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Incest घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ]

पायल किस से अपनी सील तुड़वाये ?

  • पापा

    Votes: 196 70.0%
  • सोनू

    Votes: 80 28.6%
  • शादी के बाद अपने पति से

    Votes: 4 1.4%

  • Total voters
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Funlover

I am here only for sex stories No personal contact
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रीडर्स की कमनसीबी ये है की सभी साईट या प्लेटफोर्म पर ये कहानी यही पर लटकी पड़ी है एपिसोड ४२ के बाद कही पर आगे नहीं है|

कहानी आगे बढ़ने की उम्मीदे छोड़ दे तो बहेतर रहेगा .............
 

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Well-Known Member
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रीडर्स की कमनसीबी ये है की सभी साईट या प्लेटफोर्म पर ये कहानी यही पर लटकी पड़ी है एपिसोड ४२ के बाद कही पर आगे नहीं है|

कहानी आगे बढ़ने की उम्मीदे छोड़ दे तो बहेतर रहेगा .............
मैंने तो कब का उम्मीद छोड़ दिया है.
 
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zhyny

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We all have forgotten about this..no hope from the writer. If someone else can proceed further. Please do
 

LaluYadav

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अपडेट १२:

छत पर रमेश तेज़ क़दमों से यहाँ वहां घूमते हुए टहल रहें है. उनकी नज़रें बार बार छत के दरवाज़े की तरफ जा रहीं है. थोड़ी सी भी आहट होती तो उन्हें लगता की पायल आ रही है. पायल के बारें में सोच कर ही उनका लंड बेचैन हो रहा है. तभी सीढ़ियों पर क़दमों की आहट सुनाई देती है. रमेश दरवाज़े पर नज़रे गड़ाये खड़े हो जाता है. तभी पायल एक हाथ में चाय का प्याला और दुसरे हाथ में कपड़ो से भरी बाल्टी ले कर दरवाज़े से छत पर आती है. रमेश की नज़र सीधे पायल की बड़ी बड़ी चुचियों पर जाती है जो टाइट टॉप में कसी हुई है. पायल पापा की नज़र को भांप लेती है और अपना सीने हल्का सा उठा देती है. ये देखकर रमेश का लंड धोती में एक झटका खाता है.

रमेश : आ गई मेरी गुड़िया रानी....

पायल : जी पापा...!!

रमेश : ला ये बाल्टी मुझे दे...(पायल के हाथ से बाल्टी लेते हुए) कहाँ रखूँ इसे बेटी?

पायल : (पायल जानती है की पापा खटिया के पास हे कसरत करते है. वो झट से कहती है) यहाँ रख दीजिये पापा...खटिया के पास. मैं येही से कपडे निचोड़ के सूखने डाल दूंगी.

रमेश : ठीक है बेटी...

रमेश बाल्टी उठा के खटिया के पास रख देता है. पायल चाय का प्याला लिए खड़ी है. रमेश उसे देखते है और मुस्कुराते हुए खटिये पर बैठ जाते है.

रमेश : ला पायल...चाय दे दे....

पायल धीरे धीरे चल के पापा के पास आती है. हाथ बढ़ा के चाय का प्याला देते हुए वो आगे झुक जाती है.

पायल : लीजिये पापा....आपकी चाय...

पायल के झुकते ही रमेश की आँखों के सामने टॉप के बड़े गले से उसकी आधी चूचियां दिखने लगती है. बड़ी बड़ी चुचियों के बीच की गहराई देख कर रमेश की हालात ख़राब हो जाती है.वो एक तक उस गहराई को घूरे जा रहा है. तभी उसके कानों में पायल की आवाज़ पड़ती है.

पायल : कहाँ खो गए पापा? चाय लीजिये....

रमेश : (हडबडाते हुए) अ..आ.. कहीं नहीं बिटिया....ला चाय दे मुझे...

चाय दे कर पायल खड़ी हो जाती है. रमेश पायल के हाथ से चाय लेकर एक चुस्की लेते है.

रमेश : वाह पायल...!! चाय भले ही बहु ने बनाई हो, पर तेरे हाथ लगते ही इसका स्वाद और उम्दा हो गया...

पायल : (पायल अपने हाथ के रुमाल को नखरे के साथ घुमाते हुए कहती है) थैंक्यू पापा... अगली बार मैं आपको अपने हाथों से बनी चाय पिलाउंगी

रमेश : हाँ पायल...मेरा भी दिल करता है की कभी मैं तेरे हाथ की चाय पियूं....

तभी पायल जान बुझ के अपने हाथ का रुमाल गिरा देती है.

पायल : मैं आपको स्पेशल चाय पिलाउंगी पापा... (रुमाल उठाने के लिए झुकती है. उसकी आधी नंगी चूचियां पापा की आँखों के सामने आ जाती है)...डबल दूध वाली....

