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Incest मासी का घर (सेक्सी मासी और मासी की बेटी)

Toto Monkie

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मासी का घर
अध्याय 1- मासी मिलन

परिचय -

मैं (विशाल) : मैं एक 18 वर्षीय नौजवान हूं, सेक्स के लिया काफी ज्यादा उत्तेजित हूं। मेरा लंड 7 इंच लंबा और 2 इंच चौड़ा है। मुझे बचपन से ही मेरी मासी से प्यार था।


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उर्मिला : 36 वर्षीय मेरी मासी, एक हाउसवाइफ है। इनका रंग गोरा है और शरीर गदराया, सुडौल, चिकना है। उनका फिगर 38-40-38 है।

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विशाखा : मेरे मासी की बेटी, उम्र मेरे बराबर है। शरीर चिकना, फिट है, बिल्कुल अपनी मां जैसा चिकना बदन। मैने मेरी मां से सुना है कि मेरी मासी भी अपनी जवानी में ऐसी ही दिखती थी। इसका फिगर 36-24-36 है।

तरुण : मेरी मौसा जी, जिनकी उम्र 44 साल है। इनकी एक सुपरशॉप है। अपने बिसिनेज में काफी बिजी व्यक्ति है।

---

यह बात उन दिनों की जब मैं 18 साल का हुआ ही था। इस उम्र में जवानी अपने चरम पर होती है। मैं इस उम्र में सेक्स के लिए काफी उत्सुक था। Incest पॉर्न (अनाचार) काफी देखने के बाद मैं अपने ही परिवार वालों को गंदी नजरों से देखता था।

मेरे ना कोई मामा थे, ना ही नाना नानी जिंदा थे। इस वजह से मैं गर्मियों की छुट्टियों में अपने मासी के घर जाया करता था। वहां मेरी मौसेरी बहन विशाखा थी जिसके साथ मेरी काफी बनती है।चार साल हो चुके थे, मैं चार सालों से मेरी मासी घर नहीं गया था। मगर इस बार में मुझे जाना ही था।

श्याम का समय था, दिन ढल रहा था। मैं अपने मासी घर पहुंचा और डोर बेल बजाई। मेरी मासी ने दरवाजा खोला। उन्होंने एक सफेद साड़ी पहनी थीं, वे काफी सुंदर दिख रही थी।


page-4

मुझे देखकर उन्होंने मुझे कस के गले लगाया। उनकी बाहें काफी गरम महसूस हो रही थी। फिर उन्होंने मेरे कंधों पर हाथ रखते हुए मुझसे कहा,

मासी: "कड़ी बड़े हो गए हो बेटा।"

मैं: "हां, बिल्कुल।"

फिर उन्होंने मुझे अंदर बुलाया। अंदर घुसते ही मैं विशाखा से मिला। वो भी काफी जवान होगया थी, हाइट में मेरे बराबर होगी थी। मैने अपनी बैग सोफे पर रखी और आराम से बैठ गया। विशाखा और मैने अपनी बातें चालू कर दी। मासी किचेन में चली गई थी।

बातों ही बातों में, विशाखा ने मुझे नहाने के लिए कहा। सफर के बाद मैं भी काफी थक चुका था इसलिए झट से नहाने चला गया।

मेरे मासी के घर 3 बेडरूम्स थे, एक में मेरी मासी मौसा सोते थे और एक में विशाखा और एक गेस्ट रूम था जिसमें अब में रह रहा था। 2 बेडरूम फर्स्ट फ्लोर पर थे और एक बेडरूम ग्राउंड फ्लोर पर, कॉमन बाथरूम, किचेन attached with डायनिंग रूम और हॉल भी ग्राउंड फ्लोर पर था।

नहाने के बाद मैं कपड़े बदल के डायनिंग रूम में चला गया। मेरा मौसा जी घर वालिस आ गए थे और रात भी हो गई थी। मौसा जी डायनिंग टेबल पर बैठे थे और मासी किचेन में काम कर रही थी। मासी ने साटिन के कपड़े का स्लीवलेस गाउन पहनना था, जिसमें वे काफी सेक्सी लग रही थी।

डायनिंग टेबल पर बैठ कर मैने और मौसा जी ने अपने बातें चालू कर थी। काफी समय बाद मासी टेबल पर खाना लगाने लगी तभी मैं भी उनकी मदद के लिए कुछ सामान लाने लगा। इसी बीच उनके नंगे हाथ मेरे बाहों को छू रही थी, उनका वह घर्षण काफी था मुझे उत्तेजित करने के लिए।

खाना लगाने के बाद मैं डायनिंग टेबल पर बैठ गया और मासी ने परसोना चालू किया। जब वे मुझे परोस रही थी तभी उनकी दीप नेक से उनके बड़े बड़े दूध से बाहरी स्तन और उनके बीच की गहरी दरार मुझे नजर आई। वह मेरी ओर झुकी हुई थी और वैसे ही रुक गई, उन्होंने विशाखा को आवाज लगाई। मेरा लंड खड़ा होकर चट्टान बन चुका था।

खाना खाने के बाद में अपने कमरे में चला गया और बिस्तर पर लेट कर वही दृश्य याद करने लगा। पूरी रात मैने उस नजारे को याद करते हुए मुठ मारी।
 
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मासी का घर
अध्याय 1- मासी मिलन

परिचय -

मैं (विशाल) : मैं एक 18 वर्षीय नौजवान हूं, सेक्स के लिया काफी ज्यादा उत्तेजित हूं। मेरा लंड 7 इंच लंबा और 2 इंच चौड़ा है। मुझे बचपन से ही मेरी मासी से प्यार था।


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उर्मिला : 36 वर्षीय मेरी मासी, एक हाउसवाइफ है। इनका रंग गोरा है और शरीर गदराया, सुडौल, चिकना है। उनका फिगर 38-40-38 है।

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विशाखा : मेरे मासी की बेटी, उम्र मेरे बराबर है। शरीर चिकना, फिट है, बिल्कुल अपनी मां जैसा चिकना बदन। मैने मेरी मां से सुना है कि मेरी मासी भी अपनी जवानी में ऐसी ही दिखती थी। इसका फिगर 36-24-36 है।

