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Ek number

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“रेखा एक बार चूत को सहलाने दो।”

रेखा ने उसका हाथ पकड़ कर कहा, “तुम शैतान हो गये हो। तुम्हारी माँ से कहना पडेगा।”

दोनो बाहर आ गये। उसे दुख था की वो रेखा की चूत नही देख पाया। लेकिन साथ ख़ुशी थी की कल रेखा अपना चूत और बोबले दिखाएगी। पर साला,कल तक इंतेज़ार करना पड़ेगा।
आप यह कहानी मैत्री और नीता के द्वारा अनुवादित कहानी पढ़ रहे है

तभी रेखा की एक सहेली आ गयी। रेखा सहेली के साथ अंदर गयी और तुरंत कपड़े बदल कर बाहर आई।

"माँ मै एक घंटे मे रंजू के घर हो के आती हूँ" कहकर सहेली के साथ चली गयी। सुंदरी शेठानी का पैर दबा रही थी। अचानक परम बोल उठा,

"तुम हट जाओ माँ, थक गयी होगी। शेठानीजी को मै दबा देता हूँ।"

"शेठानीजी, परम बहुत अच्छा दबाता है, मै भी इससे दबवाती हूँ।" सुंदरी ने कहा।

"ठीक है, सुंदरी तुम कुछ पराठे बना दो। तुम्हारे शेठ आते ही खाने को माँगेंगे।" शेठानी ने कहा।

फिर सुंदरी का हाथ पकड़ कर पूछा "शेठ को अपना "ख़ज़ाना" दिखाया की नही ?" तुझे बहुत पसंद करता है।"

"छी... शेठानीजी, क्या बोलती है आप!"

सुंदरी वहां से उठ कर किचन मे भाग गयी। शेठानी ने चिल्ला कर कहा "एक मीठी दाल भी बना देना।"

शेठानी ने परम की तरफ देखा और कहा, "चलो बेटे पूरा बदन दबा दो, बहुत टूट रहा है।"


रेखा की तरह सेठजी और सेठानी भी परम को बहुत पसंद करते थे...दरअसल सेठजी चाहते थे कि परम हमेशा उनके साथ रहे। लेकिन सेठानी नहीं चाहती थीं कि परम रेखा के साथ सोए लेकिन उन्हें हमेशा से ही एक जिंदादिल लड़का पसंद था...सेठानी को महक ज्यादा पसंद थी और उन्होंने कई बार इच्छा जताई कि महक उनके साथ रहे लेकिन सुंदरी इसके लिए राजी नहीं हुई।

शेठानी पीठ के बल लेट गयी। उसने एक भारी भरकम सारी पहन रखी थी और नीचे पेटिकोट, उपर ब्लाउज था। ब्लाउज बोबले को ढकने मे असफल था। बोबले का उपरी हिस्सा ब्लाउज से बाहर निकला हुआ था। परम शेठानी से सटकर बैठा और दोनो हाथो से एक पैर को दबाने लगा। कभी दबाता था तो कभी पिंडली की मांसपेशी को सहला देता था। परम ने आहिस्ता-आहिस्ता हाथ घुटने के उपर रखा और निचली जांघो को हल्के से मरोडकर कर दबाने लगा।

"कैसा लग रहा है शेठानीजी?"

"अच्छा लग रहा है, दबाते रहो।" शेठानी ने कहा।

परम की हिम्मत बढ़ी और उसने घुटने से लेकर ऊपरी जांघो तक खूब दबा-दबा कर मज़ा लिया। इसी तरह उसने दूसरे पैर को भी पूरा ऊपरी जांघो तक दबाया,चूत से थोड़ा नीचे तक।

उसने अपनी बहन और रेखा की जांघो को सहलाया था लेकिन शेठानी का जांघे खूब मोटी और गुदाज़ थी। उसने देखा की शेठानी को मज़ा आ रहा है और शेठानी ने दोनो पैर को फैला दिया है और सारी पूरी तरह तन गयी है।

"शेठानीजी आपकी साडी और अंदर का कपड़ा बहुत भारी है। आपको दबाने का पूरा मज़ा नही मिलता होगा,पतली साडी होती तो दबवाने मे आपको और आराम मिलता।" इतना कहकर परम दोनो पैरों को एक साथ दबाने लगा और दबाते-दबाते बिलकूल चूत के पास दबाने लगा।


