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Erotica बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी (Completed)

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Fulva's friend Kali sold herself in slavery. Suggest a title

  • Sex Slave

    Votes: 7 38.9%
  • मर्जी से गुलाम

    Votes: 6 33.3%
  • Master and his slaves

    Votes: 5 27.8%
  • None of the above

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Lefty69

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Sorry to tag you but my readers any chance you could help me improve?
 
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Lefty69

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18b1e3a501d28e42755bbb6f1e8b84dd
बापू ने दिलाए कपड़ों में फुलवा


फुलवा डर कर, “बापू!! आप मुझे मार नहीं सकते! मैं आपकी की बेटी हूं!!”


बापू हंसकर, “तेरी मां रण्डी थी! तू किसी की भी बेटी हो सकती है।“


फुलवा हाथ जोड़कर, “बापू मुझे मत मारो!”


बापू, “अरे मनहूस, तुझे मार कर मैं अपना नुकसान करूं क्या? शहर में तेरी अच्छी कीमत मिलने वाली है!”


फुलवा चौंक गई!


बापू, “तुझे एक बार चोद दूं तो मेरे कलेजे में ठंडक आ जाए! चूल्हा जलाते हुए, लकड़ी उठाते हुए तूने मुझे बहुत ललचाया है। आज तुझे अच्छे से चोद कर फिर बेचूंगा!”


बापू ने फुलवा को सिंहासन पर दबाकर उसकी कमर को आगे खींचा। फुलवा चीख पड़ी।


बापू ने फुलवा के दोनों हाथों को अपने एक हाथ में पकड़ लिया और उन्हें ऊपर उठाया। बापू ने फुलवा के पैरों के बीच में जगह बना ली थी तो वह बापू को लात नहीं मार सकी। बापू ने फुलवा की चोली खोल कर उसकी चोली से उसके हाथ बांध दिए। फुलवा के बंधे हुए हाथों को सिंहासन के सर में अटकाकर बापू ने फुलवा का घागरा उठाया।


फुलवा, “नही बापू!!… नही!!…”


बापू ने फुलवा के घागरे में हाथ डाला और उसकी दो छेद पड़ी पैंटी को उतार दिया।


फुलवा ने अपने घुटनों को जोड़ कर अपनी घुंगराले बालों से ढकी कोरी जवानी को छुपाने की कोशिश की। बापू ने फुलवा की बेबसी पर हंसते हुए उसके घुटनों को उठाकर फैलाया। बापू ने अपनी पीछे की जेब में से एक टॉर्च निकाल कर जलाया।


बापू, “सुन बे रण्डी की बच्ची! अब मैं तेरी चूत में तेरी झिल्ली बची है कि नही देखूंगा! अगर तूने अपनी मां की तरह अपना मुंह काला किया होगा तो इस टॉर्च से तेरी बच्चेदानी फाड़ कर तेरा खून निकलूंगा।“


फुलवा ने डर कर अपनी जांघों को खोल कर बापू को अपनी कुंवारी जवानी दिखाई।


बापू ने अपनी मोटी खुरतरी उंगलियों से फुलवा की नाजुक यौन पंखुड़ियां को जबरदस्ती खोला। डर से सुखी जवानी पर टॉर्च की तेज रोशनी गिरी।


एक बहुतही छोटे छेद वाला महीन गुलाबी पर्दा देख कर बापू खुश हो गया। बापू ने फुलवा को उसकी कोरी जवानी का इनाम देने के लिए उसकी पंखुड़ियों को सहलाना शुरू कर दिया।


डरी हुई फुलवा को गरम करना मुश्किल था पर बापू ने उसकी मां को भी ऐसे ही पटाया था। बापू की छेड़ते हुए उकसाने की कला से फुलवा भी बच नहीं पाई।


फुलवा गरम सांसे लेने लगी। फुलवा की आंसू भरी आंखें बोझल होने लगी। फुलवा अनजाने में अपनी कमर उठाकर बापू का साथ देने लगी।


फुलवा, “बापू!!…
नहीं बापू!!…
बापू!!…
गंदा!!…
ईई!!…
नही!!…
नही बापू!!…
बापू!!…
बापू!!…
बा!!…
आ!!…
आ!!…
पू!!!…
आह!!…
आह!!…
अन्ह्ह!!…”


फुलवा की चूत में यौन रसों की बाढ़ आ गई। फुलवा का कुंवारा बदन कांपते हुए झड़ने लगा। फुलवा की जवानी ने अंगड़ाई ली और फुलवा रोने लगी।


फुलवा, “बापू!!…
ये तुमने क्या कर दिया!!…
अब मैं क्या मुंह दिखाऊंगी!!…
मैं बरबाद हो गई!!…”


बापू हंसकर, “अरे बेवकूफ कुतिया! तू बरबाद हो गई तो मुझे पैसे कौन देगा? तेरी असली कीमत तो तेरी झिल्ली की है! मैने तुझे बस दिखाया है कि अगर तेरा यार मुझ जैसा तजुर्बेदार मर्द हुआ तो तुझे कैसा मजा आयेगा।“


फुलवा, “बापू! तुमने मुझे दिखा दिया। अब मुझे जाने दो!”


