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भाग 247 - मेरा दिन -बूआकी लड़की पृष्ठ १५३९
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Bahut achhi preparation chal rahi hai teej ki.गुड्डी
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ये उठ गए थे और खाना खाते समय इनके माल का फोन आया और किसका गुड्डी का दिल्ली में बूट कैम्प से।
और गुड्डी का रोना शुरू और साथ में गालियां एक से एक।
ये बड़ी मुश्किल से हंसी रोक रहे थे।
" स्साले मादरचोद, जनम के गांडू, लगता है बिना माँ बाप की चुदाई के पैदा होगये, पता है क्लास में मोबाइल पे बैन लगा रखा है, जैमर अलग से। वर्ना पढ़ते पढ़ते किसी का खूंटा देख कर मन बहला सकती थी, लेकिन नहीं। अभी सिर्फ नौ बजे से दस बजे तक मोबाइल करने की छूट है , डेढ़ सौ तो व्हाट्सऐप आये हैं, चार मेरे फेसबुक अकाउंट अभी आधे देख के आप को फोन किया है , बस बीस पच्चीस मिनट बचे हैं "
" पढ़ाई कैसी चल रही है " खाना खत्म कर के वो बोले।
" पढ़ाई की,... “
गुड्डी उसी अंदाज में थी लेकिन फिर गियर चेंज किया, थोड़ा दुखी हो के बोली, “आज एंट्रेस टेस्ट हुआ था पन्द्रहवें नंबर पर आयी हूँ , अपनी कोचिंग में बोले तो सेकेण्ड,...”
कुछ उदास थी। एक पल के लिए रुकी फिर चहकते हुए बोली,
" लेकिन भैया आज मैंने थोड़ी सी ट्रिक सीख ली हैं बूट कैम्प ख़तम होने के बाद फाइनल टेस्ट में पक्का टॉप फाइव में आ जाउंगी। वैसे यहाँ कहते हैं की आज तक जो इस बूट कैम्प में टॉप टेन में भी आ गया न तो उसे उसकी पसंद का मेडिकल कालेज मिल जाता है। "
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मैं सोच रही थी, ये लड़की भी,... बात तो सही है , पूरे इण्डिया के कई कोचिंग वाले मिल के ये बूट कैम्प लगाते हैं , टॉप टेन कोचिंग के टॉप टेन स्टूडेंट्स, तो वैसे १०० में १५ वी भी बुरी नहीं है।
" शेड्यूल क्या रहता है " इन्होने सीरियस हो के पूछा।
" फाड़ के रख देते हैं अब ये बताइये भैया सुबह पांच छह बजे कोई पढ़ने का टाइम होता है उस समय तो कुछ और करने का टाइम होता है, हैं न। "
वो खिलखिलाई और ये झेंपे।
बात मेरी ननद की एकदम सही थी, कौन नहीं होगा जिसका मुर्गा सुबह नहीं बोलता होगा, इनका तो और जबरदस्त, …फिर जब से गुड्डी आयी एक राउंड सुबह सुबह उसके साथ तो,... और वो नहीं रहते थे तो में ही एक कप बेड टी सुनहरी पेसल, ... और गीता तो थी ही।
" सुबह पांच बजे जगा देते हैं, अलार्म नहीं आके, चाय पिला के, पांच बजे ही दिन का शेडयूल आ जाता है, और होमवर्क भी। ६. ३० पर एक ऑनलाइन क्लास एक घंटे का क्लास आधे घंटे का टेस्ट। आठ बजे ब्रेकफास्ट और साढ़े आठ से क्लास शुरू। रोज रोज टेस्ट। न कोई टीचर बीमार पड़ता है न कभी सरवर डाउन होता है। "
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गुड्डी ने अपने दिन भर की मुसीबत सुना दी लेकिन फिर उसे कुछ याद आया,
" गीता की बहुत याद आती है, आयी थी क्या " वो बोली
" हाँ और वो भी तुझे याद कर रही थी, " मैं बोली लेकिन गुड्डी मौका क्यों छोड़ती जड़ दिया उसने तुरुप का पत्ता।
" भौजी तो फिर उसको एक चुम्मी लेनी बनती थी न अरे वहीँ जहाँ मैं लेती थी। "
लेकिन तब तक उसके फोन पे ढेर सारे जैसे बाजे बजे हों,
" ससुरे पार्टी वाले लौंडे, व्हाट्सऐप कांफ्रेंस के लिए जिद किये बैठे हैं " चलती हूँ और वो अंतर्ध्यान हो गयीं।
कुल बारह मिनट ही तो बचे थे और बारह लड़को को उसने पार्टी में निपटाया था। मैं उसकी पार्टी की बात सोच के मुस्करायी लेकिन अभी पार्टी की बात करने का टाइम नहीं था, चारो ओर ' कीड़े ', कहाँ की बात कहाँ पहुँचती दूसरे इनका भी फोन बज गया था। वैसे तो ये कभी आफिस का काम घर नहीं ले आते थे पर कभी कभी,…
और आज वो कभी कभी का दिन था , काल बॉम्बे से थी।
और मैं अपने दिन के बारे में सोचने लगी। मेरा आज का दिन भी खूब बिजी था लेकिन काम भी बहुत हुआ।
तीज की पार्टी जैसे नजदीक आ रही है उसके काम बढ़ रहे हैं सुबह मेरी टू डू लिस्ट में ११ काम तो तीज की पार्टी के ही थे , चार बातों पर डिसीजन होना था , छह जगह बात करनी थी फोन से, फिर सुजाता के यहाँ की मीटिंग,...
