गार्ड दरवज़ा बंद कर जा चुका था l विश्व हँसने लगता है

विश्व - हा हा हा हा... क्या हुआ भैरव सिंह... मुझसे डर लग रहा है... (भैरव सिंह मुड़ कर देखता है, विश्व अब अपनी कुर्सी से उठ खड़ा हो चुका था) तु जानना नहीं चाहेगा... तेरी तिलिस्म... तेरी सेक्यूरिटी इतनी आसानी से कैसे ढह गई... बचपन में... तेरे आदमियों से बचने के लिए... मैं महल में छुप जाया करता था... तभी महल में बहुत सी खुफिया रास्ते मालूम हुए... जो मेरे छुपने में बड़ी मदत किया करते थे... आगे चलकर मालुम हुआ... उन रास्तों के बारे में... तुझे और तेरे आदमियों को भी नहीं पता था... आज मैंने... पूरे गाँव वालों को... जिन्हें मेरे गुरु डैनी... मेरे चारों दोस्त... इंस्पेक्टर दास... डी सी पी सतपती के साथ साथ सत्तू लीड कर रहे हैं... यह गाँव वाले अब सरकारी मदत की मोहताज नहीं हैं... यह अपने बच्चों को बचाने के लिए.. क़ाबिल हैं... इतने काबिल के इनकी एकता को... किसी बटालियन की जरूरत नहीं है...

इतना कह कर विश्व वायर लेस के पास जाता है और उसका एक चैनल बदलता है l फिर माउथ पीस लेकर डैनी को कॉल करता है

विश्व - डैनी भाई...
डैनी - हाँ मेरे पट्ठे... कैसा है...
विश्व - ठीक हुँ... महल में क्या चल रहा...
डैनी - हमने इन्हें ना सिर्फ ऐंगैज कर लिया है... बल्कि अच्छी खासी डैमेज भी दिया है...
विश्व - गुड... अभी वक़्त आ गया है.. लोगों को इशारा कर दो... महल पर हल्ला बोल दें...
डैनी - डॉन...

विश्व वायर लेस उठा कर नीचे फेंक देता है l भैरव सिंह डर के मारे दो कदम पीछे हट जाता है l विश्व भैरव सिंह की ओर देखता है, भैरव सिंह के आँखों में उसे डर साफ दिख रहा था l विश्व टेबल पर चढ़ जाता है

विश्व - क्या कहा था तुने... तु जिस ऊँचाई पर खड़ा है... कोई गर्दन उठा कर देखे तो उसकी रीढ़ की हड्डी टुट जाएगी... हा हा हा हा... यह देख आज वक़्त मुझे किस ऊँचाई पर खड़ा कर दिया... और तु मुझे अपनी गर्दन उठा कर देख रहा है... (भैरव सिंह आँखे फाड़ कर गहरी गहरी साँसे लेने लगता है) याद है... तूने मेरे सर पर खड़े हो कर अपना विश्वरुप दिखाया था... यह देख... (सारे टीवी स्क्रीन ऑन हो जाते हैं, स्क्रीन पर सिर्फ मशालें ही मशालें लहर की तरह आ रही थी) लोगों दिलों में... जिंदगी में और आत्मा में आजादी की लॉ जल उठी है... इतने बर्षों से जो जुल्म ढाए हैं... उसका हिसाब लेने... अपने दिल की आग को मशाल बना कर तुझसे हिसाब करने आ रहे हैं... यह देख... (हर एक स्क्रीन पर इंसान कोई दिख नहीं रहा था l ऐसा लग रहा था जैसे आग का लहर महल के अंदर घुसा आ रहा है) (विश्व के इर्द गिर्द आग ही आग दिख रहा था, ऐसा दृश्य भैरव सिंह के और भी खौफजदा कर रहा था) यह देख यह है एक आम आदमी का विश्व रुप...

सीसीटीवी पर दिख रहा था l लोगों गेट को तोड़ कर अंदर घुस गए जो भी सामने आया उसे अपनी मशालों के हवाले करते चले गए l यह दृश्य देख कर भैरव सिंह विश्व एक अलमारी के पास जाता है और वही फर्ग्यूसन का तलवार निकाल कर अपने को घोंपने वाला ही होता है कि विश्व उसके पास आ कर उससे तलवार छीन लेता है l

