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Incest रिश्तों का कामुक संगम

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lovlesh2002

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बेहद कामुक
सजा में मज़ा

होली से एक दिन पहले सब ट्रैन से गया घूमने निकल पड़े। राजू मीरा गुड्डी और उसका पति। गया एक पर्यटन स्थल था। सब ट्रैन में बैठे थे। गुड्डी और मीरा ने सबके लिए पूरी और सब्जी बनाई थी। राजू और गुड्डी की आंख मिचौली लगातार चल रही थी। उधर मीरा भी उससे अपना टांका भिड़ाने की फिराक में थी। दोनों राजू का खास ख्याल रख रही थी। गुड्डी को इसी बीच शरारत सूझी और उसने आंखों से इशारा कर राजू को टॉयलेट की ओर आने का इशारा किया। पहले गुड्डी गयी और उसके पीछे थोड़ी देर बाद राजू गया। राजू जब टॉयलेट के पास पहुंचा तो उसे मालूम नहीं हुआ कि गुड्डी किस टॉयलेट में घुसी है। तभी टॉयलेट का दरवाजा खुला और एक हाथ बाहर आया। राजू को खींच उसने अंदर ले लिया और दरवाजा बंद कर लिया। अंदर गुड्डी उससे चिपक गयी। राजू ने उसके बाल सहलाये और चारों ओर नज़र दौराई। दीवारों पर मनचले लड़को ने गंदी चित्रकारी की हुई थी, जिसमें लण्ड और बूर के चित्र, लड़का लड़की की नंगी चुदाई की चित्र बने हुए थे। वहां गंदी गालियां और गंदी गंदी बातें लिखी हुई थी। गुड्डी ने भी वो सब देख रखा था, उसे ये सब पढ़ना और देखना अच्छा लगता था। राजू ने उसे कहा," गुड्डी दीदी हमहुँ तहार नाम एक बेर ट्रेन में असही टॉयलेट में लिखने रहनि, जब हम तहार कच्छी एक बेर उठा के लाउने रहनि।"
गुड्डी उसकी ओर देख बोली," अच्छा, हमार नाम इँहा काहे लिखलु?
राजू," बस मन कइल रहे। उ लिखके अच्छा बुझाईल रहे।"
गुड्डी," अच्छा, त आज फेर लिख।"
राजू," का?
गुड्डी," जे भी मन करे, हमरा बारे में चाहे माई के बारे में।"
राजू," न आज तू लिख, मज़ा आयी।" ऐसा बोल उसने एक कलम गुड्डी को दिया। राजू ने गुड्डी से बोला," कुछ अइसन लिख कि लांड टनटना जाए।"
गुड्डी मुस्कुराते हुए कलम चलाने लगी। उसने बूर में घुसे हुए लण्ड की तस्वीर बना लिखा, राजू आपन माई के बूर चोद रहल बा। राजू बड़का मादरचोद बा।"
राजू का लण्ड वाकई में टनटना गया। गुड्डी को उसका लण्ड महसूस हुआ। गुड्डी बोली," लांड टनक गईल ना। माई के चोदे के नाम पर।" फिर खुद राजू के सामने बैठ उसकी पैंट उतारने लगी। उसने फौरन राजू का पैंट उतार उसकी चड्डी के ऊपर से लण्ड को अपने चेहरे पर महसूस कर रही थी। राजू का खड़ा लण्ड, शिश्न से रिसता हुआ पानी, आंड़ के जांघों के बीच फंसे रहने से पसीने की मादकता, सब गुड्डी अपनी साँसों में समा रही थी। राजू ने गुड्डी के सर पर हाथ फेरते हुए बोला," सच ई घर के औरत सब हमेशा कामोन्माद में रहेली। तू भी अउर तहार माई भी।" राजू ने गुड्डी के चूचियों को ब्लाउज से बाहर कर दिया और मीजने लगा। गुड्डी ने अपनी सारी कमर तक उठा ली। अब ट्रेन की रफ्तार के साथ तालमेल बिठा गुड्डी लण्ड चूसने लगी।

गुड्डी राजू का लण्ड चूसती हुई बोलती है," राजू, तू माई के कइसे चोदत रहलु। कुछ बताबा ना, माई के रंडीपना के कहानी।"
राजू," उफ़्फ़फ़... तू केकर नाम ले लेलु। माई त जबरदस्त रंडीपना वाली चुदक्कड़ माल बिया। साली चुदाबे में अखिनयो बहुत सक्षम बिया। ओकर बुर हरदम बहत रहेला। घर के बाहर जेतना संस्कारी बा, उतने बिस्तर पर छिनार बिया। बिछौन पर उ पूरा निचोड़ लेवेली हमार आंड़ के रस। बाप रे कभू कभू त ओकरा रात में तीन से चार बेर चोदे पड़ेला, लेकिन बूर तभियो हमेशा बहेला। अइसन औरत के गर्मी उतारे में बाबूजी ई उमर में सक्षम नइखे। अब का करि, माई के गर्मी ओकरा चोद चोद के शांत करेनि।"
गुड्डी उसके लण्ड को थूक से मलते हुए बोली," तनि माई के चुदाई के कुछ कहानी बताबा ना। जब तू अउर माई बेकाबू हो गईलु।"
राजू," गुड्डी दीदी एक दिन के बात ह। माई के माहवारी खतम भईल रहे। तू त जानते बारू माहवारी के बाद, औरत केतना चुदाबे चाहिले। उ दिन जब उ आपन केश धोके, मांग में लाल सिंदूर अउर लाल टिका लगाके सुरमई आँखिया से हमके देखत रहल त हम बूझ गइनी कि आज कुछ अलग होई......

