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Incest मेरी बीवियां, परिवार..…और बहुत लोग…

Ek number

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17th Update
सुबह जब दीपू घर से निकलता है तो उसके जाने के कुछ देर बाद वसु को कविता का फ़ोन आता है...

अब आगे ..

जब दीपू घर से निकल जाता है तो वसु को कविता का फ़ोन आता है. दोनों फिर ऐसे ही हाल चाल की बात करते है और फिर कविता वसु से पूछती है की एक बार वो उनके घर आ सकती है क्या. (कविता अभी भी मीना के पास ही थी. वो अब तक अपने घर नहीं गयी थी)

वसु: क्यों क्या हुआ माँ जी जो मुझे आप बुला रहे हो? कुछ दिन पहले ही तो हम वापस आये है.

कविता: मैं जानती हूँ...लेकिन बात ऐसी है की मैं फ़ोन पे तुम्हे नहीं बता सकती. वसु को थोड़ा चिंता होती है तो पूछती है: वहां सब ठीक तो है ना?

कविता: हाँ ऐसा सोच सकती हो.

वसु: तो फिर मुझे क्यों बुला रही हो वहां पर?

कविता: एक बार तुम आ जाओ... मैं तुम्हे फिर सब बताती हूँ.

वसु: माँ पिताजी ठीक है ना? उनकी तबियत कैसी है?

कविता: माँ पिताजी सब ठीक है.. मैं तुम्हे और कोई काम के लिए बुला रही हूँ. वसु फिर सोचती है और कहती है की वो घर में बात कर के कुछ देर बाद उन्हें फ़ोन कर के बताएगी.

दिव्या को बुलाती है और कहती है की कविता का फ़ोन आया है और उसे उनके घर जाना है. दिव्या भी थोड़ा चिंतित हो जाती है और पूछती है की सब ठीक तो है ना? वसु कहती है माँ पिताजी ठीक है लेकिन और कुछ बात करने के लिए बुलाई है.

दिव्या: वो बात फ़ोन पे नहीं हो सकती है क्या?

वसु: मैंने भी यहीं बात पूछी थी तो उन्होंने कहा था की बात फ़ोन पे नहीं हो सकती है और खुद मिलकर बात करना चाहती है. मैं एक बार उनसे मिलकर आती हूँ.

दिव्या: हाँ जाओ... क्या पता कुछ हुआ है क्या वहां पर.

वसु: ठीक है.. लेकिन एक बार दीपू से भी बोल देती हूँ.

वसु फिर वसु दीपू को फ़ोन करती है और उसे बताती है की उसे अपने माँ के घर जाना है और कविता से फ़ोन पे हुए बाते बताती है. दीपू काम कर रहा था तो वसु से बात करने के लिए बाहर आता है.

दीपू: जाना ज़रूरी है क्या? मैं तो घर आने के लिए तड़प रहा हूँ.

वसु को ये बात समझ आती है लेकिन हलकी मुस्कान के साथ पूछती है की ऐसा क्यों तड़प रहे हो?

दीपू भी फिर ऐसे ही मस्ती के साथ कहता है: मैं नहीं मेरा छोटा यार और तुम्हारी मुनिया तड़प रही है. सही कहा ना? अगर आप चले जाओगे तो आपकी मुनिया रो देगी.

वसु भी हस्ते हुए: सही कहा लेकिन जाना ज़रूरी है. मेरी मुनिया तो तडपेगी लेकिन आज के लिए दिव्या की मुनिया के आंसूं को पोछ दो. वो भी खुश हो जायेगी.

दीपू: ठीक है अगर आप कहती है तो मैं आपको मन तो नहीं कर सकता है.

वसु भी मस्ती में: मेरे छोटे राजा को बोलो की थोड़ा सबर करे. मैं आने के बाद उसकी अच्छे से ख्याल रखूंगी.. और फिर थोड़ा सीरियस होते हुए कहती है की उसे जल्दी ही निकल जाना चाहिए वरना देर हो जायेगी.

दीपू: हाँ सही कहा आपने. निकल जाओ और वहां जा कर फ़ोन करना. अगर ज़रुरत पढ़ा तो मैं भी आ जाऊँगा.

वसु: ठीक है.

वसु फिर दिव्या को बताती है की उसने दीपू से बात कर ली है और वो निकल रही है. वसु तैयार हो कर निकलने से पहले दिव्या को कमरे में बुला कर कहती है..उसको धीरे से कहती है मैं जा रही हूँ..१-२ दिन में आ जाऊँगी और दीपू का ख्याल रखना.

दिव्या: ये भी कोई पूछने वाली बात है क्या? वो तो अब हम दोनों का पति है तो मैं उसका ख्याल रखूंगी ही ना. वसु: अरे पगली और दिव्या को खींच कर अपनी बाहों में लेते हुए ख्याल मतलब ये और ऐसा कहते हुए दिव्या की साडी के ऊपर से उसकी चूत को मसल देती है और कहती है आज तेरी मुनिया को समझा दो की आज उसकी बजने वाली है और हस देती है.

दिव्या: आप भी ना.. आप जा रही हो तो मुझे और मेरी मुनिया को ही दीपू का ख्याल रखना पड़ेगा ना और शर्मा कर अपनी नज़रें खुआ लेती है.

वसु: अब हम दोनों के बीच शर्म कैसी? जब उसने हम दोनों को किस करने को कहा तो तुझे अच्छा नहीं लगा क्या? दिव्या: मुझे तो बहुत अच्छा लगा. पहली बार था लेकिन..

वसु: चल मैं चलती हूँ. बस और ऐसा कहते हुए वसु दिव्या की गांड दबा देती है और कहती है की इसका ख्याल रखना. कहीं वो ये दरवाज़ा भी ना खोल दे.

दिव्या: यहीं तो डर है दीदी. लेकिन मैं संभाल लूंगी. आप चली जाओ. वसु फिर दिव्या को देखते हुए उसके होंठ चूम लेती है जिसमें दिव्या भी साथ देती है और दोनों एक गहरी किस लेकर एक दुसरे की गांड दबाते हुए अलग हो जाते है.. वसु फिर अपने घर के लिए निकल लेती है.

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जब दीपू को पता चलता है की वसु घर पे नहीं है और सिर्फ दिव्या ही है तो उसे भी थोड़ी ठरक चढ़ती है और वो दिनेश से कहता है की उसे घर में कुछ काम है और वो आज जल्दी जाना चाहता है. दिनेश भी अपने काम में लगा रहता है तो हाँ कह देता है.

वहीँ निशा को पता चलता है की उसकी माँ भी उनके घर गयी है तो वो भी दिनेश से मिलने की सोचती है और दिनेश को फ़ोन कर के उसे कॉफ़ी के लिए बुलाती है. दिनेश भी निशा का फ़ोन देख कर एकदम खुश हो जाता है और उससे मिलने के लिए वो भी अपने ऑफिस से चला जाता है.

दीपू अपना काम जल्दी ख़तम कर के दिव्या से कहता है की वो घर आ रहा है तो दिव्या भी समझ जाती है और फिर वो भी अपना काम कर के थोड़ा तैयार हो जाती है.

दीपू जब घर आता है तो देखता है की दिव्या एक सेक्सी अदा में कड़ी हो कर उसका ही इंतज़ार कर रही थी. दीपू दिव्या को देखता है तो उसी वक़्त उसका लंड एकदम तन जाता है जो की उसके पैंटमें भी दिख रहा था क्यूंकि दिव्या उतनी ही ज़्यादा सेक्सी लग रही थी.

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दीपू दिव्या को देख कर दरवाज़ा बंद कर के कहता है: जानू तुम तो आज मेरी जान ही ले लोगी. इतनी क़यामत लग रही हो.

दिव्या: वो भी फुल मूड में आकर (क्यूंकि निशा घर में नहीं थी) तुम्हारी जान तो नहीं लेकिन और कुछ लेना चाहती हूँ इसीलिए तो ऐसे तैयार हुई हूँ क्यूंकि मुझे पता है तुम मुझे ऐसे ही देखना चाहते हो.

दीपू: एकदम सही कह रही हो मेरी जान और जा कर दिव्या को अपनी बाहों में लेकर उसके होंठ पे टूट पड़ता है. दिव्या भी उसका साथ देती है और दोनों एक दुसरे का रास पीने में लग जाते है. दीपू भी अपनी जुबां उसके मुँह में दाल देता है तो दिव्या भी अपना मुँह खोल कर उसकी जुबां को अंदर ले लेती है और दोनों एक मस्त French Kiss में डूब जाते है. दीपू उसको किस करते हुए अपना एक हाथ उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूची को दबाने लग जाता है.

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दिव्या भी मस्त हो जाती है और वो भी आँहें भरने लगती है लेकिन उसकी आवाज़ दीपू के मुँह में ही डाब जाती है. दीपू फिर दिव्या को कमरे में ले जाकर बिस्तर पे बिठाते हुए फिर से उसे किस करने लग जाता है. दिव्या को अब उसका मुँह दुखने लगता है तो कहती है: जानू अब मेरा मुँह दुःख रहा है.

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दीपू: अभी तो तुम्हारा मुँह ही दुःख रहा है लेकिन थोड़ी देर बाद और भी कुछ दुखेगा और ऐसा कहते हुए अपना हाथ उसके पेट पे रखते हुए उसकी नाभि को मसल देता है.

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अब दिव्या भी सिसकियाँ लेना शुरू कर देती है और आहह ओहह करते हुए आवाज़ निकालती है लेकिन दीपू कहाँ मानने वाला था. देखते ही देखते दीपू दिव्या की ब्लाउज और ब्रा निकल कर उसे ऊपर से नंगा कर देता है और उसकी मस्त उभरी हुई चूचियों पे टूट पड़ता है. एक को मुँह में लेकर चूसता है तो दुसरे को अपने अंघूठे से दबाता है और उसके निप्पल को भी मरोड़ता है. दिव्या को भी इसमें बहुत मजा आ रहा था.

दिव्या: ओह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह्ह..जानू ऐसे ही चूसो ना... अच्छा लग रहा है और दीपू का सर अपने चूचियों पे दबा देती है.

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और ५- १० मं तक ऐसे ही चूसने और चाटने और काटने के बाद जब दिव्या के निप्पल में दर्द होता है तो कहती है: जानू थोड़ा दर्द हो रहा है. आराम से पियो ना.. कहीं नहीं भाग रहे है.

दीपू: मैं जानता हूँ जानू.. लेकिन क्या करून.. जब इनको देखता हूँ तो रहा नहीं जाता.. क्यों तुम्हे मजा नहीं आ रहा है क्या?

दिव्या: मजा तो बहुत आ रहा है लेकिन थोड़ा दुःख भी रहा है.. और तुम्हे तो और भी जगह है जहां तुम्हे और मजा आएगा.

दीपू: दिव्या को देख कर कहाँ?

दिव्या: तुम्हे पता नहीं है क्या?

दीपू: मुझे पता है लेकिन मैं तुम्हारे मुँह से सुन्ना चाहता हूँ. मैंने क्या कहा था? यहाँ जब हम बिस्तर पे होंगे तो कोई शर्म नहीं. तो बोलो और कहाँ मजा आएगा मुझे? दिव्या भी अब दीपू की आँखों में देख कर थोड़ा आगे आते हुए उसके कान में कहती है.. तुम्हे मेरी चूत में और मजा आएगा. बहुत रो रही है तुम्हारे ध्यान के लिए.

दीपू: ये हुई ना बात और ऐसा कहते हुए दीपू दिव्या की साडी और पेटीकोट निकाल देता है. दिव्या अब सिर्फ एक छोटे पैंटी में रह जाती है और जैसे वो कहती है उसकी पैंटी एकदम गीली थी.

दीपू फिर दिव्या की गीली पैंटी पे अपनी जुबां रख कर उसको चाट लेटा है. दिव्या भी एकदम उत्तेजित हो जाती है और उसे पता था की अब घर में और कोई नहीं है तो ज़ोर से चिल्लाने और चीकने लगती है क्यूंकि वो भी पूरी उत्तेजित हो गयी थी. उसे इस वक़्त कोई डर नहीं था की उसकी आवाज़ कोई सुन लेगा. ओह्ह्ह रुको मत ... ओह्ह्ह्ह उम्ममम..

दीपू को भी मज़ा आ रहा था तो वो दिव्या की पैंटी उतार फेंकता है जिसमें दिव्या भी उसकी मदत करती है क्यूंकि वो भी अब खुल कर मज़ा लेना चाहती थी और अपनी गांड उठा कर आँखों से दीपू को कहती है की पैंटी निकल दे. अब दीपू की आँखों के सामने दिव्या की एकदम चिकनी और गीली चूत थी जो दीपू को एकदम उकसा देती है और दीपू भी बिना समय गवाए उस पर टूट पड़ता है और ऊपर से नीचे तक उसकी चूत चाटने में लग जाता है. अपनी जुबां उसकी गीली हुई चूत के अंदर डाल कर अच्छे से चाटने लग जाता है

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दिव्या भी आंहें भरते हुए अपनी गांड उठा के अपनी चूत दीपू के मुँह में देती है और उसी तरह से अपना हाथ दीपू के सर के ऊपर रख कर उसे अपनी चूत में दबा देती है.

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दिव्या जब दीपू की जीब अब अपनी चूत पे महसूस होता है तो जोर से आह करते हुवे बिस्तर को पकड़ लेती है

दिव्या भी मदहोशी में बड़बड़ाते: हाँ ऐसे ही मेरी चूत खा जाओ. इसी मस्ती में दिव्या भी काफी बार झड़ जाती है और अपनी पानी काफी बार निकल देती है जिसे दीपू बड़े चाव से पी जाता है.

दिव्या झड़ कर जब पस्त हो जाती है और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगती है और उसी के साथ दिव्या के चूचे भी उपर नीचे हो रहे थे. दीपू भी अपना चेहरा उसकी चूत से हटा कर ऊपर आता है तो दिव्या भी समझ जाती है और उसके होंठ चूम लेती है क्यूंकि दिव्या को पता था की दीपू उसे अपनी चूत रास का स्वाद दिलाना चाहता था.

दिव्या भी दीपू के मुँह से अपना स्वाद लेती है और उसे चूम के कहती है.. अब ठीक?

दीपू: तुम तो बड़ी समझदार हो गयी हो. तुम्हे भी पता था की मैं ऊपर क्यों आया. चलो अब तुम्हारी बारी है और अपने लंड को दिव्या के मुँह के पास ले आता है तो दिव्या उसे देख कर समझ जाती है उसके लंड को पहले अपने मुट्ठी में लेती है और हिलाने लगती है.

५ min तक ऐसे ही हिलाती रहती है और दीपू का लंड भी अब थोड़ा खड़ा हो जाता है.

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दीपू: सिर्फ हिलती ही रहोगी क्या? उसे चूमो चाटो और मुँह में लेकर मुझे भी मजे दो ना.

दिव्या: हाँ मुझे भी पता है. थोड़ा सबर तो करो और फिर दीपू की आँख में देखते हुए उसका लंड को चूमते हुए मुँह में लेती है. पहले धीरे लेकिन आहिस्ता आहिस्ता पूरा मुँह में ले लेती है. जब दीपू का लंड पूरा मुँह में ले लेती है तो दीपू को भी मजा आता है और अपना हाथ दिव्या के सर के पीछे रख कर अपने लंड को एक धक्का मारता है तो पूरा लंड दिव्या के मुँह में चला जाता है. दिव्या ने ऐसा सोचा नहीं था और जब पूरा लंड उसके मुँह में चला जाता है तो वो थोड़ा खास्ती है और कहती है इतना ज़ोर के धक्का क्यों लगा रहे हो और उसके आँख से पानी आ जाता है.