विश्व - नहीं भैरव सिंह नहीं... तुझे इतनी आसान मौत... नहीं... हरगिज नहीं...
भैरव सिंह - (गिड़गिड़ाते हुए) विश्वा... मुझे तुम मार डालो... मुझे उन लोगों के हवाले मत करो... प्लीज... तुम... तुम मुझे मार डालो...
विश्व - क्या भैरव सिंह... क्षेत्रपाल कभी मांगते नहीं है... तु मांग रहा है... वह भी मौत... जो तुने दूसरों को देता रहा है...
भैरव सिंह - प्लीज विश्वा... मुझे इन लोगों के हवाले मत करो प्लीज...
विश्व - नहीं भैरव सिंह... तु उन गालियों में भागेगा.. जिन गालियों से तेरे गुज़रते ही सन्नाटा छा जाता था... तु मुझे जिन गालियों रेंगते हुए देखना चाहता था... आज तु अपनी जान बचाने के लिए.. भागेगा...

तभी दरवाजे पर वार पर वार होने लगती है l विश्व दरवाजा खोलने के लिए आगे बढ़ता है l

भैरव सिंह - नहीं विश्वा नहीं... मुझे कम से कम... ऐसी मौत तो ना दो...
विश्व - तुझे भागने का आखरी मौका देता हूँ भैरव सिंह... (कह कर कमरे की झूमर की रस्सी के पास भैरव सिंह को ले जाता है) इसे दरवज़ा खुलने से पहले खोल कर ऊपर से निकल जा...

विश्व इतना कह कर दरवाजा खोलने चला जाता है l भैरव सिंह बहुत जल्दी में हाथ चलाने लगता है l जैसे ही विश्व दरवाजा खोलता है लोग हाथों में मशाल और हथियार लेकर घुस जाते हैं, तभी भैरव सिंह झूमर की रस्सी खोलने में कामयाब हो जाता है l जैसे जैसे झूमर नीचे आती है भैरव सिंह ऊपर उठकर कर रोशन दान तक पहुँच जाता है और वहाँ से बाहर छत की ओर निकल कर भागने लगता है l भागते भागते हुए देखता है उसके सारे सिपाही मरे पड़े थे l लोगों ने सबको आग के हवाले कर दिया था l भैरव सिंह बड़ी मुस्किल से महल से निकलता है और अंधाधुंध भागने लगता है पर एक चौराहे पर ठिठक जाता है l उसके पीछे पीछे लोग आ रहे थे और सामने से भी आ रहे थे l भैरव सिंह और एक गाली में घुस कर भागता है l कुछ देर बाद वहाँ भी आगे से लोग आते दिखते हैं l भैरव सिंह बदहवास हो कर भागने लगता है l अचानक उसका हाथ पकड़ कर कोई खिंच लेता है और मुहँ दबोच लेता है l भीड़ उस रास्ते से गुजर जाता है l भैरव सिंह उस भीड़ को अपनी आँखों से गुज़रते देखते देखते बेहोश हो जाता है l

भैरव सिंह के चेहरे पर पानी गिरते ही अपनी आँखे खोलता है l देखता है सामने विश्व एक बाल्टी लिए खड़ा था l अपनी नजरें दुरुस्त कर देखता है वह अब रंग महल के आखेट प्रकोष्ठ में था l उसके हाथ व पैर बंधे हुए थे l

विश्व - जाग गए... देखो... तुने अपनी आखरी ख्वाहिश जताई... मैंने भी बड़ा दिल लेकर... उसे पूरा करने की सोची... तुने अपने खिलाफ सिर उठाने वालों को जो मौत दी है... मैं तुझे वही मौत देने वाला हूँ...
भैरव सिंह - नहीं विश्वा नहीं... मुझे तुम कानून के हवाले कर दो... मैं अपनी सारी गुनाह कबूल कर लूँगा... वहाँ पर फांसी पर चढ़ जाऊँगा... पर ऐसे नहीं प्लीज...
विश्वा - हाँ मान जाता... पर... नहीं... तुने अपनी ताकत दिखा दी... सरकार और सिस्टम को घुटने पर ला दी... तेरे जैसा जैल में ज्यादा दिन तक नहीं रहेगा... इसलिए तेरा अंजाम.... कानूनन होगा... पर सजा... तेरे ही पालतू देंगे...
भैरव सिंह - नहीं विश्वा नहीं...
विश्व - हाँ भैरव सिंह हाँ... तेरी लाश अब किसीको भी नहीं मिलेगा... तु कानून की किताब में... हमेशा भगोड़ा ही कहलायेगा... इस तरह तु अमर हो जाएगा...
भैरव सिंह - विश्वा मत भूल... मैं तेरा ससुर हूँ...
विश्वा - कमाल है... तुझे रिश्तों का ज्ञान है... मान है... हाँ आज के बाद याद रखूँगा... तु मेरा ससुर था...
भैरव सिंह - साले कुत्ते हरामी... छोड़ दे मुझे...
विश्व - ले छोड़ दिया...

