Update 2
(बबिता की जाँच प्रक्रिया)
“नाम बोल?” पहली टेबल के पीछे बैठी महिला सिपाही ने पूछा।
“ब…बबिता…” बबिता ने लखखड़ाती जबान में जवाब दिया।
“अपने बाप की शादी में नही आई है इधर। पूरा नाम बोल?” उसने फिर कहा।
बबिता के अंतर्मन पर उसका यह व्यवहार गहरा आघात कर गया। ऐसी असभ्यता का सामना उसने पहले कभी नही किया था। उसकी आँखों से आँसूओ की धारा फूटने की वाली थी तभी उस काँस्टेबल ने वही सवाल दोबारा दोहराया।
“पूरा नाम बोल?” इस बार उसकी आवाज में और अधिक सख्ती थी।
“ब…बबिता अय्यर।”
“पति का नाम?”
‘कृष्णन अय्यर।’
“उमर कितनी है?”
‘थर्टी फाइव इयर्स।’
“कौन से केस में आई है?”
बबिता चुप हो गई। एकाएक उसका दिल तेजी से धड़कने लगा। इस सवाल की अपेक्षा तो बिल्कुल नही की थी उसने। वह इस सवाल जवाब नही देना चाहती थी लेकिन एक कैदी होने की वजह से वह जवाब देने को मजबूर थी।
“जी, मर्डर केस में।” उसने धीरे से कहा।
“क्या? कौन से केस में? मुँह में दही जमाके रखा है क्या? जोर से बोल।”
“मर्डर केस में।” बबिता ने अपनी आवाज थोड़ी भारी की।
उस काँस्टेबल ने उससे इसी तरह के कुछ और सवाल पूछे और उसकी सारी जानकारी रजिस्टर में दर्ज कर उस पर उसके साइन करवाये। उसके बाद उसे अगली टेबल पर बैठी काँस्टेबल के पास भेज दिया गया।
अगली टेबल पर जाने के बाद बबिता की हथकड़ी खोली गई और उसे उसके सारे गहने व सामान टेबल पर रखने को कहा गया। उसने अपने कान के बूंदे और अंगूठियाँ उतारकर टेबल पर रख दी जिसके बाद उसे आगे खड़ी दो लेडी काँस्टेबल्स के हवाले कर दिया गया।
उनमे से एक काँस्टेबल ने बबिता को खींचकर दीवार से सटाया और उसकी ऊँचाई की जाँच करने लगी। इसके बाद उसका वजन देखा गया और फिर उसे तलाशी व शारीरिक जाँच के लिए दूसरी काँस्टेबल के सामने खड़ा करवाया गया।
“चल कपड़े उतार..” काँस्टेबल ने कहा।
कपड़े उतारने की बात सुनकर बबिता एक पल के लिए तो बिल्कुल स्तब्ध रह गई लेकिन उसके पास कोई रास्ता नही था। वह एक कैदी के तौर पर जेल के जाँच कक्ष में खड़ी थी जहाँ का माहौल उसके लिए डर से भरा हुआ था। कमरे में किसी प्रकार की कोई गोपनीयता नही थी। वह जिस जगह पर खड़ी थी, वहाँ पर कमरे में मौजूद सभी महिला पुलिसकर्मी व कैदी औरते उसे सीधे देख सकती थी।
उसने थोड़ी हिम्मत की और काँस्टेबल से बोली, “मैडम, यहाँ सबके सामने कपड़े कैसे…’
उस काँस्टेबल ने उसे घूरा और बीच मे टोकते हुए कहा, “ऐ, क्या रे। सबके सामने कपड़े नही उतार सकती तू। हरामी साली। तेरे पास ऐसा क्या स्पेशल हैं जो हमारे पास नही हैं..।”
“अबे बूब्स देख ना साली के। पूरा पहाड़ है पहाड़।” पीछे खड़ी एक दूसरी काँस्टेबल ने उस पर व्यंग किया।
बबिता रुआँसी हो उठी। वे लोग उसका मजाक उड़ाने लगी और उस पर हँसने लगी। उन महिला सिपाहियो से ना तो उसका कोई संबंध था और ना ही कोई जान-पहचान। मजबूरन उसे चुप रहना पड़ा और काँस्टेबल के कहने पर अपने कपड़े उतारने पड़े।
उसने काँपते हाथों से अपना टॉप उतारा और काँस्टेबल के हाथों में थमा दिया। उसका चेहरा शर्म और भय से लाल हो चुका था। कमरे की ठंडी हवा ने उसके शरीर को छू लिया और वह सिहर उठी। उसने अंदर गुलाबी रंग की ब्रा पहनी हुई थी। टॉप के उतारते ही उसकी ब्रा में जकड़े उसके दोनों स्तन बाहर निकलने के लिए फुदकने लगे और उसका क्लीवेज दिखने लगा।
मगर यह तो सिर्फ शुरुआत भर थी। आगे उसकी इज्जत का नंगा नाच अभी बाकी था जिसकी कल्पना उसने सपने भी नही की थी। उसने अपने दोनों हाथों से अपने सीने को इस तरह ढक लिया, मानो उसकी आबरू उसके स्तनों में ही सिमटी हो।
“हाथ नीचे कर।” काँस्टेबल ने तीखे स्वर में कहा, “यहाँ कोई ड्रामा नहीं चलेगा।”
बबिता ने अनमने मन से अपने हाथ नीचे किए। उसकी साँसें तेज थी और उसका दिल जोरो से धड़क रहा था। उसने हाथो को नीचे किया ही था कि तभी उस काँस्टेबल ने पीछे से उसकी ब्रा का हुक खोल दिया।
