यह सुनकर महेक का पूरा बदन सिहर उठा और भाई से बिल्कुल चिपक गयी।
“नहीं, उसने अब तक इस पर हाथ भी नहीं लगाया..लेकिन तुमको तो पूनम खूब दबाने देती है ना..?” महक ने उत्तर दिया और जोड़ा।
“हट.... तुम ग़लत बोल रहे हो। लड़की जब जवान होती है तो उसकी चुचि अपने आप ही बढ़ने लगती है। मेरी चुचि तो अभी और बढ़ेगी। किसी के छूने से हो सकता है की जल्दी बढ़ जाए।” महेक ने मन ही मन कहा की तुम क्यो नही दबा रहे हो और फिर बिल्कुल चित लेट गयी।
महेक अचानक चित हुई थी और परम का हाथ सीधा महेक की एक चुचि पर रह गया। परम को बहुत अच्छा लगा और उसने हौले से चुचि को दबा दिया। भाई का हाथ चुचि पर पाकर महेक खुश हो गयी।
“भाई, तुमने कभी किसी की चुचि दबाई है? भाई, तुम तो पूनम की चूची खूब दबाते हो, कैसी है उसकी चूची...?" वह भाई से सराहना (appriciation) चाहती थी। महक अच्छी तरह जानती थी कि उसकी चूची पूनम से बड़ी और मांसल है...और भरी हुई है, शायद भाई मेरे इस गोलाई से आकर्षित हो के कुछ देर दबा के दे। थोडा मजा उन्हें और ज्यादा मजा मुझे आये।
“हा बस पूनम की वो भी ठीक से नहीं…तुम्हारे बोबले ज्यादा मांसल और बड़ी भी है…अच्छी गोलाई भी पकड़ ली है तुम्हारे इस बोबले ने...जिसे हर कोई दबाने और चूसने चाहेगा।”
बोलकर परम बहन की चुचि को हौले-हौले मसलने लगा। कभी एक चुचि को तो कभी दूसरी चुचि को। परम ने महसुस किया कि महक की चुची पानी से भरे गुब्बारे की तरह टाइट है जब सुंदरी के धइले स्पंजी (मुलायम) और गुदाज है।
“बहन, तुमने कभी नंगे आदमी को देखा है?”
“नही, भैया” महेक ने धीरे से कहा।
“कभी मन नही करता है?”
“जब सुधा अपनी नौकरानी और अपने पापा की बात सुनाती है तो मेरा भी मन करता है की कोई मुझे भी बाहों मे लेकर खूब मसले और चूमे। मेरे अंग-अंग को दबाए और तब तक दबाता रहे की मै थक ना जाऊ।”
महेक का इतना कहना परम के लिए खुला निमंत्रण था। परम झट से उठकर बैठा और दोनो हाथो से बहन को उठा कर बैठा लिया। महेक को ज़्यादा मालूम था। वो अपनी दोनो टांगे भाई के उगल-बगल रख कर उससे बिल्कुल सट गयी। महेक अपनी भाई के लंड पर बैठी थी। परम दोनो हाथो मे लपेट कर महेक को चूमने लगा। महेक ने भी पूरा साथ दिया। उसकी ताज़ी नोकीली निपल भाई के छाती से बिलकुट सटी हुई थी और नीचे कमर भी उचका रही थी। चूमते चूमते परम बहन को खूब ज़ोर से दबा भी रहा था जैसे की एक लड़की को नही किसी प्लास्टिक की गुड़िया को मसल रहा हो।
“और ज़ोर से दबाऊ? ” उसने बहन से पूछा।
“मुझे तोड़ डालो, मेरी चुचि को मसल-मसल कर चटनी बना दो। जहां मन करता है वहां मसलो खूब दबाओ, बहुत अच्छा लग रहा है।”
परम धइले (स्तन) को मसलता था तो कभी दोनो हाथो मे भर कर पूरी ताक़त से उसे जकड कर बहन की जवानी का मज़ा ले रहा था। लगता ऐसा था की आज ही महक के बोब्लो को अपनी माँ के जैसे बड़े कर देना चाहता हो।
“भाई अभी आपने कहा था की किसी पुरुष से धइले दबवाने से बड़े हो सकते है तो फिर बड़े करो मेरे भी। आपके हाथो से मेरे बोबले बड़े हो इस से ज्यादा और क्या चाहिए आपकी बहन को।“
“कपड़े उतार कर मसलने मे और भी मज़ा आएगा।”
“जो मन करता है करो, बस चोदना मत।”
परम ने फटाफट अपने कपड़े उतारे फिर बहन का फ्रॉक ओर पेंटी उतार दिया और फिर पहले की तरह दोनो चिपक कर चुम्मा-चाटी करने लगे। परम का तना हुआ लंड महेक के चूत पर दस्तक दे रहा था। महेक एक हाथ से लंड को पकड़ कर चूत पर रगड़ने लगी। परम का ध्यान बहन की चुचि से खेलने मे था। अब उसने निपल (डत्त्ती) को चूसना शुरू किया और उसके चिकने बदन को मसलता रहा।
महेक बहुत गर्म हो गयी थी औरऔर होना ही था पहली बार जो था, ज़ोर ज़ोर से लंड से अपने चूत को रग़ड रही थी। अचानक वो भाई से बिल्कुल चिपक गयी और सिसकारी मारते हुए कहा।
“मै…गयी…भैया” और ज़ोर से चूत का लंड पर धक्का मारा। परम के लंड का सूपड़ा बहन के चूत के अंदर चला गया। लेकिन तुरंत ही महेक को होश आया और उसने लंड को चूत से बाहर निकाल दिया।
“ओह बहन, लंड बाहर क्यो निकाला अंदर जाने देती!”
महेक पैर फैला कर लेट गयी और कहा “आज बहुत मज़ा आया। पहली बार जवानी का मज़ा लिया है, और जाना की जवानी क्या होती है और अगर इतने से इतनी मजा आती है तो भाई का लंड कैसा मजा देगा। जितने दिन चूत को संभाल सकती हूँ संभालने दो फिर तो तुम्ही को अपनी बहन की सील तोड़नी है। वादा करती हू पहली बार तुम्हारे लंड को ही चूत के अंदर लुंगी और अपना शील आपके लंड को ही गिफ्ट करुँगी।”
महेक लंड को सहलाने लगी और कहा “साला कितनी जल्दी अंदर घुस रहा था, लगता है भूखा है। मै जल्द ही इसके लिए एक मस्त माल लाउंगी।”
परम भी बगल मे बहन के उपर झुक कर लेट गया। उसने बहन की चूत को सहलाया।
इतनी देर मे पहली बार उसने चूत को छुआ था। परमने चूत को सहलाते हुए कहा,
“सुधा कौन है? तुम उसके बारे मे क्या कह रही थी?”
अगले अपडेट तक आप यह कहानी के बारे में अपनी राय बताये ........आशा करती हु की यह पहला एपिसोड आपको पसंद आया होगा.....
बने रहीये मेरे साथ इस कहानी में ...............