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आरव:- ऐसा नहीं लग रहा की जिंदगी थोड़ी बोरिंग सी हो गई है और जिंदगी एक रूम में पैक होकर रह गई है। कोई भी आहट हो तो डर सा माहौल पैदा हो जाता है।
ऐमी:- राइट … एग्जैक्टकली मेरा भी यही कहना था आज अपस्यु को..
अपस्यु:- समझ गया तुम दोनों क्या कहना चाह रहे हो। मुझे उम्मीद भी यही थी इसलिए तो तुम दोनो पर छोड़ा था कि क्या करना है। स्वास्तिका और पार्थ से अब हम कोई उम्मीद नहीं कर सकते.. उसे साइड लाइन में रखो। मां के आस पास इन दोनों के होने से हम थोड़े रिलैक्स होंगे.
आरव:- बोर मत कर.. जल्दी से राज खोल, ग्राउंड कैसे क्लियर करेंगे…
अपस्यु:- मै घुसकर पागल बनाता हूं श्रेया को.. ये साइडलाइन कहानी है, जो हमारे रेगुलर काम के साथ चलेगी। 10 दिन बाद जब तुम लौटोगे आरव, तब श्रेया की टीम पर बिजली गिरेगी… और उन्हें उलझाकर हम बीच उसी भी विक्रम को चौंकते हुए अंदर घुस जाएंगे….
तकरीबन 15 मिनट तक अपस्यु अपने योजना का पुरा विवरण सबको डेटा रहा। योजना काफी कारगर थी लेकिन इसी बीच ऐमी कहने लगी… "यह योजना है तो सही पर इसमें केवल श्रेया पर बिजली गिरेगी बस। हां विक्रम पर कहर बरसने वाला वाला है वो तो थी है लेकिन इस कामिनी और इसके टीम को सस्ते में क्यों छोड़ रहे। मै थोड़ा फर बदल करना चाहूंगी इसमें।".. ऐमी जब अपस्यु के योजना मै फर बदल कर बताने लगी, दोनो भाई के दिमाग की घंटी बज गई।
आरव:- ये सैतानी खोपड़ी अब चली है ना… पूरी डिटेल..
ऐमी लगभग 10 मिनट तक अपनी योजना को विस्तार रुप से बताई। अपस्यु और आरव के बीच बीच में सवाल आते रहे जिसके कुछ के जवाब तो ऐमी पहले से सोच चुकी थी लेकिन कुछ फसे मामले में आरव ने उसे पूरा करना का जिम्मा ले लिया। योजना पूर्णतः सामने आने के बाद तो जैसे दिमाग में पूरी कहानी ही सेट हो गई हो।
अपस्यु:- इतनी दूर की प्लैनिंग। तुमने तो श्रेया को पूरी तरह से लपेट लिया  इसमें।
आरव:- योजना जटिल है, लेकिन इस एक प्लान से हम सबके आगे खड़े होंगे और सब हमारे पीछे। मैंने अपना माथा बहुत खपा लिया, अब तुम दोनो इस योजना की पूरी बारीकी को समझो। मै चला गोवा अपनी लावणी के साथ। वैसे देखा जाए तो तुम दोनो का भी  हनीमून पीरियड ही माना जाएगा। कोई तो होगा नहीं, तो काम के साथ एन्जॉय करो।
अपस्यु:- काहे के मज़े .. यहां हरताल चल रहा है।
ऐमी खाली बॉटल उठाकर अपस्यु के हाथ पर मारती हुई…. "अति बेशर्मी तुममें घुस गई है। छोड़ो ये, कितने समय बाद हम सब साथ है, चलो कुछ तूफानी प्लान करते है।
अपस्यु:- नहीं मै सोने जा रहा हूं, तुम दोनो आराम से तूफानी बर्फानी सब करते रहो।
ऐमी आरव के ओर देखी और आरव चुपचाप वहां से निकल गया। जैसे ही अपस्यु कुछ दूर आगे बढ़ा होगा, छापक से उसके ऊपर पानी परा। वो गुस्से में पलटा और दोनो भाई कुछ देर तक उठापटक करने के बाद हंसते हुए खड़े हो गए।
तीनों अपने ये खूबसूरत से पल कैमरे में रिकॉर्ड कर रहे थे। कभी अनारकली और सलीम का कॉमिक रोले प्ले किया जा रहा था तो कभी टूटे दिल देवदास का। तीनों के बीच मस्ती का सिलसिला जारी रहा।
अगली सुबह…
नंदनी सुबह सुबह ही अपने समधियाना यानी कि मिश्रा हाउस में दस्तक दे चुकी थी। सुलेखा, अनुपमा और नंदनी तीनों वहीं हॉल में बैठकर बातें कर रही थी। बातों की शुरवात ही लावणी के गोवा जाने से हुई। यूं तो थोड़ी असमंजस जैसी स्तिथि बनी थी, लेकिन नंदनी को ना कहने की हिम्मत उन दोनों में तो नहीं हुई, इसलिए सुलेखा ने राजीव को कॉल लगाया।