बबिता अवाक रह गई। ब्रा के खुलते ही उसके दोनों स्तन फुदककर बाहर कूद पड़े। उसके स्तन बड़े आकार के थे जिन्हें संभालना उसके लिए आसान नही था। उसकी नजरे शर्म के मारे झुक गई लेकिन उस कक्ष में मौजूद महिला सिपाहियों के लिए यह कोई नई बात नही थी।
उसकी तलाशी ले रही काँस्टेबल ने उसे दोबारा आदेश दिया, “जीन्स उतार।”
बबिता उस लेडी काँस्टेबल की बातों को मानने के लिए बाध्य थी। टॉप और ब्रा उतारने के बाद उसने अपनी जीन्स भी उतारकर नीचे रख दी। हालाँकि काँस्टेबल इतने में ही संतुष्ट नही थी। उसने उसे पैंटी भी उतारने को कहा और उसे पूरी तरह से नग्न करवाया।
अब वह पूरी तरह से नग्न थी। बदन पर एक भी कपड़े नही थे। उसका बदन भरा-भूरा व आकर्षक था और उसके बड़े-बड़े सुडौल स्तन गुब्बारो की तरह उसके सीने से लटक रहे थे। उसके कूल्हे उभरे हुए थे और कमर भी बहुत ज्यादा पतली नही थी। शरीर पर वसा का जमाव अधिक था जिसकी वजह से वह और भी ज्यादा सेक्सी लगती थी। काँस्टेबल ने उसे नग्न करवाने के बाद उसकी तलाशी व जाँच शुरू की।
जाँच की शुरुआत उसके बालो से हुई। उसने उसके बालो पर हाथ फेरा और उन्हें बिखेर दिया। उसके बाद उसके मुँह, कान, नाक, गले व गर्दन की जाँच की और फिर उसे दोनों हाथों को ऊपर करने को कहा। बबिता ने जैसे ही अपने दोनों हाथ ऊपर किये, वह काँस्टेबल उसके करीब आई और उसके स्तनों को दबाने लगी।
“ये क्या कर रही है आप?” बबिता ने झट से उसके हाथों को दूर करते हुए कहा।
“ऐ, चुपचाप खड़ी रह और हमे अपना काम करने दे।” काँस्टेबल ने उसे डाँट लगाई।
बबिता आगे कुछ न बोल सकी और शांत खड़ी रही। उस काँस्टेबल ने उसके स्तनों को अपने हाथो से ऊपर उठाया और उन्हें दबाकर अच्छी तरह से चेक करने लगी। इसके बाद उसने उसे दोनो टाँगे फैलाने को कहा। उसके कहने पर बबिता को अपनी दोनों टाँगे फैलानी पड़ी और वह टाँगे फैलाकर खड़ी हो गई। फिर काँस्टेबल ने अपने हाथों में दस्ताने पहने और उसकी योनि में अपनी ऊँगली डालकर चेक करने लगी कि उसने अपनी योनि में कुछ छुपाया तो नही हैं।
बबिता के लिए वह क्षण बहुत ही शर्मिंदगी भरा था और उसे ऐसा लग रहा था मानो किसी ने उसकी इज्जत ही लूट ली हो। काँस्टेबल यही नही रुकी। योनि की जाँच करने के बाद उसने उसे दीवार पर हाथ टिकाकर खड़े करवाया और उसके पीछे के छेद में ऊँगली घुसा दी। उसके लिए अब सब कुछ असहनीय होने लगा था और सहसा ही उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।
इस तरह का व्यवहार किसी भी इंसान को अंदर तक झकझोर देता हैं। उस वक़्त बबिता का वही हाल था। वह एक अच्छे परिवार की पढ़ी-लिखी महिला थी। पति वैज्ञनिक थे जबकि वह खुद एक हाउसवाइफ थी। उसका रहन-रहन, पहनावा और बोलचाल का तरीका पूरी तरह से मॉडर्न था।
खैर, शारीरिक जाँच और तलाशी के बाद उसे एक स्लेट दी गई जिस पर उसका नाम, उम्र, अपराध व कैदी नंबर लिखा हुआ था। उसे 2392 कैदी नंबर दिया गया। जाँच के बाद उसने अपने कपड़े पहने और फिर उसका मगशॉट (जेल के रिकॉर्ड के लिए कैदी की तस्वीर) लिया गया। चूँकि वह एक अंडरट्रायल कैदी थी इसलिए उसे जेल के कपड़े नही दिए गए। उसकी तस्वीर लेने के बाद उसे कुछ सामान दिया गया जिसमें एक थाली, मग, कंबल, टॉवेल व एक बाल्टी शामिल थी।
जाँच प्रक्रिया पूरी होने के बाद उसे एक तरफ दीवार से सटाकर खड़ा करवाया गया और तब तक खड़ा रखा गया जब तक उसके साथ लाई गई सभी कैदियों की जाँच पूरी नही हो गई।
बबिता के साथ उसी की सोसायटी की छः अन्य महिलाओ को भी जेल लाया गया था। इन आरोपी महिलाओं में अंजली मेहता, दया गढ़ा, रोशन कौर सोढ़ी, कोमल हाथी, माधवी भिड़े और उसकी बेटी सोनालिका भिड़े शामिल थी। इन सभी पर उन्ही की सोसायटी में हुई एक व्यक्ति और उसकी पत्नी की हत्या का आरोप था। एक दिन पहले ही सभी को उनके घरों से गिरफ्तार किया गया था जिसके बाद अदालत ने किसी को भी जमानत ना देते हुए सभी को 14 दिनों की ज्यूडिशियल कस्टडी में जेल भेज दिया।