18th Update (Mega Update)
रात को जब दीपू और दिव्या कमरे में एक दुसरे की बाहों में रह कर बात करते है की वसु क्यों गयी है. इतने में दीपू का फ़ोन बजता है और देखता है की उसे वसु ने कॉल लिया था. दीपू फ़ोन पिक कर के कहता है बोलो माँ... क्या बात है और वहां इतनी जल्दी क्यों गयी.
वसु: बेटा मुझे तेरे से एक बात करनी नहीं....
अब आगे ...
चलिए थोड़ा पीछे चलते है कुछ घंटे पहले:
समय तब का था जब वसु मनोज और मीना से बात कर रही थी उनके साथ.
वसु मीना से: तो तुम किसी को गोद नहीं लेना चाहती और मनोज अब तुमको संतुष्ट नहीं कर सकता लेकिन तुम्हे माँ बनना है और बात भी सही है की तुम्हे जो ताने सुनने को मिल रहे है वो अच्छा नहीं है. तो क्या कर सकते है.. वसु ऐसा पूछते हुए दोनों मनोज और मीना की तरफ देखती है.
दोनों एक दुसरे की और देखते है लेकिन कुछ नहीं कह पाते और मनोज ही कहता है: दीदी: तुम ही कोई उपाय बताओ ना.
वसु: मेरे पास एक उपाय तो है... थोड़ा अलग है लेकिन पता नहीं तुम लोग क्या सोचोगे.
मनोज: आप पहले बताओ तो सही.. फिर सोचेंगे उसके बारे में.
वसु दोनों की तरफ देख कर: तुमको दीपू कैसा लगता है?
मनोज: ये भी कोई पूछने की बात है क्या? वो तो बहुत अच्छा लड़का है सुन्दर है आप सब की देखभाल ही अच्छा करता है.. तो उसमें पूछने वाली क्या बात है?
वसु फिर अपना गला ठीक करते हुए मीना की तरफ देख कर.. तुम्हारा क्या ख्याल है? मीना भी वही जवाब देती है जो मनोज देता है.
वसु फिर मीना को देख कर.. मैं जो कह रही हूँ फिर से सुनो. तुम लोगों को पता है की मेरी और तुम्हारी मौसी की दीपू से शादी हुई है और… इतना कह कर वसु रुक जाती है.
मनोज: और?
वसु: शायद ये बात बताना सही नहीं होगा लेकिन फिर भी बताती हूँ की वो बिस्तर पे बहुत अच्छा है. हम दोनों को बहुत प्यार करता है. और ऐसा कह कर रुक जाती है. इस बात पे मनोज और मीना एक दुसरे को देखते है तो उनको वसु की बात समझ में आती है और दोनों खुला मुँह करते हुए वसु को देखते है.
वसु: देखो मैं तुम्हारे साथ जो हुआ मुझे अच्छी तरह से पता है. उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है और मीना की बात भी सही है. हर शादी शुदा लड़की जल्दी ही माँ बनना चाहती है. और बच्चा जब गोद में होता है और वो उसे अपना दूध पिलाती है.. ये अहसास दुनिया का सबसे सुखद अहसास है जो एक औरत हमेशा चाहती है.
वसु: हाँ तुम जो सोच रहे हो मैं वही कहना चाहती थी. मीना की तरफ देख कर... अगर तुम्हे माँ बनना है और किसी को गोद भी नहीं लेना है तो यही एक अच्छा उपाय है. घर की बात घर पे ही रहेगी. अगर तुम फिर कहीं पार्टी या अपने दोस्तों के पास गयी और लोग फिर से तुम्हे ताने मारेंगे तो ये तुम्हारे लिए भी अच्छा नहीं होगा ना ही इस घर के लिए. माँ पिताजी भी कह रहे थी की वो भगवान् के घर जाने से पहले अगर वो अपने पोते को देख ले और दादा दादी बन जाए तो वो बहुत सुख शांति से अपने बाकी दिन गुज़ार लेंगे.
दोनों एक दुसरे को देखते है लेकिन कुछ नहीं कहते.
वसु: मुझे जो सुझाव अच्छा लगा मैंने बताया. इसके अलावा मुझे भी और कुछ नहीं दिखता. मैं चाहती हूँ की तुम दोनों एक बार इस बारे में बात कर लो और मुझे बताओ. मैं फिर दीपू से भी बात करती हूँ.
