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Romance भंवर (पूर्ण)

nain11ster

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Update:- 105




"नाह ! तुम जैसा सोच रही हो वैसा नहीं है ऐमी। हां परिस्थिति उलझी जरूर है लेकिन इन परिस्थितियों को मैंने है उलझने दिया है। क्यों होने दिया वो मै तुम्हे बताऊंगा… क्या करना है वो तुम दोनो मुझे बताओगे।"


अपस्यु अपनी बात कहकर कुछ देर ख़ामोश रहा, ऐमी और आरव इंतजार में उसका चेहरा देख रहे थे.. दोनो को घूरते एक मिनट हो गया, दूसरा मिनट चलने लगा.... "अब बोल भी दो, 10 सेकंड का पॉज समझ में आता है, लेकिन ये तो लंबा होता जा रहा है।"..


अपस्यु:- तुम दोनो को विश्की में मजा आता है और मै अपने कॉकटेल को मिस कर रहा हूं।


ऐमी, अपस्यु को देखकर हंसती हुई नौटंकी कहने लगी और उठकर कॉकटेल का सारा सामान लेने चली गई.. इधर आरव उसे घूरते हुए… "थू.. बेवड़ा कहीं का, अच्छा होता तुझे लावणी जैसी बीवी मिलती। तुम दोनो दुश्मन के हाथों नहीं बल्कि शराब पीकर लीवर खराब होने से मारोगे।"


अपस्यु:- मै जब मारूं ना तो तू हंसते रहना, मरने का दर्द कम हो जाएगा। वरना आज तक तो तूने दर्द नहीं दिया लेकिन आखिरी वक़्त ने दर्द दे जाएगा और मै बेबस कुछ कर भी नहीं पाऊंगा..


आरव, अपना एक पेग खिंचते… "कमिना इमोशनल ना किया कर… अभी तो हम साथ मिलकर धमाल करेंगे.. ठीक से जिए ही कब है, सब खत्म हो जाए तो हम तीनो एक लंबा वैकेशन लेंगे"


ऐमी:- तीनों काहे.. सिर्फ हम दोनों.. तू लावणी के साथ जाना..


आरव:- हां तो चारो एक लंबा वैकेशन लेंगे..


ऐमी, अपस्यु को ड्रिंक देती… "बसंती जबतक तेरी ये जुबान चलेगी, मेरे ये हाथ चलेंगे।


अपस्यु.. अपना ड्रिंक लेने के बाद…


हां तो कहानी की सुरवात होती है जब मै साची को कंफ्यूज कर चुका था, तुमलोग सब यूएसए के लिए निकल गए थे, और अचानक ही उसी बीच एक लड़की की एंट्री होती है। शक की कोई गुंजाइश नहीं, समन्या रूप से मिली और कुछ बात करके चली गई। दिमाग में शक की सुई तब घूम गई जब मै अपने पाऊं में आयुर्वेद उपचार किए हुए था और वो बड़ी ही सफाई से उसका सैंपल ले गई।


आरव:- ओ तेरी, यानी वो अतीत के तार को जोड़ रही थी और श्रेया इस बात की जांच कर रही थी कि गुरु निशी का कोई शिष्य तो नहीं?


अपस्यु..……….


हां यही ख्याल मेरे मन में भी आया। मुझे लगा मै सबके सामने हूं, और बेझिझक सबसे यही कहता रहा हूं कि मै गुरुकुल से पढ़ा हुआ छात्र हूं, तो हो ना हो मुझ पर शक हुआ है। पहले अपनी पहचान छिपाने की जरूरत थी, इसलिए लैब जाकर मैंने उस सैंपल में कुछ एंटीबायोटिक्स के चूर्ण मिलाकर वापस चला आया।

दिमाग अब भी इसी प्वाइंट को सोच रहा था कि हमारी सच्चाई कों किसने पहले भांप लिया। मैंने श्रेया के बारे में पता करना शुरू किया। लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। ना तो एक छोटी सी क्लू और ना ही कोई ऐसा लूप जहां से अंदर घुसा जाए। एक समन्य सी प्रोफाइल जो आम परिवार की होती है।

मैंने चीजों पर गौर किया और मुझे लगा की इस बीच एक ही ऐसा है, जिसे मैंने छेड़ा था, वो था होम मिनिस्टर और वही इकलौता ऐसा दिख भी रहा था जिसमें क्षमता हो की वो किसी को भी, कहीं भी प्लॉट कर सकता है।


आरव:- होम मिनिस्टर के होने का तो सवाल ही नहीं होता है, ये हम सब जानते हैं। मतलब एक बार और उसकी छानबीन किए और कुछ नतीजा नहीं निकला होगा।


ऐमी:- राइट, हमारे हाथ कुछ नहीं लगा..


अपस्यु…


हां हमारे हाथ कुछ नहीं लगा। ना तो कौन है श्रेया उसका कुछ पता लगा पाए थे, और ना ही उसका मकसद क्या है उसका कुछ भी अंदाज़ा था। फिर मैंने ऐमी से कहा इसपर से ध्यान हटाएं और हम अपने मिशन पर फोकस करते हैं।

अच्छी बात यह थी उस वक़्त की तुम में से कोई नहीं था यहां पर और मैंने सुलेखा आंटी से हेल्प मांगी थी कि किसी तरह तिकड़म भिड़ाकर वो मां को यूएसए ले जाए।

ओह हां सॉरी वो ड्राइवर और ऐक्सिडेंट वाली बात तो रहा ही गई। मां ने जब ऐक्सिडेंट किया था, तभी श्रेया की सो कॉल्ड मां ने, उनके दिमाग में ड्राइवर की बात डाली। कमाल की प्लैनिंग किसी अनजाने को घर में घुसाने कि। इंटरव्यू में आए सभी लोग उसी के आदमी थे।

सुनिश्चित करने के लिए मैंने मां को श्रेया के घर भेजा था और मै खुद इंटरव्यू ले रहा था और मेरा शक सही निकला। श्रेया का भाई वहां आकर, देखकर गया था कि मै ड्राइवर रखने में इंटरेस्टेड हूं या नहीं। मुझे पता था कि वो पूरे फ्लैट छानबीन शुरू करने वाले होंगे, इसलिए बड़ी ही सफाई से सारे सामान को यहां शिफ्ट करना परा और जितनी चीज़ें उन्हें मेरे घर से मिलनी चाहिए, उतनी चीजें छोड़ दिया।

जितना सोचा था उससे कहीं खरनाक इनकी टीम निकली इस बात का अंदाज़ा सिर्फ इससे लगाया जा सकता है की मेरे पूरे वर्क सेक्शन को इन लोगों ने छेड़ा। वहां की पूरी जानकारी ली, लेकिन एक समान भी अपने जगह से एक इंच नहीं खिसकी थी। कंप्लीट परफेक्शन…


आरव:- कुछ समझ में नहीं आया थोड़ा डिटेल तो दे ना।


ऐमी:- हाई रिजॉल्यूशन फोटोग्राफी।



अपस्यु.. …..


हां उन्होंने यही इस्तमाल किया था। पूरे कमरे की फोटोग्राफी की गई। हर चीज को चेक करने के बाद उसे बिल्कुल वैसा ही रखा गया। केवल यह भूल गए हमारे वर्किंग सेक्शन एंट्री टाइल्स के नीचे वेट मशीन लगा है जो सबका वजन रीड करके हमारे सिस्टम पर अपलोड कर देता है। खैर मै जो दिखाना चाहता था वो मै दिखा चुका था, और लौटने के बाद इंतजार में था कि उनकी प्रतिक्रिया क्या है और मेरे लिए रणनीति क्या होगी।


ऐमी:- ओय हर बात इतनी डिटेल, तो यह भी बता दो कि अपनी क्या डिटेल छोड़े थे..


आरव:- बस कर पागल कितनी पिलाएगी। मेरा हो गया..

ऐमी:- 2 पेग ही तो लिए है.. इतने में तेरा क्या होगा..

आरव:- नाह ! मेरा हो गया। इतने में फुल..

अपस्यु:- अरे यार साथ बैठे है तो तेरा खाली ग्लास खटकेगा ना.. चल बेटा 1 पेग और लेले…

आरव:- नाह मै नहीं लूंगा मैंने लावणी से वादा किया है।

ऐमी:- होने वाली बीवी के लिए दोस्त की बात टाल रहा। अब तो तेरी भाभी हूं कमिने, तू मेरी बात टाल रहा है..