तरुण : मेरी मौसा जी, जिनकी उम्र 44 साल है। इनकी एक सुपरशॉप है। अपने बिसिनेज में काफी बिजी व्यक्ति है।

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यह बात उन दिनों की जब मैं 18 साल का हुआ ही था। इस उम्र में जवानी अपने चरम पर होती है। मैं इस उम्र में सेक्स के लिए काफी उत्सुक था। Incest पॉर्न (अनाचार) काफी देखने के बाद मैं अपने ही परिवार वालों को गंदी नजरों से देखता था।

मेरे ना कोई मामा थे, ना ही नाना नानी जिंदा थे। इस वजह से मैं गर्मियों की छुट्टियों में अपने मासी के घर जाया करता था। वहां मेरी मौसेरी बहन विशाखा थी जिसके साथ मेरी काफी बनती है।चार साल हो चुके थे, मैं चार सालों से मेरी मासी घर नहीं गया था। मगर इस बार में मुझे जाना ही था।

श्याम का समय था, दिन ढल रहा था। मैं अपने मासी घर पहुंचा और डोर बेल बजाई। मेरी मासी ने दरवाजा खोला। उन्होंने एक सफेद साड़ी पहनी थीं, वे काफी सुंदर दिख रही थी।


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मुझे देखकर उन्होंने मुझे कस के गले लगाया। उनकी बाहें काफी गरम महसूस हो रही थी। फिर उन्होंने मेरे कंधों पर हाथ रखते हुए मुझसे कहा,

मासी: "कड़ी बड़े हो गए हो बेटा।"

मैं: "हां, बिल्कुल।"

फिर उन्होंने मुझे अंदर बुलाया। अंदर घुसते ही मैं विशाखा से मिला। वो भी काफी जवान होगया थी, हाइट में मेरे बराबर होगी थी। मैने अपनी बैग सोफे पर रखी और आराम से बैठ गया। विशाखा और मैने अपनी बातें चालू कर दी। मासी किचेन में चली गई थी।

बातों ही बातों में, विशाखा ने मुझे नहाने के लिए कहा। सफर के बाद मैं भी काफी थक चुका था इसलिए झट से नहाने चला गया।

मेरे मासी के घर 3 बेडरूम्स थे, एक में मेरी मासी मौसा सोते थे और एक में विशाखा और एक गेस्ट रूम था जिसमें अब में रह रहा था। 2 बेडरूम फर्स्ट फ्लोर पर थे और एक बेडरूम ग्राउंड फ्लोर पर, कॉमन बाथरूम, किचेन attached with डायनिंग रूम और हॉल भी ग्राउंड फ्लोर पर था।

नहाने के बाद मैं कपड़े बदल के डायनिंग रूम में चला गया। मेरा मौसा जी घर वालिस आ गए थे और रात भी हो गई थी। मौसा जी डायनिंग टेबल पर बैठे थे और मासी किचेन में काम कर रही थी। मासी ने साटिन के कपड़े का स्लीवलेस गाउन पहनना था, जिसमें वे काफी सेक्सी लग रही थी।

डायनिंग टेबल पर बैठ कर मैने और मौसा जी ने अपने बातें चालू कर थी। काफी समय बाद मासी टेबल पर खाना लगाने लगी तभी मैं भी उनकी मदद के लिए कुछ सामान लाने लगा। इसी बीच उनके नंगे हाथ मेरे बाहों को छू रही थी, उनका वह घर्षण काफी था मुझे उत्तेजित करने के लिए।

खाना लगाने के बाद मैं डायनिंग टेबल पर बैठ गया और मासी ने परसोना चालू किया। जब वे मुझे परोस रही थी तभी उनकी दीप नेक से उनके बड़े बड़े दूध से बाहरी स्तन और उनके बीच की गहरी दरार मुझे नजर आई। वह मेरी ओर झुकी हुई थी और वैसे ही रुक गई, उन्होंने विशाखा को आवाज लगाई। मेरा लंड खड़ा होकर चट्टान बन चुका था।

खाना खाने के बाद में अपने कमरे में चला गया और बिस्तर पर लेट कर वही दृश्य याद करने लगा। पूरी रात मैने उस नजारे को याद करते हुए मुठ मारी।
बहुत ही शानदार लाजवाब और मदमस्त प्रारंभ हैं भाई कहानी का
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Toto Monkie

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मासी का घर
अध्याय 2 - मासी का सार

जैसे कि मैं आपको पिछले अध्याय में बता चुका हूं कि काफी लंबे अरसे बाद, मैं छुट्टियों में अपनी मासी के घर आया हुआ था, जहां मुझे उनके उभरे हुए बड़े बड़े स्तनों का और उनकी बीच वाली दरार की एक झलक दिखी थी जिससे मेरे अंदर मेरी मासी के प्रति यौन भाव जागृत हुआ।

अब, अगली सुबह, मैं थोड़ी देर से उठा। अपने कमरे के बाहर आकर देखा तो घर में कोई नहीं था। सिर्फ मेरी मासी थी, पर वो नहा रही थी।

लगता है सभी लोग अपने अपने कामों पर निकल गए थे और मेरी मासी भी अपना काम करके नहा रही थी। पानी की बूंदे जो शॉवर से बाथरूम की फर्श से टकरा रही थी, मैं उसकी आवाज साफ सुन सकता था।

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सोचो, वह बूंदे कितनी भाग्यशाली है कि जो मेरी मासी के नंगे बदन को छू रही थी। उनके वह काले रेशमी सुगंधित बाल, गोरा, चिकना, मुलायम, गदराया शरीर।

ऐसा सोचते ही मेरा लंड खड़ा होकर चट्टान की तरह कड़क हो गया। फिर मैं जाकर सोफे पर बैठ गया जहां से बाथरूम के दरवाजे को साफ देखा जा सकता है।

कुछ ही देर में, मासी नहाकर बाहर आई, उन्होंने कुछ भी नहीं पहना था, सिर्फ एक टॉवेल था जो उसके धड़ को धक रहा था, और एक टॉवेल था जो उनके बालों पर लिपटा हुआ था। उसकी गोरी चिकनी टांगे पूरी तरह से नंगी थी, उसके पैरों पर एक बाल नहीं था।

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उन्हें इस हालत में देख कर ही मैं उत्तेजित हो गया था। मुझे लगा था कि वह मुझे बाहर बैठा देख कर चौंक जाएगी मगर मुझे देख के उनके हाव भाव बिलकुल नहीं बदले। एक सेकेंड के लिए वह मुझे सिर्फ देखती रही फिर कह पड़ी।

मासी: “अरे, तुम उठ गए! बेटा तुम्हें नींद तो आई थी न?”

