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Incest मेरी माँ, बहने और उनका परिवार

Who do you suggest Raj should fuck first?

  • Shweta

    Votes: 89 75.4%
  • Soniya

    Votes: 29 24.6%

  • Total voters
    118
  • Poll closed .

tharkiman

Active Member
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124
मेरा अगला हफ्ता बहुत बीजी रहा। माँ और दीदी के साथ शॉपिंग और दीदी के साथ जबरदस्त चुदाई। चुदाई जब होती तो दोनों ऐसे डूब जाते जैसे अगली बार नहीं होगी , यही आखिरी मौका है। जबकि ऐसा नहीं था। दीदी भले ही अपने ससुराल जा रही थी ,मैं वहां भी जाकर उनके साथ समय बिता सकता था , मस्ती कर सकता था। और उनके साथी की क्यों, उनकी सास और सोनिया भी थीं। पर हम दोनों जैसे पागल प्रेमी हो रखे थे।

वीकेंड आते आते जहाँ मैंने अपने आपको मजबूत किया दीदी का रोना धोना बढ़ गया। माँ ने ना जाने कैसे खुद को मजबूत बताया हुआ था। वो उन्हें समझाती रहती थी। दीदी के जाने के एक दिन पहले श्वेता भी आ गई थी। इतवार को सुबह सुबह जीजा जी और सोनिया दोनों आये। दोनों करीब एक घंटे तक हमारे यहाँ रुके थे। हम तीनो ने बड़े ही कड़े मन से दीदी को विदा किया। जाते वक़्त दीदी और बच्चा भी रोने लगा। उसे भी हमारी आदत थी। जीजा को तो वो पहचानता ही नहीं था। लड़की की विदाई का माहौळ ही ऐसा होता है की आँखे नम हो जाती हैं।

जो माँ ने खुद को अब तक संभाला हुआ था वो भी उस वक़्त रो पड़ी। खैर जो होना था वो होना था। दीदी दो घंटे बाद चली गईं। उनके जाने के बाद माँ भी फफक फफक कर रो पड़ी थी। मैं भी रोही रहा था। कहते हैं न जब सब कमजोर पड़ते हैं तो घहर का कोई सदस्य मजबूती से खड़ा रहता है। ऐसे टाइम पर श्वेता ने हम दोनों को संभाला। उसी ने शाम का खाना भी तैयार किया। माँ ने पहले तो मन किया पर किसी तरह श्वेता ने उन्हें मनाया। हम तीनो ने किसी तरह से खाना खाया। माँ ने कहा वो सोना चाहती हैं। श्वेता ने उन्हें रोक लिया।

माँ - जाने दे। आज कुछ करने का मन नहीं है।
श्वेता - आप कमरे में जाकर सो भी नहीं पाओगी। बैठो न। कोई पिक्चर देखते हैं।
माँ - मेरा मूड नहीं है।
श्वेता - इसका मतलब आपको सिर्फ सुधा दी से प्यार है। मैं आपकी बेटी नहीं ?
माँ ने ये सुनकर उसके गाल पर हाथ फेरते हुए कहा - तू तो बेटी भी है, बहु भी है और जान भी।
श्वेता - ये हुई ना बात। आपकी एक बेटी गई है। दूसरी आ गई। थोड़ा समय मेरे साथ भी बिता लो।
उसने मुँह बनाते हुए कहा - फिर मैं भी हॉस्टल चली जाउंगी।
ये सुन मैंने कहा - तू यही शिफ्ट हो जा। दीप्ति मैम से बात कर लेंगे।
श्वेता - उसके लिए तुम्हे उन्हें और उनकी बेटी दोनों की जबरदस्त चुदाई करनी पड़ेगी।
उसकी ये बात सुनकर मैं और माँ दोनों मुश्कुरा उठे।
बात आगे बढ़ाते हुए उसने कहा - माँ, इसकी तो चांदी है। घर में भी माल। बाहर भी माल। देखो कल ये चोदू राजा एक नए छूट को मारेगा
मैं - तू मान जाए तो किसी को न चोदू। शर्त तूने ही लगाई है। मुझे पूरा जिगोलो बना दिया है।
श्वेता - मेरे राजा इसमें तुम्हारा ही तो मजा है।
माँ का मूड हम दोनों की चुहलबाजी देख कर हल्का हुआ। उनके चेहरे पर थोड़ा इत्मीनान आया देख मैंने कहा - बियर पियोगी माँ ?
माँ का भी मूड बना हुआ था। उन्होंने कहा - कुछ हार्ड बना।
मैंने अपने लैंड पर हाथ रखते हुए कहा - हार्ड तो ये आलरेडी बन गया है।
माँ - तेरा तो ये हमेशा ही हार्ड बना रहता है। तुझे पता है श्वेता पिछले हफ्ते ये दोनों भाई बहन एक दुसरे सेएकदम चिपके रहते थे। इसके लौड़े ने जैसे सुधा के चूत को अपना घर ही बना लिया था।
मैं - चूत ही नहीं माँ गांड भी।
श्वेता चौंक कर बोली - क्या सुधा दी की गांड भी मार ली।
मैं - पहला उद्घाटन तो माँ का ही था।
श्वेता ने माँ की होठो को किस करके कहा - आखिर आपने अपने बेटे से सील तुड़वा ही ली
माँ - तेरी भी टूटेगी। तेरी गांड तो सुहागरात वाले दिन ही तुड़वाउंगी।
श्वेता - मेरी तो गांड किसी को नहीं मिलेगी।
माँ - यही सुधा भी कहती थी। पर पिछले हफ्ते इतना मरवाई है है की गांड न किला बन गया है।
श्वेता हँसते हुए बोली - आपका क्या बना।

