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Incest रीति रिवाज

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dark_devil

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Update 02

"दीदी चलिए नहा कीजिए" मासी ने कमरे से बाहर निकलते हुए कहा...

मां खटिया से उठी और कोने पे पड़ी हुए बैग से ब्लाउज पेटिकोट और ब्रा पेंटी निकाल कर.. फर्श पर पड़ी हुए अपनी साड़ी को अपने बदन पे लपेट के कमरे से बाहर निकल आई...

आंगन के एक कोने में ही रसोई घर था जहा मासी अपना काम करने में मग्न थी.. मासी अभी अभी नहा के ही आई थी मां को उठाने उनके बालो से पानी की बुंदे एक एक कर मासी के ब्लाउज और पेटीकोट को भिगो रही थी.. मासी के ब्लाउज के आगे के दो बटन खुले हुए थे जिस से उनके सीने के उभार और अधिक मात्रा में देखे जा सकते थे.. मासी ब्रा नही पहनती थी उस वजह से स्तन की झलक साफ दिखाई देती थी...लेकिन इतनी सुबह ये अदभुत झलकियां देखने के लिए कोई नही था.. अगर कोई नौजवान मर्द मासी को इस हाल में देख लेता तो मासी के रूप का पक्का गुलाम बन बैठता...

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मासी की चोटी लेकिन उभरी हुई उरोज देख ऐसा लगता जैसे उनके स्तन उनके कसे हुए ब्लाउज को फाड़ बाहर आने को तड़प रहे हो... पतली कमर पतला और कसा हुआ बदन उपर से छोटी कद काठी मासी को उनकी उम्र से कही ज्यादा जवान बना देती...


दूसरी और मां अपनी किस्मत को कोसते हुए पानी की टंकी की और चल दी.. और वहा पहुंच के आस पास नजर घुमा के देखने लगी...मां सुबह की सूरज की सुनहरी किरने खेतो में देख मन ही मन सोचने लगी "कहा फस गई उनको पता चला में इसे खुले में नहा रही हू तो कितना गुस्सा होंगे.." मां अपने आप से ही बाते करते हुए.. अपने एक एक कर ब्लाउज के बटन खोलने लगी... और उनका हाथ पेटिकोट के नाडे पे जाते ही उन्हें अपनी स्थिति का अहसास हुए की वो एक खेत में टंकी के आगे बस कुछ पेड़ और पौधो ही थे जो कुछ हद तक दूर से उनके देखने वालो की नजर से उन्हें बचा पा रहे थे लेकिन अगर कोई पास से गुजरा तो क्या होगा... क्या उनके मखमले जिस्म के दर्शन कोई पराया मर्द इतनी आसानी से करेगा.. क्या जिस जिस्म को देखने का हक सिर्फ मां ने पापा को दिया था आज उसे कोई अंजान अपनी आखों से देख उसे पाने के हसीन सपने देखेगा...

मां के दिल में कही विचार घूम रहे थे.. कोई देख लेगा उसका दर उन्हे सताई जा रहा था... मां को कई साल से पूरे कपड़े उतार के नहाने की आदत सी लग गई थी लेकिन आज उन्होंने अपना पेटिकोट नही निकला और उसे अपने स्तन तक उपर कर नहाने लगी... मां का ध्यान आज नहाने में कम और आस पास ज्यादा था की कोई इस और न आ रहा हो...

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मां ने कुछ ही पल में अपने जिस्म को पानी से भिगो दिया और अपने जिस्म को इसे जल्दी जल्दी में साबुन से रगड़ने लगी जैसे दो मिनट ज्यादा नहाने में समय ले तो उनको कोई जान से मार देने वाला हो... लेकिन जैसे ही आखिर में मां का हाथ उनकी योनि को साफ करने उस पे गया.... मां जैसे अपना सब कुछ भूल उसे बड़े प्यार से सहलाने से खुद को रोक न पाई... "क्या हो गया है तुझे इतना क्यों मचल रही है.. आह आह..." मां ने अपनी एक ऊंगली योनि की गहराई में उतार दी और खुली हवा मां को अपनी योनि में उंगली कर एक अलग ही मस्ती चढ़ रही थी की मासी की पुकार ने मां का ध्यान भंग किया "दीदी कितनी देर....सो गई क्या"

मां को जैसे समय का पता ही न रहा था.. वो जब अपनी आखें खोल देखी तो सूरज की किरणे कई गुना तेज हो चुकी थी.. वो फट से पानी अपने जिस्म पे डाल.. अपने गीले जिस्म को कुछ हद तक सुखा के फट से अपनी गुलाबी ब्रा को पहन ली और दुसरे ही पल नया पेटिकोट ऊपर कर ली और गिला पेटिकोट उनके टांगों पे सरकता हुआ नीचे जा गिरा....