मैं: “हां, बहुत अच्छी नींद आई।”

वे मुस्कुराई और अपने कमरे में चली गई। उन्होंने सिर्फ मुझे जगा हुआ देखा था, उन्होंने यह नहीं देखा कि मेरा लंड में जाग रहा है।

मेरे खड़े हुए राक्षस को शांत करने के लिए मैंने मेरा हाथ मेरी शॉर्ट में दाखिल कर दिया। इतना गर्म और कड़क मेरा लिंग जो आज हुआ है वह पहले कभी नहीं हुआ था।

जैसे ही मासी अंदर गई, उन्होंने मुझे आवाज लगाई। जैसे ही मैंने उनकी आवाज सुनी, मैंने मेरे हाथों को झट से बाहर खींच लिया।

मासी ने अपना सिर दरवाजे से बाहर निकाल कर बोली,

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मासी: “बेटा तुम भी नहा लो फिर साथ में बैठकर खाना खा लेते है।”

मैंने मुस्कुराहट के साथ हां में सिर हिलाया।

जितनी जल्दी हो सकता था उतने ही जल्दी में बाथरूम में घुस गया। वहां अब भी गर्म धुंध थी। मासी के शरीर की महक बाथरूम में हर तरफ थी, गर्माहट जो पूरी हवा में थी जिससे मासी के मौजूदगी का एहसास हो रहा था। वह एहसास काफी अलग और आनंददायी था।

मैंने झट से मेरे सारे कपड़े उतार कर फेंक दिए ताकि मैं मेरी मासी की उस मौजूदगी के एहसास को, उस माहौल को मेरे रोम रोम में बसा पाऊं।

कपड़ों को हैंगर पर टांगते वक्त मुझे वहां मेरी मासी की कच्छी भी टंगी हुई नजर आई।

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उनकी उस पैंटी को मैंने मेरे मुंह से लगा लिया, उसमें उसका सार था, उनकी महक भी थी। यह वही पैंटी है जो मेरी मौसी के चूतड़ों को छुती है, उसकी चुत से वाकिफ है। इससे मानो मैने स्वर्ग की सैर कर ली थी।

जिसके बाद मैंने आज तक की सबसे बेहतरीन मुठ मारी, उसकी चड्डी सूंघते हुए। फिर जल्दी से नहाने ने के बाद मैं बाहर निकल आया।

कपड़े बदल कर, मैं कमरे से निकल कर नीचे चला आया।

मैं जब नीचे उतरा, वैसे ही विशु घर में आई। वह अपनी योगा क्लासेस से वापिस आ रही थी। उसने योगा outfit पहनी हुई थी जिससे उसके निपल्स काफी साफ़ दिख रहे थे। क्रॉप टॉप होने के कारण उसकी पतली चिकनी लचीली कमर दिख रही थी, उसकी थाइज़ का शेप काफी बढ़िया था जो उसके टाइट लेगिंग्स से साफ नजर आता था।


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आने के बाद उसने भी नहाया और हम सब खाना खाने लगे। मासी के हाथ का खाना बहुत बढ़िया था, मुझसे तारीफ किए बिना रहा नहीं गया।

मैं: “मासी, सीरियसली… आपके हाथ के खाने का कोई जवाब नहीं, अच्छे अच्छे रेस्टोरेंट फेल है आपके सामने।

मासी ने मुस्कुराते हुए कहा,

मासी: “अरे वाह, सच में!”

मैं और मस्का लगाने लगा,

मैं: “मैं तो कहता हूं आप एक रेस्टोरेंट खोल ही दो।”


मासी ने हंसते हुए कहा,

मासी: “फिर तो बढ़िया है, तुम मैनेजर बन जाना और मैं मास्टर शेफ”

मैं: “अरे वह, बिलकुल बिलकुल।”

हम तीनों ऐसी ही काफी सारी बातें की और लंच किया।

लंच के तुरंत बाद, मैं अपने कमरे में चला गया और reddit पर काफी सारे पोस्ट पढ़ने लगा, “how to seduce aunt” और “how to fuck aunt” के संदर्भ में।

तभी, विशाखा मेरे कमरे का दरवाजा खोलती है और दरवाजे पर अपनी पीठ टिका कर, हाथों को बांध कर बोली,


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विशाखा: “हेय, क्या हाल है?”

मैं: “ठीक हूं, क्या हुआ?”

वह आगे बढ़ी और मेरे बिस्तर के पास आकर खड़े होकर उत्साह के साथ कहने लगी,

विशाखा: “घूमने चलें क्या?”

मैं: “इस वक्त!?”

मेरा बिल्कुल मूड नहीं था घूमने का, क्योंकि मुझे और भी ज्यादा रिसर्च करनी थी, और भी कहानियां और किस्से पढ़ने थे जिससे मुझे मासी को मेरी प्रति आकर्षित करने का तरीका पता चले। लेकिन विशाखा ने मेरे हाथों को अपने नरम हाथों से पकड़ा और मुझे खींचने लगी।

विशाखा: “अरे चलो ना…”

वो काफी जिद्दी है, मुझे उसके जिद्द के समाने हारना पड़ा।
 
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मासी का घर
अध्याय 3 - प्रेम भ्रमण

विशाखा की जिद्द पर मैं और वह घर के बाहर घूमने निकल गए। उसने एक white camisole, grey jacket और denim shorts पहना था।

उसका outfit:


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गर्म मौसम था और सीमेंट के रोड पर, आजू बाजू के पेड़ों की ठंडी छांव थी। मैं उसे पूंछ की नहीं की कहां जाना था, बस उसके साथ साथ चलते रहा। फिर मैंने पूँछ ही लिया।



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मैं: “कहां चलना है?”