बापू ने फुलवा का गला पकड़ कर उसका मुंह अपनी ओर किया।


बापू, “मैं तो तुझे थप्पड़ भी नही मार सकता! वरना आज अभी दिखा देता की मर्द को अधूरा छोड़ने का अंजाम क्या होता है!”


बापू ने अपनी धोती उतारी और अपने लौड़े को फुलवा की कुंवारी चूत पर रगड़ने लगी। भोली फुलवा को अपने बापू के इस सताने से मजा आने लगा।


फुलवा का बदन अभी ठंडा नहीं हुआ था इस लिए जल्द ही गरमा गया। फुलवा की चूत में से यौन रसों का रिसाव बढ़ गया तो बापू का लौड़ा फुलवा की जवानी में गीला हो गया। बापू ने फुलवा की कोरी चूत के मुंह को अपने सुपाड़े से सहलाते हुए अपनी किस्मत को कोसा।


फुलवा की चूत पर रखा लौड़ा अचानक उठ गया और फुलवा ने नीचे देखा।


बापू ने अपने गीले सुपाड़े को पकड़ कर भाले की तरह निशाना लगाया। इस से पहले कि फुलवा कुछ कर पाती बापू के डेढ़ इंच मोटे सुपाड़े ने फुलवा की भूरी संकरी गांड़ पर जोर दिया।


फुलवा चीख पड़ी, “बापू!!…
नही!!…
गंदा!!…
आ!!…
आ!!…
आ!!…
आअंह!!…”


फुलवा की कसी हुई गांड़ को बापू का सुपाड़ा रोकने में कामयाबी मिली। दर्द से इसकी कीमत नापना मुश्किल था।


फुलवा ने आंसू बहाती आंखों से बापू को रुकने की गुहार लगाई। बापू ने अपनी हथेली पर थूंक कर अपने सुपाड़े को और चमकाया। बापू ने दुबारा अपने भाले से निशाना लगाकर हमला किया।


फुलवा की चीखें पहले कि कई कुंवारियों की तरह गूंज उठी और दब गई। बापू के सुपाड़े ने फुलवा की गांड़ को छिल कर खोल दिया था।


फुलवा की ही तरह उसकी गांड़ भी लूटने की वजह से खून के आंसू बहाने लगी। फुलवा की गांड़ में से बाहर निकला खून बापू के लौड़े पर से होते हुए उसकी बूढ़ी गोटियों पर जमा हो गया।


कुछ बूंदें एक हुई तो बापू के तेज धक्के से वह फर्श पर गिर गई।


सफेद फर्श में खून की बूंदें सोख ली गई। राज नर्तकी की भूख मिट गई और वह नाच उठी। खून का कर्ज चुकाया गया था।


फुलवा अपने बापू को रुकने को कहती रही। बापू ने फुलवा की कुंवारी चूत और यौन मोती को सहलाते हुए उसकी गांड़ मारना जारी रखा।


फुलवा अपने बापू से यौन संबंध को पहली बार अनुभव करते हुए मन से घिन्न और बदन से उत्तेजना महसूस कर रही थी। फुलवा की जवानी से किसी माहिर खिलाड़ी की तरह खेलते हुए बापू ने फुलवा को कई बार झड़ने को मजबूर किया। फुलवा झड़ते हुए बेबस हो कर अपनी गांड़ मरवा रही थी।


बापू बड़ा कामिना था! वह जानता था कि वह अपनी उम्र के कारण सिर्फ एक बार झड़ सकता था। तो उसने अपने झड़ने से ठीक पहले फुलवा को झड़ा कर अपना स्खलन रोक रखा। फुलवा की कसी हुई कुंवारी गांड़ बापू के लौड़े को ऐसे निचोड़ती की बापू झड़ने से रुक जाता और इसी बहाने वह फुलवा को और ज्यादा चोदता।


फुलवा आखिरकार इतनी झड़ी की उसकी गांड़ ढीली पड़ गई। फुलवा यौन उत्तेजना में जलकर बेसुध हो गई। बापू का अगला स्खलन उसका आखरी स्खलन था।


बापू “आह!!!…” कर करहाते हुए फुलवा की आतों में झड़ कर उसके कोमल बदन पर गिर कर सो गया।
 

Lefty69

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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hind section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 25th February tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 1500 Rupees + Award + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 500 Rupees + Award + 2500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 5000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories) + 2 Months Prime Membership
Best Supporting Reader Award + 1000 Likes+ 2 Months Prime Membership
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 

Lefty69

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फुलवा रोते हुए, “बापू, इतना बड़ा धोखा!!… क्यों?”