शेठानी मोटी थी,खूब मस्त बाहें थी और पेट भी थोड़ा उठा हुआ था। उसकी उम्र 50 के करीब थी, दुध जैसा गोरा रंग और मख्खन जैसा बदन। परम का मन किया शेठानी के चूत के दर्शन करने को,लेकिन उसे नंगा तो नही कर सकता था। उसने एक उपाय सोचा। कभी कभी पिताजी के ऐसे ही पैर दबाता था तब उसे कई बार पिताजी का लंड दिखाई दिया था। उसने सोचा कोशिश करके देखते है।

रेखा भी घर मे नही थी और सुंदरी अंदर खाना बना रही थी।
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"आप एक पैर मेरे कंधे पर रख दीजिए मै मसल-मसल कर दबाउंगा तो आपकी पूरी थकान उतर जाएगी।"

परम उठकर दोनो पैरों के बीच आया और बिना पूछे उसने कपड़े को खिसका कर शेठानी के घुटनो के ऊपर कर दिया और एक टाँग उठाकर अपने कंधे पर रख ली।

"आप आंखे बंद कर लीजिए, अच्छा लगेगा।"

परम एक हाथ से पैर को सहारा देकर दूसरे हाथ से घुटने के उपर जांघो को मरोडकर मसलने लगा और तभी उसे शेठानी की मोटी फूली हुई चूत दिखाई दी।

चूत पर छोटे-छोटे झाँटे थे,शायद 8-10 दिन पहले झाँटे साफ किया हो। परम का हाथ शेठानी के जांघो से नीचे से चूत तक फिसल रहा था।

शेठानी ने हौले से कहा, "खूब ज़ोर से मसलो!"

परम ने अंदरकी जांघो को दबाते दबाते चूत को मुठ्ठी मे भरकर मसलने लगा।

"और आगे आ जाओ।" वह चाहती थी कि परम उसे और उसकी चूत को अधिक से अधिक सहलाए।

परम ने पैर को कंधे से उठाया और कपड़े को बिल्कुल उपर तक उठा दिया। शेठानी की चूत साफ दिख रही थी। परम दोनो हाथो से चूत को मसलने लगा।

"शेठानीजी, आप अकेली कब रहती है मै आकर आपको पूरा मज़ा दूँगा, बहुत मस्त चूत है आपकी ….खूब प्यार से चोदूंगा…।"

"बेटा अभी 15-20 दिन कोई मौका नही मिलेगा,जहां दबाना है आज ही दबा दो।"


लेकिन सेठानी तो चुदाई के लिए आतुर थी... वो चाहती थी कि परम उसे वहीं चोद दे। उसे इस बात की ज़रा भी परवाह नहीं थी कि वो लड़का उससे 30 साल छोटा है और उसकी बेटी का ख़ास दोस्त है।

चूत को मसलते मसलते परम शेठानी के जांघो के बीच आ गया। एक हाथ से वो चूत को दबा रहा था और दूसरे हाथ से बोबला को दबाने लगा।

"चूत बहुत मस्त और रसीली है, लगता है शेठजी चुदाई नही करते है ठीक से?"

"6 महीने से उसने मुझे चोदा नही है, लेकिन तुम्हारी माँ को चोदना चाहता है। सुंदरी को बोलो की एक बार अपनी चूत मे शेठजी का लंड घुसा ले।"

उसने जोड़ा...

“हो सकता है सुंदरी की चूत को भोसड़ा बनाकर मज़ा लेने के बाद वो मुझे फिर से चोदना शुरू कर दे... हो सकता है, कौन जाने, ऐसा भी हो कि तेरी माँ की चूत हमेशा के लिए उसका लंड ले ले।”



“सेठानी जी, आप पहली औरत है ..जिसे मैने नंगा देखा है …और ये पहला चूत है जो मेरे हाथ में है…..मैं जिंदगी भर आपको चोद कर खुश करता रहूँगा…शेठजी की जरुरत शायद ही पड़े आपको....!”

