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Romance भंवर (पूर्ण)

Mbindas

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Ye to locha ho gaya yrr apasyu ke sath. Kaha se kaha le gaye story ko. Vese tension mat lijiyega me koi bhi vichar nahi banaunga abhi ke or next update ke bare me :D

Par kamal karte ho babu saab. Esa update bhala koi deta h ka.
 

-:AARAV143:-

☑️Prince In Exile..☠️
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Maine kewal picha tha ..churaya ya apna hai .. aap ki tarah maine ilzam na lagaye .. chori ka hai .. :(
Kehna to yahi chahte the sir ji :Bat:
 

nain11ster

Prime
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Update:-12(A)


शाम 5 बजे … साची का घर…

साची अपने ही ख्यालों में खोई अपनी खिड़की से अपस्यु के बालकनी में देख रही थी। लावणी कुछ पुस्तक अपने हाथ में लिए साची के कमरे का दरवाजा खोलती है और उसके पास जा कर बैठ जाती हैं। लावणी बिना कुछ बोले केवल साची को ही देख रही थी। कुछ समय पश्चात उसने जोर से आवाज किया जिससे साची का ध्यान भंग हो गया और लावणी के ओर देखकर उसने फीकी मुस्कान दी।

लावणी:- ठीक हो जाएगा वो, क्यों इतनी चिंता कर रही हो दी।

साची:- हम्म्..

लावणी:- क्या हुआ किन ख्यालों में डूबी हो, कहीं कुछ चल तो नहीं रहा ना आपके दिल में अपस्यु के लिए..

दोनों की बातचीत अभी शुरू भी नहीं हुई थी कि पीछे से देवरानी और जेठानी की अद्भुत जोड़ी कमरे में प्रवेश की। यानी कि साची की मां अनुपमा और लावणी की मां सुलेखा। दोनों अंदर आते ही पूछने लगी… "क्या बातें हो रही है दोनों बहनों में"

लावणी:- राखी अा रहा है लेकिन हमारे भाई नहीं अा रहे। बस यही बात हो रही थी।

इसपर सुलेखा तुरंत ही अपनी प्रतिक्रिया देती हुई.. "वो विदेश में पढ़ता है, एक तेरे राखी के लिए घर आएगा क्या? उसे वहां पढ़ने दे और खबरदार जो उसे कॉल भी किया तो।

अनुपमा:- इसमें इतना चिल्लाने की क्या जरूरत है सुलेखा, वो तो बस अपनी इच्छा बता रही थी।

सुलेखा:- कहां चिल्ला रही हूं दीदी मैं तो केवल कह रही हूं। अब क्या कुछ कह भी नहीं सकती।

अनुपमा:- हां बिल्कुल कह सकती हो, वैसे दोनों बच्चों को देखने का मन तो मुझे भी कर रहा था। सोच रही हूं एक बार पूरा परिवार चलते मिलने।

सुलेखा:- नहीं-नहीं दीदी, अभी उनको परेशान नहीं कर सकते। जानती नहीं कितना पढ़ना परता है। हमारे जाने से उनकी पढ़ाई पर असर पड़ेगा।

फिर क्या था, एक बार जब सुलेखा शुरू हुई फिर मजाल है किसी की कोई कुछ बोल दे। कोई एक प्वाइंट कहता सुलेखा उसपर 4 बातें समझाती। जबतक उसे कोई काम याद ना आया तब तक वो किसी को बोलने ही नहीं दी, और उसके जाते ही…

अनुपमा:- ये क्या चल रहा है आज कल?

