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Incest मजबूरी या जरूरत

sunoanuj

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Bahut hi garma garam or kamukta se bharpur updates… 👏🏻👏🏻👏🏻
 

rohnny4545

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संजू अपनी मां के साथ अपने घर पर पहुंच चुका था,,, दोपहर का समय होने की वजह से घर पर मोहिनी नहीं थी दोनों काफी थक चुके थे घर की एक चाबी आराधना के पास थी जिसे वह अपने पर्स में से निकाल कर ताला खोलकर कमरे में प्रवेश कर गई,,,, दोनों इतने थके हुए थे कि दोनों एक ही बिस्तर पर सो गए और वैसे भी दोनों को अब इस बात से फर्क नहीं पड़ता था कि दोनों कहां सो रहे हैं किसके साथ सो रहे हैं क्योंकि घर में संजू मोहिनी और आराधना तीनों आपस में खुल चुके थे,,,,, थकान की वजह से मां बेटे दोनों गहरी नींद में सोए हुए थे और सोते-सोते कब शाम ढलने लगी दोनों को पता ही नहीं चला मोहिनी को मनीषा से पता चल गया था कि संजू और उसकी मां दोनों घर पर आ रहे हैं इसलिए वह पूरी तरह से निश्चित तिथि आज वह मोहिनी के घर नहीं बल्कि अपने घर आने वाली थी क्योंकि जब से संजू और आराधना गांव गए थे तब से मोहिनी मनीषा के घर पर ही रहती थी और रोज रात रंगीन करती थी भले ही दोनों की चूत में मर्दाना लंड प्रवेश नहीं कर पा रहा था लेकिन दोनों ने आपस में ही अपना जुगाड़ बना रखी थी दोनों रोज एक दूसरे के अंगों से खेल कर एक दूसरे के अंगों को चाट कर मसल कर दबा कर आनंद ले लेती थी और चूत में बैगन ककड़ी डालकर लंड की पूर्ति कर लेती थी,,,।

शाम को मोहिनी अपने घर पर पहुंची तो बाहर से ताला खुला हुआ था और अंदर से दरवाजा बंद था वह समझ गई की उसकी मां और उसका बड़ा भाई दोनों घर पर आ चुके हैं इसलिए उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी थी,,, इस बात की खुशी तो उसके मन में थी कि उसका बड़ा भाई और उसकी मां घर पर आ चुकी थी लेकिन इस बात की खुशी और भी ज्यादा थे कि आप उसकी भी रात रोज रंगीन होने वाली थी क्योंकि कुछ ज्यादा ही दिन गुजर गए थे उसे अपनी चूत में अपने भाई का लंड महसूस नहीं हो रहा था,,, मनीषा के साथ वह शारीरिक संबंध बनाकर उसके अंगों से खेलती जरूर थी लेकिन जो मजा उसे अपनी मां की चूत चाटने में आता था अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियां दबाकर उसे मुंह में लेकर पीने में आता था वह मजा मनीषा से उसे उतना प्राप्त नहीं हुआ था हालांकि मनीषा दूसरे आनंद प्रमोद में डूबा देती थी लेकिन आराधना जितना मजा उसे मनीषा में नहीं आया था इसीलिए तो वह बहुत खुश नजर आ रही थी,,,।

मोहिनी दरवाजे पर दस्तक देने लगी,,,, लेकिन अभी भी आराधना के कमरे में दोनों मां बेटे एक ही बिस्तर पर एक दूसरे को बाहों में लिए चैन की नींद सो रहे थे,,,, मोहिनी जोर-जोर से दरवाजा खटखटा रही थी,,,, मोहिनी कुछ देर बाद,,, अपनी मम्मी को आवाज लगाते हुए दरवाजा खटखटाने लगी,,,,।

मम्मी,,,,ओ,,,, मम्मी,,,,, क्या कर रही हो,,,,,मममी,,,, अरे यार यह दोनों नहीं सुन रहे हैं,,,,।
(मोहिनी काफी देर से दरवाजे पर तुझ तक दे रही थी जिस तरह से दरवाजा बंद था और अंदर सन्नाटा छाया हुआ था उसे लेकर मोहिनी के मन में अजीब से ख्याल आने लगे थे वह अपनी मम्मी और अपने बड़े भाई की हरकत को अच्छी तरह से जानती थी वह दोनों कहीं भी शुरू हो जाते थे और उसे ऐसा ही लग रहा था कि शायद दोनों कमरे के अंदर चुदाई का खेल खेल रहे हैं तभी दरवाजा नहीं खोल रहे हैं,,,, थोड़ी देर बाद वह फिर से वह आवाज लगाते हुए दरवाजे पर दस्तक देने लगी,,,।)

मम्मी,,,,, क्या कर रही हो,,,,(एक बार तो उसका मन हुआ कि जोर से बोल दे की चुदवा रही हो क्या,,, लेकिन वह अपने आप पर काफी संयम रखी हुई थी लगातार वह दरवाजे पर दस्तक दे रही थी,,,, तभी थोड़ी देर बाद आराधना की नींद खुली,,, उसके कानों में दरवाजे की खटखटाहट की आवाज आ रही थी,,, वह एकदम से सक पका के उठकर बैठ गई,,,, उसके चूड़ियों की खनक सुनकर पास में सो रहा है संजू की भी नींद खुल गई और वह भी उठकर बैठ गया,,,,)

लगता है मोहिनी आ गई,,,,,(वह एकदम से बिस्तर से उठाते हुए बोली लेकिन उसके बिस्तर से उठने की वजह से हाथों में भरी हुई चूड़ियों की झांकने की आवाज एकदम मदहोश कर देने वाली रख रही थी संजू ने अपनी मां की चूड़ियों की खनक की आवाज को अपने अंदर महसूस करके एकदम उत्तेजना का अनुभव कर रहा था लेकिन इस समय वह कुछ कर सकता नहीं था लेकिन अपनी मां को बिस्तर से उठते हुए देखकर वह बोला,,,)

समय कितना हुआ है,,,

6:00 बज गए हैं,,,


बाप रे इतनी देर तक सोए रह गए,,,


वह तो अच्छा हुआ की मोहिनी आ गई है वरना सोए ही रह जाते,,,,(इतना कहते हुए आराधना अपनी साड़ी को दुरुस्त करके अपने कमरे में से बाहर निकल गई पीछे-पीछे संजू भी कमरे से बाहर आ गया दरवाजे पर अभी भी दस्तक हो रही थी बाहर खड़ी मोहिनी अपनी मां की चूड़ियों की खनक और पायल की छनक की आवाज को अच्छी तरह से पहचानती थी,,, इसलिए पल भर में उसके चेहरे पर राहत की रेखाएं साफ झलकने लगी,,,, वह दरवाजे पर दस्तक देना एकदम से बंद कर दी थी और थोड़ी देर में आराधना दरवाजा खोल दी दरवाजा के खुलते ही मोहिनी काफी दिनों बाद अपनी मां की खूबसूरत चेहरे को देख रही थी इसलिए उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे और यही हाल आराधना का भी था अपनी बेटी को अपनी आंखों के सामने देखकर वह भी एकदम से खुश हो गई और उसे अपने गले लगा ली,,,, कमरे के अंदर प्रवेश करते हुए मोहिनी बोली,,,)

तुम दोनों कर क्या रहे थे मैं इतनी देर से दरवाजा खटखटा रही हूं लेकिन कोई आवाज ही नहीं आ रही है कहीं तुम दोनों शुरू तो नहीं हो गए थे,,,,(जिस तरह का तीनों के बीच रिश्ता था उसे देखते हुए मोहिनी एकदम खुल चुकी थी इसलिए उसके मुंह से इस तरह की बात सुनकर ना तो संजू को ताजजुब हुआ था ना हीं आराधना को वह दोनों मुस्कुरा रहे थे और मुस्कुराते हुए आराधना बोली,,,)

