sandy4hotgirls
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Besabri se intezaar rahega bhai uss mauke ka..aur yeh maa ki sehmati aur sehyog se unki maujudgi meun hi ho toh soney pe suhaaga ho jaaye..Bhai, sab kaa number lagne waala hai...sahi samay pe...thoda intezaar karo..jo aap soch rahe ho wo bhi hoga...
Thank you and keep supporting
sandy4hotgirls
Congratulations for crossing 10L viewers.22nd Update
ये घमासान चुदाई काफी देर तक चलती है जहां तीनो को बहुत मजा आता है और आखिर में दीपू भी हार मान जाता है और अपना पूरा रस दोनों की चूत में ही झड़ जाता है बारी बारी से. इसमें दोनों को बड़ा सुख मिलता है. आखिर कार तीनो थक कर एक दुसरे की बाहों में चैन की नींद में सो जाते है...
अब आगे..
दिन ऐसे ही गुज़रते है और इन दिनों में दोनों दिनेश और दीपू भी अपने काम को अच्छा अंजाम देते है और उनका बिज़नेस भी अब फैलने लगता है. वो दुसरे शहर में भी अपना दूकान खोलते है और वहां पर भी उनको अच्छा सफलता मिलता है. उनको अब Profits भी अच्छा मिल रहा था और Revenue भी बढ़ती है. जो पहले लाखों में बिज़नेस करते थे अब काफी दिन और मेहनत के बाद उनका Revenue अब करोड़ों में होने लगा था. इन सब के चलते दोनों और उन दोनों के परिवार भी बहुत खुश थे.
जब उनका बिज़नेस करोड़ों में पहुंच जाता है तो दिनेश इस ख़ुशी में दीपू और बाकी सब को भी अपने घर बुलाता है और सब मिल कर खुशियां मनाते है और साथ में खाना भी खाते है.
जब दीपू और उसकी बीवियां और बेहन दिनेश के घर जाते है तो दिनेश और उसकी माँ ऋतू भी एकदम तैयार हो कर उनका स्वागत करते है. उस वक़्त ऋतू भी एकदम सजधज कर एकदम सेक्सी लग रही थी. साडी में लिपटी हुई वो भी एकदम मस्त माल लग रही थी. टाइट ब्लाउज जिसमें से उसकी चूचियां जैसे बाहर आने को तड़प रही हो और साडी भी नाभि के नीचे बाँधा हुआ.
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दीपू उस वक़्त ऋतू को देख कर मन में सोचता है की कितनी मस्त माल लग रही है आंटी.. लेकिन फिर सोचता है की वो गलत सोच रहा है क्यूंकि वो तो उसके दोस्त की माँ थी और थोड़ी दिनों में उसकी बेहन की सास हो होने वाली थी और फिर ऐसे ख्याल अपने मन से निकाल लेता है (फिलहाल अभी के लिए).
ऋतू वसु को देख कर अकेले में ...दीदी आप तो बहुत सुन्दर दिख रही हो.. क्या बात है? वसु ये बात सुनकर शर्मा जाती है लेकिन उल्टा जवाब देती है... आप भी तो बहुत खूबसूरत लग रही हो. अब दिनेश और दीपू ने बिज़नेस संभाल लिया है तो आप भी अपने आप को ऐसा मेन्टेन कर रही हो. आप भी कोई काम खूबसूरत नहीं हो और है देती है.
इतने में वहां दिनेश आता है और मज़ाकिया ढंग से पूछता है की क्या बात हो रही है?
ऋतू: तुझे जान्ने की ज़रुरत नहीं है. ये हम औरतों का मामला है. तू जा और मेरी होने वाली बहु का ख्याल रख. दिनेश कुछ नहीं कहता और चुपचाप वहां से चला जाता है.
दिनेश भी फिर निशा को थोड़ा अकेले पा कर उसके पास जाकर: तुम तो आज बहुत सेक्सी लग रही हो. क्या बात है?
निशा: क्यों नहीं जब मैं अपने होने वाली पति और भाई की तरक्की देख रही हूँ तो खुश होंगी ना... और उसको आँख मारते हुए सेक्सी तो मैं तुम्हारे लिए ही आयी हूँ. अच्छी नहीं लग रही हूँ क्या?
दिनेश: अच्छी तुम तो बहुत सेक्सी लग रही हो. मन करता है तुम्हे अभी अपने कमरे में ले चलूँ.
निशा: अभी ज़्यादा सपने मत देखो. जो भी करना है सब शादी के बाद. समझे. अभी सिर्फ तुम मुझे अपने आँखों में ही बसा लो. जब शादी हो जायेगी तो फिर सोचना और उसको थोड़ा चिड़ाते हुए वहां से अपनी गांड मटकाते हुए निकल जाती है.
दिनेश मन में: उसको देखते हुए... ये तो मेरी एक दिन जान लेकर ही रहेगी.
फिर सब खाना खाते और बातें करते हुए वो शाम गुज़ारते है. खाना खाने के बाद अपने घर जाने से पहले
वसु: दीदी (ऋतू से) और दिनेश अगले हफ्ते होली है और हम चाहते है की आप दोनों हमारे घर आओ होली पे. ये होली हमारी शादी के बाद पहली है. दोनों इस बात से बहुत खुश हो जाते है लेकिन ऋतू कहती है.. नहीं बेहनजी इस बार शायद नहीं होगा. मैं और दिनेश बाहर जा रहे है. ये हमने पहले ही प्लान कर लिया था वरना हम ज़रूर आते. और वैसे भी आप सब को शादी के बाद पहली होली की बहुत सारी शुबकामनाएं. वसु ये बात सुनकर थोड़ा दुखी हो जाती है की वो लोग नहीं आ पाएंगे. ऋतू देखती है और कहती है की अगली बार वो लोग ज़रूर आएंगे.
बाकी सब भी मान जाते है और फिर वो दिन अच्छे से गुज़ार कर मजे करते हुए और हस्ते हुए निकल जाता है और वो लोग अपने घर आ जाते है.
घर आने के बाद वसु कहती है की अगर वो लोग होली पे आते हो अच्छा होता. दीपू भी इस बात पे सहमत हो जाता है लेकिन वो कुछ नहीं कर पाते क्यूंकि उनका प्लान कुछ अलग था. फिर सब कमरे में आकर आराम करते है तो वसु मनोज को फ़ोन करती है और उससे और मीना को होली पे आने को कहती है.
वसु: भाई माँ पिताजी कैसे है?
मनोज: ठीक है... लेकिन तुमको तो पता है अब उनकी तबियत भी थोड़ी कमज़ोर हो रही है.
वसु: हाँ पता है... अगर ज़रुरत पड़े तो हमें बताना हम जल्दी ही वहां आ जाएंगे.
वसु: सुन अगले हफ्ते होली है और जैसा तुझे पता है ये हमारी शादी के बाद पहली होली है तो हम सब चाहते है की तुम दोनों भी यहाँ आ जाओ और सब अच्छे से होली मनाएंगे.
मनोज: हम आ जाएंगे दीदी लेकिन मैं एक ही दिन रह पाऊँगा. मुझे ऑफिस में ज़्यादा छुट्टी नहीं मिलेगी. हाँ मीना आप लोगों के साथ रहेगी.
उसी तरह से वसु कविता को भी फ़ोन करती है.
वसु: (कविता से) माँ जी जैसे मैंने आप को बताया था... अगले हफ्ते होली है तो आप 3 दिन पहले यहाँ आ जाओ. मीना और मनोज भी आ रहे है. कविता जब ये बात वसु से सुनती है तो उसे पता चल जाता है की वसु के साथ और बाकी लोग भी है (नहीं तो वो वसु से सेक्सी तरीके से बात करती) तो पहले तो वो ना करती है लेकिन फिर वसु अपना फ़ोन दीपू को देती है और वो जब कहता है है आने के लिए तो वो माना नहीं कर पाती और कहती है की वो उन दोनों के साथ आ जायेगी.
इसी तरह से वसु बाकी सब को भी घर आने के लिए कहती है. बाकी सब याने रानी, लता और राखी को (9th अपडेट में इनका इंट्रोडक्शन दिया है).
लेकिन वो लोग कहते है की जब निशा की शादी होगी तब आएंगे क्यूंकि उन्हें भी और काम था और व्यस्त रहने वाले है होली के समय तो इसीलिए वो अब इस बार नहीं आ पाएंगे.
और फिर उस रात दीपू दोनों को अपने बिज़नेस की सफलता की ख़ुशी में दोनों को भी मस्त चोदता है जिसमें दोनों भी मस्त उसका साथ देते है और एक घंटे की लम्बी और मस्त चुदाई के बाद तीनो थक कर सो जाते है.
निशा को भी पता था की आज दीपू के कमरे में धमाल होने वाला है तो वो अपने कानों में फ़ोन का ear plugs लगा लेती है नहीं तो उनकी आवाज़ों से वो भी बहक जाती और उसे भी नींद नहीं आती.
3 दिन बाद मनोज, मीना और कविता दीपू के घर पहुँच जाते है. वसु उन सब को देख कर बहुत खुश हो जाती है. दिव्या कविता को देख कर उनके पाँव छूती है तो कविता उसे अपने गले से लगा लेती है और कहती है: बेटी तू तो बहुत सुन्दर दिख रही हो और चेहरे पे एक अलग ही चमक दिख रही है. दिव्या ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है और उसको गले लगाते हुए एक नज़र वसु पे डालती है और उसे आँख मार देती है (कविता). उस वक़्त वसु और दिव्या भी एकदम सज धज कर एकदम सेक्सी लग रही थी. ज़ाहिर सी बात थी की अब उन दोनों की चूचियां भी और थोड़ा उभर गयी थी क्यूंकि दीपू उनपे बहुत मेहनत करता था और दबा दबा कर बड़ा कर दिया था. वो दोनों भी अपनी साडी नाभि के नीचे ही बाँधी थी और साडी भी ट्रांसपेरेंट थी और ये बात दोनों मीना और कविता की नज़र में भी आता है.
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घर में फिर सब फ्रेश हो कर चाय पीते है तो दिव्या अपने कमरे में जाती है तो मीना भी उसे पीछे जाती है की वो दिव्या से कुछ बात करना चाहती है. कमरे में पहुंचते ही मीना दिव्या से कहती है.
मीना: क्या बात है दीदी... आप तो बहुत गदरा गयी हो और अपनी नज़रें उसके ब्लाउज और साडी पे डालते हुए..ये तो जैसे बाहर आने के लिए तड़प रहे है और आपने इतना ट्रांसपेरेंट साडी पहना है. दिव्या भी मीना की बात से शर्मा जाती है और कहती है... तुम्हे तो ये सब पता होना चाहिए मीना. शादी के बाद तो तुम्हे पता है की रातें कैसी गुज़रती है और हस्ते और शर्माते हुए मीना को देखती है.
मीना: हाँ मुझे भी पता है लेकिन ये साडी के बारे में मैंने कभी सोचा नहीं था.
दिव्या: ये भी दीपू का ही नतीजा है. वो ही हम को घर में ऐसा रहने को कहता है और मीना को आँख मारते हुए कहती है की उसको भी मजा आता है और... इतना बोल कर रुक जाती है. मीना भी ये बात समझ जाती है और हस्ते हुए कहती है.. लगता है दीपू भी बहुत ठरकी है. इस बात पे दोनों है देते है और फिर कमरे से बाहर आ जाते है..
बाहर हॉल में स अब चाय पी कर थोड़ा आराम करते हुए टीवी देखते है तो वसु सब सामान लेकर किचन में चली जाती है. उस वक़्त सब टीवी देख रहे होते है तो कविता भी वसु के साथ किचन में चली जाती है. उस वक़्त वो दोनों ही किचन में थे. वसु बर्तन धो कर साफ़ कर रही थी तो कविता वसु के पीछे आकर उसकी चूची को दबाते हुए कान में हलके से.. तू तू बहुत गदरा गयी है और तेरी चूचियां भी तो बड़ी हो गयी है. वसु भी धीरे से सिसकियाँ लेते हुए... क्या कर रही हो? कोई आ जाएगा ना...
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कविता: कोई नहीं आएगा. मैं देख कर ही यहाँ आयी हूँ. सब टीवी देख रहे है और उसके गले को चूमते हुए वसु की चूचियां दबाती है.
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वसु: तुम्हे पता नहीं है क्या की ये क्यों बड़ गयी है?
कविता: मैं जानती हूँ लेकिन तेरे मुँह से सुन्ना चाहती हूँ. वसु फिर पलट कर कविता को देखती हुई सिसकारियां लेने लगती है और कहती है: दीपू का कमाल है. दिन रात इसको पीते रहता है और खूब दबाता है जिसकी वजह से ये थोड़ी बड़ गयी है और अपने होंठ कविता से मिला लेती है और कविता भी उसका पूरा साथ देती है और दोनों की जीभ एक दुसरे से लड़ती है. एक लम्बे और गहरे चुम्बन के बाद ..
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वसु कहती है: तूने तो मुझे उत्तेजित कर दिया है और ऐसा कहते हुए वो कविता का एक हाथ अपने साडी के अंदर दाल कर.. देख मेरी पैंटी भी पूरी गीली कर दी हो तुमने.
कविता अपना हाथ उसके पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को रगड़ती है जो की गीली हो चुकी थी और थोड़ी मुश्किल से पैंटी को सरकाते हुए अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाल देती है और 1 min तक अंदर बाहर करते हुए निकल लेती है और उसकी ऊँगली पूरे गीली और चमक रही थी. कविता वसु को देखते हुए उसकी आँखों के सामने वो ऊँगली अपने मुँह में डाल कर चाट लेती है और कहती है: तू तो रोज़ रोज़ बहुत स्वादिष्ट हो रही हो. तेरी बातें सुन कर मेरी भी कुछ ऐसी ही हालत है और वो वसु का हाथ उसी तरह अपनी साडी में घुसा देती है और वसु भी पाती है की कविता की चूत भी बहुत पानी छोड़ रही है और उसकी पैंटी भी पूरी गीली हो गयी है.
वसु: तुम भी थो बहुत पानी छोड़ रही हो. और उसके मजे लेते हुए... क्यों दीपू के बारे में सोच कर ही तेरी ये हालत हुई है क्या और उसको आँख मार देती है.
कविता भी थोड़ा शर्मा जाती है और कहती है: तू कुछ भी बक देती है.
वसु: मैं बक नहीं रही हूँ... बल्कि तेरी आँखें सब बता रही है. क्यों मैं सच बोल रही हूँ ना?
कविता वसु के इस बात का कोई जवाब नहीं देती जिसका मतलब वसु को पता चल गया था.
वसु: चल कोई नहीं.. और कविता की चूची को दबाते हुए... तू कहे तो मैं दीपू को बताती हूँ. वो ही तेरी हालत और प्यास ठीक कर देगा. बोल बता दूँ?
