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Incest यह क्या हुआ

Xkingthakur

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जब राजेश, घर लौट रहा था, तब रास्ते में कुछ नकाब पोश रास्ते में उसे रोका। राजेश ने गाड़ी रोक दिया।
राजेश _कौन हो तुम लोग?
नकाब पोश _हम कौन है ये जानकर क्या करोगे बे, चल जो भी तेरे पास है सब हमे दे दे।
राजेश _ओ हो तुम लोग लुटेरे हो।
नकाब पोश _तू, यहीं समझ ले। चल निकाल अपना पर्स, मोबाइल, घड़ी जो भी तेरे पास है।
राजेश _अगर न दू तो ।
नकाब पोश _सीधी से निकाल दे नही तो जान से जायेगा।
एक नकाब पोश ने राजेश का कालर पकड़ने की कोशिश किया।
राजेश ने एक मुक्का मारा।
नकाब पोश दूर जा गिरा।
नकाब पोश _मारो साले को,,
नकाब पोशो ने राजेश पर लाठी से हमला शुरू कर दिया।
राजेश ने भी उसका जमकर मुकाबला किया।

राजेश को भारी पड़ता देख एक नकाब पोश ने चाकू निकाल लिया। और राजेश पर पीछे से वार किया।
राजेश उसी समय घूम गया, चाकू उसके भुजा पर लगा।
जिससे राजेश के भुजा से खून बहने लगा।
राजेश क्रोधित हो गया।
वह जो भी नकाब पोश उसके पकड़ में आता, उसे बुरी तरह पिटना शुरू कर दिया।
राजेश का रौद्र रूप देख, सभी हमला वर कांपने लगे।
चाकू मारने वाले की हाथ पैर तोड़ दिया।
हमला वरो को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा।

ये हमला वर ठाकुर के आदमी थे।
दरसल मुनीम को जब पता चला की दिव्या के साथ राजेश मूवी देखने धरमपुर गया है, इस बात की जानकारी उसने फोन से ठाकुर को दिया।
ठाकुर _बोलो मुनीम जी, क्या बात है हवेली में सब ठीक तो है न।
मुनीम _अब क्या बताऊं ठाकुर साहब, यहां सब ठीक होता तो आपको फोन करता क्या?
ठाकुर _मुनीम जी घुमा फिरा कर बात मत करो, बोलो क्या huwa है हवेली में।
मुनीम _दिव्या बेटीआज राजेश को लेकर सिनेमा देखने गई है। वो भी बिना ड्राइवर के।
ठाकुर _मुनीम जी, ये क्या बोल रहे हो।
मुनीम _सच बोल रहा हूं ठाकुर साहब, जल्द कुछ कीजिए इसके पहले की हवेली की इज्जत कोइ मिट्टी में मिला दे।
ठाकुर _अब बहुत हो गया, इस साले का कुछ करना पड़ेगा।
मुनीम _ठाकुर साहब आप बोले तो मैं एक आइडिया दू।
ठाकुर _बोलो मुनीम, क्या कहना चाहते हो।
मुनीम _क्यू न आज रात हम, उसे रास्ते से हटा दे।
ठाकुर _अभी सामने चुनाव है, अगर लोगो को पता चल गया की मैने राजेश को मरवाया है तो पार्टी वाले मुझे टिकर नही देगें।
मुनीम _ठाकुर साहब, आप पर कोइ शक नहीं करेगा आप तो अभी कई दिनों से राजधानी में है।
आज रात जब राजेश अपने बाइक से घर लौटेगा। रास्ते हमारे आदमी को लुटेरे बनकर उन्हे रोकेंगे।
और उसे पीट पीट कर मार देगें उसके पास जो भी समान होगा, उसे लूट लेंगे।
लोग यहीं समझेंगे, लुटेरों ने राजेश को मारा है।
ठाकुर _ठीक है मुनीम जी, पर सब सावधानी से करना, मेरा नाम नही आना चाहिए।
मुनीम _ठाकुर साहब आप चिन्ता मत कीजिए किसी को शक नहीं होगा ये सब आपने करवाया है।
उसके बाद मुनीम ने अपने आदमियों को लेकर, रात में रास्ते के किनारे छिप गए।
वैसे भी रात में रास्ता सुनसान हो जाता है।
जब उन्हें कोइ बाइक की रोशनी दिखाई पड़ी।
मुनीम ने अपने आदमियों को बाइक रोकने के लिए रास्ते पे खड़ा कर दिया।
स्वयं पेड़ के पीछे छिपा हुआ था।
राजेश और ठाकुर के आदमियों के बीच जब, फाइट huwa, राजेश ने ठाकुर के आदमियों को बुरी तरह पीटा, वे अपनी अपनी जान बचाकर भागने लगे।
मुनीम भी छुपते छुपाते वहा से भाग गया।
कुछ देर बाद ठाकुर ने मुनीम को फोन लगाया।
ठाकुर _क्या huwa मुनीम जी काम huwa की नही?
मुनीम _ठाकुर साहब, ये राजेश तो चालक के साथ, ताकतवर भी निकला।
उसने तो हमारे ही आदमियों को बुरी तरह पीटा है, हमारे आदमियों को ही अपनी जान बचाकर भागना पड़ा। कुत्ते की तरह पीटा है हमारे आदमियों को। उसका रौद्र रुप देखकर तो अब क्या बताऊं आपको, मेरी भी मूत निकलने को आ गई थी।
ठाकुर _मुनीम जी, ये क्या बक रहे हो।
मुनीम _मैं सच कह रहा हूं, ठाकुर साहब।
पर आप घबराइए मत, उसे पता नही चला की हमला करने वाले हमारे आदमी थे।
इधर राजेश बाइक लेकर घर पहुंचा।
घर के लोग उसके आने का इन्तजार कर रहे थे।
पदमा _अरे बेटा आ गया।
राजेश _हां, ताई।
तभी पदमा ने राजेश के कपड़े में खून देखा।