मीना: दीदी २ बातें मैं पूछना चाहती हूँ आपसे.
वसु: हाँ पूछो.
मीना: क्या दीपू राज़ी हो जाएगा इस बात के लिए?
वसु: तुम उसकी चिंता मत करो. वो मेरा काम है.
मीना: आपको और छोटी दीदी (दिव्या) को कैसा लगेगा की मेरी गोद में उसका ही बच्चा है.
वसु: मुझे तो ख़ुशी होगी की मैं दादी बन जाऊँगी और हस देती है. जैसा मैंने कहा तुम उसकी चिंता मत करो (वसु को बाबा की बातें याद आती है की दीपू की कई शादियां होने वाली है और वो बहुत बच्चों का बाप बनने वाला है)
वसु: दूसरी बात?
मीना: अगर मैं इस बात के लिए मान भी जाऊं की मैं दीपू के साथ हम बिस्तर हो जाऊँगी तो माँ कैसे मानेगी? वो तो बहुत संस्कारी है. वसु जब मीना से ये बात सुनती है तो वो मन में सोचती है कविता संस्कारी नहीं बहुत चुदकड़ औरत है.
वसु: तुम उसकी भी चिंता मत करो. तुम्हारी माँ को मनाना मेरा काम है (क्यूंकि वसु को पता था की कविता को “कैसे” मनाना है). और भी कुछ शंकाएं है क्या?
मैं फिर से कहती हूँ की तुम दोनों एक बार फिर से सोच लो क्यूंकि एक बार आगे बढ़ गए तो फिर पीछे नहीं हट सकते.
मनोज: दीदी हमें थोड़ा समय दो. हम बात कर के आपको बताते है.
अब present रात में:
सब खाना खा कर वसु निशा की बात करती है तो उसकी माँ कहती है की निशा की शादी २-३ महीने के अंदर कर दो. वसु भी इस बात को मान जाती है और वो कहती है की वो जल्दी ही उसकी समधन से बात कर के तैयारी कर लेंगे. फिर ऐसी वैसी कुछ बातें कर के सब अपने कमरे में जाते है सोने के लिए. जाने से पहले वसु मीना और मनोज की तरफ देखती है तो दोनों भी हाँ में सर हिला कर अपने कमरे में चले जाते है.
वसु अपने कमरे में जाकर दीपू को फ़ोन करती है. उस वक़्त दीपू और दिव्या दोनों नंगे थे और दीपू दिव्या की एक चूची को मुँह में लेकर उसके निप्पल को काटते हुए उसकी मस्त चुदाई कर रहा था. इतने में फ़ोन बजता है तो दीपू फ़ोन on कर के वसु से बात करने लगता है.
दीपू: माँ तुम कहाँ हो?
वसु: मैं कहाँ रहूंगी. कमरे में हूँ और अकेली हूँ और तुमसे बात कर के कविता से बात करने जाना है.
दीपू: ठीक है मैं वीडियो कॉल कर रहा हूँ और वीडियो कॉल करता है. वीडियो कॉल में दोनों दीपू और दिव्या को देख कर वसु भी उत्तेजित हो जाती है और अपने आप अपनी एक ऊँगली अपनी चूत पे रख कर पैंटी को हटाते हुए ऊँगली करने लगती है क्यूंकि scene ही कुछ ऐसा था. दिव्या की दोनों टांगें अपने कंधे पे रखते हुए दीपू दाना दान उसको ठोक रहा था.
दिव्या: देखो ना दीदी.. जब से आप गयी हो ये तो मुझे ठीक से बैठने और काम करने भी नहीं दे रहा है. दोपहर को आकर एक घंटे तक जम के चोदा और जब मैंने उसे कहा की मैं बहुत थक गयी हूँ और थोड़ा आराम करने दो तो वो माना नहीं और फिर से अभी देख रही हो ना.. पिछले आधे घंटे से लगा हुआ है. मैं थोड़ा थक गयी थी तो अभी मेरी चूत चाट रहा है और मैं भी उत्तेजित हो रही हूँ.