बापू ने हंसकर अपने लौड़े को फुलवा की फटी हुई पैंटी से पोंचकर धोती पहनते हुए फुलवा को देखा।


बापू, “रण्डी की बच्ची! तेरी मां को मैने पेट से किया और घर से भगा लाया। उसने फिर रण्डी बनकर मेरा पेट पाला। लेकिन तेरे पैदा होने के बाद उसने तुझे लेकर भागने की कोशिश की। मुझे उसकी टांग तोड़नी पड़ी। वह जानती थी कि मैं तुझे भी रण्डी बनाऊंगा! अगली बार पेट से हुई तो चुपके से बच्चा गिराते हुए खुद मर गई। मैं तो कब से तुझे बेचने की कोशिश कर रहा था पर तेरे भाइयों ने तुझे बचा कर रखा। मुझे यकीन है कि वह तीनों तुझे लेने गांव आए होंगे। इसी लिए मैंने घर बेचकर गाड़ी खरीदी। अब तुझे बेचकर मैं मजे की जिंदगी जीऊंगा।“


फुलवा समझ गई कि जब उसके बापू ने उसे कहा था की वह उसके लिए शहर का राजकुमार लाएगा उसने यह नही बताया था कि हर रात एक नया राजकुमार उसे नोच खाएगा।


सबेरा को गया था और बापू फुलवा को पकड़ कर गाड़ी की ओर बढ़ा। फुलवा को अपने पीछे घुंघरुओं की हल्की आवाज सुनाई दे रही थी मानो कोई उसे विदा कर रहा हो।


बापू के धोखे से फुलवा टूट गई थी। वह चुप चाप गाड़ी में पीछे अपने घुटनों को सीने से लगा कर बैठ गई। बापू ने खुशी खुशी सीटी बजाते हुए गाड़ी लखनऊ के एक बदनाम इलाके में लाई। बापू ने एक अच्छे दिखने वाले घर के सामने गाड़ी रोकी और फुलवा को पकड़ कर अंदर ले गया।


घर अंदर से बिलकुल अच्छे से सजा हुआ था मानो किसी शरीफ आदमी का अपना घर हो। आदमी ने दोनों को देखा और उन्हें अंदर लिया। आदमी को बापू Peter uncle बुला रहा था।


Peter uncle ने दोनों को शरबत दिया और फुलवा उसे पी गई। बापू ने शरबत पीने के बजाय सौदे की बात शुरू कर दी। फुलवा को अचानक अपना सर हल्का लगने लगा। फुलवा मानों कहीं दूर से बापू और Peter uncle की बहस देख रही थी।


बापू कोई चीज 2 लाख रुपए से कम में बेचने को तयार नही था और Peter uncle उसे 50 हजार से ज्यादा देने को तयार नही था। Peter uncle ने फिर “माल” को जांचना चाहा तो बापू ने उसे अपना टॉर्च दिया।


Peter uncle ने अपना सर हिलाते हुए एक बक्से में से कोई डॉक्टरी समान निकाला और फुलवा को आगे बुलाया। बापू ने फुलवा को पकड़ कर आगे लाया और मेज के किनारे पर लिटा दिया। फुलवा की पीठ मेज पर थी तो पर अधर में लटके हुए थे।


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Peter uncle ने फुलवा के घुटनों को अपने कंधों पर रख कर उठाते हुए उसकी कुंवारी चूत और जख्मी गांड़ को देखा।


Peter uncle फुलवा को वहीं छोड़ कर बापू से दुबारा लड़ने लगा।


Peter uncle, “इसे कहीं और ले जाओ! मैं ठूकी हुई लड़कियां नहीं परोसता! मेरा भी नाम है! ऐसा काम करूंगा तो बदनाम हो जाऊंगा!”


