संजू अपनी मां के साथ अपने घर पर पहुंच चुका था,,, दोपहर का समय होने की वजह से घर पर मोहिनी नहीं थी दोनों काफी थक चुके थे घर की एक चाबी आराधना के पास थी जिसे वह अपने पर्स में से निकाल कर ताला खोलकर कमरे में प्रवेश कर गई,,,, दोनों इतने थके हुए थे कि दोनों एक ही बिस्तर पर सो गए और वैसे भी दोनों को अब इस बात से फर्क नहीं पड़ता था कि दोनों कहां सो रहे हैं किसके साथ सो रहे हैं क्योंकि घर में संजू मोहिनी और आराधना तीनों आपस में खुल चुके थे,,,,, थकान की वजह से मां बेटे दोनों गहरी नींद में सोए हुए थे और सोते-सोते कब शाम ढलने लगी दोनों को पता ही नहीं चला मोहिनी को मनीषा से पता चल गया था कि संजू और उसकी मां दोनों घर पर आ रहे हैं इसलिए वह पूरी तरह से निश्चित तिथि आज वह मोहिनी के घर नहीं बल्कि अपने घर आने वाली थी क्योंकि जब से संजू और आराधना गांव गए थे तब से मोहिनी मनीषा के घर पर ही रहती थी और रोज रात रंगीन करती थी भले ही दोनों की चूत में मर्दाना लंड प्रवेश नहीं कर पा रहा था लेकिन दोनों ने आपस में ही अपना जुगाड़ बना रखी थी दोनों रोज एक दूसरे के अंगों से खेल कर एक दूसरे के अंगों को चाट कर मसल कर दबा कर आनंद ले लेती थी और चूत में बैगन ककड़ी डालकर लंड की पूर्ति कर लेती थी,,,।
शाम को मोहिनी अपने घर पर पहुंची तो बाहर से ताला खुला हुआ था और अंदर से दरवाजा बंद था वह समझ गई की उसकी मां और उसका बड़ा भाई दोनों घर पर आ चुके हैं इसलिए उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी थी,,, इस बात की खुशी तो उसके मन में थी कि उसका बड़ा भाई और उसकी मां घर पर आ चुकी थी लेकिन इस बात की खुशी और भी ज्यादा थे कि आप उसकी भी रात रोज रंगीन होने वाली थी क्योंकि कुछ ज्यादा ही दिन गुजर गए थे उसे अपनी चूत में अपने भाई का लंड महसूस नहीं हो रहा था,,, मनीषा के साथ वह शारीरिक संबंध बनाकर उसके अंगों से खेलती जरूर थी लेकिन जो मजा उसे अपनी मां की चूत चाटने में आता था अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियां दबाकर उसे मुंह में लेकर पीने में आता था वह मजा मनीषा से उसे उतना प्राप्त नहीं हुआ था हालांकि मनीषा दूसरे आनंद प्रमोद में डूबा देती थी लेकिन आराधना जितना मजा उसे मनीषा में नहीं आया था इसीलिए तो वह बहुत खुश नजर आ रही थी,,,।
मोहिनी दरवाजे पर दस्तक देने लगी,,,, लेकिन अभी भी आराधना के कमरे में दोनों मां बेटे एक ही बिस्तर पर एक दूसरे को बाहों में लिए चैन की नींद सो रहे थे,,,, मोहिनी जोर-जोर से दरवाजा खटखटा रही थी,,,, मोहिनी कुछ देर बाद,,, अपनी मम्मी को आवाज लगाते हुए दरवाजा खटखटाने लगी,,,,।
मम्मी,,,,ओ,,,, मम्मी,,,,, क्या कर रही हो,,,,,मममी,,,, अरे यार यह दोनों नहीं सुन रहे हैं,,,,।
