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Erotica उत्तेजक कहानी संचयन (incest+adultery+erotica)

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Mink

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महकती कविता - इरोटिका

मेरा बाप कमिना - इंसेस्ट

खेत के कौने में बने एक झोंपड़ी - एडल्टरी

खूबसूरत मां और उसकी 3 सौतेली बेटियां - एडल्टरी

चाची को चोद कर माँ बनाया - इंसेस्ट

अपंग बाप की वासना और मजबूरी - इंसेस्ट+एडल्टरी

चाची को चोद कर माँ बनाया - इंसेस्ट

Ladies Tailor Ki Dastan - एडलटरी

पेयिंग गेस्ट - एडलटरी

चुत की खुजली और मौसाजी - इंसेस्ट
 
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Punnu

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आप बताओ कैसे स्टोरी चाहते हो जैसे बोलोगे वैसे ही कहानी पोस्ट करने की प्रयास करेंगे
Brother bura mat manna but baap beti ki agr start ho jaye to mja aa jaye .....ya fir maa bete ki is story me pati ko mat marva dena tb maza nhi aayega ...
 
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक कहानी है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Mink

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Brother bura mat manna but baap beti ki agr start ho jaye to mja aa jaye .....ya fir maa bete ki is story me pati ko mat marva dena tb maza nhi aayega ...
जरूर आपके मांग की तरह कहानी पोस्ट करने की कोशिश रहेगी
 
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक कहानी है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
साथ जुड़े रहिए आगे आपको और भी मजेदार कहानी पढ़ने को मिलेगा
 
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Good work waiting for next
साथ जुड़े रहिए आगे आपको और भी मजेदार कहानी पढ़ने को मिलेगी
धन्यवाद
 