ahhhhh kya description diya hai Minni ka Komal ji. Mazaa aa gaya.बूआकी लड़की और मेरी मस्ती-
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स्साली यहाँ मेरी बुलबुल में आग लगी थी, दो दिन का उपवास इस बंबई के चक्कर में हो गया था, दिन भर ये स्साला अपने काम में और मैं अपने काम में और और जब मस्ती का टाइम आया, बुलबुल को चारा खिलाने का तो ये बंबई का फोन और वो भी इस समय,
मैं समझ गयी थी, मिस्टर दीर्घलिंगम का फोन होगा, और इस समय उन का फोन हफ्ते में एकाध बार आ जाता था, जिस दिन उनका मूड होता था, पर मिसेज दीर्घलिंगम, उन्हह करके उनकी ओर पीठ करके लेट जाती थीं,
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और फिर दस पन्दरह मिनट बाद उनका फोन इनके पास बस इधर उधर टाइम पास टाइप बातें, पर ये भी, फोन काट तो सकते नहीं थे, एक तो उनके कंट्री हेड थे, और उस लेवल का आदमी कहाँ फोन करता है, फिर उन्होंने हम दोनों का बड़ा ख्याल रखा, और सबसे बड़ी बात तो मिसेज मोइत्रा मेरे पर काटने पर तुली थीं, उनका ऐसा इलाज किया जो मैं भी नहीं सोच सकती थी, न सिर्फ मिस्टर मोइत्रा का ट्रांसफर बल्कि ऐसी जगह जिसे सब लोग काला पानी कहते थे, और जहाँ से छह महीना साल भर तक यहाँ आना मुश्किल नहीं असम्भव था, और उसके बाद जबकि मिस्टर मोइत्रा वीपी थे, उनका सब मलाईदार काम सीधे इन्ही को, पूरी दुनिया समझ गयी निजाम बदल गया। और उसी का नतीजा हुआ, की मिसेज मोइत्रा न हम सब के चंगुल में आयीं, बल्कि उनकी दो कच्ची कलियाँ
दर्जा नौ वाली कच्ची कलियाँ, मिसेज मोइत्रा की कबूतरियां, जिन्हे वो सात ताले में बंद रखती थीं, और बस दो चार दिन और, ....और दिन भर मिसेज मोइत्रा लेडीज क्लब में और,.... मेरा ये सोना मोना फाड़ेगा उन दोनों की, मजे से मजे ले ले के, अगवाड़ा पिछवाड़ा सब,
कैसे ये सब हुआ ये सब पढ़ तो चुके हैं आप,
हाँ इस समय मेरा मन कुछ और कर रहा था, और जब वो बेटाइम के फोन पे चिपक जाते थे तो गुस्सा भी आता था और इन्हे छेड़ने में मजा भी, तो मैंने पहले तो जंगबहादुर को इनके छोटे से शॉर्ट्स के ऊपर से सहलाया, दुलराया, फिर अपनी नाइटी उतार के इन्हे दिखाते दूर फेंकी
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और अगला नंबर ब्रा का था, लेकिन उसे फेंका नहीं, पहले एक हाथ से उनके चेहरे पे, फिर धीरे धीरे जागते मोटे मूसल के ऊपर, शार्ट के ऊपर से पहले हलके से फिर कस के रगड़ घिस्स,
और मेरे मन में और भी बहुत कुछ चल रहा था,
स्साले अपने को उस के बचपन के माल के ऊपर चढ़वाया, उसकी सगी से बढ़कर ममेरी बहन के ऊपर,
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सगी तो कोई थी नहीं, वरना बड़ी छोटी कोई भी होती मैं चढ़वाती इसे जरूर और वो भी अपने सामने, जंगल में मोर नाचा किसने देखा, तो ननद तो होती ही है चुदने के लिए,
और ननद ननद होती है, उसकी कोई उमर वूमर का चक्कर नहीं, छोटे बड़े होने का फरक नहीं, लेकिन वो स्साली छिनार इनकी ममेरी बहन ने जो अभी फोन पे बताया, कम से कम दस पन्दरह दिन तो अपनी कोचिंग के बूट कैम्प में फंसी रहेगी, तो मेरा सोना मोना क्या इत्ते दिन तक बिना बहन चोदे रहेगा,
और मैंने अपनी डायरी निकाली, माना की सगी नहीं थीं लेकिन ममेरी, मौसेरी, चचेरी, फुफेरी, और फुफेरी, से याद आया उनकी छोटी फुफेरी बहन, छुटकी, लेकिन नाम था मिन्नी, मेरी शादी में आयी थी और गुड्डी ने यहाँ आने से पहले वीडियो काल में, सब तो देख लिया था उसका, मैंने और गुड्डी ने मिल के,
एकदम सही चीज है, मिसेज मोइत्रा की कबुतरियों की तरह, उसी क्लास में वो भी है , दर्जा नौ, लेकिन देखने में उन सबों से भी कच्ची लगती है
तो आज दिन में मिन्नी और उसकी मम्मी, बूआ से बात कर के चक्कर तो मैंने चला दिया था लेकिन अब इस स्साले को गरम करना बाकी था
अभी भी कभी कभी थोड़ी सी झिझक आ जाती है इनको इसलिए आज बल्कि अभी से उस मिन्नी का नाम लेके गरमाना जरूरी है
कैसी लगती है वो?
