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Adultery तेरे प्यार में .....

kas1709

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#37

पर वहां एक और आश्चर्य मेरा इंतज़ार कर रहा था मालूम हुआ की जोहरी उसी रात से गायब था जिस दिन रत्ना का अक्सिडेंट हुआ था , कडिया आपस में जुड़ तो रही थी पर छोर नहीं मिल रहा था . कोई तो था जो शिद्दत से चाहता था की मैं उस छोर को ना तलाश कर पाऊ . आखिर कौन था वो जिसे मेरे लौटने से परेशानी हो रही थी सोचते सोच्य्ते मैं गाँव लौट आया.

“कबीर, कहाँ था तू ”मंजू ने पुछा

मैं- उलझा हु अपने आप में , अपने आप को तलाश रहा हु

मंजू- वो दरोगा मिला था मुझे

मैं जानता था किस लिए मिला होगा पर अनजान बनते हुए मैंने मंजू से ही पुछा- क्या चाहिए उसको तुझसे

मंजू- पता नहीं , पर आजकल उसका और मेरा आमना सामना कुछ ज्यादा ही हो रहा है

मैं- पूछ ले फिर उस से क्या चाहता है वो

मंजू- अबकी बार तो पूछ ही लुंगी.

मैं- मुझे लगता है उसे पसंद आ गयी तू

मैंने मंजू के मन की टोह लेनी चाही

मंजू- ना रे , अब कहाँ वो बात रही

मैं- बात ही बात है , तू है ही इतनी खूबसूरत कोई भी दिल हार जाये तुझ पर

मंजू- अब अच्छी नहीं लगती ये बाते, अब नहीं देखती मैं ऐसे सपने

मैं- चल छोड़, बता और कुछ

मंजू- क्या बताये बस रोज का वही नाटक है

मैं- नाटक तो सबके जीवन में है यार, मुझे देख .

मंजू- तुझे ही तो देखती हु आजकल

मैं- घर बनाना है मुझे

मंजू- हवेली तेरी ही है काजल ने तो बस कब्ज़ा किया है

मैं- छोड़ उस बहन की लौड़ी को .

मंजू- उसके कहने से सच कभी बदल तो नहीं जायेगा न

मैं- हवेली के अलावा कहाँ घर बना सकता हु मैं

मंजू- मेरे साथ रह ले

मैं- फिर भी घर तो चाहिए ही मुझे

मंजू- तुझे ठीक लगे तो एक बार बड़े भैया से बात करके देख ले फिर इस मामले में

मैं- तू जानती है फिर भी ऐसा कह रही है.

मंजू- तो फिर लड़ाई लड़ ले अपने हक़ की , छीन ले अपने हक़ को क्योंकि चाहे तो कही भी बस जा पर हवेली तेरे दिल में ही रहेगी, सारी उम्र तडपेगा तू फिर उसके लिए .

मंजू की बात में दम था .

“पिताजी ने हवेली भाभी के नाम क्यों की ये सोच सोच कर मैं पागल हो रहा हु ” मैंने कहा

मंजू- क्या पता साली ने चूत के दम पर अपने नाम लिखवा ली हो. देख कबीर, बुरा मत मानियो पर ऐसा हो सकता है

मैंने हाँ में सर हिला दिया, चूत ऐसी चीज है जो चाहे वो करवा दे और हमारे तो खानदान में चुदाई का बोलबाला था .

मंजू- तू हवेली खरीद ले काजल से पर कमीनी है वो तुझे तडपाना चाहती है इसलिए बेचेगी नहीं

मैं- कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा. वैसे दारू पीयेगी

मंजू- सूखी नहीं चलेगी मुझे और मीट बनायेंगे तो लोग बुरा मानेगे , ताई कहेगी घर में मौत हुई पड़ी है और तुम्हे ये सब करना है.

मैं- कितने दिन और बचे , दिन शुद्ध होने में

मंजू- परसों हो जायेंगे

मैं-जाने वाला तो गया फिर क्यों ये सब तमाशे

मंजू- दस्तूर है दुनिया का

मैं- तू तयारी कर मैं लाता हु समान , आज की रात खेतो पर ही काटेंगे

मंजू- वहां कौन ले जायेगा बर्तन भांडे . ताई तो जाएगी ही चाचा के घर फट से बना लेंगे

मैं- देना नहीं चाहती क्या जो उधर जाने को मना कर रही है

मंजू- ली तो कही भी जा सकती है लेने वाले की हिम्मत होनी चाहिए

मैं- इधर ही पटक लू कहे तो

मंजू- खोल ले नाडा

उसने मेरे गाल पर काटा और भाग गयी. मैं तहे दिल से चाहता था की इस लड़की का घर बस जाये, तमाम खुशिया मिले इसे. किस्मत ये मेरे जैसी ही लिखा कर लाइ थी , मेरे साथ ही इसका भाग्य भी रूठ गया था . छत पर बोतल खोले हम दोनों अपनी महफ़िल लगाये हुए थे की तभी मामी आ गयी.

“कबीर कुछ बात करनी है तुमसे ” मामी ने कहा

मैं- जी

मामी- आओ थोडा बाहर टहल कर आते है

मैंने गिलास को साइड में रखा और मामी के साथ बाहर आ गया.

“क्या बात करनी है ” मैंने कहा

मामी- तुम्हारे चाचा के दिन शुद्ध होने के बाद सारा परिवार बैठ कर तुम्हारे मसले को सुलझेगा

मैं- कैसा मसला

मामी- तुम्हारे हिस्से का , बाकी लोगो में से कोई भी नहीं चाहता की गाँव के लोग कहे की परिवार तुम्हारा हिस्सा मार गया

मैं- परिवार ही नहीं बचा तो हिस्से का क्या करूँगा मैं. सर छिपाने के लिए भला कितनी जगह चाहिए मुझे . निशा के साथ अगर घर बसा मेरा तो हम बना लेंगे आशियाना अपना, वैसे भी घर लोगो से बनता है और जब लोग ही चले गए तो क्या ही घर रहा

मामी- इस बारे में मैं निशा से भी बात करुँगी, मेरी नहीं तो उसकी सुनेगा ही तू

मैं- मेरे मसले कुछ और है मामी, जैसे ही सुलझेंगे मैं यहाँ से चला जाऊंगा. बेशक मेरा मन था पर हवेली को लेकर जैसा बर्ताव भाभी ने किया , अब वो मन नहीं रहा .

मामी- परिवार जैसा भी हो व्यक्ति की सबसे बड़ी शक्ति होता है

मैं- जी तो वो लोग भी रहते है जिनका कोई नहीं होता

मामी- ऐसा क्यों सोचता है तू क्या नहीं है तेरे पास

मैं- कुछ भी तो नहीं मेरे पास .

ना जाने क्या हुआ मुझे , मैं मामी के गले लग गया . कोई कोशिश नहीं की मैंने अपने मन की पीड़ा को आंसू बनके बहने में .

