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Adultery दिल और जिस्म

malikarman

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वीडियो देखने के बाद मन उलझनों और भावनाओं के तूफान में फँस गया। काजल और कृष्णा के बीच का अंतरंग दृश्य, उनकी सिसकारियाँ, और चरम सुख का पल देखकर मेरा शरीर उत्तेजना से भर गया था, लेकिन साथ ही उसके मन में गहरा गुस्सा, जलन, और विश्वासघात का अहसास भी था। काजल की मादहोश सिसकारियाँ और कृष्णा के साथ उसकी अंतरंगता ने मुझको अंदर तक हिला दिया। समझ नहीं आ रहा था कि इस स्थिति पर कैसे प्रतिक्रिया दे।

मैं: (मन में सोचते हुए) "काजल... तूने ऐसा कैसे कर लिया? मैंने तुझ पर इतना भरोसा किया, और तू... कृष्णा के साथ... ये सब?"

मेरे मन में उत्तेजना थी, मुझे काजल की वो मादक मुस्कान और कृष्णा के साथ उसकी सहजता देखकर जलन हो रही थी। काजल का ये कहना कि ये उसकी ज़िंदगी का सबसे अच्छा सेक्स था, मेरे लिए जैसे एक तमाचा था।

मैं: (मन में) "क्या मैं काजल को वो सुख नहीं दे पाया? क्या उसकी चाहतें मेरे साथ पूरी नहीं हो रही थीं? या ये बस एक कमज़ोरी का पल था?"

मेरा मन पछतावे, गुस्से, और उत्तेजना के बीच झूल रहा था। मुझे काजल से प्यार था, और उसकी मादहोशी देखकर मुझे एक अजीब-सी सनसनी भी हुई थी, लेकिन साथ ही यह डर था कि काजल अब मुझसे दूर हो जाएगी। सोच रहा था कि क्या मुझे काजल से इस बारे में बात करनी चाहिए, या कृष्णा को सीधे मना करना चाहिए कि वो अब उनके घर न आए। लेकिन काजल की वो संतुष्ट मुस्कान और कृष्णा के साथ उसकी बातचीत देखकर मुझे लग रहा था कि काजल ने इसमें पूरी तरह हिस्सा लिया था, और शायद वो इसे दोहराना भी चाहेगी।

मैं: (मन में) "मुझे काजल से बात करनी होगी। लेकिन कैसे? अगर मैंने गुस्सा दिखाया, तो शायद वो मुझसे और दूर हो जाए। और अगर मैं चुप रहा, तो ये सब फिर हो सकता है।"
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rajeev13

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वीडियो में दिखा दृश्य​


वीडियो में काजल चटाई पर लेटी थी, और कृष्णा उसके पेट को दबा-दबाकर देख रहा था। उसने काजल से कहा, "भाभी, आपकी नाभि नीचे खिसक गई है। पजामा थोड़ा नीचे कर दो, ताकि मैं ठीक से देख सकूँ।"


काजल ने हल्का सा झिझकते हुए अपना पजामा नीचे खींचा। पजामा इतना नीचे चला गया कि उसकी चूत के कुछ बाल हल्के-से दिखने लगे। कृष्णा ने तेल लिया और काजल के पेट पर मालिश शुरू की। उसकी उंगलियाँ काजल की नाभि के आसपास गोल-गोल घूम रही थीं, और वो धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ रहा था। उसने कहा, "भाभी, नस यहाँ चली गई है," और उसका हाथ काजल की चूत के पास तक दबाता चला गया।


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काजल की साँसें तेज़ हो रही थीं, और उसने अपने होंठ दाँतों के नीचे दबा लिए, जैसे वो उत्तेजना को छुपाने की कोशिश कर रही हो। उसकी आँखें बंद थीं, और उसका चेहरा दर्द और उत्तेजना के मिश्रण से सिकुड़ा हुआ था।

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कृष्णा ने देखा कि काजल का कोई विरोध नहीं है, तो उसने अपने दूसरे हाथ से काजल की चूत को हल्के-हल्के मसलना शुरू कर दिया। फिर उसने धीरे से एक उंगली काजल की चूत के अंदर डाल दी और उसे अंदर-बाहर करने लगा।

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काजल पूरी तरह मादहोश होने लगी। उसकी साँसें और तेज़ हो गईं, उसका शरीर हल्का-हल्का काँपने लगा, और उसने अपने होंठ और सख्ती से दबा लिए। उसकी सिसकारियाँ अब और गहरी हो गई थीं, "उई... आह...!" और उसकी छाती तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रही थी, जिससे उसकी टाइट टीशर्ट में उसकी छाती और ज़्यादा उभर रही थी।


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कृष्णा ने काजल के पजामे और पैंटी को और नीचे खींच दिया, जिससे उसकी चूत पूरी तरह नंगी हो गई। काजल ने एक पल के लिए अपनी आँखें खोलीं, और उसका चेहरा शरम और उत्तेजना से लाल हो गया। उसने हल्के से अपने पैरों को सिकोड़ा, जैसे वो इस अंतरंग स्पर्श को रोकना चाहती हो, लेकिन उसकी साँसों की तेज़ी और मादहोश सिसकारियाँ बता रही थीं कि वो इस सनसनी में पूरी तरह डूब चुकी थी। ये कृष्णा के लिए एक ग्रीन सिग्नल था, जैसे काजल इस अंतरंग पल के लिए तैयार थी।


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कृष्णा ने धीरे से काजल की टीशर्ट को ऊपर उठाया और उसकी छाती को निहारने लगा। काजल के निप्पल आसमान की तरफ तने हुए थे। उसने अपने हाथों से काजल की छाती को हल्के-हल्के दबाया और उसके निप्पल्स को उंगलियों से सहलाया। काजल की सिसकारियाँ अब और तेज़ हो गईं, और उसने अपने सिर को पीछे की ओर झटका, जैसे वो इस स्पर्श की गहराई में खो रही हो। कृष्णा ने अपने होंठ काजल के होंठों से लगा दिए और उसे गहराई से चूमना शुरू कर दिया। काजल ने पहले एक पल के लिए झिझकी, लेकिन फिर उसने भी जवाब में कृष्णा के होंठों को चूमा। वो दोनों एक-दूसरे के होंठों को गहराई से चूम रहे थे, कभी काजल अपनी जीभ कृष्णा के मुँह में डालती, तो कभी कृष्णा उसकी जीभ को अपने मुँह में ले लेता। काजल की साँसें और तेज़ हो गईं, और उसका शरीर अब पूरी तरह उत्तेजना में काँप रहा था।