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ज्यादा डिटेल तो पेज १७६ पर मिल जाएगा, लेकिन चल चलिए कुछ बता देती हूँ छुटकी या मिन्नी ( अब कहानियों में इतनी छुटकी होगयी हैं की मिन्नी कहना ही ठीक रहेगा उसे )
वो वय: संधि के उस दरवाजे पर खड़ी जहाँ घर वाले उसे अभी भी बच्ची समझते थे पर घर से बाहर निकलते ही , मोहल्ले के लौंडे सीटी बजाकर , इशारे कर के न सिर्फ उसे उसकी जवानी का अहसास करा देते थे बल्कि कितने उसपे चढ़ाई का भी प्लान बना चुके थे।टीनेज ब्रा तो उसने कब से पहननी शुरू कर दी थी ,पर नहाने के बाद शीशे के सामने उन आती बढ़ती गदराती गोलाइयों को कभी छू के ,कभी सहला के ,कभी हलके से फ्लिक कर के तो उसे खुद को रोज अपनी आती जवानी का अहसास होता।
उमर तो बस वही जो गुड्डी की थी , जब गुड्डी मेरी शादी में बारात में गाँव में आयी थी मेरे और उसके कच्चे टिकोरों ने न सिर्फ लौंडों को बल्कि गाँव के मर्दों की भी पैंट टाइट कर दी थी। सच में खट्टी मीठी अमिया की बात ही कुछ ऐसी है ,हर कोई कुतरना चाहता है। और मिन्नी की अमिया अपनी समौरियों से २० नहीं २२ थीं।
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लेकिन जो मिन्नी को कातिल बनाती थीं वो थीं उसके संदली भोले चेहरे पर बड़ी बड़ी कजरारी आँखे,खूब रसीले होंठ और एट्टीट्यूड। उन आँखों का तो बस , झुकना भी गज़ब उठना भी गजब ,
खिलना कम, कम कली ने सीखा है,
तेरी आंखों की नीमबाजी से।
लगता है मीर ने वैसे ही किसी शोख को देख के लिखा होगा। और फिर हुस्न के साथ अदा भी अगर मिल जाए ,
तिरछी निगाह के साथ हलकी सी मुस्कराहट , वो एक जम्बिश के साथ गर्दन का मोड़ना और बेसाख्ता उन गुलाब से गालों पर आयी लटों को हटाना , उसकी फेहरिस्त में आधे घायल थे।
और जैसा मेरी बाकी ससुरालवालियों को आदत है , बस उसी तरह से मना करना उसने सीखा नहीं था था। उसके फेसबुक पेज पे १२४६ फ्रेंड्स थे उसमें ८२७ लड़के और उसमें से भी साढ़े चार सौ से ऊपर एक से एक हंक। जब वो उन कटीली आँखों और गुलाबी भरे भरे होंठों से फक मी लुक देती थी तो बस ,
मैंने और गुड्डी ने मिल के उसका शिकार किया, बल्कि हांका तो गुड्डी ने ही किया, खेद के मेरी ओर ले आयी और फिर ऐसी मस्त माल ननद को कौन छोड़ता है, तो मैंने आराम से उसकी ब्रा भी उतरवाई, चुनिमुनिया भी खुलवाई और उसके सीधे सादे भैया के लिए कच्ची अमिया की और जस्ट आ रही झांटों वाली बुलबुल की फोटो भी खींची।
गुड्डी ने ही शुरू किया
" भाभी इसकी भी करवा दीजियेगा न ,कोचिंग "
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बस दुहरे मीनिंग वाले डायलॉग चालू हो गए।
" बोल करवाएगी , एक बार हाँ कर देगी न तो मैं छोडूंगी नहीं भले फिर लाख ना ना करना " मैंने मिन्नी को चिढ़ाया।
क्या जबरदस्त अंगड़ाई ली उस हाईस्कूल वाली ने ,लगता था बस वो कबूतर के बच्चे टॉप फाड़ के उड़ के बाहर आ जाएंगे।
" अरे भाभी ,नेकी और पूछ पूछ। हाँ और दस बार हाँ। ना करने वाले कोई और होंगे। "
वो छुटकी जिस शोख ढंग से बोली सच्च में मैं लड़का होती न तो वहीँ पटक के चोद देती।
" तेरे शहर में क्या तुझे यारों की कमी पड़ गयी या ,... कोई पसंद का नहीं मिल रहा " गुड्डी ने छेड़ा अपनी कजिन को।
" फेसबुक पे तो तेरे इत्ते ,... " मैंने भी अपनी राय जाहिर कर दी।
" अरे भाभी वो सब हगिंग और किस की स्माइली वाले हैं , असली बात तक पहुंचते ही नहीं। " उदास चेहरा बना के वो बोली।
फिर वो मेरे ऊपर एकदम तेल पानी ले के चढ़ गयी।
" भाभी आप तो रोज बिना नागा , और यहाँ आप की ननदें बिचारी एक बार के लिए ,... "
कई बार कच्ची उमर वाली भी अपने को बड़ा जताने के लिए, भले ऐन मौके पे टाँगे सिकोड़ ले, हिम्मत न पड़ रही हो, लेकिन बड़ी दिखने के लिए, अब मैं छोटी बच्ची नहीं हूँ, ये जताने के लिए बढ़ चढ़ के बोलती हैं और मिन्नी भी ऐसे ही जोश में थी, पर मैं और गुड्डी यही तो चाहते थे, की वो एक बार खुल जाए, फिर तो उसकी खोलने में मैं कोई कसर नहीं छोड़ती,
" तो ठीक है मैं जिससे करवाती हूँ रोज बिना नागा फड़वा दूँ उससे तुम दोनों की। सोच लो। " मैं ने अब छेड़छाड़ का लेवल बढ़ाया और अपने मन की भी बात कह दी
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अब दोनों की चुप होने की बारी थी।
" बहुत दर्द होगा फटते समय , "अब मैंने चढ़ाई कर दी।
फिर तो दोनों ने ऐसा हंसना शुरू किया , चुप होती फिर हंसना चालू कर देतीं।
मुश्किल से हंसी रोक के मिन्नी बोली ,
" एकदम भाभी ,जैसे आप को हुआ था न , याद है गुड्डी दी। "
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"एकदम याद है , " गुड्डी बोली और दोनों ने फिर हंसना शुरू कर दिया।
"कित्ता जोर से चीखी थीं आप " दोनों एक साथ बोलीं।
दोनों के भैय्या का मूसल था ही इतना मोटा , बिचारे बहुत सम्हाल के ,लेकिन,... मैंने भी कंट्रोल करने की कोशिश की थी पर चीख निकल ही गयी। लेकिन इन दोनों को कैसे ,... "
और गुड्डी और मिन्नी दोनों ने कबूल कर लिया।