तब तक मैं ड्रिंक और ग्लासेज लेकर आ गया था। मैंने कहा - माँ की तो शायद एक या दो बार ही मारी थी।
श्वेता ने एक बियर उठा ली। वो कम ही पीती थी। मैंने माँ के लिए ग्लास में कुछ पॉइंट्स डाले। माँ ने उसे नीट ही पी लिया।
माँ ने कहा - उफ्फ्फ , हार्ड तो है पर उतना नहीं।

मुझे ये सुन आश्चर्य हुआ। मैं उन दोनों के सामने खड़ा था। तभी श्वेता ने मेरे बरमूडा को खींच कर उतार दिया और अपने बियर के बोतल से मेरे लैंड पर बियर गिरा लिए और मेरे लैंड को चूम कर बोली - अब ऐसे ड्रिंक हार्ड लगेगी।
मैंने ये सुन अपना लैंड उसके मुँह में पूरा घुसा सिया और कहा - ड्रिंक हार्ड या सॉफ्ट ये तो अंदर लेने के बाद ही पता चलेगा।
श्वेता खांसने लगी। मैंने लैंड बाहर कर लिया। बोली - बलात्कार करेगा क्या ?
मैंने उसके गाल पर एक झापड़ मार दिया और कहा - मन तो कर रहा है।
श्वेता - भोसड़ी के माँ का कर ले। मेरे साथ कुछ भी जबरदस्ती की तो मुझे भूलना पड़ेगा।
माँ ने उसे अपने पार खींच लिया और मुझे हौले से कहा - मादरचोद , जो प्यार से मिले वही लेना चाहिए। देख फूल सी बच्ची का क्या कर दिया।
उन्होंने उसको अपने आगोश में भर लिया। माँ रात को अपने उसुअल ड्रेस में थी - एक ब्लॉउज और पेटीकोट। श्वेता ने एक शार्ट और टी शर्ट डाला हुआ था।
माँ ने उससे कहा - हार्ड ड्रिंक मेरे लिए है। मेरी बच्ची तो सॉफ्ट ड्रिंक लेती है।
माँ ने श्वेता की बियर की बोतल उठाई और अपने स्तनों पर थोड़ा सा गिरा लिया। श्वेता के मुँह उनके सीने से लगा ही हुआ था। उसने गिरती बूंदो को चाटना शुरू कर दिया।
माँ - पी जा मेरी बच्ची।
माँ ने मुझे देखते हुए कहा - लौड़े मुझे भी हार्ड ड्रिंक देगा ?
मैंने ग्लास में ड्रिंक उड़ेली और अपने लैंड को उसमे भिगो लिया और माँ के सामने आकर खड़ा हो गया। अब माँ बड़े चाव से मेरे लैंड को चूस रही थी।
श्वेता - और पिलाओ न।