दिव्या: तुम मेरी जान लेने वाले हो क्या? देखो पूरा गले पे लग रहा है और थोड़ा दर्द भी हो रहा है.

दीपू जब देखता है तो उसे उसकी गलती का एहसास होता है और कहता है सॉरी यार तुमने इतना अच्छे से लिया था तो मुझ से रहा नहीं गया.. इसीलिए एक बार में ही पूरा डाल दिया. अब दीपू धीरे धीरे लेकिन प्यार से उसके लंड को आगे पीछे करता है. इसमें दोनों को मजा आता है और ५- ७ min के बाद जब लगता है की दीपू भी झड़ने के करीब है तो अपना लंड उसके मुँह से निकाल लेता है..

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दीपू: चलो जानू तैयार हो जाओ जन्नत की सैर करने के लिए. तुमने अब तक मुझे जन्नत की सैर कराई थी तो अब तुम्हे सैर कराना मेरा भी फ़र्ज़ है और फिर दीपू दिव्या को बिस्तर पे सुला कर उसके पेअर को अपने कंधे पे रखते हुए दिव्या को देखते हुए लंड को चूत पे रख कर एक ज़बरदस्त शॉट मारता है तो उसका ८ इन का पूरा तना हुआ लंड एक बार में ही उसके जड़ तक चला जाता है.

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दिव्या की आंखें थोड़ी बाद हो जाती है दर्द के मारे लेकिन दीपू को पता था तो इसिलए वो झुक कर दिव्या के होंठ चूम लेता है और दिव्या की आवाज़ गले में घुट कर ही रह जाती है.

दीपू: हो गया जानू... तुम्हे जो दर्द होना था अब हो गया है. अब मजे ही मजे होंगे. दिव्या को अभी भी दर्द हो रहा था तो वो अपनी दोनों मुट्ठियाँ बिस्तर पे चादर को पकड़ लेती है.

इतने में ही दिव्या एक बार फिर से झड़ जाती है और उसका पानी निकल जाता है. उसका फायदा दीपू को होता है की चूत के पानी निकलने से अब उसका लंड चूत में बड़े आराम से चला जाता है और फिर ऐसे ही दीपू मस्त दाना दान पेलने लगता है दिव्या को. दिव्या को भी अब दर्द काम हो गया था और उसे भी अब मजा आने लगता है.

दिव्या: जानू मेरे पाँव दुःख रहे है. दीपू फिर उसका लंड निकल कर बिस्तर से उठ जाता है.

दिव्या: मैंने तो सिर्फ अपने पाँव नीचे रखने को कहा था. अभी ही मुझे मजा आ रहा है तो तुम बिस्तर से क्यों उठ गए? दीपू हस्ता है कहता है तुम भी उठ जाओ. आज कुछ नया करते है. दिव्या को समझ नहीं आता तो वो भी उठ जाती है. फिर दीपू दिव्या को पकड़ कर उसको चूमते हुए उसका एक पाँव को उठा कर खड़े खड़े ही लंड चूत में डाल कर पेलने लगता है. दिव्या को भी इस पोज़ में मजा आता है और दीपू की तरफ देख कर हस देती है. दीपू ऐसे ही दिव्या को ठोकते रहता है और दिव्या फिर से झड़ जाती है और अब पानी उसकी जांघ पे भी गिर जाता है.

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दिव्या: जानू मैं फिर से झड़ गयी हूँ. तुम्हारा हुआ नहीं है क्या?

दीपू: कहाँ जान इतनी जल्दी कैसे? तुम जैसे गदराये घोड़ी को एक घंटे तक ना पेलून तो फिर मजा क्या है? दीपू फिर दिव्या को घोड़ी बना देता है और दिव्या अपना हाथ दीवार पे रख कर झुक जाती है और दीपू घोड़ी के पोज़ में फिर शुरू हो जाता है. इस सब में पूरे कमरे में फच फच की आवाज़ें आती रहती है. उनकी किस्मत अच्छी थी की घर में इस वक़्त निशा नहीं थी वर्ण उसे पता चल जाता. ५- १० min तक ऐसे ही घोड़ी बना कर छोड़ने के बाद दीपू भी कहता है की उसका होने वाला है तो दीपू कहती है फिलहाल बाहर ही निकालो. दीपू भी मान जाता है और फिर आखिर में ४- ५ ज़बरदस्त झटके मारने के बाद अपना लंड निकल लेता है और दिव्या की गांड के ऊपर ही अपना पूरा माल निकल देता है. दोनों अब बहुत थक चुके थे क्यूंकि दोनों की चुदाई ऑलमोस्ट १ घंटा चलता है जहाँ दीपू दिव्या को अलग अलग स्टाइल में चोदता है और फिर दोनों बिस्तर पे गिर जाते है और दिव्या दीपू की बाहों में सर रख कर एकदम सुकून पाती है.

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दिव्या: जानू तुम तो एकदम पूरा जान ही निकल देते हो.

दीपू: क्यों तुम्हे मजा नहीं आता क्या? दिव्या दीपू को देख कर उसके होंठ चूमते हुए नहीं बहुत मजा आता है लेकिन थक भी जाती हूँ.

दीपू: उसी थकन में तो मजा भी है ना.. और दिव्या दीपू को देख कर हस्ते हुए उसके सीने में थपकी मारती है. दोनों बहुत थक गए थे तो दोनों की आँख लग जाती है.

नानी के घर:

वसु २- ३ घंटे में बस के सफर में अपने गाँव पहुँच जाती है और फिर अपने माँ बाप के घर चले जाती है. उसकी माँ वसु को देख कर पूछती है की फिर से कैसे आना हुआ? वसु कुछ बहाना बनाती है और कहती है की वो कुछ काम से बाहर आयी थी तो उसी के चलते मैं आप से भी मिलने आ गयी. अब आप और बाबा की तबियत कैसी है? माँ: हम ठीक है बीटा. तू और दिव्या को खुश हो ना? वसु अपनी माँ को गले लगा कर.. एकदम खुश है माँ.. आप हमारी चिंता मत करो और अपनी और बाबा की तबियत का ख्याल रखना. ठीक है? उसकी माँ भी हाँ में सर हिला देती है

वसु: मीना और माँ जी दिख नहीं रहे है?

माँ: वो दोनों अपने कमरे में होंगे. तेरे बाबा तो सो गए.. मैं भी सोने जा रही हूँ.

वसु: हाँ आप सो जाओ. मैं उनसे मिल लेती हूँ. शाम को चाय पीते वक़्त बाबा से भी मिल लूंगी..

वसु फिर कविता के कमरे में जाती है तो अपने सोच में डूबी रहती है. वसु को देख कर वो भी उसे मिलने आती है और प्यार से गले मिलती है.

वसु: तो कहिये माजी क्यों बुलाया है? ऐसी क्या बात है की बात फ़ोन पे नहीं हो सकती थी.

कविता: बैठो बेटी बताती हूँ. २- ३ दिन पहले मनोज और मीना ऑफिस के एक पार्टी में गए थे... और फिर वहां पर जो भी हुआ कविता वसु को बताती है. मीना बहुत परेशान और दुखी में है. उसे समझ नहीं आ रहा है की वो क्या कर सकती है और आज कल तो बहुत रो भी रही है.

वसु पूरी बात सुन कर: हाँ उसके साथ तो अच्छा नहीं हुआ है. अभी वो कहाँ हैं और मनोज कहाँ है?

कविता: मीना तो अपने कमरे में सो रही है और मनोज ऑफिस गया है. वसु: ठीक है उसे सोने दो. शाम को मैं दोनों से बात करती हूँ. मुझे भी जल्दी जाना होगा क्यूंकि अब दीपू भी काम करने लगा है.

कविता: तुम्हारा चेहरा तो काफी खिला खिला लग रहा है. तुम को खुश हो ना? वसु भी कविता की बात पे हस देती है और कहती है की वो और दिव्या दोनों खुश है. दोनों फिर ऐसे ही कुछ और बातें करते है और फिर वसु भी वहीँ कविता के कमरे में सो जाती है.

शाम को सब उठते है और बैठ कर बाते करते रहते है...मीना वसु को देख कर आश्चर्य हो जाती है क्यूंकि उसे पता नहीं था की वसु वहां उनके घर आ रही है. वसु अपने पिताजी से भी मिलती है और उनसे भी बात करती है. वैसे ही कुछ देर बाद मनोज भी ऑफिस से आ जाता है और वो भी वसु को देख कर आश्चर्य हो जाता है. सब फिर फ्रेश हो कर चाय पीते हैं और फिर वसु मनोज और मीना को इशारे से ऊपर छत पर आने को कहती है. दोनों मनोज और मीना एक दुसरे को देखते है और फिर वो भी छत पे चले जाते है. शाम का वक़्त था.. सूरज ढल रहा था और अच्छी ठंडी हवा भी चल रही थी. जब तीनो छत पे होते है तो दोनों एक दुसरे को देख कर वसु से पूछते है की उन्हें यहाँ क्यों बुलाया है.

वसु फिर दोपहर को कविता से हुई बात बताती है और मनोज से पूछती है की बात क्या है. मनोज थोड़ा झिझकता है तो वसु कहती है की डरो मत मैं तुम दोनों की मदत करने आयी हूँ. अगर मेरे से कुछ हो सकता है तो मैं तुम दोनों की परेशानी दूर करने की कोशिश करूंगी.

मनोज फिर पार्टी में जो हुआ वो बताता है और कहता है की जब से उसका एक्सीडेंट हुआ है वो मीना पे ज़्यादा "ध्यान" नहीं दे पा रहा है.

वसु: तो तुम इसका इलाज क्यों नहीं करवाते?

मनोज: कोशिश किया था लेकिन डॉक्टर ने कहा की ज़्यादा कुछ नहीं कर सकते क्यूंकि एक्सीडेंट की वजह से जो चोट आयी है वो बहुत गहरी है और ऐसी की कुछ बातें बताता है.

वसु मीना से: फिर तुम एक बच्चे को गोद क्यों नहीं ले लेती? आजकल तो बहुत लोग बच्चे को गोद ले लेटे है.

मीना: नहीं दीदी मुझे गोद नहीं लेना है और आंसूं बहाती है तो वसु उसे अपने गले से लगा लेती है. चुप हो जा... मैं हूँ ना.. कुछ ना कुछ हल निकल आएगा. चिंता मत करो.

वसु: तो फिर इसका इलाज क्या कर सकते है? दोनों एक दुसरे को देखते है और दुखी चेहरे से वसु की तरफ देखते है. इतने में कविता भी वहां छत पे आ जाती है और तीनो को देखती है. अब कविता को भी कुछ समझ नहीं आता की क्या किया जाए. वसु फिर कुछ सोचती है और कहती है की मुझे आज रात तक सोचने का समय दो. मैं कुछ सोच कर बताती हूँ. सब मान जाते है लेकिन मनोज और मीना अपने मन में सोचते है की वसु के मन में क्या चल रहा है.

यहाँ दीपू के गाँव में:

निशा और दिनेश कॉफ़ी पीने के लिए मिलते है और एक दुसरे के बारे में जानते है... उनको क्या पसंद है क्या पसंद नहीं है.. उस वक़्त होटल में ज़्यादा लोग नहीं रहते और होटल लगभग खाली ही रहता है. दिनेश कॉफ़ी का बिल पाय करके दोनों निकलने को होते है तो दिनेश निशा को देख कर: यार एक बात पूछूं?

निशा: हाँ कहो..

दिनेश: यार अब रहा नहीं जाता. तुम्हारे मम्मी से पूछो की शादी कब होगी. मेरी माँ भी तुझे अपनी बहु बनाने के लिए देख रही है. निशा: ठीक है. माँ अभी नाना के घर गयी है तो मैं आज उनसे बात करके तारिक पक्का करवाती हूँ. दिनेश: ये ठीक रहेगा और निशा की तरफ एक कामुक नज़र से देख कर.. तब तक के लिए मुझे एक छोटा गिफ्ट तो दे दो. निशा को समझ नहीं आता तो पूछती है क्या? दिनेश चारो तरफ देखता है और वहां कोई नहीं होता तो वो अपनी ऊँगली अपने होंठ पे रखता है और दूसरी ऊँगली उसके होंठ की तरफ इशारा करता है. निशा समझ जाती है और वो भी चारो तरफ देख कर जब कोई नहीं दीखता तो दिनेश को पकड़ कर उसके होंठ पे एक गहरा चुम्मा देती है.

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२ min बाद.. अब खुश. दिनेश भी एकदम मस्त हो जाता है और जान तुम तो मुझे पागल कर डौगी. अब तो मुझे अपनी शादी और सुहागरात का इंतज़ार रहेगा. निशा भी थोड़ा शर्मा जाती है और कहती है सबर का फल मीठा होता है और हस्ते हुए दोनों होटल से बाहर आ जाते है और फिर दोनों अपनी घर की और निकल जाते है.

रात को जब दीपू और दिव्या कमरे में एक दुसरे की बाहों में रह कर बात करते है की वसु क्यों गयी है. इतने में दीपू का फ़ोन बजता है और देखता है की उसे वसु ने कॉल लिया था. दीपू फ़ोन पिक कर के कहता है बोलो माँ... क्या बात है और वहां इतनी जल्दी क्यों गयी. वसु: बेटा मुझे तेरे से एक बात करनी नहीं....
Behtreen update
 

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17th Update
सुबह जब दीपू घर से निकलता है तो उसके जाने के कुछ देर बाद वसु को कविता का फ़ोन आता है...

अब आगे ..

जब दीपू घर से निकल जाता है तो वसु को कविता का फ़ोन आता है. दोनों फिर ऐसे ही हाल चाल की बात करते है और फिर कविता वसु से पूछती है की एक बार वो उनके घर आ सकती है क्या. (कविता अभी भी मीना के पास ही थी. वो अब तक अपने घर नहीं गयी थी)

वसु: क्यों क्या हुआ माँ जी जो मुझे आप बुला रहे हो? कुछ दिन पहले ही तो हम वापस आये है.

कविता: मैं जानती हूँ...लेकिन बात ऐसी है की मैं फ़ोन पे तुम्हे नहीं बता सकती. वसु को थोड़ा चिंता होती है तो पूछती है: वहां सब ठीक तो है ना?

कविता: हाँ ऐसा सोच सकती हो.

वसु: तो फिर मुझे क्यों बुला रही हो वहां पर?

कविता: एक बार तुम आ जाओ... मैं तुम्हे फिर सब बताती हूँ.

वसु: माँ पिताजी ठीक है ना? उनकी तबियत कैसी है?

कविता: माँ पिताजी सब ठीक है.. मैं तुम्हे और कोई काम के लिए बुला रही हूँ. वसु फिर सोचती है और कहती है की वो घर में बात कर के कुछ देर बाद उन्हें फ़ोन कर के बताएगी.

दिव्या को बुलाती है और कहती है की कविता का फ़ोन आया है और उसे उनके घर जाना है. दिव्या भी थोड़ा चिंतित हो जाती है और पूछती है की सब ठीक तो है ना? वसु कहती है माँ पिताजी ठीक है लेकिन और कुछ बात करने के लिए बुलाई है.

दिव्या: वो बात फ़ोन पे नहीं हो सकती है क्या?

वसु: मैंने भी यहीं बात पूछी थी तो उन्होंने कहा था की बात फ़ोन पे नहीं हो सकती है और खुद मिलकर बात करना चाहती है. मैं एक बार उनसे मिलकर आती हूँ.

दिव्या: हाँ जाओ... क्या पता कुछ हुआ है क्या वहां पर.

वसु: ठीक है.. लेकिन एक बार दीपू से भी बोल देती हूँ.