कुछ दिन पहले कुंवारी चूत थी तो अब तो इसे पूरा खोल ही दिया है. अब तक मैं चार बार झड चुकी हूँ लेकिन ये है की रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है.
दीपू; क्या करून माँ.. जब इतनी गदरायी हुई बीवी है और एक गदरायी हुई बीवी घर पे नहीं है तो ये तो होना ही था ना. वैसे आप कब आ रही हो? इस बार जब आओगी तो आपको सोने नहीं दूंगा. उस वक़्त दिव्या घर का काम करेगी तो मैं आप का काम करूंगा. समझ गयी न? वसु भी ये सब बातें और वीडियो देख कर बहुत गरमा जाती है और आँहें भरते हुए बात करती रहती है.
और हाँ दिव्या की चूत अभी भी टाइट है... पूरी तरह खुली नहीं है. एक महीने के अंदर थोड़ा और खुल जाएगा. वैसे भी अभी तो सिर्फ चूत ही थोड़ी खुली है. गांड भी बाकी है. उसको भी जल्दी ही खोलूँगा और माँ तुम्हे याद है ना... मैंने क्या कहा था. दीपू जब ये बात कहता है तो दिव्या वसु से पूछती है की दीपू ने क्या कहा है. वसु ये बात सुनकर शर्मा जाती है और उसका चेहरा एकदम लाल हो जाता है.
दिव्या: बताओ ना दीदी दीपू ने क्या कहा है आपसे?
वसु: तू चुप कर.. ये कुछ भी बकवास करता है.
दीपू ये बात सुनकर हस देता है और वसु से कहता है की मैं उसे बता रहा हूँ और धीरे से झुक कर दिव्या के कान में कहता है: मैंने तुम्हारी दीदी से कहा था की उसके जन्मदिन पे उसकी गांड मारूंगा और उसी तरह तुम्हारा भी जल्दी ही गांड खोल दूंगा. चिंता मत करो. दिव्या ये बात सुनकर अपनी आँखें बड़ी करती हुई वीडियो में वसु को देखती है तो वसु एकदम शर्मा जाती है और कुछ नहीं कहती.
दीपू वसु से: जैसे मैं दिव्या को चोद रहा हूँ वैसे ही तुम भी मुझे याद करते हुए अपनी चूत मसलो ना. मैं देखना चाहता हूँ.
वसु: छी तुम बहुत गंदे हो रहे हो. मैं नहीं करने वाली.
दीपू: फिर से थोड़ा नाटक करते हुए उदास मुँह बनाता है तो वसु के चेहरे पे हसी आ जाती है और दीपू को देखते हुए.. देख मैं क्या कर रही हूँ? २ उंगलियां अपनी चूत पे डालते हुए कहती है की तुम्हारे लंड को याद करते हुए मैं ऊँगली कर रही हूँ.
दीपू: ये हुई ना बात. ऊँगली करते हुए मेरे नाम पे झड जाओ. वसु भी ज़ोर ज़ोर से ऊँगली करते हुए पहली बार झड जाती और उसके चेहरे पे एक राहत दिखाई देता है.
दीपू वसु को ऐसा देखते हुए फ़ोन पे ही एक किस देता है जिसे देख वसु शर्मा जाती है.
ठीक उसी समय कविता को वसु से कुछ काम था तो वो उसके कमरे के पास आकर अंदर जाने की कोशिश करती है तो उसको फ़ोन की आवाज़ आती है. वो चुपके से अंदर देखती है तो वो भी बहुत उत्तेजित हो जाती है और वहीँ बाहर रह कर अपनी साडी के ऊपर से ही अपनी चूत मसलने लगती है और उन तीनो के बारे में सोचती रहती है.
वसु दिव्या से: मजे कर मेरे आने तक.
दिव्या: क्या मजे दीदी.. मुझे तो ये पूरा थका ही देता है. आजकल चलने में भी दिक्कत आ रही है. निशा देख कर हस्ती रहती है लेकिन कुछ नहीं कहती.
