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Incest पहाडी मौसम

Herry

Prince_Darkness
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Mr Bean Waiting GIF by Bombay Softwares
 

rohnny4545

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सूरज उन तीनों के जाने के बाद अपनी मां को झाड़ियों के बीच से बाहर ले आया था और जल्दी-जल्दी गांव की तरफ चल दिया था और थोड़ी ही देर में वह दोनों सही सलामत गांव की पहुंच चुके थे लेकिन आज दोनों एक नए अनुभव के साथ घर पहुंच रहे थे सुनैना के तन बदन में अभी भी उत्तेजना की लहर उठ रही थी जो कुछ भी आज बाजार जाते समय हुआ था और आते समय हुआ था वह सुनैना के मानस पटल पर एक अविस्मरणीय छाप छोड़ गई थी,,, घर पर पहुंचते ही रानी एकदम से गुस्सा दिखाते हुए बोली।

कहां रह गए थे तुम लोग मैं कब से तुम लोगों का इंतजार कर रही हुं पता है मेरे मन में कैसे-कैसे विचार आ रहे थे तुम दोनों को तो कब से आ जाना चाहिए था तो इतनी देर कहां लग गई।

अरे कहीं नहीं बस आज बाजार में थोड़ा भीड़ ज्यादा थी तो सामान खरीदने में देर हो गई,,, (सुनैना एकदम सहज होते हुए बोली तो सूरज समझ गया कि उसकी मां बाजार में जो कुछ भी हुआ है वह रानी से छुपाना चाहती है भले ही वह सांप वाली बात हो या तीन बदमाश वाली,,,, इसलिए सूरज भी अपनी मां की हां मैं हां मिलाता हुआ बोला,,,)



मां सही कह रही है आज कुछ ज्यादा ही भीड़ थी,,,, लेकिन बाजार में भीड़ होती है तो मजा भी ज्यादा आता है,,,,।

अच्छा तुम दोनों यह बताओ कि मेरे लिए कुछ खाने के लिए लाए की नहीं,,,।

अरे समोसे और जलेबी तो हम लोग दुकान पर ही भूल गए,,,,,
(सूरज की बात सुनते ही रानी एकदम से मुंह फुला ली और अपने दोनों हाथ बात कर खड़ी हो गई तो सुनैना मुस्कुराते हुए बोली)

नाराज मत हो वह मजाक कर रहा है ठेले में तेरे लिए जलेबी और समोसे लेकर आए,,,।

जलेबी और समोसे,,,,( रानी एकदम उत्साहित होते हुए बोली और भागते हुए ठेले में से जलेबी और समोसे निकाल कर खाने लगी और सुनैना रसोई घर की तरफ देखी तो थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए रानी से बोली)

अभी तक चूल्हा नहीं चला है कम से कम चूल्हा जलाकर रोटियां ही पका दी होती,,,,।

तुमको लगता है कि मेरा मन चुल्हा जला कर रोटी बनाने को नहीं हो रहा था,,, शाम ढलते ही मैं सोची कि तुम्हारे आने से पहले रोटी बना देता हूं लेकिन फिर थोड़ी साफ सफाई करने लगी और धीरे-धीरे अंधेरा हो गया और जैसे-जैसे तेरा होने लगा तुम लोगों को ना देख कर मेरा मन घबराने लगा और फिर तुम लोग का इंतजार करने में ही समय निकल गया मैं कभी घर के अंदर तो कभी घर के बाहर तो कभी नुक्कड़ तक देख कर आ रही थी लेकिन तुम दोनों का तो कहीं आता पता नहीं था मैं कितना घबरा गई थी मालूम है और तुम कह रही हो की रोटी बना दी होती,,,।

चल अच्छा महारानी अब गुस्सा मत कर मैं बना देता हूं बस थोड़ा सा हाथ बंटा दे वैसे भी ज्यादा देर हो गई है,,,(इतना कहकर सुनैना अपनी साड़ी को कमर में खोंसकर अपने हाथ पैर धोई और फिर सीधा रसोई घर में चली गई चूल्हा जलाने लगी,,,,, सूरज पर हाथ पैर धोकर कोई अपने मां के पास ही बैठ गया क्योंकि जो कुछ भी बाजार जाते समय हुआ था और आते समय हुआ था उसके चलते वह अपनी मां के करीब अपने आप को महसूस कर रहा था उसे अपनी मां का करीब रहना बहुत अच्छा लग रहा था वह बार-बार मुस्कुरा कर सुनैना की तरफ देख ले रहा था सुनेना शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे कर ले रही थी,,,, देखते ही देखते सुनैना रोटियां पकाने लगी और सूरज अपनी मां के पास बैठकर आज सब्जी काट रहा था यह देखकर सुनैना को भी अच्छा लग रहा था लेकिन रानी अपने भाई की हरकत को देख कर मंद मंद मुस्कुरा रही थी क्योंकि अंदर ही अंदर उसे एहसास हो रहा था कि उसका भाई अपनी मां की मदद क्यों कर रहा था,,,, उसे सब पता था कि उसका भाई उसकी मां की दोनों टांगों के बीच पहुंचना चाहता है,,,, और इस बात से उसे हैरानी नहीं हो रही थी वह तो चाहती थी कि जल्द से जल्द उसका भाई उसकी मां की जवानी पर विजय प्राप्त कर ले ताकि उसका भी रास्ता एकदम साफ हो जाए और उसकी मां के कदम बाहर न भटक पाए,,,,)

आज इतनी मदद क्यों कर रहा है,,,?(सुनैना मुस्कुराते हुए सूरज की तरफ देखते हुए बोली)

आज कहीं जाना नहीं है तो सोच रहा हूं की मदद ही कर दो क्यों तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा है क्या मेरा मदद करना।

नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है तूने कभी इस तरह से मदद किया नहीं है ना इसलिए कह रही हूं।

मैं तो हमेशा तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूं बस तुम ही मौका नहीं देती,,,,,।
(अपने बेटे की बातें सुनकर सुनैना एकदम से शक पका गई,,, और उसे झाड़ियों वाली बात याद आ गई की कैसे पेड़ के पीछे उसे अपनी बाहों में लेकर उन तीनों बदमाश से छुपा हुआ था लेकिन इस दौरान उसका मोटा लंड एकदम से उसकी गांड के बीचों बीच धंसा जा रहा था,, सुनैना इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि एक मर्द का लंड कब खड़ा होता है उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि उसे समय सहज या औपचारिकता तो बिल्कुल नहीं थी क्योंकि डर के माहौल में मर्द एकदम शिथिल पड़जाता है खास करके डर के माहौल में तो बिल्कुल भी उसका लंड खड़ा नहीं होता लेकिन उसके बेटे के साथ ऐसा बिल्कुल भी नहीं था शायद उसकी जवानी की गर्मी डर के माहौल में भी उसके बदन में मर्दानी की गर्मी फैला रही थी जिसके चलते उसके बेटे का लंड खड़ा हो गया था।

सुनैना अपने मन में ही बोले कि जब इतनी खूबसूरत औरत किसी जवान लड़के की बाहों में होगी तो भला घर के माहौल में भी वह जवान लड़का कैसे अपने आप को रोक पाएगा,,, उसे अच्छी तरह से याद था जब वह बदमाश उसके चूड़ियों के झांकने की आवाज से एकदम चौकन्ना हो गया था अपने साथी को औरत की चूड़ियों की आवाज आने की बात कही थी तब सूरज एकदम से उसके दोनों हाथों को अपनी हथेली में दबोच लिया था ताकि उसकी चूड़ियों की आवाज ना आए इस समय सुनैना को उसकी मर्दानगी का एहसास हो गया था उसकी हथेलियों का कसाव अपनी कलाई पर महसूस करके वह पानी पानी हो गई थी,,,, इतना तो सुनैना अच्छी तरह से जानती थी कि जो कुछ भी हुआ था वह अनजाने में बिल्कुल भी नहीं हुआ था इसमें उसके बेटे की मर्जी पूरी तरह से शामिल थी वरना उसका लंड कभी खड़ा ना होता इसका मतलब साफ था कि उसका बेटा पूरी तरह से उसके प्रति आकर्षित है उसके खूबसूरत बदन के प्रति आकर्षित है और इस बात का अहसास होते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी चेहरे पर शर्म की लालिमा छाने लगी,,,, और वह तवे पर रोटी को पलटते हुए बोली,,,)

कोई बात नहीं अब से तू मेरी मदद कर देना। लेकिन तुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे मदद की जरूरत है।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मा मैं समझ जाऊंगा कि तुमको मदद की जरूरत है।,,,


