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Incest मेरी बीवियां, परिवार..…और बहुत लोग…

Funlover

I am here only for sex stories No personal contact
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thanks madam..ye bhi main aapse hi seekh raha hoon..ki update mein kaise suspense rakhe :)
aapke har updates bhi aise hi suspense mein end hote hai :)

Thank you and keep supporting.


Funlover
जी मुझे अच्छा लगा की आपको मेरी स्टाईल पसंद आई, चाहे एपिसोड छोटा हो पर अंत में कोई न कोई और कुछ ऐसा रख देते है ताकि क्युरिओसिटी बनी रहे......


लिखते रहिये ............


परम-सुंदरी
 
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मेरा क्या. कब और कैसे होगा.. और पता भी नहीं चलता जब उसकी चूत भी गीली हो जाती है और पानी छोड़ देती है

अब आगे ...

16th Update

निशा भी अपने मन में: तेरा क्या है भाई तू तो अपनी बीवियों के साथ मजे कर रहा है और मैं यहाँ प्यासी तड़प रही हूँ. माँ मौसी की आवाज़ों से लग रहा है की उनको भी बहुत मजा आ रहा है. अच्छा है की उनको भी अब सुख मिल रहा है.. काश ऐसा सुख मुझे भी मिल जाए.. दिनेश के अलावा तू ही तो है जिसे मैं प्यार करती हूँ... और ऐसे ही बातें अपने मन में करती हुई निशा भी सो जाती है.

अगले दिन सुबह वसु जल्दी ही उठ जाती है और वो खुद को और दिव्या को दीपू की बाहों में नंगी पड़ी देख कर एकदम शर्मा जाती है और उठ कर बाथरूम जाती है लेकिन इस बार वो थोड़ा लंगड़ाती हुई जाती है. अपने आप को लंगड़ाते हुए देख कर वो शर्मा जाती है क्यूंकि उसे पता था की पिछली रात तो दीपू ने उसे और दिव्या को जबरदस्त पेला था.

वसु मन में: दीपू भी ना.. रगड़ रगड़ कर पेल दिया और अब मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही हूँ और ऐसे ही हस्ते हुए बाथरूम चली जाती है और फिर थोड़ी देर बाद फ्रेश हो कर नाहा कर बाहर आती है तो वो एकदम क़यामत लग रही थी. भीगे हुए बाल टाइट ब्लाउज और उसके बदन में कासी हुई साडी. अपने आप को आईने में देख कर है देती है और फिर वो दिव्या को भी उठा देती है.

वसु: दिव्या उठ. कितना देर सोयेगी. सुबह हो गयी है. दिव्या भी थोड़ी अंगड़ाई लेते हुए उठ जाती है और वो भी अपने आपको एकदम नंगी पा कर शर्मा जाती है.

दिव्या: दीदी आप भी ना.. और शर्मा जाती है.

वसु धीरे से: चल उठ और जा.. फ्रेश हो जा. कल रात को तो तू खूब चुद रही थी और तब शर्म नहीं आयी. दिव्या भी शर्माते हुए बाथरूम चले जाती है और वो भी वसु की तरह लंगड़ाते हुए जाती है.

वसु किचन में चाय बना रही होती है तो इतने में निशा और दीपू भी उठ जाते है. निशा किचन में आकर वसु को छेड़ते हुए.. कल रात को तो बहुत आवाज़ निकल रही थी आपके कमरे से. वसु ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है और निशा को प्यार से डाटते हुए कहती है.. जब तेरी भी शादी होगी ना तो तुझे पता चलेगा.

दीपू भी वहां आ जाता है और वसु को देख कर जो एकदम सेक्सी लग रही थी वहीँ निशा के सामने वसु को पीछे से अपनी बाहों में ले लेता है और उसकी चूची को दबाते हुए उसके गले को चूमता है.

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वसु: क्या कर रहा है? तुम तो एकदम बेशरम हो गए हो. दिखता नहीं है क्या? निशा भी यहीं कड़ी है.

दीपू निशा को देख कर उसे आँख मारते हुए.. तो क्या हुआ? मैं अपनी बीवी से प्यार कर रहा हूँ. कोई गलती तो नहीं. क्यों निशा मैं झूट बोल रहा हूँ क्या?

निशा भी उन दोनों को देख कर हस देती है और वसु से कहती है: माँ चाय थोड़ी जल्दी बना देना अगर आप दोनों का प्यार हो गया तो और बाहर चले जाती है.

निशा के जाते है दीपू वसु को पलट कर उसकी आँखों में देखते हुए अपने होंठ आगे करता है तो वसु भी समझ जाती है और दोनों एक गहरे किस में डूब जाते है और साथ में दीपू वसु को चूची भी दबाते रहता है.

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ये किस काफी देर तक चलता है तो इतने में दिव्या भी वहां आ जाती है और उन दोनों को वहां देख कर हलके से उनका ध्यान हटाने के लिए खास्ती है तो दोनों अलग होते है.

वसु दिव्या को देख कर दीपू से: मुझे चाय बनाने दो तो दीपू दिव्या को बाहों में लेकर उसको चूमने लगता है जिसमें दिव्या भी उसका साथ देती है और इस बार दीपू अपनी जुबां दिव्या के मुँह में डालता है तो दिव्या भी उसकी जुबां को अपने मुँह में ले लेती है. वसु उन दोनों को देख कर अगर ऐसे ही चलता रहा तो अबसे घर में ना चाय बनेगी या फिर खाना. चलो दोनों बाहर तो सब हस्ते हुए हॉल में आ जाते है और सब चाय पीने लग जाते है.

दीपू भी फिर कुछ देर बाद तैयार हो कर कहता है की वो दिनेश के ऑफिस जा रहा है तो आज वो उन दोनों को इस घर के नए रिश्ते के बारे में बताएगा. वसु कहती है की बताना ज़रूरी है क्या तो दीपू भी हाँ कहता है और कहता है की कभी तो उनको पता चल ही जाएगा और बेहतर यहीं होगा की उनको हम से ही पता चले. आखिर में वसु मान जाती है और दीपू तैयार होकर दिनेश से मिलने उसके ऑफिस चला जाता है.

दीपू जाने से पहले कहता है.. जब ये बात दोनों को पता चलेगा तो मुझे पता है की दिनेश तुम दोनों ( याने मेरी “भाभी” ) के बारे में पूछेगा तो मैं उन दोनों को शाम को बुला रहा हूँ और हम सब मिल कर आज रात को खाना यहीं खा लेते है. क्या आईडिया है? इस सब पैर तीनो भी मान जाते है और कहते है की वो सब शाम को तैयार हो जाएंगे और सब मिल कर रात को खाना यहीं पर खाएंगे.

ऋतू के ऑफिस में

दीपू जब तैयार हो कर दिनेश से मिलने जाता है तो वो इस वक़्त उसकी माँ ऋतू के ऑफिस में था. (ऋतू ने सोच लिया था की जब दिनेश और दीपू उसके बिज़नेस को अच्छे से संभाल लेंगे तो वो फिर घर में ही रहेगी और तब तक दोनों को उनके काम में मदत करेगी.)

दिनेश को एकदम मस्त और ख़ुशी चेहरे को देख कर दिनेश कहता है: क्यों बे इतने दिन कहाँ था? ऋतू: दिनेश बेटा ऐसे बातें ऑफिस में ना कर. अगर हमारा कोई क्लाइंट या खरीददार रहा और उनके सामने तेरी आदत की वजह से ऐसे बात करेगा तो अच्छा नहीं होगा. दिनेश को भी अपनी गलती का एहसास होता है और फिर वो दीपू से गले मिलता है और पूछता है की उसके चेहरे पे इतनी ख़ुशी का क्या बात है?

दीपू दोनों को देखता है और कहता है... मैं जो कह रहा हूँ तूने शायद कभी सोचा नहीं होगा लेकिन गुस्सा मत होना. दिनेश: ऐसा क्या किया की मैं तुझ पे गुस्सा करूंगा. दीपू दोनों को फिर से देखता है और कहता है: यार कैसे कहूँ.. लेकिन कहता तो पड़ेगा ही. तो सुन मेरी शादी हो गयी है.

जब ऋतू और दिनेश दीपू से ये बात सुनते है तो उन्हें यकीन नहीं होता की दीपू ने शादी कर ली है. दीपू फिर दोनों को कहता है की उनके नाना नानी की वजह से जल्दी ही शादी करनी पड़ी क्यूंकि उनकी तबियत ठीक नहीं लेकिन विस्तार से दोनों को नहीं बताता. दिनेश: तू सही कह रहे है.. तूने तो एकदम गुस्सा दिला देने वाली बात की है. तूने शादी कर ली और हम दोनों को बताया भी नहीं.

दीपू: हाँ पता है.. लेकिन ये सब इतनी जल्दी हो गया ही तुझे फ़ोन करने का समय भी नहीं मिला और उसी तरह से ऋतू को देखते हुए आंटी को भी बताने का समय नहीं मिला क्यूंकि हम सब को उनकी तबियत का ख़याल रखना था.

