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भाग 247 - मेरा दिन -बूआकी लड़की पृष्ठ १५३९
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No why i am waiting for tejjj ap aise kaise rok sakti hai nahi ye nahi ho saktaचलिए तब तक मैं तीज का किस्सा रोक के रखूंगी, हाँ कहानी तो नहीं रुकेगी पर आप जब भी आएँगी, मुझे मालूम है आप टाइम निकाल के हर पोस्ट पर अलग अलग कमेंट जरूर करेंगी।
Kahani nahi rukegi, next part bas next week ke shuru men aur koshish karungi agale mahine bhi km se km 2-3 posts dun aage cooments aur views par depend karta hai aur kahani ke upar bhi kaise kidahr mudhati haiNo why i am waiting for tejjj ap aise kaise rok sakti hai nahi ye nahi ho sakta
Kahani
Kahani nahi rukegi, next part bas next week ke shuru men aur koshish karungi agale mahine bhi km se km 2-3 posts dun aage cooments aur views par depend karta hai aur kahani ke upar bhi kaise kidahr mudhati hai![]()
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भाग 246 ----तीज प्रिंसेज कांटेस्ट
३६,६४,५५९
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जब मैं लौटी तो देर शाम हो चुकी थी, बल्कि रात हो गयी थी।
सुजाता के यहां मीटिंग के बाद उसने चाट पार्टी रखी थी, ज्यादा नहीं आलू टिक्की, चाट पापड़ी और दहीबड़े, लेकिन चाट से ज्यादा चटपटी बातें।
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और रोज की बात होती तो मैं जल्दी करती इनके आफिस से लौटने के टाइम के चक्कर में , लेकिन मैंने गीता को बोल रखा था इसलिए निश्चिंत थी। अब बहन बन गयी थी वो इनका ख्याल भी रखे। दूसरे वो जो पूरे घर में बग्स लगे थे तो बात करने में भी थोड़ी हिचक रहती थी, कौन सुन रहा है क्या सुन रहा है।
चाट पार्टी अच्छी रही इसलिए भी की मीटिंग में तो लिमिटेड लोग थे सब बच्ची पार्टी वाले, मैं, सुजाता, मीनाक्षी, शबनम और एक दो और , लेकिन चाट पार्टी में चार पांच जो सीनियर्स थे उनकी भी वाइफ और तीन तो मिसेज मोइत्रा की भूतपूर्व चमचियाँ, जो एक से एक खुल के मजाक करती थीं और अब हम लोगों की टीम में शामिल हो गयी थीं।
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तो तीज की होनेवाली पार्टी की तो काफी कुछ प्रोग्रामिंग हो गयी थी, मिनट बाई मिनट का काम सुजाता और मीनाक्षी के साथ चमची नंबर दो और तीन का था लेकिन तीज प्रिंसेज जिसमे सिर्फ कुँवारी लड़कियां ( मतलब जिनकी शादी नहीं हुयी है और टीन्स में है ) का पार्ट था. बहुत सी लेडीज कट ली थीं , जिनकी डाटर्स थीं वो तो वैसे भी उस दिन नहीं आ सकती थीं, तीज प्रिंसेज का कांटेस्ट होना था ( ओनली टीनेजर्स ). उनके गिफ्ट, दिन का प्रोग्राम और वो सुजाता ने मेरे मत्थे मढ़ दिया था और चिढ़ाते बोली, ...
" अब ये मत बोलना की तेरे जीजू आ गए हैं रात भर सोने नहीं देंगे और दिन में मैं सोने का कोटा पूरा करना होगा। मेरे जीजू से सीख, रात भर दीदी की सेवा और दिन में आफिस में काम तो थोड़ा टाइम निकाल के "
" ठीक है एक दिन बोल देती हूँ तेरी दीदी की छोटी दीदी की सेवा कर दें. तेरा वाला वैसे ही चार दिन के टूर पर गया है " मैंने उसे छेड़ा तो वो ख़ुशी से बोली,
"एकदम दीदीऔर आप ने कह दिया तो जीजू थोड़ा हिचकेंगे भी तो मैं खुद चढ़ के रेप कर दूंगी, आखिर छोटी साली हूँ, उस पे मेरा भी हक है, , आपके मुंह में घी गुड़,.... कोलेस्टराल की चिंता मता करियेगा अगले दिन जॉगिंग थोड़ा एक्स्ट्रा कर लेंगे "
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मैं जब घर में घुसी तो ये सो रहे चद्दर ताने, खर्राटे बाहर से सुनाई दे रहे थे।
गीता ने बोला कुछ खाना तो ये फ़ूड ट्रक से ले आये हैं बाकी की उसने तैयारी कर दी है बस बनाना है।
मर्दो के लिए जैसे आफिस गॉसिप के लिए कहते हैं कूलर टाक होती है वैसे ही औरतों के लिए किचेन। फुल कंट्रोल।
तो बस गीता के सामने मैंने अपनी बात रख दी, तीज प्रिंसेज के लिए,... मुझे मालूम था की किचेन भी बग्ड है लेकिन गीता को तो नहीं पता था और वो खुल के बोल रही थी , फिर यही तो मैं और ये चाहते थे की बग लगाने वालों को सब कुछ नार्मल सा ही लगे।
प्रिंसेज के लिए गीता ने बहुत जबरदस्त आइडिया दी मैं सब्जी के मसाले भून रही थी और वो पराठे के लिए आटा गूंथ रही थी और सवाल था की टीनेजर्स का कम्पटीशन क्या हो.
मेरी लेडीज क्लब में लोगों ने बहुत हिम्मत की तो कंडोम फुलाने का आइडिया दे दिया, कौन पांच मिनट में सबसे ज्यादा फुला लेगा।
मुझे ज्यादा मजा नहीं आया था इस आइडिया में और गीता ने तो सिरे से ही खारिज कर दिया, बोली
कौन बच्चों की बर्थडे पार्टी है की गुब्बारा फुलवाओ, निशाना लगवाओ अरे सब लड़की चौदह की होगयी मतलब चोदवाने के लिए तैयार तो मुकाबला भी ऐसा हो की कौन जबरदस्त चुदककड़ है,.... अच्छा कंडोम का ही चलो मैं एक आइड्या बताती हूँ, ...
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टीन गेम्स - गीता की आइडिया- स्ट्रैप ऑन और कंडोम
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मान गयी मैं गीता को, आइड्या यह था की पांच लेडीज ( तीन तो मिसेज मोइत्रा की चमचिया ही और बाकी दो में एक बच्ची पार्टी से और एक सीनियर्स में से मैंने बिना बोले तय कर लिया ) स्ट्रैप आन लगा के खड़ी रहेंगी, और वो टीनेजर्स एक बॉक्स में कंडोम रहेगा उसे लेकर, बारी बारी से उन स्ट्रैप ऑन डिलडो पे कंडोम चढ़ायेंगी। गीता ने ये भी जोड़ दिया था की दूसरे स्ट्रैप ऑन डिलडो के लिए दुबारा जाना पडेगा, कंडोम उठाना, रैपर फाड़ना कंडोम निकाल के ले आ के चढ़ाना,
, और फिर स्ट्रैप ऑन से उन टीनेजर्स की जितनी जल्दी दोस्ती हो जाए उतना अच्छा, मिसेज मोइत्रा की चमचियाँ तो अभी से स्ट्रैप ऑन बाँधने की तैयारी कर के बैठी हैं जब से उन्हें पता चला है की मिसेज मोइत्रा की दोनों कबूतरियां आ रही है और वैसे भी मेरा सोना मोना एक दिन पहले उन दोनों की अच्छी तरह फाड़ चूका होगा,
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लेकिन गीता ने उसे पांच गेम का पेंटाथान बना दिया था। और जो ये सबसे कम टाइम में करेगी वो फर्स्ट
दूसरी एक्टिविटी थी खीरा /बैगन /डिल्डो चूसने की , इसमें टाइम तय था दो मिनट लेकिन खेल था लड़की ने कितना घोंटा, उसकी लिपस्टिक कहाँ लगी है और हर लड़की अलग अलग रंग की लिपस्टिक लगाएंगी। तो पांच डिल्डो पर पहले कंडोम चढ़ाना फिर दो मिनट चूसना
और जो अगली एक्टिविटी गीता ने बताई मान गयी मैं उसको,
बियर गज्लिंग, वो भी हार्ड बियर, इस एक्टिविटी के लिए चार मिनट दिया जाएगा, कैन खोलना, पीना और फिर दूसरा कैन मिनिमम दो कैन। और जिसने चार मिनट में दो कैन नहीं खतम किये, उसकी सजा भी, डबल ट्रबुल, एक तो चार चांटे उसके चूतड़ पे ऐसे की अगले दिन भी छपे नजर आएं और लगाएंगी वही मिसेज मोइत्रा की चमचियाँ और दूसरी सजा, फिर चार कैन बियर गटकना पडेगा, तब अगला राउंड, और प्वाइंट कटेंगे सो अलग,
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चौथी एक्टिवटी थी वेट टी शर्ट, चूँचियाँ और निपल्स साफ साफ़ दिखना चैहिये। और हाँ गीता ने जोड़ा इस पोज में सेल्फी भी खींचनी होगी और फिर मैंने जोड़ा, सुजाता और मीनाक्षी ने तीज प्रिंसेज का इंस्टा पेज बनाया है बस उसी पे उस कांटेस्टेंट को पोस्ट भी करनी होगी, और फेसबुक लाइव तो चलेगा ही