Mink

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Mink

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नई कहानी मेरा बाप कमिना
 

Mink

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मेरा बाप कमिना
मेरा नाम सुमन है में एक शादी सुधा महिला हूं और अब जो कहानी में बताने वाली हूं ये बात तब की है जब मैं 18 साल की भोली भाली कुंवारी थी,
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हमारा गांव बेहद पिछड़ा हुआ है बापू को शराब की लत थी कोई काम नहीं करता था। माँ ही खेतीबाड़ी करती, घर संभालती पर जमीन कम होने के कारण माँ को गलत काम करना पड़ता। मुखिया के यहाँ जब भी कोई अफसर आता तो मुखिया माँ को बुला लेता बदले में काफी पैसे मिलते जिससे घर आराम से चल जाता ऊपर से कुछ बचत भी हो जाती। एक दिन की बात है रात के 8 बजे थे बापू अभी आये नहीं थे, मुखिया का एक नोकर आया उसने माँ से कुछ बात की और चला गया। माँ ने मुझे कहा की कोई बड़ा अफसर आया है हमारी ज़मीन की बात करने के लिए जो तुम्हारे चाचा ने हथिया ली है। मैं तब कुछ भी नहीं जानती थी दुनियादारी के बारे में मैं माँ की बातों में आ गयी। फिर माँ बोली ,भोली(प्यार से मुझे बुलाते हैं) आज तू जाके मेरे बिस्तर पर लेट जा ऊपर रजाई ओढ़ लेना क्योंकि अगर तेरे बापू को पता चल गया की मैं घर से बाहर हूँ तो वो मार पिटाई करेंगे मेरी अच्छी बेटी अपने परिवार के लिए इतना तो करेगी न। पर मैं डर रही थी कि अगर बापू को पता चल गया तो मेरी खैर नहीं तो यही बात मैंने माँ को बताई पर माँ ने कहा तेरे बापू तो दारू में टुन होके आते हैं और आते ही सो जाते हैं उन्हें नहीं पता चलेगा। माँ ने मुझे मिन्नते करके मना लिया। मैं चुपचाप माँ के बिस्तर पर जाके लेट गयी और रजाई ओढ़ के चुपचाप लेट गयी और दिया भी भुजा दिया पुरे कमरे में बस अँधेरा ही अँधेरा था कुछ नज़र नहीं आ रहा था। कोई 1 घंटे बाद बापू गाना गाते हुए अंदर आये डर के मारे मेरी तो घिग्गी बंध गयी दिल ज़ोरों से धड़कने लगा बापू थे भी 6फुट लम्बे चौड़े और पिटाई तो ऐसी करते थे की रूह कांप जाए । आते ही वो मेरे बिस्तर पर चढ़ गए और मेरी रजाई खींचते हुए बोले रज्जो साली तेरा पति बाहर है और तू सो गयी। मैंने दोनों हाथों से कस के रजाई को पकड़ रखा था पर बापू ने उसे ऐसे हटा लिया जैसे किसी बच्चे के हाथ से कोई खिलौना ले रहे हों डर के मारे मैं चुपचाप लेटी रही। 'साली रांड तेरा पति भूखा है और तू सो रही है' बापू ने शराब की गंध वाली गरम सांसे छोड़ते हुए कहा, मैं कुछ न कह पाई न कह सकती थी। 'साली नाटक करती है ...बोल रोटी निकाल रही है या नहीं' बापू चीख रहे थे पर मैं सोने का नाटक करती रही। मुझे क्या पता था की क्या होने वाला है बापू किसी भूखे शेर की तरह मुझ पर चढ़ गए और मेरे होंठ चूसने लगे, पहली बार किसी मर्द ने मेरे साथ ऐसा किया किया था मुझे डर तो लग रहा था पर मज़ा भी आने लगा मैं भी बापू का साथ देने लगी।
'रज्जो आज तेरे होंठ कितने नरम लग रहे पहले तो ऐसे नहीं थे ' बापू बुदबुदाये। मैं फिर चुप रही बोलती तो बापू को पता चल जाता मुझे लगा बापू चूमने के बाद मुझे छोड़ देंगे पर बापू तो नशे में धुत थे और इससे पहले मुझे कुछ पता चलता या मैं कुछ कर पाती उन्होंने मेरी कमीज़ को गले से पकड़ा और एक ही झटके में फाड़ दिया ,ऊपर से उस दिन मैं अंदर कुछ पहन भी नहीं रखा था मैं हाथों से अपनी छातियाँ ढक पाती उससे पहले ही बापू ने एक निपल को मुंह में ले लिया और चूसने लगे 'आह...आह...' मैं सिसक पड़ी। पर नशे में होने के बापू को कुछ पहचान नहीं पाई 'साली रांड तभी कहता हूँ की चुदाई करवाया कर अब इतने दिनों बाद होगा तो दर्द तो होगा ही...