और ऐसे ही तीनो कामुक बातें करते हुए आधा घंटा तक बात करते है जिसमें वीडियो में ही दीपू वसु को दिखाते हुए दिव्या की चूत चाटता है और फिर दिव्या से अपना लुंड चुसवाता है और फिर उसको घोड़ी बना कर दाना दान पेलता है. वसु की बहुत उत्तेजित हो जाती है लेकिन फिर उसे याद आता है की उसे कविता से बात करनी है क्यूंकि वो कल ही वापस अपने घर जाने वाली थी. वसु ये भी बात भूल गयी थी की उसके दीपू को किस लिए फ़ोन किया था. लेकिन अपने मन में सोचती है की वो घर तो जा ही रही है तो सब के साथ बैठ कर बात कर लेगी.
वसु: चलो तुम लोग भी सो जाओ. रात बहुत हो गयी है. मुझे कविता के पास जाना है उनसे कुछ बात करने के लिए. बाहर खड़ी कविता ये बात सुनती है तो वो भी जल्दी से अपने आप को ठीक कर के अपने कमरे में चली जाती है.
वसु दीपू से कहती है की वो कल वापस आ जायेगी और उससे बहुत ज़रूरी बात करनी है. दीपू भी बात मान जाता है और फिर फ़ोन ऑफ कर देता है और दिव्या को चोदने लगता है.
दिव्या: जानू अब बस करो ना. मैं भी बहुत थक गयी हूँ. दीपू का भी होने वाला था तो वो भी २- ३ ज़बरदस्त झटके मारते हुए अपने लंड बाहर निकाल कर अपना रास उसे पीला देता है.
वसु भी फिर फ़ोन ऑफ कर के बाथरूम जाती है और अपनी ब्रा और पैंटी उतार कर एक nighty पहन कर कविता के कमरे की तरफ जाती है.
कविता के कमरे में:
कविता अपने कमरे में आकर बिस्तर पे लेट जाती है और अभी जो वसु के कमरे में जो हुआ था उसको याद करते हुए अपना हाथ अपनी चूत पे लगा के रगड़ती रहती है और बडबडी रहती है दीपू और वसु के बारे में. वो भी इतनी उत्तेजित हो गयी थी की अपने कमरे का दरवाज़ा पूरा ठीक से बंद नहीं करती और आकर बिस्तर पे ही लुढ़क जाती है और अपनी चूत मसलते रहती है.
वसु भी अब चल के कविता के कमरे के पास आती है और देखती है की दरवाज़ा खुला है. उसे लगता है की शायद कविता जाग रही है और वो अंदर जा कर उससे बात करेगी. जैसे ही वो कमरे में आती है तो सामने का नज़ारा देख कर थोड़ा चकित हो जाती है लेकिन साथ में उत्तेजित भी हो जाती है क्यूंकि इस वक़्त कविता भी अपनी दो उंगलियां चूत में दाल कर मस्ती में आंहें भर रही थी.
वसु उसको देख कर थोड़ा खास्ती है तो कविता की नज़र भी वसु पे पड़ती है और अपने आप को ठीक करती है.
वसु: मा जी क्या बात है? अकेले अकेले ही..
कविता: क्या करून... मैं तुमसे बात करने तुम्हारे कमरे में आयी थी लेकिन अंदर का नज़ारा देख कर मुझसे भी रहा नहीं गया. कविता की ये बात सुनकर अब वसु को भी आश्चर्य होता है.
वसु फिर धीरे से चल कर कविता के बिस्तर के पास आकर... मैं कुछ मदत कर दूँ?
कविता सवालिया नज़र से वसु को देखती है तो वसु उसकी उँगलियों को अपने मुँह में लेकर.. आपकी उंगलियां तो बहुत जायकेदार है तो असली चीज़ तो और अच्छा रहेगा.
वसु: लेकिन पहले मुझे आपके होंठों का रस पीना है. आपके होंठ बहुत लचकदार लग रहे है और ऐसा कहते हुए वसु कविता के ऊपर आकर अपने होंठ उसके होंठों से मिला देती है और किस करती है. कविता को पहले थोड़ा अजीब लगता लेकिन वो भी इस किस में घुल जाती है और दोनों फिर एक प्रगाढ़ चुम्बन में मिल जाते है. कुछ देर बाद..
वसु: आपके होंठ तो बहुत स्वादिष्ट है.. अपनी जुबां खोलो ना.. कविता ये सुनकर एकदम शर्मा जाती है लेकिन अपना मुँह खोल कर जुबां निकालती है तो वसु उसकी जुबां अपने मुँह में लेकर खूब चूसती है जिसमें कविता भी पूरा साथ दे रही थी और इसमें अब कविता को भी बहुत मज़ा आ रहा था और वो भी बड़ी शिददत से वसु की जुबां चूस रही थी.