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और लास्ट ऐक्टिविटी होगी जहाँ से रेस शुरू हुयी थी वही पहुंच के अपने सारे कपडे उतारना फिर सब को दिखा के पांच बार टो टचिंग, और अपने पिछवाड़े के छेद को फैला के दिखाना, और उस के बाद तीज प्रिंसेज की कम्पटीटशन की ड्रेस पहनना
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और उन सारी एक्टिविटी के अलग अलग प्वायंट्स तो होते है लेकिन मैक्स प्वायंट होते जो सारी एक्टविटी सबसे कम टाइम में पूरा कर लेगी,
ड्रेस की फोटो मैंने गीता को दिखाई वो मान गयी बस एक दो छोटे से चेंजेज उसने सजेस्ट किये जो मैं मान गयी, ग्रुप में डाल भी दिए।
ड्रेस असल में सपान्सर्स की थीं , आखिर कुछ तो उन्हें भी दिखाना होगा की मार्केटिंग के लिए उन्होंने इस इवेंट को क्यों स्पांसर किया। ड्रेस थी रेड स्कारलेट विद अ टच आफ व्हाइट, बहुत ही टाइट छोटी बिकिनी जिसमें पार्टिसिपेंट के नंबर लिखे होंगे।
और इस फर्स्ट राउंड के कंम्पटीशन के बाद पन्दरह मिनट का फोटो शूट भी था, एक सेल्फी प्वायंट था जिसमें कम्पनी का लोगो था और प्रॉडक्ट था और फोटो शूट की सारी पिक्स को सेल्फी को इंस्टा पर, ********* पर कांटेस्टटेंट को खुद अपलोड करना था। जिन दो को मैक्स लाइक्स मिलेंगे उनके लिए अवार्ड। और सबको गिफ्ट हैम्पर, जिसमें गिफ्ट वाउचर भी होंगे।
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लेकिन गीता ने एक सवाल पूछ लिया
" भौजी, इ कुल लड़किया ससुरी तो अंग्रेजी स्कूल वाली,... "
कुछ मामलों में गीता और मेरा दिमाग एक ही दिशा में चलता था लेकिन उसका थोड़ी तेज चलता था।
" तो बस पढ़े लिखे वाला भी, अरे वो किताब पढ़वाइए न लेकिन दिहाती हम लोगन क बोली में " गीता बोली और मैं समझ गयी।
इनकी सास की बदमाशी, इनसे एक दिन मस्तराम को जोर जोर से बोलकर पाठ करवाया, भाई बहिन की कहानी थी लेकिन इन्हे लड़की की जगह गुड्डी का नाम और लड़के की जगह अपना नाम बोलना था। ये कहने की बात नहीं इनकी सास इन्हे दिखा के रिकार्ड भी कर रही थीं, गीता कमरे में डस्टिंग कर रही थी और इनकी सास की बदमाशी देख रही थी।
तो बस गीता की बात मेरे दिमाग में ट्रिगर कर गयी,
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सिर्फ रीडिंग सेशन नहीं, पूरा इम्प्रोवाइजेशन यानी दो दो तीन तीन टीनेजर्स का ग्रुप बना के उन्हें एक एक शुद्ध देसी हिंदी वाली किताबें पकड़ा देनी थी जब तक उनका मेकअप, हिना होता उन्हें पढ़ के इम्प्रोवाइज करना है और न सिर्फ डायलॉग बोलना है वही देसी हिंदी में बल्कि एक्ट आउट भी करना होगा, पूरा लेस्बियन खेल
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और शादी बियाह में रतजगे वाले गाने, देसी गारियाँ सब कर्टसी यू ट्यूब नहीं तो चमची नंबर दो और तीन, दर्जनों ऐसे गाने आते है बस उन का आडियो टेक्स्ट बना के आडियो बुक्स की तरह
गीता ने आटा गूंथ लिया और अब वो बेलने की तैयारी कर रही थी। मैंने भी तवा चढ़ा लिया था, गरम हो रहा था।
गीता रुक के बोली, " हाँ एक बात और हर बात में उन सब क गारी होनी चाहिए, उहो असली देसी।
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ये बात भी मैंने नोट कर ली और एक बात और जोड़ ली जैसे रैगिंग में गाली दिलवाई जाती हैं लंड पुराण , बुर महिमा उस टाइप की वो भी सस्वर पाठ करा सकती हूँ , आखिर मेडिकल में इंजियरनिंग में ये लड़किया दो चार साल बाद जब जाएंगी तो रैगिंग में ये सब गवाया जाएगा ही , कैच देम यंग। तो वो सब गाने भी याद करा सकते हैं
और थर्ड राउंड में डांस, उसके लिए भी गीता के पास सजेशन था, भोजपुरी गाने आर्केस्ट्रा वाले लेकिन थोड़ा सा जोड़ के जैसे एक भोजपुरी आइटम वाला गाना है सैंया मारे सटासट बस उसी गाने में दूसरी बार जब ये लाइन आये तो गाँड़ मारे सटासट,... और ग्रुप में कोई लड़की उसकी गाँड़ मारने की ऐक्टिंग भी करे,
और डांस के अंत में एक राउंड स्ट्रिप टीज तो होना ही था।
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और सारे प्रोग्राम की वीडियो रिकार्डिंग भी, आखिर इन लड़कियों की शर्म लाज जायेगी कैसे प्रोग्राम के इंटरवल में सारी तीज प्रिंसेज को अपने अपने सोशल मीडया के साथ साथ जो अडल्ट सोशल मिडिया है अपलस्ट, पिनसेक्स, प्रोथाट ऐसी साइट और नाम अपने असली ( बहुत सी पिक्स ऐसी भी होती की जो नार्मल सोशल मिडिया पे नहीं पोस्ट की जा सकती थीं और असली गेम तो उन सबो को पॉपुलर करना था, खास तौर से दोनों रसगुल्लों को ).
अवार्ड और प्राइज
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अवार्ड और प्राइज का भी फैसला जल्दी लेना था क्योंकि उन्हें मंगाना भी पड़ता और उन पर प्रिंट भी कराना पड़ता।
गीता ने एक जबरदस्त आइडिया दिया, " अरे वही गाँड़ फाडू का बोलती हूँ भौजी तू ,... "
" बट प्लग,... " हँसते हुए मैंने बताया। और मेरी भी चमकी कई बट प्लग के पीछे आर्टिफिशयल जेम्स लगे रहते हैं तो प्राइसी भी लगेंगे और टी पी ( तीज प्रिंसेज) लगा सकते हैं ,
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गीता ने जोड़ा और स्कूल में लगा के भी जाना हो
"एकदम सही " मैंने हामी भरी, ... जो अडल्ट साइट्स होंगी वहां अपने स्कूल के साथ पोस्ट कर सकती हैं। स्पांसर की ड्रेस बिकिनी, ब्रा -पैंटी सेट्स, गीता ने सही आइडिया दिया था पैंटी क्रॉचलेस हो और ब्रा में निपल्स के लिए छेद हो , तो पैंटी पहने हुए बट प्लग लगा के सेल्फी.
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जैसे तीज क्वीन में जीतना मिसेज मोइत्रा को ही था और अगली तीन पोजिशंस में दो उनकी चमचियों के लिए रिजर्व थी।
उसी तरह तीज प्रिंसेज में भी टॉप टू दोनों रसगुल्लों के लिए, मिसेज मोइत्रा की दोनों जुड़वा बेटियों के लिए।
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लेकिन सबसे बड़ा फर्क था टाइम का,
तीज क्वीन वाला कम से कम ७-८ घंटा चलना था, आखिर दोनों रसगुल्लों को मेरे सोना मोना को ठीक से निचोड़ना था, दो से तीन राउंड दोनों के साथ और हो सके तो गाँड़ मराई भी।
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तो ६ बार के लिए ६ घंटा तो चाहिए ही और कुछ शुरू में कुछ बाद में। इसलिए ११ बजे मिसेज मोइत्रा को लेकर क्लब पहुँच जाना था और किसी हालत में क्लब से सात साढ़े सात से पहले निकलना नहीं था, लौटते हुए अपने घर में भी। ८ के बाद मिसेज मोइत्रा घर वापस पहुँचती। तब तक उनकी दोनों बिटिया जिसे अब तक पिंजड़े में उन्होंने बंद रखा है अच्छी तरह से चुद जातीं।
लेकिन तीज प्रिंसेज में इतने टाइम की जरूरत नहीं थी बस मस्ती और दोनों रसगुल्लों की झिझक सबके सामने ख़तम होने के बात थी और रगड़ाई भी होनी थी , बस उन्हें झड़ने नहीं देना था सिर्फ खूब गरम करना था, दोनों रसगुल्लों की दुबारा रगड़ाई रात को होनी थी एक रिसोर्ट दो दिन के लिए बुक था और साथ में सुजाता और उस के मर्द को भी होना था। दोनों रसगुल्लों की डबलिंग भी होनी थी, इसलिए तीज प्रिंसेज साढ़े ग्यारह बजे शुरू हो के चार बजे तक ख़तम हो जाना था .