“तू अकेला नहीं है कबीर ” मामी ने मुझे अपने आगोश में भरते हुए कहा. बहुत देर तक एक दुसरे के आगोश में खड़े रहे हम लोग.

“चलना चाहिए हमें ” बोली वो

मैं-मेरे साथ ही रहो

मामी- ऐसे ही

मैं- हाँ, ऐसे ही

मामी-क्या इरादा है

मैं- तुमसे प्यार करने का

मामी- कैसा प्यार करोगे

मैं- जैसा तुम चाहो

मैंने मामी की गांड को सहलाया

मामी- सबके सोने के बाद मिलते है हवेली में

मैंने मामी के चेहरे को ऊपर किया और उसके होंठो को अपने होंठो से जोड़ लिया.

चाहे मैंने मंजू को चोदने का करार किया था पर मामी की चूत मुझे हद से ज्यादा प्यारी थी , आदमी कभी भी उस औरत को नजरंदाज नहीं कर सकता जिसकी चूत सबसे पहले उसने मारी हो जीवन में. खैर, खाना खाने के बाद मैं हवेली पहुँच गया था . मैंने रौशनी की , मामी के आने में समय था तो एक बार फिर मैंने यादो को खंगालने की कोशिश की . एक बार फिर पुराने सामान में हाथ मारने लगा मैं . पिताजी के कमरे को तो बहुत बार देख चूका था मैं , इस बार मैंने कोने वाले कमरे के ताले को तोड़ लिया. धुल मिटटी से भरा ये कमरा जिसमे संदूके रखी थी , कुछ सूटकेस रखे थे.कुछ में पुराने कपडे भरे थे , किसी में रजाई बिस्तर थे पर वो कहते है न की अक्सर कुछ राज उन चारदीवारी में ही छिपे होते है जहाँ आदमी देख कर भी अनदेखा करता है . पुराने सामान में कुछ ऐसा हाथ लगा मुझे जिसे एक पल के लिए मेरे सोचने की शक्ति को कम कर दिया............................
Nice update....
 

lovelesh

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kise malum naseeb me kya llikha hai bhai
Vo to hai hi, par pathakon ki shubhkamnaye hai aapke sath... To is baar likh lo apna nasseb jaisa aap chahte ho.... Aur lekhak to app achchhe hain hi.

Aur "Power of manifestation" ko mana bhi Gaya hai... To chaho dil se kuchh aisa ki poori kaynat use poora karne me jut jae... Abhi abhi ek example dekha Rinku Singh ka "Winning Run" wala
 
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dhparikh

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पर वहां एक और आश्चर्य मेरा इंतज़ार कर रहा था मालूम हुआ की जोहरी उसी रात से गायब था जिस दिन रत्ना का अक्सिडेंट हुआ था , कडिया आपस में जुड़ तो रही थी पर छोर नहीं मिल रहा था . कोई तो था जो शिद्दत से चाहता था की मैं उस छोर को ना तलाश कर पाऊ . आखिर कौन था वो जिसे मेरे लौटने से परेशानी हो रही थी सोचते सोच्य्ते मैं गाँव लौट आया.

“कबीर, कहाँ था तू ”मंजू ने पुछा

मैं- उलझा हु अपने आप में , अपने आप को तलाश रहा हु

मंजू- वो दरोगा मिला था मुझे

मैं जानता था किस लिए मिला होगा पर अनजान बनते हुए मैंने मंजू से ही पुछा- क्या चाहिए उसको तुझसे

मंजू- पता नहीं , पर आजकल उसका और मेरा आमना सामना कुछ ज्यादा ही हो रहा है

मैं- पूछ ले फिर उस से क्या चाहता है वो

मंजू- अबकी बार तो पूछ ही लुंगी.

मैं- मुझे लगता है उसे पसंद आ गयी तू

मैंने मंजू के मन की टोह लेनी चाही

मंजू- ना रे , अब कहाँ वो बात रही

मैं- बात ही बात है , तू है ही इतनी खूबसूरत कोई भी दिल हार जाये तुझ पर

मंजू- अब अच्छी नहीं लगती ये बाते, अब नहीं देखती मैं ऐसे सपने

मैं- चल छोड़, बता और कुछ

मंजू- क्या बताये बस रोज का वही नाटक है

मैं- नाटक तो सबके जीवन में है यार, मुझे देख .

मंजू- तुझे ही तो देखती हु आजकल

मैं- घर बनाना है मुझे

मंजू- हवेली तेरी ही है काजल ने तो बस कब्ज़ा किया है

मैं- छोड़ उस बहन की लौड़ी को .

मंजू- उसके कहने से सच कभी बदल तो नहीं जायेगा न

मैं- हवेली के अलावा कहाँ घर बना सकता हु मैं

मंजू- मेरे साथ रह ले

मैं- फिर भी घर तो चाहिए ही मुझे

मंजू- तुझे ठीक लगे तो एक बार बड़े भैया से बात करके देख ले फिर इस मामले में

मैं- तू जानती है फिर भी ऐसा कह रही है.

मंजू- तो फिर लड़ाई लड़ ले अपने हक़ की , छीन ले अपने हक़ को क्योंकि चाहे तो कही भी बस जा पर हवेली तेरे दिल में ही रहेगी, सारी उम्र तडपेगा तू फिर उसके लिए .

मंजू की बात में दम था .

“पिताजी ने हवेली भाभी के नाम क्यों की ये सोच सोच कर मैं पागल हो रहा हु ” मैंने कहा

मंजू- क्या पता साली ने चूत के दम पर अपने नाम लिखवा ली हो. देख कबीर, बुरा मत मानियो पर ऐसा हो सकता है

मैंने हाँ में सर हिला दिया, चूत ऐसी चीज है जो चाहे वो करवा दे और हमारे तो खानदान में चुदाई का बोलबाला था .

मंजू- तू हवेली खरीद ले काजल से पर कमीनी है वो तुझे तडपाना चाहती है इसलिए बेचेगी नहीं

मैं- कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा. वैसे दारू पीयेगी

मंजू- सूखी नहीं चलेगी मुझे और मीट बनायेंगे तो लोग बुरा मानेगे , ताई कहेगी घर में मौत हुई पड़ी है और तुम्हे ये सब करना है.

मैं- कितने दिन और बचे , दिन शुद्ध होने में

मंजू- परसों हो जायेंगे

मैं-जाने वाला तो गया फिर क्यों ये सब तमाशे

मंजू- दस्तूर है दुनिया का

मैं- तू तयारी कर मैं लाता हु समान , आज की रात खेतो पर ही काटेंगे

मंजू- वहां कौन ले जायेगा बर्तन भांडे . ताई तो जाएगी ही चाचा के घर फट से बना लेंगे

मैं- देना नहीं चाहती क्या जो उधर जाने को मना कर रही है

मंजू- ली तो कही भी जा सकती है लेने वाले की हिम्मत होनी चाहिए

मैं- इधर ही पटक लू कहे तो

मंजू- खोल ले नाडा

उसने मेरे गाल पर काटा और भाग गयी. मैं तहे दिल से चाहता था की इस लड़की का घर बस जाये, तमाम खुशिया मिले इसे. किस्मत ये मेरे जैसी ही लिखा कर लाइ थी , मेरे साथ ही इसका भाग्य भी रूठ गया था . छत पर बोतल खोले हम दोनों अपनी महफ़िल लगाये हुए थे की तभी मामी आ गयी.