विशाखा: “तुम बस चलो मेरे साथ।”

मैं: “अरे बता नहीं तो जा रहा हूं मैं।”

विशाखा: “अरे, तुम्हे एक मस्त जगह दिखानी है।”

फिर मैंने ज्यादा पूछ ताज नहीं कि, कौन एक सुंदर लड़की के साथ घूमना नहीं पसंद करेगा। कुछ दूर चलने पर रस्ते में कुछ कुत्ते हमें देख कर भोंकने लगे। डर के मारे विशु मुझसे चिपक गई और मेरा हाथ थाम लिया।

विशाखा: “मुझे कुत्तों से डर लगता है।”

मैं हंसते हंसते उसे लेकर आगे बढ़ता रहा। वह पल काफी बेहतरीन था।

कुछ देर में हम पार्क पहुंचे, वहां काफी ठंडक थी, काफी पेड़ और झाड़ियां थी। कुछ देर हम पैदल ही चले।


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विशाखा: “ये हमारे यहां का सबसे अच्छा पार्क है।”

मैं: “काफी बढ़िया है, गर्मियों में भी ठंड है यहां।”

विशाखा: “ये पार्क काफी टूरिस्ट को आकर्षित करता है। मेरी योगा की क्लास भी यही होती है सुबह।”

मैं: “अच्छा, तो तुम सुबह सुबह यहां आती हो।”

विशाखा: “हां, सुबह के समय यह काफी अच्छा लगता है।”

कुछ दूर चलने पर हमें कुछ आवाज आई। कुछ दूर पर झाड़ियां काफी जोर से हिल रही थी। कोई लड़की बड़ी जोर से सिसकारियां ले रही थी झाड़ियों में। मैं समझ चुका था यहां कोई किसी को पेल रहा था मगर मैं चुप था। विशाखा के सामने मैं एकदम शरीफ बनने की कोशिश कर रहा था। तभी विशाखा बोली,

विशाखा: “देखो, ऐसे जानवरों को भी आकर्षित करता है ये पार्क।”

मैने मेरा मुंह उसकी तरफ किया, उसने भी मुझे देखा। हम दोनों के सिर एक दूसरे की तरफ था। हम दोनों के बीच सन्नाटा था। फिर एकदम से हम दोनों ही जोर से हंसने लगे।

सबसे अच्छी बात तो ये थी कि अब भी उसका हाथ मेरे हाथों में था। पार्क के दूसरे कोने में हम दोनों एक बेंच पर जाकर बैठ गए।


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विशाखा हंसते हुए बोली,

विशाखा: “क्या लोग है, कही भी चालू हो जाते है।”

मैंने भी मुस्कुराहट के साथ कहा,

मैं: “बहुतों की तो fantasies ही ऐसी होती है।”

विशाखा: “अरे मगर अपने घर करो ना जो करना है।”

मैं: “छोड़ो न, अपने को क्या करना है!”

विशाखा: “सही है। वैसे तुमने किसको पटाया कि नहीं?”

मैं: “अरे तुम्हे लगता है मुझसे कोई सेट होगी!?”

ऐसे ही बातें करते करते है काफी देर हो गई, श्याम होने को आई थी। विशाखा उठकर बोली,

विशाखा: “चलो, तुम्हे अब तो एक इससे भी प्यारी जगह देखनी है।”

फिर हम दोनों पार्क से निकल कर फिर बातें करते हुए चल पड़े। काफी दूर तक चलने के बाद विशाखा रुक गई। मैंने उससे पूछा,

मैं: “क्या हुआ, क्यों रुक गई?”

विशाखा: “अपने left side देखो।”


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मैं जैसे बाईं ओर मुड़ा, मैंने काफी सुंदर नजारा देखा। श्याम का वह केसरिया आसमान जो एक तालाब में दिख रहा था। तलब और उसके आजू बाजू का नजारा भी काफी सुंदर था।

विशाखा ने तालाब की ओर देखते हुए हल्के टोन में बोली,

विशाखा: “मुझे जब भी low feel होता है, या मैं बोर हो जाती हूं, या कुछ करने का मन नहीं होता तो मैं यही आती हूं।”

मैं सिर्फ तालाब और देखता रहा।

विशाखा: “मैंने इस जगह के बारे में आज तक किसी को नहीं बताया, सिर्फ तुम्हें आज दिखाया।”

मैं: “ऐसा क्यों?”

वो शांत रही और सिर्फ उस तालाब की ओर देखती थी, मैं भी तालाब की खूबसूरती को ही निहार रहा था। एकदम सन्नाटा था, हल्की हवा चल रही थी।

एकदम से विशाखा से मेरी हाथों को जोर से जकड़ लिया। मैंने कुछ हरकत नहीं की। अचानक, उसने मेरे गालों पर किस किया और मेरा हाथ छोड़ कर वहां से जाने लगी।

मैं हैरान था, गालों पे हाथ लगते हुए बस उसे आगे चलते हुए देखते रहा। जब वो कुछ दूरी पर चली गई उसने पीछे मुड़ कर देखा और फिर में भी उसके पीछे पीछे चला गया।

पूरे रस्ते मैं हैरान था और विशाखा मेरे एक-दो फूट की दूरी पर आगे चल रही थी। लौटते वक्त हमारे मुंह से एक शब्द नहीं निकला।

उनकी कॉलोनी में पहुंचने के बाद हम दोनों को उसे एक साथ देख कर काफी लोग हमे ही घूर रहे थे। फिर हम घर पहुंचे।
 

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अध्याय 1- मासी मिलन

परिचय -

मैं (विशाल) : मैं एक 18 वर्षीय नौजवान हूं, सेक्स के लिया काफी ज्यादा उत्तेजित हूं। मेरा लंड 7 इंच लंबा और 2 इंच चौड़ा है। मुझे बचपन से ही मेरी मासी से प्यार था।