पागल हो गई है क्या तुझे हर वक्त यही सुझता रहता है,,, बस के सफ़र से इतना थक गए हैं कि हम दोनों नहाए भी नहीं है बस बिस्तर पर पड़े तो पड़े रह गए,,,,।

ओहह तुम दोनों को देखकर ऐसा ही लग रहा है अच्छा एक काम करो जल्दी से तुम दोनों नहा कर फ्रेश हो जाओ मैं तब तक तुम दोनों के लिए चाय बना देता हूं उसके बाद खाना भी बना दूंगी,,,,।
संजु और आराधना


नहीं तु चाय बना दे खाना में बना लूंगी,,,,,

ठीक है,,,,।

(संजू काफी देर से अपनी बहन की छातियो की तरफ देख रहा था जिसके ऊपर कुछ हद तक और भी ज्यादा बेहद खूबसूरत नजर आ रहे थे,,, संजू से रहा नहीं गया और वह अपना हाथ बढ़ाकर अपनी बहन की छाती पर रखकर उसकी चूची दबाते हुए बोला,,,)

वाह मोहिनी तेरी चुची तो बहुत मस्त हो गई है,,,।

आहहहह,,,,(संजू से मोहिनी को इस तरह की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए संजू की तरह की हरकत से बचपन से क्यों कभी जीवन हल्का सा दर्द अपनी छतिया में महसूस कीजिए और दर्द से हल्की सी कराहते हुए वह बोली,,,)

क्या भैया क्या कर रहे हो,,,,


कुछ नहीं रे तेरी जवानी का अंदाजा ले रहा हूं,,,।

(दोनों की मीठी छेड़छाड़ देखते हुए आराधना मुस्कुराते हुए बोली)

तुझे बड़ी जल्दबाजी है रात को आराम से देख लेना,,,
संजू बाथरुम में अपनी मां की चुदाई करता हुआ


हां यह भी ठीक है मम्मी,,,,(अपनी बहन की तरफ देखकर आंख मारते हुए वह बोला,,, और यह देखकर मोहिनी मुस्कुराते हुए रसोई घर में चली गई,,,,,। तीनों में किसी भी प्रकार की मर्यादा का बंधन नहीं था तीनों एक दूसरे के प्रति एकदम खुल चुके थे इसीलिए बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ था और आराधना बाथरूम के अंदर अपनी साड़ी उतार रही थी,,, उसे अपने बेटे और बेटी के सामने किसी भी प्रकार की झिझक नहीं होती थी पर यह उसके लिए अच्छा भी था और वह इसे अच्छा भी समझती थी,,, एक औरत होने के नाते अपने बदन की प्यास को देखते हुए उसे यह सब कुछ अच्छा ही लगता था और वह सोच भी रही थी कि एक औरत को इसी तरह से रहना चाहिए क्योंकि इसी तरह से औरत असली सुख जिंदगी का ले सकती है और वह ले रही थी देखते-देखते वह अपने बेटे की आंखों के सामने अपनी साड़ी उतार कर अपने ब्लाउज का बटन खोलकर उसे अपने हाथों से उतार दी लेकिन ब्रा का हुक खोलने के लिए संजु खुद बाथरूम में प्रवेश कर गया और अपनी मां की ब्रा का हुक खोलकर उसे उसकी गोरी गोरी बाहों में से निकाल कर बाथरूम में फेंक दिया,,,, आराधना को बिल्कुल भी इस बात की चिंता नहीं थी की रसोई घर में उसकी जवान बेटी चाय बना रही है और फिक्र होती भी कैसे उसकी बेटी खुद जवानी का मजा दोनों के साथ मिलकर ले रही थी इसलिए आराधना भी निश्चित थी,,,, देखते ही देखते कमर से बंधी हुई साड़ी को भी संजू अपने हाथों से निकाल कर नीचे गिरा दिया,,,।
संजू बाथरुम में मजा लेते हुए

मोहिनी आंखों के नीचे करतब शुरू हो गया था मोहिनी अनजान थी कि बाथरूम में क्या हो रहा है माहौल पूरी तरह से धीरे-धीरे गर्म होने लगा था और गर्म करने वाला था संजू क्योंकि कुछ देर पहले ही बिस्तर पर अपनी मां की चूड़ियों की खनक की आवाज सुनकर वह उत्तेजित हो चुका था और फिर अपनी बहन की चूची पर हाथ रखकर वह अपने लंड में अकड़न महसूस किया था और फिर अपनी आंखों के सामने ही अपनी मां को कपड़े उतारते हुए देख कर वह पूरी तरह से मस्त हो गया और इसी अवसर का,,, फायदा उठाते हुए संजू अपनी मनमानी करने पर उतारू हो चुका था और जिसमें खुद आराधना की भी सहमति नजर आ रही थी क्योंकि वह किसी भी तरह से अपने बेटे को रोकने का प्रयास नहीं कर रही थी बल्कि उसकी हरकतों का आनंद ले रही थी,,,,।
बाथरुम में मजा लेते हुए

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जब से इस खेल में संजू ने मोहिनी को शामिल किया था तब से वह पूरी तरह से खुल चुका था और संजू ही नहीं मोहिनी और आराधना भी पूरी तरह से खुल चुके थे और इस खुलेपन में ही वह तीनों स्वर्ग का आनंद लूट रहे थे,,,, ब्लाउज खुद आराधना ने अपने हाथों से उतरी थी और ब्रा को उतारने का सौभाग्य संजू को प्राप्त हुआ था और वह खुद अपने हाथों से अपनी मां की साड़ी को खोलकर बाथरूम में नीचे गिरा दिया था वह केवल पेटीकोट में थी सिर्फ़ पेटिकोट की डोरी खोलने की देरी थी और उसकी मां पूरी तरह से नंगी हो जाती लेकिन वह अपनी मां को संपूर्ण रूप से नग्नावस्था में चोदना नहीं चाहता था,,,,,, संजू कुछ देर तक अपनी मां की नंगी चूची से खेलना चाहता था इसलिए वह दोनों हाथों को आगे की तरफ लाकर अपनी मां के दोनों खरबूजा को पकड़ लिया और उसे दबाना शुरू कर दिया,,,, खुद आराधना भी अपने बेटे की कामुक हरकत की वजह से गर्म हो चुकी थी,,,, आराधना को अपने बेटे पर गर्व हो रहा था खास करके उसकी मर्दाना ताकत पर जिस तरह से वह एक साथ दो-दो औरतों की जमकर चुदाई करता था और वह भी बिना थके कि वह देखने और महसूस करने लायक था,,,। आराधना अपने बेटे की हरकत से इस बात से और ज्यादा उत्तेजित हो जाती थी कि उसका बेटा सिर्फ मौके की तलाश में रहता था वह जगह और समय बिल्कुल भी नहीं देखा था जैसा कि गांव से घर से निकलते समय रास्ते में खंडहर के अंदर ही दोपहर के समय ही वह दोनों बहनों की बराबर से बड़ी-बड़ी से ले लिया था और दोनों को पूरी तरह से संतुष्ट किया था और बस के अंदर भी वह चुदाई का सुख भोग लिया था,,,, और अब अपनी बहन की उपस्थिति में ही वह बाथरूम के अंदर शुरू हो चुका था,,,।

संजू की हरकत की वजह से आराधना पूरी तरह से उत्तेजित हुए जा रही थी खास करके संजू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और वह सीधे पेटिकोट के ऊपर से ही आराधना की गांड में दस्तक दे रहा था,,,, आराधना को अपनी गांड पर अपने बेटे के लंड की चुदाई बहुत ही ज्यादा उत्तेजित कर देने वाली और मदहोश बना देने वाली लग रही थी इसीलिए उत्तेजित होते हुए आराधना अपनी गोल गोल गांड को अपने बेटे के लंड पर गोल-गोल घूमाना शुरू कर दी थी इससे वह खुद उत्तेजित हो रही थी और अपने बेटे को भी मस्त कर रही थी,,।
आराधना और संजू

