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Incest बेटी का हलाला अपने ही बाप के साथ

jacobroky

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दोस्तों मैं एक नई कहानी शुरू कर रहा हूँ. यह कहानी हमारे मुस्लिम समाज में व्याप्त एक प्रथा यानि हलाला की है.

इस कहानी का मुख्य पात्र अब्बास अली खान है .और उंसकी आयु 53 साल है। वह पेशे से एक मौलवी है और उत्तर प्रदेश के एक गांव में रहता है. कद 5 फीट 6 इंच और रंग गेहूंआ है। जिस्म बहुत ही तगड़ा है और चेहरा पर हम मुस्लिम मौलवी वाली दाढ़ी है। दिखने में वो एक पहलवान की तरह लगता है. उसके पास पैसा काफ़ी है। आंखों का रंग काला है और बाल सफेद हैं। अब्बास के घर में उसकी बेटी ही हैं। क्योंकि उसकी बीवी एक दुर्घटना में देहांत हो गया था और खुदा का बंदा होने के कारण उसने शादी नहीं की। वो दिन में ५ बार का नमाज़ी है और उसका काम मस्जिद मैं ५ बार नमाज अदा करवाना और किसी की शादी या मौत आदि मैं मौलवी का दाम करना है ।

अब थोड़ा सा उसकी बेटी के बारे मैं भी बता देते हैं.

अब्बास की बेटी का नाम ज़ैनब है. उसकी उम्र लगभग २२ साल की है। वो बहुत ही सुन्दर है और उसका बदन बहुत गोरा और शरीर थोड़ा मोटा और भरा पूरा है. अल्लाह ने उसको बहुत प्यार से बनाया है। खूब मोटे मोटे मुम्मे और बड़े बड़े चूतड़. जिन्हे देख कर तो शायद किसी मुर्दे का भी लौड़ा खड़ा हो जाये। वो दिखने में एकदम मस्त माल है और बहुत नमकीन है। उसका कद 5 फीट 4 इंच है। और होंठ लाल एवं रसीले हैं। उसका बदन भरा हुआ और सेक्सी है। उसके बूब्ज़ और चूतड़ काफ़ी बड़े-बड़े और उभरे हुए हैं। अगर कोई उसको देखता है तो उसके नाम की मुठ जरूर मारेगा और उसको चोदने केलिए तड़पेगा।

अब्बास ने कपड़े पहनने के मामले में कोई पाबंदी नहीं लगाई। वो ज्यादातर जींस टॉप या जींस शर्ट पहनती है और एमए दूसरे साल की छात्रा है। जींस के साथ जब हाई हील के सैंडिल पहनती है तो एक दम सेक्सी माल लगती है। उसकी मोटी गांड, बड़े-बड़े गोल बूब्ज़ और भरी हुई जांघों को देखकर मुंह से लार टपकने लगती है। उसकी फिगर का साईज 36-30-36 है और बूब्ज़ के निप्पलों का रंग हल्का गुलाबी है। उसकी गांड और बूब्ज़ काफ़ी भारी हैं और चलते हुए तो उसकी गांड कहर ढाती है। उसके बूब्ज़ और गांड काफ़ी बड़ी है।



अब्बास को उसकी बीवी की मोत के बाद से सेक्स की बहुत कमी हो रही थी.

उसके शरीर में खूब ताकत थी हर रोज उसका लौड़ा खड़ा हो जाता. तो रात कटनी उसे मुश्किल हो जाती थी,

गांव का मौलवी होने के कारण गांव के लोग उसकी बहुत इज्जत करते थे, पर इस कारण वो बेचारा किसी औरत को चोद भी नहीं पाता था।

बस उसके जीवन में एक चुदाई की ही कमी थी।
Sei
 
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पूरी रात दोनों ने रो रो कर गुजारी. उस्मान को अपनी गलती का एहसास था क्योंकि वो खुद भी तो एक मौलवी था. पर अब वो करे भी तो क्या करे.

अगले दिन ज़ैनब अपने अब्बू के घर वापिस आ गयी.

अब्बास को भी पता चल गया कि उसकी बेटी के साथ क्या वाकया हो गया है.

