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Incest तू लौट के आजा मेरे लाल

sunoanuj

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chapter 80

आसा मिनिता अपनी दुख दर्द भरी कहानी एक दूसरे को सुना के अपने दिल का बोझ हल्का कर चुके थे

मिनिता आसा को देखते हुवे - दीदी आपने जब बताया आपका भी कोई मेरे जैसा बुरा पास्ट् है और आप अभय को बताने वाली है तो मुझे भी लगा आपके साथ दुख अपनी कहानी बता के अपना बोझ हल्का कर लू अब मुझे अच्छा फिल हो रहा है

आसा - मिनिता अब सर भूल जाओ बुरे पास्ट् को और आगे बढ़ो

तभी अदिति आती है होठ से लाल लीबिस्तिक गायब थे होठ पे हल्का खून निकल रहा था लेकिन थोरा अंधेरा था तो साफ दिख नही रहा था


अदिति आसा मिनिता के पास आते हुवे - मा ऑन्टी किया बाते हो रही है
मिनिता अदिति को देख - कुछ नही बेटा
आसा अदिति को देख - लाला कहा है
अदिति एक तरफ इसारा करते हुवे - वहा बैठे हुवे है

आसा - अच्छा तुम दोनो कैप मे जाओ मे आती हु
मिनिता अदिति कैप मे सब के पास चले जाते है आसा अभय के पास जाने लगती है

हम थोरा पीछे चलते है

अदिति अभय अपने भाई की गोद मे चिपक के बैठी थी अभय अपनी बहन की मस्त मोटी गांड मोटी जांघे बुर बॉडी की गर्मी खुशबु और सीने मे दबे दोनो बरे मुलायम नर्म चुचे फिल कर अलग ही मजे मे था

अभय अदिति के चेहरे एकदम आमने सामने थे थोरा अंधेरा थोरि रोसनी थी पर एक दूसरे को देख सकते थे

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अभय अदिति के गाल पे हाथ फेरते हुवे अदिति के आखो मे देख - बता नही कोन किस्मत वाला होगा जिसे मेरी गुरिया अपने लाइफ पाटनर चुनेगी
अदिति अभय की आखो मे देखते हुवे - भाई सोचती होगी कई लरकिया अपने लाइफ पाटनर के बारे मे लेकिन मेरे लिये आप सबसे पहले है मे बिना सादी लाइफ पाटनर बिना रह सकती हु लेकिन आपसे दूर बिल्कुल नही

अभय अदिति के खूबसूरत चेहरे को देख - सादी तो हर लरकी को एक ना एक दिन करनी ही होती है गुरिया सादी नही करोगी तो मे मामा कैसे बनूँगा
अदिति अभय की बातो से शर्मा जाती है लाल गाल नजरे नीचे कर - पर मुझे आपसे दूर नही जाना
अभय मुस्कुराते हुवे - घर जमाई लेके आयुगा फिर
अदिति अभय को देख -भाई ये सब बाते जाने दो

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अभय अदिति की आखो देखता है फिर अदिति के लाल गुलाबी खूबसूरत होठो पे उंगली फेरते हुवे - ठीक है तो आज अभी आपने भाई को अपने होठ का रस पिला दे मेरी गुरिया तरस रहा हु कब से
अपने भाई की बाते सुन अदिति का हाई जोर से धक धक करने लगता है सासे तेज चलने लगती है अदिति के बॉडी आज कुछ अलग फिल करने लगती है
अदिति तेज सासे लेते अभय की आखो देख - मे अपने भाई को कैसे तरसा सकती हु पी लीजिये मेरे होठ का रस भाई

अभय अदिति के चेहरे को पकरे अपना चेहरा अदिति के एकदम पास लेके आता है अदिति के नाक से अभय अपना नाक टच कर देता है दोनो एक दूसरे की आखो मे देखने लगते है दोनो के होठ खुले एक दूसरे से मिलने के लिये बेताब हो रहे थे अदिति अभी जो फिल कर रही थी जो फीलिंग अंदर से निकल रही थी सब नया था आज कुछ अलग होने वाला था जो एक भाई बहन के बीच नही होता

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अभय अदिति की आखो मे देखते हुवे - हम जो करने जा रहे है वो एक पति पत्नी या लोवर के बीच होता है तो फिर भी तुम करना चाहती हो
अदिति अभय की आखो मे देख - भाई जानती हु इतना तो पता है लेकिन बात मेरे भाई को किस देने की है तो सोचिये मत

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अभय अपना होठ अदिति के होठ पे टच करते हुवे - पहला हक तुम अपने भाई को दे रही हो मे किस्मत वाला हु
अभय की बात अभय के होठ अपने होठ पे फिल करते हुवे तेज सासे लेते हुवे - हा दे रही हु कियुंकी मे चाहती हु
अभय अदिति एक दूसरे की आखो मे देख खो जाते है और फिर दो भाई बहन के होठ एक दूसरे के होठ से मिल जाते है

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दोनो भाई बहन जैसे प्यासे की तरह एक दूसरे को किस करने लगते है पहले दोनो एक दूसरे के होठ लीप चूसने लगते है जोर सोर से
अदिति किस करते हुवे मन मे - उफ ये किस सब से अलग है ये एहसास अपने भाई के गोद मे बाहों मे किस करने का उफ मे इस मोमेंट ने जो फिल कर रही हु बताना मुश्किल है

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किस धीरे धीरेवाइल्ड होने लगती है अब दोनो भाई बहन एक दूसरे के जिब से जिब मिला के जिब होठ चूस रस पीने लगते है अभय अदिति के कमर कस के पाकरे सीने से चिपकाये रस पीते हुवे - दुनिया का सब से मीठा रस मा बहन के होठ का ही हो सकता है जो मजा जो सुकून मा बहन के होठ का रस पीने मे मिलता है शब्द से बया नही किया जा सकता मेरी गुरिया के होठ कितने नर्म है रस तो अमृत है

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किस अब पुरा वाइल्ड हो जाता है अब तो दोनो भाई बहन जिब बाहर निकाल एक दूसरे के जिब को चाटने लगते है चूसने लगते है
अदिति मन मे - आह उफ तो ये होती है असली किस मुझे बहोत हि जयदा मजा आ रहा है मेरे भाई कैसे मजे से मेरे जिब चाट चूस रहे है मुझे बहोत अच्छा लग रहा है भाई के साथ किस करने में भाई पिलो जितना पीना है चूस लो आह भाई मेरे प्यारे भाई
2 mina जोर दार किस चलती है अभय अदिति के होठ चूस रहा था लेकिन हल्का दात लग जाता अदिति आह करती है

अभय किस तोरते हुवे जल्दी से अदिति के होठ छूके देखते हुवे - माफ करना गुरिया जोस मे तुम्हे लग गई
अदिति मुस्कुराते हुवे शर्मा के - भाई कुछ नही हुवा
अभय देखता है होठ से हल्का खून निकल रहा है तो अभय जिब से चाट जाता है अदिति जोर से सिसकिया लेते आह करती है

अभय अदिति के चेहरे पकर आखो मे देख - अपने भाई को पहला हक अपने होठ का रस पिलाने के लिये सुक्रिया मेरी गुरिया
अदिति लाल चेहरा लिये नजरे नीचे किये - भाई सुक्रिया मत करिये
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है पर ये तो बताओ कैसा लगा
अदिति सर्म से धीरे से - बहोत जी जयदा अच्छा लगा

अदिति गोद से उतर नीचे खरी होके अभय के होठ पे किस करके शर्मा के - मे जा रही हु करेगे मे कहा गायब हो गई
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है लेकिन आगे भी मिलेगा ना
अदिति शर्मा के जाते हुवे - सोचुगी

अदिति चली जाती अभय मन मे - लो गुरिया को भी ये बीमारी लग लग सोचने वाली

तो ये सब हुआ अब आते है अभी के सीन पे आसा अभय के पास आती है अभय आसा को देख मुस्कुराते हुवे - मेरी प्यारी खूबसूरत मा आपका ही इंतज़ार था आइये

आसा अभय के पास आके खरी हो जाती है अभय को देख मुस्कुराते हुवे - अच्छा वो कुछ भला
अभय मुस्कुराते हुवे - प्यार करना है

आसा नीचे झुक दोनो हाथो से अपनी सारी पेटीकोट के छोर पकर अपने घुटने तक उठा लेती है अभय अपनी ना के गोरे पैर देखने लगता है आसा आगे बढ़ दोनो पैर फैला के अभय के जांघों के ऊपर आ जाती है फिर सारी नीचे कर अपनी मोटी फैली मस्त नर्म गांड के साथ अभय के जांघों पे बैठ अभय के कंधे पे दोनो हाथ रख देती है

अभय आसा को देख मुस्कुराते हुवे - सही जगह पे नही बैठी है आप मजा नही आ रहा है

आसा अभय को देख मुस्कुराते हुवे अपनी गांड थोरा उठा के सीधा अभय के लंड पे बैठ जाती हो अभय आह करता है आसा भी कामुक् आह करती है

अभय धीरे से पेट पे हाथ रख सेहलाते हुवे दोनो हाथ आसा के पीछे ले जाने लगता है अपने बेटे के पेट के बेटे का हाथ फेरते फिल कर आसा सिसकिया लेने लगती है अभय का दोनो हाथ पीछे जाके एक दूसरे से मिल जाता है फिर अभय एकदम से आसा को अपने सीने बॉडी से चिपका लेता है बीच में कोई गेप नही था दोनो मा बेटे कि बॉडी एक दूसरे से चिपकी हुई थी दोनो के चेहरे एक दूसरे के एकदम पास मे थे

अभय आसा की आखो मे देख - मा पता मे अभी किया फिल कर रहा हुई
आसा अभय की आखो मे देख - नही पता तुम हि बता दो
अभय - कैसे बताऊं खुल के या बिना खुले
आसा अपने बेटे की बात समझ -जैसा तुम्हे सही लगे
अभय - नही आप बोलो मेरी मा जो चाहेगी
आसा थोरा शर्मा के - खुल के
अभय मुस्कुराते हुवे - तो सुनिये मेरी गोद मे सबसे खूबसूरत प्यारी मेरी मा बैठी है आपकी शरीर की खुबसु मुझे बहोत पसंद है आपकी बॉडी की गर्मी मुझे पागल करने लगता है आपकी आखे इतनी नासिलि की जब देखता हु कही खो जाता हु आपका खूबसूरत चेहरा जिसे दिन रात हर वक़्त देखते ही रहने का मन करता है आपके ये रसीले होठ देखता हुई प्यास जग जाती है पीने का दिल करने लगता है आपकी भरी बॉडी बनाने वाले ने बहोत फुर्सत से बनाया है आपकी कमर गहरी जब देखता हुई चुने चूमने का दिल करता है जब आप चलती है आपकी कमर लचकाके कयामत लगती है अभी आप जिस तरह मेरी गोद मे जिस जगह बैठी है

अभय रुक आसा को देखता हि रहता है आसा बरे गोर से अपने बेटे के मुह से अपनी तारीफ सुन गदगद हो गई थी अभय को चुप देख - रुक कियु गया आगे
अभय आसा की आखो मे देख - जगह खूबसूरत है सांत है लेकिन हम अकेले नही है घर पे रात को जब मे आता हुई तब खुल की बाकी सब जो मे फिल करता हु बताऊंगा

आसा मुस्कुराते हुवे - ठीक है फिर
अभय मुस्कुराते हुवे - फिल्हाल आपकी गुफा की गर्मी मेरे केले का बेचैन कर रही है और आपके मस्त नर्म बरे पपीते भी

आसा शर्मा के - बेसरम

अभय - मा सुसु की आवाज सुनाओ ना
आसा एकदम से शर्मा के - बेसरम नही लगी है कैसे सुनाऊ
अभय निरास होके - अच्छा
आसा अभय के होठ पे किस करते हुवे - चल सुनाती हु कितना बेशर्म हो गया है जब से सुनाया है रोज पीछे पर जाता है

अभय खुश होके - तो देर किस बात की

आसा अभय के गोद से नीचे खरी होके पास पास एक जगह देख वही खरी हो जाती है फिर अभय को देखते हुवे सारी पेटीकोट उपर करने लगती है अभय एकदम आसा के पास आके नीचे बैठ जाता है आसा लाल चेहरा लिये घुटने से उपर तक सारी कर देती है

अभय देखता है गोरी टांगे फिर आसा का देख आखे बंद कर लेती है आसा पैंटी नीचे कर पुरा सारी उठा के बैठ जाती है बुर पे काले बाल मस्त लग रहे थे कमाल का सीन था एक मा नंगी नीचे से पिसाब करने बैठी है उसके एकदम सामने उसका बेटा बैठा है आख बंद किये

आसा अभय के चेहरे आमने सामने थे आसा अभय को देख मन मे - मेरे लाला के जगह कोई और होता तो कब का मेरे साथ कुछ करने या देखने की कोसिस करता लेकिन मेरा लाला कितना अच्छा है चाहता तो चोरी छुपे सब देख सकता था लेकिन देखो कैसे कस के आखे बंद किये है लाला अपने आप को अच्छे से रोकना अपने पे काबू रखना जनता है इसी लिये तो मे भी बिना सोचे सब करने लगती हु

आसा परेसर् बनाती हैं फिर जोर से एक धार निकलती है सुई सुई अभय सांत आवाजे सुनने लगता हैं आसा पिसाब करते अभय को हि देख रही थी आसा मन मे - एक मा होने के नाते ये सब गलत हैं लेकिन मेरे लिये मेरे लाल की खुशी जरूरी है ऐसा नही मे करना नही चाहती या मे मर्ज़ी से नही करती पर मेरी लिमिट के अंदर सब करुगी

आसा पिसाब कर लेती हो बुर से एक एक बूंद नीचे टपक रहा था कुछ बूंद बुर के बाल पे अटक गये थे आसा उतने वाले होती है लेकिन अभय - नही बैठी रहिये
आसा बैठी रहती है और अभय को देख - ठीक है
अभय अपना हाथ आख बंद किये आसा के चेहरे के पास ले जाता है अभय आसा के होठ छुटा है फिर आगे झुक किस करने लगता है

आसा नीचे से नंगी थी अभय किस करने लगता है आज का किस भी अलग की था आसा सर्म से पानी पानी हो जाती लेकिन फिर मुस्कुराते हुवे अभय का साथ देने लगती है दोनो एक दूसरे के होठ जिब चूस के रस पीने लगते हैं आसा आगे झुकी थी जिस वजह से पीछे आसा के बरे गांड उठे मस्त लग रहे थे 2 मिनट बाद किस टूटता है

अभय आखे बंद किये - आज का किस मा मे कभी नही भूलूंगा
आसा शर्म से - मे भी नही अब उठ जाऊ
अभय खरा होके - हा
आसा खरी होके पैंटी पहन सारी नीचे कर - हो गया
अभय आखे खोल नीचे देखता है तो आसा जल्दी से एकदम सामने आके सर्म से - किया देख रहा है चल चलते है
अभय मुस्कुराते हुवे - छेद कर दिया आपने तो
आसा सर्म से पानी पानी हो जाती है

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अभय आसा के के गर्दन को चूमने किस करने लगता है आसा जोर से सिसकिया लेती है अभय चूमते किस करते हुवे - आह मा आप बहोत सेक्सी है
आसा जोर जोर से सासे सिसकिया लेते - उफ आह बेटा उफ तुम भी मेरे लाल

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अभय फिर आसा के पीछे गांड पे लंड सता के आसा को बाहों मे कस के पकरे गर्दन को चूसने लगता है चाटने लगता आसा मुठी कस जोर से - आह उफ बेटा आह सिसकिया लेती बोलती रहती है अभय फिर एकदम से रुक जाता है

अभय आस को देख - मा चलते हैं नही तो बोलने कहा मा बेटे गायब हो गये प्यार तो और करता था लेकिन कल घर पे आराम से करूँगा
आसा जोर जोर सासे लेते हुवे मन मे - आह मा ये लरका मेरे अंग को ऐसे चाटता है जैसे मेरी बॉडी अंग आइस्कृम हो उफ मेरी बॉडी मचल मदहोस मे चली जाती है आह लेकिन मुझे लाला का टच छूना चूमना किस चाटना बहोत सुकून देता है अभय को देख
आसा हस्ते हुवे - ठीक है कर लेना मेरे लाल अब चल

अभय आस कैप के अंदर आते है मोटा रुई वाला मस्त बिस्तर सब का एक साथ मे लगा था सब एक जगह गोल बैठ बाते करने मे लगे थे
अभय आसा आके बैठ जाते है

अदिति मधु आसा के पास आके बाहों को पकर चिपक के बैठ जाती है धीरे धीरे सब एक गोल लाइन बना के बैठ जाते है सब एक दूसरे के आमने सामने थे

अभय सभी को देखते हुवे - आप सब को मजा आ रहा है या नही
अदिति मधु पूजा जोर से हाथ उपर कर चिल्लाते हुवे - हमे बहोत मजा आ रहा हैं

सभी जल्दी से अपने कान बंद कर लेते है
मिनिता - हद हैं ये बच्चे भी ना
आसा हस्ते हुवे - सब बहोत खुश है इस लिये
अभय नितिका मिका को देख - आप दोनो को अच्छा तो लग रहा है ना
नितिका अभय का देख - बेटा पहली बार इतना मजा आया मुझे सुक्रिया अपने साथ सामिल करने के किये सब के साथ एक फैमिली पिकनिक का मजा ही अलग है

मिका अभय को देख - मुझे भी बहोत अच्छा लग रहा है मजा भी बहोत आ रहा है मे तो कहती हु फिर कभी ऐसा प्लान बनाओ तो जरूर बुलाना हमे
अभय हस्ते हुवे - ठीक है

अभय तारा का देख - मेरी प्यारी मम्मी जी कुछ बोलिये
तारा सब को देखती हो फिर - अपनी बेटी दमाद समधन आप सभी के साथ इस खूबसूरत सांत जगह पिकनिक पे आके आज मे पहली बार इतना अच्छा सुकून फिल कर रही हु जिदंगी मे अब तक

अभय बीच मे तारा को देख - समझ सकता हु मेरी मा ने भी बहोत कुछ झेला है अपने भी मुझे लगता है मिनिता ऑन्टी नितिका ऑन्टी मा आप छोटी मा हर किसी ने कुछ ना कुछ झेला है जानती हो एक औरत सब कुछ झेल सकती है अपने बच्चो के लिये

अभय आसा को देख प्यार से - मेरी मा ने सब बहोत कुछ झेला दर्द सहा लेकिन हमे कोई तकलीफ नही होने दी मा मे आपके बहोत प्यार करता हु
आसा इमोसनल होके अभय को देख - मे भी मेरे बच्चे

अभय - तो हम मजे करने आये तो मजे करते है सब बुरे पल यादों को पीछे छोर भूल के मजे करते है

सभी हा करते है

अभय आसा को देख - मा मुझे फिर जाना होगा
अभय की बात सभी को शोक कर देती है फिर सभी हैरान होके अभय को देखने लगते है

दिशा मुह फुला के - हा हा जहा जाना है जाइये रोका किसने है
अदिति हैरान होके - भाई नही अब आपको कही जाने नही दूंगी
मधु अभय की बाहों को कस के पकरे - दीदी ने सही कहा कुछ दिन पहले ही तो आये थे अब फिर जाने की बात मत कीजिये

पूजा मुह बना के - दीदी जीजा जी को आपकी परवाह हि नही है
तारा पूजा को मारते हुवे - चुप कर जरुर कुछ जरूरी कम होगा नही तू दामाद जी खुद समधन अदिति बेटा सब से दूर नही जाते

मिनिता तारा को देख - आपने सही कहा अभय बेटा बता वजह किया है इस बार जाने का

नितिका मन मे - फिर जा रहा है मुझे छोर के अब पता नही कर आयेगा मे कैसे तुम्हे देखे बगैर रहूगी
मीका मन मे - अब कहा जाने वाला है ये कमीना
सिला अभय को देख - बता बेटा कहा कियु कितने दिन के लिये जाने वाला है

आसा सभी को देख - अपनी बुआ मासी के यहा टूटे रिश्ते को सही करने के लिये

आसा की बात सुन सब हैरान होके - क्या
अदिति हैरान होके - बुआ मासी मे तो उन लोगो को भूल हि गई थी
आसा सभी को देख - कुछ वजह से रिश्ते टूट गये मे भी बच्चो के पालन मे लग गई तो रिश्ते सही नही कर पाई

अभय - हा बुआ मासी के यहा जाके सब सही करना है छोटा था याद भी नही बुआ मासी सब कैसे दिखते है और अब कैसे है

दिशा हैरान होके - मासी बुआ मम्मी जी
आसा - हा अभय की मासी बुआ भी है उस समय अभय अदिति सब छोटे थे तो कुछ याद नही होगा