लेकिन तू कैसे समझ जाएगा कि मुझे तेरे मददकी जरूरत है और वह भी बिना कहे।

बहुत आसान है देखो ना जब तुम अगर खाना पका रही होगी तो मैं इसी तरह से सब्जी काटकर आटा गूथ कर तुम्हारी मदद कर दूंगा और अगर जैसे तुम बर्तन मांज रही हो तो उसमें भी मैं तुम्हारी मदद कर दूंगा बर्तन धोकर और अगर कपड़े साफ कर रही हो तो मैं उसमें भी तुम्हारी मदद कर दूंगा तुम्हारे साथ कपड़े धोकर अगर घर की सफाई कर रही हो तो मैं भी झाड़ू लगा दूंगा खेत का काम तो हम दोनों मिलकर करते हैं और अगर तुम कमरे के अंदर हो तो,,,,,(इतना कहकर हुआ एकदम से खामोश हो गया मानो के जैसे अपनी मां को इशारा कर रहा हो कि आगे का मतलब तुम समझ जाओ और शायद सुनैना अपने बेटे के खाने के मतलब को समझ भी गई थी क्योंकि उसके चेहरे पर एकदम से शर्म की आभा झलकने लगी थी उसके होठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई थी जिससे साफ पता चल रहा था कि सूरज की बातें उसे अच्छी लग रही थी लेकिन फिर भी वह बोली,,,)


कमरे के अंदर,,,, कमरे के अंदर कैसी मदद करेगा,,,,, (ऐसा कहते हुए सुनैना की सांस गहरी चलने लगी थी जिसके साथ उसकी छतिया भी ऊपर नीचे हो रही थी और इस समय सब्जी काटते हुए सूरज की नजर उसकी मां की भारी भरकम छातियां पर भी घूम जा रही थी जिसका एहसास सुनैना को भी अच्छी तरह से हो रहा था,,,, अपनी मां की बात सुनकर सूरज को समझ में नहीं आ रहा था कि वह किस तरह का जवाब दे लेकिन फिर भी वह सोच समझ कर बोला,,,)


कमरे के अंदर भी मदद करने का बहुत सर तरीका है जैसे कि तुम दिन भर काम करती हो सोते समय तुम्हारा बदन दर्द करता होगा तो हमें दबा सकता हूं तुम्हारे पैर दबा सकता हूं कमर दबा सकता हूं ताकि तुम्हें आराम मिल सके और गर्मी पर ज्यादा लग रही है तो मैं हवा देने के लिए पंखी घूमा सकता हूं ताकि तुम आराम से सो सको,,,,,, (इतना कहकर हुआ अपने मन में ही बोला अगर तुम्हारी बुर ज्यादा पानी छोड़ रही है तो तुम्हारी बुर में अपना लंड डालकर तुम्हारी प्यास भी बुझा सकता हूं,,,, ऐसा हुआ मन में कह रहा था लेकिन अपनी मां के सामने ऐसा कहने की उसकी हिम्मत अभी नहीं थी अपने बेटे की बात सुनकर सुनैना मंद मुस्कुराने लगे वह अपने बेटे के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी,,,, एकदम से उसे बाजार जाते समय वाली घटना याद आ गई जब वह पेशाब करने के लिए बैठी थी और इस समय उसका पैर सांप की गोलाई के बीचों बीच था,,,, उसे पाल को याद करके सुनैना एकदम से उत्तेजना से गनगनाने लगी,,,, वह समझ सकती थी कि वह पर डर के माहौल से भरा हुआ भी था और मदहोशी और उत्तेजना से भी भरा हुआ था क्योंकि वह पेशाब करने के लिए बैठी हुई थी उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी और उसकी मदद करने के लिए उसका बेटा तुरंत आ गया था और वह अपने बेटे की आंखों के सामने भी उसी अवस्था में बैठी हुई थी उसकी नंगी गांड उसकी आंखों के सामने चमक रही थी।

सुनैना अच्छी तरह से जानती थी कि भले ही वह घबराई हुई थी भले ही सांप के काटने का डर पूरी तरह से बना हुआ था लेकिन उसी की मदद करते समय सुनैना निश्चित तौर पर कह सकती थी कि उसके बेटे की नजर उसकी जवानी से भरी हुई गांड पर ही टिकी हुई थी वह जानती थी कि उसका बेटा नजर भरकर उसकी गांड को देख रहा था और जिस तरह से मदद करने के बहाने उसके टांग को उठाया था वह उसकी कहानी से बेहद करीब था और उसे अच्छी तरह से एहसास था कि उसने जानबूझकर अपनी हथेली को उसकी गुलाबी पर से सटकर उसे मसल दिया था वह एहसास अभी तक उसे अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार पर महसूस हो रही थी और बार-बार यही सोच कर उसकी बुर पानी छोड़ दे रही थी,,,, यह सब देखते हुए वह समझ सकती थी कि कमरे में उसका बेटा किस तरह से उसकी मदद करना चाहता है बस वह अपने मुंह से बोल नहीं रहा है लेकिन उसका खाने का मतलब यही है और इस बात को सोचकर सुनैना उत्तेजना से सिहर उठी कि उसका बेटा उसे ही चोदना चाहता है,,,, अपने आप को सहज करते हुए सुनैना बोली,,,)

अच्छा ठीक है कर देना तू मेरी मदद बस,,,,,


क्या अभी भी तुम्हारी कमर दुख रही है,,,।

(इतना सुनकर तो सुनैना के होश उड़ गए वह समझ गई कि उसके बेटे का इरादा उसके प्रति कुछ गलत करने को है इतना तो वह जानती थी लेकिन वह जल्दबाजी दिख रहा था,,,,, इसलिए वह एकदम से बोली,,,)

नहीं नहीं आज मेरी कमर नहीं दुख रही है और नहीं बदन दर्द कर रहा है जिस दिन दुखेगी उस दिन तुझे बोल दूंगी बस,,,,,, (इतना कहकर सुनैना खुद अपनी बातों से शर्मिंदा हो गई थी कि यह उसे क्या हो रहा है यह सब तो उसकी तरफ से उसके बेटे को खुला निमंत्रण देने वाली बात हो गई थी,,, और एक मां होने के नाते यह कितनी शर्मनाक बात है नहीं नहीं ऐसा वह बिल्कुल भी नहीं कर सकती भावनाओं में बहकर वह अपने बेटे की इच्छा को पूरी नहीं कर सकती,,,, अगर सच में किसी दिन ऐसा हो गया तो वह अपनी नजर में ही गिर जाएगी की पति कुछ महीनो के लिए छोड़ कर क्या चल गया जवानी की गर्मी बर्दाश्त नहीं हुई और अपने बेटे के साथ ही हम बिस्तर होने लगे नहीं नहीं मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती कि समाज में इस तरह की बातें हूं या खुद की नजर में गिर जाऊं मुझे अपनी बेटी को यह सब करने से रोकना होगा लेकिन कैसे खुले तौर पर तो मैं यह कह नहीं सकती कि तू यह सब मत कर मैं जानती हूं कि तू मेरे साथ गलत संबंध बनाना चाहता है इस तरह से कहना भी तो गलत होगा नहीं हमेशा में नहीं होने दूंगी मैं खुद ही उससे दूरी बनाकर रहूंगी,,, और अपने मन में ऐसा सोच कर वह अपने बेटे से बोली,,,) चल अच्छा अब रहने दे यह सब रानी कर लेगी तू जाकर बैठ,,,,,, रानी जरा सब्जी काट देना तो तुझे भी शर्म नहीं आ रही है कि बड़ा भाई सब्जी काट रहा है और तू आराम सेबैठी है।

अब मैं क्या कर सकती हूं मां भैया तो खुद ही सब्जी काट रहे थे तो मैं सोची चलो मैं आराम कर लेती हूं।

बढ़िया यार आप करने वाली चल जल्दी-जल्दी काम कर आज ज्यादा देर हो गया है।
(सूरज अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और रानी वहीं पर आकर बैठकर सब्जी काटने लगी तब तक सूरज अपने मन में सोचा कि चलो तब बाहर ही घूम कर आ जाऊं और इतना अपने मन में सोच कर वह घर से बाहर निकल गया,,,,, उसके जाते ही सुनैना राहत की सांस लेने लगी उसे खुद को समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे की मौजूदगी में उसे न जाने क्या होने लगता है,,,
सूरज घूमता घूमता सोनू के घर के करीब पहुंच गया था,,,, घर के बाहर खटिया डालकर सोनू के चाचा और सोनू के पिताजी दोनों बातें कर रहे थे लेकिन वहां पर सोनू नहीं था,,,, अब इस समय उसके घर में जाना भी ठीक नहीं था और वैसे भी घर में सब लोग मौजूद थे इसलिए यहां पर काम बनने वाला नहीं था लेकिन उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए वह सोनू के घर के पीछे की तरफ जाने लगा जहां पर घर के पीछे खेत ही खेत थे,,,, चांदनी रात थी इसलिए सब कुछ साफ दिखाई दे रहा था वह घर के पीछे पहुंचकर धीरे से अपने पजामे को नीचे किया और अपने लंड को बाहर निकाल कर हाथ में पकड़ कर उसे हिलाते हुए पेशाब करने लगा कुछ देर पहले जिस तरह की वार्तालाप उसकी मां के साथ हुई थी उसको लेकर उसके लंड का तनाव बरकरार था और वह अपनी पूरी औकात भी खड़ा था वह निश्चित होकर पेशाब कर रहा था इस बात से बेखबर की चार-पांच कदम की दूरी पर ही झाड़ियां में कोई औरत बैठकर सोच कर रही थी और सूरज की हरकत को देख रही थी सूरज के लंड को देखकर उसकी हालत पूरी तरह से खराब हो चुकी थी,,, उसका मुंह खुला का खुला रह गया था और यह औरत कोई और नहीं सोनू की मां थी,,, सूरज को पहचानने में सोनू की मां ने बिल्कुल भी देर नहीं की और वह अपने मन में ही बोली,,,,।

