dark_devil
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Update 02
"दीदी चलिए नहा कीजिए" मासी ने कमरे से बाहर निकलते हुए कहा...
मां खटिया से उठी और कोने पे पड़ी हुए बैग से ब्लाउज पेटिकोट और ब्रा पेंटी निकाल कर.. फर्श पर पड़ी हुए अपनी साड़ी को अपने बदन पे लपेट के कमरे से बाहर निकल आई...
आंगन के एक कोने में ही रसोई घर था जहा मासी अपना काम करने में मग्न थी.. मासी अभी अभी नहा के ही आई थी मां को उठाने उनके बालो से पानी की बुंदे एक एक कर मासी के ब्लाउज और पेटीकोट को भिगो रही थी.. मासी के ब्लाउज के आगे के दो बटन खुले हुए थे जिस से उनके सीने के उभार और अधिक मात्रा में देखे जा सकते थे.. मासी ब्रा नही पहनती थी उस वजह से स्तन की झलक साफ दिखाई देती थी...लेकिन इतनी सुबह ये अदभुत झलकियां देखने के लिए कोई नही था.. अगर कोई नौजवान मर्द मासी को इस हाल में देख लेता तो मासी के रूप का पक्का गुलाम बन बैठता...
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मासी की चोटी लेकिन उभरी हुई उरोज देख ऐसा लगता जैसे उनके स्तन उनके कसे हुए ब्लाउज को फाड़ बाहर आने को तड़प रहे हो... पतली कमर पतला और कसा हुआ बदन उपर से छोटी कद काठी मासी को उनकी उम्र से कही ज्यादा जवान बना देती...
दूसरी और मां अपनी किस्मत को कोसते हुए पानी की टंकी की और चल दी.. और वहा पहुंच के आस पास नजर घुमा के देखने लगी...मां सुबह की सूरज की सुनहरी किरने खेतो में देख मन ही मन सोचने लगी "कहा फस गई उनको पता चला में इसे खुले में नहा रही हू तो कितना गुस्सा होंगे.." मां अपने आप से ही बाते करते हुए.. अपने एक एक कर ब्लाउज के बटन खोलने लगी... और उनका हाथ पेटिकोट के नाडे पे जाते ही उन्हें अपनी स्थिति का अहसास हुए की वो एक खेत में टंकी के आगे बस कुछ पेड़ और पौधो ही थे जो कुछ हद तक दूर से उनके देखने वालो की नजर से उन्हें बचा पा रहे थे लेकिन अगर कोई पास से गुजरा तो क्या होगा... क्या उनके मखमले जिस्म के दर्शन कोई पराया मर्द इतनी आसानी से करेगा.. क्या जिस जिस्म को देखने का हक सिर्फ मां ने पापा को दिया था आज उसे कोई अंजान अपनी आखों से देख उसे पाने के हसीन सपने देखेगा...
मां के दिल में कही विचार घूम रहे थे.. कोई देख लेगा उसका दर उन्हे सताई जा रहा था... मां को कई साल से पूरे कपड़े उतार के नहाने की आदत सी लग गई थी लेकिन आज उन्होंने अपना पेटिकोट नही निकला और उसे अपने स्तन तक उपर कर नहाने लगी... मां का ध्यान आज नहाने में कम और आस पास ज्यादा था की कोई इस और न आ रहा हो...
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मां ने कुछ ही पल में अपने जिस्म को पानी से भिगो दिया और अपने जिस्म को इसे जल्दी जल्दी में साबुन से रगड़ने लगी जैसे दो मिनट ज्यादा नहाने में समय ले तो उनको कोई जान से मार देने वाला हो... लेकिन जैसे ही आखिर में मां का हाथ उनकी योनि को साफ करने उस पे गया.... मां जैसे अपना सब कुछ भूल उसे बड़े प्यार से सहलाने से खुद को रोक न पाई... "क्या हो गया है तुझे इतना क्यों मचल रही है.. आह आह..." मां ने अपनी एक ऊंगली योनि की गहराई में उतार दी और खुली हवा मां को अपनी योनि में उंगली कर एक अलग ही मस्ती चढ़ रही थी की मासी की पुकार ने मां का ध्यान भंग किया "दीदी कितनी देर....सो गई क्या"
मां को जैसे समय का पता ही न रहा था.. वो जब अपनी आखें खोल देखी तो सूरज की किरणे कई गुना तेज हो चुकी थी.. वो फट से पानी अपने जिस्म पे डाल.. अपने गीले जिस्म को कुछ हद तक सुखा के फट से अपनी गुलाबी ब्रा को पहन ली और दुसरे ही पल नया पेटिकोट ऊपर कर ली और गिला पेटिकोट उनके टांगों पे सरकता हुआ नीचे जा गिरा....