सामने का नज़ारा देख के रमेश का लंड धोती के अन्दर झटके लेते हुए लार की २-३ बूंदें टपका देता है. पायल की आधी नंगी चूचियां और उसके मुहँ से डबल दूध वाली चाय की बात सुन कर रमेश के होश उड़ जाते है. वो कुछ सोच कर कहते है.

रमेश : पायल...तुझे तो पता है बेटी...मैं बाज़ार के पैकेट वाला दूध नहीं पीता हूँ. मुझे तो घर की गाय का दूध ही पसंद है.

रमेश की बात सुन के पायल मन हे मन मुस्कुरा देती है फिर कुछ सोच के कहती है.

पायल : लेकिन पापा...घर की गाय तो अभी दूध नहीं देती है ना....

रमेश खड़े होते है और पायल के सर पर हाथ फेरते हुए कहते है.

रमेश : (पायल के सर पर हाथ फेरते हुए) जानता हूँ पायल बेटी...घर की गाय अभी दूध नहीं देती, लेकिन वो दूध देने लायक तो हो गई हैं ना ?...तुझे तो पता है की पापा ने उसकी कितनी देख-भाल की है. कुछ दिन पापा के हाथ का चारा खाएगी तो हो सकता है की दूध भी देने लग जाए.

रमेश की बातें सुन के पायल के जिस्म के आग लग जाती है. उसका रोम रोम उस आग में जलने लगता है. उर्मिला ने पहले ही पायल के लाज-शर्म के कपडे उतार दिए थे. पापा की इस बात ने उसकी थोड़ी बहुत बची हुई लाज-शर्म को जैसे छु-मंतर कर दिया. अब पायल पापा के सामने एक ऐसी लड़की की तरह थी जो कपड़े पहन के भी पूरी नंगी हो.

पायल और रमेश की नज़रें आपस में मिलती है. दोनों कुछ क्षण एक दुसरे की आँखों में देखते रहते है मानो एक दुसरे का हाल समझने की कोशिश कर रहे हो. तभी पायल अपने ओठ काटते हुए कहती है.

पायल : अच्छा पापा...अब मैं कपडे डालने जाती हूँ.

रमेश : हाँ बेटी..ठीक है...

पायल घूम कर अपनी चौड़ी चुतड हिलाते हुए जाने लगती है. रमेश हिलती चूतड़ों को देखते हुए अपने लंड को धोती के ऊपर से एक बार जोर से मसल देता है. पायल कपड़ो की बाल्टी के पास पेशाब करने के अंदाज़ में बैठ जाती है. रमेश ठीक उसके सामने खटिये पर बैठ जाता है. पायल बाल्टी से एक कपड़ा निकालती है और दोनों हाथों से जोर जोर से रगड़ने लगती है. पायल की बड़ी बड़ी चूचियां हिलने लगती है. चुचियों के बीच की खाई, चुचियों के हिलने से कभी छोटी तो कभी लम्बी होने लगती है. बीच बीच में पायल और रमेश की नज़रे मिलती है तो दोनों कुछ क्षण एक दुसरे की आँखों में घूरते ही रह जाते है. नज़रें हटते ही पायल की चुचियों का हिलना और तेज़ हो जाता है. पायल ३-४ कपड़ों को रगड़ के बाल्टी की दूसरी तरफ रख देती है. अब रमेश उठ के छत के दरवाज़े का पास जाता है और दरवाज़े को बंद करके बाहर से कुण्डी लगा देता है. फिर चलते हुए वो पायल के पास आता है और अपनी धोती को हाथों से जांघो तक चढ़ा के पायल के सामने पेशाब करने के अंदाज़ में बैठ जाता है. रमेश के निचे बैठते ही उसकी नज़रे पायल की नज़रों से मिलती है. रमेश की आँखों में देखते हुए पायल अपने ओठो को दाँतों से काट लेती है. पायल के हाथ में एक कपड़ा है. रमेश उस कपड़े की और ऊँगली से इशारा करते हुए कहता है.

रमेश : (पायल को देखते हुए) पायल बिटिया...लगता है इस कपड़े पर चाय गिर गई थी. ठीक से साफ़ नहीं हुआ....

पायल : (कपड़े पर उस धब्बे को देखती है) हाँ पापा....ये तो वाशिंग मशीन में भी साफ़ नहीं हुआ. लगता है मुझे ही इसे अच्छे से इसे साफ़ करना पड़ेगा.

ये कह कर पायल उस कपडे को ज़मीन पर फैला देती है और घोड़ी के अंदाज़ में एक हाथ से कपडे के एक कोने को दबा देती है. वो घोड़ी बन के सामने झुकती है तो पायल की बड़ी बड़ी चूचियां रमेश की नजरो के ठीक सामने आ जाती है. घोड़ी बन के झुकने से अब टॉप के बड़े गले से चूचियां आधे से ज्यादा दिखने लगी है. चुचियों के बीच की गहराई अब सीध में दिखने लगी है. पायल एक बार पापा की आँखों में देखती है और फिर नज़रे कपडे पर डाले जोर जोर से रगड़ने लगती है. रमेश पायल की जोर जोर से हिलती चूचियां दखते है. रमेश गौर करते है तो देखते है की पायल के हाथों की गति धीमी है और चुचियों के हिलने की गति ज्यादा. ये देख कर रमेश के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. वो कुछ देर वैसे ही पायल की हिलती बड़ी बड़ी चुचियों का मज़ा लेते है फिर पायल को देख कर कहते है.

