• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica बेटी के यार के लंड से चुदाई की लालसा

Bholaram

Divine
Banned
330
770
109
दोस्तो, मेरा नाम सबीना है. मेरा फिगर 34-28-36 की साइज का है. हाइट 5 फ़ीट 6 इंच है. मेरे जिस्म की कसावट एकदम टॉप क्लास रंडी की जैसी है और मैं एकदम दूध सी गोरी हूँ. कम उम्र में शादी होने की वजह से मेरी उम्र अभी कम है.
मेरी तीन बेटियां हैं. सबसे बड़ी वाली अभी 21 साल की हुई है, जिसका नाम रुबिका है और वो भी एकदम मेरे जैसे दूध सी गोरी और कसे हुए बदन की मालकिन है.
उसके शरीर का आकार अभी से ही मेरे आकार जितना ही हो गया है. उसकी चुचियां और गांड भी मेरी तरह एकदम कसी हुई हैं.

कमाल की बात ये है कि उसकी चूत अभी तक कुंवारी है. बाकी मेरी दो बेटियां अभी छोटी हैं. उनके नाम सबा और सना हैं. तीनों बेटियों में एक एक साल का ही फर्क है.

छोटी उम्र में शादी होने की वजह मेरी बेटियां भी जल्दी पैदा हो गयी थीं और वैसे भी हम लोग शादी के तुरंत बाद औलादें पैदा करना शुरू कर देते हैं. इसलिए मेरी तीन औलादें एक के बाद एक पैदा होती चली गईं.

मेरी बेटी और मेरी फिगर एक जैसी होने के कारण अभी भी जब हम दोनों साथ बाहर निकलते हैं, तो हम दोनों बहनें ही लगते हैं.

मेरे शौहर की कपड़ों की दुकान है. मुझसे ज़्यादा समय वो अपनी दुकान पर देते हैं.

शौहर ने अब तक जितनी बार मेरी चुदाई की, सिर्फ बच्चे पैदा करने के लिए ही की मतलब उन्होंने हर बार मेरी चुत में ही अपने लंड का रस टपकाया है.
आज तक कभी मैं मेरी चुदाई से संतुष्ट नहीं हो सकी थी और ना ही वो मुझे संतुष्ट कर पाते हैं.

अब चूंकि उनकी उम्र मुझसे ज़्यादा है, तो उनका लंड ज्यादा लम्बी देर तक नहीं टिकता है. वो 48 साल के हो गए है और उनका लंड बड़ी मुश्किल से खड़ा हो पाता है.
इस वजह से उनसे चुदाई से मेरी चुत शांत ही नहीं हो पाती थी और मेरी गर्मी निकल ही नहीं पाती थी.

मेरी दोनों छोटी बेटियां स्कूल की अंतिम क्लास में हैं और बड़ी वाली कॉलेज चली आती है. सभी के घर से चले जाने के कारण मैं घर में अकेली रह जाती हूँ.

उस समय अकेले में मैं अपने मोबाइल में एडल्ट्स पिक्चर्स देखती रहती हूँ और Xforum की गर्म सेक्स कहानियां पढ़ कर अपनी चूत में उंगली करके अपने आपको ठंडा कर लेती हूँ.

लेकिन मुझे अब कोई ऐसा मर्द चाहिए था, जो मेरी चूत चोद कर उसका भुर्ता बना दे. मेरी गांड में भी खुजली होती है.
मेरी गांड अभी तक सील पैक थी, मेरे मन में आता था कि कोई मर्द उसको भी अपने फौलादी लंड से फाड़ दे और मेरे दोनों छेद चालू कर दे.

मुझे अपनी चूत चुसवाना, चूचियां दबवाना, निप्पलों को दांतों से कटवाना और कठोरतम चुदाई करवाना बहुत पसंद है.

खासकर मैं कम उम्र के नए नए जवान हुए लड़के से मेरी चुदाई करवाना चाहती हूं. उनके साथ सेक्स करने में मुझे कुछ अलग ही मजा मिलने की उम्मीद थी.

मगर ये सब किस तरह से हो सकता था. मैं बस ये ही सोच सोच कर अपनी चुत में उंगली करती रहती थी. इसी तरह मेरा जीवन साधारण तरीके से चलता रहा.

लेकिन अब जिस तरह मेरी बेटी जवान होते ही एकदम खिल गयी थी, उससे मुझे लगने लगा था कि अब तो इसके चुदने के दिन आ गए हैं. मुझे अपनी चुत चुदवाने की जगह उसके लिए लंड की तलाश करनी चाहिए.

एक हमारे दूर के जानने वाले थे, जिनका बेटा बचपन से हमारे यहां आता था और मेरी बेटियों के साथ खेलता था. जब उसने भी 18 साल पार कर लिए तो वो एकदम से बदल गया.
वो भी एकदम गोरा और अच्छी कद-काठी का लड़का था. जवान होते ही वो भी एकदम निखर आया था.

उस लड़के का नाम शहज़ाद था. वो हमारा दूर का रिश्तेदार था, तो मैंने उसके लिए कभी कुछ गलत नहीं सोचा था.

एक दिन जब शहजाद शाम को घर आया, तो मेरी बड़ी बेटी रुबिका से बात करने लगा. उन दोनों की खूब बनती थी.

उस दिन शाम को शहज़ाद मेरी बेटी से साथ कमरे में था और मैं खाना बना रही थी. अभी तक मेरे शौहर घर नहीं आए थे.

खाना बनाने के बाद मैं दूसरे कमरे में जा रही थी कि तभी अचानक से मेरी उस कमरे में नज़र पड़ी, जहां मेरी बेटी और शहज़ाद थे. कमरे का दरवाज़ा आधे से ज्यादा भिड़ा था, वो हल्का सा खुला था. मैंने देखा मेरी बेटी शहज़ाद के ऊपर लेटी थी और शहज़ाद उसकी कमर से हाथ लगा कर उसे पकड़े था. वो दोनों मोबाइल में कुछ देख रहे थे.

मैं सीन देख कर वहां से हट गई और किचन में आ गयी. मुझे मन में उन दोनों के लिए संदेह हो गया.
वो दोनों भले ही पहचान के थे, लेकिन दोनों ही अभी अभी जवानी की दहलीज पर पहुंचे थे, तो शायद उन दोनों में कुछ गड़बड़ हो सकता था.

यही सब सोचते हुए कुछ देर बीत गई. तब तक मेरे शौहर घर आ गए और शहज़ाद के घर से भी फ़ोन आ गया. वो भी कमरे से बाहर आकर जाने लगा.

मैंने उसको खाने के लिए रोका लेकिन वो रुका नहीं, चला गया.

अब उस दिन के बाद से मैं उन दोनों पर नज़र रखने लगी और कुछ ही दिनों मैं मैंने पाया कि वो दोनों रिश्तेदार नहीं बल्कि अब दोनों एक दूसरे के साथ गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के जैसे थे.
लेकिन अभी मेरा उन दोनों को कुछ कहना ठीक नहीं था, इसी लिए मैं शांत रही और उन पर नज़रें बनाए रखीं.

मुझे शुरूआत में ये लग रहा था कि मेरी बेटी बहुत भोली है. कहीं शहजाद उसको बहला फुसला कर उसके साथ कुछ उल्टा सीधा न कर दे, जिससे मेरी बेटी की जिंदगी और हमारे घर की इज्जत मिट्टी में मिल जाए.

कुछ दिन गुज़रने के बाद एक दिन रात को मुझे मेरी बेटी रुबिका का मोबाइल मिल गया.
जब मैंने मोबाइल को देखा तो मेरा माथा ही घूम गया क्योंकि उसने इन दोनों की चैट हद से बहुत आगे की बातचीत थी.

उन दोनों में सेक्स तक की बातें होती थीं. इस चैट से समझ आ रहा था कि सेक्स चैट में वो लड़का नहीं बल्कि मेरी बेटी उसके पीछे लगी थी.

मैंने पूरी चैट को शुरूआत से पढ़ना शुरू किया. मैसेज पढ़ने पर पाया कि पहले मेरी बेटी ने ही शहज़ाद से बात शुरू किया था और उससे खुद से अपने प्यार का इज़हार किया था.
अब वो उससे उसके साथ सेक्स के लिए रोज़ बोलती थी.

चैट में मेरी बेटी ने आगे शहजाद से ये भी लिखा था कि मुझे कल तुम्हारा लंड चूसना है, चाहे जो हो जाए.
इस पर शहज़ाद ने लिखा था कि कैसे चूस पाओगी. तुम्हारे घर में सब लोग होते हैं और बाहर ये करना सही नहीं रहेगा.

तो इस पर मेरी बेटी उससे गुस्सा हो गयी और उसने लिखा था कि अब मैं जब तुम्हारा लंड अपने मुँह में लूंगी, तभी तुमसे बात करूंगी.
इसके बाद शहज़ाद ने उसे बहुत समझाने वाली बात लिखी थी लेकिन मेरी बेटी ने उसके किसी मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया था.

इस सेक्स चैट को पढ़ने के बाद मैंने रुबिका का मोबाइल रख दिया और लंड चुसाई की बात सोचते हुए अपने बिस्तर पर लेट गयी.
इसी बीच कब मेरी आंख लग गयी, मुझे पता ही नहीं चला.

अगले दिन दोपहर को शहज़ाद फिर मेरे घर आया और हमारे साथ खाना खाकर बाहर ही बैठ गया था क्योंकि मेरी बेटी उससे नाराज़ थी.

मैं मौका देखते हुए अपनी बेटी के पास गई और बोली कि तुम कुछ देर घर में ही रहना, मैं कुछ काम से जा रही हूँ. अभी आती हूँ.
मेरी इस बात से वो एकदम से खुश सी हुई … लेकिन फिर शांत होते हुए बोली- ठीक है अम्मी, आप जाओ.

मैं कुछ देर में कपड़े बदल कर घर से बाहर आ गयी.

मेरे घर में बाहर से एक सीढ़ी है जो सीधे ऊपर छत पर जाती है. मैंने जानबूझ कर सामने से जाने के बाद मेन गेट बंद कर दिया और अब मैं चुपके से सीढ़ी से चढ़ कर ऊपर आ गई.
फिर छत के रास्ते से वापस अपने घर में अन्दर आ गयी.

मैंने देखा कि रुबिका उस कमरे को बाहर से बंद कर रही थी, जहां उसकी दोनों बहनें सोई हुई थीं.
उसके बाद वो सीधे सामने वाले कमरे में चली गयी, जहां शहज़ाद एकदम चित लेटा था.

रुबिका उसके पास जाते ही उसके पैरों के बीच में बैठ गई. उसने शहजाद की पैंट की चैन खोल कर उसका लौड़ा बाहर निकाल लिया और गप से लंड को मुँह में लेकर मस्ती से चूसने लगी.

मैं बाहर आंगन से खड़ी, ये सब देख रही थी.
जैसे ही शहज़ाद का लौड़ा मेरे सामने आया, मेरी तो आंख फटी की फटी रह गईं क्योंकि उसका लौड़ा जैसे ब्लू फिल्मों में काले हब्शियों का खूब बड़ा लंड होता है, एकदम वैसा ही था.
आठ इंच से ज्यादा लम्बा और साढ़े तीन इंच से कुछ ज़्यादा मोटा लंड था.

रुबिका उसके लंड को बड़ी आसानी और प्यार से जीभ से चाटने लगी थी.

फिर मेरी बेटी ने किसी अश्लील फ़िल्म की रंडी की तरह शहज़ाद का पूरा का पूरा लंड अपने मुँह में घुसा लिया.
अब वो गले के आखिरी छोर तक लंड लेकर चूस रही थी.

मैं दूर खड़ी ये सब देख रही थी. उस वक़्त मुझे एक मां होने के नाते उन दोनों को रोकना चाहिए था.
लेकिन उस वक़्त मैं एक बहुत प्यासी औरत भी थी और कहीं न कही मुझे शहज़ाद के मोटे लौड़े से अपनी प्यास भी शांत होती दिख रही थी.
शायद यही वजह थी कि मेरे हाथ मेरी चुचियों को मसलने लगे थे.
मैं अपनी बेटी को लंड चूसते देख गर्म हो गयी थी.

इसी सोच के बीच मुझे ये बात भी मन में आयी कि जिस तरह मेरी शादी जल्दी हो गयी, हर बस मैं बच्चे पैदा करने और घर संभालने के अलावा कुछ ना कर सकी. मेरी जवानी वैसे के वैसे रह गयी, जिसका मैं मज़ा न ले सकी, कहीं वैसा ही इसके साथ भी न हो.

ये वक़्त मेरी बेटी को मजा लेने का वक्त था. क्योंकि इसके पापा भी इसकी शादी का मन बना चुके थे, बस मेरी जिद के कारण ये अपनी पढ़ाई कर पा रही थी.
वरना वो इसको पहले ही विदा कर देते और इसकी ज़िन्दगी का मज़ा यहीं दफन हो जाता.