वसु फिर वसु दीपू को फ़ोन करती है और उसे बताती है की उसे अपने माँ के घर जाना है और कविता से फ़ोन पे हुए बाते बताती है. दीपू काम कर रहा था तो वसु से बात करने के लिए बाहर आता है.

दीपू: जाना ज़रूरी है क्या? मैं तो घर आने के लिए तड़प रहा हूँ.

वसु को ये बात समझ आती है लेकिन हलकी मुस्कान के साथ पूछती है की ऐसा क्यों तड़प रहे हो?

दीपू भी फिर ऐसे ही मस्ती के साथ कहता है: मैं नहीं मेरा छोटा यार और तुम्हारी मुनिया तड़प रही है. सही कहा ना? अगर आप चले जाओगे तो आपकी मुनिया रो देगी.

वसु भी हस्ते हुए: सही कहा लेकिन जाना ज़रूरी है. मेरी मुनिया तो तडपेगी लेकिन आज के लिए दिव्या की मुनिया के आंसूं को पोछ दो. वो भी खुश हो जायेगी.

दीपू: ठीक है अगर आप कहती है तो मैं आपको मन तो नहीं कर सकता है.

वसु भी मस्ती में: मेरे छोटे राजा को बोलो की थोड़ा सबर करे. मैं आने के बाद उसकी अच्छे से ख्याल रखूंगी.. और फिर थोड़ा सीरियस होते हुए कहती है की उसे जल्दी ही निकल जाना चाहिए वरना देर हो जायेगी.

दीपू: हाँ सही कहा आपने. निकल जाओ और वहां जा कर फ़ोन करना. अगर ज़रुरत पढ़ा तो मैं भी आ जाऊँगा.

वसु: ठीक है.

वसु फिर दिव्या को बताती है की उसने दीपू से बात कर ली है और वो निकल रही है. वसु तैयार हो कर निकलने से पहले दिव्या को कमरे में बुला कर कहती है..उसको धीरे से कहती है मैं जा रही हूँ..१-२ दिन में आ जाऊँगी और दीपू का ख्याल रखना.

दिव्या: ये भी कोई पूछने वाली बात है क्या? वो तो अब हम दोनों का पति है तो मैं उसका ख्याल रखूंगी ही ना. वसु: अरे पगली और दिव्या को खींच कर अपनी बाहों में लेते हुए ख्याल मतलब ये और ऐसा कहते हुए दिव्या की साडी के ऊपर से उसकी चूत को मसल देती है और कहती है आज तेरी मुनिया को समझा दो की आज उसकी बजने वाली है और हस देती है.

दिव्या: आप भी ना.. आप जा रही हो तो मुझे और मेरी मुनिया को ही दीपू का ख्याल रखना पड़ेगा ना और शर्मा कर अपनी नज़रें खुआ लेती है.

वसु: अब हम दोनों के बीच शर्म कैसी? जब उसने हम दोनों को किस करने को कहा तो तुझे अच्छा नहीं लगा क्या? दिव्या: मुझे तो बहुत अच्छा लगा. पहली बार था लेकिन..

वसु: चल मैं चलती हूँ. बस और ऐसा कहते हुए वसु दिव्या की गांड दबा देती है और कहती है की इसका ख्याल रखना. कहीं वो ये दरवाज़ा भी ना खोल दे.

दिव्या: यहीं तो डर है दीदी. लेकिन मैं संभाल लूंगी. आप चली जाओ. वसु फिर दिव्या को देखते हुए उसके होंठ चूम लेती है जिसमें दिव्या भी साथ देती है और दोनों एक गहरी किस लेकर एक दुसरे की गांड दबाते हुए अलग हो जाते है.. वसु फिर अपने घर के लिए निकल लेती है.

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जब दीपू को पता चलता है की वसु घर पे नहीं है और सिर्फ दिव्या ही है तो उसे भी थोड़ी ठरक चढ़ती है और वो दिनेश से कहता है की उसे घर में कुछ काम है और वो आज जल्दी जाना चाहता है. दिनेश भी अपने काम में लगा रहता है तो हाँ कह देता है.

वहीँ निशा को पता चलता है की उसकी माँ भी उनके घर गयी है तो वो भी दिनेश से मिलने की सोचती है और दिनेश को फ़ोन कर के उसे कॉफ़ी के लिए बुलाती है. दिनेश भी निशा का फ़ोन देख कर एकदम खुश हो जाता है और उससे मिलने के लिए वो भी अपने ऑफिस से चला जाता है.

दीपू अपना काम जल्दी ख़तम कर के दिव्या से कहता है की वो घर आ रहा है तो दिव्या भी समझ जाती है और फिर वो भी अपना काम कर के थोड़ा तैयार हो जाती है.

दीपू जब घर आता है तो देखता है की दिव्या एक सेक्सी अदा में कड़ी हो कर उसका ही इंतज़ार कर रही थी. दीपू दिव्या को देखता है तो उसी वक़्त उसका लंड एकदम तन जाता है जो की उसके पैंटमें भी दिख रहा था क्यूंकि दिव्या उतनी ही ज़्यादा सेक्सी लग रही थी.

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दीपू दिव्या को देख कर दरवाज़ा बंद कर के कहता है: जानू तुम तो आज मेरी जान ही ले लोगी. इतनी क़यामत लग रही हो.

दिव्या: वो भी फुल मूड में आकर (क्यूंकि निशा घर में नहीं थी) तुम्हारी जान तो नहीं लेकिन और कुछ लेना चाहती हूँ इसीलिए तो ऐसे तैयार हुई हूँ क्यूंकि मुझे पता है तुम मुझे ऐसे ही देखना चाहते हो.

दीपू: एकदम सही कह रही हो मेरी जान और जा कर दिव्या को अपनी बाहों में लेकर उसके होंठ पे टूट पड़ता है. दिव्या भी उसका साथ देती है और दोनों एक दुसरे का रास पीने में लग जाते है. दीपू भी अपनी जुबां उसके मुँह में दाल देता है तो दिव्या भी अपना मुँह खोल कर उसकी जुबां को अंदर ले लेती है और दोनों एक मस्त French Kiss में डूब जाते है. दीपू उसको किस करते हुए अपना एक हाथ उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूची को दबाने लग जाता है.

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दिव्या भी मस्त हो जाती है और वो भी आँहें भरने लगती है लेकिन उसकी आवाज़ दीपू के मुँह में ही डाब जाती है. दीपू फिर दिव्या को कमरे में ले जाकर बिस्तर पे बिठाते हुए फिर से उसे किस करने लग जाता है. दिव्या को अब उसका मुँह दुखने लगता है तो कहती है: जानू अब मेरा मुँह दुःख रहा है.

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दीपू: अभी तो तुम्हारा मुँह ही दुःख रहा है लेकिन थोड़ी देर बाद और भी कुछ दुखेगा और ऐसा कहते हुए अपना हाथ उसके पेट पे रखते हुए उसकी नाभि को मसल देता है.

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अब दिव्या भी सिसकियाँ लेना शुरू कर देती है और आहह ओहह करते हुए आवाज़ निकालती है लेकिन दीपू कहाँ मानने वाला था. देखते ही देखते दीपू दिव्या की ब्लाउज और ब्रा निकल कर उसे ऊपर से नंगा कर देता है और उसकी मस्त उभरी हुई चूचियों पे टूट पड़ता है. एक को मुँह में लेकर चूसता है तो दुसरे को अपने अंघूठे से दबाता है और उसके निप्पल को भी मरोड़ता है. दिव्या को भी इसमें बहुत मजा आ रहा था.

दिव्या: ओह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह्ह..जानू ऐसे ही चूसो ना... अच्छा लग रहा है और दीपू का सर अपने चूचियों पे दबा देती है.

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और ५- १० मं तक ऐसे ही चूसने और चाटने और काटने के बाद जब दिव्या के निप्पल में दर्द होता है तो कहती है: जानू थोड़ा दर्द हो रहा है. आराम से पियो ना.. कहीं नहीं भाग रहे है.

दीपू: मैं जानता हूँ जानू.. लेकिन क्या करून.. जब इनको देखता हूँ तो रहा नहीं जाता.. क्यों तुम्हे मजा नहीं आ रहा है क्या?

दिव्या: मजा तो बहुत आ रहा है लेकिन थोड़ा दुःख भी रहा है.. और तुम्हे तो और भी जगह है जहां तुम्हे और मजा आएगा.

दीपू: दिव्या को देख कर कहाँ?

दिव्या: तुम्हे पता नहीं है क्या?

दीपू: मुझे पता है लेकिन मैं तुम्हारे मुँह से सुन्ना चाहता हूँ. मैंने क्या कहा था? यहाँ जब हम बिस्तर पे होंगे तो कोई शर्म नहीं. तो बोलो और कहाँ मजा आएगा मुझे? दिव्या भी अब दीपू की आँखों में देख कर थोड़ा आगे आते हुए उसके कान में कहती है.. तुम्हे मेरी चूत में और मजा आएगा. बहुत रो रही है तुम्हारे ध्यान के लिए.

दीपू: ये हुई ना बात और ऐसा कहते हुए दीपू दिव्या की साडी और पेटीकोट निकाल देता है. दिव्या अब सिर्फ एक छोटे पैंटी में रह जाती है और जैसे वो कहती है उसकी पैंटी एकदम गीली थी.

दीपू फिर दिव्या की गीली पैंटी पे अपनी जुबां रख कर उसको चाट लेटा है. दिव्या भी एकदम उत्तेजित हो जाती है और उसे पता था की अब घर में और कोई नहीं है तो ज़ोर से चिल्लाने और चीकने लगती है क्यूंकि वो भी पूरी उत्तेजित हो गयी थी. उसे इस वक़्त कोई डर नहीं था की उसकी आवाज़ कोई सुन लेगा. ओह्ह्ह रुको मत ... ओह्ह्ह्ह उम्ममम..

दीपू को भी मज़ा आ रहा था तो वो दिव्या की पैंटी उतार फेंकता है जिसमें दिव्या भी उसकी मदत करती है क्यूंकि वो भी अब खुल कर मज़ा लेना चाहती थी और अपनी गांड उठा कर आँखों से दीपू को कहती है की पैंटी निकल दे. अब दीपू की आँखों के सामने दिव्या की एकदम चिकनी और गीली चूत थी जो दीपू को एकदम उकसा देती है और दीपू भी बिना समय गवाए उस पर टूट पड़ता है और ऊपर से नीचे तक उसकी चूत चाटने में लग जाता है. अपनी जुबां उसकी गीली हुई चूत के अंदर डाल कर अच्छे से चाटने लग जाता है

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दिव्या भी आंहें भरते हुए अपनी गांड उठा के अपनी चूत दीपू के मुँह में देती है और उसी तरह से अपना हाथ दीपू के सर के ऊपर रख कर उसे अपनी चूत में दबा देती है.

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दिव्या जब दीपू की जीब अब अपनी चूत पे महसूस होता है तो जोर से आह करते हुवे बिस्तर को पकड़ लेती है

दिव्या भी मदहोशी में बड़बड़ाते: हाँ ऐसे ही मेरी चूत खा जाओ. इसी मस्ती में दिव्या भी काफी बार झड़ जाती है और अपनी पानी काफी बार निकल देती है जिसे दीपू बड़े चाव से पी जाता है.

दिव्या झड़ कर जब पस्त हो जाती है और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगती है और उसी के साथ दिव्या के चूचे भी उपर नीचे हो रहे थे. दीपू भी अपना चेहरा उसकी चूत से हटा कर ऊपर आता है तो दिव्या भी समझ जाती है और उसके होंठ चूम लेती है क्यूंकि दिव्या को पता था की दीपू उसे अपनी चूत रास का स्वाद दिलाना चाहता था.

दिव्या भी दीपू के मुँह से अपना स्वाद लेती है और उसे चूम के कहती है.. अब ठीक?

दीपू: तुम तो बड़ी समझदार हो गयी हो. तुम्हे भी पता था की मैं ऊपर क्यों आया. चलो अब तुम्हारी बारी है और अपने लंड को दिव्या के मुँह के पास ले आता है तो दिव्या उसे देख कर समझ जाती है उसके लंड को पहले अपने मुट्ठी में लेती है और हिलाने लगती है.

५ min तक ऐसे ही हिलाती रहती है और दीपू का लंड भी अब थोड़ा खड़ा हो जाता है.

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दीपू: सिर्फ हिलती ही रहोगी क्या? उसे चूमो चाटो और मुँह में लेकर मुझे भी मजे दो ना.

दिव्या: हाँ मुझे भी पता है. थोड़ा सबर तो करो और फिर दीपू की आँख में देखते हुए उसका लंड को चूमते हुए मुँह में लेती है. पहले धीरे लेकिन आहिस्ता आहिस्ता पूरा मुँह में ले लेती है. जब दीपू का लंड पूरा मुँह में ले लेती है तो दीपू को भी मजा आता है और अपना हाथ दिव्या के सर के पीछे रख कर अपने लंड को एक धक्का मारता है तो पूरा लंड दिव्या के मुँह में चला जाता है. दिव्या ने ऐसा सोचा नहीं था और जब पूरा लंड उसके मुँह में चला जाता है तो वो थोड़ा खास्ती है और कहती है इतना ज़ोर के धक्का क्यों लगा रहे हो और उसके आँख से पानी आ जाता है.

दिव्या: तुम मेरी जान लेने वाले हो क्या? देखो पूरा गले पे लग रहा है और थोड़ा दर्द भी हो रहा है.

दीपू जब देखता है तो उसे उसकी गलती का एहसास होता है और कहता है सॉरी यार तुमने इतना अच्छे से लिया था तो मुझ से रहा नहीं गया.. इसीलिए एक बार में ही पूरा डाल दिया. अब दीपू धीरे धीरे लेकिन प्यार से उसके लंड को आगे पीछे करता है. इसमें दोनों को मजा आता है और ५- ७ min के बाद जब लगता है की दीपू भी झड़ने के करीब है तो अपना लंड उसके मुँह से निकाल लेता है..

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दीपू: चलो जानू तैयार हो जाओ जन्नत की सैर करने के लिए. तुमने अब तक मुझे जन्नत की सैर कराई थी तो अब तुम्हे सैर कराना मेरा भी फ़र्ज़ है और फिर दीपू दिव्या को बिस्तर पे सुला कर उसके पेअर को अपने कंधे पे रखते हुए दिव्या को देखते हुए लंड को चूत पे रख कर एक ज़बरदस्त शॉट मारता है तो उसका ८ इन का पूरा तना हुआ लंड एक बार में ही उसके जड़ तक चला जाता है.

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दिव्या की आंखें थोड़ी बाद हो जाती है दर्द के मारे लेकिन दीपू को पता था तो इसिलए वो झुक कर दिव्या के होंठ चूम लेता है और दिव्या की आवाज़ गले में घुट कर ही रह जाती है.

दीपू: हो गया जानू... तुम्हे जो दर्द होना था अब हो गया है. अब मजे ही मजे होंगे. दिव्या को अभी भी दर्द हो रहा था तो वो अपनी दोनों मुट्ठियाँ बिस्तर पे चादर को पकड़ लेती है.

इतने में ही दिव्या एक बार फिर से झड़ जाती है और उसका पानी निकल जाता है. उसका फायदा दीपू को होता है की चूत के पानी निकलने से अब उसका लंड चूत में बड़े आराम से चला जाता है और फिर ऐसे ही दीपू मस्त दाना दान पेलने लगता है दिव्या को. दिव्या को भी अब दर्द काम हो गया था और उसे भी अब मजा आने लगता है.

दिव्या: जानू मेरे पाँव दुःख रहे है. दीपू फिर उसका लंड निकल कर बिस्तर से उठ जाता है.