मैंने माँ के हाथ से बोतल ली और उनके सीने पर गिराने लगा । श्वेता एक बिल्ली की तरह उसे चाटने लगी। मैं बीच बीच में कभी बियर तो कभी हार्ड ड्रिंक के घूँट ले रहा था। माँ का पूरा ब्लॉउस गिला हो रखा था। माँ का ही नहीं श्वेता का टी शर्ट भी पूरा गिला हो रखा था। माँ मेरे लैंड को बड़े आराम से लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। मुझे दीप्ति मैम और सरला दी की याद आ रही थी। अगर उस दिन मैं दीप्ति मैम के यहाँ रुका होता तो शायद कुछ ऐसा ही माहौल होता।
कुछ देर बाद मैंने माँ से कहा - माँ मुझे भी सॉफ्ट ड्रिंक पीना है।
माँ ने प्यार से कहा - कहाँ भागी जा रही हूँ। पी लेना। श्वेता तू एक बार हार्ड ड्रिंक फिर से ट्राई कर न बड़ा टेस्टी हो गया है।
श्वेता ने मेरे लैंड की तरफ देखा और कहा - जबरदस्ती तो नहीं करेगा न ?
माँ - करेगा तो साले का लैंड काट दूंगी।
श्वेता - काट कर अपने चूत में रख लेना। मुझे चाहिए होगा तो दे देना। मैं अपने अंदर रख लुंगी।
दोनों नशे में आ चुकी थी। मैंने कहा - सॉरी अबकी नहीं करूँगा नहीं करूँगा। तूने ऐसे वादे में डाल रखा है की मैं क्या करूँ तू कुछ करती भी नहीं है।
श्वेता - उम्मम मेरा राजा ,आजा तेर लौड़े को प्यार करूँ।

मैं उसके पास चला गया। श्वेता ने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और मुँह में अंदर बाहर करने लगी। कुछ देर करते ही उसे फिर से खांसी आ गई। उसने लंड बाहर निकाल दिया और कहा - कैसे कर लेती हो आप लोग। मेरा तो दम घुटने लग रहा है।
माँ ने उसके होटों पर लगे ड्रिंक और मेरे प्री कम को चाटा और कहा - इस लिए कहती हूँ कुछ प्रैक्टिस कर ले। खैर जाने दे सब सीखा दूंगी।
माइन माँ से कहा - मुझे भी सॉफ्ट ड्रिंक पीना है।
माँ ने मेरे हाथ से गिलास लिया और अपने पेटीकोट की डोरी खोल दी और कहा - क्या करेगा सॉफ्ट ड्रिंक। चल तू भी हार्ड ड्रिंक पी।

मेरी तो चांदी हो गई। मैं झट से उनके चरणों में बैठ गया। माँ ने ड्रिंक की धार अपनी नाभि से गिरानी शुरू की। मैंने माँ की चूत की पार अपने जीभ को चम्मच जैसा बना रखा था। जैसे ही धार वहां तक पहुंची। माँ रुक गईं। मैंने एक एक बूँद ड्रिंक की चाटनी शुरू कर दी। माँ की गिरी चूत का रास और दरनी दोनों का मिश्रण का स्वाद अलग ही था। मैंने चूत ही नहीं बल्कि चूत की ऊपर से होते हुए उनके नाभि तक को चाट डाला। हमारे घर की औरतों की नाभि गहरी थी। माँ की सबसे गहरी। मैं उसमे जीभ घुसा कर ऐसे अंदर बाहर करने लगा जैसे उसे ही चोद रहा हूँ। तब तक श्वेता ने अपना टी शर्ट उतार दिया था और माँ का ब्लॉउज भी। मैं और माँ पूरी तरह से नंगे थे और श्वेता टॉपलेस। श्वेता मेरे सामने गाँव में नंगी हो चुकी थी पर सब छणिक ही था।
आज उसने अपना पेंट नहीं उतारा था। उसने बियर का एक बड़ा सिप लिया। कुछ घूँट खुद पिया और फिर अपने होतो को माँ की पास ले गई। माँ ने मुँह खोल दिया। श्वेता थोड़ा ऊपर हुई और उसने अपने मुँह से बियर माँ की मुँह में बूँद बूँद करके गिराना शुरू कर दिया। उसने कुछ घूँट माँ की घाटियों की बीच में भी गिरा दिया जो सीधे नाभि से होता हुआ नीचे आने लगा। मैं फिर से उसे चूत से लेता हुआ नाभि तक चाटने लगा। अबकी मैं उठ कर उनके स्तनों की घाटी को भी चाटने लगा। श्वेता सोफे पर घुटनो की बल कड़ी अवस्था में थे। उसके स्तन माँ की चेहरे की सामने थे। माँ ने अपने जीभ से उसके एक स्तन की घुंडी को सितार की तार की तरह हिला दिया। श्वेता की स्तन सुडौल थे। न बड़े न छोटे। शायद आम सफेदे आम से हल्का बड़ा। उस पर से भूरे रंग का जो घेरा। पर उसके स्तनों को सबसे अलग करते थे उसके निप्पल। इरेक्ट होने पर एकदम नुकीले हो जाते थे। कोई चाहे तो हाथ की अंगूठे और मिडिल फिंगर की कॉम्बिनेशन ( जैसे कैरम खेलते हैं ) उनको छेड़ सकता था। माँ अपने जीभ से वैसा ही कुछ कर रही थी। शायर ये उसका वीक पॉइंट था। माँ समझ गईं थी। वो कभी उन्हें निचोड़ती तो कभी उन्हें जीभ से हिलाती। श्वेता बेचैन हो गई।

