अपडेट:- 2
हमारे घर मे दो कमरे हैं उनके सामने बरामदा है
बाथरूम घर के सामने आंगन में बना हुआ है जहां पानी का नल लगा हुआ है।
एक सुबह मेरी आँखें खुलती है और मैं कमरे से बाहर निकल कर पानी के नल पर हाथ मुँह धोकर घर से निकल जाता हूँ। आज मौसम बहुत सुहाना हुआ पड़ा था। ठंडी ठंडी ताजी हवा चल रही थी। गावँ के लोग जंगल की तरफ चल दिये थे, कुछ औरतें, हाथों में लोटा लिए हगने जा रही थी। गाँव मे बहुत कम लोगो के पास खुद का लेटरिंग बाथरूम नही था वो सब सुबह ही जंगल होने निकल जाते।
मैं अपनी मंजिल पर पहुंच जाता हूँ जहां में अक्सर आता था। यहां एक नीम का पेड़ था जिसमे चढ़कर मेने नीम की दांतुन तोड़ कर ऊपर ही बैठ गया। और दांतुन करने लगा। आस पास गेंहू के खेत थे जिनमें अभी बस बीज ही बोया गया था।
मैं दांतुन करके नीचे उतरा और फ्रेश होकर घर की तरफ चल पड़ा। घर पहुंचा तो माँ चुहलें पर बैठी किसी से फ़ोन पर बात कर रही थी। मैं माँ के पास पहुंचा ओर वहीं बैठ गया। माँ ने मुझे कप में चाय दी और मैं पीने लगा। माँ की बातों से लगा कि वो दीदी से बात कर रही थी। माँ ने कुछ देर बात की ओर फोन रखकर मुझसे बोली।
माँ:- बेटा चम्पा का फ़ोन आया है उसे सिलाई मशीन की जरूरत है। तेरे बापू मशीन ले आये हैं तुम लेकर चले जाना तेरे जीजा जी के पास टाइम नही है। इसलिए तू नहा धोकर चले जाना उधर। आज स्कूल मत जाना।
मैं:- माँ मुझसे नही होगा, मुझे स्कूल जाना है, मेरी पढाई छूट जाएगी माँ
तभी बगल में खटिया पर बैठे बापू मेरी बात सुनकर बोले, लाड़ साहब तू कब से पढ़ाई की चिंता करने लगा,
दिन भर आवारा सांड की तरह गाँव भर में फिरता रहता है, तू कब से पढ़ाई की टेंशन लेने लगा।
माँ:- अजी आप बस करो, सुबह सुबह ताने मत मारो।
बापू:- हाँ कुछ मत कहो इससे, तुम्हारे लाड़ ने इसको चढा रखा है, पीछे तीन साल से ये आवारा 11th कक्षा में ही अटका है। उसकी चिंता नही है तुझे।
माँ:- बेटा तुम आज छुट्टी कर लेना और अपनी दीदी को सिलाई मशीन देने चले जाना।
मैं:- ठीक है माँ।
इतना कहकर में कमरे में आ गया और फ़ोन में डूब गया ओर मस्त सी पोर्न देखने लगा। मुझे पोर्न देखने का शौक़ था खासकर ऐसी पोर्न जिसमे कोई गदराई औरत को कोई लड़का बेरहमी से पेल रहा हो। फिलहाल में ऐसी पोर्न देख रहा था जिसमे एक काला सा नोजवान लड़का किसी मोटी औरत को गोद मे उठाए कमरे की फर्श पर खड़ा था और ओर उस औरत को अपने काले लम्बे मोटे लन्ड से हचक हचक कर चोद रहा था, चोदते चोदते उस औरत का मूत फर्श पर गिर रहा था जिसे squirt कहते हैं।
10 बजे के आसपास मैं नहाने के लिए गुसलखाने में घुस गया और नहा धोकर खाना खाया और तैयार हो गया दीदी को साथ लाने के लिए।
माँ:- हो गया तैयार बेटा
मैं:- हाँ माँ हो गया, पैसे दे दो किराये के लिए।
माँ ने अपने ब्लाउज से कुछ पैसे निकाले ओर मुझे चूम कर कहा " बेटे आराम से जाना और कुछ फ्रूट दीदी के घर ले जाना। दोपहर वही आराम कर लेना और शाम को आराम से आ जाना।
मैं घर से निकल कर ऑटो स्टैंड पर पहुंचा और फिर निकल गया दीदी की तरफ। दीदी का ससुराल हमसे लगभग 30 किलोमीटर दूर था।
रास्ते से मैने सिलाई मशीन ओर कुछ फ्रूट लिए ओर कोई 2 घण्टे के बाद में आखिर दीदी की सुसराल पहुंच गया।
दीदी के घर में तीन कमरें बने हुए थे दो नीचे ओर एक ऊपर था। दीदी ऊपर कमरे में रहती थी
दीदी का घर काफी अच्छा बना हुआ था क्योंकि दीदी के ससुर बैंक में नोकरी करते थे।
दीदी के घर मे उसके सास-ससुर, एक ननद, थी।
ननद अभी जवान थी लेकिन शादी नही हुई थी वो कॉलेज जाती थी मेडिकल का कोर्स करने।
जीजा जी मिस्त्री है वो शहर में लोगो के घरो को बनाते हैं।
मैं अंदर गया तो दीदी घर के आंगन में बैठी अपने बेटे सोनू जो कोई 4 साल का था उसे सुला रही थी।
मेने दीदी को प्रणाम किया और दीदी ने मेरे सर पर हाथ फेरा ओर फिर पानी लेने चली गयी।

दीदी ओर मेरी उम्र में 6 साल का फर्क था, लेकिन इस समय दीदी पूरी औरत जैसी बन गयी। एक साल पहले दीदी जब घर आई थी तब मोटी नही थी, पर अब दीदी का शरीर पूरा भर गया था। यौवन की जिस पड़ाव पर स्त्री में कामरस उबाल मारता है दीदी उस पड़ाव पर थी। दीदी का पिछवाड़ा अब बड़ा रूप ले चुका था। सीना भी अब खुलके उभर आया था।
दीदी ने पानी दिया और घर का हालचाल पूछकर आराम करने के लिए कमरे में ले गयी। दीदी ने एक रात रुकने का बोला तो मैं भी मना नही कर सका। आखिर बहुत दिन बाद दीदी के यहां आना हुआ है।
ऐसे ही शाम हो गयी। मैं दीदी के कमरे से निकल कर नीचे आया तो मुझे उनकी सास दिखी जो पलँग पर बैठी थी वहीं उसकी बेटी पायल थी जो किताबें खोलकर पढ़ रही थी।
मैं दीदी से कहकर बाहर टहलने के लिए निकल गया और इधर उधर टहलता रहा इतने में हल्की रात सी हो गयी तो मैं वापिस घर की तरफ बढ़
घर पहुंच कर दीदी ने खाना दिया और में उसके कमरे में आ गया। जीजा जी ने शहर में काम शुरू कर रखा था वो घर नही आ सकते थे।
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