साची:- मैं समझी नहीं मां।

अनुपमा:- वहीं तुम दोनों का, कुछ दिन पहले निकली तो तुम दोनों कॉलेज साथ लेकिन रास्ते में दोनों.. मुझे नहीं लगता कि इस से ज्यादा कुछ कहने कि जरूरत है।

लावणी:- आप ने हमे देख लिया बड़ी मां। सुनिए ना बड़ी मां, पापा को कुछ नहीं कहिएगा, प्लीज…

साची उसे बीच में ही रोकती, अनुपमा से सारी कहानी बताना शुरू कर दी। हालांकि उतना ही बताया जितना बताने लायक था, लेकिन शशांक की हर एक हरकतें पूरी विस्तार से बता दी। अनुपमा पूरी बात सुनने के बाद…

"कभी कभी हम जल्दबाजी में सही को भी गलत समझ लेते है। जैसा तुमने बताया उस हिसाब से तो दोनों भाई, नहि एक भाई तो दिल और जुबान दोनों से अच्छा है। दूसरा जुबान से थोड़ा टेढ़ा है पर दिल का वो भी भला है। वैसे मैं एक बात बता दू, तुम्हारे पापा और चाचा भी किसी से कम ना है। किसी मामले को कैसे हवा देकर झगड़े तक पहुंचना है ये उनको अच्छे से आता है। 10-12 साल पहले तेरे मामा और तेरे पापा के बीच, छोटी सी बात को लेकर बहस हुई थी, और आज तक बातचीत बंद है। कोई नहीं जब वो ठीक हो जाए तो उन दोनों भाई को मेरी ओर से भी धन्यवाद कह देना लेकिन खबरदार जो कभी बाइक कर पीछे बैठी तो"

साची:- मां रह-रह कर बस यही ख्याल आता है कि उनके साथ तो कोई भी नहीं। दोनों भाई कैसे उबरेंगे इस परिस्थिति से?

अनुपमा:- इतने दिनों से तो वो खुद से ही, हालात से लड़ते आए हैं ना। आगे भी लड़ते रहेंगे .. तू चिंता मत कर। जब कई लोग होते हैं तो एक दूसरे का सहारा होता है और जब कोई नहीं होता तो खुद का ही सहारा होता है, इसलिए उन्हें उनके हाल पर छोड़ दे।

कुछ समय तक बातें चलती रही फिर सब वहां से चले गए। लेकिन साची को रह-रह कर अपस्यु का ख्याल आता रहा। लगभग शाम के 8.30 बज रहे होंगे जब साची को अपार्टमेंट के गेट पर एक एम्बुलेंस खड़ी दिखाई दी और आरव नीचे उतर कर गार्ड से कुछ बात कर रहा था, बाद में एम्बुलेंस अंदर चली गई। साची को पक्का यकीन हो गया कि अपस्यु को वेदांता नहीं बल्कि यहां फ्लैट पर लेकर चला आया आरव।

इधर रात के वक्त… उस मेडिकल वाले बेड पर लेटने के बाद..

"आरव, हम तो यहां आराम से काम करने आए थे लेकिन कुछ लोग जरा जल्दी में है जिन्हे हमारा आराम से काम करना अच्छा नहीं लग रहा। और ये ऐक्सिडेंट उनकी जल्दबाजी का नतीजा है। गलती मेरी है जो मैं थोड़ा लापरवाह हो गया। लेकिन कोई नहीं, उन्होंने अधूरी कोशिश की और मैं उन्हें दोबारा कोशिश करने का मौका नहीं दूंगा"…..

आरव:- चल रे टूटे, अभी तो 1 साल के लिए तू बुक हो गया। वैसे कहीं रॉड भी लगा है या कच्चा-पक्का पलस्टर से काम चल रहा है।

अपस्यु:- तू हंसा मत। मुझे नहीं पता अंदर क्या-क्या लगा है। जा कर काम कर जो मैंने अभी तुझे बताया।

आरव:- दोनो जार से स्लाइन आईवी सेट पाइप कनेक्ट कर दिए।आगे भी बताएगा,।

अपस्यु मेडिकली कुछ कर रहा था अपने शरीर में। कोई 2 बड़ी जार थी जिसमे आईवी सेट पाइप कनेक्ट कर पहले तो उसने अपने हाथ की नसों में इंत्रवेनस लगवाया, फिर आरव को अपने कंप्यूटर पर एक बॉडी स्कैन प्रोग्राम रन करने के लिए कहा। अपस्यु क्या करना चाह रहा था वो आरव को समझ में नहीं अा रहा था लेकिन जैसे-जैसे वो बोलता गया, वैसे-वैसे आरव करता गया।