(मोहिनी काफी देर से दरवाजे पर तुझ तक दे रही थी जिस तरह से दरवाजा बंद था और अंदर सन्नाटा छाया हुआ था उसे लेकर मोहिनी के मन में अजीब से ख्याल आने लगे थे वह अपनी मम्मी और अपने बड़े भाई की हरकत को अच्छी तरह से जानती थी वह दोनों कहीं भी शुरू हो जाते थे और उसे ऐसा ही लग रहा था कि शायद दोनों कमरे के अंदर चुदाई का खेल खेल रहे हैं तभी दरवाजा नहीं खोल रहे हैं,,,, थोड़ी देर बाद वह फिर से वह आवाज लगाते हुए दरवाजे पर दस्तक देने लगी,,,।)
मम्मी,,,,, क्या कर रही हो,,,,(एक बार तो उसका मन हुआ कि जोर से बोल दे की चुदवा रही हो क्या,,, लेकिन वह अपने आप पर काफी संयम रखी हुई थी लगातार वह दरवाजे पर दस्तक दे रही थी,,,, तभी थोड़ी देर बाद आराधना की नींद खुली,,, उसके कानों में दरवाजे की खटखटाहट की आवाज आ रही थी,,, वह एकदम से सक पका के उठकर बैठ गई,,,, उसके चूड़ियों की खनक सुनकर पास में सो रहा है संजू की भी नींद खुल गई और वह भी उठकर बैठ गया,,,,)
लगता है मोहिनी आ गई,,,,,(वह एकदम से बिस्तर से उठाते हुए बोली लेकिन उसके बिस्तर से उठने की वजह से हाथों में भरी हुई चूड़ियों की झांकने की आवाज एकदम मदहोश कर देने वाली रख रही थी संजू ने अपनी मां की चूड़ियों की खनक की आवाज को अपने अंदर महसूस करके एकदम उत्तेजना का अनुभव कर रहा था लेकिन इस समय वह कुछ कर सकता नहीं था लेकिन अपनी मां को बिस्तर से उठते हुए देखकर वह बोला,,,)
समय कितना हुआ है,,,
6:00 बज गए हैं,,,
बाप रे इतनी देर तक सोए रह गए,,,
वह तो अच्छा हुआ की मोहिनी आ गई है वरना सोए ही रह जाते,,,,(इतना कहते हुए आराधना अपनी साड़ी को दुरुस्त करके अपने कमरे में से बाहर निकल गई पीछे-पीछे संजू भी कमरे से बाहर आ गया दरवाजे पर अभी भी दस्तक हो रही थी बाहर खड़ी मोहिनी अपनी मां की चूड़ियों की खनक और पायल की छनक की आवाज को अच्छी तरह से पहचानती थी,,, इसलिए पल भर में उसके चेहरे पर राहत की रेखाएं साफ झलकने लगी,,,, वह दरवाजे पर दस्तक देना एकदम से बंद कर दी थी और थोड़ी देर में आराधना दरवाजा खोल दी दरवाजा के खुलते ही मोहिनी काफी दिनों बाद अपनी मां की खूबसूरत चेहरे को देख रही थी इसलिए उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे और यही हाल आराधना का भी था अपनी बेटी को अपनी आंखों के सामने देखकर वह भी एकदम से खुश हो गई और उसे अपने गले लगा ली,,,, कमरे के अंदर प्रवेश करते हुए मोहिनी बोली,,,)
तुम दोनों कर क्या रहे थे मैं इतनी देर से दरवाजा खटखटा रही हूं लेकिन कोई आवाज ही नहीं आ रही है कहीं तुम दोनों शुरू तो नहीं हो गए थे,,,,(जिस तरह का तीनों के बीच रिश्ता था उसे देखते हुए मोहिनी एकदम खुल चुकी थी इसलिए उसके मुंह से इस तरह की बात सुनकर ना तो संजू को ताजजुब हुआ था ना हीं आराधना को वह दोनों मुस्कुरा रहे थे और मुस्कुराते हुए आराधना बोली,,,)
पागल हो गई है क्या तुझे हर वक्त यही सुझता रहता है,,, बस के सफ़र से इतना थक गए हैं कि हम दोनों नहाए भी नहीं है बस बिस्तर पर पड़े तो पड़े रह गए,,,,।