" भाभी ,इस की शैतानी है यही मुझे पकड़ के ले गयी थी। " मिन्नी ने गुड्डी की ओर इशारा किया।
घबड़ा मत आ जा ना , तेरे भैय्या से तेरी फड़वा दूंगी , बस तुझे खुद मालूम हो जायेगा कितना दर्द होता है। "मैंने मिन्नी को लपेटा।
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और मैंने और गुड्डी ने मिल के मिन्नी की ब्रा भी खुलवा दी, बस ये कह के की तेरे तो बहुत छोटे हैं
मेरे ३४ सी के परफेक्ट बूब्स , हाफ कप ब्रा में ,
गुड्डी ने भी अपना टॉप ऊपर कर लिया।अब छुटकी के पास कोई रास्ता नहीं था ,हिचकते हुए उसने भी ,
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क्या कच्ची अमिया थी। दंगे हो जाएँ एकदम ऐसी , टीन ब्रा में फंसी। उस बिचारी को क्या मालूम मैंने झट स्क्रीन शॉट सेव कर लिया।मुझे पता था उसके भैय्या तो बस ये स्क्रीन शॉट देखते ही पागल हो जाएंगे।छोटी छोटी सी लाइट पिंक ब्रा और उसके अंदर कच्ची जवानी के फूल ,
और भैय्या तो बाद में , अभी तो मैं ही बौरा रही थी इन टिकोरों के बारे में सोच सोच के।मैं सुनने से ज्यादा बस देख रही थी उन छोटी छोटी कच्ची अमियों को , बस मन कर रहा था ये ब्रा उतार फेंकूं , मसल दूँ , रगड़ डालूं , बस एक बार चूसने को मिल जाय , बस हलके से एक बार कुतरने को ,
मैंने कहा
" अरे यार ज़रा और पास आ न , ठीक से देखने दे हाँ क्लोज अप में "
मिन्नी भी मस्ता रही थी उसने अपने उभार आलमोस्ट वेब कैम से सटा दिए। लेकिन बात अभी पूरी नहीं थी, मुझे तो पूरी ब्रा उतरवा के उसके चूजों की पिक लेनी थी और पहले मैंने अपनी ब्रा उतार के स्ट्रैप का नंबर दिखाया ३४ सी, फिर गुड्डी ने ३२ सी और हम दोनों मिल के मिन्नी को छेड़ने लगे, तेरा तो २८ ए से ज्यादा नहीं होगा, वो बोलती रही नहीं ३० सी और अंत में बेचारी ने अपनी ब्रा खोल के स्ट्रैप का नंबर दिखया पर वप किसे देखना था, मुझे तो उसकी कच्ची अमिया
जबरदस्त टिकोरे कच्चे, गोरे गोरे कच्चे दूध के छोटे छोटे कटोरे ,
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" ओके छुटकी यार बस एक मिनट अपने दोनों हाथ एकदम ऊपर कर , गुड गर्ल , और एक बार हाँ बस एक मिनट दोनों हाथ बूब्स के नीचे हाँ बस ऐसे ही। "क्लिक क्लिक पंद्रह स्क्रीन शॉट उसके भैय्या के लिए ,
गुड्डी उड़न छू हो गयी स्काइप पे बचे मैं और छुटकी और शायद ये मैं भी चाहती थी। गुड्डी ने अपना काम कर दिया , हाँके का ,
शिकार को खेद कर मेरे पास तक लाने का ,
बस धीरे धीरे अपनी इस छोटी ननद का आराम से शिकार करने का काम मेरा था।जाल बिछ गया था ,चिड़िया ने दाना चुग लिया था और अब मुझे बस जाल बंद करना था , मैंने कर दिया।
हम लोग तो एक दो दिन में जा ही रहे थे, उसे भी बुला लिया इनकी पोस्टिंग वाली जगह पे और उसने हाँ भी कर दी, बस एक बार आ जाय ये चिड़िया, फिर तो वो दूज के चाँद ऐसी कसी कसी ले के आएगी और पूनम के चाँद की तरह खुली खुली ले कर जायेगी अपनी सहेली को।
तो वो सब बातें याद आयी तो मैंने उसे फोन लगाया,
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फिर बूआ से भी बात हो गयी, सब पक्का लेकिन इस साले को भी तो उसकी बहन का नाम लेके गरमाना है और ये फोन में फंसा
अब मुझसे नहीं रहा गया, स्साला तीन तीन लोग तैयार, इनका मूसलचंद भुखाया बैठा, इनकी छुटकी दर्जा नौ वाली बहिनिया गर्मायी, चुदवासी और मेरी बुलबुल भी,
इनकी फोन की माँ की, ......
;;;और मैंने शॉर्ट्स पकड़ के खिंच लिया और जहाँ मेरी नाइटी और ब्रा पड़ी थीं, सीधे उसके ऊपर, जैसे संपेरे के डब्बा खोलते ही, पिटारी से कुंडली मार के बैठा सांप, फुफकार के फन काढ़ के बाहर निकाल ले सर अपना, वही हालत इनके सांप की हुयी, फनफनाकर, फन काढ़ कर खड़ा हो गया,
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पर पहली रात से ही मैं उसका सफ़ेद जहर निकालना अच्छी तरह से सीख गयी थी और अब तो मेरी उससे अच्छी दोस्ती हो गयी थी, आखिर मैंने उसको एक से एक माल दिलवाया, वो इनके मायके का, इनकी भौजी, मेरी जेठानी ऐसा खूब खेला खाया, मायके के लंड घोंट घोंट के बड़ी हुयी और इनकी कुँवारी इंटर पास बहन का, तो वो उनसे ज्यादा मेरी सुनता था
Uffff kitne maje se tayyar kar rahi hai apne sajan ko minni ko major banane ke liye.मस्ती साजन संग
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पर पहली रात से ही मैं उसका सफ़ेद जहर निकालना अच्छी तरह से सीख गयी थी और अब तो मेरी उससे अच्छी दोस्ती हो गयी थी,
आखिर मैंने उसको एक से एक माल दिलवाया, वो इनके मायके का, इनकी भौजी, मेरी जेठानी ऐसा खूब खेला खाया, मायके के लंड घोंट घोंट के बड़ी हुयी और इनकी कुँवारी इंटर पास बहन का, तो वो उनसे ज्यादा मेरी सुनता था
अब बेचारे इनकी हालत खराब, " सर घर से किसी का फोन आ रहा है " फोन काटने के ७५ स्टैण्डर्ड बहानों में से एक का उन्होंने इस्तेमाल किया और फोन काट दिया,
लेकिन तबतक मैं इन्तजार नहीं कर सकती थी, बस बिना बोले, झुक के चुंबन के छोटे छोटे पग, इनके तीसरे पैर पर, दर्जन भर से ज्यादा लिपस्टिक के निशान,