अपस्यु:- जाने दो ऐमी ये आजकल ज्यादा भाव खाने लगा है। अब हमारी बात क्यों सुनने लगा।

आरव झुंझलाते हुए…. "हद है कोई नहीं पीना चाहता उसे जबरदस्ती पिलाओ। मै नहीं पीता, जिद किए तो उठकर चला जाऊंगा।

अपस्यु:- जा तू जा .. अभी चला जा। मतलब हमें छोड़कर चला जाएगा। जब जाना ही था तो आया ही क्यों। हां अब तुम्हे इन कर लिया है ना तो सारी इंफॉर्मेशन भी दे दूंगा.. जा भाई तू जा।

ऐमी:- अब ले भी ले, पीने का मन तो तेरा भी होगा…

हाय रे मंडली की जबरदस्ती, ना चाहते हुए भी ग्लास फुल करना ही परा… छोटे से ब्रेक के बाद अपस्यु फिर से बोलना शुरू किया…


मुझे 2 बात क्लियर करनी थी… पहली तो ये की क्या कोई मुझे गुरु निशी के शिष्य के रूप में खोज रहा है या फिर ये कोई अचानक से टपका है, जो मेरे काम और कॉन्टैक्ट देखकर इंप्रेस हुआ है, और मुझे अपने साथ मिलाना चाहता है।

इस कन्फर्मेशन के लिए मैंने सिन्हा जी के साथ किए कुछ हाई प्रोफाइल काम कि फाइल वहां छोड़ आया था। साथ में हम अब होम मिनिस्टर के साथ काम कर रहे है उसका भी क्लू छोड़ा था, अपने कॉन्टैक्ट लिस्ट में।

मै जबसे वापस आया पुरा ध्यान बनाए था। अंदाज़ा हो चला था कि इस अपार्टमेंट में 30% अब उसके लोग है। सिन्हा जी के ऑफिस में लोग पहुंचे हुए है। वो सोमेश के घर भी पहुंच चुके थे। शक ये भी है कि अजिंक्य जो कि एक मजबूत कॉन्टैक्ट भी नहीं होगा, वहां भी पहुंच चुके होंगे।

मेरे आते ही ये लोग एक्टिव हुए और बस हमारा टेस्ट शुरू हो गया.. उन लोगों ने मामला उलझा दिया था मैक्स और एमपी के बीच। वो तो शुक्र है कि सोमेश में कुछ तो बुद्धि बाकी थी और उसने मैक्स को नहीं मारा। नहीं तो इन लोगों ने ऐसा जाल बुना था टेस्ट का, जिसमें देखना चाहते थे कि फैमिली फ्रेंड के लिए क्या कर सकते है, ताकि इस बात से अंदाज़ा लगा सके कि फैमिली फ्रेंड्स के लिए जब ये हदें है तो फैमिली के लिए कितनी हदें होंगी।

यानी इस घटना ने मकसद तो साफ कर दिया है कि कोई मेरा "डाय हार्ड फैन" (die hard fan) है जो मुझे अपने ओर करना चाहता है। और मकसद अपना काम करवाना नहीं ही है, क्योंकि इतनी शातिर टीम मैंने आज तक नहीं देखी। जिस हिसाब का ये टेस्ट था, उससे तो साफ है कि वो मुझे एक परफेक्ट एसाशियन (assissian) के रूप में देख रहे है, जो उनके टारगेट को सफाई से एलिमिनेट (eliminate) करे। मैं उनके टेस्ट में पास हो चुका हूं और श्रेया अब सीधा जाल बुनना शुरू कर चुकी है। यदि मै उनके जाल में फसा तो इनडायेक्टली श्रेया के जरिए मुझसे काम निकलवाएंगे, नहीं तो फिर फैमिली को उलझाकर अपना काम निकलवाएंगे। वो लोग अपने योजना के आखरी चरण में है और अपना काम निकलवाने के लिए इन 2 में से कोई भी रास्ता अपना सकते है।

मैंने उन्हें हर वो अनुकूल माहौल दिया जिसके तहत वो पुरा अंदर तक घुस सके। मैंने जान बूझकर यूएसए निकलने से पहले उन्हें प्लाई बोर्ड पर्टेशन दिया, ताकि घर में घुस सके। शार्प इतने है की जैसे हम सामने वाले को अपने हिसाब से काम के लिए राजी कर लेते हैं, ठीक वैसे ही ये लोग बड़ी दूर से खेलते आ रहे है। इनके पास हमारे हर फैमिली मेंबर कि प्रोफाइल है और उनके सभी क्लोज फ्रेंड्स की लिस्ट। और उन क्लोज फ्रेंड्स के पूरी फैमिली डिटेल।

जिस लिसा की बात आरव कर रहा है, वो और कोई नहीं बल्कि सोमेश की बेटी है। यूके में रह रही लड़की तक का डेटा ले लिया। उसके इंट्रेस्ट और सब कुछ। हम जैसे साची के लिए पूरे दूर से खेलकर आए थे, वैसे ही कोई मेरे लिए बहुत दूर से खेलते आ रहा है। श्रेया अचानक प्लॉट नहीं हुई, बल्कि पुरे होमवर्क के बाद आए है। बस सवाल ये है कि कौन.. कौन अपने सारे काम छोड़कर अपनी इतनी शातिर टीम को मुझे फसाने में लगाए है। अपना कोई लिस्टेड टारगेट में से कोई है, जो अनजाने में ही मेरे कॉन्टैक्ट और शार्प काम को देखकर इंप्रेस हुआ, या कोई थर्ड पार्टी है जो अचानक ही हमारे कुंडली में आ धमाका।


ऐमी:- कंप्लीट फेसबुक प्रोफाइल खंगाली गई है और वहां के डेटा के हिसाब से हर किसी पर नजर रखी गई है। जाहिर सी बात है उनके पास साइबर डिपार्टमेंट है, फिर जरूर हैकर भी होंगे.. छानबीन का तरीका और किसी भी बात में अपना प्वाइंट ना बताकर बल्कि माहौल ऐसा बना देना की उसकी भाषा सामने वाला बोले, साफ मतलब है कि सभी प्रशिक्षित लोग है। फिर ये बात आती है कि 20 से 25 साल के बीच के लोगों ने इतना प्रशिक्षण प्राप्त कहां से किया होगा। मतलब साफ है या तो अनाथों की टीम को कोई एक्स एजेंट ट्रेंड कर रहा है या फिर ये ट्रेंड एजेंट है, जो हमारे पीछे है।


अपस्यु:- पहला वाला अंदेशा ही सही है, क्योंकि सरकारी एजेंसी के इतने लोग किसी टारगेट को फसाकर अपना काम तो नहीं ही निकलवाते हैं। सो ये कोई ऑर्गनाइजेशन है और इनके पास ऐसे बच्चे है, जिन्हें ये शुरू से प्रशिक्षित कर रहे हैं। ट्रेंड कोई एक्स एजेंट ही कर रहा है जो जाल बिछाने और फसाने में माहिर है। और ऐसे एजेंट की कोई डिटेल नहीं मिल सकती क्योंकि गवर्नमेंट एजेंट की फाइल मेंटेन नहीं करते, बल्कि उन्हें जला देते है। हां लेकिन अपने सभी एक्स एजेंट पर नजर बनाए रखने के लिए एजेंसी की पूरी एक टीम रहती है। सो इन बातों से एक बात और साफ हो जाती है कि कोई विदेशी ट्रेनर है जो अपने काम में पुरा माहिर है।


ऐमी:- चक्कर तो वहीं है ना.. अब हम कुछ भी करेंगे, इनकी नजर हम पर ही बनी रहेगी। मनाकी हम शार्प प्लान करके, बिना नजर में आए अपना काम करते रहे है, लेकिन जब वो लोग नजर बनाए है तो क्या ऐसा कभी नहीं होगा की हमसे कोई गलती नहीं होगी..



आरव:- हाहाहाहा.. तो यहां भी चूहे बिल्ली का खेल शुरू है। बस हमारे लापरवाह रवैया ने हमे बचा लिया। अगर उन्हें भनक भी होती की हम टेक्निकली साउंड है फिर हम उन्हें समझ भी नहीं पाते। तुम दोनो शुरवात में कह रहे थे कि मै 10 दिनों के लिए जबतक बाहर जाऊंगा तबतक सब साफ करके हम राठौड़ मेंशन घुसने वाले होंगे।


ऐमी:- हां अपस्यु ने आज अचानक कहा कि प्लान री-शेड्यूल करना है और 3 महीने के बदले हमे डेढ़ से दो महीने में अब घुसना है।


अपस्यु:- हां, जैसा कि अभी ऐमी कह रही थी, क्या हमसे कभी कोई गलती नहीं होगी। बस यही बात मेरे दिमाग में है। श्रेया मुझे फंसाना चाहती है, तो मै फंसता जाऊंगा। उसका ध्यान बाकी लोगों से हटेगा। राठौड़ मेंशन में फैमिली शिफ्ट होने का मतलब है कि हम मां और कुंजल के ओर से बेफिक्र हो जाएंगे। यह डर नहीं रहेगा कि श्रेया उनके करीब बैठकर अतीत के पन्ने कुरेदे।


आरव:- ऐसा नहीं लग रहा की जिंदगी थोड़ी बोरिंग सी हो गई है और जिंदगी एक रूम में पैक होकर रह गई है। कोई भी आहट हो तो डर सा माहौल पैदा हो जाता है।
 
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आरव:- ऐसा नहीं लग रहा की जिंदगी थोड़ी बोरिंग सी हो गई है और जिंदगी एक रूम में पैक होकर रह गई है। कोई भी आहट हो तो डर सा माहौल पैदा हो जाता है।


ऐमी:- राइट … एग्जैक्टकली मेरा भी यही कहना था आज अपस्यु को..


अपस्यु:- समझ गया तुम दोनों क्या कहना चाह रहे हो। मुझे उम्मीद भी यही थी इसलिए तो तुम दोनो पर छोड़ा था कि क्या करना है। स्वास्तिका और पार्थ से अब हम कोई उम्मीद नहीं कर सकते.. उसे साइड लाइन में रखो। मां के आस पास इन दोनों के होने से हम थोड़े रिलैक्स होंगे.


आरव:- बोर मत कर.. जल्दी से राज खोल, ग्राउंड कैसे क्लियर करेंगे…


अपस्यु:- मै घुसकर पागल बनाता हूं श्रेया को.. ये साइडलाइन कहानी है, जो हमारे रेगुलर काम के साथ चलेगी। 10 दिन बाद जब तुम लौटोगे आरव, तब श्रेया की टीम पर बिजली गिरेगी… और उन्हें उलझाकर हम बीच उसी भी विक्रम को चौंकते हुए अंदर घुस जाएंगे….