तारा हैरान होके - अच्छा तो ये वजह तो बहोत बरी है
सिला - हा अभय बेटा तुझे जाना ही चाहिये अपने तो अपने होते है
मिनिता - हा अभय बेटा ये वजह है तो जा सब सही करके ही आना
नितिका मन मे - अच्छा तो ये वजह है तब तो जाना हि चाहिये
मीका मन मे - रिश्ते की कीमत लगाई नही जा सकती
कोमल - ठीक है लेकिन कई साल हो गये है रिश्ते आसानी से जुर् नही जायेंगे टाइम तो लगेगा ही

आसा - कोमल बेटा तुमने सही कहा टाइम तो लगेगा लेकिन मुझे अपने लाला पे भरोसा ही जल्दी ही सब ठीक कर देगा कियु लाला
अभय मुस्कुराते हुवे - बिल्कुल मा

अदिति अभय को देख प्यार से - भाई अगर ऐसा है तो मे भी आपके साथ जाउंगी
मधु भी प्यार से - भाई मे भी
पूजा भी प्यार से - जीजा जी मे भी
अभय तीनों को देख - नही तो नही लेकिन जैसे ही सब सही होगा हम सब जायेंगे
अदिति मधु पूजा उदास होके - ठीक है
सिला - बस ये बेकार चेहरा मत बनाओ लाला मजे नही जरूरी काम से जा रहा है
अदिति मधु पूजा - जी समझ गये

अभय - कुछ दिन बाद जाऊंगा लेकिन मे जल्दी ही सब सही करके आऊँगा बुआ मासी को लेके

आसा - ठीक है बेटा जा सकता है मे खुद चाहती हु जाये

कुछ देर बाते होने के बाद सोने का वक़्त हो जाता है

आसा - चलो सोते है आधी रात हो गई है

अदिति दिशा को देख - भाभी आज तो मे भाई के साथ सोने वाली हु
मधु दिशा को देख - मे भी भाभी आज आपको भाई बिना सोना पड़ेगा
दिशा सर्म से लाल होते हुवे - ठीक है बाबा आज मे अपनी मा के साथ सो जाऊंगी

तारा दिशा को गले लगा के - हा आज हम साथ मे सोयेंगे
पूजा - मे भी
विनय - अच्छा है तो आज मे दीदी के साथ
कोमल मुस्कुराते हुवे - ठीक है बाबा
मिनिता - ठीक है मे भी दीदी के साथ

अभय बीच में दोनों साइड अदिति मधु अदिति के बगल मे मीका नितिका फिर कोमल विनय मिनिता आसा सिला तारा दिशा पूजा सब लाइन से सो जाते है

अभय के सीने पे अदिति मधु सर रखे लेते थे अभय दोनो को बहो मे लिये था

अदिति - भाभी
दिशा - हा बोलिये
अदिति मुस्कुराते हुवे - भइया बिना नींद आ तो जायेगी ना
सब हैरान दिशा शोक सर्म से लाल पानी पानी हो जाती है
आसा मिनिता तारा नितिका सिला सब अंदर ही अंदर हस रहे थे
दिशा शर्मा के - कियु नही आयेगी मे अपनी का के साथ सुई हु
मधु मुस्कुराते हुवे - अच्छा तो हम कुछ और दिन भाई के साथ सोयेंगे ठीक है ना
अब तो सब की हसी छूटने को आई थी
दिशा शर्मा के - हा हा ठीक है मुझे किया
दिशा मन मे - देख लुंगी आप दोनो को सब के सामने मेरे मजे ले रही है
अभय भी हसे जा रहा था
मिनिता धीरे से - दीदी सुना कैसे दोनो भाभी के मजे ले रही है
आसा धीरे से हस्ते हुवे - हा सुना मे दुवा करती हु सब ऐसे ही चलता रहे सब खुश रहे
मिनिता - मे भी दीदी
विजय - भाभी
दिशा - बोलिये देवर जी आपको किया कहना है
विजय - वो आपने जो कहा वो
मिनिता - क्या कहा बहु तुमने शैतान से
दिशा मुस्कुराते हुवे - आपका लाला चाहता है वे जाके आपकी होने वाली बहु के घर वालो से बात करे ताकि दोनो बिना डर के मिल स्के
विजय के कोमल कान पकर - अच्छा जी ऐसा है
विजय सर्म से दर्द मे - दीदी दर्द होता है
आसा - लाला जाके बात कर लेना जाने से पहले
अभय - ठीक है मा कर लूंगा
विजय - शुक्रिया प्यारी ऑन्टी
आसा मुस्कुराते हुवे - जल्दी से मिला हम भी देखे
विजय शर्मा के - जी ऑन्टी
आसा नितिका से -sp जी आप मीका की सादी को लेके क्या सोच रही है
नितिका - अभी तो सोचा नही है कियुंकी मीका मेरी तरह पुलिस ऑफिसर बनना चाहती है
आसा - अरे वाह बहोत अच्छे मीका बेटा
मीका - शुक्रिया ऑन्टी
अभय मजे लेते हुवे - मम्मी जी आपके पास आके सो जाऊ
तारा जल्दी से शर्मा के - नही नही आपकी दोनो गुरिया आने भी नही देगी
सभी हसने लगते है ठोरी देर बाते मस्ती के बाद

सब सांत हो चुके थे कई सो गये थे लेकिन अदिति किस वाला सीन याद कर मन मे - मुझे नींद नही आ रही आखे बंद करते ही भाई मेरे होठ जिब जिस तरह मजे से चूस रस पि रहे थे सब मेरे आखो के सामने आ रहा है मेरे मुह मे अभी भी वो स्वाद है बहोत मजा आया था

अदिति अभय को देखती ही जो सोया था अदिति धीरे सी होठ पे किस करती है फिर सीने से चिपक बहो मे सोने लगती है

सुबह 8 बजे उठ सभी रेडी होते है फिर बिना देरी किये गारी से घर चले जाते है मधु सिला अपने घर कियुंकी गाय बकरी घर देखना था नितिका मीका अपने घर नितिका को अपने काम दियुति पे जाना था

बाकी अभय आसा पूजा दिशा तारा अपने घर मिनिता कोमल विजय अपने घर सब अपने अपने जगह चले जाते है

घर आते ही दिशा अदिति के पीछे पर जाती है दिशा - अब कहा जायेगी बहोत मजे लिये रात वहा एक तो चली गई लेकिन जब आयेगी तब उनको भी नही छोरने वाली मे

अदिति चिल्लाते भागते हुवे आसा के पीछे आके - मा बचा लीजिये देखिये ना भाभी मुझे मार रही है
दिशा - अभी तो कुछ किया भी नही मेने
आसा हस्ते हुवे - देखो मुझे बीच मे मत लाओ तुम भाभी ननद अपना मामला खुद संभालो
दिशा अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - अब कोन बचायेगा आपको
अदिति डरते हुवे तारा के पीछे जाके - बरी मा आप ही बचा लो ना
तारा दिशा को देख - बेटी जाने दो ना बेचारी बच्ची है
दिशा तारा को देख - प्यारी नही शैतान है
दिशा अदिति को उपर से नीचे देख मन मे - बच्ची तो बिल्कुल नही है इतनी मस्त खूबसूरत कमाल की बॉडी है चुचे देखो कितने टाइट खरे है निपल भी साफ कपड़े के ऊपर से दिख रहे है गांड तो मेरे जीतने बड़े फैले है अरे बच्चे की मा बनने की उमर हो गई है


दोपहर 12 बजे

जैसा पुलिस वाले करते है किसी का मडर होता ही तो पहले उसके जानने करीबी वाले से ही पूछताछ करते है तो उदय टीनू की मौत की खबर न्यूज़ पे छा रही थी और दोनो गैंग के बीच लराइ मे हुई मौत ही बताया जा रहा था

हॉल मे भरती आरोही अमर जगमोहन बैठे थे उन सब के सामने नितिका अपने टीम के साथ बैठी थी

नितिका बाकी सब कई सवाल पूछते है घर की जाच करते है फिर चले जाते है वजह अभय था अभय ने नितिका से कहा था फोन करके

2 घंटे पहले

अभय - जान तुम्हे पता चल ही गया होगा उदय टीनू मडर का
नितिका हैरान होके - हा लेकिन तुम दोनो को जानते हो
अभय - हा असल मे मेरी गुरिया की दोस्त की आरोही है उसके मा पापा सब उदय के करीब थे कहे तो उदय ने सब को अपने जाल मे फसाया था

अभय कुछ बाते बताता है ताकि नितिका को इतना ही पता हो उदय कितना कमीना था

अभय - तो मे जनता हु पुलिस वाले बहोत परेसान करेगे उन्हें लेकिन सब निर्दोस् है उल्टा सब के साथ गलत हुवा है तो मे चाहता हु पूछताछ करो लेकिन जयदा उनको परेसान मत होने देना

नितिका - तुम चिंता मत करो ठोरी पूछ ताछ ही होगी
अभय - शुक्रिया
नितिका - गिर्लफ्रेंड को शुक्रिया
अभय मुस्कुराते हुवे - आई लोव यू
नितिका शर्मा के - आई लोव यू

यही हुवा इस वजह से पुलिस वाले जयदा भारती सब को परेसान नही किये

भारती - अभय बेटे के पीछे एक sp भी है आखिर अभय है किया चीज पर जो भी हो उसकी वजह से आज तुम दोनो हम सेफ है

आरोही मन मे - अभय शुक्रिया सही समय पे हमे रोक दिया नही तो हम भी तेरे हाथो मारे जाते और मेरा बच्चा भी
अमर मन मे - सेर को बिल्ली समझ लिये थे सुकर है सेर ने बिल्ली पे दया कर छोर दिया
भारती - कुछ दिन रुकेंगे सब मामला ठण्डा होने के बाद निकलेगे


दूसरी तरफ अभय का फोन बजता है अभय फोन निकालते हुवे - कोन है

अभय नंबर देख कमरे से बाहर आके - हा मेरी जाने मन बोलिये
भारती शर्मा के - शुक्रिया बेटा सब के लिये
अभय मुस्कुराते हुवे - जरूर नही वैसे भी आपकी मस्त फूली चिकनी बुर मारके बहोत मजा आया था फिर कब मिलेगा आपकी बुर
भारती शर्मा के - छी बेसर्म नही मिलेगी फिर
अभय - ठीक है चलेगा
भारती हैरान मन मे - मुझे लगा फिर बोलेगा सच कहु मे अभय की चुदाई भूल नही पा रही हु उफ अब तक की लाइफ मे अभय का लंड लेने मे जो दर्द मजा सुकून मिला सायद किस्मत वाली औरत को ही ऐसा चुदाई सुख नसीब होता है अंदर बाहर जब उसका लंड करता था, भारती बुर सेहलाते हुवे, मेरी बुर भर भर के पानी निकालती थी मेरी बचेदानी मे सीधा घुस जाती थी मुझे बहोत दर्द होता था लेकिन मजा भी बहोत आया अभय का लंड बहोत बरा मोटा है और अभय एक सच्चा मर्द भी किस्मत का शुक्रिया उस कमीने के से बच तुम जैसे मर्द से चुदी और असली चुदाई का सुख मिला

अभय - कुछ बोलेगी
भारती होस मे आके शर्मा के - साम को घर मेरे आओ ना
अभय मुस्कुराते हुवे - बुर देगी तब आऊंगा
भारती शर्मा के - ठीक है दूंगी
अभय -क्या
भारती सर्म से - बुर
अभय - ठीक है साम को आऊँगा
फोन कट

अभय फोन रख कमरे मे जाते हुवे - चलो आज कोमल की बुर का सील तोर उसे औरत बनाते है

अभय अंदर जाता है कोमल बैठी शर्मा के अभय को देखती है अभय मुस्कुराते हुवे - बैठी हो चलो सुरु करते है इसी लिये तो कमु तुम्हे यहा लाया हु

हा अभय कोमल को अपने घर के पास एक घर जोकि अभय ने शोभा के लिये लिया है उसी घर मे कोमल को लेके आ चुका था आज अभय कोमल की सील पैक बुर मारने वाला है

आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏
Bahut hee badhiya update hai !
 

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chapter 80

आसा मिनिता अपनी दुख दर्द भरी कहानी एक दूसरे को सुना के अपने दिल का बोझ हल्का कर चुके थे

मिनिता आसा को देखते हुवे - दीदी आपने जब बताया आपका भी कोई मेरे जैसा बुरा पास्ट् है और आप अभय को बताने वाली है तो मुझे भी लगा आपके साथ दुख अपनी कहानी बता के अपना बोझ हल्का कर लू अब मुझे अच्छा फिल हो रहा है

आसा - मिनिता अब सर भूल जाओ बुरे पास्ट् को और आगे बढ़ो

तभी अदिति आती है होठ से लाल लीबिस्तिक गायब थे होठ पे हल्का खून निकल रहा था लेकिन थोरा अंधेरा था तो साफ दिख नही रहा था


अदिति आसा मिनिता के पास आते हुवे - मा ऑन्टी किया बाते हो रही है
मिनिता अदिति को देख - कुछ नही बेटा
आसा अदिति को देख - लाला कहा है
अदिति एक तरफ इसारा करते हुवे - वहा बैठे हुवे है

आसा - अच्छा तुम दोनो कैप मे जाओ मे आती हु
मिनिता अदिति कैप मे सब के पास चले जाते है आसा अभय के पास जाने लगती है

हम थोरा पीछे चलते है

अदिति अभय अपने भाई की गोद मे चिपक के बैठी थी अभय अपनी बहन की मस्त मोटी गांड मोटी जांघे बुर बॉडी की गर्मी खुशबु और सीने मे दबे दोनो बरे मुलायम नर्म चुचे फिल कर अलग ही मजे मे था

अभय अदिति के चेहरे एकदम आमने सामने थे थोरा अंधेरा थोरि रोसनी थी पर एक दूसरे को देख सकते थे

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अभय अदिति के गाल पे हाथ फेरते हुवे अदिति के आखो मे देख - बता नही कोन किस्मत वाला होगा जिसे मेरी गुरिया अपने लाइफ पाटनर चुनेगी
अदिति अभय की आखो मे देखते हुवे - भाई सोचती होगी कई लरकिया अपने लाइफ पाटनर के बारे मे लेकिन मेरे लिये आप सबसे पहले है मे बिना सादी लाइफ पाटनर बिना रह सकती हु लेकिन आपसे दूर बिल्कुल नही

अभय अदिति के खूबसूरत चेहरे को देख - सादी तो हर लरकी को एक ना एक दिन करनी ही होती है गुरिया सादी नही करोगी तो मे मामा कैसे बनूँगा
अदिति अभय की बातो से शर्मा जाती है लाल गाल नजरे नीचे कर - पर मुझे आपसे दूर नही जाना
अभय मुस्कुराते हुवे - घर जमाई लेके आयुगा फिर
अदिति अभय को देख -भाई ये सब बाते जाने दो

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अभय अदिति की आखो देखता है फिर अदिति के लाल गुलाबी खूबसूरत होठो पे उंगली फेरते हुवे - ठीक है तो आज अभी आपने भाई को अपने होठ का रस पिला दे मेरी गुरिया तरस रहा हु कब से
अपने भाई की बाते सुन अदिति का हाई जोर से धक धक करने लगता है सासे तेज चलने लगती है अदिति के बॉडी आज कुछ अलग फिल करने लगती है
अदिति तेज सासे लेते अभय की आखो देख - मे अपने भाई को कैसे तरसा सकती हु पी लीजिये मेरे होठ का रस भाई

अभय अदिति के चेहरे को पकरे अपना चेहरा अदिति के एकदम पास लेके आता है अदिति के नाक से अभय अपना नाक टच कर देता है दोनो एक दूसरे की आखो मे देखने लगते है दोनो के होठ खुले एक दूसरे से मिलने के लिये बेताब हो रहे थे अदिति अभी जो फिल कर रही थी जो फीलिंग अंदर से निकल रही थी सब नया था आज कुछ अलग होने वाला था जो एक भाई बहन के बीच नही होता

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अभय अदिति की आखो मे देखते हुवे - हम जो करने जा रहे है वो एक पति पत्नी या लोवर के बीच होता है तो फिर भी तुम करना चाहती हो
अदिति अभय की आखो मे देख - भाई जानती हु इतना तो पता है लेकिन बात मेरे भाई को किस देने की है तो सोचिये मत

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अभय अपना होठ अदिति के होठ पे टच करते हुवे - पहला हक तुम अपने भाई को दे रही हो मे किस्मत वाला हु
अभय की बात अभय के होठ अपने होठ पे फिल करते हुवे तेज सासे लेते हुवे - हा दे रही हु कियुंकी मे चाहती हु
अभय अदिति एक दूसरे की आखो मे देख खो जाते है और फिर दो भाई बहन के होठ एक दूसरे के होठ से मिल जाते है

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दोनो भाई बहन जैसे प्यासे की तरह एक दूसरे को किस करने लगते है पहले दोनो एक दूसरे के होठ लीप चूसने लगते है जोर सोर से
अदिति किस करते हुवे मन मे - उफ ये किस सब से अलग है ये एहसास अपने भाई के गोद मे बाहों मे किस करने का उफ मे इस मोमेंट ने जो फिल कर रही हु बताना मुश्किल है

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किस धीरे धीरेवाइल्ड होने लगती है अब दोनो भाई बहन एक दूसरे के जिब से जिब मिला के जिब होठ चूस रस पीने लगते है अभय अदिति के कमर कस के पाकरे सीने से चिपकाये रस पीते हुवे - दुनिया का सब से मीठा रस मा बहन के होठ का ही हो सकता है जो मजा जो सुकून मा बहन के होठ का रस पीने मे मिलता है शब्द से बया नही किया जा सकता मेरी गुरिया के होठ कितने नर्म है रस तो अमृत है

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किस अब पुरा वाइल्ड हो जाता है अब तो दोनो भाई बहन जिब बाहर निकाल एक दूसरे के जिब को चाटने लगते है चूसने लगते है
अदिति मन मे - आह उफ तो ये होती है असली किस मुझे बहोत हि जयदा मजा आ रहा है मेरे भाई कैसे मजे से मेरे जिब चाट चूस रहे है मुझे बहोत अच्छा लग रहा है भाई के साथ किस करने में भाई पिलो जितना पीना है चूस लो आह भाई मेरे प्यारे भाई
2 mina जोर दार किस चलती है अभय अदिति के होठ चूस रहा था लेकिन हल्का दात लग जाता अदिति आह करती है

अभय किस तोरते हुवे जल्दी से अदिति के होठ छूके देखते हुवे - माफ करना गुरिया जोस मे तुम्हे लग गई
अदिति मुस्कुराते हुवे शर्मा के - भाई कुछ नही हुवा
अभय देखता है होठ से हल्का खून निकल रहा है तो अभय जिब से चाट जाता है अदिति जोर से सिसकिया लेते आह करती है

अभय अदिति के चेहरे पकर आखो मे देख - अपने भाई को पहला हक अपने होठ का रस पिलाने के लिये सुक्रिया मेरी गुरिया
अदिति लाल चेहरा लिये नजरे नीचे किये - भाई सुक्रिया मत करिये
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है पर ये तो बताओ कैसा लगा
अदिति सर्म से धीरे से - बहोत जी जयदा अच्छा लगा

अदिति गोद से उतर नीचे खरी होके अभय के होठ पे किस करके शर्मा के - मे जा रही हु करेगे मे कहा गायब हो गई
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है लेकिन आगे भी मिलेगा ना
अदिति शर्मा के जाते हुवे - सोचुगी

अदिति चली जाती अभय मन मे - लो गुरिया को भी ये बीमारी लग लग सोचने वाली

तो ये सब हुआ अब आते है अभी के सीन पे आसा अभय के पास आती है अभय आसा को देख मुस्कुराते हुवे - मेरी प्यारी खूबसूरत मा आपका ही इंतज़ार था आइये

आसा अभय के पास आके खरी हो जाती है अभय को देख मुस्कुराते हुवे - अच्छा वो कुछ भला
अभय मुस्कुराते हुवे - प्यार करना है

आसा नीचे झुक दोनो हाथो से अपनी सारी पेटीकोट के छोर पकर अपने घुटने तक उठा लेती है अभय अपनी ना के गोरे पैर देखने लगता है आसा आगे बढ़ दोनो पैर फैला के अभय के जांघों के ऊपर आ जाती है फिर सारी नीचे कर अपनी मोटी फैली मस्त नर्म गांड के साथ अभय के जांघों पे बैठ अभय के कंधे पे दोनो हाथ रख देती है

अभय आसा को देख मुस्कुराते हुवे - सही जगह पे नही बैठी है आप मजा नही आ रहा है

आसा अभय को देख मुस्कुराते हुवे अपनी गांड थोरा उठा के सीधा अभय के लंड पे बैठ जाती हो अभय आह करता है आसा भी कामुक् आह करती है