५ min तक दोनों एक दुसरे के जुबां की लार एक दुसरे को पीला रहे थे और दोनों को भी बहुत मज़ा आता है. ५ min बाद..
वसु: आप तो बहुत अच्छे से चूमती हो.. मेरी पूरी जुबां अपने मुँह में ले लिया था. कविता कुछ शर्मा कर तुम भी तो बहुत अच्छे से चूमती हो. वैसे भी तुम्हे तो थोड़े दिन पहले ही प्रैक्टिस हो गयी होगी ना.. और ऐसा कहते हुए धीरे से हस देती है.
मनोज और मीना के कमरे में:
वहीँ बगल में मनोज और मीना का कमरा था जहाँ मीना मनोज की बाहों में थी और दोनों आज सुबह जो बातें वसु के साथ हुई थी उसके बारे में सोचते रहते है.
मनोज मीना से: तुम क्या चाहती हो?
मीना: मैं भी वही सोच रही हूँ मनोज. तुम्हारी क्या राय है?
मनोज: तुम जो निर्णय करोगी उसमें मेरी भी मंज़ूरी रहेगी.
मीना: जैसे दीदी कह रही थी उनको दीपू में बहुत confidence भी है क्यूंकि उनकी तो कुछ दिन पहले ही सुहागरात हुई थी.
मनोज: हाँ बात तो सही है. मीना मनोज की तरफ देखते हुए मुझे बहुत बुरा लगा जब लोग मुझे बाँझ कह रहे थे. मनोज: हाँ वो बात मैंने भी सुनी थी और मुझे भी अच्छा नहीं लगा.
मीना: मैं एक बार दीदी से फिर से बात करती हूँ लेकिन लगता है मुझे दीदी की बात माननी पड़ेगी.
मनोज: अगर तुम यही चाहती हो तो ठीक है.
मीना तुम्हे बुरा तो नहीं लगेगा ना.. की मैं तुम्हारे भांजे के साथ बिस्तर हो रही हूँ.
मनोज: शायद थोड़ा बुरा लगे लेकिन और कोई रास्ता भी तो नहीं है. तुम किसी को गोद नहीं लेना चाहती हो और माँ भी बनना चाहती हो. ठीक है मैं अपने आप को संभाल लूँगा. मेरी चिंता मत करो. बस इतना याद रखना की ये बात बाहर नहीं जाए और ये बात सिर्फ हमारे घर में ही रहेगी.
मीना: हाँ तुम्हारी बात भी सही है. मैं दीदी को हाँ करने से पहले इस बारे में भी बात कर लूंगी.
फिर दोनों कुछ और बातें करते है और सो जाते है. सोते वक़्त मीना के मन में दीपू ही बार बार आ रहा था. वो कितना तंदुरुस्त है दिखने में कितना सुन्दर है और वसु की बात सुनकर लगता है उसका लंड भी बहुत बड़ा है. ऐसे ही उसके बारे में सोचते हुए वो भी अपना एक हाथ चूत पे रख कर मसलती रहती है और २ मं बाद देखती है की उसका हाथ भी पूरे उसके चुतरस से भीगा हुआ है. वो दीपू को याद कर के ही झड गयी थी.
कविता के कमरे में:
वसु कविता के कान में: आपके होंठ का स्वाद तो बहुत अच्छा है.. लेकिन अभी और भी जगह है जहां का स्वाद मुझे चकना है.
कविता: तो रोका किसने है और चक लो ना.
वसु फिर कविता के कपडे निकल कर उसे भी पूरा नंगा कर देती हाय और फिर उसकी ठोस और कड़क हो चुकी चूची पे टूट पड़ती है. एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसते हुए.. आपके निप्पल तो एकदम तन गए है. कविता: तनेंगे ही ना.. पिछले १० min में हम दोनों एक दुसरे का रस पी रहे हाय तो मैं तो उत्तेजित हो जाऊँगी ना... क्यों तुम नहीं उत्तेजित हो क्या?