गीता ने और भी बहुत से बाते बताई और मैं सोच रही थी गीता को स्पेशल जज के तौर पर रख लूँ।
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लेकिन उस से भी जरूरी ये था की इन सब बातों को प्वाइंट के तौर पे सेव कर के अभी सुजाता और चमची नम्बर २ के पास व्हाट्सऐप करूँ। चमची नम्बर दो का दिमाग भी तेज चलता था, खास तौर से कच्ची कलियों की रगड़ाई के मामले में।
कुछ चीजे मैंने और सोच रखी थी, लास्ट राउंड के लिए जो एकदम मिस वर्ड टाइप होता जिसमे अंत में एक जूरी के लोग कुछ सवाल पूछते हैं या कागज पर लिखे सवाल होते हैं जिसे उन्हें पिक करना होता है, फाइनल राउंड के कंटेस्टटेंट के लिए, सवाल मैंने कुछ सोच रखे थे कुछ ऐक्ट आउट करने वाले भी थे साथ में मॉडल आंसर भी जैसे एक सवाल था अगर कोई ऐसा लम्बा मोटा लंड मिल जाये जिसे चूत घोंट न पाए तो क्या करोगी। मॉडल आंसर था, ऐसा कोई लंड नहीं जिसे चूत न घोंट सके. एक्ट आउट में सवाल था किसी दुकान पे हो तो कैसे दुप्पटा गिरा के, जुबना झलका के दुकानदार को पटाओगी। चमची नंबर दो ने भी कुछ सवाल सजेस्ट किये थे जैसे एक बार में कित्ते लंड ले के झाड़ सकती हो।
गीता से मैंने कहा रात में और सोच के कल बताना और क्या सवाल हो सकते हैं, गेम क्या हो सकते हैं।
ये कुनमुना रहे थे, खाना भी बन गया था।
गीता से मैंने बोला की रात को रुक जाए लेकिन वो बोली की उसकी माँ मंजू भी नहीं है, मिसेज मोइत्रा के जाने के बाद मंजू भी दो चार दिन के लिए अपने मायके चली गयी है, इसलिए उसे घर जाना ही होगा। हाँ खाना वो पैक करके ले जाएगी। कल के लिए वो बोल गयी की दिन में आराम से आएगी फिर हम लोग आगे की बात करेंगे।
उसे छोड़ने मैं बाहर गयी थी तो वो ठेले वाला नहीं था, इसका मतलब हम लोग बीच बीच में उसके फिजिकल सरवायलेंस से मुक्त रहते हैं, मैंने गीता को छेड़ा भी,
" तेरा यार नहीं दिख रहा है "
" गया होगा अपनी महतारी चोदने "
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हँसते हुए वो बोली और अपने घर की ओर चल दी। लेकिन मुझे एक आइडिया आया। सी सी टीवी तो हमने भी लगवा रखा था और उसका मॉनिटर किचेन में ही था। मैंने जाके देखा तो वो सब्जी का ठेला खाली था, हो सकता है खाना खाने, वाशरूम जाने के लिए वो उस फ़ूड ट्रक में जाता हो।तो मतलब जैसे वो हमपर निगाह रखता था, हम उस पर निगाह रख सकते थे। फ़ूड ट्रक से फिजिकल सर्वेलेंस नहीं हो सकती थी हाँ घर में लगे कैमरों से ये अंदाज लग सकता था कौन घर में है, नहीं है, लेकिन निकल के किधर गया वो तो गाजर वाला ही देखता था और फ़ूड ट्रक वाले को बोलता होगा। फिर सीसी टीवी को रिवाइंड कर के पिछले दो दिन का भी अगर रिकार्डिंग देख लें तो ये पता चल जाएगा की किस किस समय वो ठेला छोड़ के जाता है
गुड्डी
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ये उठ गए थे और खाना खाते समय इनके माल का फोन आया और किसका गुड्डी का दिल्ली में बूट कैम्प से।
और गुड्डी का रोना शुरू और साथ में गालियां एक से एक।
ये बड़ी मुश्किल से हंसी रोक रहे थे।
" स्साले मादरचोद, जनम के गांडू, लगता है बिना माँ बाप की चुदाई के पैदा होगये, पता है क्लास में मोबाइल पे बैन लगा रखा है, जैमर अलग से। वर्ना पढ़ते पढ़ते किसी का खूंटा देख कर मन बहला सकती थी, लेकिन नहीं। अभी सिर्फ नौ बजे से दस बजे तक मोबाइल करने की छूट है , डेढ़ सौ तो व्हाट्सऐप आये हैं, चार मेरे फेसबुक अकाउंट अभी आधे देख के आप को फोन किया है , बस बीस पच्चीस मिनट बचे हैं "
" पढ़ाई कैसी चल रही है " खाना खत्म कर के वो बोले।
" पढ़ाई की,... “
गुड्डी उसी अंदाज में थी लेकिन फिर गियर चेंज किया, थोड़ा दुखी हो के बोली, “आज एंट्रेस टेस्ट हुआ था पन्द्रहवें नंबर पर आयी हूँ , अपनी कोचिंग में बोले तो सेकेण्ड,...”
कुछ उदास थी। एक पल के लिए रुकी फिर चहकते हुए बोली,
" लेकिन भैया आज मैंने थोड़ी सी ट्रिक सीख ली हैं बूट कैम्प ख़तम होने के बाद फाइनल टेस्ट में पक्का टॉप फाइव में आ जाउंगी। वैसे यहाँ कहते हैं की आज तक जो इस बूट कैम्प में टॉप टेन में भी आ गया न तो उसे उसकी पसंद का मेडिकल कालेज मिल जाता है। "
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मैं सोच रही थी, ये लड़की भी,... बात तो सही है , पूरे इण्डिया के कई कोचिंग वाले मिल के ये बूट कैम्प लगाते हैं , टॉप टेन कोचिंग के टॉप टेन स्टूडेंट्स, तो वैसे १०० में १५ वी भी बुरी नहीं है।
" शेड्यूल क्या रहता है " इन्होने सीरियस हो के पूछा।
" फाड़ के रख देते हैं अब ये बताइये भैया सुबह पांच छह बजे कोई पढ़ने का टाइम होता है उस समय तो कुछ और करने का टाइम होता है, हैं न। "
वो खिलखिलाई और ये झेंपे।
बात मेरी ननद की एकदम सही थी, कौन नहीं होगा जिसका मुर्गा सुबह नहीं बोलता होगा, इनका तो और जबरदस्त, …फिर जब से गुड्डी आयी एक राउंड सुबह सुबह उसके साथ तो,... और वो नहीं रहते थे तो में ही एक कप बेड टी सुनहरी पेसल, ... और गीता तो थी ही।
" सुबह पांच बजे जगा देते हैं, अलार्म नहीं आके, चाय पिला के, पांच बजे ही दिन का शेडयूल आ जाता है, और होमवर्क भी। ६. ३० पर एक ऑनलाइन क्लास एक घंटे का क्लास आधे घंटे का टेस्ट। आठ बजे ब्रेकफास्ट और साढ़े आठ से क्लास शुरू। रोज रोज टेस्ट। न कोई टीचर बीमार पड़ता है न कभी सरवर डाउन होता है। "
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गुड्डी ने अपने दिन भर की मुसीबत सुना दी लेकिन फिर उसे कुछ याद आया,
" गीता की बहुत याद आती है, आयी थी क्या " वो बोली
" हाँ और वो भी तुझे याद कर रही थी, " मैं बोली लेकिन गुड्डी मौका क्यों छोड़ती जड़ दिया उसने तुरुप का पत्ता।
" भौजी तो फिर उसको एक चुम्मी लेनी बनती थी न अरे वहीँ जहाँ मैं लेती थी। "
लेकिन तब तक उसके फोन पे ढेर सारे जैसे बाजे बजे हों,
" ससुरे पार्टी वाले लौंडे, व्हाट्सऐप कांफ्रेंस के लिए जिद किये बैठे हैं " चलती हूँ और वो अंतर्ध्यान हो गयीं।
कुल बारह मिनट ही तो बचे थे और बारह लड़को को उसने पार्टी में निपटाया था। मैं उसकी पार्टी की बात सोच के मुस्करायी लेकिन अभी पार्टी की बात करने का टाइम नहीं था, चारो ओर ' कीड़े ', कहाँ की बात कहाँ पहुँचती दूसरे इनका भी फोन बज गया था। वैसे तो ये कभी आफिस का काम घर नहीं ले आते थे पर कभी कभी,…
और आज वो कभी कभी का दिन था , काल बॉम्बे से थी।
और मैं अपने दिन के बारे में सोचने लगी। मेरा आज का दिन भी खूब बिजी था लेकिन काम भी बहुत हुआ।
तीज की पार्टी जैसे नजदीक आ रही है उसके काम बढ़ रहे हैं सुबह मेरी टू डू लिस्ट में ११ काम तो तीज की पार्टी के ही थे , चार बातों पर डिसीजन होना था , छह जगह बात करनी थी फोन से, फिर सुजाता के यहाँ की मीटिंग,...
