वह बोली- साहब जी, बहुत दिनों से मेरी चूत आपके इस लंड को चाहती है! इतनी देर क्यों की चोदने में!
मैं- इतनी देर न करता तो तू सामने से मेरे लंड को थोड़ी पकड़ती!
ये कहकर मैंने उसकी पूरी साड़ी उतार दी और उसे अपनी बांहों में जोर से पकड़ लिया.
उसके बड़े-बड़े बूब्स मेरी छाती को छू रहे थे.
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, एकदम नर्म अहसास हो रहा था.
मैंने उसे नीचे बैठकर मेरा लंड चूसने को कहा.
वह तुरंत तैयार होकर नीचे बैठ गई और मेरे लंड के टॉप को जीभ से सहलाने लगी.
मेरे शरीर में सनसनी दौड़ने लगी.
अचानक उसने मेरा पूरा लंड मुँह में ले लिया.
वह जोर-जोर से मुँह हिलाने लगी.
उसके मुँह से पच-पच की आवाज़ आ रही थी और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
मैंने इसके बाद उसे दीवार की तरफ करके उसके मुँह को चोदना शुरू किया और जोर-जोर से लंड अन्दर-बाहर करने लगा.
उसकी आंखों और मुँह से पानी निकलने लगा और वह पूरी लाल हो गई!
दस मिनट तक ये सब चला और फिर मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया और किस करते-करते अपने बेडरूम में ले गया.
वहां जाकर मैंने उसे बेड पर डाल दिया.
अब वह मेरे सामने ब्लाउज और पेटीकोट में लेटी हुई थी.
मैंने उसका पेटीकोट उतार दिया तो देखा कि उसने पैंटी पहनी ही नहीं थी और उसकी चूत पूरी साफ थी, एक भी बाल नहीं था!
मैं समझ गया कि उसे भी पता था कि आज वह चुदने वाली है.
मैंने उसकी चूत को देखते ही उसमें अपनी जीभ घुमानी शुरू कर दी.
एक उंगली और जीभ दोनों साथ में शुरू किए और बहुत तेजी से उसकी चूत चाटने लगा.
उसके मुँह से पूरे कमरे में ‘आह्ह्ह आह्ह्ह!’ की आवाजें गूंज रही थीं
उसने मुझे ‘साहब’ कहना बंद करके ‘अजय’ कहना शुरू कर दिया था.
‘अजय, चाटो और जोर से … अन्दर तक पूरा डाल दो!’
मैंने कहा- हां मेरी रानी, आज तो पूरा अन्दर तक चाट कर डालूँगा!’
वह बोली- आह … आज मेरी चुत की धज्जियां उड़ा दो … मेरी चुत तुम्हारे लंड के लिए प्यासी है.
उसकी चूत बहुत गीली हो गई थी और मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.
थोड़ी देर बाद मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसका ब्लाउज पूरा फाड़ दिया.
वह चिल्लाई- अजय, क्या कर रहे हो! मेरा फेवरेट ब्लाउज था ये!
मैंने कहा- तेरे लिए और बनवा देंगे रानी, तू अभी मजे ले!
जैसे ही ब्लाउज निकला, उसने नीचे कुछ नहीं पहना था.
उसके बड़े-बड़े बूब्स मेरे सामने थे और उसके निप्पल बहुत बड़े थे, पूरी तरह टाइट हो गए थे.
जैसे ही मैंने उसके निप्पल को उंगलियों से पकड़ा, वह ‘आआ आह्ह आआ ह्ह्ह!’ चिल्लाने लगी.
संगीता- धीरे करो अजय, बहुत दर्द हो रहा है!
मैं- दर्द में ही तो मजा है!