तकरीबन 15 मिनट तक अपस्यु अपने योजना का पुरा विवरण सबको डेटा रहा। योजना काफी कारगर थी लेकिन इसी बीच ऐमी कहने लगी… "यह योजना है तो सही पर इसमें केवल श्रेया पर बिजली गिरेगी बस। हां विक्रम पर कहर बरसने वाला वाला है वो तो थी है लेकिन इस कामिनी और इसके टीम को सस्ते में क्यों छोड़ रहे। मै थोड़ा फर बदल करना चाहूंगी इसमें।".. ऐमी जब अपस्यु के योजना मै फर बदल कर बताने लगी, दोनो भाई के दिमाग की घंटी बज गई।


आरव:- ये सैतानी खोपड़ी अब चली है ना… पूरी डिटेल..


ऐमी लगभग 10 मिनट तक अपनी योजना को विस्तार रुप से बताई। अपस्यु और आरव के बीच बीच में सवाल आते रहे जिसके कुछ के जवाब तो ऐमी पहले से सोच चुकी थी लेकिन कुछ फसे मामले में आरव ने उसे पूरा करना का जिम्मा ले लिया। योजना पूर्णतः सामने आने के बाद तो जैसे दिमाग में पूरी कहानी ही सेट हो गई हो।


अपस्यु:- इतनी दूर की प्लैनिंग। तुमने तो श्रेया को पूरी तरह से लपेट लिया इसमें।


आरव:- योजना जटिल है, लेकिन इस एक प्लान से हम सबके आगे खड़े होंगे और सब हमारे पीछे। मैंने अपना माथा बहुत खपा लिया, अब तुम दोनो इस योजना की पूरी बारीकी को समझो। मै चला गोवा अपनी लावणी के साथ। वैसे देखा जाए तो तुम दोनो का भी हनीमून पीरियड ही माना जाएगा। कोई तो होगा नहीं, तो काम के साथ एन्जॉय करो।


अपस्यु:- काहे के मज़े .. यहां हरताल चल रहा है।


ऐमी खाली बॉटल उठाकर अपस्यु के हाथ पर मारती हुई…. "अति बेशर्मी तुममें घुस गई है। छोड़ो ये, कितने समय बाद हम सब साथ है, चलो कुछ तूफानी प्लान करते है।


अपस्यु:- नहीं मै सोने जा रहा हूं, तुम दोनो आराम से तूफानी बर्फानी सब करते रहो।


ऐमी आरव के ओर देखी और आरव चुपचाप वहां से निकल गया। जैसे ही अपस्यु कुछ दूर आगे बढ़ा होगा, छापक से उसके ऊपर पानी परा। वो गुस्से में पलटा और दोनो भाई कुछ देर तक उठापटक करने के बाद हंसते हुए खड़े हो गए।


तीनों अपने ये खूबसूरत से पल कैमरे में रिकॉर्ड कर रहे थे। कभी अनारकली और सलीम का कॉमिक रोले प्ले किया जा रहा था तो कभी टूटे दिल देवदास का। तीनों के बीच मस्ती का सिलसिला जारी रहा।



अगली सुबह…


नंदनी सुबह सुबह ही अपने समधियाना यानी कि मिश्रा हाउस में दस्तक दे चुकी थी। सुलेखा, अनुपमा और नंदनी तीनों वहीं हॉल में बैठकर बातें कर रही थी। बातों की शुरवात ही लावणी के गोवा जाने से हुई। यूं तो थोड़ी असमंजस जैसी स्तिथि बनी थी, लेकिन नंदनी को ना कहने की हिम्मत उन दोनों में तो नहीं हुई, इसलिए सुलेखा ने राजीव को कॉल लगाया।


राजीव को भी कुछ समझ में नहीं आया क्या कहे, और नंदनी को मना करने की हिम्मत वो भी नहीं जुटा पाया, इसलिए बात को उसने फिर सुलेखा पर ही फेक दिया। होना क्या था, 5 मिनट तक जब कोई फैसला दोनो नहीं ले पाई, तब नंदनी ही दोनो को सारी बातें समझते हुए… "उन्हें घूमने देने जाने चाहिए"… ऐसा अपना प्रस्ताव रखकर फैसला उन्हीं दोनो पर छोड़ दिया…


साची जो थोड़ी दूर बैठकर उनकी सारी बातें सुन रही थी… "छोटी छोटी ख्वाहिशें होती है। यहां मायका और ससुराल इतने नजदीक में है कि बेचारे दोनो पीस कर रह जाते हैं। क्यों इतना सोच रहे है, अब जाने भी दो ना। या दोनो साथ होंगे तो दिमाग की सुई एक ही जगह अटक गई है। ऐसा है तो वो कहीं भी ही सकता है। बाहर निकलो अपने जहनी पुराने ख्यालतों से और आंख खोलकर देखोगे तो पता चलेगा इनके अलावा भी दुनिया होती है।"..


सुलेखा:- दीदी मुझे तो लगता है ये अपना रास्ता साफ कर रही है लावणी के बहाने।


साची:- छोटी मां मुझे घूमने जाना हो कहीं ध्रुव के साथ और आप सब ऐस रोड़ा आटकाओगे तो मै कोर्ट मैरिज करके चली जाऊंगी, लेकिन जाऊंगी जरूर।


नंदनी:- अपस्यु से तेरी बात हुई थी क्या, क्योंकि वो भी ऐसा ही कुछ बोल रहा था।


आगे फिर ताना बाना शुरू हो गया। एक ओर तीनों ही औरतें छोटे से शहर में उस वक़्त की तात्कालिक स्तिथि को बताने लगी कि उनके ज़माने में क्या होता था और साची आज के परिवेश में लड़कियों को कैसा होना चाहिए उसपर बात कर रही थी।


सभी बैठकर बातें कर ही रही थी कि लावणी हॉल में सबको नमस्ते करती हुई बाहर जाने लगी… "कॉलेज जा रही है लावणी, 2 मिनट सुन तो".. नंदनी, लावणी को पीछे से टोकती हुई कहने लगी।


लावणी:- जी मां…


नंदनी:- जा बैग पैक कर ले, कुछ दिनों के लिए तेरी कॉलेज से छुट्टी।


लावणी ने जैसे ही यह बात सुनी उसे अपस्यु की बात याद आ गई… "दोनो को साथ वक़्त बिताना है उसके लिए जल्दी शादी करवाने क्यों कह रही हो। तुम दोनो को कहीं बाहर भेजने का इंतजाम मै करता हूं।".. अपस्यु की बातों का ख्याल आते ही लावणी अंदर से गुदगुदा गयी। लेकिन बाहर से अपने इमोशन संभालती… "कहीं फैमिली टूर है क्या मां"..


सुलेखा:- देखो तो बदमाश को। कल शाम अपस्यु के साथ गई थी, वहीं दोनो भाई बैठकर यें प्लान किए होंगे और नाटक तो देखो, जैसे कुछ जानती ही नहीं।


नंदनी, सुलेखा की बात पर चौंकती हुई…. "आप तो ऐसे बता रही है जैसे दोनो भाई को काफी करीब से जानती हो।"


नंदनी की बात सुनकर सब लोग सुलेखा को ही देखने लगे…. "बस लगा की कहीं दोनो (लावणी और आरव) बात करे तो हम मना नर दें, इसलिए अपस्यु से मिलकर अपना काम करवाया हो।


लावणी:- क्या मां आप भी। मेरा दोस्त मैक्स, 2 हफ्ते से गायब था और उसके मम्मी पापा की हालत मुझसे देखी नहीं गई इसलिए मै भईया से उसके विषय में बात करने के लिए गई थी।


सभी लोग सुनकर अफ़सोस करने लगे। चिंता जताते हुए फिर पूछने लगे… "क्या हुआ कोई खबर मिली कि नहीं।"


लावणी:- कमाल के है अपस्यु भईया, और ऐमी दीदी भी। हालांकि दोनो किसी जरूरी काम के बारे में बात कर रहे थे, शायद इंडिया गेट पर कोई प्रोग्राम था, लेकिन मेरी समस्या सुनने के बाद सारे काम कैंसल करके मैक्स को ढूंढने में लग गए। और मैक्स को ढूंढ निकाला। बेस्ट है दोनो।


अनुपमा:- और आरव..


लावणी:- वो भी बेस्ट है, लेकिन कल आरव नहीं थे ना। मैंने कॉल किया था, पर वो सब लोगों के साथ थे, तो मैंने सोचा वापस आएंगे तब बता दूंगी।


साची:- हां ठीक है, लेकिन अब जा पैकिंग कर ले..


लावणी अरमान को बिल्कुल काबू किए तेजी से अपने कमरे पहुंची और उत्साह से वूहू वुहू करके उछालने और नाचने लगी।…. "गोवा पहुंच पर भी नाच सकती है, अभी पैकिंग कर ले।"… दरवाजे पर खड़ी साची कहने लगी और बाकी सभी औरतें पीछे खड़ी होकर लावणी का उत्साह देख रही थी। हर किसी को महसूस हो रहा था कि क्यों थोड़ी सी आज़ादी इन्हे भी देनी चाहिए।


लेकिन बेचारी लावणी, दरवाजे पर सबको खड़े देख कर शर्म से पानी-पानी हो गई। वो फाटक से दरवाजा बंद करके बस लज्जाए जा रही थी। आलम ये था कि पैकिंग के बाद तभी बाहर आयी जब आरव उसे लेने आया। आंखों पर काला चश्मा चढ़ा रखी थी, ताकि किसी से नजर ना मिले और आरव के पीछे वो छिप-छिप कर चल रही थी।


रात के लगभग 11.30 बज रहे होगे, सभी लोग उड़ान भर चुके थे और अपस्यु हॉल में बैठा गाना सुनते एक अंदाजन श्रेया के आने का इंतजार कर रहा था। इसी बीच घर कि घंटी बजी और दरवाजे पर गुफरान था।… "क्या काम है गुफरान।"..