“कबीर कुछ बात करनी है तुमसे ” मामी ने कहा

मैं- जी

मामी- आओ थोडा बाहर टहल कर आते है

मैंने गिलास को साइड में रखा और मामी के साथ बाहर आ गया.

“क्या बात करनी है ” मैंने कहा

मामी- तुम्हारे चाचा के दिन शुद्ध होने के बाद सारा परिवार बैठ कर तुम्हारे मसले को सुलझेगा

मैं- कैसा मसला

मामी- तुम्हारे हिस्से का , बाकी लोगो में से कोई भी नहीं चाहता की गाँव के लोग कहे की परिवार तुम्हारा हिस्सा मार गया

मैं- परिवार ही नहीं बचा तो हिस्से का क्या करूँगा मैं. सर छिपाने के लिए भला कितनी जगह चाहिए मुझे . निशा के साथ अगर घर बसा मेरा तो हम बना लेंगे आशियाना अपना, वैसे भी घर लोगो से बनता है और जब लोग ही चले गए तो क्या ही घर रहा

मामी- इस बारे में मैं निशा से भी बात करुँगी, मेरी नहीं तो उसकी सुनेगा ही तू

मैं- मेरे मसले कुछ और है मामी, जैसे ही सुलझेंगे मैं यहाँ से चला जाऊंगा. बेशक मेरा मन था पर हवेली को लेकर जैसा बर्ताव भाभी ने किया , अब वो मन नहीं रहा .

मामी- परिवार जैसा भी हो व्यक्ति की सबसे बड़ी शक्ति होता है

मैं- जी तो वो लोग भी रहते है जिनका कोई नहीं होता

मामी- ऐसा क्यों सोचता है तू क्या नहीं है तेरे पास

मैं- कुछ भी तो नहीं मेरे पास .

ना जाने क्या हुआ मुझे , मैं मामी के गले लग गया . कोई कोशिश नहीं की मैंने अपने मन की पीड़ा को आंसू बनके बहने में .

“तू अकेला नहीं है कबीर ” मामी ने मुझे अपने आगोश में भरते हुए कहा. बहुत देर तक एक दुसरे के आगोश में खड़े रहे हम लोग.

“चलना चाहिए हमें ” बोली वो

मैं-मेरे साथ ही रहो

मामी- ऐसे ही

मैं- हाँ, ऐसे ही

मामी-क्या इरादा है

मैं- तुमसे प्यार करने का

मामी- कैसा प्यार करोगे

मैं- जैसा तुम चाहो

मैंने मामी की गांड को सहलाया

मामी- सबके सोने के बाद मिलते है हवेली में

मैंने मामी के चेहरे को ऊपर किया और उसके होंठो को अपने होंठो से जोड़ लिया.

चाहे मैंने मंजू को चोदने का करार किया था पर मामी की चूत मुझे हद से ज्यादा प्यारी थी , आदमी कभी भी उस औरत को नजरंदाज नहीं कर सकता जिसकी चूत सबसे पहले उसने मारी हो जीवन में. खैर, खाना खाने के बाद मैं हवेली पहुँच गया था . मैंने रौशनी की , मामी के आने में समय था तो एक बार फिर मैंने यादो को खंगालने की कोशिश की . एक बार फिर पुराने सामान में हाथ मारने लगा मैं . पिताजी के कमरे को तो बहुत बार देख चूका था मैं , इस बार मैंने कोने वाले कमरे के ताले को तोड़ लिया. धुल मिटटी से भरा ये कमरा जिसमे संदूके रखी थी , कुछ सूटकेस रखे थे.कुछ में पुराने कपडे भरे थे , किसी में रजाई बिस्तर थे पर वो कहते है न की अक्सर कुछ राज उन चारदीवारी में ही छिपे होते है जहाँ आदमी देख कर भी अनदेखा करता है . पुराने सामान में कुछ ऐसा हाथ लगा मुझे जिसे एक पल के लिए मेरे सोचने की शक्ति को कम कर दिया............................
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Luckyloda

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Sala koi bhi
#36

“तुम्हारी ये बात तुम्हारी ही तरह खोखली है ” मैंने कहा

भाभी- हमारे रस्ते भी अब अलग है कबीर, बहुत मुश्किल से मैंने संभाला है टूटे घर को और नहीं बिखरनी चाहिए ये जिन्दगी

मैं- रस्ते तो बरसो पहले अलग हो गए थे रिश्तो में अगर गाँठ पड़ जाये तो फिर पहले जैसा कुछ नहीं हो सकता . बेहतर होगा की न तुम मेरे रस्ते में आओ न मैं तुम्हारे रस्ते में. मैंने पहले भी कहा था मुझे कुछ नहीं चाहिए , अपने हिस्से का सुख मैं तलाश लूँगा. बस मेरे मन का सवाल है की पिताजी ने प्रोपर्टी तुम्हारे नाम क्यों की , भाई के नाम क्यों नहीं की .

भाभी- मेरी कभी भी जायदाद को लेकर कोई इच्छा नहीं रही, पिताजी ने जोर देकर कहा की मुझे संभालनी होगी ये जिम्मेदारी.

मैं- और तुम मान गयी

भाभी- मैंने कहा था पिताजी को की कबीर को बराबर का हिस्सा देना चाहिए पर उन्होंने कहा की कबीर को उसका हिस्सा जरुर मिलेगा.

मैं- बढ़िया है फिर तो .याद है उस रात तुमने हवेली में कहा था पैसा किसे ही चाहिए था .

भाभी- मैं आज भी कहती हु कबीर. दरअसल हम अपने अपने हिस्से की खुशियों को उस अतीत में तलाश रहे है जिसने हमारे आज को तबाह कर दिया है. परिवार कभी एक नहीं हो पायेगा ये वो सत्य है जिसे अगर सभी समझ ले तो जीना आसान हो जायेगा. इस जंगल में हम दोनों का होना कोई इत्तेफाक नहीं बल्कि हमारी अपनी अपनी वजह है .

भाभी ने मेरे माथे को चूमा और बोली- वक्त के किसी और हिस्से में अगर तुम यूँ मेरे साथ होते तो सीने से लगाती तुम्हे .