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और उसके बाद जीभ निकाल के लिक करना शुरू कर दिया बस उन्ही लिपस्टिक वाले निशानों को आखिर नौ इंच से ज्यादा लम्बा चर्म दंड भी तो था और मोटा इतना की पहले तो मुंह में लेने में मुश्किल होती लेकिन अब प्रैक्टिस और कोशिश, तो गप्प कर ही लेती हूँ।
लीची ऐसा मीठा, मांसल और बड़े टमाटर ऐसा फूला सुपाड़ा बेचारा भी तड़प रहा था मेरी जीभ के स्वाद के लिए और फिर जीभ की टिप से सुपाड़े के छेद में छेड़खानी और सुरसुरी
फड़फड़ा उठा बेचारे और वो सिसक रहे थे,
" ओह्ह्ह उफ्फ्फ छोड़ न, ओह्ह रजज्जा कैसा लग रहा है, स्साली क्या करती है, ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह अह्ह्ह्ह "
बेचारे की हालत खराब थी, लेकिन इतनी देर से इस बेचारी की हालत भी तो खराब थी
नहीं नहीं मुझे अंदाज था, जो ढेर सारे कैमरे हम लोगों के अंतरंग पलों को रिकार्ड कर रहे थे, बल्कि हमारी एक एक सिसकियों का हिसाब रख रहे थे और अब तो मुझे मालूम था की कौन से कैमरे कहाँ लगे हैं, कहाँ कहाँ बग्स हैं और बस मैं भी एकदम उसी तरह से,
जब मैं जीभ इनके सुपाड़े के पी होल में डाल के सुरसुरी कर रही थी मैंने अपना चेहरा थोड़ा ऊपर उठा लिया था जिससे मेरी जीभ और इनका सुपाड़ा एकदम कैमरे के लेंस के सामने, क्लोज अप में और एक साथ कई कैमरे, अलग अलग एंगल से शॉट कैप्चर कर रहे थे और यही तो मैं चाहती थी बेचारे जो इतनी मेहनत से हम लोगो की पिक्चर बना रहे हैं, तो पिक्चर तो अच्छी बनानी चाहिए।
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एकदम कैंडिड कैमरा माफिक, और वैसे भी मेरे मरद से स्साले पार तो पा नहीं पाएंगे, तो ये फिल्म की ही ब्ल्यू फिल्म बना के और इतनी क्वालिटी तो हो ही की ए वी एन अवार्ड जीत ले
और देसी ब्ल्यू फिल्म वैसे भी बड़ी मुश्किल से इस क्वालिटी की मिलती हैं तो चांस काफी था, और इसी लिए मैं इनके मायके वाइयों को हफ्ते दस दिन में जब तक ये रिकार्डिंग चल रही है तो, मुझे पक्का यकीन था की बेस्ट न्यू स्टारलेट में मेरी ननदिया, अरे वही इनकी बूआ की लड़की मिन्नी और एम् आई एल ऍफ़ में मेरी सास के तो कोई आस पास नहीं,
लेकिन तभी मुझे याद आया की फिल्म में डायलॉग भी तो होना चाहिए खाली आह उह्ह्ह से क्या होगा, तो मैंने एक पल के लिए सुपाड़े को आजाद किया, और उनके चर्मदण्ड को अपनी कोमल मुट्ठी के हवाले किया और उनसे बोली
" हे बोल, स्साले लेगा अपनी बहन की, मेरी ननद के लिए हाँ बोलेगा,... तभी भाभी की मिलेगी "
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और वो और अलफ़, उन्हें लगा मैं गुड्डी के बारे में बोल रहा हूँ, झुँझला के बोले, " यार तेरी ननद हफ्ते दस दिन के लिए गयी थी और अब लगताहै २०-२५ दिन के बाद ही आएगी और ऊपर से तुम और, "
बेचारे ये, इन सब मर्दो को जब एक बार अपनी बहन की, मायकेवालियों की चूत का चस्का लग जाता है तो उसके बिना मन नहीं भरता, लेकिन मैं अब अपने मरद को और नहीं तड़पाना चाहती थी, तो मैंने हलके से गाल काट के चिढ़ाया,
" मेरे मरद स्साले को बहनों की कमी है, सगी नहीं है एक भी तो क्या, ममेरी नहीं तो फुफेरी सही "
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फिर दोनों उँगलियों को आपस में सटा के कसी बिन चुदी चूत का सिम्बल दिखाया और बोली,
" एकदम कच्ची कली है, कोरी, मेरी ऊँगली भी अंदर नहीं गयी, ३० सी, एकदम कच्ची अमिया, मन भर के कुतरना, चूसना,
उनकी आँखों में अभी भी सवाल था और मैंने फुसफुसाते हुए जवाब दे दिया, " तेरी बूआ की बेटी, बोल स्साले पेलेगा न "
उन्होंने ठीक से सुना भी नहीं शायद पर उन्हें तो एक बहाना चाहिए थे और बोले " यार कुछ मीठा हो जाए "
और सीधे मेरी दोनों टांगों के बीच शहद के छत्ते पर धावा बोल दिया, स्साला जबरदस्त चूत चटोरा, लें मैं छत की ओर देख रही थी, सीलिंग फाइने में लगे छिपे कैमरे का लेंस सीधे मेरी जाँघों के बीच , चाटते चूसते मेरे साजन पर
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कई बार ये जान के की कोई और भी देख रहा है और मस्ती छाती है और हम दोनों खूब गरमा रहे थे
" स्साला चूत चटोरा,... हफ्ते भर के अंदर इसकी बूआ और बूआ की बेटी दोनों की चूत चटवाउंगी, इसी बिस्तर पे अपने सामने और रील भी बनाउंगी "
मैं सोच रही थी।
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और वो मुझे तड़पाने में लगा था, कभी उसके उड़ते हुए चुम्बन जांघों पर, तो कभी मेरे निचले होंठों को छू के उड़नछू हो जाते और मैं बार बार जाँघे उचकाती अपने रस कूप को उनके होंठो से चिपकाने की कोशिश करती, पर वो होंठ हटा लेते और सीधे मेरे निप्स पे सक करने लगते,
और मैं गाली पर उतर आयी,
"तेरी माँ का, चूस साले "
और वो अबकी उन्होंने दोनों जाँघों को फैलाया और सीधे मेरी दोनों फांको को लिक करने लगे ऊपर से नीचे, ऊपर से नीचे,
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ओह्ह्ह उह्ह्ह हाँ करो न चूस साले, हाँ ऐसे ही