दिनेश: कोई नहीं यार तूने तो सुबह सुबह ही एकदम खुश कबर दी है और फिर वो दीपू से गले लगता है. ऋतू भी खुश हो जाती है और वो भी दीपू से गले लग कर उसको बधाई देती है.

दिनेश: चल कोई नहीं... भाभी से कब मिला रहा है?

दीपू: शाम को आप दोनों घर आ जाओ तो भाभी से भी मिल लेना… और हाँ आज रात को खाना भी खा कर जाना. हम सब को बहुत अच्छा लगेगा.

फिर इसी ख़ुशी में दिनेश सब के लिए कुछ मिठाई मंगवाता है और दोनों ऋतू और दिनेश दीपू को मिठाई खिलाते है.

ऋतू: ज़रूर आएंगे.. हम भी तो देखे तुम्हारी बीवी को. दीपू मन ही मन है दिया और सोचा.. जब आप देखोगे तो होश उड़ जाएंगे आपके.

दीपू के घर

दीपू जल्दी ही दिनेश और ऋतू से कह कर आज जल्दी घर आ जाता है. शाम को वसु और दिव्या भी अच्छे से सझ कर खाना बनाती है और ऋतू और दिनेश का इंतज़ार करते है.

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शाम को सिर्फ ऋतू ही दीपू के घर आती है. जब वो अंदर आती है तो ऋतू को अकेले देख कर दीपू पूछता है तो ऋतू कहती है की उसे कुछ काम आ गया है तो थोड़ी देर बाद आएगा. मेरा काम हो गया तो मैं जल्दी आ गयी. ऋतू फिर अंदर आ कर सोफे पे बैठ जाती है और दीपू की तरफ देखती है (जैसे पूछना चा रही हो की तुम्हारी बीवी कहाँ है).

इतने में दोनों वसु और दिव्या भी किचन से बाहर आ जाते है और सोफे पे बैठ जाती है.

ऋतू उनको देखती है लेकिन नार्मल तरीके से देखती है (ज़्यादा ध्यान नहीं देती)और वसु से कहती है की आपके लड़के ने बताया है की उसने शादी कर ली है. तो आपकी बहु कहाँ हैं?

दीपू: लगता है आंटी आपने ठीक से देखा नहीं.

ऋतू: मतलब? मैं समझी नहीं.

दीपू: फिर से एक बार माँ को देख लो. ऋतू जब फिर से वसु और दिव्या को देखती है तो देखते ही रह जाती है..क्यूंकि अब वो गौर से दोनों को देखती है तो पाती है की वसु और दिव्या दोनों तो सझ के आये है लेकिन देखती है की उनके गले में मंगलसुरत्रा है और उन दोनों की मांग भी भरी हुई है.

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ऋतू को फिर भी समझ नहीं आता और वसु को देख कर कहती है: भाभी आपने भी शादी कर ली है?

वैसे ही दिव्या को देख कर भी ऐसे ही पूछती है. दोनों कुछ नहीं कहते लेकिन हस कर अपना सर झुका लेते है. ऋतू फिर दीपू को देख कर पूछती है की तेरी बीवियां कहाँ है?

दीपू फिर दोनों वसु और दिव्या के पीछे जाता है और उनके पीछे खड़े हो कर दोनों के कन्धों पर हाथ रख देता है और ऋतू की तरफ देखता है. ऋतू को तब समझ आता है और जब वो समझती है तो उसे बहुत बड़ा झटका लगता है और अपनी मुँह खोले बड़ी आँखें कर के तीनो को एक साथ देखती है.

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ऋतू: मैं जो सोच रही हूँ वही है क्या?

दीपू: हाँ आप जो सोच रही हो वही है. यहीं है मेरी एक नहीं लेकिन दो बीवियां. ऋतू को जब बात पूरी समझ आती है तो उसका सर चकराने लगता है और वो अपना सर पकड़ कर वहीँ सोफे पे बैठ जाती है.

निशा ऋतू को देख कर उसके लिए पानी लाती है. इतने में दिनेश भी आ जाता है और अपनी माँ को देख कर उसे डर लगता है की उसे क्या हुआ है. निशा दिनेश से कहती है की चिंता की कोई बात नहीं है क्यूंकि उसे थोड़ा झटका लगा है. इसीलिए वो बैठी हुई है.

दिनेश ऋतू को देख कर पूछता है की हुआ क्या है? फिर दीपू धीरे से उसे बताता है की वसु और दिव्या ही उसकी बीवियां है. दिनेश जब ये बात सुनता है तो उसकी बार थी झटका खाने की और वो भी ऋतू की तरह अपना मुँह खोले और बड़ी आँखों से उसे देखता है .

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दिनेश: अबे साले तूने तो सच में बड़ा झटका दिया है. मैंने तो कभी नहीं सोचा था की कुछ ऐसा हो सकता है. दीपू: हाँ सही कहा लेकिन वक़्त और ज़रुरत ऐसे आ गए की हम भी कुछ सोच नहीं पाए और नाना नानी की तबियत का ख्याल भी हमको रखना था.

अब बात ये थी की कोई कुछ नहीं कह रहा था और घर में थोड़ा सन्नाटा छा जाता है. फिर सब बैठ जाते है और फिर वसु बताती है की ये सब कैसे हुए. ऋतू और दिनेश सब बात जान कर भी उन्हें विश्वास नहीं होता लेकिन दोनों वसु और दिव्या को देख कर मान जाते है की दीपू की सच में उन दोनों से शादी हो गयी है.

ऋतू अब भी शॉक में थी तो दिनेश माहौल को थोड़ा हल्का करते हुए वसु से कहता है: मैं आपको आंटी कहूँ या फिर भाभी?

वसु हस देती है और कहती है की आंटी ही कहो. दिनेश कुछ और नहीं कहता और तिरछी नज़र से निशा को देखता है और उसे आँख मार देता है.

निशा भी उसको चिडाके वहां से किचन में चली जाती है.

फिर थोड़ी देर बाद जब वसु और दिव्या kitchen में जाते है खाने का सामन लाने के लिए तो तो दोनों थोड़ा लंगड़ा के चलते है और ये चीज़ ऋतू देख लेती है.

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(ठीक उसी वक़्त वसु पलट कर ऋतू को देखती है कुछ पूछने के लिए लेकिन वो देखती है की ऋतू उन्हें ही देखे जा रही है). ऋतू अपने मन में सोचती है की शायद दीपू ने उन दोनों की बहुत बजायी है इसीलिए वो दोनों लँगड़ाके चल रहे है. फिर थोड़ी देर बाद सब खाने के लिए बैठ जाते है और खाने के बाद दिनेश और ऋतू अपने घर जाने के लिए तैयार हो जाते है. दिनेश और दीपू घर से बाहर जाते है तो वसु ऋतू को गले लग कर: मुझे पता है आपके मन में बहुत सवाल है. हम फिर कभी फुरसत में बात करते है. ऋतू भी मान जाती है और दोनों अपने घर निकल जाते है लेकिन उनके और उनके मन में बहुत से बातें चल रही थी.

रात को दोनों ऋतू और दिनेश अपने कमरे में सोने चले जाते है और जहाँ दिनेश सोचता है की दीपू कितना किस्मत वाला है की उसे २ बीवियां मिल गयी है वहीँ ऋतू भी दीपू के बारे में सोचती है ख़ास कर के वसु के बारे में जब वो लंगड़ा कर चल रही थी. ये सब सोचते सोचते ऋतू की चूत एकदम गीली हो जाती है और उसकी पैंटी पूरी भीग जाती है. ऋतू को समझ नहीं आ रहा था की उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है और वो इतनी उत्तेजित और चुददककड क्यों होती जा रही है? उसे भी पता था की वो एक विधवा है और बहुत दिनों से जिस्म की प्यासी है.. लेकिन फिर दीपू ही क्यों....

उसी वक़्त..

मनोज के ऑफिस में एक पार्टी होती है तो मनोज को जाना पड़ता है तो वो मीना को भी ले जाता है.

पार्टी में ऑफिस के कई लोग भी होते है जिनमे मनोज के कुछ दोस्त और उनका परिवार भी होता है. उनमें से कुछ लोगों लो पता था की मनोज अभी तक बाप नहीं बन पाया है तो ऐसे ही कुछ महिलाएं मीना को देख कर आपस में खुसुर फुसुर करते है की शायद मीना में ही कुछ गड़बड़ है और वो कहीं बांझ तो नहीं है. वो लोग ये बात धीमी गति से कहते है लेकिन उनकी किस्मत ख़राब थी की ये बात मीना और मनोज को सुनाई देती है और उसे बहुत बुरा लगता है.