बीना," राजू बेटा, आज तू बाहर मत जो। हमार हाथ तनि बंटा दअ। फसल कटाई के बाद गेहूं वइसे ही रखल बा। सब मूस ओकरा खाके खराब कर दी।"
राजू," माई लेकिन आज बहुत जरूरी काम बा। हमरा जायके पड़ी।"
बीना," कउनु काम होई ओकरा छोड़ दे। सबसे पहिले घर के काम जरूरी बा।"
धरमदेव तैयार होकर निकल रहा था वो पूरी बात सुन रहा था। उसने राजू से कहा," माई ठीक कहत बिया। आज तू हिंये रह अउर ओकर मदद कर। आखिर एहि खातिर त लोग जिंदा बा।"
बीना धरमदेव के पीछे खड़ी थी, वो राजू को देख हंसी और ओठ काटते हुए उसे कामुक नजरों से देख रही थी। राजू समझ गया था कि आज बीना पूरे मूड में है। फिर क्या था राजू तौलिया उठाकर नहाने चला गया। कुछ देर बाद धरमदेव घर से काम पर चला गया। उसके जाते ही बीना मचल उठी। उसने घर का दरवाजा लगाया और राजू को ढूंढते हुए, उसके कमरे में गयी। वहां राजू अपने बाल संवार रहा था। बीना उसके पास छम छम करते हुए आयी। राजू के पास आकर बोली," लावा हम कर दी।"
राजू ने बीना को कंघी दे दी और उसकी नंगी कमर पर हाथ रख उसे अपने करीब खींच लिया और बोला," का इशारा करत रहलु, तभि आपन ई लाल ओठवा काटके?
बीना की चूचियाँ राजू के सीने से चिपकी हुई थी, वो गहरी सांस लेते हुए बोली," इहे कि आज ई लाल ओठवा के रस तहरा पियाबे चाहेनि।"
राजू उसके ठुड्ढी को उठा बोला," ई ओठ त चुसब बाकि तहार निचला ओठ के भी चुसब।"
बीना कंघी रखते हुए बोली," हम कब मना कइनी। आवा आपन माई के देह के गर्मी उतार दअ। सगरो देहिया बिना चुदाई के मचल रहल बा तीन दिन से। ई महीना हमार खून भी ज्यादा बहल माहवारी में, तू आपन मूठ पिया द ताकि हमार शरीर में ऊर्जा के संतुलन बनल रहे।"
राजू," पहिले गेहूं उठा के रख ली फेर तहार देहिया के गर्मी उतार देब।"
बीना," राजा... गेंहू त बहाना रहल, उ त हम अकेले कर लेब। तू आपन ऊर्जा बचा के रख... काम आई बाद में।"
ऐसा बोल बीना ने अपनी नाइटी का चेन खोल उसे उतार दिया। उसने अंदर कुछ भी नहीं पहना था। बीना सर से लेकर पाँव तक बिल्कुल नंगी खड़ी थी। उसके बदन से बहुत अच्छी खुशबु आ रही थी। उसकी बड़ी बड़ी चूंचियाँ और उनपर चॉक्लेट टॉफ़ी जैसे कड़े चूचक राजू की निगाहों को अपनी ओर खींचने के लिए काफी थे। राजू का लण्ड अपनी नंगी बेशर्म माँ को देख सलामी देने लगा। बीना की जांघों के बीच उसकी बूर झांटों के बीच छुपकर और सुंदर व कामुक लग रही थी। बीना हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी जो राजू की कामाग्नि में घी का काम कर रही थी।
बीना राजू का लण्ड पकड़ बोली," का इरादा बा राजू, तहार नज़र ठीक नइखे बुझात।"
राजू उसकी चूचियों को देखते हुए बोला," अइसन नज़ारा सामने रही त नज़र आपन पसंद के जगह खोज ली।"
बीना उसका लण्ड थाम उसके आगे आगे चलने लगी और राजू उसके पीछे पीछे चल रहा था। राजू की नज़र अपनी माँ के मटकते गाँड़ पर थी, राजू ने उसकी गाँड़ की दरार पर हाथ रख उसे सहलाने लगा। बीना राजू को खटाल में ले गयी। बीना वहाँ पहुँच राजू से बोली," राजू, तू बताबा एमे कउन गाय दूध देवेलि?
राजू," सब देवेलि, सब।"
बीना," सब केतना दूध देवेलि?
राजू," उ देसी वाली दिन में छह लीटर अउर उ जर्सी वाली बारह लीटर देवेलि।"
बीना," अउर उ तेसर वाली जउन बा उ ?
राजू," माई उ त बुढ़ा गईल बिया। बाबूजी ओकरा सेवा खातिर रखले बानि।"
बीना," उ केतना बछड़ा देले बिया?
राजू," दू।"
बीना," अउर दी का?
राजू," मालूम नइखे, पर सांड खातिर रंभावेलि बहुत। लेकिन तू काहे पूछ रहल बारू?
बीना," उ गाय अउर तहार माई के हालत एक जइसन बिया। उ गाय के सांड चाहि, तहार माई के लांड चाही। देबु ना माई के लांड।" बीना उसकी ओर कामुकता से देख बोली।"
राजू उसकी जांघों के इर्द गिर्द बांह का शिकंजा कसा और उसे अपनी गोद में उठा लिया। राजू ने फिर कहा," उ गाय मजबूर बिया, पर तू आज़ाद बारू। तहरा चिंता करे के जरूरत नइखे, तहार भरपूर चुदाई होते बिया अउर आगे भी खूब चुदाई होई एहि लांड से। बीना बहुत जल्दी हम तहरा भी गाभिन करब। असही गाय जइसन तू भी दूध देबु न।"
बीना," शरम आवेला बताबे में, पर राजू हमार चुदाई अउर चाही। तू हमके आज दिनभर चोद, खूब मजा ले। सच बताई त हमार अंदर के रंडी अब जगा देले बारआ। ई पनियाईल बूर में अब लांड ही चाही। ई उमर में माई बनेबु हमके, लोगन के शक हो जायीं। हमार फूलल पेट देखी तब का कहबू।"
राजू," तहरा हम बच्चा होबे से पहिले, कुछ महीना पहिले लेके कहूँ चल जाएब। ऊंहा तू हम अउर हमार बच्चा साथ रहब।" ऐसा बोल राजू ने बीना को पुआल के ढ़ेर पर पटक दिया। बीना वहां गाय की तरह चौपाया बन गयी और बोली," आजा हमार सांड बनके बूर चोदअ।"
राजू बीना के गाँड़ पर हाथ फेरते हुए बोला," जरूर मोर गैय्या रानी, लेकिन तनि बूर दिखावा।"
बीना अपनी गाँड़ को चौड़ा कर बूर के दर्शन कराते हुए बोली," देख केतना पनियाईल बा।"
राजू उसकी बूर में मुँह लगा बूर का पानी जीभ निकालके चाटने लगा, जैसे आमतौर पर जानवर चुदाई से पहले करते हैं। बीना सिसिया उठी।
राजू बूर के होठों को अलग कर उस गुलाबी फांक में जीभ घुसा उसका रसास्वादन कर आनंद ले रहा था। बीना को बूर चटवाने में बहुत मज़ा आ रहा था। वो खुद अपनी जांघों को फैला कर अपनी बूर चाटने के लिए पर्याप्त जगह बना रही थी। राजू बूर का नमकीन पानी पीते हुए बूर के फांक की लंबाई और दाने पर जीभ से मीठे प्रहार कर रही था। बीना अपनी टहकती बूर से राजू को उसकी चटाई का आभास करा रही थी। राजू बीना की बूर के छेद में जुबान घुसा हल्के हल्के झटके मार रहा था। राजू को उसके गुप्तांग की मादक महक और मुग्ध कर रही थी। राजू का लण्ड अब कड़क हो बीना की बूर की खबर लेने को तैयार था।
राजू ने उसे अपनी ओर पलट दिया और बूर को चूमते हुए बोला," माई लांड घुसा दी का?