पदमा घबराते हुए पूछी _अरे बेटा तुम्हारे कपड़ो पे ये खून कैसा?
राजेश _कुछ नही ताई रास्ते पर कुछ लुटेरों ने मुझे लूटना चाहा, मैने मना किया तो उसने मुझ पर हमला कर दिया।
पुनम _हे भगवान, तुम्हारे भुजा से तो बहुत खून निकल रहा है।
राजेश का कपड़ा भी धूल मिट्टी से सना हुआ था। उसके शरीर पर भी डंडे लगे थे जिसके निशान उभर आए थे।
घर के सभी लोग बहुत घबरा गए।
पदमा _हे भगवान, अरे कोइ डाक्टर को बुलाओ।
केशव _मैं अभी रवि को बुलाकर लाता हूं।

इधर हवेली में दिव्या, अपने कमरे में बेड पर लेट कर आज दिन भर जो घटना क्रम हुवे उसे याद कर रही थी। और उस पल को जब राजेश उसके सीने से लगा huwa था को याद कर मुस्कुरा रही थी।
उसे लगा की राजेश से पूछना चाहिए की वह घर सकुशल पहुंचा कि नही।
उसने राजेश को काल किया,,,
पुनम ने काल उठाया,,,
पुनम _कौन बोल रही हो?
दिव्या _जी, मैं दिव्या बोल रही हूं, हवेली से,,,
आप कौन बोल रही है?
पुनम _छोटी राजकुमारी जी आप,मैं उसकी भाभी बोल रही हूं जी, वह रूवासी होकर बोली।
दिव्या जी _भाभी, क्या huwa
पुनम _कुछ लोगो ने रास्ते में राजेश पर चाकू से हमला कर दिया, बहुत खून बह रहा है, वह रूवासी सुबकते हुए बोली।
दिव्या घबरा गई।
वह तुरंत अपनी नाइटी उतारी और सलवार सूट पहन ली । वह फर्स्ट एड बॉक्स लेकर अपनी मां के रूम में जाकर आवाज़ दी।
दिव्या _मां, मां,,
रत्नवती _क्या huwa बेटी?
दिव्या _मां मैं सुरज पुर जा रही हू,।
रत्नवती _बेटी इतनी रात को, क्या huwa है?
दिव्या _मां रास्ते में राजेश पर कुछ लोगो ने चाकू से हमला कर दिया, उसके उपचार के लिए मुझे जाना होगा।
रत्नवती _पर बेटा, इतनी रात को अकेली जाना।
दिव्या _मां मेरा जाना जरूरी है?
रत्नवती _ने माखन को फोन लगाया।
कुछ देर में ही माखन पहुंच गया।
माखन _रानी मां आपने मुझे बुलाया।
रत्नवती _हा माखन, दिव्या सुरज पुर जा रही है।
तुम कुछ आदमियों को लेकर उसके पीछे जाओ। उसकी सुरक्षा के लिए।
माखन _ठीक है रानी मां, आप चिन्ता न करें।
दिव्या अपनी कार में ड्राइवर के साथ सुरज पुर के लिए निकल पड़ी।
उसके पीछे पीछे माखन कुछ और आदमियों को लेकर जीप में निकला।
कुछ ही देर में वह सुरज पुर पहुंच गई।
गांव का एक व्यक्ति दिखाई पड़ा उसको राजेश के घर ले जाने कहा।
वह भी घबरा गया, ये तो ठाकुर के आदमी है।
ये राजेश के बारे में क्यू पुछ रहे हैं।
कहीं यू राजेश को नुकसान पहुंचाने तो नही आए है।
उसने कहा, मुझ नही पता राजेश कहा रहता है?
माखन _साले इसी गांव में रहता है और मालूम नही तुझे, राजेश का घर, खोपड़ी फोड़ू क्या तेरी? उस व्यक्ति के कालर पकड़ते हुए कहा।
उस व्यक्ति ने कहा _मुझे मत मारो, वो उधर है राजेश का घर, उंगली से इशारा करते हुवे कहा।
माखन _चल बे जीप में बैठ, उसके घर तक चल।
वह आदमी न चाहते हुए भी जीप में बैठ गया और राजेश का घर ले गया।
दिव्या अपनी कार से उतरी ।
दिव्या _माखनके पास जाकर बोली, तुम लोग बाहर ही रहना मेरे आते तक।
माखन _जी छोटी मालकिन।
जब दिव्या अंदर गई। उसने देखा राजेश घर के बरामदे में कुर्सी पर बैठा है घर के सभी लोग उसे चारो ओर से घेरे हुए है।
रवि वहा पहुंच गया था। वह चाकू से लगा जख्म को देख रहा था।
जब दिव्या वहा पहुंची तो सभी लोग उसकी ओर देखने लगे।
राजेश _दिव्या जी आप यहां, इतनी रात को,,,
दिव्या _राजेश, क्या huwa है तुम्हे?
राजेश _कुछ नही huwa है दिव्या जी, देखो न घर के लोग खमोखा परेशान हो रहे हैं। बस मामूली जी चोट आई है, पर आपको किसने बताया कि मुझे चोंट लगी है। आपको इतनी रात में नही आना चाहिए था।
दिव्या _राजेश, मैने तुम्हे काल किया था कि तुम घर पहुंचे की नही, भाभी ने बताया कि तुम पार कुछ लोगो ने रास्ते में हमला कर दिए।
दिखाओ मुझे कितनी चोटें आई हैं।
पदमा _बेटी, देखो न पूरा कपड़ा खून से सन गया है।
रवि _दिव्या जी, मैने खून की सफाई की पर खून अभी भी बह रहा है।
दिव्या _ओह माई गॉड, काफी बड़ा कट गया है, और गहरा भी।
भाभी पहले एक बाल्टी में पानी और एक साफ तौलिया लाओ।
पुनम _जी, अभी लाई।
दिव्या _राजेश तुम अपना सारा कपड़ा उतार अंडर वियर के ऊपर ये तौलिया लपेट लो।

पुनम ने बाल्टी में पानी और एक तौलिया
रवि ने राजेश के सारे कपड़े उतारने लगे।
राजेश _अरे यार ये क्या कर रहा है? क्यू सबके सामने मेरी इज्जत उतार रहा है।
रवि ने राजेश के सारे कपड़े उतार दिए उसके अंडर वियर के ऊपर एक तौलिया लपेट दिया।
उसके बाद दिव्या ने राजेश की पूरे शरीर को गीले कपड़े से अच्छे से साफ करने लगी।
पीठ पर कुछ डंडे के निशान भी पड़े थे।
एक दो पेट और सीने पर भी।
दिव्या _राजेश आखिर वो कौन लोग थे, जिसने तुम पर हमला किया।
दिव्या _कुछ लुटेरे लोग मुझे लूटना चाहते थे मैने विरोध किया तो मुझ से हमला कर दिया, वैसे मैने भी उन्हें अच्छा सबक सिखाया है? आज के बाद वे किसी और को लूटने की हिम्मत नहीं करेंगे।