अपस्यु अपने बेहोश होने से पहले आरव को समझा चुका था कि आगे वो बेहोश होने वाला है और बेहोशी के दौरान उसका शरीर बहुत कुछ प्रतिक्रिया देगा इसलिए घबराना नहीं अपितु यदि उस रन प्रोग्राम में नीचे हार्ट लाइनिंग जीग-जग के बदले पैरेलल हो जाए, तो आइसबॉक्स में रखा इंचेक्शन उसके सीने में इंज्जेक्ट कर देना।

इसपर आरव चिढ़कर पूछता भी है कि वो इंजेक्शन कैसे लगा सकता है। इसपर अपस्यु ने बस इतना ही कहा, चाकू की तरह पकड़ना और सीधा सीने में घोप कर लगा देने वो भी बाएं ओर कहीं भी। सभी प्रक्रिया शुरू हो गई और जैसे-जैसे नसों में द्रव्य उतरता गया अपस्यु की आखें बंद होती चली गई। अचेत अवस्था में कुछ धुंधली सी ओझल तस्वीर बनने लगी..

दो भाईयों के खिलखिलाती हसी, जिसे गोद में लेकर माता-पिता प्यार कर रहे थे। बड़े से हवाई जहाज से उतारना…. दूर किसी ठंडे इलाके में एक आश्रम तक का सफर… चंद बातें …

"गुरु जी ये है हमारे दोनों जुड़वा बेटे"…. "एक को मेरे पास रहने दो" … माता-पिता के छोड़ कर जाना। वो अपनी मां के हाथ को जकड़ कर पकड़ना और फिर धीरे-धीरे मां के हाथ से उसका हाथ छूटना, और रोते हुए उन्हें अपने आखों से तबतक जाते हुए देखना जब वो नजरों से ओझल ना हो गए। कड़कती ठंड का एहसास और उस ठंडी में भी शरीर पर केवल जरूरत के कपड़े…

बड़ा सा गुरुकुल जिसकी पुश की छत, जो कड़कती ठंड में मजबुर कर दे। गुरु जी की वो मधुर आवाज़… "अपस्यु… अपस्यु"… और वो मासूम सा चेहरा बनाए… "गुरु जी क्या मैं अपने माता पिता से नहीं मिल सकता"…
 

nain11ster

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Update:-12(B)

"सहपाठियों के साथ वो आचरण की शिक्षा और वेदों का पाठ"… फिर एक मासूम सा सवाल "गुरु जी क्या हम उन्हीं विषयों को पढ़ सकते है जिन्हे आपने निर्धारित किए है"…. "नहीं अपस्यु, तुम अपने विवेक और मनन से किसी भी विषय को पढ़ने के लिए स्वतंत्र हो केवल उन विषयों की रुचि तुम्हे होनी चाहिए"…

आरव अपने भाई का हाथ थामे उसके शरीर में हो रहे हलचल को देख रहा था.. एक नजर कंप्यूटर पर, तो दूसरी नजर अपस्यु पर थी। हार्ट रेट काफी बढ़ी हुई थी और शरीर में लगातार प्रतिक्रिया चल रही थी। आधे घंटे तक यही सब चलता रहा फिर अपस्यु के कहे अनुसार आरव ने आईवी सेट नसो से निकाल दिया। शरीर में झटका जैसे लगा हो और फिर धीरे-धीरे श्वास समन्य होती चली गई। कुछ देर आरव उसी के पास ठहर मुआयना करता रहा और जब उसे सब कुछ सामान्य लगा तब कहीं जा कर वो सो गया।

रात के 2 बज रहे होंगे "नहीं" की एक चिंख गूंजी और अपस्यु उठ कर बैठ गया। शरीर में काफी दर्द और अकड़न भी मेहसूस हो रहा था। आरव को वो तेज-तेज आवाज लगा कर उठाने लगा, लेकिन शायद वो गहरी नींद में सो गया था इसलिए जाग ना पाया।