ये अपने मायके में है तो मजा ले पा रही है. वरना ससुराल जाने के बाद तो मेरी तरह इसकी भी ज़िन्दगी बेकार हो जाएगी.

उस वक़्त रिश्ते के हिसाब से मुझे वो सब रोकना था, लेकिन मैंने अपनी बेटी की खुशी के लिए वो सब देख कर भी अपना मुँह फेर लिया.

उन दोनों के बीच मस्ती से मुख मैथुन चल रहा था. कुछ मिनट बाद शहज़ाद रुबिका के मुँह में झड़ गया. उसका इतना सारा माल निकला कि रुबिका ने उसको पूरा मुँह में भरने की कोशिश की, फिर भी वो उसके मुँह से बहने लगा.

फिर रुबिका ने उसका सारा वीर्य पीने के बाद बाहर बहे हुए वीर्य को भी चाट चाट कर साफ किया.

लंड चुसाई के बाद वो दोनों उठ गए और एक दूसरे की बांहों में लेट गए.

ये देख कर मैं दूसरे दरवाज़े से घर से बाहर आ गयी.

जब मैं कुछ देर बाद वापस घर में गयी, तो मुझे सब सही मिला.

मेरे घर आ जाने के कुछ देर बाद वो अपने घर चला गया.

जब वो अगले दिन मेरे घर आया, तो आज जानबूझ कर मैंने शहज़ाद को रिझाने के लिये एक एकदम हल्के रंग और झीने कपड़े का सूट पहना. उस पर दुपट्टा भी नहीं लिया, मेरी कुर्ती एकदम चुस्त थी और उसका गला भी काफी गहरा था.
इस कारण उसमें से मेरे मम्मों की अच्छी खासी गहराई दिख रही थी. झुकने पर तो समझो बवाल ही हो जाता था.

वो आते ही मुझे सलाम करने लगा.
मैंने भी झुक कर उसे सलाम किया और उसको अपनी चूचियों की मस्त झलक दिखा दी.

वो मेरी चूचियों को देखता हुआ साथ वाले कमरे में रुबिका के पास चला गया.

जब कुछ देर बाद मैंने उसको मेरे किचन में आते देखा, तो मैं नीचे ज़मीन पर उकड़ू बैठ गयी और एक बर्तन में आटा निकाल कर उसमें अपने हाथ फंसा कर उसको गूंथने लगी.

इस अवस्था ने बैठने के कारण मेरे बूब्स बहुत ज़्यादा लटक कर बाहर को दिख रहे थे. इस समय मेरा पूरा बदन पसीने से भीगा हुआ था और मेरे सर का पसीना चेहरे से होते हुए गर्दन के रास्ते मेरी दोनों चुचियों की गहरी घाटी में जा रहा था. मैंने मौका देख कर अपने बाल भी खोल दिए.

अब जब शहज़ाद किचन के बाहर आया, तो कुछ देर तो वो मुझे घूरता ही रह गया.
मैं भी जानबूझ कर अनजान बनी रही … लेकिन कुछ देर बाद जब मैंने अपनी नज़र उठाई तो उसे अपने मम्मे देखते हुए पाया.

मैं सामान्य भाव से बोली- अरे बेटा तुम … क्या हुआ क्या चाहिए?
वो हड़बड़ाते हुए मेरी छाती से नज़र हटाने की कोशिश करते हुए बोला- अरे वो मुझे प..प..पानी चाहिए था.

उसकी इस हकलाहट और बेचैनी को देख कर मुझे बड़ा मजा आ रहा था.
 
Last edited by a moderator:

Bholaram

Divine
Banned
330
770
109
वो मेरे मम्मों को देखते हुए दूसरी तरफ गया और ग्लास उठा कर नल से पानी लेने लगा.
लेकिन वो बार बार पीछे मुड़ कर मेरे स्तनों को देख रहा था.

एक बार मैंने भी अपनी निगाह उठा कर उसकी आंखों में देख लिया तो उसने जल्दी से पानी निकाला और पीने लगा.

मैंने जब अपनी नज़र हल्की सी ऊपर उठाई तो देखा कि उसकी पैंट में हल्का सा उभार आ चुका था.
वो अब शायद मूड में आ गया था.

मैंने भी मौका देख कर उसको बोल दिया- बेटा मुझे भी बहुत प्यास लगी है; मुझे भी पिला दो.
वो एक सवालिया नज़र से मुझे देखने लगा क्योंकि मैंने उससे दोहरी मतलब की बात कर दी थी.

मैं उससे बोली- अरे पानी पिला दो.
उसने नल से मेरे लिए भी पानी निकाला और मुझे देने लगा.

मैंने उसके हाथ से ग्लास पकड़ने की कोशिश की, लेकिन उसको ये दर्शाया कि मेरा हाथ गंदा है और मैं ग्लास नहीं पकड़ सकती.
मैं उससे बोली- अरे मेरा हाथ तो आटा से सना हुआ है, तुम ही पिला दो.

वो मेरे सामने आया और मुझे पानी पिलाने लगा. इस समय भी उसकी नज़रें मेरे छाती की गहराई में टिकी थीं.

मैंने भी जानबूझ कर अपने दूध जरा से हिला दिए, जिससे वो हिल गया और उसके हाथ में पकड़े हुए गिलास से थोड़ा पानी गिर कर मेरी चुचियों के बीच में चला गया.

शहज़ाद सॉरी बोलते हुए ग्लास हटाने लगा और वो पानी पौंछने के लिए अपना हाथ आगे लाया.
लेकिन मेरी छाती पर हाथ लगाने की उसकी हिम्मत नहीं हो सकी.

मैंने बोला- अरे जल्दी से पौंछो न … पानी मेरे अन्दर जा रहा है.

उसने एकदम से हाथ बढ़ा कर मेरे चेहरे से होते हुए मेरे गले और गहरी दूध घाटी को अपने कड़क हाथों से रगड़ कर साफ कर दिया.
जैसे ही उसका हाथ मेरे गले के नीचे पहुंचा, मैं एकदम मदहोश सी हो गयी क्योंकि ये पहली बार था कि मेरे शौहर के बाद कोई गैर मर्द मुझे इस तरह से छू रहा था.

पानी पौंछ लेने के बाद उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने उससे कहा- बेटा मेरा एक और काम कर दो, जरा मेरे बाल बांध दो. देखो न पूरे खुल गए हैं और बार बार मेरे चेहरे पर भी आ रहे हैं. इनसे मुझे बहुत गर्मी लग रही है. मेरे हाथ खराब हैं इसलिए मैं तुमसे कह रही हूँ, नहीं तो मैं खुद ही कर लेती.

ये कह कर मैंने उससे वहीं रखे हेयर बैंड की तरफ इशारा किया. तो उसने उसको उठाया और मेरे पीछे आ गया.
वो मेरे सारे बाल समेटते हुए और मेरी चुचियों को देखते हुए मेरे बालों बांधा और कुछ देर बाद वो वहां से चला गया.

मैं अपनी चूचियों पर उसके हाथों का स्पर्श अब भी महसूस कर रही थी.
मेरी चुत गीली हो चुकी थी. मुझे शहजाद का लम्बा लंड याद आ रहा था कि इसका लंड मेरी चुत में घुसे तो चैन पड़े.

अगले दिन शहज़ाद कुछ जल्दी ही मेरे घर आ गया था.

वैसे तो हमेशा वो रुबिका के कॉलेज से घर आ जाने के बाद ही आता था लेकिन आज जब मैं सारा काम करके बिना कपड़ों के नहा कर बाहर वाले कमरे में आयी थी कि तभी मेरे दरवाज़े पर दस्तक हुई.

मैंने उस दरवाज़े के छोटे से छेद से देखा तो बाहर शहज़ाद खड़ा था.
मैं उसको रुकने को बोल कर जल्दी से अन्दर आ गयी. मैंने झटपट एक सलवार कमीज़ पहन लिया बिना अन्दर कुछ पहने, तुरंत जाकर दरवाज़ा खोला.

मेरे दरवाज़ा खोलते ही शहज़ाद मुझे ऊपर से नीचे तक देखता ही रह गया. मैंने भी मौका देख कर अपने गीले बालों को इस तरह झटका देते हुए घुमाया कि उसके चेहरे पर मेरे गीले बाल लग गए.

एक बार उसके चेहरे को अपनी जुल्फों की ठंडक से सींच कर मैंने उससे बोला- अन्दर आ जाओ.
वो अन्दर आकर बैठ गया.

मैं उसी के सामने झुक कर तौलिया से अपना सिर पौंछते हुए उसका हाल-चाल पूछने लगी. उसकी टकटकी लगाए हुए नजरें मेरी छाती पर ही टिकी हुई थी.
कुछ देर बाद मैं उसके लिए चाय बना कर ले आयी.

चाय रखते समय मैं खास करके उसके सामने झुकी, जिससे उसको मेरे मखमली सफेद गुम्बदों के दीदार हो सकें.

वो चाय पीने लगा और मैं किचन में चली गयी.

मैं जब कुछ देर बाद बाहर आई, तो शहज़ाद बिस्तर पर पैरों को लटका कर आधा लेटा हुआ था. मैं उसके पास गयी और उसकी जांघ पर हाथ रख कर सहलाते हुए उसके बगल में लेट गयी.

वो मेरी इस हरकत से एकदम से चौंक कर उठने लगा तो मैंने उसको बोला- लेटे रहो.
मेरी बात सुनकर वो लेटा रहा.

मैं एकदम उससे सट कर बैठ गयी और उसकी जांघ पर हाथ रखे हुए उससे बातें करने लगी.

कुछ देर बातों ही बातों में मैंने उससे उसकी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा, तो उसने मुझे साफ मना कर दिया कि उसकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.

थोड़ी देर में स्कूल से मेरी दोनों छोटी बेटियां घर आ गईं.
मैं वहां से किचन में आ गयी.

जब रुबिका आयी, तो फिर इन दोनों का काम होता रहा.

इसी तरह से मैं शहजाद से काफी खुल गई थी और उसके साथ बिस्तर में लेट कर उसे अपने करीब लाने की कोशिश करने लगी थी.
शहजाद भी मेरी चूचियों में खो गया था और उसे भी मेरी भूख का माजरा समझ आने लगा था.

इस तरह काफी दिन गुज़र गए.

दिसम्बर के आखिरी दिन की बात है. कल नया साल शुरू होने वाला था.

मेरे शौहर नए साल से एक दिन पहले अपने दोस्तों के साथ मौज मस्ती करने शहर से बाहर चले जाते हैं.

उस दिन मेरी बड़ी और सबसे छोटी वाली बेटी अपनी नानी के यहां चली गई थीं.
मेरी अम्मी का घर मेरे शहर से बस साठ किलोमीटर की दूरी पर था और मेरी बच्चियों को ले जाने उनके मामा आए थे.

उस नए साल वाले दिन मैं घर पर एकदम बोर हो रही थी.
तभी सुबह दस बजे शहज़ाद घर आया और कुछ देर बैठा.

मैंने उससे बोला- आज नया साल है और तुम कहीं घूमने नहीं गए?
इस पर वो बोला- किसके साथ जाऊं … साथ चलने वाला कोई है ही नहीं.
मैंने उससे कहा- अगर मैं तुम्हारे साथ चलूं तो तुम चलोगे?

इस बात पर वो एकदम से खुश हो गया और बोला- ठीक है, आप चलिए.
मैंने उससे कहा- ठीक है, दोपहर में दो बजे आ जाना. साथ चलते हैं.

वो कुछ देर मुझसे बात करके अपने घर चला गया.

मैंने जल्दी से खाना बनाया और अपनी छोटी बिटिया के साथ खाने बैठ गई.
कुछ ही देर में हम दोनों ने साथ में खा लिया, जिसके बाद वो सो गई.

उसके सोने के बाद मैंने अपनी बेटी की अलमारी से एक बहुत चुस्त जींस और शर्ट निकाल कर पहन ली.
इस जींस में मेरी गांड एकदम किसी एटमबम की तरह लग रही थी.

ऊपर मैंने सफेद शर्ट पहनी जो कि बहुत ही ज़्यादा चुस्त थी.
शर्ट के नीचे एक सफेद फैंसी ब्रा पहन ली.

मैंने अपनी इस शर्ट का ऊपर वाला एक बटन खुला रखा, जिससे मेरी चूचियों की घाटी साफ़ दिखे.
ये शर्ट वाकयी इतनी चुस्त थी कि उसके बटन के बीच में से मेरे सीने के पास से खुल सा गया था.

इस समय मैं एकदम किसी 18 साल की लौंडिया की तरह सज संवर कर और हाई हील्स पहन कर अपनी बेटी के आशिक़ के साथ रंगरेलियां मनाने को तैयार हो गयी थी.