कह कर विश्व भैरव सिंह को उठा कर स्विमिंग पूल पर फेंक देता है और मुड़ कर बाहर चला जाता है l पीछे उसके कानों में थोड़ी देर के लिए भैरव सिंह के चिल्लाने की आवाज़ आती है l फिर आवाज आनी बंद हो जाती है l

"नमस्कार... आज का मुख्य समाचार... जैसा कि आपने कल न्यूज देखा था... होम मिनिस्टर और बच्चों को बंधक बना कर भैरव सिंह ने सरकार से अपनी सभी जुर्मों के माफी के साथ साथ विदेश जाने की शर्त रखी थी, और सरकार को आज सुबह तक का वक़्त दे रखा था l पर जैसा खबर हमें प्राप्त हो रहे हैं गाँव के लोगों ने अपने बच्चे और मंत्री जी को बचाने की बीड़ा उठाया और रात को ही महल पर धाबा बोल दिया l अपने बच्चों को और मंत्री जी को बचा लिया और पुलिस को खबर दे दिया l सुबह सुबह जब पुलिस पहुँची तो पाया भैरव सिंह जी की महल की रखवाली कुछ विदेशी विदेशी हथियारों के साथ कर रहे थे l बहुत से लोग मारे गए हैं और कुछ बुरी तरह घायल भी हुए हैं l लोगों की मानें और पुलिस की मानें तो भैरव सिंह अभी किसीके भी हाथ नहीं आए हैं l फरार चल रहे हैं l तलाशी के दौरान पुलिस के हाथों कुछ अहम सबूत मिले हैं जिसके कारण सरकार व सरकारी तंत्र का भ्रष्ट होना दिख रहा है l पुलिस ने राज्यपाल से बात कर सारे सबूतों को केंद्रीय अन्वेषण विभाग के हवाले कर दिया है l


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दस साल बाद

राजगड़ MLA की गाड़ी रास्ते पर दौड़ रही थी l गाड़ी की पिछली सीट पर विक्रम बैठा था और उसके सामने सुप्रिया बैठी हुई थी l सुप्रिया विक्रम की इंटरव्यू लेने की तैयारी कर रही थी l कैमरा मैन के ओके कहने के बाद सुप्रिया इंटरव्यू शुरु करती है l

सुप्रिया - नमस्कार करती हूँ.... मैं सुप्रिया रथ सतपती... एडिटर चीफ नभ वाणी... शुरु करती हूँ चलते चलते... आज हमारे प्रोग्राम चलते चलते में स्वागत करते हैं... राजगड़ के MLA श्री विक्रम सिंह जी... तो विक्रम जी... दस साल हो गये हैं... अपकी पार्टी सत्ता में है... और सबसे अहम... आपके ससुर... श्री बीरजा किंकर सामंतराय मुख्य मंत्री हैं... पर उनके कैबिनेट में... आप मंत्री नहीं हैं...
विक्रम - सुप्रिया जी... मैं वास्तव में... राजनीति में आना ही नहीं चाहता था... पर राजगड़ के लोगों के आग्रह के चलते मुझे राजनीति में आना पड़ा... कारण भी था... मेरे पूर्वज राजगड़ प्रांत पर बहुत अन्याय किए हैं... मैं आज केवल उन कुकर्मों का प्रायश्चित कर रहा हूँ... आज शाम मुख्यमंत्री जी राजगड़ आ रहे हैं... राजगड़ का नाम बदल कर... वैदेही नगर रखा जाएगा... और यशपुर का नाम बदल कर... पाईकराय पुर रखा जाएगा... इसे केबिनेट में अनुमोदन मिल चुका है...
सुप्रिया - जी इसके पीछे कोई विशेष कारण... क्यूँकी आपने जो स्कुल कॉलेज और हस्पताल तक खुलवाए हैं... सभी वैदेही जी के नाम पर ही खोले हैं...
विक्रम - हाँ... आज लोगों में जो चैतन्य जागा है... उसके पीछे वही महिला हैं... उनके बलिदानों के कारण ही लोग आज अपना अधिकार और कर्तव्य के प्रति जागरूक हुए हैं... उनके लिए कुछ भी करें तो वह कम ही होगा... अपने मुझसे प्रश्न किया ना... अपने ससुर जी मंत्री मंडल में.. मेरे पास कोई मंत्रालय क्यूँ नहीं है... कारण है... अगर मंत्री पद लेता हूँ... तो पूरे राज्य के प्रति जवाबदेह हो जाऊँगा... पर एक आम प्रतिनिधि होने पर... मैं केवल और केवल राजगड़ के लोगों के प्रति जवाबदेह रहता हूँ... यही मेरे लिए बहुत है...
सुप्रिया - बहुत अच्छा विचार है... अच्छा अब आपके मित्रों के बारे में... बंधु रिश्तेदारों के बारे में कुछ बताइए...
विक्रम - जैसा कि आप जानते हैं.. मेरे ससुर राज्य के मुख्यमंत्री हैं... मेरी सासु माँ... एनजीओ चलाती हैं... मेरी पत्नी... राजगड़ मुख्य हस्पताल में डॉक्टर हैं... मेरी बहन भी डॉक्टर हैं... वह भी उसी हस्पताल में अपनी सेवा देती रहती हैं... मेरा जीजा बहुत ही व्यस्त आदमी है... वह जयंत लॉ फार्म हाऊस को अपनी माताजी के साथ चलाते हैं... ज्यादा तर सेवा उन लोगों को देते हैं... जो अर्थिक रूप से कमजोर हैं... साथ साथ अपने पिता जी के साथ मिलकर... जोडार ग्रुप के सेक्यूरिटी संस्था को उनको दोस्तों के साथ मिलकर भी देखते हैं... मेरा एक दोस्त सुभाष सतपती फ़िलहाल... भुवनेश्वर का पुलिस कमिश्नर है... और एक मित्र दासरथी दास यशपुर का एसपी है...
सुप्रिया - अपने बच्चों के बारे में कुछ बताइए...
विक्रम - मेरा एक बेटा है... नाम वीर है