कविता वसु की ये बात सुनकर एकदम चौंक जाती है और कहती है तू तो मज़ाक नहीं कर रही है ना.. दीपू मेरे साथ ऐसा क्यों करेगा?
वसु: वो सब तू छोड़... वो देखना मेरा काम है. कविता एकदम फिर से शर्मा जाती है और इतने में उनको कोई किचन की तरफ आने की आहट होती है तो दोनों अलग हो जाते है और एकदम नार्मल सास और बहु जैसे बातें करते है. वहां पर मीना आती है और पूछती है की क्या बातें हो रही है... और फिर ऐसे ही बातें करते हुए सब दोपहर को खाना खा लेते है और सब अपने कमरे में सोने चले जाते है.
वसु और दिव्या आमने सामने लेट ते है. दोनों के चेहरे एकदम पास थे और दोनों एक दुसरे की साँसों को भी फील कर रहे थे.
वसु: दिव्या तुझे याद है बाबा ने जो बात मुझसे कहा था जब मैं दीपू को उनके पास ले गयी थी जब वो छोटा था.
दिव्या: हाँ याद है.
वसु: क्या याद है? दिव्या: यही की उसकी ज़िन्दगी में बहुत लोग आएंगे और उसकी बहुत बीवियां होगी और उसके बहुत बच्चे होंगे.
वसु: सही कहा... और मैंने तुझे ये भी कहा था की हमारी एक और सौतन आने वाली है.
दिव्या आश्चर्य से..हाँ याद है लेकिन अभी सौतन कौन है... मुझे तो कोई नज़र नहीं आता.
वसु: तुझे नज़र नहीं आता लेकिन मुझे पता है.
दिव्या: कौन?
वसु: पहले एक बात बता... अगर दीपू की एक और शादी होगी तो तू क्या कहेगी?
दिव्या: मैं क्या कहूँगी.. बस लड़ी अच्छी होनी चाहिए और वो हमें भी पसंद आनी चाहिए और बस दीपू हमें हमारा प्यार देते रहे और उसमें कोई कमी नहीं हो. दिन रात उसको याद करते हुए मेरी चूत एकदम गीली हो जाती है और जब वो मुझे चोदता है तो जैसे मैं जन्नत में पहुँच जाती हूँ.
वसु दिव्या को देखते हुए... तू बहुत समझदार है बेहन और थोड़ा झुक कर उसके होंठ चूम लेती है. दिव्या भी उसका साथ देती है और वो भी वसु को चूम लेती है. (जब से उनकी शादी दीपू से हुई थी और वह दोनों अब तक काफी बार एक ही बिस्तर में दीपू से चुद चुकी थी तो वसु और दिव्या भी एक दुसरे से एकदम खुल गयी थी और कमरे में बेझिझक ही बेशरम हो गए थे एक दुसरे के प्रति).
दिव्या: अब ये भी बता दो की हमारी सौतन कौन होने वाली है?
वसु दिव्या की आँखों में देखते हुए.. और कोई नहीं बल्कि कविता.
दिव्या कविता का नाम सुनते ही एकदम चक्र जाती है और कहती ही... क्या कह रही हो तुम? ऐसे कैसे हो सकता है?
वसु: मैं ठीक ही कह रही हूँ और मैंने उसकी आँखों में भी दीपू के लिए प्यार देखा है. तुम्हे क्या लगता है... वो कैसे मान गयी मीना को दीपू की बच्चे के लिए??
दिव्या: कैसे?
वसु: ये मैंने ही उसे समझाया है और बुरा मत मानना हम दोनों एक दुसरे से बिस्तर पे हो गए है और दोनों ने एक दुसरे को संतुष्ट किया है. तुझे याद है जब मैं माँ के घर में थी और तू और दीपू यहाँ थे और हम फ़ोन पे बात और कामुक बातें कर रहे थे.
दिव्या: हाँ याद है.
वसु: उसी दिन कविता ने मुझे पकड़ लिया था जब मैं तुम दोनों से बात कर रही थी और अपनी चूत मसल रही थी उत्तेजना के कारण. दिव्या ये सब बातें सुन कर अपना सर पकड़ लेती है और हस देती है और कहती है.. शायद इसीलिए आज सुबह कविता ने मुझे देख कर वो सब कहा.
वसु: हाँ.. और जब मैं किचन में बर्तन साफ़ कर रही थी तो वो अकेली आयी और मुझे छेड़ दी. मैंने भी उसको छेड़ा और उसकी आँखों में दीपू के लिए प्यार देखा है. एक और बात.
दिव्या: क्या?
जब हम दोनों एक दुसरे की प्यास बुझा रहे थे तो मैं देखा की उसकी कमर पे भी एक तिल है और तुझे याद होगा की बाबा ने इस बारें में क्या कहा है. इसीलिए उस दिन जब मैं वापस आयी थी तो मैंने तुझे बताया था की एक और सौतन आने वाली है.
वसु: अब बता मैं क्या करून?
दिव्या: करना क्या है? उसे अब दीपू के नीचे लाना होगा और हमारी सौतन बनाना होगा और हस देती है और कहती है: तू तो बहुत चालाक निकली हो दीदी और फिर से झुक कर वसु को चूम लेती है.
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वसु भी दिव्या को चूमती है और उसकी चूची दबाती है.
दिव्या: मत दबाना ना.. मैं वैसे ही तुम्हारी बात सुन कर बहुत उत्तेजित हूँ और गीली हो गयी हूँ और बहक जाऊँगी. वसु को भी लगता है की अभी घर में सब है तो ये ठीक नहीं होगा और अपना हाथ हटा लेती है और दोनों फिर सो जाते है.
शाम को दीपू अपने काम से घर आ जाता है और सब को देख कर बहुत खुश हो जाता है. पहले वो अपने मामा मनोज से मिलता है और फिर मीना से. जब दोनों की नज़रें मिलती है तो दोनों को पता था की आगे क्या होने वाला है (लेकिन एक दुसरे को पता नहीं था की दोनों एक दुसरे की बात जानते है..) दीपू भी प्यार से मीना से गले मिलता है और उसका हाल चाल पूछता है. वो भी अपनी नज़रें झुकाये हुए ठीक है बताती है. इतने में कविता भी वहां आ जाती है तो दीपू कविता के पाँव छूता है तो कविता उसको उठा कर.. तुम तो अब बड़े हो गए हो बेटा और ऐसा कहते हुए वो उसे अपने गले से लगा लेती है तो कविता की मस्त बड़ी बड़ी चूचियां दीपू के सीने में दब जाते है जिसका एहसास दोनों को होता है. दीपू भी अपना हाथ पीछे ले जाकर पहले उसकी पीठ को दबाता है और फिर जब कोई नहीं देख रहा होता तो वो अपना हाथ नीचे ले जाकर उसकी गांड को भी दबा देता है. कविता के मुँह से एक हलकी सिसकी निकल जाती है जो सिर्फ वो दोनों ही सुन पाते है और कोई नहीं.
अब दीपू की हालत भी ठीक नहीं थी. उसका लंड अब तन गया था और वो अपने पूरे आकार में आकर कविता की चूत पे ठोकर मार रहा था वो भी उसकी साडी के ऊपर से ही. कविता को जब इसका एहसास होता है तो वो धीरे से दीपू के कान में कहती है: तू तो सच में बहुत बड़ा हो गया है. दीपू को ये बात समझ आता है लेकिन कुछ नहीं कहता और उससे अलग हो जाता है. अलग होते ही कविता की आँखें एकदम लाल सुर्ख हो जाती है जो वसु देख लेती है और मुस्कुरा देती है.
फिर सब बातें करते है और रात को खाना खा कर दीपू वसु और दिव्या एक कमरे में सोने चले जाते है तो वहीँ मनोज मीना और कविता दुसरे कमरे में सोने चले जाते है.
दीपू भी फिर अपनी नाईट ड्रेस में आकर लेट जाता है तो वहीँ वसु और दिव्या भी सेक्सी ट्रांसपेरेंट Nighty में आकर दीपू की बाहों में सर रख कर बातें करते है.
वसु: क्यों हमारे पतिदेव, मैं देख रही थी तुम कविता के साथ क्या कर रहे थे. दीपू ये बात सुनकर चक्र जाता है और वसु की तरफ देख कर पूछता है की वो क्या क्या कर रहा था?
वसु थोड़ा इतराते हुए: ये मत भूलो की मैं तुम्हारी माँ भी हूँ और पत्नी भी और मेरी नज़र तुम पर हमेशा बानी रहती है.
दीपू: मैंने क्या किया?
वसु: दिव्या की तरफ देख कर.. देखो ये इतना शयाना और मासूम बनने की कोशिश कर रहा है. मैंने देखा था की जब कविता ने तुम्हे अपने गले लगाया था तो उसकी चूचियां तुम्हारे सीने में एकदम दब गयी थी और तुम भी बड़ी शिद्दत से उसे गले मिल रहे थे और आखिर में तुमने उसकी गांड भी दबा थी. बोलो मैंने सही कहा ना?
दीपू ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाता है और कहता है... तुम्हारी नज़र तो एकदम तेज़ है. मेरा हाथ कहाँ था सिर्फ तुमने ही देखा है और किसी ने नहीं. वसु भी दीपू को छेड़ते हुआ.. बोलो कैसी लगी उसकी गांड?
दीपू भी अब खुल कर: उसकी गांड तो एकदम मस्त है लेकिन तुम दोनों के सामने कुछ नहीं और ऐसा कहते हुए दीपू दोनों की गांड दबा देता है. दोनों एक साथ हलकी सी सिसकारी लेते है और कहते है की आज घर पे सब है तो आज उन्हें छुट्टी दे दो वरना अगर तुम चोदोगे और हमारी आवाज़ों से वो लोग उठ सकते है.
दीपू: ये कैसे हो सकता है? अगर वो ३- ४ दिन रहेंगे तो क्या मुझे वो सब दिन “सूखा” रहना पड़ेगा? और तुम लोग भी बिना चुदे इतने दिन रह सकते हो क्या?
दोनों एक साथ: नहीं.
दीपू: फिर आज छुट्टी क्यों?
वसु: प्यार से... जानू सिर्फ आज एक दिन.
दीपू: ठीक है.. मैं तुम दोनों को चोदुँगा नहीं लेकिन ऐसा कहते हुए वो दोनों का सर पकड़ कर अपने लंड की तरफ धकेलता है तो दोनों समझ जाते है और दोनों बड़े उत्सुकता से दीपू के लंड पे टूट पड़ते है और १० Min तक उसके लंड और गोटियों को चूस चूस कर उसका पानी निकल कर दोनों उसके पानी को अपने मुँह में ले लेते है.
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दीपू तो जैसे जन्नत में पहुँच गया था उन दोनों की चुसाई से. जब वो ठंडा हो जाता है तो वो भी दोनों को बिस्तर पे सुला कर बारी बारी से दोनों की चूत चूस चूस कर और अपने उँगलियों से चोदते हुए उन दोनों का भी पानी निकल देता है और पी जाता है. दोनों को ठंडा करने के बाद दोनों को चूमते हुए उन दोनों का रस उन्हें ही पीला देता है.
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दीपू: बहुत दिनों बाद तुम दोनों ने अपना रस खुद चखा है. कैसे लगा?
दोनों: तुम तो एकदम गंदे और बेशरम हो.
दीपू भी हस्ते हुए.. हाँ वो तो मैं हूँ ही और तुम दोनों भी कोई काम बेशरम नहीं हो.. दोनों हस देते है और दिव्या दीपू से कहती है: दीपू मैं एक बात कहना चाहती हूँ.
दीपू: बोलो.
दिव्या: तुम जिंदगी भर ऐसे ही प्यार करोगे ना?
दीपू: ये भी कोई पूछने वाली बात है क्या? तुम दोनों तो मेरी जान हो.
अब जल्दी ही तुम दोनों को पेट से करना होगा ताकि मैं भी अच्छे से तुम्हारा दूध पी सकूं.
वसु: तुम्हारी बात तो ठीक है लेकिन दिव्या का सवाल कुछ और ही था.
दीपू: क्या सवाल? मैं कुछ समझा नहीं.
वसु: अरे मेरे प्यारे लट्टू उसे भी पता चल गया है की कविता भी तुमपे मरती है और मुझे पता है की तुम भी उसके दीवाने हुए जा रहे हो.
दीपू: नहीं ये गलत है.
वसु: तुम उसकी चिंता मत करो और सफाई देने की ज़रुरत नहीं है. वो तुमपे मरती है या तुम उसके दीवाने हो रहे हो... इससे हम दोनों को कोई प्रॉब्लम नहीं है... लेकिन जैसा दिव्या ने कहा हमारे लिए तुम अपना प्यार कम मत करना.
दीपू: उन दोनों को देख कर... मरते दम तक... वो इतना ही कह पाता है की वसु अपना हाथ उसके मुँह पे रख कर... मरने की बात कभी मत करना.. समझे?
दीपू: तुम चिंता मत करो... मेरा तुम दोनों के लिए प्यार कभी कम नहीं होगा. अगर तुम चाहो तो अगले ६ साल में घर में एक क्रिकेट टीम बना दूंगा. दोनों को बात समझ नहीं आती तो पूछती है क्या?
दीपू: यही की अगले ६ साल में हर साल तुमको एक बच्चा दूंगा तो १२ बच्चे हो जाएंगे तो एक क्रिकेट टीम बन जायेगी ना... और ज़ोर से हस देता है. दोनों भी ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाते है और उसे प्यार से मुक्का मारते है.
वसु: इस उम्र में तुम्हे क्या लगता है की मैं इतने बच्चे दे सकती हूँ तुमको? दीपू: तुम्हारी उम्र की क्या है? तुम तो ३५ से भी ज़्यादा नहीं लगती. इतनी अच्छी माल हो तुम. देखो अपने आप को... तुम्हारी ये उठी हुई चूचियां बेहतरीन सपाट पेट गहरी नाभि और तुम्हारी ये जान लेवा उठी हुई गांड. कोई भी तुम्हे देख कर नहीं कह सकता की तुम ४० की हो... समझे...
वसु दीपू से ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं कहती.
वसु: मैं कविता का कुछ करती हूँ. वो भी तुम्हारी बहुत दीवानी है ..पता नहीं क्या लेकिन देखते है. दीपू कुछ नहीं कहता और दोनों की अपनी बाहों में लेता है और फिर तीनो सो जाते है.