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कृष्णा ने एक हाथ से काजल की चूत में उंगली अंदर-बाहर करना जारी रखा, जबकि दूसरे हाथ से उसने काजल के सिर को पकड़कर उसे और गहराई से चूमना शुरू किया। फिर उसने अपने होंठ काजल की छाती पर ले जाकर उसके निप्पल्स को चूसना शुरू किया। वो एक हाथ से काजल का दूसरा मम्मा मसल रहा था, और अपने मुँह से उसके निप्पल के चारों तरफ हल्के-हल्के काट रहा था। काजल मस्ती में "उई... आअहह..." की आवाजें निकाल रही थी और उसने उत्तेजना में कृष्णा का लंड पकड़कर दबाना शुरू कर दिया। उसकी सिसकारियाँ अब और गहरी हो गई थीं, "आअहह... ऊऊओअहह..." और वो अपने शरीर को और करीब लाने की कोशिश कर रही थी।


कृष्णा ने काजल के पैरों के पास जाकर उसकी टाँगें उठाईं और अपने कंधों पर रख लीं। उसका लंड काजल की चूत की दीवार के साथ रगड़ गया। उसने अपने लंड को काजल की चूत के ऊपर घिसना शुरू किया। काजल तड़प गई और ज़ोर से बोली, "अब अंदर भी डाल दे...!" कृष्णा ने काजल की चूत की दरार पर अपना लंड टिकाया और एक धक्का मारा, जिससे उसका आधा लंड काजल की चूत में चला गया। काजल चिल्लाई, "जरा धीरे कर...!"


कृष्णा ने दूसरा धक्का मारा और अपना पूरा लंड काजल की चूत के अंदर पेल दिया। उसने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया, और काजल "ऊऊआहह... उउउइयाआ..." की आवाजें निकालने लगी। कृष्णा ने अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी और दोनों हाथों से काजल के मम्मों को ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा। काजल के मम्मे जोर-जोर से हिल रहे थे, और उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। वो खुद भी "आआहह... ऊऊयय्याआ..." की आवाजें निकाल रहा था, और काजल भी "उआहह... ऊऊआहह... और जोर से चोद..." की आवाजें निकाल रही थी। उनके टट्टे काजल की चूत से टकराकर "ठप... ठप..." की आवाजें निकाल रहे थे।


कृष्णा ने काजल को घोड़ी बनने को कहा, और काजल तुरंत घुटनों और हाथों के बल हो गई। उसकी हिलती हुई छाती और कसी हुई कमर कृष्णा को और उत्तेजित कर रही थी। कृष्णा ने पीछे से काजल की चूत में अपना लंड डाला और तेज़ी से धक्के मारने लगा। काजल की चीखें अब और तेज़ हो गई थीं, "आआहह... और तेज़...!" और उसके मम्मे हर धक्के के साथ जोर-जोर से हिल रहे थे। कृष्णा ने एक हाथ से काजल की कमर पकड़ी और दूसरे हाथ से उसके मम्मों को मसलना जारी रखा।

काजल ने अपनी टाँगों से कृष्णा की पीठ पर दबाव बढ़ा दिया, और उसकी सिसकारियाँ चरम पर पहुँच गईं। वो ज़ोर-ज़ोर से चीख रही थी, "आआहह... और तेज़...!"


लगभग 40 मिनट तक दोनों ने एक-दूसरे के साथ अंतरंग पल बिताए, और अंत में काजल ने एक ज़ोरदार चीख के साथ अपनी चरम सीमा को छू लिया। कृष्णा ने भी जल्द ही अपनी चरम सीमा हासिल की और काजल के पास हाँफते हुए लेट गया। वो दोनों एक-दूसरे की बाहों में लेटे रहे, हाँफते हुए और एक-दूसरे को हल्के-हल्के चूमते हुए। काजल की साँसें अभी भी तेज़ थीं, और उसका चेहरा मादहोशी और संतुष्टि से चमक रहा था।

अंतरंग पल के बाद की बातचीत-

कृष्णा और काजल एक-दूसरे की बाहों में लेटे हुए थे, अभी भी हल्के-हल्के हाँफते हुए। कमरे में एक अजीब-सी शांति थी, सिर्फ उनकी साँसों की आवाज़ गूँज रही थी। काजल ने धीरे से अपनी आँखें खोलीं और कृष्णा की ओर देखा, उसका चेहरा अभी भी उत्तेजना और संतुष्टि से चमक रहा था।

काजल: (धीमी, मादक आवाज़ में) "कृष्णा, ये... ये सब क्या था? इतना सब कुछ हो गया..."

कृष्णा: (हल्के से मुस्कुराते हुए, काजल के बालों को सहलाते हुए) "भाभी, मैं तो बस आपका दर्द दूर करने आया था। लेकिन तुम... तुमने तो मुझे बिल्कुल बेकाबू कर दिया।"

काजल ने हल्के से शरमाते हुए अपनी नज़रें नीचे कीं, लेकिन उसकी मुस्कान में एक शरारत थी।

काजल: (हल्के से सिसकारी के साथ) "मुझे भी नहीं पता था कि ये इतना... इतना अच्छा लगेगा। लेकिन... ये गलत तो नहीं था ना?"

कृष्णा: (उसके चेहरे को अपने करीब लाते हुए) "गलत-सही की बात नहीं, भाभी। ये पल... ये हम दोनों के बीच का था। तुम्हें जो लगा, वो मैंने भी महसूस किया। ये जुनून था, शायद कुछ ऐसा जो हम दोनों में पहले से ही कहीं दबा हुआ था।"

काजल ने एक गहरी साँस ली और कृष्णा की छाती पर अपना सिर टिका दिया। उसकी आवाज़ में एक हल्का-सा संकोच था, लेकिन साथ ही एक अजीब-सी राहत भी।

काजल: (धीरे से) "मुझे बनवारी के लिए थोड़ा बुरा लग रहा है... लेकिन ये जो हुआ, वो जैसे मेरे काबू में नहीं था। तुम्हारी हर छुअन, हर स्पर्श... मैं बस खो गई थी।"

कृष्णा: (उसके माथे पर एक हल्का सा चुम्बन देते हुए) "भाभी, ये जुनून था, और इसमें कोई कमी नहीं थी। तुम्हें संतुष्टि मिली, मैंने तुम्हारी आँखों में वो चमक देखी। लेकिन अगर तुम्हें लगता है कि ये गलत था, तो हम इसे यहीं रोक सकते हैं।"

काजल ने एक पल के लिए चुप्पी साध ली, जैसे वो अपने मन के भावनाओं को समझने की कोशिश कर रही हो। फिर उसने कृष्णा की ओर देखा, उसकी आँखों में एक मिश्रित भाव था—पछतावा, जुनून, और शायद कुछ अनकही चाहत।

काजल: (हल्के से मुस्कुराते हुए) "नहीं, कृष्णा। मुझे पछतावा नहीं है। ये... ये जो हुआ, वो बहुत खूबसूरत था। लेकिन मैं बंवारी से बहुत प्यार करती हूँ। शायद ये बस एक पल था, जो हम दोनों को बहा ले गया।"