परम को लगा की उसकी पैंट फट जाएगी और उसने पैंट का बटन खोलकर नीचे धकेल दिया। परम का लंड तना हुआ था उसने लंड को चूत के छेद पर रखा और ज़ोर से धक्का मारा।

शेठानी की चूत पूरी तरह से पनिया गई थी,पूरा लंड गप से अंदर चला गया। शेठानी ने परम को जकड़ लिया और परम बोबला को दबते-दबाते चुदाई करने लगा। 50 साल की औरत को चोद कर ऐसा लग रहा था कि शेठानी की बेटी रेखा को चोद रहा हो। सेठानी की चूत बहुत गर्म है।

"आओ बेटा.... ज़ोर-ज़ोर धक्के मारो, बहुत मज़ा आ रहा है, जल्दी जल्दी...कही तुम्हारी माँ ना आ जाए, वाह मस्त लंड है तुम्हारा बेटे।"

"वो देखेगी तो किसिको नही बोलेगी। उसके सामने भी तुम्हे चोदुंगा।" परम ने आश्वासन दिया और धक्के मारता रहा।

“ओह्ह…बेटा ..लगता है और बहुत लंबा दर्द हो रहा है…..बहुत टाइट से चूत को रगड़ रहा है……आआह मारो …और जोर से…।” वह वास्तव में आनंद ले रही थी...

"शेठानी तेरी चूत पहली चूत है जिसे मै चोद रहा हूँ लेकिन मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है।"

"बेटा,रेखा चली जाएगी तो उसके बाद रोज मुझे चोदना।"

"हा रानी रोज चोदुंगा लेकिन मै तुम्हारी बेटी को चोदना चाहता हूँ।"
मौके का फायदा उठाते हुए परम ने इच्छा व्यक्त की...


“लेकिन मैंने तो सोचा था कि तुम रेखा और पूनम दोनों की चुदाई कर चुके हो…।” उसने कमर झटकाई और लंड के लिए और गहराई के जाने का रास्ता दे दिया और कहा,

"उसको भी चोदो, मेरी बहुओ (डॉटर इन लॉ) को भी चोदो। मै मना नही करूँगी, लेकिन मुझे हर दो-तीन दिन मे आकर चोदना पड़ेगा।"
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"चोदुंगा रानी और गांड भी मारूँगा।"

परम ने ज़ोर से धक्का मारते मारते कहा, "लंड नही चुसोगी ? "

"चुसूंगी,लेकिन आज नही कभी अकेले मे।"

फिर दोनो जम कर चुदाई करने लगे और थोडी ही देर में शेठानी पस्त हो गयी।

"लंड बाहर निकाल लो, अब दर्द कर रहा है। मै सुंदरी जैसी जवान नही हूँ की लंड खाती राहु।"

लेकिन वह कहा सुननेवाला था,परम धक्का मारता रहा और उसके लंड ने शेठानी के सुखी हुई चूत मे पानी पानी का छंटकाव कर दिया और उसकी चूतरस से उसके वीर्य से मिला कर पूरी भर दी।

ठंडा होने के बाद परम शेठानी के उपर से उतरा और दोनो ने अपने कपड़े ठीक किए। शेठानी थोड़ी देर तक लंड को मसलती रही…..सच बेटा बहुत मस्त लंड है….और इतना मोटा सुपारा….रेखा की चूत फट जाएगी…मेरी बेटी को थोडा आराम से चोदना बेटे, वह शायद ही तेरे लंड को झेल पाए, एक-दो बार उसकी फट जायेगी पर बाद में तेरे लिए अपनी चूत खुली रखेगी।”


थोड़ी देर बाद सुंदरी बाहर निकली।

"शेठानीजी सब बना दिया है। अब हम लोग जाते है।"

सुंदरी ने कहा और फिर पूछा "परम तुमने ठीक से पाव दबाया ना।"

"अरे तेरा बेटा तो बहुत अच्छा दबाता है। फिर आना बेटा!"

शेठानी उठी और 1000 रुपये सुंदरी को दिया। "रख लो" और बहुत अच्छा लगता है..और तेरा ये बेटा बहुत प्यारा है..और जब तक शादी है आती रहना और परम को भी लाना। सेठानी ने सुंदरी के सामने परम के गालो को चुमते हुए कहा…। थोड़ी देर के लिए रोज आ जाया करो..” श और अनुरोध किया…
यह कहानी मैत्री और नीता के द्वारा अनुवादित कहानी पढ़ रहे है

और हा, एक बार मेरे शेठ को खुश कर दो। बेचारा पागल हो गया है तुम्हारा माल खाने के लिए…। और मुझे भी तो दिखा दे तेरा माल कैसा लग रहा है कि मेरा बंदा उसे खाने को बेताब हो गया है, एक बार अपने सारे छेद दिखा दे।"


यह सुनकर सुंदरी के गाल लाल हो गये। वो केवल मुस्कुराई और घर चली गई। वापसी में परम रिक्शे पर सुंदरी के बगल में बैठ कर पूरे रास्ते चूत को सहलाता रहा और शेठ से चुदवाने के लिए मनाता रहा। दोनों घर आ गये। परम शेठानी को चोदकर बहुत खुश था और उसने निश्चय किया की कल ही वो अपनी माँ को चोदेगा।
यह अपडेट कैसा लगा !!!!!!