गाड़ी शाम तक राजगड़ में पहुँच जाता है l सत्तू जो सरपंच था फ़ूलों की माला लेकर विक्रम के गले में डाल देता है l

विक्रम - अरे सत्तू... यह क्या कर रहे हो...
सत्तू - भाई... तुम हो ही इस लायक...
विक्रम - अच्छा अच्छा... सब आ गए हैं...
सत्तू - हाँ... देखिए ना... मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री जी पहुँच गए हैं... और तुम ही देरी से आए हो...
विक्रम - अरे छोड़ यार... चलो जल्दी मंच पर पहुँचते हैं...

मंच पर मुख्यमंत्री जी के बगल में विक्रम और सत्तू बैठ जाते हैं l थोड़ी देर के बाद एंकर सत्तू को स्वागत भाषण देने बुलाते हैं l सत्तू के स्वागत भाषण के बाद मुख्यमंत्री मंच से ही एक मूर्ति का अनावरण करते हैं l वह वैदेही की मूर्ति थी जो बैठी बिल्कुल उसी मुद्रा में जिस मुद्रा में मंदिर की सीढियों पर अंतिम साँस छोड़ी थी l बाएं हाथ में दरांती और दायां हाथ कुल्हाड़ी पर टेक लगाए l वह मूर्ति देख कर दर्शकों के दीर्घा में बैठे विश्व की आँखे भीग जाती हैं l मूर्ति के अनावरण के बाद मुख्यमंत्री जी राजगड़ के नाम को बदल कर वैदेही नगर रखने और यशपुर का नाम पाईकराय पुर रखने का घोषणा करते हैं l राजगड़ के लोग खुशी के मारे कोलाहल करने लगते हैं l सत्तू ने गाँव वालों के लिए खाने का बंदोबस्त किया था l सभी गाँव वाले हर्ष ओ उल्लास के साथ अपनी अपनी समय को उपभोग कर रहे थे l विश्व रुप, विक्रम शुभ्रा, सुभाष सुप्रिया सब आपस में बात कर रहे थे l तभी एक रोते हुए बच्चे के साथ एक दंपति एक शिक्षक के साथ आते हैं l

शिक्षक - विक्रम जी...
विक्रम - हाँ कहिये...
शिक्षक - इन महाशय जी का एक शिकायत है...
विक्रम - जी बेझिझक कहिए... मैं क्या कर सकता हूँ...
मर्द - सर... अभी अभी मेरे बेटे को आपके बेटे ने बहुत बुरी तरह मारा...
सभी - क्या...
शुभ्रा - वीर ने आपके लड़के को मारा...
औरत - जी... देखिए... हम कहना तो नहीं चाहते... मगर... आपका बेटा... अपने पिता का नाम बदनाम कर रहा है... आप अपने बेटे को... इस स्कुल से निकाल कर... कहीं बाहर पढ़ाइए...
विक्रम - देखिए... मेरे गाँव के स्कुल में... मेरा बेटा नहीं पढ़ेगा तो... स्कुल की प्रतिष्ठा करने का क्या मतलब... (शिक्षक से) कहिए... कहाँ है... वीर...
शिक्षक - जी आइए...