गुफरान:- सर वो कुछ पैसे चाहिए थे।


अपस्यु:- कुछ पैसे मतलब कितने..


गुफरान:- सर वो 2000 रुपए चाहिए थे।


अपस्यु:- तुम रात में मुझसे पैसे मांगने आए हो।


गुफरान:- सर वो जरूरत तो रात की है, सुबह मै आपके पैसे लौटा दूंगा।


अपस्यु:- हम्मम ! ठीक है सुन तू मेरे लिए कॉकटेल का पूरा सामान ले आना, एटॉमिक शैम्पेन कॉकटेल..


अपस्यु ने उसे उसके 2000 रुपए दिए और बाकी अपने सामान के 20k थमा दिया। तकरीबन 5 मिनट बाद गुफरान का फोन आया और वो दुकानदार को फोन दे दिया। उस दुकानदार ने कुछ सवाल किए और सारा सामान पैक करके दे दिया।


गुफरान आकर अपस्यु को सारा समान दिया और बचे हुए पैसे वापस करके वहां से जा ही रहा था कि… "अच्छा सुनो, मां से ये सब मत बताना".. "ओह हो तो आंटी से छिपकर कांड किया जा रहा है।"..


अपस्यु:- नाईट वाक, अच्छा है, अच्छी सेहत बनाओ। हम तो चले… गुड नाईट।


श्रेया:- अच्छा है, वैसे कोई कॉल करने वाला है पर कुछ याद भी हो तो ना।


अपस्यु:- मैम अगर आपको बात करनी है तो कृपया अंदर आ जाइए, अन्यथा सुभ रात्रि क्योंकि अब मै इंतजार नहीं कर सकता।


श्रेया:- हीहीहीही.. घर में कोई नहीं ..


अपस्यु श्रेया को बीच में ही रोककर…. "तू तब से यहां खड़ा होकर क्या कर रहा है? तेरा काम हो गया ना?


गुफरान:- हां भाई।


एक नपा तुला थप्पड़ परा.. "सर से सीधा भाई। जब क्लोज होंगे तब ये इस्तमाल करना। चलो अब जाओ। और सुन पैसे कल सुबह कब वापस करोगे।"


गुफरान:- सर वो 10 बजे तक कर दूंगा।


अपस्यु:- ठीक है जाओ… हां मिस आप जारी रखिए..


श्रेया:- भूल गए ना मेरा काम?


अपस्यु:- कुछ नहीं भुला हूं सब याद है, मुझे फिलहाल आप की इजाज़त हो तो जाऊं, बहुत दिनों बाद मौका मिला है।


श्रेया, गेट से अंदर ताक-झांक करती…. "अकेले हो फिर भी इतनी हड़बड़ी मची है पीने की।"…


अपस्यु:- मै दिल्ली में थोड़े ना रहता था जो मेरे यहां कोई ज्यादा दोस्त होंगे..


श्रेया:- अच्छा पड़ोस में तुम्हारी एक दोस्त है और तुम ज्यादा कम की बात कर रहे हो।


अपस्यु श्रेया का हाथ पकड़कर खिंचते हुए अंदर किया और दरवाजा बंद करते हुए…. "तो सीधा अंदर आओ ना। अब एक सिम्पल सवाल.. क्या तुम्हे मेरे साथ बैठकर लेना है, या जाना है।"..


श्रेया:- पीकर यहां लुढ़क भी गई तो कोई फर्क नहीं पड़ना, मेरे यहां भी कोई नहीं है।


अपस्यु:- जे हुई ना बात, चलो फिर तुम आराम से बैठो आज खिदमत में हाज़िर है एटॉमिक शैम्पेन कॉकटेल …


श्रेया:- देखना कहीं एटम फटे ना, वरना यहां भूचाल सा मच जाएगा…


दोनो इधर-उधर की बातें करते हुए ड्रिंक का मज़ा लेने लगे। 1 ड्रिंक पीने के बाद श्रेया ने खुद कॉकटेल बनना शुरू की और अपस्यु को बढ़ाते जाने लगी। महज आधे घंटे में वो अपस्यु को 15 पेग पिला चुकी थी और खुद अभी तक दूसरे ड्रिंक को पकड़ी हुई थी।


अपस्यु "एक्सक्यूज मी" करते हुए उठा और लड़खड़ाते हुए किसी तरह बाथरूम तक पहुंचा। काम खत्म करके आने के बाद अपस्यु फिर बैठा। श्रेया ने फिर से ड्रिंक देना शुरू की। 3 पेग और पिलाने के बाद… "अपस्यु आज तक तुमने बताया नहीं की तुम कौन से आश्रम में पढ़े हो।"..


अपस्यु, श्रेया को गौर से देखते… "वो क्या है ना बेबी तुमने कभी पूछा ही नहीं। वैसे एक बात कहूं तुम बहुत हॉट दिखती हो। बिल्कुल रेड चिली"


श्रेया:- हीहीहीही… ये नया अवतार अपस्यु बाबू का। चलो अब पूछ लिया, बता दो..


अपस्यु:- अम्म्म ! ठीक है मै सब बताऊंगा लेकिन एक शर्त पर..


श्रेया:- कैसी शर्त..


अपस्यु:- हम एक-एक सवाल करके खेलेंगे.. एक तुम पूछो एक मै..


श्रेया:- और यदि मुझे किसी सवाल का जवाब नहीं देना हुआ था…


अपस्यु:- सिम्पल, मुझे आकर एक जबरदस्त किस्स दे देना वो भी लिप टू लिप वाला।


श्रेया:- ये क्या बकवास है? तुम होश में तो हो..


अपस्यु:- रॉक सॉलिड होश में हूं। कुछ लोगों को पचती नहीं, लेकिन मै अभी 20 पेग और ले सकता हूं। मेरी छोड़ो तुम तो होश में हो ना..


श्रेया:- हीहीहीही.. पागल हो तुम। हां मै भी होश में हूं। लेकिन ये तो चीटिंग होगी ना। मैं तो ईमानदारी से खेलूंगी, नहीं मन हुआ जवाब देने का तभी ना कहूंगी, लेकिन तुम्हारा क्या भरोसा.. कहीं जान बूझकर मुझे किस्स करने का मन हो और तुम ना कह दो तो।


अपस्यु:- ओय शुक्र करो वो मस्त वाला खेल नहीं खेला, जिसमें एक जवाब ना देने पर कपड़े उतारने कहते है। वैसे भी ऐसा कोई सवाल नही जिसका जवाब मै ना दे सकूं, गूगल भी करना पड़े तो भी जवाब दूंगा.. अब जो नहीं आता सो नहीं आता, उसमे कुछ नहीं किया जा सकता.. भरोसा हो तो खेलो नहीं तो कोई बात नहीं।


(पापा को मै कबसे इस प्लान पर काम करने कह रही थी, लेकिन वो वक़्त मांग रहे थे। कितना मुश्किल होता है बिना सीधा सवाल किए हुए जवाब निकालना ये बात थोड़े ना समझ में आएगी। ये लो देखो, दारू अंदर गई नहीं की सारे राज बाहर आने शुरू)


(अभी तो तुझे पिलाते-पिलाते 12.30 ही बजे है। तुम्हे तो आज पूरी रात जगाऊंगा जानेमन। पूछ ले सवाल तू,आज तो मेरा अतीत जान कर ही चली जाना लेकिन बातों के दौरान तुम जरा बचकर चलना जानेमन, कहीं मुंह से कुछ निकल गया तेरे, तो मेरा राज जानने के चक्कर में अपने राज मत खोल देना)
 
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kamdev99008

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Bahut badhiya ab cocktail ke bahane shreya khulkar samne aa rahi hai... Sawal jawab

Idhar gufran bhi kuchh vajah se field me maujood hai
 

Black water

Vasudhaiv Kutumbakam
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Update:-106



आरव:- ऐसा नहीं लग रहा की जिंदगी थोड़ी बोरिंग सी हो गई है और जिंदगी एक रूम में पैक होकर रह गई है। कोई भी आहट हो तो डर सा माहौल पैदा हो जाता है।


ऐमी:- राइट … एग्जैक्टकली मेरा भी यही कहना था आज अपस्यु को..


अपस्यु:- समझ गया तुम दोनों क्या कहना चाह रहे हो। मुझे उम्मीद भी यही थी इसलिए तो तुम दोनो पर छोड़ा था कि क्या करना है। स्वास्तिका और पार्थ से अब हम कोई उम्मीद नहीं कर सकते.. उसे साइड लाइन में रखो। मां के आस पास इन दोनों के होने से हम थोड़े रिलैक्स होंगे.


आरव:- बोर मत कर.. जल्दी से राज खोल, ग्राउंड कैसे क्लियर करेंगे…


अपस्यु:- मै घुसकर पागल बनाता हूं श्रेया को.. ये साइडलाइन कहानी है, जो हमारे रेगुलर काम के साथ चलेगी। 10 दिन बाद जब तुम लौटोगे आरव, तब श्रेया की टीम पर बिजली गिरेगी… और उन्हें उलझाकर हम बीच उसी भी विक्रम को चौंकते हुए अंदर घुस जाएंगे….