अभय धीरे से पेट पे हाथ रख सेहलाते हुवे दोनो हाथ आसा के पीछे ले जाने लगता है अपने बेटे के पेट के बेटे का हाथ फेरते फिल कर आसा सिसकिया लेने लगती है अभय का दोनो हाथ पीछे जाके एक दूसरे से मिल जाता है फिर अभय एकदम से आसा को अपने सीने बॉडी से चिपका लेता है बीच में कोई गेप नही था दोनो मा बेटे कि बॉडी एक दूसरे से चिपकी हुई थी दोनो के चेहरे एक दूसरे के एकदम पास मे थे

अभय आसा की आखो मे देख - मा पता मे अभी किया फिल कर रहा हुई
आसा अभय की आखो मे देख - नही पता तुम हि बता दो
अभय - कैसे बताऊं खुल के या बिना खुले
आसा अपने बेटे की बात समझ -जैसा तुम्हे सही लगे
अभय - नही आप बोलो मेरी मा जो चाहेगी
आसा थोरा शर्मा के - खुल के
अभय मुस्कुराते हुवे - तो सुनिये मेरी गोद मे सबसे खूबसूरत प्यारी मेरी मा बैठी है आपकी शरीर की खुबसु मुझे बहोत पसंद है आपकी बॉडी की गर्मी मुझे पागल करने लगता है आपकी आखे इतनी नासिलि की जब देखता हु कही खो जाता हु आपका खूबसूरत चेहरा जिसे दिन रात हर वक़्त देखते ही रहने का मन करता है आपके ये रसीले होठ देखता हुई प्यास जग जाती है पीने का दिल करने लगता है आपकी भरी बॉडी बनाने वाले ने बहोत फुर्सत से बनाया है आपकी कमर गहरी जब देखता हुई चुने चूमने का दिल करता है जब आप चलती है आपकी कमर लचकाके कयामत लगती है अभी आप जिस तरह मेरी गोद मे जिस जगह बैठी है

अभय रुक आसा को देखता हि रहता है आसा बरे गोर से अपने बेटे के मुह से अपनी तारीफ सुन गदगद हो गई थी अभय को चुप देख - रुक कियु गया आगे
अभय आसा की आखो मे देख - जगह खूबसूरत है सांत है लेकिन हम अकेले नही है घर पे रात को जब मे आता हुई तब खुल की बाकी सब जो मे फिल करता हु बताऊंगा

आसा मुस्कुराते हुवे - ठीक है फिर
अभय मुस्कुराते हुवे - फिल्हाल आपकी गुफा की गर्मी मेरे केले का बेचैन कर रही है और आपके मस्त नर्म बरे पपीते भी

आसा शर्मा के - बेसरम

अभय - मा सुसु की आवाज सुनाओ ना
आसा एकदम से शर्मा के - बेसरम नही लगी है कैसे सुनाऊ
अभय निरास होके - अच्छा
आसा अभय के होठ पे किस करते हुवे - चल सुनाती हु कितना बेशर्म हो गया है जब से सुनाया है रोज पीछे पर जाता है

अभय खुश होके - तो देर किस बात की

आसा अभय के गोद से नीचे खरी होके पास पास एक जगह देख वही खरी हो जाती है फिर अभय को देखते हुवे सारी पेटीकोट उपर करने लगती है अभय एकदम आसा के पास आके नीचे बैठ जाता है आसा लाल चेहरा लिये घुटने से उपर तक सारी कर देती है

अभय देखता है गोरी टांगे फिर आसा का देख आखे बंद कर लेती है आसा पैंटी नीचे कर पुरा सारी उठा के बैठ जाती है बुर पे काले बाल मस्त लग रहे थे कमाल का सीन था एक मा नंगी नीचे से पिसाब करने बैठी है उसके एकदम सामने उसका बेटा बैठा है आख बंद किये

आसा अभय के चेहरे आमने सामने थे आसा अभय को देख मन मे - मेरे लाला के जगह कोई और होता तो कब का मेरे साथ कुछ करने या देखने की कोसिस करता लेकिन मेरा लाला कितना अच्छा है चाहता तो चोरी छुपे सब देख सकता था लेकिन देखो कैसे कस के आखे बंद किये है लाला अपने आप को अच्छे से रोकना अपने पे काबू रखना जनता है इसी लिये तो मे भी बिना सोचे सब करने लगती हु

आसा परेसर् बनाती हैं फिर जोर से एक धार निकलती है सुई सुई अभय सांत आवाजे सुनने लगता हैं आसा पिसाब करते अभय को हि देख रही थी आसा मन मे - एक मा होने के नाते ये सब गलत हैं लेकिन मेरे लिये मेरे लाल की खुशी जरूरी है ऐसा नही मे करना नही चाहती या मे मर्ज़ी से नही करती पर मेरी लिमिट के अंदर सब करुगी

आसा पिसाब कर लेती हो बुर से एक एक बूंद नीचे टपक रहा था कुछ बूंद बुर के बाल पे अटक गये थे आसा उतने वाले होती है लेकिन अभय - नही बैठी रहिये
आसा बैठी रहती है और अभय को देख - ठीक है
अभय अपना हाथ आख बंद किये आसा के चेहरे के पास ले जाता है अभय आसा के होठ छुटा है फिर आगे झुक किस करने लगता है

आसा नीचे से नंगी थी अभय किस करने लगता है आज का किस भी अलग की था आसा सर्म से पानी पानी हो जाती लेकिन फिर मुस्कुराते हुवे अभय का साथ देने लगती है दोनो एक दूसरे के होठ जिब चूस के रस पीने लगते हैं आसा आगे झुकी थी जिस वजह से पीछे आसा के बरे गांड उठे मस्त लग रहे थे 2 मिनट बाद किस टूटता है

अभय आखे बंद किये - आज का किस मा मे कभी नही भूलूंगा
आसा शर्म से - मे भी नही अब उठ जाऊ
अभय खरा होके - हा
आसा खरी होके पैंटी पहन सारी नीचे कर - हो गया
अभय आखे खोल नीचे देखता है तो आसा जल्दी से एकदम सामने आके सर्म से - किया देख रहा है चल चलते है
अभय मुस्कुराते हुवे - छेद कर दिया आपने तो
आसा सर्म से पानी पानी हो जाती है

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अभय आसा के के गर्दन को चूमने किस करने लगता है आसा जोर से सिसकिया लेती है अभय चूमते किस करते हुवे - आह मा आप बहोत सेक्सी है
आसा जोर जोर से सासे सिसकिया लेते - उफ आह बेटा उफ तुम भी मेरे लाल

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अभय फिर आसा के पीछे गांड पे लंड सता के आसा को बाहों मे कस के पकरे गर्दन को चूसने लगता है चाटने लगता आसा मुठी कस जोर से - आह उफ बेटा आह सिसकिया लेती बोलती रहती है अभय फिर एकदम से रुक जाता है

अभय आस को देख - मा चलते हैं नही तो बोलने कहा मा बेटे गायब हो गये प्यार तो और करता था लेकिन कल घर पे आराम से करूँगा
आसा जोर जोर सासे लेते हुवे मन मे - आह मा ये लरका मेरे अंग को ऐसे चाटता है जैसे मेरी बॉडी अंग आइस्कृम हो उफ मेरी बॉडी मचल मदहोस मे चली जाती है आह लेकिन मुझे लाला का टच छूना चूमना किस चाटना बहोत सुकून देता है अभय को देख
आसा हस्ते हुवे - ठीक है कर लेना मेरे लाल अब चल

अभय आस कैप के अंदर आते है मोटा रुई वाला मस्त बिस्तर सब का एक साथ मे लगा था सब एक जगह गोल बैठ बाते करने मे लगे थे
अभय आसा आके बैठ जाते है

अदिति मधु आसा के पास आके बाहों को पकर चिपक के बैठ जाती है धीरे धीरे सब एक गोल लाइन बना के बैठ जाते है सब एक दूसरे के आमने सामने थे

अभय सभी को देखते हुवे - आप सब को मजा आ रहा है या नही
अदिति मधु पूजा जोर से हाथ उपर कर चिल्लाते हुवे - हमे बहोत मजा आ रहा हैं

सभी जल्दी से अपने कान बंद कर लेते है
मिनिता - हद हैं ये बच्चे भी ना
आसा हस्ते हुवे - सब बहोत खुश है इस लिये
अभय नितिका मिका को देख - आप दोनो को अच्छा तो लग रहा है ना
नितिका अभय का देख - बेटा पहली बार इतना मजा आया मुझे सुक्रिया अपने साथ सामिल करने के किये सब के साथ एक फैमिली पिकनिक का मजा ही अलग है

मिका अभय को देख - मुझे भी बहोत अच्छा लग रहा है मजा भी बहोत आ रहा है मे तो कहती हु फिर कभी ऐसा प्लान बनाओ तो जरूर बुलाना हमे
अभय हस्ते हुवे - ठीक है

अभय तारा का देख - मेरी प्यारी मम्मी जी कुछ बोलिये
तारा सब को देखती हो फिर - अपनी बेटी दमाद समधन आप सभी के साथ इस खूबसूरत सांत जगह पिकनिक पे आके आज मे पहली बार इतना अच्छा सुकून फिल कर रही हु जिदंगी मे अब तक

अभय बीच मे तारा को देख - समझ सकता हु मेरी मा ने भी बहोत कुछ झेला है अपने भी मुझे लगता है मिनिता ऑन्टी नितिका ऑन्टी मा आप छोटी मा हर किसी ने कुछ ना कुछ झेला है जानती हो एक औरत सब कुछ झेल सकती है अपने बच्चो के लिये

अभय आसा को देख प्यार से - मेरी मा ने सब बहोत कुछ झेला दर्द सहा लेकिन हमे कोई तकलीफ नही होने दी मा मे आपके बहोत प्यार करता हु
आसा इमोसनल होके अभय को देख - मे भी मेरे बच्चे

अभय - तो हम मजे करने आये तो मजे करते है सब बुरे पल यादों को पीछे छोर भूल के मजे करते है

सभी हा करते है

अभय आसा को देख - मा मुझे फिर जाना होगा
अभय की बात सभी को शोक कर देती है फिर सभी हैरान होके अभय को देखने लगते है

दिशा मुह फुला के - हा हा जहा जाना है जाइये रोका किसने है
अदिति हैरान होके - भाई नही अब आपको कही जाने नही दूंगी
मधु अभय की बाहों को कस के पकरे - दीदी ने सही कहा कुछ दिन पहले ही तो आये थे अब फिर जाने की बात मत कीजिये

पूजा मुह बना के - दीदी जीजा जी को आपकी परवाह हि नही है
तारा पूजा को मारते हुवे - चुप कर जरुर कुछ जरूरी कम होगा नही तू दामाद जी खुद समधन अदिति बेटा सब से दूर नही जाते

मिनिता तारा को देख - आपने सही कहा अभय बेटा बता वजह किया है इस बार जाने का

नितिका मन मे - फिर जा रहा है मुझे छोर के अब पता नही कर आयेगा मे कैसे तुम्हे देखे बगैर रहूगी
मीका मन मे - अब कहा जाने वाला है ये कमीना
सिला अभय को देख - बता बेटा कहा कियु कितने दिन के लिये जाने वाला है

आसा सभी को देख - अपनी बुआ मासी के यहा टूटे रिश्ते को सही करने के लिये

आसा की बात सुन सब हैरान होके - क्या
अदिति हैरान होके - बुआ मासी मे तो उन लोगो को भूल हि गई थी
आसा सभी को देख - कुछ वजह से रिश्ते टूट गये मे भी बच्चो के पालन मे लग गई तो रिश्ते सही नही कर पाई

अभय - हा बुआ मासी के यहा जाके सब सही करना है छोटा था याद भी नही बुआ मासी सब कैसे दिखते है और अब कैसे है

दिशा हैरान होके - मासी बुआ मम्मी जी
आसा - हा अभय की मासी बुआ भी है उस समय अभय अदिति सब छोटे थे तो कुछ याद नही होगा

तारा हैरान होके - अच्छा तो ये वजह तो बहोत बरी है
सिला - हा अभय बेटा तुझे जाना ही चाहिये अपने तो अपने होते है
मिनिता - हा अभय बेटा ये वजह है तो जा सब सही करके ही आना
नितिका मन मे - अच्छा तो ये वजह है तब तो जाना हि चाहिये
मीका मन मे - रिश्ते की कीमत लगाई नही जा सकती
कोमल - ठीक है लेकिन कई साल हो गये है रिश्ते आसानी से जुर् नही जायेंगे टाइम तो लगेगा ही

आसा - कोमल बेटा तुमने सही कहा टाइम तो लगेगा लेकिन मुझे अपने लाला पे भरोसा ही जल्दी ही सब ठीक कर देगा कियु लाला
अभय मुस्कुराते हुवे - बिल्कुल मा

अदिति अभय को देख प्यार से - भाई अगर ऐसा है तो मे भी आपके साथ जाउंगी
मधु भी प्यार से - भाई मे भी
पूजा भी प्यार से - जीजा जी मे भी
अभय तीनों को देख - नही तो नही लेकिन जैसे ही सब सही होगा हम सब जायेंगे
अदिति मधु पूजा उदास होके - ठीक है
सिला - बस ये बेकार चेहरा मत बनाओ लाला मजे नही जरूरी काम से जा रहा है
अदिति मधु पूजा - जी समझ गये

अभय - कुछ दिन बाद जाऊंगा लेकिन मे जल्दी ही सब सही करके आऊँगा बुआ मासी को लेके

आसा - ठीक है बेटा जा सकता है मे खुद चाहती हु जाये

कुछ देर बाते होने के बाद सोने का वक़्त हो जाता है

आसा - चलो सोते है आधी रात हो गई है

अदिति दिशा को देख - भाभी आज तो मे भाई के साथ सोने वाली हु
मधु दिशा को देख - मे भी भाभी आज आपको भाई बिना सोना पड़ेगा
दिशा सर्म से लाल होते हुवे - ठीक है बाबा आज मे अपनी मा के साथ सो जाऊंगी

तारा दिशा को गले लगा के - हा आज हम साथ मे सोयेंगे
पूजा - मे भी
विनय - अच्छा है तो आज मे दीदी के साथ
कोमल मुस्कुराते हुवे - ठीक है बाबा
मिनिता - ठीक है मे भी दीदी के साथ

अभय बीच में दोनों साइड अदिति मधु अदिति के बगल मे मीका नितिका फिर कोमल विनय मिनिता आसा सिला तारा दिशा पूजा सब लाइन से सो जाते है

अभय के सीने पे अदिति मधु सर रखे लेते थे अभय दोनो को बहो मे लिये था

अदिति - भाभी
दिशा - हा बोलिये
अदिति मुस्कुराते हुवे - भइया बिना नींद आ तो जायेगी ना
सब हैरान दिशा शोक सर्म से लाल पानी पानी हो जाती है
आसा मिनिता तारा नितिका सिला सब अंदर ही अंदर हस रहे थे
दिशा शर्मा के - कियु नही आयेगी मे अपनी का के साथ सुई हु
मधु मुस्कुराते हुवे - अच्छा तो हम कुछ और दिन भाई के साथ सोयेंगे ठीक है ना
अब तो सब की हसी छूटने को आई थी
दिशा शर्मा के - हा हा ठीक है मुझे किया
दिशा मन मे - देख लुंगी आप दोनो को सब के सामने मेरे मजे ले रही है
अभय भी हसे जा रहा था
मिनिता धीरे से - दीदी सुना कैसे दोनो भाभी के मजे ले रही है
आसा धीरे से हस्ते हुवे - हा सुना मे दुवा करती हु सब ऐसे ही चलता रहे सब खुश रहे
मिनिता - मे भी दीदी
विजय - भाभी
दिशा - बोलिये देवर जी आपको किया कहना है
विजय - वो आपने जो कहा वो
मिनिता - क्या कहा बहु तुमने शैतान से
दिशा मुस्कुराते हुवे - आपका लाला चाहता है वे जाके आपकी होने वाली बहु के घर वालो से बात करे ताकि दोनो बिना डर के मिल स्के
विजय के कोमल कान पकर - अच्छा जी ऐसा है
विजय सर्म से दर्द मे - दीदी दर्द होता है
आसा - लाला जाके बात कर लेना जाने से पहले
अभय - ठीक है मा कर लूंगा
विजय - शुक्रिया प्यारी ऑन्टी
आसा मुस्कुराते हुवे - जल्दी से मिला हम भी देखे
विजय शर्मा के - जी ऑन्टी
आसा नितिका से -sp जी आप मीका की सादी को लेके क्या सोच रही है
नितिका - अभी तो सोचा नही है कियुंकी मीका मेरी तरह पुलिस ऑफिसर बनना चाहती है
आसा - अरे वाह बहोत अच्छे मीका बेटा
मीका - शुक्रिया ऑन्टी
अभय मजे लेते हुवे - मम्मी जी आपके पास आके सो जाऊ
तारा जल्दी से शर्मा के - नही नही आपकी दोनो गुरिया आने भी नही देगी
सभी हसने लगते है ठोरी देर बाते मस्ती के बाद

सब सांत हो चुके थे कई सो गये थे लेकिन अदिति किस वाला सीन याद कर मन मे - मुझे नींद नही आ रही आखे बंद करते ही भाई मेरे होठ जिब जिस तरह मजे से चूस रस पि रहे थे सब मेरे आखो के सामने आ रहा है मेरे मुह मे अभी भी वो स्वाद है बहोत मजा आया था

अदिति अभय को देखती ही जो सोया था अदिति धीरे सी होठ पे किस करती है फिर सीने से चिपक बहो मे सोने लगती है

सुबह 8 बजे उठ सभी रेडी होते है फिर बिना देरी किये गारी से घर चले जाते है मधु सिला अपने घर कियुंकी गाय बकरी घर देखना था नितिका मीका अपने घर नितिका को अपने काम दियुति पे जाना था

बाकी अभय आसा पूजा दिशा तारा अपने घर मिनिता कोमल विजय अपने घर सब अपने अपने जगह चले जाते है

घर आते ही दिशा अदिति के पीछे पर जाती है दिशा - अब कहा जायेगी बहोत मजे लिये रात वहा एक तो चली गई लेकिन जब आयेगी तब उनको भी नही छोरने वाली मे

अदिति चिल्लाते भागते हुवे आसा के पीछे आके - मा बचा लीजिये देखिये ना भाभी मुझे मार रही है
दिशा - अभी तो कुछ किया भी नही मेने
आसा हस्ते हुवे - देखो मुझे बीच मे मत लाओ तुम भाभी ननद अपना मामला खुद संभालो
दिशा अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - अब कोन बचायेगा आपको
अदिति डरते हुवे तारा के पीछे जाके - बरी मा आप ही बचा लो ना
तारा दिशा को देख - बेटी जाने दो ना बेचारी बच्ची है
दिशा तारा को देख - प्यारी नही शैतान है
दिशा अदिति को उपर से नीचे देख मन मे - बच्ची तो बिल्कुल नही है इतनी मस्त खूबसूरत कमाल की बॉडी है चुचे देखो कितने टाइट खरे है निपल भी साफ कपड़े के ऊपर से दिख रहे है गांड तो मेरे जीतने बड़े फैले है अरे बच्चे की मा बनने की उमर हो गई है


दोपहर 12 बजे

जैसा पुलिस वाले करते है किसी का मडर होता ही तो पहले उसके जानने करीबी वाले से ही पूछताछ करते है तो उदय टीनू की मौत की खबर न्यूज़ पे छा रही थी और दोनो गैंग के बीच लराइ मे हुई मौत ही बताया जा रहा था

हॉल मे भरती आरोही अमर जगमोहन बैठे थे उन सब के सामने नितिका अपने टीम के साथ बैठी थी

नितिका बाकी सब कई सवाल पूछते है घर की जाच करते है फिर चले जाते है वजह अभय था अभय ने नितिका से कहा था फोन करके

2 घंटे पहले

अभय - जान तुम्हे पता चल ही गया होगा उदय टीनू मडर का
नितिका हैरान होके - हा लेकिन तुम दोनो को जानते हो
अभय - हा असल मे मेरी गुरिया की दोस्त की आरोही है उसके मा पापा सब उदय के करीब थे कहे तो उदय ने सब को अपने जाल मे फसाया था

अभय कुछ बाते बताता है ताकि नितिका को इतना ही पता हो उदय कितना कमीना था

अभय - तो मे जनता हु पुलिस वाले बहोत परेसान करेगे उन्हें लेकिन सब निर्दोस् है उल्टा सब के साथ गलत हुवा है तो मे चाहता हु पूछताछ करो लेकिन जयदा उनको परेसान मत होने देना