और जब उन्हें लगा की मुझे अच्छा लग रहा है, तो अपनी जीभ हटा ली और बस उँगलियों से मेरे निचले होंठों की पंखुड़ियों को सहलाने लगे,
मेरी हालत खराब हो रही थी और उन्होंने होंठ और उंगलियां दोनों मेरी तड़पती सहेली पर से हटा दिया,
" स्साले, तेरी माँ पर अपनी माँ के दामाद को चढ़वाऊं, चूस न चूस कस के "
मैं जल बिन मीन की तरह तड़प रही थी, मचल रही थी चूतड़ पटक रही थी, लेकिन वो स्साला बहन का यार मुझे तड़पा रहा था, पर अचानक जैसे बाज कोई आसमान की गहराइयों से उतर के आये और एक झप्पटें में गौरेया को दबोच ले, उस के डाकू होंठों ने मेरी बुलबुल को दबोच लिया और क्या चूसा है जैसे कोई गन्ने वाला गन्ने का रस निचोड़ता है, एकदम उसी तरह और मैं पागल हो गयी,
ओह्ह उफ्फ्फ नहीं हाँ ओह्ह आह आह
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दोनों हाथों से मैंने कस के चादर को पकड़ रखा था, आँखे उलट रही थीं, और अब वह सीधे चौथे गियर, पहले तो अपने एक हाथ से उसने मेरी कलाई पकड़ के दबोची, फिर कलाई जो छूटी तो दोनों जोबन दबोचे गए और अब वह अपने होंठों से मेरे निचले होंठों पर हिस्सा मार रहा था, फिर उसकी जीभ भी मैदान में आ गयी। जीभ ने मेरे दोनों निचले होंठों को फैलाया जैसे डीप फ्रेंच किस कर रही हो, और सिदेह अंदर और होंठ फिर कस के चूसने में लग गए,
चुसूर चुसूर चुसूर चुसूर
इतना अच्छा लग रहा था बता नहीं सकती, जीभ मेरी चूत चोद रही थी, होंठ मेरे निचले होंठों को चूस रहे थे, दोनों हाथ जोबन को रगड़ रगड़ कर ,
और सबसे बड़ी बात, मेरा साजन मेरे पास था।
और जैसे वो सोते से अचानक जगे हों, जब मैं झड़ने के एकदम करीब थी तो अपने होठ हटा कर बोल बैठे
" हे तुम अपनी किस ननद की बात कर रही थी, कोरी, कच्ची "
" अरे स्साले तेरी छिनार चुदवासी बहनों की कमी है, एक दिल्ली चली गयी है तो अभी दर्जन भर फुफेरी, चचेरी, अरे तेरी बूआ की लड़की , मिन्नी दर्जा नौ वाली , ३० सी साइज, "
bahut hi mast light ho Komal ji.मस्ती -रात भर
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और जैसे वो सोते से अचानक जगे हों, जब मैं झड़ने के एकदम करीब थी तो अपने होठ हटा कर बोल बैठे
" हे तुम अपनी किस ननद की बात कर रही थी, कोरी, कच्ची "
" अरे स्साले तेरी छिनार चुदवासी बहनों की कमी है, एक दिल्ली चली गयी है तो अभी दर्जन भर फुफेरी, चचेरी, अरे तेरी बूआ की लड़की , मिन्नी दर्जा नौ वाली , ३० सी साइज, "
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उनका मुंह खुला रह गया जैसे विशवास नहीं हो रहा हो, फिर बोले, " मानेगी वो, फिर अभी छोटी है "
उन्हें अपनी ओर खींच के कस के एक चुम्मी उनके होंठों पर जड़ते मैं बोली,
" मानेगी नहीं मान गयी है और अगले हफ्ते आ भी रही है अपने भैया से चुदवाने, और रहा छोटी बड़ी का सवाल तो ये मेरा मरद है न, उस कच्ची चूत वाली की चूत का भोंसड़ा बना के भेजेगा ,...गांड जो मारेगा वो अलग, ....गुड्डी की तो एक दिन में ही चार बार गाँड़ मारी थी, तो मिन्नी की कैसे बचेगी। बोल मारेगा न,"
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और जैसे बिन बोले मेरी बात का जवाब दे रहे हों, मेरी दोनों टाँगे उठा के अपने कंधे पे उन्होंने रखी और क्या करारा धक्का मारा,
अगले धक्के में सुपाड़ा सीधे मेरी बच्चेदानी पे लगा और मैं झड़ने लगी, एक बार दो बार , लेकिन उनके धक्के रुके नहीं और गईं के बीस धक्कों के बाद रुके भी तो लंड पूरा अंदर तक और लंड के जड़ से वो मेरी चूत के ऊपर रगड़ रहे थे, दोनों निचले होंठ के साथ मेरी क्लिट की भी अच्छी रगड़ाई हो रही थी और थोड़ी देर में मैं फिर गरम हो गयी और तब असली चुदाई शुरू हुयी।
खूंटा अंदर धंसा हुआ था, पूरे एक बित्ते का और मेरे साजन के होंठ उँगलियाँ और सबसे बदमाश आँखे सब मैदान में थे।
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उस के लालची हरदम भूखे होंठ कभी गालों को कचकचा के काट लेते तो कभी होंठों पे अपना हक जमाते, रस ले ले चूसते तो जीभ क्यों पीछे रहती, वो मुंह के अंदर घुस के मुख रस का स्वाद लेती।
जब साडी चोली और ब्रा के अंदर बंद होने पर भी मेरे जोबन की बरछियाँ उनके ऊपर चल जाती थीं, बेचारे की हालत ख़राब हो जाती थी, पैंट टाइट हो जाती थी
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और अब तो मेरे उरोज एकदम अनावृत उन्हें चुनौती देते, तो बस दोनों हाथ सीधे वहीँ, कभी प्यार से दुलार से सहलाते, बस छू के लरज के रह जाते तो कभी कचकचा के मसल देते, रगड़ देते, मैं चीख उठती और जब लालची होंठ, होंठों से सरक के एक फूल से दुसरे फूल पे उड़ने वाली तितली की तरह मेरे निप्स पे आके बैठ जाते
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तो वो उँगलियाँ कभी सांप की तरह मेरी देह पर जगह जगह रेंगती, कभी बिच्छी की तरह डंक मारती,
मैं खुद अपने जोबन उसके चौड़े सीने में रगड़ती, सिसकती अपने लम्बे नाख़ून ओके कंधो में धंसा के और उसे अपने अंदर खींचती