ओहह तुम दोनों को देखकर ऐसा ही लग रहा है अच्छा एक काम करो जल्दी से तुम दोनों नहा कर फ्रेश हो जाओ मैं तब तक तुम दोनों के लिए चाय बना देता हूं उसके बाद खाना भी बना दूंगी,,,,।
संजु और आराधना
नहीं तु चाय बना दे खाना में बना लूंगी,,,,,
ठीक है,,,,।
(संजू काफी देर से अपनी बहन की छातियो की तरफ देख रहा था जिसके ऊपर कुछ हद तक और भी ज्यादा बेहद खूबसूरत नजर आ रहे थे,,, संजू से रहा नहीं गया और वह अपना हाथ बढ़ाकर अपनी बहन की छाती पर रखकर उसकी चूची दबाते हुए बोला,,,)
वाह मोहिनी तेरी चुची तो बहुत मस्त हो गई है,,,।
आहहहह,,,,(संजू से मोहिनी को इस तरह की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए संजू की तरह की हरकत से बचपन से क्यों कभी जीवन हल्का सा दर्द अपनी छतिया में महसूस कीजिए और दर्द से हल्की सी कराहते हुए वह बोली,,,)
क्या भैया क्या कर रहे हो,,,,
कुछ नहीं रे तेरी जवानी का अंदाजा ले रहा हूं,,,।
(दोनों की मीठी छेड़छाड़ देखते हुए आराधना मुस्कुराते हुए बोली)
तुझे बड़ी जल्दबाजी है रात को आराम से देख लेना,,,
संजू बाथरुम में अपनी मां की चुदाई करता हुआ
हां यह भी ठीक है मम्मी,,,,(अपनी बहन की तरफ देखकर आंख मारते हुए वह बोला,,, और यह देखकर मोहिनी मुस्कुराते हुए रसोई घर में चली गई,,,,,। तीनों में किसी भी प्रकार की मर्यादा का बंधन नहीं था तीनों एक दूसरे के प्रति एकदम खुल चुके थे इसीलिए बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ था और आराधना बाथरूम के अंदर अपनी साड़ी उतार रही थी,,, उसे अपने बेटे और बेटी के सामने किसी भी प्रकार की झिझक नहीं होती थी पर यह उसके लिए अच्छा भी था और वह इसे अच्छा भी समझती थी,,, एक औरत होने के नाते अपने बदन की प्यास को देखते हुए उसे यह सब कुछ अच्छा ही लगता था और वह सोच भी रही थी कि एक औरत को इसी तरह से रहना चाहिए क्योंकि इसी तरह से औरत असली सुख जिंदगी का ले सकती है और वह ले रही थी देखते-देखते वह अपने बेटे की आंखों के सामने अपनी साड़ी उतार कर अपने ब्लाउज का बटन खोलकर उसे अपने हाथों से उतार दी लेकिन ब्रा का हुक खोलने के लिए संजु खुद बाथरूम में प्रवेश कर गया और अपनी मां की ब्रा का हुक खोलकर उसे उसकी गोरी गोरी बाहों में से निकाल कर बाथरूम में फेंक दिया,,,, आराधना को बिल्कुल भी इस बात की चिंता नहीं थी की रसोई घर में उसकी जवान बेटी चाय बना रही है और फिक्र होती भी कैसे उसकी बेटी खुद जवानी का मजा दोनों के साथ मिलकर ले रही थी इसलिए आराधना भी निश्चित थी,,,, देखते ही देखते कमर से बंधी हुई साड़ी को भी संजू अपने हाथों से निकाल कर नीचे गिरा दिया,,,।
संजू बाथरुम में मजा लेते हुए