नितिका - तुम चिंता मत करो ठोरी पूछ ताछ ही होगी
अभय - शुक्रिया
नितिका - गिर्लफ्रेंड को शुक्रिया
अभय मुस्कुराते हुवे - आई लोव यू
नितिका शर्मा के - आई लोव यू

यही हुवा इस वजह से पुलिस वाले जयदा भारती सब को परेसान नही किये

भारती - अभय बेटे के पीछे एक sp भी है आखिर अभय है किया चीज पर जो भी हो उसकी वजह से आज तुम दोनो हम सेफ है

आरोही मन मे - अभय शुक्रिया सही समय पे हमे रोक दिया नही तो हम भी तेरे हाथो मारे जाते और मेरा बच्चा भी
अमर मन मे - सेर को बिल्ली समझ लिये थे सुकर है सेर ने बिल्ली पे दया कर छोर दिया
भारती - कुछ दिन रुकेंगे सब मामला ठण्डा होने के बाद निकलेगे


दूसरी तरफ अभय का फोन बजता है अभय फोन निकालते हुवे - कोन है

अभय नंबर देख कमरे से बाहर आके - हा मेरी जाने मन बोलिये
भारती शर्मा के - शुक्रिया बेटा सब के लिये
अभय मुस्कुराते हुवे - जरूर नही वैसे भी आपकी मस्त फूली चिकनी बुर मारके बहोत मजा आया था फिर कब मिलेगा आपकी बुर
भारती शर्मा के - छी बेसर्म नही मिलेगी फिर
अभय - ठीक है चलेगा
भारती हैरान मन मे - मुझे लगा फिर बोलेगा सच कहु मे अभय की चुदाई भूल नही पा रही हु उफ अब तक की लाइफ मे अभय का लंड लेने मे जो दर्द मजा सुकून मिला सायद किस्मत वाली औरत को ही ऐसा चुदाई सुख नसीब होता है अंदर बाहर जब उसका लंड करता था, भारती बुर सेहलाते हुवे, मेरी बुर भर भर के पानी निकालती थी मेरी बचेदानी मे सीधा घुस जाती थी मुझे बहोत दर्द होता था लेकिन मजा भी बहोत आया अभय का लंड बहोत बरा मोटा है और अभय एक सच्चा मर्द भी किस्मत का शुक्रिया उस कमीने के से बच तुम जैसे मर्द से चुदी और असली चुदाई का सुख मिला

अभय - कुछ बोलेगी
भारती होस मे आके शर्मा के - साम को घर मेरे आओ ना
अभय मुस्कुराते हुवे - बुर देगी तब आऊंगा
भारती शर्मा के - ठीक है दूंगी
अभय -क्या
भारती सर्म से - बुर
अभय - ठीक है साम को आऊँगा
फोन कट

अभय फोन रख कमरे मे जाते हुवे - चलो आज कोमल की बुर का सील तोर उसे औरत बनाते है

अभय अंदर जाता है कोमल बैठी शर्मा के अभय को देखती है अभय मुस्कुराते हुवे - बैठी हो चलो सुरु करते है इसी लिये तो कमु तुम्हे यहा लाया हु

हा अभय कोमल को अपने घर के पास एक घर जोकि अभय ने शोभा के लिये लिया है उसी घर मे कोमल को लेके आ चुका था आज अभय कोमल की सील पैक बुर मारने वाला है

आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक साथ ही साथ मजेदार अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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Devil2912

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chapter 80

आसा मिनिता अपनी दुख दर्द भरी कहानी एक दूसरे को सुना के अपने दिल का बोझ हल्का कर चुके थे

मिनिता आसा को देखते हुवे - दीदी आपने जब बताया आपका भी कोई मेरे जैसा बुरा पास्ट् है और आप अभय को बताने वाली है तो मुझे भी लगा आपके साथ दुख अपनी कहानी बता के अपना बोझ हल्का कर लू अब मुझे अच्छा फिल हो रहा है

आसा - मिनिता अब सर भूल जाओ बुरे पास्ट् को और आगे बढ़ो

तभी अदिति आती है होठ से लाल लीबिस्तिक गायब थे होठ पे हल्का खून निकल रहा था लेकिन थोरा अंधेरा था तो साफ दिख नही रहा था


अदिति आसा मिनिता के पास आते हुवे - मा ऑन्टी किया बाते हो रही है
मिनिता अदिति को देख - कुछ नही बेटा
आसा अदिति को देख - लाला कहा है
अदिति एक तरफ इसारा करते हुवे - वहा बैठे हुवे है

आसा - अच्छा तुम दोनो कैप मे जाओ मे आती हु
मिनिता अदिति कैप मे सब के पास चले जाते है आसा अभय के पास जाने लगती है

हम थोरा पीछे चलते है

अदिति अभय अपने भाई की गोद मे चिपक के बैठी थी अभय अपनी बहन की मस्त मोटी गांड मोटी जांघे बुर बॉडी की गर्मी खुशबु और सीने मे दबे दोनो बरे मुलायम नर्म चुचे फिल कर अलग ही मजे मे था

अभय अदिति के चेहरे एकदम आमने सामने थे थोरा अंधेरा थोरि रोसनी थी पर एक दूसरे को देख सकते थे

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अभय अदिति के गाल पे हाथ फेरते हुवे अदिति के आखो मे देख - बता नही कोन किस्मत वाला होगा जिसे मेरी गुरिया अपने लाइफ पाटनर चुनेगी
अदिति अभय की आखो मे देखते हुवे - भाई सोचती होगी कई लरकिया अपने लाइफ पाटनर के बारे मे लेकिन मेरे लिये आप सबसे पहले है मे बिना सादी लाइफ पाटनर बिना रह सकती हु लेकिन आपसे दूर बिल्कुल नही

अभय अदिति के खूबसूरत चेहरे को देख - सादी तो हर लरकी को एक ना एक दिन करनी ही होती है गुरिया सादी नही करोगी तो मे मामा कैसे बनूँगा
अदिति अभय की बातो से शर्मा जाती है लाल गाल नजरे नीचे कर - पर मुझे आपसे दूर नही जाना
अभय मुस्कुराते हुवे - घर जमाई लेके आयुगा फिर
अदिति अभय को देख -भाई ये सब बाते जाने दो

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अभय अदिति की आखो देखता है फिर अदिति के लाल गुलाबी खूबसूरत होठो पे उंगली फेरते हुवे - ठीक है तो आज अभी आपने भाई को अपने होठ का रस पिला दे मेरी गुरिया तरस रहा हु कब से
अपने भाई की बाते सुन अदिति का हाई जोर से धक धक करने लगता है सासे तेज चलने लगती है अदिति के बॉडी आज कुछ अलग फिल करने लगती है
अदिति तेज सासे लेते अभय की आखो देख - मे अपने भाई को कैसे तरसा सकती हु पी लीजिये मेरे होठ का रस भाई

अभय अदिति के चेहरे को पकरे अपना चेहरा अदिति के एकदम पास लेके आता है अदिति के नाक से अभय अपना नाक टच कर देता है दोनो एक दूसरे की आखो मे देखने लगते है दोनो के होठ खुले एक दूसरे से मिलने के लिये बेताब हो रहे थे अदिति अभी जो फिल कर रही थी जो फीलिंग अंदर से निकल रही थी सब नया था आज कुछ अलग होने वाला था जो एक भाई बहन के बीच नही होता

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अभय अदिति की आखो मे देखते हुवे - हम जो करने जा रहे है वो एक पति पत्नी या लोवर के बीच होता है तो फिर भी तुम करना चाहती हो
अदिति अभय की आखो मे देख - भाई जानती हु इतना तो पता है लेकिन बात मेरे भाई को किस देने की है तो सोचिये मत

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अभय अपना होठ अदिति के होठ पे टच करते हुवे - पहला हक तुम अपने भाई को दे रही हो मे किस्मत वाला हु
अभय की बात अभय के होठ अपने होठ पे फिल करते हुवे तेज सासे लेते हुवे - हा दे रही हु कियुंकी मे चाहती हु
अभय अदिति एक दूसरे की आखो मे देख खो जाते है और फिर दो भाई बहन के होठ एक दूसरे के होठ से मिल जाते है

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दोनो भाई बहन जैसे प्यासे की तरह एक दूसरे को किस करने लगते है पहले दोनो एक दूसरे के होठ लीप चूसने लगते है जोर सोर से
अदिति किस करते हुवे मन मे - उफ ये किस सब से अलग है ये एहसास अपने भाई के गोद मे बाहों मे किस करने का उफ मे इस मोमेंट ने जो फिल कर रही हु बताना मुश्किल है

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किस धीरे धीरेवाइल्ड होने लगती है अब दोनो भाई बहन एक दूसरे के जिब से जिब मिला के जिब होठ चूस रस पीने लगते है अभय अदिति के कमर कस के पाकरे सीने से चिपकाये रस पीते हुवे - दुनिया का सब से मीठा रस मा बहन के होठ का ही हो सकता है जो मजा जो सुकून मा बहन के होठ का रस पीने मे मिलता है शब्द से बया नही किया जा सकता मेरी गुरिया के होठ कितने नर्म है रस तो अमृत है

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किस अब पुरा वाइल्ड हो जाता है अब तो दोनो भाई बहन जिब बाहर निकाल एक दूसरे के जिब को चाटने लगते है चूसने लगते है
अदिति मन मे - आह उफ तो ये होती है असली किस मुझे बहोत हि जयदा मजा आ रहा है मेरे भाई कैसे मजे से मेरे जिब चाट चूस रहे है मुझे बहोत अच्छा लग रहा है भाई के साथ किस करने में भाई पिलो जितना पीना है चूस लो आह भाई मेरे प्यारे भाई
2 mina जोर दार किस चलती है अभय अदिति के होठ चूस रहा था लेकिन हल्का दात लग जाता अदिति आह करती है

अभय किस तोरते हुवे जल्दी से अदिति के होठ छूके देखते हुवे - माफ करना गुरिया जोस मे तुम्हे लग गई
अदिति मुस्कुराते हुवे शर्मा के - भाई कुछ नही हुवा
अभय देखता है होठ से हल्का खून निकल रहा है तो अभय जिब से चाट जाता है अदिति जोर से सिसकिया लेते आह करती है

अभय अदिति के चेहरे पकर आखो मे देख - अपने भाई को पहला हक अपने होठ का रस पिलाने के लिये सुक्रिया मेरी गुरिया
अदिति लाल चेहरा लिये नजरे नीचे किये - भाई सुक्रिया मत करिये
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है पर ये तो बताओ कैसा लगा
अदिति सर्म से धीरे से - बहोत जी जयदा अच्छा लगा

अदिति गोद से उतर नीचे खरी होके अभय के होठ पे किस करके शर्मा के - मे जा रही हु करेगे मे कहा गायब हो गई
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है लेकिन आगे भी मिलेगा ना
अदिति शर्मा के जाते हुवे - सोचुगी

अदिति चली जाती अभय मन मे - लो गुरिया को भी ये बीमारी लग लग सोचने वाली

तो ये सब हुआ अब आते है अभी के सीन पे आसा अभय के पास आती है अभय आसा को देख मुस्कुराते हुवे - मेरी प्यारी खूबसूरत मा आपका ही इंतज़ार था आइये

आसा अभय के पास आके खरी हो जाती है अभय को देख मुस्कुराते हुवे - अच्छा वो कुछ भला
अभय मुस्कुराते हुवे - प्यार करना है

आसा नीचे झुक दोनो हाथो से अपनी सारी पेटीकोट के छोर पकर अपने घुटने तक उठा लेती है अभय अपनी ना के गोरे पैर देखने लगता है आसा आगे बढ़ दोनो पैर फैला के अभय के जांघों के ऊपर आ जाती है फिर सारी नीचे कर अपनी मोटी फैली मस्त नर्म गांड के साथ अभय के जांघों पे बैठ अभय के कंधे पे दोनो हाथ रख देती है

अभय आसा को देख मुस्कुराते हुवे - सही जगह पे नही बैठी है आप मजा नही आ रहा है

आसा अभय को देख मुस्कुराते हुवे अपनी गांड थोरा उठा के सीधा अभय के लंड पे बैठ जाती हो अभय आह करता है आसा भी कामुक् आह करती है

अभय धीरे से पेट पे हाथ रख सेहलाते हुवे दोनो हाथ आसा के पीछे ले जाने लगता है अपने बेटे के पेट के बेटे का हाथ फेरते फिल कर आसा सिसकिया लेने लगती है अभय का दोनो हाथ पीछे जाके एक दूसरे से मिल जाता है फिर अभय एकदम से आसा को अपने सीने बॉडी से चिपका लेता है बीच में कोई गेप नही था दोनो मा बेटे कि बॉडी एक दूसरे से चिपकी हुई थी दोनो के चेहरे एक दूसरे के एकदम पास मे थे

अभय आसा की आखो मे देख - मा पता मे अभी किया फिल कर रहा हुई
आसा अभय की आखो मे देख - नही पता तुम हि बता दो
अभय - कैसे बताऊं खुल के या बिना खुले
आसा अपने बेटे की बात समझ -जैसा तुम्हे सही लगे
अभय - नही आप बोलो मेरी मा जो चाहेगी
आसा थोरा शर्मा के - खुल के
अभय मुस्कुराते हुवे - तो सुनिये मेरी गोद मे सबसे खूबसूरत प्यारी मेरी मा बैठी है आपकी शरीर की खुबसु मुझे बहोत पसंद है आपकी बॉडी की गर्मी मुझे पागल करने लगता है आपकी आखे इतनी नासिलि की जब देखता हु कही खो जाता हु आपका खूबसूरत चेहरा जिसे दिन रात हर वक़्त देखते ही रहने का मन करता है आपके ये रसीले होठ देखता हुई प्यास जग जाती है पीने का दिल करने लगता है आपकी भरी बॉडी बनाने वाले ने बहोत फुर्सत से बनाया है आपकी कमर गहरी जब देखता हुई चुने चूमने का दिल करता है जब आप चलती है आपकी कमर लचकाके कयामत लगती है अभी आप जिस तरह मेरी गोद मे जिस जगह बैठी है

अभय रुक आसा को देखता हि रहता है आसा बरे गोर से अपने बेटे के मुह से अपनी तारीफ सुन गदगद हो गई थी अभय को चुप देख - रुक कियु गया आगे
अभय आसा की आखो मे देख - जगह खूबसूरत है सांत है लेकिन हम अकेले नही है घर पे रात को जब मे आता हुई तब खुल की बाकी सब जो मे फिल करता हु बताऊंगा

आसा मुस्कुराते हुवे - ठीक है फिर
अभय मुस्कुराते हुवे - फिल्हाल आपकी गुफा की गर्मी मेरे केले का बेचैन कर रही है और आपके मस्त नर्म बरे पपीते भी

आसा शर्मा के - बेसरम

अभय - मा सुसु की आवाज सुनाओ ना
आसा एकदम से शर्मा के - बेसरम नही लगी है कैसे सुनाऊ
अभय निरास होके - अच्छा
आसा अभय के होठ पे किस करते हुवे - चल सुनाती हु कितना बेशर्म हो गया है जब से सुनाया है रोज पीछे पर जाता है

अभय खुश होके - तो देर किस बात की

आसा अभय के गोद से नीचे खरी होके पास पास एक जगह देख वही खरी हो जाती है फिर अभय को देखते हुवे सारी पेटीकोट उपर करने लगती है अभय एकदम आसा के पास आके नीचे बैठ जाता है आसा लाल चेहरा लिये घुटने से उपर तक सारी कर देती है

अभय देखता है गोरी टांगे फिर आसा का देख आखे बंद कर लेती है आसा पैंटी नीचे कर पुरा सारी उठा के बैठ जाती है बुर पे काले बाल मस्त लग रहे थे कमाल का सीन था एक मा नंगी नीचे से पिसाब करने बैठी है उसके एकदम सामने उसका बेटा बैठा है आख बंद किये

आसा अभय के चेहरे आमने सामने थे आसा अभय को देख मन मे - मेरे लाला के जगह कोई और होता तो कब का मेरे साथ कुछ करने या देखने की कोसिस करता लेकिन मेरा लाला कितना अच्छा है चाहता तो चोरी छुपे सब देख सकता था लेकिन देखो कैसे कस के आखे बंद किये है लाला अपने आप को अच्छे से रोकना अपने पे काबू रखना जनता है इसी लिये तो मे भी बिना सोचे सब करने लगती हु

आसा परेसर् बनाती हैं फिर जोर से एक धार निकलती है सुई सुई अभय सांत आवाजे सुनने लगता हैं आसा पिसाब करते अभय को हि देख रही थी आसा मन मे - एक मा होने के नाते ये सब गलत हैं लेकिन मेरे लिये मेरे लाल की खुशी जरूरी है ऐसा नही मे करना नही चाहती या मे मर्ज़ी से नही करती पर मेरी लिमिट के अंदर सब करुगी

आसा पिसाब कर लेती हो बुर से एक एक बूंद नीचे टपक रहा था कुछ बूंद बुर के बाल पे अटक गये थे आसा उतने वाले होती है लेकिन अभय - नही बैठी रहिये
आसा बैठी रहती है और अभय को देख - ठीक है
अभय अपना हाथ आख बंद किये आसा के चेहरे के पास ले जाता है अभय आसा के होठ छुटा है फिर आगे झुक किस करने लगता है

आसा नीचे से नंगी थी अभय किस करने लगता है आज का किस भी अलग की था आसा सर्म से पानी पानी हो जाती लेकिन फिर मुस्कुराते हुवे अभय का साथ देने लगती है दोनो एक दूसरे के होठ जिब चूस के रस पीने लगते हैं आसा आगे झुकी थी जिस वजह से पीछे आसा के बरे गांड उठे मस्त लग रहे थे 2 मिनट बाद किस टूटता है

अभय आखे बंद किये - आज का किस मा मे कभी नही भूलूंगा
आसा शर्म से - मे भी नही अब उठ जाऊ
अभय खरा होके - हा
आसा खरी होके पैंटी पहन सारी नीचे कर - हो गया
अभय आखे खोल नीचे देखता है तो आसा जल्दी से एकदम सामने आके सर्म से - किया देख रहा है चल चलते है
अभय मुस्कुराते हुवे - छेद कर दिया आपने तो
आसा सर्म से पानी पानी हो जाती है

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अभय आसा के के गर्दन को चूमने किस करने लगता है आसा जोर से सिसकिया लेती है अभय चूमते किस करते हुवे - आह मा आप बहोत सेक्सी है
आसा जोर जोर से सासे सिसकिया लेते - उफ आह बेटा उफ तुम भी मेरे लाल

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अभय फिर आसा के पीछे गांड पे लंड सता के आसा को बाहों मे कस के पकरे गर्दन को चूसने लगता है चाटने लगता आसा मुठी कस जोर से - आह उफ बेटा आह सिसकिया लेती बोलती रहती है अभय फिर एकदम से रुक जाता है

अभय आस को देख - मा चलते हैं नही तो बोलने कहा मा बेटे गायब हो गये प्यार तो और करता था लेकिन कल घर पे आराम से करूँगा
आसा जोर जोर सासे लेते हुवे मन मे - आह मा ये लरका मेरे अंग को ऐसे चाटता है जैसे मेरी बॉडी अंग आइस्कृम हो उफ मेरी बॉडी मचल मदहोस मे चली जाती है आह लेकिन मुझे लाला का टच छूना चूमना किस चाटना बहोत सुकून देता है अभय को देख
आसा हस्ते हुवे - ठीक है कर लेना मेरे लाल अब चल

अभय आस कैप के अंदर आते है मोटा रुई वाला मस्त बिस्तर सब का एक साथ मे लगा था सब एक जगह गोल बैठ बाते करने मे लगे थे
अभय आसा आके बैठ जाते है

अदिति मधु आसा के पास आके बाहों को पकर चिपक के बैठ जाती है धीरे धीरे सब एक गोल लाइन बना के बैठ जाते है सब एक दूसरे के आमने सामने थे

अभय सभी को देखते हुवे - आप सब को मजा आ रहा है या नही
अदिति मधु पूजा जोर से हाथ उपर कर चिल्लाते हुवे - हमे बहोत मजा आ रहा हैं

सभी जल्दी से अपने कान बंद कर लेते है
मिनिता - हद हैं ये बच्चे भी ना
आसा हस्ते हुवे - सब बहोत खुश है इस लिये
अभय नितिका मिका को देख - आप दोनो को अच्छा तो लग रहा है ना
नितिका अभय का देख - बेटा पहली बार इतना मजा आया मुझे सुक्रिया अपने साथ सामिल करने के किये सब के साथ एक फैमिली पिकनिक का मजा ही अलग है