कृष्णा: (उसके हाथ को पकड़ते हुए) "भाभी, मैं तुम्हारी भावनाओं का सम्मान करता हूँ। ये हमारा छोटा-सा राज़ रहेगा। और अगर तुम्हें कभी फिर से मेरी ज़रूरत पड़े... नस सेट करने के लिए या..." (हल्के से हँसते हुए) "किसी और चीज़ के लिए, मैं हाज़िर हूँ।"

काजल ने हल्के से हँस दिया और कृष्णा के सीने पर एक हल्की-सी चपत मारी। "बस, अब बहुत हो गया, शरारती! चलो, अब मुझे कपड़े तो पहनने दे।"

वो दोनों एक-दूसरे की बाहों में कुछ देर और लेटे रहे, हल्की-हल्की बातें करते हुए। काजल की बातों में संतुष्टि थी, लेकिन साथ ही एक हल्का-सा पछतावा भी था, जो बंवारी के प्रति उसकी वफादारी से जुड़ा था। फिर भी, उसकी मादक मुस्कान और कृष्णा के साथ उसकी सहजता बता रही थी कि ये पल उनके लिए जुनून और चाहत का मिश्रण था, जिसमें कोई अधूरापन नहीं था।

10-15 मिनट बाद, कृष्णा ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, "भाभी, आपका पेट भी तो सही करना है। इसका दूसरा तरीका भी है।" उसने काजल को सीधा लेटने को कहा और उसने काजल से मंगलसूत्र वाली चैन खोलने को कहा उससे काजल की नाभि से दोनों निप्पल्स की दूरी नापने लगा। उसने मंगलसूत्र वाली चैन का एक सिरा काजल की नाभि पर रखकर दबाया और उससे से पहले एक निप्पल को हल्के से दबाया, फिर दूसरे निप्पल को। उसने कहा, "देखा भाभी, दोनों की दूरी अलग है।" मतलब आपकी नाभि हट गई है।

काजल ने हल्के से हँसते हुए कहा, "चल हट, बदमाश! जल्दी से मेरा पेट सही कर, बहुत दर्द हो रहा है।" कृष्णा ने काजल को पूरी तरह नंगा लिटाया और उसके पेट की मालिश कर उसकी नाभि ठीक कर दी।

इसके बाद, दोनों ने अपने कपड़े पहने और काजल ने किचन में जाकर फ्रीज़ से आइसक्रीम निकाली। वो हल्की-हल्की बातें करते हुए आइसक्रीम खाने लगे। काजल ने मुस्कुराते हुए कहा, "कृष्णा, इतना अच्छा सेक्स मैंने आज तक नहीं किया। पता नहीं, ये मेरी ज़िंदगी का बेस्ट सेक्स था।" उसने कृष्णा की ओर देखा और एक मादक मुस्कान के साथ उसे हल्के से चूम लिया। कृष्णा ने भी जवाब में उसे चूमा और एक स्लैप उसकी गांड़ पर रसीद कर दिया और फिर बाहर चला गया।
बहुत कामोत्तेजक मिलन था...
 
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Cuckh

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वीडियो देखने के बाद मन उलझनों और भावनाओं के तूफान में फँस गया। काजल और कृष्णा के बीच का अंतरंग दृश्य, उनकी सिसकारियाँ, और चरम सुख का पल देखकर मेरा शरीर उत्तेजना से भर गया था, लेकिन साथ ही उसके मन में गहरा गुस्सा, जलन, और विश्वासघात का अहसास भी था। काजल की मादहोश सिसकारियाँ और कृष्णा के साथ उसकी अंतरंगता ने मुझको अंदर तक हिला दिया। समझ नहीं आ रहा था कि इस स्थिति पर कैसे प्रतिक्रिया दे।

मैं: (मन में सोचते हुए) "काजल... तूने ऐसा कैसे कर लिया? मैंने तुझ पर इतना भरोसा किया, और तू... कृष्णा के साथ... ये सब?"

मेरे मन में उत्तेजना थी, मुझे काजल की वो मादक मुस्कान और कृष्णा के साथ उसकी सहजता देखकर जलन हो रही थी। काजल का ये कहना कि ये उसकी ज़िंदगी का सबसे अच्छा सेक्स था, मेरे लिए जैसे एक तमाचा था।

मैं: (मन में) "क्या मैं काजल को वो सुख नहीं दे पाया? क्या उसकी चाहतें मेरे साथ पूरी नहीं हो रही थीं? या ये बस एक कमज़ोरी का पल था?"

मेरा मन पछतावे, गुस्से, और उत्तेजना के बीच झूल रहा था। मुझे काजल से प्यार था, और उसकी मादहोशी देखकर मुझे एक अजीब-सी सनसनी भी हुई थी, लेकिन साथ ही यह डर था कि काजल अब मुझसे दूर हो जाएगी। सोच रहा था कि क्या मुझे काजल से इस बारे में बात करनी चाहिए, या कृष्णा को सीधे मना करना चाहिए कि वो अब उनके घर न आए। लेकिन काजल की वो संतुष्ट मुस्कान और कृष्णा के साथ उसकी बातचीत देखकर मुझे लग रहा था कि काजल ने इसमें पूरी तरह हिस्सा लिया था, और शायद वो इसे दोहराना भी चाहेगी।

मैं: (मन में) "मुझे काजल से बात करनी होगी। लेकिन कैसे? अगर मैंने गुस्सा दिखाया, तो शायद वो मुझसे और दूर हो जाए। और अगर मैं चुप रहा, तो ये सब फिर हो सकता है।"
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rahul334

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वीडियो देखने के बाद मैं पूरी रात सो नहीं पाया। मेरा मन भावनाओं के तूफान में उलझा था। काजल और कृष्णा की अंतरंगता, उसकी सिसकारियाँ, और उसका जुनून देखकर मेरे अंदर उत्तेजना, जलन, और विश्वासघात का मिश्रण उमड़ रहा था। काजल का यह कहना कि यह उसकी ज़िंदगी का सबसे अच्छा सेक्स था, मेरे दिल पर चाकू की तरह चुभा। मैं काजल से बेहद प्यार करता था, लेकिन उसका कृष्णा के साथ वो दृश्य मुझे अंदर तक हिला गया। क्या मुझे उससे इस बारे में बात करनी चाहिए और हमारा भरोसा तोड़ने का जोखिम उठाना चाहिए, या दर्द को निगलकर आगे बढ़ना चाहिए? मैंने फैसला किया कि सावधानी से इस मामले को संभालूँगा, पहले कृष्णा से बात करके, ताकि मेरे और काजल के रिश्ते को बचाया जा सके।

सुबह की बातचीत

अगली सुबह, काजल रसोई में थी, उसकी चमकती मुस्कान पहले जैसी ही थी। यह देखकर मेरे मन में प्यार और शक दोनों उभरे। मुझे बात करनी थी, लेकिन मैंने अपनी आवाज़ को नरम रखा ताकि उसे दूर न कर दूँ।

मैं: (हल्के से मुस्कुराते हुए) "काजल, तू आज बहुत चमक रही है। जिम का जादू है, या कोई और राज़?"