बूआकी लड़की और मेरी मस्ती-
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स्साली यहाँ मेरी बुलबुल में आग लगी थी, दो दिन का उपवास इस बंबई के चक्कर में हो गया था, दिन भर ये स्साला अपने काम में और मैं अपने काम में और और जब मस्ती का टाइम आया, बुलबुल को चारा खिलाने का तो ये बंबई का फोन और वो भी इस समय,
मैं समझ गयी थी, मिस्टर दीर्घलिंगम का फोन होगा, और इस समय उन का फोन हफ्ते में एकाध बार आ जाता था, जिस दिन उनका मूड होता था, पर मिसेज दीर्घलिंगम, उन्हह करके उनकी ओर पीठ करके लेट जाती थीं,
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और फिर दस पन्दरह मिनट बाद उनका फोन इनके पास बस इधर उधर टाइम पास टाइप बातें, पर ये भी, फोन काट तो सकते नहीं थे, एक तो उनके कंट्री हेड थे, और उस लेवल का आदमी कहाँ फोन करता है, फिर उन्होंने हम दोनों का बड़ा ख्याल रखा, और सबसे बड़ी बात तो मिसेज मोइत्रा मेरे पर काटने पर तुली थीं, उनका ऐसा इलाज किया जो मैं भी नहीं सोच सकती थी, न सिर्फ मिस्टर मोइत्रा का ट्रांसफर बल्कि ऐसी जगह जिसे सब लोग काला पानी कहते थे, और जहाँ से छह महीना साल भर तक यहाँ आना मुश्किल नहीं असम्भव था, और उसके बाद जबकि मिस्टर मोइत्रा वीपी थे, उनका सब मलाईदार काम सीधे इन्ही को, पूरी दुनिया समझ गयी निजाम बदल गया। और उसी का नतीजा हुआ, की मिसेज मोइत्रा न हम सब के चंगुल में आयीं, बल्कि उनकी दो कच्ची कलियाँ
दर्जा नौ वाली कच्ची कलियाँ, मिसेज मोइत्रा की कबूतरियां, जिन्हे वो सात ताले में बंद रखती थीं, और बस दो चार दिन और, ....और दिन भर मिसेज मोइत्रा लेडीज क्लब में और,.... मेरा ये सोना मोना फाड़ेगा उन दोनों की, मजे से मजे ले ले के, अगवाड़ा पिछवाड़ा सब,
कैसे ये सब हुआ ये सब पढ़ तो चुके हैं आप,
हाँ इस समय मेरा मन कुछ और कर रहा था, और जब वो बेटाइम के फोन पे चिपक जाते थे तो गुस्सा भी आता था और इन्हे छेड़ने में मजा भी, तो मैंने पहले तो जंगबहादुर को इनके छोटे से शॉर्ट्स के ऊपर से सहलाया, दुलराया, फिर अपनी नाइटी उतार के इन्हे दिखाते दूर फेंकी
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और अगला नंबर ब्रा का था, लेकिन उसे फेंका नहीं, पहले एक हाथ से उनके चेहरे पे, फिर धीरे धीरे जागते मोटे मूसल के ऊपर, शार्ट के ऊपर से पहले हलके से फिर कस के रगड़ घिस्स,
और मेरे मन में और भी बहुत कुछ चल रहा था,
स्साले अपने को उस के बचपन के माल के ऊपर चढ़वाया, उसकी सगी से बढ़कर ममेरी बहन के ऊपर,
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सगी तो कोई थी नहीं, वरना बड़ी छोटी कोई भी होती मैं चढ़वाती इसे जरूर और वो भी अपने सामने, जंगल में मोर नाचा किसने देखा, तो ननद तो होती ही है चुदने के लिए,
और ननद ननद होती है, उसकी कोई उमर वूमर का चक्कर नहीं, छोटे बड़े होने का फरक नहीं, लेकिन वो स्साली छिनार इनकी ममेरी बहन ने जो अभी फोन पे बताया, कम से कम दस पन्दरह दिन तो अपनी कोचिंग के बूट कैम्प में फंसी रहेगी, तो मेरा सोना मोना क्या इत्ते दिन तक बिना बहन चोदे रहेगा,
और मैंने अपनी डायरी निकाली, माना की सगी नहीं थीं लेकिन ममेरी, मौसेरी, चचेरी, फुफेरी, और फुफेरी, से याद आया उनकी छोटी फुफेरी बहन, छुटकी, लेकिन नाम था मिन्नी, मेरी शादी में आयी थी और गुड्डी ने यहाँ आने से पहले वीडियो काल में, सब तो देख लिया था उसका, मैंने और गुड्डी ने मिल के,
एकदम सही चीज है, मिसेज मोइत्रा की कबुतरियों की तरह, उसी क्लास में वो भी है , दर्जा नौ, लेकिन देखने में उन सबों से भी कच्ची लगती है
तो आज दिन में मिन्नी और उसकी मम्मी, बूआ से बात कर के चक्कर तो मैंने चला दिया था लेकिन अब इस स्साले को गरम करना बाकी था
अभी भी कभी कभी थोड़ी सी झिझक आ जाती है इनको इसलिए आज बल्कि अभी से उस मिन्नी का नाम लेके गरमाना जरूरी है
कैसी लगती है वो?
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ज्यादा डिटेल तो पेज १७६ पर मिल जाएगा, लेकिन चल चलिए कुछ बता देती हूँ छुटकी या मिन्नी ( अब कहानियों में इतनी छुटकी होगयी हैं की मिन्नी कहना ही ठीक रहेगा उसे )
वो वय: संधि के उस दरवाजे पर खड़ी जहाँ घर वाले उसे अभी भी बच्ची समझते थे पर घर से बाहर निकलते ही , मोहल्ले के लौंडे सीटी बजाकर , इशारे कर के न सिर्फ उसे उसकी जवानी का अहसास करा देते थे बल्कि कितने उसपे चढ़ाई का भी प्लान बना चुके थे।टीनेज ब्रा तो उसने कब से पहननी शुरू कर दी थी ,पर नहाने के बाद शीशे के सामने उन आती बढ़ती गदराती गोलाइयों को कभी छू के ,कभी सहला के ,कभी हलके से फ्लिक कर के तो उसे खुद को रोज अपनी आती जवानी का अहसास होता।
उमर तो बस वही जो गुड्डी की थी , जब गुड्डी मेरी शादी में बारात में गाँव में आयी थी मेरे और उसके कच्चे टिकोरों ने न सिर्फ लौंडों को बल्कि गाँव के मर्दों की भी पैंट टाइट कर दी थी। सच में खट्टी मीठी अमिया की बात ही कुछ ऐसी है ,हर कोई कुतरना चाहता है। और मिन्नी की अमिया अपनी समौरियों से २० नहीं २२ थीं।
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लेकिन जो मिन्नी को कातिल बनाती थीं वो थीं उसके संदली भोले चेहरे पर बड़ी बड़ी कजरारी आँखे,खूब रसीले होंठ और एट्टीट्यूड। उन आँखों का तो बस , झुकना भी गज़ब उठना भी गजब ,
खिलना कम, कम कली ने सीखा है,
तेरी आंखों की नीमबाजी से।
लगता है मीर ने वैसे ही किसी शोख को देख के लिखा होगा। और फिर हुस्न के साथ अदा भी अगर मिल जाए ,
तिरछी निगाह के साथ हलकी सी मुस्कराहट , वो एक जम्बिश के साथ गर्दन का मोड़ना और बेसाख्ता उन गुलाब से गालों पर आयी लटों को हटाना , उसकी फेहरिस्त में आधे घायल थे।
और जैसा मेरी बाकी ससुरालवालियों को आदत है , बस उसी तरह से मना करना उसने सीखा नहीं था था। उसके फेसबुक पेज पे १२४६ फ्रेंड्स थे उसमें ८२७ लड़के और उसमें से भी साढ़े चार सौ से ऊपर एक से एक हंक। जब वो उन कटीली आँखों और गुलाबी भरे भरे होंठों से फक मी लुक देती थी तो बस ,