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मां ने जैसे ही अपना पेटीकोट पहन लिया वो इतना खुस हो गई जैसे कोई जंग जीत ली हो.. अब उनके गीले जिस्म से ठंडी हवाएं जब टकराने लगी उनके अंदर एक मस्ती सी जाने लगी और वो मुस्कराते हुए.. अपना ब्लाउज अपने के लिए अपने हाथ में ब्लाउज डाला ही था की... की मां की नजर और सामने से आ रहे मौसाजी की नजरे एक दुसरे से टकरा गई.. मां शर्म से पानी पानी हो गई...

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मौसाजी भी मां को पहली बार ऐसी हालत में देख सुन पड़ गई... ऊंह कुछ समझ ही ना आया क्या करे... वही उनकी नजरे ना चाहते हुए भी मां की गुलाबी रंग की ब्रा में उभर रहे चूची पे गड़ सी गई... ये बस दो पल का नजारा था उनके लिए.. मां दूसरे ही पल.. अपना मुंह दूसरी और कर दी...लेकिन उस से पहले ही मौसाजी भी नीचे मुंह कर घर की और चल दिए....

मौसाजी ने बस फिल्मों में ही देखा था किसी औरत को ब्रा में.. आज अपनी आखों से ऐसा नजारा देख उनके दिल में आज फिर वो तमन्ना जाग गई..जिसे वो कभी पूरा न कर पाई थे.. अपनी प्यारी पत्नी यानी मासी को ब्रा में देखने की... मासी बड़ी ही घरेलू और साधारण औरत थी जो अपने जिस्म का इतना तो ख्याल रख लेती थी की उसका मर्द बाहर मुंह न मारे लेकिन कभी गांव के रहन सहन से हट के कुछ नही की... ना ही उन्हे हिम्मत होती की बाजार में जाके ब्रा खरीदे.. हा ऐसा नही था की वो कोशिश न की हो... अपने पति की उसे ब्रा पेंटी में देखने की ख्वाइश को पूरा करने के लिए वो एक ब्रा ले तो आई थी.. लेकिन मासी के स्तन के लिए को ब्रा काफी बड़ी थी... लेकिन आज मौसाजी ने अपनी पत्नी को न सही अपनी पत्नी की बड़ी बहन को ब्रा पेटिकोट में देख ही लिया था... लेकिन वो उस खूबसूरत नज़ारे को भुलाने की पूरी कोशिश करने लगे लेकिन बार बार उनके आगे गुलाबी ब्रा अपना ब्लाउज पहन रही मां का बरन आ जाता...

वो अपने आप को रोक न पाई और रसोई घर में काम कर रही अपनी पत्नी इंदुमती को पीछे से पकड़ के उसके स्तन को अपने हाथो में थाम के मसलने लगे और मासी की गीली गर्दन को चूमने लगे... मासी एक दम से नरम पड़ गई और.. अपने पति को ये मनमानी करने से रोक न पाई...

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मासी भले ही एक शर्म से खुद की इच्छाओं को खुल के बोल नही पाती थी और घरेलू महिला थी लेकिन उनकी एक कमजोरी थी की वो बड़ी जल्दी गरम हो जाती थी..और अपनी योनि का अमृत गिराने लगती...

तभी में अपनी नींद से जाग के आधी नींद में ही रसोई घर की और पानी पीने के लिए आया और मेरी आंखे चमक उठी... मेरी प्यारी मासी अपना काम जारी रख अपने जिस्म के साथ मौसाजी द्वारा हो रहे इसे मादक खिलवाड़ को रोक नहीं रही थी... मेरी नींद ऐसा कामुक नजारा देख एक पल में भाग गई... और मेने अपनी आदत से मजबूर होके मेने मासी की कुछ कामुक तस्वीर निकल ली...और फिर हल्की सी आवाज की तो मासी ने अपने पति को फट से धक्का दिया और धीमे आवाज में बोली "हटिए कोई आ रहा है" और मौसाजी अपना मुंह लटका के बाहर निकल आई...