बीना," ह्हम्म...बेटा औरत के बूर लांड घुसाबे खातिर ही बा। पूछत काहे बारे बस घुसा दअ।"
राजू बूर में लण्ड घुसाते हुए बोला," ले साली बूर में लांड चाही तहरा ना। कसम से अइसन रंडी माई कभू पैदा भी न भईल होई। किस्मत वाला बानि जउन अइसन रंडी हमार भाग में बानि।"
बीना," उफ़्फ़फ़...आ ...आ..आ... राजु तहार लांड त हर बेर जइसन नया बुझावेला। पूरा चीर के रख देता हमके। बाप रे लांड बा कि लोहा के रॉड राजा अइसन बुझाता कउनु मोटका सरिया भीतर बा।"
राजू बोला," तू भी कम नइखे माई। ई उमर में अइसन वासना के शांत अइसन लांड ही करि अउर केहू ना।"
राजू खुद लेटा हुआ था और बीना को अपनी गोद में बिठाये हुए था। बीना कूद कर उसके ऊपर चढ़ चुकी थी। राजू ने बीना की अत्यधिक रिसाव से चिकनी बूर में लण्ड घुसा दिया था, जो बूर में मक्खन की तरह समा गया। बीना के बाल खुले हुए थे। वो लण्ड पर उछल रही थी। बीना की उन्मुक्त चूचियाँ पंछियों की तरह फुदक रहे थे। वो खुद उन्हें थामे थिरक रही थी। राजू ने लपक कर उसके चूचियों को थाम लिया और उसकी बांई चुच्ची को चूसने लगा। बीनाऔर राजू उत्तेजना में थे। अपनी सगी नंगी माँ को अपने लण्ड पर बिठा चोदना कोई साधारण बात नहीं थी। राजू और बीना फिर एक दूसरे को चूमने लगते हैं और व्यभिचार की अंधी वासना में पुआल के ढेर पर कई बार ऊपर नीचे होते हैं। कभी बीना ऊपर तो कभी राजू। बूर में घुसा लण्ड जैसे किसी सांप की तरह बिल में दुबक चुका था। ऐसा कामुक दृश्य, ऐसी काम पिपासा माँ बेटे की एक दूसरे के प्रति दबी वासना को स्पष्ट दिखा रहा था। राजू काफी जोर से धक्के लगा रहा था। उधर बीना गाँड़ उचका उचका कर बूर में लण्ड फच्च फच्च कर ले रही थी। दोनों एक दूसरे को वासना भरी नज़रों से देख रहे थे। तभी दोनों एक दूसरे की लार को एक दूजे के मुंह में छोड़ते हुए जीभ से जीभ लड़ाते हैं। दोनों पाशविक हो चुके थे। तभी बीना बोली," राजू, गेंहू के ढेर पर ले चल ना, उ पर करे में अउर मज़ा आयी।"

राजू ने देखा गेंहू का ढेर कोई दस पंद्रह फ़ीट दूर था। उसने बीना से कहा," हमरा जोर से पकड़, आपन बांह हमरा गर्दन पर अउर पैर कमर में फंसा ले।"

बीना ने वही किया, राजू ने बिना बूर से लण्ड निकाले बीना के कमर को थामा और उसे गोद में उठा लिया। फिर उसके चूतड़ों पर पंजे जमा उसे टिकने को कहा। बीना ने उसके हथेलियों पर गाँड़ टिका दी। दोनों चुम्मे में खोए हुए थे। राजू उसे ऐसे उठाके गेंहू के ढेर के पास ले गया।