मीना तिरछी नज़र से मनोज को देखती है तो मनोज भी समझ जाता है और फिर दोनों को बुरा लगता है तो कुछ बहाना बना कर वो दोनों पार्टी से निकल कर अपने घर चले जाते है. रास्ते में दोनों के बीच कोई बात नहीं होती और वो लोग जब जल्दी घर आ जाते है तो कविता (जो अब तक वही उनके घर में थी और अपने घर नहीं गयी थी) पूछती है की वो लोग जल्दी कैसे आ गए?

मीना कुछ नहीं कहती और अपने कमरे में चली जाती है. मनोज भी कमरे में चले जाता है और फिर वहां दोनों में बहुत बहस होती है. मीना को पता था की उसमें कोई कमी नहीं है माँ बनने में लेकिन कमी मनोज में है जो बात मनोज को भी पता था. मनोज भी मीना को बहुत मनाने की कोशिश करता है लेकिन मीना बहुत गुस्से में थी. जब मनोज भी कमरे में जाता है तो कविता को कुछ गड़बड़ लगता है और वो सोचती है की वो मीना से बात करेगी इस बारे में. कविता उनके कमरे के पास आ कर वो मीना को बाहर आने के लिए आवाज़ लगाने की सोचती है की उसे अंदर दोनों की बहस सुनाई देती है. दरवाज़ा बंद होने के कारण उसे ज़्यादा कुछ समझ नहीं आता और वो चले जाती है की कल सुबह वो मीना से बात करेगी इस बारे में.

अगली सुबह जब मनोज ऑफिस चला जाता है तो कविता मीना के कमरे में जाकर पूछती है तो मीना से रहा नहीं जाता और वो कविता को पकड़ कर रो देती है और कल रात पार्टी में जो हुआ उसे बता देती है. कविता भी गंभीर सोच में पड़ जाती है इस बात को लेकर.

वसु के घर

दीपू रोज़ की तरह वो ऑफिस जाने के लिए तैयार हो जाता है और जाने से पहले दोनों को चूम कर निकल जाता है. जब वो ऑफिस जाता है तो वहां पहले से ही ऋतू थी जो अपना काम कर रही थी. दीपू जब दिनेश के बारे में पूछता है तो ऋतू कहती है की वो कुछ देर में आ जाएगा.

ऋतू के मन में अभी भी बहुत सवाल थे लेकिन उसे लगता है की ये वक़्त सही नहीं है उसके बारे में बात करने का तो वो दीपू से कुछ नहीं बात करती उसके शादी के बारे में. लेकिन वो अंदर ही अंदर बहुत चुदास होती जा रही थी दीपू, वसु और दिव्या के बारे में सोच कर. उसे पता था की उसकी सोच शायद गलत है की वो अपने बेटे के दोस्त के बारे में ऐसा सोच रही है लेकिन दीपू था ही इतना हैंडसम और आकर्षक की ऋतू उसके बारे में बिना सोचे नहीं रह पाती. लेकिन उसके मन में ये ख़याल अब तक नहीं आया की जब दीपू अपनी माँ से शादी कर सकता है तो क्या वो भी दिनेश के साथ…. लेकिन अभी भी उन दोनों के बीच में माँ बेटे का ही रिश्ता था.

सुबह जब दीपू घर से निकलता है तो उसके जाने के कुछ देर बाद वसु को कविता का फ़ोन आता है...
बहुत ही सुंदर लाजवाब और जबरदस्त मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
लगता हैं मिना और ऋतू के बीच रिस्तों का बडा बदलाव आने की संभावना हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

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मेरा क्या. कब और कैसे होगा.. और पता भी नहीं चलता जब उसकी चूत भी गीली हो जाती है और पानी छोड़ देती है

अब आगे ...

16th Update

निशा भी अपने मन में: तेरा क्या है भाई तू तो अपनी बीवियों के साथ मजे कर रहा है और मैं यहाँ प्यासी तड़प रही हूँ. माँ मौसी की आवाज़ों से लग रहा है की उनको भी बहुत मजा आ रहा है. अच्छा है की उनको भी अब सुख मिल रहा है.. काश ऐसा सुख मुझे भी मिल जाए.. दिनेश के अलावा तू ही तो है जिसे मैं प्यार करती हूँ... और ऐसे ही बातें अपने मन में करती हुई निशा भी सो जाती है.

अगले दिन सुबह वसु जल्दी ही उठ जाती है और वो खुद को और दिव्या को दीपू की बाहों में नंगी पड़ी देख कर एकदम शर्मा जाती है और उठ कर बाथरूम जाती है लेकिन इस बार वो थोड़ा लंगड़ाती हुई जाती है. अपने आप को लंगड़ाते हुए देख कर वो शर्मा जाती है क्यूंकि उसे पता था की पिछली रात तो दीपू ने उसे और दिव्या को जबरदस्त पेला था.

वसु मन में: दीपू भी ना.. रगड़ रगड़ कर पेल दिया और अब मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही हूँ और ऐसे ही हस्ते हुए बाथरूम चली जाती है और फिर थोड़ी देर बाद फ्रेश हो कर नाहा कर बाहर आती है तो वो एकदम क़यामत लग रही थी. भीगे हुए बाल टाइट ब्लाउज और उसके बदन में कासी हुई साडी. अपने आप को आईने में देख कर है देती है और फिर वो दिव्या को भी उठा देती है.

वसु: दिव्या उठ. कितना देर सोयेगी. सुबह हो गयी है. दिव्या भी थोड़ी अंगड़ाई लेते हुए उठ जाती है और वो भी अपने आपको एकदम नंगी पा कर शर्मा जाती है.

दिव्या: दीदी आप भी ना.. और शर्मा जाती है.

वसु धीरे से: चल उठ और जा.. फ्रेश हो जा. कल रात को तो तू खूब चुद रही थी और तब शर्म नहीं आयी. दिव्या भी शर्माते हुए बाथरूम चले जाती है और वो भी वसु की तरह लंगड़ाते हुए जाती है.

वसु किचन में चाय बना रही होती है तो इतने में निशा और दीपू भी उठ जाते है. निशा किचन में आकर वसु को छेड़ते हुए.. कल रात को तो बहुत आवाज़ निकल रही थी आपके कमरे से. वसु ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है और निशा को प्यार से डाटते हुए कहती है.. जब तेरी भी शादी होगी ना तो तुझे पता चलेगा.

दीपू भी वहां आ जाता है और वसु को देख कर जो एकदम सेक्सी लग रही थी वहीँ निशा के सामने वसु को पीछे से अपनी बाहों में ले लेता है और उसकी चूची को दबाते हुए उसके गले को चूमता है.

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वसु: क्या कर रहा है? तुम तो एकदम बेशरम हो गए हो. दिखता नहीं है क्या? निशा भी यहीं कड़ी है.

दीपू निशा को देख कर उसे आँख मारते हुए.. तो क्या हुआ? मैं अपनी बीवी से प्यार कर रहा हूँ. कोई गलती तो नहीं. क्यों निशा मैं झूट बोल रहा हूँ क्या?

निशा भी उन दोनों को देख कर हस देती है और वसु से कहती है: माँ चाय थोड़ी जल्दी बना देना अगर आप दोनों का प्यार हो गया तो और बाहर चले जाती है.

निशा के जाते है दीपू वसु को पलट कर उसकी आँखों में देखते हुए अपने होंठ आगे करता है तो वसु भी समझ जाती है और दोनों एक गहरे किस में डूब जाते है और साथ में दीपू वसु को चूची भी दबाते रहता है.

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ये किस काफी देर तक चलता है तो इतने में दिव्या भी वहां आ जाती है और उन दोनों को वहां देख कर हलके से उनका ध्यान हटाने के लिए खास्ती है तो दोनों अलग होते है.

वसु दिव्या को देख कर दीपू से: मुझे चाय बनाने दो तो दीपू दिव्या को बाहों में लेकर उसको चूमने लगता है जिसमें दिव्या भी उसका साथ देती है और इस बार दीपू अपनी जुबां दिव्या के मुँह में डालता है तो दिव्या भी उसकी जुबां को अपने मुँह में ले लेती है. वसु उन दोनों को देख कर अगर ऐसे ही चलता रहा तो अबसे घर में ना चाय बनेगी या फिर खाना. चलो दोनों बाहर तो सब हस्ते हुए हॉल में आ जाते है और सब चाय पीने लग जाते है.

दीपू भी फिर कुछ देर बाद तैयार हो कर कहता है की वो दिनेश के ऑफिस जा रहा है तो आज वो उन दोनों को इस घर के नए रिश्ते के बारे में बताएगा. वसु कहती है की बताना ज़रूरी है क्या तो दीपू भी हाँ कहता है और कहता है की कभी तो उनको पता चल ही जाएगा और बेहतर यहीं होगा की उनको हम से ही पता चले. आखिर में वसु मान जाती है और दीपू तैयार होकर दिनेश से मिलने उसके ऑफिस चला जाता है.