दिन भर में अपने चचेरे भाई बहन के साथ मस्ती मजाक करते हुए निकाल दिया... वो दोनो मुझे अपने साथ सोने के लिए बोलने लगे... मेरी चचेरी बहन पायल और मुझ से कुछ साल छोटी थी...

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हम दोनों एक दुसरे से काफी करीब थे.. सच कहूं तो में बस उसके लिए ही मां के साथ गांव आने को तैयार हुआ था... में पायल से कुछ दो साल बार मिल रहा था.. लेकिन एक ही दिन एम हम इतने घुल मिल गई जैसे कभी दूर ही न हुए हो... में अपनी कॉलेज के पहले साल में था और वो 12वी क्लास में पड़ रही थी... जब में उस से 2 साल पहले मिला था और आज जिस से में मिला था उन दोनो पायल में काफी कुछ बदलाव आ चुका था... मेने इतना ध्यान दिया नही था लेकिन उसकी ब्रा का उभार और उसकी पीठ पे हाथ रखने से उसकी ब्रा की पट्टी का अहसास.. से मेने जाने अंजाने ही सोच लिया की अब पायल भी मां की तरह ब्रा पहने लगी हे...और क्या कहूं में मां के स्तनों को उसके छोटे छोटे स्तन के साथ तुलना करने से खुद को रोक न पाया...

वो बार बार मुझ से लिपट जाती..तब उसके स्तन जब मेरी छाती में दब रहे होते थे में किसी और ही दुनिया में पहुंच जाता... और जब वो बोली की साथ में सोते हे.. में खुशी से झूम उठा लेकिन... में कल रात को भी केसे भूल जाता... मां के रसभरे स्तन को मुंह में लेकर चूसते हुए मां की गोद में सुकून से सोया जो था....

में सोच में पड़ गया अब क्या करू... लेकिन फिर सोचा कि पायल के छोटे भाई के होते हुए यहां में क्या ही उसके साथ करूंगा... और मेरे उसे मना कर दिया... मेरे मना करने से वो जैसे उसके कई अरमान पानी में मिल गई.. वो बिचारी तो सपने सजो के ही बैठी थी की मेरी बाहों में रात निकल दे.. उसकी आखों मे निराशा साफ़ दिखाई दी.. मुजे भी अब बुरा लगा लेकिन में माना कर अब हा बोलने में झिझक रहा था.. में मां वाले कमरे में चला गया... वो पापा से फोन पे बाते कर रही थी... मेरे जाते ही वो कुछ देर में फोन रख दी और....वो लेट गई... और मेरी और देख के मुस्कुरा दी...और कुछ देर दिन भर की बाते की और फिर...मां ने अपनी साड़ी उतार दी.. और बोली "सोनू बेटा फोन रख दे.. अब सोते है" और वो लेट गई... मेने उन्हे पीछे से पकड़ अपनी बाहों में कस के दबोच लिया...और कुछ देर हम एक दूसरे के जिस्म के टकराव से उत्पन हो रही काम आग में जलते रहे.. फिर मेने हिम्मत की और डरते हुए अपना हाथ मां के ब्लाउज पे रख दिया और कुछ देर बाद जब मां ने मुझे कुछ ना कहा मेने उनके ब्लाउज के उपर के एक बटन को खोलने की कोशिश में लग गया... जब में उनके ब्लाउज के बटन को न खोल पाया...में और अधिक मजबूती से मां के ब्लाउज को खोलने की कोशिश करने लगा.. मां तभी धीमी आवाज में बोली "रुक जा क्या कर रहा है इसे तो ये फट जायेगा मेरे लाल"

और वो मेरी और करवट ली और अपने हाथ से एक एक कर अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी...मेरी आखों के चमक आ गई.. मेरा दिल जैसे फट सा गया... की तभी मां को कुछ याद आया और वो बोली "सोनू बेटा.. में कुछ बोल नही रही हू इस का ये मतलब नही की कहीं भी मेरा ब्लाउज खोलने लगो.. मेरे लाल कोई देख लेगा तो.. वो तो अच्छा हुआ तेरी मासी ने ही देखा.. कोई और होता तो कितनी बात होती.." मां ने भारी आवाज में मुझे डाटते हुए कहा...

मेने एक मासूम बच्चे जैसे कहा "मां गलती हो गई..आगे से नही होगा.." और मेरी आखों से आसू निकल आई...

मां ने मुझे सीने से लगा लिया जिस से मेरा मुंह उनके स्तन पे आ गया लेकिन उन्होंने ब्रा पहनी हुए थी...