हाय दइया यह तो सुनैना का बेटा है इसका इतना मोटा और लंबा लंड मैंने तो आज तक ऐसा लंड नहीं देखी,,,, जिस किसी की भी बुर में जाएगा तबाही मचा देगा,,, बाप रे मेरी तो देख कर ही हालत खराब हो रही है,,,,,, झाड़ियों मैं सोच करते हुए वह सूरज के लंड को देख रही थी और अपने मन में इस तरह की बातें कर रही थी,,,,, और सूरज था की जुगाड़ ना होने की वजह से पूरी तरह से बौखलाया हुआ था उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था जिसे वह बार-बार पकड़ कर हिला भी दे रहा था और मुठीया भी दे रहा था,,,, और जब-जब वाला अपने लंड को मुठीयाता था तब तब सोनू की मां की बुर में सुरसुराहट होने लग रही थी,,,,, सोनू की मां यह सब देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी उसे अच्छी तरह से मालूम था कि सोनू के पिता का लंड इससे आधा भी नहीं था अब तक वह केवल अपने पति से ही चुदवाती आ रही क्या इसलिए वह अपने पति की लंड की चुदाई के एहसास में ही थी,,, लेकिन अनजाने में ही सूरज के मोटे तगड़े लंबे लंड को देखकर उसे एहसास होने लगा कि अगर सूरज का लंड उसकी बुर में जाएगा तो उसे कैसा महसूस होगा कैसा लगेगा छोटे से लंड से जब वह इतनी मस्त हो जाती है तो इतना मोटा और लंबा लंड जाएगा तो वह तो पागल ही हो जाएगी,,, सोनू की मां के मन में कुछ और चल रहा था पर जल्दी-जल्दी धीरे से आवाज किए बिना ही साथ में लाए हुए डब्बे के पानी से अपनी गांड धोने लगी और गांड धोने के बाद एकदम से उठकर खड़ी हो गई और उसके खड़े होने के साथ ही सूरज की नजर भी उसे पर पड़ी वह एकदम से हड़बड़ा गया,,,,, सूरज कुछ बोल पाता इससे पहले ही सोनू की मां बोल पड़ी,,,,

अरे सूरज तु यहां क्या कर रहा है,,,,? (वह सूरज को बिल्कुल भी मौका देना नहीं चाहती थी इसलिए इतना कहने के साथ ही हुआ तुरंत झाड़ी के बाहर आ गई और सूरज सोनू की मां को देखता ही रह गया वह अपने लंड को पजामे में अंदर नहीं कर पाया,,,, तब तक सोनू की मां फुर्ती दिखाते हुए उसके करीब पहुंच गई और एकदम से जानबूझकर उस पर गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)

तुझे शर्म नहीं आती रे एक औरत के सामने आकर खड़ा हो गया और पेशाब करने लगा,,,

चचचचचच,,,, चाची,,,


क्या चाची,,,,,, (इतना कहकर अपनी नजर को नीचे करके सूरज के लंड की तरफ देखते हुए) हाय दइया यह क्या है,,,,,,, (वह आश्चर्य से सूरज के लड को देखने लगी तब सूरज को एहसास हुआ कि वह जल्दबाजी और हड़बड़ाहट में अपने लंड को पजामे के अंदर करना भूल गया था,,, और अब उसे अंदर करने का कोई मतलब नहीं था क्योंकि सोनू कि मैं उसे अपनी आंखों से देख ली थी और सूरज ने गौर किया था कि उसकी मां हैरान थी उसके लंड को देखकर,,,)

हाय दइया क्या है रे,,,,


मममम,,,, मेरा लंड है चाची,,,,, (औरतों को समझ सकते के कारण उसे एहसास हो रहा था कि इस समय सोनू की मां के मन में क्या चल रहा है इसलिए वह घबराते हुए बोला)

वो तो में भी देख रही हूं लेकिन इतना लंबा और मोटा मैं तो आज तक ऐसा नहीं देखी,,,, (ऐसा कहते हुएसोनू की मां अपना हाथ सूरज के लंड की तरफ ले गई और उसे अपनी मुट्ठी में भर ली,,, और मुट्ठी में भरने के साथ ही सूरज ने देखा कि सोनू की मां के चेहरे का हवा एकदम से बदल गया वह एकदम से सिहर उठी और बोली,,,) हाय दइया इतना गरम और इतना मोटा,,, (इतना कहने के साथ ही उत्तेजना में वहां उसके लंड को अपनी मुट्ठी में दबा दी सूरज एकदम से मस्त हो गया और आंखें बंद हो गई वह समझ गया कि सोनू की चाची की तरह ही सोनू की मां भी उसके लंड की दीवानी हो गई है लेकिन अभी दोनों में ज्यादा कुछ बातचीत हो पाती से पहले ही सोनू उधर आ गया और सोनू को देखते ही उसकी मां एकदम से सूरज के लंड पर से अपना हाथ पीछे खींच ली और सूरज अपने पजामे को ऊपर कर लिया सूरज ने यह सब बड़ी जल्दबाजी से किया था सोनू देख नहीं पाया था,,,, लेकिन घर के पीछे अपनी मां और सूरज को देखकर वह थोड़ा हैरान हो गया और उन दोनों के करीब आकर बोला,,,)

तुम दोनों यहां क्या कर रहे हो,,,, मां तुम यहां क्या कर रही हो और सूरज,, तु,,,,, यहां,,,,।
(अब ना तो इसका जवाब सोनू की मां के पास था और नहीं सूरज के पास लेकिन सूरज एकदम से बोल पड़ा,,,,)


वो वो,,,,,,, कहना कि मैं किसी काम से वह सामने वाले गांव में गया था वहां थोड़ी देर हो गई तो मैं यहीं से लौट रहा था मैं सोचा यहां से जल्दी पहुंच जाऊंगा तो यहां चाची मिल गई तो थोड़ी बातचीत होने लगी,,,,,।

ओहहह यह बात है,,,, (सोनू एकदम सहज होता हुआ बोला)

लेकिन तू यहां क्या करने आया है,,,,।

पागल हो गया है क्या मैं यहां पेशाब करने के लिए आता हूं और पेशाब करने के लिए ही आया था,,, तो तुम दोनों को देखा तो,,,,,।

अच्छा ठीक है सोनू तुम दोनों बातें करो मैं जा रही हूं देर हो रही है,,,,।(इतना कहकर सोनू की मां एकदम से वहां से घर की तरफ चल दी,,,,, सोनू की मां के जाते ही,,, सूरज सोनू को छेड़ते हुए बोला,,,,)

यार सोनू तेरी मां तो तेरी चाची से भी ज्यादा खूबसूरत है तू बेवजह अपनी चाची के पीछे पड़ा है अगर इतनी मेहनत अपनी मां के पीछे करता तो अब तक तो तु उसे चोद भी लेता,,,,

बक भोसड़ी के,,,,, वह मेरी मां है,,,,।

तो क्या हुआ मादरचोद तेरी चाची भी तो तेरी मां जैसी है लेकिन तू उसे चोदने के लिए तड़पता है कि नहीं,,,,, जैसे तेरी चाची के पास बुर है मुझे पूरा यकीन नहीं की तेरी मां की बुर उससे भी ज्यादा खूबसूरत और कसी हुई होगी,,,,।

देख सूरज अब मजा नहीं आ रहा है तो इस तरह की बातें करेगा तो हम दोनों की दोस्ती टूट जाएगी,,,।

इसे दोस्ती का क्या वास्ता तू ही सोच तू अपनी चाची के पीछे न जाने कब से पड़ा है जबकि तेरी चाची से भी ज्यादा खूबसूरत और गदराई जवानी की मालकिन तेरी मां है,,,, तुझे यकीन नहीं आता तो यह देख,,,(एकदम से अपना पजामा आगे की तरफ खींचकर सोनू को अपना लंड दिखाता हुआ) तेरी मां से सिर्फ बात करके ही है इतना खड़ा हो गया है तू ही सोच तेरी मां कितनी खूबसूरत है मैं तो कहता हूं सच में अपनी चाची को छोड़कर अपनी मां के पीछे पड़ जा तेरे पिताजी भी अब बूढ़े हो चुके हैं और तेरी मां जिस तरह से कसे बदन वाली है उसे जवान और तगड़ा लंड चाहिए,,,,,