तकरीबन 15 मिनट तक अपस्यु अपने योजना का पुरा विवरण सबको डेटा रहा। योजना काफी कारगर थी लेकिन इसी बीच ऐमी कहने लगी… "यह योजना है तो सही पर इसमें केवल श्रेया पर बिजली गिरेगी बस। हां विक्रम पर कहर बरसने वाला वाला है वो तो थी है लेकिन इस कामिनी और इसके टीम को सस्ते में क्यों छोड़ रहे। मै थोड़ा फर बदल करना चाहूंगी इसमें।".. ऐमी जब अपस्यु के योजना मै फर बदल कर बताने लगी, दोनो भाई के दिमाग की घंटी बज गई।


आरव:- ये सैतानी खोपड़ी अब चली है ना… पूरी डिटेल..


ऐमी लगभग 10 मिनट तक अपनी योजना को विस्तार रुप से बताई। अपस्यु और आरव के बीच बीच में सवाल आते रहे जिसके कुछ के जवाब तो ऐमी पहले से सोच चुकी थी लेकिन कुछ फसे मामले में आरव ने उसे पूरा करना का जिम्मा ले लिया। योजना पूर्णतः सामने आने के बाद तो जैसे दिमाग में पूरी कहानी ही सेट हो गई हो।


अपस्यु:- इतनी दूर की प्लैनिंग। तुमने तो श्रेया को पूरी तरह से लपेट लिया इसमें।


आरव:- योजना जटिल है, लेकिन इस एक प्लान से हम सबके आगे खड़े होंगे और सब हमारे पीछे। मैंने अपना माथा बहुत खपा लिया, अब तुम दोनो इस योजना की पूरी बारीकी को समझो। मै चला गोवा अपनी लावणी के साथ। वैसे देखा जाए तो तुम दोनो का भी हनीमून पीरियड ही माना जाएगा। कोई तो होगा नहीं, तो काम के साथ एन्जॉय करो।


अपस्यु:- काहे के मज़े .. यहां हरताल चल रहा है।


ऐमी खाली बॉटल उठाकर अपस्यु के हाथ पर मारती हुई…. "अति बेशर्मी तुममें घुस गई है। छोड़ो ये, कितने समय बाद हम सब साथ है, चलो कुछ तूफानी प्लान करते है।


अपस्यु:- नहीं मै सोने जा रहा हूं, तुम दोनो आराम से तूफानी बर्फानी सब करते रहो।


ऐमी आरव के ओर देखी और आरव चुपचाप वहां से निकल गया। जैसे ही अपस्यु कुछ दूर आगे बढ़ा होगा, छापक से उसके ऊपर पानी परा। वो गुस्से में पलटा और दोनो भाई कुछ देर तक उठापटक करने के बाद हंसते हुए खड़े हो गए।


तीनों अपने ये खूबसूरत से पल कैमरे में रिकॉर्ड कर रहे थे। कभी अनारकली और सलीम का कॉमिक रोले प्ले किया जा रहा था तो कभी टूटे दिल देवदास का। तीनों के बीच मस्ती का सिलसिला जारी रहा।



अगली सुबह…


नंदनी सुबह सुबह ही अपने समधियाना यानी कि मिश्रा हाउस में दस्तक दे चुकी थी। सुलेखा, अनुपमा और नंदनी तीनों वहीं हॉल में बैठकर बातें कर रही थी। बातों की शुरवात ही लावणी के गोवा जाने से हुई। यूं तो थोड़ी असमंजस जैसी स्तिथि बनी थी, लेकिन नंदनी को ना कहने की हिम्मत उन दोनों में तो नहीं हुई, इसलिए सुलेखा ने राजीव को कॉल लगाया।


राजीव को भी कुछ समझ में नहीं आया क्या कहे, और नंदनी को मना करने की हिम्मत वो भी नहीं जुटा पाया, इसलिए बात को उसने फिर सुलेखा पर ही फेक दिया। होना क्या था, 5 मिनट तक जब कोई फैसला दोनो नहीं ले पाई, तब नंदनी ही दोनो को सारी बातें समझते हुए… "उन्हें घूमने देने जाने चाहिए"… ऐसा अपना प्रस्ताव रखकर फैसला उन्हीं दोनो पर छोड़ दिया…


साची जो थोड़ी दूर बैठकर उनकी सारी बातें सुन रही थी… "छोटी छोटी ख्वाहिशें होती है। यहां मायका और ससुराल इतने नजदीक में है कि बेचारे दोनो पीस कर रह जाते हैं। क्यों इतना सोच रहे है, अब जाने भी दो ना। या दोनो साथ होंगे तो दिमाग की सुई एक ही जगह अटक गई है। ऐसा है तो वो कहीं भी ही सकता है। बाहर निकलो अपने जहनी पुराने ख्यालतों से और आंख खोलकर देखोगे तो पता चलेगा इनके अलावा भी दुनिया होती है।"..


सुलेखा:- दीदी मुझे तो लगता है ये अपना रास्ता साफ कर रही है लावणी के बहाने।


साची:- छोटी मां मुझे घूमने जाना हो कहीं ध्रुव के साथ और आप सब ऐस रोड़ा आटकाओगे तो मै कोर्ट मैरिज करके चली जाऊंगी, लेकिन जाऊंगी जरूर।


नंदनी:- अपस्यु से तेरी बात हुई थी क्या, क्योंकि वो भी ऐसा ही कुछ बोल रहा था।


आगे फिर ताना बाना शुरू हो गया। एक ओर तीनों ही औरतें छोटे से शहर में उस वक़्त की तात्कालिक स्तिथि को बताने लगी कि उनके ज़माने में क्या होता था और साची आज के परिवेश में लड़कियों को कैसा होना चाहिए उसपर बात कर रही थी।


सभी बैठकर बातें कर ही रही थी कि लावणी हॉल में सबको नमस्ते करती हुई बाहर जाने लगी… "कॉलेज जा रही है लावणी, 2 मिनट सुन तो".. नंदनी, लावणी को पीछे से टोकती हुई कहने लगी।


लावणी:- जी मां…


नंदनी:- जा बैग पैक कर ले, कुछ दिनों के लिए तेरी कॉलेज से छुट्टी।


लावणी ने जैसे ही यह बात सुनी उसे अपस्यु की बात याद आ गई… "दोनो को साथ वक़्त बिताना है उसके लिए जल्दी शादी करवाने क्यों कह रही हो। तुम दोनो को कहीं बाहर भेजने का इंतजाम मै करता हूं।".. अपस्यु की बातों का ख्याल आते ही लावणी अंदर से गुदगुदा गयी। लेकिन बाहर से अपने इमोशन संभालती… "कहीं फैमिली टूर है क्या मां"..


सुलेखा:- देखो तो बदमाश को। कल शाम अपस्यु के साथ गई थी, वहीं दोनो भाई बैठकर यें प्लान किए होंगे और नाटक तो देखो, जैसे कुछ जानती ही नहीं।


नंदनी, सुलेखा की बात पर चौंकती हुई…. "आप तो ऐसे बता रही है जैसे दोनो भाई को काफी करीब से जानती हो।"


नंदनी की बात सुनकर सब लोग सुलेखा को ही देखने लगे…. "बस लगा की कहीं दोनो (लावणी और आरव) बात करे तो हम मना नर दें, इसलिए अपस्यु से मिलकर अपना काम करवाया हो।


लावणी:- क्या मां आप भी। मेरा दोस्त मैक्स, 2 हफ्ते से गायब था और उसके मम्मी पापा की हालत मुझसे देखी नहीं गई इसलिए मै भईया से उसके विषय में बात करने के लिए गई थी।


सभी लोग सुनकर अफ़सोस करने लगे। चिंता जताते हुए फिर पूछने लगे… "क्या हुआ कोई खबर मिली कि नहीं।"


लावणी:- कमाल के है अपस्यु भईया, और ऐमी दीदी भी। हालांकि दोनो किसी जरूरी काम के बारे में बात कर रहे थे, शायद इंडिया गेट पर कोई प्रोग्राम था, लेकिन मेरी समस्या सुनने के बाद सारे काम कैंसल करके मैक्स को ढूंढने में लग गए। और मैक्स को ढूंढ निकाला। बेस्ट है दोनो।


अनुपमा:- और आरव..


लावणी:- वो भी बेस्ट है, लेकिन कल आरव नहीं थे ना। मैंने कॉल किया था, पर वो सब लोगों के साथ थे, तो मैंने सोचा वापस आएंगे तब बता दूंगी।


साची:- हां ठीक है, लेकिन अब जा पैकिंग कर ले..


लावणी अरमान को बिल्कुल काबू किए तेजी से अपने कमरे पहुंची और उत्साह से वूहू वुहू करके उछालने और नाचने लगी।…. "गोवा पहुंच पर भी नाच सकती है, अभी पैकिंग कर ले।"… दरवाजे पर खड़ी साची कहने लगी और बाकी सभी औरतें पीछे खड़ी होकर लावणी का उत्साह देख रही थी। हर किसी को महसूस हो रहा था कि क्यों थोड़ी सी आज़ादी इन्हे भी देनी चाहिए।


लेकिन बेचारी लावणी, दरवाजे पर सबको खड़े देख कर शर्म से पानी-पानी हो गई। वो फाटक से दरवाजा बंद करके बस लज्जाए जा रही थी। आलम ये था कि पैकिंग के बाद तभी बाहर आयी जब आरव उसे लेने आया। आंखों पर काला चश्मा चढ़ा रखी थी, ताकि किसी से नजर ना मिले और आरव के पीछे वो छिप-छिप कर चल रही थी।


रात के लगभग 11.30 बज रहे होगे, सभी लोग उड़ान भर चुके थे और अपस्यु हॉल में बैठा गाना सुनते एक अंदाजन श्रेया के आने का इंतजार कर रहा था। इसी बीच घर कि घंटी बजी और दरवाजे पर गुफरान था।… "क्या काम है गुफरान।"..