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कुछ देर रुक गया होता मोहिनी चाय बना रही है अगर वह आ गई तो,,,

तो क्या हो गया मम्मी मोहनी को भी अंदर खींच लेंगे और फिर एक साथ तुम मां बेटी दोनों की चुदाई होगी,,,(संजू इस तरह से अपनी मां की चूची को दबाते हुए और अपने लंड को अपनी मां की गांड पर गोल-गोल घूमते हुए बोला,,,)

सच में तु बहुत बेशर्म हो चुका है,,,।

गांव में तुम दोनों रंडी होना जिस तरह का सुख मुझे दिया है उसे पकड़ तो दुनिया का कोई भी मर्द बेशर्म बन जाए और बेशर्म बनने में ही सबसे ज्यादा मजा है वरना इस तरह का सुख भला किसे प्राप्त होगा,,,(संजू उसी तरह से अपनी मां की चूची को रगड़ते हुए बोला,,,)

चल रहने दे अब जल्दी कर मुझे नहाना भी है,,,,


बिल्कुल भी चिंता मत कर रानी अभी तेरी चूत में लंड डालता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही संजु अपनी मां की चूचियों पर से अपने दोनों हाथ को हटाकर,,, वह अपनी मां की पेटीकोट को पकड़ लिया और उसे धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठने लगा देखते देखते संजू अपनी मां की पेटीकोट को कमर तक उठा दिया था और कमर तक पेटिकोट के उड़ने ही उसकी गोरी गोरी गांड पर लिपटी हुई उसकी लाल रंग की चड्डी नजर आने लगी,,, जिसे संजू बिल्कुल भी देर ना करते हुए अपने हाथों से अपनी मां की चड्डी को नीचे खींचते हुए से घुटनों तक लेकर आया और फिर,,, अपनी मां की पीठ पर हाथ रख कर उसे दबाव देकर झुकने के लिए इशारा करने लगा उसकी मां भी जानती थी कि उसे क्या करना है और वह भी अपने बेटे का इशारा पाकर झुक कर अपनी गांड को हवा में ऊपर उठा दी बस इसी का इंतजार था समझो को और संजू एक झटके में अपने पेट को उतार कर अपने खड़े लंड को बाहर निकाल लिया,,, और फिर एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर अपनी मां की गुलाबी चूत के अंदर प्रवेश कर दिया,,, चूत पहले से ही पनियाई हुई थी,,, इसलिए एक झटके में ही संजु का लंड पूरी तरह से चुत की गहराई में समा गया,,, आराधना की चूत अंदर से बेहद गर्म थी मानो कि जैसे कोई भट्टी जल रही हो लेकिन संजू भी काम नहीं था संजू का लंज भी गरम लोहा था जितना तपता था उतना ज्यादा मजबूत बनता था उतना ज्यादा निखर कर आता था और इस समय भी वही हो रहा था,,,, संजू की जगह अगर किसी और का लंड होता तो शायद आराधना की चूत की गर्मी वह सहन नहीं कर पाता और पहले झटके में ही ढेर हो जाता,,,
लेकिन आराधना से मुकाबला करने वाला उसका खुद का बेटा संजू था जो कि उसकी ही चुत से बाहर आकर खरा सोना बन चुका था,,, और अपने मर्दाना अंग से अपनी मां की चूत की गर्मी को शांत कर रहा था,,,,


संजू अपनी मां की कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था उसका मोटा तगड़ा लंड एकदम आराम से उसकी मां की चूत की गहराई तक पहुंच रहा था वह अपनी मां को गचागच चोद रहा था,,, वैसे भी संजू को अपनी मां की चुदाई करने में बहुत मजा आता था जो सुख उसे अपनी मां की चूत से प्राप्त होता था गाना तो अपनी मौसी की चूत से प्राप्त होता था और नहीं अपनी मामियों की चूत से यहां तक की चूत को लेकर अगर उसे ऊपर से नीचे क्रमांक में रखना हो तो वह 1 से 10 के अंदर अपनी मां की चूत को ही रखेगा बाकी इसके बाद के क्रमांक में ही आते हैं क्योंकि उम्र के इस दौर में भी उसकी मां की चूत एकदम जवानी से भरी हुई लड़की की तरह एकदम कसी हुई थी जिसमें उसका मोटा तगड़ा लंड एकदम फिट बैठता था,,,।

संजू के हर एक धक्के से आराधना पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी,,, उसके मुख से गरमा गरम शिसकारी की आवाज निकल रही थी,,,,,, यह पल बेहद उन्मादक था,,, आराधना सोची नहीं थी कि उसका बेटा ऐसे समय पर बाथरूम नहीं शुरू हो जाएगा लेकिन संजू से इस मामले में भी उसे कोई गीला शिकवा नहीं था,,,,,,,,, गजब की ताकत दिखा रहा था संजु उसका हर एक धक्का आराधना के बच्चेदानी तक पहुंच रहा था और हर एक हक्के पर आराधना छल जा रही थी उसे इतना मजा आ रहा था कि पूछो मत उसकी भारी भरकम गोल-गोल कर पानी भरे गुब्बारे की तरह लहरा रही थी संजू का हर एक धक्का उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर ऐसा पड़ रहा था कि मानो जैसे शांत तालाब में कंकर मारा जा रहा हूं हर एक धक्के पर मक्खन जैसी गांड लहर उठ रही थी,,,।

मोहिनी दोनों से बेखबर अपनी मां और अपने बड़े भाई के लिए चाय बना रही थी क्योंकि वह लोग काफी थके हुए थे लेकिन वह कहां जानती थी कि उसका बड़ा भाई और उसकी मम्मी दोनों सफर का थकान भुलकर चुदाई का सुख भोग रहे हैं,,, संजू को बड़ा मजा आ रहा था संजू कभी अपनी मां की कमर पकड़ लेता तो कभी उसके दोनों खरबुजो को अपनी हथेली में लेकर मसलते हुए अपनी कमर हिला रहा था,,,।

संजू और ज्यादा उत्तेजित हुआ जा रहा था उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था ,,, ऐसा लग रहा था कि वह अपनी मां की चूत में ही घुस जाएगा इसलिए वह अपना लंड धीरे से निकाल कर अपनी मां को अपनी तरफ घुमा दिया और उसे अपनी बाहों में लेकर उसकी दोनों टांगों को उठाकर,,, अपनी कमर से लपेटते हुए उसे गोद में उठा लिया,,, और एक बार फिर से अपने खड़े लंड को अपनी मां की चूत में प्रवेश कराकर उसे धीरे से दीवार से सटा दिया,, और फिर धक्के पर धक्का लगाना शुरू कर दिया,,, आराधना उसे बिल्कुल भी मना नहीं कर रही थी,,, क्योंकि वह अपने बेटे को अच्छी तरह से जानती थी वह जो कुछ भी करता था उसे आराधना को मजा और संतुष्टि दोनों प्राप्त होती थी और इसमें आराधना की भलाई रहती थी इसलिए संजू का साथ देते हुए गरमा गरम आहे भर रही थी संजू और उसकी मां दोनों चरम सुख के बेहद करीब पहुंच गए थे संजू एकदम से उसे अपनी बाहों में दबोचते हुए अपने धक्के को तेज कर दिया और फिर देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ना शुरू हो गए,,,।
 