दिव्या: मैंने तो सिर्फ अपने पाँव नीचे रखने को कहा था. अभी ही मुझे मजा आ रहा है तो तुम बिस्तर से क्यों उठ गए? दीपू हस्ता है कहता है तुम भी उठ जाओ. आज कुछ नया करते है. दिव्या को समझ नहीं आता तो वो भी उठ जाती है. फिर दीपू दिव्या को पकड़ कर उसको चूमते हुए उसका एक पाँव को उठा कर खड़े खड़े ही लंड चूत में डाल कर पेलने लगता है. दिव्या को भी इस पोज़ में मजा आता है और दीपू की तरफ देख कर हस देती है. दीपू ऐसे ही दिव्या को ठोकते रहता है और दिव्या फिर से झड़ जाती है और अब पानी उसकी जांघ पे भी गिर जाता है.

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दिव्या: जानू मैं फिर से झड़ गयी हूँ. तुम्हारा हुआ नहीं है क्या?

दीपू: कहाँ जान इतनी जल्दी कैसे? तुम जैसे गदराये घोड़ी को एक घंटे तक ना पेलून तो फिर मजा क्या है? दीपू फिर दिव्या को घोड़ी बना देता है और दिव्या अपना हाथ दीवार पे रख कर झुक जाती है और दीपू घोड़ी के पोज़ में फिर शुरू हो जाता है. इस सब में पूरे कमरे में फच फच की आवाज़ें आती रहती है. उनकी किस्मत अच्छी थी की घर में इस वक़्त निशा नहीं थी वर्ण उसे पता चल जाता. ५- १० min तक ऐसे ही घोड़ी बना कर छोड़ने के बाद दीपू भी कहता है की उसका होने वाला है तो दीपू कहती है फिलहाल बाहर ही निकालो. दीपू भी मान जाता है और फिर आखिर में ४- ५ ज़बरदस्त झटके मारने के बाद अपना लंड निकल लेता है और दिव्या की गांड के ऊपर ही अपना पूरा माल निकल देता है. दोनों अब बहुत थक चुके थे क्यूंकि दोनों की चुदाई ऑलमोस्ट १ घंटा चलता है जहाँ दीपू दिव्या को अलग अलग स्टाइल में चोदता है और फिर दोनों बिस्तर पे गिर जाते है और दिव्या दीपू की बाहों में सर रख कर एकदम सुकून पाती है.

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दिव्या: जानू तुम तो एकदम पूरा जान ही निकल देते हो.

दीपू: क्यों तुम्हे मजा नहीं आता क्या? दिव्या दीपू को देख कर उसके होंठ चूमते हुए नहीं बहुत मजा आता है लेकिन थक भी जाती हूँ.

दीपू: उसी थकन में तो मजा भी है ना.. और दिव्या दीपू को देख कर हस्ते हुए उसके सीने में थपकी मारती है. दोनों बहुत थक गए थे तो दोनों की आँख लग जाती है.

नानी के घर:

वसु २- ३ घंटे में बस के सफर में अपने गाँव पहुँच जाती है और फिर अपने माँ बाप के घर चले जाती है. उसकी माँ वसु को देख कर पूछती है की फिर से कैसे आना हुआ? वसु कुछ बहाना बनाती है और कहती है की वो कुछ काम से बाहर आयी थी तो उसी के चलते मैं आप से भी मिलने आ गयी. अब आप और बाबा की तबियत कैसी है? माँ: हम ठीक है बीटा. तू और दिव्या को खुश हो ना? वसु अपनी माँ को गले लगा कर.. एकदम खुश है माँ.. आप हमारी चिंता मत करो और अपनी और बाबा की तबियत का ख्याल रखना. ठीक है? उसकी माँ भी हाँ में सर हिला देती है

वसु: मीना और माँ जी दिख नहीं रहे है?

माँ: वो दोनों अपने कमरे में होंगे. तेरे बाबा तो सो गए.. मैं भी सोने जा रही हूँ.

वसु: हाँ आप सो जाओ. मैं उनसे मिल लेती हूँ. शाम को चाय पीते वक़्त बाबा से भी मिल लूंगी..

वसु फिर कविता के कमरे में जाती है तो अपने सोच में डूबी रहती है. वसु को देख कर वो भी उसे मिलने आती है और प्यार से गले मिलती है.

वसु: तो कहिये माजी क्यों बुलाया है? ऐसी क्या बात है की बात फ़ोन पे नहीं हो सकती थी.

कविता: बैठो बेटी बताती हूँ. २- ३ दिन पहले मनोज और मीना ऑफिस के एक पार्टी में गए थे... और फिर वहां पर जो भी हुआ कविता वसु को बताती है. मीना बहुत परेशान और दुखी में है. उसे समझ नहीं आ रहा है की वो क्या कर सकती है और आज कल तो बहुत रो भी रही है.

वसु पूरी बात सुन कर: हाँ उसके साथ तो अच्छा नहीं हुआ है. अभी वो कहाँ हैं और मनोज कहाँ है?

कविता: मीना तो अपने कमरे में सो रही है और मनोज ऑफिस गया है. वसु: ठीक है उसे सोने दो. शाम को मैं दोनों से बात करती हूँ. मुझे भी जल्दी जाना होगा क्यूंकि अब दीपू भी काम करने लगा है.

कविता: तुम्हारा चेहरा तो काफी खिला खिला लग रहा है. तुम को खुश हो ना? वसु भी कविता की बात पे हस देती है और कहती है की वो और दिव्या दोनों खुश है. दोनों फिर ऐसे ही कुछ और बातें करते है और फिर वसु भी वहीँ कविता के कमरे में सो जाती है.

शाम को सब उठते है और बैठ कर बाते करते रहते है...मीना वसु को देख कर आश्चर्य हो जाती है क्यूंकि उसे पता नहीं था की वसु वहां उनके घर आ रही है. वसु अपने पिताजी से भी मिलती है और उनसे भी बात करती है. वैसे ही कुछ देर बाद मनोज भी ऑफिस से आ जाता है और वो भी वसु को देख कर आश्चर्य हो जाता है. सब फिर फ्रेश हो कर चाय पीते हैं और फिर वसु मनोज और मीना को इशारे से ऊपर छत पर आने को कहती है. दोनों मनोज और मीना एक दुसरे को देखते है और फिर वो भी छत पे चले जाते है. शाम का वक़्त था.. सूरज ढल रहा था और अच्छी ठंडी हवा भी चल रही थी. जब तीनो छत पे होते है तो दोनों एक दुसरे को देख कर वसु से पूछते है की उन्हें यहाँ क्यों बुलाया है.

वसु फिर दोपहर को कविता से हुई बात बताती है और मनोज से पूछती है की बात क्या है. मनोज थोड़ा झिझकता है तो वसु कहती है की डरो मत मैं तुम दोनों की मदत करने आयी हूँ. अगर मेरे से कुछ हो सकता है तो मैं तुम दोनों की परेशानी दूर करने की कोशिश करूंगी.

मनोज फिर पार्टी में जो हुआ वो बताता है और कहता है की जब से उसका एक्सीडेंट हुआ है वो मीना पे ज़्यादा "ध्यान" नहीं दे पा रहा है.

वसु: तो तुम इसका इलाज क्यों नहीं करवाते?

मनोज: कोशिश किया था लेकिन डॉक्टर ने कहा की ज़्यादा कुछ नहीं कर सकते क्यूंकि एक्सीडेंट की वजह से जो चोट आयी है वो बहुत गहरी है और ऐसी की कुछ बातें बताता है.

वसु मीना से: फिर तुम एक बच्चे को गोद क्यों नहीं ले लेती? आजकल तो बहुत लोग बच्चे को गोद ले लेटे है.

मीना: नहीं दीदी मुझे गोद नहीं लेना है और आंसूं बहाती है तो वसु उसे अपने गले से लगा लेती है. चुप हो जा... मैं हूँ ना.. कुछ ना कुछ हल निकल आएगा. चिंता मत करो.

वसु: तो फिर इसका इलाज क्या कर सकते है? दोनों एक दुसरे को देखते है और दुखी चेहरे से वसु की तरफ देखते है. इतने में कविता भी वहां छत पे आ जाती है और तीनो को देखती है. अब कविता को भी कुछ समझ नहीं आता की क्या किया जाए. वसु फिर कुछ सोचती है और कहती है की मुझे आज रात तक सोचने का समय दो. मैं कुछ सोच कर बताती हूँ. सब मान जाते है लेकिन मनोज और मीना अपने मन में सोचते है की वसु के मन में क्या चल रहा है.

यहाँ दीपू के गाँव में:

निशा और दिनेश कॉफ़ी पीने के लिए मिलते है और एक दुसरे के बारे में जानते है... उनको क्या पसंद है क्या पसंद नहीं है.. उस वक़्त होटल में ज़्यादा लोग नहीं रहते और होटल लगभग खाली ही रहता है. दिनेश कॉफ़ी का बिल पाय करके दोनों निकलने को होते है तो दिनेश निशा को देख कर: यार एक बात पूछूं?

निशा: हाँ कहो..

दिनेश: यार अब रहा नहीं जाता. तुम्हारे मम्मी से पूछो की शादी कब होगी. मेरी माँ भी तुझे अपनी बहु बनाने के लिए देख रही है. निशा: ठीक है. माँ अभी नाना के घर गयी है तो मैं आज उनसे बात करके तारिक पक्का करवाती हूँ. दिनेश: ये ठीक रहेगा और निशा की तरफ एक कामुक नज़र से देख कर.. तब तक के लिए मुझे एक छोटा गिफ्ट तो दे दो. निशा को समझ नहीं आता तो पूछती है क्या? दिनेश चारो तरफ देखता है और वहां कोई नहीं होता तो वो अपनी ऊँगली अपने होंठ पे रखता है और दूसरी ऊँगली उसके होंठ की तरफ इशारा करता है. निशा समझ जाती है और वो भी चारो तरफ देख कर जब कोई नहीं दीखता तो दिनेश को पकड़ कर उसके होंठ पे एक गहरा चुम्मा देती है.

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२ min बाद.. अब खुश. दिनेश भी एकदम मस्त हो जाता है और जान तुम तो मुझे पागल कर डौगी. अब तो मुझे अपनी शादी और सुहागरात का इंतज़ार रहेगा. निशा भी थोड़ा शर्मा जाती है और कहती है सबर का फल मीठा होता है और हस्ते हुए दोनों होटल से बाहर आ जाते है और फिर दोनों अपनी घर की और निकल जाते है.

रात को जब दीपू और दिव्या कमरे में एक दुसरे की बाहों में रह कर बात करते है की वसु क्यों गयी है. इतने में दीपू का फ़ोन बजता है और देखता है की उसे वसु ने कॉल लिया था. दीपू फ़ोन पिक कर के कहता है बोलो माँ... क्या बात है और वहां इतनी जल्दी क्यों गयी. वसु: बेटा मुझे तेरे से एक बात करनी नहीं....
 

Pitaji

घर में मस्ती
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17th Update
सुबह जब दीपू घर से निकलता है तो उसके जाने के कुछ देर बाद वसु को कविता का फ़ोन आता है...

अब आगे ..

जब दीपू घर से निकल जाता है तो वसु को कविता का फ़ोन आता है. दोनों फिर ऐसे ही हाल चाल की बात करते है और फिर कविता वसु से पूछती है की एक बार वो उनके घर आ सकती है क्या. (कविता अभी भी मीना के पास ही थी. वो अब तक अपने घर नहीं गयी थी)

वसु: क्यों क्या हुआ माँ जी जो मुझे आप बुला रहे हो? कुछ दिन पहले ही तो हम वापस आये है.

कविता: मैं जानती हूँ...लेकिन बात ऐसी है की मैं फ़ोन पे तुम्हे नहीं बता सकती. वसु को थोड़ा चिंता होती है तो पूछती है: वहां सब ठीक तो है ना?

कविता: हाँ ऐसा सोच सकती हो.

वसु: तो फिर मुझे क्यों बुला रही हो वहां पर?

कविता: एक बार तुम आ जाओ... मैं तुम्हे फिर सब बताती हूँ.

वसु: माँ पिताजी ठीक है ना? उनकी तबियत कैसी है?

कविता: माँ पिताजी सब ठीक है.. मैं तुम्हे और कोई काम के लिए बुला रही हूँ. वसु फिर सोचती है और कहती है की वो घर में बात कर के कुछ देर बाद उन्हें फ़ोन कर के बताएगी.

दिव्या को बुलाती है और कहती है की कविता का फ़ोन आया है और उसे उनके घर जाना है. दिव्या भी थोड़ा चिंतित हो जाती है और पूछती है की सब ठीक तो है ना? वसु कहती है माँ पिताजी ठीक है लेकिन और कुछ बात करने के लिए बुलाई है.

दिव्या: वो बात फ़ोन पे नहीं हो सकती है क्या?

वसु: मैंने भी यहीं बात पूछी थी तो उन्होंने कहा था की बात फ़ोन पे नहीं हो सकती है और खुद मिलकर बात करना चाहती है. मैं एक बार उनसे मिलकर आती हूँ.

दिव्या: हाँ जाओ... क्या पता कुछ हुआ है क्या वहां पर.

वसु: ठीक है.. लेकिन एक बार दीपू से भी बोल देती हूँ.

वसु फिर वसु दीपू को फ़ोन करती है और उसे बताती है की उसे अपने माँ के घर जाना है और कविता से फ़ोन पे हुए बाते बताती है. दीपू काम कर रहा था तो वसु से बात करने के लिए बाहर आता है.

दीपू: जाना ज़रूरी है क्या? मैं तो घर आने के लिए तड़प रहा हूँ.

वसु को ये बात समझ आती है लेकिन हलकी मुस्कान के साथ पूछती है की ऐसा क्यों तड़प रहे हो?

दीपू भी फिर ऐसे ही मस्ती के साथ कहता है: मैं नहीं मेरा छोटा यार और तुम्हारी मुनिया तड़प रही है. सही कहा ना? अगर आप चले जाओगे तो आपकी मुनिया रो देगी.

वसु भी हस्ते हुए: सही कहा लेकिन जाना ज़रूरी है. मेरी मुनिया तो तडपेगी लेकिन आज के लिए दिव्या की मुनिया के आंसूं को पोछ दो. वो भी खुश हो जायेगी.

दीपू: ठीक है अगर आप कहती है तो मैं आपको मन तो नहीं कर सकता है.

वसु भी मस्ती में: मेरे छोटे राजा को बोलो की थोड़ा सबर करे. मैं आने के बाद उसकी अच्छे से ख्याल रखूंगी.. और फिर थोड़ा सीरियस होते हुए कहती है की उसे जल्दी ही निकल जाना चाहिए वरना देर हो जायेगी.

दीपू: हाँ सही कहा आपने. निकल जाओ और वहां जा कर फ़ोन करना. अगर ज़रुरत पढ़ा तो मैं भी आ जाऊँगा.

वसु: ठीक है.

वसु फिर दिव्या को बताती है की उसने दीपू से बात कर ली है और वो निकल रही है. वसु तैयार हो कर निकलने से पहले दिव्या को कमरे में बुला कर कहती है..उसको धीरे से कहती है मैं जा रही हूँ..१-२ दिन में आ जाऊँगी और दीपू का ख्याल रखना.

दिव्या: ये भी कोई पूछने वाली बात है क्या? वो तो अब हम दोनों का पति है तो मैं उसका ख्याल रखूंगी ही ना. वसु: अरे पगली और दिव्या को खींच कर अपनी बाहों में लेते हुए ख्याल मतलब ये और ऐसा कहते हुए दिव्या की साडी के ऊपर से उसकी चूत को मसल देती है और कहती है आज तेरी मुनिया को समझा दो की आज उसकी बजने वाली है और हस देती है.