और जब तक मैं अपने मुंह से नहीं कहती, कर न, हे क्या करते हो, करो न
वो ऐसे ही मुझे सुलगाता रहता, उबालता रहता, और उसके बाद तो फिर तूफ़ान आ गया, एक मोटी सी तकिया मेरे चूतड़ के नीचे, कमर बिस्तर से दो बित्ते उठी हुयी, और मुझे एकदम दुहरी, जाँघे मैं खुद फैला देती, की अब जो बादल बरसे तो उसकी एक एक बूँद मैं सोख लूँ
और क्या करारा धक्का मारा उसने, करीब करीब पूरा निकाल के, और अब बाकी साथी उसके रुक गए, न हाथ होंठ, न आँखे
उसके हाथों ने कस के दोनों मेरी पतली कलाइयों को पकड़ रखा था, लालची आँखे बस मुझे देख रही थीं और सारी ताकत, सारी हरकत बस उस मोटे बांस में,
दूसरा धक्का, तीसरा धक्का एक बार फिर बच्चेदानी में
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और मैं चीख उठी, उईईईईई
उसने कस के मेरी कलाई भींच ली, मेरी आधी दर्जन चूड़ियां चटक गयी, पलंग की पाटी दरक गयी
न उस के धक्के रुके, न मेरी सिसकियाँ, दसो बार, बीसो बार वो मोटा मूसल मेरी ओखल में रगड़ते, दरेरते,
मैं पसीने में भीग गयी थी, चूतड़ बिस्तर से रगड़ रही थी, अपने दांतो से होंठों को काट के चीखों को रोक रही थी, लेकिन वो बेरहम और मुझे नहीं रहा गया मैं बोल पड़ी,
" स्साले ये जोश अपनी बहना उस दर्जा नौ वाली की चूत में दिखाना, बहुत ताकत लगेगी उस की फाड़ने में, कुछ ताकत अपनी बहनों के लिए भी बचा के रख "
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जैसे कोई बुझती आग में और लकड़ियां डाल दें और वो धधक के जल उठे, बस यही हालत हुयी, उन के दोनों हाथों ने मेरी कलाई को छोड़ा और पहले दिन से उन्हें ललचाते जुबना पे हमला बोल दिया, स्साले ने क्या कस के मसला रगड़ा और साथ में वो लम्बा बांस अब दुगने ताकत से फाड़ते, रगड़ते मेरी बुर का हलवा बनाने में,
लेकिन इसी लिए तो मैं तरसती थी, और मैंने उन्हें और चिढ़ाया, उन के गाल पे एक मीठी सी चुम्मी ले के बोली,
" स्साले, मेरे असली नन्दोई तो तुम्ही हो, बाकी ननदोई तो एक एक ननद का मजा लेंगे,... लेकिन तुम तो मेरी सारी ननदों का मजा लोगे, फिर उन बिचारों को चुदी चुदाई , ढीली मेरी ननदें मिलेंगी, ....सबसे पहले सेंध तो तुम्ही लगाओगे, मेरे असली नन्दोई "
उस समय वो बोलते कम थे, लेकिन उनके जवाब देने का तरीका अलग था, उन्होंने कचकचा के मेरी चूँची काट ली,
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और वो भी एकदम उस जगह जहां मैं लाख सम्हाल के आँचल से ढकने की कोशिश करूँ उनकी रात की शरारत और मेरी शामत साफ़ साफ़ नजर आये , और अब तो मैंने ढकने की कोशिश करना भी बंद कर दिया था,
और सिर्फ दांत ही नहीं उनके नाख़ून मेरे उभारों पे अपना निशान छोड़ रहे थे और मैंने फिर चिढ़ाया
" हे इत्ता कस कस के उस मिन्नी की रगडोगे न तो हफ्ते भर में बिचारी की ३० सी से मेरी तरह ३४ सी नहीं तो गुड्डी की साइज की ३२ सी तो हो ही जाएगी, "
" तेरी भी रगडूंगा, तेरी ननद की भी रगडूंगा, और ऐसे ही रगडूंगा " उनके बोल खुले और अबकी जिस तरह से उभार उन्होंने मसले निपल फ्लिक किया, मेरी सिसकी निकल गयी,
" घबड़ा मत, तेरी बहिनिया जायेगी और मेरी सगी सास आएगी, उनकी भी रगड़ना, उनकी तो ३६ डी है, एकदम डबल डबल, और अभी भी टनक, एकदम खड़ी कड़ी, उनकी मसलना कस के, उनसे भी बात हो गयी है आज, और अपने सामने मसलवाउंगी, तब देखूंगी सास के बेटे की ताकत "
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उसके बाद तो मेरे जोबन की जो हालत हुयी और नीचे के धक्के जो थोड़े हलके हो गए थे फिर तेज
, लेकिन थोड़ी देर में न इन्होने बाहर निकाला, न मैंने इनपर पकड़ ढीली की लेकिन अब मेरी टाँगे बिस्तर पर थीं, और मैं इनका बिस्तर थी। ये पूरी तरह मेरे ऊपर और हम दोनों एकदम चिपके, इनके दोनों हाथ मेरी पीठ पे, कभी कंधे पे और मेरे दोनों हाथों ने इन्हे दबोच रखा था। हम दोनों चुप थे लेकिन हम दोनों की देह एक दूसरे से बातें कर रही थीं, एकदम अंदर धसे हुए,
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जैसे बारिश रुकने के बाद भी बहुत देर तक बूंदे पेड़ों की पत्तियों से, टहनियों से टप टप टपकती रहती है, उसी तरह धक्के भी रुक रुक के हलके हलके
मिशनरी पोजीशन मुझे बहुत अच्छी लगती है दो कारण से, एक तो सारी मेहनत इन्हे करनी पड़ती है, शादी कर के ले आया है, करे न। और दूसरे इतनी क्लोजनेस, चुम्मा चाटी का मौका किसी और पोजीशन में नहीं मिलता, लेकिन परेशानी सिर्फ एक है, बात चीत नहीं हो पाती,
और हम दोनों थोड़ी देर में बात चीत कर रहे थे, मैं इनकी गोद में बैठी, खूंटा मेरे अंदर धंसा, मेरे दोनों हाथ इनकी पीठ पे चिपके ये अपना काम कर रहे थे और मैं अपना,
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मैं इन्हे दिन में इनकी बूआ और बूआ की लड़की से क्या बातचीत हुयी ये बता रही थी, इनके मूसल चंद का आने वाले दिनों की दूत्यै लिस बता रही थी, बस दो तीन दिन में वीकेंड में मिसेज मोइत्रा की दोनों कबुतरियों की सील तोड़नी थी, मिसेज मोइत्रा ने खुद इनसे कहा था तीन ज के दिन, उनसे अपने घर पे रहने के लिए ११ बजे से शाम ७ बजे तक, आठ घंटे की ड्यूटी, और वैसे भी शनिवार था इनका आफिस बंद था