सूरज की बातें सुनकर सोनू के दिमाग में भी सनसनी मच गई थी जिस तरह से सूरज उसकी मां के बारे में गंदी बातें कर रहा था उसे सुनकर सोनू के तन-बाद में उत्तेजना की लहर उठ रही थी और अनजाने में उसकी आंखों के सामने उसकी मां का नंगा बदन नाचने लगा था और तो और सूरज के खड़े लंड को देखकर उसकी हालत और ज्यादा खराब हो गई थी,,,, लेकिन फिर भी झूठ मूठ का गुस्सा दिखाते हुए वह बोला।


देख सूरज की अच्छी बात नहीं है मेरी मां के बारे में तो इतनी गंदी गंदी बातें कर रहा है अगर मैं भी तेरी मां के बारे में गंदी बातें करु तो,,,,


तो करना तुझे रोका किसने है,,,, अगर तुझे मेरी मां खूबसूरत लगेगी तो तू भी इस तरह की बातें करेगा मुझे तो तेरी मां बहुत अच्छी लगी,,,, देख यह छुपी बात नहीं है अगर मुझे मौका मिला ना तो मैं सच में तेरी मां को चोद दूंगा,,,, तब मुझे मत कहना और तुझे तो खुश होना चाहिए कि तेरी मां इस उम्र में भी हम जैसे लड़कों का लंड खड़ा कर देती है,,,,।

(सूरज की बातें सुनकर सोनू की हालत खराब हो रही थी वह भी अपने मन में यही सोच रहा था कि अब तक तो उसने अपनी मां पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया था वह अब तक अपनी चाची के ही पीछे हाथ धोकर पड़ा था अगर सूरज कह रहा है तो सच में उसकी मां बेहद खूबसूरत होगी तभी तो उसका लंड एकदम से खड़ा हो गया और उसे एहसास हो रहा था कि इस समय उसकी भी यही हालत है लेकिन फिर भी सूरज के सामने अपनी मां के बारे में गंदी बातें नहीं कर सकता था इसलिए वह सूरज से बोला,,,)


चल रहने दे तू जा यहां से मुझे इस बारे में बिल्कुल भी बात नहीं करनी,,,,।

(सूरज सोनू को ज्यादा परेशान नहीं करना चाहता था इसलिए हंसते हुए वहां से चला गया लेकिन जाते-जाते सोनू के मन में उसकी मां की प्रति उत्तेजना की चिंगारी को भड़का गया बर्बादी वहां पर पेशाब करते हुए अपनी मां के बारे में सोच कर अपना लंड हिला कर मुठ मारने लगा,,,।

सूरज रानी और उसकी मां तीनों साथ में खाना खा चुके थे,,,, और थोड़ी बहुत सफाई के बाद वह लोग अपने-अपने कमरे में जा चुके थे,,, रोज की तरह रानी अपने कमरे का दरवाजा खुला छोड़ रखी थी समय के मुताबिक सूरज अपने कमरे से बाहर निकाला लेकिन रानी के कमरे की तरफ जाने के बजाय वह अपनी मां के कमरे की तरफ जल्दी आओ धीरे से जाकर दरवाजे के पास खड़ा हो गया और अंदर की तरफ देखने लगा अंदर लालटेन जल रही थी,,, वह देखना चाहता था कि बाजार जाते समय और बाजार से आते समय जो कुछ भी हुआ था उसका उसकी मां के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है और जैसे ही सूरज की नजर कमरे के अंदर चारपाई पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए उसे पूरा यकीन हो गया था कि,,, जो कुछ भी आज हुआ था उसका असर उसकी मां के मन पर कुछ ज्यादा ही गहरा पड़ गया था क्योंकि चारपाई पर वह पूरी तरह से नंगी थी उसकी दोनों टांगें खुली हुई थी,,, लालटेन की पीली रोशनी में उसका नंगा बदन चमक रहा था इसका एक हाथ उसकी बड़ी-बड़ी चूची पड़ती है और दूसरा हाथ उसकी बुर पर थी और उसकी दो उंगलियां उसकी बुर की गहराई नाप रही थी जो की गहराई नापने में असमर्थ थे उसके चेहरे के हाव-भाव पूरी तरह से मदहोशी में डूबे हुए थे,,,, अपनी मां को इस अवस्था में देखकर सूरज का लंड खड़ा होने में एक पल की भी देरी नहीं लगाया।

अंदर से हल्की हल्की सीसकारी की आवाज आ रही थी जिसे सूरज सुनने की कोशिश कर रहा था और उसके कानों में उसकी मां की गरमा गरम शिसकारी की आवाज बड़े आराम से पहुंच रही थी,,,, शायद यह आवाज और भी तेज हो सकती थी लेकिन उसकी मां अपनी आवाज पर काबू किए हुए थी ताकि यह उसकी सिसकारी की आवाज को कोई सुन ना सके। लेकिन वह नहीं जानती थी कि दरवाजे पर खड़ा होकर उसका बेटा उसकी काम लीला को अपनी आंखों से देख भी रहा है और उसकी मदहोशी भरी आवाजों को सुन भी रहा है,,,, सूरज की हालत खराब हो रही थी वह अपनी मां की नंगी जवान को देख रहा था उसे अपनी उंगली से अपनी जवानी की प्यास बुझाते हुए देख रहा था वह जानता था कि ऐसे उसकी प्यास बुझने वाली नहीं है बल्कि और ज्यादा बढ़ जाने वाली है और यही वह चाहता भी था,,,। वह बड़े गौर से अपनी मां की कम लीला को देख रहा था तभी उसके कानों में जो आवाज सुनाई थी उसे सुनकर उसके कान के साथ-साथ उसके लंड की अकड़ भी एकदम से बढ़ गई।

ओहहह सूरज बेटा तेरा लंड कितना मोटा और लंबा है,,,आहहहहहह ,,,,,, तू मेरी मजबूरी क्यों नहीं समझता,,,,सहहहहह आहहहह,,,,,

(इतना सुनते ही सूरज का गला उत्तेजना से सूखने लगा वह पूरी तरह से पागल होने लगा क्योंकि उसकी मां अपनी बुर में उंगली डालते हुए उसका जिक्र कर रही थी और इस अवस्था में उसके जिक्र करने का मतलब था कि इस समय उसकी मां को उसकी जरूरत थी)
सहहहह आहहहहह मेरे लाल तू तो अच्छी तरह से जानता है कि तेरा बाप कितना निकम्मा निकल गया मुझे भरी जवानी में छोड़कर ना जाने किसके साथ मुंह काला कर रहा है,,,,,आहहहहहह जैसे तू मेरी हर काम में मदद करना चाहता है इस काम में मेरी मदद क्यों नहीं करता क्यों नहीं अपने लंड को मेरी बुर में डाल देता,,,,,आहहहहहह कितना मजा आएगा रे तेरे लंड से चुदने में,,,,ऊमममममम मैं तो रात भर तुझ से चुदवाना चाहती हूं,,,,,आहहहहह,,,,,सहहहहहहहह ऊमममममम (ऐसा कहते हुए वह जोर-जोर से अपनी उंगली को अंदर बाहर कर रही थी जिसे देखकर सूरज की उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच चुकी थी उसे एहसास हो गया था कि उसकी मां भी उससे चुदवाना चाहती है बस झिझक रही थी,,,, और यही झिझक सूरज को खत्म करनी थी सूरज पूरी तरह से पागल हो गया अपनी मां की हरकत और उसकी बातों को सुनकर एकदम से चुदवासा हो गया था मन तो उसका कर रहा था कि इसी समय दरवाजा तोड़कर वह कमरे में दाखिल हो जाए और अपनी मां की टांगों के बीच पहुंचकर उसकी बुर में अपना लंड डाल दे,,,, लेकिन इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि यह उचित समय नहीं था लेकिन इतना तो साफ हो गया था कि उसकी मां भी यही चाहती है लेकिन एक बात समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां उसके बेटे के बारे में बात कर रही थी कि कितना मोटा और लंबा है सूरज को यह समझ में नहीं आ रहा क्योंकि उसकी मां उसकी लंड को कब देख ली,,,, जबकि आज तक ऐसा कुछ हुआ भी नहीं फिर वह अपने मन में सोचने लगा कि शायद वह अपने मन में धारणा बना रही होगी कि उसके बेटे का इतना ही मोटा और लंबा होगा और यह सोचकर वह खुश होने लगा।

लेकिन जिस तरह की उत्तेजना उसके बदन में उसे जकड़ रही थी वह देखते हुए वह ज्यादा देर तक अपनी मां के कमरे के बाहर खड़ा नहीं रह सका और तुरंत दरवाजा खोलकर अपनी बहन के कमरे में दाखिल हो गया और बिना कुछ बोले ही जमकर उसकी चुदाई करने लगा,,,,, और अपने मन में निर्धारित करने लगा कि अब वह अपनी मां को पूरी तरह से बदल कर रहेगा जिसकी शुरुआत वह सुबह से ही करना चाहता था वह बाजार से अपनी मां के लिए चूड़ियां खरीद कर लाया था और वह उसे अपने हाथों से पहनाना चाहता था।
 