राजीव को भी कुछ समझ में नहीं आया क्या कहे, और नंदनी को मना करने की हिम्मत वो भी नहीं जुटा पाया, इसलिए बात को उसने फिर सुलेखा पर ही फेक दिया। होना क्या था, 5 मिनट तक जब कोई फैसला दोनो नहीं ले पाई, तब नंदनी ही दोनो को सारी बातें समझते हुए…  "उन्हें घूमने देने जाने चाहिए"…  ऐसा अपना प्रस्ताव रखकर फैसला उन्हीं दोनो पर छोड़ दिया…
साची जो थोड़ी दूर बैठकर उनकी सारी बातें सुन रही थी… "छोटी छोटी ख्वाहिशें होती है। यहां मायका और ससुराल इतने नजदीक में है कि बेचारे दोनो पीस कर रह जाते हैं। क्यों इतना सोच रहे है, अब जाने भी दो ना। या दोनो साथ होंगे तो दिमाग की सुई एक ही जगह अटक गई है। ऐसा है तो वो कहीं भी ही सकता है। बाहर निकलो अपने जहनी पुराने ख्यालतों से और आंख खोलकर देखोगे तो पता चलेगा इनके अलावा भी दुनिया होती है।"..
सुलेखा:- दीदी मुझे तो लगता है ये अपना रास्ता साफ कर रही है लावणी के बहाने।
साची:- छोटी मां मुझे घूमने जाना हो कहीं ध्रुव के साथ और आप सब ऐस रोड़ा आटकाओगे तो मै कोर्ट मैरिज करके चली जाऊंगी, लेकिन जाऊंगी जरूर।
नंदनी:- अपस्यु से तेरी बात हुई थी क्या, क्योंकि वो भी ऐसा ही कुछ बोल रहा था।
आगे फिर ताना बाना शुरू हो गया। एक ओर तीनों ही औरतें छोटे से शहर में उस वक़्त की तात्कालिक स्तिथि को बताने लगी कि उनके ज़माने में क्या होता था और साची आज के परिवेश में लड़कियों को कैसा होना चाहिए उसपर बात कर रही थी।
सभी बैठकर बातें कर ही रही थी कि लावणी हॉल में सबको नमस्ते करती हुई बाहर जाने लगी… "कॉलेज जा रही है लावणी, 2 मिनट सुन तो".. नंदनी, लावणी को पीछे से टोकती हुई कहने लगी।
लावणी:- जी मां…
नंदनी:- जा बैग पैक कर ले, कुछ दिनों के लिए तेरी कॉलेज से छुट्टी।
लावणी ने जैसे ही यह बात सुनी उसे अपस्यु की बात याद आ गई… "दोनो को साथ वक़्त बिताना है उसके लिए जल्दी शादी करवाने क्यों कह रही हो। तुम दोनो  को कहीं बाहर भेजने का इंतजाम मै करता हूं।".. अपस्यु की बातों का ख्याल आते ही लावणी अंदर से गुदगुदा गयी। लेकिन बाहर से अपने इमोशन संभालती… "कहीं फैमिली टूर है क्या मां"..
सुलेखा:- देखो तो बदमाश को। कल शाम अपस्यु के साथ गई थी, वहीं दोनो भाई बैठकर यें प्लान किए होंगे और नाटक तो देखो, जैसे कुछ जानती ही नहीं।
नंदनी, सुलेखा की बात पर चौंकती हुई…. "आप तो ऐसे बता रही है जैसे दोनो भाई को काफी करीब से जानती हो।"
नंदनी की बात सुनकर सब लोग सुलेखा को ही देखने लगे…. "बस लगा की कहीं दोनो (लावणी और आरव) बात करे तो हम मना नर दें, इसलिए अपस्यु से मिलकर अपना काम करवाया हो।
लावणी:- क्या मां आप भी। मेरा दोस्त मैक्स, 2 हफ्ते से गायब था और उसके मम्मी पापा की हालत मुझसे देखी नहीं गई इसलिए मै भईया से उसके विषय में बात करने के लिए गई थी।
सभी लोग सुनकर अफ़सोस करने लगे। चिंता जताते हुए फिर पूछने लगे… "क्या हुआ कोई खबर मिली कि नहीं।"
लावणी:- कमाल के है अपस्यु भईया, और ऐमी दीदी भी। हालांकि दोनो किसी जरूरी काम के बारे में बात कर रहे थे, शायद इंडिया गेट पर कोई प्रोग्राम था, लेकिन मेरी समस्या सुनने के बाद सारे काम कैंसल करके मैक्स को ढूंढने में लग गए। और मैक्स को ढूंढ निकाला। बेस्ट है दोनो।
अनुपमा:- और आरव..