हलकी हलकी बूंदे गिरने लगी थी , भाभी अपने रस्ते पर चल पड़ी थी , मैं भी उसके पीछे चल दिया. भाभी की मटकती गांड और ये मौसम , बहनचोद कैसे अजीब से रिश्ते हो गए थे प्यार भी इन्ही से और नफरत भी इन्ही से. कुवे से थोड़ी दूर पहले भाभी ने अपने लहंगे को उठाया,गोरी कसी हुई जांघो को देख कर मेरा मन डोल गया , भाभी ने बड़ी ही नजाकत से कच्छी को निचे सरकाया और मूतने को बैठ गयी . बेहद ही मादक द्रश्य था वो जिसे मैंने जी भर कर देखा. मूतने के बाद वो थोड़ी देर वैसे ही बैठी रही शायद मुझे तरसना चाहती थी वो . जब तक मैं वहां पहुंचा वो अपने रस्ते बढ़ गयी थी और छोड़ गयी थी उस कच्छी को जो कुछ लम्हों के फासले से ही उस मदमस्त चूत के रस से भीगी थी. उंगलिया फेरते हुए मैंने महसूस किया की ये कच्छी भी ठीक वैसी ही थी जो मैंने अलमारी में तलाशी थी. इस बात से मुझे इतना यकीन तो हो गया था की घर में जो भी कुछ झोल था उसमे किरदार अपने ही थे.



खैर, गाँव आने के बाद जो भी हालात हुए थी मुझे जिस चीज की सबसे जायदा जरूरत थी वो था अपना घर, बेशक मैं ताई के घर रह सकता था , शिवाले में बाबा के साथ रह सकता था पर फिर भी मुझे घर तो चाहिए था ही , हालाँकि हवेली जा सकता था मैं पर भाभी ने जिस तरह से अपने हक़ का रौब दिखाया था मैं कतरा रहा था . रत्ना का जो रूप मेरे सामने आया था उसने मेरा मानसिक संबल तोड़ दिया था , वो रात किसी तरह काटी मैंने और सुबह ही उस शहर के लिए बस पकड़ ली जिसे मैं छोड़ आया था .

कायदे से मुझे सबसे पहले निशा से मिलना चाहिए था पर मैं जेल गया. मैंने गाजी से मिलने का सोचा था . और जब हमारी मुलाकात हुई तो वो बस घूरता रहा मुझे.

मैं- रत्ना के बारे में जानना है मुझे

गाजी- उसके साथ रह कर उसे नहीं जान सका तू

मैं- मैं तुम से जानना चाहता हु

गाजी- और मैं तुझे मारना चाहता हु

मैं- बेशक , दुआ करूँगा किसी दिन ये मौका जरुर मिले तुम्हे

गाजी- ये सलाखे ज्यादा दिन नहीं रोक पाएंगी मुझे

मैं- मर्द बहाने नहीं करते गाजी, मर्द बस कर देते है जो उन्हें करना होता है

गाजी ने गुस्से से अपना हाथ सलाखों पर मारा.

मैं- रत्ना के बारे में बता मुझे

गाजी- नागिन थी साली, डसने से पहले फन कुचल देना चाहिए था उसका, उसके पति के साथ ही उसको भी दफना देना था मुझे

मैं- एक मामूली औरत तेरी नाक के निचे तेरे किले की नींव ढीली कर गयी और तुझे भनक भी नहीं हुई ,इतना मुर्ख तो नहीं हो सकता तू.

गाजी- ये शहर समुन्द्र है , कब किस मछली को कौन निगल जाये किसको मालूम . उसने तुझे मोहरा बनाया और यहाँ तक पहुंचने के लिए तेरे जैसे कितने चूतिये मिले होंगे उसको . इस धंधे में जिसको मौका मिलता है वो चूकता नहीं

मैं- तू हीरे किस से खरीदता था

गाजी- हीरे, बहनचोद तुझे अभी भी समझ नहीं आया की मैं कौन हु , क्या हु .

मैं समझ गया था तो वहां से मैं सीधा वहां पहुंचा जहाँ किरायेदार बन कर रहा. घर पर ताला लगा था . मैंने ताला तोडा और अन्दर आया. देखने से ही लग रहा था की काफी दिन से वहां कोई नहीं आया था. मुझे ऐसी कोई कड़ी नहीं मिल रही थी जो ये समझा सके की रत्ना हीरे खरीदती किस से थी ? उसके पुरे सामान को मैंने तलाश कर लिया कुछ भी नहीं , हो क्या रहा था ये सब. खैर, अब निशा के पास ही जाना था मुझे. मैं बस्ती की दूकान पर रुका .

“ये रत्ना कहाँ गयी ” मैंने दुकानदार से पुछा

“जब से तुम गए तभी से वो भी चली गयी फिर आई नहीं ” उसने जवाब किया

मैं- किधर

“मालूम नहीं, तुम्हारे जाने के बाद एक आदमी आया था उसके साथ ही गयी ” उसने कहा

मैं- कौन आदमी

“वो तो नहीं मालूम पर तुम्हारे जाने के बाद वो आदमी बरोबर आया था ” उसने कहा.

अब ये आदमी कौन था ये नया सवाल मेरी जान पर आकर खड़ा हो गया था .

निशा के आवास पर जाकर मैंने उसका इंतज़ार किया.वो मुझे देख कर हैरान हो गयी.

“तुम यहाँ कबीर ” निशा ने चहकते हुए कहा

मैं- तुम्हे देखने का मन था

निशा- बहुत बढ़िया

निशा का मेरी बाँहों में होना यही सुख था इस जीवन का. मैंने उस से तमाम बाते बताई जो भी गाँव में हुआ था .

“हैरानी नहीं होनी चाहिए तुम्हे अपने परिवार के लक्षणों पर ” उसने कहा

मैं- कहती तो सही हो. फ़िलहाल तो मैं चाहता हु की घर होना चाहिए अपना

निशा- जमीन खरीद लेते है क्यों चिंता करते हो तुम

मैं- चिंता नहीं है ,हवेली का हक़ छुट गया वो दुःख है

निशा- घर इंसानों से बनता है , हम जहाँ रहेंगे वही घर हो जायेगा हमारा . फिलहाल तुम कुछ दिन मेरे साथ रहो

मैं- मन तो बहुत है पर कल ही जाना होगा , कुछ जरुरी काम है वो निपटा लू

निशा- चाहती तो मैं भी हु पर तुमने जो रायता फैलाया है बहुत दम लगाना पड़ रहा है उसे साफ़ करने के लिए

मैं- गाजी के बाद शहर की कमान और किसी से संभाल ली और तुम्हारे महकमे को मालूम ही नहीं

निशा- मैंने कहा ना तुम्हारे फैलाये रायते को समेंटने में दम बहुत लग रहा है वो भी तुम्हारी ही पाली हुई थी .

मैं- मारी गयी वो. अपने शहर में

निशा- ये कब हुआ

मैं- कुछ दिन पहले ही और शायद इसी वजह से मुझे लौटना पड़ा यहाँ

निशा- क्या करने की फ़िराक में हो

मैं- कुछ नहीं, कुछ जवाब चाहिये थे पर अब लगता है की सवालो के साथ ही जीना पड़ेगा.