राजू बीना को गोद में उठा गेंहू के ढ़ेर पर फेंक दिया। बीना का भारी भरकम शरीर गेंहू के ढ़ेर में थोड़ा धंस जाता है। बीना का गेंहुआ रंग गेंहू के साथ मिल रहा था। वो राजू की हरकत पर निर्लज्जता से हँस रही थी। राजू अपनी कमर हिलाते हुए लण्ड हिला रहा था। वो बीना के ऊपर मुट्ठियों में गेंहू भरके फेंक रहा था। बीना का नंगा शरीर पसीने से भीगे होने की वजह से, गेंहू के दाने उससे चिपक रहे थे। बीना अपने दोनों हाथ ऊपर करके उस गेंहू वृष्टि से बचना चाहती थी। वो हंसते हुए राजू से बोली," राजू, बस कर। छोड़ दे न।"
राजू," अच्छा, चुदाई से ज्यादा मज़ा चुदाई के खेल खेले में आवेला। अइसन निर्लज्ज और कामुक नारी के साथ काम क्रीड़ा में अद्भुत आनंद बा। तू मस्त कामुक छिनार बारू। का बदन ह तहार, ई उमर में भी एकदम टंच बारू।"
बीना अपने बालों से गेंहू निकालते बोली," उम्मम... राजू बेटा, हम त हईं मस्त माल। तब न हमार ऊपर अस्पताल के फिदा हो गइल रहे। हमके जब काम ज्वर चढ़ल रहे, त जांच के बहाने उ हमरा बहुत छुअत रहे।"
बीना गेंहू पर ही पीठ के बल लेट गयी और अपनी बूर को फैला बोली," आवा देखअ, आपन माई के बूर के हाल। कइसे उफन उफन के बूर से पानी चुएला। पेलअ न बेटा आपन माई के पेल दअ। देख बूर चियार के लेटल बानि। आवा न आपन माई के उद्धार कर दअ।"
राजू ने बीना को छटपटाते देख कहा," उ तहरा देख के बहकल होई, ओकर गलती नइखे। तू ही कुछ झलकात गईल होई, जेकरा देख उ तहरा छेड़लस। जरूर आधा चुच्ची तहार उघारल होई, चाहे तहार पेट, जेसे तहार ढोढ़ी देखात होई, न त तहार कमरिया देख के। अइसे जइबू त केहू छेड़ी।"
बीना," उम्म... न हमार कउनु दोष न रहे, उ हमार रूप देख के बहकल रहे। अउर सच बताई त हमहुँ काम ज्वर के कारण बहक गईल रहनि, थोड़ा देर खातिर।"
राजू ने भवें तान बोला," का कहलु तू बहक गईल रहलु? बेशरम तहरा लाज न आवेला बोले में।"
बीना," का करि हम सच बोलत बानि। हम उ समय कामज्वर से ग्रसित रहनि त मन पर काबू न भईल। लेकिन कुछ देर बाद होश में आ खुद के छुड़ा लेनी, जब रंजू दीदी आईल। कसम से।"
राजू," हे भगवान, मतलब अगर रंजू चाची न आईल रहित त तू ओकरा साथ मुँहवा कारी करवा लेले रहित न।"
बीना," राजू, अइसन न बोलअ। अइसन भईल त न। भगवान हमके कुकर्म से बचा लेलन।"
राजू बीना के बाल पकड़ खींचते हुए बोला," साली, रंडी कहीं के, लाज न आवेला अइसन बोले में।"
बीना उसकी ओर देख बोली," आवेला पर का करि, हम तहरा से सच कहनि। हमका माफ कर दे बेटा।"
राजू ने बीना से कहा," ई सच के मोल आज तहरा चुकाबे के पड़ी। याद बा बचपन में तू हमके पीटले रहलु, जबकि हम महेश चाचा के बगीचा से आम न चुरवले रहनि।"
बीना बोली," याद बा, उसे एकरा का लेना देना?
राजू बोला," अब आज हम तहरा पीटब बीना रंडी, चाहे तहार गलती बा कि ना? इसे कउनु फरक न पड़ी।
बीना ये सुन रोमांचित हो बोली," का तू हमरा मारबू का?
राजू ने एक जोरदार तमाचा खींच के उसके गाल पर मारा और उसके बाल झकझोरते हुए बोला," तहार चाल चलन ठीक नइखे, रंडी साली। ज्यादे बूर में आग लागल बा का।मज़ा आईल थप्पड़ खाके।"
बीना थप्पड़ खाके और कामुक हो उठी। उसे भी नहीं पता था कि मर्द की मार भी कामुकता जगा सकती है। बूर और तेज बहने लगी। वो राजू को देख बोली," आह....अउर मार, सजा दे हमके। हमरा साथ इहे होबे के चाही। आह... बचपन के बदला ले लअ।"
राजू ने उसकी आँखों में देखा और बोला," चल हमार गोदी में पेट के बल लेट जो अउर गाँड़ उठा के रख।"
बीना झट से वैसे की जो राजू ने कहा। राजू ने उसके कोमल गद्देदार चूतड़ को सहलाते हुए बोला," इहे गाँड़ तू मटका मटका के चलेलु रानी।"
बीना," रानी न रंडी बोल, रंडी सुने में मज़ा आवेला..हहहह... बेशर्म बानि हम। आह...आ..आ....आ
राजू ने बीना के गोरे चूतड़ों को कसके मसला और फिर थप्पड़ सटा सट खींचने लगा। हर चाटे के साथ राजू के पंजे बीना की गोरी गाँड़ पर छप जाते थे। राजू बीना को इस तरह पीटने का पूरा आनंद ले रहा था, क्योंकि बीना हर थप्पड़ के साथ लंबी सिसकारी या आह भर रही थी। राजू उसके चूतड़ों को कोई पुराना गद्दा समझ रहा था, जिसपे थप्पड़ मारके लोग धूल झाड़ते हैं। बीना को थप्पड़ के चोट के साथ बूर में एक अजब सी सनसनी महसूस होती थी, उसे ये अलग ही अनुभव दे रहा था। उसने ऐसा कभी सोचा नहीं था कि काम वासना को भड़काने में मर्द की पिटाई भी कारगर होती है। वो खुद गाँड़ उठा उठा के थप्पड़ खाने को बेचैन थी। उसकी बूर तेजी से बहने लगी। राजू की नज़र बूर पर गयी तो देखा उसकी बूर बहुत ज्यादा गीली हो चुकी थी।

उसने बीना को फिर खड़े होने को बोला। बीना अपनी लाल गाँड़ को सहलाते हुए उसके आगे खड़ी हो गयी। राजू ने कहा," चल उठक बैठक कर, दुनु हाथ ऊपर उठाके।"

बीना बोली," केतना बेर करे के पड़ि?