गुफरान:- सर वो कुछ पैसे चाहिए थे।


अपस्यु:- कुछ पैसे मतलब कितने..


गुफरान:- सर वो 2000 रुपए चाहिए थे।


अपस्यु:- तुम रात में मुझसे पैसे मांगने आए हो।


गुफरान:- सर वो जरूरत तो रात की है, सुबह मै आपके पैसे लौटा दूंगा।


अपस्यु:- हम्मम ! ठीक है सुन तू मेरे लिए कॉकटेल का पूरा सामान ले आना, एटॉमिक शैम्पेन कॉकटेल..


अपस्यु ने उसे उसके 2000 रुपए दिए और बाकी अपने सामान के 20k थमा दिया। तकरीबन 5 मिनट बाद गुफरान का फोन आया और वो दुकानदार को फोन दे दिया। उस दुकानदार ने कुछ सवाल किए और सारा सामान पैक करके दे दिया।


गुफरान आकर अपस्यु को सारा समान दिया और बचे हुए पैसे वापस करके वहां से जा ही रहा था कि… "अच्छा सुनो, मां से ये सब मत बताना".. "ओह हो तो आंटी से छिपकर कांड किया जा रहा है।"..


अपस्यु:- नाईट वाक, अच्छा है, अच्छी सेहत बनाओ। हम तो चले… गुड नाईट।


श्रेया:- अच्छा है, वैसे कोई कॉल करने वाला है पर कुछ याद भी हो तो ना।


अपस्यु:- मैम अगर आपको बात करनी है तो कृपया अंदर आ जाइए, अन्यथा सुभ रात्रि क्योंकि अब मै इंतजार नहीं कर सकता।


श्रेया:- हीहीहीही.. घर में कोई नहीं ..


अपस्यु श्रेया को बीच में ही रोककर…. "तू तब से यहां खड़ा होकर क्या कर रहा है? तेरा काम हो गया ना?


गुफरान:- हां भाई।


एक नपा तुला थप्पड़ परा.. "सर से सीधा भाई। जब क्लोज होंगे तब ये इस्तमाल करना। चलो अब जाओ। और सुन पैसे कल सुबह कब वापस करोगे।"


गुफरान:- सर वो 10 बजे तक कर दूंगा।


अपस्यु:- ठीक है जाओ… हां मिस आप जारी रखिए..


श्रेया:- भूल गए ना मेरा काम?


अपस्यु:- कुछ नहीं भुला हूं सब याद है, मुझे फिलहाल आप की इजाज़त हो तो जाऊं, बहुत दिनों बाद मौका मिला है।


श्रेया, गेट से अंदर ताक-झांक करती…. "अकेले हो फिर भी इतनी हड़बड़ी मची है पीने की।"…


अपस्यु:- मै दिल्ली में थोड़े ना रहता था जो मेरे यहां कोई ज्यादा दोस्त होंगे..


श्रेया:- अच्छा पड़ोस में तुम्हारी एक दोस्त है और तुम ज्यादा कम की बात कर रहे हो।


अपस्यु श्रेया का हाथ पकड़कर खिंचते हुए अंदर किया और दरवाजा बंद करते हुए…. "तो सीधा अंदर आओ ना। अब एक सिम्पल सवाल.. क्या तुम्हे मेरे साथ बैठकर लेना है, या जाना है।"..


श्रेया:- पीकर यहां लुढ़क भी गई तो कोई फर्क नहीं पड़ना, मेरे यहां भी कोई नहीं है।


अपस्यु:- जे हुई ना बात, चलो फिर तुम आराम से बैठो आज खिदमत में हाज़िर है एटॉमिक शैम्पेन कॉकटेल …


श्रेया:- देखना कहीं एटम फटे ना, वरना यहां भूचाल सा मच जाएगा…


दोनो इधर-उधर की बातें करते हुए ड्रिंक का मज़ा लेने लगे। 1 ड्रिंक पीने के बाद श्रेया ने खुद कॉकटेल बनना शुरू की और अपस्यु को बढ़ाते जाने लगी। महज आधे घंटे में वो अपस्यु को 15 पेग पिला चुकी थी और खुद अभी तक दूसरे ड्रिंक को पकड़ी हुई थी।


अपस्यु "एक्सक्यूज मी" करते हुए उठा और लड़खड़ाते हुए किसी तरह बाथरूम तक पहुंचा। काम खत्म करके आने के बाद अपस्यु फिर बैठा। श्रेया ने फिर से ड्रिंक देना शुरू की। 3 पेग और पिलाने के बाद… "अपस्यु आज तक तुमने बताया नहीं की तुम कौन से आश्रम में पढ़े हो।"..


अपस्यु, श्रेया को गौर से देखते… "वो क्या है ना बेबी तुमने कभी पूछा ही नहीं। वैसे एक बात कहूं तुम बहुत हॉट दिखती हो। बिल्कुल रेड चिली"


श्रेया:- हीहीहीही… ये नया अवतार अपस्यु बाबू का। चलो अब पूछ लिया, बता दो..


अपस्यु:- अम्म्म ! ठीक है मै सब बताऊंगा लेकिन एक शर्त पर..


श्रेया:- कैसी शर्त..


अपस्यु:- हम एक-एक सवाल करके खेलेंगे.. एक तुम पूछो एक मै..


श्रेया:- और यदि मुझे किसी सवाल का जवाब नहीं देना हुआ था…


अपस्यु:- सिम्पल, मुझे आकर एक जबरदस्त किस्स दे देना वो भी लिप टू लिप वाला।


श्रेया:- ये क्या बकवास है? तुम होश में तो हो..


अपस्यु:- रॉक सॉलिड होश में हूं। कुछ लोगों को पचती नहीं, लेकिन मै अभी 20 पेग और ले सकता हूं। मेरी छोड़ो तुम तो होश में हो ना..


श्रेया:- हीहीहीही.. पागल हो तुम। हां मै भी होश में हूं। लेकिन ये तो चीटिंग होगी ना। मैं तो ईमानदारी से खेलूंगी, नहीं मन हुआ जवाब देने का तभी ना कहूंगी, लेकिन तुम्हारा क्या भरोसा.. कहीं जान बूझकर मुझे किस्स करने का मन हो और तुम ना कह दो तो।


अपस्यु:- ओय शुक्र करो वो मस्त वाला खेल नहीं खेला, जिसमें एक जवाब ना देने पर कपड़े उतारने कहते है। वैसे भी ऐसा कोई सवाल नही जिसका जवाब मै ना दे सकूं, गूगल भी करना पड़े तो भी जवाब दूंगा.. अब जो नहीं आता सो नहीं आता, उसमे कुछ नहीं किया जा सकता.. भरोसा हो तो खेलो नहीं तो कोई बात नहीं।


(पापा को मै कबसे इस प्लान पर काम करने कह रही थी, लेकिन वो वक़्त मांग रहे थे। कितना मुश्किल होता है बिना सीधा सवाल किए हुए जवाब निकालना ये बात थोड़े ना समझ में आएगी। ये लो देखो, दारू अंदर गई नहीं की सारे राज बाहर आने शुरू)


(अभी तो तुझे पिलाते-पिलाते 12.30 ही बजे है। तुम्हे तो आज पूरी रात जगाऊंगा जानेमन। पूछ ले सवाल तू,आज तो मेरा अतीत जान कर ही चली जाना लेकिन बातों के दौरान तुम जरा बचकर चलना जानेमन, कहीं मुंह से कुछ निकल गया तेरे, तो मेरा राज जानने के चक्कर में अपने राज मत खोल देना)
Fantastic update bhai ?
Apasyu vs Shreya question game jawab na dene par 1 kiss super ab dekhte hain ki Shreya ka kya raaz hai ya Apasyu ko kitna kiss milata hai ....mai to count karunga
 

Aakash.

ɪ'ᴍ ᴜꜱᴇᴅ ᴛᴏ ʙᴇ ꜱᴡᴇᴇᴛ ᴀꜱ ꜰᴜᴄᴋ, ɴᴏᴡ ɪᴛ'ꜱ ꜰᴜᴄᴋ & ꜰᴜᴄᴋ
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I considered Shreya a good girl, but she is very clever, secretly steals a sample of Ayurvedic medicine. Everything was Shreya's plan and I could not understand anything, even two drivers belonged to her. Everything was happening on the basis of a well thought out plan, apart from Apasyu no one had a clue about it and the front is very vicious and the whole team is involved, the work of any one man. :shocking:
Now it will be fun as Apasyu and his team are making traps, there are traps inside the trap, now Shreya, Kamini, Vikram will all be shocked. Ten days holiday in Goa, wow. Between them should be kuchi ku. :love:
Today's update made sense of everything. Now let's see what happens next, Till then waiting for the next part of the story.

Thank You...

???
 

CG

Sab Chutiyapa hai Bhaya
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Shreya ka baap koun hai ab ye dekhna padega

lovely update keep it up buddy

bathroom mein jaa kar Apasyu kuch medicine ya antidote le kar aaya hai shayad aur idhar falatu nautanki kar raha hai.
 