अपनी राय देना ना भूलियेगा
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रात में खाना खाने के बाद अपने कमरे में आया तो देखा की उसकी बहन बिल्कुल नंगी बैठी है और चूत को मसल रही है। परम ने महेक को बांहों में जकड़कर चूमा और चूची को दबाया। महेक ने फटाफट अपने भाई को भी नंगा कर दिया और बेड पर सीधा लिटा दिया। महेक भाई की जांघों के बीच घुटनों पर बैठ गयी और झुककर भाई के लंड से खेलने के लिए उसकी चमड़ी को ऊपर कर के लंड का सुपारे को बाहर आते देखा तो वह ज्यादा उत्साहित हो गई और मुँह में ले लिया। एक हाथ से लंड को जड़ से पकड़ी थी और दूसरे हाथ से बाल्स को भी दबा रही थी।

परम को बहुत अच्छा लग रहा था। ये पहला मौका था की किसी ने उसके लंड को मुँह में लिया था। परम बहन के बालों को सहला रहा था और आह्ह… आह्ह… करके मजा ले रहा था। महेक अपनी जीभ को पूरे लंड पर चला रही थी और कभी-कभी लंड को मुँह से निकालकर बोल्स को चाटती थी और गांड के छेद पर भी जीभ चलाती थी। इस तरह महेक खूब मजे से भाई के लंड का मजा ले रही थी। जीभ से सहला-सहलाकर गांड का छेद खुल गया था। महेक ने भाई की गांड में एक उंगली गाड़ दी और उंगली से भाई की गांड मारने लगी। फिर उसने गांड पर थूका और दो उंगली घुसाकर गांड मारने लगी। करीब 15 मिनट तक लंड को चूसने और गांड मारने के बाद परम के लंड ने पानी छोड़ दिया और जोश में अपनी बहन के सिर को लंड पर दबा दिया। महेक ने पूरा पानी गले के नीचे उतार लिया। लंड को जीभ से साफ करने के बाद उसने मुँह से लंड को निकाला और छपाक से दोनों उंगली को गांड से बाहर निकाला।
परम ने बहन को अपने सीने पर खींच लिया और पूछा-

“कहाँ से ये सीखा… बहुत मजा आया बहना…”

महेक ने भाई को किस करते हुवे कहा की उसकी दोस्त सुधा ने सिखाया- “आज उसका बाप और नौकरानी रिंकू ऐसे ही प्यार कर रहे थे। अब तुम मेरी चूत चाटो…” महेक दोनों पाँव फैलाकर सीधा लेट गयी- “भैया मेरी चूत तुम्हारा इंतजार कर रही है…”

परम ने जांघों के बीच बैठकर दोनों हाथों से उसकी कमर को जकड़कर चूत के क्लिट पर जीभ को ऊपर-नीचे किया।
महेक- “आहह… भैया… बहुत अच्छा…”
परम अपनी उंगली और जीभ से बहन की चूत और गांड को चाट रहा था। कभी-कभी दाँत से क्लिट को दबाकर खींचता था और महेक उछल पड़ती थी। चूत को चाटते-चाटते परम दोनों हाथ आगे बढ़ाकर टाइट बोबले को भी दबाने लगा। कभी उंगली से चूत की फांक को फैलाकर जीभ अंदर करता, तो कभी गांड चूसने लगता था। करीब 10 मिनट चाटने के बाद उसने एक उंगली बहन की गांड में घुसाया। गांड गीली हो गयी थी और एक नहीं दो-दो उंगली आराम से गांड के अंदर चली गयी। महेक ने अपनी गांड को ढीला छोड़ दिया ताकि भाई की उंगलिया आराम से उसकी गांड मार सके। हाला की थोडा दर्द हो रहा था पर उस आनंद के सामने यह दर्द कुछ भी नहीं था।