मैंने और गुड्डी ने मिल के उसका शिकार किया, बल्कि हांका तो गुड्डी ने ही किया, खेद के मेरी ओर ले आयी और फिर ऐसी मस्त माल ननद को कौन छोड़ता है, तो मैंने आराम से उसकी ब्रा भी उतरवाई, चुनिमुनिया भी खुलवाई और उसके सीधे सादे भैया के लिए कच्ची अमिया की और जस्ट आ रही झांटों वाली बुलबुल की फोटो भी खींची।
गुड्डी ने ही शुरू किया
" भाभी इसकी भी करवा दीजियेगा न ,कोचिंग "
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बस दुहरे मीनिंग वाले डायलॉग चालू हो गए।
" बोल करवाएगी , एक बार हाँ कर देगी न तो मैं छोडूंगी नहीं भले फिर लाख ना ना करना " मैंने मिन्नी को चिढ़ाया।
क्या जबरदस्त अंगड़ाई ली उस हाईस्कूल वाली ने ,लगता था बस वो कबूतर के बच्चे टॉप फाड़ के उड़ के बाहर आ जाएंगे।
" अरे भाभी ,नेकी और पूछ पूछ। हाँ और दस बार हाँ। ना करने वाले कोई और होंगे। "
वो छुटकी जिस शोख ढंग से बोली सच्च में मैं लड़का होती न तो वहीँ पटक के चोद देती।
" तेरे शहर में क्या तुझे यारों की कमी पड़ गयी या ,... कोई पसंद का नहीं मिल रहा " गुड्डी ने छेड़ा अपनी कजिन को।
" फेसबुक पे तो तेरे इत्ते ,... " मैंने भी अपनी राय जाहिर कर दी।
" अरे भाभी वो सब हगिंग और किस की स्माइली वाले हैं , असली बात तक पहुंचते ही नहीं। " उदास चेहरा बना के वो बोली।
फिर वो मेरे ऊपर एकदम तेल पानी ले के चढ़ गयी।
" भाभी आप तो रोज बिना नागा , और यहाँ आप की ननदें बिचारी एक बार के लिए ,... "
कई बार कच्ची उमर वाली भी अपने को बड़ा जताने के लिए, भले ऐन मौके पे टाँगे सिकोड़ ले, हिम्मत न पड़ रही हो, लेकिन बड़ी दिखने के लिए, अब मैं छोटी बच्ची नहीं हूँ, ये जताने के लिए बढ़ चढ़ के बोलती हैं और मिन्नी भी ऐसे ही जोश में थी, पर मैं और गुड्डी यही तो चाहते थे, की वो एक बार खुल जाए, फिर तो उसकी खोलने में मैं कोई कसर नहीं छोड़ती,
" तो ठीक है मैं जिससे करवाती हूँ रोज बिना नागा फड़वा दूँ उससे तुम दोनों की। सोच लो। " मैं ने अब छेड़छाड़ का लेवल बढ़ाया और अपने मन की भी बात कह दी
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अब दोनों की चुप होने की बारी थी।
" बहुत दर्द होगा फटते समय , "अब मैंने चढ़ाई कर दी।
फिर तो दोनों ने ऐसा हंसना शुरू किया , चुप होती फिर हंसना चालू कर देतीं।
मुश्किल से हंसी रोक के मिन्नी बोली ,
" एकदम भाभी ,जैसे आप को हुआ था न , याद है गुड्डी दी। "
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"एकदम याद है , " गुड्डी बोली और दोनों ने फिर हंसना शुरू कर दिया।
"कित्ता जोर से चीखी थीं आप " दोनों एक साथ बोलीं।
दोनों के भैय्या का मूसल था ही इतना मोटा , बिचारे बहुत सम्हाल के ,लेकिन,... मैंने भी कंट्रोल करने की कोशिश की थी पर चीख निकल ही गयी। लेकिन इन दोनों को कैसे ,... "
और गुड्डी और मिन्नी दोनों ने कबूल कर लिया।
" भाभी ,इस की शैतानी है यही मुझे पकड़ के ले गयी थी। " मिन्नी ने गुड्डी की ओर इशारा किया।
घबड़ा मत आ जा ना , तेरे भैय्या से तेरी फड़वा दूंगी , बस तुझे खुद मालूम हो जायेगा कितना दर्द होता है। "मैंने मिन्नी को लपेटा।
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और मैंने और गुड्डी ने मिल के मिन्नी की ब्रा भी खुलवा दी, बस ये कह के की तेरे तो बहुत छोटे हैं
मेरे ३४ सी के परफेक्ट बूब्स , हाफ कप ब्रा में ,
गुड्डी ने भी अपना टॉप ऊपर कर लिया।अब छुटकी के पास कोई रास्ता नहीं था ,हिचकते हुए उसने भी ,
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क्या कच्ची अमिया थी। दंगे हो जाएँ एकदम ऐसी , टीन ब्रा में फंसी। उस बिचारी को क्या मालूम मैंने झट स्क्रीन शॉट सेव कर लिया।मुझे पता था उसके भैय्या तो बस ये स्क्रीन शॉट देखते ही पागल हो जाएंगे।छोटी छोटी सी लाइट पिंक ब्रा और उसके अंदर कच्ची जवानी के फूल ,
और भैय्या तो बाद में , अभी तो मैं ही बौरा रही थी इन टिकोरों के बारे में सोच सोच के।मैं सुनने से ज्यादा बस देख रही थी उन छोटी छोटी कच्ची अमियों को , बस मन कर रहा था ये ब्रा उतार फेंकूं , मसल दूँ , रगड़ डालूं , बस एक बार चूसने को मिल जाय , बस हलके से एक बार कुतरने को ,
मैंने कहा
" अरे यार ज़रा और पास आ न , ठीक से देखने दे हाँ क्लोज अप में "
मिन्नी भी मस्ता रही थी उसने अपने उभार आलमोस्ट वेब कैम से सटा दिए। लेकिन बात अभी पूरी नहीं थी, मुझे तो पूरी ब्रा उतरवा के उसके चूजों की पिक लेनी थी और पहले मैंने अपनी ब्रा उतार के स्ट्रैप का नंबर दिखाया ३४ सी, फिर गुड्डी ने ३२ सी और हम दोनों मिल के मिन्नी को छेड़ने लगे, तेरा तो २८ ए से ज्यादा नहीं होगा, वो बोलती रही नहीं ३० सी और अंत में बेचारी ने अपनी ब्रा खोल के स्ट्रैप का नंबर दिखया पर वप किसे देखना था, मुझे तो उसकी कच्ची अमिया
जबरदस्त टिकोरे कच्चे, गोरे गोरे कच्चे दूध के छोटे छोटे कटोरे ,
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" ओके छुटकी यार बस एक मिनट अपने दोनों हाथ एकदम ऊपर कर , गुड गर्ल , और एक बार हाँ बस एक मिनट दोनों हाथ बूब्स के नीचे हाँ बस ऐसे ही। "क्लिक क्लिक पंद्रह स्क्रीन शॉट उसके भैय्या के लिए ,
गुड्डी उड़न छू हो गयी स्काइप पे बचे मैं और छुटकी और शायद ये मैं भी चाहती थी। गुड्डी ने अपना काम कर दिया , हाँके का ,
शिकार को खेद कर मेरे पास तक लाने का ,
बस धीरे धीरे अपनी इस छोटी ननद का आराम से शिकार करने का काम मेरा था।जाल बिछ गया था ,चिड़िया ने दाना चुग लिया था और अब मुझे बस जाल बंद करना था , मैंने कर दिया।
हम लोग तो एक दो दिन में जा ही रहे थे, उसे भी बुला लिया इनकी पोस्टिंग वाली जगह पे और उसने हाँ भी कर दी, बस एक बार आ जाय ये चिड़िया, फिर तो वो दूज के चाँद ऐसी कसी कसी ले के आएगी और पूनम के चाँद की तरह खुली खुली ले कर जायेगी अपनी सहेली को।
तो वो सब बातें याद आयी तो मैंने उसे फोन लगाया,
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फिर बूआ से भी बात हो गयी, सब पक्का लेकिन इस साले को भी तो उसकी बहन का नाम लेके गरमाना है और ये फोन में फंसा
अब मुझसे नहीं रहा गया, स्साला तीन तीन लोग तैयार, इनका मूसलचंद भुखाया बैठा, इनकी छुटकी दर्जा नौ वाली बहिनिया गर्मायी, चुदवासी और मेरी बुलबुल भी,
इनकी फोन की माँ की, ......