चेहरे पर पानी गिरने के कारण आरव हड़बड़ा कर नींद से जगा और उठ कर बैठ गया। कुछ समय बाद जब आखों के सामने तस्वीरें साफ हुई और सामने अपस्यु को देखा तो "ओ तेरी" करता हड़बड़ा कर वो बिस्तर से नीचे गिर गया।

आरव:- अबे ये क्या बवासीर है.. तू उठ कर खड़ा कैसे हो गया। तू मर-मुरा कर भूत तो ना बन गया।

अपस्यु:- नींद में है क्या बे या मेरे सोने के बाद पी लिया था जो ये उल्टी सीधी बातें कर रहा है। और ये बवासीर क्या है। पट्टी ना बंधी होती तो अभी कुटाई कर देता।

आरव:- कोई तंत्र विद्या सीख लिया क्या वहां गुरु जी के पास। साला इतना जल्दी तो फिल्मों में भी किसी टूटे को खड़ा नहीं कर देते जितनी जल्दी तू खड़ा हो गया।

अपस्यु, कर्रहते हुए जाकर पुनः उसी बिस्तर पर टेक लगा कर बैठ गया.. इसे विज्ञान कहते हैं मेरे भाई। कोई तंत्र विद्या या जादू नहीं है।

आरव:- अच्छा सुन आसान सी भाषा में मुझे समझा कि ये सब संभव कैसे हुआ। हां लेकिन कोई ज्ञान मत पेल देना।

अपस्यु:- तू और तेरी भाषा.. सुन जब मैं पढ़ाई के छठे वर्ष में था मेरी रुचि मानव शरीर और उसकी संरचना में अत्यधिक थी।

आरव:- इतिहास छोड़ सीधा बता ना ये कैसे संभव हुआ..

अपस्यु:- देख हमरा शरीर कोशिकाओं से बना है। कई कोशिकाएं मिल कर कर ऊतक बनाते है यानी कि टिश्यू और कई टिश्यू मिल कर…

आरव:- समझ गया ऐसे ही एक के बाद एक चेन चलेगा और बॉडी बन जाएगी।

अपस्यु:- उतावला बस होता रह। पूरी बात मत सुनना। सुन शारीरिक संरचना में कोसिका की अहम भूमिका है और तूने जो मुझे इंजेक्ट किया वो सेल बॉडी सब्सटेंस यानी कि कोशिका जिस चीज से बनेगी उसका द्रव्य था। अब मेरी बॉडी स्कैन होती गई और ये कोशिकाएं जा कर क्षति हुई कोशिकाओं पर जुड़ने लगी जिसके परिणामस्वरूप बहुत सी कोशिकाएं ठीक हो गई।

आरव:- कच्चा पक्का ज्ञान मिला, पर कुछ-कुछ समझ में आ गया। मतलब ठीक हो गया ना।

अपस्यु:- नहीं पूरे तरीके से नहीं ठीक हो पाया हूं किंतु ठीक हूं। हड्डियां जुड़ने में वक़्त लगेगा।

आरव:- हड्डियां नहीं जुड़ी तो खड़ा कैसे हुआ तू।

अपस्यु:- अबे ये प्लास्टर का सहारा था ना, किसी तरह से खड़ा हो गया। हां लेकिन जितना भी कैल्शियम डिपोजिट हुए होगा वो फ्री हो गए होंगे तो ये एक समस्या हो सकती है कि जुड़ने में थोड़ा और वक़्त लग जाए।

आरव:- तू तो जीनियस निकला। वैसे इतनी बात बता ही दिया है तो उस इंजेक्शन कि भी कहानी बता ही दे, जो आईसबॉक्स में रखी है।

अपस्यु:- वो.. वो तो एल्केलायड है। एक तरह का एड्रेनेलिन इंजेक्शन। इमरजेंसी की स्तिथि में इसे लगा दो काम कर गई तो मारता हुआ भी वापस अा जाएगा, वरना मारा हुआ तो वैसे भी हैं।

आरव:- यार मैं तेरी तरह क्यों नहीं। तू तो हर चीज का मास्टर है।

अपस्यु:- ऐसा नहीं है मेरे भाई। तू ऐसा क्यों सोचता है। तू अपने अंदर की प्रतिभा को नहीं देख पा रहा है इसलिए, वरना तू भी किसी से कम नहीं।