"मेरा बच्चा... आजा मेने माना नही किया है.. बस आगे से ध्यान रहे दरवाजा बंद किया करो.. ये हम दोनो के बीच की बात है बेटा... हर कोई इसे समझ नही पाएगा"

में खुशी से झूम उठा और मां के गालों को चूम के उठ के दरवाजा बंद किया... जब में मां के पास लेटा मां ने अपनी ब्रा निकल दी थी...और वो कुछ इस हालत में लेटी थी....

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मां ने अपनी आखें बंद की हुए थी और उनके चहरे पे हल्का सी जिजक थी.. और इंतजार की कब में उनके स्तन को मुंह लूंगा....

मेने उनके एक स्तन को हाथ से सहलाते हुए कहा.."मां आखें खोलो ना"

मां का कोई जवाब नही आया..तो मेने उनके स्तनों को चूसने और बड़े प्यार से मसलन लगा...

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मां को पहले तो बड़ा ही आनंद आने लगा जब मेने छोटे बच्चे के जैसे उनके स्तनों को चूसा लेकिन जैसे ही मेने उनके स्तन के निप्पल को मरोड़ दिया उनकी आखें खुल गई और वो मेने देखा की उनकी आखों में दर्द के साथ एक सवाल था "क्यों.." लेकिन में नही रुका और मां तड़पती रही...

"बेटा आउच... मेरे लाल ये क्या करने लगा.... आह मत कर..." मां ने दर्द और कामुक आवाज में कहा...

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मेने मां के स्तन की मासपेशियों को और अधिक मात्रा में चूसा और खींचा जिस से मां की सिसकारियां निकलने लगी...

कुछ समय तक मां के स्तनों को मसलने और चूसने के बाद में मां के निपल्स को मुंह में भर के ही कब सो गया में भी नही जानता.....
🌡️🔥
 

Black Werewolf

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Update 03

रात के 11 बजे है.. में अपनी प्यारी मां लीलावती की गोद में उनके स्तन को मुंह में लेकर गहरी नींद में सो चुका था.. मां का एक हाथ मेरे सर में था..मां भी गहरी नींद में चली गई थी..

दुसरे कमरे में मासी एक ब्रा को हाथ में लिए कुछ सोचते हुए बोली.. "देखिए जी ये मुझे नही आयेगी.. और दीदी को पता चला तो... नही नही ये में नही कर सकती.." और मासी ने एक एक कर अपने सीने से लगाए हुए ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए और मौसाजी के सामने अपने सीने को तान के बैठी हुई उन्हे अपने स्तनों की और इशारा की.. "देखिए जी... केसे उठ गई है आप के लिए.." और अपने खिल जैसे नुखीले निप्पल को उंगली से हल्का सा छू के कहा...
मौसाजी के मुंह पे कोई हाव भाव न बदला तो मासी को समझ आया की अपने पति की ये अजीब सी खाविश उसे पूरी करनी ही पड़ेगी...
मासी ने अपनी हार मानते हुए हल्का सा नाराजगी के साथ कहा "सब पता हे मुझे दीदी को नहाते हुए देख लिया था न सुबह आप ने... तभी ये सब.. में नंगी ही क्यों न हो जाऊ दीदी के आगे तो आप को कूच दिखता ही कहा है"

मौसाजी ने मासी को मनाते हुए.. मासी को अपनी बाहों में कस के पकड़ कर उनके एक स्तन को सहलाते हुए कहा.. "गुस्सा क्यों होती हो मेरी जान.. तुम भी पहन लो ना अपनी दीदी के जैसे ये ब्रा.. कब से तड़प रहा हु.." मौसाजी ने मां की ब्रा को हाथ में लिया और अपने नाक से लगा के उसकी खुशबू ली.. और मासी के होठ पे अपने होठ रख दिए...

बाहर खिड़की से को ये नजारा देख रहा था जिस से दोनो बेखबर थे...

मासी ने अपना मुंह फूला के अपना गुस्सा दिखाते हुए मां की ब्रा को अपने सीने पे पहन लिया... मां के स्तन उनसे बड़े होने से ब्रा हल्की सी ढीली पड़ रही थी.. लेकिन मौसाजी के लिए ये नजारा काफी था..