सभी स्कुल के प्रिंसिपल के चैम्बर में पहुँचते हैं, जहाँ वीर सिर झुकाए खड़ा था l प्रिंसिपल विक्रम को देख कर अपनी कुर्सी छोड़ खड़ा होता है l

विक्रम - नहीं नहीं आप बैठे रहिए... आप शिक्षक हैं... कहिए क्या हुआ है...
प्रिंसिपल - विक्रम साहब... वैसे आपका बेटा बहुत होशियार है... पर कुछ दिनों से... यह लड़का... आपके बेटे के हाथ से पीट रहा है... अब आप ही समझाएं...
विक्रम - यह क्या सुन रहा हूँ वीर...
वीर - आप मुझे कोई भी सजा दीजिए... पर यह फिरसे गलत हरकत की... तो इसे फोड़ दूँगा...
शुभ्रा - ऐ... यह कैसी भाषा बोल रहा है... क्या किया है इसने...

तभी एक छोटी लड़की कमरे के अंदर घुस आती है l और कहती है

लड़की - सर मैं कुछ कहना चाहती हूँ...
वीर - तुम क्यूँ आई... मैं संभाल लेता...
लड़की - नहीं वीर... मैं सबको सच बताऊँगी... (विक्रम से) अंकल... वीर जब स्पोर्ट्स में बिजी रहता है... तब मैं वीर की होम वर्क और क्लास वर्क कर देती हूँ... पर यह अमन... हमेशा मुझे टोकता रहता है...
अमन - हाँ तो... तुम मेरी सेक्शन की हो... तो उसकी होम वर्क या क्लास वर्क क्यूँ करती हो...
लड़की - मेरी मर्जी...
अमन - देख यह ठीक नहीं है...
वीर - (अमन से) ऐ डरा रहा है क्या... खबरदार...
विश्व - वीर... हम सब यहाँ हैं... प्रिंसिपल साहब का चैम्बर है...
वीर - तो.. मेरे दोस्त को कोई बेवजह डराएगा... तो छोड़ दूँगा क्या...
रुप - अमन ठीक ही तो कह रहा है... तुझे अपना होम वर्क करना चाहिए... किसी पर डिपेंड नहीं करना चाहिए...
लड़की - नहीं आंटी... मुझे वीर कभी होम वर्क करने के लिए देता नहीं है... मैं बस अपने तरफ से माँग लेती हूँ...
शुभ्रा - क्यूँ... क्यूँ करती हो ऐसा...
लड़की - मुझे अच्छा लगता है...
विश्व - अच्छा तो तुम्हें अच्छा लगता है...
लड़की - हाँ...
विश्व - वैसे तुम्हारा नाम क्या है...
लड़की - अनु... अनुसूया...
Bahut hi Awesome story bhai
Maza aa gaya padh ker ,aur bahut hi jabardast aapki lekhni hai kya hi sabdo ka chayan kerte hai aap ,ekdm lajawab

Pasandida update you mera wo court room ka bahas hai jab vishwa ,veer ke liye khada hua tha
 
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Bahut hi Awesome story bhai
Maza aa gaya padh ker ,aur bahut hi jabardast aapki lekhni hai kya hi sabdo ka chayan kerte hai aap ,ekdm lajawab

Pasandida update you mera wo court room ka bahas hai jab vishwa ,veer ke liye khada hua tha
शुक्रिया मेरे दोस्त आपका बहुत बहुत शुक्रिया
पाठक जब अपना टिप्पणी प्रदान करते हैं लेखन में उतना ही उत्साह बढ़ जाता है l
अभी मैं रोमांस थ्रेड पर स्पंदना नाम पर कहानी शुरु किया है l
आप उस कहानी से भी जुड़ें
धन्यवाद और आभार सहित
 
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Shandar story ka ek shandar ant
Aasha hai jld hi nye thrill ke sath jld hi wapas aaye
Golu भाई आपका बहुत बहुत शुक्रिया और आभार
फ़िलहाल अभी रोमांस के थ्रेड पर स्पंदना नाम से कहानी लिख रहा हूँ
उससे जुड़ीये
 

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जनाब W@gle सहाब कहानी को अपने थम्ब्स अप दिया है दो बोल लिख भी देते तो अच्छा लगता
 
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