वहीँ दुसरे कमरे में कविता बिस्तर के कोने में सोने की कोशिश करती है.. जहाँ मनोज और मीना सो रहे थे वहीँ कविता को नींद नहीं आ रही थी. वो दीपू को ही याद कर रही थी की कितना उसका बड़ा लंड है और कैसे वो उसके पेट को छु रहा था और यही सोचते हुए वो अपनी चूत को मसलते हुए आहें भरते हुए दीपू को याद करते हुए तड़पती है और आखिर में जब वो भी झड़ जाती है तो वो भी सो जाती है…
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Superb gazab sexy update filled with nice gifs, lesbian & straight sex hi c cc siiiii kitni gili kardi,ab Kavita bhi jyada intzar nhi kar payegi.22nd Update
ये घमासान चुदाई काफी देर तक चलती है जहां तीनो को बहुत मजा आता है और आखिर में दीपू भी हार मान जाता है और अपना पूरा रस दोनों की चूत में ही झड़ जाता है बारी बारी से. इसमें दोनों को बड़ा सुख मिलता है. आखिर कार तीनो थक कर एक दुसरे की बाहों में चैन की नींद में सो जाते है...
अब आगे..
दिन ऐसे ही गुज़रते है और इन दिनों में दोनों दिनेश और दीपू भी अपने काम को अच्छा अंजाम देते है और उनका बिज़नेस भी अब फैलने लगता है. वो दुसरे शहर में भी अपना दूकान खोलते है और वहां पर भी उनको अच्छा सफलता मिलता है. उनको अब Profits भी अच्छा मिल रहा था और Revenue भी बढ़ती है. जो पहले लाखों में बिज़नेस करते थे अब काफी दिन और मेहनत के बाद उनका Revenue अब करोड़ों में होने लगा था. इन सब के चलते दोनों और उन दोनों के परिवार भी बहुत खुश थे.
जब उनका बिज़नेस करोड़ों में पहुंच जाता है तो दिनेश इस ख़ुशी में दीपू और बाकी सब को भी अपने घर बुलाता है और सब मिल कर खुशियां मनाते है और साथ में खाना भी खाते है.
जब दीपू और उसकी बीवियां और बेहन दिनेश के घर जाते है तो दिनेश और उसकी माँ ऋतू भी एकदम तैयार हो कर उनका स्वागत करते है. उस वक़्त ऋतू भी एकदम सजधज कर एकदम सेक्सी लग रही थी. साडी में लिपटी हुई वो भी एकदम मस्त माल लग रही थी. टाइट ब्लाउज जिसमें से उसकी चूचियां जैसे बाहर आने को तड़प रही हो और साडी भी नाभि के नीचे बाँधा हुआ.
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दीपू उस वक़्त ऋतू को देख कर मन में सोचता है की कितनी मस्त माल लग रही है आंटी.. लेकिन फिर सोचता है की वो गलत सोच रहा है क्यूंकि वो तो उसके दोस्त की माँ थी और थोड़ी दिनों में उसकी बेहन की सास हो होने वाली थी और फिर ऐसे ख्याल अपने मन से निकाल लेता है (फिलहाल अभी के लिए).
ऋतू वसु को देख कर अकेले में ...दीदी आप तो बहुत सुन्दर दिख रही हो.. क्या बात है? वसु ये बात सुनकर शर्मा जाती है लेकिन उल्टा जवाब देती है... आप भी तो बहुत खूबसूरत लग रही हो. अब दिनेश और दीपू ने बिज़नेस संभाल लिया है तो आप भी अपने आप को ऐसा मेन्टेन कर रही हो. आप भी कोई काम खूबसूरत नहीं हो और है देती है.
इतने में वहां दिनेश आता है और मज़ाकिया ढंग से पूछता है की क्या बात हो रही है?
ऋतू: तुझे जान्ने की ज़रुरत नहीं है. ये हम औरतों का मामला है. तू जा और मेरी होने वाली बहु का ख्याल रख. दिनेश कुछ नहीं कहता और चुपचाप वहां से चला जाता है.
दिनेश भी फिर निशा को थोड़ा अकेले पा कर उसके पास जाकर: तुम तो आज बहुत सेक्सी लग रही हो. क्या बात है?
निशा: क्यों नहीं जब मैं अपने होने वाली पति और भाई की तरक्की देख रही हूँ तो खुश होंगी ना... और उसको आँख मारते हुए सेक्सी तो मैं तुम्हारे लिए ही आयी हूँ. अच्छी नहीं लग रही हूँ क्या?
दिनेश: अच्छी तुम तो बहुत सेक्सी लग रही हो. मन करता है तुम्हे अभी अपने कमरे में ले चलूँ.
निशा: अभी ज़्यादा सपने मत देखो. जो भी करना है सब शादी के बाद. समझे. अभी सिर्फ तुम मुझे अपने आँखों में ही बसा लो. जब शादी हो जायेगी तो फिर सोचना और उसको थोड़ा चिड़ाते हुए वहां से अपनी गांड मटकाते हुए निकल जाती है.
दिनेश मन में: उसको देखते हुए... ये तो मेरी एक दिन जान लेकर ही रहेगी.
फिर सब खाना खाते और बातें करते हुए वो शाम गुज़ारते है. खाना खाने के बाद अपने घर जाने से पहले
वसु: दीदी (ऋतू से) और दिनेश अगले हफ्ते होली है और हम चाहते है की आप दोनों हमारे घर आओ होली पे. ये होली हमारी शादी के बाद पहली है. दोनों इस बात से बहुत खुश हो जाते है लेकिन ऋतू कहती है.. नहीं बेहनजी इस बार शायद नहीं होगा. मैं और दिनेश बाहर जा रहे है. ये हमने पहले ही प्लान कर लिया था वरना हम ज़रूर आते. और वैसे भी आप सब को शादी के बाद पहली होली की बहुत सारी शुबकामनाएं. वसु ये बात सुनकर थोड़ा दुखी हो जाती है की वो लोग नहीं आ पाएंगे. ऋतू देखती है और कहती है की अगली बार वो लोग ज़रूर आएंगे.
बाकी सब भी मान जाते है और फिर वो दिन अच्छे से गुज़ार कर मजे करते हुए और हस्ते हुए निकल जाता है और वो लोग अपने घर आ जाते है.
घर आने के बाद वसु कहती है की अगर वो लोग होली पे आते हो अच्छा होता. दीपू भी इस बात पे सहमत हो जाता है लेकिन वो कुछ नहीं कर पाते क्यूंकि उनका प्लान कुछ अलग था. फिर सब कमरे में आकर आराम करते है तो वसु मनोज को फ़ोन करती है और उससे और मीना को होली पे आने को कहती है.
वसु: भाई माँ पिताजी कैसे है?
मनोज: ठीक है... लेकिन तुमको तो पता है अब उनकी तबियत भी थोड़ी कमज़ोर हो रही है.
वसु: हाँ पता है... अगर ज़रुरत पड़े तो हमें बताना हम जल्दी ही वहां आ जाएंगे.
वसु: सुन अगले हफ्ते होली है और जैसा तुझे पता है ये हमारी शादी के बाद पहली होली है तो हम सब चाहते है की तुम दोनों भी यहाँ आ जाओ और सब अच्छे से होली मनाएंगे.
मनोज: हम आ जाएंगे दीदी लेकिन मैं एक ही दिन रह पाऊँगा. मुझे ऑफिस में ज़्यादा छुट्टी नहीं मिलेगी. हाँ मीना आप लोगों के साथ रहेगी.
उसी तरह से वसु कविता को भी फ़ोन करती है.
वसु: (कविता से) माँ जी जैसे मैंने आप को बताया था... अगले हफ्ते होली है तो आप 3 दिन पहले यहाँ आ जाओ. मीना और मनोज भी आ रहे है. कविता जब ये बात वसु से सुनती है तो उसे पता चल जाता है की वसु के साथ और बाकी लोग भी है (नहीं तो वो वसु से सेक्सी तरीके से बात करती) तो पहले तो वो ना करती है लेकिन फिर वसु अपना फ़ोन दीपू को देती है और वो जब कहता है है आने के लिए तो वो माना नहीं कर पाती और कहती है की वो उन दोनों के साथ आ जायेगी.
इसी तरह से वसु बाकी सब को भी घर आने के लिए कहती है. बाकी सब याने रानी, लता और राखी को (9th अपडेट में इनका इंट्रोडक्शन दिया है).
लेकिन वो लोग कहते है की जब निशा की शादी होगी तब आएंगे क्यूंकि उन्हें भी और काम था और व्यस्त रहने वाले है होली के समय तो इसीलिए वो अब इस बार नहीं आ पाएंगे.
और फिर उस रात दीपू दोनों को अपने बिज़नेस की सफलता की ख़ुशी में दोनों को भी मस्त चोदता है जिसमें दोनों भी मस्त उसका साथ देते है और एक घंटे की लम्बी और मस्त चुदाई के बाद तीनो थक कर सो जाते है.
निशा को भी पता था की आज दीपू के कमरे में धमाल होने वाला है तो वो अपने कानों में फ़ोन का ear plugs लगा लेती है नहीं तो उनकी आवाज़ों से वो भी बहक जाती और उसे भी नींद नहीं आती.
3 दिन बाद मनोज, मीना और कविता दीपू के घर पहुँच जाते है. वसु उन सब को देख कर बहुत खुश हो जाती है. दिव्या कविता को देख कर उनके पाँव छूती है तो कविता उसे अपने गले से लगा लेती है और कहती है: बेटी तू तो बहुत सुन्दर दिख रही हो और चेहरे पे एक अलग ही चमक दिख रही है. दिव्या ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है और उसको गले लगाते हुए एक नज़र वसु पे डालती है और उसे आँख मार देती है (कविता). उस वक़्त वसु और दिव्या भी एकदम सज धज कर एकदम सेक्सी लग रही थी. ज़ाहिर सी बात थी की अब उन दोनों की चूचियां भी और थोड़ा उभर गयी थी क्यूंकि दीपू उनपे बहुत मेहनत करता था और दबा दबा कर बड़ा कर दिया था. वो दोनों भी अपनी साडी नाभि के नीचे ही बाँधी थी और साडी भी ट्रांसपेरेंट थी और ये बात दोनों मीना और कविता की नज़र में भी आता है.
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घर में फिर सब फ्रेश हो कर चाय पीते है तो दिव्या अपने कमरे में जाती है तो मीना भी उसे पीछे जाती है की वो दिव्या से कुछ बात करना चाहती है. कमरे में पहुंचते ही मीना दिव्या से कहती है.
मीना: क्या बात है दीदी... आप तो बहुत गदरा गयी हो और अपनी नज़रें उसके ब्लाउज और साडी पे डालते हुए..ये तो जैसे बाहर आने के लिए तड़प रहे है और आपने इतना ट्रांसपेरेंट साडी पहना है. दिव्या भी मीना की बात से शर्मा जाती है और कहती है... तुम्हे तो ये सब पता होना चाहिए मीना. शादी के बाद तो तुम्हे पता है की रातें कैसी गुज़रती है और हस्ते और शर्माते हुए मीना को देखती है.
मीना: हाँ मुझे भी पता है लेकिन ये साडी के बारे में मैंने कभी सोचा नहीं था.
दिव्या: ये भी दीपू का ही नतीजा है. वो ही हम को घर में ऐसा रहने को कहता है और मीना को आँख मारते हुए कहती है की उसको भी मजा आता है और... इतना बोल कर रुक जाती है. मीना भी ये बात समझ जाती है और हस्ते हुए कहती है.. लगता है दीपू भी बहुत ठरकी है. इस बात पे दोनों है देते है और फिर कमरे से बाहर आ जाते है..
बाहर हॉल में स अब चाय पी कर थोड़ा आराम करते हुए टीवी देखते है तो वसु सब सामान लेकर किचन में चली जाती है. उस वक़्त सब टीवी देख रहे होते है तो कविता भी वसु के साथ किचन में चली जाती है. उस वक़्त वो दोनों ही किचन में थे. वसु बर्तन धो कर साफ़ कर रही थी तो कविता वसु के पीछे आकर उसकी चूची को दबाते हुए कान में हलके से.. तू तू बहुत गदरा गयी है और तेरी चूचियां भी तो बड़ी हो गयी है. वसु भी धीरे से सिसकियाँ लेते हुए... क्या कर रही हो? कोई आ जाएगा ना...
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कविता: कोई नहीं आएगा. मैं देख कर ही यहाँ आयी हूँ. सब टीवी देख रहे है और उसके गले को चूमते हुए वसु की चूचियां दबाती है.
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वसु: तुम्हे पता नहीं है क्या की ये क्यों बड़ गयी है?
कविता: मैं जानती हूँ लेकिन तेरे मुँह से सुन्ना चाहती हूँ. वसु फिर पलट कर कविता को देखती हुई सिसकारियां लेने लगती है और कहती है: दीपू का कमाल है. दिन रात इसको पीते रहता है और खूब दबाता है जिसकी वजह से ये थोड़ी बड़ गयी है और अपने होंठ कविता से मिला लेती है और कविता भी उसका पूरा साथ देती है और दोनों की जीभ एक दुसरे से लड़ती है. एक लम्बे और गहरे चुम्बन के बाद ..
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वसु कहती है: तूने तो मुझे उत्तेजित कर दिया है और ऐसा कहते हुए वो कविता का एक हाथ अपने साडी के अंदर दाल कर.. देख मेरी पैंटी भी पूरी गीली कर दी हो तुमने.
कविता अपना हाथ उसके पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को रगड़ती है जो की गीली हो चुकी थी और थोड़ी मुश्किल से पैंटी को सरकाते हुए अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाल देती है और 1 min तक अंदर बाहर करते हुए निकल लेती है और उसकी ऊँगली पूरे गीली और चमक रही थी. कविता वसु को देखते हुए उसकी आँखों के सामने वो ऊँगली अपने मुँह में डाल कर चाट लेती है और कहती है: तू तो रोज़ रोज़ बहुत स्वादिष्ट हो रही हो. तेरी बातें सुन कर मेरी भी कुछ ऐसी ही हालत है और वो वसु का हाथ उसी तरह अपनी साडी में घुसा देती है और वसु भी पाती है की कविता की चूत भी बहुत पानी छोड़ रही है और उसकी पैंटी भी पूरी गीली हो गयी है.
वसु: तुम भी थो बहुत पानी छोड़ रही हो. और उसके मजे लेते हुए... क्यों दीपू के बारे में सोच कर ही तेरी ये हालत हुई है क्या और उसको आँख मार देती है.
कविता भी थोड़ा शर्मा जाती है और कहती है: तू कुछ भी बक देती है.
वसु: मैं बक नहीं रही हूँ... बल्कि तेरी आँखें सब बता रही है. क्यों मैं सच बोल रही हूँ ना?
कविता वसु के इस बात का कोई जवाब नहीं देती जिसका मतलब वसु को पता चल गया था.
वसु: चल कोई नहीं.. और कविता की चूची को दबाते हुए... तू कहे तो मैं दीपू को बताती हूँ. वो ही तेरी हालत और प्यास ठीक कर देगा. बोल बता दूँ?