दिव्या: आप भी ना.. आप जा रही हो तो मुझे और मेरी मुनिया को ही दीपू का ख्याल रखना पड़ेगा ना और शर्मा कर अपनी नज़रें खुआ लेती है.

वसु: अब हम दोनों के बीच शर्म कैसी? जब उसने हम दोनों को किस करने को कहा तो तुझे अच्छा नहीं लगा क्या? दिव्या: मुझे तो बहुत अच्छा लगा. पहली बार था लेकिन..

वसु: चल मैं चलती हूँ. बस और ऐसा कहते हुए वसु दिव्या की गांड दबा देती है और कहती है की इसका ख्याल रखना. कहीं वो ये दरवाज़ा भी ना खोल दे.

दिव्या: यहीं तो डर है दीदी. लेकिन मैं संभाल लूंगी. आप चली जाओ. वसु फिर दिव्या को देखते हुए उसके होंठ चूम लेती है जिसमें दिव्या भी साथ देती है और दोनों एक गहरी किस लेकर एक दुसरे की गांड दबाते हुए अलग हो जाते है.. वसु फिर अपने घर के लिए निकल लेती है.

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जब दीपू को पता चलता है की वसु घर पे नहीं है और सिर्फ दिव्या ही है तो उसे भी थोड़ी ठरक चढ़ती है और वो दिनेश से कहता है की उसे घर में कुछ काम है और वो आज जल्दी जाना चाहता है. दिनेश भी अपने काम में लगा रहता है तो हाँ कह देता है.

वहीँ निशा को पता चलता है की उसकी माँ भी उनके घर गयी है तो वो भी दिनेश से मिलने की सोचती है और दिनेश को फ़ोन कर के उसे कॉफ़ी के लिए बुलाती है. दिनेश भी निशा का फ़ोन देख कर एकदम खुश हो जाता है और उससे मिलने के लिए वो भी अपने ऑफिस से चला जाता है.

दीपू अपना काम जल्दी ख़तम कर के दिव्या से कहता है की वो घर आ रहा है तो दिव्या भी समझ जाती है और फिर वो भी अपना काम कर के थोड़ा तैयार हो जाती है.

दीपू जब घर आता है तो देखता है की दिव्या एक सेक्सी अदा में कड़ी हो कर उसका ही इंतज़ार कर रही थी. दीपू दिव्या को देखता है तो उसी वक़्त उसका लंड एकदम तन जाता है जो की उसके पैंटमें भी दिख रहा था क्यूंकि दिव्या उतनी ही ज़्यादा सेक्सी लग रही थी.

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दीपू दिव्या को देख कर दरवाज़ा बंद कर के कहता है: जानू तुम तो आज मेरी जान ही ले लोगी. इतनी क़यामत लग रही हो.

दिव्या: वो भी फुल मूड में आकर (क्यूंकि निशा घर में नहीं थी) तुम्हारी जान तो नहीं लेकिन और कुछ लेना चाहती हूँ इसीलिए तो ऐसे तैयार हुई हूँ क्यूंकि मुझे पता है तुम मुझे ऐसे ही देखना चाहते हो.

दीपू: एकदम सही कह रही हो मेरी जान और जा कर दिव्या को अपनी बाहों में लेकर उसके होंठ पे टूट पड़ता है. दिव्या भी उसका साथ देती है और दोनों एक दुसरे का रास पीने में लग जाते है. दीपू भी अपनी जुबां उसके मुँह में दाल देता है तो दिव्या भी अपना मुँह खोल कर उसकी जुबां को अंदर ले लेती है और दोनों एक मस्त French Kiss में डूब जाते है. दीपू उसको किस करते हुए अपना एक हाथ उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूची को दबाने लग जाता है.

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दिव्या भी मस्त हो जाती है और वो भी आँहें भरने लगती है लेकिन उसकी आवाज़ दीपू के मुँह में ही डाब जाती है. दीपू फिर दिव्या को कमरे में ले जाकर बिस्तर पे बिठाते हुए फिर से उसे किस करने लग जाता है. दिव्या को अब उसका मुँह दुखने लगता है तो कहती है: जानू अब मेरा मुँह दुःख रहा है.

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दीपू: अभी तो तुम्हारा मुँह ही दुःख रहा है लेकिन थोड़ी देर बाद और भी कुछ दुखेगा और ऐसा कहते हुए अपना हाथ उसके पेट पे रखते हुए उसकी नाभि को मसल देता है.

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अब दिव्या भी सिसकियाँ लेना शुरू कर देती है और आहह ओहह करते हुए आवाज़ निकालती है लेकिन दीपू कहाँ मानने वाला था. देखते ही देखते दीपू दिव्या की ब्लाउज और ब्रा निकल कर उसे ऊपर से नंगा कर देता है और उसकी मस्त उभरी हुई चूचियों पे टूट पड़ता है. एक को मुँह में लेकर चूसता है तो दुसरे को अपने अंघूठे से दबाता है और उसके निप्पल को भी मरोड़ता है. दिव्या को भी इसमें बहुत मजा आ रहा था.

दिव्या: ओह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह्ह..जानू ऐसे ही चूसो ना... अच्छा लग रहा है और दीपू का सर अपने चूचियों पे दबा देती है.

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और ५- १० मं तक ऐसे ही चूसने और चाटने और काटने के बाद जब दिव्या के निप्पल में दर्द होता है तो कहती है: जानू थोड़ा दर्द हो रहा है. आराम से पियो ना.. कहीं नहीं भाग रहे है.

दीपू: मैं जानता हूँ जानू.. लेकिन क्या करून.. जब इनको देखता हूँ तो रहा नहीं जाता.. क्यों तुम्हे मजा नहीं आ रहा है क्या?

दिव्या: मजा तो बहुत आ रहा है लेकिन थोड़ा दुःख भी रहा है.. और तुम्हे तो और भी जगह है जहां तुम्हे और मजा आएगा.

दीपू: दिव्या को देख कर कहाँ?

दिव्या: तुम्हे पता नहीं है क्या?

दीपू: मुझे पता है लेकिन मैं तुम्हारे मुँह से सुन्ना चाहता हूँ. मैंने क्या कहा था? यहाँ जब हम बिस्तर पे होंगे तो कोई शर्म नहीं. तो बोलो और कहाँ मजा आएगा मुझे? दिव्या भी अब दीपू की आँखों में देख कर थोड़ा आगे आते हुए उसके कान में कहती है.. तुम्हे मेरी चूत में और मजा आएगा. बहुत रो रही है तुम्हारे ध्यान के लिए.

दीपू: ये हुई ना बात और ऐसा कहते हुए दीपू दिव्या की साडी और पेटीकोट निकाल देता है. दिव्या अब सिर्फ एक छोटे पैंटी में रह जाती है और जैसे वो कहती है उसकी पैंटी एकदम गीली थी.

दीपू फिर दिव्या की गीली पैंटी पे अपनी जुबां रख कर उसको चाट लेटा है. दिव्या भी एकदम उत्तेजित हो जाती है और उसे पता था की अब घर में और कोई नहीं है तो ज़ोर से चिल्लाने और चीकने लगती है क्यूंकि वो भी पूरी उत्तेजित हो गयी थी. उसे इस वक़्त कोई डर नहीं था की उसकी आवाज़ कोई सुन लेगा. ओह्ह्ह रुको मत ... ओह्ह्ह्ह उम्ममम..

दीपू को भी मज़ा आ रहा था तो वो दिव्या की पैंटी उतार फेंकता है जिसमें दिव्या भी उसकी मदत करती है क्यूंकि वो भी अब खुल कर मज़ा लेना चाहती थी और अपनी गांड उठा कर आँखों से दीपू को कहती है की पैंटी निकल दे. अब दीपू की आँखों के सामने दिव्या की एकदम चिकनी और गीली चूत थी जो दीपू को एकदम उकसा देती है और दीपू भी बिना समय गवाए उस पर टूट पड़ता है और ऊपर से नीचे तक उसकी चूत चाटने में लग जाता है. अपनी जुबां उसकी गीली हुई चूत के अंदर डाल कर अच्छे से चाटने लग जाता है

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दिव्या भी आंहें भरते हुए अपनी गांड उठा के अपनी चूत दीपू के मुँह में देती है और उसी तरह से अपना हाथ दीपू के सर के ऊपर रख कर उसे अपनी चूत में दबा देती है.

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दिव्या जब दीपू की जीब अब अपनी चूत पे महसूस होता है तो जोर से आह करते हुवे बिस्तर को पकड़ लेती है

दिव्या भी मदहोशी में बड़बड़ाते: हाँ ऐसे ही मेरी चूत खा जाओ. इसी मस्ती में दिव्या भी काफी बार झड़ जाती है और अपनी पानी काफी बार निकल देती है जिसे दीपू बड़े चाव से पी जाता है.

दिव्या झड़ कर जब पस्त हो जाती है और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगती है और उसी के साथ दिव्या के चूचे भी उपर नीचे हो रहे थे. दीपू भी अपना चेहरा उसकी चूत से हटा कर ऊपर आता है तो दिव्या भी समझ जाती है और उसके होंठ चूम लेती है क्यूंकि दिव्या को पता था की दीपू उसे अपनी चूत रास का स्वाद दिलाना चाहता था.

दिव्या भी दीपू के मुँह से अपना स्वाद लेती है और उसे चूम के कहती है.. अब ठीक?

दीपू: तुम तो बड़ी समझदार हो गयी हो. तुम्हे भी पता था की मैं ऊपर क्यों आया. चलो अब तुम्हारी बारी है और अपने लंड को दिव्या के मुँह के पास ले आता है तो दिव्या उसे देख कर समझ जाती है उसके लंड को पहले अपने मुट्ठी में लेती है और हिलाने लगती है.

५ min तक ऐसे ही हिलाती रहती है और दीपू का लंड भी अब थोड़ा खड़ा हो जाता है.

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दीपू: सिर्फ हिलती ही रहोगी क्या? उसे चूमो चाटो और मुँह में लेकर मुझे भी मजे दो ना.

दिव्या: हाँ मुझे भी पता है. थोड़ा सबर तो करो और फिर दीपू की आँख में देखते हुए उसका लंड को चूमते हुए मुँह में लेती है. पहले धीरे लेकिन आहिस्ता आहिस्ता पूरा मुँह में ले लेती है. जब दीपू का लंड पूरा मुँह में ले लेती है तो दीपू को भी मजा आता है और अपना हाथ दिव्या के सर के पीछे रख कर अपने लंड को एक धक्का मारता है तो पूरा लंड दिव्या के मुँह में चला जाता है. दिव्या ने ऐसा सोचा नहीं था और जब पूरा लंड उसके मुँह में चला जाता है तो वो थोड़ा खास्ती है और कहती है इतना ज़ोर के धक्का क्यों लगा रहे हो और उसके आँख से पानी आ जाता है.

दिव्या: तुम मेरी जान लेने वाले हो क्या? देखो पूरा गले पे लग रहा है और थोड़ा दर्द भी हो रहा है.

दीपू जब देखता है तो उसे उसकी गलती का एहसास होता है और कहता है सॉरी यार तुमने इतना अच्छे से लिया था तो मुझ से रहा नहीं गया.. इसीलिए एक बार में ही पूरा डाल दिया. अब दीपू धीरे धीरे लेकिन प्यार से उसके लंड को आगे पीछे करता है. इसमें दोनों को मजा आता है और ५- ७ min के बाद जब लगता है की दीपू भी झड़ने के करीब है तो अपना लंड उसके मुँह से निकाल लेता है..

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दीपू: चलो जानू तैयार हो जाओ जन्नत की सैर करने के लिए. तुमने अब तक मुझे जन्नत की सैर कराई थी तो अब तुम्हे सैर कराना मेरा भी फ़र्ज़ है और फिर दीपू दिव्या को बिस्तर पे सुला कर उसके पेअर को अपने कंधे पे रखते हुए दिव्या को देखते हुए लंड को चूत पे रख कर एक ज़बरदस्त शॉट मारता है तो उसका ८ इन का पूरा तना हुआ लंड एक बार में ही उसके जड़ तक चला जाता है.

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दिव्या की आंखें थोड़ी बाद हो जाती है दर्द के मारे लेकिन दीपू को पता था तो इसिलए वो झुक कर दिव्या के होंठ चूम लेता है और दिव्या की आवाज़ गले में घुट कर ही रह जाती है.

दीपू: हो गया जानू... तुम्हे जो दर्द होना था अब हो गया है. अब मजे ही मजे होंगे. दिव्या को अभी भी दर्द हो रहा था तो वो अपनी दोनों मुट्ठियाँ बिस्तर पे चादर को पकड़ लेती है.

इतने में ही दिव्या एक बार फिर से झड़ जाती है और उसका पानी निकल जाता है. उसका फायदा दीपू को होता है की चूत के पानी निकलने से अब उसका लंड चूत में बड़े आराम से चला जाता है और फिर ऐसे ही दीपू मस्त दाना दान पेलने लगता है दिव्या को. दिव्या को भी अब दर्द काम हो गया था और उसे भी अब मजा आने लगता है.

दिव्या: जानू मेरे पाँव दुःख रहे है. दीपू फिर उसका लंड निकल कर बिस्तर से उठ जाता है.

दिव्या: मैंने तो सिर्फ अपने पाँव नीचे रखने को कहा था. अभी ही मुझे मजा आ रहा है तो तुम बिस्तर से क्यों उठ गए? दीपू हस्ता है कहता है तुम भी उठ जाओ. आज कुछ नया करते है. दिव्या को समझ नहीं आता तो वो भी उठ जाती है. फिर दीपू दिव्या को पकड़ कर उसको चूमते हुए उसका एक पाँव को उठा कर खड़े खड़े ही लंड चूत में डाल कर पेलने लगता है. दिव्या को भी इस पोज़ में मजा आता है और दीपू की तरफ देख कर हस देती है. दीपू ऐसे ही दिव्या को ठोकते रहता है और दिव्या फिर से झड़ जाती है और अब पानी उसकी जांघ पे भी गिर जाता है.

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दिव्या: जानू मैं फिर से झड़ गयी हूँ. तुम्हारा हुआ नहीं है क्या?

दीपू: कहाँ जान इतनी जल्दी कैसे? तुम जैसे गदराये घोड़ी को एक घंटे तक ना पेलून तो फिर मजा क्या है? दीपू फिर दिव्या को घोड़ी बना देता है और दिव्या अपना हाथ दीवार पे रख कर झुक जाती है और दीपू घोड़ी के पोज़ में फिर शुरू हो जाता है. इस सब में पूरे कमरे में फच फच की आवाज़ें आती रहती है. उनकी किस्मत अच्छी थी की घर में इस वक़्त निशा नहीं थी वर्ण उसे पता चल जाता. ५- १० min तक ऐसे ही घोड़ी बना कर छोड़ने के बाद दीपू भी कहता है की उसका होने वाला है तो दीपू कहती है फिलहाल बाहर ही निकालो. दीपू भी मान जाता है और फिर आखिर में ४- ५ ज़बरदस्त झटके मारने के बाद अपना लंड निकल लेता है और दिव्या की गांड के ऊपर ही अपना पूरा माल निकल देता है. दोनों अब बहुत थक चुके थे क्यूंकि दोनों की चुदाई ऑलमोस्ट १ घंटा चलता है जहाँ दीपू दिव्या को अलग अलग स्टाइल में चोदता है और फिर दोनों बिस्तर पे गिर जाते है और दिव्या दीपू की बाहों में सर रख कर एकदम सुकून पाती है.