वसु: क्यों नहीं शायद आपकी तरह मेरी चूत भी एकदम गीली हो गयी है. उसका रस तो आपको चकाऊँगी ही लेकिन थोड़ी देर बाद. पहले मुझे अपना काम करने दीजिये और फिर वो उसकी चुकी पे टूट पड़ती है. ५ min तक बारी बारी से दोनों चूचियों को चूसने और काटने के बाद वो नीचे झुकती हाय और उसकी नाभि में अपनी जुबां दाल कर उसको भी चूमती है.
कविता से ये अब बर्दाश्त के बाहर था और वो पूरी तरह झड जाती हाय और उसका पानी वसु की जांघ पे भी गिर जाता है. वसु को ये अहसास होते ही हस देती हाय और उकसी नाभि को चूमती रहती है.
जब वो उसकी नाभि को चूमती हाय तो वो देखती हाय की उसके बगल में एक छोटा सा तिल है. उसको देख कर वसु मन में सोचती है... हाय रे... क्या देख रही हूँ? कहीं ये भी मेरी सौतन ना बन जाए. तभी तो मैं सोचूँ ये भी मेरी तरह इतनी चूड़ाकड कैसे है... ऐसा सोचते हुए वो कविता की तरफ देखती है और उसको देख कर हस देती है.
कविता वसु को देख कर एकदम शर्मा जाती है और पूछती है की वो क्यों हस रही है. वसु कुछ नहीं कहती और फिर चूमते हुए उसकी मस्त ठोस और थोड़ा भारी जांघ को चूमती और काटती है.
कविता: aaahhh…ooohhh…ooouuucchh…. करते हुए धीरे से चिल्लाती है लेकिन उसे पता था की बगल के कमरे में मीना और मनोज है तो वो खुद ही अपना हाथ अपने मुँह पे रख कर उसकी आवाज़ को दबा देती है.
वसु: आखिर में उसके रस से लबालब उसकी चूत को देखती है जो पूरी भीगी हुई थी और एकदम साफ़ और चिकना दिख रही थी.
वसु कविता की तरफ देख कर.. इतनी प्यारी चूत... अब तक आप इसे कहाँ छुपा रखी थी और ऐसा कहते हुए उसकी चूत को पूरा ऊपर से नीचे तक चाट लेती है और कविता भी अपना हाथ वसु का सर पकड़ कर अपनी चूत पे रख देती है क्यूंकि कविता भी बहुत चुदास हो गयी थी और उसे भी राहत चाहिए था
.
वसु अपनी जुबां उसकी लाल और रस छोड़ती हुई चूत के अंदर दाल कर अच्छे से चूसती है और कविता भी अपने दोनों हाथों को चादर से थाम लेती है. उससे फिर से रहा नहीं जाता और फिर से एक और बार झड जाती है. वसु अपना काम जारी रखती है और इस बार अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में दाल कर अंदर बाहर करती रहती है और साथ ही उसकी चूत को भी चूसती रहती है. एक ऊँगली उसकी गांड में डालने की कोशिश करती है तो कविता मन कर देती है तो वसु फिर उसकी चूत में ही उंगलियां करती है.
कविता फिर से एक और बार झड जाती है तो वसु उसका पूरा रस पी कर फिर से ऊपर आकर कविता को चूमती है.
वसु: कैसा लगा आपका रस? कविता उसको देख कर कुछ नहीं कहती तो वसु कहती है अब मेरी बारी... और कविता को अपनी चूचियों पे उसका सर दबा देती है.
कविता ये पहली बार कर रही थी लेकिन जैसे कुछ देर पहले वसु के किया था वो भी वैसे ही करती है और वसु की चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसती है. वसु भी उसका सर अपनी चूचियों पे दबा कर आंहें भर्ती है. कविता भी वसु की तरह उसके पूरे बदन को चूम कर उसकी टांगों के बीच आती है और देखती है की उसी की तरह वसु की चूत भी एकदम भीगी और साफ़ चिकना है.
कविता: तुम्हारी चूत भी मेरी तरह ही है. वसु जान भूझ कर कविता की और देख कर धीरे से कहती है... दीपू को ऐसे ही पसंद है. कविता ये बात सुन कर एकदम शर्मा जाती है की उसने वसु से क्या पूछ लिया है.