राजू," जब तलिक हम रुके न कही, चल शुरू हो जो। तब तक हम गाय के दूध निकाल लेत बानि।"

बीना," तहरा त बहुत टाइम लग जाई। हम त बेहोश हो जाएब उठक बैठक करे में।"

राजू," गलती करलु त सजा मिलबे करि ना। अच्छा चल पचास बेर कर, ओकर बाद देखल जाई।"

राजू नंगा ही गाय का दूध निकालने लगा और उसके ठीक सामने बीना दोनों हाथ उठाये उठक बैठक करने लगी। बीना हर बार ये बोल रही थी," राजू हमके माफ कर दी। अब केहुके मउका न देब।" बीना जब उठ बैठ रही थी तो उसकी चुच्चियाँ हिलते देख राजू बड़ा मजा ले रहा था। बीना की चुच्चियाँ गुब्बारे की तरह ऊपर नीचे होती। बीना ने जब देखा राजू उन्हें देख रहा है, तो वो जानबूझ के और अपनी चूचियाँ हिलाने लगी। बीना हंस रही थी। राजू अभी भी गाय का दूध निकाल रहा था। उसने बीना की गिनती पूरे होते तक दूध भी निकाल लिया। बीना पसीने में भीग चुकी थी राजू उसके करीब आया और उसके काँख को चाटने लगा। बीना को गुदगुदी हो रही थी। उसके बाद उसने बीना की ढोढ़ी में उंगली घुसाई और फिर जीभ डालके चाटने लगा। बीना की ढोढ़ी में राजू अब जीभ ऐसे घुसा रहा था जैसे वो लण्ड हो और बीना की ढोढ़ी बूर हो। बीना उत्तेजित हो चुकी थी, और बोली," राजू अब आपन माई रंडी के चोद दअ। सजा त दे देलु अब मज़ा भी दे द।"

राजू ने उसे पीछे घुमा दिया और उसकी गाँड़ की दरार में मुंह घुसा दिया। वहां की महक में वो खो जाना चाहता था। पसीने और बूर के रस से मिश्रित एक अजीब महक वहां से उठ रही थी। बीना अपनी गाँड़ ऊपर नीचे कर हिलाने लगी। राजू ने वहां भी सब चाट लिया, इसके बाद उसने बीना को अपने सामने गेंहू की ढेर पर ही घुटनों और हाथों के बल घोड़ी बना दिया और लण्ड बीना की बरसती हुई बूर में ठेल दिया। बीना के बाल पकड़ बोला," बोल साली कि फेर ई गलती न करबु माफी मांग।"

बीना," माफ कर दे, हम आगे से अइसन न करब।"