मिका अभय को देख - मुझे भी बहोत अच्छा लग रहा है मजा भी बहोत आ रहा है मे तो कहती हु फिर कभी ऐसा प्लान बनाओ तो जरूर बुलाना हमे
अभय हस्ते हुवे - ठीक है

अभय तारा का देख - मेरी प्यारी मम्मी जी कुछ बोलिये
तारा सब को देखती हो फिर - अपनी बेटी दमाद समधन आप सभी के साथ इस खूबसूरत सांत जगह पिकनिक पे आके आज मे पहली बार इतना अच्छा सुकून फिल कर रही हु जिदंगी मे अब तक

अभय बीच मे तारा को देख - समझ सकता हु मेरी मा ने भी बहोत कुछ झेला है अपने भी मुझे लगता है मिनिता ऑन्टी नितिका ऑन्टी मा आप छोटी मा हर किसी ने कुछ ना कुछ झेला है जानती हो एक औरत सब कुछ झेल सकती है अपने बच्चो के लिये

अभय आसा को देख प्यार से - मेरी मा ने सब बहोत कुछ झेला दर्द सहा लेकिन हमे कोई तकलीफ नही होने दी मा मे आपके बहोत प्यार करता हु
आसा इमोसनल होके अभय को देख - मे भी मेरे बच्चे

अभय - तो हम मजे करने आये तो मजे करते है सब बुरे पल यादों को पीछे छोर भूल के मजे करते है

सभी हा करते है

अभय आसा को देख - मा मुझे फिर जाना होगा
अभय की बात सभी को शोक कर देती है फिर सभी हैरान होके अभय को देखने लगते है

दिशा मुह फुला के - हा हा जहा जाना है जाइये रोका किसने है
अदिति हैरान होके - भाई नही अब आपको कही जाने नही दूंगी
मधु अभय की बाहों को कस के पकरे - दीदी ने सही कहा कुछ दिन पहले ही तो आये थे अब फिर जाने की बात मत कीजिये

पूजा मुह बना के - दीदी जीजा जी को आपकी परवाह हि नही है
तारा पूजा को मारते हुवे - चुप कर जरुर कुछ जरूरी कम होगा नही तू दामाद जी खुद समधन अदिति बेटा सब से दूर नही जाते

मिनिता तारा को देख - आपने सही कहा अभय बेटा बता वजह किया है इस बार जाने का

नितिका मन मे - फिर जा रहा है मुझे छोर के अब पता नही कर आयेगा मे कैसे तुम्हे देखे बगैर रहूगी
मीका मन मे - अब कहा जाने वाला है ये कमीना
सिला अभय को देख - बता बेटा कहा कियु कितने दिन के लिये जाने वाला है

आसा सभी को देख - अपनी बुआ मासी के यहा टूटे रिश्ते को सही करने के लिये

आसा की बात सुन सब हैरान होके - क्या
अदिति हैरान होके - बुआ मासी मे तो उन लोगो को भूल हि गई थी
आसा सभी को देख - कुछ वजह से रिश्ते टूट गये मे भी बच्चो के पालन मे लग गई तो रिश्ते सही नही कर पाई

अभय - हा बुआ मासी के यहा जाके सब सही करना है छोटा था याद भी नही बुआ मासी सब कैसे दिखते है और अब कैसे है

दिशा हैरान होके - मासी बुआ मम्मी जी
आसा - हा अभय की मासी बुआ भी है उस समय अभय अदिति सब छोटे थे तो कुछ याद नही होगा

तारा हैरान होके - अच्छा तो ये वजह तो बहोत बरी है
सिला - हा अभय बेटा तुझे जाना ही चाहिये अपने तो अपने होते है
मिनिता - हा अभय बेटा ये वजह है तो जा सब सही करके ही आना
नितिका मन मे - अच्छा तो ये वजह है तब तो जाना हि चाहिये
मीका मन मे - रिश्ते की कीमत लगाई नही जा सकती
कोमल - ठीक है लेकिन कई साल हो गये है रिश्ते आसानी से जुर् नही जायेंगे टाइम तो लगेगा ही

आसा - कोमल बेटा तुमने सही कहा टाइम तो लगेगा लेकिन मुझे अपने लाला पे भरोसा ही जल्दी ही सब ठीक कर देगा कियु लाला
अभय मुस्कुराते हुवे - बिल्कुल मा

अदिति अभय को देख प्यार से - भाई अगर ऐसा है तो मे भी आपके साथ जाउंगी
मधु भी प्यार से - भाई मे भी
पूजा भी प्यार से - जीजा जी मे भी
अभय तीनों को देख - नही तो नही लेकिन जैसे ही सब सही होगा हम सब जायेंगे
अदिति मधु पूजा उदास होके - ठीक है
सिला - बस ये बेकार चेहरा मत बनाओ लाला मजे नही जरूरी काम से जा रहा है
अदिति मधु पूजा - जी समझ गये

अभय - कुछ दिन बाद जाऊंगा लेकिन मे जल्दी ही सब सही करके आऊँगा बुआ मासी को लेके

आसा - ठीक है बेटा जा सकता है मे खुद चाहती हु जाये

कुछ देर बाते होने के बाद सोने का वक़्त हो जाता है

आसा - चलो सोते है आधी रात हो गई है

अदिति दिशा को देख - भाभी आज तो मे भाई के साथ सोने वाली हु
मधु दिशा को देख - मे भी भाभी आज आपको भाई बिना सोना पड़ेगा
दिशा सर्म से लाल होते हुवे - ठीक है बाबा आज मे अपनी मा के साथ सो जाऊंगी

तारा दिशा को गले लगा के - हा आज हम साथ मे सोयेंगे
पूजा - मे भी
विनय - अच्छा है तो आज मे दीदी के साथ
कोमल मुस्कुराते हुवे - ठीक है बाबा
मिनिता - ठीक है मे भी दीदी के साथ

अभय बीच में दोनों साइड अदिति मधु अदिति के बगल मे मीका नितिका फिर कोमल विनय मिनिता आसा सिला तारा दिशा पूजा सब लाइन से सो जाते है

अभय के सीने पे अदिति मधु सर रखे लेते थे अभय दोनो को बहो मे लिये था

अदिति - भाभी
दिशा - हा बोलिये
अदिति मुस्कुराते हुवे - भइया बिना नींद आ तो जायेगी ना
सब हैरान दिशा शोक सर्म से लाल पानी पानी हो जाती है
आसा मिनिता तारा नितिका सिला सब अंदर ही अंदर हस रहे थे
दिशा शर्मा के - कियु नही आयेगी मे अपनी का के साथ सुई हु
मधु मुस्कुराते हुवे - अच्छा तो हम कुछ और दिन भाई के साथ सोयेंगे ठीक है ना
अब तो सब की हसी छूटने को आई थी
दिशा शर्मा के - हा हा ठीक है मुझे किया
दिशा मन मे - देख लुंगी आप दोनो को सब के सामने मेरे मजे ले रही है
अभय भी हसे जा रहा था
मिनिता धीरे से - दीदी सुना कैसे दोनो भाभी के मजे ले रही है
आसा धीरे से हस्ते हुवे - हा सुना मे दुवा करती हु सब ऐसे ही चलता रहे सब खुश रहे
मिनिता - मे भी दीदी
विजय - भाभी
दिशा - बोलिये देवर जी आपको किया कहना है
विजय - वो आपने जो कहा वो
मिनिता - क्या कहा बहु तुमने शैतान से
दिशा मुस्कुराते हुवे - आपका लाला चाहता है वे जाके आपकी होने वाली बहु के घर वालो से बात करे ताकि दोनो बिना डर के मिल स्के
विजय के कोमल कान पकर - अच्छा जी ऐसा है
विजय सर्म से दर्द मे - दीदी दर्द होता है
आसा - लाला जाके बात कर लेना जाने से पहले
अभय - ठीक है मा कर लूंगा
विजय - शुक्रिया प्यारी ऑन्टी
आसा मुस्कुराते हुवे - जल्दी से मिला हम भी देखे
विजय शर्मा के - जी ऑन्टी
आसा नितिका से -sp जी आप मीका की सादी को लेके क्या सोच रही है
नितिका - अभी तो सोचा नही है कियुंकी मीका मेरी तरह पुलिस ऑफिसर बनना चाहती है
आसा - अरे वाह बहोत अच्छे मीका बेटा
मीका - शुक्रिया ऑन्टी
अभय मजे लेते हुवे - मम्मी जी आपके पास आके सो जाऊ
तारा जल्दी से शर्मा के - नही नही आपकी दोनो गुरिया आने भी नही देगी
सभी हसने लगते है ठोरी देर बाते मस्ती के बाद

सब सांत हो चुके थे कई सो गये थे लेकिन अदिति किस वाला सीन याद कर मन मे - मुझे नींद नही आ रही आखे बंद करते ही भाई मेरे होठ जिब जिस तरह मजे से चूस रस पि रहे थे सब मेरे आखो के सामने आ रहा है मेरे मुह मे अभी भी वो स्वाद है बहोत मजा आया था

अदिति अभय को देखती ही जो सोया था अदिति धीरे सी होठ पे किस करती है फिर सीने से चिपक बहो मे सोने लगती है

सुबह 8 बजे उठ सभी रेडी होते है फिर बिना देरी किये गारी से घर चले जाते है मधु सिला अपने घर कियुंकी गाय बकरी घर देखना था नितिका मीका अपने घर नितिका को अपने काम दियुति पे जाना था

बाकी अभय आसा पूजा दिशा तारा अपने घर मिनिता कोमल विजय अपने घर सब अपने अपने जगह चले जाते है

घर आते ही दिशा अदिति के पीछे पर जाती है दिशा - अब कहा जायेगी बहोत मजे लिये रात वहा एक तो चली गई लेकिन जब आयेगी तब उनको भी नही छोरने वाली मे

अदिति चिल्लाते भागते हुवे आसा के पीछे आके - मा बचा लीजिये देखिये ना भाभी मुझे मार रही है
दिशा - अभी तो कुछ किया भी नही मेने
आसा हस्ते हुवे - देखो मुझे बीच मे मत लाओ तुम भाभी ननद अपना मामला खुद संभालो
दिशा अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - अब कोन बचायेगा आपको
अदिति डरते हुवे तारा के पीछे जाके - बरी मा आप ही बचा लो ना
तारा दिशा को देख - बेटी जाने दो ना बेचारी बच्ची है
दिशा तारा को देख - प्यारी नही शैतान है
दिशा अदिति को उपर से नीचे देख मन मे - बच्ची तो बिल्कुल नही है इतनी मस्त खूबसूरत कमाल की बॉडी है चुचे देखो कितने टाइट खरे है निपल भी साफ कपड़े के ऊपर से दिख रहे है गांड तो मेरे जीतने बड़े फैले है अरे बच्चे की मा बनने की उमर हो गई है


दोपहर 12 बजे

जैसा पुलिस वाले करते है किसी का मडर होता ही तो पहले उसके जानने करीबी वाले से ही पूछताछ करते है तो उदय टीनू की मौत की खबर न्यूज़ पे छा रही थी और दोनो गैंग के बीच लराइ मे हुई मौत ही बताया जा रहा था

हॉल मे भरती आरोही अमर जगमोहन बैठे थे उन सब के सामने नितिका अपने टीम के साथ बैठी थी

नितिका बाकी सब कई सवाल पूछते है घर की जाच करते है फिर चले जाते है वजह अभय था अभय ने नितिका से कहा था फोन करके

2 घंटे पहले

अभय - जान तुम्हे पता चल ही गया होगा उदय टीनू मडर का
नितिका हैरान होके - हा लेकिन तुम दोनो को जानते हो
अभय - हा असल मे मेरी गुरिया की दोस्त की आरोही है उसके मा पापा सब उदय के करीब थे कहे तो उदय ने सब को अपने जाल मे फसाया था

अभय कुछ बाते बताता है ताकि नितिका को इतना ही पता हो उदय कितना कमीना था

अभय - तो मे जनता हु पुलिस वाले बहोत परेसान करेगे उन्हें लेकिन सब निर्दोस् है उल्टा सब के साथ गलत हुवा है तो मे चाहता हु पूछताछ करो लेकिन जयदा उनको परेसान मत होने देना

नितिका - तुम चिंता मत करो ठोरी पूछ ताछ ही होगी
अभय - शुक्रिया
नितिका - गिर्लफ्रेंड को शुक्रिया
अभय मुस्कुराते हुवे - आई लोव यू
नितिका शर्मा के - आई लोव यू

यही हुवा इस वजह से पुलिस वाले जयदा भारती सब को परेसान नही किये

भारती - अभय बेटे के पीछे एक sp भी है आखिर अभय है किया चीज पर जो भी हो उसकी वजह से आज तुम दोनो हम सेफ है

आरोही मन मे - अभय शुक्रिया सही समय पे हमे रोक दिया नही तो हम भी तेरे हाथो मारे जाते और मेरा बच्चा भी
अमर मन मे - सेर को बिल्ली समझ लिये थे सुकर है सेर ने बिल्ली पे दया कर छोर दिया
भारती - कुछ दिन रुकेंगे सब मामला ठण्डा होने के बाद निकलेगे


दूसरी तरफ अभय का फोन बजता है अभय फोन निकालते हुवे - कोन है

अभय नंबर देख कमरे से बाहर आके - हा मेरी जाने मन बोलिये
भारती शर्मा के - शुक्रिया बेटा सब के लिये
अभय मुस्कुराते हुवे - जरूर नही वैसे भी आपकी मस्त फूली चिकनी बुर मारके बहोत मजा आया था फिर कब मिलेगा आपकी बुर
भारती शर्मा के - छी बेसर्म नही मिलेगी फिर
अभय - ठीक है चलेगा
भारती हैरान मन मे - मुझे लगा फिर बोलेगा सच कहु मे अभय की चुदाई भूल नही पा रही हु उफ अब तक की लाइफ मे अभय का लंड लेने मे जो दर्द मजा सुकून मिला सायद किस्मत वाली औरत को ही ऐसा चुदाई सुख नसीब होता है अंदर बाहर जब उसका लंड करता था, भारती बुर सेहलाते हुवे, मेरी बुर भर भर के पानी निकालती थी मेरी बचेदानी मे सीधा घुस जाती थी मुझे बहोत दर्द होता था लेकिन मजा भी बहोत आया अभय का लंड बहोत बरा मोटा है और अभय एक सच्चा मर्द भी किस्मत का शुक्रिया उस कमीने के से बच तुम जैसे मर्द से चुदी और असली चुदाई का सुख मिला

अभय - कुछ बोलेगी
भारती होस मे आके शर्मा के - साम को घर मेरे आओ ना
अभय मुस्कुराते हुवे - बुर देगी तब आऊंगा
भारती शर्मा के - ठीक है दूंगी
अभय -क्या
भारती सर्म से - बुर
अभय - ठीक है साम को आऊँगा
फोन कट

अभय फोन रख कमरे मे जाते हुवे - चलो आज कोमल की बुर का सील तोर उसे औरत बनाते है

अभय अंदर जाता है कोमल बैठी शर्मा के अभय को देखती है अभय मुस्कुराते हुवे - बैठी हो चलो सुरु करते है इसी लिये तो कमु तुम्हे यहा लाया हु

हा अभय कोमल को अपने घर के पास एक घर जोकि अभय ने शोभा के लिये लिया है उसी घर मे कोमल को लेके आ चुका था आज अभय कोमल की सील पैक बुर मारने वाला है

आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏
Kamukta se bhara update diya hai bhai aapne 😈 😈 👍 keep going....
Waiting for next update 👍
 
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chapter 80

आसा मिनिता अपनी दुख दर्द भरी कहानी एक दूसरे को सुना के अपने दिल का बोझ हल्का कर चुके थे

मिनिता आसा को देखते हुवे - दीदी आपने जब बताया आपका भी कोई मेरे जैसा बुरा पास्ट् है और आप अभय को बताने वाली है तो मुझे भी लगा आपके साथ दुख अपनी कहानी बता के अपना बोझ हल्का कर लू अब मुझे अच्छा फिल हो रहा है

आसा - मिनिता अब सर भूल जाओ बुरे पास्ट् को और आगे बढ़ो

तभी अदिति आती है होठ से लाल लीबिस्तिक गायब थे होठ पे हल्का खून निकल रहा था लेकिन थोरा अंधेरा था तो साफ दिख नही रहा था


अदिति आसा मिनिता के पास आते हुवे - मा ऑन्टी किया बाते हो रही है
मिनिता अदिति को देख - कुछ नही बेटा
आसा अदिति को देख - लाला कहा है
अदिति एक तरफ इसारा करते हुवे - वहा बैठे हुवे है

आसा - अच्छा तुम दोनो कैप मे जाओ मे आती हु
मिनिता अदिति कैप मे सब के पास चले जाते है आसा अभय के पास जाने लगती है

हम थोरा पीछे चलते है

अदिति अभय अपने भाई की गोद मे चिपक के बैठी थी अभय अपनी बहन की मस्त मोटी गांड मोटी जांघे बुर बॉडी की गर्मी खुशबु और सीने मे दबे दोनो बरे मुलायम नर्म चुचे फिल कर अलग ही मजे मे था

अभय अदिति के चेहरे एकदम आमने सामने थे थोरा अंधेरा थोरि रोसनी थी पर एक दूसरे को देख सकते थे

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अभय अदिति के गाल पे हाथ फेरते हुवे अदिति के आखो मे देख - बता नही कोन किस्मत वाला होगा जिसे मेरी गुरिया अपने लाइफ पाटनर चुनेगी
अदिति अभय की आखो मे देखते हुवे - भाई सोचती होगी कई लरकिया अपने लाइफ पाटनर के बारे मे लेकिन मेरे लिये आप सबसे पहले है मे बिना सादी लाइफ पाटनर बिना रह सकती हु लेकिन आपसे दूर बिल्कुल नही

अभय अदिति के खूबसूरत चेहरे को देख - सादी तो हर लरकी को एक ना एक दिन करनी ही होती है गुरिया सादी नही करोगी तो मे मामा कैसे बनूँगा
अदिति अभय की बातो से शर्मा जाती है लाल गाल नजरे नीचे कर - पर मुझे आपसे दूर नही जाना
अभय मुस्कुराते हुवे - घर जमाई लेके आयुगा फिर
अदिति अभय को देख -भाई ये सब बाते जाने दो

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अभय अदिति की आखो देखता है फिर अदिति के लाल गुलाबी खूबसूरत होठो पे उंगली फेरते हुवे - ठीक है तो आज अभी आपने भाई को अपने होठ का रस पिला दे मेरी गुरिया तरस रहा हु कब से
अपने भाई की बाते सुन अदिति का हाई जोर से धक धक करने लगता है सासे तेज चलने लगती है अदिति के बॉडी आज कुछ अलग फिल करने लगती है
अदिति तेज सासे लेते अभय की आखो देख - मे अपने भाई को कैसे तरसा सकती हु पी लीजिये मेरे होठ का रस भाई

अभय अदिति के चेहरे को पकरे अपना चेहरा अदिति के एकदम पास लेके आता है अदिति के नाक से अभय अपना नाक टच कर देता है दोनो एक दूसरे की आखो मे देखने लगते है दोनो के होठ खुले एक दूसरे से मिलने के लिये बेताब हो रहे थे अदिति अभी जो फिल कर रही थी जो फीलिंग अंदर से निकल रही थी सब नया था आज कुछ अलग होने वाला था जो एक भाई बहन के बीच नही होता

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अभय अदिति की आखो मे देखते हुवे - हम जो करने जा रहे है वो एक पति पत्नी या लोवर के बीच होता है तो फिर भी तुम करना चाहती हो
अदिति अभय की आखो मे देख - भाई जानती हु इतना तो पता है लेकिन बात मेरे भाई को किस देने की है तो सोचिये मत

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अभय अपना होठ अदिति के होठ पे टच करते हुवे - पहला हक तुम अपने भाई को दे रही हो मे किस्मत वाला हु
अभय की बात अभय के होठ अपने होठ पे फिल करते हुवे तेज सासे लेते हुवे - हा दे रही हु कियुंकी मे चाहती हु
अभय अदिति एक दूसरे की आखो मे देख खो जाते है और फिर दो भाई बहन के होठ एक दूसरे के होठ से मिल जाते है

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दोनो भाई बहन जैसे प्यासे की तरह एक दूसरे को किस करने लगते है पहले दोनो एक दूसरे के होठ लीप चूसने लगते है जोर सोर से
अदिति किस करते हुवे मन मे - उफ ये किस सब से अलग है ये एहसास अपने भाई के गोद मे बाहों मे किस करने का उफ मे इस मोमेंट ने जो फिल कर रही हु बताना मुश्किल है