दिव्या ने चाकू से बने जख्म को देखा।
दिव्या _काफी लंबा कट गया है।
इसमें टांके लगाने पड़ेंगे।
उसने अपने प्राथमिक उपचार किट से, टांका लगाने की सामग्री निकाली।
दिव्या _रवि , तुम्हे तो टांका लगाना आता होगा।
रवि _हां, दिव्या जी।
दिव्या ने राजेश का बाह पकड़ा, रवि टांका लगाने लगा।
टांका लगाने के बाद उस पर दवाई लगाकर दिव्या ने पट्टी बांध दी।
जिससे खून बहना बंद हो गया।
रवि _राजेश तुमने तो टांका लगाते समय अप भी नही किया। बहुत हिम्मती हो।
दिव्या _इसकी हिम्मत को मैं अच्छी तरह जानती हूं।
दिव्या ने जहा जहा चोट लगी थी सभी जगह मलहम लगाई।
और राजेश को कुछ टैबलेट खाने को दी। ताकि दर्द कम हो जाए।
उदिव्या _राजेश, अब चलो तुम अपने कमरे में, आराम करो।
जख्म ठीक होने में कुछ दिन लगेंगे इसलिए इज हाथ से अभी कोइ भारी चीज मत उठाना।
पदमा _बेटी हम राजेश का पूरा ख्याल रखेंगे, इसे कोइ भारी चीज उठाने नही देगें।
पुनम और दिव्या राजेश को उठाकर उसके कमरे में ले गए।
राजेश को बेड पर लिटा दिया।
राजेश _दिव्या जी, अब आपको घर के लिए निकालना चाहिए, काफी रात हो गई है! मां जी चिंतित होगी।
दिव्या _ठीक है मैं चली जाऊंगी, पहले ये बताओ, अभी कैसे फील कर रहे हो।
राजेश _मैं अब बिल्कुल ठीक हूं। आपका शुक्रिया दिव्या जी। और सॉरी।
दिव्या राजेश के पास कुर्सी पर बैठ गई,,,
दिव्या _ये सॉरी किस लिए?
राजेश _मेरे कारण आपको रात में तकलीफ उठाना पड़ा।
तभी ठकुराइन का फोन दिव्या के मोबाइल पर आता है।
रत्नावति _बेटी, राजेश कैसा है?
दिव्या _मां राजेश बिल्कुल ठीक है, थोड़ा जख्म जरूर है पर जल्दी ठीक हो जायेगा।
रत्ना वति _चलो,जानकर अच्छा लगा, राजेश को ज्यादा चोटें नही आई है , वह ठीक है। बेटी अब तुम भी घर आ जाओ रात काफी हो गई है।
दिव्या _ठीक है मां।
मैं कुछ देर में ही निकलती हूं।
दिव्या ने पुनम को कुछ दवाई और मलहम दे दी, जिसे समय पर लगाने और खिलाने को बोली। और कुछ हिदायत दी।
पुनम _आप, जैसे बताई मैं ध्यान रखूंगी छोटी राजकुमारी जी।
दिव्या _भाभी आप मुझे राजकुमारी न बोला करे, वह हंसते हुवे बोली। मेरा नाम ले सकती हो।
पुनम _आप तो इस क्षेत्र के राजकुमारी ही हो, आपका नाम लेते अच्छा नही लगेगा, छोटी राजकुमारी जी।
दिव्या _भाभी आप मेरा नाम ले सकती हो मुझे बुरा नही लगेगा।
_अच्छा राजेश, अब तुम आराम करो। मैं चलती हूं।

राजेश _ठीक है दिव्या जी।
दिव्या _भाभी तुम राजेश का ख्याल रखना कोइ भी समस्या हो तो मुझे काल करना।
पुनम ने हां में सिर हिलाया।