वो मासी को पकड़ के लेटा दिए और यहा वहा चूमने और काटने लगे.. मासी को बड़ी बेरहमी से भोगने लगे.... और जब आखिरी बार वो मासी की योनि में अपना लिंग जोरों से डाल सारा माल मासी की योनि में डाल मासी की बच्चेदानी को पूरा वीर्य से भर दिए और मासी के उपर धक के लेट गई... वो मासी को बड़े प्यार से चूमते हुए बोले "आह लीलावती जी.. आप जेसी कोई औरत नही आह... कितनी कामुक हो आप आह.. पूरा निचोड़ दिया आह"

मासी ने अपने पति को कस के सीने से लगाया और वो कुछ देर में जब वो सो गई मासी नंगी ही उठी और अपने आप को आयने में निहारने लगी.. और एक आशु की बूंद उनकी आखों से टपक के उनके सीने से सोते हुए घनी काली झांटों में गुम हो गई...

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वो अपने कपड़े पहन ली और बाहर निकल आई.. उन्हे लगा जैसे कोई बाहर था लेकिन मासी को लगा उनका वहम होगा...

मासी बाहर आंगन में चली आई वो बस पेटिकोट और ब्लाउस में खड़ी थी.. और ब्लाउज में मां की गुलाबी ब्रा...जिसे वो निकालना भूल गए थी...

वो कुछ देर बाद मां और मेरे कमरे के पास आई और दरवाजा को हल्का सा धक्का दिया लेकिन आज वो बंद था.. उन्हे उनके मुंह से कुछ चीन जाने के भाव आने लगे.. की कुछ पल में ही मासी की मुस्कान निकल आई...

वो कमरे के बाहर वाली खड़की को बिना आवाज किए खोल दी हल्की सी.. सामने का नजारा देख मासी की की बड़ी सी मुस्कान निकल आई..

सामने मासी ने देखा की.. मां का ब्लाउज खुला हुआ है और ब्रा भी नही पहनी मां ने.. और मेने मां को पीछे से पकड़ रखा है जैसे कोई मर्द अपनी नई नवेली दुल्हन को अपनी बाहों में भर के सोता हे...और मेरा एक हाथ मां के सीने पे उभरे हुए स्तन को थामे हुए था...और मां का पेटिकोट घुटनो तक उठा हुआ था जहा मेरा दूसरा हाथ पड़ा था....

मासी को जाने अंजाने ही ये देख के जलन होने लगी.. उन्हे जब की उन्होंने कभी नही सोचा था की उन्हे अपने बेटे से ऐसा प्यार या जुड़ाव महसूस करना था.. लेकिन एक मां को अपने बेटे से इतना निकट अवस्था में देख मासी के सीने में भी जैसे सैलाब आने लगा...

मासी वहा से जाने ही वाली थी की मां अचानक ही बिस्तर में बिन पानी की मछली माफिक तड़पने और मचलने लगी...मां की आखें बंद थी.. और वो बार बार अपने होठों को अपने नुखिले दातों के बीच दबा रही थी..मां एक दम काम देवी जैसे अपने हाव भाव बदल रही थी.. एक औरत को इसे तड़पता मासी पहली बार अपनी आखों से देख रही थी... मां ने अपना पेटिकोट और उपर खीच अपना हाथ टांगो के बीच डाल दिया... मां की हल्की हल्की सिसकारी निकल ने लगी...
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मासी ये सब देख इतनी गीली हो चुकी थी की वो भी अपनी योनि को किसी भी हाल में किसी झरने के माफिक पानी गिराने से रोक न पाई...

मां की हालत एक दम ऐसी थी कि कभी भी जोर जोर से सिसकती भरने लग सकती थी.. वो एक दम हड़बड़ा गई और खड़ी हुए जैसे तैसे और अपना ब्लाउज सही किया और.. कमरे से बाहर निकल आई.. मासी चुप गई और मां के पीछे जाने लगी...

मां जैसे तैसे पानी की टंकी के पीछे जाके बैठ गए..अब मासी बस दूर से उन्हे वहा जाते हुए देख पा रही थी...मां कुछ 30 मिनट बाद घर की और आने लगी.. उनकी हालत देख मासी हैरान रह गई.. मां का पेटिकोट मिट्टी वाला हो गया था.. बाल बिखरे हुए थे.. मां पसीने से लथपथ हुए.. अपने चहरे पे एक सुकून के साथ वापस लोट रही थी...

मासी के दिमाग में कई सवाल आने लगे जिनका जवाब सिर्फ मां के पास था लेकिन मासी इसे ही मुंह पर केसे पूछ लेती की.. बेटे के साथ ऐसी हालत में सोती हो और फिर वो सब...