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किस धीरे धीरेवाइल्ड होने लगती है अब दोनो भाई बहन एक दूसरे के जिब से जिब मिला के जिब होठ चूस रस पीने लगते है अभय अदिति के कमर कस के पाकरे सीने से चिपकाये रस पीते हुवे - दुनिया का सब से मीठा रस मा बहन के होठ का ही हो सकता है जो मजा जो सुकून मा बहन के होठ का रस पीने मे मिलता है शब्द से बया नही किया जा सकता मेरी गुरिया के होठ कितने नर्म है रस तो अमृत है

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किस अब पुरा वाइल्ड हो जाता है अब तो दोनो भाई बहन जिब बाहर निकाल एक दूसरे के जिब को चाटने लगते है चूसने लगते है
अदिति मन मे - आह उफ तो ये होती है असली किस मुझे बहोत हि जयदा मजा आ रहा है मेरे भाई कैसे मजे से मेरे जिब चाट चूस रहे है मुझे बहोत अच्छा लग रहा है भाई के साथ किस करने में भाई पिलो जितना पीना है चूस लो आह भाई मेरे प्यारे भाई
2 mina जोर दार किस चलती है अभय अदिति के होठ चूस रहा था लेकिन हल्का दात लग जाता अदिति आह करती है

अभय किस तोरते हुवे जल्दी से अदिति के होठ छूके देखते हुवे - माफ करना गुरिया जोस मे तुम्हे लग गई
अदिति मुस्कुराते हुवे शर्मा के - भाई कुछ नही हुवा
अभय देखता है होठ से हल्का खून निकल रहा है तो अभय जिब से चाट जाता है अदिति जोर से सिसकिया लेते आह करती है

अभय अदिति के चेहरे पकर आखो मे देख - अपने भाई को पहला हक अपने होठ का रस पिलाने के लिये सुक्रिया मेरी गुरिया
अदिति लाल चेहरा लिये नजरे नीचे किये - भाई सुक्रिया मत करिये
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है पर ये तो बताओ कैसा लगा
अदिति सर्म से धीरे से - बहोत जी जयदा अच्छा लगा

अदिति गोद से उतर नीचे खरी होके अभय के होठ पे किस करके शर्मा के - मे जा रही हु करेगे मे कहा गायब हो गई
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है लेकिन आगे भी मिलेगा ना
अदिति शर्मा के जाते हुवे - सोचुगी

अदिति चली जाती अभय मन मे - लो गुरिया को भी ये बीमारी लग लग सोचने वाली

तो ये सब हुआ अब आते है अभी के सीन पे आसा अभय के पास आती है अभय आसा को देख मुस्कुराते हुवे - मेरी प्यारी खूबसूरत मा आपका ही इंतज़ार था आइये

आसा अभय के पास आके खरी हो जाती है अभय को देख मुस्कुराते हुवे - अच्छा वो कुछ भला
अभय मुस्कुराते हुवे - प्यार करना है

आसा नीचे झुक दोनो हाथो से अपनी सारी पेटीकोट के छोर पकर अपने घुटने तक उठा लेती है अभय अपनी ना के गोरे पैर देखने लगता है आसा आगे बढ़ दोनो पैर फैला के अभय के जांघों के ऊपर आ जाती है फिर सारी नीचे कर अपनी मोटी फैली मस्त नर्म गांड के साथ अभय के जांघों पे बैठ अभय के कंधे पे दोनो हाथ रख देती है

अभय आसा को देख मुस्कुराते हुवे - सही जगह पे नही बैठी है आप मजा नही आ रहा है

आसा अभय को देख मुस्कुराते हुवे अपनी गांड थोरा उठा के सीधा अभय के लंड पे बैठ जाती हो अभय आह करता है आसा भी कामुक् आह करती है

अभय धीरे से पेट पे हाथ रख सेहलाते हुवे दोनो हाथ आसा के पीछे ले जाने लगता है अपने बेटे के पेट के बेटे का हाथ फेरते फिल कर आसा सिसकिया लेने लगती है अभय का दोनो हाथ पीछे जाके एक दूसरे से मिल जाता है फिर अभय एकदम से आसा को अपने सीने बॉडी से चिपका लेता है बीच में कोई गेप नही था दोनो मा बेटे कि बॉडी एक दूसरे से चिपकी हुई थी दोनो के चेहरे एक दूसरे के एकदम पास मे थे

अभय आसा की आखो मे देख - मा पता मे अभी किया फिल कर रहा हुई
आसा अभय की आखो मे देख - नही पता तुम हि बता दो
अभय - कैसे बताऊं खुल के या बिना खुले
आसा अपने बेटे की बात समझ -जैसा तुम्हे सही लगे
अभय - नही आप बोलो मेरी मा जो चाहेगी
आसा थोरा शर्मा के - खुल के
अभय मुस्कुराते हुवे - तो सुनिये मेरी गोद मे सबसे खूबसूरत प्यारी मेरी मा बैठी है आपकी शरीर की खुबसु मुझे बहोत पसंद है आपकी बॉडी की गर्मी मुझे पागल करने लगता है आपकी आखे इतनी नासिलि की जब देखता हु कही खो जाता हु आपका खूबसूरत चेहरा जिसे दिन रात हर वक़्त देखते ही रहने का मन करता है आपके ये रसीले होठ देखता हुई प्यास जग जाती है पीने का दिल करने लगता है आपकी भरी बॉडी बनाने वाले ने बहोत फुर्सत से बनाया है आपकी कमर गहरी जब देखता हुई चुने चूमने का दिल करता है जब आप चलती है आपकी कमर लचकाके कयामत लगती है अभी आप जिस तरह मेरी गोद मे जिस जगह बैठी है

अभय रुक आसा को देखता हि रहता है आसा बरे गोर से अपने बेटे के मुह से अपनी तारीफ सुन गदगद हो गई थी अभय को चुप देख - रुक कियु गया आगे
अभय आसा की आखो मे देख - जगह खूबसूरत है सांत है लेकिन हम अकेले नही है घर पे रात को जब मे आता हुई तब खुल की बाकी सब जो मे फिल करता हु बताऊंगा

आसा मुस्कुराते हुवे - ठीक है फिर
अभय मुस्कुराते हुवे - फिल्हाल आपकी गुफा की गर्मी मेरे केले का बेचैन कर रही है और आपके मस्त नर्म बरे पपीते भी

आसा शर्मा के - बेसरम

अभय - मा सुसु की आवाज सुनाओ ना
आसा एकदम से शर्मा के - बेसरम नही लगी है कैसे सुनाऊ
अभय निरास होके - अच्छा
आसा अभय के होठ पे किस करते हुवे - चल सुनाती हु कितना बेशर्म हो गया है जब से सुनाया है रोज पीछे पर जाता है

अभय खुश होके - तो देर किस बात की

आसा अभय के गोद से नीचे खरी होके पास पास एक जगह देख वही खरी हो जाती है फिर अभय को देखते हुवे सारी पेटीकोट उपर करने लगती है अभय एकदम आसा के पास आके नीचे बैठ जाता है आसा लाल चेहरा लिये घुटने से उपर तक सारी कर देती है

अभय देखता है गोरी टांगे फिर आसा का देख आखे बंद कर लेती है आसा पैंटी नीचे कर पुरा सारी उठा के बैठ जाती है बुर पे काले बाल मस्त लग रहे थे कमाल का सीन था एक मा नंगी नीचे से पिसाब करने बैठी है उसके एकदम सामने उसका बेटा बैठा है आख बंद किये

आसा अभय के चेहरे आमने सामने थे आसा अभय को देख मन मे - मेरे लाला के जगह कोई और होता तो कब का मेरे साथ कुछ करने या देखने की कोसिस करता लेकिन मेरा लाला कितना अच्छा है चाहता तो चोरी छुपे सब देख सकता था लेकिन देखो कैसे कस के आखे बंद किये है लाला अपने आप को अच्छे से रोकना अपने पे काबू रखना जनता है इसी लिये तो मे भी बिना सोचे सब करने लगती हु

आसा परेसर् बनाती हैं फिर जोर से एक धार निकलती है सुई सुई अभय सांत आवाजे सुनने लगता हैं आसा पिसाब करते अभय को हि देख रही थी आसा मन मे - एक मा होने के नाते ये सब गलत हैं लेकिन मेरे लिये मेरे लाल की खुशी जरूरी है ऐसा नही मे करना नही चाहती या मे मर्ज़ी से नही करती पर मेरी लिमिट के अंदर सब करुगी

आसा पिसाब कर लेती हो बुर से एक एक बूंद नीचे टपक रहा था कुछ बूंद बुर के बाल पे अटक गये थे आसा उतने वाले होती है लेकिन अभय - नही बैठी रहिये
आसा बैठी रहती है और अभय को देख - ठीक है
अभय अपना हाथ आख बंद किये आसा के चेहरे के पास ले जाता है अभय आसा के होठ छुटा है फिर आगे झुक किस करने लगता है

आसा नीचे से नंगी थी अभय किस करने लगता है आज का किस भी अलग की था आसा सर्म से पानी पानी हो जाती लेकिन फिर मुस्कुराते हुवे अभय का साथ देने लगती है दोनो एक दूसरे के होठ जिब चूस के रस पीने लगते हैं आसा आगे झुकी थी जिस वजह से पीछे आसा के बरे गांड उठे मस्त लग रहे थे 2 मिनट बाद किस टूटता है

अभय आखे बंद किये - आज का किस मा मे कभी नही भूलूंगा
आसा शर्म से - मे भी नही अब उठ जाऊ
अभय खरा होके - हा
आसा खरी होके पैंटी पहन सारी नीचे कर - हो गया
अभय आखे खोल नीचे देखता है तो आसा जल्दी से एकदम सामने आके सर्म से - किया देख रहा है चल चलते है
अभय मुस्कुराते हुवे - छेद कर दिया आपने तो
आसा सर्म से पानी पानी हो जाती है

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अभय आसा के के गर्दन को चूमने किस करने लगता है आसा जोर से सिसकिया लेती है अभय चूमते किस करते हुवे - आह मा आप बहोत सेक्सी है
आसा जोर जोर से सासे सिसकिया लेते - उफ आह बेटा उफ तुम भी मेरे लाल

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अभय फिर आसा के पीछे गांड पे लंड सता के आसा को बाहों मे कस के पकरे गर्दन को चूसने लगता है चाटने लगता आसा मुठी कस जोर से - आह उफ बेटा आह सिसकिया लेती बोलती रहती है अभय फिर एकदम से रुक जाता है

अभय आस को देख - मा चलते हैं नही तो बोलने कहा मा बेटे गायब हो गये प्यार तो और करता था लेकिन कल घर पे आराम से करूँगा
आसा जोर जोर सासे लेते हुवे मन मे - आह मा ये लरका मेरे अंग को ऐसे चाटता है जैसे मेरी बॉडी अंग आइस्कृम हो उफ मेरी बॉडी मचल मदहोस मे चली जाती है आह लेकिन मुझे लाला का टच छूना चूमना किस चाटना बहोत सुकून देता है अभय को देख
आसा हस्ते हुवे - ठीक है कर लेना मेरे लाल अब चल

अभय आस कैप के अंदर आते है मोटा रुई वाला मस्त बिस्तर सब का एक साथ मे लगा था सब एक जगह गोल बैठ बाते करने मे लगे थे
अभय आसा आके बैठ जाते है

अदिति मधु आसा के पास आके बाहों को पकर चिपक के बैठ जाती है धीरे धीरे सब एक गोल लाइन बना के बैठ जाते है सब एक दूसरे के आमने सामने थे

अभय सभी को देखते हुवे - आप सब को मजा आ रहा है या नही
अदिति मधु पूजा जोर से हाथ उपर कर चिल्लाते हुवे - हमे बहोत मजा आ रहा हैं

सभी जल्दी से अपने कान बंद कर लेते है
मिनिता - हद हैं ये बच्चे भी ना
आसा हस्ते हुवे - सब बहोत खुश है इस लिये
अभय नितिका मिका को देख - आप दोनो को अच्छा तो लग रहा है ना
नितिका अभय का देख - बेटा पहली बार इतना मजा आया मुझे सुक्रिया अपने साथ सामिल करने के किये सब के साथ एक फैमिली पिकनिक का मजा ही अलग है

मिका अभय को देख - मुझे भी बहोत अच्छा लग रहा है मजा भी बहोत आ रहा है मे तो कहती हु फिर कभी ऐसा प्लान बनाओ तो जरूर बुलाना हमे
अभय हस्ते हुवे - ठीक है

अभय तारा का देख - मेरी प्यारी मम्मी जी कुछ बोलिये
तारा सब को देखती हो फिर - अपनी बेटी दमाद समधन आप सभी के साथ इस खूबसूरत सांत जगह पिकनिक पे आके आज मे पहली बार इतना अच्छा सुकून फिल कर रही हु जिदंगी मे अब तक

अभय बीच मे तारा को देख - समझ सकता हु मेरी मा ने भी बहोत कुछ झेला है अपने भी मुझे लगता है मिनिता ऑन्टी नितिका ऑन्टी मा आप छोटी मा हर किसी ने कुछ ना कुछ झेला है जानती हो एक औरत सब कुछ झेल सकती है अपने बच्चो के लिये

अभय आसा को देख प्यार से - मेरी मा ने सब बहोत कुछ झेला दर्द सहा लेकिन हमे कोई तकलीफ नही होने दी मा मे आपके बहोत प्यार करता हु
आसा इमोसनल होके अभय को देख - मे भी मेरे बच्चे

अभय - तो हम मजे करने आये तो मजे करते है सब बुरे पल यादों को पीछे छोर भूल के मजे करते है

सभी हा करते है

अभय आसा को देख - मा मुझे फिर जाना होगा
अभय की बात सभी को शोक कर देती है फिर सभी हैरान होके अभय को देखने लगते है

दिशा मुह फुला के - हा हा जहा जाना है जाइये रोका किसने है
अदिति हैरान होके - भाई नही अब आपको कही जाने नही दूंगी
मधु अभय की बाहों को कस के पकरे - दीदी ने सही कहा कुछ दिन पहले ही तो आये थे अब फिर जाने की बात मत कीजिये

पूजा मुह बना के - दीदी जीजा जी को आपकी परवाह हि नही है
तारा पूजा को मारते हुवे - चुप कर जरुर कुछ जरूरी कम होगा नही तू दामाद जी खुद समधन अदिति बेटा सब से दूर नही जाते

मिनिता तारा को देख - आपने सही कहा अभय बेटा बता वजह किया है इस बार जाने का

नितिका मन मे - फिर जा रहा है मुझे छोर के अब पता नही कर आयेगा मे कैसे तुम्हे देखे बगैर रहूगी
मीका मन मे - अब कहा जाने वाला है ये कमीना
सिला अभय को देख - बता बेटा कहा कियु कितने दिन के लिये जाने वाला है

आसा सभी को देख - अपनी बुआ मासी के यहा टूटे रिश्ते को सही करने के लिये

आसा की बात सुन सब हैरान होके - क्या
अदिति हैरान होके - बुआ मासी मे तो उन लोगो को भूल हि गई थी
आसा सभी को देख - कुछ वजह से रिश्ते टूट गये मे भी बच्चो के पालन मे लग गई तो रिश्ते सही नही कर पाई

अभय - हा बुआ मासी के यहा जाके सब सही करना है छोटा था याद भी नही बुआ मासी सब कैसे दिखते है और अब कैसे है

दिशा हैरान होके - मासी बुआ मम्मी जी
आसा - हा अभय की मासी बुआ भी है उस समय अभय अदिति सब छोटे थे तो कुछ याद नही होगा

तारा हैरान होके - अच्छा तो ये वजह तो बहोत बरी है
सिला - हा अभय बेटा तुझे जाना ही चाहिये अपने तो अपने होते है
मिनिता - हा अभय बेटा ये वजह है तो जा सब सही करके ही आना
नितिका मन मे - अच्छा तो ये वजह है तब तो जाना हि चाहिये
मीका मन मे - रिश्ते की कीमत लगाई नही जा सकती
कोमल - ठीक है लेकिन कई साल हो गये है रिश्ते आसानी से जुर् नही जायेंगे टाइम तो लगेगा ही

आसा - कोमल बेटा तुमने सही कहा टाइम तो लगेगा लेकिन मुझे अपने लाला पे भरोसा ही जल्दी ही सब ठीक कर देगा कियु लाला
अभय मुस्कुराते हुवे - बिल्कुल मा

अदिति अभय को देख प्यार से - भाई अगर ऐसा है तो मे भी आपके साथ जाउंगी
मधु भी प्यार से - भाई मे भी
पूजा भी प्यार से - जीजा जी मे भी
अभय तीनों को देख - नही तो नही लेकिन जैसे ही सब सही होगा हम सब जायेंगे
अदिति मधु पूजा उदास होके - ठीक है
सिला - बस ये बेकार चेहरा मत बनाओ लाला मजे नही जरूरी काम से जा रहा है
अदिति मधु पूजा - जी समझ गये

अभय - कुछ दिन बाद जाऊंगा लेकिन मे जल्दी ही सब सही करके आऊँगा बुआ मासी को लेके

आसा - ठीक है बेटा जा सकता है मे खुद चाहती हु जाये

कुछ देर बाते होने के बाद सोने का वक़्त हो जाता है

आसा - चलो सोते है आधी रात हो गई है

अदिति दिशा को देख - भाभी आज तो मे भाई के साथ सोने वाली हु
मधु दिशा को देख - मे भी भाभी आज आपको भाई बिना सोना पड़ेगा
दिशा सर्म से लाल होते हुवे - ठीक है बाबा आज मे अपनी मा के साथ सो जाऊंगी

तारा दिशा को गले लगा के - हा आज हम साथ मे सोयेंगे
पूजा - मे भी
विनय - अच्छा है तो आज मे दीदी के साथ
कोमल मुस्कुराते हुवे - ठीक है बाबा
मिनिता - ठीक है मे भी दीदी के साथ

अभय बीच में दोनों साइड अदिति मधु अदिति के बगल मे मीका नितिका फिर कोमल विनय मिनिता आसा सिला तारा दिशा पूजा सब लाइन से सो जाते है

अभय के सीने पे अदिति मधु सर रखे लेते थे अभय दोनो को बहो मे लिये था

अदिति - भाभी
दिशा - हा बोलिये
अदिति मुस्कुराते हुवे - भइया बिना नींद आ तो जायेगी ना
सब हैरान दिशा शोक सर्म से लाल पानी पानी हो जाती है
आसा मिनिता तारा नितिका सिला सब अंदर ही अंदर हस रहे थे
दिशा शर्मा के - कियु नही आयेगी मे अपनी का के साथ सुई हु
मधु मुस्कुराते हुवे - अच्छा तो हम कुछ और दिन भाई के साथ सोयेंगे ठीक है ना
अब तो सब की हसी छूटने को आई थी
दिशा शर्मा के - हा हा ठीक है मुझे किया
दिशा मन मे - देख लुंगी आप दोनो को सब के सामने मेरे मजे ले रही है
अभय भी हसे जा रहा था
मिनिता धीरे से - दीदी सुना कैसे दोनो भाभी के मजे ले रही है
आसा धीरे से हस्ते हुवे - हा सुना मे दुवा करती हु सब ऐसे ही चलता रहे सब खुश रहे
मिनिता - मे भी दीदी
विजय - भाभी
दिशा - बोलिये देवर जी आपको किया कहना है
विजय - वो आपने जो कहा वो
मिनिता - क्या कहा बहु तुमने शैतान से
दिशा मुस्कुराते हुवे - आपका लाला चाहता है वे जाके आपकी होने वाली बहु के घर वालो से बात करे ताकि दोनो बिना डर के मिल स्के
विजय के कोमल कान पकर - अच्छा जी ऐसा है
विजय सर्म से दर्द मे - दीदी दर्द होता है
आसा - लाला जाके बात कर लेना जाने से पहले
अभय - ठीक है मा कर लूंगा
विजय - शुक्रिया प्यारी ऑन्टी
आसा मुस्कुराते हुवे - जल्दी से मिला हम भी देखे
विजय शर्मा के - जी ऑन्टी
आसा नितिका से -sp जी आप मीका की सादी को लेके क्या सोच रही है
नितिका - अभी तो सोचा नही है कियुंकी मीका मेरी तरह पुलिस ऑफिसर बनना चाहती है
आसा - अरे वाह बहोत अच्छे मीका बेटा
मीका - शुक्रिया ऑन्टी
अभय मजे लेते हुवे - मम्मी जी आपके पास आके सो जाऊ
तारा जल्दी से शर्मा के - नही नही आपकी दोनो गुरिया आने भी नही देगी
सभी हसने लगते है ठोरी देर बाते मस्ती के बाद

सब सांत हो चुके थे कई सो गये थे लेकिन अदिति किस वाला सीन याद कर मन मे - मुझे नींद नही आ रही आखे बंद करते ही भाई मेरे होठ जिब जिस तरह मजे से चूस रस पि रहे थे सब मेरे आखो के सामने आ रहा है मेरे मुह मे अभी भी वो स्वाद है बहोत मजा आया था