दिव्या जब घर जाने लगी,,,
पदमा _बेटी , कोइ घबराने की बात तो नही।
दिव्या _नही, मां जी, घबराने की कोइ बात नही, राजेश का जख्म कुछ दिनों में ठीक हो जायेगा।
अच्छा अब मुझे इजाजत दीजिए, मैं चलती हूं।
पदमा _ठीक है बेटी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद, मुझे तो अब भी यकीन नही हो रहा, राजकुमारी इतनी रात को मेरे घर इलाज करने आई है। आपकी मां ने सच में बहुत ही अच्छे संस्कार दिए है।
दिव्या _मैं एक डाक्टर भी हू, मेरा फर्ज है मरीज का इलाज करना। डॉक्टरी की पढ़ाई की ही किस लिए।
पदमा _ये तो तुम्हारा बड़प्पन है बेटी।
पउसके बाद दिव्या वहा से घर के लिए निकल गई, पीछे पीछे माखन भी अपने साथियों के साथ निकल पड़े।
रवि _अच्छा मां जी अब मैं भी घर निकलता हूं।
पदमा _ठीक है बेटा, पर राजेश का हालचाल पूछने आते रहना।
रवि _बिल्कुल मां जी मैं आता रहूंगा। आप चिन्ता न करें राजेश जल्दी ठीक हो जायेगा।
इपदमा _अब चलो सभी, अपने अपने कमरे में जाकर सो जाओ।
मैं राजेश के कमरे में आज सो जाती हूं, नीचे बिस्तर लगाकर,पता नही रात में उसे किसी चीज की जरूरत हो तो।
केशव _हा, ठीक कह रही हो आज तुम राजेश के कमरे में ही बिस्तर लगाकर सो जाओ।
सभी अपने अपने कमरे में सो गए और पदमा राजेश के कमरे में पलंग के नीचे बिस्तर लगाकर।
पदमा जब सुबह उठी तो राजेश सो रहा था।
पदमा राजेश के माथे को चूम ली। और प्यार से उसकी बाल को सहला कर, मुस्कुराते हुवे चली गई।
इधर सुबह होते ही यह बात जंगल में आग की तरह फैल गई की राजेश पर कल रात कुछ लोगो ने हमला किया है।
जिससे उसको चोटें आईं हैं।
जब सविता को पता चला, तो वह तुरंत अपने पति माधव के साथ राजेश को देखने पदमा के घर पहुंच गई।
पदमा ने दरवाजा खोली।
पदमा _अरे छुटकी तुम, आओ अंदर आओ।
बड़ी दिनो बाद घर की याद आई।
माधव _प्रणाम भाभी।
पदमा _कैसा है देवर जी
माधव _हम अच्छे है भाभी।
पदमा _आओ देवर जी।
आओ बैठो।
सविता _जानती हूं दीदी आप मुझसे नाराज है।
पदमा _सविता अब छोड़ो उन बातो को।
सविता _दीदी जब पता चला कि राजेश पर कल रात कुछ लोगो ने हमला किया है, हम से रहा नही गया हम देखने चले आए, अभी कैसा है राजेश?
पदमा _ठीक है, अभी सोया है। वैसे तो सुबह इतने समय उठ जाता है पर हो सकता है दवाई के असर के कारण,,,
सविता _दीदी, आप हमे रात में ही फोन करके बता सकती थी, हमे तो आप बिल्कुल पराया ही समझने लगी आप।
पदमा _अरे छुटकी, रात काफी हो गई थी, इसलिए किसी को खबर नही की।
सविता _दीदी हम राजेश से मिल सकते हैं।
पदमा _क्यों नही, आओ,,
सविता और माधव पदमा के पीछे पीछे जाने लगे।