;;;और मैंने शॉर्ट्स पकड़ के खिंच लिया और जहाँ मेरी नाइटी और ब्रा पड़ी थीं, सीधे उसके ऊपर, जैसे संपेरे के डब्बा खोलते ही, पिटारी से कुंडली मार के बैठा सांप, फुफकार के फन काढ़ के बाहर निकाल ले सर अपना, वही हालत इनके सांप की हुयी, फनफनाकर, फन काढ़ कर खड़ा हो गया,
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पर पहली रात से ही मैं उसका सफ़ेद जहर निकालना अच्छी तरह से सीख गयी थी और अब तो मेरी उससे अच्छी दोस्ती हो गयी थी, आखिर मैंने उसको एक से एक माल दिलवाया, वो इनके मायके का, इनकी भौजी, मेरी जेठानी ऐसा खूब खेला खाया, मायके के लंड घोंट घोंट के बड़ी हुयी और इनकी कुँवारी इंटर पास बहन का, तो वो उनसे ज्यादा मेरी सुनता था
मस्ती साजन संग
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पर पहली रात से ही मैं उसका सफ़ेद जहर निकालना अच्छी तरह से सीख गयी थी और अब तो मेरी उससे अच्छी दोस्ती हो गयी थी,
आखिर मैंने उसको एक से एक माल दिलवाया, वो इनके मायके का, इनकी भौजी, मेरी जेठानी ऐसा खूब खेला खाया, मायके के लंड घोंट घोंट के बड़ी हुयी और इनकी कुँवारी इंटर पास बहन का, तो वो उनसे ज्यादा मेरी सुनता था
अब बेचारे इनकी हालत खराब, " सर घर से किसी का फोन आ रहा है " फोन काटने के ७५ स्टैण्डर्ड बहानों में से एक का उन्होंने इस्तेमाल किया और फोन काट दिया,
लेकिन तबतक मैं इन्तजार नहीं कर सकती थी, बस बिना बोले, झुक के चुंबन के छोटे छोटे पग, इनके तीसरे पैर पर, दर्जन भर से ज्यादा लिपस्टिक के निशान,
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और उसके बाद जीभ निकाल के लिक करना शुरू कर दिया बस उन्ही लिपस्टिक वाले निशानों को आखिर नौ इंच से ज्यादा लम्बा चर्म दंड भी तो था और मोटा इतना की पहले तो मुंह में लेने में मुश्किल होती लेकिन अब प्रैक्टिस और कोशिश, तो गप्प कर ही लेती हूँ।
लीची ऐसा मीठा, मांसल और बड़े टमाटर ऐसा फूला सुपाड़ा बेचारा भी तड़प रहा था मेरी जीभ के स्वाद के लिए और फिर जीभ की टिप से सुपाड़े के छेद में छेड़खानी और सुरसुरी
फड़फड़ा उठा बेचारे और वो सिसक रहे थे,
" ओह्ह्ह उफ्फ्फ छोड़ न, ओह्ह रजज्जा कैसा लग रहा है, स्साली क्या करती है, ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह अह्ह्ह्ह "
बेचारे की हालत खराब थी, लेकिन इतनी देर से इस बेचारी की हालत भी तो खराब थी
नहीं नहीं मुझे अंदाज था, जो ढेर सारे कैमरे हम लोगों के अंतरंग पलों को रिकार्ड कर रहे थे, बल्कि हमारी एक एक सिसकियों का हिसाब रख रहे थे और अब तो मुझे मालूम था की कौन से कैमरे कहाँ लगे हैं, कहाँ कहाँ बग्स हैं और बस मैं भी एकदम उसी तरह से,
जब मैं जीभ इनके सुपाड़े के पी होल में डाल के सुरसुरी कर रही थी मैंने अपना चेहरा थोड़ा ऊपर उठा लिया था जिससे मेरी जीभ और इनका सुपाड़ा एकदम कैमरे के लेंस के सामने, क्लोज अप में और एक साथ कई कैमरे, अलग अलग एंगल से शॉट कैप्चर कर रहे थे और यही तो मैं चाहती थी बेचारे जो इतनी मेहनत से हम लोगो की पिक्चर बना रहे हैं, तो पिक्चर तो अच्छी बनानी चाहिए।
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एकदम कैंडिड कैमरा माफिक, और वैसे भी मेरे मरद से स्साले पार तो पा नहीं पाएंगे, तो ये फिल्म की ही ब्ल्यू फिल्म बना के और इतनी क्वालिटी तो हो ही की ए वी एन अवार्ड जीत ले
और देसी ब्ल्यू फिल्म वैसे भी बड़ी मुश्किल से इस क्वालिटी की मिलती हैं तो चांस काफी था, और इसी लिए मैं इनके मायके वाइयों को हफ्ते दस दिन में जब तक ये रिकार्डिंग चल रही है तो, मुझे पक्का यकीन था की बेस्ट न्यू स्टारलेट में मेरी ननदिया, अरे वही इनकी बूआ की लड़की मिन्नी और एम् आई एल ऍफ़ में मेरी सास के तो कोई आस पास नहीं,
लेकिन तभी मुझे याद आया की फिल्म में डायलॉग भी तो होना चाहिए खाली आह उह्ह्ह से क्या होगा, तो मैंने एक पल के लिए सुपाड़े को आजाद किया, और उनके चर्मदण्ड को अपनी कोमल मुट्ठी के हवाले किया और उनसे बोली
" हे बोल, स्साले लेगा अपनी बहन की, मेरी ननद के लिए हाँ बोलेगा,... तभी भाभी की मिलेगी "
और वो और अलफ़, उन्हें लगा मैं गुड्डी के बारे में बोल रहा हूँ, झुँझला के बोले, " यार तेरी ननद हफ्ते दस दिन के लिए गयी थी और अब लगताहै २०-२५ दिन के बाद ही आएगी और ऊपर से तुम और, "
बेचारे ये, इन सब मर्दो को जब एक बार अपनी बहन की, मायकेवालियों की चूत का चस्का लग जाता है तो उसके बिना मन नहीं भरता, लेकिन मैं अब अपने मरद को और नहीं तड़पाना चाहती थी, तो मैंने हलके से गाल काट के चिढ़ाया,
" मेरे मरद स्साले को बहनों की कमी है, सगी नहीं है एक भी तो क्या, ममेरी नहीं तो फुफेरी सही "
फिर दोनों उँगलियों को आपस में सटा के कसी बिन चुदी चूत का सिम्बल दिखाया और बोली,
" एकदम कच्ची कली है, कोरी, मेरी ऊँगली भी अंदर नहीं गयी, ३० सी, एकदम कच्ची अमिया, मन भर के कुतरना, चूसना,
उनकी आँखों में अभी भी सवाल था और मैंने फुसफुसाते हुए जवाब दे दिया, " तेरी बूआ की बेटी, बोल स्साले पेलेगा न "
उन्होंने ठीक से सुना भी नहीं शायद पर उन्हें तो एक बहाना चाहिए थे और बोले " यार कुछ मीठा हो जाए "
और सीधे मेरी दोनों टांगों के बीच शहद के छत्ते पर धावा बोल दिया, स्साला जबरदस्त चूत चटोरा, लें मैं छत की ओर देख रही थी, सीलिंग फाइने में लगे छिपे कैमरे का लेंस सीधे मेरी जाँघों के बीच , चाटते चूसते मेरे साजन पर
कई बार ये जान के की कोई और भी देख रहा है और मस्ती छाती है और हम दोनों खूब गरमा रहे थे
" स्साला चूत चटोरा,... हफ्ते भर के अंदर इसकी बूआ और बूआ की बेटी दोनों की चूत चटवाउंगी, इसी बिस्तर पे अपने सामने और रील भी बनाउंगी "
मैं सोच रही थी।
और वो मुझे तड़पाने में लगा था, कभी उसके उड़ते हुए चुम्बन जांघों पर, तो कभी मेरे निचले होंठों को छू के उड़नछू हो जाते और मैं बार बार जाँघे उचकाती अपने रस कूप को उनके होंठो से चिपकाने की कोशिश करती, पर वो होंठ हटा लेते और सीधे मेरे निप्स पे सक करने लगते,
और मैं गाली पर उतर आयी,
"तेरी माँ का, चूस साले "
और वो अबकी उन्होंने दोनों जाँघों को फैलाया और सीधे मेरी दोनों फांको को लिक करने लगे ऊपर से नीचे, ऊपर से नीचे,
ओह्ह्ह उह्ह्ह हाँ करो न चूस साले, हाँ ऐसे ही
और जब उन्हें लगा की मुझे अच्छा लग रहा है, तो अपनी जीभ हटा ली और बस उँगलियों से मेरे निचले होंठों की पंखुड़ियों को सहलाने लगे,
मेरी हालत खराब हो रही थी और उन्होंने होंठ और उंगलियां दोनों मेरी तड़पती सहेली पर से हटा दिया,
" स्साले, तेरी माँ पर अपनी माँ के दामाद को चढ़वाऊं, चूस न चूस कस के "
मैं जल बिन मीन की तरह तड़प रही थी, मचल रही थी चूतड़ पटक रही थी, लेकिन वो स्साला बहन का यार मुझे तड़पा रहा था, पर अचानक जैसे बाज कोई आसमान की गहराइयों से उतर के आये और एक झप्पटें में गौरेया को दबोच ले, उस के डाकू होंठों ने मेरी बुलबुल को दबोच लिया और क्या चूसा है जैसे कोई गन्ने वाला गन्ने का रस निचोड़ता है, एकदम उसी तरह और मैं पागल हो गयी,
ओह्ह उफ्फ्फ नहीं हाँ ओह्ह आह आह
दोनों हाथों से मैंने कस के चादर को पकड़ रखा था, आँखे उलट रही थीं, और अब वह सीधे चौथे गियर, पहले तो अपने एक हाथ से उसने मेरी कलाई पकड़ के दबोची, फिर कलाई जो छूटी तो दोनों जोबन दबोचे गए और अब वह अपने होंठों से मेरे निचले होंठों पर हिस्सा मार रहा था, फिर उसकी जीभ भी मैदान में आ गयी। जीभ ने मेरे दोनों निचले होंठों को फैलाया जैसे डीप फ्रेंच किस कर रही हो, और सिदेह अंदर और होंठ फिर कस के चूसने में लग गए,