Nky

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Update:-106



आरव:- ऐसा नहीं लग रहा की जिंदगी थोड़ी बोरिंग सी हो गई है और जिंदगी एक रूम में पैक होकर रह गई है। कोई भी आहट हो तो डर सा माहौल पैदा हो जाता है।


ऐमी:- राइट … एग्जैक्टकली मेरा भी यही कहना था आज अपस्यु को..


अपस्यु:- समझ गया तुम दोनों क्या कहना चाह रहे हो। मुझे उम्मीद भी यही थी इसलिए तो तुम दोनो पर छोड़ा था कि क्या करना है। स्वास्तिका और पार्थ से अब हम कोई उम्मीद नहीं कर सकते.. उसे साइड लाइन में रखो। मां के आस पास इन दोनों के होने से हम थोड़े रिलैक्स होंगे.


आरव:- बोर मत कर.. जल्दी से राज खोल, ग्राउंड कैसे क्लियर करेंगे…


अपस्यु:- मै घुसकर पागल बनाता हूं श्रेया को.. ये साइडलाइन कहानी है, जो हमारे रेगुलर काम के साथ चलेगी। 10 दिन बाद जब तुम लौटोगे आरव, तब श्रेया की टीम पर बिजली गिरेगी… और उन्हें उलझाकर हम बीच उसी भी विक्रम को चौंकते हुए अंदर घुस जाएंगे….


तकरीबन 15 मिनट तक अपस्यु अपने योजना का पुरा विवरण सबको डेटा रहा। योजना काफी कारगर थी लेकिन इसी बीच ऐमी कहने लगी… "यह योजना है तो सही पर इसमें केवल श्रेया पर बिजली गिरेगी बस। हां विक्रम पर कहर बरसने वाला वाला है वो तो थी है लेकिन इस कामिनी और इसके टीम को सस्ते में क्यों छोड़ रहे। मै थोड़ा फर बदल करना चाहूंगी इसमें।".. ऐमी जब अपस्यु के योजना मै फर बदल कर बताने लगी, दोनो भाई के दिमाग की घंटी बज गई।


आरव:- ये सैतानी खोपड़ी अब चली है ना… पूरी डिटेल..


ऐमी लगभग 10 मिनट तक अपनी योजना को विस्तार रुप से बताई। अपस्यु और आरव के बीच बीच में सवाल आते रहे जिसके कुछ के जवाब तो ऐमी पहले से सोच चुकी थी लेकिन कुछ फसे मामले में आरव ने उसे पूरा करना का जिम्मा ले लिया। योजना पूर्णतः सामने आने के बाद तो जैसे दिमाग में पूरी कहानी ही सेट हो गई हो।


अपस्यु:- इतनी दूर की प्लैनिंग। तुमने तो श्रेया को पूरी तरह से लपेट लिया इसमें।


आरव:- योजना जटिल है, लेकिन इस एक प्लान से हम सबके आगे खड़े होंगे और सब हमारे पीछे। मैंने अपना माथा बहुत खपा लिया, अब तुम दोनो इस योजना की पूरी बारीकी को समझो। मै चला गोवा अपनी लावणी के साथ। वैसे देखा जाए तो तुम दोनो का भी हनीमून पीरियड ही माना जाएगा। कोई तो होगा नहीं, तो काम के साथ एन्जॉय करो।


अपस्यु:- काहे के मज़े .. यहां हरताल चल रहा है।


ऐमी खाली बॉटल उठाकर अपस्यु के हाथ पर मारती हुई…. "अति बेशर्मी तुममें घुस गई है। छोड़ो ये, कितने समय बाद हम सब साथ है, चलो कुछ तूफानी प्लान करते है।


अपस्यु:- नहीं मै सोने जा रहा हूं, तुम दोनो आराम से तूफानी बर्फानी सब करते रहो।


ऐमी आरव के ओर देखी और आरव चुपचाप वहां से निकल गया। जैसे ही अपस्यु कुछ दूर आगे बढ़ा होगा, छापक से उसके ऊपर पानी परा। वो गुस्से में पलटा और दोनो भाई कुछ देर तक उठापटक करने के बाद हंसते हुए खड़े हो गए।


तीनों अपने ये खूबसूरत से पल कैमरे में रिकॉर्ड कर रहे थे। कभी अनारकली और सलीम का कॉमिक रोले प्ले किया जा रहा था तो कभी टूटे दिल देवदास का। तीनों के बीच मस्ती का सिलसिला जारी रहा।



अगली सुबह…


नंदनी सुबह सुबह ही अपने समधियाना यानी कि मिश्रा हाउस में दस्तक दे चुकी थी। सुलेखा, अनुपमा और नंदनी तीनों वहीं हॉल में बैठकर बातें कर रही थी। बातों की शुरवात ही लावणी के गोवा जाने से हुई। यूं तो थोड़ी असमंजस जैसी स्तिथि बनी थी, लेकिन नंदनी को ना कहने की हिम्मत उन दोनों में तो नहीं हुई, इसलिए सुलेखा ने राजीव को कॉल लगाया।


राजीव को भी कुछ समझ में नहीं आया क्या कहे, और नंदनी को मना करने की हिम्मत वो भी नहीं जुटा पाया, इसलिए बात को उसने फिर सुलेखा पर ही फेक दिया। होना क्या था, 5 मिनट तक जब कोई फैसला दोनो नहीं ले पाई, तब नंदनी ही दोनो को सारी बातें समझते हुए… "उन्हें घूमने देने जाने चाहिए"… ऐसा अपना प्रस्ताव रखकर फैसला उन्हीं दोनो पर छोड़ दिया…


साची जो थोड़ी दूर बैठकर उनकी सारी बातें सुन रही थी… "छोटी छोटी ख्वाहिशें होती है। यहां मायका और ससुराल इतने नजदीक में है कि बेचारे दोनो पीस कर रह जाते हैं। क्यों इतना सोच रहे है, अब जाने भी दो ना। या दोनो साथ होंगे तो दिमाग की सुई एक ही जगह अटक गई है। ऐसा है तो वो कहीं भी ही सकता है। बाहर निकलो अपने जहनी पुराने ख्यालतों से और आंख खोलकर देखोगे तो पता चलेगा इनके अलावा भी दुनिया होती है।"..


सुलेखा:- दीदी मुझे तो लगता है ये अपना रास्ता साफ कर रही है लावणी के बहाने।


साची:- छोटी मां मुझे घूमने जाना हो कहीं ध्रुव के साथ और आप सब ऐस रोड़ा आटकाओगे तो मै कोर्ट मैरिज करके चली जाऊंगी, लेकिन जाऊंगी जरूर।


नंदनी:- अपस्यु से तेरी बात हुई थी क्या, क्योंकि वो भी ऐसा ही कुछ बोल रहा था।


आगे फिर ताना बाना शुरू हो गया। एक ओर तीनों ही औरतें छोटे से शहर में उस वक़्त की तात्कालिक स्तिथि को बताने लगी कि उनके ज़माने में क्या होता था और साची आज के परिवेश में लड़कियों को कैसा होना चाहिए उसपर बात कर रही थी।


सभी बैठकर बातें कर ही रही थी कि लावणी हॉल में सबको नमस्ते करती हुई बाहर जाने लगी… "कॉलेज जा रही है लावणी, 2 मिनट सुन तो".. नंदनी, लावणी को पीछे से टोकती हुई कहने लगी।


लावणी:- जी मां…


नंदनी:- जा बैग पैक कर ले, कुछ दिनों के लिए तेरी कॉलेज से छुट्टी।


लावणी ने जैसे ही यह बात सुनी उसे अपस्यु की बात याद आ गई… "दोनो को साथ वक़्त बिताना है उसके लिए जल्दी शादी करवाने क्यों कह रही हो। तुम दोनो को कहीं बाहर भेजने का इंतजाम मै करता हूं।".. अपस्यु की बातों का ख्याल आते ही लावणी अंदर से गुदगुदा गयी। लेकिन बाहर से अपने इमोशन संभालती… "कहीं फैमिली टूर है क्या मां"..


सुलेखा:- देखो तो बदमाश को। कल शाम अपस्यु के साथ गई थी, वहीं दोनो भाई बैठकर यें प्लान किए होंगे और नाटक तो देखो, जैसे कुछ जानती ही नहीं।


नंदनी, सुलेखा की बात पर चौंकती हुई…. "आप तो ऐसे बता रही है जैसे दोनो भाई को काफी करीब से जानती हो।"


नंदनी की बात सुनकर सब लोग सुलेखा को ही देखने लगे…. "बस लगा की कहीं दोनो (लावणी और आरव) बात करे तो हम मना नर दें, इसलिए अपस्यु से मिलकर अपना काम करवाया हो।


लावणी:- क्या मां आप भी। मेरा दोस्त मैक्स, 2 हफ्ते से गायब था और उसके मम्मी पापा की हालत मुझसे देखी नहीं गई इसलिए मै भईया से उसके विषय में बात करने के लिए गई थी।


सभी लोग सुनकर अफ़सोस करने लगे। चिंता जताते हुए फिर पूछने लगे… "क्या हुआ कोई खबर मिली कि नहीं।"


लावणी:- कमाल के है अपस्यु भईया, और ऐमी दीदी भी। हालांकि दोनो किसी जरूरी काम के बारे में बात कर रहे थे, शायद इंडिया गेट पर कोई प्रोग्राम था, लेकिन मेरी समस्या सुनने के बाद सारे काम कैंसल करके मैक्स को ढूंढने में लग गए। और मैक्स को ढूंढ निकाला। बेस्ट है दोनो।


अनुपमा:- और आरव..


