मोहिनी बाथरूम में अपने बदन के साथ मनमानी करके चली गई थी,,,, क्योंकि संजू बाहर खड़ा होकर उसका इंतजार कर रहा था और उसे भी देर हो रही थी,,,, मोहिनी अपनी मां की इस्तेमाल करने वाली वीट क्रीम को अपनी चूत पर लगाकर उसे पूरी तरह से चिकनी मखमली कर ली थी,,, जैसे कि उसे इस बात का अंदाजा था कि एक जवान लड़के को लड़कियों की चिकनी चूत ज्यादा पसंद होती है,,,,उत्तेजित अवस्था में मोहिनी को भी इस बात का आभास हुआ था कि उसकी चूत कचोरी की तरफ फूल गई थी और फुली हुई चूत और भी ज्यादा खूबसूरत नजर आ रही थी,,, इसलिए तो अपनी चूत को देखकर मोहिनी खुद अपने आप को संभाल नहीं पाई और अपनी उंगली से कुरेद कुरेद कर उसका सारा काम रस बाहर निकाल दी,,,,।
Sadhna
मोहिनी नाश्ता करके कॉलेज के लिए निकल चुकी थी और संजु बाथरूम के अंदर प्रवेश कर चुका था,,,,,,,वह अपने सारे कपड़े उतार कर केवल अंडरवियर में नहाना शुरू कर दिया था कि तभी उसकी नजर,,, नीचे पड़ी लाल रंग की पैंटी पर पड़ी तो उसकी आंखें चमक गई,,,,,,,उसे समझते देर नहीं लगी कि उसके पैरों के नीचे जो पैंटी पड़ी है वह उसकी बहन की है,,,,,, और कोई समय होता तो शायद वह इस बात पर बिल्कुल भी गौर नहीं करता लेकिन अपनी मौसी के साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद और अपनी मां के प्रति आकर्षित होने के बाद से एक औरत और लड़की के प्रति उसका रवैया बदल चुका था इसलिए वह उत्सुकता बस नीचे झुक कर अपनी बहन की पैंटी को उठा दिया,,,, अपनी बहन की पेंटी को अपने हाथों में लेकर उसे अजीब से उथल पुथल का एहसास हो रहा था,,,, संजू के मन में औरतों के प्रति आकर्षण का भाव जागने लगा था लेकिन उसने अभी तक अपनी बहन के बारे में कुछ भी गलत बातें नहीं सोचा था और ना ही उसकी तरफ आकर्षित हुआ था लेकिन अपनी बहन की पहनी हुई पेंटिंग को अपने हाथों में लेकर उसे अजीब सी हलचल सा महसूस हो रहा था,,,वह अपनी बहन की लाल रंग की पैंटी को अपने हाथ में लेकर इधर-उधर घुमा कर देख रहा था,,,,,। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें लेकिन इतना एहसास उसे अच्छी तरह से हो गया था कि अपनी बहन की पैंटी को हाथ में लेते ही उसके लंड का कड़क पन बढ़ने लगा था,,,,।
Sadhna ki gadrayi jawani

तन बदन में उत्तेजना का संचार होते ही संजू के दिलों दिमाग पर मदहोशी का आलम छाने लगा वह उत्तेजित होने लगा और अपनी बहन की पैंटी को ध्यान से देखते हुए वह,,, अंदाजा लगा रहा था कि पेंटिं कहां से सीधी है और कहां से उल्टी है,,, बहुत ही जल दवा इस निष्कर्ष पर पहुंच गया था कि पेंटी को किस ओर से पहनी जाती है,,,, और मदहोशी के आलम में वह अपनी बहन की पेंटिं को हाथों में लेकर उस जगह पर अपनी उंगली से इन स्पर्श करने लगा जिस जगह पर वह पहनती पहनने के बाद चूत ढंकी होती है,,,, उस छोटे से स्थान पर हाथ रखते ही संजू के तन बदन में आग लगने लगी,,,, क्योंकि अब वह पूरी तरह से औरत की चूत से वाकिफ हो चुका था,,,, उसके आकार से उसके भूगोल से और तो और उसका उपयोग करके भी देख चुका था इसलिए अपनी बहन की पेंटी को पकड़कर उस छोटे से स्थान पर रखकर उसके तन बदन में आग लग रही थी तो अपनी बहन की चूत के बारे में कल्पना करने लगा था,,, अपने मन में अपनी बहन की चूत को लेकर उसके आकार को लेकर उसके भूगोल को लेकर एक अद्भुत आकर्षक चित्र बनाने लगा था,,,,,वह धीरे-धीरे उसे स्थान पर अपनी उंगली को सहना रहा था मानो जैसे कि वह वास्तविक में,, अपनी बहन की चूत पर अपनी उंगली घुमा रहा हो,,,,