पदमा, राजेश के बाल सहलाती हुई बोली।
पदमा _अरे राजेश बेटा, आंखे खोलो देखो कौन आया है तुमसे हालचाल पूछने।
राजेश ने आंखे खोला, सामने सविता और माधव को देखा।
राजेश _अरे चाचा और चाची, इतनी सुबह आप दोनो यहां,,
राजेश उठने की कोशिश करने लगा।
सविता _अरे बेटा लेटा रह।
जैसे पता चला तुम पर कुछ लोगो ने हमला किया है हमसे रहा नही गया हम दौड़े चले आए।
राजेश _चाची मुझे कुछ नही huwa है, मैं बिल्कुल ठीक हूं।
माधव _अरे बेटा, आखिर कौन लोग थे जिसने तुम पर हमला किया? तुमने उसे पहचाना।
राजेश _चाचा जी, वे नकाब पोश थे, वे मुझे लूटने के लिए आए थे जब मैने विरोध किया तो उन लोगो ने मुझ पर हमला कर दिया।
सविता _ ये भुजा पर पट्टी कैसी?
पदमा _चाकू से हमला किया है? उन पापियों ने। बहुत सा खून बह गया मेरे बेटे का।
राजेश _अरे ताई, तुम्हारा बेटा इतना कमजोर नही है, मैने भी सालो को ऐसा पीटा है की फिर कभी किसी को लूटने से पहले सौ बार सोचेगा।
सविता _अच्छा राजेश तुम आराम करो, अब हम लोग चलते हैं।
पदमा _अरे छुटकी तुम लोग बड़े दिन बाद आए हो चाय पीकर जाना।
अरे बहु,, कहा हो,,
पुनम अपने कमरे से बाहर निकली,,
पुनम _क्या huwa मां जी?
पदमा _देखो तो कौन आए हैं?
पुनम _अरे चाचा चाची आप दोनो, पान्यलागु।
सविता _जी ती रह, बहु।
पदमा _अरे बहु बहुत दिनों बाद घर आए है तुम्हारे चाचा चाची उनके लिए चाय तो बना दो।
पुनम _जी मां जी।
सविता _दीदी ज्योति भी तो आई हुई है न? दिखाई नहीं दे रही।
पदमा _आरती और ज्योति दोनो अपने कमरे में सो रही होगी।
अरे बहु दोनो को उठाओ तो कब तक सोती रहेगी, दोनो।
पुनम _दोनो को उठाने उसके कमरे में गई।
कुछ देर बाद ज्योति और किरण दोनो कमरे से बाहर आए।
ज्योति _अरे चाचा, चाची, आप दोनो,
दोनो के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
सविता_अरे ज्योति कितना माह चल रहा है तुम्हारा।
ज्योति शर्मा गई।
पदमा _9वा माह पूरे होने को है। बस अच्छा से निपट जाए, भगवान से यहीं प्रार्थना करते है।
सविता _हूं।
तभी वहा आरती भी आ गई।
आरती _प्रणाम चाचा जी, प्रणाम चाची।
माधव _खुश रह बेटी।
आरती _कैसा, चल रहा है तुम्हारा स्कूल का काम?
आरती _जी, चाची, बहुत अच्छा।
तभी पुनम चाय लेकर आई।
पदमा _अरे बहु, राजेश को भी चाय डी देना।
पुनम _जी मैं जी।
चाय पीने के बाद,,,
माधव _अच्छा भाभी अब हमे इजाजत दीजिए, दुकान खोलनी है?
आरती _हां, दीदी अब हम चलते है? आप भी हमारे घर बैठने आया करो? आप तो कभी आई ही नहीं।
पदमा _ठीक हैं छुटकी, कभी आऊंगी।
माधव और सविता चले गए।
इधर सभी लोग अपने अपने काम में लग गए।