अगली सुबह तक मासी को जैसे नींद ही नहीं आई सारी रात उसकी आखों के सामने उसकी बड़ी बहन का मचलता हुए जिस्म और मां बेटे का इसे एक दूसरे से लिपट के सोने वाला नजारा घूम रहा था...

जब सुबह होने को थी तभी मासी को नींद लग गई.. और आज मां खुद से उठ के पहले ही नहा ली.. इस वजह से मौसाजी को भी मां के दर्शन नहीं हुए.. और जब मासी उठी और मां और मेरे कमरे में आई.. मां पहले से नहा के बैठी थी.. में अभी तक सो ही रहा था...

मासी ने धीमी आवाज में अपनी जिज्ञाशा की आग में पूछ ही लिया "दीदी आप वो.. जैसे कल...वो दीदी" मासी बोल नही पा रही थी...

"बोल ना इतना क्या शर्मा रही है बोल चल क्या है" मां हस्ते हुए कहा...

"वो दीदी आप सोनू को कुछ कहती क्यों नही.. इसे तो ये बिगड़ जायेगा.." मासी ने गंभीर होते हुए कहा...

"क्या बोल रही ही किस बारे में बोल रही ही इंदु" मां ने सवाल भरे स्वर में कहा...

"देखिए दीदी आप अब इतना अंजान न बनो.. आप केसे सोनू के साथ ब्लाउज खोल के सोती हो" मासी का मुंह शर्म से लाल हो गया...

मां ने बड़ी ही निडरता और गर्व से कहा " देख इंदु मेने पहले ही कहा था सोनी बड़ा हो गया है.. में उसे ज्यादा कुछ नहीं बोल सकती.. देख बच्चे बड़े हो जाते है उसके बाद उन्हें ज्यादा टोको तो और बिगड़ जाते है.. और मुझे कुछ गलत नही लगता की वो मेरे सीने से लग के सोता है.. में सिसकी मां हु.. इनपर उसका पूरा हक है..."

"लेकिन दीदी वो बड़ा हो गया है.. और आप केसे खुद को संभाल पाती हो जब वो इतना करीब हो" मासी ने बिना कुछ सोचे ही पूछ लिया लेकिन फिर उन्हे अहसास हुआ की उन्हे ये नही पूछना था...

"क्या क्या... बोल रही हो इंदु.. दिमाग तो ठीक है तेरा.. मां हु उसकी में.. कुछ तो सोच के बोल.. अच्छा बता तू केसे संभाल पाती थी खुद को जब गोलू को अपना दूध पिलाती थी...बोल..."

"दीदी वो में उसे बचपन में पिलाती थी और आप अब...." मासी ने मां की आखों में गुस्सा देखा था इस लिए वो धीमे से नजरे नीचे कर बोली...

मां ने अपनी छोटी बहन को सहमा हुआ देख के बड़े प्यार से उसे अपनी बाहों में भर के कहा "मेरी प्यारी इंदु.. तू अभी नही समझेगी.. बेटा कितना भी बड़ा हो जाय बेटा ही रहता है" मासी ने कल रात वाली बात बताना ठीक नही समझा और वो बाहर निकल आई....

मां भी बाहर निकल गई और मासी को रसोई में मदद करने लगी.. तभी वहा पायल आई और मां के हाथ से सब्जी ले ली और खुद काटने लगी उसके गीले बालों से अभी तक पानी टपक रहा था.. वो इतनी प्यारी लग रही थी की मां ने उसके गालों को चूम के अपने सीने से चिपका लिया और कहा "कितनी प्यारी लगती है हमारी पायल.. जिस भी घर में जायगी उस घर को खुशियों से भर देगी" पायल शर्म से लाल हो गई और अपनी मां की और देखने लगी...

तभी वहा गोलू भागता हुआ आया और मां को पीछे से पकड़ के मां के गालों को चूम के बोला "मेरी प्यारी मासी.." मां ने प्यार से गोलू के गालों को बाते करते हुए ही सहला दिया...

मासी गुस्से में बोली "ये क्या हरकत है.. नालायक.. यही सिखाया है हम ने" मासी ने गुस्से में कहा.. और हाथ से मारने के लिए उसकी और आगे बड़ी...

मां ने मासी को रोकते हुए कहा "क्या बोल रही हो.. बच्चा है.."
"लेकिन वो" मासी ने कहा

"लेकिन क्या क्या गोलू की जगा सोनू होता और वो तुझे छुमता तो क्या फिर भी तू इसे ही गुस्सा होती" मां ने कहा...