लावणी:- वो भी बेस्ट है, लेकिन कल आरव नहीं थे ना। मैंने कॉल किया था, पर वो सब लोगों के साथ थे, तो मैंने सोचा वापस आएंगे तब बता दूंगी।
साची:- हां ठीक है, लेकिन अब जा पैकिंग कर ले..
लावणी अरमान को बिल्कुल काबू किए तेजी से अपने कमरे पहुंची और उत्साह से वूहू वुहू करके उछालने और नाचने लगी।…. "गोवा पहुंच पर भी नाच सकती है, अभी पैकिंग कर ले।"… दरवाजे पर खड़ी साची कहने लगी और बाकी सभी औरतें पीछे खड़ी होकर लावणी का उत्साह देख रही थी। हर किसी को महसूस हो रहा था कि क्यों थोड़ी सी आज़ादी इन्हे भी देनी चाहिए।
लेकिन बेचारी लावणी, दरवाजे पर सबको खड़े देख कर शर्म से पानी-पानी हो गई। वो फाटक से दरवाजा बंद करके बस लज्जाए जा रही थी। आलम ये था कि पैकिंग के बाद तभी बाहर आयी जब आरव उसे लेने आया। आंखों पर काला चश्मा चढ़ा रखी थी, ताकि किसी से नजर ना मिले और आरव के पीछे वो छिप-छिप कर चल रही थी।
रात के लगभग 11.30 बज रहे होगे, सभी लोग उड़ान भर चुके थे और अपस्यु हॉल में बैठा गाना सुनते एक अंदाजन श्रेया के आने का इंतजार कर रहा था। इसी बीच घर कि घंटी बजी और दरवाजे पर गुफरान था।… "क्या काम है गुफरान।"..
गुफरान:- सर वो कुछ पैसे चाहिए थे।
अपस्यु:- कुछ पैसे मतलब कितने..
गुफरान:- सर वो 2000 रुपए चाहिए थे।
अपस्यु:- तुम रात में मुझसे पैसे मांगने आए हो।
गुफरान:- सर वो जरूरत तो रात की है, सुबह मै आपके पैसे लौटा दूंगा।
अपस्यु:- हम्मम ! ठीक है सुन तू मेरे लिए कॉकटेल का पूरा सामान ले आना, एटॉमिक शैम्पेन कॉकटेल..
अपस्यु ने उसे उसके 2000 रुपए दिए और बाकी अपने सामान के 20k थमा दिया। तकरीबन 5 मिनट बाद गुफरान का फोन आया और वो दुकानदार को फोन दे दिया। उस दुकानदार ने कुछ सवाल किए और सारा सामान पैक करके दे दिया।
गुफरान आकर अपस्यु को सारा समान दिया और बचे हुए पैसे वापस करके वहां से जा ही रहा था कि… "अच्छा सुनो, मां से ये सब मत बताना"..  "ओह हो तो आंटी से छिपकर कांड किया जा रहा है।"..
अपस्यु:- नाईट वाक, अच्छा है, अच्छी सेहत बनाओ। हम तो चले… गुड नाईट।
श्रेया:- अच्छा है, वैसे कोई कॉल करने वाला है पर  कुछ याद भी हो तो ना।
अपस्यु:- मैम अगर आपको बात करनी है तो कृपया अंदर आ जाइए, अन्यथा सुभ रात्रि क्योंकि अब मै इंतजार नहीं कर सकता।
श्रेया:- हीहीहीही.. घर में कोई नहीं ..
अपस्यु श्रेया को बीच में ही रोककर…. "तू तब से यहां खड़ा होकर क्या कर रहा है? तेरा काम हो गया ना?
गुफरान:- हां भाई।
एक नपा तुला थप्पड़ परा.. "सर से सीधा भाई। जब क्लोज होंगे तब ये इस्तमाल करना। चलो अब जाओ। और सुन पैसे कल सुबह कब वापस करोगे।"
गुफरान:- सर वो 10 बजे तक कर दूंगा।
अपस्यु:- ठीक है जाओ… हां मिस आप जारी रखिए..
श्रेया:- भूल गए ना मेरा काम?
अपस्यु:- कुछ नहीं भुला हूं सब याद है, मुझे फिलहाल आप की इजाज़त हो तो जाऊं, बहुत दिनों बाद मौका मिला है।
श्रेया, गेट से अंदर ताक-झांक करती…. "अकेले हो फिर भी इतनी हड़बड़ी मची है पीने की।"…
अपस्यु:- मै दिल्ली में थोड़े ना रहता था जो मेरे यहां कोई ज्यादा दोस्त होंगे..