दीपू जाने से पहले कहता है.. जब ये बात दोनों को पता चलेगा तो मुझे पता है की दिनेश तुम दोनों ( याने मेरी “भाभी” ) के बारे में पूछेगा तो मैं उन दोनों को शाम को बुला रहा हूँ और हम सब मिल कर आज रात को खाना यहीं खा लेते है. क्या आईडिया है? इस सब पैर तीनो भी मान जाते है और कहते है की वो सब शाम को तैयार हो जाएंगे और सब मिल कर रात को खाना यहीं पर खाएंगे.

ऋतू के ऑफिस में

दीपू जब तैयार हो कर दिनेश से मिलने जाता है तो वो इस वक़्त उसकी माँ ऋतू के ऑफिस में था. (ऋतू ने सोच लिया था की जब दिनेश और दीपू उसके बिज़नेस को अच्छे से संभाल लेंगे तो वो फिर घर में ही रहेगी और तब तक दोनों को उनके काम में मदत करेगी.)

दिनेश को एकदम मस्त और ख़ुशी चेहरे को देख कर दिनेश कहता है: क्यों बे इतने दिन कहाँ था? ऋतू: दिनेश बेटा ऐसे बातें ऑफिस में ना कर. अगर हमारा कोई क्लाइंट या खरीददार रहा और उनके सामने तेरी आदत की वजह से ऐसे बात करेगा तो अच्छा नहीं होगा. दिनेश को भी अपनी गलती का एहसास होता है और फिर वो दीपू से गले मिलता है और पूछता है की उसके चेहरे पे इतनी ख़ुशी का क्या बात है?

दीपू दोनों को देखता है और कहता है... मैं जो कह रहा हूँ तूने शायद कभी सोचा नहीं होगा लेकिन गुस्सा मत होना. दिनेश: ऐसा क्या किया की मैं तुझ पे गुस्सा करूंगा. दीपू दोनों को फिर से देखता है और कहता है: यार कैसे कहूँ.. लेकिन कहता तो पड़ेगा ही. तो सुन मेरी शादी हो गयी है.

जब ऋतू और दिनेश दीपू से ये बात सुनते है तो उन्हें यकीन नहीं होता की दीपू ने शादी कर ली है. दीपू फिर दोनों को कहता है की उनके नाना नानी की वजह से जल्दी ही शादी करनी पड़ी क्यूंकि उनकी तबियत ठीक नहीं लेकिन विस्तार से दोनों को नहीं बताता. दिनेश: तू सही कह रहे है.. तूने तो एकदम गुस्सा दिला देने वाली बात की है. तूने शादी कर ली और हम दोनों को बताया भी नहीं.

दीपू: हाँ पता है.. लेकिन ये सब इतनी जल्दी हो गया ही तुझे फ़ोन करने का समय भी नहीं मिला और उसी तरह से ऋतू को देखते हुए आंटी को भी बताने का समय नहीं मिला क्यूंकि हम सब को उनकी तबियत का ख़याल रखना था.

दिनेश: कोई नहीं यार तूने तो सुबह सुबह ही एकदम खुश कबर दी है और फिर वो दीपू से गले लगता है. ऋतू भी खुश हो जाती है और वो भी दीपू से गले लग कर उसको बधाई देती है.

दिनेश: चल कोई नहीं... भाभी से कब मिला रहा है?

दीपू: शाम को आप दोनों घर आ जाओ तो भाभी से भी मिल लेना… और हाँ आज रात को खाना भी खा कर जाना. हम सब को बहुत अच्छा लगेगा.

फिर इसी ख़ुशी में दिनेश सब के लिए कुछ मिठाई मंगवाता है और दोनों ऋतू और दिनेश दीपू को मिठाई खिलाते है.

ऋतू: ज़रूर आएंगे.. हम भी तो देखे तुम्हारी बीवी को. दीपू मन ही मन है दिया और सोचा.. जब आप देखोगे तो होश उड़ जाएंगे आपके.

दीपू के घर

दीपू जल्दी ही दिनेश और ऋतू से कह कर आज जल्दी घर आ जाता है. शाम को वसु और दिव्या भी अच्छे से सझ कर खाना बनाती है और ऋतू और दिनेश का इंतज़ार करते है.

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शाम को सिर्फ ऋतू ही दीपू के घर आती है. जब वो अंदर आती है तो ऋतू को अकेले देख कर दीपू पूछता है तो ऋतू कहती है की उसे कुछ काम आ गया है तो थोड़ी देर बाद आएगा. मेरा काम हो गया तो मैं जल्दी आ गयी. ऋतू फिर अंदर आ कर सोफे पे बैठ जाती है और दीपू की तरफ देखती है (जैसे पूछना चा रही हो की तुम्हारी बीवी कहाँ है).

इतने में दोनों वसु और दिव्या भी किचन से बाहर आ जाते है और सोफे पे बैठ जाती है.

ऋतू उनको देखती है लेकिन नार्मल तरीके से देखती है (ज़्यादा ध्यान नहीं देती)और वसु से कहती है की आपके लड़के ने बताया है की उसने शादी कर ली है. तो आपकी बहु कहाँ हैं?

दीपू: लगता है आंटी आपने ठीक से देखा नहीं.

ऋतू: मतलब? मैं समझी नहीं.

दीपू: फिर से एक बार माँ को देख लो. ऋतू जब फिर से वसु और दिव्या को देखती है तो देखते ही रह जाती है..क्यूंकि अब वो गौर से दोनों को देखती है तो पाती है की वसु और दिव्या दोनों तो सझ के आये है लेकिन देखती है की उनके गले में मंगलसुरत्रा है और उन दोनों की मांग भी भरी हुई है.

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ऋतू को फिर भी समझ नहीं आता और वसु को देख कर कहती है: भाभी आपने भी शादी कर ली है?

वैसे ही दिव्या को देख कर भी ऐसे ही पूछती है. दोनों कुछ नहीं कहते लेकिन हस कर अपना सर झुका लेते है. ऋतू फिर दीपू को देख कर पूछती है की तेरी बीवियां कहाँ है?

दीपू फिर दोनों वसु और दिव्या के पीछे जाता है और उनके पीछे खड़े हो कर दोनों के कन्धों पर हाथ रख देता है और ऋतू की तरफ देखता है. ऋतू को तब समझ आता है और जब वो समझती है तो उसे बहुत बड़ा झटका लगता है और अपनी मुँह खोले बड़ी आँखें कर के तीनो को एक साथ देखती है.

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ऋतू: मैं जो सोच रही हूँ वही है क्या?

दीपू: हाँ आप जो सोच रही हो वही है. यहीं है मेरी एक नहीं लेकिन दो बीवियां. ऋतू को जब बात पूरी समझ आती है तो उसका सर चकराने लगता है और वो अपना सर पकड़ कर वहीँ सोफे पे बैठ जाती है.

निशा ऋतू को देख कर उसके लिए पानी लाती है. इतने में दिनेश भी आ जाता है और अपनी माँ को देख कर उसे डर लगता है की उसे क्या हुआ है. निशा दिनेश से कहती है की चिंता की कोई बात नहीं है क्यूंकि उसे थोड़ा झटका लगा है. इसीलिए वो बैठी हुई है.

दिनेश ऋतू को देख कर पूछता है की हुआ क्या है? फिर दीपू धीरे से उसे बताता है की वसु और दिव्या ही उसकी बीवियां है. दिनेश जब ये बात सुनता है तो उसकी बार थी झटका खाने की और वो भी ऋतू की तरह अपना मुँह खोले और बड़ी आँखों से उसे देखता है .

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दिनेश: अबे साले तूने तो सच में बड़ा झटका दिया है. मैंने तो कभी नहीं सोचा था की कुछ ऐसा हो सकता है. दीपू: हाँ सही कहा लेकिन वक़्त और ज़रुरत ऐसे आ गए की हम भी कुछ सोच नहीं पाए और नाना नानी की तबियत का ख्याल भी हमको रखना था.

अब बात ये थी की कोई कुछ नहीं कह रहा था और घर में थोड़ा सन्नाटा छा जाता है. फिर सब बैठ जाते है और फिर वसु बताती है की ये सब कैसे हुए. ऋतू और दिनेश सब बात जान कर भी उन्हें विश्वास नहीं होता लेकिन दोनों वसु और दिव्या को देख कर मान जाते है की दीपू की सच में उन दोनों से शादी हो गयी है.

ऋतू अब भी शॉक में थी तो दिनेश माहौल को थोड़ा हल्का करते हुए वसु से कहता है: मैं आपको आंटी कहूँ या फिर भाभी?

वसु हस देती है और कहती है की आंटी ही कहो. दिनेश कुछ और नहीं कहता और तिरछी नज़र से निशा को देखता है और उसे आँख मार देता है.

निशा भी उसको चिडाके वहां से किचन में चली जाती है.

फिर थोड़ी देर बाद जब वसु और दिव्या kitchen में जाते है खाने का सामन लाने के लिए तो तो दोनों थोड़ा लंगड़ा के चलते है और ये चीज़ ऋतू देख लेती है.