मासी को फिर से कल रात वाला नजारा याद आ गया.. और सोनू अगर मुझे चूमे तो... ये सोच के वो एक दम ठंडी हो गई.. एक दम गहरी सोच में चली गई...

मासी कुछ बोलने वाली थी की.. मां के हाव भाव फिर से बदलना सुरु हो गई.. मां जैसे काम आग में तड़प उठी हो वैसे उनके मुंह पे भाव थे... मां खुद को रोक रही थी की सिसकारी ना निकल दे.. और वो खड़ी हुए और अपना फोन उठा के बाहर निकल गई घर से...

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पायल ने पूछा "मां सोनू अभी तक नही उठा" मासी ने कहा "हा वो से रहा हे जा उठा दे उसे भी"

पायल और गोलू मेरे कमरे में आने लगे की मासी ने गोलू को रोक लिया और अपने पास बुलाया.. "क्या हरकत थी वो.. शर्म नही आती कितना बड़ा हो गया है बच्चा नहीं रहा है तू"
"मां मां वो ना भईया भी तो करते है.." गोलू ने मासूमियत से कहा...
लेकिन मासी को कल की रात वाला नजारा याद आ गया जब जब में अपनी मां के स्तन को हाथ में लेकर सोया हुआ था"
और मासी ने सारा गुस्सा अपने बेटे गोलू पे निकल दिया और एक जोर से थप्पड़ जड़ दिया... "नालायक वो कुवे में कूदेगा तो तू भी कूदेगा क्या"

गोलू की आखों से आशु की नदी बहने लगी ना जाने कब उसकी मां ने उसे थप्पड़ मारा था.. उसके रूई जैसे गोरे गाल लाल टमाटर जैसे हो गई.. वो रोता हुआ अपने कमरे में चला गया... मासी को बहोत बुरा भी लगा की वो ये क्या कर दी... वो तो बार चूम रहा था.. गोलू थोड़ी ना उसके ब्लाउज को खोलने वाला था की वो सारा गुस्सा उसपे निकल दी....

मासी गोलू के पीछे गई और उसे मनाने लगी..और गोलू के पास बैठ गई और उसके चाटे से लाल हो चुके गाल को बड़े प्यार से सहलाने लगी..."मेरा प्यारा बच्चा माफ नही करेगा अपनी मां को"
गोलू ने गुस्से और नाराजगी से अपना मुंह फेर लिया.. "आप जाओ आप से कुछ बात नही करता में.."

मासी ने प्यार से कहा "बेटा गुस्से में हो गया अब भूल जा..बोल क्या खायेगा तू वही बनेगा"

"मां आप बहोत बुरी हो.. खुद तो कभी प्यार नही करती.. और मासी के साथ भी नही करने देते.."

"बेटा अब तू बड़ा हो गया है इसे करेगा तो तुझे सब बच्चा बोलेंगे तू बच्चा है क्या" मासी ने बड़े प्यार से कहा...

"मां आप ही तो कहती हो तू बच्चा है बच्चा है.. और भैया भी तो मासी को चुम्मी देते हे.. मेरा भी मन करता है आप को प्यार करने का.. लेकिन आप तो.. जाओ में आप से बात ही नही करता"

मासी अपने बेटे की नाराज़गी बर्दास्त नही कर पाई.. और अपनी हार स्वीकार कर गहरी सांस लेकर बोली "ठीक है लेके मेरी चुम्मी लेकिन अपनी मासी से दूर रहना पड़ेगा.. चुम्मी लेनी हो तो मेरी ले लेना लेकिन अकेले में किसी को पता नहीं चलना चाहिए"

मासी ने सोचा की अगर गोलू मां के ज्यादा करीब गया तो वो उसे भी बिगाड़ देगी उसी दर ने मासी ने गोलू को चूमने के लिए हा किया...

गोलू की खुशी का ठिकाना नहीं रहा वो झूम उठा और अपनी मां को कस के पकड़ लिया और बड़े ही प्यार से वो मासी के गालों पे उसके होठ रख देता है.. मासी को एक अजीब सी गुदगुदी हुए और.. साथ ममता से उनकी आखें भर आई...वो खुद भी सोचने लगी इतने प्यारे एहसास से वो इतने साल से क्यू भाग रही थी...
 