शहज़ाद घर के बाहर आ गया था. उसने मुझे फ़ोन करके बुलाया.
मैं जल्दी से अपना बुरका, जो हमारे यहां काले रंग का ऊपर से पहना जाता है, उसको पहन लिया.
इन कपड़ों में मैं घर के पास से नहीं निकल सकती थी. इसीलिए अपना एकदम ढीला वाला बुरका पहन कर बाहर आ गयी.

वो बाइक से आया था तो मैं उसके साथ बैठ गई.

हमारे शहर में एक नदी पड़ती है, जिसके पास नए साल वाले दिन खूब बड़ा मेला लगता है.
शहज़ाद मुझे भी वहीं ले गया और गाड़ी पार्किंग में लगा दी.

मैंने उससे बोला कि मुझे अपना बुरका उतारना है.

वो मुझे एक किनारे ले गया और जब मैंने उसके सामने अपना बुरका उतारा, तो वो तो मुझे देखता ही रह गया.
उसकी आंखें एकदम फ़ैल गईं क्योंकि इस अवतार में मुझे कोई पहली बार देख रहा था.

मैं मेरी बेटी के सब कपड़े हमेशा अकेले में पहन कर अपनी गर्मी शांत करने के लिए शीशे में देख कर एक एक करके उतार कर अपनी चुचियों को मसलती और अपनी चुत में उंगली करती थी.

मैंने उसके सामने बुरका उतार कर उसे पकड़ा दिया.
उसने मेरे बुरके को ले लिया और पार्किंग में रखी बाइक की डिक्की में रख दिया.

अब हम दोनों मेले में घूमने चल दिए.

मैं उसका हाथ पकड़ कर उसके साथ गार्डन में दूसरी तरफ आ गयी.
वहां काफी देर घूमने और कुछ झूले झूलने के बाद हम दोनों वहां से निकल आए.

बाहर काफी भीड़ हो गई थी. मैंने शहज़ाद का सीधे तरफ वाला हाथ इस तरह से पकड़ लिया, जैसे कोई प्रेमी जोड़ा वाली लड़की अपने ब्वॉयफ्रेंड का हाथ पकड़ती है.

मैं उसके जिस्म से चिपक कर चलने लगी. उसके हाथों से मेरे दोनों मम्मों बहुत ज़्यादा रगड़ और मसल रहे थे, जिसका वो और मैं दोनों मज़ा ले रहे थे.

वहां सब लोग हम दोनों को प्रेमी जोड़ा ही समझ रहे थे और लगभग सभी आदमी मुझे बहुत ताड़ रहे थे.
मैं एकदम पटाखा माल लग रही थी.
जींस में मेरी मटकती फूली हुई सी गांड और कसी शर्ट में बाहर को निकलने को आतुर मेरे मम्मे सभी के लंड खड़े कर रहे थे. जींस से पूरे बदन की नाप मेरे बड़े बड़े नितम्बों का आकार और शर्ट के ऊपरी भाग से मम्मों की झलक किसी को भी आकर्षित करने के लिए काफी थी.

उस वक़्त लगभग सब मुझपर ही आकर्षित हो रहे थे, लेकिन मेरा पूरा ध्यान अपने शहज़ाद पर था.

हम दोनों वहां से निकल कर नदी के तरफ आए और नाव देख कर शहज़ाद ने मुझसे नदी में सैर करने के लिए कहा.
वो नदी के बीचों बीच बने में एक रेतीले टापू की तरफ चलने के लिए कहने लगा.

जब शहज़ाद ने मुझसे उधर चलने को पूछा, तो मैं झट से मान गयी.

हम दोनों नौका से से उस नदी के बीच बने रेतीले टापू पर आ गए, जहां आगे की तरफ कुछ लोग थे लेकिन और अन्दर जाने पर सन्नाटा था.

मैं और शहज़ाद दोनों मस्ती करने लगे एक दूसरे को पकड़ने के लिए भागने लगे.
अंत में जब हम दोनों रेत के किनारे नदी में पैरों को डाल कर बैठे थे.

पहले मैंने शहज़ाद पर नदी का पानी फेंका. फिर शहज़ाद ने फेंका तो मेरी शर्ट भीग गई.

मेरी शर्ट हल्की और सफेद होने की वजह से जब उस पर पानी पड़ा, तो मेरी ब्रा साफ दिखने लगी.
वो मेरी ब्रा में कैद मेरे मम्मों को देखने लगा.
मैं भी उसे अपनी चूचियां दिखाने लगी और उसके साथ मस्ती करती रही.

वहां काफी देर मस्ती करने के बाद जब करीब 6 बज गए तो उधर अंधेरा सा होने लगा.
हम दोनों वहां से उस मेले की तरफ आ गए.

यहां जैसे जैसे शाम बढ़ रही थी वैसे भीड़ और ज़्यादा होती जा रही थी. कुछ ही देर में उधर पैर रखने की भी जगह नहीं बची थी.

मैं शहज़ाद के साथ चल रही थी कि तभी मेरे पीछे दो लड़के मुझे देख कर कुछ बोलने लगे.
जब मैंने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया तो वो दोनों मेरे पीछे आ गए और उस भीड़ का फायदा उठा कर वो दोनों मेरी गांड दबाने लगे.

जब ये बात मुझे महसूस हुई तो मैंने चुपके से ये बात शहज़ाद को कान में बोली.
शहज़ाद ने गुस्से से उन दोनों को देखा लेकिन मैं उस वक़्त कोई झगड़ा नहीं चाहती थी तो मैंने शहज़ाद को रोक दिया.

शहज़ाद रुक गया तो मैंने उससे कहा- तुम बस मेरी हिफाज़त करो, वरना कहां तब सबसे लड़ते फिरोगे.

अब शहज़ाद ने अपना एक हाथ पीछे करके मेरी मटकती गांड पर रख दिया और मुझे अपने और पास खींच कर एकदम मुझसे चिपक कर चलने लगा.

आगे कुछ और ज़्यादा भीड़ थी, जिससे बगल बगल में चलना मुश्किल था, तो उसने मुझे अपने आगे कर दिया और पीछे से मेरी कमर पकड़ ली.
अब मैं भी मौका देख कर अपनी गांड ले जाकर एकदम से उसके लंड से चिपका देती.

इसी तरह उस भीड़ को पार करते हुए शहज़ाद का लंड मेरी गांड से बार बार टकराने और रगड़ने के कारण एकदम टनटना गया और मुझे कुछ ज्यादा ही गड़ने लगा.
लेकिन मैं इस सबका मज़ा लेती रही.

शहजाद का लंड भी मेरी गांड में घुसने को बेताब हुआ जा रहा था.
मैंने अपनी बेटी के हक के लंड मतलब शहजाद के लंड से चुदने का पूरा मन बना लिया था.
बस मैं उसे गर्म करके अपने काबू में करने का खेल, खेल रही थी.
 

Bholaram

Divine
Banned
330
770
109
फिर हम दोनों ने आगे आकर एक आइसक्रीम ली और दोनों ने एक आइसक्रीम में ही खाई.
वो मेरी जुबान को आइसक्रीम पर चलाते देखता तो अपनी जीभ भी आइसक्रीम पर लगा देता.

इस बीच मेरी जीभ उसकी जीभ से टकरा गई तो मैं गनगना उठी. मगर ये पब्लिक प्लेस था सो मैं ज्यादा कुछ नहीं कर सकती थी.

उसके बाद हम दोनों ने काफी चीजें खाईं. इसी तरह समय बीतता गया और अब रात के साढ़े आठ बज गए थे.

उधर एक जादू वाला जादू दिखा रहा था तो मैंने घर चलने से पहले शहज़ाद से जादू देखने को बोला.
वहां ज़्यादा भीड़ होने के कारण उसने मुझे वहां जाने से रोका.

मगर मेरी ज़िद पर वो मुझे उधर ले गया और मुझे अपने आगे खड़ा करके मेरे पीछे खड़ा हो गया.
उसने अपने सिर को मेरे कंधे पर रख लिया तो मैं भी थोड़ी अपनी छाती फुला कर खड़ी हो गयी जिससे मेरे मम्मों की गहराई एकदम से शहज़ाद की आंखों के सामने आ गई थी.

उसका लंड मेरी गांड से रगड़ता रहा और मैं भी अपनी गांड हिलाते हुए उसके लंड से अपनी मस्ती को बढ़ाने लगी.

इस तरह अब रात के 9 बजे से कुछ ऊपर समय हो गया था; मुझे बहुत तेज़ ठंड भी लगने लगी थी.
दिन में अच्छी धूप थी, जिसके कारण मैं कोई गर्म कपड़े नहीं पहन कर आई थी.

जब ये बात मैंने शहज़ाद को बोली, तो उसने मेरे कमर से हाथ ले जाते हुए मेरे पेट को पकड़ लिया और वो मुझे पीछे से एकदम जकड़ कर खड़ा हो गया.
मुझे इससे मस्ती चढ़ने लगी और मेरे अन्दर की गर्मी जागने लगी.

इसी तरह कुछ और देर घूमने के बाद हम दोनों वहां से आ गए और शहज़ाद मुझे मेरे घर छोड़ते हुए अपने घर चला गया.

उस दिन के बाद से हम दोनों में अच्छी बनने लगी.

एक दिन जब शहज़ाद घर आया था और रुबिका उसके साथ मस्ती कर रही थी.
मैं किचन में खाना बना रही थी.

उतनी देर में रुबिका की कोई सहेली आ गयी, तो वो उसके साथ बाहर वाले कमरे में चली गयी.
शहज़ाद रुबिका से खाली होकर मेरे पास किचन में आ गया.

मैं खाना बना रही थी और वो मेरे पास आकर मुझसे बात करने लगा.
तभी मैंने भी मौका देख कर उससे पूछा- उस दिन तुमने बोला था कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है, तो तुमको किस तरह की लड़की पसंद है?

शहज़ाद मेरे इस सवाल से थोड़ा हिचकिचा गया.
फिर हिम्मत करते हुए बोला- मुझे लड़कियां नहीं, बल्कि बड़ी उम्र की औरतों में ज़्यादा दिलचस्पी है.

मैंने उससे अनजान बनते हुए पूछा- क्यों?
उसने बताया- क्योंकि वो समझदार होती हैं और बहुत ज़्यादा ख्याल रखती हैं, परवाह करती हैं … और सबसे बड़ी बात ये कि वो कभी धोखा नहीं देती हैं. वो दिखने में भी बहुत खूबसूरत होती हैं, जैसी आप हो.

इस बात से उसने मुझसे थोड़ा फ़्लर्ट किया, तो मैंने भी उसके जवाब में बोला- मुझे भी तुम्हारी उम्र के लड़के बहुत ज़्यादा पसन्द हैं … और खास करके तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो. जिस तरह से तुम मेरा ख्याल रखते हो, वो मुझे बेहद भाता है.

इस पर शहज़ाद बोला- तो क्यों न इस बात पर हम दोनों आज से दोस्त बन जाते हैं … एकदम अच्छे वाले.
मैंने भी उससे अपनी रज़ामंदी दिखा दी.

उसने मुझे गले लगाने के लिए आगे आना चाहा, तो मैं खुद उसके पास जाकर उसके गले से लग गई.
मेरी ठोस चुचियां उसके सीने में घुसने लगीं.

वो मेरे मम्मों की गर्मी का मजा लेने लगा.

कुछ देर बाद मैं उसके गाल को चूमते हुए अलग हुई ही थी कि तभी मेरी बेटी आ गयी.

हम दोनों सामान्य हो गए और वो दिन बीत गया.

अब इसी तरह एक दिन जब मैं खाना बना रही थी कि मेरे शौहर का फ़ोन आया.
उन्होंने बताया कि जो हमारे पड़ोस में एक शर्मा जी का परिवार रहता है, उनकी माता जी की मिट्टी यानि मृत्यु हो गयी है. उनका अंतिम संस्कार उनके पति के गांव में होगा.

मैंने दुःख जताया तो वो बोले- हमारे घर से किसी का जाना जरूरी है क्योंकि शर्मा जी के यहां से हमारे बहुत घरेलू संबंध हैं.
मैं बोली- हां ये तो है.

मेरे शौहर बोले- दुकान खुली है, वरना मैं चला जाता. ऐसा करो तुम रुबिका के साथ उनके गांव चली जाओ.
मैंने बोला- रुबिका के पेपर हो रहे हैं, वो नहीं जा पाएगी.

इस पर मेरे शौहर बोले- अकेले तो उस तरफ जाना ठीक नहीं है.
कुछ देर सोचने के बाद वो बोले कि तुम ऐसा करो कि तुम शहज़ाद को अपने साथ लेती जाओ. मैं उसके घर पर बोल देता हूं.

मैं शहजाद का नाम सुनते ही झट से तैयार हो गयी.