राजू बीना को बहुत जोरों से पेल रहा था। बीना की आंहे पूरे घर में गूंज रही थी। राजू का लण्ड पिछले एक घंटे से बीना की बूर में घुसा हुआ था। राजू बीना के बालों को कसकर थामे हुआ था। बीना के चूतड़ों पर राजू के झटकों की वजह से थपथपाहट हो रही थी। राजू उसके गोरे चूतड़ों पर थप्पड़ भी मार रहा था, जिससे उनमें लाली आ गयी थी।
राजू," साली, बोल अब न करबु, बाहर कउनु पराया मरद के गलत तरीका से आपन देहिया के हाथ न लगाबे देबु। बोल कि तू अबसे केहू अउर के सामने खूब सज धज के अकेले न जइबू। अबसे तू बाबूजी से भी न पेलवाइबु।"
बीना अपनी कमर एक हाथ से थामे बोली," हाँ बेटा अब हम केहू अउर के छुए त दूर, जब तक तहार आज्ञा न हो हम सज धज के भी सामने न आएब। तहार बाबूजी, से पेलवाईल त जमाना बीत गईल। अब ओकरा में दम नइखे। दम त तहार लांड में बा, अब ई लांड खातिर तू जउन कहबू हमरा सब मंजूर बा।"
राजू," अबसे आजसे हम तहार मालिक बानि बुझलु रानी। अब तहार कुल देह पर हमार अधिकार बा। तहार ई बूर, तहार गाँड़, तहार चुच्चियाँ, तहार ठोरवा, तहार मदमस्त कर देवे वाला आँखिया, तहार केश से भरल दुनु काँखिया।"
बीना," हाँ, मालिक हम राउर रंडी बानि। हम राउर रखैल बानि। हमार रोम रोम पर राउर अधिकार बा। हम पूरा राउर हो गइल बानि। हम राउर लांड के दासी बन गइनी जबसे रउआ हमरा खेतवा में चोदनी। दासी के परम कर्तव्य इहे बा कि मालिक के हर आदेश के पालन करे, मालिक के खुश रखे, मालिक के खुशी में शामिल हो अउर जब उ क्रोध में रहे त शांत करे। मालिक सजा दे त ओकरा स्वीकार करे। सच बताई त अब मन हल्का हो गइल, अब रउआ से सजा मिल गईल। अब उ भूल के बोझ हमार मन से उतर गईल।"
राजू ने बीना के गालों को सहलाते हुए कहा," वाह... ई भईल न बात। रंडी होवे त अइसन, दासी होवे त अइसन। मन खुश कर देलु। बोल का चाही, सजा तहरा बहुत दे देनी।"
बीना अपने गाल हथेली पर रगड़ते हुए बोली," रउवा हमरा आपन लांड के छत्र छाया में रखब। हमार कामज्वर के बस इहे शांत कर सकेला। ई तहार लांड ही बा कि पिछला एक घंटा से हमार बूर के चोद चोद के निहाल कइले बा। हमरा बुझाता हमार जइसन पियासल औरत के जनम अइसन लांड खातिर ही होखेला।"
राजू," एतना दिन से तहरा चोदत बानि ई बतिया त हमहुँ बुझत बानि। तू साधारण स्त्री न, काहे कि हमेशा तहार बूर गीला रहेला। एकर मतलब ई बा कि तहरा दिमाग में हमेशा गंदा गंदा बात चलेला। हरदम लांड के पावे के इच्छा उठेला।"
बीना," हां, रउआ एकदम सच कहनि। हमेशा मन में चुदाई और कामुक भावना आवेला। अब त बर्दाश्त नइखे होत, ई साधारण बात नइखे। जबसे तू चोदे लगलु, तबसे तनि राहत बा। लेकिन मन नइखे भरत, मन करेला हमेशा लांड के बूर में ढुका के रखि। जउन दिन जोर से इच्छा उठेला, उ दिन हमके खूब पियास लागेला, पसीना ढेर चुएला। रउआ गौर करेलु कि न?
राजू," न अब तक न गौर कइनी। अबसे ध्यान रखब।"
बीना," रउवा आपन दासी पर ध्यान रखल करि मालिक। ई बेचारी के भविष्य अब रउवा के हाथ में बा।"
राजू," हाथ में न तहार बूर में ढुकल लांड में बा।"
बीना और राजू दोनों हँसे और फिर ताबड़तोड़ धक्कों से राजू ने बीना का सत्कार करना शुरू किया। दोनों आपस में लिपटे एक दूसरे को कामुक दृष्टि से न्योछावर करते हुए चुम्मों की झड़ी लगा दी। राजू बीना को पेलता रहा, जब तक वो दो बार नहीं झड़ी। अब बीना थक चुकी थी।
बीना," मालिक आज रउवा आपन मलाई खियाई। राउर दासी बहुत थक गईल बा।"
राजू बोला," सच बहुत थकल बुझा रहल बारू। ले मलाई चाट, चल बइठ जो ठेहुना पर।" बीना घुटनों पर बैठ गयी, और अपना मुंह खोल बोली," हम्ममम्म.... पिलाबा न.... लीची जइसन रंग के मलाई। एतना भरल बा दुनु मटका, मलाई से लागत बा हमार पेट भर जाई। बीना अपनी जीभ से होठों को चाट रही थी, बीच बीच में अपनी लपलपाती जीभ से राजू के लौड़े को चिढ़ा रही थी।
राजू ने आखिर अपना माल बीना के प्यासे होठों पर बरसा दिया। बीना अपने चेहरे को आगे कर उस लीची के गूदे के रंग जैसे लुआदार पदार्थ को लपक रही थी। उसकी तेज गंध गीले पुआल सी थी, बीना मुँह खोले उसके आंड़ से बरसते पानी को अपने लिए इकट्ठा कर रही थी। राजू ने आखरी झटका दिया तो बीना ने उसका माल गटक लिया और लण्ड थाम मुँह में घुसा आखरी बूंद तक पीने की कोशिश कर रही थी। वो तब तक चूसती रही जब तक, वो संतुष्ट न हो गयी कि अब उनसे एक कतरा पानी भी नहीं निकलेगा।



.......

राजू ने गुड्डी को चोदते हुए बोला," बस असही हम माई के सजा देके मज़ा देनी।"

गुड्डी," उफ्फ....भाई सजा में भी मज़ा आवेला त हमनी के भी करे के चाही।"

राजू," ओकरो टाइम आयी दीदी। हमार पानी निकले वाला बा।"

गुड्डी," गिरा द भीतरी, बूर में समाई तब न गर्भ धरायी।"

राजू ने अपने लण्ड का पानी उसकी बूर में भर दिया। दोनों हांफ रहे थे। राजू और गुड्डी पसीने पसीने हो चुके थे। थोड़ी देर बाद गुड्डी कपड़े ठीक कर निकल गयी और उसके थोड़ी देर बाद राजू भी।

उस दिन वो लोग गया घूमे और गुड्डी ने मीरा को राजू के साथ अकेला छोड़ दिया, ताकि वो उसपे डोरे डाल सके। मीरा और राजू एक दूसरे के साथ चलते हुए छेड़खानी भरी बातें कर रहे थे। गुड्डी अपने पति के साथ आगे चल रही थी। तभी तेज बारिश शुरू हो गयी। मीरा और राजू एक पेड़ के नीचे खड़े हो गए। गुड्डी और उसका पति काफी आगे थे और दूसरे पेड़ के नीचे थे। दोनों थोड़े बहुत गीले हो चुके थे। तभी मीरा ने राजू को अपनी ओर ललचाने के लिए एक तरकीब निकाली। वो बोली," राजू जी हमके पेशाब लागल बा। कहाँ सूसू करि, बड़ी जोर से आ रहल बा। हाय दैय्या... ई बारिश में कहां जाई।"

राजू," मीरा जी रोक ली, तनि देर में बारिश खतम हो जाई।"

मीरा," सच कहअ तानि, नइखे बर्दाश्त होई।"

राजू," फेर एक काम करि, रउवा पेड़ के दोसर तरफ जाके कर ली।"

मीरा," लेकिन कोई देख ली त?