Ajju Landwalia

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सूरज उन तीनों के जाने के बाद अपनी मां को झाड़ियों के बीच से बाहर ले आया था और जल्दी-जल्दी गांव की तरफ चल दिया था और थोड़ी ही देर में वह दोनों सही सलामत गांव की पहुंच चुके थे लेकिन आज दोनों एक नए अनुभव के साथ घर पहुंच रहे थे सुनैना के तन बदन में अभी भी उत्तेजना की लहर उठ रही थी जो कुछ भी आज बाजार जाते समय हुआ था और आते समय हुआ था वह सुनैना के मानस पटल पर एक अविस्मरणीय छाप छोड़ गई थी,,, घर पर पहुंचते ही रानी एकदम से गुस्सा दिखाते हुए बोली।

कहां रह गए थे तुम लोग मैं कब से तुम लोगों का इंतजार कर रही हुं पता है मेरे मन में कैसे-कैसे विचार आ रहे थे तुम दोनों को तो कब से आ जाना चाहिए था तो इतनी देर कहां लग गई।

अरे कहीं नहीं बस आज बाजार में थोड़ा भीड़ ज्यादा थी तो सामान खरीदने में देर हो गई,,, (सुनैना एकदम सहज होते हुए बोली तो सूरज समझ गया कि उसकी मां बाजार में जो कुछ भी हुआ है वह रानी से छुपाना चाहती है भले ही वह सांप वाली बात हो या तीन बदमाश वाली,,,, इसलिए सूरज भी अपनी मां की हां मैं हां मिलाता हुआ बोला,,,)



मां सही कह रही है आज कुछ ज्यादा ही भीड़ थी,,,, लेकिन बाजार में भीड़ होती है तो मजा भी ज्यादा आता है,,,,।

अच्छा तुम दोनों यह बताओ कि मेरे लिए कुछ खाने के लिए लाए की नहीं,,,।

अरे समोसे और जलेबी तो हम लोग दुकान पर ही भूल गए,,,,,
(सूरज की बात सुनते ही रानी एकदम से मुंह फुला ली और अपने दोनों हाथ बात कर खड़ी हो गई तो सुनैना मुस्कुराते हुए बोली)

नाराज मत हो वह मजाक कर रहा है ठेले में तेरे लिए जलेबी और समोसे लेकर आए,,,।

जलेबी और समोसे,,,,( रानी एकदम उत्साहित होते हुए बोली और भागते हुए ठेले में से जलेबी और समोसे निकाल कर खाने लगी और सुनैना रसोई घर की तरफ देखी तो थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए रानी से बोली)

अभी तक चूल्हा नहीं चला है कम से कम चूल्हा जलाकर रोटियां ही पका दी होती,,,,।

तुमको लगता है कि मेरा मन चुल्हा जला कर रोटी बनाने को नहीं हो रहा था,,, शाम ढलते ही मैं सोची कि तुम्हारे आने से पहले रोटी बना देता हूं लेकिन फिर थोड़ी साफ सफाई करने लगी और धीरे-धीरे अंधेरा हो गया और जैसे-जैसे तेरा होने लगा तुम लोगों को ना देख कर मेरा मन घबराने लगा और फिर तुम लोग का इंतजार करने में ही समय निकल गया मैं कभी घर के अंदर तो कभी घर के बाहर तो कभी नुक्कड़ तक देख कर आ रही थी लेकिन तुम दोनों का तो कहीं आता पता नहीं था मैं कितना घबरा गई थी मालूम है और तुम कह रही हो की रोटी बना दी होती,,,।

चल अच्छा महारानी अब गुस्सा मत कर मैं बना देता हूं बस थोड़ा सा हाथ बंटा दे वैसे भी ज्यादा देर हो गई है,,,(इतना कहकर सुनैना अपनी साड़ी को कमर में खोंसकर अपने हाथ पैर धोई और फिर सीधा रसोई घर में चली गई चूल्हा जलाने लगी,,,,, सूरज पर हाथ पैर धोकर कोई अपने मां के पास ही बैठ गया क्योंकि जो कुछ भी बाजार जाते समय हुआ था और आते समय हुआ था उसके चलते वह अपनी मां के करीब अपने आप को महसूस कर रहा था उसे अपनी मां का करीब रहना बहुत अच्छा लग रहा था वह बार-बार मुस्कुरा कर सुनैना की तरफ देख ले रहा था सुनेना शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे कर ले रही थी,,,, देखते ही देखते सुनैना रोटियां पकाने लगी और सूरज अपनी मां के पास बैठकर आज सब्जी काट रहा था यह देखकर सुनैना को भी अच्छा लग रहा था लेकिन रानी अपने भाई की हरकत को देख कर मंद मंद मुस्कुरा रही थी क्योंकि अंदर ही अंदर उसे एहसास हो रहा था कि उसका भाई अपनी मां की मदद क्यों कर रहा था,,,, उसे सब पता था कि उसका भाई उसकी मां की दोनों टांगों के बीच पहुंचना चाहता है,,,, और इस बात से उसे हैरानी नहीं हो रही थी वह तो चाहती थी कि जल्द से जल्द उसका भाई उसकी मां की जवानी पर विजय प्राप्त कर ले ताकि उसका भी रास्ता एकदम साफ हो जाए और उसकी मां के कदम बाहर न भटक पाए,,,,)

आज इतनी मदद क्यों कर रहा है,,,?(सुनैना मुस्कुराते हुए सूरज की तरफ देखते हुए बोली)

आज कहीं जाना नहीं है तो सोच रहा हूं की मदद ही कर दो क्यों तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा है क्या मेरा मदद करना।

नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है तूने कभी इस तरह से मदद किया नहीं है ना इसलिए कह रही हूं।

मैं तो हमेशा तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूं बस तुम ही मौका नहीं देती,,,,,।
(अपने बेटे की बातें सुनकर सुनैना एकदम से शक पका गई,,, और उसे झाड़ियों वाली बात याद आ गई की कैसे पेड़ के पीछे उसे अपनी बाहों में लेकर उन तीनों बदमाश से छुपा हुआ था लेकिन इस दौरान उसका मोटा लंड एकदम से उसकी गांड के बीचों बीच धंसा जा रहा था,, सुनैना इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि एक मर्द का लंड कब खड़ा होता है उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि उसे समय सहज या औपचारिकता तो बिल्कुल नहीं थी क्योंकि डर के माहौल में मर्द एकदम शिथिल पड़जाता है खास करके डर के माहौल में तो बिल्कुल भी उसका लंड खड़ा नहीं होता लेकिन उसके बेटे के साथ ऐसा बिल्कुल भी नहीं था शायद उसकी जवानी की गर्मी डर के माहौल में भी उसके बदन में मर्दानी की गर्मी फैला रही थी जिसके चलते उसके बेटे का लंड खड़ा हो गया था।

सुनैना अपने मन में ही बोले कि जब इतनी खूबसूरत औरत किसी जवान लड़के की बाहों में होगी तो भला घर के माहौल में भी वह जवान लड़का कैसे अपने आप को रोक पाएगा,,, उसे अच्छी तरह से याद था जब वह बदमाश उसके चूड़ियों के झांकने की आवाज से एकदम चौकन्ना हो गया था अपने साथी को औरत की चूड़ियों की आवाज आने की बात कही थी तब सूरज एकदम से उसके दोनों हाथों को अपनी हथेली में दबोच लिया था ताकि उसकी चूड़ियों की आवाज ना आए इस समय सुनैना को उसकी मर्दानगी का एहसास हो गया था उसकी हथेलियों का कसाव अपनी कलाई पर महसूस करके वह पानी पानी हो गई थी,,,, इतना तो सुनैना अच्छी तरह से जानती थी कि जो कुछ भी हुआ था वह अनजाने में बिल्कुल भी नहीं हुआ था इसमें उसके बेटे की मर्जी पूरी तरह से शामिल थी वरना उसका लंड कभी खड़ा ना होता इसका मतलब साफ था कि उसका बेटा पूरी तरह से उसके प्रति आकर्षित है उसके खूबसूरत बदन के प्रति आकर्षित है और इस बात का अहसास होते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी चेहरे पर शर्म की लालिमा छाने लगी,,,, और वह तवे पर रोटी को पलटते हुए बोली,,,)

कोई बात नहीं अब से तू मेरी मदद कर देना। लेकिन तुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे मदद की जरूरत है।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मा मैं समझ जाऊंगा कि तुमको मदद की जरूरत है।,,,