दोनों बाप बेटी बड़े परेशान बैठे थे. उस्मान भी पास में था. सभी परेशान थे की क्या किया जाये. उस्मान ने हाथ जोड़ कर अपने ससुर मौलवी अब्बास से कहा

"अब्बा जान , मैं मानता हूँ कि मेरे से गलती हो गयी है. पर मैं मन से ज़ैनब को तलाक नहीं देना चाहता था. वो तो बस मेरे से गुस्से में मुँह से निकल गया। आप कुछ कीजिये और ज़ैनब को समझाइये की सच में मैंने तलाक नहीं दिया है और वो मेरे साथ वापिस चले. "

अब्बास ने न में सर हिलाते हुए कहा

:"बेटा मैं जानता हूँ की तुम ज़ैनब से बहुत प्यार करते हो और तुम्हारे मन में को ऐसी बात नहीं है. पर हम सब गैरतमंद मुस्लमान है और ऊपर से हम दोनों ही एक मौलवी है. इसलिए हम को तो मजहब का पालन करना होगा. तुमने चाहे गुस्से में तलाक दिया है पर के अनुसार तलाक तो हो चूका है. अब ज़ैनब तुम्हारी बीवी नहीं रही. तुम दोनों में कोई भी रिश्ता अब नहीं है इसलिए ज़ैनब अब तुम्हारे साथ नहीं जा सकती. "

उस्मान बोला, “मैं ज़ैनब से दोबारा निकाह करने को तैयार हूँ।” ज़ैनब के पिता ने उस्मान को फिर समझाया, “बेटा, इससे दोबारा निकाह करने के लिए ज़ैनब को हलाला करनाहोगा, हलाला मतलब ज़ैनब को किसी दूसरे से निकाह करके उसके साथ कम से कम एक रातउसकी पत्नी के रूप में गुजारनी होगी, उसके बाद ज़ैनब का शौहर जब अपनी मर्जी से इसेतलाक देगा तभी इसके साथ तुम्हारी दोबारा शादी हो सकती है। इसमे अहम है दोनों को पतिपत्नी के रूप में रिश्ता कायम करना, और इसके लिए हर कोई तैयार भी नहीं होता, और यह रिश्ता दोनों की रजामंदी से बनाया जाता है किसी की ज़ोर जबर्दस्ती से नहीं।
उस्मान ने कहा, “अगर मैं अपने किसी जानकार को हलाला के लिए तैयार कर लूँ तो क्या आप रजामंद होंगे?”
ज़ैनब के पिता बोले, “हाँ! अगर कोई विश्वसनीय व्यक्ति हुआ तो अवश्य हम रजामंद होजाएंगे, हमारी बेटी के जीवन का जो सवाल है।”

(यही मैं अपने उन पाठको को जो हमारे मजहब के बारे में या हलाला प्रथा के बारे में नहीं जानते उन्हें बता दू की हलाला क्या होता है.

किसी शौहर द्वारा अपनी पत्नी (बेगम) को तीन तलाक दिए जाने के बाद यदि वहः उससे दोबारा निकाह करना चाहे तो वो तब तक नहीं कर सकता जब तक वो औरत दूसरा निकाह करके उससे तलाक ना ले ले । यहाँ दूसरे विवाह के बाद शारारिक संबंध आवश्यक है । औरत दूसरे निकाह के तलाक के बाद जब पहले शौहर से दोबारा निकाह करे इसे निकाह हलाला कहा जाता है । कुरआन के मुताबिक तीन तलाक एक औरत का अपमान है और अब तलाक देने वाले शौहर का अधिकार अपने बेगम पर से खत्म हो जाता है .

औरत के दूसरे निकाह के बाद पहला शौहर दूसरे शौहर को तलाक के लिए मजबूर नहीं कर सकता दूसरा शौहर यदि तलाक ना दे तो हलाला नही होगा । यदि दूसरे शौहर के साथ औरत के शारारिक संबंध नहीं बने तो भी हलाला मान्य नही होगा ।

हलाला में औरत की शादी किसी दूसरे मर्द से कर दी जाती हैl फिर वों नया मर्द औरत के साथ जिस्मानी सम्बन्ध बनाता है और उसे कुछ रांते टांग उठा कर पेलता हैl हलाला होने के लिए औरत का उसके नये शौहर से जिस्मानी रिश्ता होना जरूरी हैl इसके बिना दूसरा निकाह पूरा नही होताl उसके बाद वों नया शौहर कुछ दिन बाद औरत को तलाक दे देता हैl अब वों औरत अपने पहले शौहर से निकाह कर सकती हैl ये पूरी रस्म हलाला की होती हैl
 

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ज़ैनब के अब्बा अब्बास और पति उस्मान दोनों बैठे सोच रहे थे और ज़ैनब बैठी रो रही थी. आखिर बेचारी करती तो करती भी क्या. जबकि दोष उसका तो नहीं था। उसके पति मौलवी उस्मान ने उसे गुस्से में तलाक दे दिया था। पर जिंदगी तो बेचारी ज़ैनब की खराब हो रही थी. .

उस्मान ने कहा.

"अब्बाजान (वो अपने ससुर को अब्बा ही कहता था ), हम दोनों ही दिन के जानकर और मौलवी है तो मजहब का नियम खूब जानते हैं. अब हलाला के बिना कोई चारा भी तो नहीं है. हमें कोई ऐसा आदमी ढूंढना होगा. जो ज़ैनब के साथ निकाह कर ले और फिर उसके साथ औरत मर्द का रिश्ता कायम करे और फिर वो उसे तलाक दे दे. तभी मैं फिर से ज़ैनब से शादी कर सकता हूं."