महेक ने अपने हाथों से दोनों टांगों को पकड़कर अपनी ओर खींच लिया था और चूतड़ उछाल-उछाल कर चूत चुसाई का मजा ले रही थी। परम एक साथ चूची दबा रहा था, चूत चाट रहा था और बहन की गांड में उंगली पेल रहा था। महेक खूब जोर-जोर से कमर उछाल रही थी और भाई से चुसाई का मजा ले रही थी, साथ-साथ अपनी गांड भी मरवा रही थी और उसका एक अलग ही आनंद ले रही थी।


लेकिन थोडा समय के बाद उसकी मंजिल आ ही गई,महेक की चूत ने पानी छोड़ दिया। चूत से सफेद गाढ़ा चूतरस बाहर आने लगा और परम ने चूत फैलाकर सारा रस चाट लिया। परम ने बहन की चूत चाटते हुए सोचा की कल दो और चूत, सुंदरी और रेखा की भी इसी तरह चाटेगा। परम से अब बर्दास्त नहीं हुआ। उसे लगा की झड़ जाएगा और फटाक से सीधा बैठकर लोडे को बहन की चूत पर रखा। लंड से सफेद रस निकलकर चूत पर फैलने लगा। महेक ने रस को चूत पर फैलाया और हाथों में उठा-उठाकर रस को प्यार से चाटने लगी। दोनों थक चुके थे। एक दूसरे को बाहों में लेकर सो गये।

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Ek number

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एपिसोड 3


अगले दिन परम कोलेज नहीं गया। उसने सोच रखा था की आज माँ (सुंदरी) को चोदना है। माँ ने बार-बार उसे कोलेज जाने के लिए कहा लेकिन परम नहीं माना। परम मौके का इंतेजार करता रहा। करीब 10:30 बजे सुंदरी नहाने गयी। 15 मिनट के बाद बाहर आई एक ब्लैक पेटीकोट और सफेद ब्रा में। बालों को तौलिया से बाँध रखा था। परम ने सोचा बस यही मौका है। जैसे ही सुंदरी परम के बगल से निकली, परम ने दोनों हाथों से माँ के कंधों को दबाकर उसे दीवाल से सटा दिया और खूब जोर से चूमने लगा। फिर कंधों से हाथ हटाकर दोनों मस्त चूचियों को ब्रा के ऊपर से मसलने लगा। आप यह कहानी मैत्री और नीता के द्वारा अनुवादित कहानी पढ़ रहे है


परम सुंदरी को बहुत बेदर्दी से मसल रहा था। कल परम ने रेखा की चूचियों को प्यार से सहलाया था और अभी माँ की चूची को आँटे की तरह मसल रहा था। 5 मिनट तक चूमने और मसलने के बाद परम ने अपना मुँह माँ के होंठों पर से हटाया और कहा- “तुम बहुत ही रसीली हो। तुम्हारे होंठ बहुत टेस्टी हैं…”

सुंदरी ने अपनी चूची सहलाते हुए कहा- “तुम तो मुझे मार ही डालोगे। ऐसे कोई मसलता है, प्यार से सहलाओ और मजा लो…” कहते हुए सुंदरी ने अपनी ब्रा का हुक खोल दिया। चूचियों को ब्रा से बाहर निकाला और कहा- “अब मजा लो, प्यार से…”

परम ने थोड़ी देर तक दोनों नंगी चूचियों को मसलकर मजा लिया। कभी चूची को नीचे से उठाकर दबोचता था, तो कभी घुंडियों को मसलता था। थोड़ा मसलने के बाद ही निपल कड़े हो गये और लंबे भी, ½ इंच से बड़े निपल्स के चारों ओर एक ब्राउन कलर का घेरा करीब एक इंच की गोलाई में फैला था। पूरा बोबला और भी टाइट हो गए। परम ने एक निपल को मुँह में लेकर चुभलाना चालू किया और दूसरे स्तन को मसलता रहा। बारी-बारी से दोनों स्तनों को चूसा और एक हाथ को नीचे नाभि पर लाया। पेट को सहलाते-सहलाते नाभि के छेद पर उंगली गोल-गोल घुमाया और हाथ नीचे बढ़ाया।