कुछ देर बाद मेरे शौहर का फिर से कॉल आया और वो बोले- कुछ देर में शहज़ाद आ रहा है. तुम तैयार हो जाओ और उसके साथ बस से चली जाना.

हमको जहां जाना था, वो गांव हमारे शहर से 80 किलोमीटर दूर था.

मैंने जल्दी से खाना बना लिया और थोड़ा रास्ते के लिए भी रख लिया. एक छोटे बैग में अपने दो जोड़ी कपड़े रखे ताकि अगर कोई इमरजेंसी हो तो बदलने के लिए हो जाएंगे.

इसके बाद जल्दी से नहा कर अपने कमरे में आकर सोचने लगी कि क्या पहना जाए.

तभी मेरी नज़र मेरी बेटी के बुर्के पर पड़ी, जो मेरे जिस्म पर एकदम चुस्त आता था. मैंने तौलिया बदन से हटा कर सीधे उसको पहन लिया. बुर्के के अन्दर मैंने कोई भी कपड़ा या ब्रा पैंटी नहीं पहनी.

मैंने खुद को शीशे में देखा तो मैं एकदम गज़ब की माल लग रही थी.
मुझे अपने चेहरे पर तो उसी बुर्के का दुपट्टा बांधना था, तो मैं सिर्फ वही पहन कर तैयार हो गई.

कुछ देर बाद शहज़ाद मेरे घर आया और हम दोनों साथ घर से ऑटो से बस अड्डे तक आए और बस देखने लगे.

एक बस अभी निकल ही रही थी, तो उसकी सबसे पीछे वाली सीट ही खाली थी. पहले मैं अन्दर गयी. फिर शहज़ाद आया. उसके बाद वो जगह भी भर गयी.

बस चल दी और कुछ दूर चलने के बाद मैंने अपने नकाब का ऊपरी कपड़ा हटाया तो ब्रा और कुछ भी ना पहने होने की वजह से मेरी 34 की चुचियां एकदम साफ नजर में आने लगी थीं. वो कपड़ा भी एकदम पतला सा था, जिससे मेरे निप्पलों की नोकें भी एकदम साफ दिख रही थीं.

इस बुर्के का गला ऊपर से काफी बड़ा था, जिससे मेरे स्तनों की गहराई लगभग बाहर से ही साफ़ दिख रही थी.

जैसे ही शहज़ाद की नज़र मेरे ऊपर पड़ी, तो उसका चेहरा तो एकदम खिल उठा.

उतनी देर में बस रुकी और कुछ लोग उसमें और सवार हो गए. कुछ पीछे वाली सीट पर भी बैठ गए, जो पहले से भरी थी.

मैंने शहज़ाद से और थोड़ा अपनी तरफ आने को बोला. शहज़ाद अब एकदम से मुझमें घुस सा गया था और मैं लगभग उसपर चढ़ी हुई थी.

इसी तरह सारे रास्ते मेरी चूचियों की गहराई देख कर शहज़ाद का लौड़ा एकदम टननाया रहा.
उसका हाथ कभी मेरी कमर पर तो कभी मेरे पेट पर हो जाता.
मैं भी जानबूझ कर एकदम उसके गले लग कर सो गई थी. उसने अपने हाथों को मेरे कंधे पर से लाकर मेरी एक चूची पर रख दिया.

और इसी तरह हम शाम तक उस गांव में पहुंच गए.

वहां पहुंचे के बाद मैंने बुर्के के दुपट्टे को इस तरह ओढ़ लिया, जिससे मेरे खुले स्तन न दिखें.

फिर उस घर में पहुंची, तो हमें कुछ देर हो गई थी. घर से शर्मा जी की माता जी का शव जा चुका था.

हम लोग वहां शाम तक वहीं रहे.

जब शर्मा जी की वाइफ हमसे पूछने आईं कि यदि आप लोग रात रुकें, तो आप लोगों के लिए बिस्तर लगवा दूँ.

मैंने उसमें हामी भर दी क्योंकि वापस जाने का कोई साधन ही नहीं था.
यदि होगा भी तो मेरा मन आज रात शहजाद के साथ ही गुजारने का था.
मैंने शहज़ाद को भी समझा दिया.

तभी मेरे पति का फ़ोन आया और उन्होंने मुझसे पूछा कि कहां पहुंची … मतलब मुझे आज शाम तक ही वापसी करनी थी, लेकिन मैंने कुछ सोच कर आज यहां रुकने का फैसला कर लिया था.
फिर मैंने अपने पति से झूठ बोल दिया कि शर्मा जी की वाइफ ने मुझे रोक लिया है. मैं कल ही घर आऊंगी.

पति ने ‘ठीक है ..’ कह कर फोन काट दिया.

शाम को बगल वाले घर में भोजन था तो हम दोनों ने भी खाना खा लिया.

वहां सोने का समय जल्दी हो जाता था. मतलब पूरा गांव रात आठ बजे सो जाता था.
हम दोनों का बिस्तर एक कमरे में ज़मीन में लगा था और एक अकेला बिस्तर मसहरी के परली तरफ भी लगा हुआ था.
इस बिस्तर पर एक आदमी के लेटने भर का इंतजाम था. मैंने चालाकी से अपना बैग वहां रख दिया, जिससे और कोई न लेटे.

फिर करीब साढ़े 9 बजे शहज़ाद बोला- मैं लेटने जा रहा हूँ.
मैंने उसको वहीं लेटने को बोला, जहां मैंने अपना बैग रखा था. फिर मैं कुछ देर शर्मा जी की बीवी के साथ बैठी रही.

कुछ देर बाद मैं भी उसी कमरे में आ गयी और देखा … तो वहां पहले से सब लेट चुके थे. उस कमरे की लाइट बन्द थी, सिर्फ बाहर एक बल्ब की हल्की रोशनी कमरे में आ रही थी.

मैं सीधे शहज़ाद के पास चली गयी. जैसे मैं उसके पास पहुंची और उसे हिलाया तो वो एकदम से चौंक कर उठ गया.
मैंने उसको बताया कि मैं हूँ.
वो बोला- अच्छा.

मैंने उससे कहा- वहां सामने सब लेट गए थे और जगह भी नहीं बची थी. बाहर भी सब सो गए थे, वरना अपना बिस्तर अलग लगवा लेती.
शहज़ाद बोला- अरे आप यहीं लेट जाइए … बस आपको थोड़ा एडजस्ट करना पड़ेगा.

मैंने अपना दुपट्टा उतार कर अलग रख दिया. शहज़ाद कपड़े पहने लेटा था, तो मैंने उससे बोला कि तुम अपने कपड़े बदल लो … क्योंकि तुम कोई दूसरे कपड़े नहीं लाए हो. कल नहाधो कर इसी को पहन लेना.
वो बोला- तो क्या पहनूं?

मैंने अपने बैग से उसकी एक शार्ट निकाल कर उसको दे दिया और बोली- ये मैं तुम्हारे लिए रख लाई थी, इसको पहन लो.

उसने उसी ओढ़ने वाली चादर के नीचे अपने सारे कपड़े उतार दिए और बस शॉर्ट्स पहन लिया. मैंने उसके सारे कपड़े अपने बैग में रखे और लेट गयी.

उधर दो लोगों के लेटने की जगह बिल्कुल नहीं थी, जिस वजह से हम दोनों को लेटने में दिक्कत हो रही थी.

मैं शहज़ाद के ऊपर चढ़ कर लेट गयी.
जैसे ही उसके नंगे सीने पर मेरी चुचियों की नोक गड़ी और जब मैं उससे एकदम से चिपक गई, तो उसका लंड भी हिलने लगा.
उसने भी अपने दोनों हाथों को मेरी कमर पर रख लिए और हम दोनों किसी प्रेमी की तरह लेट गए थे.

उस वक़्त मेरा बहुत कुछ करने का मन कर रहा था, लेकिन उस कमरे में और भी लोग लेटे थे … जिस वजह से मैं मजबूर थी.

आगे कुछ देर बाद जब हम दोनों ने करवट ली, तो शहज़ाद मेरे ऊपर आ गया और मैं उसके नीचे हो गई.
अब उसका मुँह मेरी दोनों चुचियों के बीच में घुसा हुआ था और मैं उसकी पीठ पर अपने हाथ रखे थी.

इसी तरह पूरी रात दो जिस्म एक बने हुए लेटे रहे.

और जब मेरी आंख सुबह चार बजे खुली तो शहज़ाद मेरे दूध को पकड़ कर सो रहा था.
उस वक़्त मैं उसको जगाना नहीं चाहती थी, लेकिन वहां सब जल्दी उठते थे … इसी लिए मैं भी उठ गई और शहज़ाद को भी जगा दिया.

वहां कुछ लोग उठ चुके थे तो शर्मा जी भी जाग गए थे.
मैंने उनसे नहाने की जगह पूछी तो वो बोले कि आप छत पर चली जाएं. अपने साथ आप किसी लेडीज को लेती जाएं … क्योंकि वहां दरवाज़ा नहीं है … बस पर्दा पड़ा है.

मैंने अपने बैग से अपने और शहज़ाद के कपड़े निकाले और उसी के साथ ऊपर चली गयी.

मैंने शहज़ाद से कहा- तुम बाहर देखना, जब तक मैं नहा लेती हूँ.

मेरी ये बात सुनकर उसका चेहरा एकदम से खिल उठा. मैं बाथरूम के अन्दर आ गयी और उसका परदा मैंने थोड़ा खुला रखा, जिससे शहज़ाद मुझे नंगी नहाते हुए देख ले … और हुआ भी वैसे ही.

जैसे ही मैंने कपड़े उतारे तो वो चोरी चुपके से मुझे पूरा नहाते हुए देखता रहा.

फिर मैं नहा कर बाहर निकल आयी और उसके सामने ही अपने कपड़े ठीक करने लगी.

मेरे बाद शहज़ाद भी नहा कर तैयार हो गया और हम दोनों वहां से निकल कर बस से अपने घर चले आए.

इसी तरह कुछ और दिन निकल गए.

और फिर एक दिन मेरे पति घर पर थे क्योंकि आज उनकी दुकान की बंदी रहती थी.
उस दिन मेरी तीनों बेटियां अपनी नानी के यहां गयी थीं.

इस दिन मैंने सुबह करीब दस बजे शहज़ाद को फ़ोन किया.
फोन उठते ही मैंने उससे कहा- मैं अकेले घर पर बोर हो रही हूँ, तुम्हारे अंकल सो रहे हैं. बाकी कोई नहीं है. तुम आ जाते तो मेरी बोरियत दूर हो जाती.
वो बोला- ठीक है, मैं अभी आता हूँ.

उसके घर आने की बात सुनकर मेरी चुत में चींटियां रेंगने लगी थीं.
 

Bholaram

Divine
Banned
330
770
109
मेरे शौहर बाहर वाले कमरे में सो रहे थे. वो दुकान बंदी वाले दिन दिन भर सोते हैं. आज भी वो सुबह का नाश्ता करके फिर से सो गए थे.

मैंने शहजाद के आने की बात सुनकर घर के बाहर का दरवाजा खुला रखा और जल्दी से नहा कर एक पीले रंग का एकदम पतला सा ब्लाउज बिना ब्रा के पहन लिया. कमर के नीचे पेटीकोट एकदम नाभि को खुला छोड़ते हुए बांध लिया. ऊपर से एक बहुत सुंदर लेकिन बहुत ज़्यादा खुली हुई साड़ी पहन ली.

इस समय मेरे बाल गीले थे, तो मैंने उनका जूड़ा बना कर अपने होंठों पर लाल रंग की लाली लगा ली और थोड़ी टिपटॉप होकर एक बर्तन में आटा डाल कर उसको गूंथने के लिए रख दिया.

अब मैं बाहर आंगन से सड़क पर देखने लगी.

जब कुछ देर बाद शहज़ाद आता दिखा, तो जल्दी से जाकर मैं आटा गूंथने लगी. इस समय मैं अपनी गांड थोड़ी ज़्यादा ही निकाल कर खड़ी थी.

जैसे शहज़ाद ऊपर आया और आते हुए उसने मुझे आवाज़ लगाई, तो मैंने उसको बोला- हां इधर आ जाओ … मैं किचन में हूँ.

उसने किचन में आकर मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरी गांड से चिपक गया.
वो मेरा हाल चाल पूछ कर मुझसे बात करने लगा. ये सब वो अक्सर करने लगा था और मुझे भी उसका यूं मुझसे चिपक कर खड़ा होना अच्छा लगता था तो ये बात अब हम दोनों के लिए सामान्य सी बात हो गई थी.

उसने अपना हाथ मेरी कमर से ले जाकर मेरे पेट पर रखा हुआ था और उसका सिर मेरे कंधे पर था.
बड़े गले का ब्लाउज बिना ब्रा के पहनने की वजह से मेरी गहरी सफेद दूध घाटी उसके सामने थी. उसका लौड़ा मेरी गांड के बीच में फंसा हुआ था.