ऐसा करने में उसे अधिक उत्तेजना का एहसास हो रहा था उसे अपने लंड में प्रचंड गति से लहू का दौरा महसूस हो रहा था जिससे उसके लंड का अकड़न पूरी तरह से बढ चुका था,,,, उससे रहा नहीं गया होगा अपनी बहन की पेंटी को अपनी नाक से लगाकर उस स्थान पर की खुशबू को अपने अंदर उतारने लगा जहां पर उसकी बहन की चूत होती थी,,,, संजू की यह सोच ,यह हरकत रंग ला रही थी,,, उसे अपनी बहन की चूत की खुशबू अपने नथुनों में महसूस होने लगी,,,, वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था,,,,उसे समझते देर न लगी कि उसकी बहन ने जल्दबाजी में अपनी पेंटी साबुन से धोना भूल गई थी और वहीं छोड़कर चली गई थी जिसका फायदा संजू को मिल रहा था,,,,,।
अपनी बहन की चूत की खुशबू पाते ही संख्या पूरी तरह से मदहोश होने लगा और उसकी यह मादक खुशबू उसके तन बदन में आग लगाने लगी जिसका असर उसकी दोनों टांगों के बीच लटकते हुए उसके खंजर पर हो रहा था,,,, अंडरवियर के अंदर उसका लंड पूरी तरह से गदर मचाने को तैयार हो चुका था,,,, संजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,,, उसे अपने लंड की स्थिति पर दया आ रही थी और वह तुरंत अपनी अंडरवियर को घुटनों तक सरका कर अपने मोटे तगड़े लंड को बाहर निकाल लिया अगर ऐसा हुआ नहीं करता तो शायद अंडरवियर फाडकर उसका लंड खुद ही बाहर आ जाता ,,,,।
संजू के दिलों दिमाग पर उसके बहन की चूत की मादक खुशबू छाई हुई थी,,,उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे उसके हाथों में उसकी बहन की पेंटी ना होकर उसकी भरपूर गांड आ गई हो और मैं उसे अपने हाथों में लेकर उससे खेल रहा हो,,,, संजू संपूर्णता उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुका था,,, वह अपनी बहन के बारे में गंदी विचारधारा को जन्म दे रहा था जो कि उसकी उत्तेजना का कारण भी था,,,,,,,संजू के तन बदन में मदहोशी अपना असर दिखा रही थी आंखों में खुमारी छाई हुई थी और वह अपनी जीएफ को हल्के से बाहर निकालकर उस चूत वाली जगह पर रखकर उसकी खुशबू से लस लसे नमकीन काम रस को काटना शुरू कर दिया जो कि मोहिनी की उत्तेजना के कारण उसकी चूत से निकला काम रस उस पर लगा हुआ था,,,, संजू की हालत खराब होने लगी वह ऐसा महसूस कर रहा था कि जैसे वह खुद अपनी बहन की दोनों टांगों को फैला कर उसकी गुलाबी चूत को अपने होंठों पर रखकर उसे जीभ से चाट रहा हो,,,। संजू के आनंद की कोई सीमा नहीं थे एक हाथ में उसकी बहन की पेंटी और दूसरा हाथ उसके लंड पर था जिसे वो धीरे-धीरे हीला रहा था,,,