पेटीकोट का नाड़ा हाथ में आया और झटके से नाड़ा खींच दिया। नाड़ा खुलते ही पेटीकोट जमीन पर गिर पड़ा। परम का हाथ उसकी चूत पर था। चूत पर हल्के-हल्के बाल थे। परम उंगली से चूत के होंठों को मीजने लगा। माँ का बदन तन गया। सुंदरी की चूत का मजा लेते लेते परम ने अपना पायजामा खोलकर नीचे गिरा दिया। लोडा पूरा तना हुआ था और सुंदरी की चूत पर खटखटाने लगा। चूमना और सहलाना छोड़कर दोनों हाथों से सुंदरी के दोनों उभरे हुये चूतरों को जकड़कर लंड को चूत में जोर से दबाया। फिर उसी पोज में उसे बेतहासा चूमने लगा। सुंदरी आँखें बंद करके चुपचाप खड़ी थी, शायद उसे शरम आ रही थी। कुछ देर के बाद सुंदरी दीवाल से सटकर नीचे फिसलने लगी और अपने को फर्श पर सीधा लिटा लिया।

परम उसके ऊपर छा गया। परम सुंदरी को बेतहाशा चूम रहा था, होंठों को, गालों को काट रहा था और थनों को मसल रहा था।
सुंदरी ने महसूस किया की परम का लोडा पूरा तन गया है। सुंदरी ने सोचा की अगर जल्दी नहीं चुदवाएगी तो उस दिन जैसा परम का लोडा फिर पानी छोड़ देगा। यह सोचकर सुंदरी ने हाथ बढ़ाकर लोडे को पकड़ा और चूत के मुहाने पर रखा और नीचे से गांड को उछाला। पूरा लंड चूत को चीरते अंदर चला गया। उसकी चूत भी चुदवाने को बेताब थी और परम का लंड चोदने को। परम सुंदरी को जोर-जोर से चोदने लगा। लेकिन जमीन पर घुटनों में चोट लग रही थी। वह जोर-जोर से धक्का नहीं मार पा रहा था।

सुंदरी को भी चूतड़ उछलने से चोट लग रही थी।- “चलो बेटे, बेड पर चुदाई करेंगे…”

बने रहिये.............अपनी किमेंट देते रहिये................
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दोनों अलग हो गये। तुरंत सुंदरी बेड पर सीधा हो गयी। लेकिन परम ने लोडे को अंदर नहीं घुसाया। उसने सुंदरी की टांगों को पूरा फैला दिया और पूरी चूत को मुँह में भरकर चूसने लगा। चूत को चूसते-चूसते क्लिट को काट लेता था और सुंदरी उछल पड़ती थी। अभी तक सुंदरी ने 8 लंड का मजा लिया था लेकिन कभी किसी मर्द ने उसकी चूत को चूमा या चाटा नहीं था। सिर्फ़ उसकी एक नौकरानी और माँ ने कभी-कभी चूत को चूमा चाटा था लेकिन ऐसा मजा कभी नहीं आया था। परम पूरी जीभ चूत में डालकर चूत का स्वाद ले रहा था और दो उंगली गांड में घुसाकर मजा ले रहा था। पिछली रात बहन ने चूत को चटवाकर मजा लेना सिखाया था और परम माँ की चूत को चूस-चूस कर मजा ले रहा था। उंगली करते-करते गांड बिल्कुल गीली हो गयी थी और परम को लगा की गांड में लंड भी घुस जाएगा लेकिन पहले वो चूत का पूरा मजा लेना चाहता था। उसने एक बार फिर पूरी चूत को चूसा और आगे बढ़कर माँ के होंठों को चूमने लगा और एक हाथ से लंड को चूत में डालकर चोदने लगा। जोर-जोर से धक्का मारने लगा। हर धक्के के साथ सुंदरी की आह्ह निकल जाती थी। आप यह कहानी मैत्री और नीता के द्वारा अनुवादित कहानी पढ़ रहे है


सुंदरी- “कैसा लग है बेटे, माँ को चोदने में…”

परम- “आह्ह माँ बहुत अच्छा लग रहा है। रोज चुदवाओगी?”

सुंदरी- “मैं हमेशा लंड लेने को तैयार हूँ। बहुत साल पहले एक साथ 5-5 आदमियों से चुदवाई थी उस दिन भी इतना मजा नहीं आया था। लेकिन बेटा धीरे-धीरे चोदो…अन्दर दुखता है साला।”

परम चुदाई करता रहा। कभी रुक कर धइले को मसलने लगता था।

सुंदरी चीख उठती थी- “मादरचोद, रुकता क्यों है? गांड में दम नहीं है तो चोदना शुरू क्यों किया?”