मोहिनी आंखों के नीचे करतब शुरू हो गया था मोहिनी अनजान थी कि बाथरूम में क्या हो रहा है माहौल पूरी तरह से धीरे-धीरे गर्म होने लगा था और गर्म करने वाला था संजू क्योंकि कुछ देर पहले ही बिस्तर पर अपनी मां की चूड़ियों की खनक की आवाज सुनकर वह उत्तेजित हो चुका था और फिर अपनी बहन की चूची पर हाथ रखकर वह अपने लंड में अकड़न महसूस किया था और फिर अपनी आंखों के सामने ही अपनी मां को कपड़े उतारते हुए देख कर वह पूरी तरह से मस्त हो गया और इसी अवसर का,,, फायदा उठाते हुए संजू अपनी मनमानी करने पर उतारू हो चुका था और जिसमें खुद आराधना की भी सहमति नजर आ रही थी क्योंकि वह किसी भी तरह से अपने बेटे को रोकने का प्रयास नहीं कर रही थी बल्कि उसकी हरकतों का आनंद ले रही थी,,,,।
बाथरुम में मजा लेते हुए
upload image
जब से इस खेल में संजू ने मोहिनी को शामिल किया था तब से वह पूरी तरह से खुल चुका था और संजू ही नहीं मोहिनी और आराधना भी पूरी तरह से खुल चुके थे और इस खुलेपन में ही वह तीनों स्वर्ग का आनंद लूट रहे थे,,,, ब्लाउज खुद आराधना ने अपने हाथों से उतरी थी और ब्रा को उतारने का सौभाग्य संजू को प्राप्त हुआ था और वह खुद अपने हाथों से अपनी मां की साड़ी को खोलकर बाथरूम में नीचे गिरा दिया था वह केवल पेटीकोट में थी सिर्फ़ पेटिकोट की डोरी खोलने की देरी थी और उसकी मां पूरी तरह से नंगी हो जाती लेकिन वह अपनी मां को संपूर्ण रूप से नग्नावस्था में चोदना नहीं चाहता था,,,,,, संजू कुछ देर तक अपनी मां की नंगी चूची से खेलना चाहता था इसलिए वह दोनों हाथों को आगे की तरफ लाकर अपनी मां के दोनों खरबूजा को पकड़ लिया और उसे दबाना शुरू कर दिया,,,, खुद आराधना भी अपने बेटे की कामुक हरकत की वजह से गर्म हो चुकी थी,,,, आराधना को अपने बेटे पर गर्व हो रहा था खास करके उसकी मर्दाना ताकत पर जिस तरह से वह एक साथ दो-दो औरतों की जमकर चुदाई करता था और वह भी बिना थके कि वह देखने और महसूस करने लायक था,,,। आराधना अपने बेटे की हरकत से इस बात से और ज्यादा उत्तेजित हो जाती थी कि उसका बेटा सिर्फ मौके की तलाश में रहता था वह जगह और समय बिल्कुल भी नहीं देखा था जैसा कि गांव से घर से निकलते समय रास्ते में खंडहर के अंदर ही दोपहर के समय ही वह दोनों बहनों की बराबर से बड़ी-बड़ी से ले लिया था और दोनों को पूरी तरह से संतुष्ट किया था और बस के अंदर भी वह चुदाई का सुख भोग लिया था,,,, और अब अपनी बहन की उपस्थिति में ही वह बाथरूम के अंदर शुरू हो चुका था,,,।
संजू की हरकत की वजह से आराधना पूरी तरह से उत्तेजित हुए जा रही थी खास करके संजू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और वह सीधे पेटिकोट के ऊपर से ही आराधना की गांड में दस्तक दे रहा था,,,, आराधना को अपनी गांड पर अपने बेटे के लंड की चुदाई बहुत ही ज्यादा उत्तेजित कर देने वाली और मदहोश बना देने वाली लग रही थी इसीलिए उत्तेजित होते हुए आराधना अपनी गोल गोल गांड को अपने बेटे के लंड पर गोल-गोल घूमाना शुरू कर दी थी इससे वह खुद उत्तेजित हो रही थी और अपने बेटे को भी मस्त कर रही थी,,।
आराधना और संजू