काजल: (हँसते हुए, चाय का कप मेरी ओर बढ़ाते हुए) "अरे, प्रोफेसर साहब, ये बस जिम का असर है। और शायद तुम्हारी तारीफें मेरे चेहरे पर चमक लाती हैं!"

उसकी गर्मजोशी ने मेरे दिल को थोड़ा सुकून दिया, लेकिन वीडियो की छवि मेरे दिमाग में छाई रही। मैंने हिम्मत जुटाकर बात को आगे बढ़ाया।

मैं: (नरम स्वर में) "काजल, एक बात पूछूँ? तुझे कृष्णा के साथ इतना वक्त बिताना अच्छा लगता है—जिम में, घर पर। उसकी तारीफें, तुम दोनों का मज़ाक करना... मुझे कभी-कभी अजीब लगता है।"

काजल ने एक पल के लिए चाय का कप टेबल पर रखा और मेरी ओर देखा। उसकी आँखों में हल्का-सा आश्चर्य था, लेकिन वो शांत रही।

काजल: (हल्के से मुस्कुराते हुए) "बंवारी, तुम फिर जलन की बात कर रहे हो? कृष्णा बस एक दोस्त है। उसकी मज़ाक से माहौल हल्का हो जाता है, लेकिन तुम जानते हो कि तुम मेरे लिए सब कुछ हो। कोई तुम्हारी जगह नहीं ले सकता।"

लेकिन वीडियो की तस्वीरें उसकी बातों से टकरा रही थीं। अभी उससे इस बारे में बात करना हमारे भरोसे को तोड़ सकता था, इसलिए मैंने बात को हल्का रखा।

मैं: (हँसते हुए) "ठीक है, शायद मैं ज़्यादा पजेसिव प्रोफेसर हूँ। तू जानती है कि मैं तुझसे कितना प्यार करता हूँ। बस कभी-कभी डर लगता है कि कहीं तू किसी और की तारीफों में न बह जाए!"

काजल ने मेरे गाल पर हल्के से चपत मारी और हँसते हुए बोली, "मेरे जलनशील प्रोफेसर! मैं कहीं नहीं जा रही। तुम ही मेरी दुनिया हो।"

मुझे कृष्णा से बात करनी थी। मैं नहीं चाहता था कि उसकी हमारे घर में इतनी घनिष्ठता रहे। मैंने उसे फोन किया और पास के चाय स्टॉल पर मिलने बुलाया। जब मैं वहाँ पहुँचा, तो मैंने कृष्णा को सड़क पर एक पुलिसवाली के साथ बात करते देखा—मिसेज़ मीना, स्थानीय SHO, जो अपनी भ्रष्टाचार की कहानियों के लिए कुख्यात थी। वे गहरी बातचीत में थे, लेकिन जैसे ही मीना ने मुझे देखा, उसने बात बदल दी।

मिसेज़ मीना: (मुस्कुराते हुए) "अरे, बंवारी! तुमसे मिलकर अच्छा लगा। मैं कृष्णा को बता रही थी कि आमना सैयद भाभी को जिला महिला संगठन का प्रमुख बनाया गया है, पार्टी में। बड़ी खबर, ना?"


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उसकी आवाज़ में बनावट थी, और मुझे लगा कि वे कुछ और बात कर रहे थे। मीना ने जल्दी से विदा ली और अपनी जीप में चली गई। कृष्णा मेरी ओर मुड़ा, उसका चेहरा सहज लेकिन सतर्क था।

कृष्णा: (आवाज़ धीमी करते हुए) "भैया, साफ-साफ बताता हूँ। मीना एक नंबर की घूसखोर है। जब भी कोई गड़बड़ काम होता है, वो मुझे रिश्वत इकट्ठा करने के लिए एजेंट बनाती है। लेकिन उसने मेरे बुरे वक्त में मेरी मदद भी की है, तो उसका एहसान है मुझ पर।"

उसके शब्दों ने मुझे चौंका दिया। कृष्णा सिर्फ एक दोस्ताना शख्स नहीं था; वह ताकतवर और भ्रष्ट लोगों से जुड़ा था। उससे उलझना अब पहले से ज़्यादा जोखिम भरा लग रहा था। मीना जैसे लोगों से उसके रिश्ते ने मुझे सावधान कर दिया। मुझे सतर्क रहना था।

मैं: (शांति से) "कृष्णा, एक बात कहूँ—तेरी और काजल की नज़दीकी, मज़ाक, जिम का समय... मुझे असहज करता है। वो मेरी बीवी है, और मैं चाहता हूँ कि तू थोड़ा दूरी बनाए।"

कृष्णा ने मेरी ओर देखा, फिर हल्के से मुस्कुराया। "भैया, मैं समझ गया। मैं बस दोस्ताना स्वभाव का हूँ, लेकिन अगर तुम्हें बुरा लगता है, तो मैं ध्यान रखूँगा। काजल मेरे लिए बहन जैसी है, और मैं तुम दोनों का बहुत सम्मान करता हूँ।"

उसका जवाब सच्चा नहीं था, लेकिन मीना का साया मेरे मन में बना रहा। मैं उसे पूरी तरह भरोसा नहीं कर सकता था, खासकर अब जब मुझे उसके भ्रष्ट रिश्तों का पता चला था। फिर भी, मैंने बात को आगे नहीं बढ़ाया, क्योंकि उसके कनेक्शन्स मुझे डरा रहे थे।

अगले कुछ दिन शांत रहे। काजल ने कृष्णा का ज़िक्र करना बंद कर दिया। एक शाम, काजल ने मुझे चौंकाया।

काजल: "बंवारी, मैं जिम छोड़ रही हूँ। घर पर योग करना बेहतर लगता है। मेरे साथ करेगा? मज़ा आएगा!"

उसके इस फैसले ने मेरे मन को हल्का किया, और मैंने उसे गले लगाया। "बिल्कुल, मेरी जान। बस तू और मैं।"

कुछ हफ्तों बाद, मम्मी गाँव से लौट आईं। चाय पीते वक्त उन्होंने एक नई बात शुरू की।

मम्मी: "बंवारी, काजल, मैंने प्रिया की सास से बात की। वो कह रही थीं कि अब तुम दोनों को बच्चे के बारे में सोचना चाहिए। शादी को काफी समय हो गया है।"
 
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rahul334

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मम्मी की बच्चे वाली बात ने उसके मन का गुबार फोड़ दिया।

रात को, जब काजल ने बच्चे की बात छेड़ी, बनवारी का दर्द बाहर आ गया। उसने और काजल ने एक-दूसरे की ओर देखा, लेकिन उसके अंदर का गुस्सा और जलन अब छुप नहीं रही थी।
बनवारी: (कड़वाहट के साथ) "काजल बता, तुझे किसका बच्चा चाहिए—मेरा, या कृष्णा का?"