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मां ने जैसे ही अपना पेटीकोट पहन लिया वो इतना खुस हो गई जैसे कोई जंग जीत ली हो.. अब उनके गीले जिस्म से ठंडी हवाएं जब टकराने लगी उनके अंदर एक मस्ती सी जाने लगी और वो मुस्कराते हुए.. अपना ब्लाउज अपने के लिए अपने हाथ में ब्लाउज डाला ही था की... की मां की नजर और सामने से आ रहे मौसाजी की नजरे एक दुसरे से टकरा गई.. मां शर्म से पानी पानी हो गई...
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मौसाजी भी मां को पहली बार ऐसी हालत में देख सुन पड़ गई... ऊंह कुछ समझ ही ना आया क्या करे... वही उनकी नजरे ना चाहते हुए भी मां की गुलाबी रंग की ब्रा में उभर रहे चूची पे गड़ सी गई... ये बस दो पल का नजारा था उनके लिए.. मां दूसरे ही पल.. अपना मुंह दूसरी और कर दी...लेकिन उस से पहले ही मौसाजी भी नीचे मुंह कर घर की और चल दिए....
मौसाजी ने बस फिल्मों में ही देखा था किसी औरत को ब्रा में.. आज अपनी आखों से ऐसा नजारा देख उनके दिल में आज फिर वो तमन्ना जाग गई..जिसे वो कभी पूरा न कर पाई थे.. अपनी प्यारी पत्नी यानी मासी को ब्रा में देखने की... मासी बड़ी ही घरेलू और साधारण औरत थी जो अपने जिस्म का इतना तो ख्याल रख लेती थी की उसका मर्द बाहर मुंह न मारे लेकिन कभी गांव के रहन सहन से हट के कुछ नही की... ना ही उन्हे हिम्मत होती की बाजार में जाके ब्रा खरीदे.. हा ऐसा नही था की वो कोशिश न की हो... अपने पति की उसे ब्रा पेंटी में देखने की ख्वाइश को पूरा करने के लिए वो एक ब्रा ले तो आई थी.. लेकिन मासी के स्तन के लिए को ब्रा काफी बड़ी थी... लेकिन आज मौसाजी ने अपनी पत्नी को न सही अपनी पत्नी की बड़ी बहन को ब्रा पेटिकोट में देख ही लिया था... लेकिन वो उस खूबसूरत नज़ारे को भुलाने की पूरी कोशिश करने लगे लेकिन बार बार उनके आगे गुलाबी ब्रा अपना ब्लाउज पहन रही मां का बरन आ जाता...
वो अपने आप को रोक न पाई और रसोई घर में काम कर रही अपनी पत्नी इंदुमती को पीछे से पकड़ के उसके स्तन को अपने हाथो में थाम के मसलने लगे और मासी की गीली गर्दन को चूमने लगे... मासी एक दम से नरम पड़ गई और.. अपने पति को ये मनमानी करने से रोक न पाई...
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मासी भले ही एक शर्म से खुद की इच्छाओं को खुल के बोल नही पाती थी और घरेलू महिला थी लेकिन उनकी एक कमजोरी थी की वो बड़ी जल्दी गरम हो जाती थी..और अपनी योनि का अमृत गिराने लगती...
तभी में अपनी नींद से जाग के आधी नींद में ही रसोई घर की और पानी पीने के लिए आया और मेरी आंखे चमक उठी... मेरी प्यारी मासी अपना काम जारी रख अपने जिस्म के साथ मौसाजी द्वारा हो रहे इसे मादक खिलवाड़ को रोक नहीं रही थी... मेरी नींद ऐसा कामुक नजारा देख एक पल में भाग गई... और मेने अपनी आदत से मजबूर होके मेने मासी की कुछ कामुक तस्वीर निकल ली...और फिर हल्की सी आवाज की तो मासी ने अपने पति को फट से धक्का दिया और धीमे आवाज में बोली "हटिए कोई आ रहा है" और मौसाजी अपना मुंह लटका के बाहर निकल आई...
दिन भर में अपने चचेरे भाई बहन के साथ मस्ती मजाक करते हुए निकाल दिया... वो दोनो मुझे अपने साथ सोने के लिए बोलने लगे... मेरी चचेरी बहन पायल और मुझ से कुछ साल छोटी थी...
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हम दोनों एक दुसरे से काफी करीब थे.. सच कहूं तो में बस उसके लिए ही मां के साथ गांव आने को तैयार हुआ था... में पायल से कुछ दो साल बार मिल रहा था.. लेकिन एक ही दिन एम हम इतने घुल मिल गई जैसे कभी दूर ही न हुए हो... में अपनी कॉलेज के पहले साल में था और वो 12वी क्लास में पड़ रही थी... जब में उस से 2 साल पहले मिला था और आज जिस से में मिला था उन दोनो पायल में काफी कुछ बदलाव आ चुका था... मेने इतना ध्यान दिया नही था लेकिन उसकी ब्रा का उभार और उसकी पीठ पे हाथ रखने से उसकी ब्रा की पट्टी का अहसास.. से मेने जाने अंजाने ही सोच लिया की अब पायल भी मां की तरह ब्रा पहने लगी हे...और क्या कहूं में मां के स्तनों को उसके छोटे छोटे स्तन के साथ तुलना करने से खुद को रोक न पाया...