लेकिन तू कैसे समझ जाएगा कि मुझे तेरे मददकी जरूरत है और वह भी बिना कहे।

बहुत आसान है देखो ना जब तुम अगर खाना पका रही होगी तो मैं इसी तरह से सब्जी काटकर आटा गूथ कर तुम्हारी मदद कर दूंगा और अगर जैसे तुम बर्तन मांज रही हो तो उसमें भी मैं तुम्हारी मदद कर दूंगा बर्तन धोकर और अगर कपड़े साफ कर रही हो तो मैं उसमें भी तुम्हारी मदद कर दूंगा तुम्हारे साथ कपड़े धोकर अगर घर की सफाई कर रही हो तो मैं भी झाड़ू लगा दूंगा खेत का काम तो हम दोनों मिलकर करते हैं और अगर तुम कमरे के अंदर हो तो,,,,,(इतना कहकर हुआ एकदम से खामोश हो गया मानो के जैसे अपनी मां को इशारा कर रहा हो कि आगे का मतलब तुम समझ जाओ और शायद सुनैना अपने बेटे के खाने के मतलब को समझ भी गई थी क्योंकि उसके चेहरे पर एकदम से शर्म की आभा झलकने लगी थी उसके होठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई थी जिससे साफ पता चल रहा था कि सूरज की बातें उसे अच्छी लग रही थी लेकिन फिर भी वह बोली,,,)


कमरे के अंदर,,,, कमरे के अंदर कैसी मदद करेगा,,,,, (ऐसा कहते हुए सुनैना की सांस गहरी चलने लगी थी जिसके साथ उसकी छतिया भी ऊपर नीचे हो रही थी और इस समय सब्जी काटते हुए सूरज की नजर उसकी मां की भारी भरकम छातियां पर भी घूम जा रही थी जिसका एहसास सुनैना को भी अच्छी तरह से हो रहा था,,,, अपनी मां की बात सुनकर सूरज को समझ में नहीं आ रहा था कि वह किस तरह का जवाब दे लेकिन फिर भी वह सोच समझ कर बोला,,,)


कमरे के अंदर भी मदद करने का बहुत सर तरीका है जैसे कि तुम दिन भर काम करती हो सोते समय तुम्हारा बदन दर्द करता होगा तो हमें दबा सकता हूं तुम्हारे पैर दबा सकता हूं कमर दबा सकता हूं ताकि तुम्हें आराम मिल सके और गर्मी पर ज्यादा लग रही है तो मैं हवा देने के लिए पंखी घूमा सकता हूं ताकि तुम आराम से सो सको,,,,,, (इतना कहकर हुआ अपने मन में ही बोला अगर तुम्हारी बुर ज्यादा पानी छोड़ रही है तो तुम्हारी बुर में अपना लंड डालकर तुम्हारी प्यास भी बुझा सकता हूं,,,, ऐसा हुआ मन में कह रहा था लेकिन अपनी मां के सामने ऐसा कहने की उसकी हिम्मत अभी नहीं थी अपने बेटे की बात सुनकर सुनैना मंद मुस्कुराने लगे वह अपने बेटे के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी,,,, एकदम से उसे बाजार जाते समय वाली घटना याद आ गई जब वह पेशाब करने के लिए बैठी थी और इस समय उसका पैर सांप की गोलाई के बीचों बीच था,,,, उसे पाल को याद करके सुनैना एकदम से उत्तेजना से गनगनाने लगी,,,, वह समझ सकती थी कि वह पर डर के माहौल से भरा हुआ भी था और मदहोशी और उत्तेजना से भी भरा हुआ था क्योंकि वह पेशाब करने के लिए बैठी हुई थी उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी और उसकी मदद करने के लिए उसका बेटा तुरंत आ गया था और वह अपने बेटे की आंखों के सामने भी उसी अवस्था में बैठी हुई थी उसकी नंगी गांड उसकी आंखों के सामने चमक रही थी।

सुनैना अच्छी तरह से जानती थी कि भले ही वह घबराई हुई थी भले ही सांप के काटने का डर पूरी तरह से बना हुआ था लेकिन उसी की मदद करते समय सुनैना निश्चित तौर पर कह सकती थी कि उसके बेटे की नजर उसकी जवानी से भरी हुई गांड पर ही टिकी हुई थी वह जानती थी कि उसका बेटा नजर भरकर उसकी गांड को देख रहा था और जिस तरह से मदद करने के बहाने उसके टांग को उठाया था वह उसकी कहानी से बेहद करीब था और उसे अच्छी तरह से एहसास था कि उसने जानबूझकर अपनी हथेली को उसकी गुलाबी पर से सटकर उसे मसल दिया था वह एहसास अभी तक उसे अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार पर महसूस हो रही थी और बार-बार यही सोच कर उसकी बुर पानी छोड़ दे रही थी,,,, यह सब देखते हुए वह समझ सकती थी कि कमरे में उसका बेटा किस तरह से उसकी मदद करना चाहता है बस वह अपने मुंह से बोल नहीं रहा है लेकिन उसका खाने का मतलब यही है और इस बात को सोचकर सुनैना उत्तेजना से सिहर उठी कि उसका बेटा उसे ही चोदना चाहता है,,,, अपने आप को सहज करते हुए सुनैना बोली,,,)

अच्छा ठीक है कर देना तू मेरी मदद बस,,,,,


क्या अभी भी तुम्हारी कमर दुख रही है,,,।

(इतना सुनकर तो सुनैना के होश उड़ गए वह समझ गई कि उसके बेटे का इरादा उसके प्रति कुछ गलत करने को है इतना तो वह जानती थी लेकिन वह जल्दबाजी दिख रहा था,,,,, इसलिए वह एकदम से बोली,,,)

नहीं नहीं आज मेरी कमर नहीं दुख रही है और नहीं बदन दर्द कर रहा है जिस दिन दुखेगी उस दिन तुझे बोल दूंगी बस,,,,,, (इतना कहकर सुनैना खुद अपनी बातों से शर्मिंदा हो गई थी कि यह उसे क्या हो रहा है यह सब तो उसकी तरफ से उसके बेटे को खुला निमंत्रण देने वाली बात हो गई थी,,, और एक मां होने के नाते यह कितनी शर्मनाक बात है नहीं नहीं ऐसा वह बिल्कुल भी नहीं कर सकती भावनाओं में बहकर वह अपने बेटे की इच्छा को पूरी नहीं कर सकती,,,, अगर सच में किसी दिन ऐसा हो गया तो वह अपनी नजर में ही गिर जाएगी की पति कुछ महीनो के लिए छोड़ कर क्या चल गया जवानी की गर्मी बर्दाश्त नहीं हुई और अपने बेटे के साथ ही हम बिस्तर होने लगे नहीं नहीं मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती कि समाज में इस तरह की बातें हूं या खुद की नजर में गिर जाऊं मुझे अपनी बेटी को यह सब करने से रोकना होगा लेकिन कैसे खुले तौर पर तो मैं यह कह नहीं सकती कि तू यह सब मत कर मैं जानती हूं कि तू मेरे साथ गलत संबंध बनाना चाहता है इस तरह से कहना भी तो गलत होगा नहीं हमेशा में नहीं होने दूंगी मैं खुद ही उससे दूरी बनाकर रहूंगी,,, और अपने मन में ऐसा सोच कर वह अपने बेटे से बोली,,,) चल अच्छा अब रहने दे यह सब रानी कर लेगी तू जाकर बैठ,,,,,, रानी जरा सब्जी काट देना तो तुझे भी शर्म नहीं आ रही है कि बड़ा भाई सब्जी काट रहा है और तू आराम सेबैठी है।

अब मैं क्या कर सकती हूं मां भैया तो खुद ही सब्जी काट रहे थे तो मैं सोची चलो मैं आराम कर लेती हूं।

बढ़िया यार आप करने वाली चल जल्दी-जल्दी काम कर आज ज्यादा देर हो गया है।
(सूरज अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और रानी वहीं पर आकर बैठकर सब्जी काटने लगी तब तक सूरज अपने मन में सोचा कि चलो तब बाहर ही घूम कर आ जाऊं और इतना अपने मन में सोच कर वह घर से बाहर निकल गया,,,,, उसके जाते ही सुनैना राहत की सांस लेने लगी उसे खुद को समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे की मौजूदगी में उसे न जाने क्या होने लगता है,,,
सूरज घूमता घूमता सोनू के घर के करीब पहुंच गया था,,,, घर के बाहर खटिया डालकर सोनू के चाचा और सोनू के पिताजी दोनों बातें कर रहे थे लेकिन वहां पर सोनू नहीं था,,,, अब इस समय उसके घर में जाना भी ठीक नहीं था और वैसे भी घर में सब लोग मौजूद थे इसलिए यहां पर काम बनने वाला नहीं था लेकिन उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए वह सोनू के घर के पीछे की तरफ जाने लगा जहां पर घर के पीछे खेत ही खेत थे,,,, चांदनी रात थी इसलिए सब कुछ साफ दिखाई दे रहा था वह घर के पीछे पहुंचकर धीरे से अपने पजामे को नीचे किया और अपने लंड को बाहर निकाल कर हाथ में पकड़ कर उसे हिलाते हुए पेशाब करने लगा कुछ देर पहले जिस तरह की वार्तालाप उसकी मां के साथ हुई थी उसको लेकर उसके लंड का तनाव बरकरार था और वह अपनी पूरी औकात भी खड़ा था वह निश्चित होकर पेशाब कर रहा था इस बात से बेखबर की चार-पांच कदम की दूरी पर ही झाड़ियां में कोई औरत बैठकर सोच कर रही थी और सूरज की हरकत को देख रही थी सूरज के लंड को देखकर उसकी हालत पूरी तरह से खराब हो चुकी थी,,, उसका मुंह खुला का खुला रह गया था और यह औरत कोई और नहीं सोनू की मां थी,,, सूरज को पहचानने में सोनू की मां ने बिल्कुल भी देर नहीं की और वह अपने मन में ही बोली,,,,।