लावणी:- वो भी बेस्ट है, लेकिन कल आरव नहीं थे ना। मैंने कॉल किया था, पर वो सब लोगों के साथ थे, तो मैंने सोचा वापस आएंगे तब बता दूंगी।


साची:- हां ठीक है, लेकिन अब जा पैकिंग कर ले..


लावणी अरमान को बिल्कुल काबू किए तेजी से अपने कमरे पहुंची और उत्साह से वूहू वुहू करके उछालने और नाचने लगी।…. "गोवा पहुंच पर भी नाच सकती है, अभी पैकिंग कर ले।"… दरवाजे पर खड़ी साची कहने लगी और बाकी सभी औरतें पीछे खड़ी होकर लावणी का उत्साह देख रही थी। हर किसी को महसूस हो रहा था कि क्यों थोड़ी सी आज़ादी इन्हे भी देनी चाहिए।


लेकिन बेचारी लावणी, दरवाजे पर सबको खड़े देख कर शर्म से पानी-पानी हो गई। वो फाटक से दरवाजा बंद करके बस लज्जाए जा रही थी। आलम ये था कि पैकिंग के बाद तभी बाहर आयी जब आरव उसे लेने आया। आंखों पर काला चश्मा चढ़ा रखी थी, ताकि किसी से नजर ना मिले और आरव के पीछे वो छिप-छिप कर चल रही थी।


रात के लगभग 11.30 बज रहे होगे, सभी लोग उड़ान भर चुके थे और अपस्यु हॉल में बैठा गाना सुनते एक अंदाजन श्रेया के आने का इंतजार कर रहा था। इसी बीच घर कि घंटी बजी और दरवाजे पर गुफरान था।… "क्या काम है गुफरान।"..


गुफरान:- सर वो कुछ पैसे चाहिए थे।


अपस्यु:- कुछ पैसे मतलब कितने..


गुफरान:- सर वो 2000 रुपए चाहिए थे।


अपस्यु:- तुम रात में मुझसे पैसे मांगने आए हो।


गुफरान:- सर वो जरूरत तो रात की है, सुबह मै आपके पैसे लौटा दूंगा।


अपस्यु:- हम्मम ! ठीक है सुन तू मेरे लिए कॉकटेल का पूरा सामान ले आना, एटॉमिक शैम्पेन कॉकटेल..


अपस्यु ने उसे उसके 2000 रुपए दिए और बाकी अपने सामान के 20k थमा दिया। तकरीबन 5 मिनट बाद गुफरान का फोन आया और वो दुकानदार को फोन दे दिया। उस दुकानदार ने कुछ सवाल किए और सारा सामान पैक करके दे दिया।


गुफरान आकर अपस्यु को सारा समान दिया और बचे हुए पैसे वापस करके वहां से जा ही रहा था कि… "अच्छा सुनो, मां से ये सब मत बताना".. "ओह हो तो आंटी से छिपकर कांड किया जा रहा है।"..


अपस्यु:- नाईट वाक, अच्छा है, अच्छी सेहत बनाओ। हम तो चले… गुड नाईट।


श्रेया:- अच्छा है, वैसे कोई कॉल करने वाला है पर कुछ याद भी हो तो ना।


अपस्यु:- मैम अगर आपको बात करनी है तो कृपया अंदर आ जाइए, अन्यथा सुभ रात्रि क्योंकि अब मै इंतजार नहीं कर सकता।


श्रेया:- हीहीहीही.. घर में कोई नहीं ..


अपस्यु श्रेया को बीच में ही रोककर…. "तू तब से यहां खड़ा होकर क्या कर रहा है? तेरा काम हो गया ना?


गुफरान:- हां भाई।


एक नपा तुला थप्पड़ परा.. "सर से सीधा भाई। जब क्लोज होंगे तब ये इस्तमाल करना। चलो अब जाओ। और सुन पैसे कल सुबह कब वापस करोगे।"


गुफरान:- सर वो 10 बजे तक कर दूंगा।


अपस्यु:- ठीक है जाओ… हां मिस आप जारी रखिए..


श्रेया:- भूल गए ना मेरा काम?


अपस्यु:- कुछ नहीं भुला हूं सब याद है, मुझे फिलहाल आप की इजाज़त हो तो जाऊं, बहुत दिनों बाद मौका मिला है।


श्रेया, गेट से अंदर ताक-झांक करती…. "अकेले हो फिर भी इतनी हड़बड़ी मची है पीने की।"…


अपस्यु:- मै दिल्ली में थोड़े ना रहता था जो मेरे यहां कोई ज्यादा दोस्त होंगे..


श्रेया:- अच्छा पड़ोस में तुम्हारी एक दोस्त है और तुम ज्यादा कम की बात कर रहे हो।


अपस्यु श्रेया का हाथ पकड़कर खिंचते हुए अंदर किया और दरवाजा बंद करते हुए…. "तो सीधा अंदर आओ ना। अब एक सिम्पल सवाल.. क्या तुम्हे मेरे साथ बैठकर लेना है, या जाना है।"..


श्रेया:- पीकर यहां लुढ़क भी गई तो कोई फर्क नहीं पड़ना, मेरे यहां भी कोई नहीं है।


अपस्यु:- जे हुई ना बात, चलो फिर तुम आराम से बैठो आज खिदमत में हाज़िर है एटॉमिक शैम्पेन कॉकटेल …


श्रेया:- देखना कहीं एटम फटे ना, वरना यहां भूचाल सा मच जाएगा…


दोनो इधर-उधर की बातें करते हुए ड्रिंक का मज़ा लेने लगे। 1 ड्रिंक पीने के बाद श्रेया ने खुद कॉकटेल बनना शुरू की और अपस्यु को बढ़ाते जाने लगी। महज आधे घंटे में वो अपस्यु को 15 पेग पिला चुकी थी और खुद अभी तक दूसरे ड्रिंक को पकड़ी हुई थी।


अपस्यु "एक्सक्यूज मी" करते हुए उठा और लड़खड़ाते हुए किसी तरह बाथरूम तक पहुंचा। काम खत्म करके आने के बाद अपस्यु फिर बैठा। श्रेया ने फिर से ड्रिंक देना शुरू की। 3 पेग और पिलाने के बाद… "अपस्यु आज तक तुमने बताया नहीं की तुम कौन से आश्रम में पढ़े हो।"..


अपस्यु, श्रेया को गौर से देखते… "वो क्या है ना बेबी तुमने कभी पूछा ही नहीं। वैसे एक बात कहूं तुम बहुत हॉट दिखती हो। बिल्कुल रेड चिली"


श्रेया:- हीहीहीही… ये नया अवतार अपस्यु बाबू का। चलो अब पूछ लिया, बता दो..


अपस्यु:- अम्म्म ! ठीक है मै सब बताऊंगा लेकिन एक शर्त पर..


श्रेया:- कैसी शर्त..


अपस्यु:- हम एक-एक सवाल करके खेलेंगे.. एक तुम पूछो एक मै..


श्रेया:- और यदि मुझे किसी सवाल का जवाब नहीं देना हुआ था…


अपस्यु:- सिम्पल, मुझे आकर एक जबरदस्त किस्स दे देना वो भी लिप टू लिप वाला।


श्रेया:- ये क्या बकवास है? तुम होश में तो हो..


अपस्यु:- रॉक सॉलिड होश में हूं। कुछ लोगों को पचती नहीं, लेकिन मै अभी 20 पेग और ले सकता हूं। मेरी छोड़ो तुम तो होश में हो ना..


श्रेया:- हीहीहीही.. पागल हो तुम। हां मै भी होश में हूं। लेकिन ये तो चीटिंग होगी ना। मैं तो ईमानदारी से खेलूंगी, नहीं मन हुआ जवाब देने का तभी ना कहूंगी, लेकिन तुम्हारा क्या भरोसा.. कहीं जान बूझकर मुझे किस्स करने का मन हो और तुम ना कह दो तो।


अपस्यु:- ओय शुक्र करो वो मस्त वाला खेल नहीं खेला, जिसमें एक जवाब ना देने पर कपड़े उतारने कहते है। वैसे भी ऐसा कोई सवाल नही जिसका जवाब मै ना दे सकूं, गूगल भी करना पड़े तो भी जवाब दूंगा.. अब जो नहीं आता सो नहीं आता, उसमे कुछ नहीं किया जा सकता.. भरोसा हो तो खेलो नहीं तो कोई बात नहीं।


(पापा को मै कबसे इस प्लान पर काम करने कह रही थी, लेकिन वो वक़्त मांग रहे थे। कितना मुश्किल होता है बिना सीधा सवाल किए हुए जवाब निकालना ये बात थोड़े ना समझ में आएगी। ये लो देखो, दारू अंदर गई नहीं की सारे राज बाहर आने शुरू)


(अभी तो तुझे पिलाते-पिलाते 12.30 ही बजे है। तुम्हे तो आज पूरी रात जगाऊंगा जानेमन। पूछ ले सवाल तू,आज तो मेरा अतीत जान कर ही चली जाना लेकिन बातों के दौरान तुम जरा बचकर चलना जानेमन, कहीं मुंह से कुछ निकल गया तेरे, तो मेरा राज जानने के चक्कर में अपने राज मत खोल देना)
Ab dekhte h kon kiske chhakar me phas jata h Apasyu ya shreya
 
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