संजू अपनी आंखों को बंद करके कल्पना के सागर में गोते लगाना शुरू कर दिया था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि वह अपनी बहन के नंगे बदन से खेल रहा है उसकी दोनों टांगों को फैला कर अपने मोटे तगड़े लंड को उसकी गुलाबी चूत में डालने की कोशिश कर रहा है,,, और अपनी चूत में लेने के लिए उसकी बहन खुद लालायित हुए जा रही है,,,।
पूरा नजारा बेहद अद्भुत था संजू जिंदगी में पहली बार अपनी बहन के बारे में इस तरह की गंदी कल्पना कर रहा था और अपने आप को शांत करने की कोशिश कर रहा था,,,, बाथरूम कुछ खास बडा नहीं था,,, बाथरूम के अंदर संजू अपनी चड्डी को घुटनों तक नीचे सरकाए विकास में अपनी बहन की लाल रंग की पैंटी को लेकर उसे नाक लगाकर सुंघते हुए और दूसरे हाथ मेंअपने लंड को पकड़ कर अपनी बहन के बारे में गंदी से गंदी कल्पना करते हुए आनंद के सागर में सरोबोर हुआ जा रहा था,,,।
कल्पना में उसका मोटा लंड धीरे-धीरे उसकी बहन की गुलाबी चूत के अंदर सरकता चला जा रहा था,,, और मोहिनी संजू की कल्पना में पूरी तरह से मस्त होकर अपनी आंखों को मूंदकर उत्तेजना के मारे अपने लाल-लाल होठों को अपने दांतों से काट रही है उसकी मदमस्त कर देने वाले दोनों अमरूद उसके होश उड़ा रहे हैं,,, जिसे संजू खुद अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर उसे अपने दोनों हाथों में थाम लिया और जोर जोर से दबाने लगा,,,, संजू वास्तविक मैं अपना हाथ हिला रहा था और कल्पना में अपनी कमर,,, दोनों तरफ की लय बराबर थी लेकिन कल्पना का अपना अलग मजा था,,,, अपनी बहन की गरम चूत की गर्मी को संजु ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसका पानी निकल गया,,,,।कल्पना की दुनिया से जैसे ही वह बाहर आया तो अपनी हालत को देखकर उसके होश उड़ गए,,,, वह तुरंत पेंटी को जिस तरह से नीचे पड़ी थी उसी तरह से रख दिया ताकि किसी को शक ना हो और थोड़ी देर में वह भी नहा कर बाहर आ गया,,,,, अपने कमरे में कपड़े पहनते हुए उसे अपनी बहन के बारे में इस तरह की बातें सोचना कुछ अजीब सा लग रहा था लेकिन जिस तरह का आनंद से प्राप्त हुआ था उससे वह इंकार नहीं कर पा रहा था,,,,, लेकिन वो जानता था कि जिस तरह कल्पना बहन के बारे में कर रहा था वह गलत है अभी उसका दूसरा मन उसे समझाते को बोल रहा था कि जब वह अपनी मां के बारे में इतनी गंदी सोच रख सकता है तो बहन के बारे में क्यों नहीं आखिर दोनों के पास उसकी जरूरत की चीज जो है,,,,,,संजू इस बारे में ज्यादा देर तक विचार नहीं कर पाया तभी नाश्ता तैयार होने की आवाज उसके कानों में सुनाई दी और तुरंत रसोई घर में आ गया जहां उसकी मां उसके लिए नाश्ता निकाल रही थी,,,।रसोई घर में प्रवेश करने से पहले ही उसकी नजर अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पर चली गई थी जोकी पहले की ही तरह खाना बनाते समय थिरक रही थी,,,, आराधना की बड़ी-बड़ी और थिरकती हुई गांड संजू की सबसे बड़ी कमजोरी बन गई थी,,, जिसको वह कभी भी नजरअंदाज नहीं कर पा रहा था,,,,,,,,वह अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को घुरते हुए रसोई घर में प्रवेश किया,,।
मोहिनी और संजू