श्रेया:- अच्छा पड़ोस में तुम्हारी एक दोस्त है और तुम ज्यादा कम की बात कर रहे हो।
अपस्यु श्रेया का हाथ पकड़कर खिंचते हुए अंदर किया और दरवाजा बंद करते हुए…. "तो सीधा अंदर आओ ना। अब एक सिम्पल सवाल.. क्या तुम्हे मेरे साथ बैठकर लेना है, या जाना है।"..
श्रेया:- पीकर यहां लुढ़क भी गई तो कोई फर्क नहीं पड़ना, मेरे यहां भी कोई नहीं है।
अपस्यु:- जे हुई ना बात, चलो फिर तुम आराम से बैठो आज खिदमत में हाज़िर है एटॉमिक शैम्पेन कॉकटेल …
श्रेया:- देखना कहीं एटम फटे ना, वरना यहां भूचाल सा मच जाएगा…
दोनो इधर-उधर की बातें करते हुए ड्रिंक का मज़ा लेने लगे। 1 ड्रिंक पीने के बाद श्रेया ने खुद कॉकटेल बनना शुरू की और अपस्यु को बढ़ाते जाने लगी। महज आधे घंटे में वो अपस्यु को 15 पेग पिला चुकी थी और खुद अभी तक दूसरे ड्रिंक को पकड़ी हुई थी।
अपस्यु "एक्सक्यूज मी" करते हुए उठा और लड़खड़ाते हुए किसी तरह बाथरूम तक पहुंचा। काम खत्म करके आने के बाद अपस्यु फिर बैठा। श्रेया ने फिर से ड्रिंक देना शुरू की। 3 पेग और पिलाने के बाद… "अपस्यु आज तक तुमने बताया नहीं की तुम कौन से आश्रम में पढ़े हो।"..
अपस्यु, श्रेया को गौर से देखते… "वो क्या है ना बेबी तुमने कभी पूछा ही नहीं। वैसे एक बात कहूं तुम बहुत हॉट दिखती हो। बिल्कुल रेड चिली"
श्रेया:- हीहीहीही… ये नया अवतार अपस्यु बाबू का। चलो अब पूछ लिया, बता दो..
अपस्यु:- अम्म्म ! ठीक है मै सब बताऊंगा लेकिन एक शर्त पर..
श्रेया:- कैसी शर्त..
अपस्यु:- हम एक-एक सवाल करके खेलेंगे.. एक तुम पूछो एक मै..
श्रेया:- और यदि मुझे किसी सवाल का जवाब नहीं देना हुआ था…
अपस्यु:- सिम्पल, मुझे आकर एक जबरदस्त किस्स दे देना वो भी लिप टू लिप वाला।
श्रेया:- ये क्या बकवास है? तुम होश में तो हो..
अपस्यु:- रॉक सॉलिड होश में हूं। कुछ लोगों को पचती नहीं, लेकिन मै अभी 20 पेग और ले सकता हूं। मेरी छोड़ो तुम तो होश में हो ना..
श्रेया:- हीहीहीही.. पागल हो तुम। हां मै भी होश में हूं। लेकिन ये तो चीटिंग होगी ना। मैं तो ईमानदारी से खेलूंगी, नहीं मन हुआ जवाब देने का तभी ना कहूंगी, लेकिन तुम्हारा क्या भरोसा.. कहीं जान बूझकर मुझे किस्स करने का मन हो और तुम ना कह दो तो।
अपस्यु:- ओय शुक्र करो वो मस्त वाला खेल नहीं खेला, जिसमें एक जवाब ना देने पर कपड़े उतारने कहते है। वैसे भी ऐसा कोई सवाल नही जिसका जवाब मै ना दे सकूं, गूगल भी करना पड़े तो भी जवाब दूंगा.. अब जो नहीं आता सो नहीं आता, उसमे कुछ नहीं किया जा सकता.. भरोसा हो तो खेलो नहीं तो कोई बात नहीं।
(पापा को मै कबसे इस प्लान पर काम करने कह रही थी, लेकिन वो वक़्त मांग रहे थे। कितना मुश्किल होता है बिना सीधा सवाल किए हुए जवाब निकालना ये बात थोड़े ना समझ में आएगी। ये लो देखो, दारू अंदर गई नहीं की सारे राज बाहर आने शुरू)
(अभी तो तुझे पिलाते-पिलाते 12.30 ही बजे है। तुम्हे तो आज पूरी रात जगाऊंगा जानेमन। पूछ ले सवाल तू,आज तो मेरा अतीत जान कर ही चली जाना लेकिन बातों के दौरान तुम जरा बचकर चलना जानेमन,  कहीं मुंह से कुछ निकल गया तेरे, तो मेरा राज जानने के चक्कर में अपने राज मत खोल देना)