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दिव्या: जानू तुम तो एकदम पूरा जान ही निकल देते हो.

दीपू: क्यों तुम्हे मजा नहीं आता क्या? दिव्या दीपू को देख कर उसके होंठ चूमते हुए नहीं बहुत मजा आता है लेकिन थक भी जाती हूँ.

दीपू: उसी थकन में तो मजा भी है ना.. और दिव्या दीपू को देख कर हस्ते हुए उसके सीने में थपकी मारती है. दोनों बहुत थक गए थे तो दोनों की आँख लग जाती है.

नानी के घर:

वसु २- ३ घंटे में बस के सफर में अपने गाँव पहुँच जाती है और फिर अपने माँ बाप के घर चले जाती है. उसकी माँ वसु को देख कर पूछती है की फिर से कैसे आना हुआ? वसु कुछ बहाना बनाती है और कहती है की वो कुछ काम से बाहर आयी थी तो उसी के चलते मैं आप से भी मिलने आ गयी. अब आप और बाबा की तबियत कैसी है? माँ: हम ठीक है बीटा. तू और दिव्या को खुश हो ना? वसु अपनी माँ को गले लगा कर.. एकदम खुश है माँ.. आप हमारी चिंता मत करो और अपनी और बाबा की तबियत का ख्याल रखना. ठीक है? उसकी माँ भी हाँ में सर हिला देती है

वसु: मीना और माँ जी दिख नहीं रहे है?

माँ: वो दोनों अपने कमरे में होंगे. तेरे बाबा तो सो गए.. मैं भी सोने जा रही हूँ.

वसु: हाँ आप सो जाओ. मैं उनसे मिल लेती हूँ. शाम को चाय पीते वक़्त बाबा से भी मिल लूंगी..

वसु फिर कविता के कमरे में जाती है तो अपने सोच में डूबी रहती है. वसु को देख कर वो भी उसे मिलने आती है और प्यार से गले मिलती है.

वसु: तो कहिये माजी क्यों बुलाया है? ऐसी क्या बात है की बात फ़ोन पे नहीं हो सकती थी.

कविता: बैठो बेटी बताती हूँ. २- ३ दिन पहले मनोज और मीना ऑफिस के एक पार्टी में गए थे... और फिर वहां पर जो भी हुआ कविता वसु को बताती है. मीना बहुत परेशान और दुखी में है. उसे समझ नहीं आ रहा है की वो क्या कर सकती है और आज कल तो बहुत रो भी रही है.

वसु पूरी बात सुन कर: हाँ उसके साथ तो अच्छा नहीं हुआ है. अभी वो कहाँ हैं और मनोज कहाँ है?

कविता: मीना तो अपने कमरे में सो रही है और मनोज ऑफिस गया है. वसु: ठीक है उसे सोने दो. शाम को मैं दोनों से बात करती हूँ. मुझे भी जल्दी जाना होगा क्यूंकि अब दीपू भी काम करने लगा है.

कविता: तुम्हारा चेहरा तो काफी खिला खिला लग रहा है. तुम को खुश हो ना? वसु भी कविता की बात पे हस देती है और कहती है की वो और दिव्या दोनों खुश है. दोनों फिर ऐसे ही कुछ और बातें करते है और फिर वसु भी वहीँ कविता के कमरे में सो जाती है.

शाम को सब उठते है और बैठ कर बाते करते रहते है...मीना वसु को देख कर आश्चर्य हो जाती है क्यूंकि उसे पता नहीं था की वसु वहां उनके घर आ रही है. वसु अपने पिताजी से भी मिलती है और उनसे भी बात करती है. वैसे ही कुछ देर बाद मनोज भी ऑफिस से आ जाता है और वो भी वसु को देख कर आश्चर्य हो जाता है. सब फिर फ्रेश हो कर चाय पीते हैं और फिर वसु मनोज और मीना को इशारे से ऊपर छत पर आने को कहती है. दोनों मनोज और मीना एक दुसरे को देखते है और फिर वो भी छत पे चले जाते है. शाम का वक़्त था.. सूरज ढल रहा था और अच्छी ठंडी हवा भी चल रही थी. जब तीनो छत पे होते है तो दोनों एक दुसरे को देख कर वसु से पूछते है की उन्हें यहाँ क्यों बुलाया है.

वसु फिर दोपहर को कविता से हुई बात बताती है और मनोज से पूछती है की बात क्या है. मनोज थोड़ा झिझकता है तो वसु कहती है की डरो मत मैं तुम दोनों की मदत करने आयी हूँ. अगर मेरे से कुछ हो सकता है तो मैं तुम दोनों की परेशानी दूर करने की कोशिश करूंगी.

मनोज फिर पार्टी में जो हुआ वो बताता है और कहता है की जब से उसका एक्सीडेंट हुआ है वो मीना पे ज़्यादा "ध्यान" नहीं दे पा रहा है.

वसु: तो तुम इसका इलाज क्यों नहीं करवाते?

मनोज: कोशिश किया था लेकिन डॉक्टर ने कहा की ज़्यादा कुछ नहीं कर सकते क्यूंकि एक्सीडेंट की वजह से जो चोट आयी है वो बहुत गहरी है और ऐसी की कुछ बातें बताता है.

वसु मीना से: फिर तुम एक बच्चे को गोद क्यों नहीं ले लेती? आजकल तो बहुत लोग बच्चे को गोद ले लेटे है.

मीना: नहीं दीदी मुझे गोद नहीं लेना है और आंसूं बहाती है तो वसु उसे अपने गले से लगा लेती है. चुप हो जा... मैं हूँ ना.. कुछ ना कुछ हल निकल आएगा. चिंता मत करो.

वसु: तो फिर इसका इलाज क्या कर सकते है? दोनों एक दुसरे को देखते है और दुखी चेहरे से वसु की तरफ देखते है. इतने में कविता भी वहां छत पे आ जाती है और तीनो को देखती है. अब कविता को भी कुछ समझ नहीं आता की क्या किया जाए. वसु फिर कुछ सोचती है और कहती है की मुझे आज रात तक सोचने का समय दो. मैं कुछ सोच कर बताती हूँ. सब मान जाते है लेकिन मनोज और मीना अपने मन में सोचते है की वसु के मन में क्या चल रहा है.

यहाँ दीपू के गाँव में:

निशा और दिनेश कॉफ़ी पीने के लिए मिलते है और एक दुसरे के बारे में जानते है... उनको क्या पसंद है क्या पसंद नहीं है.. उस वक़्त होटल में ज़्यादा लोग नहीं रहते और होटल लगभग खाली ही रहता है. दिनेश कॉफ़ी का बिल पाय करके दोनों निकलने को होते है तो दिनेश निशा को देख कर: यार एक बात पूछूं?

निशा: हाँ कहो..

दिनेश: यार अब रहा नहीं जाता. तुम्हारे मम्मी से पूछो की शादी कब होगी. मेरी माँ भी तुझे अपनी बहु बनाने के लिए देख रही है. निशा: ठीक है. माँ अभी नाना के घर गयी है तो मैं आज उनसे बात करके तारिक पक्का करवाती हूँ. दिनेश: ये ठीक रहेगा और निशा की तरफ एक कामुक नज़र से देख कर.. तब तक के लिए मुझे एक छोटा गिफ्ट तो दे दो. निशा को समझ नहीं आता तो पूछती है क्या? दिनेश चारो तरफ देखता है और वहां कोई नहीं होता तो वो अपनी ऊँगली अपने होंठ पे रखता है और दूसरी ऊँगली उसके होंठ की तरफ इशारा करता है. निशा समझ जाती है और वो भी चारो तरफ देख कर जब कोई नहीं दीखता तो दिनेश को पकड़ कर उसके होंठ पे एक गहरा चुम्मा देती है.

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२ min बाद.. अब खुश. दिनेश भी एकदम मस्त हो जाता है और जान तुम तो मुझे पागल कर डौगी. अब तो मुझे अपनी शादी और सुहागरात का इंतज़ार रहेगा. निशा भी थोड़ा शर्मा जाती है और कहती है सबर का फल मीठा होता है और हस्ते हुए दोनों होटल से बाहर आ जाते है और फिर दोनों अपनी घर की और निकल जाते है.

रात को जब दीपू और दिव्या कमरे में एक दुसरे की बाहों में रह कर बात करते है की वसु क्यों गयी है. इतने में दीपू का फ़ोन बजता है और देखता है की उसे वसु ने कॉल लिया था. दीपू फ़ोन पिक कर के कहता है बोलो माँ... क्या बात है और वहां इतनी जल्दी क्यों गयी. वसु: बेटा मुझे तेरे से एक बात करनी नहीं....
दीपू और दिव्या ने मौके का अच्छा फायदा उठाया और खूब मस्ती की .... बहुत मजेदार अपडेट है
 

prkin

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10th Update:

नाना के घर

दो दिन बाद वसु उसे घर में फ़ोन कर के बताती है वो दिव्या और उसकी बेटी निशा आ रहे है. जब उसके नाना दीपू के बारे में पूछते है तो वसु कुछ बहाना बना कर कह देती है की वो अपने दोस्तों के साथ बाहर गया हुआ है और फिर तीनो वसु के पिताजी के घर के लिए निकल जाते है.

२- ३ घंटे की सफर के बाद तीनो घर पहुंच जाते है. उसके माँ बाप तीनो को देख कर बहुत खुश हो जाते है. तीनो उनके पेअर छु कर आशीर्वाद लेते है. उसके पिताजी मीना और रानी को भी बताते है की उनकी बेहने आ रही है तो वो लोग भी उनसे मिलने वहां आ जाते है. वसु और दिव्या अपनी बेहन और भाभी को मिलकर बहुत खुश होते है और फिर सब से गले मिलते है.

निशा भी उन सब को देख कर बहुत खुश हो जाती है और सब के गले लगती है.

मीना वसु के गले लग कर कहती है की आप तो दिन ब दिन जवान दिख रही हो. .. क्या राज़ है?

वसु: चुप कर. ..कुछ भी बोलती रहती है.

मीना: अरे मैं तो सही कह रही हूँ. तुम दोनों (निशा की तरफ देख कर) माँ बेटी नहीं बल्कि बेहन लग रही हो और हस्ते हुए आँख मार देती है.

फिर सब लोग एक दुसरे के हाल चाल पूछने के बाद आराम करते हुए बातें करते है तो इतने में उसके पिताजी पूछते है वसु से की उसको क्या बात करनी है? वसु कहती है की रात को वो लोग सब आराम से बात करेंगे क्यूंकि बात थोड़ी गंभीर है. सब लोग मान जाते है और फिर सब अपने कमरे में आराम करने चले जाते है. उनका घर बड़ा था और सब के लिए अलग अलग कमरे थे.

शाम को मीना सब के लिए चाय बनाती रहती है तो वसु किचन में जा कर उससे बात करने लगती है.

वसु: क्यों मीना कैसे चल रहा है? सब ठीक तो है ना? भाई कैसा है? तू हमें खुश खबर कब दे रही है?

वसु ये बात जब कहती है तो मीना का चेहरा एकदम उतर जाता है और रोने की सूरत बना लेती है.

वसु उसको देख कर घबरा जाती है और पूछती है की क्या हुआ? मीना एकदम रोनी जैसी सूरत से कहती है की होना क्या है? आपके भाई अपने काम से थके हारे होते है और फिर सो जाते है. मैं बहुत कोशिश करती हूँ की बेहलाओं… जगाओं... लेकिन वो कुछ नहीं कर पाते और मैं प्यासी ही रह जाती हूँ और अपने आप को संतुष्ट करते रहती हूँ.

वसु: ये कब से हो रहा है?

मीना: जब से उनको काम करते वक़्त कंपनी में चोट लगी थी तब से ऐसे है और धीरे से वसु से कहती है की अब तो उनका खड़ा भी नहीं होता.

वसु ये बात जान कर अपना मुँह खोले मीना को देखती रहती है और फिर अपने आपको संभालते हुए कहती है की तू चिंता मत कर.. भगवान के घर धेर है अंधेर नहीं.

वसु : तुम लोग बच्चा क्यों नहीं गोद ले लेते?

मीना नहीं दीदी.. मुझे गोद नहीं लेना है.. स्वय से माँ बनना और अपनी कोख में बच्चा पालना.. ये तो आपसे बेहतर कोई नहीं जाता. आप तो २ बच्चों की माँ हो. आपको तो सब पता है.

वसु: हाँ ठीक कह रही हो. बच्चों को कोख में पालना..उसका आनंद ही कुछ और है लेकिन चलो देखते है. मैं मनोज से बात करती हूँ.

मीना : बात करना लेकिन उन्हें ये मत बताना की हम दोनों के बीच भी बात हुई है लेकिन मुझे नहीं लगता की बात करने से कोई हल निकलने वाला है.

वसु: तू चिंता मत कर. मैं सब देख लूंगी.

इतने में चाय बन जाता है और सब आराम से चाय पीते हुए बात करते है. उतने में उसका भाई मनोज भी आ जाता है और वो भी सब को देख कर बहुत खुश हो जाता है और सब के गले लगता है. रात को जल्दी ही सब लोग खाना खा लेते है क्यूंकि उनके माँ बाप को जल्दी ही सोने की आदत थी.

दिव्या की बात

सब लोग खाना खा कर उसके पिताजी के कमरे में चले जाते है जहाँ सब लो इक्कट्ठा हो जाते है. मनोज, मीना, दिव्या, निशा, रानी और उनके माँ बाप.

पिताजी: तो बोलो बेटा क्या कहना चाहती थी जो तू फ़ोन पे नहीं बता सकती थी.

वसु: सब की तरफ देखते हुए कहती है.. आपको पता है की हम लोग छोटी (दिव्या ) के लिए लड़का ढूढ़ रहे है लेकिन अब तक नहीं मिला तो मुझे भी चिंता होने लगी तो मैंने छोटी की जनम कुंडली हमारे गाँव के में एक बाबा को दिखाया था. ये वही बाबा है जिन्होंने दीपू की जान बचायी जब वो छोटा था. शायद ये बात आप को भी याद हो.

पिताजी: हाँ याद है. तो बाबा ने क्या कहा?

वसु; बाबा ने छोटी की जनम कुंडली देखीं और कहा की इसमें कोई दोष है. ये बात जान कर सब को धक्का लगता है और मीना पूछती है की कैसा दोष? यह बात रानी और मनोज भी पूछते है.

वसु: ये दोष की वजह से ही अब तक इसकी शादी नहीं हुई है. ये बात जान कर सब लोग थोड़ा दुखी होते है तो इतने में वसु कहती है की बाबा ने इस दोष का इलाज भी बताया है जिससे उसकी दोष का कोई असर नहीं होगा और उसकी शादी हो सकती है.

सब एक साथ: क्या इलाज है?

वसु सब की तरफ देखती है और सबसे ज़्यादा अपने माँ बाप की तरफ देख कर कहती है की इसके दोष का इलाज ये है की इसकी शादी अपने घर में ही करनी है. सब लोग ये बात जान कर दंग रह जाते है और कहते है की ये कैसे मुमकिन है.. वसु फिर आगे कहती है की अगर छोटी की शादी बाहर हुई तो उसका पति मर जाएगा और वो जल्दी ही विधवा हो जायेगी और दुखों के पहाड़ में बाकी की ज़िन्दगी गुजारेगी.

उसके माँ बाप को कुछ समझ नहीं आता और अपना सर पकड़ कर एक दुसरे को देखते हुए रो रहे थे. बाकी सब का भी यही हाल था लेकिन वो लोग इस बात को मन्नने के लिए तैयार नहीं थे और कहते है की शायद ये झूट है .