कविता वसु की ये बात सुनकर एकदम चौंक जाती है और कहती है तू तो मज़ाक नहीं कर रही है ना.. दीपू मेरे साथ ऐसा क्यों करेगा?
वसु: वो सब तू छोड़... वो देखना मेरा काम है. कविता एकदम फिर से शर्मा जाती है और इतने में उनको कोई किचन की तरफ आने की आहट होती है तो दोनों अलग हो जाते है और एकदम नार्मल सास और बहु जैसे बातें करते है. वहां पर मीना आती है और पूछती है की क्या बातें हो रही है... और फिर ऐसे ही बातें करते हुए सब दोपहर को खाना खा लेते है और सब अपने कमरे में सोने चले जाते है.
वसु और दिव्या आमने सामने लेट ते है. दोनों के चेहरे एकदम पास थे और दोनों एक दुसरे की साँसों को भी फील कर रहे थे.
वसु: दिव्या तुझे याद है बाबा ने जो बात मुझसे कहा था जब मैं दीपू को उनके पास ले गयी थी जब वो छोटा था.
दिव्या: हाँ याद है.
वसु: क्या याद है? दिव्या: यही की उसकी ज़िन्दगी में बहुत लोग आएंगे और उसकी बहुत बीवियां होगी और उसके बहुत बच्चे होंगे.
वसु: सही कहा... और मैंने तुझे ये भी कहा था की हमारी एक और सौतन आने वाली है.
दिव्या आश्चर्य से..हाँ याद है लेकिन अभी सौतन कौन है... मुझे तो कोई नज़र नहीं आता.
वसु: तुझे नज़र नहीं आता लेकिन मुझे पता है.
दिव्या: कौन?
वसु: पहले एक बात बता... अगर दीपू की एक और शादी होगी तो तू क्या कहेगी?
दिव्या: मैं क्या कहूँगी.. बस लड़ी अच्छी होनी चाहिए और वो हमें भी पसंद आनी चाहिए और बस दीपू हमें हमारा प्यार देते रहे और उसमें कोई कमी नहीं हो. दिन रात उसको याद करते हुए मेरी चूत एकदम गीली हो जाती है और जब वो मुझे चोदता है तो जैसे मैं जन्नत में पहुँच जाती हूँ.
वसु दिव्या को देखते हुए... तू बहुत समझदार है बेहन और थोड़ा झुक कर उसके होंठ चूम लेती है. दिव्या भी उसका साथ देती है और वो भी वसु को चूम लेती है. (जब से उनकी शादी दीपू से हुई थी और वह दोनों अब तक काफी बार एक ही बिस्तर में दीपू से चुद चुकी थी तो वसु और दिव्या भी एक दुसरे से एकदम खुल गयी थी और कमरे में बेझिझक ही बेशरम हो गए थे एक दुसरे के प्रति).
दिव्या: अब ये भी बता दो की हमारी सौतन कौन होने वाली है?
वसु दिव्या की आँखों में देखते हुए.. और कोई नहीं बल्कि कविता.
दिव्या कविता का नाम सुनते ही एकदम चक्र जाती है और कहती ही... क्या कह रही हो तुम? ऐसे कैसे हो सकता है?
वसु: मैं ठीक ही कह रही हूँ और मैंने उसकी आँखों में भी दीपू के लिए प्यार देखा है. तुम्हे क्या लगता है... वो कैसे मान गयी मीना को दीपू की बच्चे के लिए??
दिव्या: कैसे?
वसु: ये मैंने ही उसे समझाया है और बुरा मत मानना हम दोनों एक दुसरे से बिस्तर पे हो गए है और दोनों ने एक दुसरे को संतुष्ट किया है. तुझे याद है जब मैं माँ के घर में थी और तू और दीपू यहाँ थे और हम फ़ोन पे बात और कामुक बातें कर रहे थे.
दिव्या: हाँ याद है.
वसु: उसी दिन कविता ने मुझे पकड़ लिया था जब मैं तुम दोनों से बात कर रही थी और अपनी चूत मसल रही थी उत्तेजना के कारण. दिव्या ये सब बातें सुन कर अपना सर पकड़ लेती है और हस देती है और कहती है.. शायद इसीलिए आज सुबह कविता ने मुझे देख कर वो सब कहा.
वसु: हाँ.. और जब मैं किचन में बर्तन साफ़ कर रही थी तो वो अकेली आयी और मुझे छेड़ दी. मैंने भी उसको छेड़ा और उसकी आँखों में दीपू के लिए प्यार देखा है. एक और बात.
दिव्या: क्या?
जब हम दोनों एक दुसरे की प्यास बुझा रहे थे तो मैं देखा की उसकी कमर पे भी एक तिल है और तुझे याद होगा की बाबा ने इस बारें में क्या कहा है. इसीलिए उस दिन जब मैं वापस आयी थी तो मैंने तुझे बताया था की एक और सौतन आने वाली है.
वसु: अब बता मैं क्या करून?
दिव्या: करना क्या है? उसे अब दीपू के नीचे लाना होगा और हमारी सौतन बनाना होगा और हस देती है और कहती है: तू तो बहुत चालाक निकली हो दीदी और फिर से झुक कर वसु को चूम लेती है.
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वसु भी दिव्या को चूमती है और उसकी चूची दबाती है.
दिव्या: मत दबाना ना.. मैं वैसे ही तुम्हारी बात सुन कर बहुत उत्तेजित हूँ और गीली हो गयी हूँ और बहक जाऊँगी. वसु को भी लगता है की अभी घर में सब है तो ये ठीक नहीं होगा और अपना हाथ हटा लेती है और दोनों फिर सो जाते है.
शाम को दीपू अपने काम से घर आ जाता है और सब को देख कर बहुत खुश हो जाता है. पहले वो अपने मामा मनोज से मिलता है और फिर मीना से. जब दोनों की नज़रें मिलती है तो दोनों को पता था की आगे क्या होने वाला है (लेकिन एक दुसरे को पता नहीं था की दोनों एक दुसरे की बात जानते है..) दीपू भी प्यार से मीना से गले मिलता है और उसका हाल चाल पूछता है. वो भी अपनी नज़रें झुकाये हुए ठीक है बताती है. इतने में कविता भी वहां आ जाती है तो दीपू कविता के पाँव छूता है तो कविता उसको उठा कर.. तुम तो अब बड़े हो गए हो बेटा और ऐसा कहते हुए वो उसे अपने गले से लगा लेती है तो कविता की मस्त बड़ी बड़ी चूचियां दीपू के सीने में दब जाते है जिसका एहसास दोनों को होता है. दीपू भी अपना हाथ पीछे ले जाकर पहले उसकी पीठ को दबाता है और फिर जब कोई नहीं देख रहा होता तो वो अपना हाथ नीचे ले जाकर उसकी गांड को भी दबा देता है. कविता के मुँह से एक हलकी सिसकी निकल जाती है जो सिर्फ वो दोनों ही सुन पाते है और कोई नहीं.
अब दीपू की हालत भी ठीक नहीं थी. उसका लंड अब तन गया था और वो अपने पूरे आकार में आकर कविता की चूत पे ठोकर मार रहा था वो भी उसकी साडी के ऊपर से ही. कविता को जब इसका एहसास होता है तो वो धीरे से दीपू के कान में कहती है: तू तो सच में बहुत बड़ा हो गया है. दीपू को ये बात समझ आता है लेकिन कुछ नहीं कहता और उससे अलग हो जाता है. अलग होते ही कविता की आँखें एकदम लाल सुर्ख हो जाती है जो वसु देख लेती है और मुस्कुरा देती है.
फिर सब बातें करते है और रात को खाना खा कर दीपू वसु और दिव्या एक कमरे में सोने चले जाते है तो वहीँ मनोज मीना और कविता दुसरे कमरे में सोने चले जाते है.
दीपू भी फिर अपनी नाईट ड्रेस में आकर लेट जाता है तो वहीँ वसु और दिव्या भी सेक्सी ट्रांसपेरेंट Nighty में आकर दीपू की बाहों में सर रख कर बातें करते है.
वसु: क्यों हमारे पतिदेव, मैं देख रही थी तुम कविता के साथ क्या कर रहे थे. दीपू ये बात सुनकर चक्र जाता है और वसु की तरफ देख कर पूछता है की वो क्या क्या कर रहा था?
वसु थोड़ा इतराते हुए: ये मत भूलो की मैं तुम्हारी माँ भी हूँ और पत्नी भी और मेरी नज़र तुम पर हमेशा बानी रहती है.
दीपू: मैंने क्या किया?
वसु: दिव्या की तरफ देख कर.. देखो ये इतना शयाना और मासूम बनने की कोशिश कर रहा है. मैंने देखा था की जब कविता ने तुम्हे अपने गले लगाया था तो उसकी चूचियां तुम्हारे सीने में एकदम दब गयी थी और तुम भी बड़ी शिद्दत से उसे गले मिल रहे थे और आखिर में तुमने उसकी गांड भी दबा थी. बोलो मैंने सही कहा ना?
दीपू ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाता है और कहता है... तुम्हारी नज़र तो एकदम तेज़ है. मेरा हाथ कहाँ था सिर्फ तुमने ही देखा है और किसी ने नहीं. वसु भी दीपू को छेड़ते हुआ.. बोलो कैसी लगी उसकी गांड?
दीपू भी अब खुल कर: उसकी गांड तो एकदम मस्त है लेकिन तुम दोनों के सामने कुछ नहीं और ऐसा कहते हुए दीपू दोनों की गांड दबा देता है. दोनों एक साथ हलकी सी सिसकारी लेते है और कहते है की आज घर पे सब है तो आज उन्हें छुट्टी दे दो वरना अगर तुम चोदोगे और हमारी आवाज़ों से वो लोग उठ सकते है.
दीपू: ये कैसे हो सकता है? अगर वो ३- ४ दिन रहेंगे तो क्या मुझे वो सब दिन “सूखा” रहना पड़ेगा? और तुम लोग भी बिना चुदे इतने दिन रह सकते हो क्या?
दोनों एक साथ: नहीं.
दीपू: फिर आज छुट्टी क्यों?
वसु: प्यार से... जानू सिर्फ आज एक दिन.
दीपू: ठीक है.. मैं तुम दोनों को चोदुँगा नहीं लेकिन ऐसा कहते हुए वो दोनों का सर पकड़ कर अपने लंड की तरफ धकेलता है तो दोनों समझ जाते है और दोनों बड़े उत्सुकता से दीपू के लंड पे टूट पड़ते है और १० Min तक उसके लंड और गोटियों को चूस चूस कर उसका पानी निकल कर दोनों उसके पानी को अपने मुँह में ले लेते है.
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दीपू तो जैसे जन्नत में पहुँच गया था उन दोनों की चुसाई से. जब वो ठंडा हो जाता है तो वो भी दोनों को बिस्तर पे सुला कर बारी बारी से दोनों की चूत चूस चूस कर और अपने उँगलियों से चोदते हुए उन दोनों का भी पानी निकल देता है और पी जाता है. दोनों को ठंडा करने के बाद दोनों को चूमते हुए उन दोनों का रस उन्हें ही पीला देता है.
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दीपू: बहुत दिनों बाद तुम दोनों ने अपना रस खुद चखा है. कैसे लगा?
दोनों: तुम तो एकदम गंदे और बेशरम हो.
दीपू भी हस्ते हुए.. हाँ वो तो मैं हूँ ही और तुम दोनों भी कोई काम बेशरम नहीं हो.. दोनों हस देते है और दिव्या दीपू से कहती है: दीपू मैं एक बात कहना चाहती हूँ.
दीपू: बोलो.
दिव्या: तुम जिंदगी भर ऐसे ही प्यार करोगे ना?
दीपू: ये भी कोई पूछने वाली बात है क्या? तुम दोनों तो मेरी जान हो.
अब जल्दी ही तुम दोनों को पेट से करना होगा ताकि मैं भी अच्छे से तुम्हारा दूध पी सकूं.
वसु: तुम्हारी बात तो ठीक है लेकिन दिव्या का सवाल कुछ और ही था.
दीपू: क्या सवाल? मैं कुछ समझा नहीं.
वसु: अरे मेरे प्यारे लट्टू उसे भी पता चल गया है की कविता भी तुमपे मरती है और मुझे पता है की तुम भी उसके दीवाने हुए जा रहे हो.
दीपू: नहीं ये गलत है.
वसु: तुम उसकी चिंता मत करो और सफाई देने की ज़रुरत नहीं है. वो तुमपे मरती है या तुम उसके दीवाने हो रहे हो... इससे हम दोनों को कोई प्रॉब्लम नहीं है... लेकिन जैसा दिव्या ने कहा हमारे लिए तुम अपना प्यार कम मत करना.
दीपू: उन दोनों को देख कर... मरते दम तक... वो इतना ही कह पाता है की वसु अपना हाथ उसके मुँह पे रख कर... मरने की बात कभी मत करना.. समझे?
दीपू: तुम चिंता मत करो... मेरा तुम दोनों के लिए प्यार कभी कम नहीं होगा. अगर तुम चाहो तो अगले ६ साल में घर में एक क्रिकेट टीम बना दूंगा. दोनों को बात समझ नहीं आती तो पूछती है क्या?
दीपू: यही की अगले ६ साल में हर साल तुमको एक बच्चा दूंगा तो १२ बच्चे हो जाएंगे तो एक क्रिकेट टीम बन जायेगी ना... और ज़ोर से हस देता है. दोनों भी ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाते है और उसे प्यार से मुक्का मारते है.
वसु: इस उम्र में तुम्हे क्या लगता है की मैं इतने बच्चे दे सकती हूँ तुमको? दीपू: तुम्हारी उम्र की क्या है? तुम तो ३५ से भी ज़्यादा नहीं लगती. इतनी अच्छी माल हो तुम. देखो अपने आप को... तुम्हारी ये उठी हुई चूचियां बेहतरीन सपाट पेट गहरी नाभि और तुम्हारी ये जान लेवा उठी हुई गांड. कोई भी तुम्हे देख कर नहीं कह सकता की तुम ४० की हो... समझे...
वसु दीपू से ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं कहती.
वसु: मैं कविता का कुछ करती हूँ. वो भी तुम्हारी बहुत दीवानी है ..पता नहीं क्या लेकिन देखते है. दीपू कुछ नहीं कहता और दोनों की अपनी बाहों में लेता है और फिर तीनो सो जाते है.