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(ठीक उसी वक़्त वसु पलट कर ऋतू को देखती है कुछ पूछने के लिए लेकिन वो देखती है की ऋतू उन्हें ही देखे जा रही है). ऋतू अपने मन में सोचती है की शायद दीपू ने उन दोनों की बहुत बजायी है इसीलिए वो दोनों लँगड़ाके चल रहे है. फिर थोड़ी देर बाद सब खाने के लिए बैठ जाते है और खाने के बाद दिनेश और ऋतू अपने घर जाने के लिए तैयार हो जाते है. दिनेश और दीपू घर से बाहर जाते है तो वसु ऋतू को गले लग कर: मुझे पता है आपके मन में बहुत सवाल है. हम फिर कभी फुरसत में बात करते है. ऋतू भी मान जाती है और दोनों अपने घर निकल जाते है लेकिन उनके और उनके मन में बहुत से बातें चल रही थी.

रात को दोनों ऋतू और दिनेश अपने कमरे में सोने चले जाते है और जहाँ दिनेश सोचता है की दीपू कितना किस्मत वाला है की उसे २ बीवियां मिल गयी है वहीँ ऋतू भी दीपू के बारे में सोचती है ख़ास कर के वसु के बारे में जब वो लंगड़ा कर चल रही थी. ये सब सोचते सोचते ऋतू की चूत एकदम गीली हो जाती है और उसकी पैंटी पूरी भीग जाती है. ऋतू को समझ नहीं आ रहा था की उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है और वो इतनी उत्तेजित और चुददककड क्यों होती जा रही है? उसे भी पता था की वो एक विधवा है और बहुत दिनों से जिस्म की प्यासी है.. लेकिन फिर दीपू ही क्यों....

उसी वक़्त..

मनोज के ऑफिस में एक पार्टी होती है तो मनोज को जाना पड़ता है तो वो मीना को भी ले जाता है.

पार्टी में ऑफिस के कई लोग भी होते है जिनमे मनोज के कुछ दोस्त और उनका परिवार भी होता है. उनमें से कुछ लोगों लो पता था की मनोज अभी तक बाप नहीं बन पाया है तो ऐसे ही कुछ महिलाएं मीना को देख कर आपस में खुसुर फुसुर करते है की शायद मीना में ही कुछ गड़बड़ है और वो कहीं बांझ तो नहीं है. वो लोग ये बात धीमी गति से कहते है लेकिन उनकी किस्मत ख़राब थी की ये बात मीना और मनोज को सुनाई देती है और उसे बहुत बुरा लगता है.

मीना तिरछी नज़र से मनोज को देखती है तो मनोज भी समझ जाता है और फिर दोनों को बुरा लगता है तो कुछ बहाना बना कर वो दोनों पार्टी से निकल कर अपने घर चले जाते है. रास्ते में दोनों के बीच कोई बात नहीं होती और वो लोग जब जल्दी घर आ जाते है तो कविता (जो अब तक वही उनके घर में थी और अपने घर नहीं गयी थी) पूछती है की वो लोग जल्दी कैसे आ गए?

मीना कुछ नहीं कहती और अपने कमरे में चली जाती है. मनोज भी कमरे में चले जाता है और फिर वहां दोनों में बहुत बहस होती है. मीना को पता था की उसमें कोई कमी नहीं है माँ बनने में लेकिन कमी मनोज में है जो बात मनोज को भी पता था. मनोज भी मीना को बहुत मनाने की कोशिश करता है लेकिन मीना बहुत गुस्से में थी. जब मनोज भी कमरे में जाता है तो कविता को कुछ गड़बड़ लगता है और वो सोचती है की वो मीना से बात करेगी इस बारे में. कविता उनके कमरे के पास आ कर वो मीना को बाहर आने के लिए आवाज़ लगाने की सोचती है की उसे अंदर दोनों की बहस सुनाई देती है. दरवाज़ा बंद होने के कारण उसे ज़्यादा कुछ समझ नहीं आता और वो चले जाती है की कल सुबह वो मीना से बात करेगी इस बारे में.

अगली सुबह जब मनोज ऑफिस चला जाता है तो कविता मीना के कमरे में जाकर पूछती है तो मीना से रहा नहीं जाता और वो कविता को पकड़ कर रो देती है और कल रात पार्टी में जो हुआ उसे बता देती है. कविता भी गंभीर सोच में पड़ जाती है इस बात को लेकर.

वसु के घर

दीपू रोज़ की तरह वो ऑफिस जाने के लिए तैयार हो जाता है और जाने से पहले दोनों को चूम कर निकल जाता है. जब वो ऑफिस जाता है तो वहां पहले से ही ऋतू थी जो अपना काम कर रही थी. दीपू जब दिनेश के बारे में पूछता है तो ऋतू कहती है की वो कुछ देर में आ जाएगा.

ऋतू के मन में अभी भी बहुत सवाल थे लेकिन उसे लगता है की ये वक़्त सही नहीं है उसके बारे में बात करने का तो वो दीपू से कुछ नहीं बात करती उसके शादी के बारे में. लेकिन वो अंदर ही अंदर बहुत चुदास होती जा रही थी दीपू, वसु और दिव्या के बारे में सोच कर. उसे पता था की उसकी सोच शायद गलत है की वो अपने बेटे के दोस्त के बारे में ऐसा सोच रही है लेकिन दीपू था ही इतना हैंडसम और आकर्षक की ऋतू उसके बारे में बिना सोचे नहीं रह पाती. लेकिन उसके मन में ये ख़याल अब तक नहीं आया की जब दीपू अपनी माँ से शादी कर सकता है तो क्या वो भी दिनेश के साथ…. लेकिन अभी भी उन दोनों के बीच में माँ बेटे का ही रिश्ता था.

सुबह जब दीपू घर से निकलता है तो उसके जाने के कुछ देर बाद वसु को कविता का फ़ोन आता है...
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सुबह जब दीपू घर से निकलता है तो उसके जाने के कुछ देर बाद वसु को कविता का फ़ोन आता है...

अब आगे ..

जब दीपू घर से निकल जाता है तो वसु को कविता का फ़ोन आता है. दोनों फिर ऐसे ही हाल चाल की बात करते है और फिर कविता वसु से पूछती है की एक बार वो उनके घर आ सकती है क्या. (कविता अभी भी मीना के पास ही थी. वो अब तक अपने घर नहीं गयी थी)

वसु: क्यों क्या हुआ माँ जी जो मुझे आप बुला रहे हो? कुछ दिन पहले ही तो हम वापस आये है.

कविता: मैं जानती हूँ...लेकिन बात ऐसी है की मैं फ़ोन पे तुम्हे नहीं बता सकती. वसु को थोड़ा चिंता होती है तो पूछती है: वहां सब ठीक तो है ना?

कविता: हाँ ऐसा सोच सकती हो.

वसु: तो फिर मुझे क्यों बुला रही हो वहां पर?

कविता: एक बार तुम आ जाओ... मैं तुम्हे फिर सब बताती हूँ.

वसु: माँ पिताजी ठीक है ना? उनकी तबियत कैसी है?

कविता: माँ पिताजी सब ठीक है.. मैं तुम्हे और कोई काम के लिए बुला रही हूँ. वसु फिर सोचती है और कहती है की वो घर में बात कर के कुछ देर बाद उन्हें फ़ोन कर के बताएगी.

दिव्या को बुलाती है और कहती है की कविता का फ़ोन आया है और उसे उनके घर जाना है. दिव्या भी थोड़ा चिंतित हो जाती है और पूछती है की सब ठीक तो है ना? वसु कहती है माँ पिताजी ठीक है लेकिन और कुछ बात करने के लिए बुलाई है.

दिव्या: वो बात फ़ोन पे नहीं हो सकती है क्या?

वसु: मैंने भी यहीं बात पूछी थी तो उन्होंने कहा था की बात फ़ोन पे नहीं हो सकती है और खुद मिलकर बात करना चाहती है. मैं एक बार उनसे मिलकर आती हूँ.

दिव्या: हाँ जाओ... क्या पता कुछ हुआ है क्या वहां पर.

वसु: ठीक है.. लेकिन एक बार दीपू से भी बोल देती हूँ.

वसु फिर वसु दीपू को फ़ोन करती है और उसे बताती है की उसे अपने माँ के घर जाना है और कविता से फ़ोन पे हुए बाते बताती है. दीपू काम कर रहा था तो वसु से बात करने के लिए बाहर आता है.

दीपू: जाना ज़रूरी है क्या? मैं तो घर आने के लिए तड़प रहा हूँ.

वसु को ये बात समझ आती है लेकिन हलकी मुस्कान के साथ पूछती है की ऐसा क्यों तड़प रहे हो?