जिस दिन से उसकी मां ने उसके अरमानों पर पानी फेर रहा था तब से वह अपनी मां से ठीक से बात नहीं कर पाया था और यह बात संजू को भी अंदर ही अंदर कचोट रही थी,,, संजू को अपनी मां से बात करना बहुत अच्छा लगता था खास करके उस दिन से जिस दिन से वह अपनी मां की तरफ आकर्षित होता चला जा रहा था क्योंकि उससे बात करने में भी उसे उत्तेजना महसूस होती थी,,, वो किसी भी तरह से अपनी मां से बात करना चाहता था और यही हाल आराधना का भी था,,,, अपने बेटे की अपने लिए जिस तरह की सोच थी उसे लेकर आराधना परेशान थी इसलिए उसे आगे बढ़ने देना नहीं चाहती थी लेकिन अपने बेटे की हरकतों से भी अच्छी लगती थी लेकिन कुछ दिनों से सब कुछ शांत था संजू की तरफ से किसी भी प्रकार की हरकत को उसने देखी नहीं थी इसलिए ना जाने क्यों उसके मन में भी अजीब सी हलचल हो रही थी,,,, और वह भी शायद इसलिए कि वह दो दो बच्चों की मां थी और वो भी जवान बच्चों की,,,, और इस उमर में उसका खुद का जवान लड़का उसकी तरफ आकर्षित हुआ जा रहा था यह बात उसे अंदर ही अंदर गर्वित करती थी,,, की अभी भी उसमें जवानी की आग बाकी है,,,।
दोनों में से संजू ही बात की शुरुआत करते हुए बोला,,,।
मम्मी पापा अब तुम्हें परेशान तो नहीं करते ना,,,,
नहीं,,,(संजू की तरफ देखे बिना ही वह बोली,,,)
चलो अच्छा है कि सुधर तो गए,,,,लेकिन यह काम तुम्हें पहले ही कर देना चाहिए था तुम डरती रही सहती रही इसीलिए उनकी हिम्मत बढ़ती रही,,, तुम पहले दिन ही उन्हें डांट फटकार लगाई होती तो शायद ऐसा नहीं होता,,,।(नाश्ते की प्लेट को हाथ में लेते हुए बोला)
मैं कर भी क्या सकती थी आखिरकार में हूं तो एक औरत ही,,,
औरत हो तो क्या हुआ औरत तो आजकल बहुत से काम कर रही है जरूरी नहीं कि औरत का काम हो सिर्फ अपने आदमी का बिस्तर गरम करना,,, खुश करना,,,, अपने आप को बचाना भी उसका धर्म होता है,,,,।
(अपने बेटे के मुंह से अपने पति को खुश करना बिस्तर गर्म करना यह सब बातें सुनकर उसकी दोनों टांगों के बीच अजीब सी हलचल होने लगी वह अपने बेटे के मुंह से इस समय इस तरह की बातें सुनने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी और इस तरह की बातें सुनकर ना जाने क्यों उसके तन बदन में भी अजीब सी हलचल होने लगी,,,वह कुछ दिनों से देखते आ रही थी कि उसके बेटे का उसके साथ बात करने का रवैया पूरी तरह से बदल चुका था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह किसी अनजान औरतों के साथ बातें कर रहा हो उसे इस बात की बिल्कुल भी चिंता नहीं रहती थी कि वह अपनी मां के साथ इस तरह की बातें कर रहा है,,,, अपने बेटे की बातों को सुनकर आराधना कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,,, तो संजु ही अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