image uploader
कुछ देर रुक गया होता मोहिनी चाय बना रही है अगर वह आ गई तो,,,
तो क्या हो गया मम्मी मोहनी को भी अंदर खींच लेंगे और फिर एक साथ तुम मां बेटी दोनों की चुदाई होगी,,,(संजू इस तरह से अपनी मां की चूची को दबाते हुए और अपने लंड को अपनी मां की गांड पर गोल-गोल घूमते हुए बोला,,,)
सच में तु बहुत बेशर्म हो चुका है,,,।
गांव में तुम दोनों रंडी होना जिस तरह का सुख मुझे दिया है उसे पकड़ तो दुनिया का कोई भी मर्द बेशर्म बन जाए और बेशर्म बनने में ही सबसे ज्यादा मजा है वरना इस तरह का सुख भला किसे प्राप्त होगा,,,(संजू उसी तरह से अपनी मां की चूची को रगड़ते हुए बोला,,,)
चल रहने दे अब जल्दी कर मुझे नहाना भी है,,,,
बिल्कुल भी चिंता मत कर रानी अभी तेरी चूत में लंड डालता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही संजु अपनी मां की चूचियों पर से अपने दोनों हाथ को हटाकर,,, वह अपनी मां की पेटीकोट को पकड़ लिया और उसे धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठने लगा देखते देखते संजू अपनी मां की पेटीकोट को कमर तक उठा दिया था और कमर तक पेटिकोट के उड़ने ही उसकी गोरी गोरी गांड पर लिपटी हुई उसकी लाल रंग की चड्डी नजर आने लगी,,, जिसे संजू बिल्कुल भी देर ना करते हुए अपने हाथों से अपनी मां की चड्डी को नीचे खींचते हुए से घुटनों तक लेकर आया और फिर,,, अपनी मां की पीठ पर हाथ रख कर उसे दबाव देकर झुकने के लिए इशारा करने लगा उसकी मां भी जानती थी कि उसे क्या करना है और वह भी अपने बेटे का इशारा पाकर झुक कर अपनी गांड को हवा में ऊपर उठा दी बस इसी का इंतजार था समझो को और संजू एक झटके में अपने पेट को उतार कर अपने खड़े लंड को बाहर निकाल लिया,,, और फिर एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर अपनी मां की गुलाबी चूत के अंदर प्रवेश कर दिया,,, चूत पहले से ही पनियाई हुई थी,,, इसलिए एक झटके में ही संजु का लंड पूरी तरह से चुत की गहराई में समा गया,,, आराधना की चूत अंदर से बेहद गर्म थी मानो कि जैसे कोई भट्टी जल रही हो लेकिन संजू भी काम नहीं था संजू का लंज भी गरम लोहा था जितना तपता था उतना ज्यादा मजबूत बनता था उतना ज्यादा निखर कर आता था और इस समय भी वही हो रहा था,,,, संजू की जगह अगर किसी और का लंड होता तो शायद आराधना की चूत की गर्मी वह सहन नहीं कर पाता और पहले झटके में ही ढेर हो जाता,,,
लेकिन आराधना से मुकाबला करने वाला उसका खुद का बेटा संजू था जो कि उसकी ही चुत से बाहर आकर खरा सोना बन चुका था,,, और अपने मर्दाना अंग से अपनी मां की चूत की गर्मी को शांत कर रहा था,,,,