श्वेता - उफ़ माँ। क्या कर रही हो। आग लगा दिया तुमने। उफ़ , मा माँ सम्भालो।
श्वेता का शरीर कांपने लगा और वो भरभरा कर माँ की ऊपर ही गिर पड़ी। माँ ने उसे बाँहों में भर लिया - मेरी बच्ची। प्यारी बच्ची। तू तो इतने से मस्त गई। लंड जायेगा तो क्या करेगी।
माँ ने उसके पेंट की अंदर हाथ डाल दिया था। उनकी उंगलिया उसके क्लीट से खेल रही थी। उधर मैं उनके क्लीट से। उन दोनों की लौडो को मजा था पर मेरा लौड़ा शिकायत की मूड में था।
मैंने माँ से कहा - अब मुझे चोदना है।
माँ - चोद न फिर किसने रोका है।
मैं भी मूड में था - तुम दोनों की रासलीला चल रही है।
माँ - वो तो चलेगी। हाथ आई लौंडिया न तू छोड़ेगा न मैं। और ये तो बहुत दिनों बाद आई है।
मैं - अब बर्दास्त नहीं होता।
माँ - रुक।
माँ ने श्वेता को सोफे पर ठीक से बिठा दिया। उन्होंने उसके पेंट को उतार दिया। खुद निचे मेरी तरह हो गईं। माने उसके सामने चौपाया। मैं थोड़ा पीछे हुआ। मेरा एक मन तो किया गांड ही मार लूँ।
माँ ने मेरा मन पढ़ लिया था। बोली - बहनचोद , पहले चूत की खुजली मिटा। इतने दिनों से बहन की चूत में घुसा था मेरी चूत बहुत प्यासी है। पहले उसकी प्यास बुझा।
मैंने माँ की चूत में पीछे से अपना लंड डाला और माँ को चोदना शुरु कर दिया। माँ ने श्वेता की चूत पर जीभी फिरानी शुरू कर दी। श्वेता फिर से होश खोने लगी थी। उसने अपने हाथों से ही अपने निप्पल खींचने शुरू कर दिए।
श्वेता - माँ उफ़ , आह। मजा आ गया। जीभ अंदर लो न। उफ़ हाँ ऐसे ही।
मैं माँ को चोद रहा था और उसके चेहरे की वासना देख रहा था। श्वेता फिर से छटपटाने लगी थी। उसने आँखे खोल दी और मेरी तरफ देखा।
नजरे मिलते ही उसने कहा - मादरचोद इधर क्या देख रहा है।
मैं - अपनी जान को देख रहा हूँ। कितनी सेक्सी लग रही हो। एकदम चुदास।
श्वेता - भोसड़ी की , चोद माँ को रहा है और सेक्सी मुझे कह रहा है।
मैं - माँ तो सेक्स की देवी हैं। उपमा से परे।
माँ - शायरी , कविता छोड़ तेजी से चोद। मेरा आने वाला है। तेजी से धक्के लगा। पेल दे मेरी चूत को बहा दे नदियां।
श्वेता भी बेशर्मी से बोली - चुद रही हो फिर भी चैन नहीं है। आज इनके चूत का भोसड़ा बना दो राज।
माँ ने कहा - पहले तेरी चूत की खबर लेती हूँ। 'हम दोनों अपने काम पर लग गए। श्वेता में पेअर सिकोड़ लिए थे और माँ की सर को जकड लिया था। वो एकटक मुझे देखे जा रही थी।