अब्बास :- "बेटा उस्मान तुम तो जानते हो की आजकल क्या चल रहा है. हम मौलवियों ने तो हलाला को एक व्यापर बना रखा है. क्योंकि कई बार आम लोग निकाह के बाद में अपनी नयी बीवी को पसंद करने लग जाते है या यदि वो औरत नौजवान या बहुत सुन्दर हो तो बाद में तलाक देने से इंकार कर देते है. और बेचारा पुराना शौहर कुछ भी नहीं कर पता. इस लिये लोग आजकल अपने जान पहचान या रिश्तेदारी में हलाला करवाने के बजाए किसी मौलवी से हे हलाला करवाते है. मौलवी हलाला शादी करता है और फिर उस औरत के साथ जिस्मानी ताल्लुकात बना कर बाद में उसे तलाक दे देता है। पर क्योंकि मौलवी यह सब उस मियां बीवी के मदद के लिए करता है तो वो उस के लिए खूब पैसे भी मांगता है. तुम खूब भी मौलवी हो और कितनी ही बार तुम खुद भी ये हलाला शादी कर चुके हो. तुम जानते ही हो की आजकल कोई भी मौलवी कम से कम पचास हज़ार रुपये लेता है. ये हम मुसलमान मौलवियों का कमाई का एक बड़ा साधन है. अब इतना बड़ा पैसे का इंतजाम मेरे पास तो नहीं है. और इस के इलावा और भी एक मुश्किल है कि आम तोर पर फिर ये मौलवी लोग हलाला तलाक के बाद में आपस में या दुसरे लोगों मैं चटकारे ले ले कर और मजे ले ले कर उस औरत के साथ गुजारी रातों और जिस्मानी तालुकात की जिक्र करते है. इस तरह बहुत बदनामी होती है. मुझे तो समझ में नहीं आ रहा कि करे तो करे क्या?"

उस्मान भी बेचारा बड़ा मायूस सा हो कर बोलै. "हाँ अब्बाजान कह तो आप सही रहे हैं. इस बात के इलावा के बात और है की हम दोनों खुद मौलवी है तो हमारी तो और भी ज्यादा बदनामी होगी. लोग तो नमक मिर्च लगा लगा कर बातें करेंगे की देखो यह मौलवी आज तक हम लोगों की औरतों के साथ हलाला निकाह कर के जिस्मानी ताल्लुकात बनता था आज खुद इस की बीवी के साथ फलाने आदमी ने वोही सब कुछ किया है. अब्बाजान हम लोगों की बहुत बदनामी भी होगी. अभी तो हम तीनो (ज़ैनब, आप और मैं ) के सिवा किसी को भी पता नहीं है कि मेरा और ज़ैनब का निकाह टूट गया है. आप कोई ऐसा रास्ता खोजिये और ऐसा कोई आदमी खोजिये कि जो ज़ैनब के साथ निकाह और हलाला कर के उसे बाद में बिना दिक्कत या मना किये तलाक दे दे जिस से मैं दुबारा ज़ैनब से शादी कर सकू. और कोई पैसा भी न ले। और समाज में हमारी बदनामी भी न हो."

अब्बास ने इंकार में सर हिलाते हुए कहा

"उस्मान बेटा। ऐसा आदमी कहाँ से मिल सकता है. जो हलाला करने के बाद चुप चाप तलाक भी दे दे और कोई पैसा भी न ले. ऊपर से हम ये भी चाहते हैं कि वो बाहर लोगों में इस बात का कोई जिक्र भी न करे. ताकि हम लोगों की कोइ बदनामी भी न हो. यह सब तो मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन ही है. ऐसा खुदा का बंदा कहाँ मिलेगा. "

दोनों चुप रह गए क्योंकि यह एक बड़ी ही मुश्किल घडी थी जिसका कोई भी हल भाई सूझ रहा था. ज़ैनब भी बेचारी चुप चाप बैठी रो रही थी, उसकी तो पूरी जिंदगी का सवाल था। पर किसी को भी समझ नहीं आ रहा था कि करें तो क्या करें.
 

Ajju Landwalia

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ज़ैनब के अब्बा अब्बास और पति उस्मान दोनों बैठे सोच रहे थे और ज़ैनब बैठी रो रही थी. आखिर बेचारी करती तो करती भी क्या. जबकि दोष उसका तो नहीं था। उसके पति मौलवी उस्मान ने उसे गुस्से में तलाक दे दिया था। पर जिंदगी तो बेचारी ज़ैनब की खराब हो रही थी. .