दीपू भी फिर ऐसे ही मस्ती के साथ कहता है: मैं नहीं मेरा छोटा यार और तुम्हारी मुनिया तड़प रही है. सही कहा ना? अगर आप चले जाओगे तो आपकी मुनिया रो देगी.

वसु भी हस्ते हुए: सही कहा लेकिन जाना ज़रूरी है. मेरी मुनिया तो तडपेगी लेकिन आज के लिए दिव्या की मुनिया के आंसूं को पोछ दो. वो भी खुश हो जायेगी.

दीपू: ठीक है अगर आप कहती है तो मैं आपको मन तो नहीं कर सकता है.

वसु भी मस्ती में: मेरे छोटे राजा को बोलो की थोड़ा सबर करे. मैं आने के बाद उसकी अच्छे से ख्याल रखूंगी.. और फिर थोड़ा सीरियस होते हुए कहती है की उसे जल्दी ही निकल जाना चाहिए वरना देर हो जायेगी.

दीपू: हाँ सही कहा आपने. निकल जाओ और वहां जा कर फ़ोन करना. अगर ज़रुरत पढ़ा तो मैं भी आ जाऊँगा.

वसु: ठीक है.

वसु फिर दिव्या को बताती है की उसने दीपू से बात कर ली है और वो निकल रही है. वसु तैयार हो कर निकलने से पहले दिव्या को कमरे में बुला कर कहती है..उसको धीरे से कहती है मैं जा रही हूँ..१-२ दिन में आ जाऊँगी और दीपू का ख्याल रखना.

दिव्या: ये भी कोई पूछने वाली बात है क्या? वो तो अब हम दोनों का पति है तो मैं उसका ख्याल रखूंगी ही ना. वसु: अरे पगली और दिव्या को खींच कर अपनी बाहों में लेते हुए ख्याल मतलब ये और ऐसा कहते हुए दिव्या की साडी के ऊपर से उसकी चूत को मसल देती है और कहती है आज तेरी मुनिया को समझा दो की आज उसकी बजने वाली है और हस देती है.

दिव्या: आप भी ना.. आप जा रही हो तो मुझे और मेरी मुनिया को ही दीपू का ख्याल रखना पड़ेगा ना और शर्मा कर अपनी नज़रें खुआ लेती है.

वसु: अब हम दोनों के बीच शर्म कैसी? जब उसने हम दोनों को किस करने को कहा तो तुझे अच्छा नहीं लगा क्या? दिव्या: मुझे तो बहुत अच्छा लगा. पहली बार था लेकिन..

वसु: चल मैं चलती हूँ. बस और ऐसा कहते हुए वसु दिव्या की गांड दबा देती है और कहती है की इसका ख्याल रखना. कहीं वो ये दरवाज़ा भी ना खोल दे.

दिव्या: यहीं तो डर है दीदी. लेकिन मैं संभाल लूंगी. आप चली जाओ. वसु फिर दिव्या को देखते हुए उसके होंठ चूम लेती है जिसमें दिव्या भी साथ देती है और दोनों एक गहरी किस लेकर एक दुसरे की गांड दबाते हुए अलग हो जाते है.. वसु फिर अपने घर के लिए निकल लेती है.

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जब दीपू को पता चलता है की वसु घर पे नहीं है और सिर्फ दिव्या ही है तो उसे भी थोड़ी ठरक चढ़ती है और वो दिनेश से कहता है की उसे घर में कुछ काम है और वो आज जल्दी जाना चाहता है. दिनेश भी अपने काम में लगा रहता है तो हाँ कह देता है.

वहीँ निशा को पता चलता है की उसकी माँ भी उनके घर गयी है तो वो भी दिनेश से मिलने की सोचती है और दिनेश को फ़ोन कर के उसे कॉफ़ी के लिए बुलाती है. दिनेश भी निशा का फ़ोन देख कर एकदम खुश हो जाता है और उससे मिलने के लिए वो भी अपने ऑफिस से चला जाता है.

दीपू अपना काम जल्दी ख़तम कर के दिव्या से कहता है की वो घर आ रहा है तो दिव्या भी समझ जाती है और फिर वो भी अपना काम कर के थोड़ा तैयार हो जाती है.

दीपू जब घर आता है तो देखता है की दिव्या एक सेक्सी अदा में कड़ी हो कर उसका ही इंतज़ार कर रही थी. दीपू दिव्या को देखता है तो उसी वक़्त उसका लंड एकदम तन जाता है जो की उसके पैंटमें भी दिख रहा था क्यूंकि दिव्या उतनी ही ज़्यादा सेक्सी लग रही थी.

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दीपू दिव्या को देख कर दरवाज़ा बंद कर के कहता है: जानू तुम तो आज मेरी जान ही ले लोगी. इतनी क़यामत लग रही हो.

दिव्या: वो भी फुल मूड में आकर (क्यूंकि निशा घर में नहीं थी) तुम्हारी जान तो नहीं लेकिन और कुछ लेना चाहती हूँ इसीलिए तो ऐसे तैयार हुई हूँ क्यूंकि मुझे पता है तुम मुझे ऐसे ही देखना चाहते हो.

दीपू: एकदम सही कह रही हो मेरी जान और जा कर दिव्या को अपनी बाहों में लेकर उसके होंठ पे टूट पड़ता है. दिव्या भी उसका साथ देती है और दोनों एक दुसरे का रास पीने में लग जाते है. दीपू भी अपनी जुबां उसके मुँह में दाल देता है तो दिव्या भी अपना मुँह खोल कर उसकी जुबां को अंदर ले लेती है और दोनों एक मस्त French Kiss में डूब जाते है. दीपू उसको किस करते हुए अपना एक हाथ उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूची को दबाने लग जाता है.

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दिव्या भी मस्त हो जाती है और वो भी आँहें भरने लगती है लेकिन उसकी आवाज़ दीपू के मुँह में ही डाब जाती है. दीपू फिर दिव्या को कमरे में ले जाकर बिस्तर पे बिठाते हुए फिर से उसे किस करने लग जाता है. दिव्या को अब उसका मुँह दुखने लगता है तो कहती है: जानू अब मेरा मुँह दुःख रहा है.

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दीपू: अभी तो तुम्हारा मुँह ही दुःख रहा है लेकिन थोड़ी देर बाद और भी कुछ दुखेगा और ऐसा कहते हुए अपना हाथ उसके पेट पे रखते हुए उसकी नाभि को मसल देता है.

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अब दिव्या भी सिसकियाँ लेना शुरू कर देती है और आहह ओहह करते हुए आवाज़ निकालती है लेकिन दीपू कहाँ मानने वाला था. देखते ही देखते दीपू दिव्या की ब्लाउज और ब्रा निकल कर उसे ऊपर से नंगा कर देता है और उसकी मस्त उभरी हुई चूचियों पे टूट पड़ता है. एक को मुँह में लेकर चूसता है तो दुसरे को अपने अंघूठे से दबाता है और उसके निप्पल को भी मरोड़ता है. दिव्या को भी इसमें बहुत मजा आ रहा था.

दिव्या: ओह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह्ह..जानू ऐसे ही चूसो ना... अच्छा लग रहा है और दीपू का सर अपने चूचियों पे दबा देती है.

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और ५- १० मं तक ऐसे ही चूसने और चाटने और काटने के बाद जब दिव्या के निप्पल में दर्द होता है तो कहती है: जानू थोड़ा दर्द हो रहा है. आराम से पियो ना.. कहीं नहीं भाग रहे है.

दीपू: मैं जानता हूँ जानू.. लेकिन क्या करून.. जब इनको देखता हूँ तो रहा नहीं जाता.. क्यों तुम्हे मजा नहीं आ रहा है क्या?

दिव्या: मजा तो बहुत आ रहा है लेकिन थोड़ा दुःख भी रहा है.. और तुम्हे तो और भी जगह है जहां तुम्हे और मजा आएगा.

दीपू: दिव्या को देख कर कहाँ?

दिव्या: तुम्हे पता नहीं है क्या?

दीपू: मुझे पता है लेकिन मैं तुम्हारे मुँह से सुन्ना चाहता हूँ. मैंने क्या कहा था? यहाँ जब हम बिस्तर पे होंगे तो कोई शर्म नहीं. तो बोलो और कहाँ मजा आएगा मुझे? दिव्या भी अब दीपू की आँखों में देख कर थोड़ा आगे आते हुए उसके कान में कहती है.. तुम्हे मेरी चूत में और मजा आएगा. बहुत रो रही है तुम्हारे ध्यान के लिए.

दीपू: ये हुई ना बात और ऐसा कहते हुए दीपू दिव्या की साडी और पेटीकोट निकाल देता है. दिव्या अब सिर्फ एक छोटे पैंटी में रह जाती है और जैसे वो कहती है उसकी पैंटी एकदम गीली थी.