हम तीनो अपने चरम अवस्था पर पहुँचने वाले थे। माँ और श्वेता का शरीर कांपने लगा था। माँ की जंघे ताकत खो चुकी थी और बुरी तरह से थरथरा रही थी। वैसा ही हाल श्वेता का भी था। मैं भी उनके साथ ही स्खलित हुआ। मेरे लंड ने भी माँ की चूत में माल उड़ेल दिया। श्वेता सोफे पर सर पीछे करके हो गई। माँ ने अपना सर उसके जाँघि पर राखी दिया था और बैठ गई थी। मैं भी वहीँ जमीन पर उनके एक पेअर पर सर रख कर लेट गया। तीनो ने जबरदस्त ओर्गास्म पाया था। हमें होश नहीं था। हम तीनो अलग ही दुनिया में थे।

तभी फ़ोन की घंटी बजी। मैंने कहा - इस वक़्त किस बेटीचोद को हमारी याद आ गई।
माँ ने कहा - सुधा होगी।
मैंने फ़ोन उठा लिया और स्पीकर पर रख दिया। मैं - हाँ दीदी , कैसी हो ?
दीदी - तू हांफ क्यों रहा है ? माँ और श्वेता कहा हैं ?
माँ - हम यहीं है। ठीक हैं।
तभी उधर से हंसने की आवाज आई। दीदी ने धीरे से कहा - क्या करती है। थोड़ा सा सब्र नहीं है। फ़ोन पर हूँ।
उधर से सोनिय की आवाज आई - उधर भी खेल चल ही रहा है। चोदू लाल ने लगता है दोनों चूत बजा दी आज।
श्वेता - चुप रहो। मैंने अभी वादा नहीं तोडा है।
तभी दीदी की आवाज आई - अम्मा जी आप भी। रुकिए तो।
उधर से रत्न आंटी की आवाज आई - थोड़ा पीला दे न। प्लीज। बहुत मन है।
माँ ने हँसते हुए कहा - रत्ना जी चूस लीजियेगा अच्छे से। बहुत भरा हुआ होगा। दामाद जी को भी पीला दीजियेगा। हो सके तो उनके पापा को भी।
रत्न आंटी की आवाज आई - नमस्ते जी। वो दोनों तो अभी अभी पीकर गए है। एक साथ थन से ऐसे लटके थे जैसे कुटिया की बच्चे हों।
मैंने कहा - खबरदार जो मेरी बहन को कुटिया कहा त। आकर वही चोद दूंगा दोनों माँ बेटी को।
रत्ना आंटी हँसते हुए - फिर तो कुतिया ही कहना पड़ेगा।
ये सुन हम सब हंसने लगे। माँ ने कहा - मेरी बेटी को ज्यादा परेशान मत करियेगा। आराम आराम से।
सुधा दी - ठीक है माँ। आप लोग मजे में हैं ये सुन अब चिंता दूर हो गई। गुड नाइट।
हम तीनो ने भी कहा - गुड नाइट।

नाइट तो गुड हो गई थी। तसल्ली हुई की दीदी को वहां भी सुख देने वाले हैं। क्या हुआ लंड रोज नहीं मिले तो। एक औरत तो वास्तव में बाहर से ही खुश हो जाती है। वहां सोनिया और आंटी को ये हुनर आता था। यहाँ माँ ने श्वेता को खुश कर दिया था। बाकी दीदी का ससुराल कुछ घंटो की दुरी पर था। दुध और तीन चूत तो मैं कभी भी मार कर आ सकता था। यही सोच रहा था की माँ ने कहा - नशा भी उतर गया और भूख भी इलाज गई। शाम को कुछ ख़ास नहीं खाया था।

श्वेता ने अपनी पेंटी उठाई और पहन लिया। वो उठकर किचन में जाने लगी। उसने कहा - मैगी बनाती हूँ । आप बैठिये।
माँ सोफे पर बैठ गईं। मैं उनके गोद में सर रख कर लेट गया और श्वेता की थिरकते पिछवाड़े को देखने लगा।
माँ ने कहा - मस्त माल है। बच्चे ताकतवर होंगे।
उसकी जाँघे और हिप्स बहुत ही सुडौल थे। मजबूत पर पुरे शेप में। न बड़े न छोटे। श्वेता को पता था हम क्या देख रहे हैं। उसने वहीँ से कहा - सिर्फ देखने की लिए है। मारने की सोचना भी मत।
माँ - हाँ। सही बात है। गांड तो तेरा बेटा मारेगा।

ये सुन हम सब हंसने लगे। रात अभी ख़त्म नहीं हुई थी। बात अभी ख़त्म नहीं हुई थी। पर इस बची हुई रात की बात तो मैं बताऊंगा ही पर आने वाले कल या परसों भी एक धमाकेदार चुदाई होनी थी। उस पार्क वाली महिला की साथ।
 
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