अगले दिन मैं वापिस गाँव के लिए निकल पड़ा , एक बार फिर मैं उसी जोहरी की दूकान पर था ................................






Sala koi hi sidhe muh baat hi nahi krta yaha
...


Sab aapne apne गरूर me jee rahe हैं.... गाजी sidhe sidhe bta sakta tha... par usne bhi aise hi ghuma diya
 

Luckyloda

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पहली chut की बात hi
#37

पर वहां एक और आश्चर्य मेरा इंतज़ार कर रहा था मालूम हुआ की जोहरी उसी रात से गायब था जिस दिन रत्ना का अक्सिडेंट हुआ था , कडिया आपस में जुड़ तो रही थी पर छोर नहीं मिल रहा था . कोई तो था जो शिद्दत से चाहता था की मैं उस छोर को ना तलाश कर पाऊ . आखिर कौन था वो जिसे मेरे लौटने से परेशानी हो रही थी सोचते सोच्य्ते मैं गाँव लौट आया.

“कबीर, कहाँ था तू ”मंजू ने पुछा

मैं- उलझा हु अपने आप में , अपने आप को तलाश रहा हु

मंजू- वो दरोगा मिला था मुझे

मैं जानता था किस लिए मिला होगा पर अनजान बनते हुए मैंने मंजू से ही पुछा- क्या चाहिए उसको तुझसे

मंजू- पता नहीं , पर आजकल उसका और मेरा आमना सामना कुछ ज्यादा ही हो रहा है

मैं- पूछ ले फिर उस से क्या चाहता है वो

मंजू- अबकी बार तो पूछ ही लुंगी.

मैं- मुझे लगता है उसे पसंद आ गयी तू

मैंने मंजू के मन की टोह लेनी चाही

मंजू- ना रे , अब कहाँ वो बात रही

मैं- बात ही बात है , तू है ही इतनी खूबसूरत कोई भी दिल हार जाये तुझ पर

मंजू- अब अच्छी नहीं लगती ये बाते, अब नहीं देखती मैं ऐसे सपने

मैं- चल छोड़, बता और कुछ

मंजू- क्या बताये बस रोज का वही नाटक है

मैं- नाटक तो सबके जीवन में है यार, मुझे देख .

मंजू- तुझे ही तो देखती हु आजकल

मैं- घर बनाना है मुझे

मंजू- हवेली तेरी ही है काजल ने तो बस कब्ज़ा किया है

मैं- छोड़ उस बहन की लौड़ी को .

मंजू- उसके कहने से सच कभी बदल तो नहीं जायेगा न

मैं- हवेली के अलावा कहाँ घर बना सकता हु मैं

मंजू- मेरे साथ रह ले

मैं- फिर भी घर तो चाहिए ही मुझे

मंजू- तुझे ठीक लगे तो एक बार बड़े भैया से बात करके देख ले फिर इस मामले में

मैं- तू जानती है फिर भी ऐसा कह रही है.

मंजू- तो फिर लड़ाई लड़ ले अपने हक़ की , छीन ले अपने हक़ को क्योंकि चाहे तो कही भी बस जा पर हवेली तेरे दिल में ही रहेगी, सारी उम्र तडपेगा तू फिर उसके लिए .

मंजू की बात में दम था .

“पिताजी ने हवेली भाभी के नाम क्यों की ये सोच सोच कर मैं पागल हो रहा हु ” मैंने कहा

मंजू- क्या पता साली ने चूत के दम पर अपने नाम लिखवा ली हो. देख कबीर, बुरा मत मानियो पर ऐसा हो सकता है

मैंने हाँ में सर हिला दिया, चूत ऐसी चीज है जो चाहे वो करवा दे और हमारे तो खानदान में चुदाई का बोलबाला था .

मंजू- तू हवेली खरीद ले काजल से पर कमीनी है वो तुझे तडपाना चाहती है इसलिए बेचेगी नहीं

मैं- कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा. वैसे दारू पीयेगी

मंजू- सूखी नहीं चलेगी मुझे और मीट बनायेंगे तो लोग बुरा मानेगे , ताई कहेगी घर में मौत हुई पड़ी है और तुम्हे ये सब करना है.

मैं- कितने दिन और बचे , दिन शुद्ध होने में

मंजू- परसों हो जायेंगे

मैं-जाने वाला तो गया फिर क्यों ये सब तमाशे

मंजू- दस्तूर है दुनिया का

मैं- तू तयारी कर मैं लाता हु समान , आज की रात खेतो पर ही काटेंगे

मंजू- वहां कौन ले जायेगा बर्तन भांडे . ताई तो जाएगी ही चाचा के घर फट से बना लेंगे

मैं- देना नहीं चाहती क्या जो उधर जाने को मना कर रही है

मंजू- ली तो कही भी जा सकती है लेने वाले की हिम्मत होनी चाहिए

मैं- इधर ही पटक लू कहे तो

मंजू- खोल ले नाडा

उसने मेरे गाल पर काटा और भाग गयी. मैं तहे दिल से चाहता था की इस लड़की का घर बस जाये, तमाम खुशिया मिले इसे. किस्मत ये मेरे जैसी ही लिखा कर लाइ थी , मेरे साथ ही इसका भाग्य भी रूठ गया था . छत पर बोतल खोले हम दोनों अपनी महफ़िल लगाये हुए थे की तभी मामी आ गयी.

“कबीर कुछ बात करनी है तुमसे ” मामी ने कहा

मैं- जी

मामी- आओ थोडा बाहर टहल कर आते है

मैंने गिलास को साइड में रखा और मामी के साथ बाहर आ गया.

“क्या बात करनी है ” मैंने कहा

मामी- तुम्हारे चाचा के दिन शुद्ध होने के बाद सारा परिवार बैठ कर तुम्हारे मसले को सुलझेगा

मैं- कैसा मसला

मामी- तुम्हारे हिस्से का , बाकी लोगो में से कोई भी नहीं चाहता की गाँव के लोग कहे की परिवार तुम्हारा हिस्सा मार गया

मैं- परिवार ही नहीं बचा तो हिस्से का क्या करूँगा मैं. सर छिपाने के लिए भला कितनी जगह चाहिए मुझे . निशा के साथ अगर घर बसा मेरा तो हम बना लेंगे आशियाना अपना, वैसे भी घर लोगो से बनता है और जब लोग ही चले गए तो क्या ही घर रहा

मामी- इस बारे में मैं निशा से भी बात करुँगी, मेरी नहीं तो उसकी सुनेगा ही तू

मैं- मेरे मसले कुछ और है मामी, जैसे ही सुलझेंगे मैं यहाँ से चला जाऊंगा. बेशक मेरा मन था पर हवेली को लेकर जैसा बर्ताव भाभी ने किया , अब वो मन नहीं रहा .