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Kahani bahut achhi chal rahi hai.ab isme flashbacks bhi aana chahiye ki golu aur maa (unki puri story.kaha se hai .ghar me kon kon hai etc..)aur kaise ye sab shuru hua.
 

rajeev13

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Kahani bahut achhi chal rahi hai.ab isme flashbacks bhi aana chahiye ki golu aur maa (unki puri story.kaha se hai .ghar me kon kon hai etc..)aur kaise ye sab shuru hua.
जरूर आएगी मित्र, लेखक ने जब इतना सोच कर कहानी को बीच से आरंभ किया है तो उन्होंने आगे फ्लेशबैक्स का भी ध्यान रखा होगा !
थोड़ा धैर्य रखे...
 
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Black Werewolf

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🛑🛑🛑 Important 🛑🛑🛑

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मेरी मासी
नाम – इंदुमती
बेटे का नाम – गोलू
बेटी का नाम – पायल
गांव में रहती है
मेरी मां
नाम – लीलावती
बेटे का नाम – सूरज (सोनू) यानी में खुद
सहर में रहती है
 

gagan2024

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Update 01

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ये ही मेरी प्यारी मां लीलावती....

आज से कुछ साल पहले में और मां मासी के घर पे सोए हुए थे की मासी हमारे सुबह सुबह हमारे कमरे में आई.. मासी गांव में रहती थी इस लिए उन्हे जल्दी उठने की आदत थी..

दरवाजा खुला और मासी ने देखा की में मां के सीने से लगा हुआ हु... मासी के मुंह पे प्यारी सी मुस्कान निकल आई हमे इतना प्यार से सोते देख.. वो और पास आई और.. मां की पीठ पर हाथ रख उन्हे आवाज दी.. "चलो दीदी उठ जाओ नहा लो"

मां ने सोते हुए ही जवाब दिया "सोने दे इंदू.. अभी तो अंधेरा है" और मां ने मुझे कस के अपनी बाहों में भर लिया...

"दीदी वो पिछली बारिश में हमारा घुसल खाना गिर पड़ा था तो खुले में नहाना पड़ेगा आप को.. अभी नहा पहोगी आप बाद में खुले में केसे नहा पाओगी आप"

मां एक दम से उठ खड़ी हुए और चौक के बोली "क्या बक रही है तू... में खुले में केसे नहा सकती हु.. कोई देख लेगा तो.." जितना मां ये सुन के चौक उठी थी उस से ज्यादा मासी मां के खुले ब्लाउज बाहर निकल के हवा में तन के खड़े मां में स्तनों को देख हैरान थी.. मासी के दिमाग में कई सवाल खड़े होने लगे.. इतनी उम्र में इतने कसे हुए स्तन.. और बेटे के साथ खुले ब्लाउज के साथ क्यों सो रही थी... और क्या कुछ देर पहले तक सूरज (यानी में) दीदी के स्तन मुंह में भर के सो रहा था.... लेकिन मासी बस इतना ही बोल पाई..."दीदी आप का ब्लाउज खुला क्यू है"....

मां को अपनी हालत का पता लगते ही वो एक दम हड़बड़ा गई और तुरंत अपने ब्लाउज के बटन लगाने लगी.."इंदू अब क्या कहूं ये सब ये बदमाश किया होगा.." मेरी और इशारा करते हुए मां ने अपना आखरी बटन भी लगा दिया....

"आप इसे कुछ बोलती क्यों नही" मासी ने अपनी उत्सुकता से पूछा...

"क्या कहूं इंदु 24 साल का जवान लड़का है.. खुद समझ जाएगा... कुछ कहा और बुरा लगा लिया तो... एक ही बेटा है मेरा...."

"दीदी कही बेटे के स्पर्श से तुम गीली तो नही हो जाती ना..🤭" मासी ने मां के कान में धीमे से कहा...

"चुप कर.. क्या बोल रही है.. बेटा है मेरा... इसी सीने से उसे 3 साल दूध पिलाया है.."

"दीदी चलो नहा लो बातो बातो मे उजाला हो गया"
Nice
 

Black Werewolf

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Kahani bahut achhi chal rahi hai.ab isme flashbacks bhi aana chahiye ki golu aur maa (unki puri story.kaha se hai .ghar me kon kon hai etc..)aur kaise ye sab shuru hua.

जरूर आएगी मित्र, लेखक ने जब इतना सोच कर कहानी को बीच से आरंभ किया है तो उन्होंने आगे फ्लेशबैक्स का भी ध्यान रखा होगा !
थोड़ा धैर्य रखे...

Superb start


Thanks
 
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