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Incest "टोना टोटका..!"

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कहानी मे राजु के सम्बन्ध कहा तक रहे..?

  • बस अकेले रुपा तक ही

    Votes: 27 11.9%
  • रुपा व लीला दोनो के साथ

    Votes: 81 35.7%
  • रुपा लीला व राजु तीनो के एक साथ

    Votes: 152 67.0%

  • Total voters
    227
  • Poll closed .

Ek number

Well-Known Member
8,990
19,275
173
अब जब तक खाना‌ बनता लीला ने आराम‌ किया, फिर खाना खाने के लिये वो भी रशोई मे ही आकर बैठ गयी। लीला खाना डालकर बैठी ही थी की तब तक राजु भी आ गया जिससे..

"रोटी बन गयी..!, जीज्जी मुझे भी डाल दो..! बहुत भुख लगी है..!" उसने रशोई मे घुसते ही कहा।

"क्या बात है आज तो बहुत जल्दी भुख लग आई तुझे..!" लीला देख रही थी की कल रात के बाद राजु आज रुपा पर ही मँडरा सा रहा था। वो खेत से भी आज जल्दी आ गया था तो अब खाने के लिये भी जल्दी ही घर आ गया था इसलिये उसने राजु की ओर घुर कर देखते हुवे पुछा।

राजु: वो्.. आज जीज्जी ने सब्जी बनाई है ना इसलिये..!

लीला: जीज्जी ने बनाई है तो क्या हुवा..?

राजु: जीज्जी बहुत स्वाद सब्जी बनाती है..!

लीला: क्यो.. मै क्या अच्छी नही बनाती..?"

लीला ने पुछा जिससे राजु थोङा सकपका सा गया और घबराते हुवे...
"अरे.. नही.. नही... बुवा वो बात नही..." करने लगा... जिससे रुपा और लीला दोनो को ही हँशी आ गयी।

वैसे तो रुपा को भी कल रात के बाद राजु व्यवहार उसके प्रति कुछ बदला बदला महसूस हो रहा था मगर उसने इस ओर इतना ध्यान नही दिया था वो अभी भी इसी उधेङबुन मे थी की वो राजु के साथ ये सब कैसे करेगी मगर अब उसकी ये मासुमियत देखकर उसे भी हँशी आ गयी थी।

"वो जीज्जी के हाथ की सब्जी बहुत दिनो बाद खा रहा हुँ ना इसलिये..!" राजु ने अब सफाई देते हुवे कहा जिससे..

लीला: अच्छा.. तो फिर तु अपनी जीज्जी के साथ उसके ससुराल ही क्यो नही चला जाता, वहाँ रोज इसके हाथ की बनी सब्जी खाते रहना और खेत मे इसकी मदत भी कर देना..!

राजु को एक बार रुपा के पति ने डाट दिया था इसलिये पहले से ही वो रुपा के ससुराल जाने के नाम से कतराता आ रहा था इसलिये रुपा के ससुराल जाने की सुनते ही..

राजु: नही.. नही.. वहाँ नही जाना..!

लीला: क्यो..?

राजु: अरे..! वहाँ ना तो मुझे कोई जानता है और ना ही कोई दोस्त है और जीजा जी भी सारा दिन दुकान पर रहते है, वहाँ अकेले क्या करुँगा..!


लीला: तो क्या हुवा तेरी जीज्जी तो रहेगी.. अच्छा चल छोङ आज रात भी तु यही सो जाना, कल सुबह तुझे रुपा के साथ पहाङी वाले बाबा पर जाना है...!

राजु: कल क्यो..? मेला लगने मे अभी तो बहुत दिन है ना.. और अभी तो कोई गाङी भी नही जाती वहाँ..?

लीला: हाँ पता है, पर तुम्हे पैदल चलकर जाना है..!

राजु: इतनी दुर..?

लीला: तो क्या हुवा..रुपा भी तो जायेगी..!

राजु: अरे वही तो बोल रहा हुँ...! जीज्जी थक नही‌ जायेगी‌ इतनी दुर पैदल जाने मे..?

लीला: कोई नही तुम आराम करते करते चले जाना, और रात मे पुजा करके परसो रात तक वापस आ जाना..!

राजु: रात मे वहाँ रुकना भी है...?

लीला: क्यो.. क्या हुवा...?

राजु: अरे..! वहाँ तो आस पास मे भी कोई नही रहता.. फिर अन्धरे मे हम वहाँ कैसे रहेँगे..?

लीला: रुपा को वहाँ जाकर पुजा करके आने की मन्नत है, वो तो पुरी करके आनी ही होगी ना...!

