सांझ जगाने का यह गीत कैसा लगा, पहले तो आंगन में हफ़्तों मंडप रहता था, लग्न लगने के साथ ही और उसी मंडप में सांझ ढलने के साथ सांन्झ जगाने का गीत होता था और सुबह एक दम मुंह अँधेरे भोर में, भोर जगाने का गीत
इस कहानी में भोर जगाने का भी एक प्रसंग आएगा तो वो गीत उस समय, पहले गाना फिर उस का वीडियो
मैं कभी भी वो गाने नहीं डालती, जिसे मैंने न गाया हो य न सुना हो, हाँ धुन शेयर करने के लिए तो यू ट्यूब का ही सहारा है
एक मैंने गारी किसी की माँ की गाने की डायरी में देखी थी, वो गाती भी थी, बहुत बुजुर्ग और वो गारी गांधी जी से जुडी थी
दूल्हा गांधी जी है और दहेज़ मांग रहे हैं, लड़की वाले अंग्रेज सरकार है और दहेज़ में गांधी जी ने सुराज मांगा, सुद्ध गारी वही धुन, वही टेक