मामी- परिवार जैसा भी हो व्यक्ति की सबसे बड़ी शक्ति होता है

मैं- जी तो वो लोग भी रहते है जिनका कोई नहीं होता

मामी- ऐसा क्यों सोचता है तू क्या नहीं है तेरे पास

मैं- कुछ भी तो नहीं मेरे पास .

ना जाने क्या हुआ मुझे , मैं मामी के गले लग गया . कोई कोशिश नहीं की मैंने अपने मन की पीड़ा को आंसू बनके बहने में .

“तू अकेला नहीं है कबीर ” मामी ने मुझे अपने आगोश में भरते हुए कहा. बहुत देर तक एक दुसरे के आगोश में खड़े रहे हम लोग.

“चलना चाहिए हमें ” बोली वो

मैं-मेरे साथ ही रहो

मामी- ऐसे ही

मैं- हाँ, ऐसे ही

मामी-क्या इरादा है

मैं- तुमसे प्यार करने का

मामी- कैसा प्यार करोगे

मैं- जैसा तुम चाहो

मैंने मामी की गांड को सहलाया

मामी- सबके सोने के बाद मिलते है हवेली में

मैंने मामी के चेहरे को ऊपर किया और उसके होंठो को अपने होंठो से जोड़ लिया.

चाहे मैंने मंजू को चोदने का करार किया था पर मामी की चूत मुझे हद से ज्यादा प्यारी थी , आदमी कभी भी उस औरत को नजरंदाज नहीं कर सकता जिसकी चूत सबसे पहले उसने मारी हो जीवन में. खैर, खाना खाने के बाद मैं हवेली पहुँच गया था . मैंने रौशनी की , मामी के आने में समय था तो एक बार फिर मैंने यादो को खंगालने की कोशिश की . एक बार फिर पुराने सामान में हाथ मारने लगा मैं . पिताजी के कमरे को तो बहुत बार देख चूका था मैं , इस बार मैंने कोने वाले कमरे के ताले को तोड़ लिया. धुल मिटटी से भरा ये कमरा जिसमे संदूके रखी थी , कुछ सूटकेस रखे थे.कुछ में पुराने कपडे भरे थे , किसी में रजाई बिस्तर थे पर वो कहते है न की अक्सर कुछ राज उन चारदीवारी में ही छिपे होते है जहाँ आदमी देख कर भी अनदेखा करता है . पुराने सामान में कुछ ऐसा हाथ लगा मुझे जिसे एक पल के लिए मेरे सोचने की शक्ति को कम कर दिया............................




ही कुछ और होती है...... मामी तो waise भी जबरदस्त chudai कराती हैं..... हवेली में 1 बार फिर मामी की आह गूंजेगा.....



Waise मामी और मंजू को 1 साथ भी chod सकते हो.......
 

Tiger 786

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#37

पर वहां एक और आश्चर्य मेरा इंतज़ार कर रहा था मालूम हुआ की जोहरी उसी रात से गायब था जिस दिन रत्ना का अक्सिडेंट हुआ था , कडिया आपस में जुड़ तो रही थी पर छोर नहीं मिल रहा था . कोई तो था जो शिद्दत से चाहता था की मैं उस छोर को ना तलाश कर पाऊ . आखिर कौन था वो जिसे मेरे लौटने से परेशानी हो रही थी सोचते सोच्य्ते मैं गाँव लौट आया.

“कबीर, कहाँ था तू ”मंजू ने पुछा

मैं- उलझा हु अपने आप में , अपने आप को तलाश रहा हु

मंजू- वो दरोगा मिला था मुझे

मैं जानता था किस लिए मिला होगा पर अनजान बनते हुए मैंने मंजू से ही पुछा- क्या चाहिए उसको तुझसे

मंजू- पता नहीं , पर आजकल उसका और मेरा आमना सामना कुछ ज्यादा ही हो रहा है

मैं- पूछ ले फिर उस से क्या चाहता है वो

मंजू- अबकी बार तो पूछ ही लुंगी.

मैं- मुझे लगता है उसे पसंद आ गयी तू

मैंने मंजू के मन की टोह लेनी चाही

मंजू- ना रे , अब कहाँ वो बात रही

मैं- बात ही बात है , तू है ही इतनी खूबसूरत कोई भी दिल हार जाये तुझ पर

मंजू- अब अच्छी नहीं लगती ये बाते, अब नहीं देखती मैं ऐसे सपने

मैं- चल छोड़, बता और कुछ

मंजू- क्या बताये बस रोज का वही नाटक है

मैं- नाटक तो सबके जीवन में है यार, मुझे देख .

मंजू- तुझे ही तो देखती हु आजकल

मैं- घर बनाना है मुझे

मंजू- हवेली तेरी ही है काजल ने तो बस कब्ज़ा किया है

मैं- छोड़ उस बहन की लौड़ी को .

मंजू- उसके कहने से सच कभी बदल तो नहीं जायेगा न

मैं- हवेली के अलावा कहाँ घर बना सकता हु मैं

मंजू- मेरे साथ रह ले

मैं- फिर भी घर तो चाहिए ही मुझे

मंजू- तुझे ठीक लगे तो एक बार बड़े भैया से बात करके देख ले फिर इस मामले में

मैं- तू जानती है फिर भी ऐसा कह रही है.

मंजू- तो फिर लड़ाई लड़ ले अपने हक़ की , छीन ले अपने हक़ को क्योंकि चाहे तो कही भी बस जा पर हवेली तेरे दिल में ही रहेगी, सारी उम्र तडपेगा तू फिर उसके लिए .

मंजू की बात में दम था .

“पिताजी ने हवेली भाभी के नाम क्यों की ये सोच सोच कर मैं पागल हो रहा हु ” मैंने कहा

मंजू- क्या पता साली ने चूत के दम पर अपने नाम लिखवा ली हो. देख कबीर, बुरा मत मानियो पर ऐसा हो सकता है

मैंने हाँ में सर हिला दिया, चूत ऐसी चीज है जो चाहे वो करवा दे और हमारे तो खानदान में चुदाई का बोलबाला था .

मंजू- तू हवेली खरीद ले काजल से पर कमीनी है वो तुझे तडपाना चाहती है इसलिए बेचेगी नहीं

मैं- कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा. वैसे दारू पीयेगी

मंजू- सूखी नहीं चलेगी मुझे और मीट बनायेंगे तो लोग बुरा मानेगे , ताई कहेगी घर में मौत हुई पड़ी है और तुम्हे ये सब करना है.