इसी तरह वो काफी देर मुझसे सटा खड़ा रहा और मैं अपना काम करती रही.

उस दिन वो शाम तक एकदम मेरे जिस्म से चिपका रहा, मौका तो था कुछ करने का लेकिन घर में मेरे शौहर थे … इसी लिए उस दिन मैंने कोई बात आगे नहीं बढ़ाई.

मगर मेरी चुत में से पानी की धार लगातार निकलती रही जो मेरी जांघों को बेहद गीली कर चुकी थी.

उस दिन वो शाम तक रुका फिर चला गया.
उसके कुछ दिन बाद वो परिवार के साथ अपने किसी रिश्तेदार के घर चला गया.

उसी दिन मेरी एक सहेली सुषमा अपने पति के साथ शाम को मेरे घर आई थी. वो अपनी बेटी की शादी का कार्ड देने आई थी.

एक हफ्ते बाद उसके यहां शादी में जाना था तो मैंने अपने शौहर से साथ चलने को पूछा.
वो बोले- तुम रुबिका से साथ चली जाना … मैं नहीं जा सकता.
जब मैंने रुबिका से पूछा, तो वो बोली- मेरे पेपर चल रहे हैं, मैं नहीं जा सकती.

उस दिन के बाद कुछ और दिन निकल गए.

शादी से एक दिन पहले सुषमा ने मुझे फिर से फ़ोन करके आने को बोला तो मैंने कहा- हां, मैं जरूर आऊंगी.

उस रात को जब शहज़ाद का फ़ोन मेरे पास आया और जब मैं उससे बात कर रही थी, तो मैं थोड़ा उदास थी.
जिस कारण से शहज़ाद ने काफी जोर देकर पूछा, तो उसको मैंने सारी बात बता दी.
मैंने उससे बोला कि अगर तुम इधर होते, तो तुम्हारे साथ चल चलती, लेकिन अब मैं जा नहीं सकती.

उस दिन वो कुछ बोला नहीं और कुछ देर और बात करने के बाद फ़ोन रख दिया.

अगले दिन सुबह जब मैंने अपना मोबाइल देखा, तो शहज़ाद ने एक फोटो भेजी थी.

जब मैंने उसको देखा तो वो उसके घर की थी. उसने नीचे लिखा था कि मैं अपने शहर आ गया हूं और अब आप मेरे साथ शादी में चल सकती हो.

मैंने खुश होकर तुरंत उसको फ़ोन किया और थोड़ा डांटा- इतने दिन लगा दिए … तुम्हारे बिना मेरा दिल ही लग रहा था.
वो बोला- आपको किसी चीज़ की ज़रूरत हो और मैं उसको पूरा न करूं … ये मुझसे नहीं हो सकता.

उसके मुँह से ये सुनकर आज उसके लिए मेरे मन में उसकी और इज़्ज़त बढ़ गयी थी. अन्दर से एक ख़ुशी भी थी कि शहजाद मेरे लिए अपने दिल में कितनी केयर रखता है.

उस दिन रुबिका बहुत ज्यादा तैयार होकर अपने कॉलेज गयी थी.
उसने जाते समय मुझसे कहा कि अम्मी मुझे थोड़ा काम है, मैं थोड़ी देर से घर आऊंगी.

मैं समझ तो गयी थी कि ये आज शहज़ाद के घर जा रही है क्योंकि वो अकेला है. फिर भी मैं चुप रही.

दिन भर मैं घर का काम करती रही. शाम को शहज़ाद का फ़ोन आया कि कब और कहां चलना है.
मैंने उसको बोला कि जिधर जाना है, वो जगह थोड़ी दूर है. अपन को यहां से 7 बजे तक निकल जाना चाहिए जिससे 8 बजे तक वहां पहुंचा जा सके. मेरी वहां सभी सहेलियां मिलेंगी, तो थोड़ा उनसे भी मिल लूंगी.

शहजाद ने हामी भर दी.

करीब 6 बजे मैं नहाकर अपने कमरे में आई और आज मैंने साड़ी पहनने का फैसला किया क्योंकि शहज़ाद को मैं साड़ी में बहुत अच्छी लगती थी. फिर वहां भी मुझे सब सहेलियों से भी अच्छा दिखना था.

मैंने एक गहरे लाल रंग की एकदम हल्के और पारदर्शी कपड़े की साड़ी निकाली और उसके साथ उसी रंग का ब्लाउज भी निकाला.
ये ब्लाउज आगे से केवल दो हुक पर बंद होता था. इसके पीछे एक पतली पट्टी थी, जिससे पीछे का सब हिस्सा खुला ही रहता था.
इस ब्लाउज में आगे से भी बहुत घर गला था, जिससे मेरे उभार बहुत ज़्यादा दिखने वाले थे.

मैंने पेटीकोट को कमर के एकदम नीचे से बांध लिया और साड़ी बांध ली.

मेकअप में मैंने सुर्ख लाल एंग की लाली लगा ली, आंखों में गहरा काजल और लाल नाख़ूनी लगा कर एक हाई हील की सैंडल पहन ली.

तैयार होकर जब मैंने खुद को आईने में देखा तो आज मैं एकदम करारी माल लग रही थी.

मेरे तैयार होते ही शहज़ाद का फ़ोन आया कि आपके घर के आगे वाली गली में खड़ा हूँ.
मैं उसको बोली- ठीक है मैं बस आती हूँ.

इसके तुरंत बाद मैंने अपने शौहर को फ़ोन करके उन्हें बताया कि मेरी एक सहेली कार से जा रही है. उसी के साथ मैं भी जा रही हूँ.

वो मान गए, तो मैंने अपने कपड़ों के ऊपर से एक बड़ी शाल ले ली और अपना पूरा सेक्स जिस्म ढक लिया.
फिर घर से बाहर आकर शहज़ाद के साथ शादी में चली आयी.

वहां पहुंच कर मैंने अपनी शाल जैसे उतारी तो शहज़ाद मेरी चूचियों को देख कर बोला- कसम से … आज आप एकदम कयामत लग रही हो.
मैं हंस दी.

फिर हम दोनों अन्दर आ गए.

मेरी सभी सहेलियां मुझसे मिलने आईं. वो सब बारी बारी मेरे गले लगीं और शहज़ाद को जीजू कहते हुए उसके भी गले लगने लगीं.
वो सब शहज़ाद को मेरा शौहर समझ बैठी थीं लेकिन इस वक़्त मेरा इनको बताना ठीक नहीं था तो मैंने शहज़ाद को इशारा करते हुए समझा दिया.

कुछ देर बाद पार्टी शुरू हुई. पार्टी में हम दोनों किसी शौहर पत्नी के तरह ही हर तरफ घूम फिर कर खाना खा रहे थे.

करीब ग्यारह बजे मैंने अपनी फ्रेंड से कहा- अब मैं घर जा रही हूँ.
वो मुझ पर गुस्सा होने लगी और बोली- बारात आने तक तो रुक जाओ.

अभी तक बारात नहीं आई थी.
तो मैंने रुकने का फैसला करके मेरे शौहर को फ़ोन किया और उन्हें बता दिया कि मुझे देर हो जाएगी.

कुछ और देर बीत गई और करीब साढ़े बारह बजे शहज़ाद ने मुझसे चलने के लिए बोला.
तो मैं बिना किसी को बताए मैं वहां से निकल आयी.

रास्ते में शहज़ाद मुझसे बोला कि इतनी रात के आपके घर से सब सो चुके होंगे, तो गेट कौन खोलेगा. इससे अच्छा है कि आज रात आप मेरे घर रुक जाओ, वैसे भी मेरा घर खाली है. मैं सुबह सुबह आपको आपके घर छोड़ दूंगा.

मैं समझ गयी थी कि आज शहज़ाद मेरी चुदाई करने का मन बना चुका है.
चाहती तो मैं भी थी कि इसके मोटे लंड को अपनी चुत लेना है.
मैं उसे बोलना चाहती थी कि ‘मुझे चोदा जोर से’ लेकिन मैंने उसको बोला- ठीक है.

वो मुझे अपने घर ले आया और आते ही वो अपने कपड़े बदल कर बस एक शॉर्ट्स पहन कर मेरे सामने आ गया.

उसकी नंगी छाती देख कर मेरी चुत में चुनचुनी होने लगी थी.

शहजाद मेरी चूचियां देखते हुए मुझसे बोला- सब कमरे खाली हैं, जिसमें आपको सोना हो सो जाओ.

मैंने उससे पूछा- तुम किधर सोओगे?
वो बोला- अभी मैं कुछ देर पिक्चर देखूंगा.

मैंने बोला- मुझे भी अभी नींद नहीं आ रही है. मैं भी तुम्हारे साथ फिल्म देखूंगी.
वो बोला- ओके ये भी ठीक है.

उसने टीवी पर एक भूत वाली अंग्रेजी पिक्चर लगाई ये फिल्म थोड़ी गंदी थी.
चूंकि उसको मालूम था कि मुझे भूत वाली फिल्मों से डर लगता है.

उसने कमरे की सब लाइट बन्द कर दीं और अब उस पूरे कमरे में सिर्फ टीवी की लाइट थी.
सामने पड़े सोफे पर हम दोनों बैठ गए.

कुछ देर फिल्म चली, तो उसने डरावना दृश्य आ गया. मैं एकदम से शहज़ाद से सट गयी और उसने भी अपना हाथ बढ़ाते हुए मेरी कमर को पकड़ कर मुझे उठाया और अपनी गोद में बिठा लिया.

मैं भी इसके खड़े होते लंड पर अपनी गांड टिका कर बैठ गई. वो अपने दोनों हाथों से मेरे पेट को सहलाते हुए एकदम मुझसे चिपका था.
उसका लौड़ा एकदम खड़ा हो चुका था, जो मुझे नीचे से एकदम गड़ा जा रहा था.

अब उसने अपना हाथ आगे करते हुए मेरा पल्लू गिरा दिया और अपने दोनों हाथों को मेरे दोनों मम्मों पर रख कर मेरे दूध सहलाने लगा.
उसने पहले तो हल्के से. फिर एकदम से कड़क हाथों से मसलने लगा.

उसकी इस हरकत से मैं भी एकदम गर्म होकर उससे चिपक गयी और मैंने अपने ब्लाउज का हुक खोल कर अपने चुचियों को आज़ाद कर दिया.

शहज़ाद ने तुरंत मेरे दूध लपक कर पकड़ लिए और मेरे निप्पलों को अपनी उंगलियों में लेकर मींजने लगा.
वो मेरे दोनों थन पूरी तरह से अपनी हथेलियों में भर कर दबाने लगा.

मैं भी मादक आहें भरने लगी.
उसने मेरा सिर पकड़ कर पीछे को घुमाया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर उनका रस पीने लगा.
मैं भी उसका साथ देने लगी.

कुछ देर मेरे होंठों को चूसने के बाद उसने मुझे सीधा करके बिठा लिया.
मेरी टांगें उसके दोनों तरफ थीं. वो काफी देर मेरे होंठों को पीता रहा. फिर मेरे एक दूध को मुँह लेकर चूसने लगा तो मैं अपने हाथ से दबाते हुए उसको अपनी चूची चुसवाने लगी.

हम दोनों ही चुदासे हो गए थे. हम दोनों की आंखें मिलीं और एक दूसरे को चुदाई की पोजीशन में लाने का फैसला हो गया.

उसने एक एक करके मेरे सारे कपड़े उतार कर मुझे एकदम नंगी कर दिया और मुझे उसी सोफे पर लिटा दिया. फिर मेरी गीली और गर्म चूत में अपनी जीभ घुसा घुसा कर मेरी चुत चाटने लगा.
मैं बेहद मस्त हो गई थी. कुछ ही देर में मेरी चुत का पानी निकल गया.

इसके बाद मेरी बारी आई. आज मैं मेरी ही बेटी के उस लंड को अपने मुँह में लेने जा रही थी जिस लंड को काफी दिनों से मेरी बेटी चूसती आ रही थी.
आज उसकी अम्मी भी उसी लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने जा रही थी.

मैं अगले ही पल मेरी बेरी के लंड को अपने मुँह में भर लिया और उसे चूसने लगी.

सच में बड़े गज़ब का स्वाद था शहज़ाद के लौड़े का … और इतना बड़ा और मोटा लंड को अपने मुँह में लेकर मैं खुद को बड़ी किस्मत वाली समझ रही थी.

काफी देर शहज़ाद का लंड चूसने के बाद शहज़ाद ने मुझे उसी सोफे पर पटक दिया.
उसने मेरी दोनों टांगों को उठा कर फैला दिया और अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ दिया.

उसका लंड अपनी चुत की फांकों में पाकर मैं मचल उठी. जैसे ही मैं एकदम से तड़पने लगी तो मैं बोल उठी- मुझे चोदा जोर से!
उसने एकाएक एक ही बार में अपना पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया.