आज राजेश, आखाड़ा पर नही गए। वहा मोहन और उसके दोस्तो को जब पता चला कि राजेश को चोंट लगी है। कुछ दिनों बाद कबड्डी प्रतियोगिता शुरू होना है, वे चिंतित हो गए।
वे सोच में पड़ गए कि लगता है इस बार भी खिताब जितने का सपना अधूरा रह जायेगा।
इधर घर में कुछ देर बाद भुवन, खेत से पहुंचा।
उसे घर आते समय, लोगो ने बता दिया कि राजेश पर हमला huwa है।
वह भागते हुए घर पहुंचा।
भगत _मां, मां,, कहा हो, ये मैं क्या सुन रहा हूं, कल रात राजेश पर किसी ने हमला किया है? कहा है राजेश, वह ठीक तो है न!
पदमा _हा बेटा, राजेश ठीक है, घबराने की कोइ बात नही। राजेश अपने कमरे में आराम कर रहा है!
भुवन राजेश के कमरे में गया।
राजेश _अरे भुवन भैया आ गए खेत से।
भुवन _वो सब छोड़ो, पहले ये बताओ तुम ठीक तो हो।
भुवन _भैया मैं बिल्कुल ठीक हूं कुछ नही huwa है मुझे।
भुवन _फिर ये पट्टी क्यू लगी है?
राजेश _अरे थोड़ा खरोच आया है भैया, जो जल्दी ठीक हो जायेगा।

भुवन _मां मुझे रात में इस घटना की जानकारी क्यू नही दी।
पदमा _अरे बेटा, तू घबरा न जाए इसलिए तुमको नही बताया।
भुवन _राजेश आखिर कौन लोग थे जिसने तुम पर हमला किया।
राजेश _कुछ लुटेरे थे भैया, जो मुझे लूटना चाहते थे मैने विरोध किया तो मुझ पर हमला कर दिया।
भुवन _तुमने उन लोगो को पहचाना नही।
राजेश _नही भैया वे नकाब लगाए हुवे थे।

भुवन _राजेश अब तुम अकेले बिल्कुल नहीं जाओगे। मुझे लगता है कुछ लोग तुम्हे नुकसान पहुंचाना चाहते है?
राजेश _कौन मुझे नुकसान पहुंचाना चाहेगा भैया? बिना सबूत के किसी पर सक करना ठीक नहीं।
भुवन _हूं, कौन लोग थे जिसने तुम पर हमला किया यह पता लगा कार रहुंगा।
राजेश तुम आराम करो।
भुवन कमरे से बाहर आ गया।
भुवन _मां मुझे तो लगता है ये काम ठाकुर का है?
पदमा _इस ठाकुर का हम बिगाड़ भी क्या सकते हैं बेटा, अगर उसने ऐसा करवाया होगा तो,,
भुवन _हम चुप बैठेंगे नही अगर ऐसा huwa है तो,,,
पदमा _मुझे तो बड़ी चिन्ता हो रही है बेटा,,
तुम पता नही, रात को ठाकुर की बिटिया राजेश का इलाज करने आई थी?
आखिर इतनी रात को, एक लड़की कैसे आ सकती है इलाज करने, एक राजकुमारी होकर।
भुवन _क्या, दिव्या जी आई थी, रात को राजेश का इलाज करने?
पदमा _हां बेटा, यहीं तो चिन्ता का विषय है।
राजेश और दिव्या की निकटता बढ़ती जा रही है!
हो सकता है यह बात ठाकुर को पता चल गया हो,,,
भुवन _हूं, ये तो बड़ा चिन्ता का विषय है।
पदमा _हमे कुछ करना होगा? नही तो ये ठाकुर फिर से राजेश को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा।
भुवन भी चिंतित हो गया,,,