कविता भी अब मस्ती में वसु की चूत चूसती है और ५ min के अंदर वसु भी झड जाती है. वसु से अब रहा नहीं जाता तो वो कविता से कहती है की उसे उसकी चूत फिर से चाटनी है. कविता को समझ नहीं आता तो वसु कहती है... आप मेरी चूत चूसिये और मैं आपकी. और फिर दोनों ६९ पोजीशन में आकर दोनों एक दुसरे का रस निकल निकल कर पीते है और दोनों एक दुसरे को आनंदित करते है. ५- १० min बाद दोनों जब कई बार झड जाते है तो दोनों भी थक जाते है और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगते है.
वसु कविता को अपनी बाहों में लेकर.. क्यों माँ जी मज़ा आया क्या? कविता वसु को देख कर.. अब तो मुझे माँ जी मर कह.. और वैसे भी हम दोनों की उम्र लगभग एक ही है.. तो तू मुझे मेरे नाम से बुला. मुझे भी अच्छा लगेगा. वसु: ठीक है माँ जी.. और हस्ते हुए.. ठीक है कविता.
कविता: ऐसा मैंने पहले कभी नहीं किया था लेकिन तुम्हारे साथ कर के मुझे बहुत अच्छा लगा और मुझे उसकी ज़रुरत भी थी. मैं भी बहुत दिनों से तड़प रही हूँ और जब तुम्हारी फिर से शादी हो गयी और सुहागरात हुई तो एक तरह से मैं तुमसे थोड़ी जली की मेरी उम्र की हो कर फिर से शादी कर ली और मजे कर रही हो. वसु ये बात सुनकर हस देती है और कहती है की चिंता मत करो... जल्दी ही तुम्हारी भी शायद शादी हो जाए और क्या पता तुम भी मजे करो. वसु जब ये बात कहती है तो कविता उसकी तरफ सवालिया नज़र से देखती है तो वसु कुछ नहीं कहती. २ min बाद वसु कहती है: सुनो कविता मुझे तुमसे एक बात केहनी है. पता नहीं तुम क्या सोचोगी लेकिन तुम्हे बताना ज़रूरी है और शायद मंज़ूरी भी. कविता एकदम से उसकी तरफ देखती है तो वसु कहती है...
वसु: आज सुबह मैंने मनोज और मीना से बात की है जो तुमने मुझे बताया था.
कविता: क्या कहा उन दोनों ने?
वसु: मीना एकदम दुखी है की वो अब तक माँ नहीं बन पायी और लोग उसे ताने मार रहे है.
कविता: ये बात तो सही है. अब क्या कर सकते है? मनोज से शायद हो नहीं पा रहा है और वो किसी बच्चे को गोद भी नहीं लेना चाहती.
वसु: ठीक कहा तुमने. मैंने भी इस बारे में बात की और उनको एक उपाय बताया है. वही मैं तुमसे बात कर के तुम्हारी इच्छा जानना चाहती हूँ.
कविता: कौनसी बात?
वसु: बात ये है की मैंने उन दोनों को दीपू के बारे में बताया है और ऐसा कह कर वो रुक जाती है और कविता की तरफ देखती है. कविता को कुछ समझ नहीं आता तो तो पूछती है की क्या बताया है दीपू के बारे में?
वसु: तुम्हे तो पता है.. कुछ दिन पहले ही हमारी सुहागरात हुई है.. और कविता की तरफ देख कर.. उसका बहुत दमदार है और बहुत बड़ा भी है और धीरे से कविता के कान में.. उसका बहुत लम्बा और मोटा है ..मुझे और दिव्या को उसने खूब मस्त चोदा और हमें इतना मज़ा आया की मैं बता नहीं सकती. उसका लंड तो मेरी बच्चेदानी तक जा रहा था. लेकिन बात वो नहीं है.
कविता थोड़ा आश्चर्य से देख कर: तो बात क्या है?
वसु: बात ये है की हमने अब तक जितनी बार भी मिले है हमने हर बार उसका माल मुँह में लिया है. कहने की बात है की उसका माल बहुत गाढ़ा है और अगर वो हमारे अंदर ही छोड़ता तो शायद हम दोनों जल्दी ही प्रेग्नेंट हो जाते. मैं चाहती हूँ की मीना भी दीपू के साथ.. और ऐसा कह कर वसु फिर से रुक जाती है.