वैसे तो मैं चुदी चुदाई थी, लेकिन शहज़ाद के लंड के हिसाब से मेरी चूत कम खुली थी.

उसके लंड के घुसते ही मुझे हल्का दर्द हुआ लेकिन मैं उसको सहते हुए अपनी चूत अलग अलग स्टाइल में चुदवाने लगी.
इसी तरह पहले राउंड में शहज़ाद ने अपने लंड का पानी मेरी चूत के अन्दर ही झाड़ दिया और मेरे ऊपर ही ढेर हो गया.

कुछ देर बाद वो मुझे अपने कमरे में अपने बिस्तर पर ले गया.
फिर से एक बार वो मेरे पूरे बदन को चूमते हुए अपना मूड बनाने लगा.

उसने मुझे अपना लंड चूसने को कहा, जिसको मैंने लगभग पांच मिनट में चूस कर खड़ा कर दिया.

इसके बाद शहज़ाद ने मुझे घोड़ी बनने को बोला और मैं झट से घोड़ी बन गई.
उसने पीछे से आकर मेरी गांड को एक बार फिर से चाट कर गीला कर दिया. मेरी गांड का छेद थोड़ा ढीला करके वो उसी में लंड लगाने लगा.

मैं एक बार को कांपी कि इसका मूसल मेरी गांड फाड़ देगा.
मगर ये मौका अपनी बेटी के यार के लंड को अपनी गांड में लेने का था तो मैंने अपनी गांड मराने का मन बना लिया.
मैं बोलना चाहती थी- मुझे चोदो!
 

Bholaram

Divine
Banned
330
770
109
शहजाद ने अपने फौलादी लंड से मेरी गांड में एक जोर का झटका दे दिया जिससे उसका टोपा भर गांड में घुस पाया.

मुझे तेज दर्द भी होने लगा लेकिन शहज़ाद नहीं रुका. वो बड़े आराम आराम से अपना लंड अन्दर घुसाता गया और पूरा लंड गांड में पेलकर रुक गया. वो मेरी लटकती चूचियों को मींजने लगा, जिससे मेरी गांड का दर्द कम हो गया.

फिर शुरू हुई मेरी ज़िंदगी की पहली गांड चुदाई.
उस दिन मैंने शहज़ाद के लंड पर खूब उछल उछल कर अपनी गांड चुदाई करवाई.

इसी तरह दूसरी बार का वीर्य उसने मेरी गांड में ही छोड़ दिया.
अब हम दोनों एक साथ नंगे लेट गए.

मैंने समय देखा तो अभी रात के साढ़े तीन बजे थे. कुछ देर बाद हमने फिर से चुम्मा चाटी शुरू की और अबकी बार कुछ ज़्यादा देर तक शहज़ाद का लंड चूसने के बाद ही लंड खड़ा हुआ.

फिर जो चुदाई शुरू हुई तो इस बार साढ़े पांच बजे तक बहुत ज़बरदस्त तरीके से शहज़ाद ने मुझे चोदा.

अपनी बेटी के प्रेमी के लंड से चुदने के बाद मैंने अपने कपड़े पहने और चलने को तैयार हो गई.
शहज़ाद मुझे 6 बजे मेरे घर छोड़ आया.

उस दिन के बाद से वो जब भी घर आता, तो जैसे ही मौका मिलता, वो उसी समय मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चुदाई का मज़ा दे देता.

एक दिन शाम को मेरे पति घर आए और बोले- मेरा सामान बांध दो, मुझे दो दिनों के लिए शहर से बाहर जाना है.

दूसरे दिन सुबह सुबह वो बाहर चले गए और उस दिन मैंने मेरी दोनों छोटी बेटियों को रोक लिया.
रुबिका के कॉलेज जाते ही मैंने अपने भाई को बुला लिया और उन दोनों को अपनी नानी के यहां भिजवा दिया.

उन सबके जाते घर एकदम खाली हो गया था. मैंने शहज़ाद की मम्मी को फ़ोन करके बोला कि मेरे शौहर दो दिन के लिए बाहर चले गए हैं, तो हम लोग रात में अकेले हो जाते हैं. अगर शहज़ाद दो दिनों के लिए रुक जाएया तो हम लोगों को डर नहीं रहेगा.

शहज़ाद आधे घंटे में मेरे घर आ गया और आते के साथ मैंने शहज़ाद से किचन में ही खाना बनाते हुए अपनी चूत और गांड एक बार चुदवा ली.

फिर हम साथ बैठ कर बात करते रहे.

दोपहर में जैसे रुबिका घर आई तो वो शहज़ाद को देख कर एकदम से खुश हो गयी.
जब उसको बाकी घर वालों के बारे में पता चला कि बाकी सब भी गए हैं तो वो और खुश हो गयी.

फिर हम तीनों ने दोपहर का खाना साथ खाया और वो शहज़ाद को लेकर छत पर चली गयी.

शाम तक वो दोनों नीचे उतरे.

ज मैंने पूरा मन बना लिया था कि आज शहज़ाद के लंड से रुबिका की नथ उतरवानी ही है, चाहे जैसे भी हो.

मगर ये दिक्कत भी थी कि मेरे घर में रहते हुए रुबिका सील नहीं खुलवाएगी.
तो मुझे एक तरकीब सूझी.

मैं चुपके से एक उत्तेजना बढ़ने वाली गोली ले आई और शाम को रुबिका को जूस में मिला कर दे दी.

ये दवा 100 एमजी की थी, तो अपना असर थोड़ी देर में शुरू करती थी. लेकिन एक बार मूड बन जाने के बाद किसी की भी चुत बिना बुरी तरह चुदे ठंडी नहीं पड़ सकती थी.

आज मैंने शाम का खाना जल्दी ही, करीब 9 बजे तक लगा दिया और खाने के बाद मैंने रुबिका को उसके कमरे में सोने को बोला.

मैं शहज़ाद को अपने साथ बाहर वाले कमरे में ले आई.

फिर जैसे रुबिका अपने कमरे में गयी तो मैंने शहज़ाद का मूड बनाने के लिए एक लाल रंग की फैंसी सी और बहुत ज़्यादा खुली हुई ब्रा पैंटी पहन ली.
वो भी बस एक शॉर्ट्स में था.

मैंने कमरे की लाइट बन्द करके बस बाहर आंगन का एक बल्ब जलाए रखा जिससे अन्दर तक हल्की रोशनी आती रहे.

हम दोनों एक बिस्तर पर लेट गए. पहले हम दोनों ने एक दूसरे के होंठों को चूमना शुरू किया. इसके बाद शहज़ाद ने मेरी ब्रा हल्की सी नीचे करके मेरी चूची बाहर निकाली और मेरे निप्पल को पीने लगा.
मैं जानबूझ कर सोने का नाटक करने लगी क्योंकि मैंने शहज़ाद का मूड तो बना दिया था लेकिन आज उसे मुझे नहीं चुदना था, आज तो रुबिका की सील टूटनी थी.
इसी लिए मैं जानबूझ कर सोने का नाटक करने लगी.

कुछ देर तो शहज़ाद ने मेरे चुचे रगड़े, लेकिन जब ये पाया कि मैं सो गई हूं .. तो वो भी बगल में सीधे होकर लेट गया.

करीब आधा घंटा लगभग बीता होगा कि रुबिका के कमरे का दरवाजा खुला. मेरे कमरे में तो अंधेरा था तो मुझे यहां से सब कुछ साफ दिख रहा था.

मैंने देखा कि वहां अपने कमरे से रुबिका बिल्कुल नंगी निकली. जिससे मुझे पता लग गया था कि इसकी चुत में आग सुलगने लगी है और मेरी दवा ने असर शुरू कर दिया है.

रुबिका बहुत आहिस्ता से मेरे कमरे में आयी और सीधे शहज़ाद के लंड के पास जाकर उसका शॉर्ट्स निकाल कर उसका लंड चूसने लगी.

कुछ देर लंड चूसने के बाद उसने शहज़ाद से अपने साथ अन्दर कमरे में चलने को बोला, तो शहज़ाद भी नंगा ही वहां से निकल गया.

उन दोनों के कमरे में जाते ही मैं भी अपनी ब्रा पैंटी वही निकाल कर नंगी हो गई और उसी कमरे के दरवाजे पर आ पहुंची.
वो दोनों जल्दी जल्दी में दरवाज़ा बन्द करना शायद भूल गए थे और बाहर के बल्ब की अच्छी रोशनी इस कमरे में आ रही थी, जिससे अन्दर का पूरा नज़ारा मुझे बाहर से साफ दिख रहा था.

अन्दर मेरी बेटी रुबिका और मुझे चोदने वाला लड़का दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूम और चाट रहे थे.

आगे बढ़ते हुए शहज़ाद ने रुबिका के गदराए बदन का रस चूसना शुरू कर दिया. उसने मेरी बेटी के कसे हुए मम्मों को दबा दबा कर उनका रस पिया.
जिसके बाद रुबिका एकदम बेताबी से अपनी चूत पूरी शहज़ाद के मुँह में घुसा घुसा कर उससे चटवाने लगी.
कुछ देर में ही रुबिका ने एक बार पानी छोड़ दिया.

कुछ देर बाद उसने एकदम से बेड पर शहज़ाद के ऊपर गिर कर उसका लौड़ा बेसब्री से चूसने लगी.

मैं भी बाहर खड़ी अपनी बेटी की चुदाई देख कर उत्तेजित होकर अपने बुर में उंगली करते हुए मज़ा लेने लगी.

मोटा लंड चूसने के बाद रुबिका सीधे हो कर लेट गयी और शहज़ाद से बोली- जानम, जल्दी मेरी चूत में अपना लंड डाल दो .. वरना मैं मर जाऊंगी.

शहज़ाद ने अपना लंड हाथ में लिया और उसको रुबिका की सील पैक चूत पर रगड़ते हुए एक जोर का झटका दे दिया.

रुबिका एकदम दर्द से चीखने को हुई.
लेकिन शायद उसको मेरा ख्याल आया होगा कि कहीं उसकी आवाजों से अम्मी न जाग जाएं, तो उसने खुद बगल में रखे तकिया को अपने मुँह पर रख कर उससे अपना मुँह दबा लिया.
इससे उसकी आवाज़ निकलना बंद हो गई.

इसके बाद शहज़ाद ने बड़ी बेरहमी से मेरी बेटी की चुत का फीता काटना शुरू कर दिया.
अगले दो ही झटकों में बिना किसी ज़्यादा दिक्कत के रुबिका की एकदम पहले से गीली हो चुकी चूत में लंड अन्दर घुसता चला गया.

फिर कुछ देर बाद रुबिका अपने मुँह से तकिया हटा दिया और वो हल्की हल्की आवाजों में मादक सिसकारियां लेने लगी.

वो अपनी मदमस्त वाली चुदाई करवाने लगी और अपनी गांड उठा उठा कर लंड चुत में लेने लगी.

काफी देर चली इस भयंकर चुदाई में रुबिका कई पोज बदल बदल कर शहज़ाद का लंड चुत में लेती रही.
झड़ कर शहज़ाद ने अपना सारा वीर्य रुबिका को पिला दिया और दोनों थक कर लेट गए.

कुछ देर बाद शहज़ाद उठने लगा, तो रुबिका ने कहा- कहां जा रहे हो?
शहज़ाद बोला- पानी पीने.
रुबिका बोली- मेरे लिए भी लेते आना.

फिर शहज़ाद जैसे ही बाहर आया और मुझे उसी दरवाज़े पर नंगी खड़ी देखा तो वो एकदम से चौंक गया और सकपका गया.

लेकिन मैं उसका लंड पकड़ कर उसको किचन तक लेकर आयी और नीचे बैठ उसका लंड चूसने लगी.

कुछ देर लंड चूसने के बाद जैसे ही उसका लंड खड़ा हुआ तो मैं उठ गई और उसको पानी की बोतल और तेल की शीशी देते हुए अन्दर जाने को बोली.
अब तक वो भी समझ गया था कि मैं भी रुबिका को चुदवाने में राज़ी हूँ.

वो अन्दर गया और रुबिका को पानी पिला कर उसको घोड़ी बना कर उसकी गांड में तेल लगाने लगा.
फिर उसकी मखमली गांड फाड़ कर मजा लेने लगा.

करीब एक घंटे तक चली इस गांड और चूत की मिश्रित चुदाई में रुबिका एकदम थक कर चूर हो गयी थी.
आज उसके दोनों छेदों को सील टूटने की वजह से वो दो राउंड के बाद सो गई.

उसके सोते ही मैं उस कमरे में अन्दर आ गयी और सीधे लेटे हुए शहज़ाद का लंड चूसने लगी.
लंड खड़ा हुआ तो मैं उसके लंड में चढ़ गई.
चुत में लंड लिया और अपनी गांड उछाल उछाल कर अपनी चुत चुदवाने लगी.