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उर्मिला : 36 वर्षीय मेरी मासी, एक हाउसवाइफ है। इनका रंग गोरा है और शरीर गदराया, सुडौल, चिकना है। उनका फिगर 38-40-38 है।

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विशाखा : मेरे मासी की बेटी, उम्र मेरे बराबर है। शरीर चिकना, फिट है, बिल्कुल अपनी मां जैसा चिकना बदन। मैने मेरी मां से सुना है कि मेरी मासी भी अपनी जवानी में ऐसी ही दिखती थी। इसका फिगर 36-24-36 है।

तरुण : मेरी मौसा जी, जिनकी उम्र 44 साल है। इनकी एक सुपरशॉप है। अपने बिसिनेज में काफी बिजी व्यक्ति है।

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यह बात उन दिनों की जब मैं 18 साल का हुआ ही था। इस उम्र में जवानी अपने चरम पर होती है। मैं इस उम्र में सेक्स के लिए काफी उत्सुक था। Incest पॉर्न (अनाचार) काफी देखने के बाद मैं अपने ही परिवार वालों को गंदी नजरों से देखता था।

मेरे ना कोई मामा थे, ना ही नाना नानी जिंदा थे। इस वजह से मैं गर्मियों की छुट्टियों में अपने मासी के घर जाया करता था। वहां मेरी मौसेरी बहन विशाखा थी जिसके साथ मेरी काफी बनती है।चार साल हो चुके थे, मैं चार सालों से मेरी मासी घर नहीं गया था। मगर इस बार में मुझे जाना ही था।

श्याम का समय था, दिन ढल रहा था। मैं अपने मासी घर पहुंचा और डोर बेल बजाई। मेरी मासी ने दरवाजा खोला। उन्होंने एक सफेद साड़ी पहनी थीं, वे काफी सुंदर दिख रही थी।


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मुझे देखकर उन्होंने मुझे कस के गले लगाया। उनकी बाहें काफी गरम महसूस हो रही थी। फिर उन्होंने मेरे कंधों पर हाथ रखते हुए मुझसे कहा,

मासी: "कड़ी बड़े हो गए हो बेटा।"

मैं: "हां, बिल्कुल।"

फिर उन्होंने मुझे अंदर बुलाया। अंदर घुसते ही मैं विशाखा से मिला। वो भी काफी जवान होगया थी, हाइट में मेरे बराबर होगी थी। मैने अपनी बैग सोफे पर रखी और आराम से बैठ गया। विशाखा और मैने अपनी बातें चालू कर दी। मासी किचेन में चली गई थी।

बातों ही बातों में, विशाखा ने मुझे नहाने के लिए कहा। सफर के बाद मैं भी काफी थक चुका था इसलिए झट से नहाने चला गया।

मेरे मासी के घर 3 बेडरूम्स थे, एक में मेरी मासी मौसा सोते थे और एक में विशाखा और एक गेस्ट रूम था जिसमें अब में रह रहा था। 2 बेडरूम फर्स्ट फ्लोर पर थे और एक बेडरूम ग्राउंड फ्लोर पर, कॉमन बाथरूम, किचेन attached with डायनिंग रूम और हॉल भी ग्राउंड फ्लोर पर था।

नहाने के बाद मैं कपड़े बदल के डायनिंग रूम में चला गया। मेरा मौसा जी घर वालिस आ गए थे और रात भी हो गई थी। मौसा जी डायनिंग टेबल पर बैठे थे और मासी किचेन में काम कर रही थी। मासी ने साटिन के कपड़े का स्लीवलेस गाउन पहनना था, जिसमें वे काफी सेक्सी लग रही थी।

डायनिंग टेबल पर बैठ कर मैने और मौसा जी ने अपने बातें चालू कर थी। काफी समय बाद मासी टेबल पर खाना लगाने लगी तभी मैं भी उनकी मदद के लिए कुछ सामान लाने लगा। इसी बीच उनके नंगे हाथ मेरे बाहों को छू रही थी, उनका वह घर्षण काफी था मुझे उत्तेजित करने के लिए।

खाना लगाने के बाद मैं डायनिंग टेबल पर बैठ गया और मासी ने परसोना चालू किया। जब वे मुझे परोस रही थी तभी उनकी दीप नेक से उनके बड़े बड़े दूध से बाहरी स्तन और उनके बीच की गहरी दरार मुझे नजर आई। वह मेरी ओर झुकी हुई थी और वैसे ही रुक गई, उन्होंने विशाखा को आवाज लगाई। मेरा लंड खड़ा होकर चट्टान बन चुका था।

खाना खाने के बाद में अपने कमरे में चला गया और बिस्तर पर लेट कर वही दृश्य याद करने लगा। पूरी रात मैने उस नजारे को याद करते हुए मुठ मारी।
Congratulations and nice start.
 

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मासी का घर
अध्याय 2 - मासी का सार


जैसे कि मैं आपको पिछले अध्याय में बता चुका हूं कि काफी लंबे अरसे बाद, मैं छुट्टियों में अपनी मासी के घर आया हुआ था, जहां मुझे उनके उभरे हुए बड़े बड़े स्तनों का और उनकी बीच वाली दरार की एक झलक दिखी थी जिससे मेरे अंदर मेरी मासी के प्रति यौन भाव जागृत हुआ।

अब, अगली सुबह, मैं थोड़ी देर से उठा। अपने कमरे के बाहर आकर देखा तो घर में कोई नहीं था। सिर्फ मेरी मासी थी, पर वो नहा रही थी।

लगता है सभी लोग अपने अपने कामों पर निकल गए थे और मेरी मासी भी अपना काम करके नहा रही थी। पानी की बूंदे जो शॉवर से बाथरूम की फर्श से टकरा रही थी, मैं उसकी आवाज साफ सुन सकता था।

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सोचो, वह बूंदे कितनी भाग्यशाली है कि जो मेरी मासी के नंगे बदन को छू रही थी। उनके वह काले रेशमी सुगंधित बाल, गोरा, चिकना, मुलायम, गदराया शरीर।