चलो कोई बात नहीं अगर कोई भी तकलीफ हो तो मुझे जरूर बताना,,,,,मैं नहीं चाहता कि मम्मी तुम्हें किसी भी प्रकार की तकलीफ हो तो मैं तकलीफ में देखना मुझे पसंद नहीं है,,,,,,, और हां अपनी खुशी के लिए भी थोड़ा सोच लिया करो मैं जानता हूं तुम खुश नहीं हो अपनी जिंदगी से अपनी जरूरत से,,,(आराधना यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा किस बारे में बातें कर रहा है इसलिए उसके बोलने के मतलब को समझते हुए आराधना के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारियां फूटने लगी थी पल भर के लिए तो वह भी यही सोच रही थी कि क्यों ना इस खेल में आगे बढ़ जाया जाए,,, जब उसका बेटा उसके साथ इतना खुल चुका है तो थोड़ा सा और खुलने में क्या हर्ज है,,,, आराधना के मन में कभी-कभी इस तरह के ख्यालात आते जरूर थे,,, लेकिन,, वह अपने आप को संभाल ले जाती थी,,,, अपनी मां की तरफ से ना उम्मीद हो चुका संजु के मन में अभी भी उम्मीद की किरण नजर आती थी यह बात अच्छी तरह से जानता था कि किसी भी औरत का मन वह लाया जा सकता है उनकी मान मर्यादा की दीवार को गिराया जा सकता है संस्कारों की चादर को अपने हाथों से खींचा जा सकता है बस थोड़ी बहुत मशक्कत करनी पड़ती है और उसी में संजू लगा हुआ था,,,, संजू नाश्ता कर चुका था और हाथ धो रहा था तभी उसकी मां उसके तरफ देखे बिना ही बोली,,,।)
तूने जो मेरे लिए किया है उसके लिए तेरा बहुत-बहुत शुक्रिया,,, नहीं तो अभी तक ना जाने क्या हो गया होता,,,।
कोई बात नहीं यह तो मेरा फर्ज था लेकिन मेरा एक और फर्जी था जिसे तुम निभाने नहीं दे रही हो,,,,।
(अपने बेटे की बातें सुनकर आश्चर्य से उसकी तरफ देखते हुए उसकी कही गई बात को समझने की कोशिश कर रही थी कि तभी संजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) तुम्हारी जरूरत को पूरा करने का फर्ज तुम्हारी खुशियों वापस लौटाने का फर्ज और तुम्हें संपूर्ण रूप से स्त्री सुख देने का फर्ज,,,,।
(इससे ज्यादा संजू कुछ बोला नहीं और ना ही अपनी मां की बात सुनने के लिए वहां खड़ा रहा वह तुरंत बाहर निकल गया और अपना बैग लेकर कॉलेज के लिए निकल गया आराधना अपने बेटे को जाते हुए देखती रह गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका जवान बेटा खुद अपनी मां के पीछे इस कदर क्यों हाथ धोकर पड़ा है,,,, उसे क्या अच्छा लगने लगा है कि वह दुनियादारी मान मर्यादा संस्कार रिश्तेदारी भुलकर सिर्फ उसे पाना चाहता है,,,। आराधना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने बेटे को कैसे समझाएं,,, वह इस बारे में सोच ही रही थी कि तभी उसे वह पल याद आ गया जब अभी अभी थोड़ी देर पहले संजू से बात कर रहा था और अचानक ही उसकी नजर उसके पैंट की तरफ चली गई थी जिसमें अच्छा खासा तंबु बना हुआ था,,, उसे दृश्य और उस पल को याद करके आराधना के तन बदन में हलचल सी उठने लगी,,,, आराधना यह बात अच्छी तरह से समझ गई थी कि उसी से बात करते समय उसके बेटे का लंड खड़ा हो जाता था और उसका लंड उसे चोदने के उद्देश्य से ही खड़ा होता था,,,।,,उसका बेटा उसके बारे में ना जाने कैसी कैसी गंदी बातों को सोचता होगा और से करने के लिए लालायित होगा यह सब सोचकर ही आराधना की चुत पानी छोड़ने लग रही थी,,,,इस तरह की बातों को सोचते हुए आराधना का मन भी अपने बेटे की तरह ही हो जाता था वह भी अपनी बेटी के साथ संभोग के इस खेल को खेलने के लिए मन ही मन तैयार हो जाती थी लेकिन फिर अपने आप को मना कर इस तरफ से अपने ध्यान को दूसरी तरफ लगा देती थी,,,,।