राजू," के देखी इँहा? हमरा अलावा केहू नइखे।"

मीरा," रउवा देखब त न? मरद के भरोसा कइसे करि।"

राजू," रउवा के पास कउनु ऑप्शन नइखे। कर ली जल्दी से, हम न देखब रउआ के।"

मीरा बोली," ठीक बा हम जात बानि।" वो दूसरी ओर जाकर सलवार का नाड़ा खोली और मूतने के लिए नीचे बैठ गयी। सुर्रर्रर सुर्रर्रर कर उसकी अनचुदी बूर से पेशाब की मोटी धार बूर की फांक से बह निकली। राजू का इस मधुर संगीत से पुराना परिचय था। उस बारिश में भी वो बूर से गिरती पेशाब की धार की आवाज़ साफ पहचान सकता था। राजू ने मुट्ठी भींच आखिर पेड़ की दूसरी ओर मीरा को मूतते हुए देखने लगा। मीरा की गाँड़ साफ नंगी थी। राजू ने उसे मूतते हुए देख सीटी बजा दी। मीरा उसकी ओर पलटी, दोनों की नजरें मिली। मीरा पेशाब खत्म कर उठी और राजू के पास आ बोली," का देखत बारू, कहने रहनि न कि तू देख लेबु। लइकियां के मूतत देखे में अच्छा लागेला का?

राजू ने उसके नंगे चूतड़ों पर हाथ रख उसे अपनी ओर खींच बोला," मस्त गाँड़ बा रानी तहार। सच हमरा बड़ा मजा आवेला लाइकियां सबके मूतत देखे में।"

मीरा उसके होठों पर होठ रख बोली," खाली मूतत देखबु या कुछ अउर भी करबु।"

राजू ने उसके होठ चूसते हुए उसके चूचियों और चूतड़ों का भारी मर्दन शुरू कर दिया। मीरा बहक उठी और राजू से चिपक गयी। राजू मीरा की बूर मसलने लगा, और मीरा उसका लण्ड सहला रही थी। मीरा बूर पेलवाने को तैयार थी। इतने में बारिश रुक गयी। दोनों चुम्बन में लीन थे, मीरा चुदने को मरी जा रही थी। लेकिन राजू ने भांप लिया कि यहां कुछ भी करना खतरनाक है। उसने मीरा को होश में लाया और दोनों वहां से निकल गए।

शाम को सब वापिस घर आ गए। मीरा का मन खट्टा हो गया था, मन में चुदने की लालसा टीस मार रही थी।



अगले दिन मीरा और गुड्डी किचन में होली के लिए पकवान बना रहे थे। गुड्डी मन ही मन मीरा को चुदवा कर अपनी सास से बदला लेना चाहती थी। वो मीरा के अंदर की वासना जगाना चाहती थी और आज राजू से किसी भी हाल में चुदवाना चाहती थी। उसने गुड्डी से बात छेड़ते हुए कहा-