अदिति अभय को देखती ही जो सोया था अदिति धीरे सी होठ पे किस करती है फिर सीने से चिपक बहो मे सोने लगती है

सुबह 8 बजे उठ सभी रेडी होते है फिर बिना देरी किये गारी से घर चले जाते है मधु सिला अपने घर कियुंकी गाय बकरी घर देखना था नितिका मीका अपने घर नितिका को अपने काम दियुति पे जाना था

बाकी अभय आसा पूजा दिशा तारा अपने घर मिनिता कोमल विजय अपने घर सब अपने अपने जगह चले जाते है

घर आते ही दिशा अदिति के पीछे पर जाती है दिशा - अब कहा जायेगी बहोत मजे लिये रात वहा एक तो चली गई लेकिन जब आयेगी तब उनको भी नही छोरने वाली मे

अदिति चिल्लाते भागते हुवे आसा के पीछे आके - मा बचा लीजिये देखिये ना भाभी मुझे मार रही है
दिशा - अभी तो कुछ किया भी नही मेने
आसा हस्ते हुवे - देखो मुझे बीच मे मत लाओ तुम भाभी ननद अपना मामला खुद संभालो
दिशा अदिति को देख मुस्कुराते हुवे - अब कोन बचायेगा आपको
अदिति डरते हुवे तारा के पीछे जाके - बरी मा आप ही बचा लो ना
तारा दिशा को देख - बेटी जाने दो ना बेचारी बच्ची है
दिशा तारा को देख - प्यारी नही शैतान है
दिशा अदिति को उपर से नीचे देख मन मे - बच्ची तो बिल्कुल नही है इतनी मस्त खूबसूरत कमाल की बॉडी है चुचे देखो कितने टाइट खरे है निपल भी साफ कपड़े के ऊपर से दिख रहे है गांड तो मेरे जीतने बड़े फैले है अरे बच्चे की मा बनने की उमर हो गई है


दोपहर 12 बजे

जैसा पुलिस वाले करते है किसी का मडर होता ही तो पहले उसके जानने करीबी वाले से ही पूछताछ करते है तो उदय टीनू की मौत की खबर न्यूज़ पे छा रही थी और दोनो गैंग के बीच लराइ मे हुई मौत ही बताया जा रहा था

हॉल मे भरती आरोही अमर जगमोहन बैठे थे उन सब के सामने नितिका अपने टीम के साथ बैठी थी

नितिका बाकी सब कई सवाल पूछते है घर की जाच करते है फिर चले जाते है वजह अभय था अभय ने नितिका से कहा था फोन करके

2 घंटे पहले

अभय - जान तुम्हे पता चल ही गया होगा उदय टीनू मडर का
नितिका हैरान होके - हा लेकिन तुम दोनो को जानते हो
अभय - हा असल मे मेरी गुरिया की दोस्त की आरोही है उसके मा पापा सब उदय के करीब थे कहे तो उदय ने सब को अपने जाल मे फसाया था

अभय कुछ बाते बताता है ताकि नितिका को इतना ही पता हो उदय कितना कमीना था

अभय - तो मे जनता हु पुलिस वाले बहोत परेसान करेगे उन्हें लेकिन सब निर्दोस् है उल्टा सब के साथ गलत हुवा है तो मे चाहता हु पूछताछ करो लेकिन जयदा उनको परेसान मत होने देना

नितिका - तुम चिंता मत करो ठोरी पूछ ताछ ही होगी
अभय - शुक्रिया
नितिका - गिर्लफ्रेंड को शुक्रिया
अभय मुस्कुराते हुवे - आई लोव यू
नितिका शर्मा के - आई लोव यू

यही हुवा इस वजह से पुलिस वाले जयदा भारती सब को परेसान नही किये

भारती - अभय बेटे के पीछे एक sp भी है आखिर अभय है किया चीज पर जो भी हो उसकी वजह से आज तुम दोनो हम सेफ है

आरोही मन मे - अभय शुक्रिया सही समय पे हमे रोक दिया नही तो हम भी तेरे हाथो मारे जाते और मेरा बच्चा भी
अमर मन मे - सेर को बिल्ली समझ लिये थे सुकर है सेर ने बिल्ली पे दया कर छोर दिया
भारती - कुछ दिन रुकेंगे सब मामला ठण्डा होने के बाद निकलेगे


दूसरी तरफ अभय का फोन बजता है अभय फोन निकालते हुवे - कोन है

अभय नंबर देख कमरे से बाहर आके - हा मेरी जाने मन बोलिये
भारती शर्मा के - शुक्रिया बेटा सब के लिये
अभय मुस्कुराते हुवे - जरूर नही वैसे भी आपकी मस्त फूली चिकनी बुर मारके बहोत मजा आया था फिर कब मिलेगा आपकी बुर
भारती शर्मा के - छी बेसर्म नही मिलेगी फिर
अभय - ठीक है चलेगा
भारती हैरान मन मे - मुझे लगा फिर बोलेगा सच कहु मे अभय की चुदाई भूल नही पा रही हु उफ अब तक की लाइफ मे अभय का लंड लेने मे जो दर्द मजा सुकून मिला सायद किस्मत वाली औरत को ही ऐसा चुदाई सुख नसीब होता है अंदर बाहर जब उसका लंड करता था, भारती बुर सेहलाते हुवे, मेरी बुर भर भर के पानी निकालती थी मेरी बचेदानी मे सीधा घुस जाती थी मुझे बहोत दर्द होता था लेकिन मजा भी बहोत आया अभय का लंड बहोत बरा मोटा है और अभय एक सच्चा मर्द भी किस्मत का शुक्रिया उस कमीने के से बच तुम जैसे मर्द से चुदी और असली चुदाई का सुख मिला

अभय - कुछ बोलेगी
भारती होस मे आके शर्मा के - साम को घर मेरे आओ ना
अभय मुस्कुराते हुवे - बुर देगी तब आऊंगा
भारती शर्मा के - ठीक है दूंगी
अभय -क्या
भारती सर्म से - बुर
अभय - ठीक है साम को आऊँगा
फोन कट

अभय फोन रख कमरे मे जाते हुवे - चलो आज कोमल की बुर का सील तोर उसे औरत बनाते है

अभय अंदर जाता है कोमल बैठी शर्मा के अभय को देखती है अभय मुस्कुराते हुवे - बैठी हो चलो सुरु करते है इसी लिये तो कमु तुम्हे यहा लाया हु

हा अभय कोमल को अपने घर के पास एक घर जोकि अभय ने शोभा के लिये लिया है उसी घर मे कोमल को लेके आ चुका था आज अभय कोमल की सील पैक बुर मारने वाला है

आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏
Super excellent work waiting for next
 
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ajay bhai

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chapter 81

मधु अपने घर पे आईने के सामने खरी खुद को देख रही थी दोपहर के 12 बज रहे थे मधु खुद को देख पिकनिक वाली रात जो हुआ उसे याद कर सर्म से लाल चेहरा लिये हुवे थी

मधु मन मे - उस रात भाई मेरे चुचे दबाये मिठा दर्द बहोत अच्छा लग रहा था दिल चाह रहा था भाई दबाते रहे मेरे चुचे को उफ मुझे बहोत सर्म आ रही है अंदर अजीब हलचल उठ रही थी

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टाइट टिसर्ट मे मधु के मस्त बरे दोनो चुचे साफ दिख रहा था कितना बरा टाइम चुचे कैद छुपे है नीचे जींस बीच मे कमर डोरी मधु बवाल लग रही थी मधु एक बार अपने एक चुके पे हाथ रख धीरे से दबती है फिर सर्मा जाती है

मधु फिर घर से बाहर आके खेत की तरफ निकल परती है चलते हुवे मधु की गांड कमर मस्त हिल रहे थे वही सिला मधु के आने का इंतज़ार कर रही थी

सिला घास काट रेडी बैठी आराम कर रही थी लेकिन सिला भी पिकनिक के रात अभय की बातों को जो हुआ उसे याद कर सर्म से लाल थी

सिला मन मे - कितना बेसरम है अपनी मा को प्यार करना चाहता है देखना चाहता है मेने भी एक चीज दिखाने को केह दिया लेकिन अब मुझे बहोत सर्म आ रही है उफ मे सर्म से मर ना जाऊ वैसे किया देखेगा मेरे चुचे या छि छी मे क्या सोच रही हु

तभी मधु आ जाती है
मधु सिला को देख - मा पिकनिक पे बहोत मजा आया था ना मेरा दिल तो कर रहा था वही रह जाऊ

सिला मधु को देख - हा मजा तो बहोत आया खैर तेरा प्यारा भाई फिर कभी लेके जायेगा.
मधु मुस्कुराते हुवे - मेरे भइया जरूर लेके जायेंगे
सिला - बरी आई भइया की लाडली

मधु घास उठा लेती है फिर दोनो मा बेटी बाते करते घर जाने लगते है


अभय के घर अदिति भी बिस्तर पे लेती हुई पिकनिक की रात जिस तरह अपने होठो के रस का जाम अपने भाई को पिलाया पिया सब याद कर सर्मा रही थी

मधु अपने होठ मे उंगली फेरते हुवे मन मे - भाई मेरे बीच एक जो किस हुआ और भाई तो मेरे होठ जिब मजे से चूस रहे थे मुझे अलग ही मजा सुकून मिल रहा था मेरा दिल आत्मा चाह रहा था भाई मुझे बाहों मे कस के दबाये मेरे होठ जिब को चूस रस पीते है और मे पिलाती रहु

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अदिति फिर पेट के बल लेत जाती है और एक खतरनाक पानी निकाल देने वाला सीन बन जाता है लाल तीसर्ट टाइट लेग्गीस पुरे पैर गांड से चिपकी हुई थी अदिति उफ उसकी बरी गांड उठे साफ दिख रहा था जिस तरह अदिति लेती थी बवाल का सीन था

अदिति का चेहरा सर्म से लाल था और किस वाला सीन जो बाते हुवे सब सोच सर्माये जा रही थी

आसा भी अपने कमरे मे लेती पिकनिक वाली रात अभय उसके बीच जो हुआ सीन याद कर सर्म से लाल थी

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आसा मस्त बिस्तर पे लेती हुई थी सीने से सारी बिस्तर पे फैली थी लाल ब्लाउस मे मस्त चुचे खरे थे गोरी कमर ढोरी साफ दिख रही थी आसा रात के सीन याद कर कभी हस्ती कभी सर्मा जाती

आसा मन मे - जहा तक मे सोच नही सकती उसके आगे लाला सोचता है कितना बेसरम बेटा पैदा किया है मेने मुझसे कैसी बाते करता है मेरी बॉडी बदन से खेलता मुझसे अजीब सर्म वाली हरकते करवाता है उफ मे सर्म से मर ना जाऊ रात मे नीचे से पूरी नंगी थी और लाला मुझे किस कर रहा था मेरे होठ का रस पी रहा था ने भी नंगी नीचे से झुक लाला को होठ का रस पिला रही थी उफ बहोत सर्म आ रही है उस सीन को याद करके अब तो मेरी सासे और तेज हो जाती है ये सोच लाला आगे किया करेगा मुझसे करवाएगा

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दिशा भी बिस्तर पे लेती मस्त बवाल लग रही थी पतली गोरी कमर ढोरी उफ सीन मस्त था दिशा तो अदिति मधु को लेकर सोच मन मे - दोनो बहोत शैतान हो गई है मेरे मजे लिये अब मे लुंगी बस मोक्का मिल जाये एक बार

दिशा फिर मुस्कुराते हुवे अपने पेट पे हाथ रख - मेरे बच्चे तेरी मा बहोत बेसबरी से तेरे इस दुनिया मे आने का इंतज़ार कर रही है


मिनिता भी सोफे पे बैठी पिकनिक की रात आसा उसके बीच बातों को याद कर सोचो मे गुम थी

मिनिता मन मे - दीदी ने जितना झेला सायद कोई और होता झेल नही पाता

मिनिता फिर अभय को याद कर सर्मा के और अभय उसका मोटा लंड बुर मे जाता है तो झेला नही जाता बुर मेरी उफ फच् फच् पानी बहाने लगती है उफ इतना जोरदार मस्त चुदाई हर औरत चाहेगी

कोमल जब सभी घर आये तब कोमल नहाने जाते है तब कोमल बाथरूम मे पूरी नंगी नहाते हुवे पिकनिक की रात सीन याद तेज सासे लेने लगती है

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कोमल नंगी बुर के फाको के बीच उंगली करते हुवे मन मे - आह अभय तूने ये क्या कर दिया उस रात आह अभय का गर्म मोटा सुपरा मेरी कुवारी बुर के फाको मे कैसे रगर रहा था उफ मेरी बुर मचल तरप् रही थी दिल कर रहा था बुर मे लेगु लेकिन आज उसने कहा है आह उफ डर भी लग रहा है जोस भी बढ़ रहा है अभय

नितिका के घर

मिका भी पिकनिक की रात हुई सीन याद कर सर्मा रही थी मचल रही थी

मिका सोफे पे बैठी कोफ़ी पीते हुवे - कमीना मेरा पहला किस ले लिया मुझे गिर्ल्फ्रेड बनाने की बात कर रहा था बरा आया लेकिन मुझे बहोत छी मे कियु इतना सोच रही हु कमीना है बेसरम भी उससे दूर रहने मे भलाई है


नितिका जब सुबह घर आई थी तब कमरे मे कपड़े चेज करते हुवे नितिका भी पिकनिक की रात सब याद कर रही थी


नितिका मन मे - सोचा नही था मे अपने प्यार बाबू के फैमिली के साथ पिकनिक मनाऊँगी सच कहु तो मे बहोत खुश थी बहोत मजा आया सब के साथ बाते करके वक़्त गुजार के बाबू की मा बहन बीवी बाकी सब कितने अच्छे साफ दिल के है सब मुझे अपनो की तरफ मान अच्छे से बाते कर रहे थे मुझे अपना सा सब के साथ फिल हुआ मेरे बाबू ने मुझे बेस्ट सरप्राइज दिया

नितिका फिर अभय के साथ हुवे सीन याद कर सर्मा के - उफ बाबू बहोत जोर से दबाते है बहोत दर्द होता है और कितनी बेसरम गंदी बाते करते हो उफ बहोत सर्म लेकिन अच्छा भी लगता है


अब आते है अभय के पास अभय कोमल का लेके आ गया था आज कोमल की सील टूटने वाली थी आज कोमल औरत बनने वाली थी


अभय कोमल के पास जाके बाहों मे भर आखो मे देख - कोमल फिर सोच लो किया तुम करना चाहती हो
कोमल अभय को देख - अभय तेरी जगह कोई और होता तो ये सवाल इस समय नही करता बलकी मेरे जिस्म पे टूट परता जानते हो तुम सब से अलग हो बेसरम हो ठरकी भी लेकिन दिल के साफ अच्छे हो हा मे अपनी कुवारी पन तुझे देना चाहती हु और मुझे इसका कोई आगे जाके पचतावा नही होगा

अभय कोमल को प्यार से देख - ठीक है मे भी वादा करता हुई तुम से भले तुम्हारी सादी हो जाये लेकिन मे तुम्हे हमेसा प्यार करता रहूँगा

कोमल अभय के सीने पे सर रख - अभय मे तुम्हारे मुह से यही सुनना चाहती हु मुझे बस इतना ही चाहिये तुम से मे तुमसे प्यार करने लगी हु
अभय कोमल के चेहरे को पकर आखो मे देख - मे भी कोमल तुमसे बहोत प्यार करता हु आई लोव यू
कोमल इमोसनल होके अभय का देखते हुवे - आज मे बहोत खुश हु मे अपने प्यार को अपना सब देने वाली हु

अभय मुस्कुराते हुवे - भले तुम्हारी सादी किसी से हो लेकिन तुम्हारी बुर जयदा मे ही मारूंगा
कोमल सर्मा के अभय के सीने पे मारते हुवे - बेसरम

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अभय फिर कोमल को किस करने लगता है कोमल भी सब भूल किस करने लगती हो दोनो एक दूसरे के होठ का रस पीने लगते हो किस करने के बाद

अभय पुरा नँगा हो जाता है अभय का मोटा लम्बा खरा लंड देख कोमल थोरा डर के मन मे - मेरी कुवारी बुर मे कैसे घुसेगा डर लग रहा है

अभय कोमल का देख - कमु शुरू करो ना
कोमल होस मे आके - हा करती हु

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कोमल अभय घुटने पे आके अभय का लंड मुह मे लेके मजे से चूसने लगती है अभय कोमल को देख - उफ कमु मस्त लंड चुस्ती है मजा आ रहा है, कोमल मन मे - उफ जितनी बार मुह मे लू मन नही भरता मजा आ जाता है आह कितना गर्म मस्त स्वाद है
2 मिनट बाद

अभय कोमल को देख - कपड़े उतारो ना
कोमल सर्माते हुवे सारे कपड़े निकाल बिकनी पैंटी मे खरी थी

अभय कोमल के पास जाके कोमल को बिस्तर पे लेता लेता है कोमल सर्माते हुवे अभय को देखती रहती है

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अभय कोमल के दोनो चुचे दबाते हुवे नीचे कोमल के पैंटी के ऊपर से बुर को सहलाने लगता है कोमल बिस्तर कस के पकर सिसकिया लेने लगती हो सासे दिल की धर्कन् तेज होने लगती है
अभय कोमल को देख - कमु तुम तुम्हारी बॉडी कमाल की है
कोमल अभय को देख सर्मा के - उफ अभय

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अभय कोमल के उपर आके बिकनी निकाल चुचे को को देखने लगता है कोमल की पूरी बॉडी दूध जैसे गोरी थी लेकिन चुचे के निपल काले थे पर ये काले निपल खूबसूरत लग रहे थे
अभय कोमल को देख - कमु बहोत मस्त टाइट बरे चुचे है कभी दबाया है
अभय सर्मा के अभय को देख - हा जब तुम ने देखा दबाया तब तुम्हे याद कर दबाती थी
अभय मुस्कुराते हुवे - अच्छा समझ गया

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अभय झुक के एक चुचे मुह मे लेके चूसने लगता है कोमल एक हाथ से बिस्तर पकर दूसरा हाथ अभय के सर पे रखे सिसकिया मदहोसी मे - आह उफ अभय चुसो अच्छे से दबाओ मेरे चुचे को बहोत अच्छा लग रहा है अभय चुचे चूस रहा था दबा रहा था कभी दात से काट लेता था
कोमल दर्द मे - आह अभय काटो मत उफ दर्द होता है
अभय, 3 मिनट खुद दबाता चुचे सुस्ता है

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अभय फिर कोमल को देख मुस्कुराते हुवे कोमल की पैंटी निकालने लगता है पैंटी जैसे ही नीचे आती है कोमल की मस्त टाइट कुवारी बुर अभय के सामने आ जाती है बुर पे हल्के काले बाल थे कोमल की बुर बहोत खूबसूरत मस्त कमाल लग रही थी
अभय पैंटी निकाल बिस्तर पे फेक देता है

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अभय कोमल के बुर के फाके फैलाके अंदर देखते हुवे - बहोत छोटा लाल छेद है कमु आज ये छेद फैला दूंगा सिल तोर दूंगा तुम एक लरकी से औरत बन जाओगी
कोमल तो पूरी मदहोसी मे तेज सासे लिये मचल अभय का देखे जा रही थी अभय क्या कर रहा है

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अभय एक उंगली धीरे से बुर मे घुसाने लगता है कोमल एकदम से काप् जाती है कोमल और जोर से कस के बिस्तर पकर तेज सिसकिया तेज सासे लेते हुवे मचल ऊँठती है
कोमल अभय को देख मदहोसी मे सिसकिया लेते - आह अभय धीरे लग रहा है
अभय कोमल को देख बुर मे उंगली करते हुवे- कमु बहोत टाइट गर्म है मेरी उंगली जल रही है अंदर जा भी नही रही उफ
अभय बुर को देख उंगली अंदर करते हुवे मन मे - बहोत टाइट है गर्म भी मुझे थोरा आराम से करना होगा नही तो कोमल की हालत खराब हो सकती है

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अभय झुक के बुर चाटने लगता है कोमल बिस्तर पे टांगे फैलाये बिस्तर पकरे मचल के और जोर जोर से सिसकिया लेने लगती है
कोमल सिसकिया लेते हुवे अभय को देख - आह उफ अभय मेरी बुर को अच्छे से चुसना आह ये मजा उफ मुझे पागल कर रहा है
अभय 3 मिनट तक अच्छे से कोमल के बुर चूस चाट के कोमल को झरा देता है