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Sangya

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साधना की मदभरी बातें संजू की भावनाओं से खेल रही थी,,, उसके मन में अब तक किसी के लिए भी गंदे विचार नहीं आए थे,,, लेकिन जब से वह अपनी मौसी की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड के दर्शन किया था तब से अपनी मौसी को देखने का नजरिया उसका बदन में लगा था और आग में घी डालने का काम उसकी मौसी के विचार और उसकी बातें कर रही थी,,, साधना यह जान चुकी थी किसंतोष की गांड को देखकर पूरी तरह से पागल हो गया था और इसी का फायदा उठाते हुए वह उसी से बोल रही थी कि उससे भी खूबसूरत और अच्छी उसकी मां की गांड है क्या इस तरह से उसने भी अपनी मां की गांड देखा है,,, यह सवाल पूछ कर साधना ने अपने ही भतीजे के मन में अपनी मां के प्रति उन्माद और आकर्षण का भाव जगाने लगी थी,,, और संजू के तन बदन में आग लगा गई थी,,,संजु ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह अपनी मौसी के प्रति इस तरह से आकर्षण में बंध जाएगा,,, बाथरूम में अनजाने में ही उसे पेशाब करते हुए देख लिया था इतने तक तो ठीक था साधना भी बात को आई गई कर सकती थी लेकिन उसके मन में भी ना जाने कैसे भी चार जन्म ले रहे थे अपने ही भतीजे से वह गंदी गंदी बातें कर रही थी और पूछ रही थी उसके विचार को जानना चाह रही थी और यही सवाल जवाब में संजू की उत्तेजना बढ़ने लगी थी साथ ही साधना भी अपने अंदर उत्तेजना का अनुभव कर रही थी,,,,,,, साधना को इस बात से और ज्यादा होते इतना का अनुभव हो रहा था क्योंकि संजू ने पहली बार जिंदगी में किसी औरत की नंगी गांड को देखा था उसे पेशाब करते देखा था इस बात को जानकर वह और ज्यादा उत्साहित हो गई थी,,,, साधना आराधना से उम्र में बड़ी थी,,,,और इस उम्र में भी एक जवान लड़का प्यासी नजरों से उसकी गांड को खो रहा था यह बात उसे अंदर तक असर कर गई थी वह काफी उत्साहित हो गई थी,,,। दोनों के बीच की वार्तालाप मां की गांड पर आकर अटक गई थी संजय को जवाब दे पाता इससे पहले ही मोहिनी दरवाजे पर आकर खाना खाने के लिए आमंत्रण दे गई थी,,,, साधना भी अच्छी तरह से समझ रही थी कि अब सवाल जवाब करना ठीक नहीं था इसलिए वह उठकर जाने लगी थी और संजु को भी आने को कह रही थी,,,,बाथरूम के अंदर का लाजवाब दृश्य देखकर उसका असर अभी भी संजू के दिलों दिमाग पर छाया हुआ था,,,और इसीलिए वह अपनी मौसी को कमरे से बाहर जाता हुआ देख रहा था खास करके उसकी कमर के नीचे की घेराबंदी को जो कि बेहद लुभावनी थी,,, और मटक मटक कर चलने पर तो जान हीं ले ले रही थी,,,।


साधना और संजय दोनों कमरे से बाहर आ चुके थे और हाथ मुंह धोकर खाना खाने बैठ गए थे,,,, गरमा गरम पोरिया और जायकेदार सब्जी के साथ-साथ मुंह मीठा करने के लिए स्वादिष्ट खीर बनी हुई थी जिसका आराधना को छोड़कर तीनों लुफ्त ले कर खा रहे थे,,,, आराधना को इस तरह से बैठी देखकर साधना बोली,,,।


अरे आराधना तू क्यों बैठी है तू भी आ कर खा लेना,,,,(साधना मुंह में निवाला डालते हुए बोली,,,)

नहीं नहीं दीदी तुम सब खा लो मै तो उनके साथ ही खाती हुं,,
Sadhna



तु उनके साथ ही खाती है,,,


हां दीदी क्या करूं आदत बन चुकी है ना,,,,


मुझसे तो भाई बर्दाश्त नहीं होता मैं तो पहले ही खा लेती हूं,,,,
(आराधना तीनों को खाना परोसती जा रही थी और तीनों खाते जा रहे थे,,,, साधना को पूरी सब्जी खीर बहुत पसंद थी इसलिए वह पेट भर कर खा ली थी,,,, संजू का मन खाने में कम अपनी मौसी को ताड़ने में ज्यादा लग रहा था,,, संजू की नजरों को साधना अच्छी तरह से परख चुकी थी,,,, इसलिए खाना खाते खाते हो जानबूझकर अपनी साड़ी का पल्लू अपने कंधे से नीचे गिरा दी थी ताकि संजू को उसकी भारी भरकम छातियां एकदम साफ नजर आने लगे,,, और ऐसा हो भी रहा था अपनी मौसी की मदमस्त कर देने वाली बड़ी बड़ी चूची को देखकर जो कि ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी अपनी मादकता का असर संजू पर बनाए हुए थे,,, उसे देखकर संजू पूरी तरह से मस्त हो चुका ना पेंट में एक बार फिर से अकड़न बढ़ने लगी थी संजू चोर नजरों से रह रह कर अपनी मौसी की चूचियों पर नजर फेर ले रहा था संजू को ऐसा लग रहा था कि उसकी मौसी ने अपनी चुचियों के साईज से कम बाप का ब्लाउज पहन रखी है इसलिए उसकी चूचियां कुछ ज्यादा ही बाहर निकली हुई नजर आ रही थी,,,,लेकिन गौर से देखने पर संजू किस बात का एहसास हो गया कि उसकी मौसी की चूचियां कुछ ज्यादा ही बड़ी-बड़ी है इसे देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था एक तरफ स्वादिष्ट व्यंजन की खाली पड़ी थी और दूसरी तरफ ब्लाउज में कैद पकवान नजर आ रहा था,,, संजू को पकवान खाने का मन कर रहा था लेकिन उसे खाने की उसमें हिम्मत नहीं थी साधना को अपने भतीजे को इस तरह से तड़पाने में बहुत मजा आ रहा था क्योंकि संजू पूरी तरह से जवान हो चुका था और जवान लड़के उसे देखकर इस तरह से आहें भरते हो यह उसे बेहद पसंद था,,,, क्योंकि उसे लगता था कि इस नंबर में भी वह काफी खूबसूरत और गति रे बदन की मालकिन है और यह हकीकत भी था,,,, लेकिन आराधना की खूबसूरती से अगर उसकी जवानी का कंपेयर किया जाए आराधना एक कदम आगे ही थी,,,,
Sadhna or Sanju


इस समय संजू की आंखों के सामने साधना की दोनों चूचियां ब्लाउज में कैद होकर रासलीला रचा रही थी जब जब वह अपने हाथ को थाली से ऊपर की तरफ ले जाती तब तक उसकी दोनों चूचियां आपस में रगड़ जा रही थी,,,। और आपस में रगड़ खा रही चूचियों की गर्मी संजू की दोनों टांगों के बीच छा रही थी,,,,,,


देखते ही देखते तीनों ने खाना खा लिया था और आराधना बर्तन मांजने लगी थी उसकी मदद करने के लिए साधना भी वहां पहुंच गई तो आराधना ने उसे बर्तन मांजने नहीं दी और बैठने के लिए बोली मोहिनी अपनी मां की मदद करने लगी और कुछ देर के लिए संजू बाहर टहलने के लिए निकल गया,,,,संजू की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी ना चाहते हुए भी उसके दिलो-दिमाग पर उसकी मौसी साधना छाई हुई थी उसकी मदमस्त गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड उसका पैसाब करना और उसकी चूचियों की झलक कुल मिलाकर संजू को अपनी आगोश में जकड़ी हुई थी संजू चाह कर भी अपना ध्यान दूसरी तरफ लगा नहीं पा रहा था वह टहल पर डालते अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी मौसी आखिरकार उसे चाहती क्या है अगर उसे गलत लगा होता तो वह उसे डांट देती उसे भला-बुरा कहती,,,लेकिन ऐसी किसी भी प्रकार की प्रक्रिया उसकी मौसी की तरफ से नहीं हुई थी बल्कि उसकी मौसी तो उसे से गंदे सवाल जवाब पूछ रही थी और सीधे-सीधे उसकी मां के बारे में पूछ कर संजू के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर दी थी संजू को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार उसकी मौसी उससे इस तरह के सवाल क्यों पूछ रही है यही सब सोचते सोचते उसका दिमाग खराब हो रहा था आखिरकार काफी समय बीत जाने के बाद वह घर लौटा तो सब लोग सोने की तैयारी कर रहे थे,,,,,,।