गुड्डी," मीरा, तहरा राजू पसंद बा का?
मीरा शरमाते हुए," भउजी, ई का पूछत बारू?
गुड्डी," हम सब बुझत बानि, तू जउन तरह से ओकरा देखेलु। ओकरा साथ इश्क़ लड़ेबु।"
मीरा," भउजी पता ना, जबसे उ आईल ह हमके कुछ कुछ होता। उ हमके बहुत अच्छा लागेला। पर हम ओकरा सामने जात बानि त शरम लागेला।"
गुड्डी," उ भी तहरा चाहेला। तू दु ग्लास भांग पीके ओकरा पास जो। सारा शरम दूर हो जाई।"
मीरा," पर भउजी हम कभू भांग न पीनी ह, उ त खाली मरद सब पीएले। सब कहेले एमे बड़ा नशा होखेला।"
गुड्डी," हाँ, तभी त शरम हवा होई। चल गिलास उठा अउर पी जो।" ऐसा बोल उसने मीरा को गिलास पकड़ा दी। दूध के साथ भांग मिलाकर तैयार की गई ठंढई को राजू के जीजा ने ही बनाया था। मीरा उसे नाक बन्द कर पी गयी। उसका स्वाद उसे कसैला सा लगा। उसने कहा," भउजी, ई कइसन लागेला, बड़ा अजीब स्वाद बा।"
गुड्डी तबी हुई आवाज़ में बोली," अभी त अजीब स्वाद तू चखलु कहाँ रानी।"
मीरा," का कहलु?
गुड्डी," न कुछ न ई गुझिया खा ले। मुँह के स्वाद ठीक हो जाई।" उसने जानबूझके उसे मीठी चीज़ दी जिससे मीरा का नशा बढ़े। मीरा ने दो तीन गुझिया खा ली। उसे क्या पता था कि भांग का नशा तुरंत नहीं एक आध घंटे बाद चढ़ता है।
मीरा," भउजी रउवो पीई ना?
गुड्डी," न ननद रानी, हम ई घर के बहु बानि। अभी ढेर काम बा। तहार ई हँसे खेले के दिन ह, तू अउर ले लअ। जाके आज चोंच से चोंच लड़हिया। हम पी लेब त सबके सम्हारी के।"
मीरा शरमा गयी और बोली," रउवा भी त खूब भैया संग चोंच में चोंच लड़वत होई। भउजी बताई न भैया रात बिस्तर पर तहके लंगटी कइके करेला कि साड़ी उठा के।"
गुड्डी," काहे, तहके नइखे पता, तहार भैया तहरा कभू छूलस न। वइसे आज हमार भाई बताई तहरा कइसे करेला मरद लोग।"
मीरा," ओहो, लागतआ रउवा भी आपन भाई संग कबड्डी खूब खेलत रहनि। तहार भाई ठीक बा कि ना कबड्डी खेले में?
गुड्डी," खुद खेलके देख लिहा। जोबन ज्यादा जोश मारेला का मीरा रानी।"
मीरा," केहू मिलत नइखे, जउन ई जोबन के रस पी ले। कोई पी ली त सुकून मिले। भउजी राउर भाई में दम बा कि ना।"
गुड्डी," काहे? बहुत दम बा।"
मीरा," ओकरा हम एतना इशारा कइनी, लाइन देनी पर उ कउनु रुचि न देखौलस। उ दिन सिनेमा हॉल में भी बहुत छेड़नी ओकरा।"
गुड्डी," बड़ा बेताबी बा, हमार भाई के नीचे लेटे के। उ शरीफ लइका बा, एहीसे तहरा न छूलस। लेकिन एक बेर तहार घाघरा के डोरी ओकरा हाथ में जाई त उ लूट ली तहरा के।"
मीरा," जोबन लइकी के आवत काहे, केहू लइका के लूटे खातिर ही। रउवा भी त भैया पर आपन जोबन लुटाबेलु रोज राति।" मीरा पर अब भांग असर करना शुरू किया था।
गुड्डी," का बात बा तहरा बड़ा जलन होता हम तहार भैया संग सुतेनी त। कहीं तहरा आपन भैया के साथ कबड्डी खेले के मन बा का?
मीरा," भैया के संग तहरा मज़ा आवेला कबड्डी खेले में।"
गुड्डी क्या बताती कि उसकी कबड्डी मैच कभी शुरू ही नही हुई मीरा के भाई के साथ।
गुड्डी," तहार भैया के संग तहार कबड्डी मैच त न हो पाई, पर हमार भाई के साथ आज कउनु मैच त जरूर होई। लेकिन ई मैच में पूरा कपड़ा उतारके खेले के पड़ी।"
मीरा थोड़ा नाटक करते हुए बोली," कउन खेल भउजी?
गुड्डी खुलकर बोली," उहे खेल जउन मरद औरत के साथ खेलेला। उ आपन लांड हमनी के इँहा बूर में घुसावेला। फेर चोदम चुदाई के खेल शुरू होता। ई खेल में बड़ा मन लागेला।"
मीरा शरम से लाल हो गयी, फिर हंसते हुए बोली," भउजी का पहिल बार जब मरद उ घुसावेला त दरद ज्यादे होता का। तहरा भी भईल होई?
गुड्डी," मरद का घुसावेला?
मीरा," उहे जउन तू अभी कहलु।
गुड्डी," का हम कहनी, बोल ना। अरे उ कउनु गाली नइखे। नाम लेके बोल उ ओकर नाम ह ना।"
मीरा," हमके लाज आवतआ।"
गुड्डी," अरे बोल न लांड, चाहे लौड़ा। देख केतना आसान बा।"
मीरा," ल..ला...लां..ला...लांड।"
गुड्डी," अच्छा से बोल अइसे लां आ ड़... लांड।"
मीरा," लां आ ड़... लांड।"
गुड्डी," बहुत बढ़िया, हाँ जब पहिल बार लोग लांड घुसावेला त खूब दरद होता। पर बाद में बड़ा मजा आवेला। बूर के एक बेर लांड के चस्का लग जाता न, त फेर बड़ा बेचैन करेली।"
मीरा," आह.. सुनके कुछ कुछ होता भउजी।"
गुड्डी," बूर पनिया गईल होई, हमार भी पनिया गईल बा।"
मीरा," भउजी रउवा बहुत गंदा गंदा बात बोलेनी।"
गुड्डी," गंदा बात में ही रस बा। तब त तहार बूर से रस चु रहल बा। एमे गंदा कुछ नइखे सब बंद कमरा में ई करेला।भउजी ननद के बीच त अइसन बात अउर भाई के संग चुदाई के मज़ाक त आम बात बा। ई सब बात करेसे रोमांच बनल रहेला।"
मीरा," सच भउजी, मज़ा त बहुत आवेला ई बतिया में। भाई के साथ बहिन के यौन संबंध पर घरेलू औरत सब खूब मज़ाक करेली। लेकिन का सच में भाई बहिन के साथ चोदम चुदाई करेला।"
गुड्डी एकदम से चुप हो गयी। फिर बोली," का पता का होखेला? लेकिन सुने में त बड़ा अच्छा लागेला। का पता सच में अइसन भाई होहियन जउन आपन बहिन सबके ही पेलत होई।"
मीरा," आह.... सुन के ही देह सिहर जाता, आपन भाई के साथ बहिन के चुदाबे में केतना मज़ा आता होई। बहिन के बूर में भाई के लौड़ा। उफ़्फ़फ़
गुड्डी," अच्छा, रुक हम राजू के उठाके आवत हईं।" गुड्डी ने जानबूझ के मीरा के सामने बोली ताकि मीरा खुद राजू को उठाने जाए।

मीरा," न न भउजी रउवा काम करि। हम राजू जी के उठा देत बानि।"

ऐसा बोल वो वहां से गुझिया चबाते हुए निकल गयी। गुड्डी मन ही मन बोली सासु मां आज त ई घर के इज्जत हमार भाई लूट ली। बहुत बेइज़्ज़त अउर बात सुनवले रहनि, अब राउर बेटी खूब नाम रौशन करि।"

गुड्डी पकवान बनाने में जुट गई।
बेहद कामुक अंदाज में सजा में मजा, बहुत मस्त कर देने वाली अपडेट दी है पढ़ कर भांग के नशे जैसा महसूस होता है। लाजवाब आपकी कल्पना और काम वासना में डूबी स्त्री की के मन की छिनारपन की हरकतों को लाजवाब तरीके से चित्रित करने में आप महारत हासिल कर चुके है। बहस रंगीन और अश्लील काम वासना से भरपूर अपडेट दिया है । नए अपडेट की प्रतीक्षा है।
 
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क्या कोई मुझे बता सकता है की Raj ki Royal family स्टोरी अभी किसी वेबसाइट पर है यार नहीं और है तो उस कहानी के लेखक लिख रहे है यार नहीं
 

rajeev13

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Motaland2468

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Kash is story ke dialogue bhojpuri ki jagah Hindi mein hote to ye is forum ki best story hoti
 
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