दीपू फिर दिव्या की गीली पैंटी पे अपनी जुबां रख कर उसको चाट लेटा है. दिव्या भी एकदम उत्तेजित हो जाती है और उसे पता था की अब घर में और कोई नहीं है तो ज़ोर से चिल्लाने और चीकने लगती है क्यूंकि वो भी पूरी उत्तेजित हो गयी थी. उसे इस वक़्त कोई डर नहीं था की उसकी आवाज़ कोई सुन लेगा. ओह्ह्ह रुको मत ... ओह्ह्ह्ह उम्ममम..

दीपू को भी मज़ा आ रहा था तो वो दिव्या की पैंटी उतार फेंकता है जिसमें दिव्या भी उसकी मदत करती है क्यूंकि वो भी अब खुल कर मज़ा लेना चाहती थी और अपनी गांड उठा कर आँखों से दीपू को कहती है की पैंटी निकल दे. अब दीपू की आँखों के सामने दिव्या की एकदम चिकनी और गीली चूत थी जो दीपू को एकदम उकसा देती है और दीपू भी बिना समय गवाए उस पर टूट पड़ता है और ऊपर से नीचे तक उसकी चूत चाटने में लग जाता है. अपनी जुबां उसकी गीली हुई चूत के अंदर डाल कर अच्छे से चाटने लग जाता है

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दिव्या भी आंहें भरते हुए अपनी गांड उठा के अपनी चूत दीपू के मुँह में देती है और उसी तरह से अपना हाथ दीपू के सर के ऊपर रख कर उसे अपनी चूत में दबा देती है.

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दिव्या जब दीपू की जीब अब अपनी चूत पे महसूस होता है तो जोर से आह करते हुवे बिस्तर को पकड़ लेती है

दिव्या भी मदहोशी में बड़बड़ाते: हाँ ऐसे ही मेरी चूत खा जाओ. इसी मस्ती में दिव्या भी काफी बार झड़ जाती है और अपनी पानी काफी बार निकल देती है जिसे दीपू बड़े चाव से पी जाता है.

दिव्या झड़ कर जब पस्त हो जाती है और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगती है और उसी के साथ दिव्या के चूचे भी उपर नीचे हो रहे थे. दीपू भी अपना चेहरा उसकी चूत से हटा कर ऊपर आता है तो दिव्या भी समझ जाती है और उसके होंठ चूम लेती है क्यूंकि दिव्या को पता था की दीपू उसे अपनी चूत रास का स्वाद दिलाना चाहता था.

दिव्या भी दीपू के मुँह से अपना स्वाद लेती है और उसे चूम के कहती है.. अब ठीक?

दीपू: तुम तो बड़ी समझदार हो गयी हो. तुम्हे भी पता था की मैं ऊपर क्यों आया. चलो अब तुम्हारी बारी है और अपने लंड को दिव्या के मुँह के पास ले आता है तो दिव्या उसे देख कर समझ जाती है उसके लंड को पहले अपने मुट्ठी में लेती है और हिलाने लगती है.

५ min तक ऐसे ही हिलाती रहती है और दीपू का लंड भी अब थोड़ा खड़ा हो जाता है.

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दीपू: सिर्फ हिलती ही रहोगी क्या? उसे चूमो चाटो और मुँह में लेकर मुझे भी मजे दो ना.

दिव्या: हाँ मुझे भी पता है. थोड़ा सबर तो करो और फिर दीपू की आँख में देखते हुए उसका लंड को चूमते हुए मुँह में लेती है. पहले धीरे लेकिन आहिस्ता आहिस्ता पूरा मुँह में ले लेती है. जब दीपू का लंड पूरा मुँह में ले लेती है तो दीपू को भी मजा आता है और अपना हाथ दिव्या के सर के पीछे रख कर अपने लंड को एक धक्का मारता है तो पूरा लंड दिव्या के मुँह में चला जाता है. दिव्या ने ऐसा सोचा नहीं था और जब पूरा लंड उसके मुँह में चला जाता है तो वो थोड़ा खास्ती है और कहती है इतना ज़ोर के धक्का क्यों लगा रहे हो और उसके आँख से पानी आ जाता है.

दिव्या: तुम मेरी जान लेने वाले हो क्या? देखो पूरा गले पे लग रहा है और थोड़ा दर्द भी हो रहा है.

दीपू जब देखता है तो उसे उसकी गलती का एहसास होता है और कहता है सॉरी यार तुमने इतना अच्छे से लिया था तो मुझ से रहा नहीं गया.. इसीलिए एक बार में ही पूरा डाल दिया. अब दीपू धीरे धीरे लेकिन प्यार से उसके लंड को आगे पीछे करता है. इसमें दोनों को मजा आता है और ५- ७ min के बाद जब लगता है की दीपू भी झड़ने के करीब है तो अपना लंड उसके मुँह से निकाल लेता है..

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दीपू: चलो जानू तैयार हो जाओ जन्नत की सैर करने के लिए. तुमने अब तक मुझे जन्नत की सैर कराई थी तो अब तुम्हे सैर कराना मेरा भी फ़र्ज़ है और फिर दीपू दिव्या को बिस्तर पे सुला कर उसके पेअर को अपने कंधे पे रखते हुए दिव्या को देखते हुए लंड को चूत पे रख कर एक ज़बरदस्त शॉट मारता है तो उसका ८ इन का पूरा तना हुआ लंड एक बार में ही उसके जड़ तक चला जाता है.

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दिव्या की आंखें थोड़ी बाद हो जाती है दर्द के मारे लेकिन दीपू को पता था तो इसिलए वो झुक कर दिव्या के होंठ चूम लेता है और दिव्या की आवाज़ गले में घुट कर ही रह जाती है.

दीपू: हो गया जानू... तुम्हे जो दर्द होना था अब हो गया है. अब मजे ही मजे होंगे. दिव्या को अभी भी दर्द हो रहा था तो वो अपनी दोनों मुट्ठियाँ बिस्तर पे चादर को पकड़ लेती है.

इतने में ही दिव्या एक बार फिर से झड़ जाती है और उसका पानी निकल जाता है. उसका फायदा दीपू को होता है की चूत के पानी निकलने से अब उसका लंड चूत में बड़े आराम से चला जाता है और फिर ऐसे ही दीपू मस्त दाना दान पेलने लगता है दिव्या को. दिव्या को भी अब दर्द काम हो गया था और उसे भी अब मजा आने लगता है.

दिव्या: जानू मेरे पाँव दुःख रहे है. दीपू फिर उसका लंड निकल कर बिस्तर से उठ जाता है.

दिव्या: मैंने तो सिर्फ अपने पाँव नीचे रखने को कहा था. अभी ही मुझे मजा आ रहा है तो तुम बिस्तर से क्यों उठ गए? दीपू हस्ता है कहता है तुम भी उठ जाओ. आज कुछ नया करते है. दिव्या को समझ नहीं आता तो वो भी उठ जाती है. फिर दीपू दिव्या को पकड़ कर उसको चूमते हुए उसका एक पाँव को उठा कर खड़े खड़े ही लंड चूत में डाल कर पेलने लगता है. दिव्या को भी इस पोज़ में मजा आता है और दीपू की तरफ देख कर हस देती है. दीपू ऐसे ही दिव्या को ठोकते रहता है और दिव्या फिर से झड़ जाती है और अब पानी उसकी जांघ पे भी गिर जाता है.

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दिव्या: जानू मैं फिर से झड़ गयी हूँ. तुम्हारा हुआ नहीं है क्या?

दीपू: कहाँ जान इतनी जल्दी कैसे? तुम जैसे गदराये घोड़ी को एक घंटे तक ना पेलून तो फिर मजा क्या है? दीपू फिर दिव्या को घोड़ी बना देता है और दिव्या अपना हाथ दीवार पे रख कर झुक जाती है और दीपू घोड़ी के पोज़ में फिर शुरू हो जाता है. इस सब में पूरे कमरे में फच फच की आवाज़ें आती रहती है. उनकी किस्मत अच्छी थी की घर में इस वक़्त निशा नहीं थी वर्ण उसे पता चल जाता. ५- १० min तक ऐसे ही घोड़ी बना कर छोड़ने के बाद दीपू भी कहता है की उसका होने वाला है तो दीपू कहती है फिलहाल बाहर ही निकालो. दीपू भी मान जाता है और फिर आखिर में ४- ५ ज़बरदस्त झटके मारने के बाद अपना लंड निकल लेता है और दिव्या की गांड के ऊपर ही अपना पूरा माल निकल देता है. दोनों अब बहुत थक चुके थे क्यूंकि दोनों की चुदाई ऑलमोस्ट १ घंटा चलता है जहाँ दीपू दिव्या को अलग अलग स्टाइल में चोदता है और फिर दोनों बिस्तर पे गिर जाते है और दिव्या दीपू की बाहों में सर रख कर एकदम सुकून पाती है.

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दिव्या: जानू तुम तो एकदम पूरा जान ही निकल देते हो.

दीपू: क्यों तुम्हे मजा नहीं आता क्या? दिव्या दीपू को देख कर उसके होंठ चूमते हुए नहीं बहुत मजा आता है लेकिन थक भी जाती हूँ.