आराधना तो अपने कमरे में सो जा मैं इन लोगों के साथ सो जाती हूं क्योंकि जीजा जी कभी भी रात को आएंगे तो अच्छा नहीं लगेगा अगर मैं तेरे कमरे में सोई रहूंगी तो,,,


ठीक है दीदी जैसी आपकी मर्जी,,,,,

(और फिर इतना कहकर आराधना अपने कमरे में चली गई और मोहिनी और संजू के साथ साधना उन लोगों के कमरे में चली गई,,,, कमरे में सोने के नाम पर ही संजू के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो कैसे अपनी मौसी के साथ सो पाएगा क्योंकि उसके मन में उसकी मौसी को लेकर गंदे गंदे विचार आना शुरू हो गए थे उसे डर था कि उसके हाथ से कुछ इधर उधर ना हो जाए,,,, तीनों कमरे में पहुंचकर कुछ देर तक बातें करते रहे मोहिनी और संजू नीचे ही बिस्तर लगा कर सोते थे,,, अपनी मौसी से बातें करने में मोहिनी को बहुत मजा आ रहा था लेकिन संजू से तो कुछ बोला ही नहीं जा रहा था वह अपनी मौसी की खूबसूरती में पूरी तरह से खो चुका था खास करके उसकी नंगी गांड के दर्शन करके वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी मौसी अपने कपड़े उतार कर नंगी होने के बाद कैसी नजर आती होगी,,, ब्लाउज से बाहर आकर उसकी चूचियां किस कदर कहर ढाती होगी,,,, संजू को अपने मौसा की किस्मत पर जलन होने लगी थी कितनी खूबसूरत औरत को वह रोज चोदते होंगेरोज उसके नंगे पन का दर्शन करते हुए अपने हाथों से उसके कपड़े उतारते होंगे उसकी बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों से पकड़कर दबाते होंगे उसकी बड़ी बड़ी चूची को मुंह में लेकर पीते होंगे उसके रसीली चूत में अपना लंड घुसा कर चोदते होंगे यह सब सोचते हुए संजू की हालत खराब होती जा रही थी और उसके पैंट में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,,,,,


बात करते-करते 12:00 बज गए थे मोहिनी को नींद आने लगी थी क्योंकि उसे झपकी लगने लगी थी इसलिए वह बोली,,,।


चलो काफी रात हो गई है सो जाते हैं वैसे भी तुम्हें नींद आ रही है मोहिनी,,,


हां मौसी मुझे जोरों की नींद आ रही है,,,,(इतना कहने के साथ ही मोहिनी वही लेट गई और सो गई साधना जानबूझकर दोनों के बीच में सोने वाली थी इसलिए बिस्तर पर लंबी होते हुए वह संजू से बोली,,,)

संजू लाइट बंद कर दे मुझे उजाले में नींद नहीं आती,,,,।



(संजु अपनी मौसी की बात मानते हुए उठकर खड़ा हुआ है और लाइट बंद कर दिया कमरे में पूरी तरह से अंधेरा छा गया,,,, कुछ भी नजर नहीं आ रहा था संजू धीरे से आकर अपनी मौसी के बगल में लेट गया उसके दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चल रही थी पहली बार बार किसी की औरत के पास सोया था ऐसा बिल्कुल भी नहीं था इससे पहले भी वह अपनी मौसी के साथ सो चुका था लेकिन आज की बात कुछ और थी,,,, पहले वह एक भतीजे की नजर से अपनी मौसी को देखा करता था लेकिन आज एक मर्द की नजर से वहां अपनी मौसी को देख रहा था और उसकी मौसी में उसे एक औरत नजर आ गई थी तब खूबसूरत कामुक औरत जिसके अंग अंग से मादकता छलक रही थी,,,,।
साधना के भी बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,, उसके मन में कुछ और चल रहा था,,,, संजू और साधना दोनों पीठ के बल लेटे हुए थे,,, दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी साधना खेली खाई औरत थी इसलिए वह अच्छी तरह से जानती थी कि एक जवान लड़के को किस तरह से लाइन पर लाया जाता है,,,, वह घुटना मोड़ कर अपनी सारी पर पूरी तरह से अपनी जांघों तक चढ़ा दी,,,,,, और संजू से बोली,,,।

संजू मेरे घुटने के नीचे चादर होगी जरा लाना तो मै सर के नीचे रख लु,,,
(संजीव को तो सब कुछ सामान्य और औपचारिक ही लग रहा था,,, वह उठा और बैठकर,,,, पैर की तरफ देखने लगा लेकिन लाइट बंद होने की वजह से पूरे कमरे में अंधेरा छाया हुआ था कुछ भी नजर नहीं आ रहा था इसलिए अंदाजन अपना हाथ आगे बढ़ाकर चादर उठाने को हुआ ही था कि वह अपना हाथ अपनी मौसी की जांघों पर रख दिया,,,, पल भर में उसे तो लगा जैसे कि उसे करंट लग गया हो जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत की जांघ पर अपना हाथ रखा हुआ था,,,, पल भर में ही उसकी सांसे ऊपर नीचे हो गई,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें नरम नरम मक्खन जैसी चिकनी जांघों को अपनी हथेली में लेते ही उसके तन बदन में आग लगने लगी थी,,,, संजू के लंड ने करवट लेना शुरू कर दिया था,,,,,,, उसका मन अपनी मौसी की चिकनी जांघों को छोड़ने का बिल्कुल भी नहीं कर रहा था लेकिन वह ऐसा कर सकने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहा था,,,। और साधना के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई थी क्योंकि एक जवान लड़का उसकी जांघों को अपनी हथेली मैं पकड़े हुए था वह चाहती थी कि संजू अपनी हथेली को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ लाया और उसकी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार पर रख कर दबोच लें,,,, लेकिन वह ऐसा खुले शब्दों में नहीं कह सकती थी,,,, उत्तेजना के मारे अपनी उखड़ी हुई सांसो को दुरुस्त करते हुए संजू बोला,,,,।


मौसी अंधेरा बहुत ही कुछ नजर नहीं आ रहा है,,,,।


ठीक है एक बार लाइट चालू करके देख ले चादर कहां रखी हुई है,,,,।



(साधना जानबूझ कर उसे लाइट चालू करने के लिए बोली थी क्योंकि वह लाइट के उजाले में उसे एक बार अपनी जवानी का झलक दिखाना चाहती थी एक बार तो पहले भी वह अनजाने में देख चुका था लेकिन अब वह जानबूझकर अपनी मदमस्त कर देने वाली जवानी उसे दिखाकर अपनी आगोश में लेना चाहती थी,,, और लाइट चालू करने के नाम पर संजू का दिल जोरो से धड़कने लगा था उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,, वह भी बेहद उत्सुक था लाइट चालू करने के लिए,,, वह बल्ब की रोशनी में अपनी मौसी की मदमस्त कर देने वाली जवानी के दर्शन करना चाहता था लेकिन इस बात से डर रहा था कि कहीं मोहिनी जाग रही होगी तो,,,, पर ऐसा लग रहा था कि जैसे संजू के मन की बात साधना अच्छी तरह से समझ रही हो इसलिए वह बोली,,,।)