काजल का चेहरा सफेद पड़ गया। उसकी आँखों में आश्चर्य और दर्द उभर आया। उसने कुछ कहने की कोशिश की, लेकिन बनवारी की आवाज़ में गुस्सा और आँखों में आँसू देखकर वो चुप हो गई।
काजल: (काँपती आवाज़ में) "बंवारी... ये तुम क्या कह रहे हो? मैं... मैं तुमसे प्यार करती हूँ।"
बनवारी: (रोते हुए) "प्यार? तो फिर वो वीडियो क्या था, काजल? मैंने सब देख लिया—तुम और कृष्णा, तुम्हारी वो सिसकारियाँ, तुम्हारा वो कहना कि ये तुम्हारी ज़िंदगी का सबसे अच्छा पल था। मैंने तुझ पर इतना भरोसा किया, और तूने... तूने ये कैसे कर लिया?"

काजल की आँखें नम हो गईं। उसने बनवारी के पास आने की कोशिश की, लेकिन उसने उसे रोक दिया। उसके दिल में दर्द, गुस्सा, और विश्वासघात का अहसास था। उसने कहा, "मुझे कुछ दिन अकेले रहने दे, काजल। मुझे सोचने का वक्त चाहिए।"

अगले कुछ दिन बनवारी ने काजल से बात नहीं की। वह कॉलेज जाता, घर लौटता, लेकिन उनकी बातचीत बस ज़रूरी चीज़ों तक सीमित थी। काजल उसकी उदासी और दूरी को देखकर परेशान थी। वो कई बार उसके पास आई, लेकिन वह उसे अनदेखा करता रहा। उसके मन में कृष्णा के मीना से कनेक्शन का डर भी था—अगर उसने उससे झगड़ा किया, तो क्या वो उसके खिलाफ कुछ करेगा? लेकिन उससे ज़्यादा, काजल के विश्वासघात ने उसे तोड़ दिया था।

एक शाम, जब बनवारी अपने कमरे में अकेला बैठा था, काजल उसके पास आई। उसकी आँखें लाल थीं, जैसे वो घंटों रो चुकी हो।
काजल: (रोते हुए) "बंवारी, मैं जानती हूँ मैंने गलती की। वो पल... वो बस एक कमज़ोरी थी। मैं नहीं जानती थी कि ये सब इतना आगे बढ़ जाएगा। लेकिन मैं तुझसे बहुत प्यार करती हूँ। तू मेरा सब कुछ है। मुझे माफ कर दे, प्लीज़।"

उसके आँसुओं और सच्चाई ने बनवारी के दिल को पिघला दिया। उसने उसे अपनी बाहों में लिया और दोनों रो पड़े। उसने महसूस किया कि काजल का पश्चाताप सच्चा था, और वह उसे खोना नहीं चाहता था।
बनवारी: (नरम स्वर में) "काजल, मुझे बहुत दुख हुआ। लेकिन मैं तुझसे प्यार करता हूँ। मैं नहीं चाहता कि कोई तीसरा हमारे बीच आए। लेकिन अब हमें एक-दूसरे पर भरोसा बनाना होगा।"
काजल: (उसके सिर को बनवारी के सीने पर टिकाते हुए) "मैं वादा करती हूँ, बंवारी। अब ऐसा कुछ नहीं होगा। मैं सिर्फ तेरी हूँ।"

काजल ने बनवारी को मनाने के लिए एक आइडिया दिया। "बंवारी, क्यों न हम कहीं बाहर घूमने जाएँ? थोड़ा वक्त सिर्फ हम दोनों के लिए।" बनवारी को उसका विचार पसंद आया। उन्होंने केरल घूमने का प्लान बनाया—समुद्र, हरियाली, और शांति का माहौल उन्हें एक नई शुरुआत दे सकता था।

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वे केरल के लिए रवाना हुए। कोवलम बीच पर सूरज की किरणों में काजल की मुस्कान फिर से बनवारी के दिल को छू रही थी। उन्होंने नाव में बैकवाटर्स की सैर की, कोकोनट ग्रोव्स में टहले, और एक-दूसरे के साथ खुलकर हँसे। काजल ने अपनी साड़ी में फिर से वही जादू बिखेरा, और उसकी नाभि का तिल समुद्र की लहरों की तरह बनवारी के मन को लुभा रहा था।
काजल: (हँसते हुए) "देख, प्रोफेसर साहब, अब कोई जलन नहीं, ना? सिर्फ तू और मैं, और ये खूबसूरत पल।"
बनवारी: (उसके हाथ को थामते हुए) "हाँ, मेरी जान। अब बस हम दोनों।"
रात को वे एक छोटे से रिज़ॉर्ट में रुके। वहाँ की शांति और काजल की नज़दीकी ने बनवारी के सारे शक और दर्द को धो दिया। उन्होंने एक-दूसरे को फिर से प्यार किया, और इस बार काजल की सिसकारियों में सिर्फ बनवारी का नाम था।

केरल से लौटने के बाद उनका रिश्ता और मज़बूत हो गया। काजल ने जिम छोड़ दिया और घर पर योग शुरू किया। बनवारी ने भी उसके साथ योग करना शुरू कर दिया, और उनका वक्त अब सिर्फ एक-दूसरे के लिए था। मम्मी की बच्चे वाली बात पर उन्होंने अब गंभीरता से सोचना शुरू किया।
मम्मी: "बंवारी, काजल, अब तो बच्चे के बारे में सोच लो। तुम्हारा घर हँसी-खुशी से गूँजना चाहिए।"
काजल: (मुस्कुराते हुए) "हाँ, मम्मी। हम तैयार हैं।"
बनवारी ने काजल की ओर देखा, और उसकी आँखों में वही प्यार और भरोसा दिखा जो वह हमेशा चाहता था। कृष्णा का साया अब धुंधला पड़ गया था। बनवारी ने फैसला किया कि अब वह वीडियो की बात को भूल जाएगा और काजल के साथ एक नई शुरुआत करेगा।
 
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Screenshot-20250721-174405
आमना सैयद —एक खूबसूरत, मादक, और तुनकमिजाज़ महिला, जो हाल ही में जिला महिला मोर्चे की अध्यक्ष बनी थी। आमना का पति हत्या के जुर्म में जेल में था, और उनका आठ साल का बेटा बोर्डिंग स्कूल में पढ़ता था, जो सिर्फ छुट्टियों में घर आता था। अपने आलीशान बंगले में अकेली रहने वाली आमना का कृष्णा के साथ पुराना अफेयर था, जो अब एक विस्फोटक और कामुक मुलाकात में तब्दील होने वाला था।