चुसूर चुसूर चुसूर चुसूर
इतना अच्छा लग रहा था बता नहीं सकती, जीभ मेरी चूत चोद रही थी, होंठ मेरे निचले होंठों को चूस रहे थे, दोनों हाथ जोबन को रगड़ रगड़ कर ,
और सबसे बड़ी बात, मेरा साजन मेरे पास था।
और जैसे वो सोते से अचानक जगे हों, जब मैं झड़ने के एकदम करीब थी तो अपने होठ हटा कर बोल बैठे
" हे तुम अपनी किस ननद की बात कर रही थी, कोरी, कच्ची "
" अरे स्साले तेरी छिनार चुदवासी बहनों की कमी है, एक दिल्ली चली गयी है तो अभी दर्जन भर फुफेरी, चचेरी, अरे तेरी बूआ की लड़की , मिन्नी दर्जा नौ वाली , ३० सी साइज, "
मस्ती -रात भर
और जैसे वो सोते से अचानक जगे हों, जब मैं झड़ने के एकदम करीब थी तो अपने होठ हटा कर बोल बैठे
" हे तुम अपनी किस ननद की बात कर रही थी, कोरी, कच्ची "
" अरे स्साले तेरी छिनार चुदवासी बहनों की कमी है, एक दिल्ली चली गयी है तो अभी दर्जन भर फुफेरी, चचेरी, अरे तेरी बूआ की लड़की , मिन्नी दर्जा नौ वाली , ३० सी साइज, "
उनका मुंह खुला रह गया जैसे विशवास नहीं हो रहा हो, फिर बोले, " मानेगी वो, फिर अभी छोटी है "
उन्हें अपनी ओर खींच के कस के एक चुम्मी उनके होंठों पर जड़ते मैं बोली,
" मानेगी नहीं मान गयी है और अगले हफ्ते आ भी रही है अपने भैया से चुदवाने, और रहा छोटी बड़ी का सवाल तो ये मेरा मरद है न, उस कच्ची चूत वाली की चूत का भोंसड़ा बना के भेजेगा ,...गांड जो मारेगा वो अलग, ....गुड्डी की तो एक दिन में ही चार बार गाँड़ मारी थी, तो मिन्नी की कैसे बचेगी। बोल मारेगा न,"
और जैसे बिन बोले मेरी बात का जवाब दे रहे हों, मेरी दोनों टाँगे उठा के अपने कंधे पे उन्होंने रखी और क्या करारा धक्का मारा,
अगले धक्के में सुपाड़ा सीधे मेरी बच्चेदानी पे लगा और मैं झड़ने लगी, एक बार दो बार , लेकिन उनके धक्के रुके नहीं और गईं के बीस धक्कों के बाद रुके भी तो लंड पूरा अंदर तक और लंड के जड़ से वो मेरी चूत के ऊपर रगड़ रहे थे, दोनों निचले होंठ के साथ मेरी क्लिट की भी अच्छी रगड़ाई हो रही थी और थोड़ी देर में मैं फिर गरम हो गयी और तब असली चुदाई शुरू हुयी।
खूंटा अंदर धंसा हुआ था, पूरे एक बित्ते का और मेरे साजन के होंठ उँगलियाँ और सबसे बदमाश आँखे सब मैदान में थे।
उस के लालची हरदम भूखे होंठ कभी गालों को कचकचा के काट लेते तो कभी होंठों पे अपना हक जमाते, रस ले ले चूसते तो जीभ क्यों पीछे रहती, वो मुंह के अंदर घुस के मुख रस का स्वाद लेती।
जब साडी चोली और ब्रा के अंदर बंद होने पर भी मेरे जोबन की बरछियाँ उनके ऊपर चल जाती थीं, बेचारे की हालत ख़राब हो जाती थी, पैंट टाइट हो जाती थी
और अब तो मेरे उरोज एकदम अनावृत उन्हें चुनौती देते, तो बस दोनों हाथ सीधे वहीँ, कभी प्यार से दुलार से सहलाते, बस छू के लरज के रह जाते तो कभी कचकचा के मसल देते, रगड़ देते, मैं चीख उठती और जब लालची होंठ, होंठों से सरक के एक फूल से दुसरे फूल पे उड़ने वाली तितली की तरह मेरे निप्स पे आके बैठ जाते
तो वो उँगलियाँ कभी सांप की तरह मेरी देह पर जगह जगह रेंगती, कभी बिच्छी की तरह डंक मारती,
मैं खुद अपने जोबन उसके चौड़े सीने में रगड़ती, सिसकती अपने लम्बे नाख़ून ओके कंधो में धंसा के और उसे अपने अंदर खींचती
और जब तक मैं अपने मुंह से नहीं कहती, कर न, हे क्या करते हो, करो न
वो ऐसे ही मुझे सुलगाता रहता, उबालता रहता, और उसके बाद तो फिर तूफ़ान आ गया, एक मोटी सी तकिया मेरे चूतड़ के नीचे, कमर बिस्तर से दो बित्ते उठी हुयी, और मुझे एकदम दुहरी, जाँघे मैं खुद फैला देती, की अब जो बादल बरसे तो उसकी एक एक बूँद मैं सोख लूँ
और क्या करारा धक्का मारा उसने, करीब करीब पूरा निकाल के, और अब बाकी साथी उसके रुक गए, न हाथ होंठ, न आँखे
उसके हाथों ने कस के दोनों मेरी पतली कलाइयों को पकड़ रखा था, लालची आँखे बस मुझे देख रही थीं और सारी ताकत, सारी हरकत बस उस मोटे बांस में,
दूसरा धक्का, तीसरा धक्का एक बार फिर बच्चेदानी में
और मैं चीख उठी, उईईईईई
उसने कस के मेरी कलाई भींच ली, मेरी आधी दर्जन चूड़ियां चटक गयी, पलंग की पाटी दरक गयी
न उस के धक्के रुके, न मेरी सिसकियाँ, दसो बार, बीसो बार वो मोटा मूसल मेरी ओखल में रगड़ते, दरेरते,
मैं पसीने में भीग गयी थी, चूतड़ बिस्तर से रगड़ रही थी, अपने दांतो से होंठों को काट के चीखों को रोक रही थी, लेकिन वो बेरहम और मुझे नहीं रहा गया मैं बोल पड़ी,
" स्साले ये जोश अपनी बहना उस दर्जा नौ वाली की चूत में दिखाना, बहुत ताकत लगेगी उस की फाड़ने में, कुछ ताकत अपनी बहनों के लिए भी बचा के रख "
जैसे कोई बुझती आग में और लकड़ियां डाल दें और वो धधक के जल उठे, बस यही हालत हुयी, उन के दोनों हाथों ने मेरी कलाई को छोड़ा और पहले दिन से उन्हें ललचाते जुबना पे हमला बोल दिया, स्साले ने क्या कस के मसला रगड़ा और साथ में वो लम्बा बांस अब दुगने ताकत से फाड़ते, रगड़ते मेरी बुर का हलवा बनाने में,
लेकिन इसी लिए तो मैं तरसती थी, और मैंने उन्हें और चिढ़ाया, उन के गाल पे एक मीठी सी चुम्मी ले के बोली,
" स्साले, मेरे असली नन्दोई तो तुम्ही हो, बाकी ननदोई तो एक एक ननद का मजा लेंगे,... लेकिन तुम तो मेरी सारी ननदों का मजा लोगे, फिर उन बिचारों को चुदी चुदाई , ढीली मेरी ननदें मिलेंगी, ....सबसे पहले सेंध तो तुम्ही लगाओगे, मेरे असली नन्दोई "
उस समय वो बोलते कम थे, लेकिन उनके जवाब देने का तरीका अलग था, उन्होंने कचकचा के मेरी चूँची काट ली,
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और वो भी एकदम उस जगह जहां मैं लाख सम्हाल के आँचल से ढकने की कोशिश करूँ उनकी रात की शरारत और मेरी शामत साफ़ साफ़ नजर आये , और अब तो मैंने ढकने की कोशिश करना भी बंद कर दिया था,
और सिर्फ दांत ही नहीं उनके नाख़ून मेरे उभारों पे अपना निशान छोड़ रहे थे और मैंने फिर चिढ़ाया
" हे इत्ता कस कस के उस मिन्नी की रगडोगे न तो हफ्ते भर में बिचारी की ३० सी से मेरी तरह ३४ सी नहीं तो गुड्डी की साइज की ३२ सी तो हो ही जाएगी, "
" तेरी भी रगडूंगा, तेरी ननद की भी रगडूंगा, और ऐसे ही रगडूंगा " उनके बोल खुले और अबकी जिस तरह से उभार उन्होंने मसले निपल फ्लिक किया, मेरी सिसकी निकल गयी,
" घबड़ा मत, तेरी बहिनिया जायेगी और मेरी सगी सास आएगी, उनकी भी रगड़ना, उनकी तो ३६ डी है, एकदम डबल डबल, और अभी भी टनक, एकदम खड़ी कड़ी, उनकी मसलना कस के, उनसे भी बात हो गयी है आज, और अपने सामने मसलवाउंगी, तब देखूंगी सास के बेटे की ताकत "
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उसके बाद तो मेरे जोबन की जो हालत हुयी और नीचे के धक्के जो थोड़े हलके हो गए थे फिर तेज
, लेकिन थोड़ी देर में न इन्होने बाहर निकाला, न मैंने इनपर पकड़ ढीली की लेकिन अब मेरी टाँगे बिस्तर पर थीं, और मैं इनका बिस्तर थी। ये पूरी तरह मेरे ऊपर और हम दोनों एकदम चिपके, इनके दोनों हाथ मेरी पीठ पे, कभी कंधे पे और मेरे दोनों हाथों ने इन्हे दबोच रखा था। हम दोनों चुप थे लेकिन हम दोनों की देह एक दूसरे से बातें कर रही थीं, एकदम अंदर धसे हुए,
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जैसे बारिश रुकने के बाद भी बहुत देर तक बूंदे पेड़ों की पत्तियों से, टहनियों से टप टप टपकती रहती है, उसी तरह धक्के भी रुक रुक के हलके हलके
मिशनरी पोजीशन मुझे बहुत अच्छी लगती है दो कारण से, एक तो सारी मेहनत इन्हे करनी पड़ती है, शादी कर के ले आया है, करे न। और दूसरे इतनी क्लोजनेस, चुम्मा चाटी का मौका किसी और पोजीशन में नहीं मिलता, लेकिन परेशानी सिर्फ एक है, बात चीत नहीं हो पाती,
