मंजुला : (मुस्कुराते) बेटा.. पुनो ओर भावु रेडी हे.. लता नही आ रही.. इसके बदले हमारी दया बहेन आ रही हे.. उसने तो सादीकी खरीदी भी नहीकी.. अैसे ही उनका ब्याह होगया.. जब दो तीन दिनमे सब खतम होजाये.. तो तीनोको यहा छोडजाना..
लखन : (मुस्कुराते) जी मोम.. मे सबके लीये कपडे लेआउगा..
मंजुला : (मुस्कुराते) अरे नही नही.. अभी बहुत कपडे पडे हे.. पीछली बार भी तुम बहुत सारे कपडे ले आये थे.. अभी तो सीर्फ पुनोकी सादीके कपडे ही लेना.. ओर कुछ दया बहेन ओर भावनाके लीये.. तेरे लीये भी कुछ लेलेना..
लखन : (मंजुके कंधेपे सर रखते) ठीक हे मोम.. जैसा आप कहे.. मे सब देख लुगा..
भुमीका : (आंख गीली करते) लखन बेटा.. कैसी हे मेरी सृती..? वो ठीक तो हेनां..?
लखन : (हसते फोन लगाते) हां भाभी.. आपकी बेटी अेक दम मस्त हे.. तीन दिन पहेले ही हाथकी पटी नीकलवाकर आये हे.. बस.. थोठी पैरमे प्रोबलेम हे.. वो भी जल्द ठीक होजायेगी.. रुको.. अभी आपकी बात करवाता हु.. हें..हें..हें..
भुमीका : (सरमाते जुठे गुस्सेसे अेक मुका मारते) भाभीके बच्चे.. बुआ हु तेरी.. तु अब जरुर मेरे हाथसे पीटेगा.. मेरी भी मस्ती करने लगा हे.. अभी तो बात कर लेती हु.. बादमे तुजे देखती हु..
मंजुला : (जोरोसे हसते) अेय दीदी.. मेरे बेटेको मारो मत.. सहीतो कहा इसने.. हें..हे..हें..
भुमीका : दीदीकी बच्ची तुभी वोही हे.. तेरी मां भीतो हमारी सौतन हे.. तो फीर इनको नानीमां क्यु कहेता हे..?
नीर्मला : (अेक मुका जडते) कमीनी मेरा नाम क्यु ले रही हे.. ठीक हीतो कहा मंजुने.. सौतन हुतो क्या हुआ..? हेतो मेरी बेटी ही.. ओर लखन उनका बेटा हेतो मेतो नानी हुइ की नही..?
भुमीका : (जोरोसे हसते) हे भगवान.. यहा तो दो दिनमे ही रीस्ते बदल जाते हे..
मंजुला : (हसते) मोम.. कुछ महीने ठहेरीये.. यहा जो बच्चे कुच्चे रीस्ते हे.. वो भी खतम होजायेगे..
नीर्मला : (हसते) हे भगवान.. हमे ओर क्या क्या देखनेको मीलेगा..
लखन : (हसते) अेक मीनीट.. फोन लग गया.. हाइ स्वीट हार्ट.. कैसी हे आप..? खाना खालीया..?
सृती : (सरमाते हसते) नही जानु.. बस.. अभी खालेगे.. क्या गांव पहोंच गये आप..?
लखन : (मुस्कुराते) हां.. पहोच गया.. लीजीये अपनी मम्मीसे बात कीजीये..
भुमीका : (हसते फोन लेते लखनको अेक मुका मारते) हां बेटा..? कैसी हो तुम..? हाथ पैरमे सब ठीक हो गया..?
सृती : (आंख गीली करते) मोम.. मे ठीक हु.. अभी पैरमे थोडीसी प्रोबलेम हे.. वो भी ठीक होजायेगी.. पहेले ये बताओ.. आप कैसी हे..? मोम.. वहा आप खुस तो हेनां..?
भुमीका : (आंख गीली करते) हां बेटा.. मे यहा बहुत बहुत.. खुस हु.. यहा मेरा खयाल रखने वाली मंजु बेटी हे.. ओर सब लोग हमारा खयाल रखते हे.. तु मेरी चीन्ता मत कर.. ये बता.. वहा तुजे लखन बेटा तंगतो नही करता..? तो बोलदे.. अभी यही हे.. इनकी खुब पीटाइ कर दुगी..
सृती : (हसते) नही मोम.. वो आपकी बेटीको बहुत प्यार करते हे.. मेरा वोही तो खयाल रख रहे हे.. मोम.. वो बहुत अच्छे हे..
भुमीका : (हसते) अरे..? क्या बात हे..? आज तो तु इनकी बडी तारीफ कर रही हे..? हमेसा तो दोनो जगडते रहेते हो.. तो आज उल्टी गंगा कैसे बेह रही हे..?
सृती : (हसते) मोम.. क्या आपभी..? हम कहा जगडते हे..? बस.. थोडीसी मस्तीया करते थे.. मोम.. आपको कोइ तकलीफ तो नही..? मीन्स.. वो.. आपकी प्रेगनन्सीमे.. मे वहा आउगी तब देख लुगी..
भुमीका : (सरमाते धीरेसे) नही बेटा.. सब ठीक हे.. यहा आओ तब देख लेना..
सृती : (मुस्कुराते) ठीक हे मोम.. मोम.. फोन जरा लखन भैयाको देनां.. मुजे उसनसे कुछ काम हे..
भुमीका : (हसते फोन वापस देते) ले लखन बेटा वो तुमसे बात करना चाहती हे..
लखन : (फोन लेते बात करते) हां दीदी.. कहीये.. क्या बात करनी हे..
सृती : (सरमाते धीरेसे) लखन भैया.. अभी वहा कीसीको हमारे बारेमे मत बताना.. मे पुनोदीसे बात करलुगी.. जब मम्मी रुबरु मीलेगी तो मे उनको सरप्राइज देना चाहती हु.. आप समज गयेनां..? जानु.. आप वापस कब हा रहे हो..? जल्दीसे आजाओनां.. आपके बीना यहा अच्छा नही लगता..
लखन : (मुस्कुराते) दीदी..हम खाना आकर नीकल जायेगे.. तो साम तक आजाउगा.. ओके..? चलो बाय..
भुमीका : (जोरोसे हसते) आज तो बीवीको लेने आया तो जल्दी भाग जायेगा.. हें..हें..हें..
लखन : (हसते) हां.. तभी मे सोचु.. की सृतीदी मेरी इतनी मस्तीया क्यु कर रही हे.. अब मांका गुण बेटी मेतो आयेगा ही.. अब तो आप भी मेरी भाभी होगइ हो.. देखना अब आपको भी नही छोडुगा..
नीर्मला : (जोरोसे हसते) हां.. छोडना भी मत.. वरना मे तुजे पीटुगीं.. हें..हें..हें..
कहा तो सबलोग जोरोसे हसने लगे.. तो भुमीका भी सरमाकर हसते हुअे लखनको मुका मारने लगी.. अैसे ही मस्ती मजाक करते रहे तबतक देवायतभी घरपे आ गया.. तो लखनने उनको अपनी कार दीखाइ तो देवायतने अेक चकर भी लगाइ.. फीर सबलोग खाना खाने बैठ गये.. आज पुनम बहुत ही सरमा रही थी.. ओर बार बार टेडी नजर करते लखनको देख लेती थी.. जैसे उनकी नइ नइ लखनके साथ सगाइ हुइ हो.. तभी..