उस्मान ने कहा.

"अब्बाजान (वो अपने ससुर को अब्बा ही कहता था ), हम दोनों ही दिन के जानकर और मौलवी है तो मजहब का नियम खूब जानते हैं. अब हलाला के बिना कोई चारा भी तो नहीं है. हमें कोई ऐसा आदमी ढूंढना होगा. जो ज़ैनब के साथ निकाह कर ले और फिर उसके साथ औरत मर्द का रिश्ता कायम करे और फिर वो उसे तलाक दे दे. तभी मैं फिर से ज़ैनब से शादी कर सकता हूं."

अब्बास :- "बेटा उस्मान तुम तो जानते हो की आजकल क्या चल रहा है. हम मौलवियों ने तो हलाला को एक व्यापर बना रखा है. क्योंकि कई बार आम लोग निकाह के बाद में अपनी नयी बीवी को पसंद करने लग जाते है या यदि वो औरत नौजवान या बहुत सुन्दर हो तो बाद में तलाक देने से इंकार कर देते है. और बेचारा पुराना शौहर कुछ भी नहीं कर पता. इस लिये लोग आजकल अपने जान पहचान या रिश्तेदारी में हलाला करवाने के बजाए किसी मौलवी से हे हलाला करवाते है. मौलवी हलाला शादी करता है और फिर उस औरत के साथ जिस्मानी ताल्लुकात बना कर बाद में उसे तलाक दे देता है। पर क्योंकि मौलवी यह सब उस मियां बीवी के मदद के लिए करता है तो वो उस के लिए खूब पैसे भी मांगता है. तुम खूब भी मौलवी हो और कितनी ही बार तुम खुद भी ये हलाला शादी कर चुके हो. तुम जानते ही हो की आजकल कोई भी मौलवी कम से कम पचास हज़ार रुपये लेता है. ये हम मुसलमान मौलवियों का कमाई का एक बड़ा साधन है. अब इतना बड़ा पैसे का इंतजाम मेरे पास तो नहीं है. और इस के इलावा और भी एक मुश्किल है कि आम तोर पर फिर ये मौलवी लोग हलाला तलाक के बाद में आपस में या दुसरे लोगों मैं चटकारे ले ले कर और मजे ले ले कर उस औरत के साथ गुजारी रातों और जिस्मानी तालुकात की जिक्र करते है. इस तरह बहुत बदनामी होती है. मुझे तो समझ में नहीं आ रहा कि करे तो करे क्या?"

उस्मान भी बेचारा बड़ा मायूस सा हो कर बोलै. "हाँ अब्बाजान कह तो आप सही रहे हैं. इस बात के इलावा के बात और है की हम दोनों खुद मौलवी है तो हमारी तो और भी ज्यादा बदनामी होगी. लोग तो नमक मिर्च लगा लगा कर बातें करेंगे की देखो यह मौलवी आज तक हम लोगों की औरतों के साथ हलाला निकाह कर के जिस्मानी ताल्लुकात बनता था आज खुद इस की बीवी के साथ फलाने आदमी ने वोही सब कुछ किया है. अब्बाजान हम लोगों की बहुत बदनामी भी होगी. अभी तो हम तीनो (ज़ैनब, आप और मैं ) के सिवा किसी को भी पता नहीं है कि मेरा और ज़ैनब का निकाह टूट गया है. आप कोई ऐसा रास्ता खोजिये और ऐसा कोई आदमी खोजिये कि जो ज़ैनब के साथ निकाह और हलाला कर के उसे बाद में बिना दिक्कत या मना किये तलाक दे दे जिस से मैं दुबारा ज़ैनब से शादी कर सकू. और कोई पैसा भी न ले। और समाज में हमारी बदनामी भी न हो."

अब्बास ने इंकार में सर हिलाते हुए कहा

"उस्मान बेटा। ऐसा आदमी कहाँ से मिल सकता है. जो हलाला करने के बाद चुप चाप तलाक भी दे दे और कोई पैसा भी न ले. ऊपर से हम ये भी चाहते हैं कि वो बाहर लोगों में इस बात का कोई जिक्र भी न करे. ताकि हम लोगों की कोइ बदनामी भी न हो. यह सब तो मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन ही है. ऐसा खुदा का बंदा कहाँ मिलेगा. "

दोनों चुप रह गए क्योंकि यह एक बड़ी ही मुश्किल घडी थी जिसका कोई भी हल भाई सूझ रहा था. ज़ैनब भी बेचारी चुप चाप बैठी रो रही थी, उसकी तो पूरी जिंदगी का सवाल था। पर किसी को भी समझ नहीं आ रहा था कि करें तो क्या करें.

Bahut hi badhiya updates he Ting ting Bhai,

Keep posting Bro
 
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