मैं अपनी नंगी और अभी अभी चुदी बेटी की बुर गांड से निकले लंड से मेरी चुत की आग मस्त बुझ रही थी. मेरी बेटी की अम्मी उसी के आशिक के लंड से अपनी चुत चुदवा रही थी.

कुछ देर बाद मैंने उसका लंड अपनी गांड में ले लिया. लम्बी और ज़बरदस्त गांड चुदाई के बाद शहज़ाद ने सारा वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया.
मैं झड़ कर उसी के ऊपर लेट गयी और न जाने कब मेरी आंख लग गयी.

मेरी आंख सबसे पहले खुली, तो मैं उठते ही शहज़ाद के लंड का स्वाद लेते हुए उसके लंड को चूसने लगी.
वो लंड चूसने से जाग गया.

जैसे ही वो जागा, मैं बाहर आ गयी और अपनी नाइटी पहन कर चाय बनाने लगी. शहज़ाद भी अपनी शॉर्ट्स पहन कर फ्रेश होने चला गया.

तब तक रुबिका भी लोअर और टीशर्ट में एकदम लंगड़ाती हुई बाहर आ गई.
उसका हुलिया एकदम से उजड़ा हुआ था.

कुछ देर इसी तरह बीतने के बाद जब मैं नहा कर बस तौलिया पहन कर नाश्ता बना रही थी.

तभी शहज़ाद भी नहा कर निकल आया और मेरे पीछे आकर मेरी तौलिया के ऊपर से मेरी चुचियों को दबाने लगा.
मैं उसको चूमने लगी और वो गर्म हो गया.

उसने मेरी तौलिया निकाल अलग फेंक दी और मेरी एक टांग उठा कर किचन की स्लैब पर रख कर मेरी चूत में लंड पेल दिया. वो मेरी चुचियां दबाते हुए मुझे चोदने लगा.

इसी बीच रुबिका ने भी हम दोनों को चुदाई करते हुए देख लिया लेकिन वो कुछ नहीं बोली.

वो नहाने चली गयी और उसको भी मालूम चल गया था कि उसकी मां भी उसके प्रेमी के लंड से चुद रही है लेकिन शायद वो भी मेरी मजबूरी समझ कर चुप रही.

फिर नाश्ते के बाद मैं जानबूझ कर रुबिका को बोलकर गयी- मैं कुछ काम से बाहर जा रही हूँ, दोपहर तक आऊंगी.
इससे वो भी समझ गयी थी कि उसकी मम्मी उसको चुदने का समय देने के लिए बाहर जा रही हैं.
मैं निकल गयी.

जब दोपहर को मैं वापस आयी तो दरवाज़ा खुला था और रुबिका और शहज़ाद दोनों नंगे लेटे थे.
रुबिका शहज़ाद के ऊपर चढ़ी थी और शहज़ाद का लंड उसकी गांड में फंसा था. उसका वीर्य वहीं से थोड़ा बह भी रहा था.

मतलब शहज़ाद रुबिका की गांड मारते हुए उसी में झड़ कर सो गया था.

मैं अन्दर वाले कमरे में आ गयी और सो गई.

शाम को रुबिका उठी और तैयार होकर मुझसे बोली- मैं बाहर जा रही हूँ.

अबकी बार शायद उसने मुझे चुदने का समय दे दिया था.
वो चली गयी और मैं मुस्कुरा दी.

उसके जाते ही शहज़ाद ने मेरे सारे कपड़े फाड़ कर मुझे पूरे घर में दौड़ा दौड़ा कर बहुत ज़बरदस्त तरीके से चोदा. फिर देर शाम तक रुबिका घर आ गयी.

मैंने खाना लगाया और काफी देर बाद हम सब सोने के लिए गए.

आज रुबिका अपने कमरे में थी और शहज़ाद भी उसी के साथ चला गया था.

थोड़ी देर बाद मैं भी उसी कमरे में चली गई.
रुबिका ने मुझे देख कर कुछ नहीं कहा.

कुछ देर बाद शहज़ाद ने रुबिका को मेरे सामने ही नंगी कर दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया.
चुदाई का खेल शुरू हो गया था.

मैं रुबिका के करीब आ गई और उसकी चूचियां मसलने लगी.
हम दोनों के बीच शर्म खत्म हो गई थी.

उसने मुझे लेट कर चुत चुसवाने के लिए इशारा किया.
मैं लेट गई और मेरी बेटी मेरी चुत चूसने लगी.

पहले शहज़ाद ने रुबिका को ठोका और फिर मुझे चोदना शुरू कर दिया.
अब हम दोनों मां बेटी एक ही लंड से बदल बदल कर चुद रही थी लेकिन हमने उस कमरे की लाइट बन्द रखी थी.

उस दिन के बाद से हम दोनों मां बेटी का एक ही सहारा शहज़ाद का लंड था.

जब कुछ सालों बाद रुबिका की शादी उसके अब्बू की मर्जी से किसी दूसरे शहर में किसी और से हो गयी तो वो अपनी ससुराल चली गई.

उसके जाने के बाद शुरूआत में मैं ही अकेली थी तो शहज़ाद के लंड से खूब मज़े लेती.
लेकिन फिर किसी दिन मेरी दूसरे नंबर वाली बेटी, जो कि पूरी जवान हो गयी थी … उसने मुझे शहज़ाद से चुदवाते हुए देख लिया था.

ये बात जब मुझे मालूम चली तो मैंने शहजाद से अपनी दूसरे नम्बर वाली बेटी की चुत की सील तोड़ने की कह दी.

अगले ही दिन मेरे शौहर शहर से बाहर चले गए और उसी दिन मैंने शहजाद को घर बुला लिया.
शहजाद के कहने पर मैं अपनी बेटी से घर से बाहर जाने की कह कर निकल गई.

उधर मेरे निकलते ही मेरी बेटी सबा ने शहजाद के पास जाकर उससे सीधे सीधे बात की.

सबा- आप मेरी अम्मी के साथ सेक्स करते हैं … ये बात मुझे मालूम है.
शहजाद- तो?
सबा- तो ये कि आप मेरे साथ भी सेक्स करो वरना मैं अब्बू को सब बता दूंगी.

शहजाद ने सबा का हाथ पकड़ कर उसे अपनी गोद में खींच लिया और उसके लब चूमते हुए कहा- तो इसमें धमकी देने की क्या बात है मेरी सब्बो रानी. आओ आज तुम्हारी बुर को चुत में तब्दील कर देता हूँ.

सबा शहजाद के साथ चूमाचाटी में लग गई.

तभी सना की आवाज आई- बाजी, मैं भी आपके साथ ही भाईजान के लंड से खेलूंगी.
शहजाद ने चौंक कर उसे देखा तो वो तो सबा से भी एक कदम आगे थी.
साली पूरी नंगी चुत खोले दरवाजे पर खड़ी थी.

शहजाद ने उसे भी अन्दर आने का इशारा किया और उस दिन शहजाद ने मेरी दोनों बेटियों की चुत की सील तोड़ दी.

चुदाई के बाद शहजाद ने उन दोनों से कहा- मैं सबीना के बिना नहीं रह सकता हूँ. यदि तुम दोनों अपनी अम्मी के साथ मेरे लंड से चुदना पसंद करो तो ठीक है, नहीं तो मैं आज से इस घर में आना छोड़ दूंगा.

शहजाद की ये बात सुनकर मैंने खिड़की से आवाज दे दी कि शहजाद तुम चिंता मत करो हम सब तुम्हारे सहारे ही हैं.

इतना कह कर मैं कमरे में आ गई. मेरे सामने वे तीनों नंगी हालत में थे. मैं भी अपने कपड़े उतार कर पूरी नंगी हो गई.

हम चारों ने सेक्स की मस्ती की और एक दूसरे के राजदार हो गए.

अब वो दोनों और मैं एक साथ शहज़ाद से चुदवा लेती थीं, मतलब फ़ोरसम चुदाई हो जाती थी.

फिर जब भी रुबिका मायके आती, तो वो शहज़ाद को बुलवा कर अपनी ठुकाई करवाने लगती. रुबिका के दो बच्चे हुए जो कि शहज़ाद के बीज से ही पैदा हुए थे. मतलब उनका असल बाप शहज़ाद ही था.
ये बात सिर्फ वो दोनों और मुझे ही मालूम था.

इस तरह से मैं तो हमेशा शहज़ाद से चुदती रही लेकिन उसने मेरी तीनों बेटियों की झोली में भी उसने अपने लंड से ही खुशी भर रखी थी.
 

Kamal096

New Member
93
215
33
दोस्तो, मेरा नाम सबीना है. मेरा फिगर 34-28-36 की साइज का है. हाइट 5 फ़ीट 6 इंच है. मेरे जिस्म की कसावट एकदम टॉप क्लास रंडी की जैसी है और मैं एकदम दूध सी गोरी हूँ. कम उम्र में शादी होने की वजह से मेरी उम्र अभी कम है.
मेरी तीन बेटियां हैं. सबसे बड़ी वाली अभी 21 साल की हुई है, जिसका नाम रुबिका है और वो भी एकदम मेरे जैसे दूध सी गोरी और कसे हुए बदन की मालकिन है.
उसके शरीर का आकार अभी से ही मेरे आकार जितना ही हो गया है. उसकी चुचियां और गांड भी मेरी तरह एकदम कसी हुई हैं.

कमाल की बात ये है कि उसकी चूत अभी तक कुंवारी है. बाकी मेरी दो बेटियां अभी छोटी हैं. उनके नाम सबा और सना हैं. तीनों बेटियों में एक एक साल का ही फर्क है.

छोटी उम्र में शादी होने की वजह मेरी बेटियां भी जल्दी पैदा हो गयी थीं और वैसे भी हम लोग शादी के तुरंत बाद औलादें पैदा करना शुरू कर देते हैं. इसलिए मेरी तीन औलादें एक के बाद एक पैदा होती चली गईं.

मेरी बेटी और मेरी फिगर एक जैसी होने के कारण अभी भी जब हम दोनों साथ बाहर निकलते हैं, तो हम दोनों बहनें ही लगते हैं.

मेरे शौहर की कपड़ों की दुकान है. मुझसे ज़्यादा समय वो अपनी दुकान पर देते हैं.

शौहर ने अब तक जितनी बार मेरी चुदाई की, सिर्फ बच्चे पैदा करने के लिए ही की मतलब उन्होंने हर बार मेरी चुत में ही अपने लंड का रस टपकाया है.
आज तक कभी मैं मेरी चुदाई से संतुष्ट नहीं हो सकी थी और ना ही वो मुझे संतुष्ट कर पाते हैं.

अब चूंकि उनकी उम्र मुझसे ज़्यादा है, तो उनका लंड ज्यादा लम्बी देर तक नहीं टिकता है. वो 48 साल के हो गए है और उनका लंड बड़ी मुश्किल से खड़ा हो पाता है.
इस वजह से उनसे चुदाई से मेरी चुत शांत ही नहीं हो पाती थी और मेरी गर्मी निकल ही नहीं पाती थी.

मेरी दोनों छोटी बेटियां स्कूल की अंतिम क्लास में हैं और बड़ी वाली कॉलेज चली आती है. सभी के घर से चले जाने के कारण मैं घर में अकेली रह जाती हूँ.

उस समय अकेले में मैं अपने मोबाइल में एडल्ट्स पिक्चर्स देखती रहती हूँ और Xforum की गर्म सेक्स कहानियां पढ़ कर अपनी चूत में उंगली करके अपने आपको ठंडा कर लेती हूँ.

लेकिन मुझे अब कोई ऐसा मर्द चाहिए था, जो मेरी चूत चोद कर उसका भुर्ता बना दे. मेरी गांड में भी खुजली होती है.
मेरी गांड अभी तक सील पैक थी, मेरे मन में आता था कि कोई मर्द उसको भी अपने फौलादी लंड से फाड़ दे और मेरे दोनों छेद चालू कर दे.

मुझे अपनी चूत चुसवाना, चूचियां दबवाना, निप्पलों को दांतों से कटवाना और कठोरतम चुदाई करवाना बहुत पसंद है.

खासकर मैं कम उम्र के नए नए जवान हुए लड़के से मेरी चुदाई करवाना चाहती हूं. उनके साथ सेक्स करने में मुझे कुछ अलग ही मजा मिलने की उम्मीद थी.

मगर ये सब किस तरह से हो सकता था. मैं बस ये ही सोच सोच कर अपनी चुत में उंगली करती रहती थी. इसी तरह मेरा जीवन साधारण तरीके से चलता रहा.

लेकिन अब जिस तरह मेरी बेटी जवान होते ही एकदम खिल गयी थी, उससे मुझे लगने लगा था कि अब तो इसके चुदने के दिन आ गए हैं. मुझे अपनी चुत चुदवाने की जगह उसके लिए लंड की तलाश करनी चाहिए.