मैं- कितने दिन और बचे , दिन शुद्ध होने में

मंजू- परसों हो जायेंगे

मैं-जाने वाला तो गया फिर क्यों ये सब तमाशे

मंजू- दस्तूर है दुनिया का

मैं- तू तयारी कर मैं लाता हु समान , आज की रात खेतो पर ही काटेंगे

मंजू- वहां कौन ले जायेगा बर्तन भांडे . ताई तो जाएगी ही चाचा के घर फट से बना लेंगे

मैं- देना नहीं चाहती क्या जो उधर जाने को मना कर रही है

मंजू- ली तो कही भी जा सकती है लेने वाले की हिम्मत होनी चाहिए

मैं- इधर ही पटक लू कहे तो

मंजू- खोल ले नाडा

उसने मेरे गाल पर काटा और भाग गयी. मैं तहे दिल से चाहता था की इस लड़की का घर बस जाये, तमाम खुशिया मिले इसे. किस्मत ये मेरे जैसी ही लिखा कर लाइ थी , मेरे साथ ही इसका भाग्य भी रूठ गया था . छत पर बोतल खोले हम दोनों अपनी महफ़िल लगाये हुए थे की तभी मामी आ गयी.

“कबीर कुछ बात करनी है तुमसे ” मामी ने कहा

मैं- जी

मामी- आओ थोडा बाहर टहल कर आते है

मैंने गिलास को साइड में रखा और मामी के साथ बाहर आ गया.

“क्या बात करनी है ” मैंने कहा

मामी- तुम्हारे चाचा के दिन शुद्ध होने के बाद सारा परिवार बैठ कर तुम्हारे मसले को सुलझेगा

मैं- कैसा मसला

मामी- तुम्हारे हिस्से का , बाकी लोगो में से कोई भी नहीं चाहता की गाँव के लोग कहे की परिवार तुम्हारा हिस्सा मार गया

मैं- परिवार ही नहीं बचा तो हिस्से का क्या करूँगा मैं. सर छिपाने के लिए भला कितनी जगह चाहिए मुझे . निशा के साथ अगर घर बसा मेरा तो हम बना लेंगे आशियाना अपना, वैसे भी घर लोगो से बनता है और जब लोग ही चले गए तो क्या ही घर रहा

मामी- इस बारे में मैं निशा से भी बात करुँगी, मेरी नहीं तो उसकी सुनेगा ही तू

मैं- मेरे मसले कुछ और है मामी, जैसे ही सुलझेंगे मैं यहाँ से चला जाऊंगा. बेशक मेरा मन था पर हवेली को लेकर जैसा बर्ताव भाभी ने किया , अब वो मन नहीं रहा .

मामी- परिवार जैसा भी हो व्यक्ति की सबसे बड़ी शक्ति होता है

मैं- जी तो वो लोग भी रहते है जिनका कोई नहीं होता

मामी- ऐसा क्यों सोचता है तू क्या नहीं है तेरे पास

मैं- कुछ भी तो नहीं मेरे पास .

ना जाने क्या हुआ मुझे , मैं मामी के गले लग गया . कोई कोशिश नहीं की मैंने अपने मन की पीड़ा को आंसू बनके बहने में .

“तू अकेला नहीं है कबीर ” मामी ने मुझे अपने आगोश में भरते हुए कहा. बहुत देर तक एक दुसरे के आगोश में खड़े रहे हम लोग.

“चलना चाहिए हमें ” बोली वो

मैं-मेरे साथ ही रहो

मामी- ऐसे ही

मैं- हाँ, ऐसे ही

मामी-क्या इरादा है

मैं- तुमसे प्यार करने का

मामी- कैसा प्यार करोगे

मैं- जैसा तुम चाहो

मैंने मामी की गांड को सहलाया

मामी- सबके सोने के बाद मिलते है हवेली में

मैंने मामी के चेहरे को ऊपर किया और उसके होंठो को अपने होंठो से जोड़ लिया.

चाहे मैंने मंजू को चोदने का करार किया था पर मामी की चूत मुझे हद से ज्यादा प्यारी थी , आदमी कभी भी उस औरत को नजरंदाज नहीं कर सकता जिसकी चूत सबसे पहले उसने मारी हो जीवन में. खैर, खाना खाने के बाद मैं हवेली पहुँच गया था . मैंने रौशनी की , मामी के आने में समय था तो एक बार फिर मैंने यादो को खंगालने की कोशिश की . एक बार फिर पुराने सामान में हाथ मारने लगा मैं . पिताजी के कमरे को तो बहुत बार देख चूका था मैं , इस बार मैंने कोने वाले कमरे के ताले को तोड़ लिया. धुल मिटटी से भरा ये कमरा जिसमे संदूके रखी थी , कुछ सूटकेस रखे थे.कुछ में पुराने कपडे भरे थे , किसी में रजाई बिस्तर थे पर वो कहते है न की अक्सर कुछ राज उन चारदीवारी में ही छिपे होते है जहाँ आदमी देख कर भी अनदेखा करता है . पुराने सामान में कुछ ऐसा हाथ लगा मुझे जिसे एक पल के लिए मेरे सोचने की शक्ति को कम कर दिया............................
Behtreen update
 

R_Raj

Engineering the Dream Life
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523
109
#37

पर वहां एक और आश्चर्य मेरा इंतज़ार कर रहा था मालूम हुआ की जोहरी उसी रात से गायब था जिस दिन रत्ना का अक्सिडेंट हुआ था , कडिया आपस में जुड़ तो रही थी पर छोर नहीं मिल रहा था . कोई तो था जो शिद्दत से चाहता था की मैं उस छोर को ना तलाश कर पाऊ . आखिर कौन था वो जिसे मेरे लौटने से परेशानी हो रही थी सोचते सोच्य्ते मैं गाँव लौट आया.

“कबीर, कहाँ था तू ”मंजू ने पुछा

मैं- उलझा हु अपने आप में , अपने आप को तलाश रहा हु

मंजू- वो दरोगा मिला था मुझे

मैं जानता था किस लिए मिला होगा पर अनजान बनते हुए मैंने मंजू से ही पुछा- क्या चाहिए उसको तुझसे

मंजू- पता नहीं , पर आजकल उसका और मेरा आमना सामना कुछ ज्यादा ही हो रहा है

मैं- पूछ ले फिर उस से क्या चाहता है वो

मंजू- अबकी बार तो पूछ ही लुंगी.

मैं- मुझे लगता है उसे पसंद आ गयी तू

मैंने मंजू के मन की टोह लेनी चाही

मंजू- ना रे , अब कहाँ वो बात रही

मैं- बात ही बात है , तू है ही इतनी खूबसूरत कोई भी दिल हार जाये तुझ पर

मंजू- अब अच्छी नहीं लगती ये बाते, अब नहीं देखती मैं ऐसे सपने

मैं- चल छोड़, बता और कुछ

मंजू- क्या बताये बस रोज का वही नाटक है

मैं- नाटक तो सबके जीवन में है यार, मुझे देख .

मंजू- तुझे ही तो देखती हु आजकल

मैं- घर बनाना है मुझे

मंजू- हवेली तेरी ही है काजल ने तो बस कब्ज़ा किया है

मैं- छोड़ उस बहन की लौड़ी को .