पिताजी: इस उम्र में अभी यही देखना बाकी रह गया हम दोनों को और ऐसा कहते हुए फिर से रोते है.

वसु उनके पास जाकर उनका हौसला बढ़ाती है और कहती है की उसे उस बाबा पे बहुत भरोसा है और उन्होंने अब तक हो भी बात उनके ज़िन्दगी के बारे में बताया था वो सब सच निकला.

वसु फिर कहती है की एक काम करते है. आपको दुविधा है तो हम उसकी कुंडली यहाँ के अपने जो जान पहचान के ज्योतिषी को दिखाते है और देखते है की उनकी क्या राय है? ये वही ज्योतिषी है ना जो हम सब की कुंडली भी बनायी थी और मनोज की शादी की भी उन्होंने हाँ कहा था. अगर वो कुछ अलग कहते है तो फिर हम सोचते है आगे क्या करना है. बाकी सब को भी ये बात सही लगती है और हाँ कह कर कहते है की कल ही ज्योतिषी के पास जा कर दिव्या की कुंडली वहां दिखाते है.

वसु: जाने से पहले मैं एक बात कहना चाहती हूँ.

पिताजी: क्या?

वसु: यही की अगर यहाँ के ज्योतिषी भी वही बात कहते है जो दुसरे बाबा ने कहा है तो मैं छोटी की शादी अपने ही परिवार में करूंगी. वसु की बात सुन कर सब सोच पे पढ़ जाते है और उनके पिताजी कहते है की दुनिया क्या कहेगी की घर के आदमी ने ही दिव्या से ही शादी की है.

वसु: कहने वाले कहते रहेंगे.. लेकिन मेरे लिए आपकी ख़ुशी और छोटी का घर बसना ज़रूरी और ज़्यादा मायने रखता है ना की दुनिया वाले क्या कहेंगे. और वैसे भी मैं देख रही हूँ की इसकी चिंता में आप दोनों की तबियत भी खराब हो रही है. मैं चाहती हूँ की आप के रहते ही इसकी शादी हो जाए.

पिताजी: कौन है अपने परिवार में जो इससे शादी करेगा?

वसु: ये सब बातें बाद में. .. पहले हमें कल ज्योतिषी के घर जा कर एक बार फिर से कुंडली दिखा कर आते है. आगे कौन क्या. .. तब सोचेंगे.

फिर सब लोग कमरे से निकल कर अपने कमरे में जाने लगते है तो मीना पूछती है वसु से की वो मजाक तो नहीं कर रही है.

वसु: मीना की तरफ देख कर... तुझे क्या लगता है की ऐसी बात मैं मजाक में करूंगी? तुमने देखा है ना की बाबा (पिताजी) कितने चिंतित है दिव्या की शादी को ले कर तो मैं मजाक क्यों करूंगी. मीना वसु की तरफ देख कर हाँ में सर हिला देती है और फिर सब अपने कमरे में चले जाते है सोने के लिए.

कमरे में सोते दिव्या वक़्त वसु से पूछती है की आगे क्या होगा? तो वसु कहती है की तू चिंता मत कर. सब ठीक हो जाएगा. मुझे पता है की तू दीपू को भी चाहने लगी है. वसु की ये बात सुन कर दिव्या वसु को देखने लगती है तो वसु कहती है.. ऐसे ना देख मुझे. मैंने तेरी आँखों में उसके लिए प्यार देखा है तो ये नाटक बंद कर और उसके गाल को हलके से चिमटी काटी है तो दिव्या थोड़ा शर्मा जाती है.

वहीँ दुसरे कमरे में मनोज और मीना भी इस बारे में बात करते रहते है की जाने आगे क्या होगा और यहाँ के ज्योतिषी भी वही बात कहेंगे तो.

मीना: अपने परिवार में और कौन है जो दीदी से शादी कर सकता है?

मनोज: पता नहीं यार.. देखते है कल क्या होता है.

मीना फिर मनोज के होंठों को चूमती है और उसके लंड को पकड़ कर खड़ा करने की कोशिश करती है लेकिन वो नहीं हो पाता तो फिर से मीना गरम हो कर प्यासी ही सो जाती है.

दो दिन बाद सब लोग मंदिर जाते है और फिर भगवान का दर्शन कर के वहां से ज्योतिषी के पास मिलने जाते है जब वो थोड़ा अकेला होता है. उनसे बातचीत करके वसु के पिताजी दिव्या की जनम कुंडली उनको देते है और कहते है की ज़रा वो कुंडली को पढ़ कर बताये की क्या लिखा है उस (दिव्या) के लिए. ज्योतिषी वो कुंडली लेकर कहते है की उन्हें एक दिन का समय दे. वो कुंडली को अच्छे से पढ़ कर कल बताएँगे. वैसे भी मैंने ये कुंडली पहले भी पढ़ी है जब ये छोटी थी लेकिन मैं फिर से इसे एक बार देखता हूँ.

उस टाइम वसु भी ज्योतिषी से कहते है की उसकी कुंडली भी एक बार देख ले. ज्योतिषी कहते है की उसकी कुंडली कहाँ है तो वसु अपने पर्स में से अपना वो कुंडली दे देती है जो उसके गाँव में बाबा ने बनाया था. ज्योतिषी वो कुंडली लेकर दोनों को पढ़ कर वो कल बताएँगे ऐसा वो कहते है.

सब लोग मान जाते है और फिर उनका आशीर्वाद लेकर घर के लिए निकल जाते है ये कहते हुए की सब कल आएंगे.

घर आ कर रानी वसु से पूछती है की उसने अपनी कुंडली क्यों दी है? और वो कुंडली उसने कहाँ से बनवायी थी. वसु को पता था की उसने वो कुंडली क्यों दी है लेकिन कुछ नहीं कहती और कहती है की कल तक वो सब रुक जाए.

लोग घर वापस आ जाते है लेकिन सब को उनके माँ बाप के चेहरे पे चिंता साफ़ झलक रही थी. वसु कहती है की उन्हें चिंता करने की कोई ज़रुरत नहीं है और आगे जो भी होगा अच्छा ही होगा. उस दिन भी रात को सब अपने कमरे में सोने जाते है और कल की ही तरह आज भी मीना तड़पते हुए सो जाती है. अगले दिन सुबह जब वो काम कर रही होती है तो उसका चेहरा उखड़ा हुआ होता है. वसु पहचान जाती है और जब वो दोनों अकेले होते है तो वसु उसका कारण पूछती है तो मीना कहती है की को बहुत दिनों से प्यासी ही सो रही है. वसु को उसकी हालत पे दया आती है और कहती है की वो इस बारे में सोच कर कुछ करेगी.

दुसरे दिन फिर सब लोग ज्योतिषी के पास जाते है और पूछते है. ज्योतिषी उनसे कहते है की उनकी बेटी दिव्या की शादी में देरी हैं क्यूंकी उसकी कुंडली में दोष है और वो वही बात कहते है जो वसु के गाँव के बाबा कहते है की उसकी शादी उसके परिवार के सदस्य से ही होगी और अगर बाहर हुआ तो वो विधवा हो जायेगी. जब ज्योतिषी वो बात कहते है तो उसके माँ बाप एक दुसरे को देखते है जैसे पूछ रहे हो की और क्या कर सकते है.

पिताजी: और कोई इलाज नहीं है क्या? घर के सदस्य से करेंगे तो दुनिया क्या कहेगी.. की हमने घर में ही शादी कर दी है.

ज्योतिषी: आपकी बात तो सही है. अगर घर में शादी नहीं कर सकते तो मैं कहूंगा की वो बिन ब्याही ही रहे. बाहर शादी कर के विधवा होने से अच्छा है की वो आपके साथ ही रहे.

वसु: और आपने मेरा कुंडली पढ़ा है क्या? ज्योतिषी एक बार वसु की तरफ देखते है ये सोचते हुए की उन्हें पता है वसु क्यों उसके बारे में पूछ रही है.

ज्योतिषी: हाँ मैंने पढ़ा है लेकिन मुझे क्यों लगता है की तुम्हे सब पहले से ही पता है. ज्योतिषी जब ये बात वसु से कहते है तो बाकी सब को कुछ समझ नहीं आता. सिर्फ वसु और दिव्या को ही इस बात का मतलब पता था.

वसु: फिर भी मैं आपसे ही सुन्ना चाहती हूँ.

उसके माँ बाप भी उनसे पूछते है तो ज्योतिषी कहते है की वो जो बात कहेंगे उनको आश्चर्य होगा लेकिन होना वही है और ऐसा होने से ही सब की भलाई है.

माँ- बाप: ऐसा क्या लिखा है?

ज्योतिषी: मैंने आपकी बड़ी बेटी की कुंडली भी देखीं है और उसमें से मैं ये ज़रूर बता सकता हूँ की आप दोनों बेटियों की ज़िन्दगी एक साथ जुडी हुई है.

पिताजी: मतलब?

ज्योतिषी: मतलब ये की आपकी दूसरी बेटी की जहाँ शादी होगी वही आपकी बड़ी बेटी की भी शादी होगी. पिताजी: ये कैसे हो सकता है? वो तो विधवा है.

ज्योतिषी: क्यों विधवा फिर से शादी कर के घर नहीं बसा सकते क्या?

पिताजी: मतलब?

ज्योतिषी: मतलब ये की आपकी बड़ी बेटी की भी दूसरी शादी होगी और दोनों एक ही आदमी से शादी करेंगे. और इसी में आप सब लोगों की भलाई है. मैं इतना ही कह सकता हूँ की उनकी शादी होने के बाद वो सब ख़ुशी से अपनी ज़िन्दगी बिताएंगे.

सब लोग एक दुसरे का चेहरा देख कर और कुछ नहीं कहते और उनके माँ बाप के आँखों से आंसूं निकलते रहते है .

सब लोग ज्योतिषी से आशीर्वाद लेकर अपने घर आ जाते है. दिव्या जब ये बात सुनती है तो उसके मन में लड्डू फूटते है क्यूंकि उसे पता था की वसु उनके माँ बाप को मना लेगी की वो लोग उसकी शादी दीपू से कर दे क्यूंकि वो भी अब दीपू को चाहने लगती है ख़ास कर के उसके जन्मदिन के बाद जब उसने उसको बहुत उत्तेजित कर दिया था. और वैसे भी दिव्या उनके साथ बहुत दिनों से रह रही थी और उसको लगा की दीपू जैसा लड़का ही कोई उकसा जीवन साथी हो. उसका स्वभाव, बातचीत करने का ढंग, etc ये सब उसके मन को भा जाता है जिससे उसपर भी लगाव आ जाता है उसे.

वापस घर आने के बाद वसु सब से कहती है की वो रात को इस बारे में बात करेंगे क्यूंकि बात थोड़ी गंभीर है और सब को सोचने के लिए वक़्त भी चाहिए. अभी वो सब आराम करे और फिर सब दोपहर को खाना खा कर आराम करते है और मनोज अपने काम के लिए निकल जाता है.

रात को खाना खा कर सब उनके पिताजी के कमरे में जमा हो जाते है. तब तक मनोज भी आ जाता है.

वसु: हाँ पिताजी, आप ने भी सुन लिया ना की ज्योतिषी ने क्या कहा है. मुझे पता है की आपको बहुत चिंता है उसके बारे में और मैं भी चाहती हूँ की वो भी शादी कर ले.. वैसे भी अभी उसकी भी उम्र हो रही है और ज़्यादा देर करना सही नहीं होगा. उसे भी एक पारिवारिक जीवन का सुख पाने का अधिकार है और मैं भी यही चाहती हूँ.

पिताजी: तेरी बात तो सही है लेकिन मेरा मन नहीं मान रहा है.

वसु: मुझे पता है ये बहुत सोचने वाली बात है.. लेकिन इन सब से ज़्यादा मुझे आप दोनों की तबियत और ख़ुशी की चिंता है और मैं चाहती हूँ की कुछ और बुरा होने से पहले (मन में सोचती है की आप के जाने से पहले) मैं आप दोनों के चेहरे पे संतुष्टि देखना चाहती हूँ की अपनी छोटी की शादी हो गयी है.

पिताजी: तुम सही कह रही हो बेटा. हमें भी उसकी ही चिंता लगी रहती है. तेरी माँ ज़्यादा कुछ नहीं कहती लेकिन मुझे पता है की उसको भी बहुत फ़िक्र है. लेकिन सवाल ये है की अपने परिवार में कौन है जिसकी छोटी से शादी कर सकते है और जो तुमसे भी शादी कर ले ..ऐसा कहते हुए वो सब की तरफ नज़र डालते है.

वसु चुप रहती है और देखना चाहती थी की और किसी का नाम आएगा क्या. मीना, मनोज और रानी भी एक दुसरे की तरफ देखते है लेकिन कोई कुछ नहीं कहता क्यूंकि उन्हें समझ में नहीं आता की किस्से शादी की जा सकती है. (मीना और वसु को पता था की मनोज में वो दम नहीं है.. मीना वैसे ही परेशान थी और दिव्या से शादी कर के उसे भी परेशानी हो सकती थी) आखिर में वसु सब की तरफ देख कर कहती है की वो एक लड़के के बारे में सोच रही है और ये बात कह कर चुप हो जाती है.

माँ: कौन है बेटा तेरी ज़ेहन में?





वसु थोड़ा ड्रामा करते हुए अपने गले को ठीक करते हुए कहती है की उसे कोई ऐतराज़ नहीं है अगर दिव्या की शादी दीपू से की जाए तो…….

Mast Update.
Thoda late hua padhne mein, par achcha build-up hai.
 

prkin

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वसु थोड़ा ड्रामा करते हुए अपने गले को ठीक करते हुए कहती है की उसे कोई ऐतराज़ नहीं है अगर दिव्या की शादी दीपू से की जाए तो…….

अब आगे. ..

11th Update:


माँ: क्या कह रही हो बेटा? वो तो अभी पढाई कर रहा है. इतनी छोटी उम्र है. तो सोच समझ के ही कह रही है ना?

माँ: और तू क्या चाहती है की मेरा पोता ही मेरा दामाद बने? तुम दोनों का पति बने?

वसु: हाँ माँ.. जब से मैंने इसकी कुंडली हमारे बाबा में दिखाई थी तब से मेरी नज़र में सिर्फ वो ही है. छोटी हमारे घर में बहुत दिनों से रह रही है और उसने भी दीपू को अच्छे से देखा है. ऐसा नहीं है की वो कोई बाहर का लड़का है जिसके बारे में हमें पता नहीं है.

अभी उसकी पढाई हो गयी है और वो अपने दोस्त के साथ बिज़नेस भी करने वाला है.

मैंने इस बारे में बहुत सोचा है और इस बारे में अकेले में निशा से भी बात की है. वो भी कहती है की वो मौसी को अपनी भाभी बनाना चाहती है और ऐसा कहते हुए वसु हस देती है. सब निशा की तरफ देखते है तो निशा भी हाँ में सर हिला देती है.

पिताजी: वो तो ठीक है लेकिन क्या दीपू मान जाएगा?

वसु: आप उसकी चिंता मत करो. उसको मनाना मेरा काम है.

वसु; तो क्या मैं ये समझू की आप सब राज़ी है की छोटी की शादी दीपू से कराई जाए?

माँ और पिताजी: थोड़ा सोचने का समय दे बेटा. बात उतना आसान नहीं है जितना तू कह रही है.

इतने में उसके पिताजी को बहुत ज़ोर से खासी होती है और छाती में दर्द होता है. मीना तुरंत दौड़ कर किचन से उनके लिए पानी लाती है. उन्हें पानी पीला कर आराम करने को कहते है और फिर उन्हें सुला देते है.