शाम के चार बजे थे, और सब्जी मंडी में हल्की-सी चहल-पहल थी। कृष्णा, अपनी चिर-परिचित शरारती मुस्कान के साथ, दुकानवाली राधिका की नस ठीक कर रहा था। राधिका की साड़ी का पल्लू थोड़ा ऊपर सरका हुआ था, और कृष्णा उसकी कमर पर हल्के-हल्के दबाव डाल रहा था, उसकी नाभि के पास उंगलियाँ फेरते हुए।

unnamed-4-27
तभी आमना, अपनी मादक चाल और चमकती लाल साड़ी में, सब्जी लेने मंडी पहुँची। उसने कृष्णा को देखा और भौंहें चढ़ाकर बोली, "अरे, कृष्णा, ये क्या कर रहा है, हरामज़ादे?"
कृष्णा: (शरारती मुस्कान के साथ) "अरे, आमना भाभी! बस राधिका भाभी की नाभि ठीक कर रहा था। थोड़ा दर्द कम कर देता हूँ, और क्या!"
आमना: (आँखें तरेरते हुए) "नस ठीक कर रहा है, या उसकी कमर मसल रहा है? चल, आज शाम मेरे घर आ। तुझसे हिसाब करना है, मेरे शेर।"
कृष्णा ने आमना की आँखों में जलन और कामुकता का मिश्रण देखा। उसका दिल धक-धक करने लगा, लेकिन उसकी शरारती मुस्कान बरकरार थी। "ठीक है, भाभी। मैं आऊँगा। तेरा हिसाब आज ज़रूर चुकता करूँगा," उसने पलक मारते हुए कहा।

शाम सात बजे, आमना के आलीशान बंगले का बेडरूम एक मादक और उत्तेजक माहौल लिए हुए था। मंद रोशनी, गुलाब की पंखुड़ियों की खुशबू, और आमना की साड़ी में बिखरती कामुकता माहौल को और गर्म कर रही थी।

unnamed-2-11
आमना ने अपनी लाल साड़ी को धीरे-धीरे उतारना शुरू किया, उसका पल्लू फर्श पर गिरा, और उसकी गहरी नाभि और कसी हुई कमर साफ नज़र आने लगी। उसने अपनी ब्लाउज़ की बटन एक-एक करके खोले, और उसकी काली लेस वाली ब्रा ने उसके उभारों को और उभारा। फिर उसने अपनी पेटीकोट की डोरी खींची, और वो फर्श पर ढेर हो गया, जिससे उसकी पारदर्शी पैंटी में उसकी जांघें चमक उठीं।

unnamed-2-16
आमना: (कामुक स्वर में, कृष्णा के करीब आते हुए) "कृष्णा, तू सबके दर्द ठीक करता है, मेरे दर्द का क्या? तुझे मेरे बंगले में आए कितने दिन हो गए, बता? मेरा तन-बदन तुझ बिना तड़प रहा है।"
कृष्णा: (गला साफ करते हुए, उसकी नज़रें आमना के शरीर पर टिकीं) "अरे, भाभी, बस तीन दिन हुए ना। काम में उलझा था, लेकिन आज तो मैं सिर्फ तेरा हूँ।"

unnamed-2-21
आमना ने एक कदम और करीब आकर कृष्णा के होंठों को अपने होंठों से छुआ। उसका चुंबन गहरा और उत्तेजक था, जैसे वो अपनी सारी जलन और जुनून उसमें उड़ेल रही हो। उसने कृष्णा के होंठ चूसते हुए कहा, "तुझे पता है, मैं तुझसे कितना प्यार करती हूँ, फिर भी तू राधिका जैसी रंडियों के साथ मस्ती करता है, हरामज़ादे!" उसने कृष्णा की शर्ट उतारी और उसे बेड पर धकेल दिया। फिर उसने रस्सियों से उसके हाथ-पैर बाँध दिए, लेकिन उसका अंदाज़ कामुक और प्रेम भरा था।
आमना: (उसके कान में फुसफुसाते हुए) "आज तुझे सजा भी मिलेगी और प्यार भी, मेरे शेर। तू मेरा है, और मैं तुझ पर अपना हक जताऊँगी।"
कृष्णा ने हँसते हुए कहा, "अम्ना जी, तेरा ये प्यार तो जानलेवा है! लेकिन चल, मैं तैयार हूँ।" पास में रखी ट्रे में पिघला हुआ चॉकलेट, शहद, और एक पतला चमड़े का तार था। आमना ने चॉकलेट की बोतल उठाई और उसकी छाती पर धीरे-धीरे डाला, फिर अपनी उंगलियों से उसे फैलाया। "ये तेरा स्वाद है, कृष्णा। अब तू मेरे बिना कहीं नहीं जाएगा," उसने मादक स्वर में कहा।
लेकिन तभी उसकी आँखों में जलन की चमक लौट आई। उसने चमड़े का तार उठाया और कृष्णा की छाती पर हल्के-हल्के फिराया। "मंडी में क्या कर रहा था तू, बता? राधिका की नस ठीक कर रहा था, या उसकी चूत मसल रहा था?" उसने गुस्से में तार से ज़ोर से मारा।
कृष्णा: (दर्द से चिल्लाते हुए) "अरे, अम्ना जी, धीरे! मैं तो बस उसकी नस ठीक कर रहा था, कसम से! गलती से हाथ लग गया होगा!"
आमना: (गुस्से में) "गलती से? तू हर औरत की कमर मसलता फिरता है, साले रंडीबाज़! आज तुझे सबक सिखाऊँगी!"
अम्ना का मूड कुछ और था। उसने गुस्से में तार से ज़ोर-ज़ोर से मारना शुरू कर दिया। पहले तो कृष्णा ने हँसते हुए कहा, "अरे, अम्ना जी, धीरे! ये सजा है या प्यार?" लेकिन जब मार तेज़ हो गई, तो उसे दर्द होने लगा। वो चिल्लाया, "कुटिया, तू पागल हो गई क्या? ये तो टॉर्चर है!

आमना का गुस्सा अब बेकाबू हो गया। उसने चमड़े का तार फेंका और ट्रे से एक चमकता हुआ चाकू उठा लिया। वो ब्रा और पैंटी में ही बेडरूम से बाहर दौड़ीं और चिल्लाईं, "कृष्णा, आज तेरा लंड काट दूँगी, साले हरामज़ादे!" कृष्णा घबरा गया। उसने पूरी ताकत लगाकर रस्सियों को खींचा और बड़ी मुश्किल से अपने हाथ-पैर छुड़ाए। वो बेड से कूदा, अपनी शर्ट और पैंट हाथ में पकड़कर, सिर्फ अंडरवियर में हॉल की ओर भागा।
हॉल में नौकरानी रेखा फर्श साफ कर रही थी। कृष्णा को नंगा भागते देख वो ठहाके मारकर हँसने लगी। "अरे, कृष्णा भैया, ये क्या तमाशा है? मालकिन ने तो तुम्हें नंगा कर दिया!"
कृष्णा: (हाँफते हुए) "रेखा, हँस मत! मेरी जान पर बनी है! ये कुटिया चाकू लेकर मेरे पीछे पड़ी है!"