मंजू- उसके कहने से सच कभी बदल तो नहीं जायेगा न

मैं- हवेली के अलावा कहाँ घर बना सकता हु मैं

मंजू- मेरे साथ रह ले

मैं- फिर भी घर तो चाहिए ही मुझे

मंजू- तुझे ठीक लगे तो एक बार बड़े भैया से बात करके देख ले फिर इस मामले में

मैं- तू जानती है फिर भी ऐसा कह रही है.

मंजू- तो फिर लड़ाई लड़ ले अपने हक़ की , छीन ले अपने हक़ को क्योंकि चाहे तो कही भी बस जा पर हवेली तेरे दिल में ही रहेगी, सारी उम्र तडपेगा तू फिर उसके लिए .

मंजू की बात में दम था .

“पिताजी ने हवेली भाभी के नाम क्यों की ये सोच सोच कर मैं पागल हो रहा हु ” मैंने कहा

मंजू- क्या पता साली ने चूत के दम पर अपने नाम लिखवा ली हो. देख कबीर, बुरा मत मानियो पर ऐसा हो सकता है

मैंने हाँ में सर हिला दिया, चूत ऐसी चीज है जो चाहे वो करवा दे और हमारे तो खानदान में चुदाई का बोलबाला था .

मंजू- तू हवेली खरीद ले काजल से पर कमीनी है वो तुझे तडपाना चाहती है इसलिए बेचेगी नहीं

मैं- कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा. वैसे दारू पीयेगी

मंजू- सूखी नहीं चलेगी मुझे और मीट बनायेंगे तो लोग बुरा मानेगे , ताई कहेगी घर में मौत हुई पड़ी है और तुम्हे ये सब करना है.

मैं- कितने दिन और बचे , दिन शुद्ध होने में

मंजू- परसों हो जायेंगे

मैं-जाने वाला तो गया फिर क्यों ये सब तमाशे

मंजू- दस्तूर है दुनिया का

मैं- तू तयारी कर मैं लाता हु समान , आज की रात खेतो पर ही काटेंगे

मंजू- वहां कौन ले जायेगा बर्तन भांडे . ताई तो जाएगी ही चाचा के घर फट से बना लेंगे

मैं- देना नहीं चाहती क्या जो उधर जाने को मना कर रही है

मंजू- ली तो कही भी जा सकती है लेने वाले की हिम्मत होनी चाहिए

मैं- इधर ही पटक लू कहे तो

मंजू- खोल ले नाडा

उसने मेरे गाल पर काटा और भाग गयी. मैं तहे दिल से चाहता था की इस लड़की का घर बस जाये, तमाम खुशिया मिले इसे. किस्मत ये मेरे जैसी ही लिखा कर लाइ थी , मेरे साथ ही इसका भाग्य भी रूठ गया था . छत पर बोतल खोले हम दोनों अपनी महफ़िल लगाये हुए थे की तभी मामी आ गयी.

“कबीर कुछ बात करनी है तुमसे ” मामी ने कहा

मैं- जी

मामी- आओ थोडा बाहर टहल कर आते है

मैंने गिलास को साइड में रखा और मामी के साथ बाहर आ गया.

“क्या बात करनी है ” मैंने कहा

मामी- तुम्हारे चाचा के दिन शुद्ध होने के बाद सारा परिवार बैठ कर तुम्हारे मसले को सुलझेगा

मैं- कैसा मसला

मामी- तुम्हारे हिस्से का , बाकी लोगो में से कोई भी नहीं चाहता की गाँव के लोग कहे की परिवार तुम्हारा हिस्सा मार गया

मैं- परिवार ही नहीं बचा तो हिस्से का क्या करूँगा मैं. सर छिपाने के लिए भला कितनी जगह चाहिए मुझे . निशा के साथ अगर घर बसा मेरा तो हम बना लेंगे आशियाना अपना, वैसे भी घर लोगो से बनता है और जब लोग ही चले गए तो क्या ही घर रहा

मामी- इस बारे में मैं निशा से भी बात करुँगी, मेरी नहीं तो उसकी सुनेगा ही तू

मैं- मेरे मसले कुछ और है मामी, जैसे ही सुलझेंगे मैं यहाँ से चला जाऊंगा. बेशक मेरा मन था पर हवेली को लेकर जैसा बर्ताव भाभी ने किया , अब वो मन नहीं रहा .

मामी- परिवार जैसा भी हो व्यक्ति की सबसे बड़ी शक्ति होता है

मैं- जी तो वो लोग भी रहते है जिनका कोई नहीं होता

मामी- ऐसा क्यों सोचता है तू क्या नहीं है तेरे पास

मैं- कुछ भी तो नहीं मेरे पास .

ना जाने क्या हुआ मुझे , मैं मामी के गले लग गया . कोई कोशिश नहीं की मैंने अपने मन की पीड़ा को आंसू बनके बहने में .

“तू अकेला नहीं है कबीर ” मामी ने मुझे अपने आगोश में भरते हुए कहा. बहुत देर तक एक दुसरे के आगोश में खड़े रहे हम लोग.

“चलना चाहिए हमें ” बोली वो

मैं-मेरे साथ ही रहो

मामी- ऐसे ही

मैं- हाँ, ऐसे ही

मामी-क्या इरादा है

मैं- तुमसे प्यार करने का

मामी- कैसा प्यार करोगे

मैं- जैसा तुम चाहो

मैंने मामी की गांड को सहलाया

मामी- सबके सोने के बाद मिलते है हवेली में

मैंने मामी के चेहरे को ऊपर किया और उसके होंठो को अपने होंठो से जोड़ लिया.

चाहे मैंने मंजू को चोदने का करार किया था पर मामी की चूत मुझे हद से ज्यादा प्यारी थी , आदमी कभी भी उस औरत को नजरंदाज नहीं कर सकता जिसकी चूत सबसे पहले उसने मारी हो जीवन में. खैर, खाना खाने के बाद मैं हवेली पहुँच गया था . मैंने रौशनी की , मामी के आने में समय था तो एक बार फिर मैंने यादो को खंगालने की कोशिश की . एक बार फिर पुराने सामान में हाथ मारने लगा मैं . पिताजी के कमरे को तो बहुत बार देख चूका था मैं , इस बार मैंने कोने वाले कमरे के ताले को तोड़ लिया. धुल मिटटी से भरा ये कमरा जिसमे संदूके रखी थी , कुछ सूटकेस रखे थे.कुछ में पुराने कपडे भरे थे , किसी में रजाई बिस्तर थे पर वो कहते है न की अक्सर कुछ राज उन चारदीवारी में ही छिपे होते है जहाँ आदमी देख कर भी अनदेखा करता है . पुराने सामान में कुछ ऐसा हाथ लगा मुझे जिसे एक पल के लिए मेरे सोचने की शक्ति को कम कर दिया............................


Nice Update bro!

AB ye jauhari kaha gayab ho gya, aur kisne gayab kar diya
To daroga manju ke pichhe lattu ki tarah ghum raha hai
Aaj Mami ke chut ke chakkar me kya hath lag gya !
 
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