ऐसा सोचते ही मेरा लंड खड़ा होकर चट्टान की तरह कड़क हो गया। फिर मैं जाकर सोफे पर बैठ गया जहां से बाथरूम के दरवाजे को साफ देखा जा सकता है।

कुछ ही देर में, मासी नहाकर बाहर आई, उन्होंने कुछ भी नहीं पहना था, सिर्फ एक टॉवेल था जो उसके धड़ को धक रहा था, और एक टॉवेल था जो उनके बालों पर लिपटा हुआ था। उसकी गोरी चिकनी टांगे पूरी तरह से नंगी थी, उसके पैरों पर एक बाल नहीं था।

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उन्हें इस हालत में देख कर ही मैं उत्तेजित हो गया था। मुझे लगा था कि वह मुझे बाहर बैठा देख कर चौंक जाएगी मगर मुझे देख के उनके हाव भाव बिलकुल नहीं बदले। एक सेकेंड के लिए वह मुझे सिर्फ देखती रही फिर कह पड़ी।

मासी: “अरे, तुम उठ गए! बेटा तुम्हें नींद तो आई थी न?”

मैं: “हां, बहुत अच्छी नींद आई।”

वे मुस्कुराई और अपने कमरे में चली गई। उन्होंने सिर्फ मुझे जगा हुआ देखा था, उन्होंने यह नहीं देखा कि मेरा लंड में जाग रहा है।

मेरे खड़े हुए राक्षस को शांत करने के लिए मैंने मेरा हाथ मेरी शॉर्ट में दाखिल कर दिया। इतना गर्म और कड़क मेरा लिंग जो आज हुआ है वह पहले कभी नहीं हुआ था।

जैसे ही मासी अंदर गई, उन्होंने मुझे आवाज लगाई। जैसे ही मैंने उनकी आवाज सुनी, मैंने मेरे हाथों को झट से बाहर खींच लिया।

मासी ने अपना सिर दरवाजे से बाहर निकाल कर बोली,

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मासी: “बेटा तुम भी नहा लो फिर साथ में बैठकर खाना खा लेते है।”

मैंने मुस्कुराहट के साथ हां में सिर हिलाया।

जितनी जल्दी हो सकता था उतने ही जल्दी में बाथरूम में घुस गया। वहां अब भी गर्म धुंध थी। मासी के शरीर की महक बाथरूम में हर तरफ थी, गर्माहट जो पूरी हवा में थी जिससे मासी के मौजूदगी का एहसास हो रहा था। वह एहसास काफी अलग और आनंददायी था।

मैंने झट से मेरे सारे कपड़े उतार कर फेंक दिए ताकि मैं मेरी मासी की उस मौजूदगी के एहसास को, उस माहौल को मेरे रोम रोम में बसा पाऊं।

कपड़ों को हैंगर पर टांगते वक्त मुझे वहां मेरी मासी की कच्छी भी टंगी हुई नजर आई।

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उनकी उस पैंटी को मैंने मेरे मुंह से लगा लिया, उसमें उसका सार था, उनकी महक भी थी। यह वही पैंटी है जो मेरी मौसी के चूतड़ों को छुती है, उसकी चुत से वाकिफ है। इससे मानो मैने स्वर्ग की सैर कर ली थी।

जिसके बाद मैंने आज तक की सबसे बेहतरीन मुठ मारी, उसकी चड्डी सूंघते हुए। फिर जल्दी से नहाने ने के बाद मैं बाहर निकल आया।

कपड़े बदल कर, मैं कमरे से निकल कर नीचे चला आया।

मैं जब नीचे उतरा, वैसे ही विशु घर में आई। वह अपनी योगा क्लासेस से वापिस आ रही थी। उसने योगा outfit पहनी हुई थी जिससे उसके निपल्स काफी साफ़ दिख रहे थे। क्रॉप टॉप होने के कारण उसकी पतली चिकनी लचीली कमर दिख रही थी, उसकी थाइज़ का शेप काफी बढ़िया था जो उसके टाइट लेगिंग्स से साफ नजर आता था।


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आने के बाद उसने भी नहाया और हम सब खाना खाने लगे। मासी के हाथ का खाना बहुत बढ़िया था, मुझसे तारीफ किए बिना रहा नहीं गया।

मैं: “मासी, सीरियसली… आपके हाथ के खाने का कोई जवाब नहीं, अच्छे अच्छे रेस्टोरेंट फेल है आपके सामने।

मासी ने मुस्कुराते हुए कहा,

मासी: “अरे वाह, सच में!”


मैं और मस्का लगाने लगा,

मैं: “मैं तो कहता हूं आप एक रेस्टोरेंट खोल ही दो।”


मासी ने हंसते हुए कहा,

मासी: “फिर तो बढ़िया है, तुम मैनेजर बन जाना और मैं मास्टर शेफ”

मैं: “अरे वह, बिलकुल बिलकुल।”

हम तीनों ऐसी ही काफी सारी बातें की और लंच किया।

लंच के तुरंत बाद, मैं अपने कमरे में चला गया और reddit पर काफी सारे पोस्ट पढ़ने लगा, “how to seduce aunt” और “how to fuck aunt” के संदर्भ में।

तभी, विशाखा मेरे कमरे का दरवाजा खोलती है और दरवाजे पर अपनी पीठ टिका कर, हाथों को बांध कर बोली,


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विशाखा: “हेय, क्या हाल है?”

मैं: “ठीक हूं, क्या हुआ?”

वह आगे बढ़ी और मेरे बिस्तर के पास आकर खड़े होकर उत्साह के साथ कहने लगी,

विशाखा: “घूमने चलें क्या?”

मैं: “इस वक्त!?”