कविता अपना मुँह खोले वसु को देखती है जब उसे वसु की बात समझ आती है. वसु कविता को देख कर हाँ कहती है.
कविता: तुम सोच समझ कर तो बात कर रही हो ना? अगर दुनिया वालों को पता चलेगा तो लोग क्या कहेंगे?
वसु कविता की तरफ देख कर उसके होंठ चूमते हुए और एक चूची को ज़ोर से दबाते हुए.. हम दोनों अभी मिले है और शायद आगे भी मिलेंगे.. तो क्या दुनिया को पता है क्या? बात घर पे ही रहेगी और किसीको पता भी नहीं चलेगा और मीना को माँ बनने का सुख भी मिलेगा और उसे ताने भी सुनने को नहीं मिलेगा.. तुम क्या कहती हो? कविता: तुम्हारी बात भी सही है. तुमने मीना से बात की है क्या?
वसु: हाँ मैंने दोनों से बात की है और अभी इसीलिए तुमको भी बोल रही हूँ. वो मुझे कल सुबह जाने से पहले बता देंगे.
कविता: तुम्हारी बात तो ठीक है लेकिन ये कब और कैसे होगा?
वसु: तुम उसकी चिंता मत करो. २ महीने बाद निशा की शादी है... तुम सब तो आओगे ना... उसी वक़्त हम इसके बारे में सोचेंगे.
कविता: ठीक है. ये भी अच्छा है.
कविता: अगर वो दोनों राज़ी है तो फिर उनकी इच्छा है. मुझे भी कोई दिक्कत नहीं है. वैसे तुमने मेरी चूची को बहुत ज़ोर से मरोड़ा है और हस देती है.
वसु: तुम जैसी गदरायी घोड़ी को ऐसे ही मरोड़ना और पेलना है तभी तुमको संतुष्टि होगी. वैसे हम तो मिलते रहेंगे लेकिन मुझे लगता है तुम्हे भी जल्दी ही लंड की ज़रुरत पड़ने वाली है.
कविता: हाँ सही कहा लेकिन कैसे?
वसु उसकी तरफ देख कर कुछ नहीं कहती जैसे आँखों से इशारा कर रही हो की वो कुछ करेगी इसके बारे में.
चलो रात बहुत हो गयी है. मैं अपने कमरे में जाती हूँ और कल सुबह जाने से पहले मिलती हूँ तुमसे. हाँ एक और बात.. जब हम दोनों अकेले में रहेंगे तो ऐसी बातें करेंगे लेकिन बाकी सब के सामने तुमको मैं माँ जी ही कह कर बुलाऊंगी. ठीक है?
कविता: ठीक है.
वसु भी उठती है और जाने से पहले एक बार फिर से दोनों एक दुसरे को चूमते है और होंठों का रस फिर से आदान प्रदान करते है.
वसु: तुम्हारे होंठ को छोड़ने का मन नहीं करता.
कविता: मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल है.
वसु: चलो मैं निकलती हूँ और अपनी nighty पेहेन के अपनी गांड मटकाते हुए और अपने चेहरे पे एक हसी के साथ अपने कमरे में चली जाती है मन में ये सोच के की जिस काम के लिए वो यहाँ आयी थी... वो काम हो गया है……
Mast update hai brother
Chalo Meena aur Manoj man gaye hain Dipu sa bacha Lena ka liye dekhta hai aage kya hoga Dipu kya manega iska liye , aur bich main Dipu , Vasu aur Divya ka beech ki chudai mast ekdam , Dipu toh ab apni biwi ko pyaar main pagal karne lag gaya hain.
Aur jald hi woh apni dono biwi ki gaand ki seal packed ched bhi kholega.
Akhir main Vasu aur Kavita ka beech ka lesbian sex mast ekdam , Kavita bhi bina lund ka tadap rahi hain , Vasu jab Kavita ka pair par til dekhti hain toh woh samjh jati hain ki Kavita bhi jald sayd Dipu ki biwi banegi lekin dekhta hai ki ye hoga kaisa aur uska saath saath Aur kon kon Hain jo Dipu sa apna bacha lega ya fir Dipu ki biwiyan banegi.
Intezaar rahega next update ka
