UPDATE-1
मेरा नाम Anita हैँ और इस वक़्त जो मेरे साथ गुज़र रहा हैँ, ये एक लम्बी कहानी हैँ.......
बात दस दिन पुरानी हैँ, यूँ कह सकते कि दस दिन पहले ही मेरे जीवन मे ये तूफ़ान शुरू हुआ था...
3 महीने पहले मेरा विवाह सुरेश के साथ हुआ और एक सुखी जीवन कि अभिलाषा के साथ मैंने नये जीवन मैं प्रवेश किया..
शादी के बाद भी मैंने अपना ऑफिस नहीं छोड़ा था और कुछ दिन कि सुखभरी छुट्टियों के बाद फिर ऑफिस जाना शुरू कर चुकी हूँ.
उस रोज बॉस ने मुझे चुना कि मैं हैदराबाद जाकर कंपनी कि बिज़नेस डील फाइनल कर आऊं,
सच बताऊ मेरा कोई ख़ास शौक नहीं था 4 दिन के लिऐ सुरेश से दूर जाने का, मगर मेरी बात करने का तरीका और मेरी बुध्दिमानी पर बॉस को पूरा विश्वास था कि ये डील मेरे होते आराम से फाइनल हो जायगी..
इसीलिए हम 5 लोगो कि एक team को हैदराबाद जाना था....
मैंने सुरेश को बताया और भरे दिल से हैदराबाद चली गई....
ईश्वर का शुक्र हैँ कि डील फर्स्ट मीटिंग मे ही फाइनल हो गई.. और मैं खुश थी कि अब जल्दी लौट सकूंगी...
पता नहीं क्यों मैंने सुरेश को नहीं बताया कि मैं जल्दी आप जाउंगी.. सरप्राइज देने का ख्याल आते ही मैं मुस्कुरा उठी..
अचानक मुझे सामने देख सुरेश की वो ख़ुशी देखना जैसे मेरी पहली तम्मना बन गई हो..
वो दौड़ कर आएगा और चिल्लाता हुआ मुझे बांहों मे उठा लेगा...
मुझे बस अपने सुरेश के पास जल्दी पहुँचने की जल्दी थी... जैसा जीवन बस सुरेश की ख़ुशी देखने के लिऐ ही बचा हो.....
फ्लाइट दिल्ली के डोमेस्टिक एयरपोर्ट T2 पर उतरी और वहाँ से सीधे मेट्रो पर सवार हो मैं Dwarka सेक्टर 21 मे स्तिथ अपने फ्लैट की तरफ चल पड़ी.
एयरपोर्ट से सेक्टर 21 ज्यादा दूर नहीं हैँ..
वहाँ से ऑटो लेकर मैं PARK ROYAL RESIDENCY मे स्थित अपने 3BHK फ्लैट की चल पड़ी...
लिफ्ट मे घुसते हुए मेरा दिल धाड़ धाड़ बज रहा था...
4 दिन की दूरियां मैंने सिर्फ 2 दिन मे पूरी कर ली थी.. जाते ही सुरेश से लिपट जाउंगी और धीरे से उसके कानो मे बोलूंगी I LOVE YOU SURESH.....
अपने फ्लैट के दरवाजे पर पहुँचते ही जैसे लग रहा था दिल उछल कर सीने से बाहर आ जायगा.. मैंने Doorbell नहीं बजायी.... Surprise देने के लिऐ अपने बैग की आगे वाली जेब से फ्लैट की दूसरी चाबी निकाली और keyhole मे डाल दीं....
बहुत धीरे से चाबी घुमाई कि दरवाजा खुलने की आवाज़ सुरेश तक ना जाये...
Sunday का दिन हैँ सुरेश फ्लैट मे ही होगा... मुझे पता था..
बस अब कमी थी तो बस इतनी कि दौड़ कर उससे लिपट जाना..
धीरे से दरवाजा खोला... अंदर धीरे से झांका ड्राइंग room मे वो नहीं था... बैडरूम मे होगा.. उफ्फ्फ बढ़िया हैँ..
आज खूब प्यार करूंगी अपने सुरेश को...
सोचकर सूटकेस अंदर खींचकर धरे से दरवाजा बंद किया और बैडरूम कि तरफ मूड़ गई..
धीरे धीरे आगे बड़ी..
तभी सुरेश कि तेज आवाज़ आई...
अह्ह्ह धीरे... उफ़
मैं चौंक गई... ये क्या? सुरेश क्यों बोला धीरे..
और करहाने जैसी आवाज़ क्यों आयी उसकी...
मैं समझ गई कोई लड़की हैँ शायद अंदर....
मन मे दुख का भाव और विश्वास के टूटने कि आवाज़ बहुत धीरे हुयी मगर जैसे एक आवाज़ मे मेरी दुनिया लुट गई थी...
मैं जाने को पलटने वाली थी कि.... मैं रुक गई.....
सुरेश कि साफ आवाज़ फिर गुंजी...
उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह
उसका करहाना..... सिसकी...
और मैं जल उठी अंदर तक..
फैसला बदल दिया मैंने... और मैं धीरे बैडरूम कि तरफ बड़ी... दरवाजे कि ओट से देखा तो...........