मोहिनी सो गई है तू लाइट चालू करके जल्दी से चादर मुझे दे दे और फिर वापस लाइट बंद कर दे,,,।
बहुत खूब चुदासी मौसी का इशारा और बहन की चुदाई
 
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सुषमा की बातें सुगंधा के कानों में गर्म शीशे की तरह लग रही थी और कोई समय होता तो शायद सुषमा किस तरह की बातें सुगंधा को बड़ी दिलचस्प लगती लेकिन सुगंधा के हालात सुषमा के हालात से विपरीत थे सुषमा पूरी तरह से सुहागन थी और सुगंधा का सुख खो गया था,,,, इसलिए सुगंधा का सुषमा पर गुस्सा करना लाजमी था सुगंधा के नजरिए से,,, क्योंकि आज जिस तरह के बदलाव सुगंधा को अपने अंदर महसूस हुआ था उसे बदलाव के पीछे सुषमा का ही हाथ था नव अपने घर फिल्म देखने के लिए ले जाती ना गंदी फिल्म देखी ना उसका मन बहकता,,,,।

अब तो सुगंधा का मन बिल्कुल भी काबू में नहीं रहता था चाहे जहां भी उसे गंदे ख्याल आने लगते थे बार-बार उसकी आंखों के सामने उसे फिल्म के हीरो का टन टनाया हुआ लंड नजर आता था,,, जिसके चलते उसकी बुर कब गीली हो जाती थी उसे पता ही नहीं चलता था,,, अब तो सुगंधा स्कूल से आने के बाद तुरंत अपनी जवानी की प्यास बुझाने में पूरी तरह से लिप्त हो जाती थी अपनी नाजुक उंगलियों को अपने कार्य में लगाकर पूरी तरह से तृप्त होने की कोशिश करती थी,,, लेकिन यह बात उसे बिल्कुल भी नहीं मालूम थी की जवानी की आज बदन की प्यास जितना बुझाओ उतना ज्यादा भडकती है,,, जिसके चलते उसकी मां पूरी तरह से व्याकुल और विचलित होने लगा,,, अब तो न जाने की उसका आकर्षण जवान मर्दों की तरफ बढ़ने लगा था,,, गठीला बदन चौड़ी छाती,,, इस तरह के मर्दों में वह पौरुष तलाशती रहती थी,,,, वह अपने मन में किसी भी जवान मर्दों को देखकर उसके बारे में कल्पना करने लगती थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच के हथियार के बारे में वह अपने मन में सोचती थी कि उसका कैसा होगा कैसा दिखता होगा खड़ा होने के बाद कितना बड़ा होता होगा यही सब सो कर वह बार-बार अपनी बुर गीली कर देती थी जिसके चलते उसे दिन में दो बार अपनी पैंटी बदलनी पड़ती थी,,,

और यही हाल तृप्ति का भी था ट्यूशन से घर लौटते समय शाम को जिस तरह का वाक्या उसके साथ हुआ था वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी संदीप जिस तरह से उसका हाथ पकड़ कर अंधेरे का लाभ लेते हुए पतली गली में उसके साथ चुंबन चाटी किया था वह सब तृप्ति के लिए बिल्कुल ही नया और अलग अनुभव था जिसके चलते उसे पहली बार एहसास हुआ था कि उसकी बुर पुरी तरह से गीली हो चुकी थी उसकी बुर से पानी निकल रहा था और वह नादान इतना नहीं समझ पा रही थी कि उसकी बुर से आखिरकार गीला गीला क्या निकल रहा था,,, जिसे वह तुरंत घर जाकर बाथरूम में अपनी पेंटिं बदल दी थी,,, उसे ऐसा ही प्रतीत हो रहा था कि शायद पेशाब के जोर के चलते ही उसकी पेंटिं गीली हो गई थी,,, लेकिन सीधी-सादी तृप्ति को कहां मालूम था की जवानी की पहली फुहार थी जो कि उसकी सूखी जमीन पर नमी पन लेकर आई थी,,,,।

वह बिस्तर पर संदीप की हरकत के बारे में सोचकर पूरी तरह से उत्तेजित हो जाती थी और ऐसा वह बार-बार करती थी ना चाहते हुए भी जब भी वह बिस्तर पर लेटती थी तब उसे संदीप वाली हरकत याद आ जाती थी,,,, लेकिन वह समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा कैसे हो गया उसने आज तक किसी भी मर्द को अपने बदन को हाथ लगाने नहीं दी थी वह जानती थी कि यह सब गलत बात है जो की शादी के बाद ही करना चाहिए और ज्यादातर वह बदनामी से डरती थी,,, घर में पड़ी होने के नाते बातचीत तरह से जानती थी कि उसकी मां कितनी तकलीफ सहकार उसके और उसके भाई का पालन पोषण कर रही थी पिता के देहांत के बाद उसकी मां मां के साथ-साथ पिता का भी प्यार दे रही थी और इसी के चलते तृप्ति अच्छी तरह से अपनी जिम्मेदारियां के बारे में समझती थी और वह किसी भी तरह से अपनी मां को बिल्कुल भी दुख देना नहीं चाहती थी लेकिन संदीप के साथ जो कुछ भी हुआ था उसके अनजाने में हुआ था,,, वह जानती थी कि संदीप भले ही जान पूछ कर इस तरह की हरकत किया हो लेकिन उसकी तरफ से किसी भी प्रकार की हामी नहीं थी लेकिन उसे यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि वह इतनी मजबूर कैसे हो गई कि संदीप को अपने बदन को छूने की इजाजत दे दी और यहां तक कि वह अपनी हरकतों को और ज्यादा आगे बढ़ाते लेकर चला जा रहा था,,,।

बार-बार तृप्ति को संदीप की हरकत के बारे में याद आ रहा था उसके चुंबन के बारे में याद आ रहा था पहली बार उसके होंठ पर किसी मर्द के होंठ स्पर्श हुए थे जिसके चलते उसके बाद में बिजली से दौड़ने लगी थी उसके बदन में सुरसुराहट सी दोड़ने लगी थी वह पूरी तरह से पागल हो गई थी,,, और तो और संदीप की हथेलियां को अपने नितंबों पर महसूस करके वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी सब कुछ कह दी मर्तबा हो रहा था पहली बार चुम्मन पहली बार किसी की हथेली अपनी नितंबों पर महसूस कर रही थी और वह भी संदीप जानबूझकर उसकी नितंबों को अपनी हथेली में पड़कर दबा रहा था और उसे अपनी तरफ खिंचे हुए था,, और तो और जिस तरह से उसने अपने दोनों हथेलियां के जोर से उसके नितंबों को पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच कर रखा था उसके चलते उसे अपनी बर के द्वार पर कुछ कड़क और नुकीली चीज चुभती हुई महसूस हुई थी,,, और इस बात का अहसास होते ही की उसकी बुर पर चोदने वाली नुकीली चीज कुछ और नहीं बल्कि संदीप का मोटा तगड़ा लंड है वह पूरी तरह से पानी पानी हो गई,,, क्योंकि पहली बार तृप्ति लंड नाम के अंग से रूबरू हुई थी हालांकि पूरी तरह से तो मर्द के लंड से मुलाकात उसकी हुई नहीं थी लेकिन इतना ही उसके लिए बहुत था जिसके चलते उसकी बुर पूरी तरह से पानी छोड़ दी थी,,,, संदीप के मर्दाना अंग की ठोकर उसे अभी भी पूरी तरह से महसूस होती थी जिसके चलते उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगती थी,,,, और ऐसा क्यों ना हो अगर तृप्ति की जगह कोई और जवान लड़की होती जो इस तरह के अनुभव से गुजरी ना हो रूबरू ना हो तो उसके बदन में भी इसी तरह की लहर उठना स्वाभाविक है तृप्ति तो पूरी तरह से मचल उठी थी,,, और न जाने क्यों सब कुछ जानते हुए भी वह संदीप को रोक नहीं पाई थी यहां तक की संदीप ने उसकी सलवार में अपने हाथ को भी डाल दिया था और उसकी पेंटिं के ऊपर से ही उसकी बुर को दबोच दिया था,,,, यह सब तृप्ति के लिए उत्तेजना से भरा हुआ था जो की बिल्कुल असहनीय था जिसका असर उसकी दोनों टांगों के बीच की उसे पतली दरार में बराबर दिखाई दे रहा था,,,,,,, यहां तक भी ठीक था तृप्ति की खामोशी को उसकी रजा मंदी समझ कर संदीप की हरकत और ज्यादा बढ़ने लगी थी,,, यहां तक कि वह अपनी हथेली को उसकी पेंटिं के अंदर डाल दिया था,,, तभी दूर से आ रही मोटरसाइकिल की तो इस रोशनी दोनों पर पढ़ते ही तृप्ति को इस बात का एहसास हुआ कि जो कुछ भी हो रहा है वह गलत हो रहा है वह तुरंत उससे दूर हो गई और मोटरसाइकिल के गुजर जाने के बाद वहां लगभग भागते हुए अपने घर की तरफ जाने लगी संदीप हाथ मिलने रह गया था हाथ में आया हुआ इतना अनमोल मौका चला गया था लेकिन फिर भी वह मदहोश कर देने वाली जवानी को अपने हाथों से महसूस करके पूरी तरह से मस्त हो चुका था,,,,।