आरव:- चल जाने दे इसे, कभी फुर्सत में तू मेरी प्रतिभाओं के बारे में बताना। अभी करना क्या है? क्योंकि देख जब तेरे ऊपर हमला हो गया इसका मतलब है कि हमारे बारे में सब को खबर लग गई होगी। तो क्या अब यहीं रह कर सब को एक साथ देखना है या फिर चले यहां से।

अपस्यु:- देख, एक साथ सबका सामना तो हम कर नहीं सकते, ये बात सत्य है। इनकी इतनी बड़ी हस्ती है कि कहां-कहां से ये कितने लोगों को खड़ा कर देंगे वो हमे भी नहीं पता। इसलिए ये ख्याल दिल से निकाल दे की हम एक साथ सबका सामना कर सकते हैं। और यहां से जा भी नहीं सकते क्योंकि दिल्ली छोड़ने का मतलब है कि फिर हमे सबकुछ भूलना होगा।

आरव:- तो हम करेंगे क्या?

अपस्यु:- कुछ धमाल करते हैं। तू तैयार है क्या?

आरव:- क्या बात कर रहा है.. क्या सच में ..

अपस्यु:- हां सही सुना, तैयार है क्या.. लेकिन याद रहे करना 2-4 दिन के अंदर में ही है, और वहां मैं नहीं रहूंगा।

आरव:- तू नहीं बस तेरा बैकअप चाहिए। बोल प्लान क्या है?

अपस्यु:- "सुन, जहां तक मुझे लगता है मेरे ऐक्सिडेंट के पीछे भूषण अग्रवाल और जमील का हाथ है क्योंकि जिसने भी मेरा ऐक्सिडेंट करवाया है उसका मकसद मारना नहीं था। वो तो बस मुझे ये दिखा रहा था कि वो मुझे मार भी सकता है। वरना वहां पर उनके पास पूरा मौका था"।

" ऐसी सूरत में त्रिवेणी शंकर तो ये करवा ही नहीं सकता क्योंकि वो तो जनता ही नहीं की उसके साथ कांड किसने किया। वो तो अभी पाता ही लगा रहा होगा और यदि उसे पता चल गया होता की ये सब मैंने करवाया है तो वो जान से मारने का प्रयास करता ना कि अधमरा छोड़ कर ये दिखाने का, की वो मार भी सकते हैं। अब केवल और केवल बचता है भूषण और जमील, और जबतक उनके पैसे अटके है वो हर संभव कोशिश करेगा अपने पैसे निकलवाने कि। उन्हीं दोनों को मेरे बारे में पता चला होगा।

आरव:- तो पहला टारगेट कौन फिक्स हुआ, जमील या भूषण।

अपस्यु:- पहला टारगेट होगा त्रिवेणी, मैं नहीं चाहता कि हमारा राज खुले और इन्हे पता चले कि हमारा टारगेट हर वो कामीना है जो उसके साथ धंधा करता है। चूंकि हमारी मनसा अभी किसी को पाता नहीं है तो अपने-अपने धंधे में मस्त है कौन मारा किसे परवाह। ऐसे धंधों में तो ये आम बात है। भेद खुल गया तो ये सब ग्रुप बना लेंगे, फिर सब मिलकर हमे टारगेट करेंगे और साथ में उसे भी खबर लग जाएगी। इसलिए पहला काम उनको खत्म करना, जो हमे तलाश रहे हैं।

आरव:- लेकिन अभी हमारे बारे में तो उस भूषण और जमाल को पता है, तो टारगेट त्रिवेणी क्यों।

अपस्यु:- प्लान ये है कि मैं सरा पैसा त्रिवेणी के अकाउंट में ट्रांसफर करूंगा। तू जमाल और भूषण से मिल कर ये कहेगा की हमे बस हायर किया गया था सरा पैसा त्रिवेणी के पास है।