संजू अपनी मां की कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था उसका मोटा तगड़ा लंड एकदम आराम से उसकी मां की चूत की गहराई तक पहुंच रहा था वह अपनी मां को गचागच चोद रहा था,,, वैसे भी संजू को अपनी मां की चुदाई करने में बहुत मजा आता था जो सुख उसे अपनी मां की चूत से प्राप्त होता था गाना तो अपनी मौसी की चूत से प्राप्त होता था और नहीं अपनी मामियों की चूत से यहां तक की चूत को लेकर अगर उसे ऊपर से नीचे क्रमांक में रखना हो तो वह 1 से 10 के अंदर अपनी मां की चूत को ही रखेगा बाकी इसके बाद के क्रमांक में ही आते हैं क्योंकि उम्र के इस दौर में भी उसकी मां की चूत एकदम जवानी से भरी हुई लड़की की तरह एकदम कसी हुई थी जिसमें उसका मोटा तगड़ा लंड एकदम फिट बैठता था,,,।
संजू के हर एक धक्के से आराधना पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी,,, उसके मुख से गरमा गरम शिसकारी की आवाज निकल रही थी,,,,,, यह पल बेहद उन्मादक था,,, आराधना सोची नहीं थी कि उसका बेटा ऐसे समय पर बाथरूम नहीं शुरू हो जाएगा लेकिन संजू से इस मामले में भी उसे कोई गीला शिकवा नहीं था,,,,,,,,, गजब की ताकत दिखा रहा था संजु उसका हर एक धक्का आराधना के बच्चेदानी तक पहुंच रहा था और हर एक हक्के पर आराधना छल जा रही थी उसे इतना मजा आ रहा था कि पूछो मत उसकी भारी भरकम गोल-गोल कर पानी भरे गुब्बारे की तरह लहरा रही थी संजू का हर एक धक्का उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर ऐसा पड़ रहा था कि मानो जैसे शांत तालाब में कंकर मारा जा रहा हूं हर एक धक्के पर मक्खन जैसी गांड लहर उठ रही थी,,,।
मोहिनी दोनों से बेखबर अपनी मां और अपने बड़े भाई के लिए चाय बना रही थी क्योंकि वह लोग काफी थके हुए थे लेकिन वह कहां जानती थी कि उसका बड़ा भाई और उसकी मम्मी दोनों सफर का थकान भुलकर चुदाई का सुख भोग रहे हैं,,, संजू को बड़ा मजा आ रहा था संजू कभी अपनी मां की कमर पकड़ लेता तो कभी उसके दोनों खरबुजो को अपनी हथेली में लेकर मसलते हुए अपनी कमर हिला रहा था,,,।
संजू और ज्यादा उत्तेजित हुआ जा रहा था उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था ,,, ऐसा लग रहा था कि वह अपनी मां की चूत में ही घुस जाएगा इसलिए वह अपना लंड धीरे से निकाल कर अपनी मां को अपनी तरफ घुमा दिया और उसे अपनी बाहों में लेकर उसकी दोनों टांगों को उठाकर,,, अपनी कमर से लपेटते हुए उसे गोद में उठा लिया,,, और एक बार फिर से अपने खड़े लंड को अपनी मां की चूत में प्रवेश कराकर उसे धीरे से दीवार से सटा दिया,, और फिर धक्के पर धक्का लगाना शुरू कर दिया,,, आराधना उसे बिल्कुल भी मना नहीं कर रही थी,,, क्योंकि वह अपने बेटे को अच्छी तरह से जानती थी वह जो कुछ भी करता था उसे आराधना को मजा और संतुष्टि दोनों प्राप्त होती थी और इसमें आराधना की भलाई रहती थी इसलिए संजू का साथ देते हुए गरमा गरम आहे भर रही थी संजू और उसकी मां दोनों चरम सुख के बेहद करीब पहुंच गए थे संजू एकदम से उसे अपनी बाहों में दबोचते हुए अपने धक्के को तेज कर दिया और फिर देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ना शुरू हो गए,,,।