राजु: फिर भी बुवा वहाँ जँगल मे अकेले डर नही लगेगा..? वहाँ तो कोई आता जाता भी नही..!

लीला: फिर तु किस लिये है...? तुझे इसलिये तो साथ भेज रही हुँ...!

राजु: गप्पु को भी साथ मे ले जाऊँ..?

लीला: नही..! बस तुम दोनो को ही जाना है..!

पिछली रात राजु व रुपा के बीच जो कुछ हुवा था उसे वो अभी तक भुला नही था और उसकी वजह से ही वो दिन भर रुपा के पास ही मँडरा भी रहा था इसलिये अब रुपा के साथ वहाँ जाने के लिये भी वो तुरन्त मान गया।

"खाना खा कर जल्दी सो जा, सुबह तुम्हे जल्दी उठना भी है..!" लीला ने खाना खत्म करके थाली को अब एक‌ ओर रखते हुवे कहा जिससे राजु भी जल्दी से खाना खाकर अब चुपचाप कमरे मे जाकर सो गया।


खाना खाने के बाद लीला व रुपा ने भी जल्दी जल्दी रशोई के काम निपटाये और सोने के लिये कमरे मे आ गयी। राजु पलँग पर सोया हुवा था इसलिये रुपा अब उसके बगल मे ही लेट गयी और लीला ने अपने लिये अलग से चारपाई लगा ली। रात मे लीला ने कोई खास बाते नही की उसे सुबह जल्दी उठना था उपर से वो दिनभर से थकी हुई भी थी इसलिये कुछ देर बाद ही उसे नीँद आ गयी, मगर राजु के साथ जाना रुपा को अजीब लग रहा था इसलिये बङी मुश्किल से वो अपने आप को राजु के साथ जाने के लिये समझा सकी।
Mast update
 

insotter

Member
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अब जब तक खाना‌ बनता लीला ने आराम‌ किया, फिर खाना खाने के लिये वो भी रशोई मे ही आकर बैठ गयी। लीला खाना डालकर बैठी ही थी की तब तक राजु भी आ गया जिससे..

"रोटी बन गयी..!, जीज्जी मुझे भी डाल दो..! बहुत भुख लगी है..!" उसने रशोई मे घुसते ही कहा।

"क्या बात है आज तो बहुत जल्दी भुख लग आई तुझे..!" लीला देख रही थी की कल रात के बाद राजु आज रुपा पर ही मँडरा सा रहा था। वो खेत से भी आज जल्दी आ गया था तो अब खाने के लिये भी जल्दी ही घर आ गया था इसलिये उसने राजु की ओर घुर कर देखते हुवे पुछा।

राजु: वो्.. आज जीज्जी ने सब्जी बनाई है ना इसलिये..!

लीला: जीज्जी ने बनाई है तो क्या हुवा..?

राजु: जीज्जी बहुत स्वाद सब्जी बनाती है..!

लीला: क्यो.. मै क्या अच्छी नही बनाती..?"

लीला ने पुछा जिससे राजु थोङा सकपका सा गया और घबराते हुवे...
"अरे.. नही.. नही... बुवा वो बात नही..." करने लगा... जिससे रुपा और लीला दोनो को ही हँशी आ गयी।

वैसे तो रुपा को भी कल रात के बाद राजु व्यवहार उसके प्रति कुछ बदला बदला महसूस हो रहा था मगर उसने इस ओर इतना ध्यान नही दिया था वो अभी भी इसी उधेङबुन मे थी की वो राजु के साथ ये सब कैसे करेगी मगर अब उसकी ये मासुमियत देखकर उसे भी हँशी आ गयी थी।

"वो जीज्जी के हाथ की सब्जी बहुत दिनो बाद खा रहा हुँ ना इसलिये..!" राजु ने अब सफाई देते हुवे कहा जिससे..

लीला: अच्छा.. तो फिर तु अपनी जीज्जी के साथ उसके ससुराल ही क्यो नही चला जाता, वहाँ रोज इसके हाथ की बनी सब्जी खाते रहना और खेत मे इसकी मदत भी कर देना..!

राजु को एक बार रुपा के पति ने डाट दिया था इसलिये पहले से ही वो रुपा के ससुराल जाने के नाम से कतराता आ रहा था इसलिये रुपा के ससुराल जाने की सुनते ही..

राजु: नही.. नही.. वहाँ नही जाना..!

लीला: क्यो..?

राजु: अरे..! वहाँ ना तो मुझे कोई जानता है और ना ही कोई दोस्त है और जीजा जी भी सारा दिन दुकान पर रहते है, वहाँ अकेले क्या करुँगा..!