आरव:- नहीं इस प्लान में बहुत कमी है, तू समझा नहीं। दोनों एक ही धंधे में है और एक दूसरे को जानते नहीं। अगर तू पैसा ट्रांसफर भी करेगा तो ये सीधा जा कर गोलीबारी नहीं करने वाले। एक ही टेबल पर बैठ कर बातचीत कर लेंगे। उस से भी ना होगा तो इनका बाप बीच में कूद आएगा। क्योंकि उसके 2 लोग एक दूसरे से लड़ रहे है तो वो मध्यस्ता में आएगा ही। एक बार वो चला आया तो फिर उन दोनों के बीच लड़ाई ना होने देगा। प्लान बहुत कमजोर है और हम एक्सपोज भी हो जाएंगे।

अपस्यु:- तो तू करना क्या चाहता है?

आरव:- मुझे तू बैकअप देता जा। टारगेट मुझे मिल गया है, एलिमिनेटर कैसे करना है वो मैं समझ लूंगा।

अपस्यु:- ठीक है लेकिन याद रहे किसी भी सूरत में कोई कड़ी मत छोड़ना। क्योंकि उसके 3 डीलर मारे जाएंगे तो वो कारण का पता जरूर लगाएगा।

आरव:- तू बस देखता जा, ये मैं कैसे करता हूं।
 

nain11ster

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Par kamal karte ho babu saab. Esa update bhala koi deta h ka.

Mar lo aap bhi tane ... Humara kya hai .. tamw sunkar kabhi hum bhi tane de denge :D

Aur rahi baat aise update dene ki to sir main nirdosh hum .. mujh se kalam pakad kar .. sorry mera angutha pakda kar typing karwaya gaya hai .. usi ne karwaya jiski story hai .. kya kahte hain karw wo sun main raha hun :sigh: .. next update is reply ke upar hi hai dekh lijiyega .. :)
 

Yash420

👉 कुछ तुम कहो कुछ हम कहें 👈
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नैन भाई धमाल तो हुआ लेकिन आधा अधूरा
लेकिन
Your Update is Mind-blowing Fantastic Bro
 

Mbindas

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Story ko to pura U turn de diya h aapne to. Ye dono bhai vastavik me hai kya ye to jaise-jaise story aage badhegi waise-waise pata chalta jayega.

Mar lo aap bhi tane ... Humara kya hai .. tamw sunkar kabhi hum bhi tane de denge :D

Aur rahi baat aise update dene ki to sir main nirdosh hum .. mujh se kalam pakad kar .. sorry mera angutha pakda kar typing karwaya gaya hai .. usi ne karwaya jiski story hai .. kya kahte hain karw wo sun main raha hun :sigh: .. next update is reply ke upar hi hai dekh lijiyega .. :)

Are bhai bhai aapto naraz ho gaye me to majak kar kar raha tha ? . Aapne tane dene ka kam mat karna nahi to hum to kahi muh dikhane layak nahi reh payenge :D:.

Matlab ki aapki bhi halat Apasyu aur Aarav ke jaisi ho gai h ek bolta h to dusra uske aadesh ka paalan karta h :D
 

nain11ster

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Story ko to pura U turn de diya h aapne to. Ye dono bhai vastavik me hai kya ye to jaise-jaise story aage badhegi waise-waise pata chalta jayega.



Are bhai bhai aapto naraz ho gaye me to majak kar kar raha tha ? . Aapne tane dene ka kam mat karna nahi to hum to kahi muh dikhane layak nahi reh payenge :D:.

Matlab ki aapki bhi halat Apasyu aur Aarav ke jaisi ho gai h ek bolta h to dusra uske aadesh ka paalan karta h :D

Darasal .. bahut jyada suspence rakhna bhi suspence ko khinchne jaisa ho jata hai .. isliye dono ke bare me thoda thoda dikhana shuru kiya hai.. lekin iska arth kadapi ye nahi ki suspence khatam ho gaye .. ek jayega to dusra aayega .. aur suspence to story end ke baad tak chalta rahega.. :D

Ji hum naraj bahut huye hain ... Kuch pralobhan na dijiyega to hum nahi manne wale .. kahe dete hain :cry: :cry: :girlcry:

Papi pet ka sawal hai sir aadesh palan na katenge to jayenge kahan :hint:
 
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