मेरा बिल्कुल मूड नहीं था घूमने का, क्योंकि मुझे और भी ज्यादा रिसर्च करनी थी, और भी कहानियां और किस्से पढ़ने थे जिससे मुझे मासी को मेरी प्रति आकर्षित करने का तरीका पता चले। लेकिन विशाखा ने मेरे हाथों को अपने नरम हाथों से पकड़ा और मुझे खींचने लगी।

विशाखा: “अरे चलो ना…”


वो काफी जिद्दी है, मुझे उसके जिद्द के समाने हारना पड़ा।
Nice update
 

Sushil@10

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मासी का घर
अध्याय 3 - प्रेम भ्रमण

विशाखा की जिद्द पर मैं और वह घर के बाहर घूमने निकल गए। उसने एक white camisole, grey jacket और denim shorts पहना था।

उसका outfit:


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गर्म मौसम था और सीमेंट के रोड पर, आजू बाजू के पेड़ों की ठंडी छांव थी। मैं उसे पूंछ की नहीं की कहां जाना था, बस उसके साथ साथ चलते रहा। फिर मैंने पूँछ ही लिया।


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मैं: “कहां चलना है?”

विशाखा: “तुम बस चलो मेरे साथ।”

मैं: “अरे बता नहीं तो जा रहा हूं मैं।”

विशाखा: “अरे, तुम्हे एक मस्त जगह दिखानी है।”

फिर मैंने ज्यादा पूछ ताज नहीं कि, कौन एक सुंदर लड़की के साथ घूमना नहीं पसंद करेगा। कुछ दूर चलने पर रस्ते में कुछ कुत्ते हमें देख कर भोंकने लगे। डर के मारे विशु मुझसे चिपक गई और मेरा हाथ थाम लिया।

विशाखा: “मुझे कुत्तों से डर लगता है।”

मैं हंसते हंसते उसे लेकर आगे बढ़ता रहा। वह पल काफी बेहतरीन था।

कुछ देर में हम पार्क पहुंचे, वहां काफी ठंडक थी, काफी पेड़ और झाड़ियां थी। कुछ देर हम पैदल ही चले।


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विशाखा: “ये हमारे यहां का सबसे अच्छा पार्क है।”

मैं: “काफी बढ़िया है, गर्मियों में भी ठंड है यहां।”

विशाखा: “ये पार्क काफी टूरिस्ट को आकर्षित करता है। मेरी योगा की क्लास भी यही होती है सुबह।”

मैं: “अच्छा, तो तुम सुबह सुबह यहां आती हो।”

विशाखा: “हां, सुबह के समय यह काफी अच्छा लगता है।”

कुछ दूर चलने पर हमें कुछ आवाज आई। कुछ दूर पर झाड़ियां काफी जोर से हिल रही थी। कोई लड़की बड़ी जोर से सिसकारियां ले रही थी झाड़ियों में। मैं समझ चुका था यहां कोई किसी को पेल रहा था मगर मैं चुप था। विशाखा के सामने मैं एकदम शरीफ बनने की कोशिश कर रहा था। तभी विशाखा बोली,

विशाखा: “देखो, ऐसे जानवरों को भी आकर्षित करता है ये पार्क।”

मैने मेरा मुंह उसकी तरफ किया, उसने भी मुझे देखा। हम दोनों के सिर एक दूसरे की तरफ था। हम दोनों के बीच सन्नाटा था। फिर एकदम से हम दोनों ही जोर से हंसने लगे।

सबसे अच्छी बात तो ये थी कि अब भी उसका हाथ मेरे हाथों में था। पार्क के दूसरे कोने में हम दोनों एक बेंच पर जाकर बैठ गए।


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विशाखा हंसते हुए बोली,

विशाखा: “क्या लोग है, कही भी चालू हो जाते है।”

मैंने भी मुस्कुराहट के साथ कहा,

मैं: “बहुतों की तो fantasies ही ऐसी होती है।”

विशाखा: “अरे मगर अपने घर करो ना जो करना है।”

मैं: “छोड़ो न, अपने को क्या करना है!”

विशाखा: “सही है। वैसे तुमने किसको पटाया कि नहीं?”

मैं: “अरे तुम्हे लगता है मुझसे कोई सेट होगी!?”

ऐसे ही बातें करते करते है काफी देर हो गई, श्याम होने को आई थी। विशाखा उठकर बोली,

विशाखा: “चलो, तुम्हे अब तो एक इससे भी प्यारी जगह देखनी है।”

फिर हम दोनों पार्क से निकल कर फिर बातें करते हुए चल पड़े। काफी दूर तक चलने के बाद विशाखा रुक गई। मैंने उससे पूछा,

मैं: “क्या हुआ, क्यों रुक गई?”

विशाखा: “अपने left side देखो।”


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मैं जैसे बाईं ओर मुड़ा, मैंने काफी सुंदर नजारा देखा। श्याम का वह केसरिया आसमान जो एक तालाब में दिख रहा था। तलब और उसके आजू बाजू का नजारा भी काफी सुंदर था।

विशाखा ने तालाब की ओर देखते हुए हल्के टोन में बोली,

विशाखा: “मुझे जब भी low feel होता है, या मैं बोर हो जाती हूं, या कुछ करने का मन नहीं होता तो मैं यही आती हूं।”

मैं सिर्फ तालाब और देखता रहा।

विशाखा: “मैंने इस जगह के बारे में आज तक किसी को नहीं बताया, सिर्फ तुम्हें आज दिखाया।”

मैं: “ऐसा क्यों?”

वो शांत रही और सिर्फ उस तालाब की ओर देखती थी, मैं भी तालाब की खूबसूरती को ही निहार रहा था। एकदम सन्नाटा था, हल्की हवा चल रही थी।

एकदम से विशाखा से मेरी हाथों को जोर से जकड़ लिया। मैंने कुछ हरकत नहीं की। अचानक, उसने मेरे गालों पर किस किया और मेरा हाथ छोड़ कर वहां से जाने लगी।

मैं हैरान था, गालों पे हाथ लगते हुए बस उसे आगे चलते हुए देखते रहा। जब वो कुछ दूरी पर चली गई उसने पीछे मुड़ कर देखा और फिर में भी उसके पीछे पीछे चला गया।

पूरे रस्ते मैं हैरान था और विशाखा मेरे एक-दो फूट की दूरी पर आगे चल रही थी। लौटते वक्त हमारे मुंह से एक शब्द नहीं निकला।


उनकी कॉलोनी में पहुंचने के बाद हम दोनों को उसे एक साथ देख कर काफी लोग हमे ही घूर रहे थे। फिर हम घर पहुंचे।
Nice update and awesome story
 

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मासी का घर
अध्याय 3 - प्रेम भ्रमण

विशाखा की जिद्द पर मैं और वह घर के बाहर घूमने निकल गए। उसने एक white camisole, grey jacket और denim shorts पहना था।

उसका outfit:


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गर्म मौसम था और सीमेंट के रोड पर, आजू बाजू के पेड़ों की ठंडी छांव थी। मैं उसे पूंछ की नहीं की कहां जाना था, बस उसके साथ साथ चलते रहा। फिर मैंने पूँछ ही लिया।


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मैं: “कहां चलना है?”