वहीँ दुसरे कमरे में कविता बिस्तर के कोने में सोने की कोशिश करती है.. जहाँ मनोज और मीना सो रहे थे वहीँ कविता को नींद नहीं आ रही थी. वो दीपू को ही याद कर रही थी की कितना उसका बड़ा लंड है और कैसे वो उसके पेट को छु रहा था और यही सोचते हुए वो अपनी चूत को मसलते हुए आहें भरते हुए दीपू को याद करते हुए तड़पती है और आखिर में जब वो भी झड़ जाती है तो वो भी सो जाती है…
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Har ek update itni kul hain ki mazza hi aata hain ufff keep it up dear22nd Update
ये घमासान चुदाई काफी देर तक चलती है जहां तीनो को बहुत मजा आता है और आखिर में दीपू भी हार मान जाता है और अपना पूरा रस दोनों की चूत में ही झड़ जाता है बारी बारी से. इसमें दोनों को बड़ा सुख मिलता है. आखिर कार तीनो थक कर एक दुसरे की बाहों में चैन की नींद में सो जाते है...
अब आगे..
दिन ऐसे ही गुज़रते है और इन दिनों में दोनों दिनेश और दीपू भी अपने काम को अच्छा अंजाम देते है और उनका बिज़नेस भी अब फैलने लगता है. वो दुसरे शहर में भी अपना दूकान खोलते है और वहां पर भी उनको अच्छा सफलता मिलता है. उनको अब Profits भी अच्छा मिल रहा था और Revenue भी बढ़ती है. जो पहले लाखों में बिज़नेस करते थे अब काफी दिन और मेहनत के बाद उनका Revenue अब करोड़ों में होने लगा था. इन सब के चलते दोनों और उन दोनों के परिवार भी बहुत खुश थे.
जब उनका बिज़नेस करोड़ों में पहुंच जाता है तो दिनेश इस ख़ुशी में दीपू और बाकी सब को भी अपने घर बुलाता है और सब मिल कर खुशियां मनाते है और साथ में खाना भी खाते है.
जब दीपू और उसकी बीवियां और बेहन दिनेश के घर जाते है तो दिनेश और उसकी माँ ऋतू भी एकदम तैयार हो कर उनका स्वागत करते है. उस वक़्त ऋतू भी एकदम सजधज कर एकदम सेक्सी लग रही थी. साडी में लिपटी हुई वो भी एकदम मस्त माल लग रही थी. टाइट ब्लाउज जिसमें से उसकी चूचियां जैसे बाहर आने को तड़प रही हो और साडी भी नाभि के नीचे बाँधा हुआ.
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दीपू उस वक़्त ऋतू को देख कर मन में सोचता है की कितनी मस्त माल लग रही है आंटी.. लेकिन फिर सोचता है की वो गलत सोच रहा है क्यूंकि वो तो उसके दोस्त की माँ थी और थोड़ी दिनों में उसकी बेहन की सास हो होने वाली थी और फिर ऐसे ख्याल अपने मन से निकाल लेता है (फिलहाल अभी के लिए).
ऋतू वसु को देख कर अकेले में ...दीदी आप तो बहुत सुन्दर दिख रही हो.. क्या बात है? वसु ये बात सुनकर शर्मा जाती है लेकिन उल्टा जवाब देती है... आप भी तो बहुत खूबसूरत लग रही हो. अब दिनेश और दीपू ने बिज़नेस संभाल लिया है तो आप भी अपने आप को ऐसा मेन्टेन कर रही हो. आप भी कोई काम खूबसूरत नहीं हो और है देती है.
इतने में वहां दिनेश आता है और मज़ाकिया ढंग से पूछता है की क्या बात हो रही है?
ऋतू: तुझे जान्ने की ज़रुरत नहीं है. ये हम औरतों का मामला है. तू जा और मेरी होने वाली बहु का ख्याल रख. दिनेश कुछ नहीं कहता और चुपचाप वहां से चला जाता है.
दिनेश भी फिर निशा को थोड़ा अकेले पा कर उसके पास जाकर: तुम तो आज बहुत सेक्सी लग रही हो. क्या बात है?
निशा: क्यों नहीं जब मैं अपने होने वाली पति और भाई की तरक्की देख रही हूँ तो खुश होंगी ना... और उसको आँख मारते हुए सेक्सी तो मैं तुम्हारे लिए ही आयी हूँ. अच्छी नहीं लग रही हूँ क्या?
दिनेश: अच्छी तुम तो बहुत सेक्सी लग रही हो. मन करता है तुम्हे अभी अपने कमरे में ले चलूँ.
निशा: अभी ज़्यादा सपने मत देखो. जो भी करना है सब शादी के बाद. समझे. अभी सिर्फ तुम मुझे अपने आँखों में ही बसा लो. जब शादी हो जायेगी तो फिर सोचना और उसको थोड़ा चिड़ाते हुए वहां से अपनी गांड मटकाते हुए निकल जाती है.
दिनेश मन में: उसको देखते हुए... ये तो मेरी एक दिन जान लेकर ही रहेगी.
फिर सब खाना खाते और बातें करते हुए वो शाम गुज़ारते है. खाना खाने के बाद अपने घर जाने से पहले
वसु: दीदी (ऋतू से) और दिनेश अगले हफ्ते होली है और हम चाहते है की आप दोनों हमारे घर आओ होली पे. ये होली हमारी शादी के बाद पहली है. दोनों इस बात से बहुत खुश हो जाते है लेकिन ऋतू कहती है.. नहीं बेहनजी इस बार शायद नहीं होगा. मैं और दिनेश बाहर जा रहे है. ये हमने पहले ही प्लान कर लिया था वरना हम ज़रूर आते. और वैसे भी आप सब को शादी के बाद पहली होली की बहुत सारी शुबकामनाएं. वसु ये बात सुनकर थोड़ा दुखी हो जाती है की वो लोग नहीं आ पाएंगे. ऋतू देखती है और कहती है की अगली बार वो लोग ज़रूर आएंगे.
बाकी सब भी मान जाते है और फिर वो दिन अच्छे से गुज़ार कर मजे करते हुए और हस्ते हुए निकल जाता है और वो लोग अपने घर आ जाते है.
घर आने के बाद वसु कहती है की अगर वो लोग होली पे आते हो अच्छा होता. दीपू भी इस बात पे सहमत हो जाता है लेकिन वो कुछ नहीं कर पाते क्यूंकि उनका प्लान कुछ अलग था. फिर सब कमरे में आकर आराम करते है तो वसु मनोज को फ़ोन करती है और उससे और मीना को होली पे आने को कहती है.
वसु: भाई माँ पिताजी कैसे है?
मनोज: ठीक है... लेकिन तुमको तो पता है अब उनकी तबियत भी थोड़ी कमज़ोर हो रही है.
वसु: हाँ पता है... अगर ज़रुरत पड़े तो हमें बताना हम जल्दी ही वहां आ जाएंगे.
वसु: सुन अगले हफ्ते होली है और जैसा तुझे पता है ये हमारी शादी के बाद पहली होली है तो हम सब चाहते है की तुम दोनों भी यहाँ आ जाओ और सब अच्छे से होली मनाएंगे.
मनोज: हम आ जाएंगे दीदी लेकिन मैं एक ही दिन रह पाऊँगा. मुझे ऑफिस में ज़्यादा छुट्टी नहीं मिलेगी. हाँ मीना आप लोगों के साथ रहेगी.
उसी तरह से वसु कविता को भी फ़ोन करती है.
वसु: (कविता से) माँ जी जैसे मैंने आप को बताया था... अगले हफ्ते होली है तो आप 3 दिन पहले यहाँ आ जाओ. मीना और मनोज भी आ रहे है. कविता जब ये बात वसु से सुनती है तो उसे पता चल जाता है की वसु के साथ और बाकी लोग भी है (नहीं तो वो वसु से सेक्सी तरीके से बात करती) तो पहले तो वो ना करती है लेकिन फिर वसु अपना फ़ोन दीपू को देती है और वो जब कहता है है आने के लिए तो वो माना नहीं कर पाती और कहती है की वो उन दोनों के साथ आ जायेगी.
इसी तरह से वसु बाकी सब को भी घर आने के लिए कहती है. बाकी सब याने रानी, लता और राखी को (9th अपडेट में इनका इंट्रोडक्शन दिया है).
लेकिन वो लोग कहते है की जब निशा की शादी होगी तब आएंगे क्यूंकि उन्हें भी और काम था और व्यस्त रहने वाले है होली के समय तो इसीलिए वो अब इस बार नहीं आ पाएंगे.
और फिर उस रात दीपू दोनों को अपने बिज़नेस की सफलता की ख़ुशी में दोनों को भी मस्त चोदता है जिसमें दोनों भी मस्त उसका साथ देते है और एक घंटे की लम्बी और मस्त चुदाई के बाद तीनो थक कर सो जाते है.
निशा को भी पता था की आज दीपू के कमरे में धमाल होने वाला है तो वो अपने कानों में फ़ोन का ear plugs लगा लेती है नहीं तो उनकी आवाज़ों से वो भी बहक जाती और उसे भी नींद नहीं आती.
3 दिन बाद मनोज, मीना और कविता दीपू के घर पहुँच जाते है. वसु उन सब को देख कर बहुत खुश हो जाती है. दिव्या कविता को देख कर उनके पाँव छूती है तो कविता उसे अपने गले से लगा लेती है और कहती है: बेटी तू तो बहुत सुन्दर दिख रही हो और चेहरे पे एक अलग ही चमक दिख रही है. दिव्या ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है और उसको गले लगाते हुए एक नज़र वसु पे डालती है और उसे आँख मार देती है (कविता). उस वक़्त वसु और दिव्या भी एकदम सज धज कर एकदम सेक्सी लग रही थी. ज़ाहिर सी बात थी की अब उन दोनों की चूचियां भी और थोड़ा उभर गयी थी क्यूंकि दीपू उनपे बहुत मेहनत करता था और दबा दबा कर बड़ा कर दिया था. वो दोनों भी अपनी साडी नाभि के नीचे ही बाँधी थी और साडी भी ट्रांसपेरेंट थी और ये बात दोनों मीना और कविता की नज़र में भी आता है.
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घर में फिर सब फ्रेश हो कर चाय पीते है तो दिव्या अपने कमरे में जाती है तो मीना भी उसे पीछे जाती है की वो दिव्या से कुछ बात करना चाहती है. कमरे में पहुंचते ही मीना दिव्या से कहती है.
मीना: क्या बात है दीदी... आप तो बहुत गदरा गयी हो और अपनी नज़रें उसके ब्लाउज और साडी पे डालते हुए..ये तो जैसे बाहर आने के लिए तड़प रहे है और आपने इतना ट्रांसपेरेंट साडी पहना है. दिव्या भी मीना की बात से शर्मा जाती है और कहती है... तुम्हे तो ये सब पता होना चाहिए मीना. शादी के बाद तो तुम्हे पता है की रातें कैसी गुज़रती है और हस्ते और शर्माते हुए मीना को देखती है.
मीना: हाँ मुझे भी पता है लेकिन ये साडी के बारे में मैंने कभी सोचा नहीं था.
दिव्या: ये भी दीपू का ही नतीजा है. वो ही हम को घर में ऐसा रहने को कहता है और मीना को आँख मारते हुए कहती है की उसको भी मजा आता है और... इतना बोल कर रुक जाती है. मीना भी ये बात समझ जाती है और हस्ते हुए कहती है.. लगता है दीपू भी बहुत ठरकी है. इस बात पे दोनों है देते है और फिर कमरे से बाहर आ जाते है..
बाहर हॉल में स अब चाय पी कर थोड़ा आराम करते हुए टीवी देखते है तो वसु सब सामान लेकर किचन में चली जाती है. उस वक़्त सब टीवी देख रहे होते है तो कविता भी वसु के साथ किचन में चली जाती है. उस वक़्त वो दोनों ही किचन में थे. वसु बर्तन धो कर साफ़ कर रही थी तो कविता वसु के पीछे आकर उसकी चूची को दबाते हुए कान में हलके से.. तू तू बहुत गदरा गयी है और तेरी चूचियां भी तो बड़ी हो गयी है. वसु भी धीरे से सिसकियाँ लेते हुए... क्या कर रही हो? कोई आ जाएगा ना...
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कविता: कोई नहीं आएगा. मैं देख कर ही यहाँ आयी हूँ. सब टीवी देख रहे है और उसके गले को चूमते हुए वसु की चूचियां दबाती है.
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वसु: तुम्हे पता नहीं है क्या की ये क्यों बड़ गयी है?
कविता: मैं जानती हूँ लेकिन तेरे मुँह से सुन्ना चाहती हूँ. वसु फिर पलट कर कविता को देखती हुई सिसकारियां लेने लगती है और कहती है: दीपू का कमाल है. दिन रात इसको पीते रहता है और खूब दबाता है जिसकी वजह से ये थोड़ी बड़ गयी है और अपने होंठ कविता से मिला लेती है और कविता भी उसका पूरा साथ देती है और दोनों की जीभ एक दुसरे से लड़ती है. एक लम्बे और गहरे चुम्बन के बाद ..
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वसु कहती है: तूने तो मुझे उत्तेजित कर दिया है और ऐसा कहते हुए वो कविता का एक हाथ अपने साडी के अंदर दाल कर.. देख मेरी पैंटी भी पूरी गीली कर दी हो तुमने.
कविता अपना हाथ उसके पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को रगड़ती है जो की गीली हो चुकी थी और थोड़ी मुश्किल से पैंटी को सरकाते हुए अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाल देती है और 1 min तक अंदर बाहर करते हुए निकल लेती है और उसकी ऊँगली पूरे गीली और चमक रही थी. कविता वसु को देखते हुए उसकी आँखों के सामने वो ऊँगली अपने मुँह में डाल कर चाट लेती है और कहती है: तू तो रोज़ रोज़ बहुत स्वादिष्ट हो रही हो. तेरी बातें सुन कर मेरी भी कुछ ऐसी ही हालत है और वो वसु का हाथ उसी तरह अपनी साडी में घुसा देती है और वसु भी पाती है की कविता की चूत भी बहुत पानी छोड़ रही है और उसकी पैंटी भी पूरी गीली हो गयी है.
वसु: तुम भी थो बहुत पानी छोड़ रही हो. और उसके मजे लेते हुए... क्यों दीपू के बारे में सोच कर ही तेरी ये हालत हुई है क्या और उसको आँख मार देती है.
कविता भी थोड़ा शर्मा जाती है और कहती है: तू कुछ भी बक देती है.
वसु: मैं बक नहीं रही हूँ... बल्कि तेरी आँखें सब बता रही है. क्यों मैं सच बोल रही हूँ ना?
कविता वसु के इस बात का कोई जवाब नहीं देती जिसका मतलब वसु को पता चल गया था.
वसु: चल कोई नहीं.. और कविता की चूची को दबाते हुए... तू कहे तो मैं दीपू को बताती हूँ. वो ही तेरी हालत और प्यास ठीक कर देगा. बोल बता दूँ?