मां बेटी दोनों की हालत एक जैसी हो चुकी थी,,, सुगंधा बार-बार अपने हाथों से अपनी जवानी की प्यास को बुझाने की कोशिश करती थी और बार-बार अपनी गलती के चलते ग्लानि महसूस करके अपने आप को दोषी मानकर वहां बार-बार कसम खाती थी और दूसरे दिन भी अपने बदन की जरूरत के मुताबिक वह कसम तोड़कर फिर से वही गलती करती थी,,,, इसी तरह से धीरे-धीरे दिन देती धो रहे थे जहां एक तरफ मां बेटी पूरी तरह से जवानी की आग में झुलस रहे थे वहीं दूसरी तरफ अंकित अपने आप को इस तरह के दूषण से बचाया हुआ था,,,, और निरंतर सुबह-सुबह उठकर कसरत किया करता था,,। और उसका कसरती बदन देख कर किसी का भी आकर्षक उसकी तरफ बढ़ जाता था लेकिन अब तक परिवार में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था सुगंधा जवानी से भरे हुए मर्दाना ताकत से भरपूर अपने बेटे की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं देती थी वह बाहर ही मन में कल्पना करके दूसरी मर्दों की तरफ आकर्षित होकर अपनी जवानी की प्यास बुझाने में लगी हुई थी,,,,।

एक शिक्षिका होने के नाते वह अच्छी तरह से जाती थी कि उसका एक भी गलत कदम उसकी बनी बनाई इज्जत को मिट्टी में मिला सकता था इसीलिए वहां इस तरह की कोई भी हरकत नहीं करना चाहती थी जिससे उसकी बदनामी हो उसके पद की गरिमा को लांछन लगे लेकिन वह अपनी क्लास के जवान लड़कों की हरकत के बारे में भी अच्छी तरह से जानती थी,,, जब से वह सुषमा के साथ गंदी फिल्म देखी थी तब से उसे मर्दों की नजर के बारे में कुछ ज्यादा ही मालूम होने लगा था यहां तक कि उसे इस बात का भी एहसास होने लगा था कि अपनी स्कूल में क्लास में पढ़ते समय उसकी क्लास के लड़के उसके अंगों को प्यासी नजरों से देखते रहते थे अब तक उसे इस बात का एहसास बिल्कुल भी नहीं था वह क्लास के हर बच्चों में मासूम अंकित का ही चेहरा देखते आ रही थी जिसके चलते उसके मन में कभी भी गलत भावना पैदा नहीं हुई थी लेकिन अब उसका विचार भी पूरी तरह से बदल चुका था वह ब्लैक बोर्ड पर चौक से लिखते हुए अचानक की अपनी नजर को पीछे की तरफ घूम कर देख लेती थी और यह देखने की कोशिश करती ठीक ही उसके नितंबों की तरफ कौन-कौन देख रहा है और उसके आश्चर्य के मुताबिक क्लास के ज्यादातर लड़के उसकी भरी हुई बड़ी-बड़ी गांड की तरफ की प्यासी नजरों से देखते रहते थे जो की ब्लैकबोर्ड पर लिखते समय उसके नितंबों में एक अजीब सी धड़कन होती थी कई हुई साड़ी पहनने की वजह से उसकी गांड को ज्यादा ही उभरी हुई नजर आती थी जिसके चलते क्लास के लड़कों के मुंह में पानी आ जाता था,,,।

उसे अब एहसास होने लगा था कि उसके खूबसूरत बदन को आदमियों के साथ-साथ जवान लड़के भी प्यासी नजरों से देखते थे और न जाने क्यों उसे लड़कों को अपनी जवानी की झलक दिखाने में एक अजीब तरह का आनंद प्राप्त होने लगा था और उसे अंदर ही अंदर काफी उत्तेजना का एहसास होने लगा था यहां तक की अब क्लास में बार-बार उसे अपनी बुर गीली होती हुई महसूस होने लगी थी,,, ब्लैकबोर्ड पर लिखते समय वह जानबूझकर थोड़ा आगे की तरफ झुककर अपनी बड़ी बड़ी गांड को बाहर की तरफ निकाल लेती थी,,, जिसके चलते आगे की बेंच पर बैठे हुए जवान लड़कों की तो हालत खराब हो जाती थी,,,,।

ऐसे ही एक दिन वह ब्लैकबोर्ड पर लिख रही थी और आगे की बेंच पर उसकी क्लास का विद्यार्थी अमन और मोहन बैठे हुए थे वह इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि वह दोनों कुछ ज्यादा ही उसके बाद उनको प्यासी नजरों से घूरते रहते थे और उन दोनों की हरकत देखकर सुगंधा के भजन में अजीब सी हलचल होने लगती थी उसे उनकी नज़रें अच्छी लगने लगी थी इसीलिए ब्लैकबोर्ड पर लिखती लिखकर अपनी चौक को नीचे गिरा देती थी ताकि उसे उठते समय उसकी गांड कुछ ज्यादा उभार लिए हुए नजर आए,,,, और जानबूझकर चौक गिरा कर जब वह उसे उठाने के लिए नीचे झुकती थी तो उसकी नजर अपने आप ही आगे की बेंच पर बैठे हुए दोनों लड़कों पर चली जाती थी और सुगंधा को साफ नजर आता था की उत्तेजना के मारे उनके पेट के आगे वाला भाग पूरी तरह से फुल चुका है,,,, जिसे देखकर सुगंधा के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,,,, सुगंधा उन लड़कों के पेट के उभार को अच्छी तरह से देखना चाहती थी,,, इसलिए एक बहाने से वह बोली,,,।

अमन और मनोज दोनों खड़े हो जाओ,,,,।

(इतना सुनते ही दोनों एकदम से खड़े हो गए दोनों इस बात को भूल गए थे कि अपनी टीचर की मदमस्त कर देने वाली गांड और उसकी जवानी देखकर दोनों का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका है,,, उन दोनों के खड़े होते हैं सुगंधा की नजर सबसे पहले उन दोनों के पेंट के आगे वाले भाग पर ही गई क्योंकि अच्छा खासा तंबू बनाया हुआ था और उसे तंबू को देखकर उसके होठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई उसके मन में तरंगें उठने लगी,,, उसे अपनी जवानी पर थोड़ा गर्म होने लगा कि इस उम्र में भी वह जवान लड़कों के लंड को खड़ा करने की ताकत रखती है,,, फिर उन दोनों से थोड़ा बहुत सवाल जवाब करके उन्हें बैठा दि,,, क्योंकि सुगंधा ने अपना मतलब पूरा कर ली थी उसे जो देखना था वह देख ली थी और उसे देखने के बाद उसे अपनी पैंटी गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,,।