एक हमारे दूर के जानने वाले थे, जिनका बेटा बचपन से हमारे यहां आता था और मेरी बेटियों के साथ खेलता था. जब उसने भी 18 साल पार कर लिए तो वो एकदम से बदल गया.
वो भी एकदम गोरा और अच्छी कद-काठी का लड़का था. जवान होते ही वो भी एकदम निखर आया था.

उस लड़के का नाम शहज़ाद था. वो हमारा दूर का रिश्तेदार था, तो मैंने उसके लिए कभी कुछ गलत नहीं सोचा था.

एक दिन जब शहजाद शाम को घर आया, तो मेरी बड़ी बेटी रुबिका से बात करने लगा. उन दोनों की खूब बनती थी.

उस दिन शाम को शहज़ाद मेरी बेटी से साथ कमरे में था और मैं खाना बना रही थी. अभी तक मेरे शौहर घर नहीं आए थे.

खाना बनाने के बाद मैं दूसरे कमरे में जा रही थी कि तभी अचानक से मेरी उस कमरे में नज़र पड़ी, जहां मेरी बेटी और शहज़ाद थे. कमरे का दरवाज़ा आधे से ज्यादा भिड़ा था, वो हल्का सा खुला था. मैंने देखा मेरी बेटी शहज़ाद के ऊपर लेटी थी और शहज़ाद उसकी कमर से हाथ लगा कर उसे पकड़े था. वो दोनों मोबाइल में कुछ देख रहे थे.

मैं सीन देख कर वहां से हट गई और किचन में आ गयी. मुझे मन में उन दोनों के लिए संदेह हो गया.
वो दोनों भले ही पहचान के थे, लेकिन दोनों ही अभी अभी जवानी की दहलीज पर पहुंचे थे, तो शायद उन दोनों में कुछ गड़बड़ हो सकता था.

यही सब सोचते हुए कुछ देर बीत गई. तब तक मेरे शौहर घर आ गए और शहज़ाद के घर से भी फ़ोन आ गया. वो भी कमरे से बाहर आकर जाने लगा.

मैंने उसको खाने के लिए रोका लेकिन वो रुका नहीं, चला गया.

अब उस दिन के बाद से मैं उन दोनों पर नज़र रखने लगी और कुछ ही दिनों मैं मैंने पाया कि वो दोनों रिश्तेदार नहीं बल्कि अब दोनों एक दूसरे के साथ गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के जैसे थे.
लेकिन अभी मेरा उन दोनों को कुछ कहना ठीक नहीं था, इसी लिए मैं शांत रही और उन पर नज़रें बनाए रखीं.

मुझे शुरूआत में ये लग रहा था कि मेरी बेटी बहुत भोली है. कहीं शहजाद उसको बहला फुसला कर उसके साथ कुछ उल्टा सीधा न कर दे, जिससे मेरी बेटी की जिंदगी और हमारे घर की इज्जत मिट्टी में मिल जाए.

कुछ दिन गुज़रने के बाद एक दिन रात को मुझे मेरी बेटी रुबिका का मोबाइल मिल गया.
जब मैंने मोबाइल को देखा तो मेरा माथा ही घूम गया क्योंकि उसने इन दोनों की चैट हद से बहुत आगे की बातचीत थी.

उन दोनों में सेक्स तक की बातें होती थीं. इस चैट से समझ आ रहा था कि सेक्स चैट में वो लड़का नहीं बल्कि मेरी बेटी उसके पीछे लगी थी.

मैंने पूरी चैट को शुरूआत से पढ़ना शुरू किया. मैसेज पढ़ने पर पाया कि पहले मेरी बेटी ने ही शहज़ाद से बात शुरू किया था और उससे खुद से अपने प्यार का इज़हार किया था.
अब वो उससे उसके साथ सेक्स के लिए रोज़ बोलती थी.

चैट में मेरी बेटी ने आगे शहजाद से ये भी लिखा था कि मुझे कल तुम्हारा लंड चूसना है, चाहे जो हो जाए.
इस पर शहज़ाद ने लिखा था कि कैसे चूस पाओगी. तुम्हारे घर में सब लोग होते हैं और बाहर ये करना सही नहीं रहेगा.

तो इस पर मेरी बेटी उससे गुस्सा हो गयी और उसने लिखा था कि अब मैं जब तुम्हारा लंड अपने मुँह में लूंगी, तभी तुमसे बात करूंगी.
इसके बाद शहज़ाद ने उसे बहुत समझाने वाली बात लिखी थी लेकिन मेरी बेटी ने उसके किसी मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया था.

इस सेक्स चैट को पढ़ने के बाद मैंने रुबिका का मोबाइल रख दिया और लंड चुसाई की बात सोचते हुए अपने बिस्तर पर लेट गयी.
इसी बीच कब मेरी आंख लग गयी, मुझे पता ही नहीं चला.

अगले दिन दोपहर को शहज़ाद फिर मेरे घर आया और हमारे साथ खाना खाकर बाहर ही बैठ गया था क्योंकि मेरी बेटी उससे नाराज़ थी.

मैं मौका देखते हुए अपनी बेटी के पास गई और बोली कि तुम कुछ देर घर में ही रहना, मैं कुछ काम से जा रही हूँ. अभी आती हूँ.
मेरी इस बात से वो एकदम से खुश सी हुई … लेकिन फिर शांत होते हुए बोली- ठीक है अम्मी, आप जाओ.

मैं कुछ देर में कपड़े बदल कर घर से बाहर आ गयी.

मेरे घर में बाहर से एक सीढ़ी है जो सीधे ऊपर छत पर जाती है. मैंने जानबूझ कर सामने से जाने के बाद मेन गेट बंद कर दिया और अब मैं चुपके से सीढ़ी से चढ़ कर ऊपर आ गई.
फिर छत के रास्ते से वापस अपने घर में अन्दर आ गयी.

मैंने देखा कि रुबिका उस कमरे को बाहर से बंद कर रही थी, जहां उसकी दोनों बहनें सोई हुई थीं.
उसके बाद वो सीधे सामने वाले कमरे में चली गयी, जहां शहज़ाद एकदम चित लेटा था.

रुबिका उसके पास जाते ही उसके पैरों के बीच में बैठ गई. उसने शहजाद की पैंट की चैन खोल कर उसका लौड़ा बाहर निकाल लिया और गप से लंड को मुँह में लेकर मस्ती से चूसने लगी.

मैं बाहर आंगन से खड़ी, ये सब देख रही थी.
जैसे ही शहज़ाद का लौड़ा मेरे सामने आया, मेरी तो आंख फटी की फटी रह गईं क्योंकि उसका लौड़ा जैसे ब्लू फिल्मों में काले हब्शियों का खूब बड़ा लंड होता है, एकदम वैसा ही था.
आठ इंच से ज्यादा लम्बा और साढ़े तीन इंच से कुछ ज़्यादा मोटा लंड था.

रुबिका उसके लंड को बड़ी आसानी और प्यार से जीभ से चाटने लगी थी.

फिर मेरी बेटी ने किसी अश्लील फ़िल्म की रंडी की तरह शहज़ाद का पूरा का पूरा लंड अपने मुँह में घुसा लिया.
अब वो गले के आखिरी छोर तक लंड लेकर चूस रही थी.

मैं दूर खड़ी ये सब देख रही थी. उस वक़्त मुझे एक मां होने के नाते उन दोनों को रोकना चाहिए था.
लेकिन उस वक़्त मैं एक बहुत प्यासी औरत भी थी और कहीं न कही मुझे शहज़ाद के मोटे लौड़े से अपनी प्यास भी शांत होती दिख रही थी.
शायद यही वजह थी कि मेरे हाथ मेरी चुचियों को मसलने लगे थे.
मैं अपनी बेटी को लंड चूसते देख गर्म हो गयी थी.

इसी सोच के बीच मुझे ये बात भी मन में आयी कि जिस तरह मेरी शादी जल्दी हो गयी, हर बस मैं बच्चे पैदा करने और घर संभालने के अलावा कुछ ना कर सकी. मेरी जवानी वैसे के वैसे रह गयी, जिसका मैं मज़ा न ले सकी, कहीं वैसा ही इसके साथ भी न हो.

ये वक़्त मेरी बेटी को मजा लेने का वक्त था. क्योंकि इसके पापा भी इसकी शादी का मन बना चुके थे, बस मेरी जिद के कारण ये अपनी पढ़ाई कर पा रही थी.
वरना वो इसको पहले ही विदा कर देते और इसकी ज़िन्दगी का मज़ा यहीं दफन हो जाता.

ये अपने मायके में है तो मजा ले पा रही है. वरना ससुराल जाने के बाद तो मेरी तरह इसकी भी ज़िन्दगी बेकार हो जाएगी.

उस वक़्त रिश्ते के हिसाब से मुझे वो सब रोकना था, लेकिन मैंने अपनी बेटी की खुशी के लिए वो सब देख कर भी अपना मुँह फेर लिया.

उन दोनों के बीच मस्ती से मुख मैथुन चल रहा था. कुछ मिनट बाद शहज़ाद रुबिका के मुँह में झड़ गया. उसका इतना सारा माल निकला कि रुबिका ने उसको पूरा मुँह में भरने की कोशिश की, फिर भी वो उसके मुँह से बहने लगा.

फिर रुबिका ने उसका सारा वीर्य पीने के बाद बाहर बहे हुए वीर्य को भी चाट चाट कर साफ किया.

लंड चुसाई के बाद वो दोनों उठ गए और एक दूसरे की बांहों में लेट गए.

ये देख कर मैं दूसरे दरवाज़े से घर से बाहर आ गयी.

जब मैं कुछ देर बाद वापस घर में गयी, तो मुझे सब सही मिला.

मेरे घर आ जाने के कुछ देर बाद वो अपने घर चला गया.

जब वो अगले दिन मेरे घर आया, तो आज जानबूझ कर मैंने शहज़ाद को रिझाने के लिये एक एकदम हल्के रंग और झीने कपड़े का सूट पहना. उस पर दुपट्टा भी नहीं लिया, मेरी कुर्ती एकदम चुस्त थी और उसका गला भी काफी गहरा था.
इस कारण उसमें से मेरे मम्मों की अच्छी खासी गहराई दिख रही थी. झुकने पर तो समझो बवाल ही हो जाता था.

वो आते ही मुझे सलाम करने लगा.
मैंने भी झुक कर उसे सलाम किया और उसको अपनी चूचियों की मस्त झलक दिखा दी.

वो मेरी चूचियों को देखता हुआ साथ वाले कमरे में रुबिका के पास चला गया.

जब कुछ देर बाद मैंने उसको मेरे किचन में आते देखा, तो मैं नीचे ज़मीन पर उकड़ू बैठ गयी और एक बर्तन में आटा निकाल कर उसमें अपने हाथ फंसा कर उसको गूंथने लगी.

इस अवस्था ने बैठने के कारण मेरे बूब्स बहुत ज़्यादा लटक कर बाहर को दिख रहे थे. इस समय मेरा पूरा बदन पसीने से भीगा हुआ था और मेरे सर का पसीना चेहरे से होते हुए गर्दन के रास्ते मेरी दोनों चुचियों की गहरी घाटी में जा रहा था. मैंने मौका देख कर अपने बाल भी खोल दिए.

अब जब शहज़ाद किचन के बाहर आया, तो कुछ देर तो वो मुझे घूरता ही रह गया.
मैं भी जानबूझ कर अनजान बनी रही … लेकिन कुछ देर बाद जब मैंने अपनी नज़र उठाई तो उसे अपने मम्मे देखते हुए पाया.

मैं सामान्य भाव से बोली- अरे बेटा तुम … क्या हुआ क्या चाहिए?
वो हड़बड़ाते हुए मेरी छाती से नqqqq wwwwqqqwwqqwज़र हटाने की कोशिश करते हुए बोला- अरे वो मुझे प..प..पानी चाहिए था.

उसकी इस हकलाहट और बेचैनी को देख कर मुझे बड़ा मजा आ रहा था.
 
  • Like
Reactions: Bholaram

Agasthya

I'm flying solo...
Staff member
Moderator
40,172
19,866
274
Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).


"Chance to win cash prize up to Rs 8000"
Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words ke bich honi chahiye (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 15th February ko open ho chuka matlab aap apni story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 5th March 2024 tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 4000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 1500 Rupees + Award + 3500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories)
3rd Runner-UP 750 Rupees + 1000 Likes
Best Supporting Reader 750 Rupees + Award + 1000 Likes
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 

Evil300987

New Member
52
26
18
bhai story jabadast thi, pls continue karo air heroine ko bhi maa banade te shazad ke bacche, nahi aisi hi dusri story daalo jisme title hoo, girlfriend aur uski mom ko pregnant kiya...
 
Top