बापू हंसकर, “कमिने मैं तुझे जानता हूं। तू हर लड़की की गांड़ मारता है और फिर उसकी बोली लगाता है। तुझे बस इस बात का गुस्सा है की मैने पहले मुंह मारा! देख तू झिल्ली बेच रहा है और गांड़ में झिल्ली नहीं होती। तो तुझे क्या फरक पड़ता है? दो दिन हागते हुए रोएगी और फिर गांड़ मराने को तयार हो जायेगी!”


Peter uncle और बापू बहस करते रहे और मांस के दुकान में बंधी बकरी की तरह फुलवा उन्हें देखती रही। आखिर में बापू 1 लाख रुपए लेकर फुलवा को मुड़कर देखे बगैर चला गया।


Peter uncle ने फुलवा को अंदर एक गुलाबी कमरे में ले जाते हुए उसके कपड़े उतारे। फुलवा को अजीब लग रहा था कि Peter uncle उसे किसी गुड़िया की तरह ले जा रहा था।


Peter uncle ने फुलवा को नहलाया और फिर उसे पोंछ कर नंगी बेड पर लिटा दिया। Peter uncle ने फिर फुलवा के बदन पर परफ्यूम को छिड़का और उसके पैरों को फैला दिया।


Peter uncle ने फिर एक कंघी और कैंची से फुलवा के पैरों के बीच की घनी झाड़ियों को छाट कर खुर्तरी घास में बदल दिया। Peter uncle फिर एक लोशन ले कर आया और उसने उस लोशन को फुलवा की गांड़ पर धीरे से लगाया।


फुलवा की आह निकल गई।


Peter uncle, “बेरहम कमिना! कुछ लोगों को गांड़ मारना आता ही नहीं!”


Peter uncle की उंगली ने लोशन को फुलवा की भूरी छिली हुई गांड़ पर हल्के से लगाते हुए वहां पर प्यार से मालिश करने लगा। फुलवा की गांड़ पहले तो कस ली गई पर फिर वहां अच्छा लगने लगा तो फुलवा के शरीर ने गांड़ को कसना बंद कर दिया।


Peter uncle ने फुलवा की झांटों पर दूसरा क्रीम लगाते हुए फुलवा के यौन मोती को सहलाना शुरू किया। फुलवा बेहोशी में अपने बदन को तपता महसूस करने लगी। फुलवा की सांसें तेज़ चलने लगी और उसके माथे पर पसीना आने लगा।


फुलवा Peter uncle को कुछ कहना चाहती थी, कुछ बताना चाहती थी और चीखना चाहती थी पर वह अपने बदन को कुछ करने को कहने की लिए बहुत कमजोर थी। Peter uncle ने फुलवा की झाटों को क्रीम लगाते हुए अपने मुंह से उसकी कोरी जवानी को चाटकर चूमना शुरू किया। फुलवा कसमसाते हुए Peter uncle से उत्तेजित होने लगी।


फुलवा का बदन अचानक कांपने लगा। फुलवा की चूत में से गरम रसों का बहाव होने लगा और Peter uncle की उंगली लोशन लेकर उसकी गांड़ में घुस गई।


लोशन की ठंडक ने फुलवा की गांड़ को आराम देते हुए ढीला किया था। फुलवा को एहसास हुआ कि Peter uncle ने सिर्फ अपनी उंगली के अगले सिरे को उसकी गांड़ में डाल दिया था।


Peter uncle की उंगली फुलवा की गांड़ को अंदर से सहलाते हुए उसे झड़ा रही थी। फुलवा को गांड़ मराते हुए दर्द नहीं हो रहा था। फुलवा अब अपनी गांड़ हिलाकर Peter uncle का साथ देना चाहती थी पर बेहोशी उसे रोक रही थी।


फुलवा को Peter uncle जैसे आजमा रहा था। वह कई घंटों तक फुलवा को सहलाते हुए, चाटते हुए और उंगली से उसकी गांड़ मारते हुए झडाता रहा। फुलवा झड़ते हुए लगभग पगला गई तब जा कर Peter uncle ने उसे सोने दिया।


फुलवा खामोशी से गहरी नींद सो गई।
 

Lefty69

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Thank you kamdev99008 for visiting my new story.

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Lefty69

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Thank you LightingEel for your continued support and welcome to my new story.

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Lefty69

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HObit

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Bahut hi khubsurat update tha bro ❤️👍 aur fulwa ki jiwan abhi shuru hui hai kaise usko yeh sab jillat bhari jindgi apne baapu se 18 saal ke janamdin par uphar je taur pe mili...ab aage kya hota hai yeh dekhna hoga...good work and congratulations 🥳🥳 for the new story hope this story will touch our heart 💓💓
 
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