आमना हॉल में पहुँची, चाकू लहराते हुए, और चिल्लाईं, "कृष्णा, तू मंडी में राधिका की चूत छू रहा था, है ना? आज तेरा हिसाब पूरा करूँगी!" कृष्णा ने रेखा को अपने सामने ढाल बनाया और उसके पीछे छुपकर बोला, "अरे मेरी अम्मा, गलती से उसकी चूत में हाथ लग गया था! मैं तो बस नस ठीक कर रहा था, कसम से! प्लीज़ मान जाओ, चाकू लग जाएगा!"
लेकिन आमना का गुस्सा कम नहीं हुआ। वो चाकू लहराते हुए और करीब आईं और चिल्लाईं, "नहीं, आज तेरा लंड काट दूँगी, रंडीबाज़!" रेखा हँसते-हँसते लोटपोट हो रही थी और बोली, "कृष्णा भैया, अब तो तुम गए! मालकिन तुम्हें काटकर सब्जी बना देंगी!" कृष्णा ने मौका देखकर रेखा को हल्का-सा धक्का दिया और अपने कपड़े हाथ में पकड़े हुए, सिर्फ अंडरवियर में बंगले के मुख्य दरवाजे की ओर भागा।

कृष्णा ने दरवाजा खोला और बंगले के बाहर बगीचे की ओर भागा। आमना, ब्रा-पैंटी में, चाकू लिए उसके पीछे दौड़ीं और चिल्लाती रहीं, "कृष्णा, भाग मत, साले! आज तेरी गर्मी निकालूँगी!" कृष्णा ने हाँफते हुए पलटकर कहा, "अम्ना जी, मेरी गर्मी तो सिर्फ तुम्हारे लिए थी, लेकिन ये चाकूबाजी बर्दाश्त नहीं होती!" वो बगीचे में एक पेड़ के पीछे छुप गया और जल्दी-जल्दी अपनी पैंट और शर्ट पहनने लगा।
रेखा बंगले के दरवाजे पर खड़ी होकर हँस रही थी और बोली, "मालकिन, छोड़ दो बेचारे को! ये तो डरकर नंगा ही भाग गया!" लेकिन आमना ने चाकू लहराते हुए कहा, "रेखा, इस रंडीबाज़ को पकड़! इसकी हरकतें मैं आज सुधारूँगी!" कृष्णा ने आखिरकार कपड़े पहन लिए और बगीचे से बाहर सड़क की ओर भाग गया। वो चिल्लाया, "अम्ना जी, मैं बाद में आऊँगा, जब तुम्हारा गुस्सा ठंडा हो जाए!"

आमना ने आखिरकार चाकू नीचे रखा और बगीचे में खड़ी हो गईं। वो बोलीं, "कृष्णा, भाग जा, लेकिन याद रख, अगली बार चाकू सचमुच चलेगा!" वो बंगले में वापस चली गईं, जबकि रेखा अब भी हँसी से लोटपोट थी।
 
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शाम के चार बजे थे, और सब्जी मंडी में हल्की-सी चहल-पहल थी। कृष्णा, अपनी चिर-परिचित शरारती मुस्कान के साथ, दुकानवाली राधिका की नस ठीक कर रहा था। राधिका की साड़ी का पल्लू थोड़ा ऊपर सरका हुआ था, और कृष्णा उसकी कमर पर हल्के-हल्के दबाव डाल रहा था, उसकी नाभि के पास उंगलियाँ फेरते हुए।

unnamed-4-27
तभी आमना, अपनी मादक चाल और चमकती लाल साड़ी में, सब्जी लेने मंडी पहुँची। उसने कृष्णा को देखा और भौंहें चढ़ाकर बोली, "अरे, कृष्णा, ये क्या कर रहा है, हरामज़ादे?"
कृष्णा: (शरारती मुस्कान के साथ) "अरे, आमना भाभी! बस राधिका भाभी की नाभि ठीक कर रहा था। थोड़ा दर्द कम कर देता हूँ, और क्या!"
आमना: (आँखें तरेरते हुए) "नस ठीक कर रहा है, या उसकी कमर मसल रहा है? चल, आज शाम मेरे घर आ। तुझसे हिसाब करना है, मेरे शेर।"
कृष्णा ने आमना की आँखों में जलन और कामुकता का मिश्रण देखा। उसका दिल धक-धक करने लगा, लेकिन उसकी शरारती मुस्कान बरकरार थी। "ठीक है, भाभी। मैं आऊँगा। तेरा हिसाब आज ज़रूर चुकता करूँगा," उसने पलक मारते हुए कहा।

शाम सात बजे, आमना के आलीशान बंगले का बेडरूम एक मादक और उत्तेजक माहौल लिए हुए था। मंद रोशनी, गुलाब की पंखुड़ियों की खुशबू, और आमना की साड़ी में बिखरती कामुकता माहौल को और गर्म कर रही थी।

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आमना ने अपनी लाल साड़ी को धीरे-धीरे उतारना शुरू किया, उसका पल्लू फर्श पर गिरा, और उसकी गहरी नाभि और कसी हुई कमर साफ नज़र आने लगी। उसने अपनी ब्लाउज़ की बटन एक-एक करके खोले, और उसकी काली लेस वाली ब्रा ने उसके उभारों को और उभारा। फिर उसने अपनी पेटीकोट की डोरी खींची, और वो फर्श पर ढेर हो गया, जिससे उसकी पारदर्शी पैंटी में उसकी जांघें चमक उठीं।

unnamed-2-16
आमना: (कामुक स्वर में, कृष्णा के करीब आते हुए) "कृष्णा, तू सबके दर्द ठीक करता है, मेरे दर्द का क्या? तुझे मेरे बंगले में आए कितने दिन हो गए, बता? मेरा तन-बदन तुझ बिना तड़प रहा है।"
कृष्णा: (गला साफ करते हुए, उसकी नज़रें आमना के शरीर पर टिकीं) "अरे, भाभी, बस तीन दिन हुए ना। काम में उलझा था, लेकिन आज तो मैं सिर्फ तेरा हूँ।"