लीला: तो क्या हुवा तेरी जीज्जी तो रहेगी.. अच्छा चल छोङ आज रात भी तु यही सो जाना, कल सुबह तुझे रुपा के साथ पहाङी वाले बाबा पर जाना है...!

राजु: कल क्यो..? मेला लगने मे अभी तो बहुत दिन है ना.. और अभी तो कोई गाङी भी नही जाती वहाँ..?

लीला: हाँ पता है, पर तुम्हे पैदल चलकर जाना है..!

राजु: इतनी दुर..?

लीला: तो क्या हुवा..रुपा भी तो जायेगी..!

राजु: अरे वही तो बोल रहा हुँ...! जीज्जी थक नही‌ जायेगी‌ इतनी दुर पैदल जाने मे..?

लीला: कोई नही तुम आराम करते करते चले जाना, और रात मे पुजा करके परसो रात तक वापस आ जाना..!

राजु: रात मे वहाँ रुकना भी है...?

लीला: क्यो.. क्या हुवा...?

राजु: अरे..! वहाँ तो आस पास मे भी कोई नही रहता.. फिर अन्धरे मे हम वहाँ कैसे रहेँगे..?

लीला: रुपा को वहाँ जाकर पुजा करके आने की मन्नत है, वो तो पुरी करके आनी ही होगी ना...!

राजु: फिर भी बुवा वहाँ जँगल मे अकेले डर नही लगेगा..? वहाँ तो कोई आता जाता भी नही..!

लीला: फिर तु किस लिये है...? तुझे इसलिये तो साथ भेज रही हुँ...!

राजु: गप्पु को भी साथ मे ले जाऊँ..?

लीला: नही..! बस तुम दोनो को ही जाना है..!

पिछली रात राजु व रुपा के बीच जो कुछ हुवा था उसे वो अभी तक भुला नही था और उसकी वजह से ही वो दिन भर रुपा के पास ही मँडरा भी रहा था इसलिये अब रुपा के साथ वहाँ जाने के लिये भी वो तुरन्त मान गया।

"खाना खा कर जल्दी सो जा, सुबह तुम्हे जल्दी उठना भी है..!" लीला ने खाना खत्म करके थाली को अब एक‌ ओर रखते हुवे कहा जिससे राजु भी जल्दी से खाना खाकर अब चुपचाप कमरे मे जाकर सो गया।


खाना खाने के बाद लीला व रुपा ने भी जल्दी जल्दी रशोई के काम निपटाये और सोने के लिये कमरे मे आ गयी। राजु पलँग पर सोया हुवा था इसलिये रुपा अब उसके बगल मे ही लेट गयी और लीला ने अपने लिये अलग से चारपाई लगा ली। रात मे लीला ने कोई खास बाते नही की उसे सुबह जल्दी उठना था उपर से वो दिनभर से थकी हुई भी थी इसलिये कुछ देर बाद ही उसे नीँद आ गयी, मगर राजु के साथ जाना रुपा को अजीब लग रहा था इसलिये बङी मुश्किल से वो अपने आप को राजु के साथ जाने के लिये समझा सकी।
Nice update bro 💯
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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अब जब तक खाना‌ बनता लीला ने आराम‌ किया, फिर खाना खाने के लिये वो भी रशोई मे ही आकर बैठ गयी। लीला खाना डालकर बैठी ही थी की तब तक राजु भी आ गया जिससे..

"रोटी बन गयी..!, जीज्जी मुझे भी डाल दो..! बहुत भुख लगी है..!" उसने रशोई मे घुसते ही कहा।

"क्या बात है आज तो बहुत जल्दी भुख लग आई तुझे..!" लीला देख रही थी की कल रात के बाद राजु आज रुपा पर ही मँडरा सा रहा था। वो खेत से भी आज जल्दी आ गया था तो अब खाने के लिये भी जल्दी ही घर आ गया था इसलिये उसने राजु की ओर घुर कर देखते हुवे पुछा।

राजु: वो्.. आज जीज्जी ने सब्जी बनाई है ना इसलिये..!

लीला: जीज्जी ने बनाई है तो क्या हुवा..?

राजु: जीज्जी बहुत स्वाद सब्जी बनाती है..!

लीला: क्यो.. मै क्या अच्छी नही बनाती..?"