कविता वसु की ये बात सुनकर एकदम चौंक जाती है और कहती है तू तो मज़ाक नहीं कर रही है ना.. दीपू मेरे साथ ऐसा क्यों करेगा?
वसु: वो सब तू छोड़... वो देखना मेरा काम है. कविता एकदम फिर से शर्मा जाती है और इतने में उनको कोई किचन की तरफ आने की आहट होती है तो दोनों अलग हो जाते है और एकदम नार्मल सास और बहु जैसे बातें करते है. वहां पर मीना आती है और पूछती है की क्या बातें हो रही है... और फिर ऐसे ही बातें करते हुए सब दोपहर को खाना खा लेते है और सब अपने कमरे में सोने चले जाते है.
वसु और दिव्या आमने सामने लेट ते है. दोनों के चेहरे एकदम पास थे और दोनों एक दुसरे की साँसों को भी फील कर रहे थे.
वसु: दिव्या तुझे याद है बाबा ने जो बात मुझसे कहा था जब मैं दीपू को उनके पास ले गयी थी जब वो छोटा था.
दिव्या: हाँ याद है.
वसु: क्या याद है? दिव्या: यही की उसकी ज़िन्दगी में बहुत लोग आएंगे और उसकी बहुत बीवियां होगी और उसके बहुत बच्चे होंगे.
वसु: सही कहा... और मैंने तुझे ये भी कहा था की हमारी एक और सौतन आने वाली है.
दिव्या आश्चर्य से..हाँ याद है लेकिन अभी सौतन कौन है... मुझे तो कोई नज़र नहीं आता.
वसु: तुझे नज़र नहीं आता लेकिन मुझे पता है.
दिव्या: कौन?
वसु: पहले एक बात बता... अगर दीपू की एक और शादी होगी तो तू क्या कहेगी?
दिव्या: मैं क्या कहूँगी.. बस लड़ी अच्छी होनी चाहिए और वो हमें भी पसंद आनी चाहिए और बस दीपू हमें हमारा प्यार देते रहे और उसमें कोई कमी नहीं हो. दिन रात उसको याद करते हुए मेरी चूत एकदम गीली हो जाती है और जब वो मुझे चोदता है तो जैसे मैं जन्नत में पहुँच जाती हूँ.
वसु दिव्या को देखते हुए... तू बहुत समझदार है बेहन और थोड़ा झुक कर उसके होंठ चूम लेती है. दिव्या भी उसका साथ देती है और वो भी वसु को चूम लेती है. (जब से उनकी शादी दीपू से हुई थी और वह दोनों अब तक काफी बार एक ही बिस्तर में दीपू से चुद चुकी थी तो वसु और दिव्या भी एक दुसरे से एकदम खुल गयी थी और कमरे में बेझिझक ही बेशरम हो गए थे एक दुसरे के प्रति).
दिव्या: अब ये भी बता दो की हमारी सौतन कौन होने वाली है?
वसु दिव्या की आँखों में देखते हुए.. और कोई नहीं बल्कि कविता.
दिव्या कविता का नाम सुनते ही एकदम चक्र जाती है और कहती ही... क्या कह रही हो तुम? ऐसे कैसे हो सकता है?
वसु: मैं ठीक ही कह रही हूँ और मैंने उसकी आँखों में भी दीपू के लिए प्यार देखा है. तुम्हे क्या लगता है... वो कैसे मान गयी मीना को दीपू की बच्चे के लिए??
दिव्या: कैसे?
वसु: ये मैंने ही उसे समझाया है और बुरा मत मानना हम दोनों एक दुसरे से बिस्तर पे हो गए है और दोनों ने एक दुसरे को संतुष्ट किया है. तुझे याद है जब मैं माँ के घर में थी और तू और दीपू यहाँ थे और हम फ़ोन पे बात और कामुक बातें कर रहे थे.
दिव्या: हाँ याद है.
वसु: उसी दिन कविता ने मुझे पकड़ लिया था जब मैं तुम दोनों से बात कर रही थी और अपनी चूत मसल रही थी उत्तेजना के कारण. दिव्या ये सब बातें सुन कर अपना सर पकड़ लेती है और हस देती है और कहती है.. शायद इसीलिए आज सुबह कविता ने मुझे देख कर वो सब कहा.
वसु: हाँ.. और जब मैं किचन में बर्तन साफ़ कर रही थी तो वो अकेली आयी और मुझे छेड़ दी. मैंने भी उसको छेड़ा और उसकी आँखों में दीपू के लिए प्यार देखा है. एक और बात.
दिव्या: क्या?
जब हम दोनों एक दुसरे की प्यास बुझा रहे थे तो मैं देखा की उसकी कमर पे भी एक तिल है और तुझे याद होगा की बाबा ने इस बारें में क्या कहा है. इसीलिए उस दिन जब मैं वापस आयी थी तो मैंने तुझे बताया था की एक और सौतन आने वाली है.
वसु: अब बता मैं क्या करून?
दिव्या: करना क्या है? उसे अब दीपू के नीचे लाना होगा और हमारी सौतन बनाना होगा और हस देती है और कहती है: तू तो बहुत चालाक निकली हो दीदी और फिर से झुक कर वसु को चूम लेती है.
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वसु भी दिव्या को चूमती है और उसकी चूची दबाती है.
दिव्या: मत दबाना ना.. मैं वैसे ही तुम्हारी बात सुन कर बहुत उत्तेजित हूँ और गीली हो गयी हूँ और बहक जाऊँगी. वसु को भी लगता है की अभी घर में सब है तो ये ठीक नहीं होगा और अपना हाथ हटा लेती है और दोनों फिर सो जाते है.
शाम को दीपू अपने काम से घर आ जाता है और सब को देख कर बहुत खुश हो जाता है. पहले वो अपने मामा मनोज से मिलता है और फिर मीना से. जब दोनों की नज़रें मिलती है तो दोनों को पता था की आगे क्या होने वाला है (लेकिन एक दुसरे को पता नहीं था की दोनों एक दुसरे की बात जानते है..) दीपू भी प्यार से मीना से गले मिलता है और उसका हाल चाल पूछता है. वो भी अपनी नज़रें झुकाये हुए ठीक है बताती है. इतने में कविता भी वहां आ जाती है तो दीपू कविता के पाँव छूता है तो कविता उसको उठा कर.. तुम तो अब बड़े हो गए हो बेटा और ऐसा कहते हुए वो उसे अपने गले से लगा लेती है तो कविता की मस्त बड़ी बड़ी चूचियां दीपू के सीने में दब जाते है जिसका एहसास दोनों को होता है. दीपू भी अपना हाथ पीछे ले जाकर पहले उसकी पीठ को दबाता है और फिर जब कोई नहीं देख रहा होता तो वो अपना हाथ नीचे ले जाकर उसकी गांड को भी दबा देता है. कविता के मुँह से एक हलकी सिसकी निकल जाती है जो सिर्फ वो दोनों ही सुन पाते है और कोई नहीं.
अब दीपू की हालत भी ठीक नहीं थी. उसका लंड अब तन गया था और वो अपने पूरे आकार में आकर कविता की चूत पे ठोकर मार रहा था वो भी उसकी साडी के ऊपर से ही. कविता को जब इसका एहसास होता है तो वो धीरे से दीपू के कान में कहती है: तू तो सच में बहुत बड़ा हो गया है. दीपू को ये बात समझ आता है लेकिन कुछ नहीं कहता और उससे अलग हो जाता है. अलग होते ही कविता की आँखें एकदम लाल सुर्ख हो जाती है जो वसु देख लेती है और मुस्कुरा देती है.
फिर सब बातें करते है और रात को खाना खा कर दीपू वसु और दिव्या एक कमरे में सोने चले जाते है तो वहीँ मनोज मीना और कविता दुसरे कमरे में सोने चले जाते है.
दीपू भी फिर अपनी नाईट ड्रेस में आकर लेट जाता है तो वहीँ वसु और दिव्या भी सेक्सी ट्रांसपेरेंट Nighty में आकर दीपू की बाहों में सर रख कर बातें करते है.
वसु: क्यों हमारे पतिदेव, मैं देख रही थी तुम कविता के साथ क्या कर रहे थे. दीपू ये बात सुनकर चक्र जाता है और वसु की तरफ देख कर पूछता है की वो क्या क्या कर रहा था?
वसु थोड़ा इतराते हुए: ये मत भूलो की मैं तुम्हारी माँ भी हूँ और पत्नी भी और मेरी नज़र तुम पर हमेशा बानी रहती है.
दीपू: मैंने क्या किया?
वसु: दिव्या की तरफ देख कर.. देखो ये इतना शयाना और मासूम बनने की कोशिश कर रहा है. मैंने देखा था की जब कविता ने तुम्हे अपने गले लगाया था तो उसकी चूचियां तुम्हारे सीने में एकदम दब गयी थी और तुम भी बड़ी शिद्दत से उसे गले मिल रहे थे और आखिर में तुमने उसकी गांड भी दबा थी. बोलो मैंने सही कहा ना?
दीपू ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाता है और कहता है... तुम्हारी नज़र तो एकदम तेज़ है. मेरा हाथ कहाँ था सिर्फ तुमने ही देखा है और किसी ने नहीं. वसु भी दीपू को छेड़ते हुआ.. बोलो कैसी लगी उसकी गांड?
दीपू भी अब खुल कर: उसकी गांड तो एकदम मस्त है लेकिन तुम दोनों के सामने कुछ नहीं और ऐसा कहते हुए दीपू दोनों की गांड दबा देता है. दोनों एक साथ हलकी सी सिसकारी लेते है और कहते है की आज घर पे सब है तो आज उन्हें छुट्टी दे दो वरना अगर तुम चोदोगे और हमारी आवाज़ों से वो लोग उठ सकते है.
दीपू: ये कैसे हो सकता है? अगर वो ३- ४ दिन रहेंगे तो क्या मुझे वो सब दिन “सूखा” रहना पड़ेगा? और तुम लोग भी बिना चुदे इतने दिन रह सकते हो क्या?
दोनों एक साथ: नहीं.
दीपू: फिर आज छुट्टी क्यों?
वसु: प्यार से... जानू सिर्फ आज एक दिन.
दीपू: ठीक है.. मैं तुम दोनों को चोदुँगा नहीं लेकिन ऐसा कहते हुए वो दोनों का सर पकड़ कर अपने लंड की तरफ धकेलता है तो दोनों समझ जाते है और दोनों बड़े उत्सुकता से दीपू के लंड पे टूट पड़ते है और १० Min तक उसके लंड और गोटियों को चूस चूस कर उसका पानी निकल कर दोनों उसके पानी को अपने मुँह में ले लेते है.
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दीपू तो जैसे जन्नत में पहुँच गया था उन दोनों की चुसाई से. जब वो ठंडा हो जाता है तो वो भी दोनों को बिस्तर पे सुला कर बारी बारी से दोनों की चूत चूस चूस कर और अपने उँगलियों से चोदते हुए उन दोनों का भी पानी निकल देता है और पी जाता है. दोनों को ठंडा करने के बाद दोनों को चूमते हुए उन दोनों का रस उन्हें ही पीला देता है.
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दीपू: बहुत दिनों बाद तुम दोनों ने अपना रस खुद चखा है. कैसे लगा?
दोनों: तुम तो एकदम गंदे और बेशरम हो.
दीपू भी हस्ते हुए.. हाँ वो तो मैं हूँ ही और तुम दोनों भी कोई काम बेशरम नहीं हो.. दोनों हस देते है और दिव्या दीपू से कहती है: दीपू मैं एक बात कहना चाहती हूँ.
दीपू: बोलो.
दिव्या: तुम जिंदगी भर ऐसे ही प्यार करोगे ना?
दीपू: ये भी कोई पूछने वाली बात है क्या? तुम दोनों तो मेरी जान हो.
अब जल्दी ही तुम दोनों को पेट से करना होगा ताकि मैं भी अच्छे से तुम्हारा दूध पी सकूं.
वसु: तुम्हारी बात तो ठीक है लेकिन दिव्या का सवाल कुछ और ही था.
दीपू: क्या सवाल? मैं कुछ समझा नहीं.
वसु: अरे मेरे प्यारे लट्टू उसे भी पता चल गया है की कविता भी तुमपे मरती है और मुझे पता है की तुम भी उसके दीवाने हुए जा रहे हो.
दीपू: नहीं ये गलत है.
वसु: तुम उसकी चिंता मत करो और सफाई देने की ज़रुरत नहीं है. वो तुमपे मरती है या तुम उसके दीवाने हो रहे हो... इससे हम दोनों को कोई प्रॉब्लम नहीं है... लेकिन जैसा दिव्या ने कहा हमारे लिए तुम अपना प्यार कम मत करना.
दीपू: उन दोनों को देख कर... मरते दम तक... वो इतना ही कह पाता है की वसु अपना हाथ उसके मुँह पे रख कर... मरने की बात कभी मत करना.. समझे?
दीपू: तुम चिंता मत करो... मेरा तुम दोनों के लिए प्यार कभी कम नहीं होगा. अगर तुम चाहो तो अगले ६ साल में घर में एक क्रिकेट टीम बना दूंगा. दोनों को बात समझ नहीं आती तो पूछती है क्या?
दीपू: यही की अगले ६ साल में हर साल तुमको एक बच्चा दूंगा तो १२ बच्चे हो जाएंगे तो एक क्रिकेट टीम बन जायेगी ना... और ज़ोर से हस देता है. दोनों भी ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाते है और उसे प्यार से मुक्का मारते है.
वसु: इस उम्र में तुम्हे क्या लगता है की मैं इतने बच्चे दे सकती हूँ तुमको? दीपू: तुम्हारी उम्र की क्या है? तुम तो ३५ से भी ज़्यादा नहीं लगती. इतनी अच्छी माल हो तुम. देखो अपने आप को... तुम्हारी ये उठी हुई चूचियां बेहतरीन सपाट पेट गहरी नाभि और तुम्हारी ये जान लेवा उठी हुई गांड. कोई भी तुम्हे देख कर नहीं कह सकता की तुम ४० की हो... समझे...
वसु दीपू से ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं कहती.
वसु: मैं कविता का कुछ करती हूँ. वो भी तुम्हारी बहुत दीवानी है ..पता नहीं क्या लेकिन देखते है. दीपू कुछ नहीं कहता और दोनों की अपनी बाहों में लेता है और फिर तीनो सो जाते है.