वैसे आज तो तेरे मोम्मे बड़े गोल-गोल और मज़े दार लग रहे हैं" बापू के मुँह से ऐसी बातें सुन मुझे अच्छा लगने लगा ऊपर से वो मेरे मम्मों को चूस रहे थे मसल रहे थे उसके कारण एक अजीब सा मस्ती मुझ पर हावी हो रही थी आज मुझे सहलियों की बात पर यकीन हो रहा था जो केहती थी कि चुदाई में जो मज़ा है वो किसी और चीज़ में नहीं है। बापू थोड़े से नीचे हुए और मेरी नाभी चाटने लगे उनके गर्म खुरदरी जीभ ने जैसे ही मेरी नाभी को छुआ मेरा पूरा बदन बुरी तरह कांप उठा। न जाने कितनी देर बापू मेरे बदन से खिलवाड़ करते रहे फिर अचानक वो उठे कुछ देर उन्होंने कुछ किया मुझे लगा जान बची पर मेरा दिल तो चाह रहा था की वो ऐसा और करें पर मैं कुछ बोल तो सकती नहीं थी। और सही बात तो ये थी की बापू सिर्फ अपने कपडे खोलने के लिए उठे थे ये बात मेरी सलवार पर हुए हमले से मैं जान गयी और दूसरे ही पल मेरी सलवार और कच्छी मेरे बदन से अगल हो गयी। बापू ने अपना हथौड़े सा भारी लौड़ा मेरी कुंवारी चूत पर रख दिया, मुझे लगा ये क्या अब भी मैंने बापू को न रोका तो पाप होगा। अपनी सारी हिम्मत जोड़ के मैंने कहा 'बापू मैं भोली' मुझे लगा था एक ज़ोर दार तपड़ मेरे मुँह पर पड़ेगा पर बापू ने जैसे कुछ सुना ही नहीं और लौड़े को चूत के मुँह पर सेट करते रहे और बोले 'भोली हूण जान दे होली होली' और एक ज़ोर दार हमला मेरी फूल सी चूत पर हुआ और उनके मूसल लण्ड का मोटा टोपा मेरी चूत में जाके फस गया। मैं दर्द से बिलबिला उठी 'आ..आ..माँ मर गयी...' पर नशे में चूर बापू पर मेरी चीखों का कोई असर नहीं हुआ उन्होंने एक और ज़ोर का धक्का दिया और मेरी चूत मूसल लण्ड से भर गयी ..'आई ...मर गयी बापू मर जाउंगी मैं निकालो बाहर बापू बापू....' पर बापू ने बिना कुछ कहे ही एक और झटका दिया मैं तो जैसे दर्द से बेहोश सी हो गयी कुछ देर के लिए मेरी आँखें घूम गयीं ..बदन से सारी ताकत निकल गयी निढाल हो चुकी थी मैं ..बापू मेरे दोनों मम्मों को ज़ोर से पकड़ लिया और लण्ड आगे पीछे करना शूरु किया मुझे तो लग रहा था की मेरी चूत भी जैसे आगे पीछे हो रही हो ...बापू के धक्कों की रफ़्तार बढ़ती जा रही थी मुझ में इतनी भी ताकत नहीं थी की चीख सकूँ ...बस आह...आह..बापू नहीं...माँ बचा लो ..मैं बस ये कहती रही पर बापू धक्के पे धक्का मारे जा रहे थे और हर धक्के के साथ मेरी साँसे हलक में अटक जाती ..पुच पुच..फच फच की आवाज़ें पुरे कमरे में गूंजने रही थी और बापू मुझे ऐसे चोद रहे थे जैसे किसी लाश को चोद रहे हों,दर्द से मैं बेहाल थी पर मुझे अब मज़ा भी आने लगा था पुरे बदन में गुदगुदी सी होने लगी थी जो हर झटके के साथ बढ़ती जा रही थी मैं ज्यादा देर न टिक सकी और झड़ गयी कुछ पलों के लिए लगा जैसे मैं स्वर्ग में हूँ पर जैसे ही चरम आंनद ख़त्म हुआ मुझे लगा की मेरी बची खुची ताकत भी निकल गयी है मैं बेसुध हो गयी। जब होश आया तो 2-3 दीये जल रहे थे बापु ज़मीन पर पालथी मार के बैठे हुए थे और खुद से बातें कर थे 'हाय कितना बड़ा पापी हूँ मैं अपनी ही बेटी का **** कर दिया भगवान मुझे कभी माफ़ नहीं करेगा' बापू खुद को कोस रहे थे उनकी हालत देख मेरा जी भर आया पर मुझे क्या पता था की ये सब नाटक है । बापू तो दूसरे राउंड की त्यारी कर रहे थे । मैंने बापू को बड़े प्यार से ऊपर से नीचे तक देखा उनका 8इंच लंबा और 4इंच मोटा लौड़ा देख मेरी तो जान ही निकल गयी । मैंने सोचा पक्का आज तो फट गयी होगी मेरी । किसी तरह ताकत बटोर के मैं उठी ताकि अपनी बुर का हाल देख सकूँ । क्या बताऊँ में जब उठी तो क्या देखती हूँ मेरी टाँगो के बीच वाली चादर पर खून ही खून था मेरी फूल सी चूत सूज के गोभी का फूल बन चुकी थी। मैं रोने लगी तभी बापू की आवाज़ आई 'साले हरामी तेरी ही वजह से मेरी बेटी का ये हाल हुआ है आज तुझे जड़ से ही काट दूँगा' मैंने रोते रोते बापू की तरफ देखा बापू के एक हाथ में चाकु और दूसरे में उन्होंने अपना मूसल लण्ड पकड़ा हुआ था और वो उसे काटने जा रहे थे "