और हम दोनों थोड़ी देर में बात चीत कर रहे थे, मैं इनकी गोद में बैठी, खूंटा मेरे अंदर धंसा, मेरे दोनों हाथ इनकी पीठ पे चिपके ये अपना काम कर रहे थे और मैं अपना,
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मैं इन्हे दिन में इनकी बूआ और बूआ की लड़की से क्या बातचीत हुयी ये बता रही थी, इनके मूसल चंद का आने वाले दिनों की दूत्यै लिस बता रही थी, बस दो तीन दिन में वीकेंड में मिसेज मोइत्रा की दोनों कबुतरियों की सील तोड़नी थी, मिसेज मोइत्रा ने खुद इनसे कहा था तीन ज के दिन, उनसे अपने घर पे रहने के लिए ११ बजे से शाम ७ बजे तक, आठ घंटे की ड्यूटी, और वैसे भी शनिवार था इनका आफिस बंद था
और बेटियों के बाद माँ पर भी नंबर लगना था, मिसेज मोइत्रा का पिछवाड़ा अभी भी कोरा था तो हचक के उनकी गांड मारनी थी बल्कि फाड़नी थी
और माँ बेटी के बस दो चार दिन के अंदर बूआ और उनकी बेटी, माँ बेटी आने वाली थीं, तो बस उनका भोजन
पता नहीं बूआ का नाम सुन के या उनकी बेटी का नाम सुन के वो स्साला पागल हो गया और मुझे निहुरा के
मेरी सुहाग रात के तीसरे दिन, पहली बार उन्होंने डॉगी पोज ट्राई की थी और मैं समझ गयी थी, इस पोज में ये लड़का पागल हो जाता है
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और बंद कमरे में भी मुझे तारे दिख रहे थे, मैं चीख रही थी, चिल्ला रही थी लेकिन थोड़े ही देर में धक्को का जवाब धक्को से दे रही कभी अपनी बुर निचोड़ के उस दुष्ट लंड को उसकी औकात बताने की कोशिश कर रही थी और वो निपल खींच के, भींच के मेरे हर धक्के का जवाब धक्को से दे रहे थे
और अबकी बार हम दोनों साथ साथ झड़े, मैं जैसे ही झड़ना शुरू की, मेरी चूत ने इनके लंड को भींचना शुरू किया वो भी किनारे इ आ आगये और सब का सब पानी मेरी बच्चेदानी में,
मैंने कस के निचोड़ लिया, सब इसे चटवाना भी तो था
कुछ देर तक तो हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे, फिर बिस्तर पे लेटे लेटे और मैंने दिन की पूरी बात उन्हें बताना शुरू की, मिसेज मोइत्रा से क्या बात हुयी और कैसे उनकी दोनों सालियों के चूत में चींटे काट रहे हैं उनसे चुदवाने के लिए और फिर बूआ और बुआ की बेटी मिन्नी की बात, लेडीज क्लब की बात, वो सुनते भी रहे बीच बीच में बोलते भी रहे।
वो साथ रहते हैं तो टाइम कैसे कटता है पता नहीं चलता और दूर हो तो एक पल दूभर हो जाता है , अच्छा हो उन कैमरों वालों का अब ये पंद्रह दिन ये शहर छोड़ के कहीं नहीं जाएंगे
लेकिन एक बार में मुझे मालुम था की उसका मन नहीं भरेगा, तो घंटे डेढ़ घंटे के इंटरवल के बाद, मैंने खुद उनका मुंह खींच के लसलसा रही अपनी बुर पे, उनकी मलाई वही साफ़ करे, और जैसे ही मैं झड़ने के कगार पे पहुंची
उन्होंने मुझे खींच के बिस्तर से नीचे, और मैं बिना बताये समझ गयी, इस लड़के को क्या चाहिए
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मैं बिस्तर पकड़ के निहुर के झुक गयी, और वो पीछे से खड़े खड़े, और अबकी बिना पोजीशन बदले उसी पोज में हम दोनों झड़े
लेकिन तीसरी बार सुबह वाली शिफ्ट नहीं हुयी, हम दोनों बाहों में बंधे सो रहे थे, भोर अभी अलसा रही थी, की मेरी सौतन ने इन्हे जगा दिया मेरी सौतन और कौन, सबकी सौतन ननदे होती हैं लेकिन मेरी सौतन इनके आफिस का फोन था, दस मिनट बाद आफिस की गाडी आ रही थी और आधे घंटे में कोई ग्लोबल मीटिंग थी,
ये तैयार होने चले गए और मैं इनके लिए चाय बनाने और सोचती रही आज दिन में क्या क्या हुआ, ख़ास तौर से इनकी बूआ और बुआ की बेटी को कैसे मैंने पटाया,
बताउंगी, बताउंगी, आप सबको भी लेकिन अगली पोस्ट में, इनके आफिस जाने के बाद
अद्भुतकहानी का यह अध्याय पढ़कर ऐसा लगा जैसे किसी ने कामसूत्र, देवदास, और बिग बॉस को एक ब्लेंडर में डालकर परोस दिया हो.. लाजवाब.. आपके लेखन में वो ज़बरदस्त चटपटापन है जैसे चाट के दुकान वाले की गप्पों और सास-बहू के झगड़ों से मिलकर बना हो..
इस किस्त में तीज प्रिंसेज कांटेस्ट की तैयारियों को इतने विस्तार से बताया है कि लगता है आप खुद ही किसी लेडीज क्लब की इवेंट मैनेजर रहे हों.. कंडोम फुलाने से लेकर स्ट्रैप-ऑन डिल्डो तक.. ये सब देखकर ऐसा लगा कि सौंदर्य प्रतियोगिता अब सौंदर्य + साहसिक + सेक्सी प्रतियोगिता बन चुकी है.. गीता जी का आइडिया तो बेस्ट फ्रॉम वेस्ट लगा.. क्योंकि जहाँ दुनिया में टैलेंट शो में गाना-डांस होता है, वहीं यहाँ बियर गजलिंग और सेल्फी विद वेट टी-शर्ट जैसे राउंड्स हैं.. कहीं ये मिस यूनिवर्स का अंडरवर्ल्ड वर्जन तो नहीं?
किरदारों की भाषा इतनी देसी और अनफिल्टर्ड है कि अच्छे अच्छों की बोलती बंद हो जाएँ..!! "छोटी साली का हक", "कोलेस्ट्रॉल की चिंता मत करो", और "चढ़ के रेप कर दूँगी" जैसे डायलॉग्स पढ़कर लगता है कि आपने भारतीय संस्कृति की गहराई को एक नए लेवल पर ले जाने का प्रयास किया है.. सरासर सेंसर बोर्ड को चुनौती दी गई है..!!
नायिका: जो चाट पार्टी से लेकर टीनेजर्स की सेक्स एजुकेशन तक सब मैनेज करती है..
गीता: जिसका दिमाग कामशास्त्र व इवेंट मैनेजमेंट में मास्टरमाइंड है..
मिसेज मोइत्रा: जिनकी "कबूतरियाँ" (बेटियाँ) अभी तक सुरक्षित बही हैं, लेकिन जल्द ही असुरक्षित होने वाली हैं..
मिन्नी (बुआ की बेटी): जो कच्ची अमिया है और जिसे पकाने की तैयारी चल रही है..
उधर रोमांस को भी हार्डकोर प्रैक्टिकल बना दिया है.. जीभ से सुपाड़े की सफाई, डॉगी स्टाइल में तारे दिखाना, और निप्पल फ्लिक करके सिसकी निकालना.. सारा वर्णन गजब का और जबरदस्त है..!!
सीसीटीवी वाला सस्पेंस पढ़कर सोचने पर मजबूर हो जाते है की क्या वाकई ठेले वाला इतना खतरनाक है? या फिर वो भी किसी अंडरवर्ल्ड डॉन का फूड वेंडर है?
मिन्नी का आगमन उत्सुकता बढ़ा देता है.. क्या वो कच्ची अमिया बनकर ही रहेगी या फिर पकी हुई सब्जी बन जाएगी?
और मिसेज मोइत्रा की गांड मारने की योजना तो रीवेंज पोर्न का देसी वर्जन सा लग रहा है
यह अपडेट मस्ती + मच्छर मारने वाली अगरबत्ती + मसालेदार गप्पें का ऐसा कॉकटेल है जिसे पढ़कर पाठक या तो हंसते-हंसते लोटपोट हो जाएँगे या फिर गर्म होकर पंखा ढूंढने लगेंगे.. या फिर शायद दोनों..!! अगली कड़ी का इंतज़ार रहेगा.. बस इतना ध्यान रखिएगा कि कहानी इतनी गरम न हो जाए कि पाठकों के फोन ओवरहीट हो जाएँ..
अब तो मैं भी चाट खाते समय डबल मीनिंग ढूंढने लगा हूँ
आइडिया एकदम जबरदस्त दिया अपने, कम से कम तीज प्रिंसेज वाले दिन, जब कच्ची अमिया कुतरी जाएंगी, स्पेशल गेस्ट के तौर पेगीता जबरदस्त रहेगी.. le जाओ इसको तीज पार्टी में
Thanks so much for your suggestion so even when the story has moved to high fainance, there will be a good dose of Bhojpuri flavoured erotica in between Thanks againAapke dadication ke liye congratulations and thanks itna dedicated writers bahut rarely milte h, baki aapko or aapke time ki value paiso me to Pay nhi kar sakte hu but love your dadication and love your each updates and sorry manytimes I can't reply but I read each update and thanks alot for staying so long, wish you all the best for your in here and in your real life. God bless you. Recently your story has changed its tone completely but preserving it's initial style so just keep it up and add some bhojpuri gali type scenes, they're the best rest you're the writer keep updating how you like.