लीला ने पुछा जिससे राजु थोङा सकपका सा गया और घबराते हुवे...
"अरे.. नही.. नही... बुवा वो बात नही..." करने लगा... जिससे रुपा और लीला दोनो को ही हँशी आ गयी।

वैसे तो रुपा को भी कल रात के बाद राजु व्यवहार उसके प्रति कुछ बदला बदला महसूस हो रहा था मगर उसने इस ओर इतना ध्यान नही दिया था वो अभी भी इसी उधेङबुन मे थी की वो राजु के साथ ये सब कैसे करेगी मगर अब उसकी ये मासुमियत देखकर उसे भी हँशी आ गयी थी।

"वो जीज्जी के हाथ की सब्जी बहुत दिनो बाद खा रहा हुँ ना इसलिये..!" राजु ने अब सफाई देते हुवे कहा जिससे..

लीला: अच्छा.. तो फिर तु अपनी जीज्जी के साथ उसके ससुराल ही क्यो नही चला जाता, वहाँ रोज इसके हाथ की बनी सब्जी खाते रहना और खेत मे इसकी मदत भी कर देना..!

राजु को एक बार रुपा के पति ने डाट दिया था इसलिये पहले से ही वो रुपा के ससुराल जाने के नाम से कतराता आ रहा था इसलिये रुपा के ससुराल जाने की सुनते ही..

राजु: नही.. नही.. वहाँ नही जाना..!

लीला: क्यो..?

राजु: अरे..! वहाँ ना तो मुझे कोई जानता है और ना ही कोई दोस्त है और जीजा जी भी सारा दिन दुकान पर रहते है, वहाँ अकेले क्या करुँगा..!


लीला: तो क्या हुवा तेरी जीज्जी तो रहेगी.. अच्छा चल छोङ आज रात भी तु यही सो जाना, कल सुबह तुझे रुपा के साथ पहाङी वाले बाबा पर जाना है...!

राजु: कल क्यो..? मेला लगने मे अभी तो बहुत दिन है ना.. और अभी तो कोई गाङी भी नही जाती वहाँ..?

लीला: हाँ पता है, पर तुम्हे पैदल चलकर जाना है..!

राजु: इतनी दुर..?

लीला: तो क्या हुवा..रुपा भी तो जायेगी..!

राजु: अरे वही तो बोल रहा हुँ...! जीज्जी थक नही‌ जायेगी‌ इतनी दुर पैदल जाने मे..?

लीला: कोई नही तुम आराम करते करते चले जाना, और रात मे पुजा करके परसो रात तक वापस आ जाना..!

राजु: रात मे वहाँ रुकना भी है...?

लीला: क्यो.. क्या हुवा...?

राजु: अरे..! वहाँ तो आस पास मे भी कोई नही रहता.. फिर अन्धरे मे हम वहाँ कैसे रहेँगे..?

लीला: रुपा को वहाँ जाकर पुजा करके आने की मन्नत है, वो तो पुरी करके आनी ही होगी ना...!

राजु: फिर भी बुवा वहाँ जँगल मे अकेले डर नही लगेगा..? वहाँ तो कोई आता जाता भी नही..!

लीला: फिर तु किस लिये है...? तुझे इसलिये तो साथ भेज रही हुँ...!

राजु: गप्पु को भी साथ मे ले जाऊँ..?

लीला: नही..! बस तुम दोनो को ही जाना है..!

पिछली रात राजु व रुपा के बीच जो कुछ हुवा था उसे वो अभी तक भुला नही था और उसकी वजह से ही वो दिन भर रुपा के पास ही मँडरा भी रहा था इसलिये अब रुपा के साथ वहाँ जाने के लिये भी वो तुरन्त मान गया।

"खाना खा कर जल्दी सो जा, सुबह तुम्हे जल्दी उठना भी है..!" लीला ने खाना खत्म करके थाली को अब एक‌ ओर रखते हुवे कहा जिससे राजु भी जल्दी से खाना खाकर अब चुपचाप कमरे मे जाकर सो गया।


खाना खाने के बाद लीला व रुपा ने भी जल्दी जल्दी रशोई के काम निपटाये और सोने के लिये कमरे मे आ गयी। राजु पलँग पर सोया हुवा था इसलिये रुपा अब उसके बगल मे ही लेट गयी और लीला ने अपने लिये अलग से चारपाई लगा ली। रात मे लीला ने कोई खास बाते नही की उसे सुबह जल्दी उठना था उपर से वो दिनभर से थकी हुई भी थी इसलिये कुछ देर बाद ही उसे नीँद आ गयी, मगर राजु के साथ जाना रुपा को अजीब लग रहा था इसलिये बङी मुश्किल से वो अपने आप को राजु के साथ जाने के लिये समझा सकी।
Shaandar jabardast Romanchak Update 🔥 🔥 🔥
 

sunoanuj

Well-Known Member
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Bahut hee jabardast update hai…

Keep posting bro 😎 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
 
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