वो बार बार मुझ से लिपट जाती..तब उसके स्तन जब मेरी छाती में दब रहे होते थे में किसी और ही दुनिया में पहुंच जाता... और जब वो बोली की साथ में सोते हे.. में खुशी से झूम उठा लेकिन... में कल रात को भी केसे भूल जाता... मां के रसभरे स्तन को मुंह में लेकर चूसते हुए मां की गोद में सुकून से सोया जो था....
में सोच में पड़ गया अब क्या करू... लेकिन फिर सोचा कि पायल के छोटे भाई के होते हुए यहां में क्या ही उसके साथ करूंगा... और मेरे उसे मना कर दिया... मेरे मना करने से वो जैसे उसके कई अरमान पानी में मिल गई.. वो बिचारी तो सपने सजो के ही बैठी थी की मेरी बाहों में रात निकल दे.. उसकी आखों मे निराशा साफ़ दिखाई दी.. मुजे भी अब बुरा लगा लेकिन में माना कर अब हा बोलने में झिझक रहा था.. में मां वाले कमरे में चला गया... वो पापा से फोन पे बाते कर रही थी... मेरे जाते ही वो कुछ देर में फोन रख दी और....वो लेट गई... और मेरी और देख के मुस्कुरा दी...और कुछ देर दिन भर की बाते की और फिर...मां ने अपनी साड़ी उतार दी.. और बोली "सोनू बेटा फोन रख दे.. अब सोते है" और वो लेट गई... मेने उन्हे पीछे से पकड़ अपनी बाहों में कस के दबोच लिया...और कुछ देर हम एक दूसरे के जिस्म के टकराव से उत्पन हो रही काम आग में जलते रहे.. फिर मेने हिम्मत की और डरते हुए अपना हाथ मां के ब्लाउज पे रख दिया और कुछ देर बाद जब मां ने मुझे कुछ ना कहा मेने उनके ब्लाउज के उपर के एक बटन को खोलने की कोशिश में लग गया... जब में उनके ब्लाउज के बटन को न खोल पाया...में और अधिक मजबूती से मां के ब्लाउज को खोलने की कोशिश करने लगा.. मां तभी धीमी आवाज में बोली "रुक जा क्या कर रहा है इसे तो ये फट जायेगा मेरे लाल"
और वो मेरी और करवट ली और अपने हाथ से एक एक कर अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी...मेरी आखों के चमक आ गई.. मेरा दिल जैसे फट सा गया... की तभी मां को कुछ याद आया और वो बोली "सोनू बेटा.. में कुछ बोल नही रही हू इस का ये मतलब नही की कहीं भी मेरा ब्लाउज खोलने लगो.. मेरे लाल कोई देख लेगा तो.. वो तो अच्छा हुआ तेरी मासी ने ही देखा.. कोई और होता तो कितनी बात होती.." मां ने भारी आवाज में मुझे डाटते हुए कहा...
मेने एक मासूम बच्चे जैसे कहा "मां गलती हो गई..आगे से नही होगा.." और मेरी आखों से आसू निकल आई...
मां ने मुझे सीने से लगा लिया जिस से मेरा मुंह उनके स्तन पे आ गया लेकिन उन्होंने ब्रा पहनी हुए थी...
"मेरा बच्चा... आजा मेने माना नही किया है.. बस आगे से ध्यान रहे दरवाजा बंद किया करो.. ये हम दोनो के बीच की बात है बेटा... हर कोई इसे समझ नही पाएगा"
में खुशी से झूम उठा और मां के गालों को चूम के उठ के दरवाजा बंद किया... जब में मां के पास लेटा मां ने अपनी ब्रा निकल दी थी...और वो कुछ इस हालत में लेटी थी....
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मां ने अपनी आखें बंद की हुए थी और उनके चहरे पे हल्का सी जिजक थी.. और इंतजार की कब में उनके स्तन को मुंह लूंगा....
मेने उनके एक स्तन को हाथ से सहलाते हुए कहा.."मां आखें खोलो ना"
मां का कोई जवाब नही आया..तो मेने उनके स्तनों को चूसने और बड़े प्यार से मसलन लगा...
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मां को पहले तो बड़ा ही आनंद आने लगा जब मेने छोटे बच्चे के जैसे उनके स्तनों को चूसा लेकिन जैसे ही मेने उनके स्तन के निप्पल को मरोड़ दिया उनकी आखें खुल गई और वो मेने देखा की उनकी आखों में दर्द के साथ एक सवाल था "क्यों.." लेकिन में नही रुका और मां तड़पती रही...
"बेटा आउच... मेरे लाल ये क्या करने लगा.... आह मत कर..." मां ने दर्द और कामुक आवाज में कहा...
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मेने मां के स्तन की मासपेशियों को और अधिक मात्रा में चूसा और खींचा जिस से मां की सिसकारियां निकलने लगी...
कुछ समय तक मां के स्तनों को मसलने और चूसने के बाद में मां के निपल्स को मुंह में भर के ही कब सो गया में भी नही जानता.....