हाय दइया यह तो सुनैना का बेटा है इसका इतना मोटा और लंबा लंड मैंने तो आज तक ऐसा लंड नहीं देखी,,,, जिस किसी की भी बुर में जाएगा तबाही मचा देगा,,, बाप रे मेरी तो देख कर ही हालत खराब हो रही है,,,,,, झाड़ियों मैं सोच करते हुए वह सूरज के लंड को देख रही थी और अपने मन में इस तरह की बातें कर रही थी,,,,, और सूरज था की जुगाड़ ना होने की वजह से पूरी तरह से बौखलाया हुआ था उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था जिसे वह बार-बार पकड़ कर हिला भी दे रहा था और मुठीया भी दे रहा था,,,, और जब-जब वाला अपने लंड को मुठीयाता था तब तब सोनू की मां की बुर में सुरसुराहट होने लग रही थी,,,,, सोनू की मां यह सब देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी उसे अच्छी तरह से मालूम था कि सोनू के पिता का लंड इससे आधा भी नहीं था अब तक वह केवल अपने पति से ही चुदवाती आ रही क्या इसलिए वह अपने पति की लंड की चुदाई के एहसास में ही थी,,, लेकिन अनजाने में ही सूरज के मोटे तगड़े लंबे लंड को देखकर उसे एहसास होने लगा कि अगर सूरज का लंड उसकी बुर में जाएगा तो उसे कैसा महसूस होगा कैसा लगेगा छोटे से लंड से जब वह इतनी मस्त हो जाती है तो इतना मोटा और लंबा लंड जाएगा तो वह तो पागल ही हो जाएगी,,, सोनू की मां के मन में कुछ और चल रहा था पर जल्दी-जल्दी धीरे से आवाज किए बिना ही साथ में लाए हुए डब्बे के पानी से अपनी गांड धोने लगी और गांड धोने के बाद एकदम से उठकर खड़ी हो गई और उसके खड़े होने के साथ ही सूरज की नजर भी उसे पर पड़ी वह एकदम से हड़बड़ा गया,,,,, सूरज कुछ बोल पाता इससे पहले ही सोनू की मां बोल पड़ी,,,,

अरे सूरज तु यहां क्या कर रहा है,,,,? (वह सूरज को बिल्कुल भी मौका देना नहीं चाहती थी इसलिए इतना कहने के साथ ही हुआ तुरंत झाड़ी के बाहर आ गई और सूरज सोनू की मां को देखता ही रह गया वह अपने लंड को पजामे में अंदर नहीं कर पाया,,,, तब तक सोनू की मां फुर्ती दिखाते हुए उसके करीब पहुंच गई और एकदम से जानबूझकर उस पर गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)

तुझे शर्म नहीं आती रे एक औरत के सामने आकर खड़ा हो गया और पेशाब करने लगा,,,

चचचचचच,,,, चाची,,,


क्या चाची,,,,,, (इतना कहकर अपनी नजर को नीचे करके सूरज के लंड की तरफ देखते हुए) हाय दइया यह क्या है,,,,,,, (वह आश्चर्य से सूरज के लड को देखने लगी तब सूरज को एहसास हुआ कि वह जल्दबाजी और हड़बड़ाहट में अपने लंड को पजामे के अंदर करना भूल गया था,,, और अब उसे अंदर करने का कोई मतलब नहीं था क्योंकि सोनू कि मैं उसे अपनी आंखों से देख ली थी और सूरज ने गौर किया था कि उसकी मां हैरान थी उसके लंड को देखकर,,,)

हाय दइया क्या है रे,,,,


मममम,,,, मेरा लंड है चाची,,,,, (औरतों को समझ सकते के कारण उसे एहसास हो रहा था कि इस समय सोनू की मां के मन में क्या चल रहा है इसलिए वह घबराते हुए बोला)

वो तो में भी देख रही हूं लेकिन इतना लंबा और मोटा मैं तो आज तक ऐसा नहीं देखी,,,, (ऐसा कहते हुएसोनू की मां अपना हाथ सूरज के लंड की तरफ ले गई और उसे अपनी मुट्ठी में भर ली,,, और मुट्ठी में भरने के साथ ही सूरज ने देखा कि सोनू की मां के चेहरे का हवा एकदम से बदल गया वह एकदम से सिहर उठी और बोली,,,) हाय दइया इतना गरम और इतना मोटा,,, (इतना कहने के साथ ही उत्तेजना में वहां उसके लंड को अपनी मुट्ठी में दबा दी सूरज एकदम से मस्त हो गया और आंखें बंद हो गई वह समझ गया कि सोनू की चाची की तरह ही सोनू की मां भी उसके लंड की दीवानी हो गई है लेकिन अभी दोनों में ज्यादा कुछ बातचीत हो पाती से पहले ही सोनू उधर आ गया और सोनू को देखते ही उसकी मां एकदम से सूरज के लंड पर से अपना हाथ पीछे खींच ली और सूरज अपने पजामे को ऊपर कर लिया सूरज ने यह सब बड़ी जल्दबाजी से किया था सोनू देख नहीं पाया था,,,, लेकिन घर के पीछे अपनी मां और सूरज को देखकर वह थोड़ा हैरान हो गया और उन दोनों के करीब आकर बोला,,,)

तुम दोनों यहां क्या कर रहे हो,,,, मां तुम यहां क्या कर रही हो और सूरज,, तु,,,,, यहां,,,,।
(अब ना तो इसका जवाब सोनू की मां के पास था और नहीं सूरज के पास लेकिन सूरज एकदम से बोल पड़ा,,,,)


वो वो,,,,,,, कहना कि मैं किसी काम से वह सामने वाले गांव में गया था वहां थोड़ी देर हो गई तो मैं यहीं से लौट रहा था मैं सोचा यहां से जल्दी पहुंच जाऊंगा तो यहां चाची मिल गई तो थोड़ी बातचीत होने लगी,,,,,।

ओहहह यह बात है,,,, (सोनू एकदम सहज होता हुआ बोला)

लेकिन तू यहां क्या करने आया है,,,,।

पागल हो गया है क्या मैं यहां पेशाब करने के लिए आता हूं और पेशाब करने के लिए ही आया था,,, तो तुम दोनों को देखा तो,,,,,।

अच्छा ठीक है सोनू तुम दोनों बातें करो मैं जा रही हूं देर हो रही है,,,,।(इतना कहकर सोनू की मां एकदम से वहां से घर की तरफ चल दी,,,,, सोनू की मां के जाते ही,,, सूरज सोनू को छेड़ते हुए बोला,,,,)

यार सोनू तेरी मां तो तेरी चाची से भी ज्यादा खूबसूरत है तू बेवजह अपनी चाची के पीछे पड़ा है अगर इतनी मेहनत अपनी मां के पीछे करता तो अब तक तो तु उसे चोद भी लेता,,,,

बक भोसड़ी के,,,,, वह मेरी मां है,,,,।

तो क्या हुआ मादरचोद तेरी चाची भी तो तेरी मां जैसी है लेकिन तू उसे चोदने के लिए तड़पता है कि नहीं,,,,, जैसे तेरी चाची के पास बुर है मुझे पूरा यकीन नहीं की तेरी मां की बुर उससे भी ज्यादा खूबसूरत और कसी हुई होगी,,,,।

देख सूरज अब मजा नहीं आ रहा है तो इस तरह की बातें करेगा तो हम दोनों की दोस्ती टूट जाएगी,,,।

इसे दोस्ती का क्या वास्ता तू ही सोच तू अपनी चाची के पीछे न जाने कब से पड़ा है जबकि तेरी चाची से भी ज्यादा खूबसूरत और गदराई जवानी की मालकिन तेरी मां है,,,, तुझे यकीन नहीं आता तो यह देख,,,(एकदम से अपना पजामा आगे की तरफ खींचकर सोनू को अपना लंड दिखाता हुआ) तेरी मां से सिर्फ बात करके ही है इतना खड़ा हो गया है तू ही सोच तेरी मां कितनी खूबसूरत है मैं तो कहता हूं सच में अपनी चाची को छोड़कर अपनी मां के पीछे पड़ जा तेरे पिताजी भी अब बूढ़े हो चुके हैं और तेरी मां जिस तरह से कसे बदन वाली है उसे जवान और तगड़ा लंड चाहिए,,,,,