इधर ठाकुर ने मुनीम को फोन लगाया।
मुनीम _बोलिए, ठाकुर साहब।
ठाकुर _अबे वहा का माहौल क्या है? किसी को सक तो नही हुआ? की हमला हमने करवाया है।
मुनीम _ठाकुर साहब, आप चिन्ता न करे? मैने दूसरे गांव से आदमी बुलवाए थे।
यहां के लोगो को पता नहीं चल सकेगा कि हमला करने वाले कौन थे।
कुछ लोगो को जो ज्यादा चोटें आई है उसे धरम पुर के प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने बोल दिया हूं।
ठाकुर _ये अच्छा किया तुमने।
मुनीम _पार हुजुर, हमारी चिन्ता और बड़ गई है।

ठाकुर _क्यों, क्या हुआ?

मुनीम _दिव्या बेटी को जैसे ही पता चला कि राजेश पर हमला huwa है?
दिव्या बेटी, रात में ही राजेश के इलाज करने सुरज पुर चली गई।
ठाकुर _मुनीम जी, ये क्या कह रहे हो।
मुनीम जी _ये सच है ठाकुर साहब।
दिव्या बिटिया और राजेश के बीच बढ़ती निकटता को नही हटाया तो,,,,
आप किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे?
ठाकुर _मुनीम जी जुबान सम्हाल कर बात करो। ठाकुर चीखते हुए कहा?
मुनीम _माफ करना, ठाकुर साहब। पर हवेली की इज्जत की चिन्ता मुझे भी है आखिर जो कुछ मेरे पास है आपने ही तो दिया है।
ठाकुर _आज बरसो बाद किसी ने मुझे चैलेंज किया है? बस सही मौका मिलने दो फिर खेल खत्म साले की।
मुनीम _मौका तो मिला था, ठाकुर साहब, उल्टा हमारे आदमी ही पिट कर आ गए। साले में बहुत ताकत है।
और चालाकी तो आप जानते ही हैं!
ठाकुर _हूं, इसके लिए कुछ नया सोचना पड़ेगा।
मैं दो दिन बाद भानगढ़ पहुंच रहा हूं, फिर सोचेंगे क्या करना है?
इधर दिव्या अपनी ड्यूटी में जाने से पहले, राजेश से मिलकर उसके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेना चाहता था।
वह निकलने ही वाली थी तभी,,
रत्नावती _अरे बेटी, आज जल्दी जा रही ड्यूटी।
दिव्या_हा मां मैं पहले सुरज पर जाऊंगी, राजेश का स्वास्थ्य कैसा है? पता करने फिर स्वास्थ्य केंद्र।
रत्नवती _अच्छा बेटी रुको मैं भी चलती हूं।
दिव्या _ठीक है मां।
रत्ना वती और दिव्य दोनो कार सी सुरज पुर के लिए निकल पड़े।
गांव के लोग उन्हें आश्चर्य से देखने लगे।
जब वे घर पहुंची।
पदमा, चौंकते हुवे बोली,,
पदमा _ठकुराइन आप,,,
ठकुराइन _हा, वो राजेश का हाल चाल पूछने आई थी कैसा है वह अभी?
पदमा _आइए न अंदर आइए, ये तो हमारे लिए बड़ी गर्व की बात है आप यहां आई,,
दिव्या बिटिया की उपकार है जो रात में ही इलाज करने आ गई। और सही समय में इलाज की। नही तो हम लोग तो बहुत घबरा गए थे।
आओ मैं आपको राजेश से मिलाती हूं।
पदमा, रत्नवती को लेकर राजेश के कमरे मे गई पीछे दिव्या भी गई।
पदमा _देखो बेटा कौन आया है?
राजेश _अरे मां जी आप?
रत्ना वती _कैसे हो राजेश? जब मुझे दिव्या ने बताया कि तुम पर कुछ लोगो ने हमला किया है तब से चिंतित थी, इस लिए मिलने चली आई।
राजेश _मां जी मैं बिल्कुल ठीक हूं, पर ये लोग मेरा सुनते ही नहीं मुझे बेड से उठने भी नही दे रहे। कहते है तुम आराम करो।
दिव्या जी आप ही समझाइए इन लोगो को।
दिव्या _पहले मुझे चेक तो करने दो, तब पता चलेगा की तुम ठीक हो की नही।
दिव्या मुस्कुराते हुए बोली।
राजेश _हा हा चेक करके देख लीजिए।
दिव्या राजेश का चेकअप करने लगी।