और बेटियों के बाद माँ पर भी नंबर लगना था, मिसेज मोइत्रा का पिछवाड़ा अभी भी कोरा था तो हचक के उनकी गांड मारनी थी बल्कि फाड़नी थी
और माँ बेटी के बस दो चार दिन के अंदर बूआ और उनकी बेटी, माँ बेटी आने वाली थीं, तो बस उनका भोजन
पता नहीं बूआ का नाम सुन के या उनकी बेटी का नाम सुन के वो स्साला पागल हो गया और मुझे निहुरा के
मेरी सुहाग रात के तीसरे दिन, पहली बार उन्होंने डॉगी पोज ट्राई की थी और मैं समझ गयी थी, इस पोज में ये लड़का पागल हो जाता है
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और बंद कमरे में भी मुझे तारे दिख रहे थे, मैं चीख रही थी, चिल्ला रही थी लेकिन थोड़े ही देर में धक्को का जवाब धक्को से दे रही कभी अपनी बुर निचोड़ के उस दुष्ट लंड को उसकी औकात बताने की कोशिश कर रही थी और वो निपल खींच के, भींच के मेरे हर धक्के का जवाब धक्को से दे रहे थे
और अबकी बार हम दोनों साथ साथ झड़े, मैं जैसे ही झड़ना शुरू की, मेरी चूत ने इनके लंड को भींचना शुरू किया वो भी किनारे इ आ आगये और सब का सब पानी मेरी बच्चेदानी में,
मैंने कस के निचोड़ लिया, सब इसे चटवाना भी तो था
कुछ देर तक तो हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे, फिर बिस्तर पे लेटे लेटे और मैंने दिन की पूरी बात उन्हें बताना शुरू की, मिसेज मोइत्रा से क्या बात हुयी और कैसे उनकी दोनों सालियों के चूत में चींटे काट रहे हैं उनसे चुदवाने के लिए और फिर बूआ और बुआ की बेटी मिन्नी की बात, लेडीज क्लब की बात, वो सुनते भी रहे बीच बीच में बोलते भी रहे।
वो साथ रहते हैं तो टाइम कैसे कटता है पता नहीं चलता और दूर हो तो एक पल दूभर हो जाता है , अच्छा हो उन कैमरों वालों का अब ये पंद्रह दिन ये शहर छोड़ के कहीं नहीं जाएंगे
लेकिन एक बार में मुझे मालुम था की उसका मन नहीं भरेगा, तो घंटे डेढ़ घंटे के इंटरवल के बाद, मैंने खुद उनका मुंह खींच के लसलसा रही अपनी बुर पे, उनकी मलाई वही साफ़ करे, और जैसे ही मैं झड़ने के कगार पे पहुंची
उन्होंने मुझे खींच के बिस्तर से नीचे, और मैं बिना बताये समझ गयी, इस लड़के को क्या चाहिए
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मैं बिस्तर पकड़ के निहुर के झुक गयी, और वो पीछे से खड़े खड़े, और अबकी बिना पोजीशन बदले उसी पोज में हम दोनों झड़े
लेकिन तीसरी बार सुबह वाली शिफ्ट नहीं हुयी, हम दोनों बाहों में बंधे सो रहे थे, भोर अभी अलसा रही थी, की मेरी सौतन ने इन्हे जगा दिया मेरी सौतन और कौन, सबकी सौतन ननदे होती हैं लेकिन मेरी सौतन इनके आफिस का फोन था, दस मिनट बाद आफिस की गाडी आ रही थी और आधे घंटे में कोई ग्लोबल मीटिंग थी,
ये तैयार होने चले गए और मैं इनके लिए चाय बनाने और सोचती रही आज दिन में क्या क्या हुआ, ख़ास तौर से इनकी बूआ और बुआ की बेटी को कैसे मैंने पटाया,
बताउंगी, बताउंगी, आप सबको भी लेकिन अगली पोस्ट में, इनके आफिस जाने के बाद
Kya ?Maza aagya sajan or sajni wali masti dekh komal ji ek request hai agar ap mane to
Kisi part me ek baar hi sahi par pati ko kuch der ke liye purana pati bana kar sajaniya ko thoda tension de sakte hai kya maza aeyga jab geeta sajan ko chede or sajan use gariya de maza aeyag sajaniya ko tension me dekh kar waise inki shadi ki salgirah pass aarahi hai tabhi kyu na surprise diya jay pleaseKya ?
aapne ' Kissi part men " kaha hai to dekhti hain, kahani ke flow men jab jagh milegi koshish karungi thanks for suggestion and commentsKisi part me ek baar hi sahi par pati ko kuch der ke liye purana pati bana kar sajaniya ko thoda tension de sakte hai kya maza aeyga jab geeta sajan ko chede or sajan use gariya de maza aeyag sajaniya ko tension me dekh kar waise inki shadi ki salgirah pass aarahi hai tabhi kyu na surprise diya jay please
Nahi me serious nahi basicaly story ki shurvat ke anusar pahli marriage aniversary ka time ane wala hai usme surprise rakh sakte hai or shirf sajni ki maa ko pata hao sajan ka plan baki kisi ko nahi or phor ek surprise partyaapne ' Kissi part men " kaha hai to dekhti hain, kahani ke flow men jab jagh milegi koshish karungi thanks for suggestion and comments
Shandaar jabardast teej princess contest, didi ur update is all in one, very sexy & informative.Koi shabd aapki effort ko praise karne ke liye parayapt nhi.Jo bhi mere jesi gyan rahit likh sakti hai likh diye.Just marvelous effort.जोरू का गुलाम भाग 246 ----तीज प्रिंसेज कांटेस्ट पृष्ठ १५३३
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