वहीँ दुसरे कमरे में कविता बिस्तर के कोने में सोने की कोशिश करती है.. जहाँ मनोज और मीना सो रहे थे वहीँ कविता को नींद नहीं आ रही थी. वो दीपू को ही याद कर रही थी की कितना उसका बड़ा लंड है और कैसे वो उसके पेट को छु रहा था और यही सोचते हुए वो अपनी चूत को मसलते हुए आहें भरते हुए दीपू को याद करते हुए तड़पती है और आखिर में जब वो भी झड़ जाती है तो वो भी सो जाती है…
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ये घमासान चुदाई काफी देर तक चलती है जहां तीनो को बहुत मजा आता है और आखिर में दीपू भी हार मान जाता है और अपना पूरा रस दोनों की चूत में ही झड़ जाता है बारी बारी से. इसमें दोनों को बड़ा सुख मिलता है. आखिर कार तीनो थक कर एक दुसरे की बाहों में चैन की नींद में सो जाते है...
अब आगे..
दिन ऐसे ही गुज़रते है और इन दिनों में दोनों दिनेश और दीपू भी अपने काम को अच्छा अंजाम देते है और उनका बिज़नेस भी अब फैलने लगता है. वो दुसरे शहर में भी अपना दूकान खोलते है और वहां पर भी उनको अच्छा सफलता मिलता है. उनको अब Profits भी अच्छा मिल रहा था और Revenue भी बढ़ती है. जो पहले लाखों में बिज़नेस करते थे अब काफी दिन और मेहनत के बाद उनका Revenue अब करोड़ों में होने लगा था. इन सब के चलते दोनों और उन दोनों के परिवार भी बहुत खुश थे.
जब उनका बिज़नेस करोड़ों में पहुंच जाता है तो दिनेश इस ख़ुशी में दीपू और बाकी सब को भी अपने घर बुलाता है और सब मिल कर खुशियां मनाते है और साथ में खाना भी खाते है.
जब दीपू और उसकी बीवियां और बेहन दिनेश के घर जाते है तो दिनेश और उसकी माँ ऋतू भी एकदम तैयार हो कर उनका स्वागत करते है. उस वक़्त ऋतू भी एकदम सजधज कर एकदम सेक्सी लग रही थी. साडी में लिपटी हुई वो भी एकदम मस्त माल लग रही थी. टाइट ब्लाउज जिसमें से उसकी चूचियां जैसे बाहर आने को तड़प रही हो और साडी भी नाभि के नीचे बाँधा हुआ.
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दीपू उस वक़्त ऋतू को देख कर मन में सोचता है की कितनी मस्त माल लग रही है आंटी.. लेकिन फिर सोचता है की वो गलत सोच रहा है क्यूंकि वो तो उसके दोस्त की माँ थी और थोड़ी दिनों में उसकी बेहन की सास हो होने वाली थी और फिर ऐसे ख्याल अपने मन से निकाल लेता है (फिलहाल अभी के लिए).
ऋतू वसु को देख कर अकेले में ...दीदी आप तो बहुत सुन्दर दिख रही हो.. क्या बात है? वसु ये बात सुनकर शर्मा जाती है लेकिन उल्टा जवाब देती है... आप भी तो बहुत खूबसूरत लग रही हो. अब दिनेश और दीपू ने बिज़नेस संभाल लिया है तो आप भी अपने आप को ऐसा मेन्टेन कर रही हो. आप भी कोई काम खूबसूरत नहीं हो और है देती है.
इतने में वहां दिनेश आता है और मज़ाकिया ढंग से पूछता है की क्या बात हो रही है?
ऋतू: तुझे जान्ने की ज़रुरत नहीं है. ये हम औरतों का मामला है. तू जा और मेरी होने वाली बहु का ख्याल रख. दिनेश कुछ नहीं कहता और चुपचाप वहां से चला जाता है.
दिनेश भी फिर निशा को थोड़ा अकेले पा कर उसके पास जाकर: तुम तो आज बहुत सेक्सी लग रही हो. क्या बात है?
निशा: क्यों नहीं जब मैं अपने होने वाली पति और भाई की तरक्की देख रही हूँ तो खुश होंगी ना... और उसको आँख मारते हुए सेक्सी तो मैं तुम्हारे लिए ही आयी हूँ. अच्छी नहीं लग रही हूँ क्या?
दिनेश: अच्छी तुम तो बहुत सेक्सी लग रही हो. मन करता है तुम्हे अभी अपने कमरे में ले चलूँ.
निशा: अभी ज़्यादा सपने मत देखो. जो भी करना है सब शादी के बाद. समझे. अभी सिर्फ तुम मुझे अपने आँखों में ही बसा लो. जब शादी हो जायेगी तो फिर सोचना और उसको थोड़ा चिड़ाते हुए वहां से अपनी गांड मटकाते हुए निकल जाती है.
दिनेश मन में: उसको देखते हुए... ये तो मेरी एक दिन जान लेकर ही रहेगी.
फिर सब खाना खाते और बातें करते हुए वो शाम गुज़ारते है. खाना खाने के बाद अपने घर जाने से पहले
वसु: दीदी (ऋतू से) और दिनेश अगले हफ्ते होली है और हम चाहते है की आप दोनों हमारे घर आओ होली पे. ये होली हमारी शादी के बाद पहली है. दोनों इस बात से बहुत खुश हो जाते है लेकिन ऋतू कहती है.. नहीं बेहनजी इस बार शायद नहीं होगा. मैं और दिनेश बाहर जा रहे है. ये हमने पहले ही प्लान कर लिया था वरना हम ज़रूर आते. और वैसे भी आप सब को शादी के बाद पहली होली की बहुत सारी शुबकामनाएं. वसु ये बात सुनकर थोड़ा दुखी हो जाती है की वो लोग नहीं आ पाएंगे. ऋतू देखती है और कहती है की अगली बार वो लोग ज़रूर आएंगे.
बाकी सब भी मान जाते है और फिर वो दिन अच्छे से गुज़ार कर मजे करते हुए और हस्ते हुए निकल जाता है और वो लोग अपने घर आ जाते है.
घर आने के बाद वसु कहती है की अगर वो लोग होली पे आते हो अच्छा होता. दीपू भी इस बात पे सहमत हो जाता है लेकिन वो कुछ नहीं कर पाते क्यूंकि उनका प्लान कुछ अलग था. फिर सब कमरे में आकर आराम करते है तो वसु मनोज को फ़ोन करती है और उससे और मीना को होली पे आने को कहती है.
वसु: भाई माँ पिताजी कैसे है?
मनोज: ठीक है... लेकिन तुमको तो पता है अब उनकी तबियत भी थोड़ी कमज़ोर हो रही है.
वसु: हाँ पता है... अगर ज़रुरत पड़े तो हमें बताना हम जल्दी ही वहां आ जाएंगे.
वसु: सुन अगले हफ्ते होली है और जैसा तुझे पता है ये हमारी शादी के बाद पहली होली है तो हम सब चाहते है की तुम दोनों भी यहाँ आ जाओ और सब अच्छे से होली मनाएंगे.
मनोज: हम आ जाएंगे दीदी लेकिन मैं एक ही दिन रह पाऊँगा. मुझे ऑफिस में ज़्यादा छुट्टी नहीं मिलेगी. हाँ मीना आप लोगों के साथ रहेगी.
उसी तरह से वसु कविता को भी फ़ोन करती है.
वसु: (कविता से) माँ जी जैसे मैंने आप को बताया था... अगले हफ्ते होली है तो आप 3 दिन पहले यहाँ आ जाओ. मीना और मनोज भी आ रहे है. कविता जब ये बात वसु से सुनती है तो उसे पता चल जाता है की वसु के साथ और बाकी लोग भी है (नहीं तो वो वसु से सेक्सी तरीके से बात करती) तो पहले तो वो ना करती है लेकिन फिर वसु अपना फ़ोन दीपू को देती है और वो जब कहता है है आने के लिए तो वो माना नहीं कर पाती और कहती है की वो उन दोनों के साथ आ जायेगी.
इसी तरह से वसु बाकी सब को भी घर आने के लिए कहती है. बाकी सब याने रानी, लता और राखी को (9th अपडेट में इनका इंट्रोडक्शन दिया है).
लेकिन वो लोग कहते है की जब निशा की शादी होगी तब आएंगे क्यूंकि उन्हें भी और काम था और व्यस्त रहने वाले है होली के समय तो इसीलिए वो अब इस बार नहीं आ पाएंगे.
और फिर उस रात दीपू दोनों को अपने बिज़नेस की सफलता की ख़ुशी में दोनों को भी मस्त चोदता है जिसमें दोनों भी मस्त उसका साथ देते है और एक घंटे की लम्बी और मस्त चुदाई के बाद तीनो थक कर सो जाते है.
निशा को भी पता था की आज दीपू के कमरे में धमाल होने वाला है तो वो अपने कानों में फ़ोन का ear plugs लगा लेती है नहीं तो उनकी आवाज़ों से वो भी बहक जाती और उसे भी नींद नहीं आती.
3 दिन बाद मनोज, मीना और कविता दीपू के घर पहुँच जाते है. वसु उन सब को देख कर बहुत खुश हो जाती है. दिव्या कविता को देख कर उनके पाँव छूती है तो कविता उसे अपने गले से लगा लेती है और कहती है: बेटी तू तो बहुत सुन्दर दिख रही हो और चेहरे पे एक अलग ही चमक दिख रही है. दिव्या ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है और उसको गले लगाते हुए एक नज़र वसु पे डालती है और उसे आँख मार देती है (कविता). उस वक़्त वसु और दिव्या भी एकदम सज धज कर एकदम सेक्सी लग रही थी. ज़ाहिर सी बात थी की अब उन दोनों की चूचियां भी और थोड़ा उभर गयी थी क्यूंकि दीपू उनपे बहुत मेहनत करता था और दबा दबा कर बड़ा कर दिया था. वो दोनों भी अपनी साडी नाभि के नीचे ही बाँधी थी और साडी भी ट्रांसपेरेंट थी और ये बात दोनों मीना और कविता की नज़र में भी आता है.
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घर में फिर सब फ्रेश हो कर चाय पीते है तो दिव्या अपने कमरे में जाती है तो मीना भी उसे पीछे जाती है की वो दिव्या से कुछ बात करना चाहती है. कमरे में पहुंचते ही मीना दिव्या से कहती है.
मीना: क्या बात है दीदी... आप तो बहुत गदरा गयी हो और अपनी नज़रें उसके ब्लाउज और साडी पे डालते हुए..ये तो जैसे बाहर आने के लिए तड़प रहे है और आपने इतना ट्रांसपेरेंट साडी पहना है. दिव्या भी मीना की बात से शर्मा जाती है और कहती है... तुम्हे तो ये सब पता होना चाहिए मीना. शादी के बाद तो तुम्हे पता है की रातें कैसी गुज़रती है और हस्ते और शर्माते हुए मीना को देखती है.
मीना: हाँ मुझे भी पता है लेकिन ये साडी के बारे में मैंने कभी सोचा नहीं था.
दिव्या: ये भी दीपू का ही नतीजा है. वो ही हम को घर में ऐसा रहने को कहता है और मीना को आँख मारते हुए कहती है की उसको भी मजा आता है और... इतना बोल कर रुक जाती है. मीना भी ये बात समझ जाती है और हस्ते हुए कहती है.. लगता है दीपू भी बहुत ठरकी है. इस बात पे दोनों है देते है और फिर कमरे से बाहर आ जाते है..
बाहर हॉल में स अब चाय पी कर थोड़ा आराम करते हुए टीवी देखते है तो वसु सब सामान लेकर किचन में चली जाती है. उस वक़्त सब टीवी देख रहे होते है तो कविता भी वसु के साथ किचन में चली जाती है. उस वक़्त वो दोनों ही किचन में थे. वसु बर्तन धो कर साफ़ कर रही थी तो कविता वसु के पीछे आकर उसकी चूची को दबाते हुए कान में हलके से.. तू तू बहुत गदरा गयी है और तेरी चूचियां भी तो बड़ी हो गयी है. वसु भी धीरे से सिसकियाँ लेते हुए... क्या कर रही हो? कोई आ जाएगा ना...
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कविता: कोई नहीं आएगा. मैं देख कर ही यहाँ आयी हूँ. सब टीवी देख रहे है और उसके गले को चूमते हुए वसु की चूचियां दबाती है.
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वसु: तुम्हे पता नहीं है क्या की ये क्यों बड़ गयी है?
कविता: मैं जानती हूँ लेकिन तेरे मुँह से सुन्ना चाहती हूँ. वसु फिर पलट कर कविता को देखती हुई सिसकारियां लेने लगती है और कहती है: दीपू का कमाल है. दिन रात इसको पीते रहता है और खूब दबाता है जिसकी वजह से ये थोड़ी बड़ गयी है और अपने होंठ कविता से मिला लेती है और कविता भी उसका पूरा साथ देती है और दोनों की जीभ एक दुसरे से लड़ती है. एक लम्बे और गहरे चुम्बन के बाद ..
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वसु कहती है: तूने तो मुझे उत्तेजित कर दिया है और ऐसा कहते हुए वो कविता का एक हाथ अपने साडी के अंदर दाल कर.. देख मेरी पैंटी भी पूरी गीली कर दी हो तुमने.
कविता अपना हाथ उसके पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को रगड़ती है जो की गीली हो चुकी थी और थोड़ी मुश्किल से पैंटी को सरकाते हुए अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाल देती है और 1 min तक अंदर बाहर करते हुए निकल लेती है और उसकी ऊँगली पूरे गीली और चमक रही थी. कविता वसु को देखते हुए उसकी आँखों के सामने वो ऊँगली अपने मुँह में डाल कर चाट लेती है और कहती है: तू तो रोज़ रोज़ बहुत स्वादिष्ट हो रही हो. तेरी बातें सुन कर मेरी भी कुछ ऐसी ही हालत है और वो वसु का हाथ उसी तरह अपनी साडी में घुसा देती है और वसु भी पाती है की कविता की चूत भी बहुत पानी छोड़ रही है और उसकी पैंटी भी पूरी गीली हो गयी है.
वसु: तुम भी थो बहुत पानी छोड़ रही हो. और उसके मजे लेते हुए... क्यों दीपू के बारे में सोच कर ही तेरी ये हालत हुई है क्या और उसको आँख मार देती है.
कविता भी थोड़ा शर्मा जाती है और कहती है: तू कुछ भी बक देती है.
वसु: मैं बक नहीं रही हूँ... बल्कि तेरी आँखें सब बता रही है. क्यों मैं सच बोल रही हूँ ना?
कविता वसु के इस बात का कोई जवाब नहीं देती जिसका मतलब वसु को पता चल गया था.
वसु: चल कोई नहीं.. और कविता की चूची को दबाते हुए... तू कहे तो मैं दीपू को बताती हूँ. वो ही तेरी हालत और प्यास ठीक कर देगा. बोल बता दूँ?
कविता वसु की ये बात सुनकर एकदम चौंक जाती है और कहती है तू तो मज़ाक नहीं कर रही है ना.. दीपू मेरे साथ ऐसा क्यों करेगा?