और परम जोर-जोर से धक्का मारने लगा और पूछता- “विनोद का लंड अपनी चूत में लोगी?”

सुंदरी- “हाँ… बेटा, विनोद से चुदवाऊँगी…और उसका लंड भी शांत कर दूंगी।”

परम- “शेठ का लंड चूत में लोगी?”

सुंदरी- “हाँ… शेठ से भी चुदवाऊँगी…मुझे तो बस लंड चाहिए बेटे।”

परम- “शेठानी के सामने शेठ का लंड चूसोगी?”

सुंदरी- “हाँ… चूसूँगी…”

परम- “अपनी बेटी के सामने मेरा लंड चूत और गांड में लोगी?”

सुंदरी- “हाँ… लूँगी…और गांड भी मस्ती से मरवाउंगी।”

परम- “मेरे और दोस्तों से भी चुदवाओगी?”

सुंदरी- “हाँ… सबसे चुदवाऊँगी…”

परम- “साली, वेश्या बनोगी?”

सुंदरी- “हाँ… मैं वेश्या हूँ… हाँ…”

दोनों गंदी-गंदी बातें करते-करते चुदाई कर रहे थे। दोनों ने एक दूसरे को कसकर जकड़ लिया और परम ने माँ की चूत में वीर्यदान कर दिया। सुंदरी उसे चूमने लगी और तब तक चूमती रही जब तक दोनों बिल्कुल ठंडे ना हो गये। परम बेड से उतरकर खड़ा हो गया और घूर-घूर कर प्यार से सुंदरी के बदन को देखने लगा।

परम- “आखिर क्या है सुंदरी में की सभी मर्द उसकी जवानी से खेलना चाहते हैं…” परम ने अबतक सुंदरी के अलावा अपनी बहन महेक और रेखा को ही ध्यान से देखा था।

कल शेठानी को जोश में आकर चोद लिया लेकिन आज जो मजा माँ को चोदने में आया वैसा कल नहीं आया था। शेठानी थोड़ी मोटी थी और कोई खास सुंदर भी नहीं थी।


लेकिन सुंदरी का एक-एक अंग छील-छील कर बनाया गया था, करीब 5’5” लंबी, घने काले और लंबे बाल, आलमोस्ट गोल चेहरा, बहुत गोरा नहीं लेकिन बहुत आकर्षक रंग, बड़ी और चमकीली आँखें, गालों में बड़े-बड़े गड्ढे, आकर्षक होंठ, ऊपरी होंठ पतले जब की निचले होंठ मोटे और कूबसूरत कताव, जब वो हँसती थी तो उसके सफेद चमकदार दाँत दिखाई देते थे। उसकी आँखों और चेहरे पर हमेशा मुशकुराहट रहती थी। परम की नजर उसकी लंबी गर्दन और चौड़े कंधों के नीचे फिसली, उसकी बांहें मोटी नहीं लेकिन मांसल थीं बिना मोटापा के, कुहनी तक शंकु के आकार में। उसके बोबले पूरे गोल, कसी और रसीली थीं, जिसका मज़ा वो ले चुका था। अब निपल्स सामान्य आकार में थे, आधा इंच लंबे और मोटे।

परम अपनी कुँवारी बहन, शेठानी और अपनी प्रेमिका रेखा कि धइले मसल चुका था। हालांकी महेक और रेखा की बोबले कसे थे, जब की सुंदरी की बोबले स्पंजी थी। ये अपने भार के कारण थोड़ा लटक गईं थीं।

सुंदरी मुश्कुराई और परम से पूछा- “अब तो चोद लिया, फिर क्या देख रहा है?” उसने अँगड़ाई ली- “फिर चोदना है तो चढ़ जाओ। मेरी चूत तैयार है…मेरी चूत का भोसड़ा बनाओगे!!!”

परम- “मैं देख रहा हूँ की आखिर तुममें क्या है की सभी तुम्हें चोदना चाहते हैं…”

आशा करती हु आपको यह एपिसोड्स पसंद आये होंगे!!!!!!!!!!!!

प्लीज़ कोमेंट कर के अपनी राय देते रहिये..............
Awesome update
 

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बहुत ही उत्तेजना से भरपूर अपडेट था। शब्दों का चयन भी बहुत ही खूबी से किया गया है। कृपया अपडेट जारी रखें।
Thank you dost

Bas aap kahani me bane rahiye.... Updates milte rahenge
 
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