#37
पर वहां एक और आश्चर्य मेरा इंतज़ार कर रहा था मालूम हुआ की जोहरी उसी रात से गायब था जिस दिन रत्ना का अक्सिडेंट हुआ था , कडिया आपस में जुड़ तो रही थी पर छोर नहीं मिल रहा था . कोई तो था जो शिद्दत से चाहता था की मैं उस छोर को ना तलाश कर पाऊ . आखिर कौन था वो जिसे मेरे लौटने से परेशानी हो रही थी सोचते सोच्य्ते मैं गाँव लौट आया.
“कबीर, कहाँ था तू ”मंजू ने पुछा
मैं- उलझा हु अपने आप में , अपने आप को तलाश रहा हु
मंजू- वो दरोगा मिला था मुझे
मैं जानता था किस लिए मिला होगा पर अनजान बनते हुए मैंने मंजू से ही पुछा- क्या चाहिए उसको तुझसे
मंजू- पता नहीं , पर आजकल उसका और मेरा आमना सामना कुछ ज्यादा ही हो रहा है
मैं- पूछ ले फिर उस से क्या चाहता है वो
मंजू- अबकी बार तो पूछ ही लुंगी.
मैं- मुझे लगता है उसे पसंद आ गयी तू
मैंने मंजू के मन की टोह लेनी चाही
मंजू- ना रे , अब कहाँ वो बात रही
मैं- बात ही बात है , तू है ही इतनी खूबसूरत कोई भी दिल हार जाये तुझ पर
मंजू- अब अच्छी नहीं लगती ये बाते, अब नहीं देखती मैं ऐसे सपने
मैं- चल छोड़, बता और कुछ
मंजू- क्या बताये बस रोज का वही नाटक है
मैं- नाटक तो सबके जीवन में है यार, मुझे देख .
मंजू- तुझे ही तो देखती हु आजकल
मैं- घर बनाना है मुझे
मंजू- हवेली तेरी ही है काजल ने तो बस कब्ज़ा किया है
मैं- छोड़ उस बहन की लौड़ी को .
मंजू- उसके कहने से सच कभी बदल तो नहीं जायेगा न
मैं- हवेली के अलावा कहाँ घर बना सकता हु मैं
मंजू- मेरे साथ रह ले
मैं- फिर भी घर तो चाहिए ही मुझे
मंजू- तुझे ठीक लगे तो एक बार बड़े भैया से बात करके देख ले फिर इस मामले में
मैं- तू जानती है फिर भी ऐसा कह रही है.
मंजू- तो फिर लड़ाई लड़ ले अपने हक़ की , छीन ले अपने हक़ को क्योंकि चाहे तो कही भी बस जा पर हवेली तेरे दिल में ही रहेगी, सारी उम्र तडपेगा तू फिर उसके लिए .
मंजू की बात में दम था .
“पिताजी ने हवेली भाभी के नाम क्यों की ये सोच सोच कर मैं पागल हो रहा हु ” मैंने कहा
मंजू- क्या पता साली ने चूत के दम पर अपने नाम लिखवा ली हो. देख कबीर, बुरा मत मानियो पर ऐसा हो सकता है
मैंने हाँ में सर हिला दिया, चूत ऐसी चीज है जो चाहे वो करवा दे और हमारे तो खानदान में चुदाई का बोलबाला था .
मंजू- तू हवेली खरीद ले काजल से पर कमीनी है वो तुझे तडपाना चाहती है इसलिए बेचेगी नहीं
मैं- कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा. वैसे दारू पीयेगी
मंजू- सूखी नहीं चलेगी मुझे और मीट बनायेंगे तो लोग बुरा मानेगे , ताई कहेगी घर में मौत हुई पड़ी है और तुम्हे ये सब करना है.
मैं- कितने दिन और बचे , दिन शुद्ध होने में
मंजू- परसों हो जायेंगे
मैं-जाने वाला तो गया फिर क्यों ये सब तमाशे
मंजू- दस्तूर है दुनिया का
मैं- तू तयारी कर मैं लाता हु समान , आज की रात खेतो पर ही काटेंगे
मंजू- वहां कौन ले जायेगा बर्तन भांडे . ताई तो जाएगी ही चाचा के घर फट से बना लेंगे
मैं- देना नहीं चाहती क्या जो उधर जाने को मना कर रही है
मंजू- ली तो कही भी जा सकती है लेने वाले की हिम्मत होनी चाहिए
मैं- इधर ही पटक लू कहे तो
मंजू- खोल ले नाडा
उसने मेरे गाल पर काटा और भाग गयी. मैं तहे दिल से चाहता था की इस लड़की का घर बस जाये, तमाम खुशिया मिले इसे. किस्मत ये मेरे जैसी ही लिखा कर लाइ थी , मेरे साथ ही इसका भाग्य भी रूठ गया था . छत पर बोतल खोले हम दोनों अपनी महफ़िल लगाये हुए थे की तभी मामी आ गयी.