(में सोची क्या पापा अपना लौड़ा काट देंगे?")
"लेकिन में अभी तक नहीं समझी बापू तो मछली को पकड़ने के लिए जाल बिछा रहे थे और उनका निशाना सही जगह लगा था। मैं घबरा गयी 'बापू इसमें इसका क्या कसूर है' मैंने बापू से कहा ये सोचे बिना की मैं जाल में फसती जा रही हूँ बापू यही सुनना चाहते थे उन्होंने नाटक और तेज़ कर दिया 'सही कहती है बेटी गलती तो मेरी है मैं अपना गला काट के इस पाप से मुक्ति पा लूँगा तू मुझे माफ़ कर दे' बापू ने चाकू अपने गले पर रखते हुए कहा। इस बात को सुन के तो मेरे हाथ पांव फूल गए कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ दिमाग में बस एक ही बात आई की सारा दोष मुझे अपने ऊपर लेना होगा
'बापू गलती मेरी है मैं चाहती थी की यह सब हो इसीलिए जब माँ ने मुझे यहाँ सोने को कहा तो मैं मान गयी' मैंने बापू से कहा ।
'नहीं तू झूठ बोल रही है तू तो सारा वक़्त रोक रही थी पर देख मैंने क्या कर दिया मुझे जीने का कोई हक़ नहीं है' बापू ने कहा
'बापू मैं सच में यही चाहती थी पर डर भी रही थी इसिलए मना करने का नाटक कर रही थी'
'फिर झूठ बोल रही है तू तुझे ये भी पता नहीं होगा की आज तेरे साथ क्या हो गया है..बोल पता भी है तुझे क्यों तू मुझे बचाना चाहती है'
'बापू मैं सच बोल रही हूँ मैं भी चाहती थी की तुम मेरी चुदाई करो' मैंने बापू को बचाने के लिए कहा । मेरी यह बात सुन के वो बिस्तर पर आ गए ।
'झूट मत बोल ...तू तो देवी है और मैं दानव तुझे तो यह भी पता नहीं होगा इसे क्या कहते हैं ...इस को पहले काटूँगा फिर अपना गला बेटी मुझे मत रोक' बापू ने अपने मूसल लण्ड को पकड़ के हिलाते हुए कहा ।
'बापू मैं कोई बच्ची नहीं हूँ इसे लौड़ा कहते हैं...मैं सिर्फ पहले ही चुदना नहीं चाहती अब भी मेरा मन है की तुम मुझे चोदो' मैंने भावनाओं में बहकर कह दिया मुझे क्या पता था बापू भी यही चाहते हैं । वो कुछ देर अपना सिर पकड़ ले बैठे रहे फिर उन्होंने एक ज़ोर दार तपड़ मेरे मुंह पर दे मारा मैं बिस्तर पर ढेर हो गयी
'साली रांड अपने बाप से चुदेगी ...बाप को नरक में भेजेगी अब देख मैं तेरा क्या हाल करता हूँ' बापू मेरी टांगों को पकड़ते हुए कहा
'बापू क्या कर रहे हो होश में आओ' मैं विनती की पर बापू पर भूत सवार हो चूका था
बापू ने एक तकिया मेरे सिर के नीचे ठूस दिया 'साली बड़ा चुदने का शौक है न अब अपनी आँखों से देख कैसे चोदता हूँ तुझे' बापू ने अपना लौड़ा मेरी चूत पर सेट कर दिया और रगड़ने लगे । बापू का गर्म लौड़ा मेरी चूत के दाने से रगड़ खाने लगा कुछ पलों में मैं जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी 'बापू ..आह..बापू ...मत करो मैं...'मैं बापू को रुकने के लिए कहना चाहती थी पर मेरा बदन अकड़ गया और मैं एक बार फिर झड़ गयी ।
'साली रांड देख कितनी बड़ी चुदकड़ है तू अपने बाप के सामने झड़ रही है शर्म नहीं आती तुझे ..अब तुझे सबक सिखाना ही पड़ेगा' बापू ने मेरी एक टांग को पकड़ के 90 डिग्री के कोण पर उठा लिया और अपने टोपे को चूत के होंठों पर रख एक ज़ोर दार धक्का दिया । दर्द से मेरी तो जान ही निकल गयी मुझे लगा जैसे मेरी पूरी चूत लण्ड से भर गयी हो पर देखती क्या हूँ की अभी तो बस लण्ड का मुँह ही अंदर जा पाया है । मैंने उठने की पर बापू ने एक और झटका दिया इस बार तो लगा जैसे लोहे की सलाख मेरी चूत में घुस गयी हो।