विशाखा: “तुम बस चलो मेरे साथ।”

मैं: “अरे बता नहीं तो जा रहा हूं मैं।”

विशाखा: “अरे, तुम्हे एक मस्त जगह दिखानी है।”

फिर मैंने ज्यादा पूछ ताज नहीं कि, कौन एक सुंदर लड़की के साथ घूमना नहीं पसंद करेगा। कुछ दूर चलने पर रस्ते में कुछ कुत्ते हमें देख कर भोंकने लगे। डर के मारे विशु मुझसे चिपक गई और मेरा हाथ थाम लिया।

विशाखा: “मुझे कुत्तों से डर लगता है।”

मैं हंसते हंसते उसे लेकर आगे बढ़ता रहा। वह पल काफी बेहतरीन था।

कुछ देर में हम पार्क पहुंचे, वहां काफी ठंडक थी, काफी पेड़ और झाड़ियां थी। कुछ देर हम पैदल ही चले।


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विशाखा: “ये हमारे यहां का सबसे अच्छा पार्क है।”

मैं: “काफी बढ़िया है, गर्मियों में भी ठंड है यहां।”

विशाखा: “ये पार्क काफी टूरिस्ट को आकर्षित करता है। मेरी योगा की क्लास भी यही होती है सुबह।”

मैं: “अच्छा, तो तुम सुबह सुबह यहां आती हो।”

विशाखा: “हां, सुबह के समय यह काफी अच्छा लगता है।”

कुछ दूर चलने पर हमें कुछ आवाज आई। कुछ दूर पर झाड़ियां काफी जोर से हिल रही थी। कोई लड़की बड़ी जोर से सिसकारियां ले रही थी झाड़ियों में। मैं समझ चुका था यहां कोई किसी को पेल रहा था मगर मैं चुप था। विशाखा के सामने मैं एकदम शरीफ बनने की कोशिश कर रहा था। तभी विशाखा बोली,

विशाखा: “देखो, ऐसे जानवरों को भी आकर्षित करता है ये पार्क।”

मैने मेरा मुंह उसकी तरफ किया, उसने भी मुझे देखा। हम दोनों के सिर एक दूसरे की तरफ था। हम दोनों के बीच सन्नाटा था। फिर एकदम से हम दोनों ही जोर से हंसने लगे।

सबसे अच्छी बात तो ये थी कि अब भी उसका हाथ मेरे हाथों में था। पार्क के दूसरे कोने में हम दोनों एक बेंच पर जाकर बैठ गए।


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विशाखा हंसते हुए बोली,

विशाखा: “क्या लोग है, कही भी चालू हो जाते है।”

मैंने भी मुस्कुराहट के साथ कहा,

मैं: “बहुतों की तो fantasies ही ऐसी होती है।”

विशाखा: “अरे मगर अपने घर करो ना जो करना है।”

मैं: “छोड़ो न, अपने को क्या करना है!”

विशाखा: “सही है। वैसे तुमने किसको पटाया कि नहीं?”

मैं: “अरे तुम्हे लगता है मुझसे कोई सेट होगी!?”

ऐसे ही बातें करते करते है काफी देर हो गई, श्याम होने को आई थी। विशाखा उठकर बोली,

विशाखा: “चलो, तुम्हे अब तो एक इससे भी प्यारी जगह देखनी है।”

फिर हम दोनों पार्क से निकल कर फिर बातें करते हुए चल पड़े। काफी दूर तक चलने के बाद विशाखा रुक गई। मैंने उससे पूछा,

मैं: “क्या हुआ, क्यों रुक गई?”

विशाखा: “अपने left side देखो।”


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मैं जैसे बाईं ओर मुड़ा, मैंने काफी सुंदर नजारा देखा। श्याम का वह केसरिया आसमान जो एक तालाब में दिख रहा था। तलब और उसके आजू बाजू का नजारा भी काफी सुंदर था।

विशाखा ने तालाब की ओर देखते हुए हल्के टोन में बोली,

विशाखा: “मुझे जब भी low feel होता है, या मैं बोर हो जाती हूं, या कुछ करने का मन नहीं होता तो मैं यही आती हूं।”

मैं सिर्फ तालाब और देखता रहा।

विशाखा: “मैंने इस जगह के बारे में आज तक किसी को नहीं बताया, सिर्फ तुम्हें आज दिखाया।”

मैं: “ऐसा क्यों?”

वो शांत रही और सिर्फ उस तालाब की ओर देखती थी, मैं भी तालाब की खूबसूरती को ही निहार रहा था। एकदम सन्नाटा था, हल्की हवा चल रही थी।

एकदम से विशाखा से मेरी हाथों को जोर से जकड़ लिया। मैंने कुछ हरकत नहीं की। अचानक, उसने मेरे गालों पर किस किया और मेरा हाथ छोड़ कर वहां से जाने लगी।

मैं हैरान था, गालों पे हाथ लगते हुए बस उसे आगे चलते हुए देखते रहा। जब वो कुछ दूरी पर चली गई उसने पीछे मुड़ कर देखा और फिर में भी उसके पीछे पीछे चला गया।

पूरे रस्ते मैं हैरान था और विशाखा मेरे एक-दो फूट की दूरी पर आगे चल रही थी। लौटते वक्त हमारे मुंह से एक शब्द नहीं निकला।


उनकी कॉलोनी में पहुंचने के बाद हम दोनों को उसे एक साथ देख कर काफी लोग हमे ही घूर रहे थे। फिर हम घर पहुंचे।
Very nice update
 
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