सूरज की बातें सुनकर सोनू के दिमाग में भी सनसनी मच गई थी जिस तरह से सूरज उसकी मां के बारे में गंदी बातें कर रहा था उसे सुनकर सोनू के तन-बाद में उत्तेजना की लहर उठ रही थी और अनजाने में उसकी आंखों के सामने उसकी मां का नंगा बदन नाचने लगा था और तो और सूरज के खड़े लंड को देखकर उसकी हालत और ज्यादा खराब हो गई थी,,,, लेकिन फिर भी झूठ मूठ का गुस्सा दिखाते हुए वह बोला।


देख सूरज की अच्छी बात नहीं है मेरी मां के बारे में तो इतनी गंदी गंदी बातें कर रहा है अगर मैं भी तेरी मां के बारे में गंदी बातें करु तो,,,,


तो करना तुझे रोका किसने है,,,, अगर तुझे मेरी मां खूबसूरत लगेगी तो तू भी इस तरह की बातें करेगा मुझे तो तेरी मां बहुत अच्छी लगी,,,, देख यह छुपी बात नहीं है अगर मुझे मौका मिला ना तो मैं सच में तेरी मां को चोद दूंगा,,,, तब मुझे मत कहना और तुझे तो खुश होना चाहिए कि तेरी मां इस उम्र में भी हम जैसे लड़कों का लंड खड़ा कर देती है,,,,।

(सूरज की बातें सुनकर सोनू की हालत खराब हो रही थी वह भी अपने मन में यही सोच रहा था कि अब तक तो उसने अपनी मां पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया था वह अब तक अपनी चाची के ही पीछे हाथ धोकर पड़ा था अगर सूरज कह रहा है तो सच में उसकी मां बेहद खूबसूरत होगी तभी तो उसका लंड एकदम से खड़ा हो गया और उसे एहसास हो रहा था कि इस समय उसकी भी यही हालत है लेकिन फिर भी सूरज के सामने अपनी मां के बारे में गंदी बातें नहीं कर सकता था इसलिए वह सूरज से बोला,,,)


चल रहने दे तू जा यहां से मुझे इस बारे में बिल्कुल भी बात नहीं करनी,,,,।

(सूरज सोनू को ज्यादा परेशान नहीं करना चाहता था इसलिए हंसते हुए वहां से चला गया लेकिन जाते-जाते सोनू के मन में उसकी मां की प्रति उत्तेजना की चिंगारी को भड़का गया बर्बादी वहां पर पेशाब करते हुए अपनी मां के बारे में सोच कर अपना लंड हिला कर मुठ मारने लगा,,,।

सूरज रानी और उसकी मां तीनों साथ में खाना खा चुके थे,,,, और थोड़ी बहुत सफाई के बाद वह लोग अपने-अपने कमरे में जा चुके थे,,, रोज की तरह रानी अपने कमरे का दरवाजा खुला छोड़ रखी थी समय के मुताबिक सूरज अपने कमरे से बाहर निकाला लेकिन रानी के कमरे की तरफ जाने के बजाय वह अपनी मां के कमरे की तरफ जल्दी आओ धीरे से जाकर दरवाजे के पास खड़ा हो गया और अंदर की तरफ देखने लगा अंदर लालटेन जल रही थी,,, वह देखना चाहता था कि बाजार जाते समय और बाजार से आते समय जो कुछ भी हुआ था उसका उसकी मां के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है और जैसे ही सूरज की नजर कमरे के अंदर चारपाई पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए उसे पूरा यकीन हो गया था कि,,, जो कुछ भी आज हुआ था उसका असर उसकी मां के मन पर कुछ ज्यादा ही गहरा पड़ गया था क्योंकि चारपाई पर वह पूरी तरह से नंगी थी उसकी दोनों टांगें खुली हुई थी,,, लालटेन की पीली रोशनी में उसका नंगा बदन चमक रहा था इसका एक हाथ उसकी बड़ी-बड़ी चूची पड़ती है और दूसरा हाथ उसकी बुर पर थी और उसकी दो उंगलियां उसकी बुर की गहराई नाप रही थी जो की गहराई नापने में असमर्थ थे उसके चेहरे के हाव-भाव पूरी तरह से मदहोशी में डूबे हुए थे,,,, अपनी मां को इस अवस्था में देखकर सूरज का लंड खड़ा होने में एक पल की भी देरी नहीं लगाया।

अंदर से हल्की हल्की सीसकारी की आवाज आ रही थी जिसे सूरज सुनने की कोशिश कर रहा था और उसके कानों में उसकी मां की गरमा गरम शिसकारी की आवाज बड़े आराम से पहुंच रही थी,,,, शायद यह आवाज और भी तेज हो सकती थी लेकिन उसकी मां अपनी आवाज पर काबू किए हुए थी ताकि यह उसकी सिसकारी की आवाज को कोई सुन ना सके। लेकिन वह नहीं जानती थी कि दरवाजे पर खड़ा होकर उसका बेटा उसकी काम लीला को अपनी आंखों से देख भी रहा है और उसकी मदहोशी भरी आवाजों को सुन भी रहा है,,,, सूरज की हालत खराब हो रही थी वह अपनी मां की नंगी जवान को देख रहा था उसे अपनी उंगली से अपनी जवानी की प्यास बुझाते हुए देख रहा था वह जानता था कि ऐसे उसकी प्यास बुझने वाली नहीं है बल्कि और ज्यादा बढ़ जाने वाली है और यही वह चाहता भी था,,,। वह बड़े गौर से अपनी मां की कम लीला को देख रहा था तभी उसके कानों में जो आवाज सुनाई थी उसे सुनकर उसके कान के साथ-साथ उसके लंड की अकड़ भी एकदम से बढ़ गई।

ओहहह सूरज बेटा तेरा लंड कितना मोटा और लंबा है,,,आहहहहहह ,,,,,, तू मेरी मजबूरी क्यों नहीं समझता,,,,सहहहहह आहहहह,,,,,

(इतना सुनते ही सूरज का गला उत्तेजना से सूखने लगा वह पूरी तरह से पागल होने लगा क्योंकि उसकी मां अपनी बुर में उंगली डालते हुए उसका जिक्र कर रही थी और इस अवस्था में उसके जिक्र करने का मतलब था कि इस समय उसकी मां को उसकी जरूरत थी)
सहहहह आहहहहह मेरे लाल तू तो अच्छी तरह से जानता है कि तेरा बाप कितना निकम्मा निकल गया मुझे भरी जवानी में छोड़कर ना जाने किसके साथ मुंह काला कर रहा है,,,,,आहहहहहह जैसे तू मेरी हर काम में मदद करना चाहता है इस काम में मेरी मदद क्यों नहीं करता क्यों नहीं अपने लंड को मेरी बुर में डाल देता,,,,,आहहहहहह कितना मजा आएगा रे तेरे लंड से चुदने में,,,,ऊमममममम मैं तो रात भर तुझ से चुदवाना चाहती हूं,,,,,आहहहहह,,,,,सहहहहहहहह ऊमममममम (ऐसा कहते हुए वह जोर-जोर से अपनी उंगली को अंदर बाहर कर रही थी जिसे देखकर सूरज की उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच चुकी थी उसे एहसास हो गया था कि उसकी मां भी उससे चुदवाना चाहती है बस झिझक रही थी,,,, और यही झिझक सूरज को खत्म करनी थी सूरज पूरी तरह से पागल हो गया अपनी मां की हरकत और उसकी बातों को सुनकर एकदम से चुदवासा हो गया था मन तो उसका कर रहा था कि इसी समय दरवाजा तोड़कर वह कमरे में दाखिल हो जाए और अपनी मां की टांगों के बीच पहुंचकर उसकी बुर में अपना लंड डाल दे,,,, लेकिन इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि यह उचित समय नहीं था लेकिन इतना तो साफ हो गया था कि उसकी मां भी यही चाहती है लेकिन एक बात समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां उसके बेटे के बारे में बात कर रही थी कि कितना मोटा और लंबा है सूरज को यह समझ में नहीं आ रहा क्योंकि उसकी मां उसकी लंड को कब देख ली,,,, जबकि आज तक ऐसा कुछ हुआ भी नहीं फिर वह अपने मन में सोचने लगा कि शायद वह अपने मन में धारणा बना रही होगी कि उसके बेटे का इतना ही मोटा और लंबा होगा और यह सोचकर वह खुश होने लगा।

लेकिन जिस तरह की उत्तेजना उसके बदन में उसे जकड़ रही थी वह देखते हुए वह ज्यादा देर तक अपनी मां के कमरे के बाहर खड़ा नहीं रह सका और तुरंत दरवाजा खोलकर अपनी बहन के कमरे में दाखिल हो गया और बिना कुछ बोले ही जमकर उसकी चुदाई करने लगा,,,,, और अपने मन में निर्धारित करने लगा कि अब वह अपनी मां को पूरी तरह से बदल कर रहेगा जिसकी शुरुआत वह सुबह से ही करना चाहता था वह बाजार से अपनी मां के लिए चूड़ियां खरीद कर लाया था और वह उसे अपने हाथों से पहनाना चाहता था।

Gazab ki update he rohnny4545 Bhai,

Uttejna aur kamukta se bharpur

Keep rocking Bro
 
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