वसु: वो सब तू छोड़... वो देखना मेरा काम है. कविता एकदम फिर से शर्मा जाती है और इतने में उनको कोई किचन की तरफ आने की आहट होती है तो दोनों अलग हो जाते है और एकदम नार्मल सास और बहु जैसे बातें करते है. वहां पर मीना आती है और पूछती है की क्या बातें हो रही है... और फिर ऐसे ही बातें करते हुए सब दोपहर को खाना खा लेते है और सब अपने कमरे में सोने चले जाते है.
वसु और दिव्या आमने सामने लेट ते है. दोनों के चेहरे एकदम पास थे और दोनों एक दुसरे की साँसों को भी फील कर रहे थे.
वसु: दिव्या तुझे याद है बाबा ने जो बात मुझसे कहा था जब मैं दीपू को उनके पास ले गयी थी जब वो छोटा था.
दिव्या: हाँ याद है.
वसु: क्या याद है? दिव्या: यही की उसकी ज़िन्दगी में बहुत लोग आएंगे और उसकी बहुत बीवियां होगी और उसके बहुत बच्चे होंगे.
वसु: सही कहा... और मैंने तुझे ये भी कहा था की हमारी एक और सौतन आने वाली है.
दिव्या आश्चर्य से..हाँ याद है लेकिन अभी सौतन कौन है... मुझे तो कोई नज़र नहीं आता.
वसु: तुझे नज़र नहीं आता लेकिन मुझे पता है.
दिव्या: कौन?
वसु: पहले एक बात बता... अगर दीपू की एक और शादी होगी तो तू क्या कहेगी?
दिव्या: मैं क्या कहूँगी.. बस लड़ी अच्छी होनी चाहिए और वो हमें भी पसंद आनी चाहिए और बस दीपू हमें हमारा प्यार देते रहे और उसमें कोई कमी नहीं हो. दिन रात उसको याद करते हुए मेरी चूत एकदम गीली हो जाती है और जब वो मुझे चोदता है तो जैसे मैं जन्नत में पहुँच जाती हूँ.
वसु दिव्या को देखते हुए... तू बहुत समझदार है बेहन और थोड़ा झुक कर उसके होंठ चूम लेती है. दिव्या भी उसका साथ देती है और वो भी वसु को चूम लेती है. (जब से उनकी शादी दीपू से हुई थी और वह दोनों अब तक काफी बार एक ही बिस्तर में दीपू से चुद चुकी थी तो वसु और दिव्या भी एक दुसरे से एकदम खुल गयी थी और कमरे में बेझिझक ही बेशरम हो गए थे एक दुसरे के प्रति).
दिव्या: अब ये भी बता दो की हमारी सौतन कौन होने वाली है?
वसु दिव्या की आँखों में देखते हुए.. और कोई नहीं बल्कि कविता.
दिव्या कविता का नाम सुनते ही एकदम चक्र जाती है और कहती ही... क्या कह रही हो तुम? ऐसे कैसे हो सकता है?
वसु: मैं ठीक ही कह रही हूँ और मैंने उसकी आँखों में भी दीपू के लिए प्यार देखा है. तुम्हे क्या लगता है... वो कैसे मान गयी मीना को दीपू की बच्चे के लिए??
दिव्या: कैसे?
वसु: ये मैंने ही उसे समझाया है और बुरा मत मानना हम दोनों एक दुसरे से बिस्तर पे हो गए है और दोनों ने एक दुसरे को संतुष्ट किया है. तुझे याद है जब मैं माँ के घर में थी और तू और दीपू यहाँ थे और हम फ़ोन पे बात और कामुक बातें कर रहे थे.
दिव्या: हाँ याद है.
वसु: उसी दिन कविता ने मुझे पकड़ लिया था जब मैं तुम दोनों से बात कर रही थी और अपनी चूत मसल रही थी उत्तेजना के कारण. दिव्या ये सब बातें सुन कर अपना सर पकड़ लेती है और हस देती है और कहती है.. शायद इसीलिए आज सुबह कविता ने मुझे देख कर वो सब कहा.
वसु: हाँ.. और जब मैं किचन में बर्तन साफ़ कर रही थी तो वो अकेली आयी और मुझे छेड़ दी. मैंने भी उसको छेड़ा और उसकी आँखों में दीपू के लिए प्यार देखा है. एक और बात.
दिव्या: क्या?
जब हम दोनों एक दुसरे की प्यास बुझा रहे थे तो मैं देखा की उसकी कमर पे भी एक तिल है और तुझे याद होगा की बाबा ने इस बारें में क्या कहा है. इसीलिए उस दिन जब मैं वापस आयी थी तो मैंने तुझे बताया था की एक और सौतन आने वाली है.
वसु: अब बता मैं क्या करून?
दिव्या: करना क्या है? उसे अब दीपू के नीचे लाना होगा और हमारी सौतन बनाना होगा और हस देती है और कहती है: तू तो बहुत चालाक निकली हो दीदी और फिर से झुक कर वसु को चूम लेती है.
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वसु भी दिव्या को चूमती है और उसकी चूची दबाती है.
दिव्या: मत दबाना ना.. मैं वैसे ही तुम्हारी बात सुन कर बहुत उत्तेजित हूँ और गीली हो गयी हूँ और बहक जाऊँगी. वसु को भी लगता है की अभी घर में सब है तो ये ठीक नहीं होगा और अपना हाथ हटा लेती है और दोनों फिर सो जाते है.
शाम को दीपू अपने काम से घर आ जाता है और सब को देख कर बहुत खुश हो जाता है. पहले वो अपने मामा मनोज से मिलता है और फिर मीना से. जब दोनों की नज़रें मिलती है तो दोनों को पता था की आगे क्या होने वाला है (लेकिन एक दुसरे को पता नहीं था की दोनों एक दुसरे की बात जानते है..) दीपू भी प्यार से मीना से गले मिलता है और उसका हाल चाल पूछता है. वो भी अपनी नज़रें झुकाये हुए ठीक है बताती है. इतने में कविता भी वहां आ जाती है तो दीपू कविता के पाँव छूता है तो कविता उसको उठा कर.. तुम तो अब बड़े हो गए हो बेटा और ऐसा कहते हुए वो उसे अपने गले से लगा लेती है तो कविता की मस्त बड़ी बड़ी चूचियां दीपू के सीने में दब जाते है जिसका एहसास दोनों को होता है. दीपू भी अपना हाथ पीछे ले जाकर पहले उसकी पीठ को दबाता है और फिर जब कोई नहीं देख रहा होता तो वो अपना हाथ नीचे ले जाकर उसकी गांड को भी दबा देता है. कविता के मुँह से एक हलकी सिसकी निकल जाती है जो सिर्फ वो दोनों ही सुन पाते है और कोई नहीं.
अब दीपू की हालत भी ठीक नहीं थी. उसका लंड अब तन गया था और वो अपने पूरे आकार में आकर कविता की चूत पे ठोकर मार रहा था वो भी उसकी साडी के ऊपर से ही. कविता को जब इसका एहसास होता है तो वो धीरे से दीपू के कान में कहती है: तू तो सच में बहुत बड़ा हो गया है. दीपू को ये बात समझ आता है लेकिन कुछ नहीं कहता और उससे अलग हो जाता है. अलग होते ही कविता की आँखें एकदम लाल सुर्ख हो जाती है जो वसु देख लेती है और मुस्कुरा देती है.
फिर सब बातें करते है और रात को खाना खा कर दीपू वसु और दिव्या एक कमरे में सोने चले जाते है तो वहीँ मनोज मीना और कविता दुसरे कमरे में सोने चले जाते है.
दीपू भी फिर अपनी नाईट ड्रेस में आकर लेट जाता है तो वहीँ वसु और दिव्या भी सेक्सी ट्रांसपेरेंट Nighty में आकर दीपू की बाहों में सर रख कर बातें करते है.
वसु: क्यों हमारे पतिदेव, मैं देख रही थी तुम कविता के साथ क्या कर रहे थे. दीपू ये बात सुनकर चक्र जाता है और वसु की तरफ देख कर पूछता है की वो क्या क्या कर रहा था?
वसु थोड़ा इतराते हुए: ये मत भूलो की मैं तुम्हारी माँ भी हूँ और पत्नी भी और मेरी नज़र तुम पर हमेशा बानी रहती है.
दीपू: मैंने क्या किया?
वसु: दिव्या की तरफ देख कर.. देखो ये इतना शयाना और मासूम बनने की कोशिश कर रहा है. मैंने देखा था की जब कविता ने तुम्हे अपने गले लगाया था तो उसकी चूचियां तुम्हारे सीने में एकदम दब गयी थी और तुम भी बड़ी शिद्दत से उसे गले मिल रहे थे और आखिर में तुमने उसकी गांड भी दबा थी. बोलो मैंने सही कहा ना?
दीपू ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाता है और कहता है... तुम्हारी नज़र तो एकदम तेज़ है. मेरा हाथ कहाँ था सिर्फ तुमने ही देखा है और किसी ने नहीं. वसु भी दीपू को छेड़ते हुआ.. बोलो कैसी लगी उसकी गांड?
दीपू भी अब खुल कर: उसकी गांड तो एकदम मस्त है लेकिन तुम दोनों के सामने कुछ नहीं और ऐसा कहते हुए दीपू दोनों की गांड दबा देता है. दोनों एक साथ हलकी सी सिसकारी लेते है और कहते है की आज घर पे सब है तो आज उन्हें छुट्टी दे दो वरना अगर तुम चोदोगे और हमारी आवाज़ों से वो लोग उठ सकते है.
दीपू: ये कैसे हो सकता है? अगर वो ३- ४ दिन रहेंगे तो क्या मुझे वो सब दिन “सूखा” रहना पड़ेगा? और तुम लोग भी बिना चुदे इतने दिन रह सकते हो क्या?
दोनों एक साथ: नहीं.
दीपू: फिर आज छुट्टी क्यों?
वसु: प्यार से... जानू सिर्फ आज एक दिन.
दीपू: ठीक है.. मैं तुम दोनों को चोदुँगा नहीं लेकिन ऐसा कहते हुए वो दोनों का सर पकड़ कर अपने लंड की तरफ धकेलता है तो दोनों समझ जाते है और दोनों बड़े उत्सुकता से दीपू के लंड पे टूट पड़ते है और १० Min तक उसके लंड और गोटियों को चूस चूस कर उसका पानी निकल कर दोनों उसके पानी को अपने मुँह में ले लेते है.
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दीपू तो जैसे जन्नत में पहुँच गया था उन दोनों की चुसाई से. जब वो ठंडा हो जाता है तो वो भी दोनों को बिस्तर पे सुला कर बारी बारी से दोनों की चूत चूस चूस कर और अपने उँगलियों से चोदते हुए उन दोनों का भी पानी निकल देता है और पी जाता है. दोनों को ठंडा करने के बाद दोनों को चूमते हुए उन दोनों का रस उन्हें ही पीला देता है.
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दीपू: बहुत दिनों बाद तुम दोनों ने अपना रस खुद चखा है. कैसे लगा?
दोनों: तुम तो एकदम गंदे और बेशरम हो.
दीपू भी हस्ते हुए.. हाँ वो तो मैं हूँ ही और तुम दोनों भी कोई काम बेशरम नहीं हो.. दोनों हस देते है और दिव्या दीपू से कहती है: दीपू मैं एक बात कहना चाहती हूँ.
दीपू: बोलो.
दिव्या: तुम जिंदगी भर ऐसे ही प्यार करोगे ना?
दीपू: ये भी कोई पूछने वाली बात है क्या? तुम दोनों तो मेरी जान हो.
अब जल्दी ही तुम दोनों को पेट से करना होगा ताकि मैं भी अच्छे से तुम्हारा दूध पी सकूं.
वसु: तुम्हारी बात तो ठीक है लेकिन दिव्या का सवाल कुछ और ही था.
दीपू: क्या सवाल? मैं कुछ समझा नहीं.
वसु: अरे मेरे प्यारे लट्टू उसे भी पता चल गया है की कविता भी तुमपे मरती है और मुझे पता है की तुम भी उसके दीवाने हुए जा रहे हो.
दीपू: नहीं ये गलत है.
वसु: तुम उसकी चिंता मत करो और सफाई देने की ज़रुरत नहीं है. वो तुमपे मरती है या तुम उसके दीवाने हो रहे हो... इससे हम दोनों को कोई प्रॉब्लम नहीं है... लेकिन जैसा दिव्या ने कहा हमारे लिए तुम अपना प्यार कम मत करना.
दीपू: उन दोनों को देख कर... मरते दम तक... वो इतना ही कह पाता है की वसु अपना हाथ उसके मुँह पे रख कर... मरने की बात कभी मत करना.. समझे?
दीपू: तुम चिंता मत करो... मेरा तुम दोनों के लिए प्यार कभी कम नहीं होगा. अगर तुम चाहो तो अगले ६ साल में घर में एक क्रिकेट टीम बना दूंगा. दोनों को बात समझ नहीं आती तो पूछती है क्या?
दीपू: यही की अगले ६ साल में हर साल तुमको एक बच्चा दूंगा तो १२ बच्चे हो जाएंगे तो एक क्रिकेट टीम बन जायेगी ना... और ज़ोर से हस देता है. दोनों भी ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाते है और उसे प्यार से मुक्का मारते है.
वसु: इस उम्र में तुम्हे क्या लगता है की मैं इतने बच्चे दे सकती हूँ तुमको? दीपू: तुम्हारी उम्र की क्या है? तुम तो ३५ से भी ज़्यादा नहीं लगती. इतनी अच्छी माल हो तुम. देखो अपने आप को... तुम्हारी ये उठी हुई चूचियां बेहतरीन सपाट पेट गहरी नाभि और तुम्हारी ये जान लेवा उठी हुई गांड. कोई भी तुम्हे देख कर नहीं कह सकता की तुम ४० की हो... समझे...
वसु दीपू से ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं कहती.
वसु: मैं कविता का कुछ करती हूँ. वो भी तुम्हारी बहुत दीवानी है ..पता नहीं क्या लेकिन देखते है. दीपू कुछ नहीं कहता और दोनों की अपनी बाहों में लेता है और फिर तीनो सो जाते है.
वहीँ दुसरे कमरे में कविता बिस्तर के कोने में सोने की कोशिश करती है.. जहाँ मनोज और मीना सो रहे थे वहीँ कविता को नींद नहीं आ रही थी. वो दीपू को ही याद कर रही थी की कितना उसका बड़ा लंड है और कैसे वो उसके पेट को छु रहा था और यही सोचते हुए वो अपनी चूत को मसलते हुए आहें भरते हुए दीपू को याद करते हुए तड़पती है और आखिर में जब वो भी झड़ जाती है तो वो भी सो जाती है…
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