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आमना ने एक कदम और करीब आकर कृष्णा के होंठों को अपने होंठों से छुआ। उसका चुंबन गहरा और उत्तेजक था, जैसे वो अपनी सारी जलन और जुनून उसमें उड़ेल रही हो। उसने कृष्णा के होंठ चूसते हुए कहा, "तुझे पता है, मैं तुझसे कितना प्यार करती हूँ, फिर भी तू राधिका जैसी रंडियों के साथ मस्ती करता है, हरामज़ादे!" उसने कृष्णा की शर्ट उतारी और उसे बेड पर धकेल दिया। फिर उसने रस्सियों से उसके हाथ-पैर बाँध दिए, लेकिन उसका अंदाज़ कामुक और प्रेम भरा था।
आमना: (उसके कान में फुसफुसाते हुए) "आज तुझे सजा भी मिलेगी और प्यार भी, मेरे शेर। तू मेरा है, और मैं तुझ पर अपना हक जताऊँगी।"
कृष्णा ने हँसते हुए कहा, "अम्ना जी, तेरा ये प्यार तो जानलेवा है! लेकिन चल, मैं तैयार हूँ।" पास में रखी ट्रे में पिघला हुआ चॉकलेट, शहद, और एक पतला चमड़े का तार था। आमना ने चॉकलेट की बोतल उठाई और उसकी छाती पर धीरे-धीरे डाला, फिर अपनी उंगलियों से उसे फैलाया। "ये तेरा स्वाद है, कृष्णा। अब तू मेरे बिना कहीं नहीं जाएगा," उसने मादक स्वर में कहा।
लेकिन तभी उसकी आँखों में जलन की चमक लौट आई। उसने चमड़े का तार उठाया और कृष्णा की छाती पर हल्के-हल्के फिराया। "मंडी में क्या कर रहा था तू, बता? राधिका की नस ठीक कर रहा था, या उसकी चूत मसल रहा था?" उसने गुस्से में तार से ज़ोर से मारा।
कृष्णा: (दर्द से चिल्लाते हुए) "अरे, अम्ना जी, धीरे! मैं तो बस उसकी नस ठीक कर रहा था, कसम से! गलती से हाथ लग गया होगा!"
आमना: (गुस्से में) "गलती से? तू हर औरत की कमर मसलता फिरता है, साले रंडीबाज़! आज तुझे सबक सिखाऊँगी!"
अम्ना का मूड कुछ और था। उसने गुस्से में तार से ज़ोर-ज़ोर से मारना शुरू कर दिया। पहले तो कृष्णा ने हँसते हुए कहा, "अरे, अम्ना जी, धीरे! ये सजा है या प्यार?" लेकिन जब मार तेज़ हो गई, तो उसे दर्द होने लगा। वो चिल्लाया, "कुटिया, तू पागल हो गई क्या? ये तो टॉर्चर है!

आमना का गुस्सा अब बेकाबू हो गया। उसने चमड़े का तार फेंका और ट्रे से एक चमकता हुआ चाकू उठा लिया। वो ब्रा और पैंटी में ही बेडरूम से बाहर दौड़ीं और चिल्लाईं, "कृष्णा, आज तेरा लंड काट दूँगी, साले हरामज़ादे!" कृष्णा घबरा गया। उसने पूरी ताकत लगाकर रस्सियों को खींचा और बड़ी मुश्किल से अपने हाथ-पैर छुड़ाए। वो बेड से कूदा, अपनी शर्ट और पैंट हाथ में पकड़कर, सिर्फ अंडरवियर में हॉल की ओर भागा।
हॉल में नौकरानी रेखा फर्श साफ कर रही थी। कृष्णा को नंगा भागते देख वो ठहाके मारकर हँसने लगी। "अरे, कृष्णा भैया, ये क्या तमाशा है? मालकिन ने तो तुम्हें नंगा कर दिया!"
कृष्णा: (हाँफते हुए) "रेखा, हँस मत! मेरी जान पर बनी है! ये कुटिया चाकू लेकर मेरे पीछे पड़ी है!"

आमना हॉल में पहुँची, चाकू लहराते हुए, और चिल्लाईं, "कृष्णा, तू मंडी में राधिका की चूत छू रहा था, है ना? आज तेरा हिसाब पूरा करूँगी!" कृष्णा ने रेखा को अपने सामने ढाल बनाया और उसके पीछे छुपकर बोला, "अरे मेरी अम्मा, गलती से उसकी चूत में हाथ लग गया था! मैं तो बस नस ठीक कर रहा था, कसम से! प्लीज़ मान जाओ, चाकू लग जाएगा!"
लेकिन आमना का गुस्सा कम नहीं हुआ। वो चाकू लहराते हुए और करीब आईं और चिल्लाईं, "नहीं, आज तेरा लंड काट दूँगी, रंडीबाज़!" रेखा हँसते-हँसते लोटपोट हो रही थी और बोली, "कृष्णा भैया, अब तो तुम गए! मालकिन तुम्हें काटकर सब्जी बना देंगी!" कृष्णा ने मौका देखकर रेखा को हल्का-सा धक्का दिया और अपने कपड़े हाथ में पकड़े हुए, सिर्फ अंडरवियर में बंगले के मुख्य दरवाजे की ओर भागा।

कृष्णा ने दरवाजा खोला और बंगले के बाहर बगीचे की ओर भागा। आमना, ब्रा-पैंटी में, चाकू लिए उसके पीछे दौड़ीं और चिल्लाती रहीं, "कृष्णा, भाग मत, साले! आज तेरी गर्मी निकालूँगी!" कृष्णा ने हाँफते हुए पलटकर कहा, "अम्ना जी, मेरी गर्मी तो सिर्फ तुम्हारे लिए थी, लेकिन ये चाकूबाजी बर्दाश्त नहीं होती!" वो बगीचे में एक पेड़ के पीछे छुप गया और जल्दी-जल्दी अपनी पैंट और शर्ट पहनने लगा।
रेखा बंगले के दरवाजे पर खड़ी होकर हँस रही थी और बोली, "मालकिन, छोड़ दो बेचारे को! ये तो डरकर नंगा ही भाग गया!" लेकिन आमना ने चाकू लहराते हुए कहा, "रेखा, इस रंडीबाज़ को पकड़! इसकी हरकतें मैं आज सुधारूँगी!" कृष्णा ने आखिरकार कपड़े पहन लिए और बगीचे से बाहर सड़क की ओर भाग गया। वो चिल्लाया, "अम्ना जी, मैं बाद में आऊँगा, जब तुम्हारा गुस्सा ठंडा हो जाए!"

आमना ने आखिरकार चाकू नीचे रखा और बगीचे में खड़ी हो गईं। वो बोलीं, "कृष्णा, भाग जा, लेकिन याद रख, अगली बार चाकू सचमुच चलेगा!" वो बंगले में वापस चली गईं, जबकि रेखा अब भी हँसी से लोटपोट थी।
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Shivraj Singh

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Amna aur kajal ka lesbian affair hona chahiye. Taki Amna kajal ki gulam bane. Aur ho sake to Amna kajal aur banwari ka threesome ho jaye. Aur banwari hi sachcha mard bane. Na ki krishna jaisa currupt Papi Rahul jaisa insan bane.
 
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