“कबीर कुछ बात करनी है तुमसे ” मामी ने कहा
मैं- जी
मामी- आओ थोडा बाहर टहल कर आते है
मैंने गिलास को साइड में रखा और मामी के साथ बाहर आ गया.
“क्या बात करनी है ” मैंने कहा
मामी- तुम्हारे चाचा के दिन शुद्ध होने के बाद सारा परिवार बैठ कर तुम्हारे मसले को सुलझेगा
मैं- कैसा मसला
मामी- तुम्हारे हिस्से का , बाकी लोगो में से कोई भी नहीं चाहता की गाँव के लोग कहे की परिवार तुम्हारा हिस्सा मार गया
मैं- परिवार ही नहीं बचा तो हिस्से का क्या करूँगा मैं. सर छिपाने के लिए भला कितनी जगह चाहिए मुझे . निशा के साथ अगर घर बसा मेरा तो हम बना लेंगे आशियाना अपना, वैसे भी घर लोगो से बनता है और जब लोग ही चले गए तो क्या ही घर रहा
मामी- इस बारे में मैं निशा से भी बात करुँगी, मेरी नहीं तो उसकी सुनेगा ही तू
मैं- मेरे मसले कुछ और है मामी, जैसे ही सुलझेंगे मैं यहाँ से चला जाऊंगा. बेशक मेरा मन था पर हवेली को लेकर जैसा बर्ताव भाभी ने किया , अब वो मन नहीं रहा .
मामी- परिवार जैसा भी हो व्यक्ति की सबसे बड़ी शक्ति होता है
मैं- जी तो वो लोग भी रहते है जिनका कोई नहीं होता
मामी- ऐसा क्यों सोचता है तू क्या नहीं है तेरे पास
मैं- कुछ भी तो नहीं मेरे पास .
ना जाने क्या हुआ मुझे , मैं मामी के गले लग गया . कोई कोशिश नहीं की मैंने अपने मन की पीड़ा को आंसू बनके बहने में .
“तू अकेला नहीं है कबीर ” मामी ने मुझे अपने आगोश में भरते हुए कहा. बहुत देर तक एक दुसरे के आगोश में खड़े रहे हम लोग.
“चलना चाहिए हमें ” बोली वो
मैं-मेरे साथ ही रहो
मामी- ऐसे ही
मैं- हाँ, ऐसे ही
मामी-क्या इरादा है
मैं- तुमसे प्यार करने का
मामी- कैसा प्यार करोगे
मैं- जैसा तुम चाहो
मैंने मामी की गांड को सहलाया
मामी- सबके सोने के बाद मिलते है हवेली में
मैंने मामी के चेहरे को ऊपर किया और उसके होंठो को अपने होंठो से जोड़ लिया.
चाहे मैंने मंजू को चोदने का करार किया था पर मामी की चूत मुझे हद से ज्यादा प्यारी थी , आदमी कभी भी उस औरत को नजरंदाज नहीं कर सकता जिसकी चूत सबसे पहले उसने मारी हो जीवन में. खैर, खाना खाने के बाद मैं हवेली पहुँच गया था . मैंने रौशनी की , मामी के आने में समय था तो एक बार फिर मैंने यादो को खंगालने की कोशिश की . एक बार फिर पुराने सामान में हाथ मारने लगा मैं . पिताजी के कमरे को तो बहुत बार देख चूका था मैं , इस बार मैंने कोने वाले कमरे के ताले को तोड़ लिया. धुल मिटटी से भरा ये कमरा जिसमे संदूके रखी थी , कुछ सूटकेस रखे थे.कुछ में पुराने कपडे भरे थे , किसी में रजाई बिस्तर थे पर वो कहते है न की अक्सर कुछ राज उन चारदीवारी में ही छिपे होते है जहाँ आदमी देख कर भी अनदेखा करता है . पुराने सामान में कुछ ऐसा हाथ लगा मुझे जिसे एक पल के लिए मेरे सोचने की शक्ति को कम कर दिया............................