घर पर पहुंचते ही वह अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई और बाथरूम के अंदर अपनी बुर में उंगली डालकर अपनी प्यास बुझाने की भरपूर कोशिश करने लगी,,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है पति के देहांत के बाद वह इस तरह की बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन अब उसकी काम पिपाशा कुछ ज्यादा ही प्रज्वलित हो चुकी थी जिसकी वजह से वह खुद बहुत हैरान थी,,,।

खैर जैसे तैसे करके दिन गुजर रहे थे,,, पुरुष संसर्ग का बहुत मन होने के बावजूद भी वह अपने मां पर संयम रखकर अपनी उंगलियों का ही सहारा लेकर अपनी भावनाओं को दबाने की कोशिश कर रही थी लेकिन जितना वह अपने भावनाओं को दबाने की कोशिश करती थी उससे ज्यादा उसकी भावनाएं उसे अपनी आगोश में लेकर बिखेर दे रहे थे,,,। दूसरी तरफ तृप्ति संदीप से दूरी बनाकर ही रहने लगी थी,,,, जिसकी वजह से संदीप उससे बार-बार माफ़ी भी मांग रहा था लेकिन वह उसे माफ करने को तैयार हीं नहीं थी,,,,,, तृप्ति एक समझदार लड़की थी उसे अपनी जिम्मेदारियों का एहसास था,,, वह किसी भी तरह से अपने परिवार की बदनामी होने देना नहीं चाहती थी क्योंकि वह जानती थी कि अगर उस दिन उससे और ज्यादा गलती हो जाती तो उसका क्या परिणाम होता,,,,।

और सुगंधा को अभी तक कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि उसे आगे क्या करना है जिस तरह की आज उसके बदन में लगी थी उसे बुझाना उसके लिए बहुत जरूरी होता जा रहा था पुरुष संसर्ग के लिए उसकी मन कुछ ज्यादा ही मचलने लगा था,,,। लेकिन वह एक समझदार औरत थी और उसके भयंकर परिणाम के बारे में भी जानती थी इसलिए तो वह अपना कदम आगे बढ़ाने में घबरा रही थी,,,, वह अपने कमरे में बैठे-बैठे उन औरतों के बारे में सोच रही थी जो कि अपने पति के होने के बावजूद भी दूसरे मर्दों के साथ संबंध बनाकर गुलछर्रे उड़ाती है,,, सुगंधा यही सोच रही थी कि ऐसी औरतों के पास तो खुद उनके पति होता है लेकिन फिर भी अपनी प्यास बुझाने के लिए की इस मर्दों का सहारा लेते हैं,,,, तो क्या इस तरह का रिश्ता उन औरतों के लिए सही है या गलत फिर अपने ही सवाल का जवाब अपने मन में देते हुए बोली कि जब तक पकड़ी नहीं जाती तब तक हर रिश्ता सही रहता है पकड़े जाने पर ही गलती का एहसास दिलाया जाता है,,,,,,,।

सुगंधा अपने मन में सोच रही थी कि अगर वह किसी गैर मर्द के साथ संबंध बना लेती है तो क्या होगा कैसा बदलाव उसके जीवन में आएंगे,,, वह अपने मन में इस तरह के रिश्ते के बारे में सोचने लगी कि अगर वह किसी गैर पुरुष के साथ संबंध बनाने की है तो वह उसके साथ चोरी छिपे मिलेगी उसके घर पर जब कोई नहीं होगा तब वह धीरे से उसके घर जाएगी और अपना काम खत्म करके वापस आ जाएगी ऐसे में किसी को कुछ भी पता भी नहीं चलेगा लेकिन अगर इस बारे में किसी को पता चल गया तो,,,, वह तो बदनाम हो जाएगी और इस बारे में अगर उसके बच्चों को पता चल गया तब तो वह उनसे नजर भी नहीं मिल पाएगी और अपने बच्चों की नजर में ही गिर जाएगी,,, अंकित और तृप्ति अपनी मां के बारे में क्या सोचेंगे,,,, यही सब सोच कर वह घबरा जाती थी और फिर अपनी भावनाओं का गलत फिर से इस तरह की जिंदगी जीने की मन में ठान लेती थी लेकिन,,, कुछ देर बाद फिर से वही सब ख्याल उसके मन में आता था और फिर वह उत्तेजित हो जाती थी,,,,।

ऐसे की एक दिन वह सुबह-सुबह धुले हुए कपड़ों को सूखने के लिए डालने के लिए छत पर पहुंच गई और छत पर पहुंचते ही उसकी नजर अपने बेटे अंकित पर गई जो कि केवल अंडरवियर में ही कसरत कर रहा था अंकित ने अपनी मां को नहीं देखा था और वह कसरत करने में पूरी तरह से मजबूर था लेकिन सुगंधा की नजर अपने बेटे पर पढ़ते ही वह कुछ देर के लिए एकदम से भूल गई कि वह उसका बेटा है वह केवल इसकी चौड़ी छाती गठीला कसरती बदन उसकी भुजाओ को देख रही थी सुगंध को पहली बार अपने बेटे में बेटा नहीं बाकी एक जवान मर्द नजर आ रहा था जिसे देखकर उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में अजीब सी सुसुराहट महसूस होने लगी थी सुगंधा की नजर जैसे ही अपने बेटे के अंडरवियर के आगे वाले भाग पर गई तो वह एकदम से मदहोश होने लगी क्योंकि सुषुप्त अवस्था में भी उसके अंडरवियर में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था जिसे देखकर वह अपने मन में उसे गंदी फिल्म वाले हीरो की कल्पना करने लगी जिसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में खड़ा था,,,, पल भर में ही सुगंधा की सांस ऊपर नीचे होने लगी,,,, वह बड़े गौर से अपने बेटे के अर्धनग्न बदन को देख रही थी और अनजाने में ही कल्पना करने लगी थी कि अगर इस समय उसका बेटा पूरी तरह से नंगा होता तो कैसा नजर आता उसका मोटा तगड़ा लंड कैसा दिखता इन सब ख्यालों के चलते उसकी बुर पूरी तरह से पानी छोड़ने लगी इस बार उसकी बुर कुछ ज्यादा ही पानी छोड़ रही थी क्योंकि इस बार वह इसके बारे में कल्पना कर रही थी वह उसका जवान बेटा था इसलिए उसके बदन में कुछ ज्यादा ही जोश और उन्माद नजर आ रहा था,,,,, वह बड़े गौर से अपने बेटे की क्रियाकलाप को देख रही थी वह अपने ही ध्यान में पूरी तरह से मग्न होकर बड़े-बड़े वजनदार डंबल को उठाकर अपने हाथ के मसल्स को और ज्यादा मजबूती प्रदान कर रहा था,,, तभी कसरत करते-करते उसकी नजर अपनी मां पर गई तो वह एकदम से चेहरे पर मुस्कुराहट लाते हुए बोला,,,।

अरे मम्मी तुम,,,,, सुबह-सुबह यहां क्या कर रही हो,,,

(अपने बेटे की आवाज कानों में पढ़ते ही जैसे उसकी तंत्र भंग हुई हो वह एकदम से हड़बड़ाहट भरे स्वर में बोली,,)

लव,,वो मैं धुले हुए कपड़े सुखाने के लिए आई थी,,,
कुछ तो गड़बड़ लग रहा है दूसरी कहानी का अपडेट यहां पर
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है
 
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