दीपू: उसी थकन में तो मजा भी है ना.. और दिव्या दीपू को देख कर हस्ते हुए उसके सीने में थपकी मारती है. दोनों बहुत थक गए थे तो दोनों की आँख लग जाती है.

नानी के घर:

वसु २- ३ घंटे में बस के सफर में अपने गाँव पहुँच जाती है और फिर अपने माँ बाप के घर चले जाती है. उसकी माँ वसु को देख कर पूछती है की फिर से कैसे आना हुआ? वसु कुछ बहाना बनाती है और कहती है की वो कुछ काम से बाहर आयी थी तो उसी के चलते मैं आप से भी मिलने आ गयी. अब आप और बाबा की तबियत कैसी है? माँ: हम ठीक है बीटा. तू और दिव्या को खुश हो ना? वसु अपनी माँ को गले लगा कर.. एकदम खुश है माँ.. आप हमारी चिंता मत करो और अपनी और बाबा की तबियत का ख्याल रखना. ठीक है? उसकी माँ भी हाँ में सर हिला देती है

वसु: मीना और माँ जी दिख नहीं रहे है?

माँ: वो दोनों अपने कमरे में होंगे. तेरे बाबा तो सो गए.. मैं भी सोने जा रही हूँ.

वसु: हाँ आप सो जाओ. मैं उनसे मिल लेती हूँ. शाम को चाय पीते वक़्त बाबा से भी मिल लूंगी..

वसु फिर कविता के कमरे में जाती है तो अपने सोच में डूबी रहती है. वसु को देख कर वो भी उसे मिलने आती है और प्यार से गले मिलती है.

वसु: तो कहिये माजी क्यों बुलाया है? ऐसी क्या बात है की बात फ़ोन पे नहीं हो सकती थी.

कविता: बैठो बेटी बताती हूँ. २- ३ दिन पहले मनोज और मीना ऑफिस के एक पार्टी में गए थे... और फिर वहां पर जो भी हुआ कविता वसु को बताती है. मीना बहुत परेशान और दुखी में है. उसे समझ नहीं आ रहा है की वो क्या कर सकती है और आज कल तो बहुत रो भी रही है.

वसु पूरी बात सुन कर: हाँ उसके साथ तो अच्छा नहीं हुआ है. अभी वो कहाँ हैं और मनोज कहाँ है?

कविता: मीना तो अपने कमरे में सो रही है और मनोज ऑफिस गया है. वसु: ठीक है उसे सोने दो. शाम को मैं दोनों से बात करती हूँ. मुझे भी जल्दी जाना होगा क्यूंकि अब दीपू भी काम करने लगा है.

कविता: तुम्हारा चेहरा तो काफी खिला खिला लग रहा है. तुम को खुश हो ना? वसु भी कविता की बात पे हस देती है और कहती है की वो और दिव्या दोनों खुश है. दोनों फिर ऐसे ही कुछ और बातें करते है और फिर वसु भी वहीँ कविता के कमरे में सो जाती है.

शाम को सब उठते है और बैठ कर बाते करते रहते है...मीना वसु को देख कर आश्चर्य हो जाती है क्यूंकि उसे पता नहीं था की वसु वहां उनके घर आ रही है. वसु अपने पिताजी से भी मिलती है और उनसे भी बात करती है. वैसे ही कुछ देर बाद मनोज भी ऑफिस से आ जाता है और वो भी वसु को देख कर आश्चर्य हो जाता है. सब फिर फ्रेश हो कर चाय पीते हैं और फिर वसु मनोज और मीना को इशारे से ऊपर छत पर आने को कहती है. दोनों मनोज और मीना एक दुसरे को देखते है और फिर वो भी छत पे चले जाते है. शाम का वक़्त था.. सूरज ढल रहा था और अच्छी ठंडी हवा भी चल रही थी. जब तीनो छत पे होते है तो दोनों एक दुसरे को देख कर वसु से पूछते है की उन्हें यहाँ क्यों बुलाया है.

वसु फिर दोपहर को कविता से हुई बात बताती है और मनोज से पूछती है की बात क्या है. मनोज थोड़ा झिझकता है तो वसु कहती है की डरो मत मैं तुम दोनों की मदत करने आयी हूँ. अगर मेरे से कुछ हो सकता है तो मैं तुम दोनों की परेशानी दूर करने की कोशिश करूंगी.

मनोज फिर पार्टी में जो हुआ वो बताता है और कहता है की जब से उसका एक्सीडेंट हुआ है वो मीना पे ज़्यादा "ध्यान" नहीं दे पा रहा है.

वसु: तो तुम इसका इलाज क्यों नहीं करवाते?

मनोज: कोशिश किया था लेकिन डॉक्टर ने कहा की ज़्यादा कुछ नहीं कर सकते क्यूंकि एक्सीडेंट की वजह से जो चोट आयी है वो बहुत गहरी है और ऐसी की कुछ बातें बताता है.

वसु मीना से: फिर तुम एक बच्चे को गोद क्यों नहीं ले लेती? आजकल तो बहुत लोग बच्चे को गोद ले लेटे है.

मीना: नहीं दीदी मुझे गोद नहीं लेना है और आंसूं बहाती है तो वसु उसे अपने गले से लगा लेती है. चुप हो जा... मैं हूँ ना.. कुछ ना कुछ हल निकल आएगा. चिंता मत करो.

वसु: तो फिर इसका इलाज क्या कर सकते है? दोनों एक दुसरे को देखते है और दुखी चेहरे से वसु की तरफ देखते है. इतने में कविता भी वहां छत पे आ जाती है और तीनो को देखती है. अब कविता को भी कुछ समझ नहीं आता की क्या किया जाए. वसु फिर कुछ सोचती है और कहती है की मुझे आज रात तक सोचने का समय दो. मैं कुछ सोच कर बताती हूँ. सब मान जाते है लेकिन मनोज और मीना अपने मन में सोचते है की वसु के मन में क्या चल रहा है.

यहाँ दीपू के गाँव में:

निशा और दिनेश कॉफ़ी पीने के लिए मिलते है और एक दुसरे के बारे में जानते है... उनको क्या पसंद है क्या पसंद नहीं है.. उस वक़्त होटल में ज़्यादा लोग नहीं रहते और होटल लगभग खाली ही रहता है. दिनेश कॉफ़ी का बिल पाय करके दोनों निकलने को होते है तो दिनेश निशा को देख कर: यार एक बात पूछूं?

निशा: हाँ कहो..

दिनेश: यार अब रहा नहीं जाता. तुम्हारे मम्मी से पूछो की शादी कब होगी. मेरी माँ भी तुझे अपनी बहु बनाने के लिए देख रही है. निशा: ठीक है. माँ अभी नाना के घर गयी है तो मैं आज उनसे बात करके तारिक पक्का करवाती हूँ. दिनेश: ये ठीक रहेगा और निशा की तरफ एक कामुक नज़र से देख कर.. तब तक के लिए मुझे एक छोटा गिफ्ट तो दे दो. निशा को समझ नहीं आता तो पूछती है क्या? दिनेश चारो तरफ देखता है और वहां कोई नहीं होता तो वो अपनी ऊँगली अपने होंठ पे रखता है और दूसरी ऊँगली उसके होंठ की तरफ इशारा करता है. निशा समझ जाती है और वो भी चारो तरफ देख कर जब कोई नहीं दीखता तो दिनेश को पकड़ कर उसके होंठ पे एक गहरा चुम्मा देती है.

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२ min बाद.. अब खुश. दिनेश भी एकदम मस्त हो जाता है और जान तुम तो मुझे पागल कर डौगी. अब तो मुझे अपनी शादी और सुहागरात का इंतज़ार रहेगा. निशा भी थोड़ा शर्मा जाती है और कहती है सबर का फल मीठा होता है और हस्ते हुए दोनों होटल से बाहर आ जाते है और फिर दोनों अपनी घर की और निकल जाते है.

रात को जब दीपू और दिव्या कमरे में एक दुसरे की बाहों में रह कर बात करते है की वसु क्यों गयी है. इतने में दीपू का फ़ोन बजता है और देखता है की उसे वसु ने कॉल लिया था. दीपू फ़ोन पिक कर के कहता है बोलो माँ... क्या बात है और वहां इतनी जल्दी क्यों गयी. वसु: बेटा मुझे तेरे से एक बात करनी नहीं....
 

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Shandar update bhai
Ritu dipu ke aur karib aati ja rahi hai
Vahi lagta hai mina ke sath bhi kuch baat ban sakti hai
Bhai, update posted on Pg 150. Pls read, like and comment. Look forward to it.

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बहुत ही सुंदर लाजवाब और जबरदस्त मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
लगता हैं मिना और ऋतू के बीच रिस्तों का बडा बदलाव आने की संभावना हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
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Nice update
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Ek number
 
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Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
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