'साले हरामी अपनी ही बेटी की चूत फाड़ दी ....निकाल बाहर ...' दर्द के कारण मैं सब भूल मान मर्यादा भूल गयी थी।
'साली अपने बाप को गाली निकालती है ..अभी तो तेरे साथ नरमी बरत रहा था पर अब असली चुदाई होगी तेरी' बापू ने मेरे गले को दोनों हाथों से पकड़ लिया अपने लौड़े को चूत से बाहर निकाला और अपनी पूरी ताकत से धक्का लगाया...और नामुमकिन काम को एक ही झटके में कर दिया और सारे बंधन तोड़ कर मेरे चूत के आखिर हद तक अपना लौड़ा ठोक दिया दर्द से मेरा सारा बदन कांपने लगा मैं अपनी नाभि के पास साफ़ एक उभार को देख सकती थी पर सिर्फ निढाल पड़े रहने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था । मैंने अपना सारा बदन ढीला छोड़ दिया ...उधर बापू दूसरे वार की त्यारी में था उसने लण्ड को बाहर खिंचा और फिर वैसा ही झटका दिया उसका लण्ड मेरी कसी चूत के सारे विरोध को तोड़ता हुआ मेरी बच्चे दानी से जा टकराया । दर्द के मारे मेरी आँखें ऊपर चढ़ गयी साँसे धौंकनी की तरह चलने लगी । बापू कोई दुश्मन तो था नहीं बाप था मेरा मेरी ये हालत देख बापू का मन भी पसीज गया बापू लण्ड को चूत में ही फसा रहने दिया ,मेरी गर्दन भी छोड़ दी और मुझ पर लेट गया और मेरे गालों को चूमते हुए बोला 'भोली भोली ...मेरी बच्ची बस हो गया मुश्किल काम'
'बापू तूने तो जान ही निकाल दी मेरी ..अब तो छोड़ दे' मैंने जवाब दिया
'बेटी जितना दर्द होना था हो लिया अब तो तेरी मज़ा लेने की बारी है' बापू में मेरे होंठो को अपने होंठों से चूम लिया ..बापू के इस लाड दुलार से दर्द कुछ कम हुआ। मैं भी मज़े लेना चाहती थी आखिर इतनी पीड़ा जो सही थी मैंने कुछ हक़ तो बनता था। बापू ने धीरे -2 अपनी कमर हिलानी शुरू की मज़ा आने लगा मुझे भी दर्द भी कम हो गया। बापू मेरे स्तनों को चूसते हुए हलके हलके धक्के मारते रहे मेरा बदन फिर अकड़ने लगा था पर इस बार मुझे बापू का लण्ड भी फूलता हुआ महसूस हुआ बापू ने मुझे कस के बाँहों में भर लिया और धक्कों की रफ़्तार तेज़ कर दी इधर मैं भी बापू से लिपट गयी मेरा काम होने वाला था बापू ने झटके और जानदार कर दिए और किस्मत का खेल देखो की हम दोनों बिलकुल एक साथ झड़ गए मेरी चूत बापू के गर्म माल से भर गए। हम इतने थक चुके थे की उसी हालत में सो गए। रात को माँ वापस आई और मुझे जगाया मेरी मालिश की गर्म गर्म दूध पिलाया और फिर मुझे बतया की ये सब उन दोंनो की चाल थीं। उन्हें पता चल गया था की मेरा चक्कर एक शादीशुदा आदमी से चल रहा और अगर मैं ये सब उसके साथ करती तो सारे गांव को पता चल जाता और बदनामी होती, फिर माँ ने कहा जब भी इस ऐसा वैसा मन हो तो बापू है न तुझे कहीं बाहर जाने की ज़रुरत नहीं । अब में सोची मां ठीक कह रही है कितनी लड़कियों की ज़िन्दगी इसी तरह खराब होती है। कुछ करें तो बदनामी न करें तो मौत से भी बुरी ज़िंदगी उससे तो अच्छा है माँ बाप ही कुछ करें मज़ा भी पूरा और कोई बदनामी भी नहीं।"
और फिर इस चुदाई का नशा मेरे बापू पे इस कदर छाया की वो आए दिन मुझे चोदने लगे और मेरी रेल निकल दी और खूब कम समय में मेरे माहवारी रुक गई थी और में अपने बापू के बीज से गाभिन हो गई फिर समाज के डर से बापू और मां ने जल्दी में एक लड़के को देख कर मेरी शादी करदी मगर सुहाग रात में मुझे पता चल गया की मेरे बापू के मूसल के आगे मेरे पति लौड़ा तिल्ली माफिक था और इसी लिए में 15-20 दिन में 3-4 दिन के लिए मायके आ कर बापू से चुदवा लेती थी और आज मुझे गाभिन होते हुए 8 महीने हो चुके हैं

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और कम दिन में मैं अपने बापू के बच्चे की मां बनूंगी जो एक तगड़े लौड़े के पिचकारी से बना है।

समाप्त
 
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