दिव्या,_मां जी आप लोग थोड़ा बाहर जाएंगी क्या मैं राजेश का थोड़ा चेक अप कर लूं।
पदमा _ठीक है बेटी।
पदमा और रत्नवती _दोनो कमरे से बाहर चली गई।
दिव्या ने राजेश का चादर पकड़ कर खींचा।
राजेश _दिव्या जी ये आप क्या कर रही हैं? मैं सिर्फ अंडरवियर मे हूं।
दिव्या _तो, चेक तो करनी पड़ेगी, जहां जहां चोटें लगी है। चलो दिखाओ मुझे। रात में तो मलहम लगाई थी न।

राजेश _रात की बात और थी।
दिव्या _तो, अब क्या बात हो गई?
राजेश _मुझे शर्म आएगी।
दिव्या _हसने लगी।
_पर क्यू?
राजेश _बस ऐसे ही।
दिव्या _हूं, चलो, मुझसे शर्माना बंद करो और चादर हटाओ।
दिव्या ने जोर लगाकर चादर हटा दिया।
राजेश सिर्फ चड्डी में था।
दिव्य ने दिन में जब सेक्स की फौलादी बॉडी देखी तो मोहित होने लगी,,
राजेश _दिव्या जी कहां खो गई,,,
दिव्या, शर्मा गई,,
दिव्या _ओह कुछ नहीं?
दिव्या राजेश के शरीर पर लगे चोट को हाथ से सहलाते हुए पूछी दर्द है क्या?
राजेश _दर्द तो था पर आपके हाथ लगते ही दर्द कहा गया पता नही?
दिव्या जी आपके हाथो में तो जादू है?
दिव्या _मुझसे बदमाशी कर रहा है? मुस्कुराते हुए बोली।
राजेश _नही दिव्या जी सच कह रहा हूं।
दिव्या _वैसे तुमने बहुत अच्छी बॉडी बनाई है? तभी तो दस दस लोगो पर अकेले भारी पड़ता है।
दिव्या _मैं मलहम लगा देती हूं।
राजेश _जैसे आप उचित समझे, पर मुझे नही लगता की मलहम लगाने की जरूरत है।
दिव्या _हां, तुम्हारा शरीर तो चट्टान से बना है न, मलहम की जरूरत नही।
दिव्या हाथ में मलहम लेकर राजेश के बदन पर मलने लगी।
मलहम लगाने के बाद,,
दिव्या _अब कैसे महसूस कर रहे हो।
राजेश _बिल्कुल अच्छा नही?
दिव्या _पर क्यू? अभी तो बोल रहे थे कि मेरे हाथ लगते ही। सारे दर्द दूर हो गए।
राजेश _दर्द तो दूर हो गया पर आपसे सेवा कराते मुझे अच्छा नही लग रहा।
दिव्या _पर क्यू?
राजेश _क्यू की मैं आपकी बहुत इज़्जत और सम्मान करता हूं?
दिव्य _पार मैं तो एक डाक्टर हूं न सेवा करना मेरा फर्ज है।
राजेश _डॉक्टर तो हो पर यहां की राजकुमारी भी तो हो।
दिव्या _मैं कोइ राजकुमारी नही, अगर खुद को राजकुमारी समझती तो डाक्टर क्यू बनती?
मुझे तो लोगो की मदद करना अच्छा लगता है?
राजेश _ये तो आपका बड़प्पन है, दिव्या जी।
दिव्या _हूं, अब मैं चलती हूं? तुम आज घर मे ही आराम करना।
भाभी को मैं समझा दूंगी, तुम्हे समय पर टैबलेट देने के लिए। और मलहम के लिए।
दिव्या _मैं कल फिर आऊंगी।
राजेश _ठीक है जी।
उसके बाद दिव्या पुनम को राजेश का देखभाल के लिए निर्देश देकर अपनी मां के साथ वहा से चली गई।
स्वास्थ्य केंद्र जाने के बाद मरीजों का हालचाल पूछी। उसके बाद वह अपने केबिन में पहुंची।

चारोओर घने बादलछाए थे।
तेज़ हवाएं चलने लगी।
दिव्या कमरे की खिड़की से बाहर झांक कर देखी।
कुछ पानी की बूंदे उस पर पड़ी।
वह खिड़की बंद की औरजाकर अपनी चेयर पर बैठ कर कुछ सोचने लगी।
दिव्या रात मे ठीक से सो नहीं पाई थी, उसकी नींद लग गई।
वह सपने देखने लगी,,,
सपने में वह राजेश के साथ नदी के किनारे घूमने गई है, चारो ओर घने बादल छाए हुए हैं,,

बारिश में दोनो भीग जाते है फिर एक झोपड़ी में चले जाते हैं।
फिर दोनो गीत गा रहे है,,,
Nice update bro keep it up 👍 👍 👍
 
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