वसु कहती है की वो रात को उन्हें पास ही सोयेगी तो ये बात सब मान जाते है और फिर वसु को छोड़ कर सब अपने कमरे में चले जाते है सोने के लिए.

मीना मनोज से बात करती है की बड़ी दीदी सही कर रही है क्या?

मनोज: जब सब कुछ इतना हो गया है और छोटी दीदी को भी कोई आपत्ति नहीं है तो शायद हमें मान लेना चाहिए. इसके अल्वा मुझे और कोई रास्ता भी नज़र नहीं आता.

आखिर में मीना भी मान जाती है क्यूंकि मनोज की बात भी उसे सही लगती है.

अगले दिन सुबह सब उनके कमरे में जाते है तो उनके पिताजी सो रहे होते है. वसु कहती है की उनकी तबियत अभी थोड़ी ठीक है लेकिन उन्हें आराम करने की ज़रुरत है.

फिर मनोज ऑफिस जाने से पहले वसु को कमरे से बाहर बुलाता है. वसु उसके साथ बाहर आती है तो पूछती है की क्या बात करनी है.

मनोज: रात को मैं और मीना ने इस बारे में बात किया है और मुझे आपकी बात सही लगती है. और वैसे भी अभी पिताजी की हालत भी ठीक नहीं है. तो उनके रहते हुए ही छोटी दीदी की शादी हो जाए तो अच्छा है.

वसु: सही कह रहे हो मनोज. मैं भी यही चाहती हूँ. देख रहा हैं ना तू की उनकी हालत भी अभी ठीक नहीं है. मनोज हाँ से सर हिला देता है और फिर अपने ऑफिस चला जाता है.

फिर सब लोग अपने काम में लग जाते है और उनके माता पिता को आराम करने को कहते है. शाम को फिर जब मनोज भी ऑफिस से आ जाता है तो सब फिर उनके पिताजी के कमरे में इकठ्ठा होते है.

वसु फिर बात दिव्या की बात करती है तो कोई कुछ नहीं कहता. सब लोगों को और कोई रास्ता नहीं दिखता तो हाँ कह देते है. उनके माता पिता भी आखिर मान जाते है और वो भी हाँ कर देते है. तो वसु भी कहती है की वो दीपू से बात कर के उसे वहां बुला लेगी.

फिर सब लोग बात मान लेते है और फिर ऐसे ही कुछ और बातें कर के अपने कमरे में सोने चले जाते है. आज वसु के पिताजी की तबियत थोड़ी ठीक रहती है तो उसके माता पिता को सुला कर वो भी अपने कमरे में सोने चली जाती है.

उस दिन सुबह दीपू दिनेश के घर जाता है तो दोनों बात करते है की उन्हें उनके माँ के पास जा कर उनके काम को समझना है और जल्दी ही उनके बिज़नेस को और आगे बढ़ाना है.

तो दोनों ऋतू के ऑफिस चले जाते है जो वहां काम कर रही होती है. जब दोनों उसके पास जाते है तो उन दोनों को देख कर एकदम खुश हो जाती है और उनसे मिलने के लिए वो भी अपने केबिन से आती है.. उस वक़्त ऋतू एकदम सुन्दर और अच्छी साडी पहने रहती है लेकिन उस अच्छे कपड़ों में भी एकदम सेक्सी लग रही थी. जब वो चल कर उनके पास आती है तो उसकी मस्त बड़ी चूचियां ब्लाउज में एकदम तने हुए दीखते है और हिलते भी है जिसकी नज़र दीपू पे पड़ जाती है लेकिन वो एकदम सामान्य रहता है और ख़ुशी से ऋतू से मिलता है. फिर वो अपने ऑफिस में काम करने वाले सबको बुलाती है और कहती है की अब से ये दोनों ही यहाँ के मालिक है और उन सब को उनकी बात माननी पड़ेगी क्यूंकि वो लोग अब उसके बिज़नेस की देखभाल करेंगे. सब लोग मान जाते है और अपने काम में लग जाते है.

तीनो ऋतू के रूम में आते है और फिर चाय पीते हुए ऋतू से उसके काम के बारे में जानते है.. की वो क्या करती है कंपनी का एकाउंट्स कौन देखता है सामान कहाँ से आते है इत्यादि.

दोनों काम को अच्छे से समझने की कोशिश करते है. ये उन दोनों के लिए पहली बार था तो थोड़ा समझ आता है और थोड़ा नहीं. इन सब के बीच ऋतू दीपू को निहारे जा रही थी. दीपू भी एक बार उसको देखता है लेकिन फिर अनदेखा कर देता है की शायद वो गलत सोच रहा है. फिर २- ३ घंटे वहां रह कर दोनों निकल जाते है.

दोनों फिर मस्ती करते हुए निकल कर एक होटल जा कर चाय पीते हुए आगे और क्या करना है, कैसे काम को बढ़ाना है ..ऐसे बात करते है और फिर दोनों अपने घर निकल जाते है.

रात को ऋतू घर आती है और फिर दोनों ऋतू और दिनेश खाना खाते वक़्त उसके काम के बारे में दिनेश को बताती है. फिर दोनों ऐसे ही और बातें कर के खाना ख़तम कर के दोनों अपने कमरे में सोने चले जाते है. ऋतू को नींद नहीं आती है तो वो दीपू के बारे में सोचती है की वो कितना हैंडसम है अच्छा लम्बा लड़का एकदम नीली आँखें, घुँघरालु बाल और एकदम हट्टा कट्टा बदन… और उसके बारे में सोचते हुए अनजाने में ही उसका हाथ Nighty के अंदर घुसा कर अपनी चूत मसलते रहती है. थोड़ी देर बाद जब उसे अहसास होता है तो वो सोचती है की वो ऐसे क्यों सोच रही है.. लड़का तो उसके लड़के का दोस्त है और उसकी माँ भी उसकी अच्छी दोस्त है. उसे ऐसा नहीं सोचना चाहिए.. लेकिन फिर उसका मन भटकता है और सोचती है की लड़का जवान है जो हर लड़की उसके ऊपर मर मिटेगी.. ऐसे ही दुविधा में रहते हुए उसे नींद आ जाती है. (उसे क्या पता था की आगे जाकर उसकी ज़िन्दगी एकदम बदल जायेगी.)

वहीँ दीपू के घर रात को वसु दीपू को फ़ोन करती है.

वसु: दीपू मैं माँ पिताजी से बात कर ली है. वो तेरी शादी छोटी से करने को राज़ी हो गए है. अब तो तू खुश है ना?
दीपू: हाँ और ना भी.

वसु: मतलब?

दीपू: मतलब ये की जब मैं आपसे भी शादी करूंगा तो तभी बहुत खुश कहूंगा.

वसु: पिताजी उसके लिए भी मान लिए है. अब तो खुश है ना?

दीपू: हाँ और हस देता है.

दीपू: मुझे बताना कब आना है.. मैं आ जाऊँगा.

वसु: ठीक है. ये लो..तुम्हारी होने वाली बीवी तुमसे बात करने के लिए मरी जा रही है और ऐसा कहते हुए वो दिव्या को देख कर आँख मारती है और फ़ोन उसे दे देती है.

दिव्या फ़ोन पे: कहिये..

दीपू: ये कहिये क्या लगा रखा है मौसी?

दिव्या: अब तो मुझे मौसी मत बुलाया करो.

दीपू: नहीं शादी होने तक तो मैं आपको मौसी ही कहूंगा और उसके बाद जो मेरे मन में आये वो कहूंगा.

दिव्या: मतलब?

दीपू: यही की जानू जान.. ऐसे.. या फिर अगर मेरा मूड रहा तो मौसी भी..

दिव्या हस देती है और कहती है जैसा आपका मन करे मेरे शहज़ादे.

दिव्या फिर फ़ोन निशा को देती है तो निशा पहले दीपू को चिढ़ाती है और उसे बधाई देती है और पूछती है की वो तो अब खुश है ना.

दीपू: और नाना नानी कैसे है? उनकी तबियत कैसी है?

निशा: दोनों अभी ठीक है. कल उनकी हालत थोड़ी बिगड़ गयी थी लेकिन आज ठीक है.

दीपू: चलो अब सो जाओ. बहुत रात हो गयी है. अच्छा एक बार मौसी को फ़ोन देना तो निशा दिव्या को फ़ोन देती है.

दिव्या: हाँ क्या हुआ?

दीपू: मस्ती और शरारत से: हुआ कुछ नहीं. बस यही कहना चाहता था की अब आप रोज अपने होने वाले सुहागरात की याद में अपने रात बिताना.

दिव्या शर्मा जाती है ये बात सुनकर और कहती है की तुम बहुत शरारती हो रहे हो.

दीपू: क्यों, मैंने कुछ गलत कहा क्या? शादी के बाद तो सुहागरात होगी ना. क्यों तुम्हे नहीं चाहिए क्या?

दिव्या: शर्माते हुए, नहीं मैंने ऐसा कब कहा? मुझे भी उसका बहुत इंतज़ार है.

दीपू: तो उसे याद करते हुए सो जाओ और कल्पना करते रहो की उस रात हम क्या करेंगे. और वो दिव्या को फ़ोन में किस करता है और और कहता है की उसे भी एक चुम्मा दो तो दिव्या मना करती है. दीपू कहाँ मानने वाला था.. उसे मस्ती सूझती है तो वो दिव्या को फ़ोन को स्पीकर on करने को कहता है. दिव्या को समझ नहीं आता तो वो फ़ोन का स्पीकर on कर देती है.

स्पीकर के on होते ही दीपू उसकी माँ से कहता है..

दीपू: माँ हो क्या?

वसु: हाँ हूँ. .. बोल. ..

दीपू: देखो ना तुम्हारी सौतन मेरी बात नहीं मान रही है. वसु दिव्या की तरफ देख कर इशारे से पूछती है की दीपू क्या कह रहा है तो दिव्या शर्मा जाती है और अपनी आँखें नीचे कर लेती है.

वसु: क्यों क्या हुआ?

दीपू: तुम ही पूछ लो उससे तो वसु दिव्या से पूछती है तो दिव्या ना करती है. वसु फिर से दीपू से पूछती है तो दीपू कहता है की मैं यहाँ अकेला हूँ और उसे फ़ोन में एक चुम्मा मांग रहा हूँ तो वो मना कर रही है. वसु ये बात सुनके ज़ोर से हस्ती है और कहती है की तू बहुत शरारत करने लगा है तो दीपू कहता है की ये शरारत सुहागरात में बहुत महंगे पड़ेगा और वो भी हस देता है.

वसु दिव्या से कहती है की तू क्यों उसे परेशान कर रही है? बेचारा अकेला है तो वो जो मांग रहा है उसे देदे. दिव्या शर्माते हुए वसु से फ़ोन लेकर उसको एक अच्छा चुम्मा देती है और कहती है की अब खुश? दीपू को फिर मस्ती सूझती है और कहता है की नहीं.. तो अब इस बार वसु पूछती है की अब क्या हुआ? तो दीपू कहता है की वसु भी उसे ऐसे ही फ़ोन पे चुम्मा दे तो इस बार दिव्या वसु को देख कर फ़ोन उसको देती है तो वसु भी फिर दीपू को फ़ोन पे एक अच्छे से चुम्मा देती है.

दीपू: निशा सो गयी है क्या?

वसु निशा को देखती है तो वो सो जाती है तो दीपू को हाँ में जवाब देती है.

वसु: क्यों?

दीपू फिर वसु से कहता है की फ़ोन दिव्या को दे. दिव्या फ़ोन ले कर क्या कहना है अब?

तो दीपू भी फ़ोन पे एक किस देता है और कहता है की ये किस आपके( दिव्या) के होंठों पे. ये बात सुन कर दिव्या एकदम शर्मा जाती है. दीपू फिर से दो बार और किस करता है और कहता है ये आपकी चूचियों पे. फिर एक और किस करता है और कहता है ये किस ख़ास है. दिव्या पूछती है की क्या ख़ास है तो दीपू कहता है की ये स्पेशल किस आपकी टांगो के बीच ..दिव्या जब ये बात सुनती है तो कहती है ऐसी बात क्यों कर रहे हो … मुझे कुछ हो रहा है.. तो दीपू उनको याद दिलाता है की जब वो लोग कमरे में होंगे तो उनके बीच शर्म नहीं होने चाहिए. मुझे पता है आप लोग शरमाओगे तो ये समझ लो की अभी ये आपके लिए प्रैक्टिस है और फ़ोन पे ही हस देता है.

दिव्या भी शर्मा जाती है और दीपू और कुछ कहने से पहले दिव्या बात को पलट देती है और कहती है की रात बहुत हो गयी है और फिर फ़ोन कट कर देती है. ये सब बातें सुन कर वसु और दिव्या दोनों बहुत उत्तेजित हो जाते है और उनकी चूत भी गीली हो जाती है.

थोड़ी देर बाद दीपू फिर फ़ोन करता है और पूछता है की उसे वहां कब आना है तो वसु कहती है की वो कल उसे फ़ोन कर के बता देगी की कब आना है. और फिर सब अपने यादों में सो जाते है.

दीपू ये सोचते हुए की आगे वो क्या करेगा उनके साथ और ये दोनों की दीपू उनके साथ सुहागरात में क्या करेगा...

अगले सुबह: सब उठ कर अपना काम करते है और वसु सब से कहती है की उसने दीपू से बात कर ली है और वो मान गया है. थोड़ा झूट बोलते हुए कहती है की उसे दीपू को मनाने में बहुत समय लगा लेकिन वो मान गया है.

वसु: अब हमें ज्योतिषी की फ़ोन कर के बुलाना चाहिए और पूछना है की अच्छी तारिक कब है शादी के लिए.

वसु फिर ज्योतिषी की फ़ोन कर के घर में बुलाती है. ज्योतिषी घर आते है तो वसु उनसे उनकी शादी की बात करती है और उनसे पूछती है की किस दिन का महूरत अच्छा है शादी के लिए. ज्योतिषी फिर से दोनों की कुंडली देखते है और कहते है की ४ दिन के बाद का महूरत अच्छा है. वसु फिर से ज्योतिषी के बारे में उसकी और दीपू की बात करती है तो ज्योतिषी फिर से दोनों की कुंडली देख कर कहता है की उन दोनों की शादी एक दिन बात अच्छी होगी.. याने पांचवे दिन.

वसु फिर उनसे निशा के बारे में पूछती है तो ज्योतिषी कहते है की उसकी शादी भी जल्दी ही हो जायेगी.

सब लोग उनकी बात मान लेते है और कुछ खान पान के बाद वो निकल जाते है.

नानी: बेटी तारिक बहुत नज़दीक है हमें तैयारी करने के लिए समय भी तो चाहिए.

वसु: मैं नहीं चाहती की हम किसी बाहर वाले को बुलाये.. सिर्फ अपने घर वाले ही होंगे और कोई नहीं.

नानी: मतलब?

वसु: पिताजी की तबियत भी ठीक नहीं है तो मैं चाहती हूँ की हमारी शादी घर में ही हो. मैं पुजारी से बात कर लूंगी. बस उसके चाचा, चाची, बुआ, रानी का पति और माजी (मीना की माँ) को बुलाएंगे..और किसी को नहीं.

नानी: देखो बेटा जैसा तुम्हे सही लगे.

वसु हाँ में सर हिला देती है और फिर डीपू को फ़ोन कर के २ दिन बाद आने को कहती है... और उससे कहती है की वो किसी को कुछ नहीं बताये ख़ास कर के दिनेश को और चुप चाप वहां आ जाए…
Mast Update.
Thoda late hua padhne mein, par achcha build-up hai.

Same comment hai. Mind mat karna
 

Acha

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very very............................................................................................................................................................Nice
 
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