रात का समय हो चुका था,,,संजू और मोहिनी दोनों खाना खा चुके थे उसकी मां भी खाना खा चुकी थी अब वह अपने पति का इंतजार नहीं करती थी अपने कमरे में जा चुकी थी और वह दोनों अपने कमरे में,,, मोहिनी जांघो तक का फ्रॉक पहनी हुई थी और फ्रॉक के नीचे कुछ भी नहीं पहनी थी ,,,आज फ्रॉक के नीचे चड्डी ना पहनकर वह अपने भाई को पूरी तरह से पागल बना देना चाहती थी जिसके तैयारी स्वरुप वह सुबह ही क्रीम लगाकर अपनी चूत को साफ कर चुकी थी,,,,,,,आज तक उसने इस तरह की हरकत को अंजाम नहीं की थी इसलिए इस तरह की हरकत करते हो उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,,उसे शर्म भी महसूस हो रही थी कि अपने भाई के सामने ऐसी हरकत कैसे कर सकती है लेकिन जवानी के जोश में वह मजबूर हो चुकी थी,,,,कुछ देर तक दोनों पढ़ाई करते रहे अभी तक संजु अपनी बहन की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया था,,,,। मोहिनी संजु से बोली,,,
संजू तू लाइट बंद बंद किया कर उस दिन लाइट बंद कर दिया था रात को मैं नींद में दीवार से टकरा गई थी,,,,
ठीक है तो चिंता मत कर उस दिन अनजाने में बंद हो गई थी,,, मुझे भी अंधेरे में सोने की आदत नहीं है,,,,।
(लाइट बंद करने वाली बात है तो संजू को मोहिनी ने जानबूझकर डाली थी ताकि कमरे में उजाला रहे और उस उजाले में उसका भाई उसकी जवानी के केंद्र बिंदु को अपनी आंखों से देख सकें,,, इसलिए वह अपने भाई से पहले ही सोने का नाटक करते हुए अपने स्कूल के लिए के
बैग को एक तरफ रख कर सोने का नाटक करने लगी अभी तक संजू ने अपनी बहन की तरफ देखा तक नहीं था उसके दिलो-दिमाग पर उसकी मां का खूबसूरत बदन छाया हुआ था वह एक-एक पल को याद करके उत्तेजित हो जा रहा था जब अपनी मां को बीच बचाव करते हुए कपड़े में दाखिल हुआ था और उस समय वह अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देख लिया था और बरसात में घर लौटने पर उत्तेजना के चलते अपनी मां के लाल लाल होठों का चुंबन करते हुए उसके रस को पी रहा था और उसकी मां भी साथ दे रही थी ऐसी ने अपनी मां को कस के अपनी बाहों में पकड़े हुए उसकी बड़ी बड़ी गांड पर अपनी हथेली रखकर जोर जोर से दबा रहा था,,,, उस पल को याद करके संजू पूरी तरह से व्याकुल हुए जा रहा था,,, अपने मन में यही सोच रहा था कि काश उस दिन कुछ हो गया होता तो कितना मजा आ जाता,,,,यही सोचते-सोचते 12:00 बज गया था और मांगने की आंखों से नींद गायब थी क्योंकि वह इंतजार कर रही थी कि कब उसके भाई की नजर उसके ऊपर पड़े और नींद में होने का बहाना करके वह खुद ही अपनी फ्रॉक को अपनी कमर तक उठा कर लेटी हुई थी और वह भी पीठ के बल,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था अंदर ही अंदर और कसमसा रही थी,,,,।
कमरे में बल्ब जल रहा था जिसकी रोशनी में सब को साफ नजर आ रहा था पंखा चालू होने की वजह से वातावरण में थोड़ी ठंडा कहां गई थी इसलिए संजू जैसे चादर लेने के लिए अपनी बहन की तरफ नजर घुमाया तो उस नजारे को देखकर उसके होश उड़ गए,,,।