कोमल की बुर अब बहोत गीली पानी से चिपचिपी हो गई थी

अभय कोमल के टाँगों के बीच बैठ जाता है कोमल की सासे थम सी जाती है अभय लंड पे बहोत सारा थूक लगा के अच्छे से गिला करके कोमल को देख - रेडी हो
कोमल बिस्तर कस के पकरे अभय का थोरा डरते हुवे देख - हा

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अभय फिर लंड पकर कोमल की बुर के छेद पे रख धीरे धीरे अंदर घुसाने लगता है टोपा फाके फैला के बुर के अंदर जाने लगता है कोमल बिस्तर कस के पकरे दर्द मे टरपने लगती है जैसे जैसे लंड बुर को फैलाते अंदर जा रहा था कोमल को बहोत दर्द होने लगता है
कोमल दर्द मे अभय को देख - अभय दर्द हो रहा है
अभय कोमल को देख - कमु दर्द होता है तेरा पहली बार है ना इस लिये
कोमल तरप के दर्द में - आह मा अभय धीरे करना डर लग रहा है
कोमल लंड घुसते हुवे - डरो मत एक बार घुस गया फिर दर्द नही होगा

अभय पोटा घुसा के कोमल के ऊपर पुरा लेत जाता है और कोमल का देख - आराम से करूँगा पर फिर भी दर्द होता
कोमल के आखो मे आसु आ गये थे टोपा ही गया था पर बहोत दर्द कोमल को हो रहा था कोमल दर्द मे - समझती हु

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अभय कोमल को किस करते हुवे एक जोर का धक्का मारता है कोमल की सासे रुक जाती है आखे फैल जाती है मुह खुले रह जाते है अभय बिना देरी किये दूसरा धक्का मार पुरा लंड अंदर घुसा देता है
सिल टूट जाती है खून तेजी से बुर से निकल बिस्तर पे गिरने लगते है
अभय को बहोत टाइट फिल हो रहा था बहोत गर्म भी

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कोमल एकदम से होस मे आती है और जोर जोर से रोना सुरु कर देती है कोमल रोते हुवे - मर गई अभय बहोत दर्द हो रहा हैं प्लेस निकाल बाहर नही ले पाउंगी
अभय कोमल के दोनो हाथ पकर कोमल की आखो मे देख - कमु पुरा घुस गया है बस कुछ देर सेह ले दर्द कम हो जायेगा
कोमल रोते हुवे अभय को देखते हुवे - अभय मे सेह नही पाउंगी प्लेस एक बार निकाल ले
अभय समझ जाता है फिर कोमल को किस करते हुवे चुचे दबाने लगता हो धीरे धीरे कोमल फिर जोस मे आने लगती है और दर्द को भूलने लगती है 2 मिनट बाद अभय - अब ठीक है
कोमल रोते हुवे - हु थोरा
अभय - बस अब दर्द होगा पर मजा भी आयेगा

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अभय कोमल के ऊपर से उठ बिस्तर पे बैठ धीरे धीरे लंड बुर के अंदर बाहर करने लगता है कोमल अपनी बुर मे अभय का मोटा लम्बा लंड अंदर बाहर आते जाते फिल कर रही थी दर्द में पहली बार बुर मे लंड लेने का मजा भी आने लगता है
अभय बुर को देखते हुवे मन मे - खून बहोत निकला है यार कुवारी बुर मारने मे मजा तो आता है लेकिन डर भी लगता है

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अभय कोमल के चुचे दबाते हुवे लंड बुर मे अंदर बाहर करते हुवे चुदाई किये जा रहा था कोमल बिस्तर पे लेती दर्द मे आसु लिये आह उफ मा सिसकिया लिये जा रही थी
अभय चुचे दबाते चुदाई करते हुवे कोमल को देख - कमु कैसा लग रहा है, कोमल अभय को देख रोने वाली आवाज मे - कुछ बोला ना तो मार दूंगी मेरी हालात खराब है दर्द हो रहा है और तुम्हे आह मा
अभय मुस्कुराते हुवे - अच्छा तो तुम्हारी बुर पानी कियु निकाल रही है
कोमल दूसरी तरफ चेहरा करके - मुझे क्या पता
अभय मुस्कुराते हुवे - अच्छा नही पता चलो घोरी बन जाओ


अभय लंड बुर से निकालता है फक आवाज के साथ लंड बुर से गिला बाहर निकल आता है अभय कोमल के बुर देखता हैं जो अब फैली छेद साफ अंदर तक होल दिख रहा था कोमल सर्मा के - ऐसे मत देखो
अभय मुस्कुराते हुवे - चलो घोरी बन जाओ
कोमल घोरी बन जाती है

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अभय बुर के छेद पे लंड रख एक धक्के मे पुरा घुसा देता है कोमल बिस्तर कस के पकर जोर से दर्द मे रोते हुवे - मर गई अभय जान लेने की सोच रहा है क्या आह मा बहोत दर्द हो रहा है
अभय कोमल के गांड दबाते चाटा मारते हुवे - उफ कमु तेरी गांड भी मत है तेरी बुर उफ मेरा लंड गर्मी से जल रहा है बहोत टाइट फिल हो रहा है लेकिन मजा भी बहोत आ रहा है
अभय तेज धक्के मारने लगता है हर धक्के से कोमल कि बॉडी हिल रही थी दोनो चुचे झूल आगे पीछे हो रहे थे और कोमल घोरी बनी बुर मे लंड लेते जा रही थी धक्के से दर्द मे आसु बहा रही थी

अभय एकदम से फिर कोमल को बिस्तर पे लेता के टाँगे फैला के ऊपर लेत बुर मे लंड घुसा के जोर जोर से धक्के मारने लगता है इस बार तेज धक्का अभय मार रहा था कोमल को जोर का दर्द होने लगता है कोमल जोर जोर से रोने लगती है चिल्लाने लगती है हर धक्के से बॉडी आगे पीछे हिल रही थी

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कोमल जोर जोर से रोते हुवे - मत कर अभय जोर से मर जाऊंगी बहोत दर्द हो रहा है अंदर लग रहा है रुक जा धीरे कर ना
अभय कोमल को देख तेज धक्का मारते हुवे - कमु बस आने वाला है तेरा भी तो आने वाला है तू रो रही है दर्द हो रहा है लेकिन तेरी बॉडी खुद मजे ले रही है तेरी गांड खुद उठ रही है आह उफ कमु
कोमल जोर से अभय को बाहों मे ले लेती h अभय भी कोमल को बाहों मे लिये तेज धक्का मारते रहता है फिर कोमल अभय आह मा करते हुवे झर जाते है

43 मिनट की चुदाई के बाद अभय कोमल पसीने से भीग गये थे अभय कोमल के ऊपर लेता जोर जोर से सासे ले रहा था लंड अभी भी बुर मे था कोमल भी पसीने से भीगी जोर जोर से सासे ले रही थी
10 मिनट बाद

अभय अपना लंड बाहर निकालता है तो कोमल की बुर से अभय का माल निकल बिस्तर पे गिरने लगता है कोमल भी साफ अपनी बुर मे अभय का ढेर सारा माल फिल कर मस्त हो जाती है

अभय कोमल के साइड लेत कोमल को अपनी तरफ घुमा के मुस्कुराते हुवे - एक बार और करे

कोमल एकदम से अभय के ऊपर आके बैठ अभय के सीने पे मारते हुवे - इतना किया दर्द दिया फिर भी तुम्हारा मन नही भरा
तभी कोमल को जोर का दर्द होता है कोमल - आह मा मर गई
कोमल अभय के ऊपर लेत जाती है अभय कोमल की बॉडी चुचे फिल कर मस्त जो जाता है

अभय कोमल कोमल को बाहों मे लेके - कमु दर्द दिया मजा नही
कोमल अभय को देख - हा दर्द जलन बहोत हो रही है लेकिन मुझे बहोत अच्छा लग रहा है तुम्हारे साथ सब करके
अभय कोमल के होठ चूम के - पहली बार है दर्द होता है दिल तो फिर कर रहा है करने का लेकिन नही तुम्हारी हालात और बिगर जायेगी
कोमल - हा तुम सही हो बहोत दर्द हो रहा है
कुछ देर प्यारी बाते कर कोमल जैसे तैसे खरी होती है फिर बिस्तर पे खून अपनी बुर अभय का पानी देख सर्मा जाती है

अभय बिस्तर से नीचे आके कोमल को गोद मे उठा के बाथरूम मे जाके दोनो साथ मे नहाते है फिर रेडी होते है

अभय कोमल को बाहों मे लेके - बहोत दर्द जलन है
कोमल मासूम प्यारा चेहरा बना के - हा बहोत
अभय कोमल को बाहों मे भर - मेने जयदा जोर तो नही लगा दिया
कोमल मुस्कुराते हुवे - नही तुम जैसे भी करते दर्द होना हि था पर तुम ने धीरे क्या ये दर्द जलन मुझे सुकून दे रहा है अभय ये एहसास फीलिंग हमारे बीच जो हुआ सब मुझे जिंदगी भर याद रहेगा

अभय होठ पे किस करते हुवे - लोव यू
कोमल किस करते हुवे - लोव यू 2

अभय फिर कोमल को गोद मे उठा के घर के बाहर लेके आता है कोमल मुस्कुराते प्यार से अभय को देखती रहती है

अभय फिर बाहर आके बाइक पे बैठ कोमल को उसके घर छोर देता है कोमल लंगरते जैसे तैसे सब से छुप के धीरे से कमरे मे जाके बिस्तर पे लेत जाती है

अभय कोमल को कह दिया था उसे कही जाना है तो अभय सीधा आता है आरोही के घर होल मे आरोही अमर भारती बैठे थे अभय को देख सब खुश होते है

अभय भारती के पास आके बैठ भारती को अपनी गोद मे बैठा लेता है भारती पूरी हैरान शोक मे सर्म से लाल हो जाती है आरोही अमर दोनो शोक मे अभय अपनी मा को देखते रहते है

अभय आरोही अमर को देख मुस्कुराते हुवे - तुम दोनो को कोई दिकत
आरोही अमर होस मे आके - नही नही कोई दिकत नही

भारती सर्मा के धीरे से - अभय प्लेस बच्चे बैठे है छोर ना
अभय धीरे से - उठ गई तो फिर कभी नही आऊंगा
भारती एकदम साथ बैठी रहती है अभय भारती के बाहों मे लिये आरोही अमर को देख

अभय - आरोही एक पहले जो हुआ भूल जाओ अभी तुम्हारे पेट मे अमर का बच्चा है तो क्या सोचा है तुम दोनो ने

आरोही अभय को देख - अभय पहले सब के लिये तुम्हारा शुक्रिया मेरी वजह से मे सब को एक दलदल मे ले गई थी रही बच्चे की बात तो मे जन्म दूंगी

अभय अमर को देख - कुछ बोलेगा
अमर अभय को देख - मे भी अपनी बहन के साथ दूंगा पहले साथ दिया लेकिन गलत रास्ते मे जाने के लिये लेकिन अब नही

अभय मुस्कुराते हुवे - बहोत अच्छे तो एक काम करो तुम दोनो सादी कर लो

अभय की बात सुन सब हैरान शोक अभय को देखते है

भारती अभय को देख - बेटा
अभय - बाबू कहो
भारती सर्मा के - बाबू लेकिन
अभय - जनता हु देखो सादी कर लो कही अंजान जगह रहो कई तरीके है किसी का बता नही चलेगा

अभय कई बाते बताता है आरोही अमर सारी बाते सुन बहोत खुश हो जाते है

आरोही खुश होके - अभय तुम्हारा शुक्रिया मे पागल थी जो अदिति तुम्हे समझ नही पाई
अमर - भाई मुझे भी माफ कर दे
अभय - पहले ही माफ कर दिया है अब दोनो खुश रहो और जब तुम दोनो का बेबी आये तो अच्छे से ख्याल पालन करना

आरोही अमर - हा

अभय भारती को देख - आप खुश है
भारती अभय को देख - किस्मत सायद यही चाहती थी तो मे भी राजी हु

आरोही अमर भारती को देख - शुक्रिया मा

आरोही - अभय मुझे अकेले मे तुमसे बात करनी है
अभय - ठीक है चलो

अभय अदिति कमरे मे चले जाते है अमर भारती को देख - बाबू
भारती सर्मा के - चुप कर
अमर मुस्कुराते हुवे - तो मा सब हो गया अभय आपके बीच
भारती सर्मा के - हा हो गया

कमरे मे आके अभय - बोलो आरोही
आरोही अभय को देख - अभय गलत मत समझना पर किया हम वो कर सकते है बस एक बार

अभय आरोही को देखता है फिर पैंट नीचे कर - ठीक है

आरोही जैसे ही अभय का लंड देखती है जोर से चिल्ला देती है

आरोही मुह बंद कर लंड देखते हुवे इतना बरा

अभय - आरोही जल्दी करो बहोत काम है जाना भी है
आरोही सर्मा के - हा करती हु

25 मिनट बाद

आरोही लंगराते दर्द मे अभय के साथ हॉल मे आती है भारती अमर आरोही को देख ही समझ जाते है किया हुआ है

अभय भरती के पास बैठ जाती है आरोही अमर के पास

अभय - अमर झुठ नही बोलता मे हम क्या कर आये है

अमर इमोसनल होके अभय को देख - अभय जनता हु पर मुझे कोई दिकत नही मेरी बहन को मे उन कमीनो के ,, आगे कुछ कह नही पता ,

अभय - देखो तुम दोनो अब आगे कुछ भी करो सोच समझ दोनो आपस मे फैसला लेके करना कियुंकी अब तुम दोनो बिया बीवी हो सादी में जरूर बुलाना

आरोही सर्मा के - हा तुम ही हमारी सादी करवाना
अमर - हा अभय तुम ही हमारी सादी करवाना
अभय मुस्कुराते हुवे - ठीक है वादा

अभय भारती को गोद मे एकदम से उठा के - अच्छा हम चले तुम दोनो लगे रहो

अभय भारती को गोद मे उठा के कमरे की तरफ जाने लगता है भारती अभय के सीने पे मारते हुवे सर्मा के - बेसरम बच्चो के सामने ही

अभय कमरे मे आके बिस्तर पे भारती को लेता के मुस्कुराते हुवे - बच्चे नही हो दोनो बाप मा बनने वाले है

वही हॉल मे अमर हैरान शोक आरोही को देख - आरोही अभी तो तेरे साथ करके आया था फिर कैसे

आरोही - मुझे किया पता

आरोही मन मे - भाई आपको नही पता अभय का लंड कितना मोटा लम्बा है मेरी जान निकाल दी इस 25 मिनट मे अभय का पानी निकल गया फिर भी पुरा टाइट खरा था इस 25 मिनट मे मैं 4 बार झरी हु मेरी बुर मे बहोत दर्द जलन हो रही है मुझे अभय के साथ करने मे इतना मजा आया बता नही सकती लेकिन उसकी एक बात मुझे हैरान शोक कर दिया

अभय आरोही को देख - टाइम नही है जाना है मुझे नही तो घंटे से पहले मेरा नही निकलता

आरोही अभय की बात याद कर कपते हुवे - घंटे तक अभय का मोटा लम्बा लंड सोच के ही पहले बार मे काप् रही हु


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अंदर मे भारती नंगी अभय नँगा भारती मजे से अभय का लंड मुह मे लेके चूस के रस पीने मे लगी हुई थी भारती मन मे - उफ ये स्वाद तो अब मुझे भा गया है बाबू का लंड बहोत मोटा लम्बा गर्म है हाथ मे पकर के ही शरीर काप् जाती है बुर गीली हो जाती है
अभय भारती के सर पकरे - आह मेरी जान चुसो मजा आ रहा है
2 mina बाद

भारती मुह साफ कर सर्मा के - मेरी बरी
अभय मुस्कुराते हुवे - किया करू
भारती सर्मा के - मेरी
अभय मुस्कुराते हुवे - मेरी क्या

भारती टांगे फैला के बुर दिखाते हुवे दूसरी तरफ चेहरा कर - मेरी बुर चाटो चुसो ना
अभय मुस्कुराते हुवे - अच्छा

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अभय भारती के बुर मे उंगली करता हो फिर मुह मे लेके चूसने लगता है भारती मजे से जोर से आह उफ सिसकिया लेते हुवे - आह बाबू यही चाहिये उफ बहोत मजा आ रहा है अंदर तक जिब से चाटो चुसो पी जाओ मेरी बुर का रस निकाल के उफ ये मजा आह
3 मिनट बाद भारती झर जाती है

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अभय फिर भारती को घोरी बना के चुदाई करने लगता है तेज धक्के से भारती को दर्द मे मजा भी आ रहा था अभय का मोटा लंड भारती की बुर के अंदर बाहर तेजी दे हो रहा था
भारती दर्द मे - मर गई बाबू आह दर्द हो रहा उफ आपका लंड मेरी बुर के अंदर जाके चोट पहुचा रहा है धीरे करो ना उफ
अभय धक्का मारते हुवे - मजा तेज धक्के मे ही आता है मेरी जान

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अभय फिर भारती को बिस्तर पे लेता के तेज धक्का मारना सुरु कर देता है भारती टांगे उठाये फैलाये लंड बुर मे लिये जा रही थी अभय भारती को किस करते हुवे चुचे दबाते चुस्टे चुदाई करता रहता है कमरे मे फट फच् की आवाजे और भारती के दर्द कामुक् आवाजे गुजने लगती है 30 मिनट बाद

भारती तेज सासे लेते हुवे अभय के सीने पे सर रख अभय को देख - अचानक तुम आये मेरे साथ सब किया और अब मे तुम्हारी दीवानी बन गई सोचती हु तो यकीन नही होता किसी से एकदम से इतना प्यार हो सकता है तुम प्यार और
अभय मुस्कुराते और चुदाई मे है ना

भारती सर्मा के अभय को मारते हुवे - छी बेसरम हा

कुछ मिनट बाते मस्ती के बाद दोनो कपड़े पहन हॉल मे आता है तो देखता है आरोही अमर नही है

अभय लगता है सब घूमने चले गये अभय भारती को बाहों मे लेके भारती के दोनो गांड दबाते हुवे - आपकी मस्त फूली बुर मरने मे बहोत मजा आता है लेकिन अब गांड कब देगी

भारती हैरान शोक मे - छी गांड कोई मरता है नही कभी नही
अभय भारती को देख - ठीक है मे फिर नही जाउंगा

अभय जाने लगता है तो भारती जल्दी से अभय के आगे आके अभय का हाथ अपनी गांड के पीछे कर अभय को देख - मेने तुम्हे अपना सब दिया है तो अपनी गांड भी दे सकती हु बस डर है जायेगा कैसे

अभय हस्ते हुवे - वो तो मेरा काम है अंदर घुसाने का
भारती सर्मा के - बहोत गंदे हो बेसरम भी

अभय भारती को किस कर - जाता हु कुछ काम है कल आऊँगा फिर

भारती - कल जरूर आना

अभय जाते हुवे - हा

भारती अभय को जाते देख मन मे - अभय ऐसा इंसान आज तक नही देखा हैंडसम है कमीना है ठरकी है गंदी बाते करता है प्यार करता है परवाह करता है लेकिन कोई उसके अपनो को नुक्सान पहुँचाने की सोचे उसके लिये भयानक शैतान है पर जैसा भी है मेरा बाबू है

अभय घर से बाहर रोड मे आके विजय को फोन कर - हा आजा चलते है तेरी मेहबूबा के घर

विजय खुश होके जल्दी से नहाता h रेडी होके नीचे आता है मिनिता विजय को देखते हैरान देख के

मिनिता विजय को देख - हीरो बन कहा जा रहा है

विजय सर्मा के - मा भाई ने बुलाया है वो रीमा के घर बाते करने रीमा के मा पापा से

मिनिता हैरान विजय को देख - वाह बेटा सादी फिक्स करने भी आ जाना

विजय जाते हुवे सर्मा के - मा हम तो सिर्फ बात करने जा रहे सादी तो बरे फिक्स करेगे ना

विजय फिर बाइक लेके सीधा अभय के बाद आता है अभय शोभा से बात कर रहा था विजय को देख अभय - बीवी रखता हु एक चूमि देदो

भारती सर्मा के - उम्मा और हा रास्ता साफ कर देना मेरे देवर जी का
अभय मुस्कुराते हुवे - हा हा तुम्हारे देवर का रास्ता साफ करने ही जा रहा हु

फिर अभय विजय सीधा पहुँचते है रीमा के घर पहुँच जाते है साम के 3 बज रहे थे अभय जब रीमा के घर आता है छोटा घर था

अभय घर के बाहर खरे होके - कोई है
घर से एक खूबसूरत औरत बाहर आती है जिसे देख अभय मन मे - नही यार खूबसूरत लरकी ऑन्टी अब मेरी कमजोरी बन गई है


आज के लिये इतना ही 🙏🙏🙏🙏
 
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