रमेश : बेटी..लगता है ये दाग नहीं निकलेगा. देखो तो तुम्हें कितना पसीना आ गया है. पूरी टॉप भीग गई है.

पायल : हाँ पापा...लगता है ये दाग नहीं निकलेगा....

पायल खड़ी हो कर अपने माथे का पसीना पोंछती है. फिर दोनों हाथो को उठा के अपने बालों को पीछे ले जा कर बाँधने लगती है. रमेश की नज़र पायल की की बगलों पर पड़ती है. टॉप की छोटी बांहों से बगल के हलके काले रेशमी बाल दिख रहे है और निचे पसीने से गीला धब्बा. ये नज़ारा देख के रमेश का लंड और सक्त हो जाता है. वो पायल के पास जाता है. नज़रें पायल की बगलों पर है. पायल को समझने में देर नहीं लगती की पापा की नज़रें कहाँ है. वो वैसे ही हाथो से बालों को ठीक करते हुए खड़ी है.

रमेश : (पायल के पास जा कर एक लम्बी साँसे लेते हुए) पायल बेटी...ये खुशबू कहाँ से आ रही है? कौनसा परफ्यूम लगाया है?

पायल समझ जाती है की पापा किस खुशबू की बात कर रहे है. वो परफ्यूम सिर्फ कॉलेज जाते वक़्त लगाती थी. अब जब कॉलेज बंद हो गया था तो उसने दो दिनों से कोई परफ्यूम नहीं लगाया था.

पायल : (नखरा दिखाते हुए) हाँ पापा ....लगाया है. लेकिन मैं आपको उसका नाम नहीं बताउंगी. वो परफ्यूम तो आप भी इस्तेमाल करते हो. देखती हूँ की आप पहचान पाते हो या नहीं?

रमेश : (मुस्कुराते हुए) ये तो तुमने मुझे दुविधा में डाल दिया बिटिया. खैर...अब तुम मुझे परखना ही चाहती हो तो ठीक है, देखते है....

रमेश अपना सर पायल की टॉप के करीब ला कर जोर से सांस लेते है. २-३ बार साँसे लेने के बाद.

रमेश : यहाँ तो कुछ पता नहीं चल रहा पायल. तुम अपनी बगलों में ज्यादा परफ्यूम लगाती हो ना?

पायल : जी पापा....पसीने भी तो वही ज्यादा आता है ना....

रमेश : हाँ पायल बेटी...और तुझे तो और भी ज्यादा पसीने आता है. देख तो तेरी बगलों के निचे की टॉप कैसी भीगी पड़ी हैं. चलो...कोई बात नहीं. मैं अभी सूंघ के बताता हूँ की कौनसा परफ्यूम है.

रमेश अपनी नाक पायल की बाएं बगल की तरफ ले जाता है. पायल भी अपना हाथ और ऊपर उठा देती है.

रमेश : (जोर से सांस खींच कर) हम्म....!! खुशबू तो अच्छी है पायल लेकिन ये तेरे टॉप की बाहं सब खेल बिगाड़ रही है. इसकी वजह से मैं ठीक तरह से खुशबू नहीं ले पा रहा हूँ. तेरे पास कोई बिना बाहं वाली टॉप नहीं हैं क्या?

पायल : है तो पापा...लेकिन वो मैं सिर्फ सोते वक़्त ही पहनती हूँ...

रमेश : तो कोई बात नहीं बेटी...किसी दिन तेरे कमरें में आ कर उस खुशबू को पहचान ने की कोशिश कर लूँगा.

पायल : ठीक है पापा....

रमेश : अच्छा पायल तेरा काम हो गया हो तो अब तू जा. तेरी मम्मी का प्रवचन ना खत्म हो जाए.

पायल : हाँ पापा मैं चलती हूँ...नहीं तो टीवी का प्रवचन खत्म होगा और मम्मी का शुरू....

दोनों एक बार एक दुसरे को देख के मुस्कुरा देते है और पायल बाल्टी उठा के जाने लगती है. रमेश पीछे से उसकी चुतड को देखते हुए लंड मसलने लगता है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
 

Sanjay dutt

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रीडर्स की कमनसीबी ये है की सभी साईट या प्लेटफोर्म पर ये कहानी यही पर लटकी पड़ी है एपिसोड ४२ के बाद कही पर आगे नहीं है|

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Umeed pe duniya Kayam hai , kisi ne kaha hai k , kisi chij ko badi siddat SE chaho tho Saari kyanat usse aapko milane me lag jati hai
 
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