जोरू का गुलाम भाग २५७
मजा थ्रीसम का - निधि -छोटी साली
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I don't know how many times I had nutted to your stories
You had made me cum so many times.
All I think of is thank you for such content.
And I love you
(Please don't get offended)

Even I dont know what turn a story will take, right now present focus is on industrial espionage, share markets, financial angle and corporate battles. You must read the story before forming an assumption, I will suggest please do read following partsOne thing
Can you tell me when should i expect the incest mother son sex in this story
I mean within a month or more ??
I request you to please continue moving on your own pace and not to skip or fast forward any scenes as of now.
I am just asking![]()
| 234 | भाग २३४ | क्राइसिस | 1410 |
| 235 | भाग २३५ | शेयर, -म्युचुअल फंड और नयी क्राइसिस | 1426 |
| 236 | भाग २३६ | मंगलवार -दिल्ली | 1433 |
| 237 | भाग २३७ | मंगलवार रात - बंबई | 1443 |
| 238 | भाग २३८ | बुधवार -बंबई - WAR -1, शेयर मार्केट में मारकाट | 1450 |
| 239 | भाग २३९ | बुधवार -बम्बई - WAR 2, बच गयी कम्पनी - | 1456 |
| 240 | भाग २४० | बृहस्पतिवार -सुबह -घर आया मेरा परदेशी | 1461 |
| 241 | भाग २४१ | पार्क में मस्ती | 1484 |
| 242 | भाग २४२, ' | 'कीड़े' और 'कीड़े पकड़ने की मशीन, | 1491 |
| 243 | भाग २४३ | मिस एक्स और उनकी रिपोर्ट्स | 1506 |
Congratulationsजोरू का गुलाम - ४१ लाख ++
छुटकी - होली दीदी की ससुराल में-२९ लाख ++
आभार, धन्यवाद
बस इसी तरह अपने प्यार और दुलार से इन कहानियों को सजाते संवारते रहिये और इस कथा के सहयात्री बने रहिये
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Before end of this week.Waiting
पहले किसी तरह ४५ लाख पहुंचेCongratulations![]()
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Komal didi
.
U r fast approaching 5 million viewership.
May u reach 5 million soon
Best of luck dear mentor
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Woww very very interesting update. Komalrani ab apni saas ko unke bete se chudwayengi. Waahhh mazaaa aaa jayega.साजन चढ़ा सजनी के ऊपर
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बस क्या धक्का मारा उन्होंने, एकदम कस के दरेररता हुआ, रगड़ता, चीरता फाड़ता अंदर घुसा,
ऐसा दर्द तो पहली रात को भी नहीं हुआ था तब तो, कितना सम्हाल सम्हाल के डरते डरते की कहीं मुझे दर्द न हो और आज
उईईई मैं जोर से चीखी, और कस के चादर पकड़ लिया,
और चीख का जवाब उन्होंने अगले धक्के से दिया और साथ में अब एक हाथ कस के मेरी पतली कमर को दबोचे और दूसरा मेरी चूची पे और क्या कस के मेरी चूची मसली, सच में जो कहते हैं मरद वो जो औरत की चूसनी को दबा के पिसान ( आटा ) कर दे, दर्द के मारे मेरी हालत खराब था और दूसरे धक्के ने तो हालत ख़राब कर दी पता नहीं कितनी जगह छील छील के वो मोटू घुस रहा था। उन्होंने इतनी कस के मेरी टाँगे सिकोड़ रखी थीं, की जैसे एकदम कुवारी चूत की तरह संकरी हो गयी
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चार पांच धक्को के बाद जब वो बच्चेदानी से टकराया तो मैं जोर से चीखी, लगा जैसे किसी ने हथौड़े से बच्चेदानी में ठोंक दिया हो
दर्द की ऐसी लहर वहीँ से शुरू होकर मेरी देह में दौड़ी की मारे दर्द के दर्द से चीख भी नहीं पायी।
लेकिन दर्द से उबरी भी नहीं थी की मजे की एक लहर, मेरे शरीर में दौड़ रही थी, जैसे लग रहा था, बिजली के झटके लग रहे हों देह ऐसे कांप रही थी, जैसे तूफ़ान में कोई पत्ता, चूत के एकदम अंदरूनी हिस्से से वो लहर निकलती थी और फिर पूरी देह को पागल कर देती थी, मेरी चूत बार बार कस के निचोड़ रही थी उनके लंड को
ओह्ह हाँ क्या, नहीं उफ्फ्फ
मैं सिसक रही थी और मैं अब और रोल प्ले नहीं कर सकती थी,
मैं अपने रूप में और मेरा साजन भी, हाथ तो मैंने उनके खोल ही दिए थे आँख की पट्टी उन्होंने खुद और मुझे कस के पकड़ के भींच लिया,
हम दोनों एक मन एक तन हो गए थे, दूध में मक्खन की तरह घुले और उनके हलके हलके चुंबनों ने मुंझे वापस ला दिया, मैंने भी हलके हलके चुम्बन का जवाब चुम्बन से दिया, कस के उस बदमाश को भींच लिया, नाख़ून उनके कंधे पे गड़ा दिए और जवाब उनकी उँगलियों ने सहला के दिया और मेरे उभार फिर से पथराने लगे। उस बदमाश की एक एक ऊँगली को मेरी देह के तिलस्म के हर राज मालुम थे, कौन सा खटका दबाने पर कब कौन दरवाजा खुलेगा और बस हलके से उन्होंने मेरे निप्स को छू भर दिया, फिर धीरे धीरे फ्लिक करने लगे,
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मेरी योनि अब जोश में आ गयी कस कस के उनके लिंग को दबोचने लगी, और उन्होंने पहले तो कुछ देर अपने खूंटे के बेस से मेरी पगलाई क्लिट को रगड़ा, फिर हलके हलके धक्के लगाने लगे,
लेकिन मैं भी जानती थी ये लड़का क्या चाहता है और वो बोल नहीं रहे थे पर मन उनका वही कर रहा था, और जैसे ही उन्होंने खूंटा बाहर
मैं खुद पलंग से उतर के, पलंग पकड़ के निहुर गयी और साजन सजनी की असली चुदाई अब चालु हुयी
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देख्ने कैमरे वाले,
पूरे आधे घंटे, तक धक्के का जवाब धक्के से और अबकी जब मैं झड़ी तो साथ में वो भी, सफ़ेद रंग से मेरी जाँघे रंग गयी
और फिर हम दोनों पलंग पे बिन बोले एक दूसरे को पकडे
तभी दरवजा खुला धड़ाक से,
"दीदी, अकेले अकेले,"
निधि थी
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और जब तक मैं कुछ कहती उसके कपडे फर्श पर थे और वो हम दोनों के साथ पलंग पे, अपने जीजू को चिपकाए।